चंडीगढ़: द सिटी ब्यूटीफुल

भारत के उत्तर क्षेत्र में स्थित चंडीगढ़ शहर देश का सबसे सुनियोजित क्षेत्र भी कहलाता है. शहर में प्रवेश करते ही आपको इसकी खूबसूरती का अंदाजा लग जायेगा.

यह खूबसूरत और नियोजित शहर, बुनियादी सुविधाओं के लिए डिजाइन किए गए रचनाओं और इमारतों के लिए प्रसिद्ध है. इन नियोजित रचनाओं के साथ प्रकृति को भी शहर से अच्छी तरह जोड़ा गया है, जिससे शहर की खूबसूरती में बढ़ जाती है.

1. द सिटी ब्यूटीफुल

शहर में पर्यारवण के अनुकूल शहरी परिदृश्य और सुनियोजित बुनियादी ढांचे के कारण इसे ‘द सिटी ब्यूटीफुल’ के नाम से भी जाना जाता है.

2. शहर का नाम

चंडीगढ़ शहर का नाम चंडी देवी मंदिर के नाम पर पड़ा, जो शहर में स्थापित एक हिन्दू मंदिर है.

3. शहर की दो अलग-अलग भूमिका

चंडीगढ़, पंजाब और हरियाणा दोनों ही राज्यों की राजधानी है. दो राज्यों की राजधानी होने के साथ-साथ यह दोहरी भूमिका में एक केंद्र शासित प्रदेश भी है.

4. ट्राइसिटी(त्रिशहर)

चंडीगढ़, हरियाणा के पंचकुला और पंजाब के मोहाली के साथ ट्राइसिटी(त्रिशहर) का निर्माण करता है.

5. फ्रेंच शैली

शहर का मुख्य डिजाइन फ्रेंच आर्किटेक्ट ली कॉर्बुसिएर द्वारा तैयार किया गया था. हालांकि, कई लोगों द्वारा यह भी कहा जाता है कि यह पहले के ही डिजाइन का विस्तारित रूप है, जिसे अमेरिकन आर्किटेक्ट अल्बर्ट मेयर द्वारा तैयार किया गया था.

6. रास्तों में बने रॉउंडबाउट्स

चंडीगढ़ की सड़कों पर बहुत सारे रॉउंडबाउट्स बने हुए हैं जो यहां के यातयात की प्रवाह में मदद करते हैं. ये रॉउंडबाउट्स शहर की खूबसूरती को भी बढ़ाते हैं.

7. सदाबहार शहर

चंडीगढ़ भारत के सबसे हरे-भरे शहर के रूप में सम्मानित है. शहर के विकास के दौरान वृक्षारोपण यहां की एक महत्वपूर्ण योजना थी. यहां पेड़-पौधों की कई प्रजातियां हैं.

8. द ओपन हैण्ड

शहर का द ओपन हैण्ड, चंडीगढ़ सरकार का प्रतीक है. यह स्मारकीय रचना ली कॉर्बुसिएर द्वारा बनाई गई थी. यह रचना यह दर्शाता है कि ‘यह हाथ शांति, समृद्धि और मानव जाति की एकता को देने और लेने के लिए है.

9. अशुभ नंबर 13

चंडीगढ़ के किसी भी सेक्टर में 13 नंबर नहीं है. यहां के विश्वास के मुताबिक 13 नंबर शुभ नहीं होता.

10. इतिहास के समीप

चंडीगढ़ से लगभग 43 किलोमीटर की दूरी पर ही स्थित संघोल गांव यहां का सबसे नजदीकी पुरातात्विक स्थल है. प्राचीन हड़प्पा संस्कृति के कई अवशेष भी यहां पाए गए हैं. कई प्राचीन बौद्धिक स्तूप भी यहां की खुदाई के दौरान मिले हैं.

11. सेक्टर के अनुसार योजित

चंडीगढ़ शहर को सेक्टर्स के अनुसार योजित किया गया है. इन सेक्टर्स में ही आवासीय क्षेत्र, वाणिज्यिक क्षेत्र आदि बसे हुए हैं.

12. अस्थिर जलवायु

चंडीगढ़ शहर शिवालिक पर्वत श्रेणी के तलहटी के पास बसा हुआ है, इसलिए यहां बहुत गर्मी, रुक-रुक कर बारिश और हलकी ठण्ड का अनुभव होता है.

13. सेक्टर 17

सेक्टर 17 यहां का प्रमुख कमर्शियल केंद्र है. यहां के सेंट्रल प्लाजा में बड़े-बड़े स्टोर, रेस्टोरेंट आदि बने हुए हैं. इसे ‘पेडेस्ट्रिन्स पैराडाइस(पैदल चलने वालों का स्वर्ग)’ भी कहा जाता है, क्योंकि यहां लोग बिना ट्रैफिक के सैर का मजा ले सकते हैं.

