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अब महिलाएं भी कर रही हैं financially Planning, जानें क्या है ये योजना

आज के समय में कामकाजी महिलाएं टर्म इंश्योरैंस की खरीदारी में सब से आगे हैं, लेकिन हाउसवाइफ भी बाजार का एक बड़ा हिस्सा हैं. यह महिलाओं के बीच टर्म इंश्योरैंस को ले कर बढ़ती जागरूकता और इस के महत्त्व को दर्शाता है. खासकर जब यह ध्यान में रखा जाए कि हाउसवाइफ के लिए टर्म इंश्योरैंस की योजना सिर्फ 3 साल पहले शुरू की गई थी, तो यह देख कर लगता है कि वे महिलाएं, जिन के पास पहले पुरुषों या कामकाजी महिलाओं जैसी फाइनैंशियल फ्रीडम नहीं थी, वह भी अब इन योजनाओं को अपना रही हैं.

महिलाओं के लिए हैल्थ मैनेजमेंट सर्विस

पौलिसी बाजार में टर्म इंश्योरैंस के हेड ऋषभ गर्ग का कहना है, “यह देखना उत्साहजनक है कि महिलाएं टर्म इंश्योरैंस पौलिसी खरीद कर अपनी वित्तीय योजना की जिम्मेदारी खुद उठा रही हैं. हम यह भी सुझाव देते हैं कि उचित कवर राशि के साथ महिलाओं को क्रिटिकल इलनैस के लिए राइडर भी लेना चाहिए.

महिलाओं में कैंसर के बढ़ते मामलों को देखते हुए, इंश्योरैस कंपनियों ने अपने क्रिटिकल इलनैस राइडर में ब्रैस्ट कैंसर, ओवरी कैंसर और सर्वाइकल कैंसर को भी शामिल किया है. यह राइडर शुरुआती चरणों में या कैंसर की प्रारंभिक पहचान होने पर भी वित्तीय मदद प्रदान करता है.

इस के अलावा, कई इंश्योरैंस कंपनियां अब महिलाओं के लिए विशेषरूप से डिज़ाइन की गई हैल्थ मैनेजमेंट सर्विस भी प्रदान कर रही हैं. इन में सालाना ₹36,500 तक के लाभ शामिल हैं, जो टेलीओपीडी परामर्श और डायबिटीज, थायराइड, लिपिड प्रोफाइल, कैल्सियम सीरम और ब्लड टेस्ट जैसी सर्विस कवर करते हैं.”

पौलिसी की खरीदारी में महिलाओं का योगदान अधिक

चाहे कामकाजी महिलाएं हों, चाहे सैलेरीड हों या सेल्फ ऐंपलौइड, टर्म इंश्योरैंस पौलिसी की खरीदारी में इन का योगदान सब से अधिक है. 55-60% पौलिसियां उन के द्वारा खरीदी जा रही हैं. खरीदी गई पौलिसियों में गृहिणियों की हिस्सेदारी 40% है, जो टर्म इंश्योरैंस खरीद में उन की महत्त्वपूर्ण भागीदारी को दर्शाती है.

वहीं कामकाजी महिलाएं टर्म इंश्योरैंस लेने में न सिर्फ सब से आगे हैं, बल्कि वे अपने फाइनैशियल फ्यूचर के बारे में सोचसमझ कर बड़ी कवर राशि भी चुन रही हैं.

₹2 करोड़ या उस से ज्यादा की कवर राशि वाले टर्म प्लान लेने का रुझान 2022 के बाद से लगभग दोगुना हो गया है.

महिलाओं द्वारा सब से अधिक मात्रा में टर्म इंश्योरैंस खरीदने वाले टौप 5 शहर

महिलाओं द्वारा टर्म इंश्योरैंस की खरीद में दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद, बैंगलुरु जैसे प्रमुख मैट्रो शहर आगे हैं, वही गुंटूर की उपस्थिति छोटे शहरों में भी महिलाओं के बीच टर्म इंश्योरैंस की बढ़ती पहुंच को उजागर करती है.

आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली 8 से 10% है, हैदराबाद 6 से 7%, बैगलुरु 6 से 7%, मुंबई 4 से 5% और गुंटूर 4 से 5% है.

महिला टर्म इंश्योरैंस खरीदारों का उम्र के आधार पर विभाजन

टर्म इंश्योरैंस खरीदने वाली जौब वाली महिलाओं की औसत उम्र लगभग 31-32 साल है जबकि हाउसवाइफ की औसत उम्र इस से थोड़ी कम, करीब 30-31 साल है. जौब वाली महिलाएं और हाउसवाइफ, दोनों ही 25-34 साल की उम्र के बीच सब से ज्यादा टर्म इंश्योरैस खरीदती हैं. हालांकि, गृहिणियों में 25 साल से कम उम्र की महिलाओं का प्रतिशत थोड़ा ज्यादा है.

इस का मतलब है कि 20 से 30 साल की महिलाएं टर्म इंश्योरैंस खरीदने में सब से ज्यादा ऐक्टिव हैं. इस उम्र में वे अपने कैरियर और पारिवारिक जीवन की शुरुआत या स्थिरता की ओर बढ़ रही होती हैं, जिस से फाइनैंशियल प्लानिंग और सुरक्षा पर उन का ध्यान ज्यादा होता है.

Health Tips : क्या आपको भी दिन में आती है बहुत ज्यादा नींद, तो इसे भूलकर भी हल्के में न लें

क्‍या आपको रात की नींद पूरी करने के बाद सुबह थकान और नींद का अनुभव होता है? आपके शरीर में ऐसी कौन सी प्रौब्लम हो रही हैं, जिसके कारण ऐसा हो रहा है. और इसका सोल्युशन क्या है?

अगर आपने इस समस्‍या पर अभी ध्‍यान नहीं दिया तो आगे चल कर यह नींद और थकान कई अन्‍य समस्‍याएं पैदा कर सकता है जैसे, सिरदर्द, शारीरिक दर्द, किसी चीज़ में मन न लगना, काम या पढ़ाई पर ध्‍यान केन्‍द्रित ना कर पाना, पेट की खराबी, बोरियत और तनाव या डिप्रेशन आदि.

इसके कई कारण हो सकते हैं कि आपको पूरे दिन थकान या नींद लगती है. हो सकता है कि आपके अंदर शारीरिक बदलाव हो रहे हों या फिर दिमागी तनाव हो. अब आइये जानते हैं ऐसे कौन से कारण हैं जिसकी वजह से आप दिनभर थके थके रहते हैं और इसका समाधान क्‍या है.

1. सोने का अनुचित समय

रात की नींद ठीक तरह से पूरी करनी चाहिए. आपको 6 से 7 घंटे तक बिना डिस्‍टर्ब हुए सोना चाहिए. सोने के तीन या चार घंटे पहले चाय या कौफी नहीं पीनी चाहिए.

2. तनाव से दूर रहें

तनाव, अवसाद, क्रोध आदि जैसी चीजें नींद के पैटर्न पर बहुत प्रभाव डालती हैं. ये आपको थका देती हैं, जिससे रात को आप ठीक प्रकार से नहीं सो पाते.

3. हेवी डिनर न करें

कई लोग सोचते हैं कि यदि वे रात में पेट भर कर सोएंगे तो उन्‍हें अच्‍छी नींद आएगी मगर ऐसा होता नहीं है. रात को पेट थोड़ा खाली रख कर ही सोना चाहिए नहीं तो खाना ठीक से डाइजेस्ट नहीं हो पाएगा .

4. शारीरिक नकारात्मक फोर्स (तमस)

कई लोग शुरु से ही आलसी होते हैं और उनके जीवन का नजरिया हमेशा ही नकारात्‍मक होता है. ऐसे लोगों को अपने रूटीन में योगा, ध्‍यान मेडिटेशन को शामिल करना चाहिए जिससे उनके जीवन में सकारात्‍मकता आ सके

5. कोई छुपी हुई बीमारी

कुछ बीमारियां जैसे, मधुमेह आदि शरीर को अंदर से कमजोर बना देती हैं और जिससे दिनभर नींद आती है. अच्‍छा है कि आप अपना ठीक से ट्रीटमेंट करवाएं और स्‍वस्‍थ रहें.

