बॉलीवुड में होगी बाहुबली प्रभास की एंट्री!

भारतीय सिनेमा की सुपरहिट फिल्म ‘बाहुबली’ से बॉक्स ऑफिस पर मजबूत पकड़ बनाने वाले अभिनेता प्रभास की जल्द ही बॉलीवुड में एंट्री हो सकती है. सूत्रों की माने तो बॉलिवुड के निर्माता-निर्देशक करन जौहर प्रभास को हिंदी फिल्मों में एक एक्शन हीरो के रूप में लांच करने की तैयारी में जुटे हैं.

खबर है की भारत की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म ‘बाहुबली’ के हीरो प्रभास के लिए तय की जा रही हिंदी फिल्म का डायरेक्शन भी बाहुबली के निर्देशक एस एस राजामौली ही करेंगे. हालांकि प्रभास को ‘बाहुबली’ के रिलीज के बाद से ही बॉलिवुड से कई ऑफर मिलते रहे हैं. प्रभास ने अब तक मिले ऑफर पर ज्यादा उत्साह नहीं दिखाया.

अब जब ‘बाहुबली 2’ रिलीज के लिए तैयार है ऐसे में प्रभास ने दूसरी फिल्मों की तरफ ध्यान देना शुरू कर दिया है. करन जौहर की फिल्म में प्रभास को एक्शन, स्टंट और रोमांस करते हुए दिखाए जाने की प्लानिंग कर ली गई है. ‘बाहुबली’ के सह निर्माता करन जौहर राजामौली को लगातार प्रोत्साहित करते रहे हैं कि वह एक हिंदी फिल्म बनाएं. राजामौली ने अब जाकर करन जौहर के प्रोजेक्ट को अपनी सहमति दे दी है.

अपने पसंदीदा एक्टर का निक नेम जानती हैं आप!

बॉलीवुड और बॉलीवुड सितारों के बारे में तो आप बहुत कुछ जानती होंगी. अपने पसंदीदा सितारा से जुड़ी हर छोटी बड़ी खबर की जानकारी रखती होंगी आप. लेकिन क्या आप उनका निक नेम जानती हैं?

आप सोचती होंगी की बॉलीवुड सितारे बहुत रॉयल जिंदगी जीते हैं और उनका हम आम लोगों की तरह कुछ भी नाम नहीं होगा. लेकिन हम आपको बता दें कि आप गलत सोचती हैं. बॉलीवुड सितारों का भी निक नेम होता है. और कुछ सितारों के निक नेम तो तो इतने फनी हैं कि आप वो नाम जानकर अपनी हंसी नहीं रोक सकेंगी. तो जानिए अपने पसंदीदा सितारा का निक नेम.

प्रियंका चोपड़ा

बॉलीवुड से लेकर हॉलीवुड तक में अपनी पहचान बनाने वाली अभिनेत्री और पूर्व मिस वर्ल्ड प्रियंका चोपड़ा को पिग्गी चॉप्स के नाम से भी जाना जाता है लेकिन उनके खास दोस्त उन्हें मिट्ठू बोलते हैं.

श्रद्धा कपूर

अभिनेत्री श्रद्धा कपूर का नाम जानकर आपको थोड़ी हैरानी हो सकती है. उनका निम नेम है चिरकुट और ये नाम उन्हें किसी और ने नहीं बल्कि उनके बचपन के दोस्त और अभिनेता वरुण धवन ने दिया है.

ऐश्वर्या राय बच्चन

बच्चन परिवार की बहू, पूर्व मिस वर्ल्ड और बॉलीवुड अभिनेत्री ऐश्वर्या राय का निक नेम उनकी पर्सनैलिटी से बिल्कुल मेल नहीं खाता. ऐश का निक नेम गुल्लू है.

आलिया भट्ट

बॉलीवुड की राइजिंग स्टार और बेहतरीन एक्टर आलिया भट्ट को लोग प्यार से आलू कहते हैं. आलिया पहले मोटी हुआ करती थीं इसलिए उनका नाम आलू रखा गया.

रणबीर कपूर

अभिनेता रणबीर कपूर का निक नेम काफी इंटरेस्टिंग है. उनकी मां नीतू कपूर उन्हें रेमंड कहकर बुलाती है. नीतू का मानना है कि वो कंप्लीट मैन हैं इसलिए उन्होंने अपने बेटे को ये नाम दिया.

शाहिद कपूर

बॉलीवुड के चॉकलेट ब्वॉय शाहिद कपूर का निक नेम साशा है.

बिपाशा बसु

बॉलीवुड अभिनेत्री बिपाशा बसु को अक्सर लोग बिप्स कहते हैं लेकिन उनके परिवार के लोग और खास दोस्त उन्हें बनी कहकर बुलाते हैं, क्योंकि बिपाशा जब पैदा हुईं थीं तब काफी हेल्दी थीं.

