बालों को दें मनचाहा स्टाइल

अपने बालों को सही स्टाइल देना किसी चुनौती से कम नहीं होता. इस के लिए जरूरी है कि आप अपने बालों का प्रकार समझें. इस से प्रयोग में आने वाले प्रोडक्ट्स व टूल्स का सलैक्शन करना भी आसान हो जाता है.

बाल मुख्य रूप से 3 प्रकार के होते हैं- मोटे बाल, मध्यम श्रेणी के बाल और पतले व मुलायम बाल.

अपने बालों का प्रकार जानने का सब से सहज तरीका है रबड़ बैंड की सहायता से बालों की पोनीटेल बांध लें. यदि आप रबड़ को एक बार में ही घुमा लेती हैं तो समझें बाल मोटे हैं. यदि रबड़ को बारबार लपेटना पड़े तो समझें आप के बाल मध्यम श्रेणी के हैं और यदि रबड़ कई दफा लपेटना पड़ जाए तो बाल पतले कहलाएंगे.

हेयर टैक्स्चर

बालों के प्रकार के अलावा उन की संरचना (टैक्स्चर) भी अलगअलग होती है. उदाहरण के लिए सीधे यानी स्ट्रेट, घुंघराले (कर्ली), वेवी और क्रिंकी बाल. बालों की संरचना का पता भी आप आसानी से लगा सकती हैं. इस के लिए जब बाल प्राकृतिक अवस्था में हों तो आईने के आगे खड़ी हो जाएं और गौर से देखें. आप को अपने बालों की संरचना समझ में आ जाएगी.

एक बार जब अपने बालों के प्रकार और संरचना की जानकारी हो जाती है तो फिर आप वे प्रोडक्ट्स आसानी से खरीद पाती हैं, जो आप के बालों के लिए मुफीद होते हैं, इस से बालों को सही स्टाइल दे पाना आसान हो जाता है.

बालों की कर्लिंग

यदि आप के बाल प्राकृतिक रूप से स्ट्रेट या थोड़े वेवी हैं तो संभव है आप उन्हें कर्ली रूप देना चाहेंगी. यह कोई कठिन काम नहीं.

आइए जानते हैं कि बालों को बेहतर तरीके से कैसे कर्ल किया जाए-

– सिरैमिक कर्लिंग आयरन चुनिए, यह बालों को अंदर से बाहर की तरफ हीट देता है, जिस से आसानी से कर्ल्स बनते हैं. हां, इस बात का ध्यान रखें कि इस में आसानी से तापमान नियंत्रित करने की सुविधा हो ताकि आप अपने बालों के प्रकार के अनुसार तापमान नियंत्रित कर सकें. पतले बालों के लिए कम और मोटे या घने बालों के लिए अधिक तापमान की जरूरत पड़ती है.

– यदि आप भीगे बालों के साथ इस प्रक्रिया की शुरुआत करने वाली हैं तो एक लाइट वेट हेयर मूस में केयोकार्पिन की 3-4 बूंदें मिला कर बालों के छोटे छोटे हिस्से कर लगाएं और फिर सुखा लें.

– गरदन के पिछले हिस्से के बालों से शुरू करें. बालों के छोटे छोटे सैक्शन बना कर आयरन के बैरल लपेटें. पीछे के बालों पर प्रक्रिया पूरी करने के बाद आगे के दोनों तरफ के बालों पर भी इसे दोहराएं. सिर के ऊपरी हिस्से के बालों को जब आयरन से पलटें तो दिशा बदल दें ताकि लुक बेहतर निकल कर आए.

– केयोकार्पिन तेल की कुछ बूंदें अपनी उंगलियों पर लगाएं और बालों पर फिराएं ताकि नैचुरल फिनिश आ सके.

– अब बालों पर स्प्रे करें और छोड़ दें.

– यदि आप के बाल प्राकृतिक रूप से कर्ली या वेवी हैं तो डैमेज के डर से उन्हें वैसा ही छोड़ देना ठीक नहीं है. सही प्रोडक्ट्स और उन के बेहतर प्रयोग के जरीए बालों को चमकदार और खूबसूरत रूप दिया जा सकता है.

स्ट्रेटनिंग

– सिरैमिक प्लेट्स वाले फ्लैट आयरन का चुनाव करें, क्योंकि यह बालों पर कठोर नहीं होता और उन्हें डैमेज नहीं करता.

– बालों पर प्रैसिंग की प्रक्रिया शुरू करने से पहले उन्हें तैयार करना और वैसे प्रोडक्ट्स लगाना जरूरी है जो इस प्रक्रिया को सहज बनाएं और बालों को हीट से होने वाले नुकसान से भी बचाएं.

– स्मूदिंग शैंपू से बालों को धोएं. फिर कंडीशनिंग करने के बाद सुखा लें.

– अब एक थर्मल प्रोटैक्शन फ्लुइड ऐप्लाई कर के प्रैसिंग की प्रक्रिया शुरू करें.

– पूरी प्रक्रिया खत्म करने के बाद केयोकार्पिन तेल की 3-4 बूंदें हथेली पर ले कर बालों पर लगाएं ताकि उन में चमक आ जाए.

– प्रिसिला, हेयर एक्सपर्ट

अब एजुकेशन लोन लेना हुआ आसान

कई बार छात्र अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पाते और वे शिक्षा से वंचित रह जाते हैं, क्योंकि वे इसके लिए फीस नहीं दे पाते. ऐसे छात्रों की मदद करता है एजुकेशन लोन. लेकिन इस लोन को लेने की जटिल प्रक्रिया की वजह से कई छात्र इसके लिए अप्लाई करने से झिझकते हैं.

बहरहाल हाल ही में सरकार ने इसके लिए दो योजनाएं, क्रेडिट गारंटी फंड स्कीम फौर एजुकेशन लोन (CGFSEL) और विद्या लक्ष्मी स्कीम, लौन्च की हैं. जहां एक तरफ पहली स्कीम से बैंकों के एजुकेशन लोन के तहत डूब रही कर्ज की रकम की चिंता कम होगी, वहीं दूसरी स्कीम से हायर एजुकेशन के लिए स्टूडेंट्स को आसानी से लोन मुहैया होगा.

क्रेडिट गारंटी फंड स्कीम फौर एजुकेशन लोन

इसको लौन्च करने का मकसद ही बैंकों को कर्ज वापस देने का आश्वासन देना है. 3000 करोड़ रुपये वाला यह फंड सहायक या किसी थर्ड पार्टी की गारंटी के बगैर ही अधिकतम 7.5 लाख का लोन देगा. इस लोन पर बेस रेट के आधार पर सालाना 2 प्रतिशत तक का ब्याज लिया जाएगा. इसके अलावा बैंकों को हर स्टूडेंट को दिए गए लोन का 1 प्रतिशत भाग इस फंड में देना होगा.

लोन चुकाने के लिए मिलेगा 15-18 महीने का समय

अभी स्टूडेंट्स को लोन चुकाने के लिए कोर्स पूरा करने के बाद एक साल का समय या फिर जौब मिलने के 6 बाद महीने बाद तक का समय दिया जाता है. लेकिन इस योजना के तहत स्टूडेंट्स को लोन चुकाना शुरू करने के लिए कोर्स के बाद 15 से 18 महीने तक का समय होगा.

