डायबिटीज से बचना है, तो ऐक्सपर्ट के इन टिप्स को करें फौलो

डायबिटीज यानी मधुमेह एक ऐसी स्थिति है जब आप के शरीर में रक्त शर्करा (ग्लूकोज) का स्तर बहुत अधिक हो जाता है. यह तब विकसित होता है जब आप का आगनाशय पर्याप्त इंसुलिन नहीं बनाता है या बिलकुल भी नहीं बनाता है या आप का शरीर इंसुलिन के प्रभावों पर ठीक से प्रतिक्रिया नहीं करता है. डायबिटीज किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकती है. अगर इस का सही तरीके से इलाज न कराया जाए तो यह शरीर के कई हिस्सों को प्रभावित कर सकती है और अन्य बीमारियों को जन्म दे सकती है. कुछ सरल उपायों से डायबिटीज की जटिलताओं से बचा जा सकता है.

आइए, जानते हैं मैरिंगो एशिया हौस्पिटल गुरुग्राम के डा. शिबल भट्टाचार्य से कि इस की जटिलताओं से कैसे बचा जा सकता है:

नियमित ब्लड शुगर की जांच करें

डायबिटीज के कौंप्लिकेशन से बचने के लिए सब से जरूरी है कि आप अपने ब्लड शुगर के स्तर को नियमित रूप से जांचते रहें. ब्लड शुगर की जांच से आप को पता चलेगा कि आप का शुगर लैवल सही है या नहीं. अगर यह नौर्मल  स्तर से ऊपर है तो आप को इसे कंट्रोल करने के लिए कदम उठाने की जरूरत होगी.

ब्लड शुगर की जांच के लिए घर पर ग्लूकोमीटर का इस्तेमाल किया जा सकता है. इस के अलावा समयसमय पर डाक्टर से सलाह लेना भी जरूरी है. डाक्टर आप को शुगर कंट्रोल करने के लिए जरूरी दवाइयां और डाइट प्लान दे सकते हैं.

सही डाइट फौलो करें

डायबिटीज के मरीजों को अपने खानेपीने का विशेष ध्यान रखना चाहिए. अनियंत्रित खानपान से शुगर लैवल बढ़ सकता है, जिस से कई प्रकार की समस्याएं हो सकती हैं. इसलिए डायबिटीज के मरीजों को संतुलित और हैल्दी डाइट का पालन करना चाहिए.

फाइबर युक्त भोजन करें: फाइबर युक्त भोजन जैसे साबूत अनाज, सब्जियां और फल खाने से शुगर लैवल नियंत्रित रहता है.

प्रोटीन का सेवन बढ़ाएं: दाल, अंडा, मछली और दही जैसे प्रोटीन युक्त आहार से शरीर को ऐनर्जी मिलती है और शुगर भी कंट्रोल में रहता है.

मीठे का सेवन कम करें: मीठे खाने का सेवन करने से शुगर लैवल तेजी से बढ़ सकता है. इसलिए मिठाई, शुगर युक्त पेय और पैकेज्ड फूड्स से बचें.

छोटेछोटे भाग में खाना खाएं: दिन में 5-6 बार छोटेछोटे मील्स लेने से ब्लड शुगर लैवल स्थिर रहता है.

नियमित व्यायाम करें

व्यायाम से शरीर में शुगर का स्तर कंट्रोल में  रहता है और वजन भी कंट्रोल में रहता है. डायबिटीज के मरीजों के लिए नियमित व्यायाम करना बहुत जरूरी है. व्यायाम से न केवल ब्लड शुगर नियंत्रित होती है, बल्कि यह हृदय, फेफड़ों और शरीर के अन्य अंगों को भी स्वस्थ रखता है.

ब्रिस्क वाक: हर रोज 30 मिनट तक तेज चलने की आदत डालें. इस से शरीर में इंसुलिन का उपयोग सही तरीके से होता है.

योग और ध्यान: योग और ध्यान से तनाव कम होता है, जिस से शुगर लैवल कंट्रोल में रहता है. डायबिटीज के मरीजों के लिए प्राणायाम और हलके योगासन भी लाभकारी होते हैं.

स्ट्रैंथ ट्रेनिंग: हलका वजन उठाने से मांसपेशियों की ताकत बढ़ती है और शरीर में शुगर की खपत होती है, जिस से ब्लड शुगर कंट्रोल रहती है.

तनाव से बचें

तनाव डायबिटीज के मरीजों के लिए एक बड़ा दुश्मन है. जब हम तनाव में होते हैं तो शरीर में कोर्टिसोल नामक हारमोन का स्तर बढ़ जाता है जो ब्लड शुगर को बढ़ा सकता है. इसलिए तनाव से बचना जरूरी है.

मैडिटेशन करें: मैडिटेशन करने से मानसिक शांति मिलती है और तनाव कम होता है.

अच्छी नींद लें: पर्याप्त और गहरी नींद से शरीर को आराम मिलता है, जिस से तनाव कम होता है.

पसंदीदा गतिविधियों में शामिल हों: जो चीजें आप को खुशी देती हैं जैसेकि पढ़ना, संगीत सुनना या चित्रकारी करना, उन्हें अपने रूटीन में शामिल करें.

दवाइयों का सही तरीके से सेवन करें

डायबिटीज को कंट्रोल करने के लिए अकसर दवाइयों की जरूरत होती है. आप को अपनी दवाइयों का सेवन समय पर और डाक्टर के निर्देशानुसार ही करना चाहिए. अगर आप दवाइयों का सही तरीके से सेवन नहीं करते हैं

तो इस से ब्लड शुगर का स्तर असामान्य हो सकता है और इस से कौंप्लिकेशन का खतरा बढ़ जाता है.

डाक्टर से नियमित जांच कराएं: अपनी दवाइयों की सही खुराक और असर के बारे में जानने के लिए डाक्टर से समयसमय पर परामर्श लें.

इंसुलिन का सही तरीके से इस्तेमाल करें: अगर आप को इंसुलिन लेने की जरूरत है तो इसे सही तरीके से और समय पर लें.

धूम्रपान और शराब से बचें

धूम्रपान और शराब दोनों डायबिटीज के मरीजों के लिए बेहद खतरनाक हो सकते हैं. धूम्रपान करने से हृदयरोग, फेफड़ों की बीमारी और नसों को नुकसान हो सकता है, वहीं शराब का अधिक सेवन ब्लड शुगर लैवल को अस्थिर कर सकता है.

धूम्रपान छोड़ें: अगर आप धूम्रपान करते हैं, तो इसे तुरंत बंद करें. यह डायबिटीज के कौंप्लिकेशन को रोकने में मदद करेगा.

शराब का सेवन न करें: अगर आप शराब का सेवन करते हैं तो इसे तत्काल छोड़ दें.

स्नैक्स में परोसें टिक्की दो प्याजा, आज ही ट्राई करें ये रेसिपी

स्नैक्स में आज हम आपने नई रेसिपी बताएंगे, जिसे आप आसानी से अपनी फैमिली के लिए बना सकती हैं. ये कम समय में बनने वाली रेसिपी है, जिसे आप कभी भी ट्राई कर सकते हैं. आइए आपको बताते हैं टिक्की दो प्याजा की खास रेसिपी…

हमें चाहिए-

–  1 कटोरी चावल का आटा

–  2 लाल प्याज

–  2 हरा प्याज

–  1 छोटा चम्मच हलदी

–  1 छोटा चम्मच हरीमिर्च बारीक कटी

–  एकचौथाई छोटा चम्मच अजवाइन

–  1 छोटा चम्मच चाटमसाला

–  1 छोटा चम्मच लालमिर्च कुटी

–  1 बड़ा चम्मच मूंगफली भुनीकुटी

–  1 बड़ा चम्मच धनियापत्ती कटी

–  तेल तलने के लिए

–  मटरा टिक्की के साथ परोसने के लिए

–  नमक स्वादानुसार.

विधि

दोनों तरह के प्याज के बारीक लच्छे काट लें. हरे प्याज के पत्तों को भी बारीक काट लें. चावल का आटा और सारे मसाले कटे प्याज में मिला कर अच्छी तरह मसल लें. आवश्यकतानुसार पानी मिला कर मिश्रण इतना गाढ़ा रखें कि टिक्की बन सके. कड़ाही में तेल गरम करें. प्याज के मिश्रण की छोटीछोटी टिकिया बनाएं और धीमी आंच पर सुनहरा कुरकुरा होने तक तल लें. मटरा बनाने के लिए उबले मटरों में नीबू, चाटमसाला, प्याज, लाल चटनी, हरी चटनी डाल कर अच्छी तरह मिक्स करें और टिक्कियों के साथ परोस दें.

रिटायरमेंट: शर्माजी के साथ क्या हुआ रिटायरमेंट के बाद

मेरी नौकरी का अंतिम सप्ताह था, क्योंकि मैं सेवानिवृत्त होने वाला था. कारखाने के नियमानुसार 60 साल पूरे होते ही घर बैठने का हुक्म होना था. मेरा जन्मदिन भी 2 अक्तूबर ही था. संयोगवश राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जन्मदिन पर.

विभागीय सहयोगियों व कर्मचारियों ने कहा, ‘‘शर्माजी, 60 साल की उम्र तक ठीकठाक काम कर के रिटायर होने के बदले में हमें जायकेदार भोज देना होगा.’’ मैं ने भरोसा दिया, ‘‘आप सब निश्ंिचत रहें. मुंह अवश्य मीठा कराऊंगा.’’

