क्या है विद्या की नई चाहत

बॉलीवुड की जानी मानी एक्ट्रेस विद्या बालन का कहना है कि वह ट्रेजडी क्वीन मीना कुमारी का किरदार निभाना चाहती है. फिल्म ‘द डर्टी पिक्चर’ में दक्षिण भारतीय एक्ट्रेस सिल्क स्मिता का किरदार निभाने वाली विद्या अब मीना कुमारी, पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और एम.एस. सुब्बुलक्ष्मी जैसी हस्तियों का किरदार निभाना चाहती है.

उन्होंने कहा ‘मैं मीना कुमारी पर बायोपिक करना चाहती हूं. मुझे ‘डर्टी पिक्चर’ के बाद इस पर फिल्म का प्रस्ताव मिला था. लेकिन मुझे दुख है कि तब मैं वह नहीं कर पाई. मैं इंदिरा गांधी पर भी बायोपिक करना चाहती हूं, लेकिन हमें इसके लिए मंजूरी मिलनी चाहिए, ताकि फिल्म रिलीज हो पाए. साथ ही मैं शास्त्रीय संगीत गायिका एम.एस. सुब्बुलक्ष्मी की भूमिका भी निभाना चाहती हूं.’

विद्या आजकल अपनी आने वाली ‘कहानी 2’ के प्रमोशन में बिजी हैं. जिसका प्रमोशन बेहद अलग अंदाज में किया गया. फर्स्ट लुक जारी करते हुए विद्या की तस्वीर पर वॉन्टेड लिखा था. फिल्म के प्रमोशन के लिए सड़कों पर विद्या की तस्वीर पर बतौर क्रिमिनल डीटेल के साथ वॉन्टेड लिखे हुए पोस्टर लगाए गए थे. बता दें कि सुजॉय घोष ने विद्या बालन को लेकर सुपरहिट फिल्म ‘कहानी’ बनाई थी जो कि सफल रही. ‘कहानी 2’ 2 दिसंबर 2016 को रिलीज होगी.

जैकी चैन को मिला ऑस्कर अवॉर्ड

मशहूर चीनी अभिनेता जैकी चैन को ऑस्कर अवॉर्ड से नवाजा गया है. उन्हें यह अवॉर्ड फिल्मों में योगदान के लिए मिला है. उन्होंने अपने 56 साल के करियर में 200 से ज्यादा फिल्में बनाई हैं.

जैकी के साथ इस अवॉर्ड से ब्रिटिश फिल्म एडिटर ऐने वी कोट्स, कास्टिंग डाइरेक्टर लिन स्टॉलमास्टर और डॉक्यूमेंटरी फिल्म निर्माता फ्रेडरिक वाइजमैन को भी नवाजा गया है.

पुरस्कार समारोह में जैकी ने अपने सभी फैन का शुक्रिया अदा करते हुए कहा, ‘हमेशा मेरे पिता मुझसे पूछते थे कि तुम्हारे पास सबकुछ है, फिर ऑस्कर क्यों नहीं है? मैं उनसे कहता कि मैं कॉमेडी एक्शन फिल्में बनाता हूं. आज से 23 साल पहले मैनें हॉलीवुड अभिनेता सिल्वस्टर स्टैलॉन के घर ऑस्कर मेडल देखा था. तब मैनें उसे छूआ, चूमा और लगा कि यह मेडल मुझे भी चाहिए. आज वह सपना पूरा हुआ है.’

जैकी चैन ने करियर की शुरुआत से ब्रूस ली की फिल्मों में स्टंट किए थे. 62 साल के जैकी फिल्मों में अपने स्टंट खुद ही करते हैं.

..तो नहीं फैलेगी लिपस्टिक

कई लोगों को यह समस्या होती है कि लिपस्टिक हर जगह फैल जाती है और खासतौर से दांतों पर लिपस्टिक विशेष रूप से खराब लगती है. यहां कुछ तरीके और उपाय सुझाये जा रहे हैं जिनसे यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि ऐसा कतई न हो.

दांतो से लिपस्टिक को चिपकने से बचाने के ये आसान उपाय सच्चे मददगार साबित हो सकते हैं. ये उपाय न केवल यह सुनिश्चित करेंगे कि लिपस्टिक आपके दांत से दूर रहे बल्कि पूरे दिन बिल्कुल ठीक लगी रहे.

दांत से लिपस्टिक को कैसे रखें दूर

1. मैट लिपस्टिक का प्रयोग करें

मैटी लिपस्टिक आसानी से जगह नहीं बदलती. तो अगर आपको यह समस्या काफी अधिक होती है तो क्रीम या सैटिन-आधारित लिपस्टिक से दूर रहना श्रेयस्कर होता है.

2. तरल मैटी

तरल मैटी लिपस्टिक इस समस्या के लिये और भी बेहतर होती हैं. ये लिपस्टिक चमकीली बनी रहती हैं, केवल सूखी मैटी ही नहीं, और दिनभर नहीं हटती हैं.

3. टिश्यू उपाय

मुंह के आन्तरिक सतह पर लिपस्टिक को जाने से रोकने के लिये अपने होठों के बीच टिश्यू पेपर रखें. इससे आपके दाँतों पर लिपस्टिक का दाग नहीं पड़ता.

4. उंगली का उपाय

लिपस्टिक लगाने के बाद अपने मुंह में कोई भी उंगली डालें. इससे कोई भी फैली लिपस्टिक उंगली के सहारे बाहर आ जाती है. यह वह तरीका है जो शर्तिया आपके दांतो से लिपस्टिक को दूर रखेगा.

5. अपने होंठ रगड़ें

लिपस्टिक लगाने से पहले यह सुनिश्चित कर लें कि आपके होंठ चिकने और अच्छी तरह से रगड़े हों. खुरदरी सतह पर लिपस्टिक लगाने से लिपस्टिक बह जाती है और दांतों पर धब्बे लगाती है.

