सलमान को जुबैर का ओपेन चैलेंज, हिम्मत है तो बिना बौडीगार्ड के मिल

बिग बौस के घर में इस बार ऐसे सदस्य आए हैं जिनकी वजह से सलमान खान का होस्ट का किरदार आसान नहीं रहने वाला है. शनिवार रात के एपिसोड में सलमान खान ने घरवालों की जमकर क्लास ली. इस क्लास में सलमान ने सबसे बुरा हाल किया जुबैर खान का. जुबैर खान को नैशनल टीवी पर हुई अपनी यह बेइज्जती इतनी ज्यादा बुरी लगी कि उन्होंने नींद की गोलियां खा लीं, जिसके कारण उन्हें अस्पताल ले जाया गया. फिर जनता की वोट नहीं मिलने की वजह से वे घर से बाहर भी हो गए.

घर से बाहर आने के बाद जुबैर ने मुंबई के एंटाप हिल पुलिस स्टेशन में सलमान के खिलाफ लिखित शिकायत दर्ज कराई है, इसमें उन्होंने सलमान पर बिग बौस में वीकेंड वार के दौरान धमकी देने का आरोप लगाया है, इसी दौरान जुबैर ने मीडिया में सलमान को निशाना बनाते हुए कहा है कि सुपरस्टार ने बीईंग ह्यूमन के जरिये अपनी बैड बौय की इमेज को सुधारने की कोशिश की है.

जुबैर ने कहा, ‘मैं विवेक ओबेराय नहीं हूं, जो सलमान खान को छोड़ दूंगा, मैं उन्हें आगे लेकर जाऊंगा. सलमान को लोगों की बेइज्जती करने का बड़ा शौक है. वो मेरी रिपोर्ट निकालने की बात कर रहे हैं, हमारे पास उसकी सारी रिपोर्ट है. हम उसके बारे में सब जानते हैं. हम यह भी जानते हैं कि वह किस एक्ट्रेस के साथ घूमते हैं.” जुबैर ने सलमान खान को बिना बौडीगार्ड के मिलने की चुनौती भी दी है. जुबैर ने कहा है, “तुम जहां चाहो मुझे बुला लो, और बिना बौडीगार्ड के आना. अगर तुम चाहो तो बौडीगार्ड के साथ भी आ सकते हो.”

वह आगे कहते हैं, मैं सलमान को यही कहूंगा कि मैंने तेरी इज्जत रखी और कैमरे के सामने कुछ नहीं कहा. सलमान तूने पूरी दुनिया के सामने मेरी इज्जत उतारी है. मुझे नल्ला डान कहा, मैं कोई डान नहीं हूं, तू सुन ले.’ जुबैर यहीं नहीं रुके… उन्होंने कहा, ‘सलमान खान ने मुझे बार-बार कहा कि तेरी औकात क्या है. सलमान ने मेरे दिल से खेला है अब मैं उनके दिमाग से खेलूंगा. सलमान को जितनी ताकत लगानी है वह लगा लें. अब देखना कि यह पठान क्या करता है. सलमान तुझे ऊपरवाले ने इज्जत और ताकत इसलिए नहीं दी कि तू लोगों की दुनिया के सामने इज्जत उतारे.

जुबैर ने अपनी बात आगे बढ़ाते हुए कहा, मैंने अपनी शिकायत एक संस्था के साथ-साथ लोनावला के पुलिस स्टेशन में भी फैक्स कर दी है. मैं तुझे ओपन चैलेंज करता हूं, तुझे जो करना है कर ले. तू बस मुझे और मेरी बहनों को देख, हम क्या करते हैं. तुझसे सबसे पहले मेरी बहनें लड़ेंगी, बाद में मैं अपने घर के मर्दों को मैदान में उतारूंगा. कलर्स चैनल ने मेरी इमेज खराब की, उन्होंने लोगों को गलत बताया कि मैं हसीना पारकर का दमाद हूं. मैं एक फिल्म डायरेक्टर हूं. ‘मैं सलमान खान और कलर्स चैनल के खिलाफ आखरी तक लड़ूंगा.

जुबैर ने बिग बौस के स्क्रिप्टेड होने का भी दावा किया और कहा कि मुझे बिग बौस में बोलने के लिए डायलाग लिख कर दिए गए थे. बिग बौस में मेंटल टार्चर होता है. वहां जो भी गलत होता है उस पर यदि मैं जवाब देता हूं, तो कहा जाता है कि मैंने गाली दी है. गाली देने के पहले क्या हुआ यह तो दिखाया ही नहीं जाता है. ‘कलर्स’ लोगों की इज्जत उतारकर पैसे कमाने में लगा है.’

क्या था पूरा मामला आइये जानते हैं.

क्या कहा था सलमान खान ​ने?

शनिवार को सलमान कंटेस्टेंट जुबेर खान पर काफी गुस्सा हुए थे. जुबेर की बदतमीजी और गाली-गलौच को लेकर सलमान इतना भड़क गए कि उन्होंने ये तक कह दिया, “घर से बाहर निकलने के बाद अगर कुत्ता नहीं बनाया तो मेरा नाम सलमान खान नहीं.” इस दौरान सलमान ने जुबैर खान को उनकी सच्चाई जनता को बताने की भी धमकी दी. पूरे एपिसोड के दौरान सलमान अब आगे ऐसा न करने की बात कहते रहे. वहीं, बीच में जब जुबैर ने सलमान खान को भाईजान कहा तो उन्होंने खुद को भाई न कहने के लिए सख्ती से मना कर दिया.

जुबैर खान ​ने अर्शी को कहा था 2 रुपए की औरत

जुबैर ने शो में लड़ाई के दौरान अर्शी को भद्दी बातें कही थीं. उन्होंने अर्शी को 2 रुपए की औरत भी कहा था. ऐसी ही कई बातों की वजह से सलमान ने जुबैर खान को फटकार लगाई.

खुद को अंडरवर्ल्ड का रिश्तेदार बताते थे जुबैर खान

घर में जुबैर कई बार कंटेस्टेंट को धमकाते नजर आए थे. उन्होंने ‘बिग बौस’ में कहा था, “मेरे रिलेटिव्स अंडरवर्ल्ड से जुड़े हैं, ये सबको पता है. मेरी जिद थी कि मुझे मेरी लाइफ में कुछ करना है. मैं उन लोगों की तरह नहीं बनना चाहता.”

आपको बता दें कि जुबैर पिछले 15 सालों से इंडस्ट्री में एक्टिव हैं. उन्होंने अंडरवर्ल्ड पर बेस्ड ‘लकीर का फरीर’ (2013) फिल्म डायरेक्ट की है. साथ ही, वो कई ऐड्स में भी काम कर चुके हैं.

बिग बी के ये दमदार डायलौग्स हैं उनकी पहचान

सदी के महानायक अमिताभ बच्चन आज अपना 75वां जन्मदिन मना रहे हैं. अपनी दमदार आवाज, अभिनय और लंबे कद से सबको अपना दीवाना बनाने वाले बिग बी का जन्मदिन सबके लिए खास है. देश ही नहीं बल्कि दुनिया भर में फैले बिग बी के फैन्स उनका 75 वां जन्मदिन सेलिब्रेट करते हैं. हर जगह अलग-अलग तरह के आयोजन किए जाते हैं. इसमें एक आयोजन ऐसा भी है, जहां 75 साल के अमिताभ के लिए 75 फुट का केक कटेगा. यह अपने आप में एक रिकार्ड होगा.

गौरतलब है कि ‘सात हिन्दुस्तानी’ फिल्म से अपने फिल्मी करियर की शुरुआत करने वाले अमिताभ बच्चन ने जहां फिल्मों में इतिहास रच दिया, वहीं कौन बनेगा करोड़पति जैसे टीवी शो से टीवी शो की दुनिया को बदल कर रख दिया.