14. साइकिल मार्ग

यहां के कई रास्तों में साइकिल चलाने के लिए अलग से रास्ते बने गए हैं जिससे की साइकिल चलाने वालों को सुविधा हो.

15. पेंशनियर्स पैराडाइस(पेंशनभोगियों का स्वर्ग)

चंडीगढ़ तीन सरकारों का मुख्य केंद्र है, इसलिए यहां के ज्यादातर लोग या तो सरकारी नौकरी में होते हैं या फिर सरकारी नौकरी से सेवानिवृत्त नागरिक. इसलिए इसे पेंशनभोगियों का स्वर्ग भी कहा जाता है.

16. साफ सुथरा शहर

राष्ट्रीय सरकार के अनुसार यह सबसे साफ सुथरे शहरों में से एक है.

आपको जरूर भायेंगे टिक्का रोल्स

सामग्री

– 8-10 मशरूम 2 टुकड़ों में कटी

– 5-6 पनीर के टुकड़े

– 5-6 गोभी फूल

– 5-6 छोटे प्याज

– 5-6 टुकड़े शिमलामिर्च

– 2 बड़े चम्मच धनिया की चटनी

– 1 छोटा चम्मच अदरकलहसुन पेस्ट

– 1/2 छोटा चम्मच लालमिर्च पाउडर

– 3/4 कप दही

– 1/4 कप क्रीम

– 2 अंडे

– 2 छोटे चम्मच औलिव औयल

– चाटमसाला स्वादानुसार

– 1/2 छोटा चम्मच नमक

विधि

दही में लालमिर्च पाउडर, धनियापत्ती चटनी व अदरकलहसुन पेस्ट मिलाएं. अब इस में मशरूम, गोभी, पनीर के टुकड़े, शिमलामिर्च व प्याज डाल कर 2-3 घंटों के लिए मैरीनेट करें. क्रीम मिलाएं व मध्यम गरम तंदूर में रख कर टिक्के तैयार करें. चाटमसाला बुरकें. फ्राइंग पैन में 1-1 चम्मच औयल गरम करें व 1-1 अंडा फेंट कर आमलेट तैयार करें. दोनों आमलेट में तैयार टिक्के लगाएं व रोल्स तैयार करें. गरमगरम रोल्स को पोटैटो मैश या पास्ता या नूडल्स अथवा चावलों के ऊपर रख कर परोसें.

व्यंजन सहयोग

सुधा माथुर

बेचारे करण जौहर अब क्या करें?

शुक्रवार को प्रदर्शित हो रही अपनी पाकिस्तानी अभिनेता फवाद खान के अभिनय वाली फिल्म ‘ऐ दिल है मुश्किल’ के भारत के साथ-साथ पाकिस्तान में प्रदर्शन को सुनिश्चित करने के लिए करण जौहर ने सारे हथकंडे अपनाए, पर अफसोस उनकी फिल्म के साथ साथ अजय देवगन की फिल्म ‘शिवाय’ भी पाकिस्तान में प्रदर्शित नहीं हो पाएगी.

मजेदार बात यह है कि पाकिस्तान में भारतीय फिल्मों के बैन से वहां के सिनेमा घर मालिक परेशान हैं. पाकिस्तानी सिनेमा घर के मालिकों और पाकिस्तानी एक्जीबेटर और डिस्ट्रीब्युशन एसोसिएशन के चेयरमैन जोरैज लशारी का मानना है कि पिछले तीन वर्षों में पाकिस्तानी फिल्म इंडस्ट्री कि स्थिति सुधरने के साथ साथ पाकिस्तान में जो मल्टीप्लैक्स की संख्या बढ़ी है, उसकी मुख्य वजह पाकिस्तान में भारतीय फिल्मों का प्रदर्शन होना है.

लशारी ने कहा है कि, ‘पिछले तीन वर्षों में सिनेमा घर मालिक बॉक्स ऑफिस पर जो कमायी कर रहे थे, उसकी 75 प्रतिशत कमायी भारतीय फिल्मों के प्रदर्शन से हो रही था. हालात यह हैं कि भारतीय फिल्मों में बैन लगाने के बाद से पाकिस्तान के लगभग सभी मल्टीप्लैक्स खाली पड़े हुए हैं. सभी मल्टीप्लैक्स व सिनेमाघर मालिक चाहते हैं कि पाकिस्तान उनके यहां भारतीय फिल्में प्रदर्शित हो, मगर ऐसा नहीं हो पाया.