सोनम कपूर

सोनम कपूर अपने ग्लैमरस अंदाज और स्टाइल के लिए जानी जाती हैं. वो लंबी हैं इसलिए उनके पापा अनिल कपूर प्यार से उन्हें जिराफ कहकर चिढ़ाते हैं.

सुष्मिता सेन

साल 1994 में मिस यूनिवर्स का खिताब जीतने वाली अभिनेत्री सुष्मिता सेन को उनके दोस्त टीटू कहते हैं.

परिणीति चोपड़ा

हाल ही में अपनी फिल्म मेरी प्यारी बिंदु का गाना माना की हम यार नहीं गाना गाकर लोकप्रिय हुई परिणीति चोपड़ा का निक नेम टिशा है.

जेनेलिया डिसूजा

अभिनेत्री जेनेलिया को उनके घरवाले प्यार से चीनू कहकर पुकारते हैं. वैसे जेनेलिया जितनी क्यूट हैं उनका निक नेम भी उतना ही क्यूट है.

करीना कपूर

करीना कपूर का निक नेम भी काफी पॉपुलर है. करीना का निक नेम बेबो है.

रितिक रोशन

अभिनेता रितिक रोशन का निक नेम उनकी पर्सनैलिटी से बिल्कुल अलग है. रितिक का निक नेम डुग्गू है. वहीं उनके पापा राकेश रौशन का निक नेम गुड्डू है.

कोंकणा सेन शर्मा

अभिनेत्री कोंकणा सेन का निक नेम कोको है.

अक्षय कुमार

बॉलीवुड के खिलाड़ी अक्षय कुमार का असली नाम राजीव भाटिया है और इसी वजह से उनक दोस्त उन्हें राजू कहते हैं.

अपने और जीवनसाथी के रिटायरमेंट को बनाएं बेहतर

सेविंग्स पैसा बचाने का सबसे अच्छा तरीका है लेकिन आज के दौर में ये तरीका थोड़ा पुराना हो गया है या यू कहें कि बदल गया है. पहले जहां लोग बैंक में पैसे जमा करके ब्याज या फिर फिक्स डिपॉजिट के जरिए पैसे कमाते थे वहीं आज के दौर में आप निवेश और सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान के जरिए पैसे बचा भी रही हैं और कमा भी रही हैं.

आपकी भी सबसे बड़ी चिंता रहती है रिटायरमेंट को लेकर, जिसे लेकर आप जमा करती हैं. हम आपके रिटायमेंट को कंफर्टेवल बनाने के लिए यहां आपको बताएंगे गोल्डन कहे जाने वाले पांच तरीके, जिनके जरिए आप, अपने जीवन साथी के साथ अपना रिटायरमेंट बिल्कुल रिलेक्स होकर बिता सकते हैं.

1. म्यूचुअल फंड में निवेश : बचत

सबसे पहले हम आपको कहेंगे कि आप ‘बचत’ करना शुरु करें, बैंक में पैसे जमा करने का तरीका पुराना हो चुका है. आपकी जॉब के दौरान प्रोविडेंट फंड का पैसा हर महीने कटता रहता है जो बाद में आपके रिटायरमेंट में काम आता है. इसी तरह आपको चाहिए कि आप अपनी टेकहोम सेलेरी से करीब 10 फीसदी की बचत करें और इसे म्यूचुअल फंड आदि में निवेश करती रहें. ये लॉन्ग टर्म प्लान है लेकिन इससे आपका बुढ़ापा संवर जाएगा.

2. निवेश की राशि को बढ़ाएं : इन्वेस्टमेंट

अगर आप पहले से ही कहीं निवेश कर रही हैं तो अब समय आ गया है कि धीरे-धीर आप निवेश की राशि को बढ़ाएं. आज जितनी महंगाई है उस लिहाज से आने वाले वक्त में चीजों के दाम आसमान पर होंगे. इसलिए हर वर्ष आपको अपने निवेश की रकम बढ़ा देनी चाहिए. बचत की ये फसल आपके रिटायरमेंट के जीवन को आराम से भर देगी.

3. जरूरी हो तभी पीएफ का पैसा निकालें

कई बार देखा गया है कि लोग नौकरी छोड़ने के बाद या जॉब स्विच करने के बाद पिछली कंपनी से अपने पीएफ का पैसा निकाल लेते हैं. ऐसे में वे अपने रिटायरमेंट प्लान को दांव पर लगाते हैं. जबतक कोई आपात परिस्थिति ना आए तब तक आपको पीएफ निकालने से बचना चाहिए.