दिनभर फ्रेश फील करने के लिये और रात को अच्छी नींद के टिप्‍स

अगर दिन में बहुत नींद आ रही है तो आधे घंटे की झपकी ले सकते हैं. अपच की वजह से आपको नींद और थकान महसूस हो सकती है. ऐसे में अपने आहार में अदरक और काली मिर्च को जगह दें. आप चाहें तो बिना दूध वाली अदरक की चाय पी सकते हैं. नियमित व्‍यायाम करें, जिससे शरीर में औक्‍सीजन की मात्रा बढे़ और आप फ्रेश फील करें.

  • अपने कमरे की खिड़कियां और दरवाजे हमेशा खुले रखें, जिससे फ्रेश हवा और रौशनी आए. इससे आप हमेशा ऊर्जा से भरे रहेंगे.
  • कुर्सी पर हमेशा सीधे और अलर्ट बैठें.
  • एक्सरसाइज करें, इससे आप एनर्जी से भर उठेंगे.
  • पोषण युक्‍त खाद्य पदार्थों का सेवन करें.
  • अपने डाइट में फलों को शामिल करें.

तेरे शहर में : बिंदास और हंसमुख कोमल क्यों उदास रहने लगी ?

बाबतपुर एअरपोर्ट से निकल कर मैं ने कैब बुक की. ‘विजय होटल’ में मैं ने अपना रूम बुक किया हुआ था. जब होटल बुक करने का समय आया था, मुझे नहीं पता क्यों मेरे हाथों ने ‘विजय होटल’ ही टाइप किया. मुझे नहीं पता क्यों ऐसा हुआ. ऐसा भी नहीं है कि मैं जानती नहीं कि मैं विजय होटल ही क्यों रुकी हूं. मैं ने यहां पिछली बार क्याक्या खाया था, मुझे तो यह भी याद है. किस के साथ खाया था, यह भी याद है. उस ने ब्लैक टीशर्ट पहनी हुई थी, यह भी याद है. मैं ने पिंक सूट पहना था, यह भी याद है. अरे, नहीं अभी आंखें नम नहीं होनी चाहिए, सालों हो गए. रोने की कोई बात नहीं है. मैं सब भूल चुकी हूं. मैं ने हमेशा की तरह दिल को समझया तो दिल हंस पड़ा कि चल, झूठी. रातदिन परेशान करती है, झूठ बोलती है कि सब भूल गई.

बनारस की 1-1 गली, महल्ला, दुकान, होटल सब तो देख रखा है. यहीं पैदा हुई हूं, पलीबढ़ी हूं, जीवन के 25 साल यहां बिता कर मुंबई पहुंची हूं. कैब से बाहर देखते हुए किसी मूवी की तरह यहां बीते पिछले साल नजरों के आगे किसी रील से भागे चले जा रहे हैं. 10 साल बाद बनारस आई हूं. मम्मीपापा रहे नहीं, अकेली संतान थी. उन के जाने के बाद क्या करने आती. उन का घर किराए पर एक अच्छे परिवार को दिया हुआ है. मेरे अकाउंट में टाइम से किराया आ जाता है. मैं ने अपनी जौब मुंबई जौइन की तो वहीं घर ले लिया. यह मुझे अब अपना शहर नहीं लग रहा है, यह उस का शहर है. मन हो रहा है कि यतिन को फोन करूं और उसे तंग करूं कि बताओ, तुम्हारे शहर में कौन आया है?

दुनिया में एक अकेली लड़की के लिए मातापिता के बिना जीना, खुद को संभालना, उस पर यह कम्बख्त इश्क. उफ… बहुत ही डैडली कौंबिनेशन है. वजूद की धज्जियां बिखर जाती हैं. पीछे बैठेबैठे भी पता रहता है कि कैब ड्राइवर बीचबीच में आप पर नजर डाल रहा है. मैं ने बड़ी होशियारी से अपनी आंखें साफ कीं. हम लड़कियां इस हुनर में कमाल हैं, हम न चाहें तो कोई भी हमारे दुख का अंदाजा नहीं लगा सकता. हर नारी में एक अभिनेत्री छिपी होती है. मैं अपने मन में आए इस विचार पर खुश हुई.

यतिन क्या कर रहा होगा? क्या शाम को शुभी की शादी में आएगा? आज शुभी की शादी है. सुनील की बहन शुभी जो हम सब से छोटी थी. सुनील के पेरैंट्स नहीं हैं. शुभी हम सब को अपने बच्चों जैसी प्रिय थी. सुनील के बुलावे पर सब दोस्त आज शुभी की शादी में आ रहे हैं. सब अपने परिवार के साथ होंगे, मैं ही अकेली आई हूं. मैं ने शादी नहीं की, अब तो 35 की हो रही हूं, कर नहीं पाई.

यतिन के बाद मन को कोई भाया ही नहीं. धोखेबाज यतिन, मतलबी यतिन, कायर यतिन. मैं ब्राह्मण, वह कायस्थ. पेरैंट्स ने घुड़की दी तो मेरे साथ किए इश्कमुहब्बत के सब वादे भूल गया. शादी कर के बच्चे पैदा कर के ऐश कर रहा है. कायर कहीं का. अड़ नहीं सकता था? डरपोक. मैं ने उसे हमेशा की तरह जीभर कर कोसा. फिर दिल से कहा अच्छा ही है, मुंबई में अकेली मस्त जी रही हूं पर दिल ने फिर तुरंत कहा कि चल ?ाठी.

पौन घंटे में मैं होटल पहुंच गई. काफी अच्छी सड़कें बन गई हैं. होटल पहुंच कर मैं ने सुनील को फोन किया. उस ने अपनेपन वाले गुस्से से कहा, ‘‘घर होते हुए होटल में रुकने की तेरी हिम्मत कैसे हुई कोमल? तू होटल से अभी निकल और सीधे घर आ.’’

‘‘सुनील, अब तो मैं थक गई हूं फ्रेश हो कर आराम करने भी लेट गई, शाम को मिलते हैं. थोड़ा सो लूं. असल में मैं कल भी औफिस से घर बहुत लेट आई थी. सौरी, शाम को आती हूं.’’

सुनील अब इतना ही बोला, ‘‘अच्छा, ठीक है, आराम कर ले. शाम को आ जाना विपिन और सुधा भी परिवार के साथ आए हैं. मैं ने तुम लोगों के रुकने का इंतजाम एकसाथ कर दिया था. सामने वाला फ्लैट खाली था, वहीं रुक रहे हैं खास दोस्त.’’

सुनील मेरा बहुत ही खास दोस्त रहा है. इतने सालों में मैं सब से ज्यादा उसी के संपर्क में हूं. वह अपनी पत्नी नीला और बेटे पार्थ के साथ मेरे पास मुंबई भी घूम गया है. न पूछूं तो भी यतिन के हालचाल दे ही देता है. उसे पता है मैं जीवन में कहां अटकी रह गई हूं.

फिर बोला, ‘‘ठीक है, अब आराम कर ले.’’

फोन रख कर मैं ने रूम का जायजा लिया, ठीक है, रूम का करना क्या है, कल वापस चली जाऊंगी. मैं ने कपड़े बदले, कोरोना टाइम ने आदत डाल दी है कि अब भी कहीं से आओ तो कपड़े बदल कर ही बैड पर लेटना है. मैं ने सुनील से झूठ बोला था कि मुझे सोना है. इस शहर में भला इश्क के मारों को नींद आ सकती है?