अमिताभ के संपूर्ण करियर में उनकी फिल्‍म ‘जंजीर’ को मील का पत्‍थर माना जाता है. इस फिल्म ने उन्‍हें रातोरात सुपरस्‍टार बना दिया. जंजीर के बाद ही उन्‍हें एंग्री यंग मैन का खिताब मिला.

उनकी मेहनत और लगन ने उन्हें ऐसे मुकाम पर पहुंचाया है, जिसका इंसान महज सपना भर देख सकता है. अमिताभ शब्द का मतलब ही होता है कभी न बुझने वाली लौ और बिग बी ने इसे साबित भी कर दिखाया है.

आज उनके जन्मदिन पर पेश है बच्चन साहब के वो डायलौग्स जो मुहावरे बन गए और आज भी हमारी जुबान पर चढ़े हुए हैं.

जंजीर

जब तक बैठने के लिए ना कहा जाये, शराफत से खड़े रहो, ये पुलिस स्‍टेशन है तुम्‍हारे बाप का घर नहीं.

दीवार

जाओ पहले उस आदमी का साइन लेकर आओ, जिसने मेरे बाप को चोर कहा था. जाओ, पहले उस आदमी का साइन लेकर आओ जिसने मेरी मां को गाली देकर नौकरी से निकाल दिया था. पहले उस आदमी का साइन लेकर आओ जिसने मेरे हाथ पर ये लिख दिया. उसके बाद… मेरे भाई तुम जहां कहोगे वहां साइन कर दूंगा.

मैं आज भी फेंके हुए पैसे नहीं उठाता.

आज मेरे पास बंगला है, गाड़ी है, बैंक बैलेंस है, क्‍या है तुम्‍हारे पास?

आज खुश तो बहुत होगे तुम.

शहंशाह

रिश्‍ते में तो हम तुम्‍हारे बाप लगते हैं, नाम है शहंशाह.

अग्निपथ

पूरा नाम, विजय दीनानाथ चौहान, बाप का नाम दीनानाथ चौहान, मां का नाम, सुहासिनी चौहान, गांव मांडवा, उम्र छत्‍तीस साल.

डौन

डौन को पकड़ना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है.

कुली

बचपन से है सर पर अल्‍लाह का नाम, और अल्‍लाह रखा है मेरे साथ, बाजू पर है सात सौ छियासी का बिल्‍ला, बीस नंबर बीड़ी पीता हूं, काम करता हूं कुली का और नाम है इकबाल.

कालिया

हम जहां खड़े हो जाते हैं, लाइन वहीं से शुरू होती है.

नमक हलाल

आई कैन टाक इंग्लिश, आई कैन वाक इंग्लिश, आई कैन लाफ इंग्लिश बिकाज इंग्लिश इज वेरी फनी लैंग्‍वेज.

कभी-कभी

कभी कभी मेरे दिल में खयाल आता है..

मिस्‍टर नटवरलाल

अरे ये जीना भी कोई जीना है, लल्‍लू.

सत्‍ते पे सत्‍ता

चैन खुली की मैन खुली की चैन.

लावारिस

अगर अपनी मां का दूध पिया है, तो सामने आ.

चुपके चुपके

गोभी का फूल, फूल होकर भी फूल नहीं, सब्‍जी है. इसी तरह गेंदे का फूल, फूल होकर भी फूल नहीं है.

त्रिशूल

आज आपके पास सारी दौलत है पर आपसे ज्‍यादा गरीब मैंने आज तक किसी को नहीं देखा.

मर्द

मर्द को दर्द नहीं होता.

शराबी

जिंदगी का तंबू तीन बंबुओं पर खड़ा होता है. शक्ति हमारे देश में काम ढूंढना भी एक काम है.

नटरवर लाल

मूंछें हों तो नत्थूलाल जैसी, वरना ना हो.

आनंद

आनंद मरा नहीं, आनंद मरा नहीं करते हैं.

शोले

क्‍या करूं, मेरा तो दिल ही कुछ ऐसा है, मौसी.

घड़ी घड़ी ड्रामा करता है, नौटंकी साला.

अब क्या बताएं मौसी, लड़का तो हीरा है हीरा.

मोहब्‍बतें

परम्‍परा, प्रतिष्‍ठा और अनुशासन. ये इस गुरूकुल के तीन स्‍तम्‍भ है. ये वो आदर्श हैं जिनसे हम आपका आने वाला कल बनाते हैं.

बुड्ढा होगा तेरा बाप

अबे, बुड्ढा होगा तेरा बाप.

सरकार

मुझे जो सही लगता है मैं करता हूं, फिर चाहे वो भगवान के खिलाफ हो, कानून के खिलाफ हो या पूरे सिस्‍टम के खिलाफ.

कौन बनेगा करोड़पति

आर यू श्‍योर? लौक कर दिया जाय.

घर को दें नया लुक

उच्च शिक्षा हासिल करने या नौकरी लग जाने के बाद संतानों को दूसरे शहर या दूसरे देश में जाना पड़ता है. यह स्वाभाविक सचाईर् है. इस सच के साथ स्वाभाविक यह भी है कि मातापिता अकेलापन महसूस करने लगते हैं.

संतानों के बाहर जाने को दूसरी नजर से देखें तो यह आप को पूरी आजादी से रहने का अच्छा मौका देता है. आप कितने भी बुजुर्ग क्यों न हों, घर में कुछ ऐसी चीजें होती हैं जिन्हें अच्छे और आधुनिक फैशन के अनुरूप बदला जा सकता है.

ऐसे वक्त में आप घर को रीडैकोरेट करें. इस से आप को जहां जिंदगी में फिर से जोश और उत्साह के साथ जीने का नजरिया मिलेगा वहीं पुरानी यादों के साथ जीने के बजाय नए उजालों का स्वागत कर सकेंगे.

इस संदर्भ में टैंजरीन की डिजाइनिंग हेड सोनम गुप्ता का कहना है, ‘‘परदों को खूबसूरत पैटर्न में सजाएं. इस से आप का मूड बेहतर होगा और पूरे घर का लुक बदल जाएगा. ये किफायती मूल्य में औनलाइन बहुत आसानी से उपलब्ध होते हैं, इसलिए इन्हें बदलना आसान भी है.

‘‘हर मौसम के लिए खास/विंडो ड्रेपरी होती हैं. उदाहरण के लिए न्यूट्रल बैकड्रौप के लिए वाइट वेस पैटर्न आजमाएं या फिर हैप्पी समर येलो कलर या वाइब्रैंट औरेंज कलर द्वारा अपने लिविंगरूम को ऊर्जा से भरपूर बना लें.

‘‘बच्चों के घर से जाने के बाद जिंदगी में रोचकता और जीवंतता लाने के लिए पूरा बैडिंग डैकोर फ्लोरल ग्राफिक प्रिंट्स से सजाएं. विशिष्ट लुक के लिए एब्सट्रैक्ट प्रिंट या फिर सुगंधित वातावरण के एहसास के लिए फिलिंग फ्लावर पैटर्न्स का प्रयोग करें.

‘‘चमकदार रंगों वाले खूबसूरत बैड शीट्स के साथ मुंबई स्ट्रीट व्यू या फिर गोवा बीच हैंगआउट प्रिंट के डिजाइन वाले तकियों से अपने बिस्तर पर लिविंग पैटर्न तैयार करें. हर मौसम में फैब्रिक का रूप बदल दें.