इस पर कुछ ने विरोध प्रकट किया, ‘‘शर्माजी, बात स्पष्ट कीजिए, गोलमोल नहीं. हम ‘जायकेदार भोज’ की बात कर रहे हैं और आप मुंह मीठा कराने की. आप मांसाहारी भोज देंगे या नहीं? यानी गोश्त, पुलाव…’’ मैं ने मुकरना चाहा, ‘‘आप जानते हैं कि गांधीजी सत्य व अहिंसा के पुजारी थे, और हिंसा के खिलाफ मैं भी हूं. मांसाहार तो एकदम नहीं,’’ एक पल रुक कर मैं ने फिर कहा, ‘‘पिछले साल झारखंड के कुछ मंत्रियों ने 2 अक्तूबर के दिन बकरे का मांस खाया था तो उस पर बहुत बवाल हुआ था.’’

‘‘आप मंत्री तो नहीं हैं न. कारखाने में मात्र सीनियर चार्जमैन हैं,’’ एक सहकर्मी ने कहा. ‘‘पर सत्यअहिंसा का समर्थक तो हूं मैं.’’

फिर कुछ सहयोगी बौखलाए, ‘‘शर्माजी, हम भोज के नाम पर ‘सागपात’ नहीं खा सकते. आप के घर ‘आलूबैगन’ खाने नहीं जाएंगे,’’ इस के बाद तो गीदड़ों के झुंड की तरह सब एकसाथ बोलने लगे, ‘‘शर्माजी, हम चंदा जमा कर आप के शानदार विदाई समारोह का आयोजन करेंगे.’’ प्रवीण ने हमें झटका देना चाहा, ‘‘हम सब आप को भेंट दे कर संतुष्ट करना चाहेंगे. भले ही आप हमें संतुष्ट करें या न करें.’’

मैं दबाव में आ कर सोचने लगा कि क्या कहूं? क्या खिलाऊं? क्या वादा करूं? प्रत्यक्ष में उन्हें भरोसा दिलाना चाहा कि आप सब मेरे घर आएं, महंगी मिठाइयां खिलाऊंगा. आधाआधा किलो का पैकेट सब को दे कर विदा करूंगा. सीनियर अफसर गुप्ता ने रास्ता सुझाना चाहा, ‘‘मुरगा न खिलाइए शर्माजी पर शराब तो पिला ही सकते हैं. इस में हिंसा कहां है?’’

‘‘हां, हां, यह चलेगा,’’ सब ने एक स्वर से समर्थन किया. ‘‘मैं शराब नहीं पीता.’’

‘‘हम सब पीते हैं न, आप अपनी इच्छा हम पर क्यों लादना चाहते हैं?’’ ‘‘भाई लोगों, मैं ने कहा न कि 2 अक्तूबर हो या नवरात्रे, दीवाली हो या नववर्ष…मुरगा व शराब न मैं खातापीता हूं, न दूसरों को खिलातापिलाता हूं.’’

सुखविंदर ने मायूस हो कर कहा, ‘‘तो क्या 35-40 साल का साथ सूखा ही निबटेगा?’’ कुछ ने रोष जताया, ‘‘क्या इसीलिए इतने सालों तक आप के मातहत काम किया? आप के प्रोत्साहन से ही गुणवत्तापूर्ण उत्पादन किया? कैसे चार्जमैन हैं आप कि हमारी अदनी सी इच्छा भी पूरी नहीं कर सकते?’’

एक ने व्यंग्य किया, ‘‘तो कोई मुजरे वाली ही बुला लीजिए, उसी से मन बहला लेंगे.’’ नटवर ने विचार रखा, ‘‘शर्माजी, जितने रुपए आप हम पर खर्च करना चाह रहे हैं उतने हमें दे दीजिए, हम किसी होटल में अपनी व्यवस्था कर लेंगे.’’

इस सारी चर्चा से कुछ नतीजा न निकलना था न निकला. यह बात मेरे इकलौते बेटे बलबीर के पास भी पहुंची. वह बगल वाले विभाग में बतौर प्रशिक्षु काम कर रहा था.

कुछ ने बलबीर को बहकाया, ‘‘क्या कमी है तुम्हारे पिताजी को जो खर्च के नाम से भाग रहे हैं. रिटायर हो रहे हैं. फंड के लाखों मिलेंगे… पी.एफ. ‘तगड़ा’ कटता है. वेतन भी 5 अंकों में है. हम उन्हें विदाई देंगे तो उन की ओर से हमारी शानदार पार्टी होनी चाहिए. घास छील कर तो रिटायर नहीं हो रहे. बुढ़ापे के साथ ‘साठा से पाठा’ होना चाहिए. वे तो ‘गुड़ का लाठा’ हो रहे हैं…तुम कैसे बेटे हो?’’

बलबीर तमतमाया हुआ घर आया. मैं लौट कर स्नान कर रहा था. बेटा मुझे समझाने के मूड में बोला, ‘‘बाबूजी, विभाग वाले 50-50 रुपए प्रति व्यक्ति चंदा जमा कर के ‘विदाई समारोह’ का आयोजन करेंगे तो वे चाहेंगे कि उन्हें 75-100 रुपए का जायकेदार भोज मिले. आप सिर्फ मिठाइयां और समोसे खिला कर उन्हें टरकाना चाहते हैं. इस तरह आप की तो बदनामी होगी ही, वे मुझे भी बदनाम करेंगे. ‘‘आप तो रिटायर हो कर घर में बैठ जाएंगे पर मुझे वहीं काम करना है. सोचिए, मैं कैसे उन्हें हर रोज मुंह दिखाऊंगा? मुझे 10 हजार रुपए दीजिए, खिलापिला कर उन्हें संतुष्ट कर दूंगा.’’

‘‘उन की संतुष्टि के लिए क्या मुझे अपनी आत्मा के खिलाफ जाना होगा? मैं मुरगे, बकरे नहीं कटवा सकता,’’ बेटे पर बिगड़ते हुए मैं ने कहा. ‘‘बाबूजी, आप मांसाहार के खिलाफ हैं, मैं नहीं.’’

‘‘तो क्या तुम उन की खुशी के लिए मद्यपान करोगे?’’ ‘‘नहीं, पर मुरगा तो खा ही सकता हूं.’’

अपना विरोध जताते हुए मैं बोला, ‘‘बलबीर, अधिक खर्च करने के पक्ष में मैं नहीं हूं. सब खाएंगेपीएंगे, बाद में कोई पूछने भी नहीं आएगा. मैं जब 4 महीने बीमारी से अनफिट था तो 1-2 के अलावा कौन आया था मेरा हाल पूछने? मानवता और श्रद्धा तो लोगों में खत्म हो गई है.’’ पत्नी कमला वहीं थी. झुंझलाई, ‘‘आप दिल खोल कर और जम कर कुछ नहीं कर पाते. मन मार कर खुश रहने से भी पीछे रह जाते हैं.’’

कमला का समर्थन न पा कर मैं झुंझलाया, ‘‘श्रीमतीजी, मैं ने आप को कब खुश नहीं किया है?’’ वे मौका पाते ही उलाहना ठोक बैठीं, ‘‘कई बार कह चुकी हूं कि मेरा गला मंगलसूत्र के बिना सूना पड़ा है. रिटायरमेंट के बाद फंड के रुपए मिलते ही 5 तोले का मंगलसूत्र और 10 तोले की 4-4 चूडि़यां खरीद देना.’’

‘‘श्रीमतीजी, सोने का भाव बाढ़ के पानी की तरह हर दिन बढ़ता जा रहा है. आप की इच्छा पूरी करूं तो लाखों अंटी से निकल जाएंगे, फिर घर चलाना मुश्किल होगा.’’ श्रीमतीजी बिगड़ कर बोलीं, ‘‘तो बताइए, मैं कैसे आप से खुश रहूंगी?’’

बलबीर को अवसर मिल गया. वह बोला, ‘‘बाबूजी, अब आप जीवनस्तर ऊंचा करने की सोचिए. कुछ दिन लूना चलाते रहे. मेरी जिद पर स्कूटी खरीद लाए. अब एक बड़ी कार ले ही लीजिए. संयोग से आप देश की नामी कार कंपनी से अवकाश प्राप्त कर रहे हैं.’’ बेटे और पत्नी की मांग से मैं हतप्रभ रह गया.

मैं सोने का उपक्रम कर रहा था कि बलबीर ने अपनी रागनी शुरू कर दी, ‘‘बाबूजी, खर्च के बारे में क्या सोच रहे हैं?’’ मैं ने अपने सिर पर हाथ फेरते हुए कहा, ‘‘बेटा, तुम अभी स्थायी नौकरी में नहीं हो. प्रशिक्षण के बाद तुम्हें प्रबंधन की कृपा से अस्थायी नौकरी मिल सकेगी. पता नहीं तुम कब तक स्थायी होगे. तब तक मुझे ही घर का और तुम्हारा भी खर्च उठाना होगा. इसलिए भविष्यनिधि से जो रुपए मिलेंगे उसे ‘ब्याज’ के लिए बैंक में जमा कर दूंगा, क्योंकि आगे ब्याज से ही मुझे अपना ‘खर्च’ चलाना होगा. अत: मैं ने अपनी भविष्यनिधि के पैसों को सुरक्षित रखने की सोची है.’’