4. एजुकेशन लोन

आज के दौर में बच्चों की एजुकेशन में कमाई का एक बड़ा हिस्सा खर्च हो जाता है. ऐसे में आपको समझदारी से काम लेते हुए बच्चों के लिए एजुकेशन लोन ले लेना चाहिए. इसके लिए पहले आप मार्केट में मौजूद विभिन्न एजुकेशन लोन की पूरी जानकारी एकत्र कर लें फिर नियम जान लें और सरकार का एजुकेशन लोन को लेकर बैंको को क्या दिशा निर्देश है इसके बारे में भी पढ़ लें. इससे आप आगे आने वाली परेशानियों से बच सकेंगी.

5. आपात फंड

आप किसी भी बैंक या पोस्ट ऑफिस में फिक्स डिपॉजिट खाता खोल सकते हैं. कोशिश करें कि पास के डाक घर में फिक्स डिपॉजिट खाता खोलें ये बैंक से ज्यादा दर पर ब्याज देते हैं. इसमें बड़ा निवेश करें, एक से दो साल तक का फिक्स डिपॉजिट रखें साथ ही बैंक में रिकरिंग डिपॉजिट (RD) भी करते रहिए. इससे आपात स्थिति में आपको एक बड़ी रकम मिल जाएगी जो आपके गाढ़े वक्त में काम आ सकती है.

गर्मियों में खुद को यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन से बचाएं

ये बात तो आप जानती ही हैं कि अत्यधिक गर्मी की वजह से शरीर में पानी की कमी हो जाती है और इस वजह से लोगों को और खास तौर से स्त्रियों को यूटीआई यानि कि यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन की समस्या हो जाती है.

कहीं आप भी तो अंजान नहीं है इस बीमारी से? आपको ऐसी कोई समस्या न हों इसलिए तेज गर्मी के मौसम में आपको सावधान रहना चाहिए. आइये हम आपको बताते हैं इसके लक्षणों के बारे में.

लक्षण :

  • यूरिन में जलन
  • प्राइवेट पा‌र्ट्स में खुजली या दर्द
  • थोड़ा-थोड़ा यूरिन डिस्चार्ज होना
  • ज्यादा दुर्गध के साथ, यूरिन का रंग अधिक पीला होना
  • कंपकपाहट के साथ बुखार आना
  • भूख न लगना
  • कमजोरी और थकान होना.

अगर आप भी ऊपर दी गईं किन्हीं भी समस्याओं से गुजर रहीं हैं तो आपको तुरंत इसका इलाज करना होगा.

हम यहां आपको इससे निपटने के लिए कुछ उपाय बताने जा रहे हैं…

बचाव :

1. बाहर खुले में बिकने वाली चीजें न खाएं. क्योंकि खून में होने वाला इन्फेक्शन यूरिन तक पहुंचकर ‘यूटीआई’ का कारण बन जाता है.

2. टॉयलेट और इनरवेयर की सफाई का पूरा ध्यान रखें. खास तौर से पब्लिक टॉयलेट के इस्तेमाल से पहले और बाद में फ्लश का इस्तेमाल जरूर करें.

3. ज्यादा से ज्यादा मात्रा में तरल पदार्थो का सेवन करें.

4. इस मौसम में पसीने की वजह से स्त्रियों में वजाइनल इन्फेक्शन की भी समस्या हो जाती है. आमतौर पर इस तरह के संक्रमण में वजाइना से सफेद रंग के तरल पदार्थ का डिस्चार्ज होता है.

5. इस मौसम में स्विमिंग पूल के क्लोरीन युक्त पानी की वजह से भी कभी-कभी यह संक्रमण हो जाता है. इस समस्या से बचने के लिए स्विमिंग के बाद व्यक्तिगत सफाई का विशेष रूप से ध्यान रखें और हमेशा कॉटन के इनरवेयर का इस्तेमाल करें.

6. अगर उपरोक्त दिए हुए लक्षणों में आपको ऐसा कोई लक्षण दिखाई दे तो बिना देर किए किसी कुशल स्त्री रोग विशेषज्ञ से संपर्क करें.

ट्रैंडी फिंगर रिंग्स

डिफरैंट स्टाइल की फिंगर रिंग हाथों की खूबसूरती बढ़ाने के साथ ही पर्सनैलिटी को भी डिफाइन करती हैं. जहां डायमंड की सिंपल फिंगर रिंग पर्सनैलिटी को सोबर लुक देती है, वहीं कौकटेल फिंगर रिंग काफी फैशनेबल नजर आती है. इन के अलावा और कौन-कौन सी रिंग की वैराइटी फैशन में है आइए, जानें :

फुल फिंगर रिंग : फुल फिंगर रिंग की डिजाइन उंगली से शुरू और उंगली के साथ ही खत्म होती है. इस से उंगली को फुलर लुक मिलता है. इसे आप वैस्टर्न, इंडियन और इंडोवैस्टर्न वियर के साथ पहन सकती हैं. लेकिन जब भी फुल फिंगर रिंग पहनें, उस के साथ बाकी कोई रिंग न पहनें और अगर आप की उंगलियां मोटी हैं तो भूल से भी फुल फिंगर रिंग पहनने की गलती न करें.