2 बज रहे थे. मैं ने अपना शोल्डर बैग उठाया, होटल से बाहर निकली और सीधे संजय नगर की तरफ चल पड़ी पैदल. मुंबई में इतने साल बिताने के बाद अब इतनी दूरी दूरी नहीं लगती. पैदल चलने की जगह मिले तो चलना अच्छा लगता है. पर दुनिया में इतनी भीड़ क्यों बढ़ती जा रही है. कौटन मिल एरिया में पहुंच कर मेरे कदम सुस्त हो गए, उदासी वाली सुस्ती थी. वह रहा पहली फ्लोर पर मेरा घर. सामने ही. अंदर नहीं जाऊंगी. मम्मीपापा याद आते हैं. दिल और उदास होगा. मैं थोड़ी देर आसपास देखती रही. सब नए चेहरे ही आतेजाते दिख रहे थे. चौराहे का गुलमोहर का पेड़ नहीं बदला था. मैं ने उस के पास जा कर उसे छुआ. एक दिन यतिन और मैं तेज बारिश में यहीं खड़े हुए थे. मैं ने फिर दूर की बिल्डिंग पर नजर डाली. हां, यहीं रहता है वह. इसी पेड़ के नीचे खड़े हो कर वह मेरे कालेज जाने का इंतजार करता था.

दिल अजीब सा घबराया, तो मैं तेज कदमों से वहां से निकल गई. पैदल चलतेचलते मैदागिन आई. काफी भीड़ थी. अक्तूबर का महीना था. मैं ने इधरउधर चलते हुए चारों तरफ नजर दौड़ाई. हां, यही है. राधा मिष्टान्न भंडार. हमारा हर तीसरे दिन खानेपीने का यही अड्डा था. अब तो बैठने की जगह साफसुथरी लग रही है. मैं चुपचाप एक चेयर पर बैठ गई. एक लड़का और्डर लेने आया कि क्या चाहिए, मैडम? मैं ने कहा कि 1 लस्सी.

1 कचौरी जलेबा. वह चला गया. मेरे अंदर जैसे आंसुओं का एक सैलाब सा उमड़ने को आया जिसे मैं ने रोक लिया. मैं कितनी अकेली हूं. यह मेरा शहर था. यतिन के कारण मेरा सबकुछ छूट गया. प्रेम कितना कष्ट, कितना अकेलापन दे देता है.

जल्द ही लड़का मेरा और्डर ले आया. कचौरी जलेबा यतिन की पसंद है. मैं लस्सी पीती थी. मु?ो भूख लगी थी. मैं धीरेधीरे खातीपीती रही. आसपास के लोगों की नजरों में वही शाश्वत भाव थे, अकेली लड़की. कैसे आराम से खा रही है. मुंबई की एक बात अच्छी है कि वहां लोग किसी भी अकेली लड़की को ऐसे बैठे देख कर हैरान नहीं होते. अब 3 बज रहे थे. मैं फिर चल पड़ी. गोदौलिया तक चलती रही, फिर काशी विश्वनाथ की गलियों में घूमती रही.

बनारस काफी बदल गया है, कुछ विकास तो दिख रहा है. सड़कें अच्छी बन गई हैं, शहर कुछ सुंदर तो लग रहा है. अपना भी लगता अगर मम्मीपापा होते या यतिन ही. यतिन, मैं तुम्हें माफ नहीं करूंगी. तुम ने मु?ो इस दुनिया में तनहा कर दिया है. मैं कैरियर में इतनी सफल. देशविदेश घूमती हूं पर तुम्हें भुला नहीं पाई और तुम यहां अपना संसार सजा कर बैठे हो. बेवफा इंसान.

मैं हर उस गली में घूमी जहां मैं यतिन के साथ घूमा करती थी. 6 बजे मैं दशाश्वमेध घाट जा कर नीचे जाने वाली सीढि़यों के एक कोने में बैठ गई. यतिन और मेरा कोना. मैं और यतिन कई बार यहां सुबह ही कालेज जाने से पहले आते थे, यहां बैठते थे. यतिन के मुंह से अख्तर शीरानी का यह शेर जरूर निकलता था:

‘‘हर एक को भाती है दिल से फिजा बनारस की,

वो घाट और वो ठंडी हवा बनारस की,

तमाम हिंद में मशहूर है यहां की सहर

कुछ इस कदर है सहर खुशनुमा बनारस की.’’

अपना बैग अपनी गोद में रख कर मैं ने दीवार से सिर लगाया और बस अब मेरा धैर्य चुक गया, हिम्मत टूट गई. मेरी आंखों से आंसू बह निकले, मेरी हिचकियां बंध गईं. इस समय मेरे औफिस का कोई भी कलीग मु?ो देखता तो यकीन न कर पाता कि यह मैं हूं.

औफिस में हरदम खिलखिलाती, कर्मठ, जोशीली, ऐक्टिव, एडवैंचरस लड़की घाट पर यों बैठ कर लुटीपिटी रो रही है. हां, अंदर से मैं ऐसी ही हूं, अकेली, दुखी, निराश. मन करता है पति हो, बच्चे हों, एक दुनिया हो पर यतिन का क्या करूं जो दूर रह कर भी मेरे साथ हरदम

रहता है. उस का प्रेम दिल में ऐसी धूनी रमा कर बैठा है कि हिलने को तैयार नहीं. कितना जिद्दी होता है प्रेम.

शादी में जाना है, टाइम हो रहा है, तैयार होना है, सोच कर मैं वहां से होटल आ गई.

दोस्तों के फोन पर फोन आने शुरू हो गए थे. मैं ने आ कर शौवर लिया. अब थकान थी, मन हुआ सब छोड़ कर थोड़ी देर सो जाऊं. शुभी की शादी न होती तो आती भी न. दिल भारी था पर तैयार होना ही था. यतिन की पसंद की गुलाबी रंग की प्लेन शिफौन साड़ी खरीद कर लाई थी. साथ में नाखुक सा डायमंड सैट पहना, खुद को शीशे में देखा तो अच्छा लगा, कुछ देर देखती रही, आंखें बंद कीं, कल्पना की जैसे यतिन ने पीछे से आ कर गरदन चूम ली हो. होंठों पर एक मुसकान आ गई तो आंखें खोलीं. कहीं कोई न था. हम सब दोस्त सोशल मीडिया पर भी एकदूसरे से जुड़े हैं,. बस मैं और यतिन नहीं जुड़े. सुना है वह सोशल मीडिया पर है ही नहीं. इसलिए मुझे नहीं पता कि अब वह कैसा दिखता होगा. मैं तैयार हो गई तो सुनील ने मेरे लिए अपनी कार भेज दी. थोड़ी दूर के एक होटल में ही शादी थी. दोस्तों को देख कर दिल भर आया. सब बहुत प्यार से मिले. सब बहुत अच्छे लग रहे थे. उम्र थोड़ा असर दिखा रही थी पर सभी अच्छे लग रहे थे. शुभी को तो मैं ने देर तक गले से लगाए रखा. हंसीमजाक का दौर शुरू हुआ तो माहौल खिल उठा. हम सब पासपास के सोफों पर बैठ गए. सुनील और नीला काफी व्यस्त थे.

मैं ने कहा, ‘‘तुम हम लोगों की चिंता मत करो. हम घर के ही लोग हैं, दूसरे मेहमानों को देखो.’’

दिल जिसे ढूंढ़ रहा था. उस का कहीं अतापता ही नहीं था. किसी से पूछा भी नहीं गया. दोस्त तो दोस्त हैं, समझ गए.

मीना ने पूछा, ‘‘किसी का इंतजार कर रही हो क्या?’’

मैं हंस पड़ी पर चुप रही. उस ने मुझे एक तरफ देखने का इशारा किया. देखा, यतिन मेरी पसंद की ब्लैक शर्ट, क्रीम ट्राउजर में चला आ रहा था. उस के साथ उस की पत्नी थी जिस ने साथ चल रहे बेटे का हाथ पकड़ रखा था. यतिन की गोद में एक छोटी गोलमटोल प्यारी सी बच्ची थी. परफैक्ट फैमिली पिक्चर चली आ रही थी. यतिन मेरे सामने आ कर खड़ा हो गया. उस की गहरी आंखों में बेचैनी का एक समुंदर जैसे उमड़ा चला आ रहा था.

कहने लगा, ‘‘कैसी हो, कोमल? इन से मिलो, यह मीता, बेटा यश और बेटी समृद्धि.’’

मैं बुरी तरह चौंकी. मैं उस से हंसहंस कर कहा करती थी कि जब हमारी शादी हो जाएगी. हम अपने बच्चों का नाम यश और समृद्धि रखेंगें. भरापूरा घर लगा करेगा.