अगर स्टूडेंट्स लौक इन पीरियड के अंदर ही लोन चुकाना शुरू नहीं करते है तो इस स्कीम के तहत बैंकों को लोन के 50 प्रतिशत हिस्से का भुगतान किया जाएगा. बाकी का 25 प्रतिशत हिस्सा एक निश्चित समय बाद बैकों को लौटाया जाएगा. .

विद्या लक्ष्मी स्कीम

विद्या लक्ष्मी पोर्टल एक सिंगल विंडो फैसिलिटी है जहां एजुकेशन लोन और सरकारी स्कौलरशि‍प से जुड़ी तमाम जानकारी मिलेगी. एसबीआई, आईडीबीआई और बैंक औफ इंडिया सहित 5 बैंकों ने इस पोर्टल के जरिए लोन देने की शुरुआत की है. इसके अलावा इस पोर्टल पर 13 प्रमुख बैंक 22 एजुकेशन लोन स्कीम के लिए रजिस्टर्ड हैं.

सरकार ने इस पोर्टल को इस मकसद से लौन्च किया है कि किसी भी स्टूडेंट्स को पैसे की कमी के कारण अपनी हायर एजुकेशन रोकनी न पड़े. इस पोर्टल के जरिए स्टूडेंट्स कई बैंकों के एजुकेशन लोन स्कीम के बारे में आसानी सूचना हासिल कर पाएंगे.

इस स्कीम की सबसे अच्छी बात यह है कि स्टूडेंट्स को अब एक कौमन एजुकेशन लोन फौर्म ही भरना होगा और इसी पोर्टल पर वे अपने फौर्म का स्टेटस भी चेक कर पाएंगे. अभी तक उनको तक एजुकेशन लोन के लिए हर बैंक में अलग-अलग फौर्म भरना पड़ता था.

अगर खाना चाहती हैं जेल की हवा तो फौरन चली आयें यहां

आपके भी मन में कभी ना कभी तो ये सवाल आता ही होगा की आखिर जेल कैसी होती होगी. अगर आप अब तक जेल नहीं गईं हैं तो ये सवाल आना लाजमी है. क्योकि हर कोई ये सोचता होगा की आखिर ऐसा क्या होता है जो जेल में जो वहां जाने के बाद लोग सुधर जाते है. ऐसा क्या काम करवाते है जेल में. अक्सर हम फिल्मों में यें सुनते है कि जेल की हवा खानी है क्या, तो आज हम आपको बता दे आप भी जेल की हवा खा सकती हैं, अरे डरिये नहीं ये जेल की सजा कोई जुर्म करने के लिये नही बल्कि आप पर्यटक हैं इसिलिए आपको जेल की हवा खाने को मिल सकती है.

नहीं समझे चलिये बताते हैं. अगर आप जेल के अंदर की दुनिया को देखना चाहती हैं तो आप परेशान ना हों, कोई भी पर्यटक चाहे तो जेल की सैर कर सकता है. तो आज हम आपको कुछ ऐसी ही जेलों के बारे में बताएंगे जहां जाकर आप जेल की हवा खा सकती है.

सेल्‍युलर जेल

यह जेल अंडमान निकोबार द्वीप की राजधानी पोर्ट ब्लेयर में बनी हुई है. यह अंग्रेजों द्वारा भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों को कैद रखने के लिए बनाई गई थी, जो कि भारत से हजारों किलोमीटर दूर स्थित थी और यह सागर से हजार किलोमीटर के दुर्गम मार्ग पर पड़ती थी. यह काला पानी के नाम से कुख्यात थी. यह जेल द्वितीय विश्‍व युद्ध की गवाह है. जब जापानियों ने हमला किया था उस दौरान ये जेल ब्रिटिश कैदियों का घर बन गई थी. अगर आप को ये जेल घूमनी है तो यहां आप कभी भी आ सकते हैं. सुबह 9 से शाम 5 बजे तक आप यहां घूम सकते हैं. यहां लाइट और साउंड शो भी होता है.

तिहाड़ जेल

तिहाड़ जेल देश की राजधानी दिल्‍ली में स्थित है. यह साउथ ऐशिया की सबसे बड़ी जेल है. 1957 में इस जेल को पंजाब ने तैयार किया था. ये भारत की सबसे मशहूर जेल हैं. इस जेल में नेता से लेकर अंडरवर्ल्‍ड डौन भी रह चुके हैं. ये जेल कैदियों के सुधार और उनको उच्‍च शिक्षा दिए जाने कि लिए भी प्रसिद्ध है. यहां आप जेल कैंटीन के साथ जेल के कुछ इलाके घूम सकते हैं.

हिजली जेल

हिजली जेल वेस्‍ट बंगाल में स्थित है. इस जेल को हिजली डेस्टिनेशन कैंप के तौर पर 1930 में तैयार किया गया था. भारत की स्‍वतंत्रता यात्रा में हिजली जेल का बहुत बड़ा योगदान है. 1931 में हिजली फायरिंग कांड बहुत प्रसिद्ध है. इस कांड में पुलिस ने निहत्‍थे कैदियों पर गोलियों की बारिश कर दी थी. जिसमें कईयों की जान चली गई थी. 1951 में स्‍वतंत्रता के बाद यहीं पर देश की पहली आईआईटी की नीव पड़ी. इस समय यह आईआईटी खड़गपुर के कैंपस में स्थित है. फौर्मर डेस्टिनेशन कैंप अब नेहरू म्‍यूजियम में तब्‍दील हो चुका है. आईआईटी खड़गपुर आने वाले टूरिस्‍ट यहां घूम सकते हैं.

वाइपर आइसलैंड की जेल

गैलोस औफ वाइपर आइसलैंड पोर्ट ब्‍लेयर की सेल्‍युलर जेल की तरह ही फेमस है. भारत की स्‍वतंत्रता की लड़ाई में इस जेल का बहुत बड़ा योगदान हैं. इस जेल को सेल्‍युलर जेल के बहुत पहले बनाया गया था. अगर कोई भारतीय ब्रिटिश शासन के खिलाफ बोलता था तो उसे इसी जेल में लाकर शारीरिक प्रताड़ना दी जाती थी. अब ये जगह टूरिस्‍ट प्‍लेस बन गई है. यहां लोग जेल दर्शन करने के लिए आते हैं.

यरवड़ा जेल

महाराष्‍ट्र में बनी यरवड़ा जेल भारत की सबसे सुरक्षित जेलों में से एक है. ये महाराष्‍ट्र की सबसे बड़ी जेल है. इस जेल को अंग्रेजों ने 1871 में बनवाया था. यरवड़ा जेल इसलिए भी प्रसिद्ध है क्‍योंकि स्‍वतंत्रता आंदोलन के दौरान 30 से 40 के दशक में महात्‍मा गांधी को अंग्रेजों ने इसी जेल में डाला था. यहां एक टेक्‍स्‍टाइल मिल और एक रेडियो स्‍टेशन भी है. यहां कैदी जेल की चारदीवारी के बीच में सब्‍जी और फल भी उगाते हैं. इस जेल को आप बाहर से देख सकते हैं.

