दीवाली स्पेशल स्वीट बाइट्स: चौकलेट चैरी

सामग्री

– 500 ग्राम ग्लेज्ड चैरी

– 25 ग्राम ब्राउन शुगर

– 4 अंडे

– 100 ग्राम कस्टर शुगर 

-100 ग्राम मैदा

– 2 बड़े चम्मच कोको पाउडर 

– 150 एमएल फेंटी हुई मलाई 

– 300 एमएल दूध

विधि

एक पैन को थोड़ा तेल लगा कर गरम करें और उस में चैरी डालें. ऊपर से थोड़ा ब्राउन शुगर डालें औैर अलग रख दें. फिर मैदे और कोको पाउडर को मिला कर अलग रख दें. फिर अंडे फोड़ कर एक बाउल में डालें. इस में थोड़ी शक्कर डालें और अच्छी तरह मिक्स करें. अब इस मिश्रण में मैदे का मिश्रण, मलाई, दूध डालें और अच्छी तरह मिलाएं. अब इस मिश्रण को चैरी पर डालें और 160 डिग्री तापमान पर तब तक बेक करें जब तक यह बीच से थोड़ा फूलने न लगे. फिर गरमगरम सर्व करें.

व्यंजन सहयोग:

शैफ आशीष राय

बारबेक्यू नैशन हौस्पिटैलिटी

दिखें हौट प्रैगनैंसी में भी

गर्भावस्था किसी भी महिला की जिंदगी का वह खूबसूरत समय होता है जब वह नित नया अनुभव करती है. उस के भीतर आंतरिक बदलावों के साथसाथ शारीरिक बदलाव भी आते हैं. जहां एक ओर नए मेहमान का आगमन खुशी देता है, वहीं

दूसरी ओर बढ़ता वजन उसे परेशान भी करता है और वह सोचती है कि उसे तो अब बस ढीलेढाले कपड़े ही पहनने होंगे, जो उस की खूबसूरत और फैशनेबल दिखने की चाहत में बाधक बनेंगे. लेकिन वह गलत सोचती है. ऐसा नहीं है.

गर्भावस्था में भी महिलाएं खूबसूरत व फैशनेबल दिख सकती हैं और 2 से 3 होने की खुशी को फैशनेबल और कंफर्टेबल कपड़े पहन कर दोगुना कर सकती हैं. अब आप को अपने बढ़े हुए पेट को ढीली शर्ट से छिपाने की जरूरत नहीं. गर्भावस्था के इस खूबसूरत समय में टैंट की तरह दिखने के बजाय हौट व ग्लैमरस दिखें.

ढेरों हैं औप्शन

मार्केट में वुड बी मौम्स को फैशनेबल और मौडर्न दिखाने के ढेरों औप्शन मौजूद हैं. आइए नजर डालें उन पर:

कुरती : आप ऐंब्रौयडरी वाली कंट्रास्ट योक की कुरती, मैंडरियन कौलर की रोलअप स्लीव कुरती, लेस वाली कुरती, पैचवर्क वाली कुरती, फ्रंट स्मोकिंग व बैकटाई वाली कुरती को लैगिंग के साथ पहन सकती हैं. चाहें तो कैपरी के साथ भी पहन सकती हैं व हौट व ग्लैमरस दिख सकती हैं.

टौप्स: काफ्तान भी गर्भावस्था में पहनने वाला एक स्मार्ट औप्शन हो सकता है, जिसे लैगिंग व कैपरी के साथ पहना जा सकता है. यह आप को स्मार्ट लुक देगा. आप चाहें तो बटन वाली टीशर्ट भी स्पैगैटी के साथ पहन सकती हैं. यह आप के शरीर के ऊपरी हिस्से को सपोर्ट देगा. एंपायर कट रैप ड्रैसेज और टौप भी आप के शरीर के ऊपरी हिस्से को खूबसूरती देंगे. सफेद पोंचो को टाइट्स के साथ मैच कर के आप फ्लैट चप्पलें पहन कर आउटिंग पर जा सकती हैं. ये कंफर्टेबल होने के साथसाथ आप को फैशनेबल लुक भी देंगे.

जींस, पैंट: प्रैगनैंसी में स्मार्ट लुक के लिए आप जींस व निटेड पैंट भी पहन सकती हैं. ओवर द टमी स्टाइल की यह निटेड पैंट स्टै्रचेबल तो होती ही है, इस में लाइट इलास्टिक या वेस्टबैंड भी होता है, जो पेट के बढ़ते साइज के अनुसार ऐडजस्ट किया जा सकता है. बाजार में मैटरनिटी जींस व पैंट की पूरी रेंज उपलब्ध है. इन के साथ हैवी वर्क वाली कुरती या टीशर्ट पहन कर मौडर्न व ट्रैंडी लुक पाया जा सकता है. अगर आप गर्भावस्था में जींस पहनने का शौक रखती हैं, तो स्ट्रैचेबल डैनिम या सिल्की डैनिम पहन सकती हैं. इस के साथ आप कौटन फैब्रिक की औक्सफोर्ड शर्ट पहन सकती हैं.

ऐक्सैसरीज: आप प्रिंटेड कलरफुल स्कार्फ, स्टोल का प्रयोग कर के खुद को स्टाइलिश लुक दे सकती हैं. इस से देखने वाले की नजर आप के बढ़े शरीर के बजाय आप के स्टाइलिश लुक पर जाएगी. फंकी ब्रेसलेट, इयररिंग्स व बीड्स की माला को भी आप अपने फैशन स्टेटमैंट का हिस्सा बना सकती हैं.

बाजार में गर्भवती महिलाओं के लिए खास फ्लैट बेलेरीना शूज स्टाइल भी मौजूद हैं, जिन्हें आप जींस या पैंट के साथ पहन सकती हैं.

गर्भावस्था के दौरान फैशनेबल दिखने की बात पर फैशन डिजाइनर मीनाक्षी खंडेलवाल कहती हैं, ‘‘महिलाओं व फैशन का गहरा संबंध है. लेकिन अधिकांश महिलाएं इस दौरान अपने बढ़े हुए पेट को छिपाने की कोशिश करती हैं

और इस कोशिश में ढीलेढाले बेढंगे कपड़े पहन कर जिंदगी के इस खूबसूरत समय को निराशा में गंवा देती हैं. लेकिन अब समय बदल रहा है. विदेशी महिलाओं की तरह भारतीय महिलाएं भी गर्भावस्था के दौरान मौडर्न व फैशनेबल दिखने की राह पर हैं. इसी चाहत को ध्यान में रखते हुए बड़ीबड़ी कंपनियां भी वुड बी मौम्स के लिए खास डिजाइन किए कपड़ों के रिटेल स्टोर खोल रही हैं. ये स्टोर गर्भवती महिलाओं को स्मार्ट लुक देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं.’’