श्रीमतीजी संभावना जाहिर कर गईं कि 20 लाख रुपए तक तो आप को मिल ही जाएंगे. अच्छाखासा ब्याज मिलेगा बैंक से. उन के इस मुगालते को तोड़ने के लिए मैं ने कहा, ‘‘भूल गई हो, 3 बेटियों के ब्याह में भविष्यनिधि से ऋण लिया था. कुछ दूसरे ऋण काट कर 12 लाख रुपए ही मिलेंगे. वैसे भी अब दुनिया भर में आर्थिक संकट पैदा हो चुका है, इसलिए ब्याज घट भी सकता है.’’

बलबीर ने टोका, ‘‘बाबूजी, आप को रुपए की कमी तो है नहीं. आप ने 10 लाख रुपए अलगअलग म्यूचुअल फं डों में लगाए हुए हैं.’’

मैं आवेशित हुआ, ‘‘अखबार नहीं पढ़ते क्या? सब शेयरों के भाव लुढ़कते जा रहे हैं. उस पर म्यूचुअल फंडों का बुराहाल है. निवेश किए हुए रुपए वापस मिलेंगे भी या नहीं? उस संशय से मैं भयभीत हूं. रिटायर होने के बाद मैं रुपए कमाने योग्य नहीं रहूंगा. बैठ कर क्या करूंगा? कैसे समय बीतेगा. चिंता, भय से नींद भी नहीं आती…’’ श्रीमतीजी ने मेरे दर्द और चिंता को महसूस किया, ‘‘चिंतित मत होइए. हर आदमी को रिटायर होना पड़ता है. चिंताओं के फन को दबोचिए. उस के डंक से बचिए.’’

‘‘देखो, मैं स्वयं को संभाल पाता हूं या नहीं?’’ तभी फोन की घंटी बजी, ‘‘हैलो, मैं विजय बोल रहा हूं.’’

‘‘नमस्कार, विजय बाबू.’’ ‘‘शर्माजी, सुना है, आप रिटायर होने जा रहे हैं.’’

‘‘हां.’’ ‘‘कुछ करने का विचार है या बैठे रहने का?’’ विजय ने पूछा.

‘‘कुछ सोचा नहीं है.’’ ‘‘मेरी तरह कुछ करने की सोचो. बेकार बैठ कर ऊब जाओगे.’’

‘‘मेरे पिता ने भी सेवामुक्त हो कर ‘बिजनेस’ का मन बनाया था, पर नहीं कर सके. शायद मैं भी नहीं कर सकूंगा, क्यों जहां भी हाथ डाला, खाली हो गया.’’ विजय की हंसी गूंजी, ‘‘हिम्मत रखो. टाटा मोटर्स में ठेका पाने के लिए रजिस्ट्रेशन कराओ. एकाध लाख लगेंगे.’’

बलबीर उत्साहित स्वर में बोला, ‘‘ठेका ले कर देखिए, बाबूजी.’’ ‘‘बेटा, मैं भविष्यनिधि की रकम को डुबाने के चक्कर में नहीं पड़ना चाहता.’’

बलबीर जिद पर उतर आया तो मैं बोला, ‘‘तुम्हारे कहने पर मैं ने ट्रांसपोर्ट का कारोबार किया था न? 7 लाख रुपए डूब गए थे. तब मैं तंगी, परेशानी और खालीहाथ से गुजरने लगा था. फ ांके की नौबत आ गई थी.’’ बलबीर शांत पड़ गया, मानो उस की हवा निकल गई हो.

तभी मोबाइल बजने लगा. पटना से रंजन का फोन था. आवाज कानों में पड़ी तो मुंह का स्वाद कसैला हो गया. रंजन मेरा चचेरा भाई था. उस ने गांव का पुश्तैनी मकान पड़ोसी पंडितजी के हाथ गिरवी रख छोड़ा था. उस की एवज में 50 हजार रुपए ले रखे थे. पहले मैं रंजन को अपना भाई मानता था पर जब उस ने धोखा किया, मेरा मन टूट गया था.

‘‘रंजन बोल रहा हूं भैया, प्रणाम.’’ ‘‘खुश रहो.’’

‘‘सुना है आप रिटायर होने वाले हैं? एक प्रार्थना है. पंडितजी के रुपए चुका कर मकान छुड़ा लीजिए न. 20 हजार रुपए ब्याज भी चढ़ चुका है. न चुकाने से मकान हाथ से निकल जाएगा. मेरे पास रुपए नहीं हैं. पटना में मकान बनाने से मैं कर्जदार हो चुका हूं. कुछ सहायता कीजिएगा तो आभारी रहूंगा.’’ मैं क्रोध से तिलमिलाया, ‘‘कुछ करने से पहले मुझ से पूछा था क्या? सलाह भी नहीं ली. पंडितजी का कर्ज तुम भरो. मुझे क्यों कह रहे हो?’’

मोबाइल बंद हो गया. इच्छा हुई कि उसे और खरीखोटी सुनाऊं. गुस्से में बड़बड़ाता रहा, ‘‘स्वार्थी…हमारे हिस्से को भी गिरवी रख दिया और रुपए ले गया. अब चाहता है कि मैं फंड के रुपए लगा दूं? मुझे सुख से जीने नहीं देना चाहता?’’ ‘‘शांत हो जाइए, नहीं तो ब्लडप्रेशर बढे़गा,’’ कमला ने मुझे शांत करना चाहा.

सुबह कारखाने पहुंचा तो जवारी- भाई रामलोचन मिल गए, बोले, ‘‘रिटायरमेंट के बाद गांव जाने की तो नहीं सोच रहे हो न? बड़ा गंदा माहौल हो गया है गांव का. खूब राजनीति होती है. तुम्हारा खाना चाहेंगे और तुम्हें ही बेवकूफ बनाएंगे. रामबाबू रिटायरमेंट के बाद गांव गए थे, भाग कर उन्हें वापस आना पड़ा. अपहरण होतेहोते बचा. लाख रुपए की मांग कर रहे थे रणबीर दल वाले.’’ सीनियर अफसर गुप्ताजी मिल गए. बोले, ‘‘कल आप की नौकरी का आखिरी दिन है. सब को लड्डू खिला दीजिएगा. आप के विदाई समारोह का आयोजन शायद विभाग वाले दशहरे के बाद करेंगे.’’

कमला ने भी घर से निकलते समय कहा था, ‘‘लड्डू बांट दीजिएगा.’’

बलबीर भी जिद पर आया, ‘‘मैं भी अपने विभाग वालों को लड्डू खिलाऊंगा.’’ ‘‘तुम क्यों? रिटायर तो मैं होने वाला हूं.’’

वह हंसते हुए बोला, ‘‘बाबूजी, रिटायरमेंट को खुशी से लीजिए. खुशियां बांटिए और बटोरिए. कुछ मुझे और कुछ बहनबेटियों को दीजिए.’’ मुझे क्रोध आया, ‘‘तो क्या पैसे बांट कर अपना हाथ खाली कर लूं? मुझे कम पड़ेगा तो कोई देने नहीं आएगा. हां, मैं बहनबेटियों को जरूर कुछ गिफ्ट दूंगा. ऐसा नहीं कि मैं वरिष्ठ नागरिक होते ही ‘अशिष्ट’ सिद्ध होऊं. पर शिष्ट होने के लिए अपने को नष्ट नहीं करूंगा.’’

मैं सोचने लगा कि अपने ही विभाग का वेणुगोपाल पैसों के अभाव का रोना रो कर 5 हजार रुपए ले गया था, अब वापस करने की स्थिति में नहीं है. उस के बेटीदामाद ने मुकदमा ठोका हुआ है कि उन्हें उस की भविष्यनिधि से हिस्सा चाहिए. रामलाल भी एक अवकाश प्राप्त व्यक्ति थे. एक दिन आए और गिड़गिड़ाते हुए कहने लगे, ‘‘शर्माजी, रिटायर होने के बाद मैं कंगाल हो गया हूं. बेटों के लिए मकान बनाया. अब उन्होंने घर से बाहर कर दिया है. 15 हजार रुपए दे दीजिए. गायभैंस का धंधा करूंगा. दूध बेच कर वापस कर दूंगा.’’

रिटायर होने के बाद मैं घर बैठ गया. 10 दिन बीत गए. न विदाई समारोह का आयोजन हुआ, न विभाग से कोई मिलने आया. मैं ने गेटपास जमा कर दिया था. कारखाने के अंदर जाना भी मुश्किल था. समय के साथ विभाग वाले भूल गए कि विदाई की रस्म भी पूरी करनी है. एक दिन विजय आया. उलाहने भरे स्वर में बोला, ‘‘यार, तुम ने मुझे किसी आयोजन में नहीं बुलाया?’’