पाकिस्तानी अखबारों की मानें तो पाकिस्तान की एक्जबीटर और डिस्ट्रीब्यूटी एसोसिएशन के चेयरमैन जोरैज लशारी ने ही शर्त रखी थी कि यदि भारत में फवाद खान की फिल्म ऐ दिल है मुश्किल के प्रदर्शन की इजाजत मिलेगी, तो उनकी संस्था पाकिस्तान से भारतीय फिल्मों पर प्रतिबंध हटा देगी. इसके मायने यह हुए कि लशारी की बातों को ध्यान में रखते हुए करण जौहर ने दौड़ भाग की.

भारत के गृहमंत्री राजनाथ सिंह के अलावा महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस व महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष राज ठाकरे के साथ बैठके कर अपनी फिल्म ऐ दिल है मुश्किल के भारत में प्रदर्शन को सुनिश्चित कराया. पर वह अपनी फिल्म को पाकिस्तान में प्रदर्शित करवाने में असफल रहे, जबकि फिल्म में पाकिस्तानी अभिनेता फवाद खान के ही कारण भारत में इसके प्रदर्शन में रूकावटें आ रही थी.

पाकिस्तानी अखबारों की मानें तो पाकिस्तानी सरकार के वित्त मंत्रालय ने करण जोहर की फिल्म ऐ दिल है मुश्किल और अजय देवगन की फिल्म शइवाय को हरी झंडी दे दी थी. उसके बाद यह दोनों फिल्में पाकिस्तानी सेंसर बोर्ड के सामने भेजी गयीं. पर मामला वहां भी लटका हुआ है. वहीं दूसरी तरफ भारत सरकार ने भी साफ किया है कि वह पाकिस्तानी कलाकारों का वीजा रद्द करने के बारे में नहीं सोच रही है. जबकि भारत के सूचना व प्रसारण मंत्री वेंकैया नायडू ने कहा है, ‘भारत सरकार ने पाक कलाकारों के भारत में काम करने पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया है. लेकिन फिल्मकारों को देश की जनता, देश के लोगों की भावनाओं का ध्यान रखकर काम करना चाहिए. जब पाकिस्तान छल युद्ध कर रहा हो, तो देश के लोगों की भावनाएं क्या होंगी? उसका ख्याल फिल्मकार करें.’

देखा जाए, तो दोनों देशों कि सरकारों ने तो खुलकर कह दिया है कि उन्होनें किसी तरह का कोई बैन नहीं लगाया है. इसके बावजूद ‘पाकिस्तान इलेक्ट्रॉनिक मीडिया रेग्यूलेटरी अथॉरटी’ यानी कि ‘पेमरा’ ने पाकिस्तान के टीवी चैनलों, रेडियो व केबल ऑपरेटरों पर भारतीय सीरियल व भारतीय कंटेंट प्रसारित करने पर 21 अक्टूबर से पाबंदी लगा रखी है. वहीं पाकिस्तानी फिल्म एक्जबीटर व वितरक संस्था ने 25 अक्टूबर को भारतीय फिल्मों पर बैन हटाने के लिए बैठक बुलायी थी,पर उसी दिन क्वेटा पर हमले होने पर इरादा बदल गया.

फिल्हाल के लिए पाकिस्तान में भारतीय फिल्मों पर बैन लगा हुआ है. इसका अर्थ यह है कि पाकिस्तान में ऐ दिल है मुश्किल और शिवाय प्रदर्शित नहीं हो सकती. मजेदार बात यह है कि फिल्म शिवाय के प्रवक्ता का दावा है कि शिवाय को पाकिस्तान में प्रदर्शन के लिए भेजा ही नही गया. तो फिर यह फिल्म पाकिस्तान सेंसर बोर्ड के पास कैसे पहुंची.

आश्चर्य जनक बात यह है कि हर बात पर पाकिस्तान का पक्ष लेने वाले तथा जब भारत में पाकिस्तानी कलाकारों की फिल्मों के प्रदर्शन पर बैन लगा था,तो इसका विरोध करते रहे महेश भट्ट, मुकेश भट्ट व हंसल मेहता चुप हैं. अब यह लोग पाकिस्तान के एक्जबीटर व वितरकों व उनकी संस्था को लेकर कुछ भी नहीं कह रहे हैं. बहरहाल, भारत में फवाद खान की फिल्म ए दिल है मुश्किल कितना व्यापार करेगी, यह तो वक्त बताएगा.