मद्रास सेंट्रल जेल

चेन्‍नई में बनी मद्रास सेंट्रल जेल भारत की सबसे पुरानी जेलों में से एक है. इस जेल को 2009 में ध्‍वस्‍त कर दिया गया. ऐसा माना जाता है ये जेल उन कैदियों का घर थी जो काला पानी की सजा काट कर आते थे. स्‍वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस और वीर सावरकर भी इस जेल में रहे हैं. अब इस जेल की जगह पर मद्रास मेडिकल कौलेज की नई बिल्डिंग खड़ी हो रही है.

चलने का नाम जिंदगी

आज किरण को लंबे समय बाद मार्केट में सब्जी खरीदते देखा. वे काफी थकी और उदास दिख रही थीं. मैं ने पूछा, ‘‘आप की तबीयत तो ठीक है न?’’

वे कहने लगीं, ‘‘रोहन और अदिति अपनी आगे की पढ़ाई के लिए दिल्ली अपने मामामामी के पास शिफ्ट हो गए हैं. बच्चों के बिना घर का खालीपन खाने को दौड़ता है.’’ उन की आवाज में उदासीनता और अकेलेपन की पीड़ा का भाव साफ झलक रहा था.

बाजार में थोड़ा आगे बढ़ी थी कि सोसायटी की रश्मि दिख गईं. अरसे बाद उन से मुलाकात हुई थी. उन्हें देखते ही मैं हैरान रह गई, क्या ये वही रश्मि हैं जो बच्चों की देखभाल की जिम्मेदारी के बोझ तले हमेशा हैरानपरेशान दिखती थीं. न ढंग से कपड़े पहनना, न ही अपनी सेहत का ध्यान रखना, लेकिन आज की रश्मि का तो पूरा मेकओवर ही हो चुका था. आज वे पहले जैसी हालबेहाल आंटी नहीं थीं. उन के चेहरे पर नई रंगत, नई रौनक थी. बातबात में मुसकरा रही थीं.

मैं ने उन के कायाकल्प का राज पूछा तो उन्होंने बताया, ‘‘अब तक तो मैं बच्चों के लिए जीती रही लेकिन अब बच्चे दूसरे शहरों में अपनेअपने कैरियर में व्यस्त हैं तो मैं ने अब जिम्मेदारियों से मुक्त हो कर अपने लिए जीना सीख लिया है.

अब मैं अपनी मनमरजी का करती हूं. वे सब काम जो मैं बच्चों की जिम्मेदारियों के बीच नहीं कर पाती थी अब उन पर ध्यान देने लगी हूं. मैं ने फिटनैस क्लब जौइन कर लिया है, मनपसंद टीवी प्रोग्राम और फिल्में देखती हूं, पत्रपत्रिकाएं पढ़ती हूं, अपनी पुरानी सहेलियों से मिलतीजुलती हूं और पति के साथ सैरसपाटे के लिए भी निकल जाती हूं.’’

अब तक मैं उन की ऐक्टिवनैस और स्मानैस का राज समझ चुकी थी. मैं ने मन ही मन सोचा एक किरण हैं जो बच्चों के घर से चले जाने के बाद अकेलेलन का रोना रो कर अपनी जिंदगी बेहाल किए जा रही हैं और एक रश्मि हैं जो बच्चों के जाने के बाद जिंदगी  की नई शुरुआत कर चुकी हैं और अपने लिए जी रही हैं.

एक रूटीन से चल रही जिंदगी में जब बच्चे पढ़ाई के लिए अचानक घर से जाते हैं तो भागतीदौड़ती जिंदगी में एक ब्रेक सा लग जाता है और लगता है जिंदगी में कुछ करने को नहीं बचा. कुछ पेरैंट्स के लिए तो यह अकेलापन किसी दुर्घटना से कम नहीं होता और वे डिप्रैशन तक में आ जाते हैं.

बच्चों के अपना कैरियर बनाने या पढ़ाई करने के लिए घर छोड़ने के बाद का यह अकेलापन एंप्टी नैस्ट सिंड्रोम यानी ईएनएस कहलाता है. कुछ पेरैंट्स को इस स्थिति से उबरने में काफी वक्त लग जाता है. बच्चों के घर से जाने के बाद अकेलापन, तनाव, व्याकुलता, अंधेरे में बैठना, चुपचाप रहना, एकांत में बैठना, भूख न लगना, घर के दैनिक कामों से अरुचि जैसी मानसिक समस्याएं पनपने लगती हैं.

फिर भी जिंदगी है खूबसूरत

एंप्टी नैस्ट सिंड्रोम से पीडि़त पेरैंट्स को लगता है उन का वर्षों पहले बसाया गया घोंसला, जिसे उन्होंने मेहनत से बनाया था, खाली हो गया है और वे बिलकुल अकेले हो गए हैं. उन्हें अपना जीवन दिशाहीन लगने लगता है. इस अवस्था में अधिकांश पेरैंट्स दुख और किसी चीज के खो जाने जैसा अनुभव करते हैं. वे अपने बच्चों की दैनिक जरूरतों और सुरक्षा को ले कर चिंतित रहते हैं और उन्हें लगता है कि उन के बच्चे अपना ध्यान कैसे रख पाएंगे.

एंप्टी नैस्ट सिंड्रोम की स्थिति उन महिलाओं के लिए बेहद भयावह हो जाती है जिन्होंने अपनी जिंदगी के महत्त्वपूर्ण वर्ष बच्चों की देखभाल में बिताए हों. उन के लिए खुद को नए सांचे में ढालना शून्य से शुरू करने जैसा होता है. लेकिन जिंदगी को यों खत्म हुआ मान लेना भी तो जिंदादिली नहीं है. जरूरत है नई खुशियों को खोजने की, उन्हें समेट कर जिंदगी को नए रंगों से सजाने की.

मनोचिकित्सक अनुजा कपूर के अनुसार, ‘‘एंप्टी नैस्ट सिंड्रोम मध्य आयुवर्ग के अभिभावकों के लिए अत्यंत पीड़ादायक समय होता है. इस पड़ाव को अधिकांश अभिभावकों द्वारा आसानी से स्वीकार नहीं किया जाता. किसी भी पेरैंट्स के लिए यह समय काफी चैलेंजिंग होता है. वे बच्चे, जिन्हें हर कदम पर मातापिता की मदद की जरूरत होती थी, आज वे अकेले रह कर आत्मनिर्भर होने जा रहे हैं. यह बात पेरैंट्स स्वीकार नहीं कर पाते.’’

मांओं के लिए इस दौर से गुजरना खासा दुखदायी होता है. बच्चे जो उस की मदद के बिना एक कदम भी नहीं चल पाते थे, अब उन्हें उस मां की जरूरत नहीं, यह बात एक मां को भीतरभीतर कचोटती है. मां जिस ने अपना सारा प्यार, अपना सारा समय बच्चों को दिया. अब वही बच्चे उस से दूर हो रहे हैं. यह बात उसे अंदर ही अंदर मार रही होती है. यह स्थितिउसे अवसाद में ले जाती है और वह उस का सामना नहीं कर पाती.