चेन फिंगर रिंग : अगर आप के हाथ पतले हैं तो चेन फिंगर रिंग आप के हाथों को फुलर लुक दे सकती है. चेन फिंगर रिंग 1 से ज्यादा उंगलियों में भी पहनी जाती है. रिंग्स चैन की सहायता से एकदूसरे से जुड़ी रहती हैं, इसलिए इसे चेन फिंगर रिंग कहा जाता है. लेकिन यह सिर्फ खास मौकों पर ही पहनी जाती है.

कौकटेल फिंगर रिंग : अगर आप मिनटों में फैशनेबल नजर आना चाहती हैं तो अपनी रैग्युलर सिंपल रिंग को कौकटेल फिंगर रिंग से रिप्लेस करें. बिग और बोल्ड साइज की कौकटेल रिंग हमेशा स्टाइलिश लुक देती है. इसे आप खासकर वैस्टर्न आउटफिट के साथ पहन सकती हैं. ऐसी रिंग लंबी और पतली उंगलियों वाली महिलाओं पर ज्यादा सूट करती है.

मिड फिंगर रिंग : रैग्युलर रिंग को उंगली के अंत में और नेल आर्ट रिंग को उंगली की शुरुआत में पहना जाता है, लेकिन मिड फिंगर रिंग को उंगली के ठीक बीच में पहनते हैं. इसलिए इसे मिड फिंगर रिंग कहते हैं. खास मौके के साथ ही मिड फिंगर रिंग को आप रैग्युलर जींस टीशर्ट, सलवारकमीज आदि के साथ भी पहन सकती हैं.

फोर फिंगर रिंग : अगर आप चारों उंगलियों में रिंग पहनना पसंद करती हैं, तो चारों में अलग-अलग रिंग पहनने के बजाय फोर फिंगर रिंग को अपनी पहली पसंद बना सकती हैं. फोर फिंगर रिंग एकसाथ चारों उंगलियों में पहनी जाती है, लेकिन इसे देख कर नहीं लगता कि ये आपस में जुड़ी हुई हैं. इसे आप रैग्युलर नहीं पहन सकतीं, यह सिर्फ खास मौकों पर पहनी जाती है.

नेल आर्ट रिंग : अगर आप के पास नेल आर्ट के लिए वक्त नहीं है तो आप नेल आर्ट रिंग भी ट्राई कर सकती हैं. इसे उंगली में आगे की ओर जहां नाखून होता है, वहां पहना जाता है. वैस्टर्न वियर के साथ पहनने के लिए नियोन या फिर ब्लैक ऐंड व्हाइट शेड की नेल आर्ट रिंग खरीदें और इंडियन आउटफिट के साथ पहनने के लिए ज्वैल्ड नेल आर्ट रिंग चुनें.

ट्रिपल फिंगर रिंग : डबल फिंगर रिंग की तरह ट्रिपल फिंगर रिंग भी काफी पसंद की जा रही है. इसे एकसाथ 3 उंगलियों में पहना जाता है. आप चाहें तो इसे भी ट्राई कर सकती हैं. सिंपल डायमंड के साथ ही यह कलरफुल डायमंड में भी मिलती है, जिस का चुनाव आप अपने आउटफिट के अनुसार कर सकती हैं.

डबल फिंगर रिंग : ऐसी रिंग एकसाथ 2 उंगलियों में पहनी जाती है. इस का लुक काफी स्टाइलिश होता है. रैग्युलर से ले कर ह्यूज डिजाइन वाली डबल फिंगर रिंग्स भी मार्केट में उपलब्ध हैं. रोजाना पहनने के लिए सिंपल स्टाइल की डबल फिंगर रिंग और खास मौकों के लिए ज्वैल्ड फिंगर रिंग खरीदें. अगर आप की उंगलियां पतली हैं तो हैवी और मोटी हैं तो लाइट वेट डबल फिंगर रिंग का चुनाव करें.

कफ फिंगर रिंग : इन दिनों हैंड कफ की तरह कफ फिंगर रिंग की भी काफी डिमांड है. मार्केट में प्लेन कफ के साथ ही डिजाइनर कफ रिंग्स भी मिलती हैं. अगर आप की उंगली लंबी है, तो चौड़ी कफ वाली रिंग खरीदें और अगर छोटी है तो ज्यादा चौड़ाई वाली कफ रिंग पहनने से बचें. इस से आप की उंगली और भी छोटी नजर आएगी.

