दोनों पतियों से हुई मारपीट, Shweta Tiwari कहलाईं ‘घर तोड़ने वाली’

Happy Birthday Shweta Tiwari : बोल्ड ऐक्ट्रैस श्वेता तिवारी (Shweta Tiwari) आज 4 अक्टूबर को अपना 44वां बर्थडे मना रही हैं. उन्हें टीवी का ऐश्वर्या राय भी कहा जाता है. श्वेता तिवारी ने कई शोज में काम किया है. लेकिन घरघर में श्वेता कसौटी जिंदगी की प्रेरणा के नाम से फेमस हुईं. उनका ये किरदार लोगों का दिल जीतने में कामयाब रहा.

श्वेता का रियल लाइफ भी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है. आज उनके बर्थडे के मौके पर श्वेता के जीवन से जुड़ी खास बातों के बारे में जानेंगे.

उत्तर प्रदेश में हुआ था जन्म

श्वेता तिवारी का जन्म 4 अक्टूबर 1980 को इलाहाबाद उत्तरप्रदेश में हुआ था. उनके पिता का नाम अशोक और मां का नाम निर्मला है. उनका एक भाई भी है, जिनका नाम निदान है.

‘दुश्मन’ से की थी करियर की शुरूआत

ऐक्ट्रैस ने अपने करियर की शुरूआत टीवी के शो दुश्मन से की थी. लेकिन उन्हें बालाजी टेलीफिल्म्स के शो कसौटी जिन्दगी से पहचान मिली. इसके अलावा वह कई टीवी शोज में नजर आईं.

बिग बौस 4 की विनर श्वेता तिवारी

श्वेता तिवारी ने कई सारे रियलिटी शोज़ में भाग लिया जिसमे इस जंगल से मुझे बचाओ और बिगबौस जैसे शो शामिल हैं. इन दोनों शोज में वह विवादों में रहीं. सलमान खान ने बिग बौस 4 की विनर श्वेता तिवारी को चुना.

भोजपुरी फिल्मों में भी किया काम

मनोज तिवारी और श्वेता तिवारी की जबरदस्त केमेस्ट्री भोजपुरी फिल्मों में देखने को मिली. दोनों की औनस्क्रीन जोड़ी को लोगों ने खूब पसंज किया. उनकी पहली भोजपुरी फिल्म का नाम था ‘कब अइबू अंगनवा हमार’. फिल्मों के अलावा दोनों कई भोजपुरी गानों में भी साथ नजर आए.

श्वेता तिवारी की वजह से मनोज तिवारी का टूट घर ?

टीवी का रियलिटी शो बिग बौस में भी इन्होंने धमाल मचाया. दोनों की बौन्डिंग दर्शकों को खूब पसंद आई. लेकिन मनोज तिवारी की ऐक्स वाइफ रानी तिवारी को श्वेता नहीं पसंद थी. वह मनोज और श्वेता पर शक करती थी. श्वेता पर मनोज तिवारी का घर तोड़ने का भी आरोप लगा. दरअसल बिग बौस में मनोज तिवारी ने उनकी ऐक्स वाइफ और श्वेता से जुड़ी काफी बातें भी की थी. उन्होंने बताया था कि रानी कैसे उन पर शक करती थी. उन्हें लगता था कि मेरा और श्वेता का अफेयर चल रहा है. इतना सबकुछ होने के बाद श्वेता और मनोज तिवारी आज भी अच्छे दोस्त हैं.

दोनों पतियों से हुई मारपीट

श्वेता तिवारी ने पहली शादी राजा चौधरी से साल 1998 में की थी, लेकिन दोनों का रिश्ता साल 2007 में टूट गया. रिपोर्ट के अनुसार श्वेता ने राजा पर मारपीट और घरेलू हिंसा के आरोप लगाए थे. इसके बाद श्वेता ने दूसरी शादी साल 2013 में अभिनव कोहली से की. शादी से पहले उन्होंने अभिनव को 3 साल तक डेट भी किया था. लेकिन ये रिश्ता भी लंबे समय तक नहीं चला. साल 2019 में अभिनव पर घरेलू हिंसा का आरोप लगाते हुए श्वेता तिवारी ने शिकायत की और उसी साल दोनों का तलाक हो गया.

श्वेता तिवारी को मिले कई बार धोखे

एक इंटरव्यू के अनुसार, श्वेता तिवारी को अपनी जिंदगी में कई बार धोखे मिले हैं. जिससे वह डील करना सीख गई हैं. एक इंटरव्यू के अनुसार, श्वेता तिवारी ने कहा, ”जब पहली बार आपको कोई चीट करता है, तो ये आपको बहुत बुरा लगता है. आप रोते हैं, बुरा महसूस करते हैं. आप सब ठीक करने की कोशिश करते हैं. पर धीरेधीरे मैंने ये सीख लिया कि इसे मैं अपने ऊपर हावी नहीं होने दूंगी. अब मुझे अगर कोई हर्ट करता है तो मैं बहुत ही सिंपली उससे डिटैच हो जाती हूं. उनकी फितरत है कि मुझे हर्ट करें और मैंने अपने को ऐसा बना लिया है कि मैं हर्ट नहीं होउं.’ श्वेता तिवारी दो बच्चों की मां हैं. एक बेटी और एक बेटा. बेटी पलक 23 साल की हैं. जो फैंस के बीच छाई रहती हैं. वह अपनी मां की कार्बन कौपी हैं.

क्या फिर से श्वेता तिवारी रिलेशनशिप में हैं?

हाल ही में खबर आई थी कि श्वेता फिर से रिलेशनशिप हैं. उनका नाम फहमान खान से जोड़ा जा रहा था. लेकिन एक इंटरव्यू में फहमान ने श्वेता तिवारी संग नाम पर रिएक्ट किया और कहा कि ये बिल्कुल भी सच नहीं है. वह तो ऐक्ट्रैस को गुरु जी मानते हैं. लेकिन लोग इसका गलत मतलब निकालते हैं.

श्रीमतीजी और प्याज लहसुन

संडे की छुट्टी को हम पूरी तरह ऐंजौय करने के मूड में थे कि सुबहसुबह श्रीमतीजी ने हमें डपटते हुए कहा, ‘‘अजी सुनते हो, लहसुन बादाम से महंगा हो गया और प्याज सौ रुपए किलोग्राम तक जा पहुंचा है.’’

इतनी सुबह हम श्रीमतीजी के ऐसे आर्थिक, व्यावसायिक और सूचनापरक प्रवचनों का भावार्थ समझ नहीं पा रहे थे. तभी अखबार एक तरफ पटकते हुए वे पुन: बोलीं, ‘‘लगता है अब हमें ही कुछ करना पड़ेगा. सरकार की कुंभकर्णी नींद तो टूटने से रही.’’

हम ने तनिक आश्चर्य से पूछा, ‘‘भागवान, चुनाव भी नजदीक नहीं हैं. इसलिए

फिलहाल प्याजलहसुन से सरकार गिरनेगिराने के चांस नहीं दिख रहे हैं. सो व्यर्थ का विलाप बंद करो.’’

श्रीमतीजी तुनक कर बोलीं, ‘‘तुम्हें क्या पता है, आजकल हो क्या रहा है. आम आदमी की थाली से कभी दाल गायब हो रही है तो कभी सब्जियां. सरकार को तो कभी महंगाई नजर ही नहीं आती.’’

व्यर्थ की बहस से अब हम ऊबने लगे थे, क्योंकि हमें पता है कि आम आदमी के रोनेचिल्लाने से कभी महंगाई कम नहीं होती. हां, माननीय मंत्री महोदय जब चाहें तब अपनी बयानबाजी और भविष्यवाणियों से कीमतों में उछाल ला सकते हैं. चीनी, दूध की कीमतों को आसमान तक उछाल सकते हैं. राजनीति का यही तो फंडा है- खुद भी अमीर बनो और दूसरों के लिए भी अमीर बनने के मौके पैदा करो. लूटो और लूटने दो, स्विस बैंक का खाता लबालब कर डालो.

श्रीमतीजी घर के बिगड़ते बजट से पूरी तरह टूट चुकी हैं. रोजमर्रा की वस्तुओं के बढ़ते दामों ने जीना मुहाल कर रखा है. इसलिए वे एक कुशल अर्थशास्त्री की तरह गंभीर मुद्रा में हमें सुझाव देने लगीं, ‘‘क्यों न हम अपने लान की जमीन का सदुपयोग कर के प्याजलहसुन की खेती शुरू कर दें?’’

हम भौचक्के से उन्हें निहारते हुए बोले, ‘‘खेती और लान में?’’

श्रीमतीजी ने तुरंत हमारी दुविधा भांपते हुए कहा, ‘‘फूलों से पेट नहीं भरता. जापान में तो लोग 2-4 फुट जमीन में ही पूरे घर के लिए सब्जियां पैदा कर लेते हैं.’’

हम श्रीमतीजी के असाधारण भौगोलिक ज्ञान के आगे नतमस्तक थे. हमें लगा जैसे मैनेजमैंट ऐक्स्पर्ट हमें प्रबंधन के गुर सिखा रहा है. उन्होंने अपना फाइनल निर्णय देते हुए घोषणा की, ‘‘अब अपने लान में सब्जियों की खेती की जाएगी. एक बार खर्चा तो होगा, लेकिन देखना शीघ्र ही मेरा आइडिया अपना ‘साइड बिजनैस’ बन जाएगा. आम के आम और गुठलियों के दाम.’’

 

हैरान थे हम उन की अक्लमंदी पर. शीघ्र ही हमें अपनी रजाई छोड़ कर कड़ाके की सर्दी में लान की खुदाई में जुटना पड़ा.

तभी एक सूटेडबूटेड सज्जन अपनी कार से उतर कर हमारे लान में तशरीफ लाए. हम कुछ समझ पाते, उस से पूर्व ही उन्होंने अपना परिचय देते हुए कहा, ‘‘मैं नवरंगी लाल, हौर्टीकल्चर ऐक्स्पर्ट. आप के यहां से मेरी विजिट के लिए डिमांड आई थी. मैं उसी सिलसिले में आया हूं.’’

लगभग 1 घंटे की मशक्कत के बाद उन्होंने एक फाइल बना कर हमारे समक्ष प्रस्तुत की, जिस में उस जमीन का ‘बैस्ट यूज’ कर के तरहतरह की सब्जियां उगाने का ‘ब्ल्यू प्रिंट’ तैयार किया गया था. उस में बड़ी तफसील से 1-1 इंच जमीन के उपयोग और सीजन के हिसाब से फसल तैयार करने का पूरा खाका समझाया गया था.

