सोने में निवेश है फायदे का सौदा

सोने में निवेश सबसे आसान और सबसे सरल विकल्प है. इसमें बेहतर रिटर्न भी मिलता है. भारत में लोग सोना खरीदने में बड़ी दिलचस्पी दिखाते हैं. सोने में कैसे निवेश करें और किन गोल्ड स्कीम्स में निवेश करें ताकि बेहतर रिटर्न मिले इसके बारे में हम आपको यहां विस्तार से बता रहे हैं.

सौवरिन गोल्ड बांड्स 

सौवरिन गोल्ड बांड्स में निवेश करना सबसे अच्छा है क्योंकि इसमें आपको 2.75% की दर से ब्याज मिलता है. हालांकि इसकी लिक्विडिटी उतनी अच्छी नहीं है. इसके अलावा यदि आप सेकेंडरी मार्केट से बांड खरीदते हैं तो आपको 0.5% की दर से ब्रोकरेज देना पड़ता है.

गोल्ड ईटीएफ

गोल्ड ईटीएफ में काफी लिक्विडिटी होती है और इसलिए ये उन निवेशकों के लिए अच्छे होते हैं जो शौर्ट से मीडियम टर्म के लिए के लिए निवेश करना चाहते हैं. हालांकि इसमें रिटर्न्स कम मिलता है क्योंकि 1% व्यय अनुपात देना पड़ता है. इसके अलावा खरीदते या बेचते समय आपको 0.5% की दर से ब्रोकरेज भी देना पड़ता है.

गोल्ड ईटीएफ

गोल्ड ईटीएफ में काफी लिक्विडिटी होती है और इसलिए ये उन निवेशकों के लिए अच्छे होते हैं जो शौर्ट से मीडियम टर्म के लिए के लिए निवेश करना चाहते हैं. हालाँकि इसमें रिटर्न्स कम मिलता है क्योंकि 1% व्यय अनुपात देना पड़ता है. इसके अलावा खरीदते या बेचते समय आपको 0.5% की दर से ब्रोकरेज भी देना पड़ता है.

गोल्ड फंड्स

ओपन एंड फंड होने के कारण इसमें लिक्विडिटी की समस्या नहीं आती. हालाँकि गोल्ड फंड्स गोल्ड ईटीएफ में निवेश करते हैं और इसलिए गोल्ड ईटीएफ की तुलना में इसमें व्यय अनुपात 1.5% अधिक होता है.

गोल्ड बुलियन

यदि आप भौतिक रूप में गोल्ड चाहते हैं तो आपको इसका चुनाव करना चाहिए. हालांकि इन्हें खरीदते या बेचते समय ज्वेलर्स 2% कमीशन लेते हैं.

गोल्ड ज्वेलरी

यदि आप प्लेन ज्वेलरी चुनते हैं तो मेकिंग और लिक्विडेशन शुल्क क्रमश: 10% और 5% होते हैं. जटिल आभूषणों के लिए मेकिंग चार्ज 20% और लिक्विडेशन चार्ज 10% होता है.

हनीमून प्लान करते समय कभी ना करें ये गलतियां

आज हनीमून एक फैशन ट्रेंड बन गया है. शादी के बाद नए शादी शुदा जोड़े के लिए हनीमून का समय ही वह पल होता है, जब वह एक दूसरे को जानते हैं और खुद को एक-दूसरे को समर्पित करते हैं. इस दौरान उनके बीच जो विश्वास का रिश्ता बनता है, वह उनकी जिंदगी के लिए बेहद मायने रखता है.

बहुत से कपल शादी से पहले ही इस खास दिन की प्लानिंग शुरू कर देते हैं, ताकि कोई कमी न रह जाए. लेकिन हनीमून प्लान करने से पहले भूल कर भी ऐसी गलतियां न करें, जिसका आपको जिंदगीभर पछतावा रहे.

बजट

सबसे पहले अपना बजट तैयार करें, क्योंकि इसी पर आपका सारा ट्रिप निर्भर करता है. अगर बजट का अनुमान सही से हो जाए, तो आपके सामने किसी तरह की असहज स्थिति पैदा नहीं होगी.

पार्टनर की राय

अपने पार्टनर से भी इस बारे में राय लेना एक अच्छा विकल्प है. ताकि आप दोनों आपसी सहमति से जगह चुनकर हनीमून को और यादगार बना सकें. इससे आपका रिश्ता भी मजबूत होगा और आपके पार्टनर को अहसास होगा कि आपकी राय उनके लिए बेहद मायने रखती है.

समय पर कराएं बुकिंग

हनीमून के लिए समय रहते बुकिंग कराएं. कई बार आखिरी वक्त पर बुकिंग की वजह से महंगा स्वीट बुक कराना पड़ता हैं, जिसका आपकी जेब पर भारी असर पड़ता है.

ट्रैवल कंपनी की राय

आजकल बहुत सारी टूर एंड ट्रैवल कंपनी हनीमून के लिए अलग-अलग पैकेज निकालती रहती हैं. यानिकी एक तय रकम में आप अपना हनीमून प्लान कर सकते हैं, जो कि बेस्ट औपशन है. इसलिए हनीमून प्लानिंग से पहले ट्रैवल कंपनी की राय जरूर लें.