‘‘बच्चों के जाने के बाद आप के पास बहुत सारा खाली समय होता है. इस वक्त को आनंद से गुजारें. ब्रैकफास्ट के दौरान कौफी पीते हुए खिड़की या बालकनी से झांकने और नजारे देखने का लुत्फ ही अलग होता है. इस के लिए बालकनी में 2 आराम कुरसियां डाल लें और गद्देदार कुशन बिछा कर सुकून से बैठें.

‘‘घर में पहले की तरह चहलपहल का माहौल रखने का प्रयास करें. मेहमानों के लिए घर सजा कर रखें. खास कर लिविंग स्पेस और डाइनिंग रूम को नया जीवंत लुक दें.’’

बच्चों के कमरे में बदलाव

बच्चों के जाने के बाद उन का खाली कमरा मातापिता को रहरह कर कचोटता है. बच्चों के खाली कमरे को यादों का धरोहर बनाने के बजाय बेहतर होगा कि उसे किसी और तरह से अपने उपयोग में लाएं. आज तक बच्चों के लिए जीते रहे, अब जिंदगी को थोड़ा सुकून और खूबसूरती से सिर्फ अपने लिए गुजारें.

ईशान्या मौल के सीईओ महेश एम बता रहे हैं कई विकल्प

रिलैक्सिंग रूम

बच्चों के कमरे का उपयोग रिलैक्स होने के लिए करें. कमरे में से सारे इलैक्ट्रौनिक गैजेट्स हटा दें. जब वक्त मिले यहां बैठ कर बाहर का नजारा देखें या झपकी लें. जमीन पर मैट्रेस बिछा कर उस पर कुशन वगैरा रखें और आराम के पल गुजारें.

लाइब्रेरी

यदि आप को पढ़नेलिखने का शौक है तो इस कमरे को पर्सनल लाइबे्ररी बनाने से बेहतर क्या होगा. किताबों और पत्रिकाओं का बढि़या संकलन तैयार करें.

मैगजीन रैक्स, किताबों के लिए रैक्स वगैरा खरीद लें. कमरे में सोफा, टेबलकुरसी आदि डाल दें ताकि आराम से किताबें पढ़ी जा सकें.

म्यूजिक वर्ल्ड

यदि आप म्यूजिकलवर हैं तो बेहतर होगा कि इस कमरे को म्यूजिक के नाम कर दें. रोजाना यहां बैठ कर अभ्यास करें. जमीन पर कालीन बिछा कर सुकून के साथ म्यूजिक की दुनिया में खो जाएं.

वर्कप्लेस

यदि घर से काम करते हैं या फ्रीलांसर हैं तो यह कमरा आप के लिए महत्त्वपूर्ण साबित हो सकता है. आप शांति के साथ यहां बैठ कर काम निबटा सकेंगे. यहां कौर्नर डैस्क, वाल सैल्फ, छोटा स्टोरेज कैबिनेट और एक रिवौल्विंग चेयर व टेबल रख कर इस कमरे को बेहतरीन वर्कप्लेस के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं.

पर्सनल जिम

आप बच्चों के कमरे को छोटेमोटे पर्सनल जिम के रूप में भी तबदील कर सकते हैं. इस से आप का जिस्म भी मेंटेन रहेगा और चुस्तदुरुस्त भी बने रहेंगे. ट्रेडमिल और डंबल रख कर जिम की साजसज्जा पूरी करें. जब भी समय मिले, यहां आ कर ऐक्सरसाइज करें.

बच्चे अकसर मेहमान की तरह आएंगे. इस दौरान उन के सूटकेस, कपड़े रखने की जगह खाली रहे, ऐसी व्यवस्था करें. बच्चे अपने मित्रों व सहेलियों के साथ आ सकते हैं. सो 2 अलगअलग बैड भी हों. बाथरूम हमेशा साफ रखें और उस में सदा नया तौलिया व साबुन रखें ताकि बच्चों और मेहमानों के आने के समय इसे साफ करने की चिंता न करनी पड़े.

इस तरह आप अपने बच्चों के कमरे का बेहतर उपयोग भी कर सकेंगे और जब बच्चे छुट्टियों में घर आएंगे तो वे भी अपने कमरे के इस नए अवतार को देख कर खुश होंगे.

उत्सवी परिधानों के इंडोवैस्टर्न अंदाज

फैस्टिवल अब पूरी तरह से मौडर्न स्टाइल में ढल चुके हैं, जो लोग साल भर अपने पहनावे के साथ कोई प्रयोग नहीं करना चाहते वे भी फैस्टिवल में अलग रंग में दिखना चाहते हैं. हों भी क्यों न, इस बार त्योहारों में रैड, मजैंटा, औरेंज, रौयल ब्लू जैसे कलर शिमर एलीमैंट के साथ पसंद किए जा रहे हैं.

‘कारनेशंस’ नाम से लखनऊ में अपना डिजाइनर ब्रैंड चला रहीं शिखा सूरी कहती हैं, ‘‘फैस्टिवल ड्रैसेज में हर कोई ऐसे प्रयोग चाहता है जो उसे भीड़ में सब से अलग दिखाएं. ड्रैस में ट्रैडिशनल लुक के साथसाथ मौडर्न स्टाइल का चलन लोगों की पसंद बदल रहा है. केवल महिलाएं ही नहीं पुरुष भी पूरी तरह से अपनी ड्रैस में बदलाव चाहते हैं. इंडियन ड्रैस पर इंडोवैस्टर्न ड्रैस हावी हो रही है. हर कोई इस बदलाव को अपनाना चाहता है.’’

बनारसी दुपट्टों, मिरर वर्क, फुलकारी वर्क की ऐंब्रौयडरी इत्यादि को काफी पसंद किया जा रहा है. स्कर्ट और कुरते फैस्टिवल सीजन में खूब चलन में हैं.

ममता बुटीक की ममता सिंह कहती हैं, ‘‘फैस्टिवल सीजन में लहंगा और टौप का प्रयोग भी पसंद किया जा रहा है. यह एक तरह की ऐवरग्रीन ड्रैस है. इस में कलर, फैब्रिक, डिजाइन, कढ़ाई और स्टाइल को ले कर तमाम तरह के प्रयोग हो रहे हैं.’’

इंडोवैस्टर्न में नए प्रयोग

धोती भारतीय पोशाकों में सब से ज्यादा पसंद की जाने वाली पोशाक है. भारत में धोती महिलाओं की ड्रैस का हिस्सा किसी न किसी रूप में रही है. इस का रूप जगह के हिसाब से बदलता रहा है. यही वजह है कि धोती और साड़ी को अलगअलग तरह से पहना जाता रहा है. एक तरह से देखें तो केवल फैस्टिवल में ही नहीं, बल्कि धोती हमारे कल्चर का प्रमुख पहनावा रही है. इंडोवैस्टर्न ड्रैस में धोती को एक अलग रंग में पेश किया जा रहा है. फैशन के तमाम रंग धोती पर पसंद किए जा रहे हैं.

शिखा सूरी कहती हैं, ‘‘धोती ड्रैप में लंबा सा टौप लैगिंग के साथ पहना जाता है. साड़ी का दुपट्टा साथ में लिया जाता है. दुपट्टा साड़ी का होने के कारण ऐसा दिखता है जैसे साड़ी को अलग तरह से ड्रैप किया गया है.’’

वेल स्लीव का चलन भी इस बार देखने को मिलेगा. इस के अलावा ऐथनिक लुक वाली स्कर्ट के साथ क्रौप टौप पहना जा रहा है. यह फैस्टिवल में एक अलग लुक देता है. लांग केप एक तरह की फ्रंट ओपन जैकेट की तरह होता है. 3 पीस में तैयार होने वाली यह ड्रैस पैंट, स्कर्ट, जंप सूट जैसे किसी भी कौंबिनेशन के साथ पहनी जा सकती है. सलवार के साथ भी नए प्रयोग हो रहे हैं, जिस में धोती स्टाइल की सलवार बनती है. इस में पटियाला स्टाइल की तरह घेरे अधिक होते हैं. इस के साथ शौर्ट कुरता बिना दुपट्टे के पहना जाता है. कुछ ड्रैसेज के साथ स्कार्फ भी गले में बांधा जाने लगा है. स्कार्फ वैस्टर्न लुक देता है.

