कम बजट में ऐसे प्लान करें वैकेशन

घूमने जाने की प्लानिंग है, लेकिन मोटा बजट देखकर मूड ऑफ हो रहा है. तो चलिए आज हम आपको कम बजट में बढि़या ट्रिप एंजॉय करने का सीक्रेट बताते हैं.

बढ़िया वैकेशन वही है, जो आपको रिफ्रेश भी कर दे और इसका भार आपकी जेब भी ज्यादा हल्की ना करे. बेशक यह स्मार्ट ट्रैवलर की निशानी है, जो आप कुछ बातों को ध्यान में रखकर बन सकती हैं.

एडवांस में करें प्लान

आप कहां जा रहे हैं, कहां रुकेंगे, कब कहां जाएंगे जैसी बातों की प्लानिंग पहले ही कर लें. साथ ही, यह भी जान लें कि सफर के दौरान आपको कहां रुकना व खाना-पीना है. वहां आप कहां जा सकती हैं और इनकी एंट्री कीमत क्या होगी, इसके बारे में भी पता लगा लें. इस मामले में गाइड आपकी मदद कर सकता है.

बचाएं ट्रैवलिंग का खर्चा

इंटर-सिटी बसें, पब्लिक ट्रांसपोर्ट और कंफर्टेबल, लेकिन फूड सर्व न करने वाली फ्लाइट्स काफी सस्ती रहती हैं. अगर आप बच्चों के साथ ट्रैवल कर रहे हैं, तो आप एयरलाइन से स्नैक्स वगैरह के बारे में पूछ सकती हैं. वैसे, सुबह-सुबह की या फिर देर रात की फ्लाइट्स सस्ती रहती हैं. इसलिए आप इनके बारे में सोच सकती हैं.

समय पर हो बुकिंग

टाइम व प्लानिंग को ध्यान में रखकर चलेंगे, तो बजट ट्रैवलिंग आपके लिए आसान रहेगी. जब आप अपना बजट तय कर लें, तो आपको यह चिंता करने की जरूरत नहीं पड़ेगी कि आपको कहां और कितना खर्च करना है.

लग्जरी से करें परहेज

डुअल टेम्परेचर कंट्रोल, लेदर इंटीरियर और सीट पर पर्सनल म्यूजिक सिस्टम, बेशक इन सुविधाओं के साथ कौन घूमना नहीं चाहेगा. लेकिन सोचिए कि क्या वाकई आपको इसकी जरूरत है? दरअसल, कार का किराया इस पर डिपेंड करता है कि आपने कैसी कार ली है. बजट ट्रैवल के मूड में हैं, तो बेसिक कार किराए पर ले लें. वैसे, आप अपने साथ जा रहे लोगों से भी टैक्सी शेयर करने के बारे में पूछ सकती हैं. इस तरह यह किराया बंट जाएगा.

बड़े ग्रुप्स का फायदा

बड़े टूरिस्ट गु्रप्स के साथ घूमना फायदेमंद रहता है. इंटरनैशनल डेस्टिनेशंस पर साइटसीइंग के दौरान ऐसा खासतौर पर होता है. इस तरह आपको एक ही साथ अलग-अलग देशों के लोगों से मिलने का मौका मिलता है. फिर आप सभी को एक ही गाइड के साथ घूमना होता है, जिससे खर्च काफी कम होता है. यही नहीं, इस मौके पर खाने का खर्च भी बांट लिया जाता है.

स्टाइल पर जोर नहीं

छुट्टियों के दौरान भी लोग स्टाइल दिखाना नहीं छोड़ते और इस तरह वे कपड़ों व एक्सेसरीज से सामान बहुत भारी कर लेते हैं. इसकी बजाय हल्का सामान और जरूरत की खास चीजें ही साथ लेकर चलें. इस तरह आपको जगह बदलने व घूमने में ज्यादा परेशानी नहीं होगी. हां, कंफर्टेबल शूज और कपड़े जरूर साथ रखें.

बस जरूरत हो पूरी

बजट होटल में आपको ज्यादा सुविधाएं नहीं मिलेंगी, लेकिन आप यह क्यों भूलते हैं कि बजट ट्रैवल का मतलब ही ऐसी जगह पर ठहरना है, जहां आपकी बेसिक जरूरतें पूरी होती हों. ऐसे में साफ कमरा और बाथरूम आपके लिए बहुत हैं. वैसे, फन वेकेशंस पर इससे ज्यादा की जरूरत किसी को नहीं होती.

कमाल की है इस बॉलीवुड सुपरस्टार की लव स्टोरी

बॉलीवुड के इस कपल की प्रेम कहानी कभी मीडिया कवरेज की मोहताज नहीं रही, लेकिन इनकी ये लव स्टोरी किसी फेयरीटेल से कम भी नहीं. हम बात कर रहे हैं अनिल कपूर और उस समय की मशहूर मॉडल, उनकी पत्नी सुनीता कपूर की. बीते महीने की 19 तारीख को ही दोंनो ने अपनी शादी के 33 साल पूरे किए हैं. भले ही ये कपल अक्सर मीडिया से दूर रहता है लेकिन हम आपको बता देना चाहते हैं कि ये जोड़ी बॉलीवुड के सबसे क्यूट कपल में से एक है.

आपको जाननी चाहिए इस क्यूट प्रेम कहानी..

एक नजर में दिल दे बैठे थे अनिल

1980 के दशक में अनिल कपूर रोज-रोज ऑडिशन के लिए जाया करते थे. उन्हीं दिनों में अनिल कपूर की नज़र एक लड़की पर पड़ी और वो उन्हें दिल दे बैठे. वो लड़की कोई और नहीं बल्कि सुनीता कपूर ही हैं.