खरीद रहे हैं ऑनलाइन पॉलिसी तो ध्यान रखें इन बातों का

इंटरनेट की मदद से कई मुश्किल काम सरल हो गए हैं. अगर बात करें इंश्योरेंस या अन्य फाइनेंशियल प्रोडक्ट्स की तो आज के समय में न तो एजेंट से संपर्क करने की जरूरत पड़ती है और न ही प्रीमियम की गणना करने में ज्यादा दिक्कत आती है. यही नहीं डायरेक्ट सैलिंग के आने से ऑनलाइन पॉलिसी खरीदना काफी सस्ता भी पड़ता है. इस कारण लोग ऑनलाइन इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदते हैं. लेकिन ऑनलाइन इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदने से पहले कुछ चीजों का ध्यान रखना जरूरी है ताकि भविष्य में क्लेम करते वक्त किसी भी मुश्किल का सामना न करना पड़े.

ऑनलाइन नहीं है सबके लिए

ऑनलाइन पॉलिसी खरीदना आसान है मगर इसे हर कोई नहीं खरीद सकता. आप को बात दें कि केवल स्टैंडर्ड केस ही ऑनलाइन मिलते हैं. उदाहरण के तौर पर 45 वर्ष की उम्र से अधिक के लोग या फिर जो लोग पहले से किसी बीमारी से ग्रस्त हैं वो लोग ऑनलाइन हैल्थ इंश्योरेंस नहीं खरीद सकते है. कुछ कंपनियां ऐसी भी हैं जो पांच वर्ष से अधिक पुराने वाहनों का इंश्योरेंस नहीं करती जब तक की उसे वही इंश्योरर रिन्यू नहीं कराता. जब जीवन बीमा खरीदते हैं तो केवल प्योर टर्म पॉलिसी या फिर यूलिप प्लान ही ऑनलाइन खरीदें जा सकते हैं. अधिकांश सेविंग प्रोडक्ट्स को ऑनलाइन खरीदा नहीं जा सकता है.

खरीदने से पहले कीमतों में तुलना जरूर करें

अगर गौर से देखा जाए तो एग्रीगेटर की वेबसाइट और ऑनलाइन इंश्योरेंस ब्रोकर की वेबसाइट पर इंश्योरेंस कंपनी की ओर से ऑफर की जाने वाली कीमतें एक जैसी ही होती हैं. आप चाहे एग्रीगेटर से खरीदें, ऑनलाइन खरीदें या फिर ऑनलाइन ब्रोकर से खरीदें प्रीमियम भुगतान केवल इंश्योरर वेबसाइट पर ही होती हैं. ऐसा ट्रांजेक्शन की सुरक्षा के मद्देनजर किया जाता है.

प्रीमियम एक मगर कवर ज्यादा

जीवन बीमा की कुछ कंपनियों में ऊंचे मूल्य के एश्योर्ड कवर की तुलना में कम मूल्य के एश्योर्ड कवर पर ज्यादा प्रीमियम का भुगतान करना पड़ता है. यह अक्सर 50 लाख के एश्योर्ड मूल्य के मामले में होता है और कुछ एक बार ऊंचे एश्योर्ड मूल्य पर भी. उदाहरण के तौर पर यदि 35 वर्ष की आयु का व्यक्ति 20 साल के लिए पॉलिसी देख रहा है तो उसे 40 लाख के एश्योर्ड मूल्य का प्रीमियम 50 लाख के एश्योरेड मूल्य के प्रीमियम की तुलना में कुछ ज्यादा देना पड़ता है.

कीमतों के साथ सर्विसेस पर भी दें ध्यान

ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर एक ही जगह कई प्रोडक्ट्स की तुलना करने की सुविधा मिल जाती है. कीमतों में तुलना जरूर करें, लेकिन खरीदारी के समय कंपनी की ओर से दी जाने वाली सर्विसेज पर भी विशेष ध्यान दें. हेल्थ पॉलिसी का तयन करते समय नेटवर्क हॉस्पिटल और क्लेंम रिस्पॉान्सस पर भी ध्या न देना चाहिए. कभी सस्ती पॉलिसी के लालच में न पड़े. उदाहरण के तौर पर अगर कंपनी महज 50 फीसदी क्लेम ही सेटलकर पाती है तो उसका चयन करना नासमझी है.

कहां से खरीदें पॉलिसी

ऑनलाइन इंश्योरेंस ऑनलाइन ब्रोकर या फिर सीधे इंश्योरेंस कंपनी से खरीदी जा सकती है. यदि पॉलिसी खरीदते समय किसी भी असमंजस में है तो वेबसाइट पर तुलना जरूर कर लें. ऐसा करने से आप कई विकल्पों में चुनाव कर सकते हैं. लेकिन इसका एक नुकसान भी होता है. आपको बता दें कि वेबसाइट्स को आपकी निजी जानकारी तक का एक्सेस मिल जाता है. यदि कोई इंश्योरेंस कंपनी आपको किसी भी तरह की छूट ऑफर कर रहा है तो ध्यान रखें कि वह इसके बदले में आपको फीचर्स कम की पेशकश करेगा.