होटल का रिव्यू

हनीमून स्वीट बुक करने से पहले बेबसाइट पर जाकर होटल के बारे में रिव्यू पढ़ना न भूलें, क्योंकि लोग जल्दबाजी में बुकिंग करा लेते हैं और बाद में उन्हें खराब फैसिलिटी की वजह से नुक्सान उठाना पड़ता है.

जब दिलीप कुमार ने सायरा बानो को दे दिया था तलाक

बौलीवुड के ट्रैजडी किंग दिलीप कुमार लंबे समय से बीमार चल रहे थे, जिसके बाद उनका निधन हो गया है. ट्रैजडी किंग दिलीप कुमार की पर्सनल लाइफ की बात करें तो वह कई बार सुर्खियों में रहे हैं.

फिल्म इंडस्ट्री में तलाक होना जहां आम बात है, वहीं दिलीप कुमार और सायरा बानो की जोड़ी एक मिसाल मानी जाती है. आज भले ही इन दोनों दिग्गज कलाकार के बीच गहरा रिश्ता रहा हो लेकिन एक समय था जब दिलीप और सायरा की शादी भी विवादों से दूर नहीं थी. दोनों के बीच उस वक्त दरार पड़ गई थी, जब दिलीप कुमार की लाइफ में पाकिस्तानी लेडी आसमां आ गई थीं. यही नहीं दिलीप ने सायरा को तलाक देकर आसमां से शादी कर ली थी.

आसमां और दिलीप कुमार की मुलाकात हैदराबाद में एक क्रिकेट मैच के दौरान हुई थी. इसके बाद दोनों के बीच काफी लंबे समय तक अफेयर चला. लोगों के सवाल से बचने के लिए दिलीप कुमार ने घर से निकलना तक छोड़ दिया था.

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आखिरकार 1980 में दिलीप और आसमां ने शादी कर ली थी. लेकिन फिर अचानक दिलीप कुमार आसमां को 1982 में तलाक दे दिया और वापस सायरा की ओर लौट आए. इस अफेयर का जिक्र उन्होंने अपनी बायोग्राफी ‘द सबस्टांस एंड द शैडो’ में किया था.

दिलीप कुमार ने अपनी किताब में लिखा था कि ‘मेरी लाइफ का ये एपिसोड था, जिसे हम दोनों ही भूलना चाहते थे और हमने भूला भी दिया है. जब मेरी मुलाकात आसमां से हुई तो वह अपने पति के साथ रह रही थी. वह तीन बच्चों की मां थी. आसमां से मेरी मुलाकात मेरी बहन-फौजिया और सईदा ने कराई थी. आसमां मेरी दोनों बहनों की दोस्त थी. पहले मुझे लगा कि वह भी मेरे दूसरे फैन्स की तरह ही होगी.’

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फिल्म रिव्यू : जब हैरी मेट सेजल

रोमांस के बादशाह माने जाने वाले शाहरुख खान का तिलिस्म अब टूटता जा रहा है. फिल्म ‘जब हैरी मेट सेजल’ ने तो उनके इस तिलिस्म के किले को ही धराशाही कर दिया है. इस रोमांटिक फिल्म में रोमांस या इमोशन कहीं नजर ही नहीं आता. यह फिल्म अति घटिया कहानी व पटकथा का पुलिंदा मात्र है. शाहरुख खान और अनुष्का शर्मा भी निराश ही करते हैं.

फिल्म की कहानी हरींद्र सिंह उर्फ हैरी (शाहरुख खान) और सेजल (अनुष्का शर्मा) की यूरोप यात्रा के इर्द गिर्द घूमती है. हैरी एक ट्यूरिस्ट गाइड है, जो लोगों को पूरे यूरोप की यात्रा कराता है. हैरी मूलतः पंजाबी है. सेजल एक गुजराती लड़की है, जिसकी सगाई हो चुकी है. वह शादी करने से पहले पूरा यूरोप घूमना चाहती है. जब वह यूरोप घूमने निकलती है, तो सगाई के बाद उसकी सगाई की अंगूठी अम्सटडर्म में खो जाती है, जिसकी तलाश में वह एयरपोर्ट से वापस आ जाती है. सेजल चाहती है कि अंगूठी ढूढ़ने मे हैरी उसकी मदद करे और उसके साथ रहे. पर हैरी ऐसा नहीं चाहता. वह खुद को अच्छा इंसान नहीं मानता. वह सेजल से कहता है कि अपनी महिला ग्राहकों के साथ शारीरिक संबंध बनाने की उसकी प्रवृत्ति है. पर सेजल उसकी बातों को अविवेकपूर्ण मानकर हंसती है और खुद को आधुनिक नारी का तमगा देती है.