इस सिंड्रोम से ग्रसित अभिभावकों में अवसाद, उद्देश्यहीनता, अस्वीकार्यता की भावना, बच्चे को ले कर चिंता व तनाव जैसे लक्षण दिखाई देते हैं. दरअसल, अभिभावक बच्चों से अलगाव की इस स्थिति के लिए तैयार ही नहीं होते या कहें कि कुछ तैयारी नहीं करते. इस दौरान पेरैंट्स नई तरह की चुनौतियों से जूझते हैं, जैसे बच्चों के साथ नए तरह का रिश्ता बनाना, अपने खाली समय को बिताने के तरीके ढूंढ़ना, पतिपत्नी का दोबारा से एकदूसरे के साथ जुड़ाव बनाना आदि. बच्चे को कैरियर के लिए एक न एक दिन घर छोड़ कर जाना ही है. अपनेआप को उस स्थिति के लिए मानसिक रूप से पहले से तैयार करें. ऐसा करने से इस स्थिति का सामना करने में आसानी होगी.

मन का करने का समय

दिल्ली की रहने वाली 42 वर्षीय शैली व 46 वर्षीय संजय का इकलौता बेटा अतिशय राठी गोवा से इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा है. अतिशय के गोवा चले जाने के बाद पतिपत्नी ने अपनी दिनचर्या को एक नया मोड़ दिया है. दोनों मौर्निंग वर्कआउट, एरोबिक्स व साइक्लिंग से अपने दिन की शुरुआत करते हैं.

संजय खुद एक सौफ्टवेयर इंजीनियर हैं और अपना खुद का बिजनैस करते हैं. उन्होंने बेटे के आगे की पढ़ाई के लिए घर से चले जाने के बाद अपनी पत्नी को औफिस आने का सुझाव दिया जिस से वह व्यस्त रह सके और उसे बेटे के चले जाने का अकेलापन न सताए. इस दिनचर्या के अलावा वे दोनों अपने खाली समय में दोस्तों के साथ मस्ती और आउटिंग करते हैं.

उन का मानना है कि आज के समय में बच्चों को आप अपने साथ चिपका कर नहीं रख सकते. उन्हें अपने बेहतर कैरियर के लिए शहर या देश से बाहर जाना पड़े तो आप को उसे वह आजादी और आत्मविश्वास देना ही होगा. साथ ही, बच्चों के सामने या औरों के सामने अपने अकेले हो जाने का रोना नहीं रोना चाहिए. उलटा, पेरैंट्स को तो खुश होना चाहिए कि अब उन्हें रोज की जिम्मेदारियों से मुक्त हो कर अपने लिए कुछ करने का समय मिला है. यह समय अपने मन का करने का है.

क्या हो बच्चों की भूमिका

बच्चे पढ़ाई के सिलसिले में दूसरे शहर में हैं तो इस बात का ध्यान रखें कि आप के और आप के घर वालों के बीच दूरी न बढ़े. आप उन से दूर हैं तो क्या हुआ? आप उन से फोन से जुड़े रहें. उन के फोन का जवाब दें. कई युवाओं के साथ यह भी देखा गया है कि वे कैरियर और दोस्तों में इतने व्यस्त रहते हैं कि पेरैंट्स से उन का लगाव कम होने लगता है. वे हर समय अपने कैरियर की चिंता करते रहते हैं.

आप को यह बात समझनी जरूरी है कि कैरियर अपनी जगह है और घर वाले अपनी जगह. कुछ बच्चे जब छुट्टियों में घर आते हैं तो उस वक्त भी दोस्तों के साथ ही व्यस्त रहते हैं. आप ऐसा न करें. आप ज्यादा से ज्यादा समय पेरैंट्स के साथ बिताएं, उन से बातें करें, उन के लिए सरप्राइज प्लान करें.

पश्चिम बंगाल : फर्जी और चिटफंड कंपनियों का केंद्र

कई वर्षों से फर्जी और चिटफंड कंपनियों का केंद्र रहा है पश्चिम बंगाल. दूसरे राज्यों से ज्यादा, चिटफंड कंपनियों ने बंगाल को अपना आशियाना बनाया और परवान चढ़ने के साथसाथ जनता को लूटने का काम किया. पश्चिम बंगाल में फर्जी कंपनियों की शुरुआत वास्तव में वाम मोरचा के शासनकाल में हुई.

वाम मोरचा सरकार के ढीले रवैए के कारण ज्यादातर चिटफंड कंपनियों ने यहां अपना डेरा जमाया और लालच दे कर जनता को लूटने का काम शुरू कर दिया. यहां की जनता को एक के बाद एक सब्जबाग दिखाए गए और उन की जेबें खाली कर दी गईं. ये चिटफंड कंपनियां अभी परवान चढ़ ही रही थीं कि पश्चिम बंगाल में सत्ता परिवर्तन  हो गया.

चिटफंड कंपनियां पसोपेश में थीं कि नई सरकार के आने से उन का धंधा कहीं मंदा न पड़ जाए, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ, बल्कि चिटफंड कंपनियों का धंधा और भी चोखा हो उठा. फिर तो तमाम चिटफंड कंपनियों की पांचों उंगलियां घी में सन गईं.

तृणमूल कांग्रेस की नई सरकार ने उन्हें रोकने के बजाय उन का हौसला बढ़ाया. परिणामस्वरूप चिटफंट कंपनियों का कारोबार इतनी तेजी से बढ़ा, जिस की कल्पना भी नहीं की जा सकती है. दरअसल, सत्तासीन पार्टी के नेताओं और मंत्रियों ने चिटफंड कंपनियों के कार्यक्रमों में धड़ल्ले से जाना शुरू कर दिया. लिहाजा, फर्जी और चिटफंड कंपनियों का सीना इतना चौड़ा हो गया कि पूछिए मत. इन कंपनियों के लोग दिनदूनी रातचौगुनी तरक्की करने लगे. साथ ही, सत्तासीन पार्टी के मंत्रियों और नेताओं को भी भरपूर फायदा होने लगा. पार्टी फंड गुलजार रहने लगा.

उधर प्रदेश की भोलीभाली जनता का विश्वास भी इन कंपनियों पर तेजी से बढ़ने लगा, क्योंकि उन के जनप्रतिनिधि भी चिटफंड कंपनियों के कार्यक्रमों में खुलेआम जाने लगे. यहां तक कि प्रदेश की मुख्यमंत्री ममता बनर्र्जी भी इन कंपनियों के समारोहों में जाने लगीं. इस से जनता का भरोसा और भी दृढ़ हो गया.

बंगाल की जनता को लगने लगा कि जब उन की मुख्यमंत्री तक चिटफंड कंपनियों के साथ हैं, तो उन का पैसा बिलकुल सुरक्षित है. मगर, उन्हें यह नहीं पता था कि ये तमाम चिटफंड कंपनियां उन्हें धोखा दे रहीं हैं. सच तो यह है कि ममता बनर्जी के शासनकाल में बंगाल फर्जी कंपनियों का एक बड़ा केंद्र बन गया.