मीनाक्षी खंडेलवाल ने गर्भावस्था के दौरान हौट व ग्लैमरस दिखने की चाहत को पूरा करने में मददगार कुछ टिप्स हमारे साथ शेयर किए. आइए, जानें क्या हैं वे खास टिप्स:

– प्रैगनैंसी के समय ऐसा टौप चुनें जिस का फ्रंट डिजाइन प्लीटेड योक वाला हो. टौप आगे से भले ही चौड़ा हो पर पीछे से नौट वाला फिटेड हो.

– गारमैंट की हेमलाइन में वैरिएशन ला कर खुद को ऐक्साइटिंग लुक दें.

– कपड़ों का फैब्रिक कौटन व स्पैंडैक्स ही चुनें, जो कंफर्टेबल होने के साथसाथ स्ट्रैचेबल भी होते हैं.

– कपड़ों का चुनाव करते समय हलके रंगों के बजाय गहरे रंग चुनें. ऐसा करना आप को स्लिम लुक देगा.

– डै्रस से मैच करती ऐक्सैसरीज पहनें मसलन स्कार्फ, इयररिंग्स, बे्रसलेट आदि.

– स्लिम लुक के लिए छोटे प्रिंट के कपड़ों का चुनाव करें.

– कंफर्टेबल फील के लिए हैरम के साथ कुरती ट्राई करें.

– प्रैगनैंसी के दौरान बढ़े बैस्ट साइज को स्लिम लुक देने के लिए डीप वी नैक पहनें. इसे और स्मार्ट लुक देने के लिए स्कार्फ या स्टोल को स्टाइलिश अंदाज में लें.

– हाईहील फुटवियर के बजाय फ्लैट बेलेरीना या चप्पलें पहनें.

अब आप तैयार हैं प्रैगनैंसी के दौरान खुद को पूरी तरह फैशनेबल व स्टाइलिश लुक दे कर ऐंजौय करने के लिए. यकीनन अब लोग आप की तुलना सैलिब्रिटीज हैडी क्लम, निकोल रिची व जैनिफर गारनर से करेंगे, जो अपनी प्रैगनैंसी में भी हौट व ग्लैमरस दिखाई देती थीं और उन्होंने उस समय को पूरी तरह ऐंजौय किया था.

जिम: गोरखधंधा जारी है

25 वर्षीय सुनीता ने अपनी पड़ोसिन राधिका को जिम जाते क्या देख लिया, उन पर भी जिम जौइन करने का जनून सवार हो गया. आखिर मामला स्टेटस सिंबल का जो था. अत: आननफानन उन्होंने भी जिम जौइन कर लिया जबकि वे पहले से ही तराशे हुए बदन की मलिका थीं.

लेकिन यह क्या? अभी उन्हें जिम जाते हुए हफ्ता भी नहीं बीता था कि उन्हें पीठ दर्द की शिकायत शुरू हो गई. डाक्टर को दिखाने पर पता चला कि उन के दर्द की वजह जिम है. अब वे डाक्टर के यहां ज्यादा और जिम में कम ही दिखाई पड़ती हैं.

दरअसल, सेहत और फिटनैस के प्रति लोगों में बढ़ती जागरूकता को देखते हुए इस से जुड़े कारोबार में भी अच्छाखासा इजाफा हुआ है. फिर चाहे यह सिक्स पैक ऐब्स, जीरो साइज, बौडी नीड की चाह में हुआ हो अथवा स्टेटस सिंबल की चाह में.

जिमनेजियम तमाम

एक अनुमान के मुताबिक अकेले राजधानी दिल्ली में 3 हजार से भी ज्यादा जिमनेजियम हैं. इन में महल्ले, पार्क, कालोनियों से ले कर फाइवस्टार होटल तक शामिल हैं.

इस में चौंकाने वाला तथ्य यह है कि इन जिमनेजियमों व फिटनैस सैंटरों मेंपांचसितारा होटलों को मिला भी दें तो भी ज्यादा सुविधाओं और ट्रेंड ट्रेनरों से लैस जिम नाममात्र के ही हैं. ज्यादातर नौसिखिए लोगों की देखरेख व थोड़ेबहुत कामचलाऊ उपकरणों के सहारे घरों से ले कर बेसमैंट सरीखी जगहों में चल रहे हैं.

महल्ले और कालोनियों में चल रहे जिमों में उपकरणों के नाम पर ट्रेडिंग मिल, वाइब्रेटिंग बैल्ट, पुशअप स्टैंड, चैस्ट ऐक्सपैंडर, वैंच प्रैसव डंबल होते हैं, जबकि एक वैल फिनिश्ड हैल्थ सैंटर में सिर से ले कर पांवों तक यानी शरीर के हर हिस्से को चुस्तदुरुस्त बनाए रखने के लिए अलगअलग मशीनों के साथसाथ स्टीमबाथ, सोनाबाथ, चिल शौवर, प्रैशर शौवर आदि की भी सुविधा होती है.

यही नहीं इन्हें गाइड करने व सही खुराक की जानकारी देने के लिए महंगे टे्रनर और डाइटीशियन अलग से होते हैं.

अच्छे ट्रेनर न के बराबर

इसी सिलसिले में दिल्ली के ग्रेटर कैलाश स्थित एक जिम के मालिक ने बताया कि ज्यादातर बेसमैंटों और घरों में चलने वाले जिमों में अच्छे टे्रनर न के बराबर होते हैं. इस का कारण यह है कि वे काफी महंगे होते हैं. उन की तनख्वाह क्व25 हजार तक होती है. जबकि सामान्य जिम में संचालक ही टे्रनर की भूमिका अदा करता है.

ऐसा ट्रेनर शुरू में तो 1-2 दिन थोड़ाबहुत बता देता है पर उस के बाद कौन सही कर रहा है और कौन गलत, न कोई देखने वाला होता है और न ही कोई पूछने वाला. नतीजा ऐसे में अच्छेभले शरीर को बीमारी की चपेट में आते देर नहीं लगती. इतना ही नहीं फिजीक भी खराब हो जाती है.

सावधानी जरूरी

जिम जौइन करने से पहले निम्न बातों को जानना स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी है:

– जिम जौइन करने से पहले अपने फैमिली डाक्टर की सलाह जरूर लें, क्योंकि सभी ऐक्सरसाइज हर किसी को सूट नहीं करतीं.

– जिम में योग्य ट्रेनर बहुत कम होते हैं. अत: बगैर कुशल टे्रनर के वर्कआउट करना बेहद खतरनाक साबित हो सकता है.

– जिम को जादू की पुडि़या समझ कर ऐक्सरसाइज करने में जल्दबाजी न करें, क्योंकि ऐसे में गलत ऐक्सरसाइज होने की संभावना ज्यादा रहती है, जो न केवल आप को अस्पताल पहुंचा सकती है वरन जिंदगी भर के लिए विकलांग भी बना सकती है.

– बाजार की राय को भांपते हुए इन दिनों ज्यादातर जिम महज कमाई करने से मतलब रखते हैं. इस तरह के जिम में ऐक्सरसाइज कम और फालतू बातें ज्यादा होती हैं, इसलिए इस तरह के जिम में जाने से बचें.