कैसे करें ड्रैस का चयन

शिखा सूरी बताती हैं, ‘‘कई बार किसी सैलिब्रिटी को देख कर या फिर किसी दोस्त को देख कर लोग उन्हीं की तरह लुक बदलना चाहते हैं. यह सही नहीं है. हर किसी की फिगर, फेस, पर्सनैलिटी अलगअलग है. ऐसे में ड्रैस का चुनाव करते समय सावधानी की जरूरत है. ड्रैस का चुनाव करते समय अपनी फिगर, कौंप्लैक्शन और कंफर्ट का ध्यान रखें.’’

तो त्योहारों के इस मौसम में आप भी अपनी मनपसंद इंडोवैस्टर्न ड्रैस चुनें और औफबीट लुक अपना कर सभी को चौकाएं.

फैस्टिवल अब पूरी तरह से मौडर्न स्टाइल में ढल चुके हैं, जो लोग साल भर अपने पहनावे के साथ कोई प्रयोग नहीं करना चाहते वे भी फैस्टिवल में अलग रंग में दिखना चाहते हैं. हों भी क्यों न, इस बार त्योहारों में रैड, मजैंटा, औरेंज, रौयल ब्लू जैसे कलर शिमर एलीमैंट के साथ पसंद किए जा रहे हैं.

‘कारनेशंस’ नाम से लखनऊ में अपना डिजाइनर ब्रैंड चला रहीं शिखा सूरी कहती हैं, ‘‘फैस्टिवल ड्रैसेज में हर कोई ऐसे प्रयोग चाहता है जो उसे भीड़ में सब से अलग दिखाएं. ड्रैस में ट्रैडिशनल लुक के साथसाथ मौडर्न स्टाइल का चलन लोगों की पसंद बदल रहा है. केवल महिलाएं ही नहीं पुरुष भी पूरी तरह से अपनी ड्रैस में बदलाव चाहते हैं. इंडियन ड्रैस पर इंडोवैस्टर्न ड्रैस हावी हो रही है. हर कोई इस बदलाव को अपनाना चाहता है.’’

बनारसी दुपट्टों, मिरर वर्क, फुलकारी वर्क की ऐंब्रौयडरी इत्यादि को काफी पसंद किया जा रहा है. स्कर्ट और कुरते फैस्टिवल सीजन में खूब चलन में हैं.

ममता बुटीक की ममता सिंह कहती हैं, ‘‘फैस्टिवल सीजन में लहंगा और टौप का प्रयोग भी पसंद किया जा रहा है. यह एक तरह की ऐवरग्रीन ड्रैस है. इस में कलर, फैब्रिक, डिजाइन, कढ़ाई और स्टाइल को ले कर तमाम तरह के प्रयोग हो रहे हैं.’’

इंडोवैस्टर्न में नए प्रयोग

धोती भारतीय पोशाकों में सब से ज्यादा पसंद की जाने वाली पोशाक है. भारत में धोती महिलाओं की ड्रैस का हिस्सा किसी न किसी रूप में रही है. इस का रूप जगह के हिसाब से बदलता रहा है. यही वजह है कि धोती और साड़ी को अलगअलग तरह से पहना जाता रहा है. एक तरह से देखें तो केवल फैस्टिवल में ही नहीं, बल्कि धोती हमारे कल्चर का प्रमुख पहनावा रही है. इंडोवैस्टर्न ड्रैस में धोती को एक अलग रंग में पेश किया जा रहा है. फैशन के तमाम रंग धोती पर पसंद किए जा रहे हैं.

शिखा सूरी कहती हैं, ‘‘धोती ड्रैप में लंबा सा टौप लैगिंग के साथ पहना जाता है. साड़ी का दुपट्टा साथ में लिया जाता है. दुपट्टा साड़ी का होने के कारण ऐसा दिखता है जैसे साड़ी को अलग तरह से ड्रैप किया गया है.’’

वेल स्लीव का चलन भी इस बार देखने को मिलेगा. इस के अलावा ऐथनिक लुक वाली स्कर्ट के साथ क्रौप टौप पहना जा रहा है. यह फैस्टिवल में एक अलग लुक देता है. लांग केप एक तरह की फ्रंट ओपन जैकेट की तरह होता है. 3 पीस में तैयार होने वाली यह ड्रैस पैंट, स्कर्ट, जंप सूट जैसे किसी भी कौंबिनेशन के साथ पहनी जा सकती है. सलवार के साथ भी नए प्रयोग हो रहे हैं, जिस में धोती स्टाइल की सलवार बनती है. इस में पटियाला स्टाइल की तरह घेरे अधिक होते हैं. इस के साथ शौर्ट कुरता बिना दुपट्टे के पहना जाता है. कुछ ड्रैसेज के साथ स्कार्फ भी गले में बांधा जाने लगा है. स्कार्फ वैस्टर्न लुक देता है.

कैसे करें ड्रैस का चयन

शिखा सूरी बताती हैं, ‘‘कई बार किसी सैलिब्रिटी को देख कर या फिर किसी दोस्त को देख कर लोग उन्हीं की तरह लुक बदलना चाहते हैं. यह सही नहीं है. हर किसी की फिगर, फेस, पर्सनैलिटी अलगअलग है. ऐसे में ड्रैस का चुनाव करते समय सावधानी की जरूरत है. ड्रैस का चुनाव करते समय अपनी फिगर, कौंप्लैक्शन और कंफर्ट का ध्यान रखें.’’

तो त्योहारों के इस मौसम में आप भी अपनी मनपसंद इंडोवैस्टर्न ड्रैस चुनें और औफबीट लुक अपना कर सभी को चौकाएं.

फैस्टिव सीजन में दिखें स्टाइलिश और ब्यूटीफुल

फैस्टिव सीजन यानी कलर, ब्राइटनैस और ऐनर्जी से भरपूर वह समय जब दिल और दिमाग एक अलग तरह की खुशी व उत्साह से सरोबार रहता है. फैस्टिवल में सिर्फ घर ही सजावट से नहीं चमचमाता, हम भी नएनए कपड़ों में सजधज कर हर्षोल्लास से त्योहार मनाते हैं. इस सीजन में ग्लैमर का तड़का लगाना और दूसरों से अलग दिखना है तो ध्यान रखिए निम्न बातों का.

कलर्स के साथ ऐक्सपैरिमैंट

फैस्टिव सीजन में कलर्स का काफी चार्म रहता है. फैशन डिजाइनर इंदु कहती हैं कि फैस्टिव सीजन में ब्राइट कलर्स, जैसे औरेंज, यलो, निओन वगैरा पहनें. ये रंग मौके के अनुरूप आप की पर्सनैलिटी में ब्राइटनैस लाते हैं. वैसे फैस्टिवल्स में ब्लैक कलर को भी अवौइड नहीं किया जा सकता. ब्लैक टौप्स, कुरतियां, कंधों से नीचे वाले टौप, वनपीस ड्रैसेज आदि गोल्डन ऐक्सेसरीज के साथ पहनेंगी तो आप अलग ही नजर आएंगी.