बहरहाल, सेजल के सामने हैरी झुकता है और उसके साथ अंगूठी ढूढ़ने के लिए तैयार हो जाता है. अंगूठी ढूढ़ते हुए एक बार फिर पूरे यूरोप की यात्रा करते हैं. हैरी के साथ सेजल खुद को कुछ ज्यादा ही सुरक्षित महसूस करती है. उधर हैरी को भी प्यार व रिश्ते की अहमियत बेहतर तरीके से समझ में आती है. भारत वापसी से दो दिन पहले अंगूठी सेजल के हैंड बैग में ही मिलती है.

फिल्म की कहानी जैसे  आगे बढ़ती है, वैसे दर्शक की समझ में नहीं आता कि कहानी कहां जा रही है? कई बार दर्शक को लगता है कि फिल्मकार उन्हे मूर्ख बना रहा है. कहानी में जो मोड़ आते हैं, वह भी इतने बेकार हैं कि दर्शक खुद को ठगा हुआ महसूस करता है. फिल्म की कहानी के साथ दर्शक जुड़ ही नहीं पाता. कई बार यह फिल्म महज एक ऐसा खींचा हुआ सीरियल नजर आती है, जिसकी कहानी आगे बढ़ने का नाम न ले रही हो. फिल्म में जबरन कुछ अवांछनीय दृश्य जरूर भरे गए हैं. फिर भी फिल्म गति नहीं पकड़ती है.

फिल्म में नौ गाने हैं, जिसमें से एक गाना ‘राधा..’ रीमिक्स करके भी उपयोग किया गया है, इस तरह दस गाने फिल्म में 38 मिनट तक छाए रहते हैं, जो कि फिल्म को कमजोर बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ते. दर्शक यह सोच सकता है कि इन गानों को चित्रहार के रूप में पेश करने के लिए जबरन एक कहानी गढ़ने का असफल प्रयास किया गया हो.

रोमांटिक कामेडी फिल्म ‘‘जब हैरी मेट सेजल’’ के कुछ सीन शाहरुख खान और काजोल की सफलतम फिल्म‘‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ से चुराकर हूबहू फिल्माए गए हैं. फिल्म ‘‘जब हैरी मेट सेजल’’ देखकर दर्शक को इस बात का अहसास हो जाएगा कि फिल्मकार कितनी घटिया, वाहियात, बोरिंग फिल्म का निर्माण कर सकता है. घटिया व अति बुरी फिल्मों के रूप में जानी जाने वाली शाहरुख खान की पिछली फिल्मों ‘दिलवाले’, ‘फैन’और ‘रईस’ का भी रिकार्ड यह फिल्म तोड़ती है.

अफसोस की बात यह है कि फिल्मकार इम्तियाज अली ने अपनी इस फिल्म में भारतीयों को आलू की तरह पूरेविश्व में मौजूद दिखाते हुए यह बताने की कोशिश की है कि पुर्तगाल हो या बुद्धापेस्ट हर जगह भारतीय अवैध तरीके से न सिर्फ रह रहे हैं, बल्कि वहां पर वह अपराध में लिप्त हैं. हैरी के  उत्तेजक व चुलबुले मजाक अजीब से लगते हैं. इंटरवल के बाद शाहरुख खान का अभिनय भद्दा लगता है और यह प्रेम कहानी नजर नहीं आती. फिल्म का क्लायमेक्स घटिया और बहुत ही ज्यादा वाहियात है. पूरा क्लायमेक्स समझ से परे है. फिल्मकार व कहानीकार ने यह स्पष्ट ही नहीं किया है कि हैरी पंजाब से अम्स्र्टडम क्यों गया था. वह वजहें कैसे खत्म हुई कि वह फिर पंजाब आ गया. कुल मिलाकर यह फिल्म बेसिर पैर  की सोच वाल कहानी है.

फिल्म में प्राग, अम्सटर्डम, बर्लिन, हालैंड की खूबसूरत लोकेशन दर्शक को आकर्षित कर सकती है, मगर महज अच्छी लोकेशन का क्षणिक नयन सुख लेने के लिए पैसे बर्बाद नहीं किए जा सकते. क्योंकि प्रेम कहानी के नाम पर यह एक सिरदर्द वाली फिल्म है.

दो घंटे 24 मिनट की अवधि वाली फिल्म ‘‘जब हैरी मेट सेजल’’ का निर्माण गौरी खान ने ‘‘रेड चिल्ली इंटरटेनमेंट’’ के बैनर तले किया है. फिल्म के लेखक व निर्देशक इम्तियाज अली, संगीतकार प्रीतम, गीतकार इरशाद कामिल, कैमरामैन के यू मोहन तथा कलाकार हैं- शाहरुख खान, अनुष्का शर्मा, सयानी गुप्ता, ईवलीनशर्मा, पारस अरोड़ा, अरू कृषांस वर्मा, चंदन राय सान्याल व अन्य.

किशोर कुमार का गाना गाने के लिए इतने रुपए लेते थे मो. रफी

मध्यप्रदेश के खंडवा में 4 अगस्त 1929 को मध्यवर्गीय बंगाली परिवार में अधिवक्ता कुंजी लाल गांगुली के घर जब सबसे छोटे बालक ने जन्म लिया तो कौन जानता था कि आगे चलकर यह बालक अपने देश और परिवार का नाम रौशन करेगा.