6. लिप लाइनर का प्रयोग करें

लिप लाइनर, रंग चाहने वाले स्थान को सीमंकित करने में मदद करता है. इससे रंग निर्धारित स्थान पर रहता है और लिपस्टिक को दाँत पर फैलने से रोकता है.

7. ब्रश को उपयोग करना  

लिप ब्रश की सहायता से बिल्कुल सटीक लिपस्टिक लगती है और यह लिपस्टिक को मुंह में जाने से रोकने में मदद करता है.

महीने के ‘वे’ दिन, बदलनी होगी सोच

एक इलैक्ट्रिकल ऐप्लायंसिस कंपनी के विज्ञापन में जहां नारी का सम्मान करने का संदेश दिया जा रहा है, वहीं ‘आज की नारी सब पर भारी’ जैसे जुमले भी सुनने को मिलते हैं. उसे आधी आबादी का दर्जा दिया जा रहा है और चारों ओर नारी सशक्तीकरण की बातें की जा रही हैं.

हैरानी की बात तो यह है कि उसी समाज में लड़कियों व महिलाओं को पीरियड्स यानी मासिकधर्म के दौरान शारीरिक दर्द का सामना करते हुए अपवित्र होने का मानसिक दंश सहना पड़ता है. इस के बारे में बात और विचारविमर्श करने को बेशर्मी माना जाता है, क्योंकि लोगों को आज भी इस जैविक प्रक्रिया के वैज्ञानिक पहलुओं की जानकारी नहीं है. इस के कारण लड़कियों और महिलाओं को इस दौरान अपवित्र समझा जाता है, उन के साथ अछूतों जैसा व्यवहार किया जाता है, उन्हें धार्मिक उत्सवों में भाग लेने की मनाही होती है और घर के पुरुषों से दूर अलग बिस्तर पर सोने की मजबूरी.

मैंस्ट्रुएशन यानी मासिकधर्म से जुड़े ये अंधविश्वास सालों से ढोए जा रहे हैं. सभी मांएं अपनी बेटियों को इन्हें सिखाती हैं, जिस से विकास के दौर में उन के आत्मविश्वास को गहरी चोट पहुंचती है और उन का व्यक्तित्व विकास रुक जाता है.

बदलाव की बयार

भारत में चर्चा के लिए वर्जित माने जाने वाले मैंस्ट्रुएशन को चर्चा का विषय बनाने और उस पर खुल कर बात करने की शुरुआत की झारखंड के गढ़वा की अदिति गुप्ता ने. पेशे से इंजीनियर और नैशनल इंस्ट्टियूट औफ डिजाइन (एनआईडी), अहमदाबाद से पोस्ट ग्रैजुएट अदिति का कहना है कि बचपन में जब भी टैलीविजन पर सैनिटरी नैपकिन का विज्ञापन आता था और मैं उस के बारे में जानना चाहती थी, तो मेरी मां उस चैनल को बदल देती थीं और जब भी मैं स्पष्ट रूप से बात करना चाहती, तो वे कहतीं कि जब बड़ी हो जाओगी सब जान जाओगी.

पहली बार जब 12 वर्ष की उम्र में मेरे पीरियड्स शुरू हुए तो मां ने मुझे पुराना कपड़ा दिया, जिसे वे खुद भी इस्तेमाल करती थीं. उस दौरान मुझे पेट में दर्द होता था और मेरा पूरा दिन बरबाद हो जाता था. परेशानियां तब और बढ़ जाती थीं, जब मुझे अपने कपड़े अलग धोने पड़ते थे. पीरियड्स खत्म हो जाने के बाद बैडशीट को भी धोना पड़ता था.

समाज में व्याप्त मासिकधर्म से जुड़े अंधविश्वासों और वर्जनाओं के कारण दुकान पर जा कर सैनिटरी नैपकिन खरीदना शर्मनाक माना जाता था. फिर भी इस दौरान मेरे परिवार ने मुझे पूरा सहयोग दिया.

स्कूल में भी जब 9वीं कक्षा में बायोलौजी में इस विषय पर पढ़ाया जाना था, तो हमारे पुरुष अध्यापक ने हमें उस चैप्टर को खुद घर से पढ़ कर आने को कहा. अच्छी शिक्षा के अभाव में जब मैं ने दूसरे शहर के स्कूल में दाखिला लिया, तो वहां के होस्टल में 10 लड़कियों के लिए एक बाथरूम था. जहां कपड़े के पैड को धोना संभव न था. तब मैं ने अपनी रूममेट को सैनिटरी नैपकिन प्रयोग करते देखा, तो मैं ने भी सैनिटरी नैपकिन प्रयोग करने की सोची. जब मैं दुकान से नैपकिन लेने गई, तो दुकानदार ने पैड को पेपर से लपेट कर काली पौलिथीन में डाल कर दिया. तब से आज तक मैं ने अनेक ब्रैंड्स के नैपकिन ट्राई किए और उन के सोखने की क्षमता जांची.

अदिति एनआईडी, अहमदाबाद में तुहीन जो अब उन के पति हैं के संपर्क में आईं. अदिति बताती हैं कि तुहीन मेरे सहपाठी होने के साथसाथ मेरे अच्छे दोस्त भी थे. तुहीन इस विषय पर इंटरनैट से जानकारी प्राप्त करते और मुझे बताते. 2009 में एक प्रोजैक्ट के दौरान मैं ने और तुहीन ने मैंस्ट्रुएशन पर रिसर्च करने का निर्णय लिया और इस बारे में कई लड़कियों, उन के मातापिता, शिक्षकों व गाइनोकोलौजिस्ट्स से बात की. तब हम ने जाना कि स्थितियां आज भी वैसी ही हैं, जैसी 18-20 साल पहले थीं. तब यह प्रोजैक्ट मैंस्ट्रुपीडिया का आधार बना.