इंडो फ्यूजन

शौपक्लूज की निर्देशिका रितिका तनेजा कहती हैं, ‘‘देसी टच और आकर्षक लुक के लिए इंडो फ्यूजन अपनाएं. उपयुक्त भारतीय एथनिक चिक लुक के लिए प्रिंटैड बोहो ड्रैस को व्हाइट कलर के कैजुअल शूज के साथ पहनें. इस के संग सिल्वर मेटालिक वाच पहनें.’’ आप कुरती, सूट्स और स्कर्ट्स में भी फ्यूजन ला सकती हैं. आजकल क्रौप्स के साथ जींस और शौर्ट्स या फिर कुरती के साथ प्लाजो भी स्टाइल में उपलब्ध है. फ्यूजन साड़ीज जैसे पेटीकोट की जगह स्ट्रैट पैंट्स विद साड़ी का फैशन भी काफी चल रहा है.

पिंक ऐंड यलो

सीजन का ट्रैंड पिंक, यलो बोल्ड कलर के रूप में लोकप्रिय है. आप इन रंगों को सौलिड, कलर ब्लौकिंग में या ऐक्सेसरीज के साथ पहन सकती हैं.

लेयर्स का जलवा

रितिका तनेजा कहती हैं ‘‘यह समय आप के पश्चिमी वार्डरोब का नहीं, बल्कि भारतीय पारंपरिक पहनावे का है. लेयर्ड अनारकलीकुरता या डबल लेयर्ड शेरवानी जैकेट, स्टाइल कुरते का चयन करें और आकर्षक फैशन स्टेटमैंट के लिए इसे पलाजो पैंट के साथ पहनें. बड़े झुमके, पौटली बैग, पीच लिप्स और चीक्स, स्मोकी आइज व पैरों के लिए फ्लैट मोजरीज या खुसास के साथ अपने लुक को संपूर्ण बनाएं.’’

स्ट्राइप्स ऐंड चेक्स

स्ट्राइप और चेकर्ड साडि़यां इस सीजन की होट ट्रैंड हैं. ग्लैमरयुक्त फैस्टिव लुक के लिए इसे मीनाकारी इयररिंग्स और कुंदन नैकलैस के साथ पहनें. इस के साथ गोल्डनब्लैक क्लच और ब्लैक ऐंड गोल्डन काइटन हल्स पहन कर अपने लुक में चारचांद लगाएं.

आभूषणों से यों सजें

कपड़ों के साथसाथ आभूषणों के चयन पर भी खास ध्यान दें. रिवीरिया द ज्वैलरी हब की ज्वैलरी डिजाइनर आंचल गुप्ता फैस्टिव सीजन के लिए कुछ खास ज्वैलरीज के बारे में बता रही हैं.

मनमोह इयररिंग्स

त्योहारी सीजन में कालेज जाने वाली लड़कियां अपने लिए सिंगल स्टोन इयररिंग्स, कलस्टर इयररिंग्स, पर्ल इयररिंग्स, ड्रौप्स और स्टड्स जैसी हल्की बालियां पसंद कर सकती हैं. हल्की इयररिंग्स सभी प्रकार के पहनावे को और भी निखार कर आप की खूबसूरती बढा़ती हैं.

पारंपरिक पेंडैंट्स

भारी नैकलैस पहनने में कठिनाई महसूस करने वाली युवा महिलाए विभिन्न स्टाइलों में उपलब्ध हलके पेंडैंट्स पहन सकती हैं. फैस्टिव सीजन में गोल्ड एमबेडड डायमंड पेंडैंट्स काफी डिमांड में रहते हैं. आजकल डिजाइनर पेंडैंट्स भी काफी पसंद किए जाते हैं. इस सीजन में डायमंड जड़े पेंडैंट्स अथवा प्रेशियस और सैमी प्रेशियस स्टोन वाले पेंडैंट्स भी हौट हैं.

लुभावने कंगन

प्राचीन काल से ही कंगन यानी ब्रेसलैट महिलाओं के लिए एक आवश्यक आभूषण माना जाता रहा है. इस त्योहारी मौसम में आप अपनी कलाइयों में पौलिश्ड गोल्ड, स्टर्लिंग या टरक्वाइस ब्रेसलैट सजा कर और भी खूबसूरत दिख सकती हैं. पारंपरिक रुझानों वाली लड़कियां अपने लिए विंटेज और एंटीक ब्रेसलैट पसंद कर सकती हैं.

आकर्षक रिंग्स

कालेज और औफिस जाने वाली लड़कियों के बीच रिंग्स यानी अंगूठियां बेहद लोकप्रिय हैं. व्यक्तित्व को गहराई देने के साथसाथ ये भावनात्मक मूल्यों से भी जुड़ी होती हैं. अपनी पसंद के अनुरूप आप पतली और नाजुक गोल्ड या सिल्वर प्लीटिड रिंग्स पसंद करें या फिर ठोस और भारी रिंग्स.

बालों को भी सजाएं

फैस्टिव सीजन में कपड़ों से सजने और जेवरों से संवरने के साथ बालों को भी खास तरह से सजाएं ताकि पैर से सिर तक आप ही आप दिखें.

एसएलजी ज्वैलर्स के डिजाइनर प्रितेश गोयल बताते हैं कि आजकल टैसल हेडगेयर खासा प्रचलित हैं. ये खुले बालों में बहुत बढि़या दिखते हैं. टैसल हेडगेयर में कई स्टाइल और डिजाइन उपलब्ध हैं. इन में 2-3 लंबी चेन होती हैं जो सोने का पानी चढ़े हुए या चांदीलेपित होते हैं और ये पारंपरिक के साथसाथ पश्चिमी वेशभूषा पर भी बहुत आकर्षक लगते हैं. इस त्योहार के मौसम में अपनी सुंदरता में टैसल हेडगेयर से चारचांद लगाएं. आप इस रत्नजड़ित गहने के साथ उसी रंग की बौबी पिन लगा सकती हैं और बालों को आकर्षक ब्रोच से भी सजा सकती हैं. इस से बालों की खूबसूरती निखर उठेगी.

इस तरह, फैस्टिवल्स के दौरान आप अपना लुक इतना गौर्जियस और स्टालिश बना सकती हैं कि देखने वाले आप को देखते रह जाएंगे.

सेहत के लिए प्लास्टिक है इतना जहरीला

हमारी जिंदगी में हर जगह प्लास्टिक की घुसपैठ है. सस्ते, हल्के और लाने-ले जाने में आसान होने की वजह से लोग प्लास्टिक के सामानों को पसंद करते हैं. अगर हम सिर्फ किचन की बात करें तो नमक, घी, तेल, आटा, चीनी, ब्रेड, बटर, जैम और सौस…सब कुछ प्लास्टिक में ही पैक होकर आता है और हमारे घर पर भी तमाम चीजें प्लास्टिक के कंटेनर्स में ही रखी जाती हैं. लेकिन क्या आपको मालूम है कि खाने-पीने की चीजों में इस्तेमाल किया जाने वाला प्लास्टिक आपकी सेहत के लिए कितना हानिकारक सिध्द हो सकता है.

फूड कंटेनर्स

प्लास्टिक की थालियां और स्टोरेज कंटेनर्स खाने-पीने की चीज में केमिकल छोड़ते हैं. इन प्लास्टिक्स में बाइस्फेनाल ए (बीपीए) नामक केमिकल होता है जो प्लास्टिक आइटम्स में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाला केमिकल है. यह प्लास्टिक को लोचदार बनाता है. ये केमिकल हमारे शरीर के हार्मोंस को प्रभावित करते हैं. एक रिसर्च में यह माना गया है कि सभी तरह के प्लास्टिक एक वक्त के बाद केमिकल छोडऩे लगते हैं, खासकर जिन्हें गर्म किया जाता है. ऐसा करने से प्लास्टिक के केमिकल्स टूटने शुरू हो जाते हैं और फिर ये खाने-पीने की चीजों में मिल जाते हैं, जिससे गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ता है.