सफर आसान नहीं था

लेकिन उस लड़की के दिल तक का रास्ता अनिल के लिए आसान नहीं था. जैसे ही उन्होंने सुनीता के बारे पता लगाना चाहा तो उन्हें पता लगा कि वो एक सफल मॉडल हैं उनतक पहुंचना काफी मुश्किल है.

अनिल कपूर ने दोस्तों को सुनाया अपने दिल का हाल

अनिल से रहा नहीं गया. उन्होंने अपने कुछ ऐसे दोस्तों को दिल का हाल सुनाया. फिर उनके दोस्तों ने एक काम किया कि कहीं से उस लड़की का फोन नंबर अनिल को दे दिया.

फोन पर शुरू हुई बातचीत

बस फिर क्या था, आगे उन्होंने अपनी उस मॉडल से फोन पर बातचीत शुरू कर दी.

डेट पर ले जाने के भी पैसे नहीं थे

एक पुराने इंटरव्यू के अनुसार गुलशन ग्रोवर कहते हैं ‌कि अनिल फोन पर बात करने में ही सुनीता के हो चुके थे, लेकिन दुविधा ये थी कि वे लड़की से मिलने के बारे में नहीं सोच रहे थे, क्योंकि उनके पास इतने पैसे नहीं थे कि एक लड़की को डेट पर ले जा सकते.

सुनीता कपूर ने मिलने के लिए कहा

एक दिन सुनीता ने खुद ही अनिल को मिलने के लिए कहा. तब अनिल ने कहा कि ठीक है मैं दो घंटे में पहुंचूंगा. सुनीता ने जब पूंछा कि दो घंटे क्यों, तब अनिल ने कहा कि मैं बस से आऊंगा क्योंकि कैब से आने के लिए उनके पास पैसे नहीं है.

सुनीता ने कहा ‘मैं दे दूंगी पैसे’

इस पर सुनीता ने कहा कि आप कैब कर लो मैं पैसे दे दूंगी. इस वाकिये के बाद अनिल, सुनीता को और भी ज्यादा चाहने लग गए थे.

डेट के साथ-साथ घूमना भी शुरू हो गया

उस डेट के बाद दोनों बस से रही मुंबई घूमा करने लग गए. सुनीता के नामी मॉडल होने के बाद भी वे बस से घूमने में कभी आपत्ति नहीं जताती थीं. उस समय तक वे ही अनिल का पूरा खर्च उठाती थीं.

सिलसिला काफी समय तक यूं ही जारी रहा

अनिल को साल 1984 में फिल्म ‘मशाल’ मिली और ये फिल्म इतनी हिट हुई कि इसने अनिल का रुतबा ही बदल दिया. इसके बाद अनिल ने सुनीता को शादी के लिए प्रपोज किया लेकिन उस वक्त सुनीता ने शादी के बारे में सोचने का वक्त मांगा और आखिरकार फोन पर उन्होंने शादी के लिए हां कह ही दिया. 19 मई 1984 को दोंनो ने शादी कर ली. दोनों के तीन बच्चे हैं, सोनम कपूर, रेहा और हर्षवर्धन.

रणबीर को मारने की कोशिश में हैं कटरीना

रणबीर कपूर और कटरीना कैफ की फिल्म जग्गा जासूस का पहला गाना उल्लू का पट्ठा कुछ दिनों पहले रिलीज हुआ था. गाने में कटरीना और रणबीर की क्यूट केमिस्ट्री साफ नजर आ रही थी. अब कटरीना ने अपने फेसबुक पेज पर बिहाइंड द सींस का वीडियो रिलीज किया है.

वीडियो में आप देखेंगे कि एक्ट्रेस मोटरबाइक पर एक्टर के पीछे बैठी हुई हैं और उनका गला घोंटने का नाटक करते हुए, अजीब अजीब चेहरे बनाते हुए नजर आ रही हैं. कैमरे के सामने जाने से पहले दोनों अपने विचित्र डांस मूव्स करते हुए नजर आते हैं.

कटरीना ने इस वीडियो को शेयर करते हुए लिखा “जग्गा और जगहेड. नाच मेरी जान पैसा मिलेगा. बिहाइंड द सींस का एक वर्जन. दूसरे वर्जन जल्द ही आएंगे.”

जग्गा जासूस को अनुराग बसु ने लिखा और डायरेक्ट किया है. वहीं सिद्धार्थ रॉय कपूर, रणबीर कपूर और अनुराग बसु ने इसे प्रोड्यूस किया है. इस फिल्म में बसु के साथ कटरीना पहली बार काम कर रही हैं. वहीं एक्टर इससे पहले बर्फी में डायरेक्टर के साथ काम कर चुके हैं.

खबरों की मानें तो इस फिल्म में 29 गाने होंगे. इस बात का खुलासा फिल्म के म्यूजिक डायरेक्टर प्रीतम ने किया. प्रीतम की मानें तो इस फिल्म में उनके 29 गाने हैं. प्रीतम इस फिल्म को लेकर काफी एक्साइटेड हैं और बेसब्री से इसके रिलीज होने का इंतजार कर रहे हैं.

एक बार फिर धूम मचाने आ रही है अनिल-ऐश्वर्या की जोड़ी

बॉलीवुड एक्ट्रेस ऐश्वर्या राय बच्चन हाल ही में कान फिल्म फेस्टिवल को लेकर खूब चर्चा में रहीं. अब खबर आ रही है कि जल्द ही वो अपने एक पुराने को-स्टार के साथ फिल्म में नजर आएंगी.