– ट्रेनर को अपनी बीमारी जैसे हाई ब्लडप्रैशर, दिल की बीमारी वगैरह के बारे में जरूर बताएं.

– आप को ट्रेनर जो भी परहेज आप को बताए, उसे अमल में जरूर लाएं.

– जिम में मौजूद चेंजिंगरूम का इस्तेमाल करते समय उस का निरीक्षण जरूर कर लें.

– स्टीमबाथ, सोनाबाथ वगैरह लेते समय भी उस जगह का बारीकी से निरीक्षण जरूर कर लें कि कहीं कोई खुफिया कैमरा तो नहीं लगा है.

– कई बार जिम व हैल्थ सैंटर की आड़ में अन्य धंधे भी शामिल होते हैं. इसलिए जिम जौइन करने से पहले उस जिम के बारे में तहकीकात जरूर कर लें.

– जिम में होने वाले इन्फैक्शन का जरूर ध्यान रखें. जिम में हौट टब्स, चेंजिंगरूम, स्पोर्ट्स ड्रिंक बौटल वगैरह बैक्टीरिया के खास ठिकाने होते हैं. जिम में मौजूद उपकरणों में भी बैक्टीरिया होता है, जो आप को बीमार बना सकता है.

– ऐक्सरसाइज शुरू करने से पहले और खत्म करने के बाद हाथों को अच्छी तरह साफ करें. ऐक्सरसाइज के दौरान हाथों से पसीना पोंछने के बजाय तौलिए का इस्तेमाल करें.

बचपन को दें प्यारभरी देखभाल

दुनिया की हर औरत के लिए मां बनने का एहसास सब से निराला और अनूठा है. नवजात के गर्भ में आने से ले कर उस के जन्म लेने तक हर मां शारीरिक बदलाव के साथसाथ अपने अंदर एक भावनात्मक बदलाव भी महसूस करती है.

बच्चे का जन्म जहां एक ओर खुशियां ले कर आता है, वहीं दूसरी ओर नई जिंदगी के लालनपालन की जिम्मेदारी का एहसास भी कराता है.

भावों से भरा ममता का बंधन

नन्हेमुन्ने के जन्म के साथ ही शुरू होता है उस की देखभाल का सिलसिला. ये सिलसिला एक प्यारा सा एहसास, ममता मां के दिल में जगाता है. नवजात की देखरेख करतेकरते मां और बच्चे के बीच भावनात्मक जुड़ाव भी विकसित होने लगता है और ये जुड़ाव ही मां व बच्चे के रिश्ते को सब रिश्तों में सब से खास बनाता है.

भावनाओं से भरपूर ममता का ये बंधन इतना अनूठा होता है कि बच्चे की एक किलकारी पर ही मां समझ जाती है कि बच्चा क्या कहना चाहता है. नवजात भी अपनी मां की गोद को ही दुनिया की सब से आरामदायक और सुरक्षित जगह मानता है.

नटखट को नहलाते, दूध पिलाते, मालिश करते और संवारते समय जब मां उस का लालनपालन कर रही होती है, तब मांबच्चे के रिश्ते की डोर और भी मजबूत हो रही होती है. ममता का ये स्पर्श ही तो देता है मासूम की जिंदगी को एक मजबूत शुरुआत.

ऐसे करें नवजात की केयर

यूं तो घर में दादीनानी, मां या सास बच्चे की देखभाल करने में हाथ बंटाती हैं, पर बच्चे की देखरेख के लिए मां को भी सजग रहना चाहिए. अधिकतर अस्पतालों और नर्सिंगहोम में नवजात शिशु को जन्म के दूसरे दिन नहलाया जाता है, लेकिन आप चाहें तो अपने बच्चे को पहले ही दिन नहला सकती हैं.

यह भ्रांति है कि जब तक अम्बलिकल कौर्ड (गर्भनाल) न सूख जाए तब तक बच्चे को नहीं नहलाना चाहिए क्योंकि नहलाने से संक्रमण होने का खतरा रहता है और जख्म को भरने में समय लगता है. जबकि ऐसा कुछ भी नहीं होता. हां, नहलाने के बाद जख्म के स्थान को हलके से पोंछ कर सुखा देना चाहिए.

शिशु को पहली बार नहलाना हर मां के लिए चुनौतीपूर्ण होता है लेकिन इस चुनौती से घबराना नहीं चाहिए. संयम से काम लेते हुए आहिस्ताआहिस्ता बच्चे को नहलाना चाहिए. बच्चे को नहलाते समय किसी को साथ में जरूर रखना चाहिए ताकि आप को जिस भी चीज की जरूरत हो वह आप को पकड़ाता जाए.

जब नहलाना हो बच्चे को

नवजात का शरीर बेहद नाजुक होता है, इसलिए उस को नहलाते समय कुछ बातों का ध्यान जरूर रखें. खासतौर पर बच्चे को नहलाने से पहले अपने हाथों को अच्छी तरह धो लें. नहाने से संबंधित सभी आइटम जैसे क्लींजर, टौवल, नैपी, कपड़े को एकत्र कर के एक स्थान पर रखें.

बाथ टब में हलका कुनकुना पानी डालें. गरमियों में भी बच्चे को गरम पानी से ही नहलाएं. टब में बच्चे की नाभि की ऊंचाई तक ही पानी होना चाहिए ताकि नटखट जब उछलकूद करे तो पानी उस की नाक या मुंह में न जाए.

पानी ज्यादा गरम तो नहीं हुआ इसे जांचने के लिए अपने हाथ की कुहनी को पानी में डाल कर देखें. इस के बाद बच्चे को टौवल में लपेटें और पहले उस के बाल और चेहरा धोएं.

नवजात की साफसफाई

नवजात की कोमल त्वचा को हलके हाथों से धीरेधीरे साफ करते हुए सुखाएं. बच्चे की आंखें, कान, नाक और गरदन स्पंज की सहायता से साफ करें. इस के बाद बच्चे को गरदन से सहारा दें और उस के सिर पर पानी डालें. आप बच्चे के बाल बेबी शैंपू से साफ कर सकती हैं. बच्चे के सिर पर पड़े हलके दागों को सौफ्ट टिप वाले ब्रश से साफ करें.

बच्चे को बाथ टब में नहलाते वक्त पीएच न्यूट्रल लिक्विड बेबीक्लींजर से साफ करें. अगर बच्चे की त्वचा रूखी है तो उस के नहाने के पानी में कुछ बूंदें तेल की डालें. अगर आप बच्चे को सिर्फ पानी से नहलाना चाहती हैं तो बच्चे के सिर्फ नैपी एरिया को मौइश्चराइजिंग सोप से साफ कर दें.

बेबी के शरीर को स्पंज या मुलायम कपड़े से ही साफ करें. नहलाते वक्त बच्चे के शरीर के उन हिस्सों की सफाई पर भी ध्यान दें जहां मैल जमने की संभावना होती है. जैसे कुहनी, गरदन, नैपी एरिया, पैरों और हाथों की उंगलियां. इस के बाद बच्चे को बाथ टब से बाहर निकालें. बाथ टब से बाहर निकालते वक्त एक हाथ उस के गरदन के पास और एक हाथ उस के बौटम पर सहारा देने के लिए लगाएं.