भाई-बहनों में सबसे छोटे नटखट आभास कुमार गांगुली उर्फ किशोर कुमार का रुझान बचपन से ही संगीत की ओर था. महान अभिनेता एवं गायक के.एल. सहगल के गानों से प्रभावित किशोर कुमार उनकी ही तरह के गायक बनना चाहते थे.

किशोर कुमार के बड़े भाई अशोक कुमार चाहते थें कि किशोर नायक के रूप में अपनी पहचान बनाएं, लेकिन खुद किशोर कुमार को अदाकारी की बजाय पाश्र्व गायक बनने की चाह थी.

किशोर कुमार को अपने करियर में वह दौर भी देखना पड़ा, जब उन्हें फिल्मों में काम ही नहीं मिलता था. तब वह स्टेज पर कार्यक्रम पेश करके अपना जीवनयापन करने को मजबूर थे. बंबई में आयोजित एक ऐसे ही एक स्टेज कार्यक्रम के दौरान संगीतकार ओ.पी. नैय्यर ने जब उनका गाना सुना तो उन्होंने भावविह्ल होकर कहा कि महान प्रतिभाएं तो अक्सर जन्म लेती रहती हैं, लेकिन किशोर कुमार जैसा पाश्र्व गायक हजार वर्ष में केवल एक ही बार जन्म लेता है. उनके इस कथन का उनके साथ बैठी पाश्र्व गायिका आशा भोंसले ने भी सर्मथन किया.

वर्ष 1969 में निर्माता निर्देशक शक्तिसामंत की फिल्म ‘आराधना’ के जरिए किशोर कुमार गायकी के दुनिया के बेताज बादशाह बनें. सन् 1975 में देश में लगाए गए आपातकाल के दौरान दिल्ली में एक सांस्कृतिक आयोजन में उन्हें गाने का न्योता मिला. किशोर कुमार को उनके गाए गीतों के लिए 8 बार फिल्मफेयर पुरस्कार मिला.

उन्होंने अपने सम्पूर्ण फिल्मी करियर में 600 से भी अधिक हिंदी फिल्मों के लिए अपना स्वर दिया. इसके अलावा उन्होंने बंगला, मराठी, असामी, गुजराती, कन्नड़, भोजपुरी और उडिय़ा फिल्मों में भी अपनी दिलकश आवाज के जरिये श्रोताओं को भाव विभोर किया.

किशोर कुमार ने कई अभिनेताओं को अपनी आवाज दी, लेकिन कुछ मौकों पर मोहम्मद रफी ने उनके लिए गीत गाए थे. दिलचस्प बात यह है कि मोहम्मद रफी, किशोर कुमार के लिए गाए गीतों के बदले सिर्फ एक रुपया पारिश्रमिक लिया करते थें.

वर्ष 1987 मे किशोर कुमार ने निर्णय किया कि वह फिल्मों से संन्यास लेने के बाद वापस अपने गांव खंडवा लौट जाएंगे. वह अक्सर कहा करते थे कि दूध, जलेबी खाएंगे खंडवा में बस जाएंगे, लेकिन उनका यह सपना अधूरा ही रह गया. 13 अक्तूबर 1987 को किशोर कुमार को दिल का दौरा पड़ा और वह इस दुनिया से विदा हो गए.

कहानी सुना नानी ने आदर जैन को फ्रस्ट्रेट होने से बचाया

इन दिनों बौलीवुड में नेपोटिजम का मुद्दा गरमाया हुआ है, जिसके चलते ‘यशराज फिल्मस’ की नई फिल्म ‘‘कैदी बैंड’’ के नायक आदर जैन काफी दुखी हैं. उनका दावा है कि काफी संघर्ष के बाद उन्हें फिल्म ‘कैदी बैंड’ में अभिनय करने का अवसर मिला.

खुद आदर जैन कहते हैं, ‘‘जब लोग कहते हैं कि मुझे नेपोटिजम की वजह से फिल्म मिली, तो काफी दुख होता है. लोग मेरी मेहनत, मेरे संघर्ष को अनदेखा कर रहे हैं. पर मैं नया हूं और मैं अपने काम से ही इसका जवाब दे सकता हूं. सच कह रहा हूं, मैंने काफी संघर्ष किया. फिल्म ‘कैदी बैंड’ के लिए कास्टिंग डायरेक्टर शानू शर्मा के साथ तीन माह तक आडीशन देने में बिताया. आडीशन देते समय हमें पता नहीं होता कि इसका क्या परिणाम सामने आएगा. तीन माह में मैंने कई बार आडीशन दिया. आडीशन देकर घर पहुंचता, दो तीन दिन तक जवाब न मिलता तो सोचने बैठ जाता कि मेरे अंदर अभिनय प्रतिभा है या नहीं. फ्रस्टेशन भी हो रहा था.’’