क्या है मैंस्ट्रुपीडिया

मैंस्ट्रुपीडिया एक फन गाइड है हैल्दी पीरियड्स की. गूगल पर मैंस्ट्रुपीडिया लिखते ही मैंस्ट्रुएशन यानी मासिकधर्म या माहवारी से संबंधित जानकारियों की लंबी सूची आप के सामने आती है. इस वैबसाइट को बनाने का श्रेय जाता है अदिति गुप्ता और तुहीन पौल को. नवंबर, 2012 को लौंच हुई इस वैबसाइट का उद्देश्य पीरियड्स के बारे में लोगों को जागरूक कराना है और इस से जुड़े अंधविश्वासों को दूर करने के साथसाथ इस दौरान साफसफाई की पूरी जानकारी भी देना है ताकि इस दौरान लड़कियां व महिलाएं ऐक्टिव व हैल्दी रहें और उन के साथ अछूतों जैसा व्यवहार न किया जाए. इस वैबसाइट में मासिकधर्म से जुड़े सामाजिक और वैज्ञानिक पहलुओं की जानकारी है, पाठकों द्वारा अकसर पूछे जाने वाले प्रश्नों के उत्तर हैं व एक ब्लौग है, जहां पाठक अपने अनुभव व आपबीती शेयर कर सकते हैं.

वैबसाइट की सभी जानकारियां विश्व की प्रसिद्ध हैल्थ व मैडिकल संस्थाओं द्वारा प्राप्त की गई हैं. लंदन के गाइनोकोलौजिस्ट डा. महादेव भिडे इस वैबसाइट के मैडिकल सलाहकार हैं. वे वैबसाइट का कंटैंट देखने के साथसाथ इस के सवालजवाब विभाग को भी देखते हैं. जबकि ब्लौग की ऐडिटर दिव्या रोजलीन हैं. अदिति इस वैबसाइट की सहसंस्थापक व मार्केटिंग स्ट्रेटजिस्ट हैं, जबकि तुहीन कहानीकार व इलेस्ट्रेटर.

कौमिक बुक टेल्स औफ चेंज

रंगीन चित्रों व आसान हिंदी व अंगरेजी भाषा में बनाई गई कौमिक बुक टेल्स औफ चेंज का उद्देश्य लड़कियों को इस के माध्यम से पीरियड्स की जानकारी देना है. हिंदी व अंगरेजी में इस कौमिक बुक के लौंच होने के बाद अदिति गुप्ता, तुहीन पौल व रजत मित्तल, जो वैबसाइट के तकनीकी पक्ष को संभालते हैं, इस कौमिक को अन्य भारतीय भाषाओं में भी लौंच करने की योजना बना रहे हैं. इस कौमिक में पूजा, अंजलि व जिया नामक 3 किरदारों को पीरियड्स की जानकारी देने का काम दीदी नामक किरदार को सौंपा गया है, जो मैडिकल स्टूडैंट है.

अदिति कहती हैं कि इस लौजिक को लोगों तक पहुंचाने के लिए हम स्कूलों, एनजीओ व सैनिटरी नैपकिन बनाने वाली कंपनियों का सहयोग लेंगे. यह कौमिक बुक वहां सफल होगी और जानकारी का माध्यम बनेगी, जहां बोलचाल का माध्यम असफल हो जाता है. यह कौमिक उन छोटीछोटी लड़कियों, जो इस कठिन दौर से गुजरती हैं, को बेसिक जानकारी देगी.

फिलहाल यह कौमिक बुक हिंदी व अंगरेजी में बन रही है और अगले 5 वर्षों में अदिति की इस के 15 भारतीय भाषाओं में अनुवाद कराने की योजना है. इस के अलावा 15 पेज की एक कौमिक भी है, जो मैंस्ट्रुएशन से संबंधित आधारभूत जानकारी लड़कियों को सरल भाषा में उपलब्ध कराएगी.

बदलनी होगी सोच

अदिति का मानना है कि मैंस्ट्रुएशन को एक वर्जित विषय बनाने की जिम्मेदारी काफी हद तक हमारे समाज की महिलाओं की ही है. मांएं अपनी बेटियों को शुरू से सिखाती हैं कि शर्म ही तुम्हारा गहना है. ऐसे बैठो, वैसे मत बैठो, इस से बात करो उस से मत करो, खुद को हमेशा ढक कर रखो, अपने शरीर के बारे में किसी से बात मत करो.

दरअसल, यही सोच हमें बदलनी होगी. हमें समाज में यह जानकारी फैलानी होगी कि यह एक बायोलौजिकल प्रोसैस है, जिसे गंदा मानना गलत है. कोई भी लड़की विवाहित होने के बाद इस प्रोसैस के चलते ही मां बनती है, तो यह प्रक्रिया गंदी कैसे हो सकती है?

अदिति का कहना है कि इस वैबसाइट व कौमिक बुक का टारगेट वैसे तो युवा लड़कियां व महिलाएं हैं पर हम पुरुषों व लड़कों तक भी अपनी बात पहुंचाना चाहते हैं, क्योंकि उन्हें जब महिलाओं के इस बायोलौजिकल प्रौसेस की जानकारी होगी, तभी वे अपने जीवन में आने वाली लड़कियों व महिलाओं की समस्याओं को समझ सकेंगे व उन के साथ सहयोग कर सकेंगे.

मैंस्ट्रुएशन के बारे में खुल कर बात न करने यानी अपनी समस्याओं को शेयर न करने के कारण अधिकांश महिलाएं पीरियड्स के दौरान अनहाइजीनिक माहौल में रहती हैं. वे आधुनिक उत्पादों का प्रयोग नहीं करतीं, जिस के चलते उन्हें वैजाइनल इन्फैक्शन व अन्य कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. आप को जान कर हैरानी होगी कि पीरियड्स को शर्म के साथ जोड़ने के कारण केवल 12 फीसदी भारतीय महिलाएं सैनिटरी नैपकिन्स का इस्तेमाल करती हैं.