ममता बनर्जी ने भले ही इन कंपनियों का बहुत ज्यादा फायदा नहीं उठाया हो मगर उन के सिपहसालारों ने तो अति ही कर दी. जांच के बाद अब एक के बाद एक परत उघड़ रही है. कई चेहरे बेनकाब हुए. अभी और चेहरे बेनकाब होने बाकी हैं.

लुट गई जनता

अफसोस की बात यह भी है कि जब तक इन चिटफंड कंपनियों का चेहरा सामने आया, तब तक जनता पूरी तरह लुट चुकी थी. करोड़ों रुपए बाजार से उठा लिए गए थे. लोग करें भी तो क्या करें. चिटफंड कंपनियों के दफ्तरों के बाहर लटके ताले बुरी तरह उन का मुंह चिढ़ा रहे थे. कंपनियों के एजेंट और अधिकारी तक फरार. बंद पड़े दफ्तरों के सामने महज शोरशराबा कर के लौट आने के सिवा और कोई रास्ता भी नहीं बचा था लुटेपिटे लोगों के पास.

पुलिस को रिपोर्ट कर के भी कोई फायदा नहीं और सत्तासीन पार्टी के वे नेता व मंत्री भी ऐसे पल्ला झाड़ने लगे मानो उन कंपनियों से उन का कोई संबंध ही नहीं था.

भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष का कहना है, ‘‘तृणमूल कांग्रेस के नेताओं और मंत्रियों ने चिटफंड कंपनियों से जम कर फायदा लिया. छोटेछोटे कार्यक्रमों के लिए बड़े डोनेशन लिए गए. ममता सरकार ने इन कंपनियों को शह दी. इसी का नतीजा है कि आज लोगों के करोड़ों रुपए डूब गए. पाईपाई जोड़ कर लोगों ने हजारोंलाखों रुपए जमा किए लेकिन मिला कुछ भी नहीं.’’

गौरतलब है कि सारदा घोटाले के बाद ममता सरकार ने लोगों को उन के पैसे लौटने का वादा भी किया. मजे की बात तो यह है कि प्रदेश के कुछ हिस्सों में टीएमसी के नेताओं और मंत्रियों ने लोगों में चैक भी बांटे. मगर तकरीबन सारे चैक बाउंस हो गए. इस के बाद भी बेशुमार वादे और दावे किए गए मगर सभी बेकार साबित हुए.

आज भी यहां के लोग उस घड़ी को कोस रहे हैं जब ज्यादा पाने के लालच में उन्होंने अपने जीवन की गाढ़ी कमाई तक चिटफंड कंपनियों को दे दी. आखिर, मिला कुछ भी नहीं.

एक सर्वेक्षण के मुताबिक, बंगाल में बीसियों चिटफंड कंपनियों ने अपने पैर जमाए और यहां की जनता को खूब सब्जबाग दिखाए. कमाल की बात है कि मां, माटी व मानुष का नारा देने वाली ममता सरकार ने चिटफंड कंपनियों को इतनी शह दे दी कि उन के प्रदेश में मानुष कंगाल हो गए. लोगों ने बेटियों की शादी तक के लिए रखे रुपए चिटफंड कंपनियों में लगा दिए ताकि उन्हें मोटी रकम मिल सके. मगर कंपनियों ने तो उन्हें लूट ही लिया.

टीएमसी के शासन में औद्योगिक विकास की दिशा में कोई सार्थक निवेश तो नहीं हुआ, फर्जी कंपनियां कुकुरमुत्ते की तरह जरूर बढ़ीं. एक दौर था जब इन फर्जी कंपनियों का इतना बोलबाला था कि लोग बैंक और पोस्टऔफिस तक जाना भूल गए थे. याद था तो बस चिटफंड कंपनियों का दफ्तर.

दरअसल, लोगों को इतने ऊंचेऊंचे सपने इन फर्जी कंपनियों ने दिखा दिए कि उन की आंखों पर लालच का मोटा परदा पड़ गया. ऊपर से सत्तासीन पार्टी के नेताओं ने उन के कार्यक्रमों में जाजा कर उन के परदे को और मोटा कर दिया.

मजे की बात तो यह है कि करोड़ोंअरबों रुपए बाजार से उठाने वाली इन कंपनियों के पास आज लौटाने को कुछ भी नहीं है. सरकार के पास लोगों ने लगातार शिकायतें भी कीं लेकिन हुआ कुछ भी नहीं. बस, जांच चल रही है. आप को बताता चलूं यहां ऐसे लोग भी हैं जिन्होंने अपनी जिंदगीभर की कमाई इन कंपनियों में लगा दी. उन का रुपया मिल पाएगा या नहीं, इस का जवाब किसी के पास नहीं.

हालांकि, विमुद्रीकरण के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से एक टास्क फोर्स का गठन किया गया. टास्क फोर्स ने इन चिटफंड कंपनियों पर लगाम लगाते हुए कार्यवाही शुरू की. टास्क फोर्स के मुताबिक, नवंबर-दिसंबर, 2016 के दौरान ऐसी कंपनियों की ओर से 1,238 करोड़ रुपए बैंकों में जमा हुए हैं. इस में कुछ विशेषज्ञों की मदद ली गई है. लगभग 54 सौ करोड़ रुपए ठिकाने लगाए गए.

इस मामले में ईडी कोलकाता 90 फर्जी कंपयों की जांचपड़ताल में जुटा हुआ है. इस में टीएमसी के कुछ नेताओं की भी मिलीभगत है. सीबीआई इस मामले को ले कर काफी सक्रिय है और जल्दी ही जांच की कार्यवाही में और भी तीव्रता आने की आशा है. सीबीआई पूर्ण जांच कर के मुकदमा दायर करने वाली है.

बंगाल में 2011 से 2015 के बीच 17 हजार चिटफंड कंपनियों का रजिस्ट्रेशन हुआ. दरअसल, भारत में कुल 15 लाख कंपनियां रजिस्टर्ड हैं, जिन में से लगभग 6 लाख कंपनियां ही नियमित आय का रिटर्न फाइल करती हैं. इन में से लाखों कंपनियां महज कागजों पर ही हैं, जिन्हें फर्जी कंपनी कहा जाता है.

गौरतलब है कि चिटफंड कंपनियों की तरह ही फर्जी कंपनियां भी सब से ज्यादा पश्चिम बंगाल में हैं. इन का इस्तेमाल काली कमाई को सफेद और सफेद को काला करने के लिए किया जाता है. पश्चिम बंगाल में पनप रही फर्जी कंपनियों की चर्चा एसआईटी ने भी की है. एसआईटी की नजर कालेधन पर रहती है. एसआईटी ने इस का खुलासा किया है, मगर इस पर उचित कार्यवाही भी होनी चाहिए. हालांकि, सेबी के रडार पर दर्जनों चिटफंड कंपनियां हैं.          