जी हां! एक दिन तो आदर जैन इस कदर फ्रस्ट्रेशन के शिकार हो गए कि उनकी समझ में ही नहीं आ रहा था कि अब वह क्या करें. ऐसे वक्त में उनकी नानी कृष्णा राज कपूर ने उन्हें एक कहानी सुनायी. उस कहानी को सुनकर और अपनी नानी की सलाह पर आदर जैन नए जोश के साथ संघर्ष करने को तैयार हुए.

इस बारे में आदर जैन बताते हैं, ‘‘जब मैं फ्रस्ट्रेट होकर अपनी नानी के पास पहुंचता, तब मेरी नानी मेरा उत्साह बढ़ाती थीं. वह कहती थीं कि आप सफल हो या न सफल हो, मगर यहां करियर में उपर नीचे होता रहेगा. एक दिन मेरी नानी ने एक कहानी सुनायी. जब मेरे नाना जी फिल्म ‘मेरा नाम जोकर’ बना रहे थे, उस वक्त बहुत सी समस्याओं से उन्हें जूझना पड़ा. आज इस फिल्म को क्लासिक कल्ट फिल्म के रूप में गिना जाता है. मगर उस वक्त यह फिल्म असफल हो गयी थी. इस फिल्म से उन्हें बड़ा धक्का लगा था. नानी ने बताया कि फिल्म ‘मेरा नाम जोकर’ के निर्माण के समय नाना जी को कितनी समस्याओं से जूझना पड़ा था. उन्हें घर गिरवी रखना पड़ा. घर में जो ज्वेलरी थी, वह सब बेचनी पड़ी. इस फिल्म के असफल होने के बाद मेरे नाना जी ने फिल्म निर्माण व निर्देशन से तौबा नहीं किया. बल्कि उसके बाद दूसरी फिल्म ‘बाबी’ बनायी, जिसने सफलता का नया रिकार्ड बनाया था. तो आपको खुद को गिराना नहीं है. बल्कि आपको फाइट करना है. नानी ने कहा, आदर तुझे सिर्फ लड़ना है. प्रयास करना है. मेहनत करनी है. फिल्म मिलेगी या नहीं, यह मत सोचो. केवल अपना कर्म करते जाओ. आप दिल लगाकर आडीशन देते समय अभिनय करो. नानी से यह सुनकर मेरा जोश बढ़ गया.’’

शुरू करने जा रही हैं नौकरी तो ध्यान दें

अपने कामकाजी सालों में उतर रहे अधिकतर युवा महिलाएं इस बात से अनभिज्ञ हैं कि वित्तीय नियोजन की शुरुआत कब से की जाए. कुछ तो आर्थिक नियोजन के बारे में काफी देर तक सोचती भी नहीं, जबकि कुछ इसे बेहद कठिन काम मान कर इससे बचती हैं.

निजी वित्त प्रबंधन में किसी का वास्तव में गणित में अच्छा होना जरूरी नहीं है. आर्थिक नियोजन की सही राह पर चलने के लिए आपको थोड़े से अध्ययन और इस दिशा में काम करने के लिए तैयार होने की ही जरूरत है. कुछ मूलभूत बातों का पालन कर इसे आसानी से किया जा सकता है.

खर्च पर नियंत्रण रखना जरूरी

अच्छे वित्त के प्रबंधन के लिए आप को अपनी जरूरतों और इच्छाओं में अंतर समझना आवश्यक है. कोई भी सामान खरीदने से पहले अपनी वित्तीय स्थिति पर उसके परिणामों का आकलन करें और इस पर भी गौर करें कि आपको उसकी कितनी जरूरत है.

यदि उस सामान को खरीदने की अत्यंत आवश्यकता है और आपके वित्त पर ज्यादा दबाव नहीं पड़ेगा तभी अपने फैसले पर आगे बढ़ें. इसका यह मतलब कतई नहीं कि आप जिंदगी का आनंद उठाना छोड़ दें.

दोस्तों के साथ घूमना-फिरना और मनोरंजन किसी भी युवा के लिए प्रमुख जरूरत है, क्योंकि उन्होंने कई सालों तक पढ़ाई में कड़ी मेहनत करने के बाद नौकरी करना आरंभ किया है. लेकिन जिन चीजों की आपको जरूरत नहीं है, उन्हें खरीदने पर लगाम लगाना बहुत जरूरी है और इसके लिए आप में आत्म-नियंत्रण की भावना मजबूत होनी चाहिए.

अपने लक्ष्यों पर टिके रहें

नौकरी की शुरुआत करने से पूर्व जरूरी है कि आप अपने लक्ष्यों को निर्धारित करने की दिशा में काम करें. लक्ष्यों की समय सीमा अलग-अलग होती है.
कुछ लक्ष्य छोटी अवधि के होते हैं, तो कुछ मध्य अवधि के. वहीं कुछ लक्ष्य दीर्घकालिक होते हैं, लेकिन हमेशा अपने लक्ष्यों की दिशा में ही काम करें. लक्ष्य तय करना और उसी दिशा में आगे बढ़ने से आप अपनी पूंजी और समय का सही चीजों में निवेश करने में सक्षम होंगे.