अदिति उम्मीद करती हैं कि आज की युवा पीढ़ी जो बदलाव की पक्षधर है और समाज में बदलाव चाहती है, हमारे इस मिशन में हमारे साथ होगी और समाज में इस दिशा में सकारात्मक बदलाव आएंगे.

मैरिज रजिस्ट्रेशन है जरूरी

कानूनन जरूरी होने के बावजूद लोग शादी का रजिस्ट्रेशन तभी कराते हैं जब उन्हें वीजा आदि के लिए आवेदन करना होता है. शादी या उस के बाद और बातों का तो बड़ा ध्यान रखा जाता है, लेकिन शादी का रजिस्ट्रेशन कराने को प्राथमिकता नहीं दी जाती है. अनपढ़ लोगों का ही नहीं शिक्षित लोगों का भी यही हाल है.

चलिए, बात करते हैं कि शादी का रजिस्ट्रेशन कितना जरूरी है तथा यह करवाना कितना आसान है और आगे चल कर इस के क्या फायदे हैं:

मैरिज सर्टिफिकेट इस बात का आधिकारिक प्रमाण होता है कि 2 लोग शादी के बंधन में बंधे हैं. आजकल जन्म प्रमाणपत्र को उतनी अहमियत नहीं दी जाती, जितनी विवाह प्रमाणपत्र को दी जाती है. लिहाजा, इसे बनवाना अहम है. भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है. अत: यहां 2 ऐक्ट्स के तहत शादियों का रजिस्ट्रेशन होता है- हिंदू मैरिज ऐक्ट 1955 और स्पैशल मैरिज ऐक्ट 1954.

आप की शादी हुई है और अमुक तारीख को हुई है, इस बात का अनिवार्य कानूनी सुबूत है मैरिज सर्टिफिकेट. आप बैंक खाता खोलने, पासपोर्ट बनवाने या किसी और दस्तावेज के लिए आवेदन करते हैं, तो वहां मैरिज सर्टिफिकेट काम आता है. जब कोई दंपती ट्रैवल वीजा या किसी देश में स्थाई निवास के लिए आवेदन करता है, तो मैरिज सर्टिफिकेट काफी मददगार साबित होता है.

भारत या विदेश में स्थित दूतावास पारंपरिक विवाह समारोहों के सुबूत को मान्यता नहीं देते. उन्हें मैरिज सर्टिफिकेट देना होता है. जीवन बीमा के फायदे लेने के लिए भी मैरिज सर्टिफिकेट जमा कराना (जिन मामलों में पति या पत्नी में से किसी की मौत हो गई हो) होता है. नौमिनी अपने आवेदन की पुष्टि में कानूनी दस्तावेज पेश नहीं करे तो कोई बीमा कंपनी अर्जी को गंभीरता से नहीं लेती. 2006 में सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं की सुरक्षा के मद्देनजर शादी का रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य घोषित कर दिया था.

कैसे कराएं रजिस्ट्रेशन

हिंदू ऐक्ट या स्पैशल मैरिज ऐक्ट के तहत शादी का रजिस्ट्रेशन कराना कतई मुश्किल नहीं है. पति या पत्नी जहां रहते हैं, उस क्षेत्र के सबडिविजनल मजिस्ट्रेट (एसडीएम) के दफ्तर में अर्जी दे सकते हैं. अर्जी पर पतिपत्नी दोनों के हस्ताक्षर होने चाहिए. अर्जी देते वक्त उस के साथ लगाए गए दस्तावेज की जांचपरख होती है. उस के बाद औफिस की ओर से एक दिन तय किया जाता है. इस की सूचना दंपती को दे दी जाती है. उस वक्त पहुंच कर पतिपत्नी शादी को रजिस्टर्ड करा सकते हैं. उस वक्त एसडीएम के सामने पतिपत्नी के साथ एक गैजेटेड औफिसर को भी मौजूद रहना पड़ता है, जो शादी में मौजूद रहा हो. प्रमाणपत्र उसी दिन जारी कर दिया जाता है.

आवेदन के लिए क्याक्या है जरूरी

पूरी तरह भरा आवेदनपत्र, जिस पर पतिपत्नी और उन के मातापिता के हस्ताक्षर हों. रिहाइश का प्रमाणपत्र जैसे वोटर आईडी/राशन कार्ड/पासपोर्ट/ड्राइविंग लाइसैंस, पति और पत्नी दोनों का जन्म प्रमाणपत्र, 2-2 पासपोर्ट साइज फोटोग्राफ्स, शादी का एक फोटोग्राफ.

सारे दस्तावेज सैल्फ अटैस्टेड होने चाहिए. आवेदन के साथ शादी का एक निमंत्रणपत्र भी लगाना होता है.

अर्हताएं: दूल्हा या दुलहन उस तहसील का निवासी हो जहां शादी रजिस्टर्ड कराई जानी है. शादी के वक्त दुलहन की उम्र 18 और दूल्हे की 21 साल से कम न हो.

जुर्माना: अगर कोई शख्स विवाह प्रमाणपत्र नहीं दे पाता है, तो उसे 10 हजार जुर्माना भरना पड़ सकता है.

विवाह प्रमाणपत्र के लिए अर्जी देने में कोई ज्यादा खर्च नहीं आता है और न ही यह लंबी प्रक्रिया है. हिंदू मैरिज ऐक्ट के तहत प्रमाणपत्र लेने के लिए आवेदन फीस 100 और स्पैशल मैरिज ऐक्ट के तहत लेने के लिए 150 है. फीस डीएम औफिस के कैशियर के पास जमा कराई जाती है और उस की रसीद अर्जी के साथ लगानी होती है. सरकार ने औनलाइन रजिस्ट्रेशन की पहल भी की है.

विवाह प्रमाणपत्र के फायदे

– भारत में स्थित विदेशी दूतावासों या विदेश में किसी को पतिपत्नी साबित करने के लिए विवाह प्रमाणपत्र देना अनिवार्य होता है.