मीता ने मुसकराते हुए हायहेलो किया. मीता भी मुझे अच्छी लगी. फिर वह सब से मिला. वह सब से हंसबोल रहा था पर उस की नजरें मुझ पर टिकी थीं. मीता को भी यहां कई लोग जानते थे. मैं उस के बच्चों के नाम पर अटक गई थी. मैं ने उस की पसंद का, उस ने मेरी पसंद का रंग पहना था. वह कोशिश कर रहा था कि उस की बेटी उस की गोद से थोड़ी देर उतर जाए. मीता भी कोशिश कर रही थी कि उसे गोद में ले ले. फिर सब इस बात पर हंसने लगे.

यतिन बताने लगा, ‘‘यह मुझे छोड़ती ही नहीं है. जितनी देर घर पर रहता हूं मुझसे पूरी ड्यूटी करवाती है.’’

यतिन जितनी भी बातें कर रहा था, मुझे लग रहा था कि वह मुझे बताना चाहता है, मुझसे अपनी बातें करना चाहता है पर सीधे कर नहीं पा रहा है. फिर वह बच्ची को वहां घूम रहे वेटर्स से एक गिलास जूस ले कर पिलाने लगा. यश और बच्चों के साथ मस्त हो गया. मीता मुझसे 3 सोफे दूर ही बैठी हुई थी. स्नैक्स चलते रहे. अचानक यतिन उठ कर खानेपीने के स्टाल्स का एक चक्कर लगा कर आया और मु?ा से आ कर कहने लगा, ‘‘टमाटर चाट भी है, जाओ, खा लो.’’

मेरा दिल जैसे थमने को हुआ. उफ, यह आज भी नहीं भूला कि टमाटर चाट मुझे इतनी पसंद थी कि मैं रोज खा सकती थी. मैं ने उस की आंखों में देखा, जबां चुप भी रहे तो भी आंखें कितनी बातें कर सकती हैं, यह मैं ने इस पल जाना. और जो उस की नजरों ने कहा, मेरा बेचैन  दिल शांत होता चला गया. हां, वह भी मुझे भूल नहीं पाया था. उसे भी मैं याद आती हूं, मेरी 1-1 बात उसे आज भी याद है.

फिर बोला, ‘‘कल शाम को कितने बजे की फ्लाइट है?’’ मैंने कुछ नहीं कहा. थोड़ी हैरान थी कि उसे पता है कि मैं कल ही जा रही हूं. मेरी खबर रखता है.

‘‘आज दिनभर क्या किया?’’

‘‘सब पुरानी जगहों पर अकेले घूमी?’’

‘‘मुझे भी बुला लिया होता.’’

‘‘आदत है मुझे.’’

‘‘इसी बात का तो दुख है.’’

आज मैं उसे नए रूप में देख रही थी, अपनी पत्नी और बच्चों का ध्यान रखते हुए एक पुरुष के रूप में. अपनी प्रेमिका से बरसों बाद मिलने पर एक बेचैन से प्रेमी के रूप में. शादी के प्रोग्राम चलते रहे थे. पर हम दोनों लगातार एकदूसरे को जीभर कर देख रहे थे. चलते हुए मीता ने कहा, ‘‘आप अभी हैं तो घर हो कर जाना.’’

‘‘नहीं, मैं तो कल ही जा रही हूं,’’ कह मैं यतिन को परिवार के साथ जाते देख रही थी.

अचानक वह पत्नी को वहीं छोड़ कर जल्दीजल्दी चल कर वापस आया, पूछा, ‘‘अब कब आओगी?’’

मेरा मन हुआ मैं उस से लिपट कर रो पड़ूं सब भूल जाऊं. मगर मैं ने बस ‘न’ में गरदन हिला दी. वह सुस्त कदमों से लौट गया. कैसे कहूं यतिन तुम्हारे शहर में आना इतना आसान नहीं है. कदमकदम पर यादें बिखरी हैं जिन्हें समेटने में मेरा दिल लहूलुहान हुआ चला जा रहा है. इस बार मेरे दिल ने मुझे ‘चल झूठी’ नहीं कहा.

लियो: क्या जोया से दूर हुआ यश

राधा यश पर खूब बरसीं, धर्म, जाति, समाज की बड़ीबड़ी बातें कीं लेकिन जब यश भी उखड़ गया, तो रोने लगीं. ये कैसी मां हैं, क्या इन्हें अपने इकलौते व योग्य बेटे की खुशी पसंद नहीं? इंसानों ने अपनी खुशियों के बीच इतनी दीवारें क्यों खड़ी कर ली हैं? अपनों की खुशी इन दीवारों के आगे माने नहीं रखती क्या? राधा जोया को इतने अपशब्द क्यों कह रही हैं? आखिर, ऐसा क्या किया है उस ने?

अहा, जोया आ रही है. उस के परफ्यूम की खुशबू को मैं पहचानता हूं और वह मेरे लिए मटन ला रही है, मुझे यह भी पता चल गया है. अब आई, अब आई और यह बजी डोरबैल. यश लैपटौप पर कुछ काम कर रहा था, जिस फुरती से उस ने दरवाजा खोला, हंसी आई मुझे. प्यार करता है जोया से वह और जोया भी तो जान देती है उस पर. दोनों साथ में कितने अच्छे लगते हैं जैसे एकदूसरे के लिए ही बने हैं.

जैसे ही यश ने दरवाजा खोला, जोया अंदर आई. आते ही यश ने उस के गाल पर किस कर दिया. वह शरमा गई. मैं ने लपक कर अपनी पूंछ जोरजोर से हिला कर अपनी तरह से जोया का स्वागत किया. वह मेरे सिर पर हाथ फेरते हुए नीचे ही बैठ गई. पूछा, ‘‘कैसे हो, लिओ? देखो, तुम्हारे लिए क्या लाई हूं.’’

मैं ने और तेजी से अपनी पूंछ हिलाई. फिर जोया ने आंगन की तरफ मेरे बरतनों के पास जाते हुए कहा, ‘‘आओ, लिओ.’’ मैं मटन पर टूट पड़ा, कितना अच्छा बनाती है जोया. उस के हाथ में कितना स्वाद है. राधारानी तो अपने मन का कुछ भी बनाखा कर अपनी खाली सहेलियों के साथ सत्संग, भजनों में मस्त रहती हैं. यश बेचारा सीधा है, मां जो भी बना देती है, चुपचाप खा लेता है. कभी कोई शिकायत नहीं करता. अच्छे बड़े पद पर काम करता है, पर घमंड नाम का भी नहीं. और जोया भी कितनी सलीकेदार, पढ़ीलिखी नरम दिल लड़की है. मैं तो इंतजार कर रहा हूं कि कब वह यश की पत्नी बन कर इस घर में आए.

यश के पापा शेखर भी बहुत अच्छे स्वभाव के हैं. घर में क्लेश न हो, यह सोच कर ज्यादातर चुप रहते हैं. राधा की जिदों पर उन्हें गुस्सा तो खूब आता है पर शांत रह जाते हैं. शायद इसी कारण से राधारानी जिद्दी और गुस्सैल होती चली गई हैं. यश का स्वभाव बिलकुल अपने पापा पर ही तो है. घर में मुझे प्यार तो सब करते हैं, राधारानी भी, पर मुझे उन का अपनी जाति पर घमंड करना अच्छा नहीं लगता. उन की बातें सुनता हूं तो बुरा लगता है. बोल नहीं पाता तो क्या हुआ, सुनतासमझता तो सब हूं.

मैं यश और जोया को बताना चाहता हूं कि राधारानी यश के लिए लड़कियां देख रही हैं, यह अभी यश को पता ही नहीं है. वह तो सुबह निकल कर रात तक ही आता है. वह घर आने से पहले जब भी जोया से मिल कर आता है, मैं समझ जाता हूं क्योंकि यश के पास से जोया के परफ्यूम की खुशबू आ जाती है मुझे. एक दिन जोया यश को बता रही थी कि उस का भाई समीर फ्रांस से यह परफ्यूम ‘जा दोर’ लाया था. जब घर में शेखर और राधा नहीं होते, यश जोया को घर में ही बुला लेता है. मैं खुश हो जाता हूं कि अब जोया आएगी, यश की फोन पर बात सुन लेता हूं न. जोया मुझे बहुत प्यार करती है, इसलिए हमेशा मेरे लिए कुछ जरूर लाती है.