मैं दुखी स्वर में बोला, ‘‘क्षमा करना मित्र, रिटायर होने के बाद कोई मुझे पूछने नहीं आया. विभाग वाले भी विभाग के काम में लग कर भूल गए…जैसे सारे नाते टूट गए हों.’’ कमला ताने दे बैठी, ‘‘बड़े लालायित थे आधाआधा किलो के पैकेट देने के लिए…’’

बलबीर को अवसर मिला. बोला, ‘‘मांसाहारी भोज से इनकार कर गए, अत: सब का मोहभंग हो गया. अब आशा भी मत रखिए…आप को पता है, मंदी का दौर पूरी दुनिया में है. उस का असर भारत के कारखानों पर भी पड़ा है. कुछ अनस्किल्ड मजदूरों की छंटनी कर दी गई है. मजदूरों को चंदा देना भारी पड़ रहा है. वैसे भी जिस विभाग का प्रतिनिधि चंदा उगाहने में माहिर न हो, काम से भागने वाला हो और विभागीय आयोजनों पर ध्यान न दे, वह कुछ नहीं कर सकता.’’

विजय ने कहा, ‘‘यार, शर्मा, घर में बैठने के बाद कौन पूछता है? वह जमाना बीत गया कि लोगों के अंदर प्यार होता था, हमदर्दी होती थी. रिटायर व्यक्ति को हाथी पर बैठा कर, फूलमाला पहना कर घर तक लाया जाता था. अब लोग यह सोचते हैं कि उन का कितना खर्च हुआ और बदले में उन्हें कितना मिला. मुरगाशराब खिलातेपिलाते तो भी एकदो माह के बाद कोई पूछने नहीं आता. सचाई यह है कि रिटायर व्यक्ति को सब बेकार समझ लेते हैं और भाव नहीं देते.’’ मैं कसमसा कर शांत हो गया…घर में बैठने का दंश सहने लगा.

मेरे पति जबरदस्ती करते हैं, मैं परेशान हो गई हूं…

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…

सवाल

मेरी शादी को 3 साल हो चुके हैं. पति रोजाना मुझ से संबंध बनाते हैं. मना करने पर वे मारपीट कर के जबरन संबंध बनाते हैं. मैं क्या करूं?

जवाब

आप के पति कोई गुनाह नहीं कर रहे हैं, बस उन का तरीका गलत है. यही काम वे प्यार से भी कर सकते हैं. आप को भी अगर कोई तकलीफ होती है, तो उस बारे में पति को तसल्ली से बता सकती हैं. जब आप इतनी गहराई से जुड़ी हैं, तो बात करने में झिझकना नहीं चाहिए. वैसे, पति का हक है आप के साथ संबंध बनाना, लिहाजा मना न करें.

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हमारे देश में महिलाओं को पुरुषों का हमकदम बनाने के लिए महिला आयोग बनाया गया है. हर राज्य में आयोग की एक फौज है, जहां महिलाओं की परेशानियां सुनी और सुलझई जाती हैं. लेकिन बीते कुछ समय से महिला आयोग संस्था की चाबियों का गुच्छा कुछ ज्यादा ही भारी हो गया है, इसलिए वह संभाले नहीं संभल रहा है और जमीन पर गिरने लगा है. केरल महिला आयोग में भी ऐसा ही कुछ हुआ.

आयोग की अध्यक्ष एम सी जोसेफिन ने घरेलू हिंसा की शिकार एक महिला को रूखा सा जवाब देते हुए टरका दिया. दरअसल, आयोग अध्यक्षा टीवी पर लाइव महिलाओं की परेशानी सुन रही थीं. इसी बीच घरेलू हिंसा की शिकार एक महिला आयोग की अध्यक्षा को फोन पर अपनी आपबीती सुनाते हुए कहने लगी कि उस के पति और ससुराल वाले उसे काफी परेशान करते हैं.

अध्यक्षा को जब पता चला कि लगातार हिंसा सहने के बाद भी महिला ने कभी उस की शिकायत पुलिस में नहीं की, तो वे भड़क गईं और रूखे अंदाज में कहा कि अगर हिंसा सहने के बाद भी पुलिस में शिकायत नहीं करोगी तो भुगतो. उन का पीडि़ता पर झल्लाने का वीडियो वायरल हुआ तो उन्होंने अपने पद का ही त्याग कर दिया.

मगर जातेजाते वे यह कहना नहीं भूलीं कि औरतें फोन कर के शिकायत तो करती हैं, लेकिन जैसे ही पुलिसिया काररवाई की बात आती है, पीछे हट जाती हैं. इस के बाद से आयोग अध्यक्षा घेरे में आ गईं कि कैसे इतने ऊंचे पद पर बैठी महिला, तकलीफ में जीती किसी औरत से इस तरह रुखाई से बात कर सकती है. बात भले ही आ कर अध्यक्षा की रुखाई पर सिमट गई, लेकिन गौर करें तो मामला कुछ और ही है.

जब जागो तभी सवेरा : क्या टूट पाया अवंतिका का अंधविश्वास

संजय के औफिस जाते ही अवंतिका चाय की गरम प्याली हाथों में ले न्यूजपेपर पर अपना राशिफल पढ़ने लगी. उस के बाद उस ने वह पृष्ठ खोल लिया जिस में ज्योतिषशास्त्रियों, रत्नों और उन से जुड़े कई तरह के विज्ञापन होते हैं. यह अवंतिका का रोज का काम था. पति संजय के जाते ही वह न्यूजपेपर और टीवी पर बस ज्योतिषशास्त्रियों और रत्नों से जुड़ी खबरें ही पढ़ती व देखती और फिर उस में सुझई गई विधि या रत्नों को पहनने, घर के बाकी सदस्यों को पहनाने और ज्योतिषों के द्वारा बताए गए नियमों पर अमल करने और सभी से करवाने में जीजान लगा देती.

अवंतिका का इस प्रकार व्यवहार करना स्वाभाविक था क्योंकि उस की परवरिश एक ऐसे परिवार में हुई थी जहां अंधविश्वास और ग्रहनक्षत्रों का जाल कुछ इस तरह से बिछा हुआ था कि घर का हर सदस्य केवल अपने जीवन में घटित हो रहे हर घटना को ग्रहनक्षत्रों एवं ज्योतिष से जोड़ कर ही देखता था. यही वजह थी कि अवंतिका पढ़ीलिखी होने के बावजूद ग्रहनक्षत्रों एवं रत्नों को बेहद महत्त्व देती थी और अपना कोई भी कार्य ज्योतिष से शुभअशुभ पूछे बगैर नहीं करती थी.

संजय और अवंतिका की शादी को करीब 20 साल हो गए थे, लेकिन आज भी अवंतिका को यही लगता था कि उस का पति संजय घर की ओर ध्यान नहीं देता है, उस की बात नहीं सुनता है. बेटी अनुकृति जो 12वीं क्लास में है, मनमानी करती है और बेटा अनुज जो 10वीं क्लास का छात्र है, बेहद उद्दंड होता जा रहा है. अवंतिका के ज्योतिषियों के चक्कर और पूरे परिवार पर कंट्रोल की चाह की वजह से पूरा घर बिखरता जा रहा था परंतु ये सारी बातें उस की समझ से परे थीं और उसे अपने सिवा सभी में दोष दिखाई देता था.

अवंतिका जरूरत से ज्यादा भाग्यवादी तो थी ही, साथ ही साथ वह अंधविश्वासी भी थी. वह ग्रहनक्षत्रों के कुप्रभावों से बचने के लिए ज्योतिषशास्त्रियों व उन के द्वारा सुझए गए तरहतरह के रत्नों पर अत्यधिक विश्वास रखती थी. यह कहना गलत न होगा कि अवंतिका की सोच करेला ऊपर से नीम चढ़ा जैसी थी.

अभी अवंतिका राशिफल पढ़ ही रही थी कि उस की बेटी अनुकृति उस के करीब आ कर बोली, ‘‘मम्मी मुझे फिजिक्स और कैमिस्ट्री विषय बहुत हार्ड लग रहे हैं. मुझे इन के लिए ट्यूशन पढ़नी है.’’

यह सुनते ही अवंतिका बोली, ‘‘अरे तुम्हें कहीं ट्यूशन जाने की जरूरत नहीं. यह देखो आज के पेपर में एड आया है सर्व समस्या निवारण केंद्र का. यहां ज्योतिषाचार्य स्वामी परमानंदजी सभी की समस्याओं का निवारण

करते हैं. देख इस पर लिखा है कि कैसी भी हो समस्या निराकरण करेंगे ज्योतिषाचार्य स्वामी परमानंद नित्या.

‘‘मम्मी लेकिन मुझे फिजिक्स और कैमिस्ट्री में प्रौब्लम है इस में ये ज्योतिषाचार्य क्या करेंगे?’’ अनुकृति चिढ़ती हुई बोली.

तभी अवंतिका न्यूजपेपर में से वह पेज  जिस पर विज्ञापन छपा था अलग करती हुई

बोली, ‘‘ज्योतिषाचार्यजी ही तो हैं जो तुम्हारी

सारी प्रौब्लम्स दूर करेंगे. आचार्यजी तुम्हें बताएंगे कि पढ़ाई में ध्यान कैसे लगाना चाहिए या फिर कोई रत्न बताएंगे जिस से तुम 12वीं कक्षा अच्छे नंबरों से पास हो जाओगी. चलो जल्दी से तैयार हो जाओ हम आज ही स्वामीजी से चल कर मिलते हैं.’’