तारीफ वाला फैसला

पत्नियों को सुप्रीम कोर्ट को शुक्रिया कहना चाहिए कि उस ने राष्ट्रीय व राज्य के राजमार्गों पर 500 मीटर तक शराब बेचने व परोसने पर रोक लगा दी ताकि लोग एक घूंट चढ़ा कर ड्राइविंग का मजा न ले सकें. ड्राइवरों को तो मजा आता था पर पत्नियों की जान सूखी रहती थी कि न जाने कब कहां कौन सी दुर्घटना शराब के नशे में हो जाए. देश में होने वाली लाखों सड़क मौतों के पीछे ज्यादातर शराब ही जिम्मेदार होती है.

ये राजमार्ग कई शहरों के बीच से भी गुजरते हैं और बहुत से बढि़या होटलों से ले कर रेस्तरां व ढाबे भी इन के पास बने हुए थे जहां दारू चढ़ाते लोगों को देखा जा सकता है. ज्यादातर मामलों में देखा गया है कि बेचारी औरतें चुप बैठी हैं और साथ के मर्द लंबी बातें करते रंगीन पानी के साथ पीए जा रहे हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने झटके से देश भर की आधे से ज्यादा शराब की दुकानों को बंद करा दिया है. अब शराब पीने या खरीदने के लिए कम से कम 1 किलोमीटर अतिरिक्त जाना ही पड़ेगा और वह भी संकरी सड़कों पर.

शराब का नुकसान ज्यादातर आरतों को ही होता है चाहे उन्हें पतियों के पीने पर लंबीचौड़ी आपत्ति न हो और वे खुद भी 2-4 घूंट चढ़ा लेती हों. औरतों की घर की आय में तो सेंध लगती ही है, घर के कमाऊ जने का स्वास्थ्य खराब होने का डर भी बना रहता है. आजकल तो मांओं को यह भी चिंता होने लगी है कि बेटेबेटी पी पा कर पता नहीं क्या कर गुजरें.

सड़कों के किनारे शराब बंद करने से शराब रुक नहीं जाएगी पर यह संदेश जरूर जाएगा कि शराब कुछ ऐसी चीज है जिस से न केवल दुर्घटना हो सकती है,

उसे पाने के लिए मशक्कत भी करनी पड़ेगी. जैसे बंद जगहों पर सिगरेट की पाबंदी का असर यह हुआ है कि रेलों, होटलों, रेस्तराओं आदि में सिगरेट का धुआं नहीं दिखता वैसे ही शराब पर अंकुश असर दिखाएगा.

यह तरीफ की बात है कि यह फैसला गौमांस प्रतिबंध की तरह भाजपा सरकार का नहीं सुप्रीम कोर्ट का पूरी सुनवाई के बाद लिया गया है. इस में कट्टरता कम और व्यावहारिकता ज्यादा है. देश में शराब की अति होने लगी है और जैसे लोग मंदिरों में भरभर कर पैसा खर्च कर रहे हैं वैसे ही शराब पर कर रहे हैं. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट की रोक कम से कम नशे पर तो रोक लगाएगी और जो पैसा बचेगा औरतें उस से जरूरत की चीजों व दवा के साथसाथ साडि़यों और ब्यूटीपार्लरों पर भी खर्च कर सकेंगी.

जो जैसा है स्वीकार लो

नरेंद्र मोदी की उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड में धमाकेदार जीत ने देश का नकशा बदल डाला है. 2014 को एक अपवाद समझा गया था पर इन 2 राज्यों में जीत के बाद यह पक्का हो गया है कि एक नई तरह की राजनीति अब एक नई तरह की भारतीय जनता पार्टी चलाएगी. देश के अन्य राज्यों में जहां गैरभाजपाई सरकारें हैं वहां भी भारतीय जनता पार्टी आक्रामक बनेगी और 2014 व 2017 के अनुभवों को दोहराएगी.

उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड की जीतों ने भारतीय जनता पार्टी को 1947 से 1975 तक की कांग्रेस की स्थिति में ला खड़ा किया है और अन्य राज्य सरकारों के पास भारतीय जनता पार्टी की सरकार के एजेंडे को लागू करने के अलावा और कोई चारा नहीं है.

कांग्रेस के 2004 से 2014 के सुधारों को नकारते हुए जनता ने उसे भ्रष्टाचार का भारी दंड तो दिया ही, यह भी बता दिया कि राजनीति में केवल खड़े रहना काफी नहीं है, अपने को बेचना भी जरूरी है. नरेंद्र मोदी का मुकाबला अब न कांग्रेस के और न ही अन्य दलों या उन के गठबंधनों के बस का है.

अब भारतीय जनता पार्टी के लिए विकास के एजेंडे का बहाना बनाना भी जरूरी नहीं है. उसे न तो भ्रष्टाचारमुक्त भारत बनाना है और न ही स्वच्छ भारत. उस ने जातियों, संतोंमहंतों की फौज और अंधश्रद्धालुओं के सहारे धर्म का सहारा ले कर जो नई राजनीति की है वह कोई अनूठी नहीं है.