यश जोया को अपने बैडरूम में ले गया तो मैं चुपचाप आंगन में आ कर बैठ गया. इतनी समझ है मुझ में. दोनों को बड़ी मुश्किल से यह तनहाई मिलती है. शेखर और राधा को, बस, इतना ही पता है कि दोनों अच्छे दोस्त हैं. दोनों एकदूसरे को बेइंतहा प्यार करते हैं, इस की भनक भी नहीं है उन्हें. मैं जानता हूं, जिस दिन राधारानी को इस बात का अंदाजा भी हो गया, जोया का इस घर में आना बंद हो जाएगा. एक विजातीय लड़की से बेटे की बाहर की दोस्ती तो ठीक है पर इस के आगे राधारानी कुछ सह न पाएंगी. धर्मजाति से बढ़ कर उन के जीवन में कुछ भी नहीं है, पति और बेटे की खुशी भी नहीं.

थोड़ी देर बाद जोया ने अपने और यश के लिए कौफी बनाई. फिर दोनों ड्राइंगरूम में ही बैठ कर बातें करने लगे. अब मैं उन दोनों के पास ही बैठा था.  कौफी पीतेपीते अपने पास बिठा कर मेरे  सिर पर हाथ फेरते रहने की यश की आदत है. मैं भी खुद ही कौफी का कप देख कर उस के पास आ कर बैठ जाता हूं. मुझे भी यही अच्छा लगता है. उस के स्पर्श में इतना स्नेह है कि मेरी आंखें बंद होने लगती हैं, ऊंघने भी लगता हूं. पर अचानक जोया के स्वर में उदासी महसूस हुई तो मेरे कान खड़े हुए.

जोया कह रही थी, ‘‘यश, अगर मैं ने अपने मम्मीपापा को मना भी लिया तो तुम्हारी मम्मी तो कभी राजी नहीं होंगी, सोचो न यश, कैसे होगा?’’

‘‘तुम चिंता मत करो जो, अभी टाइम है, सब ठीक हो जाएगा.’’

जो, यश भी न. जोया के पहले से ही छोटे नाम को उस ने ‘जो’ में बदल दिया है, हंसी आती है मुझे. खैर, मैं यश को कैसे बताऊं कि अब टाइम नहीं है, राधारानी लड़कियां देख रही हैं. मैं ने अपने मुंह से कूंकूं तो किया पर समझाऊं कैसे. मुझे जोया के उतरे चेहरे को देख कर तरस आया तो मैं जोया की गोद में मुंह रख कर बैठ गया.

जोया की आंखें भर आई थीं, बोली, ‘‘यश, मैं तुम्हारे बिना जीने की कल्पना नहीं कर सकती.’’

‘‘ठीक है जो, मैं मम्मी से जल्दी ही बात करूंगा. तुम दुखी मत हो.’’

फिर यश अपने हंसीमजाक से जोया को हंसाने लगा. दोनों हंसते हुए कितने प्यारे लगते हैं. जोया की लंबी सी चोटी पकड़ कर यश ने उसे अपने पास खींच लिया था. वह हंस दी. मैं भी हंस रहा था. फिर जोया ने अपने फोन से हम तीनों की एक सैल्फी ली. वाह, ‘हैप्पी फैमिली’ जैसा फील हुआ मुझे. फिर जोया टाइम देखती हुई उठ खड़ी हुई, ‘‘अब आंटीअंकल के आने का टाइम हो रहा है, मैं चलती हूं.’’

‘‘हां, ठीक है,’’ कहते हुए यश ने खड़े हो कर उसे बांहों में भर लिया, फिर उस के होंठों पर किस कर दिया. मैं जानबूझ कर इधरउधर देखने लगा था.

जोया के जाने के 20 मिनट बाद शेखर और राधा आ गए. मैं ने सोचा, अच्छा हुआ, जोया टाइम से चली गई. जोया के परफ्यूम की जो खुशबू पूरे घर में आती रहती है, उसे शेखर और राधा महसूस नहीं करते. घंटों तक रहती है यह खुशबू घर में. कितनी अच्छी खुशबू है यह. पर आज शायद घर में मटन और परफ्यूम की अलग ही खुशबू राधारानी को महसूस हो ही गई, पूछा, ‘‘यश, कैसी महक है?’’

‘‘क्या हुआ, मम्मी?’’

‘‘कोई आया था क्या?’’

‘‘हां मम्मी, मेरे कुछ फ्रैंड्स आए थे.’’

शक्की तो हैं ही राधारानी, ‘‘अच्छा? कौनकौन?’’

‘‘अमित, महेश, अंजलि और जोया. जोया ही लिओ के लिए मटन ले आई थी.’’

शेखर ने जोया के नाम पर जिस तरह यश को देखा, मजा आ गया मुझे. बापबेटे की नजरें मिलीं तो यश मुसकरा दिया, वाह. बापबेटे की आंखोंआंखों में जो बातें हुईं, उन से मुझे मजा आया. दोनों का बढि़या दोस्ताना रिश्ता है. शेखर गरदन हिला कर मुसकराए, यश मुंह छिपा कर हंसने लगा. अचानक राधा ने कहा, ‘‘यश, अगले वीकैंड का कुछ प्रोग्राम मत रखना. फ्री रहना.’’

‘‘क्यों, मम्मी?’’

‘‘मैं ने तुम्हारे लिए एक लड़की पसंद की है, ज्योति, उसे देखने चलेंगे.’’

‘‘नहीं मम्मी, मुझे नहीं देखना है किसी को.’’

‘‘क्यों?’’ राधारानी के माथे पर त्योरियां उभर आईं.

‘‘बस, नहीं जाना मुझे.’’

‘‘कारण बताओ.’’

यश ने पिता को देखा, शेखर ने सस्नेह पूछा, ‘‘तुम्हारी कोईर् पसंद है?’’

यश साफ बात करने वाला सच्चा इंसान है. उसे लागलपेट नहीं आती, बोला, ‘‘मम्मी, मुझे जोया पसंद है, मैं उसी से मैरिज करूंगा.’’

जोया के नाम पर जो तूफान आया, पूरा घर हिल गया. राधा यश पर खूब बरसीं, धर्म, जाति, समाज की बड़ीबड़ी बातें कीं. जब यश भी उखड़ गया, तो रोने पर आ गईं. वैसा ही दृश्य हो गया जैसा फिल्मों में होता है. यश जब घर में कोई मूवी देखता है, मैं भी देखता हूं उस के साथ बैठ कर, ऐसा दृश्य तो खूब घिसापिटा है पर अब तो मेरे यश से इस का संबंध था तो मैं बहुत दुखी हो रहा था. मुझे बारबार जोया की आज की ही आंसुओं से भरी आंखें याद आ रही थीं.

मैं चुपचाप शेखर के पास बैठ कर सारा तमाशा देख रहा था और सोच रहा था, ये कैसी मां हैं, क्या इन्हें अपने इकलौते व योग्य बेटे की खुशी अजीज नहीं?

इंसानों ने अपनी खुशियों के बीच इतनी दीवारें क्यों खड़ी कर ली हैं? अपनों की खुशी इन दीवारों के आगे माने नहीं रखती? राधा जोया को इतने अपशब्द क्यों कह रही हैं? ऐसा क्या किया उस ने?

यश अपने बैडरूम की तरफ बढ़ गया तो मैं झट उठ कर उस के पीछे चल दिया. वह बैड पर औंधेमुंह पड़ गया. मैं ने उस के पैर चाटे. अपना मुंह उस के पैरों पर रख कर उसे तसल्ली दी. वह मुझे अपनी गोद में उठा कर वापस अपने पास लिटा कर एक हाथ अपनी आंखों पर रख कर सिसक उठा तो मुझे भी रोना आ गया. यश को तो मैं ने आज तक रोते देखा ही नहीं था. ये कैसी मां हैं? इतने में शेखर यश के पास आ कर बैठ गए.