यह सुनते ही अनुकृति पैर पटकती हुई बोली, ‘‘मम्मी अभी मुझे स्कूल जाना है. आज मेरी फिजिक्स और कैमिस्ट्री का ऐक्स्ट्रा क्लास है. मैं किसी आचार्य या बाबावाबा के पास नहीं जाऊंगी. आप को जाना है तो आप जाओ,’’ कह कर अनुकृति वहां से चली गई और अवंतिका वहीं खड़ी बड़बड़ाती रही.

थोड़ी देर में अनुकृति और अनुज स्कूल के लिए तैयार हो गए, लेकिन अवंतिका विज्ञापन पर दिए आचार्यजी का फोन नंबर मिलाने में ही लगी रही क्योंकि हर बार वह नंबर व्यस्त ही बता रहा था.

तभी अवंतिका के पास अनुज आ कर बोला, ‘‘मम्मी, टिफिन बौक्स दे दो हम लेट हो रहे हैं.’’

अनुज से टिफिन बौक्स सुन कर अवंतिका को खयाल आया कि उस ने टिफिन तो बनाया ही नहीं है. अत: वह हड़बड़ाती हुई अलमीरा से रुपए निकाल दोनों को देती हुई बोली, ‘‘टिफिन तो बना नहीं है तुम दोनों ये रुपए रख लो, वहीं स्कूल कैंटीन में कुछ खा लेना.’’

अवंतिका का इतना कहना था कि अनुकृति मुंह बनाती हुई बोली, ‘‘यह क्या है मम्मी आप रोजरोज यह राशिफल और ज्योतिषशास्त्रियों के बारे में पढ़ने के चक्कर में हमारा टिफिन ही नहीं बनाती हो और हमें कैंटीन में खाना पड़ता है,’’ कह अवंतिका के हाथों से रुपए ले कर अनुकृति गुस्से से चली गई.

तभी अनुज बोला, ‘‘मम्मी, मुझे और पैसे चाहिए. मेरा इतने पैसों से काम नहीं चलेगा. आज दीदी की ऐक्स्ट्रा क्लास है इसलिए मैं अपनी गाड़ी ले जा रहा हूं. उस में पैट्रोल भी डलवाना होगा.’’

अनुज के ऐसा कहते ही अवंतिका ने बिना कुछ कहे और पैसे उसे दे दिए क्योंकि उस का पूरा ध्यान आचार्यजी को नंबर लगा कर उन से मिलने का समय लेने में था.

दोनों बच्चों के जाते ही अवंतिका फिर से ज्योतिषाचार्य स्वामी परमानंद नित्याजी का नंबर ट्राई करने लगी और इस बार नंबर लग गया. अवंतिका को ज्योतिषाचार्य से आज ही मिलने का समय भी मिल गया. वह जल्दी से तैयार हो कर स्वामी के सर्व समस्या निवारण केंद्र पहुंची तो देखा काफी भीड़ लगी थी. ऐसा लग रहा था मानो आधा शहर यहीं उमड़ आया हो. जब अवंतिका ज्योतिषाचार्य के शिष्य के पास यह जानने के लिए पहुंची कि उस का नंबर कब तक आ जाएगा तो वह बड़ी विनम्रतापूर्वक लबों पर लोलुपता व चाटुकारिता के भावों संग मुसकराते हुए बोला, ‘‘बहनजी, अभी तो 10वां नंबर चल रहा है. आप का 51वां नंबर है. आप का नंबर आतेआते तो शाम हो जाएगी.आप आराम से प्रतीक्षालय में बैठिए, वहां सबकुछ उपलब्ध है- चाय, कौफी, नाश्ता, भोजन सभी की व्यवस्था है. बस आप टोकन काउंटर पर जाइए और आप को जो चाहिए उस का बिल काउंटर पर भर दीजिए आप को मिल जाएगा.’’

यह सुनने के बाद भी अवंतिका वहीं खड़ी रही. उस के माथे पर खिंचते बल को देख कर आचार्यजी के शिष्य को यह अनुमान लगाने में जरा भी वक्त नहीं लगा कि अवंतिका आचार्यजी से शीघ्र मिलना चाहती है. अवसर का लाभ उठाते हुए  शिष्य ने अपने शब्दों में शहद सी मधुरता घोलते हुए कहा, ‘‘बहनजी, आचार्यजी के कक्ष के समक्ष तो सदा ही उन के भक्तों की ऐसी ही अपार भीड़ लगी रहती है क्योंकि आचार्यजी जो रत्न अपने भक्तों को देते हैं एवं जो विधि उन्हें सुझते हैं उस से उन के भक्तों का सदा कल्याण ही होता है. यदि आप ज्योतिषाचार्यजी से जल्दी भेंट करना चाहती हैं तो आप को वीआईपी पास बनाना होगा, जिस का मूल्य सामान्य पास से दोगुना है परंतु इस से आप की आचार्यजी से भेंट 1 घंटे के भीतर हो जाएगी और बाकी लोगों की अपेक्षा आचार्यजी से आप को समय भी थोड़ा ज्यादा मिलेगा. आप कहें तो वीआईपी पास बना दूं?’’

यह सुन अवंतिका कुछ देर मौन खड़ी रही फिर बोली, ‘‘ठीक है भैया बना दीजिए वीआईपी पास.’’ कहते हुए अवंतिका ने अपने पर्स से रुपए निकाल कर उसे दे दिए जो संजय ने उसे दोनों बच्चों की स्कूल फीस के लिए दिए थे.

यहां इस सर्व समस्या निवारण केंद्र के प्रतीक्षालय में, कैंटिन में इतनी भीड़ था कि ऐसा लग रहा था जैसे कोई मेला लगा हो. वीआईपी पास बनाने के बाद अवंतिका प्रतीक्षालय की कैंटीन में कौफी पीने बैठ गई. करीब 1 घंटे के बाद उस का नंबर आया. आचार्यजी से मिल कर अवंतिका ने अपने घर की वे सारी समस्याएं उन के समक्ष रख दीं जो वास्तव में समस्याएं थी ही नहीं. मात्र उस के मन का भ्रम था, लेकिन उस के इस भ्रम के बीज को आचार्यजी ने बड़ा वृक्ष का रूप दे दिया.

आचार्यजी ने अवंतिका को परिवार के हर सदस्य के लिए अलगअलग रत्न दे दिए और कहा कि इन से सभी समस्याओं का निवारण हो जाएगा, साथ ही साथ ज्योतिषाचार्यजी ने अवंतिका से अच्छीखासी रकम भी ऐंठ ली. यह सर्व समस्या निवारण केंद्र पूरी तरह से अंधविश्वास, ग्रहनक्षत्रों का भय व रत्नों का बुना हुआ ऐसा माया जाल था जो व्यापार का व्यापक रूप ले कर फूलफल रहा था, जिस में लोग स्वत: फंसते चले जा रहे थे और यह खेल पूर्णरूप से भय और लोगों की अज्ञानता का प्रतिफल था.

अवंतिका दोनों बच्चों और संजय के  पहुंचने से पहले ही घर लौट आई और अनुकृति के घर आते ही उस के पीछे लग गई कि वह आचार्यजी के द्वारा दिए गए उस रत्न को पहन ले.अनुकृति नहीं पहनना चाहती थी. वह चाहती थी कि उस की मां उस की परेशानियों को समझे और उसे ट्यूशन जाने की अनुमति दे दे, लेकिन अवंतिका कुछ समझने को तैयार ही नहीं थी, वह तो बस बारबार अनुकृति को इस बात पर जोर दे रही थी कि यदि वह ज्योतिषाचार्यजी के द्वारा दिए गए रत्न को पहन लेगी तो बिना ट्यूशन जाए ही 12वीं कक्षा अच्छे नंबरों से पास हो जाएगी. हार कर आखिरकार अनुकृति ने रत्न पहन ही लिया.

शाम ढलने को थी, लेकिन अनुज अब तक स्कूल से घर नहीं लौटा था, जबकि अनुकृति की ऐक्स्ट्रा क्लास होने के बावजूद वह घर आ चुकी थी. इस बात से बेखबर अवंतिका इस उधेड़बुन में लगी थी कि वह संजय को कैसे बताएगी कि वह घर खर्च के पैसों के साथसाथ बच्चों की स्कूल फीस के रुपए भी सर्व समस्या निवारण केंद्र में दे आई है.

खाना बनाते हुए अवंतिका के मन में यह  विचार भी चल रहा था कि आचार्यजी के द्वारा दिए रत्न जरूर अपना असर दिखाएंगे और उस के घर की सारी समस्याएं दूर हो जाएंगी.

उसी वक्त संजय भी दफ्तर से आ गया. अनुज को घर पर न पा कर संजय ने अवंतिका से कहा, ‘‘अनुज कहां है दिखाई नहीं दे रहा है?’’

तब जा कर अवंतिका को खयाल आया कि अनुज तो अब तक आया ही नहीं है. वह कुछ कह पाती उस से पहले अनुज आ गया. उसे देख कर लग रहा था कि वह काफी परेशान हैं.

यह देख  संजय ने अनुज से पूछा, ‘‘क्या हुआ अनुज तुम परेशान लग रहे हो?’’

‘‘नहीं पापा ऐसा कुछ नहीं है,’’ अनुज नजरें चुराता हुआ बोला और वहां से चला गया.

तभी अवंतिका बोली, ‘‘अरे आप क्यों चिंता करते हैं आज मैं ज्योतिषाचार्य परमानंद

नित्याजी के केंद्र गई थी. आचार्यजी ने हम सभी के ग्रहों के हिसाब से रत्न दिए हैं. अब आप देखना सब ठीक हो जाएगा.’’