– विवाह प्रमाणपत्र होने से महिलाओं में विश्वास और सामाजिक सुरक्षा का एहसास जगता है. पतिपत्नी के बीच किसी तरह का विवाद (दहेज, तलाक, गुजाराभत्ता लेने आदि) होने की स्थिति में विवाह प्रमाणपत्र काफी मददगार साबित होता है.

– इस से प्रशासन को बाल विवाह पर लगाम लगाने में मदद मिलती है. अगर आप की उम्र शादी लायक नहीं है तो विवाह का रजिस्ट्रेशन नहीं होगा.   

शादीशुदा हों या तलाकशुदा, दोनों ही सूरत में विवाह प्रमाणपत्र काम आता है. इस के अलावा इस प्रमाणपत्र की सब से ज्यादा उपयोगिता तलाकशुदा महिलाओं के लिए है क्योंकि तलाक के बाद महिलाओं को आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा की जरूरत पुरुषों की तुलना में ज्यादा होती है.     

स्पैशल मैरिज ऐक्ट 1954

स्पैशल मैरिज ऐक्ट के तहत भी आसानी से शादी रजिस्टर्ड कराई जा सकती है. इस के लिए निम्न स्टैप्स हैं:

– पतिपत्नी जिस क्षेत्र में रहते हैं, वहां के मैरिज अफसर को शादी की सूचना देनी होती है.

– नोटिस की तारीख से कम से कम 1 महीना पहले से उस क्षेत्र में रिहाइश होनी जरूरी है.

– नोटिस मैरिज अफसर के औफिस में किसी ऐसी जगह पर चस्पां करना चाहिए जहां सब की नजर पड़े.

– अगर पतिपत्नी दोनों अलगअलग इलाके में रहते हैं तो नोटिस की एक कौपी दूसरे क्षेत्र के मैरिज अफसर को भेजनी होगी. नोटिस पब्लिश होने के 1 महीने बाद शादी को कानूनी वैधता दे दी जाती है.

– अगर कहीं से कोई आपत्ति आती है तो मैरिज अफसर दंपती से संपर्क कर पूछता है कि शादी को वैधता प्रदान की जाए या नहीं.

शादी रजिस्टर्ड कराने के स्टैप्स

हिंदु मैरिज ऐक्ट के तहत कोई भी अपनी शादी को रजिस्टर्ड करा सकता है. इस के लिए निम्न स्टैप्स हैं:

– दंपती को रजिस्ट्रार के यहां आवेदन करना होता है. यह रजिस्ट्रार या तो उस क्षेत्र का होगा जहां शादी हुई हो या फिर वहां का जहां पतिपत्नी में से कोई कम से कम

6 महीने से रह रहा हो.

– दंपती को शादी के 1 महीने के भीतर गवाह के साथ रजिस्ट्रार के सामने हाजिर होना होगा. बतौर गवाह मातापिता, अभिभावक, दोस्त कोई भी हो सकता है.

– रजिस्ट्रेशन में देरी होने पर 5 साल तक रजिस्ट्रार को माफी देने का अधिकार है. इस से ज्यादा वक्त होने पर संबंधित डिस्ट्रिक्ट रजिस्ट्रार के पास इस का अधिकार है. 

-विपुल माहेश्वरी, सीनियर ऐडवोकेट

फीडबैक दें और कमायें पैसे

जॉब के साथ ही बिना इन्‍वेस्‍टमेंट के आप हर महीने 30 हजार रुपए से ज्‍यादा कमा सकती हैं. इसके लिए आपको सिर्फ कुछ फेमस कंपनियों की वेबसाइट्स और सर्विसेज को लेकर फीडबैक देना होगा.

महज 20 से 30 मिनट के एक फीडबैक सेशन के लिए आप 500 से 1000 रुपए तक कमा सकती हैं और वो भी घर बैठे ही. कंप्‍यूटर, इंटरनेट कनेक्‍शन के साथ ही अगर रोजाना आपके पास आधे घंटे का वक्‍त है, तो आप इसके जरिए हर महीने 30 हजार से भी ज्‍यादा की कमाई कर सकती हैं.

कुछ वेबसाइट्स हैं, जो वेबसाइट टेस्टिंग का काम करती हैं. इन वेबसाइट्स पर आपको रजिस्‍टर करना होगा और इसके बाद आपको मेल में रोजाना असाइनमेंट्स भेजे जाएंगे. जिन्‍हें आपको संबंधित कंपनी की वेबसाइट देखने के बाद पूरा करना होगा.

इन वेबसाइट्स से ऐसे होगी पेमेंट

वेबसाइट टेस्टिंग का काम करने वाली ये ज्‍यादातर यूएस वेबसाइट्स हैं, लेकिन ये इंटरनेशनल यूजर्स के लिए भी ओपन हैं. अगर आपके पास पेपल अकाउंट हैं, तो आप इस काम के लिए एलिजिबल हैं. कुछ वेबसाइट्स वीक वाइज पेमेंट करती हैं. हर सोमवार को आपके पेपल अकाउंट में पैसे भेज दिए जाते हैं.

कुछ वेबसाइट्स एक डॉलर से कम पेमेंट भी करती हैं. ऐसे में ये ध्‍यान रखें कि आप इनसे जुड़ने से पहले उनके रूल्‍स एंड रेग्‍युलेशंस ध्‍यान से पढ़ लें. असाइनमेंट से जुड़े रेग्‍युलेशंस पर भी ध्‍यान दें और इन सबको समझने के बाद ही काम शुरू करें.

वेबसाइट टेस्टिंग में क्‍या करना होगा आपको

आजकल माइक्रोसॉफ्ट, एप्‍पल समेत कई बड़ी कंपनियां हैं, जो वेबसाइट के साथ ही अपने प्रोडक्‍टस और सर्विसेज टेस्‍ट करवाती हैं. ये कंपनीज वेबसाइट टेस्टिंग के अलावा लोगो में बदलाव और अपने किसी नए प्रोडक्‍ट को मार्केट में लाने से पहले फीडबैक लेती हैं.