आम आदमी सदियों से अपने पेट और अपनी जिंदगी को धर्म, रीतिरिवाज, परंपरा के नाम पर बलिदान करता रहा है और उसी में अपना वजूद देखता रहा है. कांग्रेस और दूसरी पार्टियों ने भी इसी को इस्तेमाल किया है पर उस ढंग से नहीं जैसे भाजपा ने.

नरेंद्र मोदी को मिली जीत ने उन की सरकार को अब देश की अर्थव्यवस्था और समाज के साथ नए प्रयोग करने की छूट दे दी है. सरकार अब विरोध की चिंता करे बिना काम कर सकती है. अब संविधान और राजनीतिक परंपराएं उसी तरह ताक पर रखी जा सकती हैं जैसे इंदिरा गांधी ने 1969 और 1977 के बीच रखी थीं.

सरकार विरोधियों को अब 4 बार सोच कर कुछ कहने की हिम्मत करनी होगी, क्योंकि जनता ने वैलट मशीनों के जरीए एक नया फैसला लिया है. अब उस पर बहस की गुंजाइश कम है कि यह फैसला अच्छा है या नहीं.

शादी के बाद जब घर में बहू या पत्नी आ जाए तो उस की कमियों पर ध्यान देने का कोई लाभ नहीं होता. भला इसी में है कि जो जैसा है स्वीकार लो. अगर पंचों यानी जनता की राय, भरपूर राय के साथ जीत कर कोई सरकार बने तो उसे स्वीकार करना चाहिए.

दिल ले चल वहां ट्यूलिप है जहां

दोस्तों ऐसा कौन होगा जिसे फूल पसंद न हो? फूल प्रकृति मां का एक ऐसा तोहफा है जो चुटकियों में आपका मूड फ्रेश कर देता है. आप कितने ही गुस्से में हों फूल देख कर आपके चेहरे पर मुस्कान आ ही जाएगी. यह मेरे अलावा वैज्ञानिक अनुसन्धान भी कहते हैं.

एक शोध के अनुसार जो लोग फूल पाते हैं या फिर फूलों के सानिध्य में रहते हैं उनमें तनाव का स्तर लगातार घटता जाता है. वह ज़्यादा खुश और संतुष्ट रहते हैं. फूल हमारे इमोशन्स के लिए हीलर का काम करते हैं. स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ न्यू जर्सी में हुए एक शोध से यह जानकारियां मिली.

फूल हमारी भावनाओं को प्रकट करने के लिए सबसे सशक्त मध्याम हैं. यह हमारे सभी प्रकार के भावों को अपने अलग अलग रंगों से बड़े ही प्रभावी ढंग से व्यक्त करते हैं. खुशी, उल्लास, भक्ति, प्रेम, समर्पण, शोक जैसे सभी अवसरों पर हम अलग अलग प्रकार के फूलों का प्रयोग करते हैं.

और फिर बात अगर हो ट्यूलिप्स की तो कहने ही क्या हैं. हिमालय से निकल लम्बी यात्रा कर ट्यूलिप नीदरलैंड का राष्ट्रीय पुष्प ट्यूलिप ऐसे ही नहीं बन गया. और जिन देशों से होकर यह यूरोप पहुंचा, ट्यूलिप उनकी सभ्यता का भी अभिन्न अंग बना.

मुझे ट्यूलिप बहुत पसंद हैं, शायद इसलिए जब भी बसंत ऋतु आती है मेरा यायावर मन ट्यूलिप फ्लावर्स की खोज मे निकल पड़ता है. शायद मेरे भीतर भी कहीं एक “फ्लॉवर हंटर”की आत्मा छुपी हुई है. पिछली साल इन दिनों मैं ट्यूलिप देखने दुनिया के सबसे बड़े ट्यूलिप गार्डन क्यूकेन्होफ पहुंच गई थी. क्यूकेन्होफ गार्डेन यूरोप के हॉलैंड में स्थित है.

इस बार मैंने कश्मीर में होने वाले ट्यूलिप फेस्टिवल में जाने का मन बनाया. श्रीनगर में हर साल अप्रैल में ट्यूलिप फेस्टिवल मनाया जाता है जिसका आयोजन कश्मीर टूरिज्म बोर्ड करता है. आपको जानकर हैरानी होगी कि यह ट्यूलिप गार्डन एशिया का सबसे बड़ा ट्यूलिप गार्डन है. श्रीनगर मे इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्यूलिप गार्डेन मे हर साल एक महीने के लिए ट्यूलिप फेस्टिवल मनाया जाता है. जिसके लिए डिपार्टमेंट ऑफ फ्लोरीकल्चर पूर साल मेहनत करता है.