बजट बनाकर तय करें दायरा 

एक बार वित्तीय लक्ष्य तय करने के बाद, बजट बनाएं और प्रयत्न पूर्वक उसका ज्यादा से ज्यादा पालन करें. एक महीने बाद, आपको अहसास होगा कि बजट बनाना और खर्चों पर नजर रखना कितना मददगार होता है.

इससे आपको पता चलता है कि आपको कितना पैसा खर्च करना चाहिए और कितनी बचत करने की आवश्यकता है. इससे आपके वित्तीय मसलों के बारे में भी स्पष्ट जानकारी मिलती है और आप अनावश्यक खर्चों अथवा उधारी से बचकर अपने पास उपलब्ध साधनों में जीवन-यापन कर सकते हैं.

सुनियोजित बजट द्वारा चिंता के मामलों पर जोर दिया जाता है और यह व्यर्थ खर्चों से दूर रहने में मदद करता है. आपको यह समझना जरूरी है कि समझदारी से किया गया खर्च एक प्रकार की बचत है.

इमरजेंसी के लिए भी बचत करें

हर दिन एक जैसा नहीं होता. जरूरी नहीं कि आज आपकी नौकरी सुरक्षित है, तो कल भी ऐसा ही हो. आज के परिदृश्य में व्यक्ति को कभी भी मंदी की मार झेलनी पड़ सकती है और कारोबारी रणनीति में बदलाव होने अथवा उच्च शिक्षा का फैसला करने के कारण नौकरी से भी अलग होना पड़ सकता है.

परेशानी के वक्त के लिए थोड़ा पैसा बचाना समझदारी भरा कदम होता है. नियमित मासिक राशि में से थोड़ा सा हिस्सा अलग निकालें, जिसे मासिक खर्च से अलग रखना चाहिए. स्वस्थ इमरजेंसी फंड आपको बेहद जरूरी आराम एवं सहजता प्रदान करता है.

बुरी स्थितियों के लिए भी रहें तैयार

जीवन में अपने आप को बुरे वक्त के लिए तैयार रखना बहुत जरूरी होता है, क्योंकि यह किसी पर भी आ सकता है. स्वास्थ्य और जीवन बीमा कवर लेना बुरे वक्त में काफी मददगार साबित होता है.

अप्रत्याशित स्थितियों में आपको वित्तीय स्थिरता उपलब्ध कराकर आपकी एवं परिवार की मदद करता है. यह अप्रत्याशित स्थिति अस्पताल में भर्ती होना, चोट लगना अथवा मौत होना हो सकती है, जो आपकी जिंदगी को पूरी तरह से बदल सकती है.
जीवन बीमा इन अप्रत्याशित घटनाओं के प्रति सुरक्षा प्रदान करता है. जीवन बीमा लेने से पहले खुद का पर्याप्त बीमा कराने पर अवश्य ध्यान दें, ताकि भविष्य में आप पर निर्भर लोगों को सहयोग मिल सके.

इस अभिनेत्री के बारे में नहीं है किसी को कोई खबर!

अस्सी के दशक में एक ऐसी हीरोइन रही जिसे बड़े बड़े सितारों के साथ काम करने का मौका. लेकिन जब खुद चमकने का वक्त आया तो वे ना जाने कहां ओझल हो गईं. इस एक्ट्रेस का नाम है किम यशपाल.

अभिनेत्री किम को भले ही कई बार लोग नाम से ना पहचानें, लेकिन उनकी फोटो देखकर लोगों को जरूर उनके बहुत सारे गाने याद आ जाते हैं. गाना ‘डिस्को डांसर’ किम यशपाल पर ही फिल्माया गया था. फिल्म में उनके साथ अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती भी थे और ये गाना और फिल्म दोंनो हिट रहीं. किम का फिल्मी करियर भी चल निकला. ‘डिस्को डांसर’ से पहले वो ‘नसीब’ और ‘फिर वही रात’ में काम कर चुकीं थीं. इन फिल्मों में भी किम के काम को काफी पसंद किया गया था.

किम का करियर अच्छा चल रहा था, राजेश खन्ना से लेकर डेनी, शत्रुघ्न सिन्हा जैसे कई बड़े स्टार्स के सात किम यशपाल को काम करने का मौका मिला. प्रोफेशनल लेवल पर तो सब सही चल रहा था लेकिन असल जिंदगी में किम को प्यार की तलाश थी.

जल्द ही उनकी ये तलाश भी पूरी हो गई. बौलीवुड के मशहूर अभिनेता डेनी उनकी जिंदगी में आए और कब दोनों को एक-दूसरे से प्यार हो गया पता ही नहीं चला.

सालों तक किसी को कुछ खबर नहीं हुई कि किम कहां गईं. यहां तक कि बीच में उनकी मौत की अफवाहें भी खूब उड़ीं थीं. लेकिन वे अफवाह सच हैं या नहीं, इस बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता क्योंकि सोशल मीडिया पर उनका एक फेसबुक अकाउंट था जिससे पता चलता है कि वे मुंबई में ही गुमनाम जिंदगी बिता रही हैं. लेकिन हम आपको बता दें कि उसमें भी आखिरी पोस्ट साल 2014 का है और तब से लेकर अभी तक किम का कुछ अता-पता नहीं है.