ऐसे में ये कंपनियां इन ऑनलाइन प्‍लैटफॉर्म्‍स से कॉन्‍टैक्‍ट करती हैं. इसके बाद ये असाइनमेंट रजिस्‍टर्ड यूजर्स को भेजा जाता है और यूजर्स को वेबसाइट, प्रोडक्‍ट अथवा लोगो को लेकर अपनी राय देनी होती है.

आपका फीडबैक लेने के लिए ये कंपनियां आपको कुछ क्‍वेशंस भेजती हैं. आपको इनका जवाब देना होता है और जैसे ही आप सब्मिट करेंगे, वैसे ही आप 10 से 15 डॉलर (600 से 1000) तक कमाई कर सकेंगे.

यह वेबसाइट पे करती है 4000 रुपए प्रति असाइनमेंट

वेबसाइट – टेस्टिंग टाइम

टेस्टिंग टाइम से जुड़ने के बाद आप सबसे अच्‍छी कमाई कर सकती हैं. यह वेबसाइट प्रति असाइनमेंट 50 पाउंड (4000) पे करती है. इनकी हर स्‍टडी 30 से 40 मिनट की होती है.

इस वेबसाइट पर आप स्‍काइप से सीधे तौर पर क्‍लाइंट से बात करते हैं. आपको उनके सवालों के जवाब देने होते हैं.

कंपनी के प्रोडक्‍टस, वेबसाइट्स और अन्‍य सर्विसेज को लेकर आपको फीडबैक देना होगा. ऐसे में हर प्रोडक्‍ट और सर्विस सबसे पहले आपको मुहैया की जाती है और आपको उस पर फीडबैक देना होता है.

ये वेबसाइट देती है ट्रैवलिंग के दौरान कमाई का मौका

वेबसाइट – एनरोल

अगर आप दिन में ज्यादा समय ट्रेवलिंग करती हैं, तो एनरोल से जुड़कर आप उस समय का फायदा उठा सकती हैं. एनरोल आपको स्‍मार्टफोन, टैबलेट और अन्‍य किसी भी इंटरनेट डिवाइस से कमाई करने का मौका देती है. ये कंपनी दूसरी कंपनीज के लोगो, प्रोडक्‍ट्स और नई सर्विस को लेकर आपसे प्रश्‍न पूछती है, जिसका आपको जवाब देना होगा.

जवाब सब्मिट करने के बाद एनरोल की तरफ से आपको बैज मिलते हैं, इन्‍हें आप पेपल अकाउंट में क्रेडिट करवा सकती हैं.

वेबसाइट – स्‍टार्टअप लिफ्ट

स्‍टार्टअप लिफ्ट में भी आपको रजिस्‍टर करना होगा. रजिस्‍ट्रेशन के बाद आपके डैशबोर्ड पर नए टास्‍क और असाइनमेंट्स पोस्‍ट किए जाते रहेंगे. इसके बाद ये आपकी मर्जी है कि आप कितने टास्‍क्‍ करना चाहते हैं और कब करना चाहते हैं.

यह वेबसाइट हर टास्‍क के लिए मिनिमम 5 डॉलर (350) रुपए पे करती है. ये पेमेंट आपको पेपल अकाउंट से पे की जाती है. हालांकि पेमेंट आपको तब ही की जाती है कि जब आपके फीडबैक को संबंधित कंपनी एक्‍सेप्‍ट कर ले. ज्‍यादातर समय में कंपनीज फीडबैक को एक्‍सेप्‍ट कर लेती हैं, लेकिन जब उन्‍हें लगता है कि जवाब लापरवाही से दिए गए हैं, तो तब ही वह किसी रिस्‍पॉन्‍स को रिजेक्‍ट करते हैं.

गर्म दूध में शहद मिलाकर पीने के अनूठे फायदे

गर्म दूध और शहद मिलाकर पीना स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होता है. आपको ये जानकर आश्चर्य होगा कि इसमें हीलिंग का गुण होता है. ये तो हम सभी जानते हैं कि दूध और शहद दोनों ही स्वास्थ्य के लिए किसी वरदान से कम नहीं हैं लेकिन इन दोनों का एकसाथ सेवन करना स्वास्थ्य के लिए किसी औषधि की तरह काम करता है.

एक ओर जहां शहद में एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-फंगल गुण पाया जाता है. वहीं दूध एक संपूर्ण आहार है. जिसमें विटामिन ए, विटामिन बी और डी की पर्याप्त मात्रा होती है. इसके अलावा ये कैल्शियम, प्रोटीन और लैक्ट‍िक एसिड से भी भरपूर होता है.

गर्म दूध में शहद मिलाकर पीने के फायदे:

1. गर्म दूध में शहद मिलाकर पीने से तनाव दूर होता है. ये तंत्रिका कोशिकाओं और तंत्रिका तंत्र को आराम पहुंचाने का काम करता है.

2. बेहतर नींद पाने के लिए भी गर्म दूध में शहद मिलाकर पीना फायदेमंद होता है. सोने से एक घंटे पहले गर्म दूध में शहद मिलाकर पीना फायदेमंद होता है.

3. पाचन क्रिया को बेहतर बनाए रखने के लिए भी गर्म दूध में शहद का सेवन करना फायदेमंद होता है. इससे कब्ज की समस्या नहीं होने पाती है.

4. हड्ड‍ियों को मजबूत बनाए रखने के लिए भी दूध के साथ शहद का सेवन करना फायदेमंद होता है. इसका सेवन करने से हड्डियों में अगर कोई नुकसान हुआ हो तो उसकी भी भरपाई होती रहती है.

5. दूध और शहद के नियमित सेवन से शारीरिक आैर मानसिक क्षमता में वृद्धि होती है. क्षमता बढ़ने का सीधा असर हमारे काम पर पड़ता है. जोकि सकरात्मक होता है.  