गुजरात का नौलखा महल

एक महल में आप ऐतिहासिक काल के राजसी, शाही और समृद्ध जीवन शैली की झलक साफ देख सकते हैं. भारत में कई ऐसे महल और कोठियां हैं जिनका निर्माण कई वंशों के राज में कराया गया. गुजरात का नौलखा महल भी उन्हीं शाही महलों में से एक है, जो गुजरात में पर्यटकों के मुख्य आकर्षणों में से एक है.

नौलखा महल का मतलब है ‘नौ लाख’. महल का यह नाम इस महल के निर्माण में होने वाले खर्च के ऊपर रखा गया. यह गुजरात के सबसे पुराने महलों में से एक है. गोंडाली नदी के तट पर बसा यह महल अपने खूबसूरत और आश्चर्यजनक वास्तुकला और बारीक नक्काशी के लिए जाना जाता है. राजकोट जिले के गोंडल में स्थित यह महल आपको इतिहास के 18 वीं सदी में दोबारा से ले जाता है. गोंडल, जडेजा राजपूत वंश की राजधानी हुआ करती थी. ऐसा माना जाता है कि नौलखा महल गोंडल क्षेत्र का सबसे पुराना महल है.

गोंडल कैसे पहुंचें?

महल का निर्माण 1748 ईसवीं में दरबारगढ़(पुराना किला) किले के परिसर में किया गया. इस महल के साथ ही कई अन्य रचनाओं का निर्माण भी इसी परिसर में उस समय के दौरान ही किया गया.

महल की वास्तुकला और विशेषताएं

18वीं सदी के इतिहास में ले चलती यह प्रभावशाली रचना नदी के 30 मीटर ऊपर स्थापित है. पत्थरों पर की गई नक्काशियां, बालकनी के रूप में महल के झरोखे पूरे महल को एक अलग आकर्षक रूप देते हैं. बीते युग की खास और आकर्षक चमक, विलास से सुसज्जित अंदरूनी खूबसूरती, घूमावदार सीढ़ियां, प्रभावशाली छज्जे और आंगन महल के समृद्ध आभा को बखूबी दर्शाते हैं.

महल का दरबार हॉल यहां का प्रमुख आकर्षण का केंद्र है. यहां स्थित अनोखी कलाकृतियां और प्राचीन व यूनिक चीजें, कला प्रेमियों के साथ-साथ आम लोगों का भी ध्यान अपनी ओर आकर्षित करती हैं. तेंदुओं की मूर्तियां, सोने की परत चढ़े हुए लकड़ी के फर्नीचर, पुराने और अनोखे शीशे, दीवारों से लटके हुए झूमर आदि जैसी आकर्षक चीजें आपको यहां देखने को मिलेंगी.

महल में एक निजी महल संग्रहालय भी स्थित है, जहां चांदी के ताबूत रखे हुए हैं जिनका इस्तेमाल संदेशों और तोहफों के लिए किया गया था. ये सन्देश और तोहफे महाराजा भागवत सिंह जी,को भेंट में मिले थे. राजा ने उस समय कई महान कार्यों में अपना योगदान दिया जैसे, करों को खत्म करना, महिलाओं की शिक्षा को आगे बढ़ाना, पर्दा प्रथा हटाने जैसे कार्य.

संग्रहालय में महाराजा द्वारा एकत्र की गई कई कलाकृतियां, खिलौने वाले कार, तस्वीरें, पुस्तकालय, जीती गई कई ट्रॉफियां भी प्रदर्शित की गई हैं. महल के छज्जों से पूरे शहर, गोंडल का खूबसूरत दृश्य नजर आता है.

महल के एक कमरे में राजसी रसोईघर के शाही बर्तन और एक बड़ा सा तराजू भी रखा हुआ है. कहा जाता है कि इस तराजू का इस्तेमाल महाराजा के जन्मदिन पर किया जाता था. एक पलड़े में उन्हें बैठा कर दूसरे पलड़े में सोने की मोहरों से उन्हें तौला जाता था और बाद में सोने की मोहरों को गरीबों और जरूरतमंदों में बांट दिया जाता था.

नौलखा महल कैसे पहुंचें?

नौलखा महल गोंडल शहर के बीचो-बीच बसा हुआ है. गोंडल शहर राजकोट से लगभग 38 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. रेल यात्रा या हवाई यात्रा, राजकोट पहुंचें, जहां से कोई भी निजी टैक्सी या बस सुविधा द्वारा आप गोंडल पहुंच सकते हैं.