यह सुनते ही संजय और अधिक परेशान हो गया और हड़बड़ाते हुए बोला, ‘‘तो क्या तुम ज्योतिषाचार्य के पास गई थी. सच बताओ तुम कितने रुपए फूंक कर आ रही हो और कौन से रुपए खर्च किए हैं तुम ने?’’

यह सुनते ही अवंतिका बिदक गई और कहने लगी, ‘‘तुम्हें तो बस पैसों की ही पड़ी रहती है. मेरी या घरपरिवार की तो तुम्हें कोई चिंता ही नहीं है. अनुकृति का इस साल ट्वैल्थ है, अनुज का टैंथ है तुम्हारी प्रमोशन भी अटकी पड़ी है, हमारे रिश्ते में भी कुछ सामान्य नहीं है और तुम्हें रुपयों की पड़ी है. मैं जो करती हूं तुम्हारे लिए और इस घर की भलाई के लिए ही करती हूं. ज्योतिष के पास जाती हूं, आचार्यजी के पास जाती हूं यहांवहां भटकती रहती हूं किस के लिए? तुम सब के लिए और तुम हो कि बस हाय पैसा… हाय पैसा करते रहते हो.’’

पैसे और ज्योतिष को ले कर संजय और अवंतिका के बीच बहस छिड़ गई और यह बहस उस वक्त और अधिक बढ़ गई जब संजय को पता चला कि अवंतिका घर खर्च के पैसे और बच्चों की स्कूल फीस के पैसे सब लुटा आई है. यह बात आग में घी का काम कर गई. जिस घर की शांति के लिए अवंतिका रत्न ले कर आई थी उसी घर की शांति पूरी तरह से भंग हो गई थी.

अवंतिका के पति और उस के दोनों बच्चे उस से दूर होते जा रहे थे. रोजरोज की कलह से तंग आ कर संजय ने भी वह रत्न पहन तो लिया जिसे अवंतिका ले कर आई थी और अनुज को भी पहना दिया? लेकिन घर की स्थिति में कोई सुधार नहीं आया. कलह दिनप्रतिदिन बढ़ती ही जा रही थी.

अनुकृति अपनी पढ़ाई को ले कर परेशान थी. अवंतिका उसे ट्यूशन यह कह कर जाने नहीं दे रही थी कि आचार्यजी ने जो रत्न दिया है उस से तुम 12वीं कक्षा अच्छे नंबरों से पास हो जाओगी. संजय कर्ज से लदता जा रहा था क्योंकि अवंतिका ज्योतिष, रत्नों और बेकार के टोटकों में पैसे बरबाद कर रही थी. इधर छोटी सी उम्र में गलत संगत में पड़ कर अनुज जुआरी बन चुका था.

एक रोज अचानक अनुकृति स्कूल से रोती हुई घर पहुंची. अवंतिका किसी ज्योतिषी के पास गई हुई थी और संजय औफिस का कुछ काम कर रहा था. अनुकृति को इस प्रकार रोता देख संजय ने उस से रोने का कारण पूछा.

अनुकृति रोती हुई बोली, ‘‘पापा, पिछले 4 महीनों से मेरी और अनुज स्कूल फीस जमा नहीं हुई है. मैम ने कहा है कि यदि समय से फीस जमा नहीं हुई तो एग्जाम में अपीयर नहीं होने देगी.’’

यह सुन गुस्से से संजय की आंखें लाल हो गईं, लेकिन वह अनुकृति को शांत करते हुए बोला, ‘‘बेटा परेशान होने की कोई जरूरत नहीं मैं 1-2 दिन में फीस की व्यवस्था करता हूं. तुम बस अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो.’’

संजय का इतना कहना था कि अनुकृति और अधिक रोने लगी यह देख संजय घबरा गया कि आखिर क्या बात हो गई.

तभी अनुकृति दोबारा सिसकती हुई बोली, ‘‘पापा 1 महीने के बाद मेरा फाइनल एग्जाम है और मुझे फिजिक्स, कैमिस्ट्री बिलकुल समझ नहीं आ रहे.’’

‘‘अरे तो इस में रोने वाली क्या बात है  तुम इन के लिए ट्यूशन कर लो और फिर तुम ने मुझे या अपनी मम्मी को पहले क्यों नहीं बताया? हम तुम्हारी ट्यूशन क्लास पहले ही शुरू करा देते?’’ संजय सांत्वना देते हुए बोला.

अनुकृति सुबकती हुई बोली, ‘‘पापा मैं ने मम्मी को बताया था, लेकिन मम्मी ने कहा कि ट्यूशन की कोई जरूरत नहीं है, ज्योतिषाचार्यजी के द्वारा दिया रत्न पहनने से ट्वैल्थ में मेरे अच्छे मार्क आएंगे, लेकिन पापा ऐसा कुछ नहीं हो रहा और अब लास्ट टाइम में कोई भी ट्यूशन लेने को तैयार नहीं है.’’

यह सुन संजय ने अपना सिर पकड़ लिया. अवंतिका का दिनप्रतिदिन

अंधविश्वास, ज्योतिष और रत्न के प्रति सनक बढ़ती ही जा रही थी, जो अब बच्चों के

भविष्य के लिए भी खतरे की घंटी थी क्योंकि अवंतिका न तो घर पर ध्यान दे रही थी और न ही बच्चों पर.

संजय स्वयं को संभालता हुआ अनुकृति को समझते हुए बोला, ‘‘बेटा, तुम चिंता मत करो मैं सब ठीक कर दूंगा. मैं तुम्हारे टीचर्स से बात करूंगा कि वे तुम्हें फिजिक्स और कैमिस्ट्री की ट्यूशन पढ़ाएं.’’

संजय के ऐसा कहने पर अनुकृति का रोना बंद हुआ और वह वहां से चली गई, लेकिन संजय दुविधा में पड़ गया कि वह कहां से लाएगा 4 महीने की स्कूल फीस, ट्यूशन फीस और घर खर्च के लिए रुपए, पहले ही वह कर्ज से दबा हुआ था. उस की छोटी सी प्राइवेट नौकरी में 1 महीने में इतना सब कर पाना आसान नहीं था और अवंतिका है कि बिना सोचविचार के ज्योतिष, आचार्य और रत्नों पर पैसे गंवा रही है.

संजय यदि अवंतिका से इस बारे में कुछ भी कहता या उसे रोकने की कोशिश करता तो वह उस से लड़ने पर आमादा हो जाती. संजय को कुछ सूझ नहीं रहा था कि वह क्या करे. अवंतिका को इस अंधविश्वास के जाल से कैसे बाहर निकाले.

तभी कुछ देर में अवंतिका घर से नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने के लिए न जाने क्याक्या सामान ले कर आ गई. यह देख संजय ने अवंतिका को बहुत समझने की कोशिश की कि वह ये सब बेकार के खर्चे करना बंद करे, केवल घरपरिवार पर ध्यान दे, लेकिन अवंतिका नहीं मानी वह अपनी मनमानी करती रही.

अवंतिका की मनमानी देख संजय को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वह अवंतिका के सिर से यह ज्योतिषाचार्य और रत्नों का भूत कैसे उतारे. संजय ने कर्ज ले कर दोनों बच्चों की फीस भर दी. अनुकृति की टीचर्स से अनुरोध कर  ट्यूशन पढ़ाने के लिए भी उन्हें राजी कर लिया, जिस का नतीजा यह हुआ कि जिस दिन 12वीं कक्षा का रिजल्ट घोषित हुआ अनुकृति फिजिक्स और केमिस्ट्री के साथसाथ सभी विषयों में अच्छे नंबरों के साथ पास हो गई.

अनुकृति को जब इस बात का पता चला कि वह अच्छे नंबरों से पास हो गई है तो उस की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. अनुकृति पिता के गले लग कर बोली, ‘‘थैंक्यू पापा…’’

यह देख अवंतिका थोड़ी नाराजगी जताती हुई बोली, ‘‘अरे वाह आचार्यजी के पास मैं गई, घंटों लाइन में मैं खड़ी रही और तुम अपने पापा के गले लग कर थैंक्यू बोल रही हो?’’

यह सुन अनुकृति बोली, ‘‘मम्मी, मेरा ट्वैल्थ पास होना कोई आचार्यजी का प्रताप या रत्नों का कमाल नहीं है. देखो मैं ने तो कोई रत्न पहना ही नहीं है. यह तो मेरी मेहनत और पापा

का मुझे ट्यूशन के लिए टीचर को मनाने का नतीजा है.’’

यह सुन अवंतिका बड़ी नाराज हुई और वह आचार्यजी की पैरवी करने लगी. तभी संजय का मोबाइल बजा. फोन किसी अनजान नंबर से था. संजय के फोन उठाते ही उसे फौरन पुलिस स्टेशन आने को कहा गया. यह सुन संजय भागता हुआ पुलिस स्टेशन पहुंचा तो उसे पता चला कि पुलिस ने अनुज को जुआ खेलने के अपराध में गिरफ्तार कर लिया है.