‘मास्टरमाइंड’ बच्चे चले ‘नासा’

बच्चों की परवरिश में माता-पिता का बहुत बड़ा हाथ होता है. इसके लिए जन्म से उनमें सही आदतें डालने की जरुरत होती है. जिसमें शिक्षा सबसे ऊपर आती है. बाल दिवस के अवसर पर ‘ब्रेन डेवलपमेंट’ के इस बात को ध्यान में रखते हुए ‘सेवेन सीज अकादमी’ ने पहली बार पूरे भारत के 10 शहरों के 200 स्कूलों के 60,000 बच्चों में केवल दो मास्टरमाइंड बच्चों को उनके माता-पिता सहित ‘नासा’ जाने का अवसर दिया.

इस अवसर पर ब्रांड एम्बेसेडर अभिनेत्री रवीना टंडन कहती हैं कि स्कूल में बच्चे पढने के लिए जाते है पर इसके साथ-साथ घर पर भी उनकी शिक्षा सही तरह से होनी चाहिए. उसके लिए केवल किताबें ही नहीं, बल्कि उन्हें रोजमर्रा की अच्छी आदतों से भी अवगत करवाना चाहिए. मुझे याद आता है कि बचपन में हमलोग पढाई के अलावा खेलते भी थे, पर आजकल के बच्चे खेलते नहीं हैं. खेलने के लिए उनके पास समय और जगह नहीं होती. बच्चें इसे खो रहे हैं.

आजकल गेम्स भी क्लासेस में ही सिखाए जा रहे हैं. केवल पढाई पर ही उनका ध्यान रहता है. स्कूल के साथ परिवार की जिम्मेदारी भी बड़ी होती है. आज तकनीकें बदली हैं, बच्चों पर पढाई का बोझ भी अधिक है. ऐसे में उनके दैनिक दिनचर्या पर भी ध्यान देना आवश्यक है. इसके अलावा बच्चों की क्षमता को भी माता-पिता को देखना चाहिए. आजकल के पेरेंट्स बहुत अधिक डिमांडिंग होते जा रहे हैं, जिसका प्रभाव बच्चों पर सबसे अधिक देखा जाता है. मैं चाहती हूं कि माता-पिता इसे समझे और उन्हें बेसिक जानकारी दे.

पिंकी बुआ छोड़ रही हैं ‘द कपिल शर्मा शो’

‘कॉमेडी नाइट्स विद कपिल’ से कपिल शर्मा की पिंकी बुआ के किरदार से मशहूर हुईं उपासना सिंह ‘द कपिल शर्मा शो’ छोड़ रही हैं. हाल ही में खबरें थी कि उपासना सिंह और उनके पति नीरज भारद्वाज का तलाक होने जा रहा है. सूत्रों के मुताबिक, नवंबर 2009 में शादी के बंधन में बंधा यह कपल चार साल से अलग रह रहा है. दोनों का सिर्फ कानूनी रूप से अलग होना बाकी रह गया है.

जब कपिल की टीम ने कलर्स चैनल को छोड़ा और सोनी चैनल पर अपना शो शुरू किया, तब उपासना सिंह, कृष्णा अभिषेक के शो ‘कॉमेडी नाइट्स लाइव’ के साथ थीं. लेकिन उन्होंने जल्द ही कृष्णा की टीम को छोड़ कपिल की टीम को ज्वॉइन कर लिया था.

उपासना सिंह अपनी शादीशुदा जिंदगी में आई दिक्कतों के चलते कपिल के शो को भी छोड़ रही हैं. कपिल को अब अपने शो में उपासना द्वारा निभाए जा रहे किरदार की ज्यादा जरुरत नहीं है, इसलिए इनके वापस कपिल की टीम में आने की कोई उम्मीद नहीं है.

उपासना और नीरज चार साल से अलग रह रहे हैं लेकिन उनके बीच बातचीत हो रही थी. मगर 9 महीने से उनका एक-दूसरे से कोई संपर्क नहीं हुआ. उपासना ने नीरज को अपनी बर्थडे पार्टी में भी इनवाइट नहीं किया था. बताया जाता है कि दोनों ने शादी को बचाने की बहुत कोशिश की. लेकिन मतभेद नहीं सुलझ सके. अलग-अलग एक्सपेक्टेशन की वजह से रिश्ता तलाक तक पहुंच गया है.

मुगलों की कहानी फतेहपुर की जुबानी

फतेहपुर सीकरी परिसर में दाखिल होने के बाद आप नि:संदेह मुगलिया सल्तनत के वैभव, ताकत और सांस्कृतिक शैलियों से प्रभावित हो सकते हैं. पूरा परिसर राजस्थान से लाए गए लाल पत्थरों से बनाया गया हैं. फतेहपुर सीकरी का सीधा संबंध सम्राट अकबर से था, जिन्होंने भारतीय इतिहास में एक गहरी छाप छोड़ी. ताजमहल के करीब होने के कारण यह जगह लंबे समय तक उपेक्षित सरीखी भी रही. इसे 1986 में वर्ल्ड हेरिटेज घोषित किया गया था.

फतेहपुर सीकरी कई सवाल भी लिए हुए है, जो यहां आने वाले सैलानियों की जुबां पर स्वाभाविक तौर पर आते हैं- शहर क्यों बसाया गया? महज 14 सालों बाद यह वीरान क्यों हो गया? इस शहर का पराभव क्या इसलिए हो गया, क्योंकि यहां पानी नहीं था?