पानी की बोतल

पानी की बोतलों को एक बार इस्तेमाल करके तोड़ देना चाहिए. साथ ही यह भी ध्यान रखें कि अक्सर हम प्लास्टिक की बोतल को तेज धूप में खड़ी कार में रखकर छोड़ देते हैं. गर्म होकर इन प्लास्टिक बोतलों से केमिकल निकलकर पानी में रिएक्ट करता है. ऐसे पानी या साफ्ट ड्रिंक्स को नहीं पीना चाहिए.

पालिथिन में चाय

अक्सर देखा गया है कि छोटी पालिथिन थैलियों में लोग गर्म चाय ले जाते हैं जो बेहद ही नुकसानदेह है. तुरंत तो कुछ पता नहीं चलता लेकिन लंबे समय तक इस्तेमाल करने से यह कैंसर का कारण बन सकता है.

दवा की शीशी

प्लास्टिक शीशी में होम्योपैथिक दवाएं सेफ होती हैं, बशर्ते शीशी लूज प्लास्टिक की न बनी हो.

एक रिसर्च के मुताबिक, पानी में न घुल पाने और बायोकेमिकल ऐक्टिव न होने की वजह से प्योर प्लास्टिक कम जहरीला होता है लेकिन जब इसमें दूसरे तरह के प्लास्टिक और कलर्स मिला दिए जाते हैं तो यह नुकसानदेह साबित हो सकता है.

प्लास्टिक के क्वालिटी की जांच

यूं तो हम सभी लोग पानी के लिए प्लास्टिक की बोतल या खाना रखने के लिए प्लास्टिक लंच बाक्स का इस्तेमाल करते हैं लेकिन क्या कभी हमने उन्हें पलटकर देखा है कि उनके पीछे क्या लिखा है? क्या इस पर कोई सिंबल तो नहीं बना हुआ है? दरअसल, अच्छी क्वालिटी के प्रोडक्ट पर सिंबल्स का होना जरूरी है. यह मार्क ब्यूरो आफ इंडियन स्टैंडर्ड जारी करता है. इन सिंबल्स के बीच में कुछ नंबर दिये होते हैं जिससे पता लगता है कि आपके हाथ में जो प्रोडक्ट है, वह किस तरह के प्लास्टिक से बना है और उसकी क्वालिटी कैसी है.

नंबर्स का मतलब

अगर प्रोडक्ट पर नंबर 1 लिखा है तो यह प्रोडक्ट टेरेफथालेट से बना है. यह अच्छा प्लास्टिक है. अमेरिका के फूड एंड ड्रग ऐडमिनिस्ट्रेशन ने इसे खाने-पीने की चीजों की पैकेजिंग के लिए सुरक्षित बताया है. साफ्ट ड्रिंक, वाटर, केचअप, अचार, जेली और पीनट बटर ऐसी बोतलों में रखे जाते हैं.

नंबर 2 का मतलब है कि यह प्रोडक्ट हाई-डेंसिटी पालिथिलीन से बना है. वजन में हल्का और टिकाऊ होने की वजह से इसका इस्तेमाल आम है. दूध, पानी और जूस की बोतल, रिटेल बैग्स बनाने में इसका इस्तेमाल किया जाता है.

नंबर 3 का मतलब है कि यह प्रोडक्ट पालीविनाइपाइरोलीडोन क्लोराइड से बना है.

इसका इस्तेमाल कन्फेक्शनरी प्रोडक्ट्स, डेयरी प्रोडक्ट्स, सौस, मीट, हर्बल प्रोडक्ट्स, मसाले, चाय और काफी आदि की पैकेजिंग में होता है.

नंबर 4 का मतलब है कि यह प्रोडक्ट लो डेंसिटी पालिथिलीन से बना है. यह नान-टाक्सिक मैटेरियल है. इससे सेहत को कोई नुकसान नहीं होता. इससे आउटडोर फर्नीचर, फ्लोर टाइल्स और शावर कर्टेन बनते हैं.

नंबर 5 का मतलब है कि यह प्रोडक्ट पालीप्रोपोलीन से बना है. इससे बोतल के ढक्कन, ड्रिंकिंग स्ट्रा और योगर्ट कंटेनर बनाए जाते हैं.

नंबर 6 का मतलब है कि प्रोडक्ट पालिस्टरीन से बना है. यह फूड पैकेजिंग के लिए सेफ है लेकिन इसे रीसाइकल करना मुश्किल है इसलिए इसके ज्यादा इस्तेमाल से बचना चाहिए.

नंबर 7 का मतलब है कि इस प्रोडक्ट में कई तरह के प्लास्टिक का मिक्सचर होता है. यह काफी मजबूत होता है. हालांकि कुछ एक्सपर्ट्स कहते हैं कि इसमें हार्मोंस पर असर डालने वाले बाइस्फेनाल की मौजूदगी होती है इसलिए इसका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.

खाने की चीजें रखने के लिए 1, 2, 4 और 5 कैटेगरी का प्लास्टिक सही है. ये बेहतर फूडग्रेड कैटेगरी में आते हैं. जबकि 3 और 7 नंबर वाले कैटेगरी के कंटेनर खाने में केमिकल छोड़ते हैं, खासकर गर्म करने के बाद. 6 नंबर के प्लास्टिक भी नुकसानदेह होते हैं इसलिए इसका भी कम इस्तेमाल करें और इनमें खाने की चीजें न रखें.

मेरी मां का एक नहीं 2-2 आदमियों के साथ चक्कर चल रहा है. मेरे पिता अकसर दौरे पर रहते हैं. मैं क्या करूं.

सवाल

मैं 19 वर्षीय युवती हूं. अपने घर से भाग आई हूं और अपनी एक सहेली जो पीजी में रहती है के साथ रह रही हूं. दरअसल, मैं 2 सालों से अपने घर में अपनी मां का व्यभिचार देख कर कुढ़ती रही हूं. पहले नाराजगी दिखा कर और फिर साफसाफ विरोध करने पर वे मुझे बरबाद करने या किसी के भी साथ शादी कर के घर से दफा करने की धमकी देने लगीं. इसलिए मुझे मजबूरन घर छोड़ना पड़ा.

मेरी मां बहुत ही बदचलन हैं. उन का एक नहीं 2-2 आदमियों के साथ चक्कर चल रहा है. मेरे पिता अकसर दौरे पर रहते हैं. उन्हें अपनी पत्नी पर अंधविश्वास है. देरसवेर वे मुझे ढूंढ़ लेंगी. मैं दिल्ली में रहती हूं. क्या कोई ऐसी संस्था है, जो मेरी मदद कर सकती है?

जवाब

आप बालिग हैं, इसलिए आप की मां आप के साथ कोई जबरदस्ती नहीं कर सकतीं. आप को अपनी मां के दुश्चरित्र की बात अपने पिता से करनी चाहिए थी या अपने किसी नजदीकी रिश्तेदार से. पर ऐसा न कर के आप घर छोड़ आई हैं. यदि आप को अपनी मां से खतरा है, तो आप स्थानीय पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज कराएं. सहेली का पता न दें वरना उसे परेशानी होगी.

अब डेजी शाह के साथ रोमांस करेंगे इमरान हाशमी

आज भले ही दबंग स्टार सलमान खान के साथ उनके बराबरी के अभिनेता साथ काम न करना चाहें, लेकिन सितारों का एक लेवल ऐसा भी है, जो सलमान के साथ काम करने की ख्वाहिश रखता है. लगता है इस बार इमरान हाशमी की ख्वाहिश पूरी होने जा रही है. बौलीवुड एक्टर सलमान खान जिन्होंने आज तक बड़े पर्दे पर कभी किसी एक्ट्रेस को किस नहीं किया तो वहीं बौलीवुड में सीरियल किसर के नाम से फेमस एक्टर इमरान हाशमी जल्द ही बड़े पर्दे पर उनके साथ नजर आने वाले हैं.