2 फुट में प्याज, 1 फुट में लहसुन, 2 फुट में आलू, 6 इंच में टमाटर… इत्यादि की तकनीकी जानकारी देख कर श्रीमतीजी फूली नहीं समा रही थीं. 10×10 फुट के लान से अब उन्हें उम्मीद हो गई कि शीघ्र ही इतनी सब्जियों का उत्पादन होने लगेगा कि ट्रक भरभर कर सब्जियां सप्लाई की जा सकेंगी.

मि. नवरंगी लाल ने जब अपनी विजिट का 5,000 रुपए का बिल हमें थमाया तो हमारा दिमाग घूम गया. जिस काम को एक साधारण सा माली 2-4 सौ रुपए में कर जाता, उस काम के 5,000 रुपए का भुगतान? सब्जियों के उत्पादन का हमारा चाव एक झटके में ही ठंडा पड़ने लगा.

श्रीमतीजी ने तुरंत हमें समझाते हुए फरमाया, ‘‘हमेशा बड़ी सोच रखो, तभी सफलता के शिखर को छू पाओगे. देखना, ये 5,000 रुपए कैसे 50,000 रुपयों में बदलते हैं.’’

अब धंधे की व्यावसायिक बातों को हम क्या समझते. हम ने तो इतनी उम्र कालेज में छात्रों को पढ़ा कर ही गंवाई थी. खैर, मि. नवरंगी लाल का पेमैंट कर के उन्हें विदा किया गया.

हमें अगले दिन कालेज से छुट्टी लेनी पड़ी, क्योंकि श्रीमतीजी के साथ सब्जियों के बीज, खाद आदि की खरीदारी जो करनी थी. उस दिन करीब 7 हजार रुपए का नश्तर लग चुका था, लेकिन श्रीमतीजी बेहद खुश नजर आ रही थीं.

घर आए तो एक नई समस्या ने दिमाग खराब कर दिया. अपने छोटे से खेत में बीजारोपण कैसे हो, क्योंकि खेतीबाड़ी का ज्ञान हम दोनों में से किसी को भी नहीं था. कृषि वैज्ञानिक महाशय तो ऐक्स्पर्ट राय दे गए थे, लेकिन उन के ‘ऐक्शन प्लान’ को अमलीजामा पहनाने के लिए अब एक अदद माली की सख्त जरूरत थी. इसलिए तुरंत माली की सेवाएं भी ली गईं. माली ने जमीन तैयार कर खाद, बीज डाल दिए. भांतिभांति की सब्जियों का बीजारोपण हो चुका था.

 

माली की जरूरत तो अब रोज पड़ने वाली थी, क्योंकि जब तक कृषि तकनीक में प्रवीणता, दक्षता हासिल न कर ली जाती, तब तक तो उस की सेवाएं लेना हमारी विवशता थी. इसलिए उसे 5,000 रुपए मासिक वेतन पर रख लिया गया. श्रीमतीजी की दिनचर्या भी अब बदल चुकी थी. अब उन का ज्यादातर समय अपने ‘खेत’ में उग रहे ख्वाबों को तराशने में ही व्यतीत होने लगा था. 10 दिन बीततेबीतते कुछ क्यारियों में कोंपलें फूटने लगीं. श्रीमतीजी उन्हें देख कर इस तरह तृप्त होतीं जैसे मां अपने बेटे की अठखेलियां देख कर वात्सल्यभाव में निहाल हो जाती हैं. धीरेधीरे प्याजलहसुन, आलू, टमाटर, पालक, मेथी की फसल बड़ी होने लगी. अब पूरी कालोनी में हमारी श्रीमतीजी के नए प्रयोग की चर्चा होने लगी. दूरदूर से लोग हमारे ‘कृषि उद्योग’ को देखने आने लगे. श्रीमतीजी उन के सामने बड़े गर्व से अपने कृषि हुनर का सजीव प्रदर्शन करतीं.

वह दिन हमारी श्रीमतीजी के लिए बड़ा खुशनसीब था, जिस दिन हमारी फसल पर फल आते नजर आने लगे. मटर की छोटीछोटी फलियां, गोभी, पालक, मिर्चें, बैगन व धनिया देखदेख कर मन पुलकित होने लगा. लेकिन तभी एक प्राकृतिक आपदा ने हमारी खुशी पर बे्रक लगा दिया. एक अनजाना संक्रमण बड़ी तेजी से फैला और हमारी फसल को पकने से पूर्व ही नष्ट करने लगा.

समझदार और अनुभवी माली ने तुरंत हमें कीटनाशकों की एक सूची थमा दी. हम तुरंत दौड़ेदौड़े पूरे 10,000 रुपयों के कीटनाशक ले आए. साथ ही, छिड़काव करने वाले उपकरण भी लाने पड़े.

चूंकि श्रीमतीजी पर सब्जियां उगाने का जनून सवार था, इसलिए वे कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती थीं. कीटनाशकों के छिड़काव से संक्रमण पर रोक लगी और फसल पुन: तेजी से बढ़ने लगी. अब सब्जियों के उपभोग के दिन नजदीक आ रहे थे. परिवार में एक नया जोश, नई उमंग छाने लगी थी.

 

हमारे खर्चे की बात उठाते ही श्रीमतीजी तुरंत हमारी बात काटते हुए तर्क देतीं, ‘‘यह इनवैस्टमैंट है, जब आउटपुट आएगा तब देखना कितना फायदा होता है. वैसे भी रोज मंडी जा कर सब्जी लाने में कितना समय, धन और पैट्रोल खर्च होता है. उस लिहाज से तो हम अब भी फायदे में ही हैं.’’

उस दिन अचानक श्रीमतीजी की चीख सुन कर हमारी नींद टूटी. तुरंत बाहर दौड़े आए तो ज्ञात हुआ कि हमारे लान की चारदीवारी फांद कर कोई चोर हमारी नवजात प्याजलहसुन की फसल को चुरा कर चंपत हो गया है. क्यारियां खुदी पड़ी थीं, एकदम सूनी जैसे नईनवेली दुलहन के शरीर से सारे आभूषण और वस्त्र उतार लिए गए हों. हम हैरान रह गए. श्रीमतीजी पर जैसे वज्रपात हो गया हो. बेचारी इस सदमे से उबर नहीं पा रही थीं. वे बेहोश हो कर गिर पड़ीं. फसल पकती, उस से पूर्व ही चोर सब्जियों पर हाथ साफ कर गया था.

होश में आते ही श्रीमतीजी बोलीं, ‘‘चलो पुलिस थाने, रपट लिखवानी है.’’

हम ने कहा, ‘‘एफ.आई.आर.?’’

वे बोलीं, ‘‘और नहीं तो क्या? ऐक्शन तो लेना ही पड़ेगा वरना उस की हिम्मत और बढ़ेगी. वह फिर आ धमकेगा.’’

पुलिस भला हमारी श्रीमतीजी की भावनाओं को क्या समझती. उस ने हमारी शिकायत को बड़े मजाकिया ढंग से टालते हुए कहा, ‘‘सब्जियों की चोरी की एफ.आई.आर. भला कैसे लिखी जा सकती है? पुलिस के पास इतना वक्त ही कहां है? वी.आई.पीज की सुरक्षा से महत्त्वपूर्ण तो आप का लान है नहीं कि वहां पुलिस तैनात कर दी जाए.’’

हम निराश हो कर लौट आए. प्राइवेट सिक्युरिटी हायर करने की भी बात आई, लेकिन खर्चा बहुत ज्यादा था. हमें लगा 10-20 हजार रुपए सिक्योरिटी के नाम पर भी सही. शायद तभी हम अपनी उत्पादित सब्जियों का मजा लूट सकें वरना चोर छोड़ते कहां हैं फलसब्जियां.

अब हम ने एक चौकीदार रख लिया है. श्रीमतीजी पूर्ण मुस्तैदी से सब्जियों के पकने के इंतजार में हैं और हम 5-10 किलोग्राम प्याजलहसुन और आलूटमाटर के उत्पादन पर आए 30-35 हजार रुपए के खर्चे का हिसाब लगाने में बेदम हुए पड़े हैं.

ये भी पढ़ें- लैफ्टिनैंट सोना कुमारी: क्या हुआ था सोना के साथ

आतिशी वाया महिला मुख्यमंत्रियों का इतिहास

आम आदमी पार्टी नेता आतिशी आखिरकार दिल्ली की मुख्यमंत्री बन गई हैं और वे राजधानी दिल्ली में इस शीर्ष पद पर पहुंचने वाली सभी 3 मुख्यमंत्री महिलाओं में सब से कम उम्र की हैं. साथ ही स्वतंत्र भारत में मुख्यमंत्री बनने वाली 17 वीं महिला हैं.

दरअसल, राजधानी में विधानसभा चुनाव फरवरी, 2025 में होने वाले हैं. ऐसे में अरविंद केजरीवाल ने जेल से निकलने के बाद नरेंद्र मोदी को घेरने के लिए राजनीति का पासा फेंक दिया. पहली बार ही विधायक बनी आतिशी आप पार्टी का एक बड़ी चेहरा हैं। जब अरविंद केजरीवाल जेल में थे तो एक तरह से उन्होंने नरेंद्र मोदी और भाजपा पर जो आक्रामक तेवर दिखाए शायद इस वजह से अरविंद केजरीवाल की वे पहली पसंद बन गईं.

उन्होंने आबकारी नीति मामले के सिलसिले में अरविंद केजरीवाल के तिहाड़ जेल में रहने के दौरान आम आदमी पार्टी का गरिमा के साथ नेतृत्व किया.

केजरीवाल ने कालकाजी से विधायक आतिशी का नाम मुख्यमंत्री पद के लिए प्रस्तावित किया था.

भाजपा से सुषमा स्वराज और कांग्रेस की शीला दीक्षित के बाद आतिशी दिल्ली की तीसरी (43 वर्ष) महिला मुख्यमंत्री बनी हैं और दिल्ली की सब से कम उम्र की मुख्यमंत्री हैं.

दीक्षित ने जब मुख्यमंत्री का पदभार संभाला था, तब वे 60 साल
की थीं। सुषमा स्वराज दिल्ली की मुख्यमंत्री बनने के समय 46 साल की थीं. आतिशी फिलहाल देश में दूसरी महिला मुख्यमंत्री हैं. पश्चिम बंगाल में ममता बनजीं मुख्यमंत्री हैं.

आइए, आप को बताते चलें कि भारत के इतिहास में महिला मुख्यमंत्रियों की सूची कुछ इस प्रकार है-

* सुचेता कृपलानी : स्वतंत्र भारत की पहली महिला मुख्यमंत्री कृपलानी ने 1963 से 1967 तक उतर प्रदेश में कांग्रेस सरकार का नेतृत्व किया.