नौलखा महल के पास ही स्थित अन्य आकर्षण

महल के नजदीक ही स्थित अन्य आकर्षण के केंद्र हैं, स्वामीनारायण मंदिर, अक्षर देरी मंदिर, रॉयल गेराजेस, रिवरसाइड महल और दासी जीवन मंदिर.

नौलखा महल

अगली बार गुजरात की अपनी यात्रा में इस शाही शहर गोंडल की सैर पर जरूर जाएं जहां शाही परिवार का पुराने कारों के लिए एक खास जूनून था और इसलिए तब के समय में यहां की सड़कें देश की सबसे अच्छी सड़कें हुआ करती थीं.

खर्राटों से हैं परेशान तो तुरंत मिलें डेंटिस्ट से

क्या आप भी अपने पार्टनर के खर्राटों से परेशान आ चुके हैं? क्या उसके खर्राटों की वजह से आपकी नींद पूरी नहीं हो पाती? अगर हां तो उसे किसी फिजीशियन को दिखाने से बेहतर होगा कि आप उसे किसी अच्छे डेंटिस्ट को दिखाएं.

अमेरिकी शोधकर्ताओं का कहना है कि दंत रोग विशेषज्ञ खर्राटे के कारणों को बेहतर तरीके से समझकर उसका इलाज करने में सक्षम होते हैं. खर्राटे की समस्या आमतौर पर जीभ की बीमारी और टॉन्सिल से जुड़ी हुई है.

प्रमुख शोधकर्ता अमेरिका के बफेलो विश्वविद्यालय के थिकरित अल जेवैर के अनुसार, दंत रोग विशेषज्ञ स्लीप एप्नि‍या का बेहतर इलाज कर सकते हैं, क्योंकि ये ऊपरी वायुगमन मार्ग में अवरोध के कारण पैदा होता है. इस ट्यूब की जांच करके खर्राटों की समस्या को दूर किया जा सकता है.

अल जेवैर ने सऊदी मेडिकल जर्नल में प्रकाशित इस शोध में लिखा है कि सामान्य चिकित्सकों के मुकाबले दंत रोग विशेषज्ञ मरीज के मुंह के अंदर बेहतर तरीके से देख सकते हैं, इसलिए वे रोग के कारणों की पहचान बेहतर ढंग से कर सकते हैं.

कई वयस्कों को स्लीप एप्नि‍या की बीमारी होती है लेकिन कई मामलों में इसका इलाज नहीं हो पाता है. इस बीमारी के चलते दिल से जुड़ी बीमारियों के होने का खतरा बढ़ जाता है. इसके साथ ही मधुमेह, निराशा और याददाश्त खोने जैसी बीमारियों के होने की आशंका बढ़ जाती है.

बिग बॉस की ये कंटेस्टेंट हैं सलमान की फेवरेट

बिग बॉस के इस सीजन में कुछ इंडियावाले कंटेस्टेंट हैं तो कुछ सेलेब्रेटी हैं. सभी मिलकर घर चलाने की कोशिश कर रहे हैं. इस कोशिश में कभी प्यार होता है तो कभी तीखी नोक-झोंक और इसी नोक-झोंक भरे मसाले की वजह से यह शो सभी का फेवरेट बना हुआ है.

पिछले सीजन्स में जहां प्यार और तकरार के लिए कुछ हफ्तों का इंतजार करना पड़ता था. वहीं इस बार शो शुरू होने के एक हफ्ते में ही इस सब की शुरुआत हो गई है. कंटेस्टेंट्स का ड्रामा देखने के अलावा एक दूसरी चीज जिसका सभी को इंतजार रहता है वो है वीकएंड का वार.

ये वो दिन होता है जब सलमान सभी कंटेस्टेंट्स से बात करते हैं. उनसे सवाल करते हैं और उनके मुद्दे सुनते हैं. इन्हीं में हर बार कोई ना कोई कंटेस्टेंट सलमान का फेवरेट भी होता है. इस बार भी लोग पहले दिन से यह नोटिस करने की कोशिश में थे कि बिग बॉस के घर के नए सदस्यों में से सलमान खान का फेवरेट कौन है. लेकिन सलमान ने लोगों की इस मुश्किल को आसान कर दिया है. उन्होंने खुद ही बता दिया है कि इस बार उनकी फेवरेट कंटेस्टेंट कौन है.