यश के सिर पर हाथ फेरते हुए बोले,  ‘‘बेटा, तुम्हारी मां जोया को किसी सूरत में स्वीकार नहीं करेंगी.’’

‘‘और मैं उस के सिवा किसी और से विवाह नहीं करूंगा, पापा.’’

घर का माहौल अजीब हो गया था. अगले कई दिन घर का माहौल बेहद तनावपूर्ण रहा. राधा और यश दोनों अपनी बात पर अड़े थे. शेखर कभी राधा को समझा रहे थे, कभी यश को. यश कभी घर में खाता, कभी बाहर से खा कर आता और चुपचाप अपने कमरे में बंद हो जाता. वह जोया से तो बाहर मिलता ही था, मुझे तो जोया के परफ्यूम की खुशबू अकसर यश के पास से आ ही जाती थी.

मैं ने जोया को बहुत दिनों से नहीं देखा था. मुझे जोया की याद आती थी. यश का उदास चेहरा देख कर भी राधा का हठ कम नहीं हो रहा था और मेरा यश तो मुझे आजकल बिलकुल रूठारूठा फिल्मी हीरो लगता था.

एक दिन राधा यश के पास आईं, टेबल पर एक लिफाफा रखती हुई बोलीं, ‘‘यह रही ज्योति की फोटो. एक बार देख लो, खूब धनी व समृद्ध परिवार है.  ज्योति परिवार की इकलौती वारिस है. तुम्हारा जीवन बन जाएगा और एक बात कान खोल कर सुन लो, यह इश्क का भूत जल्दी उतार लो, वरना मैं अन्नजल त्याग दूंगी.’’

मैं ने मन ही मन कहा, झूठी. आप तो भूखी रह ही नहीं सकतीं. व्रत में भी आप का मुंह पूरा दिन चलता है. मेरे यश को झूठी धमकियां दे रही हैं राधारानी. झूठी बातें कर के यश को परेशान कर रही हैं, बेचारा फंस न जाए. अन्नजल त्यागने की धमकी से सचमुच यश का मुंह उतर गया.

अब मैं कैसे बताऊं कि यश, इस धमकी से डरना मत, तुम्हारी मां कभी भूखी नहीं रह सकतीं. जोया को न छोड़ना, तुम दोनों साथ बहुत खुश रहोगे. पिछली बार जो मेरे फेवरेट पौपकौर्न तुम मेरे लिए लाए थे, आधे तो राधारानी ने ही खा लिए थे. 4 अपने मुंह में डाल रही थीं तो एक मेरे लिए जमीन पर रख रही थीं. एक बार भी नहीं सोचा कि मेरे फेवरेट पौपकौर्न हैं और तुम मेरे लिए लाए थे. तुम ने जोया के साथ मूवी देखते हुए खरीदे थे और आ कर झूठ बोला था कि एक दोस्त के साथ मूवी देख कर आए हो. हां, ठीक है, ऐसी मां से झूठ बोलना ही पड़ जाता है. गपड़गपड़ सारे पौपकौर्न खा गई थीं राधारानी. ये कभी भूखी नहीं रहतीं, तुम डरना मत, यश.

फोटो पटक कर राधा शेखर के साथ कहीं बाहर चली गई थीं. यश सिर पकड़ कर बैठ गया था. मैं तुरंत उस के पैरों के पास जा कर बैठ गया. इतने दिनों से घर में तूफान आया हुआ था. यश के साथ मैं भी थक चुका था. मैं ने उसे कभी अपने मातापिता से ऊंची आवाज में बात करते हुए भी नहीं सुना था. उसे अपनी पसंद की जीवनसंगिनी की इच्छा का अधिकार क्यों नहीं है? इंसानों में यह भेदभाव करता कौन है और क्यों? क्यों एक इंसान दूसरे इंसान से इतनी नफरत करता है? मेरा मन हुआ, काश, मैं बोल सकता तो यश से कहता, ‘दोस्त, यह तुम्हारा जीवन है, बेकार की बहस छोड़ कर अपनी पसंद का विवाह तुम्हारा अधिकार है. राधारानी ज्यादा दिनों तक बेटे से नाराज थोड़े ही रहेंगी. तुम ले आओ जोया को अपनी दुलहन बना कर. जोया को जाननेसमझने के बाद वे तुम्हारी पसंद की प्रशंसा ही करेंगी.’ यश मुझे प्यार करने लगा तो मैं  भी उस से चिपट गया.

मैं बेचैन सा हुआ तो यश ने कहा, ‘‘लिओ, क्या करूं? प्लीज हैल्प मी. बताओ, दोस्त. मां की पसंद देखनी है? मुझे भी पता है तुम्हें भी जोया पसंद है, है न?’’

मैं ने खूब जोरजोर से अपनी पूंछ हिला कर ‘हां’ में जवाब दिया. वह भी समझ गया. हम दोनों तो पक्के दोस्त हैं न. एकदूसरे की सारी बातें समझते हैं, फिर उसे पता नहीं क्या सूझा, बोला, ‘‘आओ, तुम्हें मां की पसंद दिखाता हूं.’’

यश ने मेरे आगे उस लड़की की फोटो की. मुझे धक्का लगा, मेरे हीरो जैसे हैंडसम दोस्त के लिए यह भीमकाय लड़की. पैसे व जाति के लिए राधारानी इसे बहू बना लेंगी. छिछि, लालची हैं ये. यश को भी झटका लगा था. वह चुपचाप अपनी हथेलियों में सिर रख कर बैठ गया. उस की आंखों की कोरों से नमी सी बह गई. मैं ने उस के घुटनों पर अपना सिर रख कर उसे प्यार किया. मुंह से कुछ आवाज भी निकाली. वह थके से स्वर में बोला.

‘‘लिओ, देखा? मां कितनी गलत जिद कर रही हैं. बताओ दोस्त, क्या करना चाहिए अब?’’

मेरा दोस्त, मेरा यार मुझ से पूछ रहा था तो मुझे बताना ही था. राधारानी को पता नहीं आजकल के घर के दमघोंटू माहौल में चैन आ रहा था, यह तो वही जानें. यश की उदासी मुझे जरा भी सहन नहीं हो रही थी. मेरा दोस्त अब मुझ से पूछ रहा था तो मुझे तो अपनी राय देनी ही थी. क्या करूं, क्या करूं, ऐसे समय न बोल पाना बहुत अखरता है. मैं ने झट न आव देखा न ताव, उस फोटो को मुंह में डाला और चबा कर जमीन पर रख दिया. यश को तो यह दृश्य देख हंसी का दौरा पड़ गया. मैं भी हंस दिया, खूब पूंछ हिलाई. दोनों पैरों पर खड़ा भी हो गया. यश तो हंसतेहंसते जमीन पर लेट गया था. मैं भी उस से चिपट गया. हम दोनों जमीन पर लेटेलेटे खूब मस्ती करने लगे थे.

अब यश की हंसी नहीं रूक रही थी. मैं भांप गया था, अब यश जोया से दूर नहीं होगा. वह फैसला ले चुका था और मैं इस फैसले से बहुत खुश था. मुझ पर अपना हाथ रखते हुए यश कह रहा था, ‘‘ओह लिओ, आई लव यू.’’

‘मी टू,’ मैं ने भी उस का हाथ चाट कर जवाब सा दिया था.

क्यों न महिलाएं किचन से हटकर साइंस की जानकारी लें…

साइंस हमारी जिंदगी का एक अभिन्न हिस्सा है, और इसके बिना हम अपनी दैनिक जीवनशैली की कल्पना भी नहीं कर सकते. हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में साइंस का प्रभाव हर कोने में दिखाई देता है, चाहे वह तकनीक हो, स्वास्थ्य हो, खाना पकाना हो या परिवहन. हमारे दिन की शुरुआत ही विज्ञान के चमत्कार से होती है. अलार्म घड़ी, मोबाइल फोन, या स्मार्टवाच – ये सभी तकनीक के आविष्कार हैं. सुबह के चाय-कौफी से लेकर किचन के उपकरणों तक, सबमें विज्ञान छिपा हुआ है. खाना बनाने में तापमान, दवाब और केमिकल रिएक्शन का योगदान होता है, जो विज्ञान की ही देन है. बिजली, पानी की सप्लाई, इंटरनेट, और परिवहन – ये सब हमारे जीवन को सरल बनाने वाले विज्ञान के चमत्कार हैं.