* नंदिनी सत्पथी : दूसरी महिला मुख्यमंत्री बनीं. इस कांग्रेस नेत्री ने 1972 से 1976 तक ओडिशा का शासन संभाला था.

* शशिकला काकोडकर : महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी की नेता काकोडकर 1973 से 1979 तक 2 बार गोवा, दमन और दीप के केंद्र शासित प्रदेश की मुख्यमंत्री रहीं. गोवा को 1987 में राज्य का दरजा मिला जबकि दमन और दीव केंद्र शासित प्रदेश बना रहा.

* अनवरा तैमूर : किसी भारतीय राज्य की पहली मुसलिम महिला मुख्यमंत्री। उन्होंने 1980 से 1981 तक असम में कब्रिस सरकार का नेतृत्व किया.

* वीएन जानकी रामचंद्रन : अभिनेत्री से नेता बनीं वीएन जानकी रामचंद्रन तमिलनाडु की पहली महिला मुख्यमंत्री होने के अलावा भारत में यह पद संभालने वाली पहली फिल्म स्टार भी थीं. अपने पति एमजी रामचंद्रन की मृत्यु के बाद 1988 में वह 23 दिनों तक मुख्यमंत्री रहीं.

* जयललिता : अभिनय से राजनीति में कदम रखने वाली जयललिता ने 6 कार्यकालों में 14 सालों से अधिक समय तक तमिलनाडु की मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया.

* मायावती : मायावती ने कुल 7 सालों तक 4 बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री के रूप में शासन किया.

भारत में महिला मुख्यमंत्रियों की सूची में कई प्रभावशाली नेत्रियों के नाम शामिल हैं। इन में से कुछ प्रमुख नाम हैं :
सुचेता कृपलानी : उत्तर प्रदेश की पहली महिला मुख्यमंत्री, जिन का कार्यकाल 1963 से 1967 तक रहा।

नंदिनी सत्पथी : ओडिशा की पहली महिला मुख्यमंत्री, जिन का कार्यकाल 1972 से 1976 तक रहा.

शशिकला काकोडकर : गोवा की पहली महिला मुख्यमंत्री, जिन का कार्यकाल 1973 से 1979 तक रहा.

अनवरा तैमूर : असम की पहली महिला मुख्यमंत्री, जिन का कार्यकाल 1980 से 1981 तक रहा.

जे जयललिता : तमिलनाडु की मुख्यमंत्री, जिन का कार्यकाल 1991 से 2016 तक रहा.

मायावती: उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री, जिन का कार्यकाल 1995 से 2012 तक रहा.

शीला दीक्षित : दिल्ली की मुख्यमंत्री, जिन का कार्यकाल 1998 से 2013 तक रहा.

ममता बनर्जी : पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री, जिन का कार्यकाल 2011 से अब तक रहा है.

आतिशी मार्लेना : दिल्ली की मुख्यमंत्री, जिन्होंने 2024 में पदभार संभाला है .

इन महिला मुख्यमंत्रियों ने अपनेअपने राज्यों में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है और अपनी नेतृत्व क्षमता का परिचय दिया है। वे न केवल अपने राज्यों की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं, बल्कि उन्होंने अपने कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण निर्णय भी लिए.

कुछ प्रमुख उपलब्धियां हैं

सुचेता कृपलानी : इन्होंने उत्तर प्रदेश में शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण काम किया.

नंदिनी सत्पथी : इन्होंने ओडिशा में कृषि और उद्योग के विकास पर ध्यान केंद्रित किया.

जे जयललिता : इन्होंने तमिलनाडु में सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों को बढ़ावा दिया.

मायावती : इन्होंने उत्तर प्रदेश में दलित और पिछड़े वर्गों के अधिकारों के लिए काम किया.

ममता बनर्जी : इन्होंने पश्चिम बंगाल में औद्योगिक विकास और सामाजिक न्याय पर ध्यान केंद्रित किया है.

इन महिला मुख्यमंत्रियों की कहानियां हमें यह याद दिलाती हैं कि नेतृत्व में महिलाओं की भूमिका कितनी महत्त्वपूर्ण है. वे न केवल अपने राज्यों की सेवा करती हैं, बल्कि समाज में भी एक सकारात्मक परिवर्तन लाने का काम करती हैं.

नवरात्रि में चनिया चोली के साथ कैरी करें ये गहने, गरबे में आप पर टीकी रहेगी सबकी नजर

नवरात्रि के मौके पर ग्लैमरस दिखना हर लड़की का सपना होता है. जिस के लिए लड़कियां खासतौर पर सजतीसंवरती हैं और इस मौके पर खूबसूरत दिखने के लिए नवरात्रि आने से पहले कई दिनों पहले से तैयारी करती हैं.

 

खूबसूरत चनियाचोली के साथ ट्रैडिशनल ज्वैलरी लड़कियों की खूबसूरती में चार चांद लगा देती है. ज्यादातर लड़कियां लेटैस्ट फैशन के मुताबिक ऐसे खूबसूरत चनियाचोली और अनारकली, शरारागरारा अलगअलग किस्म के परिधान धारण करती हैं जिसे देख कर लोग निहाल हो जाते हैं.

तो आइए, जानते हैं कि इस नवरात्रि के मौके पर लड़कियां किस तरह के परिधान और ज्वैलरी पहनने वाली हैं…

दिखने में खूबसूरत और पहनने में आरामदायक हो

नवरात्रि के मौके पर खासतौर पर बनाए गए चनियाचोली गुजरात के अहमदाबाद, बङौदा और कच्छ जैसे शहरों में मिलते हैं जिन की बिक्री मुंबई और अन्य शहरों में भी होती हैं। वैसे तो आजकल बढ़ते फैशन ट्रैंड के चलते सबकुछ हर जगह मिलता है लेकिन गुजरात और कच्छ की चनियाचोली सब से ज्यादा खूबसूरत मानी जाती है. नवरात्रि पर पहने जाने वाली चनियाचोली मिरर वर्क, ऐंब्रौयडरी, कपड़े के फूलों से से खासतौर पर बनती है जिस की चुनरी सब से ज्यादा खूबसूरत होती है। सारे चनियाचोली डोला सिल्क फैब्रिक, बनारसी साड़ी, हैवी कौटन, शिफौन, बांदड़ी आदि कई प्रकार के मेटेरियल कपड़ों में बनाई जाती है जिस में तरहतरह की नक्काशी का काम किया जाता है. चनियाचोली बनाने के लिए ज्यादातर गहरे रंगों का इस्तेमाल किया जाता है जैसे लाल, पीला, हरा और काला वगैरह। कई चनियाचोली कंट्रास्ट में 2 रंगों के साथ भी बनाए जाते हैं. इन सभी में सफेद रंग का चनियाचोली जिस में सारे रंगों का इस्तेमाल कर के कढ़ाई की जाती है खूबसूरती की मिसाल माना जाता है. इस के अलावा बड़े साइज वालों के लिए 42 इंच का हैवी टेस्ला और जीप स्ट्रैचिंग के साथ वाला लहंगा भी काफी ज्यादा मशहूर है.

जो लोग ज्यादा भारी लहंगा नहीं संभाल सकते वे शिफौन मेटेरियल से बना चनियाचोली पहनना पसंद करते हैं क्योंकि शिफौन से बना चनियाचोली हलका होता है, उसे संभाला भी जा सकता है.

नवरात्रि के मौके पर चनियाचोली के साथ पहना हुआ ब्लाउज जो पीछे से डीपनेक और खूबसूरत डिजाइन से बना होता है लड़कियों द्वारा ज्यादा ही पहना जाता है जोकि मल्टी कलर, मिरर वर्क और सीप पर मोतियों से भरा पूरा ब्लाउज चोली की खूबसूरती को बढ़ा देता है.

आजकल चोली के ऊपर चुन्नी के बजाय जैकेट पहनने का भी रिवाज है। पूरी तरह से मिरर वर्क मोती और सिक्वैंस के साथ कड़ी हुई होती है. जो आराम दे और खूबसूरत दिखाई देती है.

नवरात्रि के मौके पर लड़कियों द्वारा शरारा, गरारा, बनारसी साड़ी का अनारकली सूट, नेट फैब्रिक का घेर वाला लहंगा मौके को पूरी तरह रंगीन बना देता है.

नवरात्रि के मौके पर ज्यादातर लड़कियां ऐसे ही खूबसूरत परिधानों के साथ उत्सव में नजर आती हैं.

नवरात्रि में पहनी जाने वाली खास ज्वैलरी

खूबसूरत गहनें औरतों की खूबसूरती का श्रृंगार हैं। यही वजह है कि लड़कियां सुंदर ज्वैलरी पहनने की शौकीन रहती हैं. नवरात्रि के मौके पर बड़ेबड़े झुमके और चोकरहार पहनने का काफी चलन है. वैसे तो लड़कियां नवरात्रि पर ऐसी ही ज्वैलरी पहनना पसंद करती हैं, जो उन के ड्रैस के साथ मैचिंग हो. लेकिन ज्यादातर ज्वैलरी में खूबसूरत झुमके और इयररिंग, हाथों में कंगन और चूड़ियां, पैरों में औक्सिडाइज या चांदी की पाजेब यानि पायल और पांवों में खूबसूरत मोजड़ी, चनियाचोली के साथ बहुत खूबसूरत दिखाई देता है.

इस के अलावा कई लड़कियां ज्यादा खूबसूरत दिखने के लिए माथे का टीका और नाक में गोलाकार की नथुनी भी पहनती हैं. नवरात्रि में पहनी जाने वाली ज्वैलरी ज्यादातर सिल्वर, औक्सिडाइज ट्रैडिशनल ज्वैलरी, हैंडमेड ज्वैलरी कपड़े के रंगबिरंगे फूलों, कांच, बीट और स्टोन से बनाई जाती है. ये पहनने में हलकी भी होती हैं और इन से कोई स्किन ऐलर्जी भी नहीं होती.

इस के अलावा छोटेछोटे बीट्स से तैयार की गई ज्वैलरी जो 2 रंगों को मिला कर बनाई जाती है बहुत खूबसूरत लगती है.

नवरात्रि के 9 दिन ऐसे ही खूबसूरत ज्वैलरी और चनियाचोली खूबसूरत आउटफिट पहन कर लड़कियां रास गरबा खेलने आती हैं और माहौल को रंगीन बना देती हैं.

अलका याग्निक को अचानक क्यों सुनाई देना हुआ बंद, इस बीमारी की शिकार हुईं सिंगर

हाल ही में अलका याग्निक ने खुलासा किया था कि उन्हें धीरेधीरे कम सुनाई देने लगा है और उन की सुनने की शक्ति कम हो रही है। अलका याग्निक को एक बीमारी हो गई है जिस की वजह से उन्हें अब कम सुनाई देता है। अलका के सेक्रेटरी ने हाल ही में अलका याग्निक के हैल्थ को ले कर अपडेट दिया साथ ही यह भी बताया कि अलका को कम सुनाई देने की पीछे खास वजह क्या है.