फर्जी कंपनियां बंगाल में ही क्यों

पश्चिम बंगाल, विशेषकर कोलकाता शहर और आसपास के शहरों में चिटफंड से संबंधित काम करने वाले प्रोफैशनल्स और ऐक्सपर्ट्स काफी हैं. दरअसल, पश्चिम बंगाल में व्यापारिक एवं औद्योगिक विकास का ग्राफ बहुत कम हो गया है. यही कारण है कि सीए तथा अकाउंट्स ऐक्सपर्ट्स व प्रोफैशनल्स के पास काम नहीं है और वे काफी सस्ते में उपलब्ध हो जाते हैं.

1 करोड़ रुपए पर 24 प्रतिशत टैक्स देने के हिसाब से 24 लाख रुपए लगते हैं, लेकिन कोलकाता में किसी भी अकाउंट्स कंपनी के औपरेटर को 50 हजार रुपए दीजिए, वह आप के टैक्स के 24 लाख रुपए बचा देता है. एक सर्वेक्षण के अनुसार, कोलकाता में ऐसी हजारों कंपनियां हैं, जिन के लिए 6 हजार से ज्यादा चार्टर्ड अकाउंटैंट्स गैरकानूनी तरीके से काम करते हैं.

ये है आमिर खान की जिंदगी का सबसे मुश्किल रोल

बौलीवुड में मिस्टर परफेक्शनिस्ट कहे जाने वाले सुपरस्टार आमिर खान अब तक के अपने फिल्मी करियर में कई बेहतरीन किरदारों को पर्दे पर उतार चुके हैं. वह हर बार अपने किरदार को यादगार बनाने के लिए उनके साथ कुछ नया कर ही देते हैं. वह हर रोल के साथ इतने प्रयोग कर चुके हैं कि दर्शकों को लगने लगा है कि आमिर के लिए किसी भी किरदार को पर्दे पर उतारना कोई मुश्किल काम नहीं हैं. लेकिन हाल ही में उन्होंने इस बात का खुलासा किया है कि हाल ही में निभाई उनकी एक भूमिका अब तक का सबसे मुश्किल किरदार था.

मिस्टर परफेक्शनिस्ट के लिए भी कोई रोल मुश्किल हो सकता है! सुनकर यकीन नहीं होता, मगर ‘सीक्रेट सुपरस्टार’ में अपने रोल को आमिर ने अब तक के करियर का सबसे मुश्किल रोल बताया है. आमिर ने इस रोल के बनने की कहानी से जुड़ा एक वीडियो ट्विटर पर शेयर किया है. इसके साथ उन्होंने लिखा, “One of my toughest roles”.

‘सीक्रेट सुपरस्टार’ में वह म्यूजिक कंपोजर शक्ति कुमार का रोल निभा रहे हैं. इसमें आमिर का लुक उनकी अब तक आई फिल्मों से बिलकुल अलग नजर आ रहा है. उनके बालों का स्टाइल, दाढ़ी, कपड़े, चलने-बोलने का अंदाज सब कुछ काफी अलग और बहुत दिलचस्प है. इस वीडियो में इसी रोल की मेकिंग को बहुत मजेदार अंदाज में दिखाया गया है.

किस तरह आमिर की टीशर्ट से लेकर उनके बालों के कट तक कई बार डिस्कशन के बाद सब कुछ फाइनल किया गया. साथ ही अगर आप उनके परफेक्शन की लिमिट देखना चाहें, तो भी ये वीडियो बड़े काम का है. इसमें फिल्म की क्रू से जुड़े अलग-अलग लोग भी आमिर के इस कैरेक्टर को लेकर अपनी बात रख रहे हैं.

आमिर की ये फिल्म अगले महीने दीवाली पर रिलीज होने वाली है. इन दिनों वह इसके प्रमोशन में जुटे हैं. हालांकि आमिर इस फिल्म में सिर्फ स्पेशल अपीयरेंस में हैं, इसमें उनके साथ दंगल गर्ल जायरा वसीम मुख्य भूमिका में हैं. इतना ही नहीं बताया तो ये भी जा रहा है दंगल में उनके साथ नजर आईं सनाया मल्होत्रा को फिल्म में कोरियोग्राफी का क्रेडिट दिया गया है.

फिल्म की कहानी एक मुस्लि‍म फैमिली की बच्ची के इर्द-गिर्द घूमती है. इस बच्ची को सिंगर बनना है, लेकिन उसके पापा को ये पसंद नहीं. अपने सपनों को सच करने के लिए वो यू ट्यूब पर बुर्का पहनकर अपना एक वीडियो अपलोड करती है जिसे लोग पसंद करते हैं. फिल्म में जायरा वसीम के साथ टीवी एक्ट्रेस मेहर विज भी मुख्य भूमिका में हैं. फिल्म का निर्देशन अद्वैत चंदन ने किया है.

त्योहारी सीजन में इन घरेलू फेस मास्क से निखारें त्वचा

त्योहारों का मौसम आ चुका है. त्योहार के मौसम में हर कोई सुंदर दिखना चाहत है. लेकिन त्योहार के समय बढ़ते काम के कारण आप ना तो पार्लर जा पाती हैं और ना ही अपनी त्वचा का ख्याल रख पाती हैं. ऐसे में घर के काम से कुछ समय निकाल कर आप अपनी त्वचा की रंगत बदल सकती हैं.

घर पर बनाए गए फेस मास्क त्वचा में निखार लाने के लिए सबसे उपयुक्त होते हैं. प्राकृतिक सामग्री जैसे केला, पपीता, जौ, एलोवेरा, शहद, आदि चीजें आपकी त्वचा में चमक व निखार लाते हैं. घर पर फेस मास्क बनाने के ये नुस्खे जरूर जान लें.

– आप शहद और केले से फेस मास्क बना सकती हैं. आधे पके केले को मसल लें, उसमें दूध, एक बड़ा चमम्च चंदन पाउडर और आधा बड़ा चम्मच शहद मिला लें. अब इस मास्क को 20-25 मिनट तक चेहरे पर लगाए रहें और फिर गुनगुने पानी से धो लें. यह मास्क तैलीय तव्चा के लिए लाभदायक है. आपको बता दें कि चंदन पाउडर त्वचा से अतिरिक्त तेल हटाता है, जबकि केला त्वचा में नमी बनाए रखता है.

– गुड़हल या जावाकुसुम के फूलों को एक से छह की अनुपात में रातभर ठंडे पानी में रख दें. अगले दिन फूलों को पीस लें. इसे छान लें और पानी रखे रहें. फूलों में तीन छोटा चम्मच जौ, दो बूंद टी ट्री औयल और पानी मिलाकर पेस्ट बना लें. इस पेस्ट को फेस मास्क की तरह इस्तेमाल करें. गुड़हल का फूल त्वचा की सफाई करने के साथ ही रंग भी साफ करता है.

– शहद और दही में जरा सी रेड वाइन मिला लें. इसे चेहरे पर 20 मिनट तक लगाए रखने के बाद सादे पानी से धो लें. यह टैनिंग दूर कर त्वचा में चमक लाता है और त्वचा को मुलायम बनाता है.

– एवोकैडो के गूदे को एलोवेरा जेल में मिला लें. 20 मिनट तक लगाए रहने के बाद इसे सादे पानी से धो लें. ताजा या कच्चा एवोकैडो इस्तेमाल में लाएं. यह फल 20 विटामिन्स, मिनरल्स और एंटीऔक्सीडेंट से भरपूर होता है और त्वचा में कसाव लाकर बढ़ती उम्र के असर को कम करता है.