बच्चे को बाथ टब से निकालते ही हूडेड टौवल में लपेटें. इस के बाद उसे 10 मिनट तक मुलायम कंबल में लपेट कर सुखाएं. बच्चे के शरीर को सुखाने के बाद उस की बेबी मौइश्चराइजर से हलकी मसाज करें और स्प्रिंगली में पाउडर लगा कर हलका स्पर्श करते हुए गोलगोल घुमाएं. पाउडर को बच्चों की नाक के पहुंच से दूर रखें.

इस के बाद बच्चे को कपड़े पहनाएं और गरम कंबल में उसे लपेटें. इस बात का ध्यान दें कि बच्चा जब बाथ टब में हो तो उस के साथ किसी एक व्यक्ति का होना जरूरी है.

मालिश दे मासूम को मजबूत शुरुआत

बच्चे को चुस्त व तंदुरुस्त बनाए रखने के लिए जरूरी पोषण देने के साथसाथ समयसमय पर उस की मालिश भी करें. मालिश करने के लिए सही समय का चुनाव करना बेहद जरूरी है. बच्चे को खाना खिलाने के बाद या जब उसे नींद आ रही हो उस समय को छोड़ कर कभी भी उस की मालिश की जा सकती है.

मालिश करने के लिए टौवल को फर्श पर बिछाएं और एक बाउल में वैजिटेबल औयल ले कर उस से मसाज शुरू कर दें. अगर बच्चा मसाज करते वक्त रोने लगे तो उसे हलके हाथों से थपकियां दें.

मालिश की शुरुआत करने के लिए बच्चे के पैर सब से सही स्थान होते हैं. क्योंकि यह जगह शरीर की बाकी सैंसेटिव जगहों से मजबूत होती है. यहां की मालिश करने के लिए बच्चे के पैर पर हलके हाथों से ऊपरनीचे रब करना होता है.

यह प्रक्रिया बिलकुल वैसी ही होती है जैसे गाय का दूध निकाला जाता है. पैरों के साथ ही बच्चे के पैर की दसों उंगलियों की भी मालिश करें. पैर की मालिश के बाद दोनों पैरों को उठा कर विपरीत दिशा में मोड़ना चाहिए.

पैर की मालिश के बाद बच्चे के हाथों की मालिश की जानी चाहिए. इस के लिए उस के कंधे से ले कर कलाई तक मालिश की जानी चाहिए. मालिश के दौरान उस की कलाई को विपरीत दिशाओं में हलके से घुमाना चाहिए.

बच्चे की हथेली को अपने अंगूठे से हलके हाथों से दबाएं. इस के बाद बच्चे के सीने पर हाथ रख कर उस के दोनों हाथों को विपरीत दिशा में बारीबारी मोड़ें. आखिर में बच्चे के पेट और पीठ पर भी हल्के हाथों से मसाज करें.

ताकि नटखट ले सुकून की नींद

बच्चे को सुलाना हर मां के लिए सब से जटिल काम होता है. सैकड़ों पैतरों को आजमाने के बाद भी मम्मियां बच्चों को सुलाने में असफल हो जाती हैं. लेकिन वे कुछ चीजों पर ध्यान दें तो बच्चा और वे दोनों ही सुकून की नींद सो सकते हैं.

बच्चे के सोने का एक समय बनाएं और रोज उसी समय पर उसे सुलाने का प्रयास करें. कुछ दिन में बच्चे को उसी समय सोने की आदत पड़ जाएगी. बच्चे को दिन में ज्यादा और रात के वक्त कुछ कम फीड कराएं. इस से आप के बच्चे को दिन और रात का फर्क पता चलेगा और वह आसानी से सो जाएगा.

इतना ही नहीं, बच्चे को कम से कम 6 से 8 हफ्तों तक अपने आप सोने का मौका दें. बच्चा जब थोड़ा सा निंदासा हो जाए तो उसे उलटा लिटा कर थपकिया दें. वह सो जाएगा. कुछ मांओं की आदत होती है कि जब बच्चे का सोेने का समय होता है तो वे उसे फीड कराना शुरू कर देती हैं. इस से बच्चा आदी हो जाता है और जब तक उसे फीड न कराया जाए वह सोता नहीं है.

बच्चे के सोने का एक रूटीन बनाएं. नहला कर उस की हलकी मसाज करें और उसे सोने वाले कपड़े पहनाएं. लोरी सुना कर उसे सुला दें. बच्चे के रात में सोने के लिए सब से अच्छा समय 8:30 से 9:00 बजे तक होता है. इस के बाद बच्चा इतना थक जाता है कि वह सोने की जगह चिड़चिड़ाना शुरू कर देता है.

सोने से पहले बच्चे को ब्लैंकेट और सौफ्टटौयज के बीच छोड़ दें. कोशिश करें कि उस ब्लैंकेट या सौफ्टटौय में बच्चे की मां के पास से आने वाली खुशबू हो. बच्चे को ममता का एहसास होता है और उसे सुलाना आसान हो जाता है. बच्चे को थोड़ा रोने भी दें. ऐसा तब करें जब बच्चा 4 से 5 महीने का हो जाए. रोने से बच्चा थोड़ा थक जाता है और आराम तलाशने के लिए उसे सोना सब से अच्छा विकल्प लगता है.

बच्चे को हलकी थपकी दे कर भी सुलाया जा सकता है. इस के लिए आप को भी उस के साथ लेटना होगा और उसे यह दिखाना होगा कि आप भी उस के साथ सो रही हैं. कोशिश करें कि आप और आप के पति दोनों इस प्रक्रिया में शामिल हों. बच्चा अगर रात में उठे तो एक बार उस की नैपी जरूर देखें. हो सकता है नैपी के गीले होने से वह उठ गया हो. कमरे की सर्दीगरमी से भी बच्चे की नींद टूट जाती है, इसलिए कमरे का तापमान समान रखें.

नैपी जो बच्चे को रखे हैप्पी

बच्चों की त्वचा बेहद नाजुक और संवेदनशील होती है, इसलिए उन के लिए डायपर का चुनाव करते समय व डायपर पहनाने के बाद कुछ सावधानियां बरतें. बच्चे के लिए डायपर का चुनाव करते समय यह ध्यान रखें कि डायपर प्लास्टिक या एअरटाइट फैब्रिक का बना हुआ न हो. ऐसा डायपर चुनें जिस का फैब्रिक बच्चों की त्वचा को ध्यान में रख कर बनाया गया हो.

ज्यादा नमी सोखने वाले डायपर भी बच्चे की नाजुक त्वचा पर नमी छोड़ देते हैं. उसी नमी में जब बच्चा मलमूत्र त्याग करता है तो इन तीनों के मिलने से बैक्टीरिया पनपने लगते हैं. ध्यान रखें कि त्वचा पर नमी न रहने पाए. ज्यादा समय तक डायपर में गंदगी रहे तो बच्चे की कोमल त्वचा पर रैशेश हो जाते हैं. गंदगी होने पर बिना देर किए बच्चे का डायपर बदलें.