इधर संजय पुलिस स्टेशन में अनुज को छुड़वाने के प्रयास में लगा हुआ था और उधर जब अवंतिका को इस बात का पता चला कि पुलिस ने अनुज को जुआ खेलने के जुर्म में जेल में बंद कर दिया है तो वह रोती हुई भाग कर सर्व समस्या निवारण केंद्र ज्योतिषाचार्यजी के पास अपनी समस्या के निवारण के लिए जा पहुंची, लेकिन आचार्यजी ने अवंतिका से बिना चढ़ावा चढ़ाए मिलने से इनकार कर दिया. तब जा कर आज अवंतिका को यह स्पष्ट हो पाया कि आचार्यजी के लिए उस की समस्या या उस से कोई लेनादेना नही है.

वह तो केवल एक पैसा कमाने का जरीया थी. जब तक वह चढ़ावा चढ़ाती रही आचार्यजी उस से मिलते रहे और आज उन्होंने मुंह फेर लिया. अवंतिका आचार्यजी से बिना मिले ही घर लौट आई.

संजय जब बड़ी मुश्किलों से अनुज को पुलिस से छुड़ा कर घर पहुंचा तो उस ने जो देखा उसे देख कर उस की आंखें खुली की खुली रह गईं, उस ने देखा अवंतिका घर में रखा सारे टोटकों का सामान बाहर फेंक रही थी जो उस ने स्वयं ही घर की सुखशांति, बच्चों की पढ़ाई और उस की प्रमोशन के लिए रखा था.

संजय और अनुज को देखते ही अवंतिका दौड़ कर उन के करीब आ गई और

उस ने अनुज को अपने गले से लगा लिया. उस के बाद वह अनुज की उंगलियों और गले से वे सारे रत्न निकाल कर फेंकने लगी जो ज्योतिषाचार्य के द्वारा दिए गए थे.

सारे रत्न और टोटकों के सामान फेंकने के उपरांत अवंतिका हाथ जोड़ कर संजय से बोली, ‘‘मुझे माफ़ कर दीजिए, मैं भटक गई थी. जिस परिवार की सलामती के लिए सुख, शांति और खुशहाली के लिए मैं ज्योतिष, आचार्य और रत्नों को महत्त्व देती रही, उन के पीछे भागती रही वह मेरी मूर्खता थी, अज्ञानता थी. मैं अंधविश्वास में कुछ इस तरह से पागल थी कि मैं एक भ्रमजाल में फंस गई थी, लेकिन अब मैं समझ चुकी हूं कि अंधविश्वास एक ऐसा जहर है जो किसी भी खुशहाल परिवार में घुल जाए तो उस परिवार को पूरी तरह बरबाद कर देता है, तबाह कर देता और ये ज्योतिषाचार्य, साधु, संत, महात्मा, आचार्य अपना उल्लू सीधा करने के लिए, अपनी जेबें भरने के लिए हमारी भावनाओं के साथ, हमारी आस्था और विश्वास के साथ खेलते हैं. मैं आप से वादा करती हूं कि अब मैं कभी किसी ज्योतिषी, आचार्य या रत्नों के चक्कर में नहीं पड़ूंगी. केवल अपने घरपरिवार और बच्चों पर ध्यान दूंगी.’’

अवंतिका से ये सब सुन संजय ने हंसते हुए अवंतिका को गले से लगा लिया और फिर बोला, ‘‘जब जागो तभी सवेरा.’’

‘मिस्टर परफेक्शनिस्ट’ के फैंस के लिए गुड न्यूज, इस कौमेडी फिल्म में आमिर खान आएंगे नजर

करोड़ों के बजट वाली फिल्म लाल सिंह चड्ढा की अपार असफलता के बाद आमिर खान ने अभिनय से किनारा कर लिया था  और उनका पूरा ध्यान अपनी फिल्म सितारे जमीन पर केंद्रित था जिसकी एडिटिंग में अभी वह व्यस्त है. सितारे ज़मीन पर दिसंबर में रिलीज होने वाली है. क्योंकि लाल सिंह चड्ढा के बाद आमिर किसी भी फिल्म में नजर नहीं आये.  इसलिए दर्शकों को भी काफी समय से आमिर खान की वापसी का इंतजार है. आमिर खान को प्यार करने वाले ऐसे ही दर्शकों के लिए एक खुशखबरी है कि आमिर खान जल्द ही एक कौमेडी फिल्म में नजर आने वाले हैं जिसका नाम चार दिन की चांदनी है.

सूत्रों के अनुसार, राजकुमार संतोषी के साथ आमिर खान गुपचुप  इस प्रोजेक्ट को लेकर मीटिंग कर रहे हैं. खबरों के अनुसार राजकुमार संतोषी की इस कौमेडी फिल्म में आमिर खान कोलैबोरेट तो करेंगे ही लेकिन साथ ही मुख्य भूमिका भी निभाएंगे .

आज से 30 साल पहले आमिर खान ने राजकुमार संतोषी की फिल्म अंदाज अपना अपना में सलमान खान के साथ जोड़ी बनाकर काम किया था. यह फिल्म भी एक कौमेडी फिल्म थी जो दर्शकों को आज भी याद है. इसी वजह से राजकुमार संतोषी को पूरा यकीन है आमिर खान के साथ बनी कौमेडी फिल्म दर्शक जरूर एंजौय करेंगे. चार दिन की चांदनी और सितारे जमीन पर के अलावा आमिर खान जोया अख्तर की भी एक फिल्म कर रहे हैं. इसके अलावा दिनेश विजन की भी एक फिल्म के लिए आमिर खान के साथ बात चल रही है .

ऐसे में कहना गलत न होगा  कि आमिर खान 4 दिन की चांदनी नहीं है बल्कि आसमान में दिखने वाले सितारे हैं. जो कभी भी नजर आएंगे तो चमकेंगे. फिर चाहे उनकी फिल्म हिट हो या फ्लौप.

अभिषेक बच्चन और उदय चोपड़ा का ‘धूम 4’ से पत्ता साफ, इस फिल्म में Ranbir Kapoor मचाएंगे धमाल ?

जौन अब्राहम, उदय चोपड़ा, और अभिषेक बच्चन (Abhishek Bachchan) फिल्म धूम में सबसे पहले नजर आए थे और धूम मचाले गाने के साथसाथ इस फिल्म में भी इन तीनों ने धूम मचा दी थी. आदित्य चोपड़ा की फिल्म धूम को दर्शकों ने बहुत पसंद किया था. इसलिए इसके बाद धूम 2 और धूम 3 भी बनी. जिसमें आमिर खान और ऋतिक रोशन दमदार अभिनय करते नजर आए. हालांकि धूम2 और धूम 3 इतनी सफल नहीं हुई जितनी कि पहली फिल्म धूम हुई थी. लेकिन फिर भी दोनों फिल्मों धूम 2 और धूम 3 को दर्शकों द्वारा पसंद किया गया था.

लिहाजा धूम 4 का भी निर्माण कार्य शुरू हुआ और तभी से इसकी चर्चा भी चल रही है. आदित्य चोपड़ा की धूम 4 में कौन से हीरो की एंट्री होगी इस बात को लेकर सभी अटकलें लग रहे थे. धूम 4 के हीरो के लिए कई नाम भी सामने आए थे. लेकिन अब फाइनली धूम 4 के हीरो की तलाश पूरी हो गई है . जो रोमांटिक हीरो से एंटी हीरो तक लंबा सफर तय करके बौलीवुड में अपनी अलग पहचान बना रहे है. और हालिया प्रदर्शित फिल्म एनिमल से लोगों का ध्यान अपनी और आकर्षित करने वाले रणबीर कपूर (Ranbir Kapoor) धूम 4 में हीरो के किरदार में नजर आएंगे .

आदित्य चोपड़ा और रणबीर कपूर की इस फिल्म को लेकर बहुत समय से बात चल रही है और सूत्रों के अनुसार अब फाइनली धूम 4 रणबीर कपूर ही करने जा रहे हैं. इस फिल्म को लेकर एक खबर यह भी है की पहली जो धूम बनी थी जिसमें अभिषेक बच्चन और उदय चोपड़ा ने काफी धमाल मचाया था. अब धूम 4 में यह दोनों नजर नहीं आएंगे. खबरों के अनुसार चोपड़ा और अभिषेक बच्चन की जगह पर दो नये हीरो की एंट्री हो सकती है. धूम 4 की शूटिंग 2025 में ही शुरू होगी. तब तक बाकी कास्ट को भी फाइनल किया जाएगा.

रेड साड़ी में Mannara Chopra का फास्ट एंड फ्यूरियस डांस मूव्स, सोशल मीडिया पर यूजर्स ने दिया ये रिएक्शन

बिग बौस 17 की कंटेस्टंट मन्नारा चोपड़ा (Mannara Chopra) अपने एक धमाकेदार डांस मूव्स के कारण खूब वायरल हो रही है. प्रियंका चोपड़ा की कजिन सिस्टर मन्नारा चोपड़ा का एक डांस वीडियो वायरल हो रहा है. इस वीडियो में वह साउथ फिल्म ‘तिरागबादरा सामी’ के सांग ‘राधाभाई’ पर डांस कर रही हैं. इस वीडियो में आप मन्नारा की जबरदस्त एनर्जी और डांस मूव्स साफ देख सकते हैं डांस करते हुए जो एनर्जी उन्होंने दिखाई है उस पर लोग आश्चर्य में है और खूब रिएक्शन दे रहे हैं.