– खीरा और पके पपीते का गूदा दही में मिक्स कर लें और उसमें दो छोटा चम्मच जौ और कुछ बूंद नींबू का रस मिला लें. इसे चेहरे और गर्दन पर लगाएं. आधे घंटे बाद इसे पानी से धो लें. यह टैनिंग हटाकर चेहरे में चमक और निखार लाता है.

– तैलीय त्वचा के लिए एक बड़ा चम्मच मूंग की दाल कुछ घंटे के लिए पानी में भिगो दें. इसके बाद इसे पीस लें और इसमें एक बड़ा चम्मच टमाटर का गूदा मिला लें. हल्के हाथों से मसाज करते हुए इसे चेहरे पर लगाएं. 20 मिनट बाद इसे पानी से धो लें. यह तैलीयपन दूर कर त्वचा में चमक लाता है.

औनलाईन फ्रौड से बचने के उपाय

लोगों के मन में औनलाइन शौपिंग को लेकर कई तरह की आशंकाएं रहती है. ये आशंकाएं औनलाइन फ्रौड को लेकर होती हैं और होनी भी चाहिए, आजकल औनलाइन फ्रौड के मामलों में जबरदस्त उछाल जो आया है. वैसे भी आप जिस व्यक्ति या वेबसाइट पर भरोसा करके प्रोडक्ट खरीद रही हैं, उसे सीधे तौर पर तो जानती नहीं हैं. उसकी एक वर्चुअल पहचान है, जिससे आप वाकिफ हैं. ऐसे में आप सोचेंगी कि ‘कैश औन डिलीवरी’ बेहतर विकल्प है. लेकिन ‘कैश औन डिलीवरी’ के मामले में भी आप अपने खरीदे गए प्रोडक्ट को देखे बिना ही उसकी कीमत चुकाती हैं. यानी आप उसकी पैकिंग देखकर पैसे दे देती हैं. ऐसे में आप औनलाइन शौपिंग में कैसे अपने रिस्क को कम से कम कर सकती हैं और कैसे इस तरह के फ्रौड से बच सकती हैं, जानिए यहां.

औफिशियल सेलर से खरीदें सामान

अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसी ई-कौमर्स वेबसाइट्स दुनिया भर के विक्रेताओं को मार्केट प्लेस मुहैया कराती है. ये वेबसाइट स्वयं कोई प्रोडक्ट नहीं बेचती है. हालांकि इन वेबसाइट्स पर सभी विक्रेता एक सामान नहीं होते, कुछ विक्रेता ऐसे भी होते हैं जिन्हें इन ई-कौमर्स वेबसाइट्स का लगभग ‘आधिकारिक विक्रेता’ माना जा सकता है.

फ्लिपकार्ट के मामले में यह दर्जा ‘डब्ल्यूएस रिटेल’ को हासिल है. यानी फ्लिपकार्ट पर इस विक्रेता से खरीदारी करना 100 फीसदी सुरक्ष‍ित है. हालांकि इसी वेबसाइट पर मौजूद अन्य विक्रेताओं के मुकाबले ‘डब्ल्यूएस रिटेल’ पर कीमतें थोड़ी ज्यादा हो सकती हैं, लेकिन लालच ना करें. यही नहीं ‘डब्ल्यूएस रिटेल’ ही फ्लिपकार्ट पर इकलौता विक्रेता है जो 30 दिन की मनी बैक गारंटी देता है, जबकि बाकी विक्रेता 7 से 10 दिन की रिटर्न गारंटी देते हैं.

अमेजन पर यह दर्जा ‘क्लाउडटेल’ को हासिल है. जबौन्ग और मिंत्रा पर ज्यादातर प्रोडक्ट आधिकारिक विक्रेताओं द्वारा ही बेचे जाते हैं. हालांकि यहां भी थर्ड पार्टी विक्रेता मौजूद हैं, लेकिन कोशिश करें कि आप सीधे मिंत्रा या जबौन्ग से अपनी मनपसंद चीज खरीदें. और हां आधिकारिक विक्रेता शिपिंग टाइम भी कम लेते हैं.

गोदाम में मौजूद प्रोडक्ट ही खरीदें

अमेजन, फ्लिपकार्ट और स्नैपडील जैसी ई-कौमर्स वेबसाइट्स के अपने गोदाम होते हैं, जहां थर्ड पार्टी विक्रेता का भी सामान रखा होता है. पहले से गोदाम में मौजूद सामान को अगर आप खरीदती हैं तो फिर इनकी शिपिंग थर्ड पार्टी विक्रेता नहीं बल्कि वह वेबसाइट स्वयं करती है, जिससे आपने खरीदा है. अगर आपको जानना हो कि जो प्रोडक्ट आप खरीद रही हैं वो गोदाम में मौजूद है या नहीं तो बता दें कि अमेजन पर ऐसे प्रोडक्ट्स के साथ ‘अमेजन फुलफिल्ड’, फ्लिपकार्ट पर ‘फ्लिपकार्ट एडवांटेज’ व स्नैपडी पर ‘सेफशिप’ का टैग लगा रहता है.

विक्रेता की रेटिंग पर भी नजर डालें

इससे पहले कि आप अपनी मनपसंद प्रोडक्ट खरीदने के लिए बाई (Buy) का बटन दबाएं, विक्रेता की रेटिंग जरूर देख लें. खासतौर पर ईबे और स्नैपडील जैसी वेबसाइटों के मामले में यह जरूर करें. ध्यान रखें कि ऐसे विक्रेताओं से ही सामान खरीदें जिन्होंने कम से कम 50 या इससे ज्यादा ट्रांजेक्शन किए हों और उनकी रेटिंग भी 90 फीसदी या कम से कम 4 स्टार हो. जितनी ज्यादा रेटिंग होगी उतना ही ज्यादा आप उस विक्रेता पर भरोसा कर सकती हैं.

औनलाईन करे भुगतान

हालांकि ‘कैश औन डिलीवरी’ को काफी सुरक्ष‍ित माना जाता है, लेकिन यह उतनी भी ज्यादा सुरक्ष‍ित नहीं है जितना समझा जाता है. खास तौर पर ईबे ट्रांजेक्शन के मामले में तो बिल्कुल भी नहीं. ईबे पर अगर आप ‘पैसा पे’ के जरिए भुगतान करके प्रोडक्ट खरीदती हैं तो यह वेबसाइट तब तक विक्रेता को भुगतान नहीं करती है, जब तक प्रोडक्ट आपके हाथ में ना आ जाए और आप उससे संतुष्ट ना हो जाएं. प्रोडक्ट मिलने के बाद आपकी शिकायत मिलते ही ईबे पैसे को रोक लेती है और आपकी समस्या को सुलझाने की कोशिश करती है. अगर आप प्रोडक्ट से खुश नहीं हैं तो ईबे आपके रुपये लौटा देता है. लेकिन, बता दें कि ‘कैश औन डिलीवरी’ के मामले में ईबे आपकी मदद नहीं करेगा.