ऐसे में ये कहना मुश्किल है कि किम जिंदा हैं भी या नहीं. वहीं उनके प्रशंसकों को आज भी इंतजार है कि कहीं से किम यशपाल के बारे में कोई खबर मिल जाए. उनकी फेसबुक पोस्ट तमाम फैंस के कमेंट्स से भरी पड़ी है जिसमें हर कोई जानना चाहता है कि किम कहां हैं और वो किसी तरह से वापस आ जाएं.

 

अपने ‘नो मेकअप’ लुक में लगाएं चार चांद

बहुत सी महिलाएं ऐसी होती हैं, जिन्हें मेकअप की कोई खास जरूरत नहीं पड़ती है या फिर वे मेकअप करना पसंद नहीं करती हैं. जिन महिलाओं की त्वचा और बाल बहुत ही खूबसूरत और स्वस्थ होते हैं वे सामान्यत: ब्यूटी प्रौडक्ट्स का इस्तेमाल बहुत कम करती हैं.

देखा जाए तो सिर्फ सुंदर त्वचा ही जरूरी नहीं होती. परफैक्ट लुक पाने के लिए बालों का स्वस्थ होना भी बहुत जरूरी होता है. यहां हम आपको कुछ ऐसे प्रौडक्ट्स के बारे में बताने जा रहे हैं, जो आपको मेकअप के बिना भी खूबसूरत दिखा सकते हैं. तो चलिए जानते हैं कि आखिर वो क्या चीजें हैं जिनके बाद आपको मेकअप की जरूरत ही नहीं पड़ती.

कौस्मेटिक्स की जगह आप इन ब्यूटी प्रौडक्ट्स को रोजाना बड़ी आसानी से घर पर ही इस्तेमाल कर सकती हैं. मेकअप ना करने के मूड में भी ये सौंदर्य प्रसाधन आपके लिए मददगार साबित होंगे.
ये सौंदर्य प्रसाधन आपके बालों और त्वचा को बेहद खूबसूरत और स्वस्थ बना देंगें. तो चलिए फिर देर किस बात की, जानते हैं इनके बारे में…

स्क्रबर और एक्सफोलिएटर

स्क्रबर और एक्सफोलिएटर पूरी तरह से त्वचा की सफाई करता है. त्वचा पर स्क्रबर का असर देखने के बाद आप इसे रोज़ यूज़ करना चाहेंगीं. अपने लिए एक ऐसा स्क्रबर चुनें जो बहुत ज्यादा चिपचिपा ना हो. अगर आपकी त्व़चा के रोमछिद्र बंद हो गए हैं तो आपको स्क्र बर का इस्तेंमाल जरूर करना चाहिए. त्वचा पर स्क्रबिंग करते समय हल्के हाथों से मसाज करें वरना त्वचा पर इसका विपरीत असर पड़ सकता है.

मौइश्चराइजर

मौइश्चराइजर को आप चेहरे पर ही नहीं बल्कि पूरी बौडी पर इस्तेमाल कर सकती हैं. अपनी स्किन टाइप को ध्यान में रखते हुए ही अपने लिए मौइश्चराइजर चुनें और दिन में कम से कम दो बार मौइश्चराइजर जरूर लगाएं. सिर्फ खुशबू के आधार पर ही कोई मौइश्चराइजर ना खरीद लें. बढिया ब्रांड का मौइश्चराइजर दिन से लेकर रात तक की त्वचा की सारी जरूरतों को पूरा कर सकता है.

तेल, शैंपू और कंडीश्नर

अब बात करतें बालों के ब्यूटी प्रॉडक्ट्स की. बालों के लिए मेकअप स्टो र्स और ऑनलाइन आपको कई प्रॉडक्ट्स मिल जाएंगें जो आपको कंफ्यूज़ कर सकते हैं. अगर आप बालों में ज्यादा केमिकल युक्त चीज़ें नहीं लगाना चाहती हैं रोज़ या सप्ताह में दो या तीन बार अपने बालों में तेल से मालिश करें और फिर शैंपू और कंडीश्नर करें. सभी तरह के बालों पर यह तरीका कारगर होता है. अगर आप एक ही ब्रांड की तीनों चीज़ों खरीदेंगीं तो आपको ज्यादा फायदा मिलेगा.

फेसवौश का काम

अगर आप बौडी सोप का ही इस्तेमाल चेहरे पर भी करती हैं तो ये आपकी त्वचा के लिए बहुत खराब हो सकता है. शरीर की और चेहरे की त्वचा में बहुत फर्क होता है. चेहरे की त्वचा अत्यंत मुलायम और संवेदनशील होती है. अगर आप मेकअप के बिना ही खूबसूरत दिखना चाहती हैं तो इसमें आपको चेहरा सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. इस काम के लिए आपको फेसवौश का इस्तेमाल करना चाहिए. एक बढिया ब्रांड का फेसवौश आपके चेहरे की त्वचा की सभी जरूरतों को पूरा करता है. शरीर की बाकी त्वचा से चेहरे की त्वचा का पीएच स्तर काफी अलग होता है. वहीं फेसवौश का ज्यादा इस्तेमाल भी खतरनाक साबित होता है क्योंकि ये त्वचा के नैचुरल औयल और नमी को नुकसान पहुंचाता है.