खतरनाक बीमारी

दरअसल, 90 के दशक की मशहूर सिंगर अलका याग्निक को रेयर डिसऔर्डर की बीमारी हो गई है जिस की वजह से उन को एक कान से कम सुनाई देता था लेकिन फिर धीरेधीरे उन्हें दूसरे कान से भी कम सुनाई देने लगा.

सेक्रेटरी के अनुसार, अलका याग्निक 2 महीने पहले फ्लाइट से गोवा गई थीं. जब वे प्लेन से उतरीं तो उन्हें सुनना बंद हो गया. जब 24 घंटे तक भी उन की हालत में सुधार नहीं हुआ, तो उन्होंने डाक्टर को दिखाया. उसी दौरान इस बीमारी का पता चला. मैनेजर नीरज मिश्रा के अनुसार, अलका याग्निक कोविड के दौरान एक खतरनाक वायरस का शिकार हुई थीं जिसके बाद ही उन्हें कम सुनाई देने की बीमारी शुरू हो गई.

वायरस का अटैक

सेक्रेटरी के अनुसार, कई अन्य लोगों को भी इस तरह की बीमारी हुई है. मैनेजर के अनुसार कोविड के टाइम पर जब उन्हें यह वायरस अटैक हुआ तो वह कम सुनने की क्षमता से प्रभावित हुई थीं. लेकिन फिलहाल उन की हालात ठीक नहीं है जिस की वजह से वे अस्पताल में भी भरती भी हुई थीं। अब वह घर पर आराम कर रही हैं और पहले से उन की हालत बेहतर है।

फिलहाल, अलका याग्निक कोई शो नहीं कर रही हैं। उन्होंने सारे शो की डेट आगे बढ़ा दी है। गौरतलब है कि कुछ समय पहले इंस्टाग्राम के जरीए अलका याग्निक ने अपनी इस बीमारी का खुलासा किया था साथ ही लोगों को लाउड म्यूजिक न सुनने के लिए भी सावधान किया था.

हैडफोन का साइडइफैक्ट

अलका के अनुसार वह हैडफोन लगाकर लाउड म्यूजिक सुनती थीं जिस वजह से भी उन्हें न सुनने की तकलीफ बढ़ गई.

एक मासूम सी ख्वाहिश: रवि को कौनसी लत लगी थी

 कहानी- कीर्ति प्रकाश

योंतो रवि और प्रेरणा की शादी अरेंज्ड मैरिज थी, मगर सच यही था कि दोनों एकदूसरे को शादी से 3 साल पहले से जानते थे और एकदूसरे को पसंद करते थे. दिल में एकदूसरे को जगह दी तो फिर कोई और दिल में न आया. दुनिया एकदूसरे के दिल में ही बसा ली सदा के लिए.

सब के लिए एक नियत वक्त आता है और इन दोनों के जीवन में भी वह नियत खूबसूरत वक्त आया जब मातापिता, समाज ने इन्हें पतिपत्नी के बंधन में बांध दिया.

जीवन आगे बढ़ा और प्यार भी. रवि और प्रेरणा के बीच हर तरह की बात होती. अमूमन पतिपत्नी बनने के बाद ज्यादातर जोड़ों के बीच बहुत सारी बातें खत्म हो जाती हैं. मसलन, राजनीति, खेलकूद, देशदुनिया, साइंस, कैरियर, हंसीमजाक आदि. मगर इन के बीच सबकुछ पहले जैसा था. हंसीमजाक, ठिठोली, वादविवाद, एकदूसरे की टांग खिंचाई, एकदूसरे की खास बातों में सलाह देनालेना, साथ घूमनाफिरना, एक ही प्लेट में खाना, एकदूसरे का इंतजार करना आदि सबकुछ बहुत प्यारा था रवि और प्रेरणा के बीच. ऐसा नहीं कि रवि और प्रेरणा के  झगड़े न होते हों. होते थे मगर वैसे ही जैसे दोस्त लड़ते झगड़ते, मुंह फुलाते और आखिर में वही होता, चलो छोड़ो न यार जाने दो न. सौरी बाबा… माफ कर दो न. गलती हो गई और दोनों एकदूसरे को गले लगा लेते.

रवि और प्रेरणा की छोटी सी प्यारी सी गृहस्थी थी. शादी को 6 साल हो गए थे. अनंत 2 साल का हो गया था. अब एक और मेहमान बस 4-5 महीनों में आने वाला था. जीवन की बगिया महक रही थी. रवि प्रेरणा का बहुत खयाल रखता था. प्रेरणा ने भी जीवन के हर पल में रवि को हद से ज्यादा प्यार किया. शादी के 6 साल बाद भी यों लगता जैसे अब भी दोनों प्यार में हैं और जल्द से जल्द एकदूसरे के जीवनसाथी बनना चाहते हों. रिश्तेदारों और करीबी दोस्तों के अलावा शायद ही कोई सम झ पाता था कि दोनों पतिपत्नी हैं. हां, अनंत के कारण भले ही अंदाज लगा लेते थे वरना नहीं.

अब सबकुछ अच्छा चल रहा था. कहीं कोई कमी न थी. फिर भी जाने क्यों कभीकभी प्रेरणा उदास हो जाती. रवि शायद ही कभी उस के उदास पल देख पाता और कभी दिख भी जाते तो प्रेरणा कहती, ‘‘कुछ नहीं, यों ही.’’

प्रेम चीज ही ऐसी है जो स्व का त्याग कर दूसरे को खुश रखने की कला सिखा ही देती है. मगर इन सब बातों के बीच एक ऐसी बात थी, एक ऐसी आदत रवि की जिसे प्रेरणा कभी दिल से स्वीकार नहीं कर सकी. हालांकि उस ने कोशिश बहुत की. उस ने कई बार रवि से कहा भी, बहुत मिन्नतें भी कीं कि प्लीज इस आदत को छोड़ दो. यह हमारी प्यारी गृहस्थी, हमारे रिश्ते, हमारे अगाध प्यार के बीच एक दाग है. कहतेकहते अब 6 साल बीतने को थे. रवि ने न जाने उस आदत को खुद नहीं त्यागना चाहा या फिर उस से हुआ नहीं, पता नहीं. जबकि कहते हैं कि दुनिया में जिंदगी और मौत के अलावा बाकी सबकुछ संभव है. महान गायिका लताजी का यह गाना सुन कर मन को बहला लेती, ‘हर किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता, कभी जमीं तो कभी आसमां नहीं मिलता…’

नन्हे मेहमान के आगमन में बस 2 महीनों की देरी थी. रवि जल्दी घर आता. प्रेरणा को बहुत प्यार देता. अनंत भी खुश था, क्योंकि उसे बताया गया कि मम्मी तुम्हारे लिए जल्द ही एक बहुत ही सुंदर गुड्डा या गुडि़या लेने जाएंगी जो तुम्हारे साथ खेलेगी भी, दौड़ेगी भी और बातें भी करेगी. अनंत को गोद में लिए रवि प्रेरणा के साथ बैठ घंटों दुनियाजहान की बातें करता. प्रेरणा हर वक्त खुश थी पर कभीकभी अनायास पूछ बैठती, ‘‘रवि, तुम सच में अपनी आदत नहीं छोड़ सकते?’’

रवि उस के हाथ थाम फिर वही बात दोहरा देता जो पिछले 6 सालों से कहता आ रहा था, ‘‘बस 2-4 दिन दे दो मु झे. सच कहता हूं इस बार पक्का. तुम्हें शिकायत का मौका नहीं दूंगा.’’

प्रेरणा कसक भरी मुसकान के साथ सिर हिला देती, ‘‘ओके, प्लीज, इस बार जरूर.’’

रवि प्यार से प्रेरणा के माथे को चूम लेता, कभी गालों पर थपकी दे कर कहता, ‘‘इस बार पक्का प्रौमिस.’’

बात फिर खत्म हो जाती.

एक शाम अचानक प्रेरणा का बहुत दिल किया कि आज आइसक्रीम

खाने चलते हैं. वैसे भी 2-3 महीनों से कहीं निकली नहीं थी. रवि ने कहा, ‘‘मैं घर ही ले आता हूं.’’

प्रेरणा नहीं मानी. तीनों तैयार हो कर आइसक्रीमपार्लर चले गए. आइसक्रीम खाते हुए बहुत खुश थे तीनों. होनी कुछ और लिखी गई थी, जिस का समय नजदीक था. तीनों घर आए. अनंत तो आते ही सो गया. प्रेरणा के दिल में आज फिर एक सोई हुई ख्वाहिश जगी. उस ने रवि का हाथ पकड़ कर अपनी ओर प्यार से खींचते हुए कहा, ‘‘रवि, सुनो न एक बात… इधर आओ तो जरा.’’

मगर रवि ने पुरानी आदत के अनुसार हाथ छुड़ाते हुए कहा, ‘‘रुको प्रेरणा. बस 5 मिनट, मैं अभी आया,’’ और फिर बालकनी में चला गया और सिगरेट पीने लगा.

अचानक प्रेरणा की तेज चीख सुन कर रवि दौड़ा. प्रेरणा बाथरूम में लहूलुहान पड़ी थी. अब बस उस की आंखें कुछ कह रह थीं पर उस के मुंह से कोई आवाज नहीं निकल रही थी. रवि के प्राण ही सूख चले. उस ने बिना देर किए ऐंबुलैंस बुलाई और प्रेरणा को कुछ ही पलों में हौस्पिटल पहुंचाया गया. तत्काल इलाज शुरू हुआ. रवि अब तक अपने मातापिता और प्रेरणा के घर वालों को भी खबर कर चुका था. सभी आ गए. सभी प्रेरणा के लिए चिंतित और दुखी थे.

उधर अनंत घर में अकेला था. सिर्फ नौकरों के भरोसे छोटा बच्चा नहीं रह सकता, इसलिए रवि की मां को घर जाना पड़ा. इधर डाक्टर प्रेरणा की कंडीशन को अब भी खतरे में बता रहे थे. बच्चा पेट में खत्म हो गया था. औपरेशन कर दिया था. अब प्रेरणा को बचाने की कोशिश में जुटे थे. थोड़ी देर में अनंत को ले कर मां पुन: हौस्पिटल आईं. मां ने रवि के हाथ में एक पेपर देते हुए कहा, ‘‘यह तकिए के नीचे रखा था शायद… अनंत के हाथ में खेलते हुए आ गया. कोई जरूरी चीज हो शायद यह सोच मैं लेती आई.’’