जबरवान पर्वतमाला के दामन मे लगभग 12 हेक्टेयर में फैला यह बॉटनिकल गार्डेन बहुत खूबसूरत है. इस साल इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्यूलिप गार्डेन में 15 लाख ट्यूलिप लगाए गए हैं. इस ट्यूलिप गार्डेन की स्थापना सन् 2008 में की गई थी. इस गार्डेन को देखने लाखों की संख्या में सैलानी हर वर्ष देश विदेश से आते हैं.

क्यूंकि कश्मीर घाटी ने मुग़लों का एक लंबा दौर देखा है इसलिए यहां के गार्डेन्स पर पार्शियन स्थापत्यकला का प्रभाव देखने को मिलता है. जिसमें टेरेस गार्डेन पार्शियन हॉर्टिकल्चर का खास अंग माने जाते है. निशात बाग और शालीमार गार्डेन भी इसी तर्ज़ पर बनाए गए है. और यहां का इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्यूलिप गार्डेन भी उसी स्ट्रक्चर पर बना है. यहां तीन टैरेस हैं.

इस गार्डेन को तैयार करने में पूरे 10 महीनों का वक्त लगता है. एक महीने के लिए इस गार्डेन को खोला जाता है जिसके बाद अगले सीज़न के लिए गार्डेन को दुबारा तैयार करने की क़वायद शुरू हो जाती है. यहां जो ट्यूलिप हम देखते हैं इन्हें उगाने के लिए हॉलैंड से ट्यूलिप बल्ब आयात किए जाते हैं.

और जब फेस्टिवल के बाद गार्डेन पब्लिक के लिए बंद हो जाता है तब बड़ी सावधानी से एक-एक ट्यूलिप बल्ब को सहेजने की कवायद शुरू की जाती है. इन्हें न सिर्फ अलग अलग रंगों और वैरायटी के हिसाब से सहेजा जाता है बल्कि अगले सीज़न तक खराब न होने के लिए कोल्ड स्टोरेज मे बड़ी सावधानी से रखा भी जाता है. यह पूरा काम फ्लोरीकल्चर डिपार्टमेंट के एक्सपर्ट्स की निगरानी में किया जाता है.

यहां फैले रंगबिरंगे ट्यूलिप्स को देखकर कोई भी अंदाज़ा लगा सकता है कि इस इंद्रधनुष की  छवि को बिखरने में कितनी मेहनत की गई है. इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्यूलिप गार्डेन डल लेक के बहुत नज़दीक स्थित है.

तीन लेवल पर बना यह ट्यूलिप गार्डेन अपने में 46 प्रकार के ट्यूलिप्स का घर है. इस ट्यूलिप गार्डेन के बीचों बीच गार्डेन की खूबसूरती में चार चांद लगाने के लिए कई फाउन्टेन्स भी लगाए गए हैं. गार्डन में आने वाले लोगों की सुविधा का पूरा ख्याल रखा गया है. इसलिए यहां एक छोटा सा फ़ूड पॉइंट भी है. जहां जाकर आप कश्मीर के ख़ास पकवान जैसे बाकरखानी, चॉकलेट केक और कश्मीरी केहवा का आनंद ले सकते हैं.

इस गार्डन में साफ सफाई का विशेष ख्याल रखा गया है. ट्यूलिप के फूलों की क्यारियों के बीच में जाने की इजाज़त किसी को नहीं है अलबत्ता आप इनके नज़दीक तस्वीरें खिंचवा सकते हैं. यहां जगह जगह सैलानियों के बैठने के लिए बैंच भी बनाई गई हैं.

कब जाएं

इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्यूलिप गार्डेन हर साल अप्रैल के महीने में एक महीने के लिए खोला जाता है. जिसकी तारीख कश्मीर टूरिज्म की वेबसाइट से चैक करके ही अपनी ट्रिप प्लान करें.

कैसे पहुंचे

श्रीनगर हवाई और सड़क मार्ग से सभी बड़े शहरों से जुड़ा हुआ है. अगर आप रेल से यात्रा करना चाहते हैं तो जम्मू तक रेल सुविधा है, उसके आगे सड़क मार्ग से जाना पड़ेगा.

ट्रैवेल टिप्स

हालांकि अप्रैल माह में पूरे देश में काफी गर्मी होने लगती है लेकिन कश्मीर में मौसम सुहावना होता है. बहुत बार बारिश की सम्भावना भी बन जाती है. जिसके चलते तापमान बहुत नीचे चला जाता है इसलिए सर्दी के इंतिजाम से जाएं. और जाने से पहले मौसम का हाल चैक करके ही प्लान बनाएं.