जब बच्चा ठोस आहार लेना शुरू करता है तो उस के मल में परिवर्तन के साथ बढ़ोतरी होती है. ऐसे में मलत्याग के समय बच्चे की त्वचा पर रैशेश पड़ सकते हैं. इसलिए मलत्याग के बाद बच्चे की सफाई करते समय इस बात का ध्यान रखें. मां अपने खानपान का भी खयाल रखें क्योंकि स्तनपान करने वाले बच्चों की त्वचा पर मां के खानपान का असर पड़ता है.

डायपर एरिया में गरमी व नमी दोनों हो सकती है. ऐसे में बच्चे की त्वचा को बैक्टीरिया से बचाने के लिए समयसमय पर डायपर बदलती रहें.

जो मांएं अपने बच्चे को स्तनपान करा रही हैं और उस दौरान ऐंटीबायोटिक्स दवाएं भी खा रही हैं उन के बच्चों को गंभीर संक्रमण हो सकता है. ऐसे में डाक्टर की सलाह से स्तनपान कराएं.

इन का भी रखें ध्यान

बच्चे की त्वचा हमेशा कोमल बनी रहे, इस के लिए उसे रैशेश से बचा कर रखें. नैपी एरिया को रैशेश से बचाने के लिए सब से अच्छा उपाय है कि उस एरिया को एकदम सूखा रखें.

जब भी डायपर बदलें, बच्चे की त्वचा को सौफ्ट टौवेल से अच्छी तरह साफ करें. यदि डायपर पहनाने से पहले पाउडर का प्रयोग करती हैं तो ध्यान रखें कि डायपर बदलते समय पहले लगाया गया पाउडर पूरी तरह साफ करने के बाद ही दोबारा पाउडर डालें. जब बच्चे को ठोस आहार देना शुरू करें तो उसे एक समय में एक ही खाने की चीज दें, दूसरी चीज देने में थोड़ा अंतर रखें जिस से बच्चे को यह समझने में आसानी रहे कि किस तरह का खाना खाने के बाद मलत्याग करने पर रैशेश होते हैं.

जितने समय तक बच्चे को स्तनपान करा सकती हैं कराएं. स्तनपान कराने से बच्चे के शरीर में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और संक्रमण होने का खतरा कम हो जाता है. डायपर लगाते समय ध्यान रखें कि वह जोर से न बंधा हो.

दीवाली मेलों में छाया ‘देसीपन’ 

दीवाली में चाइनीज सामान के बहिष्कार से बाजार की खरीददारी में देसीपन को बढ़ावा देने का काम किया है. दीवाली में इस बार दियों, मोमबत्ती, के साथ एलइडी वाली लाइटों की खरीदारी बढ़ गई है. लोग घर की सजावट के लिये प्लास्टिक के चाइनीज प्रोडक्टस की जगह पर लकड़ी, जूट और दूसरी तरह से तैयार देसी सामान खरीद रहे हैं.

सामान्य बाजारों के अलावा मौल्स और बाजारों में देसी सामान बेचने वालों के मेले लग गये हैं. लखनऊ में ऐसे तमाम मेले लगे हैं. लखनऊ का गोमती नगर इलाका पौश कालोनी में शुमार है. यहां के सिटी मौल में पहले 2 दिन का दीवाली मेला ‘हथकरघा’ का आयोजन किया गया था. ‘हथकरघा’ की आयोजक दीपिका निगम और मीनाक्षी अग्रवाल कहती हैं ‘दीवाली मेले के पहले 2 दिन लोगों का उत्साह देखकर हमें इसे एक दिन के लिये बढ़ाना पड़ा.’

‘हथकरघा’ दीवाली मेले में घर की सजावट के सामान, पहनने के लिये खादी, कौटन और हैंडलूम के कपड़े, मिटटी के दिए, हैंडमेंड एलईडी लाइट, मिरर, पेंटिंग जैसी चीजों की दुकाने लगाई गई. दीपिका ने बताया कि इस मेले में आने वाले सभी लोग हैंडीक्राफ्ट वर्क के लिये बहुत मशहूर है. यहां खरीददारी कर रहे लोगों से बात करने पर पता चला कि वह इस  दीवाली को पूरे देसीपन के साथ मनाना पसंद कर रहे हैं.

यहां खरीदारी करने आई सलोनी केसरवानी ने बताया ‘दीवाली को पूरी तरह से ट्रेडिशनल तरीके से मनाना है. हमारी ड्रेस से लेकर सजावट तक में देसीपन की झलक दिखाई देगी. वह कहती है ‘यहां के सामान बड़ी शौप के मुकाबले किफायती और बेहतर हैं’ रेखाकृति नाम से हैंडीक्राफ्ट वर्क की शौप चला रही रेखा सिन्हा ने बताया ‘हर साल दीवाली में इस तरह की खरीददारी बढ़ जाती थी. इस बार यह ट्रेंड ज्यादा देखने को मिल रहा है.’

दीवाली के बाजारों में बात करने पर पता चल रहा है कि बाजार से चाइनीज सामानों की ब्रिकी आधी हो गई है. लोगों ने इस बात को समझते हुये पहले से ही चाइनीज सामान कम मंगवाये थे. ज्यादातर चाइनीज प्रोडक्टस बिजली और पटाखों के होते थे. बिजली के सजावट के लिये तो लोगों ने चाइनीज सामान ले भी लिये पर सजावट के लिये चाइनीज सामान पूरी तरह से नहीं लिया. चाइनीज पटाखों की खरीददारी पूरी तरह से प्रभावित हो गई है. देसी बनाम चाइनीज के इस पंसद में देसी कितना भारी पड़ा यह तो त्योहार के बाद ही सही तरह से पता चल सकेगा पर यह बाजार को देखने में साफ दिखा कि पहले के मुकाबले देसीपन बाजार पर छाया रहा.

इस दीवाली हर महीने शुरू करें 900 रुपए की सेविंग

अगर आप करोड़पति बनना चाहते हैं तो आपके लिए बेहतर मौका है. आप इसी दीवाली से हर माह 900 रुपए की सेविंग शुरू करके करोड़पति बन सकते हैं. करोड़पति बनाने की प्‍लानिंग में यह अहम नहीं है कि आपकी इनकम कितनी है. अहम बात यह है कि आप सेविंग और सही जगह पर निवेश करना कब शुरू करते हैं.

कितनी करनी होगी सेविंग

अगर आप 25 साल के हैं और हर माह 900 रुपए की सेविंग करते हैं तो आप इस रकम को सिस्‍टमैटिक इन्‍वेस्‍टमेंट प्‍लानिंग (एसआईपी) के जरिए डाय‍वर्सिफाइड म्‍यूचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं. लंबी अवधि में कपाउंडिंग यानी चक्रवृद्धि ब्‍याज की ताकत आपको करोड़पति बना देगी.