मां पढ़ना नहीं जानती थीं सो रवि पढ़ने लगा.

उस ने पहचान लिया. प्रेरणा की लिखावट थी और जगहजगह स्याही ऐसे बिखरी हुए थी कि लग रहा था उस ने रोतेरोते ही ये सब लिखा है. अरे यह तो अभी शाम को लिखा है उस ने… क्योंकि प्रेरणा की आदत सभी जानते हैं. वह कुछ भी लिखती है तो उस पर अपने साइन कर के नीचे तारीख और समय भी लिखती है. मतलब कि जब रवि थोड़ी देर के लिए सिगरेट पीने बालकनी में गया था तभी प्रेरणा ने यह लिखा था.

कागज में लिखा था, ‘पता है रवि जब प्यार में हम दोनों सराबोर हुए थे पहली बार… जब हम पहली बार अपनेअपने दिल की बात एकदूसरे से कहने को मिले थे, जो शायद हमारे प्यार की पहली ही शाम थी, उस दिन हम ने समंदर किनारे बने उस कौफीहोम में समंदर की लहरों को साक्षी मान कर एकदूसरे से पूछा था कि हम एकदूसरे को ऐसा क्या दे सकते हैं जो सच में बहुत नायाब हो. मैं ने कहा पहले आप कहो रवि. याद है रवि आप ने क्या कहा था? आप को तो शायद याद ही नहीं है, लेकिन मैं एक पल को भी नहीं भूली. आप ही ने कहा था रवि कि मैं तुम्हारी आंखों से अपनी आंखों को जोड़ना चाहता हूं. बोलो दोगी मु झे यह तोहफा? मैं ने आप की आंखों में प्यार की सचाई देखी थी. उस एक पल में मैं ने आप के साथ अपना पूरा जीवन देख लिया था. ऐसे तोहफे आप मांगेंगे यह कल्पना तो नहीं की थी, लेकिन आप की इस ख्वाहिश ने ही मु झे भी यह ख्वाहिश दे दी कि मैं आप की यह इच्छा जरूर पूरी कर दूं. दिल में तो आया था कि अभी ही पूरी कर दूं. पर मैं शादी के बाद आप की यह इच्छा जरूर पूरी करूंगी, मैं ने सोच लिया था. लेकिन साथ ही यह भी था कि मु झे आप का सिगरेट पीना बरदाश्त न था मैं ने अपने घरपरिवार में कभी ये सब देखासुना नहीं था.

‘मु झे इस के धुएं से, इस की अजीब सी स्मैल से हद से ज्यादा नफरत थी. मेरा दम घुटने को हो आता है इस से. फिर भी मैं ने नजरें नीची कर के कहा कि सही वक्त आने पर आप को यह तोहफा जरूर दूंगी. आप की आंखें खुशी से चमक उठी थीं. मु झे बहुत अच्छा लगा था रवि. फिर आप ने मु झ से पूछा कि तुम्हें मु झ से क्या चाहिए? याद है रवि, मैं ने एक ही चीज मांगी थी. रवि आप सिगरेट पीना छोड़ दो. इस के अलावा मु झे सारी जिंदगी कुछ और नहीं चाहिए. आप ने कहा बस 1 सप्ताह बाद तुम मु झे सिगरेट पीते नहीं देखोगी. मैं कितनी खुश हुई थी, आप इस का अंदाजा नहीं लगा सकते. लेकिन आप ने पलट कर यह नहीं पूछा कि मु झे यही तोहफा नायाब क्यों लगा? मैं ने बताया भी नहीं. जानते हो रवि क्यों नहीं मांगा था मैं ने ताकि मैं आप की ख्वाहिश पूरी कर सकूं. हां रवि, आप की सांसों से अपनी सांसों को जोड़ने की ख्वाहिश मेरे मन में भी जग चुकी थी. पर आप की सिगरेट पीने की आदत ने मु झे यह कभी करने न दिया.

‘मु झे आप से बहुत प्यार मिला है रवि बहुत सम्मान मिला है. सच है कि आप को जीवनसाथी पा कर मैं इस जहान में खुद को सब से ज्यादा खुशहाल पाती हूं. हमारी एकदूसरे से नजदीकियां तो शरीर और मन की तरह हैं रवि. पर बेहद अजीब है न कि इतने करीब हो कर भी वह पल नहीं आ पाया कि मेरा वादा और मेरी एक छोटी सी ख्वाहिश पूरी हो सके.

‘शादी के बाद इन 6 सालों में आप ने मेरे लिए बहुत कुछ किया पर अफसोस मेरी एक छोटी सी यह ख्वाहिश आज भी अधूरी है. कितनी बार मैं ने चाहा, मगर हर बार जब भी आप की सांसों का हमकदम बनना चाहा हर बार वही सिगरेट की अजीब सी गंध ने मु झे मुंह फेर लेने को मजबूर किया. लेकिन आप ने कभी यह सम झने की कोशिश नहीं की. क्या कोई यकीन कर सकता है रवि कि पतिपत्नी हो कर, 1 बच्चे के मातापिता हो कर भी हम एकदूसरे के होंठों के स्पर्श को नहीं जानते. लोग हंसेंगे कि यह क्या बकवास है. भला 6 साल के दांपत्य जीवन में ऐसा पल न आया हो. मैं कैसे कहूं कि यह हमारे अटूट बंधन, गहरे प्रेम के बीच एक दाग की तरह है, मगर सच है आप नहीं सम झोगे रवि. लेकिन मैं अब सम झ गई हूं कि आप मु झे भी शायद छोड़ सकते हो, लेकिन सिगरेट को नहीं, कभी नहीं. मैं फिर आज इसलिए लिख रही हूं रवि क्योंकि आज हद से ज्यादा दिल मचल गया था और लगा था कि आप ने आज तो बहुत देर से सिगरेट नहीं पी है. शायद आज एक बार ही सही मेरी ख्वाहिश पूरी हो जाएगी. लेकिन आज भी आप हाथ छुड़ा कर सिगरेट उठा कर चल दिए.

‘मैं रोना चाहती हूं चीखचीख कर पर नहीं रो सकती, शायद हमारे अगाध प्रेम में यह शोभनीय नहीं होगा. मैं बांटना चाहती हूं अपना यह दर्द, मगर क्या यह किसी से कहना उचित लगेगा? बेहद अपमानित महसूस करने लगी हूं आप की सिगरेट के सामने अपनेआप को. कोई तरीका नहीं है मेरे पास अपनी इस अधूरी ख्वाहिश का दर्द बांटने के लिए सिवा इस के कि पन्ने पर उतार कर दिल हलका कर लूं, जबकि जानती हूं पहले की ही तरह कुछ देर बाद इसे भी फाड़ कर फेंक दूंगी पर कोई बात नहीं दिल तो हलका हो जाता है. आई लव यू रवि, लव यू औलवेज.’

पढ़तेपढ़ते रवि आंसुओं में डूब गया. उसे आज एहसास हुआ कि

उस की सिगरेट की लत के कारण क्या से क्या हो गया.

रवि के सिगरेट ले कर चले जाने के कारण प्रेरणा को आज बहुत ज्यादा बुरा लगा. उस की आंखों से आंसू छलक आए. उस ने पेपर और पैन उठाया और

अपने मन की सारी बात उस कागज पर लिख कर अपने मने को हलका कर लिया. जब तक रवि सिगरेट खत्म कर के कमरे में वापस आने वाला था. प्रेरणा का चेहरा आंसुओं से भीग गया था. वह उठ कर हाथमुंह धोने चली गई. जब वह वाशरूम से वापस आने लगी तो अचानक उस का पैर फिसल गया. यह उस की संतप्त मन की मंशा थी या प्रैगनैंसी के कारण उसे चक्कर आया होगा या फिर उस की जीवन की इतनी ही अवधि तय थी यह तो कुदरत को ही पता था या फिर खुद प्रेरणा को.

रवि पागलों की तरह डाक्टर से कह रहा था, ‘‘मेरी प्रेरणा को बचा लो. मेरा सबकुछ ले लो… मेरी जान भी उसे दे दो, मगर बचा लो उसे.’’

मगर यह नहीं हो सका. 8 घंटे के अथक प्रयास के बाद डाक्टरों ने आकर कहा, ‘‘हम ने बहुत कोशिश की, लेकिन हम हार गए. प्रेरणा के पास अब ज्यादा समय नहीं. उस से मिल लें आप लोग.’’

रवि बदहवास प्रेरणा के पास पहुंचा. प्रेरणा की आंखें शून्यता से भरी थीं. रवि ने उस का हाथ थामा और पागलों की तरह कहने लगा, ‘‘प्रेरणा मु झे छोड़ कर मत जाओ… मत जाओ प्रेरणा… मैं तुम्हारी हर बात मान लूंगा आज से, अभी से. अब नहीं टालूंगा 1 सैकंड भी नहीं. बस मत जाओ… मत जाओ मु झे छोड़ कर.’’

प्रेरणा की आंखें रवि के चेहरे पर टिक गईं. वह बड़ी मुश्किल से जरा सा मुसकराई और फिर अपने होंठों पर एक मासूम सी ख्वाहिश सजा हमेशा के लिए खामोश हो गई.

विध्वंस के अवशेष से: क्या हुआ था ईला के साथ

‘‘घरके बाहर का दरवाजा खुला हुआ है पर किसी को इस का ध्यान नहीं, सभी मां के कमरे में बैठ कर गप्पें मार रहे होंगे. आजकल कालोनी में दिनदहाड़े ही कितनी चोरियां हो रही हैं… इन्हें पता हो तब न,’’ औफिस से लौटी ईला बड़बड़ाते हुए अपनी मां के कमरे के दरवाजे को खोलने ही जा रही थी कि अंदर से आती हुई आवाजों ने उस के पैरों को वहीं रोक दिया.

उस का छोटा भाई शिबु गुस्से से मां से कह रहा था ‘‘देखो मां, आगे से मैं यहां आने वाला नहीं हूं, क्योंकि कालोनी में दीदी के बारे में फैली बातों को सुन कर मैं शर्म से गड़ा जा रहा हूं… किसी भी दोस्त से आंख उठा कर बात नहीं कर सकता.

‘‘क्या जरूरत है दीदी को सुरेश साहब के साथ टूर पर जाने की? अपनी नहीं तो हमारी मर्यादा का तो कुछ खयाल हो.’’