‘‘महाभारत’’ बनेगी हजार करोड़ी

हौलीवुड बहुत बड़े बजट की फिल्में बनाकर उन्हें विश्व की कई भाषाओं में डब करके प्रदर्शित कर, हर जगह अपनी धाक जमा रहा है. अब हौलीवुड को उसी के लहजे में जवाब देने के लिए भारतीय फिल्म इंडस्ट्री ने भी कमर कस ली है. इसी के चलते मूलतः भारतीय मगर यूएई में बसे उद्योगपति बी.आर. शेट्टी ने नया कदम उठाते हुए हजार करोड़ की लागत की फिल्म ‘‘महाभारत’’ बनाने की घोषणा की है, जो कि एशिया की दूसरी सबसे बड़े बजट की फिल्म होगी. कम से कम भारत में अब तक इतने बड़े बजट की फिल्म का निर्माण नहीं हुआ है.

बी.आर. शेट्टी यह फिल्म मशहूर भारतीय फिल्मकार व लेखक एम.टी. वासुदेवन नायर के साथ मिलकर बनाएंगे, जो कि एम.टी. वासुदेवन नायर की अतिमहत्वाकांक्षी फिल्म होगी. एम.टी. वासुदेवन नायर की ही किताब ‘‘रन्दामूजाम’’ पर आधारित फिल्म ‘‘महाभारत’’ में मोहनलाल भीम का किरदार निभाएंगे.

फिल्म ‘‘महाभारत’’ से जुड़ने वाले अभिनेता मोहन लाल ने एम.टी. वासुदेवन की किताब ‘‘रन्दामुजाम’’ को कई बार पढ़ा है. वह खुद कहते हैं – ‘‘मुझे याद ही नहीं है कि मैंने ‘रन्दामुजाम’ को कितनी बार पढ़ा है. मैं हमेशा इस महाकाव्य को सिनेमा के बड़े परदे पर लाना चाहता था. अब यह फिल्म फिल्मकार वी.ए. श्रीकुमार मेनन के अथक प्रयासों से बहुत जल्द शुरू होगी. मैं तो ‘महाभारत’ की कहानियां सुनते हुए बड़ा हुआ हूं. मैं अपने आपको भाग्यशाली समझता हूं कि मुझे इस फिल्म में भीम का किरदार निभाने के लिए चुना गया. मैं एम.टी. वासुदेवन सर का आभारी हूं कि उन्होने मुझ पर इतना भरोसा किया.’’

फिल्म ‘‘महाभारत’’ का निर्माण दो भागों में किया जाएगा. फिल्म की शूटिंग सितंबर 2018 में शुरू होगी और 2020 की शुरूआत में यह फिल्म प्रदर्शित होगी. पहले भाग के प्रदर्शन के ठीक नब्बे दिन बाद दूसरा भाग प्रदर्शित किया जाएगा. हौलीवुड फिल्मों की ही तर्ज पर ‘महाभारत’ को शुरूआत में अंग्रेजी, हिंदी, तमिल, तेलगू, कन्नड़ और मलयालम भाषा में फिल्माया जाएगा. उसके बाद इसे हर विदेशी भाषा में डब किया जाएगा. इस फिल्म में सभी महारथी कलाकार अभिनय करेंगे, जबकि तकनीकी टीम में भारतीय व विदेशी हस्तियों का समावेष होगा. इनमें कुछ ऑस्कर अवार्ड विजेता हस्तियां भी हैं. मजेदार बात यह है कि इस फिल्म में कुछ हौलीवुड कलाकार भी भारतीय कलाकारों के साथ कंधे से कंधा मिलाने वाले हैं. इसके लिए एक अंतरराष्ट्रीय कास्टिंग ऐजेंसी की सेवाएं ली गयी हैं.

आलिया ने सुजॉय घोष को कहा ना!

‘‘कहानी’’ जैसी सुपरहिट फिल्म दे चुके निर्देशक सुजॉय घोष की जब से फिल्म ‘‘कहानी 2’’ असफल हुई है, तब से बॉलीवुड में कहा जा रहा है कि सुजॉय घोष को एक हिट फिल्म की सख्त जरुरत है.

इसी बीच यह खबर भी आयी है कि सुजॉय घोष ने हिट फिल्म की चाहत में सफल अदाकारा आलिया भट्ट से संपर्क किया, मगर आलिया भट्ट ने सुजॉय घोष के साथ बैठकर पटकथा सुनने के बाद फिल्म करने से इंकार कर दिया. इस संबंध में आलिया भट्ट से तो कोई बात नहीं हो पायी.

मगर सुजॉय घोष ने एक वेबसाइट से बात करते हुए इस खबर को सिरे से खारिज करते हुए कहा है, ‘‘मैंने आलिया भट्ट को किसी फिल्म का प्रस्ताव नहीं दिया है, तो वह इंकार कैसे करेंगी? सच तो यह है कि मैं इन दिनों किसी फीचर फिल्म की बजाय सत्यजीत रॉय की ‘अनुकूल’ नामक एक लघु फिल्म बनाने की तैयारी में लगा हुआ हूं.’’

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