सलमान ने बताया कि दिल्ली से आई लोकेश कुमारी शर्मा उनकी फेवरेट कंटेस्टेंट हैं. सलमान ने बताया कि जिस तरह लोकेश कैमरे के सामने अपनी अदाएं दिखाती हैं और एंटरटेन करती हैं वो उन्हें बहुत अच्छा लगता है. सलमान की इस तारीफ से साफ है कि इस बार उनकी फेवरेट लिस्ट में लोकेश टॉप पर हैं. बता दें कि इससे पहले सलमान की फेवरेट लिस्ट में तनीषा मुखर्जी, ऐली अबराम, गौतम गुलाटी और श्वेता तिवारी रह चुके हैं.

पाकिस्तान में नहीं रिलीज होंगी ये भारतीय फिल्में

पिछले कई दिनों की अटकलों के बाद अब इस बात की पुष्टि हो गई है कि इस शुक्रवार को रिलीज हो रही करण जौहर की ‘ऐ दिल है मुश्किल’ और अजय देवगन की ‘शिवाय’ पाकिस्तान में नहीं दिखाई जाएगी.

दोनों देशों के बीच बढ़े तनाव को देखते हुए सीमा पार के प्रदर्शकों और वितरकों ने भारतीय फिल्मों की रिलीज पर रोक लगाने का फैसला किया था, मगर ऐसे आसार लग रहे थे कि वे भारतीय फिल्मों से बैन हटा लेंगे.

हालांकि फिल्मों के जानकार तरण आदर्श ने ट्वीट कर इस बात की जानकारी दी है कि पाकिस्तान में ‘ऐ दिल है मुश्किल’ और ‘शिवाय’ रिलीज नहीं होंगी. उनके मुताबिक, फॉक्स स्टार और रिलायंस एंटरटेनमेंट ने उनके सामने इस बात की पुष्टि की है. इसलिए सारी अटकलों पर विराम लग जाना चाहिए.

पाकिस्तान में भारतीय फिल्मों से बैन हटाने की अटकलें तब शुरू हुई थीं, जब महाराष्ट्र नव निर्माण सेना (मनसे) ने भारत में ‘ऐ दिल है मुश्किल’ की रिलीज पर लगे बैन को खत्म कर दिया था. यह पूरा विवाद इस फिल्म में पाक कलाकार फवाद खान के होने के कारण था.

वहीं कॉमर्स मिनिस्ट्री ने भी दोनों फिल्मों को नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट दे दिया, इससे पाकिस्तान में ‘ऐ दिल है मुश्किल’ और ‘शिवाय’ की रिलीज पर लगी रोक हटने की संभावनाएं और भी बढ़ गईं. वहीं पाकिस्तानी प्रदर्शक व वितरक को भी ऐसा ही लग रहा था.

अजय देवगन को लगता है इनसे डर

अपनी निर्देशन में बनी फिल्म ‘शिवाय’ के रिलीज का इंतजार कर रहे एक्टर और प्रोड्यूसर अजय देवगन का कहना है कि वो अपनों को खोने से डरते हैं.

अजय ने कहा कि सभी की तरह मुझे भी डर लगता है. सबसे बड़ा डर अपनों को खोने का है और दूसरा डर बहुत ही बेवकूफी भरा है जो ‘शिवाय’ के बाद भी ऊंचाई से है.

अजय इस फिल्म के निर्देशक, सह-निर्माता के साथ-साथ अभिनेता भी हैं. यह फिल्म 28 अक्टूबर को रिलीज होने वाली है. इसी दिन करण जौहर की फिल्म ‘ऐ दिल है मुश्किल’ भी रिलीज होगी. ‘शिवाय’ में अजय के अलावा सायेशा सैगल, एरिका कार, वीर दास और गिरीश कर्नाड मुख्य भूमिकाओं में हैं.

फिल्म के बारे में बात करते हुए अजय ने कहा, “फिल्म बनाने के पीछे पहला विचार भावनाओं का है. जब मैंने स्क्रिप्ट पर काम करना शुरू किया, तो एक पिता के रूप में मैंने माता-पिता और बच्चे के बीच के रिश्ते की कहानी कहने का विचार किया. यह एक भावनात्मक फिल्म है जो पिता और बेटी के बीच की प्रेम कहानी बताती है.”

अजय को उम्मीद है कि फिल्म में पिता और बेटी के बीच के रिश्ते को देखकर आप भी भावुक हो जाएंगे. फिल्म का ट्रेलर रिलीज होते ही हिट हो गया था. यूट्यूब पर अब तक ट्रेलर को करीब 2.5 लाख व्यूज मिल चुके हैं.

 दिलचस्प बात ये है कि अजय की ‘शिवाय’ बॉक्स ऑफिस पर करण जौहर की ‘ऐ दिल है मुश्किल’ से टकराएगी. करण जौहर की फिल्म में जहां ऐश्वर्या राय बच्चन, रणबीर कपूर, अनुष्का शर्मा और फवाद खान जैसी स्टार कास्ट है वहीं अजय देवगन की फिल्म में उनके अलावा कोई बड़ा नाम नहीं है. लेकिन इन सबके बावजूद ऐसा माना जा रहा है कि शिवॉय ब्लॉकबस्टर फिल्म होने जा रही है.

पांच कारण जो शिवाय को बनाते हैं मस्ट वॉच फिल्म

1. सबसे बड़ा कारण खुद ‘शिवाय’ के एक्टर, डायरेक्टर, क्रिएटर और विजूअलिजर अजय देवगन हैं. अजय ने फिल्म का ट्रीटमेंट खूबसूरती से किया है चाहे वो फिल्म का पहला पोस्टर हो या ट्रेलर. खासकर फिल्म का ट्रेलर देखकर यही लगता है कि ऐसी फिल्म बॉलीवुड में पहली बार देखने को मिलेगी. ऐ दिल है मुश्किल की तरह शिवाय में बड़ी स्टारकास्ट नहीं है इसलिए ये कहना गलत नहीं होगी कि फिल्म पूरी तरह से अजय देवगन पर ही निर्भर कर रही है.

2. एक तरफ हैं वो बॉलीवुड एक्ट्रेसस जो हॉलीवुड में नाम कमा रही हैं और दूसरी तरफ हैं अजय देवगन जिन्होंने शिवाय के लिए विदेशी एक्ट्रेस को कास्ट किया है. फिल्म में हमें पॉलिश एक्ट्रेस एरिका कार दिखेंगी. एरिका इससे पहले बीबीसी की टेलीविजन सीरीज द पासिंग बेल्स में नजर आई थीं. एरिका के अलावा फिल्म में एबिगेल ईम्स नजर आएंगी जो फिल्म में अजय की बेटी का रोल कर रही हैं. एबिगेल वेस्ट में काफी मशहूर हैं. वो कई हॉलीवुड फिल्मों में काम कर चुकी हैं.

3. अजय देवगन, एरिका और एबिगेल के अलावा, सायशा सहगल शिवाय से बॉलीवुड में डेब्यू करने जा रही हैं. बहुत कम लोग ये जानते हैं कि सायशा बॉलीवुड एक्टर्स सुमीत सहगल और शाहीन बानो की बेटी हैं. यहीं नहीं वो सायरा बानो और दिलिप कुमार की ग्रैंडनीस भी हैं. 19 साल की सायशा फिल्म में अजय के ऑपोसिट दिखेंगी.

4. इसी दिन रिलीज हो रही ‘ऐ दिल है मुश्किल’ में जहां आपको सिर्फ रोमांस का तड़का मिलेगा. वहीं ‘शिवाय’ में आपको रोमांस के साथ साथ पिता-बेटी का इमोशनल ड्रामा और धमाकेदार एक्शन भी देखने मिलेगा. अजय देवगन ने कुछ ही दिनों पहले बयान दिया था कि वो आजकल की फिल्मों में एक्शन देखकर बोर हो चुके हैं. लिहाजा, उन्होंने ‘शिवाय’ में एक्शन सीन्स एक कदम बढ़कर ही रखा है.

5. फिल्म का म्यूजिक काफी हिट हो चुका है. खासकर शिवाय के रोमांटिक गानें लोगो को बहुत पसंद आ रहे हैं. फिल्म का पहला गाना बोलो हर हर रिलीज के साथ ही सबकी जुबां पर चढ़ गया था. ‘हर हर’ का म्यूजिक, सिंगर और प्रेसेंटेशन सभी बिल्कुल परफेक्ट हैं. गाने को मोहित चौहान, सुखविंदर, मेघा श्रीराम, डेल्टन और बादशाह ने गाया है.

फटाफट बनाएं ब्रैड पेड़ा पाउच

सामग्री

4-5 ब्रैडस्लाइस, 5-6 पेड़े, 1-2 बड़े चम्मच बादाम, काजू, किशमिश कटे, 1-2 बड़े चम्मच मक्खन, थोड़ी सी चौकलेट सौस.

विधि

ब्रैड की साइड काट कर बेलन से पतला रोल करें. पेड़ों का चूरा कर नट्स मिलाएं व ब्रैड के बीच भर कर पानी लगा कर पाउच बनाएं. एक पैन में मक्खन गरम कर पाउच को सुनहरा होने तक पकाएं. चौकलेट सौस के साथ सर्व करें.

व्यंजन सहयोग:

अनुपमा गुप्ता

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