मां कुछ देर तक चुपचाप शिबु को निहारती रहीं, फिर अपनी भीगी आंखों को अपने आंचलसे पोंछते हुए बोलीं, ‘‘करूं भी तो क्या करूं? घर की सारी जिम्मेदारियां उठा कर उस ने मेरे मुंह पर ताला ही लगा दिया है… जब भी कुछ कहो तो ज्वालामुखी बन जाती है. मेरा तो इस घर में दम घुट रहा है. आत्महत्या कर लेने की धमकी देती है. इस बार मैं तुम्हारे साथ ही यहां से चल दूंगी. रहे अकेली इस घर में. माना कि बाप की सारी जिम्मेदारियों को उठा लिया तो क्या सिर चढ़ कर इस तरह नाचेगी कि सभी के मुंह पर कालिख पुत जाए? यही सब गुल खिलाने के लिए पैदा हुई थी?

‘‘कितने रिश्ते आए, लेकिन उसे कोई पसंद नहीं आया… अब इतनी उम्र में किसी कुंआरे लड़के का रिश्ता आने से रहा… उस पर बदनामियों का पिटारा साथ है.’’

मां और भाई के वार्त्तालाप से ईला को क्षणभर के लिए ऐसा लगा कि किसी ने उस के कानों में जैसे पिघला सीसा डाल दिया हो. ईला बड़ी मुश्किल से अपनी रुलाई रोकने की कोशिश कर रही थी कि तभी छोटी बहन नीला बोलना शुरू हो गई, ‘‘दीदी और सुरेश के संबंधों की कहानी मेरी ससुराल की देहरी पर भी पहुंच गई है. सास ताना देती है कि कैसी बेशर्म है… देवर सुनील हमेशा मेरी खिंचाई करते कहता रहता है कि अरे भाभी उस फैक्टरी में आप की दीदी की बड़ी चलती है. उस से कहा कि सुरेश साहब से कह कर मेरी नौकरी लगवा दे. अनिल भी चुटकियां लेने से बाज नहीं आता. सच में उन की बातें सुन शर्म से गड़ जाती हूं.’’

‘‘समधियाना में भी कोई इज्जत नहीं रह गई है किसी की… ऐसी बातें तो हजारों पंख लगा कर उड़ती हैं. मजाल है कि कोई उसे कुछ समझ सके,’’ नहले पर दहला जड़ते हुए मां की बातों ने तो जैसे ईला को दहका कर ही रख दिया.

‘‘क्यों हमें बहुत सीख देती थी… ऐसे रहो, ऐसा करो, यह पहनो, वह नहीं पहनो… लड़कों से ज्यादा बात नहीं करते… खुद पर इन बातों को क्यों लागू नहीं करतीं?’’

नीला के शब्द ईला के कलेजे के आरपार हो रहे थे.

‘कृतघ्नों की दुनिया संवारने में सच में मैं ने अपने जीवन के सुनहरे पलों को गंवा दिया,’ सोच ईला रो पड़ी. फिर सभी के प्रत्यारोपों के उत्तर देने के लिए कमरे में जाने लगी ही थी कि सब से छोटी बहन मिली की बातों ने उस के बढ़ते कदम रोक दिए.

‘‘मेरी ससुराल वाले भी इन बातों से अनजान नहीं हैं… प्रत्यक्ष में तो कुछ नहीं कहते, लेकिन पीठ पीछे छिछले जुमले उछाल ही देते हैं.

‘‘अमित कह रहे थे कि अब तुम सभी को मिल कर अपनी दीदी का घर बसा देना चाहिए… तुम लोगों के लिए उन्होंने जो किया उस के समक्ष इन सब बेकार बातों का कोई अर्थ नहीं है… शिबु को बोलो कि बहन की शादी करे और मां को अपने पास ले जाए. अब हम सभी को मिल कर जल्द से जल्द कुछ कर लेना चाहिए अन्यथा यह समय भी रेत की तरह हाथों से फिसल जाएगा.’’

‘‘तो कहो न अमित से कि वही कोई अच्छा रिश्ता ढूंढ़ दे… बड़ा लैक्चर देता है,’’ शिबु और नीला की गरजना से पूरा कमरा गूंज उठा.

‘चलो कोई तो ऐसा है जो उस के त्याग, उस की तपस्या को समझ सका,’ सोच ईला दरवाजा खोल अंदर चली गई.

अचानक ईला को सामने देख कर सब अचंभित हो गए… सब की बोलती बंद हो गई.

अपनेआप पर किसी तरह काबू पाते हुए मां ने कहा, ‘‘अरे ईला

तुम अंदर कैसे आई? बाहर का दरवाजा किस ने खोला? क्यों रे नीला बाहर का दरवाजा खुला ही छोड़ दिया था क्या?’’

‘‘शायद नियति को मुझ पर तरस आ गया हो… उसी ने दरवाजा खोल कर मेरे सभी अपनों के चेहरों पर पड़े नकाब को नोच कर मुझे उन की वास्तविकता को दिखा दिया… इतना जहर भरा है मेरे अपनों में मेरे लिए… तुम सभी को मेरे कारण शर्मिंदगी उठानी पड़ रही है… अच्छा ही हुआ जो आज सबकुछ अपने कानों से सुन लिया,’’ अपनी रुलाई पर काबू पाते हुए उस ने कहा, ‘‘तो क्यों न मैं पहले अपनी मां के आरोपों के उत्तर दूं… तो हां मां आप ने उस विगत को कैसी भुला दिया जब पापा की मृत्यु के बाद आप के सभी सगेसंबंधियों ने रिश्ता तोड़ लिया था? अनेकानेक जिम्मेदारियां आप के समक्ष खड़ी हुई थीं… आप ही हैं न मां वे जो अपने 4 बच्चों सहित मरने के लिए नदीनाले तलाश कर रही थीं… तब आप चारों की चीख ने न जाने मेरी कितनी रातों की नींद छीन ली थी.

‘‘तीनों छोटे भाईबहनों के भविष्य का प्रश्न मेरे समक्ष आ कर खड़ा हो गया तो मैं ने अपने सभी सपनों का गला घोट दिया… अपनी पढ़ाई को बीच में छोड़ कर पापा की जगह अनुकंपा बहाली को स्वीकार कर चल पड़ी अंगारों पर कर्तव्यपूर्ति के लिए… आईएएस बनने का मेरा सपना टूट गया… सारी जिम्मेदारियों को निभाने में मेरा जीवन बदरंग हो गया… मेरे कुंआरे सपनों के वसंत मुझे आवाज देते गुजर गए…

‘‘मेरे जीवन में भी कोई रंग बिखेरे… मेरा अपना घरपरिवार हो… आम लड़कियों की तरह मेरी आंखों में भी ढेर सारे सपने तैर रहे थे. मेरे वे इंद्रधनुषी सपने आप को दिखे नहीं? अपने पति की सारी जिम्मेदारियां मुझे सौंप कर आप चैन की नींद सोती रहीं. आप का बेटा शिबु, नीला और मिली आप की बेटियां सभी अपने जीवन में बस कर सुरक्षित हो गए तो आप को मुझ में बुराइयां ही नजर आ रही हैं… क्या मैं आप की बेटी नहीं हूं? कैसी मां हैं आप जिस ने अपने 3 बच्चों का जीवन सुंदर बनाने के लिए अपनी बड़ी बेटी को जीतेजी शूली पर चढ़ा दिया?’’

मां के पथराए चेहरे को देख कर ईला कुछ क्षणों के लिए चुप तो हो गई, लेकिन क्रोध के मारे कांपती रही. फिर भाई को आग्नेय दृष्टि से निहारते हुए बोली, ‘‘हां तो शिबु आज तुम्हें शर्मिंदगी महसूस हो रही है… उस समय शर्म नाम की यह चीज कहां थी जब मैडिकल का ऐंट्रैंस ऐग्जाम एक बार नहीं 3 बार क्लियर नहीं कर पाए थे. डोनेशन दे कर नाम लिखाने के लिएक्व50 लाख कहां से आए थे? इस के लिए मुझे कितनी बड़ी कीमत चुकानी पड़ी थी… तुम्हें डाक्टर बनाने के लिए मुझे अपने कुंआरे सपनों को बेचना पड़ा था. तब तुम सब इतने नादान भी नहीं थे कि समझ नहीं सको कि मैं ने अपने कौमार्य का सौदा कर के इतने रुपयों का इंतजाम किया था… तो आज मैं तुम लोगों के लिए इतनी पतित कैसे हो गई?’’

सिर झकाए शिबु के मुंह में जबान ही कहां थी कि वह ईला के प्रश्नों के उत्तर दे सके. फिर भी किसी तरह हकलाते हुए बोला, ‘‘तुम गलत समझ रही हो दीदी… मेरे कहने का मतलब यह नहीं था.’’

जवाब में ईला किसी घायल शेरनी की तरह दहाड़ उठी, ‘‘चुप हो जाओ… तुम सब ने अपनी आंखों को लज्जाहीन कर लिया है… मैं ने सारे आक्षेप सुन लिए हैं… और तुम नीला भूल गई उस दिन को जब कालोनी के सब से बदनाम व्यक्ति रमेश के साथ तुम भाग रही थी तो सुरेश साहब के ड्राइवर ने तुम्हें उस के साथ जाते देख लिया था और तत्काल उन्हें खबर कर दी थी. साहब ने ही तुम्हें बचाया था… सुरेश साहब ने मुझे बताने के साथसाथ आधी रात को पुलिस स्टेशन जाने के लिए अपनी गाड़ी तक भेज दी थी…

‘‘जीवन में तुम्हें व्यवस्थित करने के लिए मुझे न जाने कितनी जहमत उठानी पड़ी थी… तुम्हारी शादी का दहेज जुटाने के लिए, तुम्हारे होने वाले पति की डिमांड को पूरा करने के लिए अपनी कौन सी धरोहर को गिरवी रखना पड़ा था मुझे… तुम लोगों ने कभी पूछा था कि एकसाथ इतने रुपयों का इंतजाम मैं ने कैसे

किया? आज ससुराल में तुम्हें मेरे कारण लज्जित और अपमानित होना पड़ रहा है… भेज देना अपने देवर को कुछ न कुछ उस के लिए भी कर ही दूंगी.’’

ईला ने उस की बातें सुन ली थीं. इस पर नीला को बड़ा क्षोभ हुआ… 1-1 कर के स्मृतियों के सारे पन्ने खुल गए. असहनीय वेदना की ऊंची लहरों को उछालते हुए विगत का समंदर उस के समक्ष लहरा उठा तो वह अपनी दीनहीन प्रौढ़ बहन के लिए तड़प उठी और फिर रोते हुए बोली, ‘‘भाग जाने देतीं मुझे उस बदनाम रमेश के साथ… कोई जरूरत नहीं थी मेरी शादी के लिए तुम्हें इतनी बड़ी कीमत चुकाने की… पढ़ालिखा कर मुझे सब तरह से योग्य बनाया. दोनों बहनें मिल कर घर की जिम्मेदारियां बांट लेतीं. हम सभी को अमृत पिला कर खुद विषपान करती रहीं… दीदी, तुम्हारे स्वार्थरहित प्यार को यह कैसा प्रतिदान मिला हम सभी से? क्यों मिटती रहीं हम सब के लिए? जलती रहीं तिलतिल कर. लेकिन हम सब पर कोई आंच नहीं आने दी,’’ और फिर नीला जोरजोर से रो पड़ी.