फिजिक्स, कैमेस्ट्री, बायोलौजी, कंप्यूटर साइंस और गणित, विद्यार्थी जीवन में ये विषय ऐसे लगते हैं मानों इनको चुनने के बाद आपको प्रसिद्ध इंजीनियर, डौक्टर जैसे करियर पथ को चुनना होगा, लेकिन हम ये भूल जाते हैं कि हमारा आम रोजमर्रा का जीवन इन विषयों पर ही आधारित है. किस सब्जी में कौन से मसालों की कैमेस्ट्री से जान आएगी, या शर्ट पर लगे दाग को कैसे साफ करेंगे, दूध, सब्जी, ब्याज का हिसाब, जैसे काम तो औरतें करती आई हैं. लेकिन अब वक्त है अपनी क्षमताओं का विस्तार करने का. साइंस को सिर्फ इसलिए मत चुनिए कि आपको अंतरिक्ष में कदम जमाने हैं, इसलिए भी चुनिए कि आपको अपने जीवन में छोटीछोटी जरूरतों के लिए दूसरों पर निर्भर न रहना पड़े. बिजली का फ्यूज़ खराब हुआ है तो उसको बदलने के लिए आप घंटों मैकेनिक या अपने पति के दफ्तर से घर से पहुंचने का इंतजार क्यों करना है, फिर जब वो मैकेनिक कहे कि ये तो छोटा सा शोर्ट सर्किट है 5 मिनट में रिपेयर हो जाएगा, तो क्यों न औरतें किचन से हटकर ये जानकारी भी हासिल करें.

महिलाओं के लिए विज्ञान क्यों है महत्वपूर्ण?

पुराने समय से ही साइंस और औरत का मेल कम ही देखने को मिलता है. जब कभी ये मेल हुआ है तो दृश्य पूरी दुनिया को हैरान करने वाले रहे हैं. कितनी ही ऐसी महिला साइंटिस्ट रही हैं, जो भले आज दुनिया में नहीं हों लेकिन उनका लेख आज भी ज्ञान के जिज्ञासुओं की प्यास बुझा रहे हैं. आप ई.के. जानकी अम्माल की बात करें जो पद्मश्री अवोर्ड पा चुकी हैं, ये बोटनिस्ट और प्लांट की कोशिकीय विज्ञान पर काम करती थी. भारत की पहली महिला वैज्ञानिक ‘असीमा चटर्जी’ किसी भारतीय विश्वविद्यालय द्वारा डौक्टर औफ साइंस की उपाधि पाने वाली पहली महिला थीं. विज्ञान से जुड़ी मेरी क्यूरी, रोजलिंड फ्रैंकलिन, कल्पना चावला जैसे नाम आज भी प्रेरणा देते हैं. इंडियन अकेडमी औफ साइंस के वेबसाइट पर जाकर देखेंगे तो जाने ऐसी कितनी ही महिलाओं के उल्लेख आपके सामने होगें, जो साड़ी पहन, माथे पर बिंदी लगाए देश और दुनिया में अपने ज्ञान के बलबूते जानी जाती हैं. इतिहास गवाह है कि महिलाएं विज्ञान में बेहतरीन योगदान दे चुकी हैं. लेकिन समाज में आज भी महिलाओं की भागीदारी विज्ञान के क्षेत्र में सीमित दिखाई देती है. यह स्थिति बदलने की जरूरत है.

विज्ञान समझने से आत्मनिर्भरता: महिलाओं के लिए विज्ञान सीखना न सिर्फ करियर बनाने का एक साधन हो सकता है, बल्कि यह उन्हें आत्मनिर्भर बनने में भी मदद करता है. जब महिलाएं विज्ञान को सीखती हैं, तो वे अपने आस-पास की चीजों को गहराई से समझने लगती हैं. चाहे वह स्वास्थ्य से जुड़े फैसले हों, परिवार की आर्थिक स्थिति का प्रबंधन हो या पर्यावरण की रक्षा हो, विज्ञान की जानकारी महिलाओं को बेहतर निर्णय लेने में सक्षम बनाती है.

महिलाओं के लिए विज्ञान को जीवन का आधार बनाना और इसे अपने दैनिक जीवन का हिस्सा बनाना बहुत महत्वपूर्ण है. विज्ञान सिर्फ एक विषय नहीं, बल्कि एक दृष्टिकोण है जो हमें तार्किक और प्रमाण आधारित सोच सिखाता है. यह जीवन में सही निर्णय लेने, समस्याओं का समाधान खोजने और समाज में व्याप्त भ्रांतियों से बचने में मदद करता है.

1. साइंस बेस्ड सोच

विज्ञान की पढ़ाई करने से महिलाएं किसी भी समस्या को तार्किक दृष्टिकोण से देख सकती हैं. चाहे वह स्वास्थ्य संबंधी मुद्दा हो या वित्तीय निर्णय, विज्ञान आधारित दृष्टिकोण से सही और प्रभावी निर्णय लेने में मदद मिलती है.

2. फैक्टचेकिंग की आदत

आजकल गलत जानकारी और अफवाहें बहुत तेजी से फैलती हैं. ऐसे में विज्ञान का अध्ययन महिलाओं को फैक्टचेकिंग की आदत डालने में मदद करेगा. सोशल मीडिया या अन्य माध्यमों पर फैली कोई भी जानकारी को बिना जांचे-परखे मानना खतरनाक हो सकता है. इसलिए, जानकारी को प्रमाणित स्रोतों से जांचना जरूरी है.

3. स्वास्थ्य और पोषण

विज्ञान के आधार पर महिलाएं अपने और अपने परिवार के स्वास्थ्य और पोषण का ध्यान बेहतर तरीके से रख सकती हैं. यह उन्हें सही खानपान, व्यायाम और स्वास्थ्य संबंधी निर्णय लेने में मदद करता है.

4. बच्चों की शिक्षा

महिलाएं विज्ञान के जरिए अपने बच्चों को भी तार्किक और आलोचनात्मक सोच सिखा सकती हैं. जिससे वे सोचने और समझने की क्षमता बेहतर विकसित करते हैं.

5. सामाजिक रूढ़ियों से मुक्ति

विज्ञान की जानकारी महिलाओं को उन सामाजिक रूढ़ियों और अंधविश्वासों से मुक्त करती है जो सदियों से हमारे समाज में व्याप्त हैं. यह उन्हें आत्मनिर्भर बनने और अपने जीवन के बारे में स्वतंत्र रूप से निर्णय लेने में सक्षम बनाता है.

6. डेली लाइफ में साइंस का उपयोग

विज्ञान को सिर्फ कक्षा तक सीमित नहीं है. रोजमर्रा के जीवन में साइंस ही है, जैसे किचन में खाना बनाते समय, बिजली और पानी का सही इस्तेमाल करते समय, या सफाई के वैज्ञानिक तरीकों को अपनाते समय. विज्ञान महिलाओं को उनके जीवन में अधिक स्वतंत्रता, जागरूकता और जिम्मेदारी प्रदान कर सकता है.

महिलाओं को विज्ञान की ओर कैसे प्रोत्साहित करें?

महिलाओं को विज्ञान की ओर प्रोत्साहित करने के लिए परिवार, समाज और शिक्षा व्यवस्था को एकजुट होकर काम करना होगा. सबसे पहले, मातापिता को अपनी बेटियों को विज्ञान के प्रति जागरूक बनाना चाहिए और उन्हें विज्ञान के क्षेत्र में करियर बनाने के लिए प्रेरित करना चाहिए. स्कूलों और कौलेजों में विज्ञान की शिक्षा को दिलचस्प और प्रेरक बनाना जरूरी है, ताकि लड़कियां इस क्षेत्र में रुचि लें. इसके साथ ही, सरकार और संगठनों को महिलाओं के लिए विशेष विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन करना चाहिए. विज्ञान और तकनीकी क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए जागरूकता अभियानों की जरूरत है.