ऐश्वर्या राय बच्चन जल्द ही अनिल कपूर के साथ एक फिल्म में नजर आने वाली हैं. इस फिल्म को राकेश ओमप्रकाश मेहरा प्रोड्यूस करेंगे और डायरेक्टर अतुल मांजरेकर इसका निर्देशन करेंगे.

राकेश ओमप्रकाश मेहरा ने ये खबर कंफर्म कर दी है. मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा, ‘हम इस साल के आखिरी तक फिल्म की शूटिंग शुरू करेंगे. ये ड्रामा नहीं बल्कि खुशमिजाज फिल्म है. हमें खुशी है कि ऐश्वर्या ने इस फिल्म के लिए हामी भर दी है.’

इस फिल्म का नाम ‘फैनी खान’ है जो इंग्लिश फिल्म ‘एवरिबडीज फेमस’ का रिमेक है. आपको बता दें कि इस फिल्म के बारे में अनिल कपूर ने पिछले साल ट्वीट कर इसकी घोषणा की थी. ये फिल्म एक म्यूजिकल कॉमेडी फिल्म होगी जिसमें अनिल पिता की भूमिका में होंगे. ऐश्वर्या के रोल के बारे में अभी खुलासा नहीं हुआ है.

ऐश्वर्या और अनिल ने इससे पहले भी दो सुपरहिट फिल्मों में साथ काम किया है. दोनों ने ‘हमारा दिल आपके पास है’ और ‘ताल’ में साथ काम किया था. अब 17 साल बाद ये जोड़ी एक बार फिर पर्दे पर साथ दिखाई देने वाली है.

गर्मियों में बेस्ट हैं ये हेयरस्टाइल

तपती धूप में कहीं बाहर या कॉलेज गर्ल्स को अक्सर यह दिक्कत आती है कि कौन सा हेयर स्टाइल करें, जिससे गर्मी कम लगे और स्टाइल बना रहे. गर्मी में खुले बालों में काफी पसीना आने लगता है, जिस वजह से लड़कियां बालों के बांधकर रखना ही पसंद करती हैं.

अगर आप भी कहीं बाहर निकलते समय यह सोचती है तो हम आपको कुछ ऐसे ट्रेंडी हेयरस्टाइल के बारे में बताएंगे, जिनको समर सीजन में ट्राई किया जा सकता है.

हाफ बन

लड़कियों में हाफ बन का क्रेज बहुत ज्यादा है. इसको बनाने के लिए अपने आगे बालों को बन की तरह बांध लें और पीछे के बालों को खूला ही रहने दें. इस हेयरस्टाइल को वेस्टर्न लुक से साथ ट्राई करें.

साइड ब्रेड

अगर आपको बालों को ऊपर बांधना पसंद नहीं है तो साइड ब्रेड हेयरस्टाइल आपके लिए अच्छा ऑप्शन है. इसको आप हर तरह की आउटफिट के साथ ट्राई कर सकती हैं.

फिशटेल ब्रेड

अगर आप पोनीटेल नहीं करना चाहतीं तो फिशटेल ब्रेड ट्राई करें. इससे बाल बंधे रहते है. इसको बनाने के लिए पहले बालों को बांध लें फिर फिशटेल ब्रेड बनाएं.

हाई पोनी टेल

समर लुक के लिए हाई पानी टेल भी काफी अच्छा हेयरस्टाइल है. हाई पोनीटेल से बाल भी बंधे रहते हैं और गर्मी लगने की चांस भी कम हो जाती है. इसे आप वेस्टर्न और ट्रेडीशनल ड्रेस दोनों के साथ ट्राई कर सकती हैं. इसके बनाने के लिए हाई पोनीटेल कर लें. फिर बालों की एक लेयर लेकर उसे अपने टेल पर राउंड शेप में कवर कर दें.

टॉप नॉट

फॉर्मल लुक यह काफी अच्छा हेयरस्टाइल है. सबसे पहले बालों को ऊपर बांध लें. फिर इसका बन बनाएं आप चाहे तो आगे से बालों को लेयर भी निकाल सकती है. यह आपको अट्रैक्टिव लुक देगा.

खूबसूरती बढ़ाने के लिए मेकअप काफी नहीं

ज्यादातर महिलाएं यह स्वीकारती हैं कि वे घर से निकलने से पहले अपना काफी वक्त आईने के सामने गुजारती हैं. जितना हो सके चेहरे पर महंगे सौंदर्य प्रसाधनों का प्रयोग कर अपनी खूबसूरती बढ़ाने का प्रयास करती हैं.

वैसे भी महिलाएं मेकअप के लिए मशहूर हैं. हाल ही में स्किनस्टोर डौट कौम नामक कंपनी द्वारा किए गए एक सर्वे में पाया गया कि औसत अमेरिकन महिलाएं अकेले चेहरे की खूबसूरती बढ़ाने वाले ब्यूटी प्रोडक्ट्स पर करीब क्व1 करोड़ 93 लाख अपनी पूरी जिंदगी में खर्च कर डालती हैं. 16 से 75 साल की उम्र की करीब 3000 महिलाओं पर किए गए इस सर्वे में पाया गया कि महिलाएं घर से निकलने से पहले कम से कम 16 ब्यूटी प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करती हैं.