ऐसे बन जाएंगे करोड़पति

-आप 25 वर्ष का युवा है

-आप हर माह 900 रुपए बचाता है

-आप हर माह 900 रुपए एसआईपी के जरिए डायवर्सिफाइड म्‍यूचुअल फंड में निवेश करता है.

– म्‍यूचुअल फंड सालाना 12.5 फीसदी रिटर्न देता है.

-अगर आप अगले 40 साल तक हर माह 900 रुपए निवेश जारी रखता है तो वह 65 वर्ष की उम्र में करोड़पति बन जाएगा.

ऐसे करें कैलकुलेशन

– शुरुआती निवेश राशि- 900 रुपए

– मासिक निवेश- 900 रुपए

– निवेश पर सालाना रिटर्न- 12.5 फीसदी (अनुमानित)

– निवेश की अवधि- 40 वर्ष

– कुल राशि- 1,01,55,160 रुपए

30 साल में भी बन सकते हैं करोड़पति

करोड़पति बनने का मौका अधिक उम्र के लोगों के लिए भी है. अगर आपकी उम्र 30 वर्ष है तो आपको रोज 95 रुपये यानी हर माह 2,850 रुपए  बचाने होंगे. उम्र बढ़ने के साथ निवेश की अवधि कम हो जाती है तो सेविंग बढ़ाने की जरूरत होती है. समान निवेश पैटर्न और सालाना 12.5 फीसदी अनुमानित रिटर्न के साथ 60 वर्ष की उम्र में आप करोड़पति बन जाएंगे.

FILM REVIEW : शिवाय

अजय देवगन कि बैनर तले बनी फिल्म शिवाय एक एक्शन और थ्रिलर फिल्म है, जिसे अजय देवगन ने लिखा और निर्देशित भी किया है. फिल्म की कहानी नई नहीं है, ऐसी कई फिल्में पहले भी आ चुकी हैं, एक पिता का अपनी पुत्री से स्नेह और इमोशन उसे कहां से कहां तक ले आता है, ये बताने की कोशिश की गयी है. फिल्म का एक्शन और सिनेमेटोग्राफी अच्छी है. हुत सारे खतरनाक स्टंट और वीएसऍफ का प्रभाव फिल्म में देखने को मिला, जो अधिकतर विदेशी फिल्मों में होता है. इसके अलावा बुल्गारिया और मसूरी के बर्फीले पहाड़ों पर स्टंट भी देखने लायक था, लेकिन फिल्म में एक निर्देशक के रूप में अजय देवगन काम करने में असमर्थ रहे, फिल्म के कई दृश्य बेवजह ठूसे हुए लगे. अजय देवगन अभिनेता के रूप मे ठीक थे. कहानी इस प्रकार है.

शिवाय (अजय देवगन) एक हिमालय का पर्वतारोही है और सभी पर्यटकों को ट्रैकिंग करवाता है. ऐसे में ट्रैकिंग करते वक्त बर्फीले तूफान में घिरकर वह बुल्गारियन लड़की ओल्गा (एर्रिका कार) के नजदीक आता है. ओल्गा जब अपने देश बुल्गारिया जाने वाली होती है, तब पता चलता है कि वह मां बनने वाली है. शिवाय की जिद पर वह एक गूंगी बच्ची गौरा (अबीगैल यामेस) को जन्म देकर वापस अपने देश चली जाती है. बेटी के बड़ी होने पर मां से मिलने की जिद करने पर शिवाय उसे लेकर बुल्गारिया जाता है, जहां उसकी बेटी किडनैप हो जाती है. उसे कई प्रकार की मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. बेटी की खोज में वहां के दूतावास में काम करने वाली सायशा सहगल उसे मदद करती है. इसी तरह कहानी पिता और बेटी के इर्दगिर्द घूमती हुई अंजाम तक पहुंचती है.

फिल्म में गिरीश कर्नाड पिता के रूप में जचें. फिल्म की स्क्रिप्ट जरुरत से अधिक लम्बी थी, इसे कम करने पर फिल्म शायद बेहतर होती. सायसा को बहुत कुछ करने का मौका नहीं मिला, जितना मिला उतना ठीक था. गाने की बात करें तो वह ठीकठाक थे. मिथुन का टाइटल सोंग ‘बोलो हर हर’ अच्छा था. एक्शन फिल्मों को पसंद करने वाले इसे एक बार देख सकते हैं. इसे टू स्टार दिया जा सकता है.

महिला जेबकतरी: आंख बंद माल गायब

गत 22 मार्च को देश के दूसरे हिस्सों की तरह भोपाल में भी होली के त्योहार की गहमागहमी थी. इस के चलते मिनी बसों और लो फ्लोर बसों में बहुत भीड़ थी. ऐसे ही एक लो फ्लोर बस रूट क्रमांक एस.आर. 5 में मंत्रालय स्टौप से एक महिला बस में चढ़ी, जो बेहद सुंदर थी. महंगी साड़ी पहनने का उस का सलीका भी उस के कुलीन होने का संकेत दे रहा था.

रईसी और ठसक के भाव भी इस महिला के चेहरे पर थे जिन्हें बस में मौजूद यात्रियों ने भी महसूस किया. बस में इस ने इधरउधर ऐसे देखा मानों बता रही हो कि आमतौर पर वह बस में बैठने वाली नहीं है, इसलिए असहज महसूस कर रही है. पूरी बस का मुआयाना करने के बाद उस ने अपने बैठने की जो सीट चुनी उस की बगल में एक और महिला यात्री बैठी थी.

सीट में बैठ कर उस ने लंबी सांस ली और फिर कुछ सोचने की मुद्रा में आ गई पर उस का ध्यान अपनी बगल में बैठी महिला के पर्स पर था. जल्द ही उस की उंगलियों ने पर्स टटोल भी डाला और जब काम का कुछ नहीं मिला तो दूसरे स्टौप पर ही उतरने का उपक्रम करती हुई अगली सीट पर जा बैठी. पर वह यह नहीं समझ पाई कि उस महिला ने उसे पर्स टटोलते हुए देख लिया है पर वह न जाने क्यों कुछ बोली नहीं.

दूसरी सीट पर बैठने के बाद भी उस ने वही दोहराना चाहा लेकिन इस दफा कामयाब नहीं हो पाई. जैसे ही उस ने अपनी सहयात्री का पर्स खोला दूसरी यात्री ने उस का हाथ पकड़ लिया. दरअसल, वह महिला पुलिसकर्मी थी, जिस ने इस कथित संपन्न दिखने वाली महिला को रंगे हाथों पकड़ लिया.