इतनी देर से चुप मां ने कहा, ‘‘कैसे निर्दयी बन गए थे हम. बेटी के त्याग को मान देने के बदले इतनी ओछी मानसिकता पर उतर आए हैं हम…

जा मिली अपनी दीदी के लिए चाय बना ला.’’

सकुचाते, लजाते मिली को उठते देख ईला ने

कहा, ‘‘मिली चायवाय बनाने की कोई जरूरत नहीं है… तुम्हें अपनी सहेलियों से आंखें मिलाने में शर्म आ रही है तो तुम लौट जाओ अपनी ससुराल… उन दिनों को भूल गई जब 1-1 जरूरत की पूर्ति के लिए मुझे निहारा करती थी. अरे, तुम से अच्छा और समझदार तुम्हारा पति है जिस से मेरा खून का कोई रिश्ता नहीं है, फिर भी मेरे लिए कुछ सोचता तो है. यही मेरे अपने हैं जिन की इच्छाओं को पूरा करने के लिए कुरबान होती रही… तमाम जिंदगी भागती रही,’’ कह ईला अपने कमरे में घुस गई और दरवाजा बंद कर लिया.

बिस्तर पर लेटते ही आंखों के समक्ष विस्मृत अतीत की स्मृतियों के पृष्ठ खुलने लगे. इन्हीं अपनों की खुशी के लिए क्या नहीं किया उस ने… माना कि सुरेश साहब की मुझ पर बेशुमार मेहरबानियां रही हैं, पर क्या उन्होंने भी उस की भरपूर कीमत उस की देह से नहीं वसूली है? उस के हिस्से की सारी धूप ही को परिवार ने ताप लिया है. फिर भी उसे उस का कभी कोई गम नहीं हुआ था. सपनों को ही चुरा लिया…

परिवार की खुशियों में सबकुछ भूल कर जीती रही… सारी जिल्लतों को सहती रही. मगर यह कोई नई बात थोड़े थी. पारिवारिक बोझ को झेलने के लिए, दायित्वों को निभाने के लिए जब भी बड़ी बेटियां सामने आती हैं तो उन्हें इन बेशुमार मेहरबानियों के लिए, कर्तव्यों के लिए अपने कौमार्य की कीमत देनी ही पड़ती है… जालिम मर्द समाज ऐसे ही किसी असहाय लड़की की मदद तो करने से रहा.

कितने रंगीन सपने भरे थे उस की आंखों में, पर सभी के सपनों को साकार करने में उस ने अपने सारे इंद्रधनुषी सपनों को खो दिया. मगर सिवा रुसवाई के कुछ भी तो नहीं मिला उसे.

अतीत के उमड़ते घने काले बादलों के बीच चमकती बिजली में ईला के समक्ष अचानक शिखर का चेहरा उभर गया जो उसे दीवानगी की हद तक प्यार करता था.

कितना प्यार था, कितना मान… सबकुछ भूल कर उस की बांहों में सिमटना चाहा था उस ने. कितना सम्मान था शिखर की आंखों में उस के लिए… पारिवारिक जिम्मेदारियों के दावानल ने उस की चाहतों को जला कर रख दिया, उसे यों मिटते वह देख नहीं सका.

शिखर के प्रति छलकते अथाह सागर को ही उदरस्त कर लिया. मायूस हो

कर उस ने सिर्फ उसे ही नहीं, बल्कि दुनिया को ही हमेशा के लिए छोड़ दिया. शिखर को याद कर वह देर तक रोती रही.

मुझे यों तड़पता छोड़ कर तुम क्यों चले गए शिखर? तुम्हें क्या पता कि अपने दिल की गहराइयों से तुम्हारे प्यार को… तुम्हारी यादों को निकालने के लिए मुझे अपने मन को कितना मथना पड़ा था? रातों की तनहाइयों में मैं तुम्हें टूट कर पुकारती रही, लेकिन तुम 7 समंदर का फासला तय नहीं कर पाए? तुम्हारा भी क्या दोष. तुम ने तो मेरे साथ मिल कर मेरे कंधों पर पड़ी जिम्मेदारियों को भी बांट लेना चाहा था… मैं ही विचारों के कठोर कवच में कैद हो कर रह गई थी.

आवेश में आ कर ईला कुछ उलटासीधा कदम न उठा ले, सोच कर सभी घबराए से उस के कमरे के सामने खड़े हो कर पश्चात्ताप की अग्नि में झलसते हुए आवाजें दे रहे थे…

ईला से दरवाजा खोलने की विनती कर रहे थे पर उस ने दरवाजा नहीं खोला. सब की निर्मम सोच ने उसे पत्थर सा बना दिया था.

घबरा कर ईला का भाई उस के साथ कार्यरत जावेद के घर की ओर दौड़ पड़ा. बिना देर किए वह दौड़ा चला आया और ईला से दरवाजा खोलने की गुहार करने लगा. फिर ‘कहीं ईला ने ऐसावैसा तो नहीं कर लिया,’ सोच वह दरवाजा तोड़ने के लिए व्याकुल हो उठा.

वर्षों दौड़तीभागती ईला को आज बड़ी थकान महसूस हो रही थी. नींद से बो?िल पलकें मुंदने ही वाली थीं कि कहीं दूर से आती पहचानी सी आवाज ने उसे झकझेर कर उठा दिया. किसी दीवानी की तरह दौड़ कर उस ने दरवाजा खोल दिया. बाहर जिसे प्रतीक्षा करते पाया उस पर यकीन नहीं कर सकी. अपलक कुछ पलों तक उसे निहारती रही. फिर थरथराते कदमों से आगे बढ़ी तो जावेद ने उसे अपनी बांहों में थाम लिया.

वह उस की आंखों में असीम प्यार के लहराते सागर में डूब गई. विध्वंस के अवशेष से ही जीवन की नई इबारत लिखने को वह तत्पर हो उठी. सारे गिलेशिकवे जाते रहे. फिर महीने के भीतर ही ईला ने जावेद से कोर्ट मैरिज कर ली, जिस की पत्नी अपने दूसरे बच्चे के प्रसव के दौरान चल बसी थी. उस की मां फातिमा बेगम की बूढ़ी, कमजोर बांहें घर और जावेद के

2 बच्चों की जिम्मेदारियों को उठाने में असमर्थ सिद्ध हो रही थीं. कालेज के दिनों से ही जावेद की पलकों पर ईला छाई हुई थी.

जाहिदा से शादी कर लेने के उपरांत भी जावेद ईला को अपने मन से नहीं निकाल सका था. जाहिदा के गुजर जाने के बाद ईला के प्रति उस की चाहत नए सिरे से उभर आई थी. ईला ने भी उस की आंखों में अपने प्रति प्यार की लौ पहचान ली थी. जबतब उस के कदम जावेद के क्वार्टर की ओर उठ जाते थे. वहां जा कर वह उस के बच्चों से खेल कर अपने अतृप्त मातृत्व का सुखद आनंद लिया करती थी. जावेद के साथ फातिमा बेगम भी उस के आने की राह में आंखें बिछाए रहती थीं. कितनी बार ईला ने उन से जावेद की दूसरी शादी के लिए कहा, पर वे बच्चों के लिए सौतेली मां की कल्पना करते ही सिहर जाती थीं.

ईला भी बच्चों से जुड़ तो गई थी परधर्म की ऊंची दीवार को फांदने की हिम्मतनहीं जुटा पाती थी. लेकिन अब उस ने धर्म

की कंटीली बाड़ को पार कर ही लिया. कौन क्या कहेगा, पारिवारिक और सामाजिक प्रतिक्रियाएं क्या होंगी, उस ने रत्तीभर भी परवाह नहीं की. जावेद की सबल बांहों में अपने थके, बुझे शरीर को सौंप दिया. इधर जावेद ने भी वर्षों से छिपी चाहत को हजारों हाथों से थाम लिया. फातिमा बेगम ने सलमासितारों से जड़ी अपनी शादी की ?िलमिलाती चुन्नी ईला को ओढ़ा कर अपने कलेजे से लगा लिया. फिर तो जैसे खुशियों का आकाश धरती पर उतर आया.

औफिस की ओर से ईला और जावेद के उठाए गए इस कदम की आलोचना कम सराहना ज्यादा हुई. फिर एक पार्टी का आयोजन किया गया, जिसे आयोजित करने में सुरेश साहब ने भी बढ़चढ़ कर भाग लिया. सितारों से जड़े सुर्ख जोड़े एवं बड़ी नथ व जड़ाऊ झमर में सजी ईला और सिल्क के कुरते और धोती में सजे जावेद ने विध्वंस के अवशेष से नए जीवन की शुरुआत कर ली जहां नई रोशनी, नई खुशियां उन का स्वागत कर रही थीं.

‘‘जाहिदा से शादी हो जाने के बाद भी जावेद ईला को अपने मन से निकाल नहीं सका था. ईला ने भी उस की आंखों में अपने लिए प्यार महसूस कर लिया था…’’

मेरा मंगेत्तर किसी और से प्यार करता है, मैं क्या करूंं?

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…

सवाल

मैं 25 साल की युवती हूं. सगाई हो चुकी है. सगाई के बाद हुई दूसरी मुलाकात में लड़के ने मुझे बता कर चौंका दिया कि वह किसी लड़की से प्यार करता है और हमेशा करता रहेगा. शादी वह दबाव में आ कर रहा है, क्योंकि घर वाले उस की प्रेमिका से जो तलाकशुदा है, शादी नहीं करने देंगे. उस का कहना है कि शादी से पहले ही अपने प्रेम संबंध के बारे में इसलिए बता रहा है ताकि शादी के बाद मैं उस से शिकायत न करुं कि उस ने मुझे धोखा दिया है. मैं समझ नहीं पा रही कि क्या करूं? हमारी सगाई काफी धूमधाम से हुई थी. तमाम सगेसंबंधी शामिल हुए थे. दोनों परिवार बहुत खुश थे. अब यदि वह सगाई तोड़ते हैं तो बहुत बदनामी होगी.

जवाब

प्यार करना था तक तो बात ठीक थी पर करता रहेगा गलत. आप को अपने घर वालों को यह बात बता देनी चाहिए. लोग क्या कहेंगे इस बात की चिंता छोड़ दें. लोगों के डर से आप जबरदस्ती के रिश्ते को नहीं ढोना चाहेंगी.