डिस्काउंट के चक्कर में ना पडे़ं

अगर आपको कोई महंगा प्रोडक्ट किसी शौपिंग वेबसाइट पर बहुत सस्ता मिल रहा है और आप उसे खरीदने का मन बना रही हैं तो ठहरें. क्योंकि इस तरह से आपको सस्ते का झांसा देकर आपकी मेहनत की कमाई उड़ाने वालों की भी कोई कमी नहीं है. कई बार ऐसा भी देखने को मिला है कि ग्राहकों को महंगी चीज सस्ते में देने का लालच देकर गिफ्ट पैक में पत्थर, प्लास्टिक या साबुन जैसी चीजें पहुंचा दी जाती हैं. ऐसा भी नहीं है कि औनलाइन शौपिंग में महंगी चीजों पर डिस्काउंट देकर उन्हें सस्ते में नहीं बेचा जाता, लेकिन जब भी ऐसी डील पर क्लिक करें तो हमेशा ध्यान रखें कि आप आधिकारिक विक्रेता से ही खरीददारी करें. कई बार आप देखेंगी कि विक्रेता को रेटिंग तो अच्छी मिली है, लेकिन उसने अब तक केवल 18-20 ट्रांजेक्शन ही किए हैं. तो ऐसे विक्रेता पर भरोसा करने से बचें.

अगर पानी से है प्यार तो घूमने जाएं इन जगहों पर

हर किसी के घूमने का तरीका और पसंद अलग होता है. जरूरी नहीं कि हर इंसान एक ही तरह की सोच रखता हो और एक ही तरह के जगहों पर जाना उसे पसंद हो.

आज हम अपने इस खबर में आपको ऐसे कई पर्यटन स्थलों के बारे में बताएंगे जहां जाकर आप रोमांच और पानी दोनों का मजा ले सकती हैं. यहां पर्यटकों का आना जाना साल भर लगा रहता है और कुछ जगहें इनमे तो ऐसी हैं जिन्हें दुनिया में सबसे ज्यादा वर्षा वाला स्थान कहा जाता है.

उदयपुर

उदयपुर को झीलों का शहर कहा जाता है. आप यहां किसी भी मौसम में आ सकती हैं. झीलों के बीच में बने खूबसूरत महल आपको आकर्षित करेंगे. पिछोला लेक, फतेह सागर लेक, जयसमंद लेक यहां की सबसे खूबसूरत झीलों में से एक है. महाराजा जय सिंह ने 1678 में फतेह सागर लेक का निर्माण करवाया था.

अथिरापल्ली

आपको पानी से खेलना पसंद है तो अथिरापल्‍ली आपके लिए सबसे शानदार जगहों में से एक है. समुद्र तल से एक हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित अथिरापल्‍ली गांव चलाकुड़ी नदी पर स्थित है. यहां झरना 80 फुट की ऊंचाई से गिरता है. ये चेन्‍नई के सबसे बड़े झरनों में से एक है.

कुमारकोम

आपको पानी में खेलने का शौक है तो केरल के कुमारकोम गांव आने की जरूरत है. यहां भारत की सबसे बड़ी और खूबसूरत झील वेम्बानद है. वेम्बानद झील के मुहाने पर बर्ड सेंचुरी बसी हुई है. यहां आप बोटिंग का मजा ले सकती हैं. आपको यहां बड़ी हाउसबोट देखने को मिलेगी.

जबलपुर

जबलपुर नर्मदा नदी के किनारे बसा हुआ है. आपको अगर पानी में मस्‍ती करने का शौक है तो आप यहां खुशी से आ सकती हैं. भेदाघाट के आसपास मार्बल के ऊंचे पहाड़ और सैकड़ों फुट ऊपर से गिरते झरने यहां की खासियत है. यहां पर एक झरने का नाम धुआंधार है. जिसका मतलब होता है हर ओर धुआं होना. यहां झरने की आवाज बहुत दूर तक सुनाई देती है.

जोग प्रपात

अगर आप भारत के दूसरे सबसे बड़े झरने की खूबसूरती का आनंद उठाना चाहती हैं तो आपको जुलाई से दिसंबर के बीच में यहां का रुख करना चाहिए. मानसून के दौरान ये जगह स्‍वर्ग बन जाती है. यहां का वातावरण शांत और ठंडा है जो आपके मन को असीम शांति प्रदान करेगा.

काबिनी

काबिनी भारत की एक प्रमुख नदी है. केरल में बहने वाली काबिनी की खूबसूरती देखते ही बनती है. काबिनी के किनारों पर कई घने वन हैं जहां सैकड़ों प्रजाति के पशु पक्षी निवास करते हैं. यहां एक राष्‍ट्री उद्यान भी है. जो नदी के किनारे बसा हुआ है. नदी में आप बोटिंग का भी मजा ले सकती हैं.

प्रियंका चोपड़ा बनीं आठवीं सबसे ज्यादा कमाई करने वाली एक्ट्रेस

बौलीवुड से लेकर हौलीवुड तक में अपने हुनर का डंका बजा रहीं प्रियंका चोपड़ा अब दुनिया की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली टौप 8 एक्‍ट्रेस में शुमार हो गई हैं. बता दें कि फोर्ब्‍स ने दुनि‍या में सबसे ज्यादा कमाई करने वाली टीवी एक्ट्रेसेस की लिस्ट जारी की है. जिसमें प्रियंका चोपड़ा ने 1 जून, 2016 से लेकर 1 जून, 2017 तक के समय में 65 करोड़ की कमाई कर 8वें स्‍थान पर अपना कब्‍जा कर लिया है.

फोर्ब्स की ये लिस्ट जून 2016 से जून, 2017 तक एक्‍ट्रेसेस द्वारा की गई कमाई पर आधारित है. इस लिस्‍ट में कोलंबिया की सोफिया वेरगारा सबसे ज्यादा कमाने वाली टौप एक्‍ट्रेस हैं. पिछले छह सालों से सोफिया वेरगारा इस लिस्ट में टौप पर बनी हुई हैं. मार्डन फैमिली की स्टार सोफिया की कमाई जून, 2016 से जून, 2017 तक में 271 करोड़ बताई जा रही है.

ये पहली बार नहीं है जब प्रियंका को इस लिस्ट में शामिल किया गया है. इससे पहले प्रियंका को एबीसी चैनल के शो ‘क्वांटिको’ के आन एयर होने पर पिछले साल भी इस लिस्ट में शामिल किया गया था.

अमेरिकन टीवी शो ‘क्वांटिको’ की बदौलत विदेश में घर-घर में चर्चित नाम बन गईं प्रियंका इन दिनों ‘क्वांटिको’ के तीसरे सीजन की शूटिंग में बिजी हैं. इसके अलावा वह माधुरी दीक्षित के जीवन पर आधारित सिटकाम को प्रोड्यूस भी कर रही हैं. टीवी के अलावा प्रियंका अपनी दो नई हौलीवुड फिल्‍मों में भी काम कर रही हैं. फिल्‍मों और टीवी के अलावा प्रियंका कई ब्रांड्स की भी पहली पसंद हैं.

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