सनस्क्रीन
सनस्क्रीन का मेकअप से कोई लेना-देना नहीं है. सिर्फ महिलाओं को ही नहीं बल्कि पुरुषों को भी सनस्क्री न जरूर लगाना चाहिए. सूर्य की तेज हानिकारक किरणें बड़ी आसानी से त्वचा की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकती हैं. सनस्क्रीन द्वारा इससे बचा जा सकता है. मार्केट में विभिन्न नंबर के सनस्क्रीन उपलब्ध हैं. आप अपनी स्किन टाइप के अनुसार सनस्क्रीन का इस्तेमाल कर सकते हैं. जब कभी भी घर से बाहर निकलें तो सनस्क्रीन लगाना बिलकुल ना भूलें. सनस्क्रीन त्वचा के लिए मौइश्चराइजर का काम करता है. मौसम और स्किन टाइप को ध्यान में रखकर अपने लिए सनस्क्रीन चुनें.

सीरम

अगर आप बिना मेकअप के ही खूबसूरत दिखना चाहती हैं तो आप सीरम का इस्तेमाल भी कर सकती हैं. सीरम स्किन टाइप और शरीर के अंग के अनुसार चुनना चाहिए, जैसे कि बालों का सीरम और आईब्रो के लिए सीरम आदि. अपनी त्वचा की जरूरत के अनुसार अपने लिए सीरम चुनें. थोड़े-थोड़े समय के अंतराल में सीरम का प्रयोग करते रहें. सीरम त्वचा और बालों से संबंधित समस्याओं को खत्म कर आपके नो मेकअप लुक को उभारता है.

लिप बाम और लिपस्टिक
पूरे शरीर की त्वचा के मुकाबले होंठ काफी संवेदनशील होते हैं. आपकी एक गलती होंठों की प्राकृतिक रंगत को छीनकर उन्हें बेजान बना सकती है. होठों में नमी बनाए रखने के लिए लिप बम और लिप क्रीम का इस्ते माल जरूर करें. मार्केट में आपको विभिन्न फ्लेवर की लिप बाम और क्रीम मिल जाएंगीं.

मौनसून में नेल पालिश लगाते वक्त रखें इन बातों का ख्याल

नेल पालिश आपके हाथों को और भी खूबसूरत बनाती है. लेकिन नाखूनों पर नेल पालिश लगते समय नेल पेंट खराब तरीके से लग जाए, तो उससे आपके नाखून और हाथ भद्दे दिखने लगते हैं. आइए जानें,  नेल पालिश लगाते वक्त ध्यान रखने वाली बातें.

– नेल पेंट लगाते समय ध्यान रखें कि जब आपके नाखून पूरी तरह सूखे हों, तब ही नेल पेंट लगाएं. नेल पेंट लगाने से पहले अपने नाखूनों को शेप देना न भूलें.

– नाखूनों को अच्छा और सही शेप देने के बाद सबसे पहले नेल पेंट का एक ट्रांसपेरैंट बेस कोट लगाएं, ट्रांसपेरैंट नेल पेंट को ब्रश से नाखूनों के बीच से लगाना शुरू करें और एक बार फिर ब्रश को ट्रांसपेरैंट नेल पेंट में डुबोकर ब्रश से नाखूनों के दो अलग हिस्सों में भी एक-एक कोट लगाएं.

– हमेशा अच्छी नेल पालिश लगाएं, अगर आपकी नेल पालिश अच्छी नहीं है तो नेल पालिश लगाने के बाद अपनी उंगलियों को बर्फ के पानी में डुबाएं इससे आपके नाखूनों पर नेल पालिश अच्छी तरह सेट हो जाएगी और चमकेगी.

– ट्रांसपेरैंट नेल पेंट बेस कोट अच्छी तरह सूख जाए उसके बाद अपनी पसंद का नेल पेंट रंग लें और जिस तरह ट्रांसपेरैंट नेल पेंट बेस कोट नाखूनों पर लगाया है. उसी तरह अपने पसंदीदा नेल पालिश के रंग को भी नाखूनों पर बेस कोट के ऊपर लगाएं. अगर रंग हल्का दिख रहा है, तो पहला कोट सूखने के बाद नेल पालिश के रंग का दूसरा कोट भी लगाएं.

– नाखूनों पर नेल पालिश लगने के बाद अपने हाथ ठण्डे पानी में डुबाएं इससे आपकी नेल पालिश और पक्की हो जाएगी साथ ही साथ साफ दिखेगी, नेल पालिश पूरी तरह सूखने के बाद ही कोई काम करें.

– अगर आपकी नेल पालिश नाखूनों से बाहर किनारों पर लग गई है तो उसे ध्यान से और अच्छी तरह नेल पालिश रिमूवर से साफ कर लें जिससे आपके नाखूनों पर नेल पालिश अच्छी और साफ दिखे.

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