ये भी पढ़ें…

आज के समय में जब महिलाएं विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रही हैं और अपनी प्रोफैशनल जिम्मेदारियों को बखूबी निभा रही हैं, तो घर के कामों में भी साझेदारी की उम्मीद होना स्वाभाविक है.

एक संतुलित और स्वस्थ रिश्ते के लिए यह जरूरी है कि पतिपत्नी दोनों मिल कर घर की जिम्मेदारियों को बांटें. खासकर वर्किंग महिलाओं के लिए किचन का काम अकेले संभालना थकानभरा हो सकता है. ऐसे में, पति को किचन में मदद के लिए तैयार करना एक सकारात्मक कदम हो सकता है.

यहां कुछ सुझाव दिए गए हैं, जो आप के पति को किचन के काम में हाथ बंटाने के लिए प्रेरित कर सकते हैं :

खुले और ईमानदार संवाद से शुरुआत करें

सब से पहले अपने पति से इस मुद्दे पर खुल कर बात करें. अपने विचारों और भावनाओं को स्पष्ट रूप से व्यक्त करें कि किचन का काम सिर्फ एक व्यक्ति की जिम्मेदारी नहीं होनी चाहिए, बल्कि यह साझेदारी का काम है. उन्हें बताएं कि एक वर्किंग महिला के रूप में आप के पास समय और ऊर्जा की सीमाएं होती हैं, और उन की मदद से काम जल्दी और आसानी से निबट सकता है. यह बातचीत शिकायत या नाराजगी के बजाय एक समझदारी और सहयोग पर आधारित होनी चाहिए.

साझा जिम्मेदारी का महत्त्व बताएं

घर के काम केवल महिला की जिम्मेदारी नहीं होते. यह महत्त्वपूर्ण है कि आप का पति यह समझे कि घर और किचन का काम दोनों की जिम्मेदारी है. यह साझेदारी न केवल आप के काम को हलका करेगी, बल्कि आप दोनों को एक टीम की तरह काम करने में भी मदद मिलेगी. इस से आप दोनों को एकदूसरे के साथ अधिक समय बिताने का मौका मिलेगा, जो रिश्ते को भी मजबूत बनाएगा.

काम को बांटने की योजना बनाएं

अपने पति के साथ मिल कर किचन के कामों को बांटने का एक व्यवस्थित तरीका बनाएं. उदाहरण के लिए, आप दोनों इस बात पर सहमत हो सकते हैं कि एक दिन आप खाना बनाएंगी और दूसरे दिन आप का पति सब्जियां काटेगा या सफाई करेगा.

काम बांटने से किचन का बोझ एक व्यक्ति पर नहीं पड़ेगा और दोनों अपनीअपनी जिम्मेदारियों को संतुलित कर सकेंगे.

मदद को एक सहज और प्राकृतिक प्रक्रिया बनाएं

कभीकभी पति किचन में काम करने से घबराते हैं क्योंकि वे इसे मुश्किल या समय लेने वाला मानते हैं. इसलिए, शुरुआत में छोटे और सरल कामों से शुरू करें, जैसे बर्तन निकालना, सब्जियां धोना या टेबल लगाना. जब वे इन कामों में सहज हो जाएंगे, तो धीरेधीरे बड़े कामों में भी मदद करने के लिए तैयार हो सकते हैं.

प्रशंसा और प्रोत्साहन दें

जब भी आप का पति किचन में मदद करे, उन की सराहना जरूर करें. चाहे वे कितना ही छोटा काम क्यों न करें, उन की मदद की प्रशंसा करने से उन्हें और मदद करने की प्रेरणा मिलेगी.

उदाहरण के लिए, अगर उन्होंने कुछ अच्छा किया हो, तो उन्हें बताएं कि उनशकी मदद ने आप का काम कितना आसान कर दिया. सकारात्मक फीडबैक हमेशा प्रेरणा का काम करता है.

व्हाट्सऐप मैसेज या व्हाट्सऐप औडियो से अपनी समस्या इस नम्बर 8588843415 पर  भेजें. 

या हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- sampadak@delhipress.biz सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

इस फेस्टिव सीजन दिखें सबसे खूबसूरत, फौलो करें ये टिप्स

इस बात में कोई संदेह नहीं कि त्योहारों के मौसम में हर कोई खूबसूरत दिखना चाहता है. ऐसे में विटामिन सी से भरपूर शहतूत और कोकोआ आपकी त्वचा में निखार लाने में काफी मदद करते हैं. हम आपकी त्वचा में निखार लाने का उपाय बता रहे हैं, जो इस प्रकार हैं:

 

विटामिन-सी

एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होने के कारण विटामिन सी (एस्कॉर्बिक एसिड) त्वचा पर चमक व निखार लाने में काफी अहम भूमिका निभाता है. यह त्वचा की कोशिकाओं के पर भी सकारात्मक प्रभाव डालता है. एक अध्ययन के अनुसार, यह धूप व पराबैंगनी किरणों से होने वाले नुकसान को रोक कर त्वचा को ठीक करती है.

कोकोआ

जब त्वचा पर पराबैंगनी किरणों की रोशनी पड़ती है तो ऑक्सीजन के प्रतिक्रियाशील चरित्र के कारण अणु मुक्त होते हैं. सूर्य की रोशनी के कारण त्वचा की उम्र बढ़ना व झुर्रिया पड़ना लाजिमी है. एंटी ऑक्सीडेंट से समृद्ध कोकोआ कोशिकाओं की मरम्मत करता है और हानिकारक असर को खत्म करके त्वचा को पोषण देता है.

समुद्री शैवाल

सूजन को कम कर मुंहासों को खत्म करने में यह मददगार है. इसमें मौजूद प्राकृतिक एक्सफॉलिएंट रोम छिद्रों को बंद कर सकने वाले मृत कोशिकाओं को भी हटा देता है. शरीर पर लगाने पर यह त्वचा से अधिक तरल और अपशिष्ट पदार्थ को निकालता है. त्वचा पर जमी गंदगी हटाने के लिए क्लींजर का काम भी करता है.

आरब्यूटिन

यह बेयरबेरी पौधे से प्राप्त एक अणु है, जो मेलानीन को बनने से रोकता है. चेहरे का रंग साफ कर काले धब्बों से भी छुटकारा दिलाता है.

शहतूत

पुरुषों और महिलाओं द्वारा अक्सर त्वचा के रूखेपन, मुंहासों और बढ़ती उम्र के असर को बेअसर करने के लिए शहतूत द्वारा इलाज किया जाता है. संवेदनशील त्वचा पर भी निखार लाने के लिए शहतूत का प्रयोग किया जा सकता है. त्वचा में नमी बनाए रखने के साथ ही दाग-धब्बों से भी छुटकारा दिलाता है. यह बालों का टूटना कम कर उनको बढ़ाने और चमक लाने में भी सहायक है.

अपने पार्टनर संग बनाएं वैजिटेबल पुलाव और रायता, ये रही इजी ट्रिक

कपल एकदूसरे की मदद से वैजिटेबल पुलाब और रायता डिश का चुनाव कर सकते हैं. इस डिश में आप सब्जी काटने में और रायता बनाने जैसे दही मथने, बूंदी एवं मसाले डालने, मिक्स करने के लिए हस्बैंड की मदद ले सकती हैं. बाकी डिश की तैयारी आप कर सकती हैं जैसे चावल बनाना, फ्राई करना आदि. डिश के तैयार होने के बाद उसे टेबल पर सजाने के लिए भी कह सकती हैं.

तो आए आज किचन में अपने पार्टनर संग बनाएं वैजिटेबल पुलाब और रायता यानी एक हैल्दी और टेस्टी डिश:

मुख्य सामग्री

1 कप चावल,

5 छोटे चम्मच रिफाइंड तेल

1/2 कप मटर के दाने,

1/2 कप आलू,

1/2 फूलगोभी,

10-15 बींस,

2-3 गाजर,

2 प्याज बड़े,

1 चम्मच जीरा,

3 बड़े चम्मच बिरयानी मसाला या चाहें तो खड़े मसाले जैसे लौंग, कालीमिर्च, इलाइची ,तेजपत्ता, जायफल आदि भी ले सकती हैं. इन्हें पहले थोड़ा सेंक लें. फिर पीस लें.

नमक स्वादानुसार.

सामग्री रायते की

500 ग्राम दही,

200 ग्राम बूंदी,

1 हरीमिर्च,

1/4 चम्मच लालमिर्च ,

1 चम्मच सिंका एवं पिसा जीरा,

1/4 चम्मच कालीमिर्च,

काला नमक,

सफेद नमक स्वादानुसार.

आप चाहें तो रायता मसाले का भी उपयोग कर सकती हैं.

विधि

चावलों को अच्छी तरह धो लें. 3 कप पानी में चावल डाल कर एक बरतन में पकने के लिए रख दें. जब चावल 80% तक पक जाएं तब पानी से निकाल कर एक छलनी में डाल दें और फैला लें.

एक कड़ाही में तेल गरम होने पर जीरा तड़काएं व प्याज डालें. जब प्याज गुलाबी हो जाए तो कटी सब्जी डालें और नमक डाल कर पकाएं. जब सब्जी पक जाए तो बिरयानी मसाला या घर का बना मसाला डालें और थोड़ी देर भूनें.

अब कड़ाही में पके चावल डाले और सब्जी के साथ अच्छी तरह मिक्स कर थोड़ी देर और पकाएं. वैजिटेबल पुलाव तैयार है

तैयार वैजिटेबल पुलाव को सर्विग बाउल में डाले और धनियापत्ती, कसे नारियल से सजाएं. आप चाहें तो सजाने के लिए अपने पार्टनर की मदद ले सकती हैं.

रायता विधि

आप चाहें तो रायता बनाने के लिए भी अपने पार्टनर की मदद ले सकती हैं.

एक बाउल में मथा दही ले कर उस में बूंदी और सारे मसाले डाल कर अच्छी तरह मिक्स कर लें. धनियापत्ती से सजाएं. रायता तैयार है.

इस तरह आप पार्टनर संग वैजिटेबल पुलाव और रायते का मजा ले रिश्ते में मिठास घोल सकती हैं. अपने पार्टनर संग बनाए खाने के फोटोज लेना न भूलें ताकि ये पल आप के लिए यादगार बन जाएं.

दांपत्य में मिठास बनाए रखने के लिए समयसमय पर एकदूसरे को स्पैशल फील कराते रहना जरूरी होता है. छोटीछोटी बातों से भी एकदूसरे के प्रति प्रेम जता कर आपसी रिश्ते में मिठास घोल रिश्ते में कड़वाहट को दूर रखा जा सकता है.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें