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वर्जिन: जब टूटा रोहित और अमला के सब्र का बांध

रोहित अमला से मिलने उस के कालेज आया था. दोनों कैंटीन में बैठे चाय पी रहे थे. रोहित एमबीए फाइनल ईयर में था और अमला एमए फाइनल में थी. दोनों ने प्लस टू की पढ़ाई एक ही स्कूल से की थी. इस के बाद वे कालेज की पढ़ाई के लिए दिल्ली आ गए थे. रोहित ग्रेजुएशन के बाद एमबीए करने दूसरे कालेज चला गया था, पर अकसर अमला से मिलने उस के कालेज आता था. उसे कैंपस से अच्छा प्लेसमैंट मिल गया था. दोनों लगभग 6 साल से एकदूसरे को जानते थे और अच्छी तरह परिचित थे. अमला काफी सुंदर थी और रोहित भी हैंडसम और स्मार्ट था. दोनों पिछले 2 साल से एकदूसरे को चाहने भी लगे थे. दोनों चाय पी रहे थे और टेबल के नीचे अपनी टांगों की जुगलबंदी किए बैठे थे. तभी रोहित का एक दोस्त अशोक भी अपनी गर्लफ्रैंड के साथ वहां आ गया. उस टेबल पर 2 कुरसियां खाली थीं. वे दोनों भी वहीं बैठ गए.

अशोक बोला, ‘‘यार, तुम दोनों की जुगलबंदी हो चुकी हो तो अपनी टांगें हटा लो, अब हमें भी मौका दो.’’ यह सुन कर रोहित और अमला ने अपनेअपने पैर पीछे खींच लिए. अमला थोड़ा झेंप गई थी.

‘‘अच्छा, हम दोनों चाय पी चुके हैं, अब चलते हैं. अब तुम लोगों के जो जी में आए करो,’’ रोहित ने अमला को भी उठने का इशारा किया. चलतेचलते रोहित ने अमला से पूछा, ‘‘आज शाम मूवी देखने चल सकती हो?’’

‘‘हां, चल सकती हूं.’’ सिनेमाहौल में दोनों मूवी देख रहे थे. रोहित ने अमला का हाथ अपने हाथ में ले कर धीरे से उस के कान में कहा, ‘‘कब तक हम लोग बस हाथपैर मिलाते रहेंगे. इस से आगे भी बढ़ना है कि नहीं?’’

अमला ने संकेत से चुप रहने का इशारा किया और कहा, ‘‘सब्र करो, आसपास और भी लोग हैं. अपना हाथ हटा लो.’’

हाथ हटाते समय रोहित का हाथ अमला के वक्ष को स्पर्श कर गया, हालांकि यह अनजाने में हुआ था. अमला ने मुड़ कर उस की ओर देखा. रोहित को लगा कि अमला की आंखों में कोई शिकायत का भाव नहीं था बल्कि उस की नजरों में खामोशी झलक रही थी. मूवी देखने के बाद दोनों एक दोस्त मुकेश के यहां डिनर पर गए. वह अपने पिताजी के फ्लैट में अकेला रहता था. उस के पिताजी न्यूजीलैंड में जौब करते थे. मुकेश ने कहा, ‘‘अगले हफ्ते मैं 6 महीने के लिए न्यूजीलैंड और आस्टे्रलिया जा रहा हूं. तुम लोग चाहो तो यहां रह सकते हो. कुछ दिन साथ रह कर भी देखो, आखिर शादी तो तुम्हें करनी ही है. जैसा कि तुम दोनों मुझ से कहते आए हो.’’

यह सुन कर रोहित और अमला एकदूसरे का मुंह देखते रहे. मुकेश बोला, ‘‘तुम लोगों को कोई प्रौब्लम नहीं होनी चाहिए. पिछली बार तुम्हारे पेरैंट्स आए थे तो उन्हें तुम्हारे बारे में पता था. तुम ने खुद बताया था उन्हें. अंकलआंटी दोनों कह रहे थे कि तुम्हारे दादादादी अभी जीवित हैं और बस, उन की एक औपचारिक मंजूरी चाहिए. इत्तेफाक से तुम दोनों सजातीय भी हो तो उन लोगों को भी कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए.’’ ‘‘ठीक है, हम सोच कर बताएंगे.’’

डिनर के बाद जब दोनों जाने लगे तो मुकेश बोला, ‘‘तुम एक डुप्लीकेट चाभी रख लो. मैं अपार्टमैंट औफिस में बता दूंगा कि मेरी अनुपस्थिति में तुम लोग यहां रहोगे.’’ इतना कह कर मुकेश ने चाभी रोहित को थमा दी. रास्ते में रोहित से अमला बोली, ‘‘तुम ने चाभी अभी से क्यों रख ली? इस का मतलब हम अभी से साथ रहेंगे क्या? मुझे तो ऐसा ठीक नहीं लगता. मम्मीपापा को शायद उतना बुरा न लगे, पर दादादादी पुराने विचारों के हैं, उन्हें पता चलेगा तो आसमान सिर पर उठा लेंगे.’’

‘‘दादादादी ही पुराने विचारों के हैं, मैं और तुम तो नहीं. और वे गांव में बैठे हैं. उन्हें कौन बताएगा कि हम साथ रह रहे हैं या नहीं. आज जमाना कहां से कहां पहुंच गया है. तुम्हें पता है कि पश्चिमी देशों में अगर कोई युवती 18 साल तक वर्जिन रह जाती है तो उस के घर वाले चिंतित हो जाते हैं, इस का मतलब आमतौर पर लोग यही अंदाजा लगाते हैं कि उस में कोई कमी है.’’ ‘‘बेहतर है हम जहां हैं, वहां की

बात करें.’’ ‘‘तुम किस गलतफहमी में जी रही हो? यहां भी युवकयुवती लिवइन रिलेशन में साल दो साल एकसाथ रहने के बाद एकदूसरे को बायबाय कर देते हैं. वैसे मैं तुम्हें फोर्स नहीं करूंगा. और तुम हां कहोगी तभी हम मुकेश के फ्लैट में शिफ्ट करेंगे. संयोगवश यह मौका मिला है और हम दोनों शादी करने जा ही रहे हैं, पढ़ाई के बाद. तुम कहो तो कोर्ट मैरिज कर लेते हैं इस के पहले.’’

‘‘नो कोर्ट मैरिज. शादी की कोई जल्दबाजी नहीं है. जब भी होगी ट्रैडिशनल शादी ही होगी,’’ अमला ने साफसाफ कहा. 2 हफ्ते तक काफी मनुहार के बाद अमला मुकेश के फ्लैट में रोहित के साथ आ गई. दोनों के कमरे अलगअलग थे. मुकेश की कामवाली और कुक दोनों के कारण खानेपीने या घर के अन्य कामों की कोई चिंता नहीं थी. 4 महीने के अंदर रोहित को नौकरी जौइन करनी थी और उस के पहले अमला को डिग्री भी मिलनी थी.

रोहित और अमला देर रात तक साथ बातें करते और फिर अपनेअपने कमरे में सोने चले जाते थे. धीरेधीरे दोनों और करीब होते गए. अब तो रोहित अमला के बालों से खेलने लगा था, कभीकभी गाल भी सहला लेता. दोनों को यह सब अच्छा लगता. पर एक दिन दोनों के सब्र ने जवाब दे दिया और वे एक हो गए. जब एक बार सब्र का बांध टूट गया तो दोनों इस सैलाब में बह निकले. कुछ दिन बाद अमला बोली, ‘‘रोहित, इधर कुछ दिनों से मेरे पेट के निचले हिस्से में दर्द सा रहता है. कभीकभी यह ज्यादा ही हो जाता है.’’

‘‘किसी गाइनोकोलौजिस्ट से चैकअप करा लो.’’ ‘‘मैं अकेली नहीं जाऊंगी, तुम्हें भी साथ चलना पड़ेगा.’’

‘‘अब लेडी डाक्टर के पास मुझे कहां ले जाओगी?’’ ‘‘तब रहने दो, मैं भी नहीं जाती.’’

‘‘अच्छा बाबा, चलो, कल सुबह चलते हैं.’’

अगले दिन सुबह दोनों गाइनोकोलौजिस्ट के पास पहुंचे. वहां कुछ मरीज पहले से ही थे, उन्हें काफी देर तक इंतजार करना पड़ा. इस बीच उन्होंने देखा कि वहां आने वाली ज्यादातर औरतें प्रैग्नैंट थीं और उन के साथ कोई मर्द या प्रौढ़ महिला थी. सब से कम उम्र की पेशैंट अमला ही थी. अमला यह सब देख कर थोड़ी घबरा गई थी. उस की बगल में बैठी एक औरत ने पूछा, ‘‘लगता है तुम्हारा पहला बच्चा है, पहली बार घबराहट सब को होती है. डरो नहीं.’’ रोहित और अमला एकदूसरे को देखने लगे. रोहित बोला, ‘‘डोंट वरी, लेट डाक्टर चैकअप.’’

जब अमला का नाम पुकारा गया तो रोहित भी उस के साथ चैकअप केबिन में जाने लगा. नर्स ने उसे रोक कर कहा, ‘‘आप बाहर वेट करें, अगर डाक्टर बुलाती हैं तो आप बाद में आ जाना.’’ डाक्टर ने अमला को चैक किया. उस की आंखें, पल्स, ब्लडप्रैशर आदि चैक किए. फिर पूछा, ‘‘दर्द कहां होता है?’’

अमला ने पेट के नीचे हाथ रख कर कहा, ‘‘यहां.’’ डाक्टर ने नर्स को पेशैंट का यूरिन सैंपल ले कर प्रैग्नैंसी टैस्ट करने को कहा और पूछा ‘‘शादी हुए कितने दिन हुए.’’

‘‘मैं अनमैरिड हूं डाक्टर.’’ ‘‘सैक्स करती हो?’’

अमला ऐसे प्रश्न के जवाब देने के लिए तैयार नहीं थी. उस को कुछ सूझ नहीं रहा था कि वह क्या बोले, वह सिर्फ डाक्टर की ओर देख रही थी. डाक्टर ने नर्स को बुला कर कहा, ‘‘इन के साथ जो आदमी आया है उस को बुला कर लाओ और इन की प्रैग्नैंसी टैस्ट रिपोर्ट लेती आना.’’ रोहित केबिन में गया तो डाक्टर ने पूछा, ‘‘पेशैंट कहती है कि वह अनमैरिड है, पर जब मैं ने सैक्स के बारे में पूछा तो वह कुछ बता नहीं पा रही है. डाक्टर से सच बोलना चाहिए तभी तो इलाज

सही होगा.’’ इसी बीच डाक्टर ने उन दोनों से फ्रैंडली होते हुए पूछा कि वे कहां के रहने वाले हैं. बातोंबातों में पता चला कि डाक्टर अमला की मां की सहपाठी रह चुकी हैं. तभी नर्स टैस्ट रिपोर्ट ले कर आई जो पौजिटिव थी. डाक्टर बोली, ‘‘अब तो शक की कोई गुंजाइश नहीं है, अमला तुम प्रैग्नैंट हो. इस का मतलब तुम दोनों अनमैरिड हो लेकिन फिजिकल रिलेशन रखते हो.’’

रोहित और अमला दोनों को यह बात असंभव लगी. उन के बीच रिलेशन तो रहा है, पर उन्होंने सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा है. रोहित अमला की ओर देखे जा रहा था, अमला लगातार सिर हिला कर न का संकेत दे रही थी. रोहित के पास भी अमला पर शक करने की कोई वजह नहीं थी. रोहित डाक्टर से बोला, ‘‘हम फिजिकल भले रहे हों, पर इस रिपोर्ट पर मुझे भरोसा नहीं है.’’

‘‘ठीक है, मैं दोबारा टैस्ट करा लेती हूं या फिर बगल में एक दूसरी लैब में भेज दूं अगर तुम लोगों को मुझ पर भरोसा नहीं है,’’ डाक्टर ने कहा. ‘‘नहीं डाक्टर, भरोसा कर के ही तो हम आप तक आए हैं. फिर भी एक बार और टैस्ट करा लेतीं तो ठीक था.’’

डाक्टर ने नर्स को बुला कर यूरिन का सैंपल दोबारा टैस्ट करने को कहा. नर्स को थोड़ा आश्चर्य हुआ. उस ने रिपोर्ट अपने हाथ में ले कर पढ़ी और कहा, ‘‘सौरी, यह रिपोर्ट इन की नहीं है. दूसरे पेशैंट की है. दरअसल, दोनों के फर्स्ट नेम एक ही हैं और सरनेम में बस, एक लेटर का फर्क है. इन का सरनेम सिन्हा है और यह रिपोर्ट मैडम सिंह की है. आइ एम सो सौरी, अभी इन की रिपोर्ट ले कर आती हूं.’’

यह सुन कर रोहित और अमला की जान में जान आई. नर्स अमला की रिपोर्ट ले कर आई जो निगेटिव थी. तब डाक्टर ने रोहित से कहा, ‘‘आई एम सौरी फौर दिस मेस. आप बाहर, जाएं, मैं पेशैंट को ऐग्जामिन करूंगी.’’ अमला का बैड पर लिटा कर चैकअप किया गया. फिर रोहित को भी अंदर बुला कर डाक्टर ने कहा, ‘‘डौंट वरी, इन के ओवरी में बांयीं ओर कुछ सूजन है. मैं दवा लिख देती हूं, उम्मीद है 2 सप्ताह में आराम मिलेगा. अगर फिर भी प्रौब्लम रहे तो मुझे बताना आगे ट्रीटमैंट चलेगा.’’

अमला ने चलतेचलते डाक्टर को धन्यवाद देते हुए कहा, ‘‘प्लीज डाक्टर, मम्मी को आप यह नहीं बताएंगी.’’ ‘‘मेरा तो पिछले 15 साल से उस से कोई संपर्क नहीं रहा है. वैसे पता रहने पर भी नहीं बताती, डौंट वरी, गेट मैरिड सून. अपनी मम्मी का फोन नंबर देती जाना, अगर तुम्हें कोई प्रौब्लम न हो तो.’’

‘‘श्योर, मैं लिख देती हूं, मुझे कोई प्रौब्लम नहीं है.’’ अमला ने अपनी मां का फोन नंबर एक पेपर पर नोट कर डाक्टर को दे दिया.

क्लिनिक से बाहर आ कर अमला ने कहा, ‘‘आज तो हमारे रिश्ते की बात हम दोनों के सिवा इस डाक्टर और नर्स को भी पता चल गई. उस ने मम्मी का कौन्टैक्ट्स भी मुझ से ले लिया है. उम्मीद है कि वह मम्मी को नहीं बताएगी.’’

‘‘बता भी दिया तो क्या हो जाएगा? हम लोग शादी करने जा रहे हैं. मैं अगले महीने नौकरी जौइन करने जा रहा हूं. कंपनी की ओर से फ्लैट और कार भी मिल रही है. जल्द ही हम शादी कर लेंगे.’’ ‘‘वो तो ठीक है, पर मम्मी मुझ से कहती आई हैं युवतियों को अपनी वर्जिनिटी शादी तक बचानी चाहिए.’’

‘‘आजकल सबकुछ हो जाने के बाद भी वर्जिनिटी दोबारा मिल सकती है. तुम्हें पता है कि प्लास्टिक सर्जरी से युवतियां अपना खोया हुआ कौमार्य प्राप्त कर सकती हैं.’’ ‘‘क्या कह रहे हो?’’

‘‘सही बोल रहा हूं. बस, कुछ हजार रुपए खर्च कर कुछ घंटे प्लास्टिक सर्जन के क्लिनिक पर हाइमनोप्लास्टी द्वारा हाइमन बनाया जाता है और युवतियां फिर से कुंआरी बन जाती हैं.’’ अमला रोहित की तरफ अचरज भरी नजरों से देखने लगी तो फिर वह बोला, ‘‘देश भर के छोटेबड़े शहरों में सैकड़ों क्लिनिक हैं, जो हाइमनोप्लास्टी करते हैं. इन्हें अपने लिए ज्यादा प्रचार भी नहीं करना होता है. यह तो एक कौस्मेटिक सर्जरी है. इतना ही नहीं कुछ बालबच्चों वाली महिलाएं भी वैजिनोप्लास्टी करा कर दांपत्य जीवन के शुरुआती दिनों जैसा आनंद फिर से महसूस करने लगी हैं.’’

‘‘ओह.’’ ‘‘जरूरत पड़ी तो तुम्हारी भी हो सकती है, कह कर रोहित हंसने लगा.’’

‘‘मुझे नहीं चाहिए यह सब. अब इस बारे में मुझे और कुछ नहीं सुनना है.’’ रोहित और अमला को अपनी तात्कालिक समस्या का निदान मिल चुका था. दोनों ने खुशीखुशी अपने फ्लैट पर जा कर चैन की सांस ली.

वादे हैं वादों का क्या, फोन फ्रौड से रहें सावधान

साइब्रर फ्रौड आजकल एक नया ऐंगल लेने लगा है. फ्रौड करने वाले लगभग सारे देश में कुकुरमुत्तों की तरह उग आए हैं जो औरतों के नंबरों को डायल करते हैं और कभी कहते हैं कि उन का बेटा किसी थाने में है, कभी कहते हैं कि उन के नाम आए एक पार्सल में ड्रग्स पकड़ी गई है, कभी कहते हैं कि उन की इंश्योरैंस पौलिसी मैच्योर हो गई है और वे पैसा निकलवा सकती हैं. ये फ्रौड करने वाले बहुत जल्दी औरतों की मैंटिलिटी समझ जाते हैं कि वे डरपोक भी हैं, लालची भी हैं, चमत्कारों में विश्वास करने वाली भी हैं और बेवकूफ भी हैं.

चूंकि बहुत से मामलों में सरकार ने जबरन औनलाइन डीलिंग करने की आदत डाल दी है और औरतें भी काफी चीजों में औनलाइन रहती हैं, वे लाइन के दूसरी ओर जाने को सही और भरोसे वाला या असली अफसर भी मान लेती हैं. औनलाइन फेसलैस के चक्कर में अब ज्यादातर लोगों को नहीं मालूम है कि वे जिन मैसेज भेजने वालों या साइट्स से डील कर रहे हैं उस का दफ्तर है कहां और उस का मालिक या स्ट्रक्चर क्या है? उन के लिए फोन कौल और मैसेज एक आकाशवाणी होती है.

पौराणिक कहानियां सुनसुन कर वरदान और श्राप की आदी औरतों को फोन पर लालच या धमकी देना आसान है क्योंकि सरकार और धर्म दोनों इन बातों की हर समय पुष्टि करते रहते हैं कि  अचानक सबकुछ संभव है. जब औरतें लाइन लगा कर गणेश को दूध पिला सकती हैं, भीड़ बना कर मुफ्त की साडि़यों की भगदड़ में कुचले जाने को तैयार हैं तो फोनलाइन पर लालसा और धमकी को सही क्यों नहीं मानेंगी?

अब सरकार कोशिश कर रही है कि जो गंदा काम उस ने जबरन औनलाइन पोर्टल बनाबना कर जनता पर मैसेजों को सरकार का आदेश मान कर थोपा है, उस पर कंट्रोल किया जाए. टैलिकौम कंपनियों जैसे जियो और एयरटेल को कहा जा रहा है कि मार्केटियरों और प्रोडक्टरों के एसएमएस बंद कराने की तकनीक तुरंत बिना देर लागू की जाए. टैलिकौम कंपनियों को इन एसएमएसों से बड़ा मुनाफा होता है इसलिए वे उसे बंद नहीं करना चाहतीं.

नरेंद्र मोदी ने 30 अगस्त, 2024 को कहा कि डिजिटल फ्रौड करने वालों को देश की प्रोग्रैस करने से नहीं रोका जा सकेगा. यह वैसा ही वादा है जैसा 15 लाख रुपए हर खाते में देने का, नोटबंदी से ब्लैकमनी खत्म करने का, इलैक्ट्रोरल ब्रैंड्स से राजनीति में कंपनियों के दखल रोकने का था कोई वादा पूरा नहीं. सब वादे भगवानों के आशीर्वादों की तरह जो बड़ी हुंडियों में दान तो लेते हैं पर न नौकरी दिला पाते हैं, न बीमारी दूर कर पाते हैं, न छप्पर फाड़ कर सोने की मुहरें बरसा पाते हैं.

फोन फ्रौड को जन्म सरकार ने दिया है, यह आम लोगों को नहीं भूलना चाहिए. सरकार भी जानती है कि औरतें बेवकूफ हैं तभी कभी लाडली बहन, कभी उज्ज्वला की बात करती है तो कभी औरतों के खातों में पैसे डलवाती है. फ्रौड करने वाले इसी डिजिटल जहाज के सहारे चलने वाली नावें हैं. अफसोस यह है कि फ्रौड करने वाली नावों को जो सरकारी जहाज की डोर से बंध कर चल रही हैं, सरकार सिर्फ ऊपर डैक पर लगे लाउडस्पीकर से चिल्ला रही है, अपने जहाज को नहीं रोक रही जो फ्रौड का सोर्स है.

अनैक्‍सप्‍लैंड Infertility के क्या हैं कारण, जानें एक्सपर्ट से इसका इलाज

कोई महिला गर्भधारण करने की कोशिश कर रही होती है पर उस में सफल नहीं हो पाती, तो वह बहुत परेशान हो जाती है. कई बार डाक्टर अनेक जांच करते हैं लेकिन उन्हें गर्भधारण नहीं कर पाने का कोई स्पष्ट कारण नहीं मिल पाता. इसी स्थिति को बांझपन या अनऐक्सप्लैंड इनफर्टिलिटी (Infertility)  कहते हैं. अस्पष्ट बांझपन का मतलब यह कतई नहीं है कि आप कभी बच्चा पैदा नहीं कर पाएंगी. इस का मतलब सिर्फ इतना है कि डाक्टर अभी तक इस का सही कारण नहीं ढूंढ़ पाए हैं.

कई बार सही मार्गदर्शन और इलाज से इस समस्या का समाधान हो जाता है और कपल्‍स मातापिता बन जाते हैं. अगर आप भी इस स्थिति से गुजर रही हैं तो घबराएं नहीं. किसी अच्छे डाक्टर से सलाह और मार्गदर्शन लें.

अस्‍पष्‍ट इनफर्टिलिटी क्‍या होती है

डा. पारुल गुप्‍ता, नोवा आईवीएफ फर्टिलिटी, वसंत विहार का कहना है, “इसे इडियोपैथिक इनफर्टिलिटी भी कहा जाता है. यह उन कपल्‍स को बताया जाता है, जो कम से कम 1 साल तक गर्भधारण करने के प्रयास में सफल नहीं हुए हैं जबकि उन की फर्टिलिटी की जांचों के परिणाम सामान्‍य रहे हैं.  इस का मतलब यह होता है कि महिला का ओव्यूलेशन, फैलोपियन ट्यूब्‍स और यूट्रस सामान्‍य हैं और पुरुष का स्‍पर्म काउंट तथा क्‍वालिटी भी सामान्‍य हैं. दुनिया के इनफर्टाइल कपल्‍स में से लगभग 30% में अस्‍पष्‍ट इनफर्टिलिटी पाई जाती है.

अस्‍पष्‍ट इनफर्टिलिटी के कारण

अस्‍पष्‍ट इनफर्टिलिटी का असल कारण तो समझ में नहीं आता है, लेकिन ऐसे कई घटक होते हैं, जिन का उस में योगदान हो सकता है, जैसेकि ऐसी चिकित्‍सकीय स्थितियां, जिन का पता नहीं चला हो. एंडोमेट्रियोसिस एग या स्‍पर्म की गुणवत्ता में समस्‍या खराब समय पर किया गया इंटरकोर्स जीवनशैली के घटक जैसेकि धूम्रपान, बहुत अलकोहल लेना और मोटापा है.

अस्‍पष्‍ट इनफर्टिलिटी का इलाज

अच्‍छी बात यह है कि अस्‍पष्‍ट इनफर्टिलिटी वाले कपल्‍स के लिए इलाज के कई विकल्‍प उपलब्‍ध हैं। इलाज का सब से सही तरीका अलगअलग स्थितियों के अनुसार होगा, जैसेकि उम्र, मैडिकल हिस्‍ट्री और निजी पसंद.

इलाज के कुछ आम विकल्‍पों में शामिल हैं :

असिस्‍टेड रिप्रोडक्टिव टेक्‍नोलौजी यानि एआरटी एआरटी में फर्टिलाइजेशन और गर्भधारण को आसान बनाने के लिए लेबोरेट्री प्रक्रियाओं का इस्‍तेमाल होता है. एआरटी के सब से आम रूप हैं :

इंट्रायूटेरिन इंसेमिनेशन (आईयूआई) : इस प्रक्रिया में स्‍पर्म को सीधे यूट्रस में डाल दिया जाता है, ताकि फर्टिलाइजेशन की संभावनाएं बढ़ सकें.

इनविट्रो फर्टिलाइजेशन यानि आईवीएफ : इस प्रक्रिया में एग्‍ज को ओवरीज से ले कर लेबोरेट्री में स्‍पर्म के साथ फर्टिलाइज किया जाता है और नतीजे में मिलने वाले भ्रूण को यूट्रस में पहुंचा दिया जाता है.

प्रीइंप्‍लांटेशन जैनेटिक टैस्टिंग फौर ऐयूपलौइडी यानि पीजीटी-ए : यह एक जैनेटिक टेस्‍ट है, जो आईवीएफ से बनने वाले भ्रूण पर किया जाता है ताकि क्रोमोसोम की असामान्‍यताओं को जांचा जा सके. पीजीटी-ए से स्‍वस्‍थ भ्रूण की पहचान में मदद मिल सकती है और सफल गर्भधारण की संभावनाएं बढ़ती हैं, खासकर अस्‍पष्‍ट इनफर्टिलिटी के उन मामलों में, जहां छिपे हुए जैनेटिक कारण हो सकते हैं.

स्‍पर्म डीएनए फ्रैगमेंटेशन इंडैक्‍स यानि डीएफआई : डीएनए फ्रैगमेंटेशन इंडैक्‍स (डीएफआई) एक विशेष जांच होती है, जिस में स्‍पर्म डीएनए की इंटीग्रिटी का पता लगाया जाता है. अगर सीमेन एनालीसिस सामान्‍य रहता है, तब भी डीएफआई ज्‍यादा होने से उन समस्‍याओं का संकेत मिल सकता है, जो इनफर्टिलिटी का कारण हो सकती हैं. डीएफआई का लेवल ज्‍यादा होने को कम फर्टिलिटी से जोड़ कर देखा जाता है और इस में गर्भपात का ज्‍यादा खतरा होता है.

ज्‍यादा डीएफआई को जानना और सही करना अस्‍पष्‍ट इनफर्टिलिटी के इलाज में महत्त्वपूर्ण हो सकता है. इस से समझा जा सकता है कि सीमेन के मापदंड सामान्‍य होने पर भी गर्भधारण क्‍यों नहीं हुआ.

मैडिसिन

ओव्यूलेशन को प्रेरित करने और फर्टिलिटी में सुधार करने के लिए दवाएं दी जा सकती हैं. इन में शामिल हैं :

गोनाडोट्रोपिन्‍स : यह हारमोन एग का बनना और ओव्यूलेशन प्रेरित करते हैं.

क्‍लोमिफीन (क्‍लोमिड) : यह दवा ओव्यूलेशन को प्रेरित करती है और फर्टिलिटी में सुधार करती है.

लैट्रोजोल (फेमारा) : यह दवा ओव्यूलेशन को प्रेरित करती है और फर्टिलिटी में सुधार करती है. फर्टिलिटी ट्रीटमैंट के लिए इस का इस्‍तेमाल अकसर औफ लेवल होता है.

लाइफस्टाइल में बदलाव

जीवनशैली में स्‍वस्‍थ बदलावों से भी फर्टिलिटी में सुधार हो सकता है और गर्भधारण की संभावनाएं बढ़ती हैं. इन में शामिल हैं :

सही वजन बनाए रखना व संतुलित आहार लेना : तनाव कम करना, धूम्रपान और अत्‍यधिक शराब पीने से बचना और नियमित रूप से व्‍यायाम करना.

इंटरकोर्स का सही समय : इंटरकोर्स का सही समय जानने से भी फर्टिलिटी में सुधार हो सकता है। इस के लिये निम्‍नलिखित उपाय हैं :

बेसल बौडी टैंपरेचर (बीबीटी) चार्टिंग : इस में ओव्यूलेशन का पता लगाने के लिए शरीर के तापमान की निगरानी की जाती है.

ओव्यूलेशन किट्स : ओव्यूलेशन का पता लगाने वाले होम टेस्‍ट.

फर्टिलिटी ऐप्‍स : डिजिटल टूल्‍स, जो फर्टिलिटी का पता लगाते हैं और निजी मार्गदर्शन देते हैं.

ब्रैकफास्ट में बनाएं हेल्दी लौकी पालक बौल्स, स्वाद के साथ सेहत से है भरपूर

हर घर में महिलाएं आमतौर पर काफी चिंतित रहती है नाश्ते में क्या बनाएं जो सेहत के लिए हेल्दी हो. बच्चों से लेकर बड़ो के लिए घर पर ब्रेकफास्ट में बनाएं हेल्दी लौकी पालक बौल्स और आलू लच्छा पनीर बौल्स. आइए आपको इसकी रेसिपी बताते है.

  1. लौकी पालक बौल्स 

सामग्री

  1. 1 छोटी लौकी

  2. 100 ग्राम पालक 

  3. 2 हरीमिर्चें

   4. 1/2 कप बेसन 

   5. 1 छोटा चम्मच जीरा 

   6.  1/2 छोटा चम्मच अमचूर पाउडर 

  7.  चुटकीभर हींग 

  8.  1 छोटा चम्मच अनारदाना सूखा 

  9.  रिफाइंड तेल तलने के लिए 

  10.  नमक स्वादानुसार.

विधि

लौकी छील बारीक कस कर निचोड़ लें. पालक अच्छी तरह धो कर बारीक काट लें. हरीमिर्च भी बारीक काट लें. तेल को छोड़ कर बाकी सारी सामग्री मिला लें. तेल गरम करें. तैयार सामग्री की बौल्स बना कर धीमी आंच पर सुनहरा होने तक तलें. गरमगरम लौकी पालक बौल्स चटनी के साथ सर्व करें.

 2. आलू लच्छा पनीर बौल्स

सामग्री

  1.  250 ग्राम पनीर 

  2.  4 बड़े आकार के आलू 

  3.  2 बड़े चम्मच मैदा 

  4. 2 बड़े चम्मच कौर्नफ्लोर 

  5.  1 छोटा चम्मच हरीमिर्च पेस्ट 

  6.  1/2 छोटा चम्मच अदरक पेस्ट 

  7.  1/2 छोटा चम्मच गरममसाला 

  8.  1/4 छोटा चम्मच हलदी पाउडर

  9.  1 छोटा चम्मच नीबू का रस 

  10. 2 बड़े चम्मच धनियापत्ती कटी 

  11.  1/2 छोटा चम्मच कालीमिर्च कुटी 

  12.  1/2 छोटा चम्मच लालमिर्च कुटी 

  13.  तेल तलने के लिए 

  14.  नमक स्वादानुसार.

विधि

पनीर के क्यूब्स काट कर एक बाउल में डाल लें. हरीमिर्च पेस्ट, अदरक पेस्ट, आधी धनियापत्ती, गरममसाला, हलदी पाउडर, नीबू का रस, कालीमिर्च और नमक डाल कर अच्छी तरह मिलाएं और पनीर को मैरीनेट होने के लिए रख दें. आलुओं को छील कर मोटामोटा कद्दूकस कर के 2-3 बार पानी से धो कर दूसरे बाउल में डालें. इस में मैदा, कौर्नफ्लोर, बची धनियापत्ती, कुटी लालमिर्च और नमक डाल कर अच्छी तरह मिला लें. इस तरह आलू के लच्छे का चिपचिपा सा डो बन जाएगा.

हथेली पर पानी लगा कर 1 बड़ा चम्मच तैयार डो का रखें. इस पर पनीर का 1 क्यूब रख कर आलू के लच्छे से कवर कर के बाउल बना लें. इसी प्रकार बाकी बौल्स भी तैयार कर लें. कड़ाही में तेल गरम कर के सभी बौल्स को सुनहरा होने तक फ्राई कर लें. गरमगरम आलू लच्छा पनीर बौल्स हरी चटनी और मैरीनेटेड पनीर क्यूब्स के साथ परोसें.

 

क्या कंडोम शरीर को नुकसान पहुंचाता है?

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…

सवाल-

मेरी उम्र 30 और पत्नी की 28 साल है. हम गर्भनिरोधक के लिए सैक्स करते समय कंडोम का इस्तेमाल करते रहे हैं. लेकिन पिछले दिनों हमारे साथ एक छोटी सी दुर्घटना घट गई. सहवास के समय कंडोम योनि में ही छूट गया. तब से मेरी पत्नी शारीरिक मिलन के समय बहुत सहमी रहती है. उस की किसी सहेली ने यह कह कर उसे और डरा दिया कि योनि में छूटा कंडोम शरीर के किसी भी हिस्से में फंस सकता है. वह सांस की नली में भी जा सकता है. मुझे इस बात में दम नहीं दिखता. क्या उस का यह डर वाजिब है?

जवाब-

संरचनात्मक नजरिए से देखें तो योनि स्त्री का बाह्य जननांगीय मार्ग है. भगमुख से गर्भाशय तक फैला यह अंग बहुत कुछ एक गुफा की तरह होता है, जिस का निचला हिस्सा संकरा और ऊपर का थोड़ा फैला होता है. ऊपर आ कर यह गुफा बंद हो जाती है. फैले हुए हिस्से में सिर्फ गर्भाशय का मुंह खुलता है, जिस से शुक्राणु तो अंदर जा सकते हैं, पर कंडोम जितनी बड़ी चीज योनि में छूट भी जाए तब भी ऊपर नहीं जा सकती. अत: सैक्स के समय अगर कंडोम फिसल जाए तो वह योनि में ही रह जाएगा और उसे खुद आसानी से तुरंत निकाला जा सकता है. योनि से सांस नली तक या शरीर में कहीं और जाने का कोई संरचनात्मक रास्ता नहीं है, जो कंडोम शरीर के किसी दूसरे हिस्से में पहुंच सके या फिर वहां जा कर किसी नली में फंस सके. अत: आप अपनी पत्नी को समझाएं कि उन की यह चिंता बिलकुल निराधार है और वे अपनी सहेली को भी यह सच समझा दें ताकि उन्हें भी असलियत का पता चल सके.

 

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Hair Care Tips : बिना पार्लर जाए घर पर करें बालों को स्ट्रेट, अपनाएं ये टिप्स

Hair Care Tips : बालों को स्ट्रेट रखने का फैशन ट्रैंड में है. इसलिए जब भी हम लोग किसी भी दूसरी स्त्री या महिला के स्ट्रेट बाल देखते हैं तो मन में यही इच्छा होती है कि मेरे भी बाल ऐसे हों.

आप अपने बालों को मशीन से या फिर पार्लर जाकर स्ट्रेट करवा सकती हैं, लेकिन इससे बालों को बहुत नुकसान होता है. आप आपके बालों को स्ट्रेट कुछ प्राकृतिक चीजों का इस्तेमाल करके भी कर सकते हैं और ये तरीके आपके बालों को नुक्सान भी नहीं पहुचाएंगे.

  • आंवला और शिकाकाई : आंवला और शिकाकाई तो हमेशा ही बालों के लिए अच्छे होते हैं . इसके लिए आपको चाहिए कि आधा कप आंवला का पाउडर, आधा कप शिकाकाई और आधा कप चावल का आटा लेकर अच्छी तरह से मिला लें . अब इसमे २ अंडे मिलाकर फेट ले और इसे बालों में लगाएं. इस मिश्रण को अपने बालों में २ घंटे तक लगाए रखने के बाद बालों को अच्छे से धो लें. आप ऐसा हफ्ते में २ बार कर सकते हैं. आप पाएंगे कि आपके बाल पहले से स्ट्रेट हो गए हैं.
  •  एलोवेरा और तेल : आपको ये बात जाननी चाहिए कि एलोवेरा जेल आपकी त्वचा के अलावा, आपके बालों के लिए भी लाभदायक होता है. इनकी मदद से अपने बालों को स्ट्रेट बनाने के लिए आधा कप तेल लेकर इसमे एलोवेरा जेल का पेस्ट मिला दें. अब इसे बालों में ३०-४० मिनट तक लगाकर छोड़ दे . यह मिश्रण एक हेयर मास्क की तरह कान करता है, लेकिन यह आपके बालों की डीप कंडीशनिंग भी करता है. इससे आपके बाल स्ट्रेट होने के साथ-साथ चमकदार भी होते हैं .
  •  केला और पपीता : एक बर्तन में केला और पपीता को अच्छे से मैश कर लें. अब इसमें एक चम्म्च शहद मिलाकर इसे बालों में लगाएं. जब ये पैक सूख जाये तो बालों में शैम्पू करके धीरे-धीरे कंघा कर लें. आपके बाल स्ट्रेट नजर आएंगे.
  • दूध और शहद : घर पर बालों को स्ट्रेट करने के लिए आप दूध और शहद का इस्तेमाल कर सकती हैं. इसके लिए आपको आपको चाहिए कि दूध और शहद को एक बराबर मात्रा में लेकर, इसे बालों की जड़ो से लेकर नीचे तक लगाएं. इसे कुछ देर तक अपने बालों में लगा रहने दे, फिर पानी से धो डालें. इसे आप सप्ताह में दो बार लगा सकती है. दो हफ्तों के बाद आपके बाल एकदम स्ट्रेट हो जाएंगे.

शादी से पहले अपने पार्टनर को करना चाहते हैं प्रपोज, तो ये हैं बैस्ट तरीके

अरेंज मैरिज हो या लव मैरिज. आप पहलें अपने पार्टनर को पूरा तरह जानने की कोशिश करते हैं जिससे कि शादी के बाद उसे समझनें में ही आधा वक्त न निकल जाए. अरेंज मैरिज की बात करे तो आप और आपकी पार्टनर दोनों ही अनजानें सफर में चल पडते है. पहलें जमाने की बात करें तो शादी से पहले मिलना भी बड़ी मुश्किल का काम था लेकिन इस जमानें में इस सफर को आसान बनानें के लिए सगाई का दौर शुरू हो गया जिससे की आप एक-दूसरें के ठीक ढंग से पहचान सकें, एक-दूसरें की आदतो, पसंद-नापसंद के बारें में जान सके. माना जाता है कि अरेंज शादी में प्यार शादी के बाद और लव मैरिज में शादी से पहले प्यार होता है.

अगर आप चाहें तो अरेंज मैरिज के शादी सें पहलें ही दोनों के बीच प्यार ला सकते है लेकिन आपकी हिचकिचाहट और ठीक ढंग आइडिया न हो पाने के कारण ज्यादा समय लग जाता है. लेकिन हम अपनी खबर में ऐसी आइडिया के बारें में बताएगें जिन्हें अपनाकर अरेंज मैरिज को भी लव में बदला जा सकता है.

1. फैमली और दोस्तों की सहायता लें

अपनें पार्टनर की पसंद-नापसंद को जानने के लिए आपकी सहायता फैमली और दोस्त ही सबसे ज्यादा कर सकते हैं. अपनें दोस्तों की मदद से अपने पार्टनर को बाहर घूमने के लिए भेजिए और आप घर के एक अच्छें से कमरें को चुन कर अपने पार्टनर की पसंद की चीजों जैसे की उसकी पसंद के फूल, कैंडल आजि से सजाए और उसके वापस आने पर उसे  डेकोरेटेड रूम में वेडिंग रिंग के साथ प्रपोज करें. जो जरुर आपसे इंप्रेस हो जाएगी.

2. पिक्चर हॅाल में

प्रपोज करने का यह तरीका अच्छा साबित हो सकता है. यह तरीका थोड़ा फिल्मी है लेकिन इससे आपकी लाइफ पार्टनर इंप्रेस हो सकती है इसके लिए आपको सही समय को चुनें और इसके लिए सही समय है कि हॅाल खाली है या फिर इंटरवल का वक्त हो या फिर आप चाहें तो थियेटर बुक करा लें. इसके बाद सबसे सामने अपनी पार्टनर से पूछें “विल यू मैरी मी”.

3. सगाई होने से पहलें करें प्रपोज

सगाई वालें दिन आपनी पार्टनर के पास जाकर उसके सामनें घुटनें के बल बैठ कर उसे प्रपोज करें यद बहुत ही रोमांटिक होगा.

4. पार्टनर के जन्मदिन पर

अगर आप लकी हुए औऱ शादी और सगाई से पहलें उसका बर्थडे पड़ रहा हा तो यह आपके लिए प्रपोज करने का अच्छा मौका है. इसके लिए उसे डेट में ले जाए या फिर उनके रूम  में बड़ा से गिफ्ट रखें और साथ में अपने हाथ से लिखा हुआ कार्ड भी रखें. जिसमें अपने हाथों से ‘हैप्पी बर्थडे माय लव, विल यू मैरी मी’ लिखकर उन्हें प्रपोज करें.

5. फैमिली डिनर पर करें प्रपोज

शादी से पहले दोनों परिवार मिलकर किसी डिनर या लंच का प्लान कर सकते हैं. खाने की टेबल पर सबको अटेंशन करते हुए पेरेंट्स को थैंक्यू कहें कि उन्होंने आपके लिए खूबसूरत और अंडरस्टैडिंग पार्टनर चुना और फिर पार्टनर के सामने शादी का प्रपोजल रखें. ये इमोशनल आइडिया केवल पार्टनर का ही नहीं, बल्कि पेरेंट्स के दिल को भी छू जाएगा.

6. वीडियो बनाकर अपनी पार्टनर को करें इंप्रेस

आजकल समय कम होने के कारण सगाई और शादी के बीच के बहुत कम समय मिलता है एक-दूसरें को जाननें का लेकिन आप इस  थोड़े से समय का सही इस्तेमाल कर सकते है. इसके लइए आप अपने पार्टनर की आदतों, नेचर, स्टाइल, जिस भी चीज के आफ दीवाने हैं इऩ बातों को लेकर उसकी तारीफ करते हुए एक वीडियों बना कर उसे एक्सप्रेस करें और साथ ही उन्हें इस वीडियो के जरिए प्रपोज करें. इस वीडियो को उनके साथ अपने फ्रेंड्स को भी शेयर करें. पार्टनर को इम्प्रेस और प्रपोज करने का ये बेहतरीन आइडिया उन्हें जरूर पसंद आएगा.

दीक्षा: क्या हुआ था प्राची के साथ

प्राची अपने कमरे में बैठी मैथ्यू आरनल्ड की कविता ‘फोरसेकन मरमैन’ पढ़ रही थी. कविता को पढ़ कर प्राची का मन बच्चों के प्रति घोर अशांति से भर उठा. उस के मन में सवाल उठा कि क्या कोई मां इतनी पत्थर दिल भी हो सकती है. वह सोचने लगी कि यदि धर्म का नशा वास्तव में इतना शक्तिशाली है तो उस का तो हंसताखेलता परिवार ही उजड़ जाएगा.

‘नहीं, वह अपने जीतेजी ऐसा कदापि नहीं होने देगी,’ प्राची ने मन ही मन यह फैसला किया कि धर्म के दलदल में फंसे पति को जैसे भी होगा वह वापस निकाल कर लाएगी.

पिछले कुछ महीनों से प्राची को अपने पति साहिल के व्यवहार में बदलाव नजर आने लगा था. कल तक उसे अपनी बांहों में भर कर जो साहिल जीवन के सच को उस की घनी जुल्फों के साए में ढूंढ़ता था आज वह उस से भागाभागा फिरता है.

साहिल अपने दोस्त सुधीर के गुरुजी के प्रवचनों से बेहद प्रभावित था. रहीसही कसर टेलीविजन चैनलों पर दिखाए जाने वाले उपदेशकों के प्रवचनों से पूरी हो गई थी. अब तो साहिल को एक ही धुन सवार थी कि किसी तरह स्वामीजी से दीक्षा ली जाए और इस के लिए साहिल आफिस से निकलते ही सीधा स्वामीजी के पास चला जाता. वहां से आने के बाद वह प्राची सेयह तक नहीं पूछता कि तुम कैसी हो या बेटा अक्षय कैसा है.

रोज की तरह साहिल उस दिन भी रात को 9 बजे घर आया. खाना खाने के बाद सीधे सोने की तैयारी करने लगा. एक सुंदर सी बीवी भी घर में है, इस का उसे कोई एहसास ही नहीं था.

आज प्राची इस स्थिति का सामना करने के लिए तैयार थी. वह एक झटके से उठी और अपना हाथ साहिल के माथे पर रख दिया. इस पर साहिल हड़बड़ा कर उठा और पूछ बैठा, ‘‘क्या कोई काम है?’’

‘‘क्या सिर्फ काम के लिए ही पति और पत्नी का रिश्ता बना है?’’ प्राची ने दुखी स्वर में पूछा और फिर सुबकते हुए बोली, ‘‘तुम ने तो इस सहज स्वाभाविक व रसीले रिश्ते को नीरस बना डाला है. पिछले 2 महीने से तुम ने मेरी इस कदर उपेक्षा की है जैसे कि तुम्हारे जीवन में मेरा कोई स्थान ही नहीं है.

‘‘देखो प्राची, मैं स्वामीजी से

दीक्षा लेना चाहता हूं और इस के लिए उन्होंने मुझे हर प्रकार से शुद्ध रहने

को कहा है….’’

साहिल की बात को बीच में काटते हुए प्राची बोली, ‘‘इसीलिए तुम अपनी पत्नी की अवहेलना कर रहे हो. तुम ने सोचा भी कैसे कि पत्नी की उपेक्षा कर के तुम्हें मुक्ति मिल जाएगी? मुक्ति की ही चाह थी तो शादी के बंधन में ही क्यों पड़े?’’

प्राची की तल्ख बातें सुन कर साहिल हतप्रभ रह गया. उस ने पत्नी के इस रौद्र रूप की कल्पना भी नहीं की थी. फिर किसी तरह अपने को संभाल कर बोला, ‘‘प्राची, मैं तो बस आत्म अन्वेषण का प्रयास कर रहा था. मैं तुम्हें छोड़ने की बात सोच भी नहीं सकता.’’

‘‘ठीक है, तो तुम्हें बीवी या स्वामीजी में से किसी एक को चुनना होगा.’’ यह कह कर प्राची ने मुंह घुमा लिया.

अगले दिन साहिल दफ्तर न जा कर सीधा अपने दोस्त सुधीर के घर गया जहां स्वामीजी आसन जमा कर बैठे थे और उन के पास भक्तों की भीड़ लगी थी. साहिल को परेशान हाल देख कर स्वामीजी ने पूछा, ‘‘क्या बात है? बड़े परेशान दिख रहे हो, वत्स.’’

‘‘मुझे आप से एकांत में कुछ बात करनी है,’’ साहिल बोला.

स्वामीजी का इशारा होते ही कमरा खाली हो गया तो साहिल ने पिछली रात की सारी घटना ज्यों की त्यों स्वामीजी को सुना दी. इस पर स्वामीजी शांत भाव से बोले, ‘‘वत्स, घबराने की कोई बात नहीं है. साधना के मार्ग में तो इस तरह की विघ्न- बाधाएं आती ही हैं. शास्त्र कहता है कि यदि साधना के मार्ग में पत्नी, मां या सगेसंबंधी बाधक बनें तो उन्हें त्याग देना चाहिए.’’

स्वामीजी की यह बात सुन कर साहिल सोच में पड़ गया कि बिना किसी कुसूर के अपनी पत्नी और बच्चे को छोड़ देना क्या उचित होगा?

साहिल को च्ंितित देख कर स्वामीजी बोले, ‘‘वत्स, एक उपाय है. अपनी पत्नी को भी यहां ले आओ. यहां आ कर उस का हृदय परिवर्तन भी हो सकता है और तब वह तुम्हें दीक्षा लेने से नहीं रोक सकती.’’

यह उपाय कारगर हो सकता है. ऐसा सोच कर साहिल स्वामीजी के चरणों में 501 रुपए रख कर चला गया.

साहिल के जाने के बाद सुधीर ने कमरे में आ कर स्वामीजी को देखते हुए जोर का ठहाका लगा कर कहा, ‘‘मान गए, स्वामीजी. अब तो यह आप की आंखों से देखता और आप के कानों से सुनता है.’’

साहिल घर जा कर प्राची को मनाने की कोशिश करने लगा. पहले तो प्राची साहिल को मना करती रही. फिर उस ने सोचा कि चल कर देखा जाए कि आखिर वहां का माजरा क्या है? उस ने साहिल से कहा कि हम रविवार की सुबह स्वामीजी के पास चलेंगे. साहिल ने फौरन इस बात की सूचना फोन पर सुधीर को दे दी.

अगले दिन साहिल के दफ्तर जाने के बाद प्राची ने फोन कर के सुधा को बुलाया. सुधा उस की बचपन की सहेली थी और उस के पति अरुण वर्मा शहर के एस.पी. थे. घर आने पर प्राची ने गर्मजोशी से अपनी सहेली सुधा का स्वागत किया.

बातोंबातों में जब सुधा ने कहा कि प्राची, जैसा मैं ने तुम्हें शादी में देखा था वैसी ही तुम आज भी दिखती हो तो प्राची फफकफफक कर रो पड़ी.

‘‘अरे, क्या हुआ, मैं ने कुछ गलत कह दिया क्या?’’ सुधा घबरा कर बोली.

प्राची शुरू  से ले कर अब तक की साहिल की कहानी सुधा के आगे बयान करने के बाद बोली, ‘‘अब तू ही बता सुधा, मैं अपने वैवाहिक जीवन को बचाने के लिए क्या करूं?’’

‘‘तू च्ंिता मत कर. मैं हूं न,’’ सुधा बोली, ‘‘ऐसा करते हैं, पहले चल कर अरुण से बात करते हैं. फिर जैसी वह सलाह देंगे वैसा ही करेंगे.’’

इस के बाद सुधा प्राची को ले कर अपने घर गई और फोन कर अरुण को भी बुला लिया.

प्राची की सारी बात सुन कर अरुण बोले, ‘‘आप च्ंिता न करें. मैं अब उस स्वामी का खेल ज्यादा दिनों तक नहीं चलने दूंगा. इस के बारे में अभी तक जितनी जानकारी मेरे हाथ लगी है, उस से यही लगता है कि ऐसा कोई अपराध नहीं जो उस ने न किया या करवाया हो. पहले वह तुम्हारे पति जैसे अंधविश्वासी लोगों को हाथ की सफाई से दोचार चमत्कार दिखा कर प्रभावित करता है. इस के बाद दान के नाम पर पैसे ऐंठता है, फिर युवा महिलाओं को दीक्षित करने के बहाने उन की इज्जत लूटता है. अभी कुछ दिन पहले इसी स्वामी की काली करतूतों के बारे में एक गुमनाम पत्र मेरे पास भी आया था जिस में इज्जत लूटने के बाद ब्लैकमेल करने की बात लिखी गई थी. प्राची, अगर तुम मेरी मदद करो तो मैं एक बहुत बड़े ढोंगी का परदाफाश कर सकता हूं.’’

‘‘मैं इस अभियान में आप के साथ हूं. बताइए, मुझे क्या करना होगा?’’ प्राची आत्मविश्वास के साथ बोली.

अरुण ने प्राची को अपनी योजना बता दी और उसे च्ंितामुक्त हो कर घर जाने के लिए कहा.

शाम को साहिल ने प्राची को बताया कि स्वामीजी अपने आश्रम में चले गए हैं. अब उन के आश्रम में जा कर आशीर्वाद लेना होगा.

रविवार को जाने से पहले प्राची ने अरुण को फोन किया और बेटे को पड़ोसिन के पास छोड़ कर वह पति के साथ आश्रम के लिए रवाना हो गई.

ठीक 10 बजे दोनों आश्रम पहुंच गए. आश्रम बहुत भव्य था. अंदर जाते ही उन्हें सुधीर मिल गया. वह उन्हें एक वातानुकूलित कमरे में बैठाते हुए बोला, ‘‘स्वामीजी ने कहा है कि 1 घंटे के बाद वह तुम लोगों से मिलेंगे.’’

सुधीर उन्हें स्वागत कक्ष में बैठा कर चला गया. फिर कुछ देर बाद आ कर उन दोनों को स्वामीजी के निजी कमरे में ले गया. साहिल और प्राची ने हाथ जोड़ कर स्वामीजी का अभिवादन किया और उन के आसन के सामने बिछी दरी पर बैठ गए.

प्राची को संबोधित करते हुए स्वामीजी बोले, ‘‘मैं ने सुना है कि तुम साहिल के दीक्षा लेने के खिलाफ हो.’’

प्राची ने विनम्र स्वर में उत्तर दिया, ‘‘महाराज, आजकल के माहौल को देखते हुए ही मैं साहिल की दीक्षा के खिलाफ थी, लेकिन यहां आ कर मेरा हृदय परिवर्तन हो गया है. अब मेरे पति की दीक्षा में मेरी ओर से कोई बाधा नहीं होगी.’’

‘‘क्यों नहीं तुम भी अपने पति के साथ दीक्षा ले लेतीं,’’ स्वामीजी बोले, ‘‘इस से तुम दोनों का जल्दी ही उद्धार होगा.’’

प्राची ने कहा, ‘‘मेरा अहोभाग्य, जो आप ने मुझे इस लायक समझा.’’

अगले रविवार को दीक्षा का दिन निर्धारित कर दिया गया. स्वामीजी ने सुधीर से कहा कि उन्हें ले जा कर दीक्षा की औपचारिकताओं के बारे में बता दो. प्राची को पता चला कि दीक्षा लेने से पहले भक्त को 10 हजार रुपए जमा करवाने पड़ते हैं.

प्राची ने घर आ कर सुधा को फोन पर सारी बात बताई और फिर देखते ही देखते उन के दीक्षा लेने का दिन भी आ गया.

दीक्षा वाले दिन स्वामीजी के निजी कमरे में प्राची और साहिल जब पहुंचे तो 3 पुरुष और 2 महिलाएं वहां पहले ही मौजूद थे.

साहिल भावविभोर हो कर प्रणाम करने के लिए आगे बढ़ा तो स्वामीजी बोले, ‘‘वत्स, जाओ, तुम दोनों पहले स्नान कर के शुद्ध हो जाओ. उस के बाद श्वेत वस्त्र धारण कर के यहां मेरे पास आओ.’’

इस के बाद प्राची को किरण नाम की एक महिला स्नान कराने के लिए ले गई.

उस ने स्नानघर का दरवाजा खोला और किरण को श्वेत वस्त्र देने के लिए कहा. किरण ने बताया कि स्नानघर के कोने में बनी अलमारी में श्वेत वस्त्र रखे हैं.

प्राची बाथरूम का दरवाजा अंदर से बंद कर सतर्कता के साथ वहां का जायजा लेने लगी. अचानक उस की नजर शावर के ऊपर लगी एक छोटी सी वस्तु पर पड़ी. उस के दिमाग में बिजली सी कौंध गई कि कहीं यह कैमरा तो नहीं. फिर हिम्मत से काम लेते हुए प्राची ने अपना दुपट्टा निकाल कर कैमरे को ढंक दिया और कमीज की जेब से मोबाइल निकाल कर अरुण को फोन मिला कर बोली, ‘‘हैलो, जीजाजी, यहां बहुत गड़बड़ लग रही है. आप फौरन आ जाइए.’’

अरुण ने जवाब में कहा, ‘‘घबराओ नहीं, प्राची, मैं आश्रम के पास ही हूं.’’

उसी समय फटाक की आवाज के साथ अलमारी का दरवाजा खुला और सुधीर ने प्राची का हाथ पकड़ कर उसे अलमारी के अंदर खींच लिया.

प्राची ने प्रतिरोध करने की बहुत कोशिश की, पर सब व्यर्थ. सुधीर उसे जबरन खींचता हुआ स्वामी के निजी कमरे में ले गया जहां उस को देखते ही स्वामीजी फट पड़े, ‘‘लड़की, तू ने मुझ से झगड़ा मोल ले कर अच्छा नहीं किया. तेरी इज्जत की अभी मैं च्ंिदीच्ंिदी किए देता हूं.’’

‘‘बदमाश, धोखेबाज, तेरी इज्जत की धज्जियां तो अब उडे़ंगी,’’ प्राची बेखौफ हो कर बोली, ‘‘जरा बाहर निकल कर तो देख. पुलिस तेरे स्वागत में खड़ी है.’’

तभी फायर होने की आवाज के साथ ही स्वामी के कमरे के दरवाजे पर जोर से थपथपाहट होने लगी. इस से पहले कि स्वामी और सुधीर कुछ कर पाते प्राची ने भाग कर दरवाजा खोल दिया.

सामने अरुण पुलिस बल के साथ खड़े थे. स्वामीजी लड़खड़ाते हुए बोले, ‘‘अच्छा हुआ, एस.पी. साहब, आप यहां आ गए अन्यथा यह कुलटा मुझे पथभ्रष्ट करने ही यहां आई थी.’’

अरुण ने खींच कर एक तमाचा स्वामी के मुंह पर मारा और पुलिस वाले लहजे में गाली देते हुए बोला, ‘‘तू क्या चीज है मैं अच्छी तरह जानता हूं. तेरे तमाम अपराधों की सूची मेरे पास है. बता, साहिल कहां है?’’

स्वामी ने एक कमरे की ओर इशारा किया तो पुलिस वाले साहिल को ले आए. वह अर्धबेहोशी की हालत में था.

अरुण ने स्वामी और सुधीर को पुलिस स्टेशन भेजने के बाद साहिल को अस्पताल भिजवाने का इंतजाम किया.

रात को अरुण प्राची और साहिल का हाल जानने आए तो साथ में सुधा भी थी. उन के जाने के बाद साहिल प्यार से प्राची की ओर देख कर बोला, ‘‘भई, दीक्षा तो मुझे अब भी चाहिए, तुम्हारे प्रेम की दीक्षा.’’

‘‘उस के लिए तो मैं सदैव तैयार हूं,’’ कहते हुए प्राची ने साहिल के सीने में अपना सिर छिपा लिया.

बहू-बेटी का फर्क: क्या सपना के बेटे का फैसला सही था

जब से वे सपना की शादी कर के मुक्त हुईं तब से हर समय प्रसन्नचित्त दिखाई देती थीं. उन के चेहरे से हमेशा उल्लास टपकता रहता था. महरी से कोई गलती हो जाए, दूध वाला दूध में पानी अधिक मिला कर लाए अथवा झाड़ ूपोंछे वाली देर से आए, सब माफ था. अब वे पहले की तरह उन पर बरसती नहीं थीं. जो भी घर में आता, उत्साह से उसे सुनाने बैठ जातीं कि उन्होंने कैसे सपना की शादी की, कितने अच्छे लोग मिल गए, लड़का बड़ा अफसर है, देखने में राजकुमार जैसा. फिर भी एक पैसा दहेज का नहीं लिया. ससुर तो कहते थे कि आप की बेटी ही लक्ष्मी है और क्या चाहिए हमें. आप की दया से घर में सब कुछ तो है, किसी बात की कमी नहीं. बस, सुंदर, सुसंस्कृत व सुशील बहू मिल गई, हमारे सारे अरमान पूरे हो गए.

शादी के बाद पहली बार जब बेटी ससुराल से आई तो कैसे हवा में उड़ी जा रही थी. वहां के सब हालचाल अपने घर वालों को सुनाती, कैसे उस की सास ने इतने दिनों पलंग से नीचे पांव ही नहीं धरने दिया. वह तो रानियों सी रही वहां. घर के कामों में हाथ लगाना तो दूर, वहां तो कभी मेहमान अधिक आ जाते तो सास दुलार से उसे भीतर भेजती हुई कहती, ‘‘बेचारी सुबह से पांव लगतेलगते थक गई, नातेरिश्तेदार क्या भागे जा रहे हैं कहीं. जा, बैठ कर आराम कर ले थोड़ी देर.’’

और उस की ननद अपनी भाभी को सहारा दे कर पलंग पर बैठा आती.

यह सब जब उन्होंने सुना तो फूली नहीं समाईं. कलेजा गज भर का हो गया. दिन भर चाव से रस लेले कर वे बेटी की ससुराल की बातें पड़ोसिनों को सुनाने से भी नहीं चूकतीं. उन की बातें सुन कर पड़ोसिन को ईर्ष्या होती. वे सपना की ससुराल वालों को लक्ष्य कर कहतीं, ‘‘कैसे लोग फंस गए इन के चक्कर में. एक पैसा भी दहेज नहीं देना पड़ा बेटी के विवाह में और ऐसा शानदार रोबीला वर मिल गया. ऊपर से ससुराल में इतना लाड़प्यार.’’

उस दिन अरुणा मिलने आईं तो वे उसी उत्साह से सब सुना रही थीं, ‘‘लो, जी, सपना को तो एम.ए. बीच में छोड़ने तक का अफसोस नहीं रहा. बहुत पढ़ालिखा खानदान है. कहते हैं, एम.ए. क्या, बाद में यहीं की यूनिवर्सिटी में पीएच.डी. भी करवा देंगे. पढ़नेलिखने में तो सपना हमेशा ही आगे रही है. अब ससुराल भी कद्र करने वाला मिल गया.’’

‘‘फिर क्या, सपना नौकरी करेगी, जो इतना पढ़ा रहे हैं?’’ अरुणा ने उन के उत्साह को थोड़ा कसने की कोशिश की.

‘‘नहीं जी, भला उन्हें क्या कमी है जो नौकरी करवाएंगे. घर की कोठी है.  हजारों रुपए कमाते हैं हमारे दामादजी,’’ उन्होंने सफाई दी.

‘‘तो सपना इतना पढ़लिख कर क्या करेगी?’’

‘‘बस, शौक. वे लोग आधुनिक विचारों के हैं न, इसलिए पता है आप को, सपना बताती है कि सासससुर और बहू एक टेबल पर बैठ कर खाना खाते हैं. रसोई में खटने के लिए तो नौकरचाकर हैं. और खानेपहनाने के ऐसे शौकीन हैं कि परदा तो दूर की बात है, मेरी सपना तो सिर भी नहीं ढकती ससुराल में.’’

‘‘अच्छा,’’ अरुणा ने आश्चर्य से कहा.

मगर शादी के महीने भर बाद लड़की ससुराल में सिर तक न ढके, यह बात उन के गले नहीं उतरी.

‘‘शादी के समय सपना तो कहती थी कि मेरे पास इतने ढेर सारे कपड़े हैं, तरहतरह के सलवार सूट, मैक्सी और गाउन, सब धरे रह जाएंगे. शादी के बाद तो साड़ी में गठरी बन कर रहना होगा. पर संयोग से ऐसे घर में गई है कि शादी से पहले बने सारे कपड़े काम में आ रहे हैं. उस के सासससुर को तो यह भी एतराज नहीं कि बाहर घूमने जाते समय भी चाहे…’’

‘‘लेकिन बहनजी, ये बातें क्या सासससुर कहेंगे. यह तो पढ़ीलिखी लड़की खुद सोचे कि आखिर कुंआरी और विवाहिता में कुछ तो फर्क है ही,’’ श्रीमती अरुणा से नहीं रहा गया.

उन्होंने सोचा कि शायद श्रीमती अरुणा को उन की पुत्री के सुख से जलन हो रही है, इसीलिए उन्होंने और रस ले कर कहना शुरू किया, ‘‘मैं तो डरती थी. मेरी सपना को शुरू से ही सुबह देर से उठने की आदत है, पराए घर में कैसे निभेगी. पर वहां तो वह सुबह बिस्तर पर ही चाय ले कर आराम से उठती है. फिर उठे भी किस लिए. स्वयं को कुछ काम तो करना नहीं पड़ता.’’

‘‘अब चलूंगी, बहनजी,’’ श्रीमती अरुणा उठतेउठते बोलीं, ‘‘अब तो आप अनुराग की भी शादी कर डालिए. डाक्टर हो ही गया है. फिर आप ने बेटी विदा कर दी. अब आप की सेवाटहल के लिए बहू आनी चाहिए. इस घर में भी तो कुछ रौनक होनी ही चाहिए,’’ कहतेकहते श्रीमती अरुणा के होंठों की मुसकान कुछ ज्यादा ही तीखी हो गई.

कुछ दिनों बाद सपना के पिता ने अपनी पत्नी को एक फोटो दिखाते हुए कहा, ‘‘देखोजी, कैसी है यह लड़की अपने अनुराग के लिए? एम.ए. पास है, रंग भी साफ है.’’

‘‘घरबार कैसा है?’’ उन्होंने लपक कर फोटो हाथ में लेते हुए पूछा.

‘‘घरबार से क्या करना है? खानदानी लोग हैं. और दहेज वगैरा हमें एक पैसे का नहीं चाहिए, यह मैं ने लिख दिया है उन्हें.’’

‘‘यह क्या बात हुई जी. आप ने अपनी तरफ से क्यों लिख दिया? हम ने क्या उसे डाक्टर बनाने में कुछ खर्च नहीं किया? और फिर वे जो देंगे, उन्हीं की बेटी की गृहस्थी के काम आएगा.’’

अनुराग भी आ कर बैठ गया था और अपने विवाह की बातों को मजे ले कर सुन रहा था. बोला, ‘‘मां, मुझे तो लड़की ऐसी चाहिए जो सोसाइटी में मेरे साथ इधरउधर जा सके. ससुराल की दौलत का क्या करना है?’’

‘‘बेशर्म, मांबाप के सामने ऐसी बातें करते तुझे शर्म नहीं आती. तुझे अपनी ही पड़ी है, हमारा क्या कुछ रिश्ता नहीं होगा उस से? हमें भी तो बहू चाहिए.’’

‘‘ठीक है, तो मैं लिख दूं उन्हें कि सगाई के लिए कोई दिन तय कर लें. लड़की दिल्ली में भैयाभाभी ने देख ही ली है और सब को बहुत पसंद आई है. फिर शक्लसूरत से ज्यादा तो पढ़ाई- लिखाई माने रखती है. वह अर्थशास्त्र में एम.ए. है.’’

उधर लड़की वालों को स्वीकृति भेजी गई. इधर वे शादी की तैयारी में जुट गईं. सामान की लिस्टें बनने लगीं.

अनुराग जो सपना के ससुराल की तारीफ के पुल बांधती अपनी मां की बातों से खीज जाता था, आज उन्हें सुनाने के लिए कहता, ‘‘देखो, मां, बेकार में इतनी सारी साडि़यां लाने की कोई जरूरत नहीं है, आखिर लड़की के पास शादी के पहले के कपड़े होंगे ही, वे बेकार में पड़े बक्सों में सड़ते रहें तो इस से क्या फायदा.’’

‘‘तो तू क्या अपनी बहू को कुंआरी छोकरियों के से कपड़े यहां पहनाएगा?’’ वह चिल्ला सी पड़ीं.

‘‘क्यों, जब जीजाजी सपना को पहना सकते हैं तो मैं नहीं पहना सकता?’’

वे मन मसोस कर रह गईं. इतने चाव से साडि़यां खरीद कर लाई थीं. सोचा था, सगाई पर ही लड़की वालों पर अच्छा प्रभाव पड़ गया तो वे बाद में अपनेआप थोड़ा ध्यान रखेंगे और हमारी हैसियत व मानसम्मान ऊंचा समझ कर ही सबकुछ करेंगे. मगर यहां तो बेटे ने सारी उम्मीदों पर ही पानी फेर दिया.

रात को सोने के लिए बिस्तर पर लेटीं तो कुछ उदास थीं. उन्हें करवटें बदलते देख कर पति बोले, ‘‘सुनोजी, अब घर के काम के लिए एक नौकर रख लो.’’

‘‘क्यों?’’ वह एकाएक चौंकीं.

‘‘हां, क्या पता, तुम्हारी बहू को भी सुबह 8 बजे बिस्तर पर चाय पी कर उठने की आदत हो तो घर का काम कौन करेगा?’’

वे सकपका गईं.

सुबह उठीं तो बेहद शांत और संतुष्ट थीं. पति से बोलीं, ‘‘तुम ने अच्छी तरह लिख दिया है न, जी, जैसी उन की बेटी वैसी ही हमारी. दानदहेज में एक पैसा भी देने की जरूरत नहीं है, यहां किस बात की कमी है, मैं तो आते ही घर की चाबियां उसे सौंप कर अब आराम करूंगी.’’

‘‘पर मां, जरा यह तो सोचो, वह अच्छी श्रेणी में एम.ए. पास है, क्या पता आगे शोधकार्य आदि करना चाहे. फिर ऐसे में तुम घर की जिम्मेदारी उस पर छोड़ दोगी तो वह आगे पढ़ कैसे सकेगी?’’ यह अनुराग का स्वर था.

उन की समझ में नहीं आया कि एकाएक क्या जवाब दें.

कुछ दिन बाद जब सपना ससुराल से आई तो वे उसे बातबात पर टोक देतीं, ‘‘क्यों री, तू ससुराल में भी ऐसे ही सिर उघाड़े डोलती रहती है क्या? वहां तो ठीक से रहा कर बहुओं की तरह और अपने पुराने कपड़ों का बक्सा यहीं छोड़ कर जाना. शादीशुदा लड़कियों को ऐसे ढंग नहीं सुहाते.’’

सपना ने जब बताया कि वह यूनिवर्सिटी में दाखिला ले रही है तो वे बरस ही पड़ीं, ‘‘अब क्या उम्र भर पढ़ती ही रहेगी? थोड़े दिन सासससुर की सेवा कर. कौन बेचारे सारी उम्र बैठे रहेंगे तेरे पास.’’

आश्चर्यचकित सपना देख रही थी कि मां को हो क्या गया है?

इस दिन जापान में रिलीज होगी किरण राव की फिल्म laapataa ladies

जियो स्टूडियोज की लापता लेडीज (laapataa ladies) फिल्म अपनी रिलीज से ही दर्शकों के दिल में घर कर बैठी है. 1 मार्च 2023 को रिलीज हुई यह फिल्म 100 से अधिक दिनों तक दर्शकों को सिनेमाघरों में आकर्षित करने तथा ओटीटी पर दर्शकों से प्यार और प्रशंसा बटोरने में सफल हुई थी. अब यह फिल्म जापान में दर्शकों को लुभाने के लिए तैयार है, जिसकी रिलीज 4 अक्टूबर, 2024 को निर्धारित है.

यह फिल्म, एक ही ट्रेन में अलग हो जाने वाली दो युवा दुल्हनों के बारे में हल्कीफुल्की एक मनोरंजक कौमेडी है. नितांशी गोयल, प्रतिभा रांटा, स्पर्श श्रीवास्तव और रवि किशन अभिनीत, लापता लेडीज जापानी दर्शकों को हसाने और मनोरंजक कहानी से मंत्रमुग्ध करने के लिए तैयार है.

निर्देशक किरण राव जापान से प्रतिक्रियाओं का बेसब्री से इंतजार कर रही हैं. अपनी खुशी को साझा करते हुए, वह कहती हैं, ” मैं रोमांचित हूं कि लापता लेडीज जापान में रिलीज हो रही है. मैं जापानी सिनेमा की प्रशंसक रही हूं, मुझे हमेशा जापानी संस्कृति में गहरी दिलचस्पी रही है और मुझे उम्मीद है कि फिल्म का भावनात्मक सार जापानी दर्शकों के साथ वैसा ही जुड़ेगा जैसा कि हमारे साथ था.”

वह आगे कहती हैं, “यह रिलीज फिल्म के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है और यह दर्शाता है कि कैसे यह सिनेमा कहानियों और भावनाओं के माध्यम से संस्कृतियों को कैसे जोड़ सकता है. मेरे दिल के इतने करीब रही इस फिल्म को नए दर्शकों तक पहुंचते देखना सपने से कम नहीं. मैं फिल्म की वैश्विक पहुंच बढ़ाने के लिए जियो स्टूडियोज और आमिर खान प्रोडक्शंस की आभारी हूं. इसे जापान ले जाना एक रोमांचक अगला अध्याय है, और इसे संभव बनाने में उनका उत्साह और समर्थन महत्वपूर्ण रहा है.”

जियो स्टूडियोज द्वारा प्रस्तुत, लापता लेडीज किरण राव द्वारा निर्देशित और आमिर खान, किरण राव और ज्योति देशपांडे द्वारा निर्मित है यह फिल्म आमिर खान प्रोडक्शंस और किंडलिंग प्रोडक्शंस के बैनर तले बनाई गई है, जिसकी पटकथा बिप्लब गोस्वामी की एक पुरस्कार विजेता कहानी पर आधारित है. पटकथा और संवाद स्नेहा देसाई द्वारा लिखे गए हैं, जबकि अतिरिक्त संवाद दिव्यनिधि शर्मा द्वारा लिखे गए हैं.

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