गिरफ्तार करने के बाद जब उस से पूछताछ की गई तो पता चला कि उस का नाम निशा है और वह इटारसी की रहने वाली है. वह केवलजेबकतरी के लिए इटारसीभोपाल अपडाउन करती थी. लेकिन उस दिन भोपाल ट्रैफिक पुलिस ने एडीशनल एस.पी. ट्रैफिक समीर यादव की अगुआई में एक मुहिम छेड़ी हुई थी, क्योंकि पिछले कुछ दिनों से लगातार शिकायतें मिल रही थीं कि शहर में महिला जेबकतरों का गिरोह सक्रिय है. इसलिए पुलिस वाले सादी ड्रैस में लो फ्लोर बसें और मिनी बसों में चल रहे थे. उन्हें निशा पहचान नहीं पाई और पकड़ी गई.

कैसे पहचानें इन्हें

देश भर में निशा जैसी बहुत सारी महिलाएं ट्रेनों, मिनी बसों और स्थानीय बसों में मौजूद रह कर कैसे अपराध को अंजाम देती हैं यह बात किसी से छिपी नहीं रह गई है. पर इन्हें वक्त पर पहचान पाना हर किसी के बस की बात नहीं. सभ्य समाज में आमतौर पर लोग महिलाओं से इस स्तर के अपराधों की उम्मीद नहीं करते, इसलिए लुटपिट जाते हैं. बाद में पछताते देखे जाते हैं.

क्या इन महिला जेबकतरों को पहचाना जा सकता है? इस सवाल का जवाब कई लोगों और पुलिस वालों ने ‘नहीं’ में दिया. लेकिन यह जरूर माना कि इन के हावभाव देख कर अंदाजा लगाया जा सकता है कि इन की मंशा असल में है क्या.

आमतौर पर सफर में लोग महिलाओं को ले कर शिष्टता दिखाते हैं पर चूंकि ये महिलाएं एक खास मकसद ले कर चढ़ी या बैठी होती हैं, इसलिए कुछ असामान्य भी दिखती हैं. अगर बारीकी से एक नजर में इन की हरकतों को ताड़ लिया जाए तो लुटने से बचा जा सकता है. मसलन:

– जेबकतरी महिलाएं आमतौर पर शिष्ट, सभ्य और संपन्न या मध्यवर्गीय दिखने की कोशिश करती हैं, इसलिए इन के चेहरे पर बनावटीपन, बेचैनी या तनाव भी रहता है.

– ये खुद को व्यस्त दिखाने की कोशिश करती हैं जिस से लोग इन की मंशा के बारे में सोच ही नहीं पाते.

– अधिकांश जेबकतरी महिलाएं बैठते ही इधरउधर की बातचीत करती हैं. मसलन, आज मौसम ऐसा या वैसा है, आप कहां जा रहे हैं, यह कौन सा स्टेशन या स्टौप आ गया वगैरहवगैरह.

– ऐसा करने के पीछे उन की मंशा खुद को सहज दिखाने और लोगों का ध्यान बंटाए रखने की होती है, क्योंकि अपराध करने के लिए इन के पास वक्त कम होता है.

– बस या ट्रेन में ये खाली सीट पर नहीं बैठतीं, बल्कि जहां कोई पहले से बैठा हो उस सीट को चुनती हैं.

– ये खुद को लापरवाह दिखाने की भी कोशिश करती हैं.

– इन की निगाहें बेहद सतर्क होती हैं और आप के सामान या जेब के इर्दगिर्द ज्यादा रहती हैं.

– अगर ये गिरोहबद्ध तरीके से काम करती हैं, तो एक के बाद एक स्टौप से चढ़ती हैं और एकदूसरे की मौजूदगी की तसल्ली करती हैं. इस दौरान अपने चेहरे के हावभाव और उतेजना वे नहीं छिपा पातीं पर यह सब इतनी जल्दी होता है कि आम लोग इस पासवर्ड को तोड़ नहीं पाते.

– अलगअलग स्टौप से चढ़ने की इन की मंशा या योजना यह रहती है कि एक जेब काटे, पर्स या मोबाइल उड़ाए और चुपचाप दूसरी को दे. इसे ये लोग पास करना बोलती हैं.

– कई बार बिलकुल फिल्मी स्टाइल में अपने गिरोह की महिला या पुरुष सदस्य से किसी भी बात पर झगड़ पड़ती हैं, जिस से दूसरों का ध्यान बंटे और ये अपने काम को कामयाबी से अंजाम दे पाएं. बीचबचाव के दौरान ही ये या इन का तीसरा साथी मौका देख माल उड़ा ले जाता है.

– ये अपने साथ ज्यादा सामान नहीं रखतीं.

– कई दफा ये खुद को काफी हैरानपरेशान या तनाव में दिखाने की कोशिश करती हैं ताकि लोग अपने सामान की हिफाजत के बजाय इन के बारे में सोचना शुरू कर दें.

ऐसे बचें इन से

जरूरी नहीं कि हर कोई इन्हें पहचान पाए या इन की मंशा ताड़ पाए, इसलिए ये अपने महिला होने का पूरा फायदा उठाती हैं. कुछ सावधानियां बरती जाएं तो इन से एक हद तक बचा जा सकता है:

– अगर खाली सीट है और उसे छोड़ महिला आप के पास आ बैठी है तो सतर्क हो जाएं. वह जेबकतरी हो सकती है.

– वह उपरोक्त बताए सवाल पूछे तो जवाब बहुत संक्षिप्त यानी हां, न या फिर पता नहीं में बेरुखी से दें और अपनी जेब, पर्स व सामान के प्रति सावधान हो जाएं.

– किसी भी आगुंतक महिला से दूरी बना कर बैठें, क्योंकि ऐसे अपराधों के लिए उन्हें कम दूरी चाहिए होती है.

– जेबकतरी महिलाएं ट्रेन में अकसर एक से दूसरे जंक्शन तक ही चलती हैं, इसलिए उन के चढ़नेउतरने को ले कर सावधान रहें. मसलन ट्रेन में भोपाल से सवार महिला खुद अपनी तरफ से यह बताने की कोशिश करे कि वह दिल्ली तक जा रही है, तो उस पर भरोसा न करें. आजकल ऐसी महिलाएं रिजर्वेशन तो दूर का करवाती हैं पर मौका मिलते ही दूसरे या तीसरे जंक्शन पर सामान ले कर गायब हो जाती हैं. किसी भी स्टेशन पर अपना सामान सहयात्री के भरोसे न छोड़ें.

– आजकल जो जेबकतरी महिलाएं पकड़ी जा रही हैं वे इतनी सफाई से पर्स की चैन खोल कर समान उड़ाती हैं कि लुटने वाले को

पता ही नहीं चलता कि कब नगदी पर्स से गायब हो गई. इसलिए कम से कम चैन वाला पर्स रखें और उसे साइड में रखने के बजाय गोद में रखें.

– अगर आप के साथ अपराध घटित हो जाए  तो नजदीकी थाने में रिपोर्ट जरूर दर्ज कराएं. यह न सोचें कि जो चला गया उस का क्या अफसोस करना या कि फिर वह नहीं मिलने वाला, बल्कि यह सोचें कि आप की यह उदासीनता जेबकतरों को प्रोत्साहन देने वाली साबित होगी.