आपको बता दें कि कुछ समय पहले यह चर्चा हो रही थी कि फिल्म रेस के तीसरे संस्करण में सलमान के साथ सिद्धार्थ मल्होत्रा काम करेंगे, लेकिन अब खबरे हैं कि इस फिल्म में दूसरे हीरो के किरदार के लिए सिद्धार्थ नहीं बल्कि इमरान हाशमी को फाइनल किया गया है. इस फिल्म में इमरान डेजी शाह के साथ रोमांस करते हुए नजर आएंगे.

बता दें कि बौलीवुड फिल्मकार रमेश तौरानी, सलमान को लेकर रेस का तीसरा संस्करण बनाने जा रहे हैं. जब से सलमान ने इस फिल्म को साइन किया है तभी से ही ये फिल्म खबरों में बनी हुई है और खबरों की वजह सलमान नहीं बल्कि फिल्म की बाकी स्टार कास्ट है. जहां इस फिल्म के लिए सलमान खान, जैकलीन फर्नांडिस और डेजी शाह के नामों पर मुहर लग चुकी है, तो वहीं फिल्म में सलमान के अपोजिट इमरान हाशमी को अप्रोच किया गया है.

माना जा रहा है कि फिल्म निर्माताओं ने इमरान को फिल्म की पटकथा सुनाई थी और उन्होंने इस भूमिका के लिए हां भी कह दिया है. इमरान को दो नायकों वाली फिल्म करने से कोई परहेज नहीं है और वे ‘वन्स अपान ए टाइम इन मुंबई’ और ‘बादशाहो’ जैसी फिल्मों में दूसरे हीरो के साथ स्क्रीन शेयर कर चुके हैं.

कैसे पड़ोसी हैं आप

एक घटना ने शर्मसार कर दिया. पिछले दिनों मुंबई के एक घर में मिली एक वृद्ध महिला का कंकाल सभ्य समाज के गाल पर एक तमाचा है. दरअसल, जिस वृद्घ महिला की लाश मिली वह विधवा थी और अकेली ही रहती थी. बच्चे विदेश में रहते हैं और कभीकभार ही मुंबई अपनी मां से मिलने आते थे.

इस घटना ने हमें बहुत कुछ सोचने पर मजबूर कर दिया कि हम कितने सजग और संवेदनशील हैं. साथ ही यह भी संदेश दे गया कि भारत के शहरों में सामाजिक तानाबाना किस कदर बिखर गया है. यह वृद्घ महिला मर गई पर पड़ोसी तक को भनक नहीं मिली. अब सब चिल्लाचिल्ला कर इस बात की तसदीक करने में जुटे हैं कि लड़के को अपनी मां का ध्यान रखना चाहिए था. पर हजारों मील दूर रहने वाले बेटे से ज्यादा एक पड़ोसी की क्या कुछ जिम्मेवारी नहीं बनती थी? माना कि 2 मकानों के बीच उठी दीवारें हवा, पानी और आवाजें रोक सकती हैं पर रिश्ते से भीगे हृदय के स्पंदन को नहीं, जिसे एक पड़ोसी को समझना चाहिए था.

पड़ोसी के नजरिए से

मन को हताहत कर देने वाली इस घटना के बाद आज अनायास याद आ गए हमारे पड़ोसी गट्टू काका, जिन्होंने पूरी उम्र एक अच्छे पड़ोसी का आदर्श प्रस्तुत किया. मैं दीवाली के समय सपरिवार अपने घर गई थी और जब लौट कर आई तो देखा कि दरवाजे पर दीए रखे थे. मैं ने पूछा कि ये किस ने रखे हैं? पता चला कि मेरे 2 मकान के आगे एक बुजुर्ग दंपती जोकि कुछ महीने पहले ही आए थे उन्होंने रखे हैं. मेरा मन ये सब देख कर भर आया. मैं ने जा कर उन को धन्यवाद दिया.

वे बोले, ‘‘इस में धन्यवाद की क्या बात है, मैं ने सोचा कि इस खाली मकान के घोर अंधकार को भगाऊं तो मैं ने दीप जला दिए. दीवाली में तो केवल हमारे घर ही प्रकाश न हो, बल्कि इस प्रकाश में हमारे पड़ोसी की भी हिस्सेदारी हो.’’

हम आज के बदलते युग में पड़ोसी को सहयोगी नहीं, समस्या मान कर बुरा बरताव करने पर उतारू हैं. क्या हम आज मानते हैं कि पड़ोसी के सुखदुख हमारे सुखदुख हैं? सच तो यह है कि आज के युग में पड़ोसी का महत्त्व सगे भाईबहनों व रिश्तेदारों से ज्यादा है. ज्यादातर लोग नौकरीपेशा हैं और अपने मूल घरों या जन्म स्थान से अलग हैं. इस कारण भाईबांधवों और रिश्तेदारों से बहुत दूर रहना पड़ता है. ऐसे में अगर कोई संकट उत्पन्न हो, तो उस वक्त पड़ोसी ही हमारे काम आते हैं. आज गट्टू काका के दीए की रोशनी को विस्तार देने की जरूरत है, वे तो संकेत दे कर आज इस दुनिया से चले गए लेकिन पड़ोसी के दिल में दीए को रोशन कर गए.

सर्वप्रथम हरेक को ही यह सोचना होगा कि मैं कैसा पड़ोसी अथवा पड़ोसिन हूं? क्या मैं सिर्फ उन लोगों को ही अपना पड़ोसिन मानती हूं, जो मेरी जाति या देश के हैं? क्या मैं दूसरों की मदद करने से इसलिए पीछे हट जाती हूं, क्योंकि वे अलग जाति के हैं या दूसरी भाषा बोलते हैं?

कैसे बनें अच्छे पड़ोसी

अगर हमें लगता है कि हमें एक अच्छा पड़ोसी मिले तो पहले हमें उस को अच्छा पड़ोसी साबित करना होगा और इस की शुरुआत हमें अपने नजरिए से करनी होगी. दूसरों के साथ आदर, गरिमा और प्यार से पेश आने से पड़ोसियों को भी आप के साथ उसी तरह पेश आने का बढ़ावा मिलेगा.

यह सच है कि अधिकतर लोग पड़ोसियों से बात करने से कतराते हैं. उन से बात न करना और दूरी बनाए रखना आसान लग सकता है. कई लोग पड़ोस से मिली मदद और नेक इरादे से दिए गए तोहफों के लिए जरा भी आभार व्यक्त नहीं करते. यह देख कर देने वाला अपने दिल में यह सोच सकता है कि बस, अब ऐसा कभी नहीं करूंगा या करूंगी. हो सकता है कि कभीकभी दोस्ताना अंदाज में हैलोहाय करने या फिर हाथ लहराने पर आप के पड़ोसी ने अनमने भाव से जवाब दिया हो. मगर कई बार पड़ोसी असल में ऐसे भी नहीं होते. वे बस ऐसा नजर आते हैं. शायद वे ऐसी संस्कृति में पलेबढ़े हों जिन की वजह से वे खुल कर बात करने से झिझक या बेचैनी महसूस करते हों. वे शायद परवाह न दिखाएं या बेरुखा लगें. आप को उन का विश्वास जीतने की जरूरत पड़ सकती है, इसलिए दोस्ती कायम करने में वक्त लगता है और धीरज की जरूरत होती है. लेकिन जो पड़ोसी न सिर्फ खुशीखुशी देने की कला सीखते हैं, बल्कि पाने पर एहसानमंद होते हैं, उन के होने से पड़ोस शांति और खुशियों का आशियाना बन जाता है.