बाबर सन् 1527 में खानवा के युद्ध को फतह करने के बाद यहां आए. उसने अपने संस्मरण में इस जगह को सीकरी कहा. बाद में बादशाह अकबर संतान प्राप्ति के लिए मन्नत मांगने अजमेर के ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के लिए पैदल ही निकल पड़े थे. रास्ते में सीकरी पड़ा. वहां अकबर की मुलाकात सूफी फकीर शेख सलीम चिश्ती से हुई. फकीर ने अकबर से कहा बच्चा तू हमारा इंतजाम कर दे, तेरी मुराद पूरी होगी. कुछ समय बाद अकबर की हिंदू बेगम जोधाबाई गर्भवती हो गईं.

अकबर ने तय कर लिया था कि जहां बालक पैदा हुआ वहां एक सुंदर नगर बसाएंगे, जिसका नाम था फतेहबाद जिसे आज हम फतेहपुर सीकरी के नाम से जानते हैं. यह सही मायनों में मुगल शासनकाल की पहली योजनाबद्ध तरीके से बसाई गई स्मार्ट सिटी थी. यह सड़क मार्ग से दिल्ली और आगरा से जुड़ा हुआ है. हजारों सैलानी यहां रोज आते हैं.

जो पर्यटक ताजमहल आते हैं, वह फतेहपुर सीकरी जाना नहीं भूलते. फतेहपुर सीकरी के मुख्य द्वार से परिसर करीब एक किलोमीटर अंदर है, वहां तक ले जाने के लिए यहां कई साधन चलते हैं, जिसमें तांगा भी है. पहले अकबर की राजधानी आगरा थी, लेकिन सीकरी में नया नगर फतेहबाद के बन जाने और उस सूफी संत के सानिध्य के लिए अकबर ने अपना निवास और दरबार आगरा से सीकरी स्थानांतरित कर दिया.

खास है यह इमारत

यहां की इमारतों को दो तरह से देखा जा सकता है या तो आप नीचे से ऊपर की ओर बढ़ें या बुलंद दरवाजे से घुस कर ऊपर से नीचे आएं. बुलंद दरवाजे तक पहुंचने के लिए पत्थर की सीढ़ियों से 13 मीटर ऊपर आना होगा. प्रवेश द्वार विशाल और बुलंद है इसलिए इसका नाम ही बुलंद दरवाजा है. इसे वर्ष 1602 में अकबर की गुजरात में जीत की यादगार के तौर पर बनाया गया था. इसे दुनिया का सबसे विशालतम दरवाजा भी माना जाता है. इसकी ऊंचाई 54 मीटर है.

दरवाजे से अंदर घुसते ही सामने लाल पत्थरों का विशाल प्रांगण और इसके चारों ओर स्तंभों से गलियारे हैं, जो ढेर सारे प्रकोष्ठों से जुड़े हैं. इसी प्रांगण में एक सफेद रंग की इमारत है, जो इस पूरे परिसर में अपने रंग, नक्काशी और खूबसूरती के लिए अलग ही नजर आती है. यह शेख सलीम चिश्ती की संगमरमर की बनी दरगाह है. इसे बारीक मुगल कला का अद्भुत नमूना भी कहा जा सकता है.

बादशाही दरवाजे के करीब पहुंचने पर नीचे जाती हुई सीढ़ियां दिखती हैं, जो उस शाही रिहायशी इलाके में पहुंचाती हैं, यहां सारे आवासीय भवन, मनोरंजन की सुविधाएं बनाई गईं. यहां घूमते हुए आप दीवाने खास के सामने पहुंचेंगे. वाकई यह खास प्रकोष्ठ है. यहीं दो बेगमों के साथ अकबर न्याय करता था. बादशाह के नवरत्न-मंत्री थोड़ा हट कर नीचे बैठते थे.

यहां सामान्य जनता तथा दर्शकों के लिए चारों तरफ बरामदे बने हैं. इसमें अकबर के बैठने की व्यवस्था एक खंबे के ऊपर गोलाई लिए बनी है. यह जगह पंच महल, हवा महल और शाही हरम से लगी हुई है. जब बात हरम की हो रही है, तो यहां जोधाबाई का भी जिक्र जरूरी है.

जोधा का महल शाही हरम का महत्वपूर्ण हिस्सा था. आज भी यह हरम में अलग-सा लगता है. इसके अंदर कई हिंदू भित्त चित्रों का इस्तेमाल हुआ था. हरम के करीब पंचमहल या हवामहल है. यह पांच मंजिला भवन जोधाबाई के सूर्य को अध्र्य देने के लिए बनवाया गया था. यहीं से अकबर की मुसलमान बेगमें ईद का चांद देखती थीं. समीप ही मुगल राजकुमारियों का मदरसा है. लाल पत्थरों से ही एक अनूप ताल बनाया गया, जहां तानसेन गाया करता था. ताल के पूर्व में अकबर की तुर्की बेगम रूकैया का महल है. यह इस्तांबुल की रहने वाली थी. इस महल की सजावट तुर्की के दो शिल्पियों ने की थी. हालांकि बाद में औरंगजेब ने इसकी सुंदरता को नष्ट-भ्रष्ट कर दिया था.

यहां के अन्य महत्वपूर्ण भवनों में नौबत-उर-नक्कार खाना, टकसाल, कारखाना, खजाना, हकीम का घर, दीवान-ए-आम, मरियम निवास और बीरबल का निवास आदि शामिल हैं. सलीम और अनारकली की मोहब्बत के किस्से यूं तो बहुत मशहूर हैं, लेकिन कम लोगों को मालूम है कि अनारकली को यहीं चिनवाया गया था.

वर्ष 1584 में एक अंग्रेज व्यापारी अकबर की राजधानी आया, उसने लिखा- आगरा और फतेहपुर दोनों बड़े शहर हैं. उनमें से हर एक लंदन से बड़ा और अधिक जनसंकुल है. फतेहपुर सीकरी घूमते हुए इसकी निर्माण कला को देखते हुए लगता है कि जिस स्मार्ट सिटी की अवधारणा पर हम काम कर रहे हैं, वह अपने देश में सैकड़ों सालों से है. मुगलों की जीवनशैली का भी प्रतीक है फतेहपुर सीकरी.

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