पुलिस कुछ नहीं करती या इन लोगों से मिली रहती है जैसी सोच एक हद तक सच

हो सकती है, लेकिन भोपाल में इटारसी की निशा के पकड़े जाने की वजह लगातार हो रही शिकायतें व रिपोर्टों का ही दबाव था. इसलिए रिपोर्ट जरूर दर्ज कराएं और कोशिश करें कि अपराधी महिला का हुलिया ज्यादा से ज्यादा वक्त तक याद रख पाएं. 

समारोह में चाहिए अतिरिक्त सावधानी

विवाह समारोह से उड़ाए लाखों के जेवर जैसे शीर्षक वाले समाचार अब बेहद आम हो चले हैं और इन में से अधिकांश महिलाओं या बच्चों द्वारा किए जाते हैं. ऐसे में रेल या बस से सफर के बराबर ही सावधानी समारोहों में रखने की होती है. समारोहों में भी भीड़ इकट्ठा और अनुशासनहीन होती है और लोग अपनेआप में या दूसरों के साथ गप्पें लड़ाने में इतने खोए रहते हैं कि इन्हें पर्स या सामान उड़ाने में ज्यादा मेहनत नहीं करती पड़ती. इसलिए जब भी विवाह या दूसरे किसी समारोह में जाएं तो इन बातों का ध्यान रखें:

– यहां कीमती और नक्दी सुरक्षित रखने के ज्यादा विकल्प नहीं होते, इसलिए उन्हें कम से कम ले जाना चाहिए.

– कुरसी या किसी दूसरी जगह पर्स नहीं रखना चाहिए.

– स्टेज पर चढ़ते वक्त पर्स अपने साथ ही रखें. उसे नीचे किसी के भरोसे छोड़ कर न जाएं.

– अगर कोई महिला लगातार आसपास मंडराती दिख रही है, तो उस से सावधान हो जाएं. वह जेबकतरी हो सकती है. वजह आजकल शादियों में परिचित कम अपरिचित ज्यादा मिलते व दिखते हैं.

– खाने की मेजों पर आइटम लेने में हड़बड़ी न मचाएं न ही धक्कामुक्की के दौरान वहां जाएं. अगर कोई साथ है तो एक को पर्स व सामान की देखभाल के लिए रुकना चाहिए. उस के आने के बाद ही दूसरे को जाना चाहिए.

– पर्स को लटकाए या झुलाए रखने के बजाय कैरी बैग में रखें.

– अनावश्यक बातचीत करने वाले अपरिचितों से दूर रहें.

दांपत्य में न पनपने दें यह बीमारी

घर गृहस्थी की समस्याओं में उलझ कर आमतौर पर पतिपत्नी का प्रेमी एवं प्रेयसी रूप खोने लगता है. जहां कभी एक हुए 2 तन के अनुरागित मन में उत्साह, उमंग, प्यार, मनुहार, मानसम्मान का सागर पलपल एकदूसरे के लिए उमड़ता था उसी में संदेह, वहम एवं शंकाओं के झोंके आने लगते हैं.

एकदूसरे के दोषारोपण में सारे इंद्रधनुषी सपने बदरंग हो जाते हैं. शक जैसी घातक बीमारी का इलाज किसी डाक्टर के पास भी नहीं. यह एक मनोवैज्ञानिक व्याधि है, जो घरगृहस्थी को तबाह कर देती है.

यह एक ऐसी बीमारी है, जो जीवन में अशांति ला कर आएदिन न जाने कितने परिवारों को बरबाद कर देती है.

इस लाइलाज बीमारी के परिणाम से सभी वाकिफ होते हैं, फिर भी जानबूझ कर इस की चपेट में आ कर अपनी जिंदगी बरबाद कर लेते हैं.

दोनों के बीच प्यार और विश्वास हमेशा बना रहे यह कोशिश दोनों ओर से होनी चाहिए. एकदूसरे के प्रति प्रेम व विश्वास की धारा में संगसंग बहना, एकदूसरे की भावनाओं का मानसम्मान करना ही सुखी वैवाहिक जीवन की सच्ची कुंजी है. इस की सफलता दोनों की दूरदर्शिता पर निर्भर करती है अन्यथा आज के अवसाद एवं समस्याओं से भरे जीवन को नर्क बनते देर नहीं लगती है.

एक दूसरे की शक्ति

विवाह कुदरत का सब से खूबसूरत, पावन बंधन है, जिसे ताजिंदगी बनाए रखना दोनों का कर्तव्य है. पति घर की छत है, तो पत्नी उस की नींव. पत्नी विश्वसनीय सहचरी, सहगामिनी एवं सच्ची अर्द्धांगिनी होती है न कि पुरुष समाज द्वारा दिए दोयम दर्जे की नौकरानी. दोनों ही एकदूसरे की शक्ति हैं. शक के आधार पर पतिपत्नी के रिश्ते टूटते हैं, तो बच्चों का जीवन भी टूट कर बिखर जाता है. पति या पत्नी किसी को यह अधिकर नहीं है कि अपने ही नन्हेमुन्नों का जीवन बरबाद करें.

शाहरुख फिर बनेंगे डॉन

अमिताभ बच्चन के जूते में पैर डाल कर शाहरुख खान ने दस साल पहले ये साबित कर दिया था कि वो भी बड़े परदे के डॉन हैं और अब फिर से वैसा ही करने की बारी आ गई है जिसके संकेत साफ मिल रहे हैं.

दरअसल एक्सेल एंटरटेनमेंट के 15 साल पूरे होने के मौके पर इस फिल्मी प्रोडक्शन हाउस के ओनर और फरहान अख्तर के पार्टनर रितेश सिधवानी ने एक इंस्ट्राग्राम पोस्ट किया है, जिससे ये साफ संकेत मिल गए हैं कि शाहरुख खान को तीसरी बार डॉन बनाने की तैयारी शुरू हो गई है.

रितेश ने इस पोस्ट में शाहरुख की डॉन को उनकी सबसे कूल फिल्म बताया और ये संकेत दे दिया कि डॉन 3 भी बनाने जा रही है बस इन्तजार कीजिये. कुछ समय से ये खबर है कि रितेश और फरहान के साथ फिल्म ‘रईस’ की रिलीज के बाद किंग खान, डॉन-3 के लिए सहमति देने वाले हैं. फिलहाल वो अपनी अगली दोनों फिल्मों ‘डीयर ज़िंदगी’ और ‘द रिंग’ का काम खत्म करने में लगे हैं.

राहुल ढोलकिया निर्देशित उनकी ‘रईस’ अगले साल रिलीज होने वाली है और फिल्म में जिस तरह से उनका किरदार है वो डॉन 3 के लिए शाहरुख के मन बनाने के लिए काफी है. किंग खान ने 2006 में ‘डॉन’ में काम किया था जो काफी हिट रही और उसके बाद शाहरुख ने इसका सीक्वल भी बनाया जो पांच साल पहले रिलीज हुआ और इस फिल्म ने तब 200 करोड़ रूपये से ज्यादा की कमाई की थी.

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