सिर्फ मेकअप काफी नहीं

क्या इस तरह मेकअप प्रोडक्ट्स पर निर्भर रहना पैसे और समय की बरबादी है? क्या वाकई मेकअप प्रोडक्ट्स लुक में आश्चर्यजनक रूप से परिवर्तन ला कर आप का आकर्षण बढ़ा पाते हैं?

हाल ही में इस विषय पर की गई रिसर्च में यह बात सामने आई है कि महिलाओं को खूबसूरत दिखाने में मेकअप का योगदान काफी कम होता है. उन का नैचुरल लुक ही उन्हें आकर्षक या अनाकर्षक दिखाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है. कोई बदसूरत महिला चेहरे पर मेकअप की कितनी भी परतें चढ़ा ले पर वह स्वाभाविक रूप से खूबसूरत महिला, जिस ने कोई मेकअप नहीं किया है, के आगे नहीं टिक पाएगी.

इस संदर्भ में बैंगोर यूनिवर्सिटी नौर्थ वेल्स, अमेरिका में किया गया एक अध्ययन काफी महत्त्वपूर्ण है. इस के तहत 44 अंडरग्रैजुएट लड़कियों, जिन की उम्र 18 से 21 साल के बीच थी, की मेकअप के साथ और बिना मेकअप के तसवीरें ली गईं. इन तसवीरों को 62 छात्रों के एक दूसरे ग्रुप, जिस में स्त्रीपुरुष दोनों ही शामिल थे, को दिखाया गया और कहा गया कि वे इन्हें खूबसूरती के आधार पर 1 से 7 के बीच रेटिंग दें. इन युवकों को लड़कियों की मेकअप के साथ या बिना मेकअप में से कोई एक तसवीर ही दिखाई गई.

रेटिंग का विश्लेषण कर पाया गया कि मेकअप की वजह से खूबसूरती में महज 2% तक का ही इजाफा हुआ जबकि लड़की के नैचुरल फीचर्स और पर्सनैलिटी उसे खूबसूरत दिखाने में 69% तक उत्तरदायी रही.

असली खूबसूरती

दरअसल, खूबसूरती बहुत सी बातों पर निर्भर करती है. हाई चीकबोंस, भरे होंठ, बड़ी आंखें, शाइनी हेयर्स और कोमल बेदाग त्वचा महिलाओं के लिए तो चौड़ा जबड़ा, चौड़ा माथा और मजबूत कदकाठी पुरुषों में स्वाभाविक आकर्षण लाती है. मेकअप, फीचर्स और रंग के अलावा भी बहुत सी बातें हैं, जो आप को आकर्षक बनाती हैं :

स्माइली फेस : 2013 में किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि हंसतामुसकराता चेहरा आप को दूसरों की नजरों में अधिक आकर्षक व सुंदर दिखाता है. लोग न सिर्फ मुसकराते चेहरे को देखना पसंद करते हैं वरन स्वाभाविक रूप से भी मुसकराहट रखने वालों के चेहरे पर अलग ग्लो नजर आता है.

परफैक्ट फिगर : यदि आप अपनी फिगर को 36-24-36 की माप पर मैंटेन रखती हैं, तो आप सांवली होने या मेकअप न करने के बावजूद स्वाभाविक रूप से आकर्षक नजर आएंगी, जबकि मोटी थुलथुल महिला कितना भी मेकअप पोत ले खूबसूरत नहीं लग सकती.

स्मार्ट बिहेवियर : आप की बातचीत का तरीका, चलनेबैठने का ढंग, कपड़े पहनने का सलीका, दूसरों की बातों पर रिऐक्शन देने का अंदाज जैसी बातें खूबसूरती निर्धारित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं.

इनर ब्यूटी : आप का दूसरों के प्रति नजरिया क्या है, कितनी पौजिटिव हैं, दूसरों की कितनी मदद करती हैं, क्रोध और तनाव पर कितना नियंत्रण कर सकती हैं जैसी बातें भी अंदर से आप को खूबसूरत बनाती हैं.

स्टाइलिश ड्रैसेज : कितना भी मेकअप कर लें, जब तक आप के कपड़े आप के व्यक्तित्व और फैशन के अनुरूप नहीं होंगे, आप खूबसूरत नहीं दिख सकतीं.

बेदाग कोमल त्वचा : खूबसूरत दिखने के लिए आप की त्वचा का बेदाग और मुलायम होना जरूरी है. निखरी रंगत और स्वस्थ त्वचा सहज ही लोगों को आकर्षित कर लेती है.

चमकदार काले बाल : लंबे काले बालों पर कितनी ही शायरियां की जाती रही हैं. महिला का सौंदर्य उस के स्वस्थ चमकदार बालों से है.

इन के अलावा अच्छी सेहत, तेज दिमाग, छिपा हुनर और सफलता भी व्यक्ति के आकर्षण में इजाफा करती है.

चुप न बैठो हिम्मत करो

केरल की उस युवती की वाहवाही हो रही है जिस ने यौन शोषण करने वाले गंगेसनंथा तीर्थापाडेर उर्फ स्वामी हरि स्वामी का 8 साल संबंध बनाने के बाद छुरी से लिंग ही काट डाला. इस युवती के परिवार के लोग जिन में मां, बीमार पिता, भाई शामिल हैं कोल्लम के पनमना छतांबिल स्वामिकल आश्रम के भक्त हैं और यह युवती स्वामी की सेवा में तभी झोंक दी गईर् थी जब वह महज 15 साल की थी.