दिल में बनाइए जगह

समय के संग सब कुछ बदल रहा है. अगर इस बदलाव के नतीजे को देखें तो आज पड़ोसी अपने पड़ोसी को नहीं पहचानता. आज के समय में समाचारपत्र और टीवी, हर जगह एक ही विषय पर चर्चा होती है कि आज यहां लूटमार, वहां हत्या, आत्महत्या, बलात्कार और अपहरण हुआ. इस तरह की घटनाएं हमारे सामाज में नासूर बन कर रह गई हैं. इस तरह के अपराध तो हर जगह होते हैं पर शहर में कुछ ज्यादा ही. और सब से बड़ी विडंबना यह है कि जो शहर रात भर जागता हो वहां पर तो कुछ ज्यादा ही इस तरह की घटनाएं घटित होती हैं. सब से आश्चर्य की बात तो आज यह है कि पड़ोस में घटित घटना की खबर हमें टीवी या अखबार से मालूम पड़ती है. आज हम अपने पड़ोस के बारे में कोई जानकारी न तो रखना चाहते हैं और न ही उस में दिलचस्पी दिखाते हैं. जिंदगी की इस आपाधापी में हम अपने परिवार तक सीमित हो कर रह गए हैं और पड़ोस खत्म सा हो गया है. आधुनिक तकनीक फोन या नैट द्वारा हम भले ही हजारों मील दूर बैठे अनजान मित्र की खुशी और दुख में शामिल रहते हैं. पर पड़ोस के दर्द और सुख से लाखों मील दूर हैं.

आज भी गांव और छोटे शहरों में पड़ोसियत बाकी है. आज भी वहां पर सब एकदूसरे के सुखदुख में शामिल होते हैं. आज भी किसी के घर जाने के लिए पूछने की जरूरत नहीं पड़ती. इन सब को देख कर लगता है कि बड़ेबड़े शहरों में रह रहे लोग पढ़लिख कर आत्मकेंद्रित हो गए हैं. बिल्ंिडग में रह रहे लोग पड़ोसी सभ्यता को भूल बैठे हैं. इसी कारण आज समाज में ऐसी घटनाएं हो रही हैं और हर पड़ोसी अपनेआप को असहज, असुरक्षित और अकेलेपन की जिंदगी जीने पर बाध्य है.              

बन सकते हैं अच्छे पड़ोसी

अपने पड़ोसियों से अनजान बन कर न रहें. उन से बोलचाल रखें. आप के पड़ोसी आप को तभी जानेंगे, जब आप का उन से परिचय, बातचीत होती रहेगी.

अपने पड़ोसियों का यथोचित अभिवादन करें. बड़ों को नमस्कार, हम उम्र को नमस्ते और छोटों को स्नेह करें. यह शिष्टाचार आप को पड़ोसियों के बीच लोकप्रिय बनाएगा.

पड़ोसियों की मदद के लिए खुद आगे आएं. आप उन के काम आएंगे, तो वे भी जरूरत पड़ने पर आप के साथ होंगे.

 पड़ोसियों के साथ न तो अकड़ में रहें न ही डींगें हांकें. यदि आप पड़ोसियों को छोटा जताने की कोशिश करेंगे, तो वे आप को कभी पसंद नहीं करेंगे.

पड़ोसियों को अपना कुछ समय दें जैसे हमउम्र लड़केलड़कियों के साथ किसी खेलकूद या ऐक्टिविटी में हिस्सा जरूर लें. यह आप के व्यक्तित्व विकास के लिए जरूरी तो है ही, साथ ही यह टीम भावना भी जगाता है.

घर से बाहर निकलते समय यह जरूर देख लें कि आप ने आधेअधूरे कपड़े तो नहीं पहन रखे हैं. इस से आप के पड़ोसियों को अटपटा लग सकता है. सलीके से कपड़े पहनने पर वे आप की तारीफ करेंगे और इस आदत से आप आगे भी सम्मान पाएंगे.

भूल कर भी पड़ोसियों के बारे में कोई बुरी बात न कहें.

पड़ोसियों के यहां से कोई निमंत्रण आए और आप व्यस्त न हों तो उस में अवश्य जाएं. अगर किसी वजह से न जा पाएं, तो उन से क्षमा मांग लें. आप ऐसा करेंगे, तो वे भी आप के निमंत्रण पर सहर्ष आना पसंद करेंगे.

पड़ोसी के यहां जाने पर बारबार घंटी न बजाएं और न ही जोरजोर से दरवाजा पीटें. ऐसा करने से पड़ोसी की नजर में आप की छवि खराब होगी.

इस त्योहार सेंको गोल्ड से करें शृंगार

आज की नारी ज्यादा आत्मविश्वासी, अपने विचारों को अभिव्यक्त करने में सक्षम, निर्णय लेने में तेज, ज्यादा सशक्त और आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर है. आज वह इतनी स्ट्रौंग है कि अगर कहीं भी कुछ गलत होते हुए देखती है तो आवाज उठाने में पीछे नहीं रहती, जो समय की मांग भी है. आखिर नारी किसी से डरे क्यों क्योंकि वह जो चाहती है उसे हासिल कर के रहती है. अपनी ताकत व आत्मविश्वास की वजह से ही तो वह आज चाहती है कि उसे हर जगह वही दरजा व सम्मान मिले जो पुरुषों को मिलता है.

इतना ही नहीं बल्कि आज महिलाएं घर की चारदीवारी के भीतर ही सीमित नहीं रह गई हैं बल्कि वे जीवन और काम के बीच बेहतर तालमेल बनाना जानती हैं. हम यह भी कह सकते हैं कि वे हिम्मत, ताकत, ज्ञान, सफलता के मामले में किसी से पीछे नहीं हैं और यही सब गुण उन्हें मजबूत बनाने के साथसाथ उन्हें सम्मान भी दिलाते हैं, जिस की वे हकदार हैं.

यहां तक कि आज तो महिलाएं पुरानी परंपराओं में बंधे रहने से ज्यादा कर्म करने में विश्वास करने लगी हैं. वे मदर टेरैसा की तरह खुद को सफल बनाने की दिशा में प्रयासरत हैं. वे चाहती हैं कि जिस तरह उन्होंने अपने जीवन को सफल बनाया उसी तरह वे भी बना सकें.

सब से जरूरी बात कि आज महिलाएं जहां स्मार्टनैस से हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं वहीं उन्हें फैशन में भी खुद को अप टू डेट रखने की जरूरत है चाहे फिर उस में स्टाइल की बात आए या फिर ट्रैंड की और इस फैशन में ज्वैलरी का भी खास रोल है और खास कर कोलकाता की ज्वैलरी का. क्योंकि वहां की ज्वैलरी में की गई कारीगरी देशभर में कहीं देखने को नहीं मिलतीं और जिस की महिलाएं दीवानी हैं भले ही बात गोल्ड की हो या फिर डायमंड ज्वैलरी की.

यह जरूरी नहीं कि आप ने कितनी महंगी ज्वैलरी खरीदी या फिर उस का डिजाइन कितना बड़ा है. जरूरी है उस की खूबसूरती भले ही वह छोटेछोटे टुकड़ों में मिल कर बनी हो और साथ ही उसे आप ने किस ड्रैस के साथ कैरी किया यानी आप का ओवर औल स्टाइल भी बहुत माने रखता है. और कोलकाता की ज्वैलरी के सिवा यह खूबसूरती आप को कहीं देखने को नहीं मिलेगी, जो नारी की सुंदरता में चारचांद लगाने का काम करती है. तो स्मार्ट बन कर खरीदें स्मार्ट ज्वैलरी.

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