सोशल मीडिया पर रिएक्शन

रेड साड़ी और स्लीव्स लैस डीप नेक का रेड ब्लाउज पहने मन्नारा बहुत ही रिवीलिंग लग रही हैं. डांस के साथ उनकी मटकती-झटकती अदाएं देख कर लोग दांतों तले उंगली दबा रहे हैं. और मिलेजुले रिएक्शन दे रहे है. लोगों ने इस वीडियो को देखकर कहा है- ये यहां बौडी बिल्डर ज्यादा लग रही हैं. वहीं दूसरे ने कहा- भाई, ये क्या है, मैं तो डर गया. एक अन्य यूजर ने कहा- बिग बौस से निकलने के बाद यही हाल होता है, किसी के अच्छे किसी के बुरे, इनका बुरा चल रहा. एक यूजर ने पूछा- मन्नारा, आखिर क्या मजबूरी रही होगी आपकी? एक ने कहा- पहला आयशा और अब ये. ये कितनी खतरनाक लग रही हैं, कोई बताओ इनको. एक ने कहा- मुन्ना (मुन्नवर) की सारी आइटम ऐसे ही डांस करती है?

इतराती अदाओं ने मचाई तबाही

‘तिरागबादरा सामी’ के इस डांस वीडियो के क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. इस सांग के लिरिक्स भोले शावली के हैं और इसे आवाज दी है श्रवण भार्गवी ने. और मन्नारा की इतराती कातिल अदाओं ने तो तबाही मचाई हुई है. लोग इसे बारबार देख रहे है.

वर्क फ्रंट

मन्नारा के फिल्मों में काम की बात करें तो वह साउथ की फिल्मों में खूब नजर आती है. उनकी पहली फिल्म ‘जिद’ 2014 में, ‘हाले दिल ऑन ब्रोकन नोट्स’ 2021 में आई. इसके अलावा उनकी सभी फिल्में तमिल, तेलुगू, या कन्नड़ हैं. हिंदी लैंग्वेज में उन्होंने चर्चित शो ‘बिग बॉस में ही काम किया और अपनी खास पहचान बनाई.

मेरी पत्नी का संबंध किसी गैर मर्द के साथ है, मैं क्या करूं?

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…

सवाल

मेरी शादी को 5 साल हो गए. मेरे दो बच्चे भी हैं. लेकिन मुझे कुछ दिनों पहले पता चला कि मेरी पत्नी का संबंध किसी दूसरे लड़के के साथ है. ये सुनने के बाद मुझे समझ नहीं आ रहा, मैं उससे क्या बात करूं? हालांकि ये जानने के बाद मैं अपने घर भी नहीं गया हूं, कुछ दिनों से मैं अपने दोस्त के साथ रह रहा हूं. आप ही बताएं, इस स्थिति में मुझे क्या करना चाहिए ?

जवाब

देखिए आपको इस तरह से घर नहीं छोड़ना चाहिए. पहले आप अपनी पत्नी से बात करें. अगर आपने खुद देखा है कि आपकी पत्नी का संबंध किसी गैर मर्द से है, तो इसमें सच्चाई है, लेकिन अगर किसी दूसरे शख्स ने आपसे कहा है, तो उस पर भरोसा न करें. आप खुद अपनी पत्नी से इस बारे में बात करें. कई बार लोग अफवाह भी फैलाते हैं, जिससे किसी की शादीशुदा जिंदगी बर्बाद हो जाए.

कोई भी कदम उठाने से पहले आप बात की तह तक जाएं और पत्नी से खुल कर बात करें. अगर आपकी पत्नी ये बात ऐक्सैप्ट करती है कि उनका संबंध किसी गैर मर्द के साथ है, तो ही आप दोनों अपने रिश्ते के बारे में फैसला करें. समाज में लोग क्या कहेंगे आप ये मत सोचें. आपकी जिंदगी का फैसला आपके हाथ में है.

तलाक के बाद डेटिंग की कर रही हैं प्लानिंग, तो बड़े काम के हैं ये टिप्स

  • अगर तलाक के बाद किसी को डेट करने के लिए आप इमोशनली तैयार हैं, तो घर से बाहर निकलें, मन न भी हो तो भी बाहर निकलें. नए लोगों से मिलें. आर्ट, डांस, कुकिंग, कौमेडी, टैनिस, गोल्फ, पार्टी, कहीं भी जाएं, अपनी रुचि के अनुसार ही इन जगहों पर आप का नए लोगों से मिलना होगा.
  • छोटी-छोटी हल्कीफुल्की बातें करना शुरू करें. इस से आगे की बातचीत आसान हो जाती है. थोड़ी बहुत आम विषयों पर बात कर के आगे की बातचीत का आधार बन जाता है.
  • बौडी लैंग्वेज बहुत महत्त्वपूर्ण है. मुसकराएं पर स्वाभाविक रूप से. ऐसा कुछ न करें कि उसे लगे कि आप तो फर्स्ट डेट में ही गले पड़ रही हैं और फिर वह कभी आप से मिलना न चाहे.
  • अगर आप हंसमुख स्वभाव की हैं, तो आप के लिए कई हल्कीफुल्की बातें करना आसान होगा. अगर आप को जोक्स सुनाना पसंद है, तो सुनाएं पर अश्लील न हों, सिचुएशन में फिट बैठते हों.
  • आंखें मिला कर बात करें. आप ने दूसरी डेटिंग वैबसाइट्स पर भी कुछ किया हो तो उस की बात न करें.

व्हाट्सऐप मैसेज या व्हाट्सऐप औडियो से अपनी समस्या इस नम्बर 8588843415 पर  भेजें. 

या हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- sampadak@delhipress.biz सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

YRKKH : अभिरा और अरमान के बीच बढ़ रही हैं दूरियां, रूही बनने वाली है मां

टीवी सीरियल ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ (Yeh Rishta Kya Kehlata Hai) में इन दिनों हाई वोल्टेज ड्रामा चल रहा है. सीरियल में अरमान और अभिरी की शादी का ट्रैक चल रहा है. जिससे दर्शकों का भरपूर एंटरटेनमैंट हो रहा है. शो के बिते एपिसोड में आपने देखा कि अरमान की मां विद्या इस शादी से खुश नहीं है. शो के अपकमिंग ट्विस्ट के बारे में…

सीरियल में आएगा 3 साल का लीप

शो में दिखाया जा रहा है कि विद्या ने अरमान को अपना बेटा मानने से मना कर दिया है. दूसरी तरफ रूही और रोहित अपनी लाइफ में आगे बढ़ने की कोशिश कर रहे हैं. इसी बीच खबर आ रही है कि सीरियल में मेकर्स नया लीप लाने की तैयारी कर रहे हैं.अगर सीरियल में लीप दिखाया जाता है, तो अरमान, अभिरा और रूही की जिंदगी में कई तरह के बदलाव आएंगे.

 अभिरा और अरमान के बीच बढ़ रही हैं दूरियां

सीरियल में दिखाया जा रहा है कि अरमान और अभिरा की शादी के बाद उन्हें कई तरह के मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. दोनों पतिपत्नी आपस में ठीक से बात भी नहीं कर रहे हैं. शादी के बाद अरमान की मां ने नया ड्रामा खड़ा कर दिया है, जिसके कारण वह अभिरा से दूरदूर रह रहा है. जिसके कारण अभिरा बहुत दुखी है, उसे कुछ समझ ही नहीं आ रहा है.

क्या अरमान को भूल जाएगी रूही

तो वहीं रूही अरमान को भूलकर रोहित के साथ अपनी जिंदगी में आगे बढ़ने की कोशिश कर रही है. रिपोर्ट के अनुसार, शो में तीन साल का लीप आएगा, जिससे शो में महाट्विस्ट दिखाया जाएगा. सीरियल गौसिप के अनुसार, अभिरा पोद्दार फर्म ज्वाइन कर लेगी, लेकिन वह अरमान से दूर हो जाएगी. दोनों शादी का सिर्फ फर्ज निभाएंगे. उनके बीच कई गलतफहमियां बढ़ेंगी.

रूही बनने वाली है मां?

शो में दिखाया जा रहा है कि विद्या अपने बेटे अरमान और अभिरा को जमकर कोस रही है. जिससे दादी सा भड़की है. लेकिन इसी बीच दी सा अभिरा को पोद्दार फर्म ज्वाइन करने का औफर देगी. तो वहीं अभिरा परेशान होगी. वह दादी सा को मना करे या नहीं ? सीरियल के आने वाले एपिसोड में आप ये भी देखेंगे कि अरमान अपने पापा समझाएगा कि उसे अभिरा से दूर रहना होगा. दूसरी तरफ रूही परिवार को पता चलेगा कि रूही मां बनने वाली है. ये सुनकर सबके होश उड़ जाएंगे.

अभिरा और रूही करवाचौथ का रखेंगी व्रत

शो में करवाचौथ का ट्रैक भी दिखाया जाएगा. अभिरा और रूही शादी के पहली करवाचौथ की तैयारी करेंगे. हालांकि रूही रूही अरमान के लिए व्रत रखेगी. जैसे ही ये सच अभिरा के सामने आएगा. उसे बड़ा झटका लगेगा. शो में अब ये देखना दिलचस्प होगा कि अभिरा और अरमान की जिंदगी में आया तूफान कैसे थमेगा?

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