यानी असल दोषी वे मातापिता हैं, जो इस अबोध को स्वामी के आश्रम के हवाले कर आए. वह समाज अपराधी है जो आश्रमों को बनने देता है, वह कानून दोषी है, जो आश्रमों की रक्षा करता है और वह धर्म गुनहगार है, जो कहता है कि तनमनधन से गुरुओं व स्वामियों की सेवा करो. स्वामी तो उस सारे पाप भंडार का छोटा सा मुहरा है.

हिंदू धर्म में ही नहीं अधिकांश धर्मों में इस तरह का यौन शोषण आम है. कैथोलिक पोप को हर साल सैकड़ों अबोध बच्चों के यौन शोषण के मामले सुनने पड़ते हैं. पोप सदियों से अपने पुजारियों की यौनपिपासा को नजरअंदाज करते आए हैं. वहां भी हर मामले में बच्चों को मातापिता ही खुद पादरियों के हवाले करते हैं जैसे कोल्लम के इस पिता ने किया.

शायद इस स्वामी पर मुकदमा चल जाए, क्योंकि आजकल गुरुभक्तों की हिम्मत नहीं रह गईर् कि वे अदालतों और पुलिस को यौन आचरण पर आरोपी स्वामी को बचा सकें पर फिर भी असल दोषी तो यहां भी छूट जाते हैं.

असल दोषी इस मामले में मातापिता हैं, जिन्होंने अंधभक्ति में अपनी किशोर बेटी को स्वामी के हाथों सौंप दिया कि वही उद्धार करेंगे. हिंदू धर्मग्रंथ ऐसे किस्सों से भरे पड़े हैं और हर प्रमुख देवीदेवता पर यौनाचार की कहानियां मौजूद ही नहीं, जरा सा इंटरनैट खंगालने पर पढ़ी भी जा सकती हैं. संस्कृत या अन्य भाषाओं से इन के अनुवाद धड़ल्ले से हो रहे हैं और भक्त लोग देवीदेवताओं के यौनाचार को देवकार्य मानते हुए शान से दोहराते हैं. हां, अगर कोई उंगली दिखाने लगे तो धार्मिक भावनाएं आहत होने लगती हैं और यही अस्त्र इन स्वामियों का सब से बड़ा कवच है.

अगर हरि स्वामी पर इस युवती के यौन शोषण का मुकदमा चले तो मातापिता को भी अभियुक्त बनाया जाए व पूरा आश्रम पुलिस कब्जे में आ जाए, तभी न्याय मिलेगा. पर आज यह संभव नहीं है. जहां एक तरफ इसलामी कट्टरपन फैल रहा है, वहीं दूसरी तरफ अमेरिका तक में प्रोटैस्टैंट ईसाई भी कट्टर कैथोलिक से बन रहे हैं तो भारत में भगवा ब्रिगेड के होते भला कैसे स्वामी के दुराचार के लिए धार्मिक व्यवस्था को दोषी ठहराया जा सकता है? किस में हिम्मत है?

अपनी ही बनाई भूमिका में बंध गई हूं : कल्कि कोचलीन

रंगरूप से विदेशी, लेकिन खालिस हिंदुस्तानी लड़की जब अपनी पहली फिल्म ‘देव डी’ में नजर आई तो एक बार दर्शकों को लगा कि यह विदेशी चेहरा बौलीवुड के ग्लैमर की चमक में कहां टिक पाएगा. लेकिन ‘शैतान’, ‘शंघाई’ और राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए चुनी गई फिल्म ‘मार्गरिटा विद ए स्ट्रा’ में सेरेब्रल पल्सी नामक बीमारी से पीडि़त लड़की का सशक्त किरदार निभा कर कल्कि ने यह साबित कर दिया कि प्रतिभा ग्लैमर की मुहताज नहीं होती.

अदाकारी के साथसाथ लेखन में भी पारंगत कल्कि का जन्म पांडिचेरी में हुआ था. पिता जोएल कोचलीन और मां फैंकोइस अरमैंडी की संतान कल्कि के परदादा मौरिस कोचलीन अपने जमाने के प्रसिद्ध इंजीनियर थे, जिन्होंने ऐफिल टावर और स्टैच्यू औफ लिबर्टी के निर्माण में मुख्य भूमिका निभाई थी.

हरदिल अजीज कल्कि सिर्फ संजीदा ऐक्टिंग के लिए ही नहीं अपने बेबाक बयानों के लिए भी जानी जाती हैं. वे बी टाउन की उन अभिनेत्रियों में से एक हैं, जो बिना किसी लागलपेट के अपने विचार व्यक्त करती हैं. फिर चाहे बात सैंसर बोर्ड की तानाशाही की हो या कास्टिंग काउच की. स्कूल समय से ही टौमबौय स्टाइल लाइफ जीने वाली कल्कि ने स्कूली शिक्षा ऊटी से कंप्लीट की. इस के बाद लंदन में ऐक्टिंग का कोर्स करने गईं. फिर मुंबई आ कर थिएटर करने लगीं. लेकिन दिल तो फिल्मों में बसा था. इस के लिए काफी संघर्ष किया. फिल्म ‘देव डी’ में पहला मौका मिला. इस के बाद उन्होंने कई फिल्मों में सशक्त अभिनय कर के अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया. विदेशी रंगरूप वाली कल्कि फिल्मों से ज्यादा बिंदास और बेबाक बयानों के लिए भी जानी जाती हैं. एक मुलाकात में उन्होंने अपनी निजी जिंदगी के बारे में बताया, आप भी जानिए…

पिछले दिनों जिलेट वीनस लौंच के इवैंट पर कल्कि से हुई हमारी बातचीत के पेश हैं कुछ अंश :

आप की ज्यादातर फिल्में परफौर्मैंस बेस्ड रही हैं. कमर्शियल से इतनी दूरी क्यों?

मैं तो कमर्शियल फिल्में करना चाहती हूं, लेकिन औफर ही नहीं मिल रहे तो मैं क्या करूं. जो फिल्में मिलीं उन में मैं ने अपना सौ प्रतिशत दिया है. लगता है मैं खुद की बनाई इमेज का शिकार हो गई हूं, क्योंकि जब मैं ने बौलीवुड में कदम रखा था तो ‘देव डी’, ‘शैतान’, ‘शंघाई’ जैसी फिल्मों में काम किया. इन सब में मेरा किरदार हट कर रहा है. इस के बाद मेरे पास जिस भी फिल्म का औफर आता वह परफौर्मैंस बेस्ड फिल्म का ही आता. लगता है मैं अपनी ही बनाई भूमिका में बंध गई हूं. अगर कोई औफर आता है तो मैं कमर्शियल फिल्म जरूर करूंगी.

मन कहां लगता है राइटिंग में या ऐक्टिंग में?

– राइटिंग अपने शौक के लिए करती हूं. मैं थिएटर लिखती हूं, पोइट्री लिखती हूं, लेकिन मैं हमेशा ऐक्टिंग ही करना चाहती हूं.

अपनी ऐक्टिंग और लुक से कितनी संतुष्ट हैं?

– मुझे लगता है निर्देशक दिबाकर बनर्जी की फिल्म शंघाई को छोड़ कर मैं हमेशा बेहतर दिखी हूं. फिल्म में दिबाकर मेरी भूमिका को कुछ अलग दिखाना चाहते थे जिसे मैं कर न सकी, क्योंकि जिस इंडस्ट्री से हम हैं वहां अच्छा दिखना और अच्छा पहनना बहुत जरूरी है. अगर आप अपने लुक पर ध्यान नहीं देंगे तो इंडस्ट्री कब आप को आउट कर देगी, पता ही नहीं चलेगा. इसलिए मैं अच्छा दिखने के नएनए तरीके तलाशती रहती हूं.

आप के लिए फ्रीडम के माने क्या हैं?

– आप अपनी जिंदगी अपने अनुसार जी सकें, मेरे लिए वही फ्रीडम है. जो मन को अच्छा लगे वह करो. किसी के दबाव में रह कर जीना कोई जिंदगी नहीं है. जब मुझे यह लगने लगा कि मेरे पार्टनर और मेरे बीच एक साइलैंट प्रैशर काम कर रहा है, तो मैं ने उस रिश्ते से दूरी बनाने में समय नहीं लगाया, क्योंकि घुटघुट कर आप कुछ समय तक ही जिंदा रह सकते हैं. आज का समय सोशल मीडिया का है और यह मेरे लिए काफी सकारात्मक है, क्योंकि इस के सहारे मैं कुछ भी बोल सकती हूं, अपनी बात सीधे रख सकती हूं. हालांकि आजकल फिल्मी सितारों को ट्रोल करने का चलन काफी बढ़ गया है, लेकिन मैं विवादों पर ध्यान नहीं देती. अपने काम से मतलब रखती हूं.

पहली फिल्म में डेब्यू अवार्ड मिलना और इस के बाद राष्ट्रीय अवार्ड मिलने पर कभी किसी तरह का दबाव या बड़ा स्टार होने की फीलिंग तो नहीं हुई?

किसी को भी पुरस्कार मिलता है, तो खुशी तो होती ही है, लेकिन मेरे ऊपर ऐसा कोई दबाव नहीं है कि मुझे सिर्फ उसी स्क्रिप्ट पर काम करना है, जो मुझे अवार्ड दिलवा सके. ‘मार्गरिटा’ में मेरा काम कैसा रहा यह नैशनल अवार्ड से मुझे मालूम चला. नैशनल अवार्ड से मुझे इस बात का प्रोत्साहन मिला कि मैं ने जो काम किया वह अच्छा है और आगे भी अच्छा करने की कोशिश करती रहूंगी. मैं ने भी बौलीवुड में धक्के खाए हैं. कभीकभी बहुत सारी फिल्मों के औफर एकसाथ आ जाते हैं, तो कभीकभी ऐसा भी होता है कि कुछ समय के लिए कोई फिल्म नहीं मिलती.

अभी किस तरह के किरदार निभाने की तमन्ना है?

मैं ऐतिहासिक किरदार निभाना चाहती हूं. मेरी बचपन से ही इतिहास में रुचि रही है. अगर कभी कोई ऐतिहासिक किरदार निभाने का मौका मिला तो जरूर निभाऊंगी. अगर पुरानी फिल्मों में से ‘प्यासा’ का रीमेक बनता है, तो यह फिल्म मैं अवश्य करूंगी क्योंकि यह मुझे बहुत पसंद है.

आप की आने वाली फिल्में कौन सी हैं?

– इस समय मैं 3 फिल्मों में काम कर रही हूं, जिस में से ‘अ डेथ औफ गंज’ जल्दी आने वाली है. इस फिल्म में 60 के दशक की कहानी है, जिसे कोंकणा सेन निर्देशित कर रही हैं. मैं इस में एक बोल्ड राइटर की भूमिका निभा रही हूं. इस फिल्म के अलावा ‘जीया और जीया’, ‘रिबन’, ‘आजमाइश’, ‘कैडीफ्लिप’ फिल्में भी मैं कर रही हूं.

हम आपको बता दें कि कल्कि किसी फेयरनैस क्रीम का विज्ञापन नहीं करतीं. उन का कहना है कि खूबसूरती का गोरा होने से कोई संबंध नहीं है. सैक्स संबंधों पर खुल कर अपनी बात रखने वाली कल्कि का मानना है कि वे इन दिनों बिस्तर पर पहले से ज्यादा स्वार्थी हो गई हैं. उन के अनुसार 30 साल की उम्र के पहले के सैक्स और उस के बाद के सैक्स का अनुभव अलग होता है. उन्हें 30 के बाद सैक्स करने में बहुत रोमांचकारी अनुभव रहा है.

अनुराग से अलगाव के बाद कल्कि का नाम फरहान अख्तर के साथ भी जोड़ा जाने लगा था. ‘नीरजा’ में काम कर चुके जिम सरभ के साथ भी कल्कि की नजदीकियों की खबरें आई थीं. साल 2014 में फिल्म ‘मार्गरीटा विद ए स्ट्रा’ ने टैलिन ब्लैक नाइट्स फिल्म फैस्टिवल में सर्वश्रेष्ठ फिल्म का खिताब जीता. यह पहली बार था जब किसी बौलीवुड फिल्म की स्क्रीनिंग टैलिन ब्लैक नाइट्स फिल्म फैस्टिवल में हुई.

आप जानती हैं क्‍या है शादी का बीमा?

गाड़ी का बीमा, घर का बीमा, आपका खुद का बीमा और अब तो शादी का भी बीमा होने लगा है. आप बिल्‍कुल सही समझ रहे हैं अगर आपकी शादी एक दो साल के अंदर शादी होने वाली है तो इस पर ध्‍यान जरुर दीजिएगा. वेडिंग इंश्‍योरेंस इंडिया में इस समय एक नया चलन आ गया है. लेकिन ऐसा देखने को मिल रहा है कि धीरे-धीरे यह लोगों की जरुरत बनती जा रही है. शादी कैंसल होने पर, आपके जेवर चोरी होने पर शादी के अचानक बाद एक्‍सीडेंट होने पर वेडिंग इंश्‍योरेंस आपकी सहायता और सुरक्षा करेगा.

क्‍या है शादी का बीमा और ये कैसे होता है

भारत में शादी जैसे बड़े समारोह में बहुत ज्‍यादा पैसा खर्च किया जाता है और मंहगी ज्‍वेलरी खरीद कर रिस्‍क भी लिया जाता है. अक्‍सर आप देखते हैं कि शादी के मौकों पर ऐसी कई घटनाएं हो जाती हैं जो वास्‍तविक रुप से नहीं होना चाहिए. ऐसी घटनाओं से आपके और आपके परिवार का आर्थिक रुप से काफी नुकसान हो जाता है. वेडिंग इंश्‍योरेंस यानी शादी का बीमा आपको इससे उबारने में मदद करता है.

क्‍यों है आपको इसकी जरुरत

जिंदगी का कोई भरोसा नहीं है, जीवन अनिश्चित है वेडिंग इंश्‍योरेंस आपको अनिश्चितताओं के खिलाफ कवर करता है. अगर कुछ भी होता है चाहे आपकी शादी ही रुक जाए आपका खर्च डबल हो जाता है. एक अच्‍छे शादी बीमा पॉलिसी से आप वो सब प्राप्‍त कर सकते हैं जो आपने खो दिया है.

बीमा लेते समय इन चीजों का रखें ध्‍यान

इससे पहले की आप शादी का बीमा लें आप प्रत्‍येक विक्रेता की पॉलिसी को अच्‍छे से जांचे और जानें कि वो किस प्रकार के कवर प्रदान कर रहे हैं. यदि आपके कैटरर या वेडिंग प्‍लानर के पास कोई बीमा कवरेज है तो आप अपनी जेब से कवरेज को ओवरलैप करने के लिए भुगतान नहीं करना चाहेंगे. यह पता करिये कि आपको कवर कहां नहीं मिल रहा है.

कब लें शादी बीमा पॉलिसी

वैसे तो शादी बीमा पॉलिसी शादी की डेट फिक्‍स होने पर या शादी के दो साल पहले ही ली जाती है. लेकिन अगर आपकी शादी अगले साल ही होने वाली है तो टेंशन की कोई बात नहीं है आप रिसेप्‍शन और अन्‍य खर्चों के लिए बीमा करा सकते हैं.

शादी कैंसिल होने पर भी मिलेगा कवर

अगर आपकी शादी एक्‍सीडेंट, फायर या प्राकृतिक आपदाओं के कारण कैंशल हो गई है या शादी की डेट आगे बढ़ गई है तो भी आपको टेंशन लेने की कोई आवश्‍यकता नहीं है. वेडिंग इंश्‍योरेंस इन सबका खर्च आपको देगा.

भारत में कौन दिलाता है वेडिंग इंश्‍योरेंस

भारत में वेडिंग इंश्‍योरेंस वास्‍तव में एक नया कांस्‍पेट है. तीन ऐसी कंपनियां हैं जो यहां पर शादी का बीमा प्रदान करती हैं.

भविष्य जनरल

भविष्‍य जनरल की विवाह सुरक्षा योजना इंश्‍योरेंस के लिए मुख्‍य तौर पर जानी जाती है. अगर किसी अकास्‍मिक बीमारी और बहुत बुरे मौसम की वजह से आप शादी कैंसिल करना चाहते हैं तो ये आपको दुबारा शादी करने के लिए पूरा खर्च प्रदान करेंगे.

एचडीएफसी एर्गो

यह कंपनी वेडिंग इंश्‍योरेंस उस वक्‍त प्रदान करती है जब आप की शादी किसी प्राकृतिक आपदा जैसे बाढ़ और सायक्‍लोन के वजह से कैंसिल हो जाती है तो नुकसान की भरपाई बीमा की इस कंपनी द्वारा किया जाता है. इसके अलावा, वर या वधु के एक्‍सीडेंट हो जाने और शादी के दौरान घर में चोरी हो जाने से भी एचडीएफसी एर्गो द्वारा कवर प्रदान किया जाता है.

आईसीआईसीआई लोम्‍बार्ड

आईसीआईसीआई लोम्‍बार्ड अचानक शादी कैंसिल हो जाने पर, एक्‍सीडेंट, प्रॉपर्टी का नुकसान और, कार्ड की प्रिंटिंग का खर्च, वेन्‍यू का खर्च, डेकोरेशन, फूड, संगीत, होटल और ट्रैवल बुकिंग पर बीमा कवर प्रदान करती है.

अंडरवर्ल्ड से परेशान होकर इस एक्ट्रेस ने छोड़ दिया था देश

बॉलीवुड में कई एक्टर एक्ट्रेस ऐसे होते हैं जो फिल्मों में आए और अचानक से हमेशा के लिए गायब हो गए. कुछ हीरो हिरोइन ऐसे होते हैं जिनकी फिल्में लोगों को काफी पसंद भी आती हैं लेकिन किसी न किसी कारण वो फिल्मी दुनिया से दूरियां बना लेते है.

इन्हीं में से एक हैं वीराना फिल्म की जैस्मिन. अगर आपने भी 90 के दशक की हॉरर फिल्म वीराना देखी है तो इसकी लीड एक्ट्रेस जैस्मिन भी याद होगी. 90 के दशक की हॉरर फिल्म वीराना की एक्ट्रेस जैस्मिन के साथ जो हुआ जानकर आपका दिल दहल जाएगा ! अभिनेत्री जैस्मिन ने अंडरवर्ल्ड से परेशान होकर बॉलीवुड ही नहीं देश भी छोड़ दिया था.

जैस्मिन जब इस फिल्म में आई तो उनकी खूबसूरती के लाखों दीवाने हो गए थे. भले ही फिल्म में जैस्मिन ने डरावना किरदार निभाया था लेकिन इसी के साथ साथ उन्होंने फिल्म में अच्छे खासे हॉट सीन भी दिए थे. इस फिल्म के पहले भी उनकी दो ही फिल्में आई थीं. साल 1978 में सरकारी मेहमान और इसके बाद साल 1984 में फिल्म डाइवोर्स. लेकिन इस फिल्म के बाद वो कहां चली गईं, वो फिल्मों में आगे क्यों नहीं आईं, ये सवाल कई लोगों के मन में घूमता है. वीराना के बाद बॉलीवुड भी जैस्मिन से वीराना हो गया.

तो चलिए हम बताते हैं कि आखिर उनके साथ क्या हुआ कि वे फिर कभी नजर नहीं आईं.

अंडरवर्ल्ड से आने लगे थे फोन

कहा जाता है कि जैस्मिन के पास अंडरवर्ल्ड से फोन आने लगे थे. कई अंडरवर्ल्ड डॉन उन्हें गलत नियत से देख रहे थे और इसलिए उनसे मिलना भी चाहते थे. एक्ट्रेस इस वजह से काफी परेशान रहने लगी थीं और आखिरकार एक दिन उन्होंने देश छोड़ दिया.

अमेरिका चली गईं थी जैस्मिन

यही कारण है कि उन्होंने वीराना के बाद किसी और फिल्म में काम नहीं किया. ‘वीराना’ ही उनकी आखिरी फिल्म थी. बताया जाता है कि इसके बाद जैस्मिन अमेरिका चली गईं.

जॉर्डन में जाकर बस गईं हैं

सुनने में ये भी आया कि अमेरिका जाकर उन्होंने किसी से शादी कर ली. यह भी कहा जाता है कि साल 1988 के बाद जैस्मिन जॉर्डन में जाकर बस गईं.

पहले क्या करती थी जैस्मिन

खबरों की मानें तो इस बारे में किसी को कोई जानकारी नहीं है. साल 1979 में बॉलीवुड में ब्रेक मिलने से पहले जैस्मिन क्या करती थीं और कहां रहती थीं, इस बारे में भी ठीक से किसी को कुछ भी नहीं पता.

इसलिए किया जैस्मीन को कास्ट

हम आपको बता दें कि इस फिल्म के लिए रामसे ब्रदर्स बतौर लीड एक्ट्रेस अलग चेहरा चाहते थे. इसी वजह से उन्होंने सिर्फ दो फिल्मों में एक्टिंग का अनुभव रखने वाली जैस्मिन को वीराना के लिए कास्ट किया.

हिट हुई फिल्म

उस समय पर ये फिल्म काफी हिट हुई थी. और उस समय के मुकाबले फिल्म काफी हॉरर थी.

कैसा है रोल

फिल्म में जैस्मिन एक ऐसी लड़की के किरदार में हैं जिसमें नकीता की आत्मा आती है और वो लोगों को अपना शिकार बनाती है. यहां हम आपको बताते चलें कि इस फिल्म में जैस्मिन ने हॉरर किरदार और नॉर्मल किरदार दोनों ही निभाए थे.

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