आजकल घर में रहकर घर को संभाल रही औरत को हाउसवाइफ नहीं होममेकर कहकर बुलाया जाता है. लोगों में ये समझ बढ़ रही है कि औरत सिर्फ किचन में खाना बनाने वाली नहीं बल्कि उससे कहीं ज्यादा उसकी जिम्मेदारियां है. उसे बच्चों और अपने परिवार के साथ अपनी भी सेहत का ख्याल रखना है. किसी खाने में टेस्ट के साथ बच्चे और बड़ों की आयरन, कैल्शियम, प्रोटीन की जरुरतें पूरी होगी ये भी औरत के ही जिम्मे है. चार दिवारी के मकान को घर बनाकर सजाकर, संवारकर रखना और सबके लिए सेफ प्लेस बनाने में औरत की भूमिका अहम है. लेकिन आप सोचिए ऐसे में अगर आप साइंस की बेसिक सी जानकारियों से महरुम रह जाएंगी तो कैसे ये सब हो पाएगा?. कैसे खाने के पोषक तत्वों, या दाग हटाने के फोर्मूले, लाइट बल्ब बदलना हो, या किसी बिजली के किसी जले हुए स्विच को बदलना हो, क्या इन सब के लिए आपको साइंस की जरुरत नहीं है.

हमारी डेली लाइफ में साइंस है, दूध से दही बनाने में और फिर उससे मक्खन, घी, चीज़, पनीर, छाछ बनाने में साइंस है. कूलर में हवा को ठंडी करने के लिए उसमें मिट्टी के मटके टुकड़े डालकर रखना साइंस है. रोजमर्रा के जीवन के ऐसे अनेकों आयाम हैं जहां हम जानेअनजाने साइंस का इस्तेमाल कर रहे हैं. तो क्यों न अब इस विचारधारा से भी निकलें की साइंस सिर्फ पढ़ाकू या चांद पर पहुंचने वाले लोगों के लिए जरुरी है. साइंस आम जीवन की जरुरत है. इसलिए खास कर औरतों के लिए जरूरी है कि वो पढ़ाई में बाकी विषयों के साथ साइंस को भी पूरी तवज्जो दे. साइंस हमारी रोजमर्रा की जिंदगी का एक अनिवार्य हिस्सा है, और महिलाओं को इसे सीखने में ज्यादा से ज्यादा ध्यान देना चाहिए. विज्ञान न केवल महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाता है बल्कि समाज और देश की उन्नति में भी उनका योगदान सुनिश्चित करता है. महिलाओं के लिए विज्ञान के क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं, और उन्हें इसे अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए.

Laughter Chefs के सेट पर हुआ हादसा, रीम शेख के बाद राहुल वैद्य तक पहुंची आग की लपटें

टीवी शो लाफ्टर शेफ्स (Laughter Chefs) अनलिमिटेड एंटरटेनमेंट के सेट पर एक के बाद एक हादसों ने छोटे पर्दे के कलाकारों के मन में डर भर दिया है. कुछ दिनों पहले सेट पर रीम शेख के साथ हादसा हुआ था. जिसमें उनका फेस जल गया था और अब सिंगर राहुल वैद्य के साथ भी ऐसा इंसीडेंट हो गया. हालांकि राहुल वैद्य का फेस जलने से बचा गया है, लेकिन इस एक्सीडैंट ने और कंटेस्टैंट्स को बहुत डरा दिया.

आपको बता दें टीवी शो ‘लाफ्टर शेफ अनलिमिटेड एंटरटैनमेंट’ लोगों को काफी एंटरटेन करता है. इस शो में टीवी के फेमस स्टार्स को एक साथ कुकिंग करते आप देख सकते हैं. इसमें स्टार्स को कुकिंग करते देख उनके फैंस काफी एक्साइटेड होते हैं. क्योंकि फैंस को लगता है कि ये स्टार्स कभी खाना नहीं बनाते होंगे और उन्हें किचन में काम करते देख वह सब एंजौय करते हैं.

खाना बनाने के दौरान हुआ हादसा

लाफ्टर शेफ के सेट पर कुकिंग करते समय राहुल वैद्य ने पैन में जैसे ही कुछ डाला, उनके डालते ही तेल तेजी से आग पकड़ लेता है और आग की लपटे सीधा राहुल के फेस तक जाती है. डर के मारे राहुल वैद्य चिल्लाने लगते हैं. उनके चिल्लाने से उनके पास खड़ी एक्ट्रेस निया शर्मा और जन्नत जुबैर बेहद डर जाती हैं. साथ ही राहुल के पार्टनर अली गोनी भी चीखने लगते हैं.

कुकिंग शो का नया प्रोमो शेयर

अब शो ‘लाफ्टर शेफ अनलिमिटेड एंटरटेनमेंट’ के मेकर्स ने कुकिंग शो का नया प्रोमो शेयर किया है. इस प्रोमो में दिखाया गया है कि राहुल वैध जैसे ही बर्तन में कुछ डालते हैं, तुरंत आग की लपटें उनके फेस तक पहुंच जाती है. सेट पर मौजूद हर कोई शख्स डर जाता है. लेकिन राहत की बात ये है कि राहुल सेफ हैं और उन्हें किसी भी तरह की कोई गंभीर चोट नहीं आई है.

रीम शेख के साथ भयंकर हादसा

पहले ऐक्ट्रैस रीम शेख के साथ कुकिंग सेट पर कुछ दिन पहले ऐसा ही हादसा हुआ था. खाना बनाने के दौरान उनका फेस काफी जल गया था. वो भी कुकिंग के दौरान तेल में कुछ डालती हैं, जिसके बाद तेल की छींटे एकदम से उनके फेस पर जाती हैं. जिससे उनका फेस काफी जल चुका है.

सोशल मीडिया पर शेयर किए जलने के निशान

इस हादसे के बाद रीम ने अपने शो ‘लाफ्टर शेफ अनलिमिटेड एंटरटेनमेंट’ की कई फोटोज इंस्टा पर शेयर की हैं. जिसमें उनके फेस पर जलने के निशान आप साफ देख सकते हैं. रीम ने अपने लेटेस्ट पोस्ट में शेयर किया है कि अब इस हादसे उबर रही हैं. हर एक्टर के लिए उसका फेस बहुत खास होता है. ऐसे में उनके फेस पर इतने सारे जलने के निशान पड़ना काफी पेनफुल रहा. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी सभी के सपोर्ट से अब वह रिकवर कर रही हैं और उनके साथ फैंस की पूरी सहानुभूति है.

शो में नामी सितारें

इस शो में कई नामी सितारें जैसे- जन्नत जुबैर,रीम शेख, अंकिता लोखंडे, विक्की जैन, करण कुंद्रा, अर्जुन बिजलानी, अली गोनी, कृष्णा अभिषेक, राहुल वैद्य, निया शर्मा, कश्मीरा शाह और सुदेश लहरी कुकिंग करते हुए दिखाई दे रहे हैं. इसमें कौमेडियन भारती सिंह शो होस्ट के रूप में दिखाई दे रही हैं.

Happy Birthday Shalini Pandey : शालिनी पांडे के ग्लैमरस लुक आप भी देखें, जिनसे नजरें हटाना होगा मुश्किल

Happy Birthday Shalini Pandey : फिल्म अर्जुन रेड्डी से खास पहचान बनाने वाली ऐक्ट्रेस शालिनी पांडे इस साल अपना 31वां बर्थडे मनाएंगी. 23 सितंबर 1993 को मध्य प्रदेश के जबलपुर में जन्मी शालिनी ने हाल ही में अपनी पार्टी स्टाइल से सबका दिल जीत लिया है! चाहे वह ट्रौपिकल बीच हो या ग्लैमरस नाइट आउट, शालिनी जानती हैं कि सबकी नजरें कैसे अपनी ओर खींचनी हैं. यहां उनके इंस्टाग्राम से 5 बेहतरीन लुक्स हैं जिन्हें आपको अपने अगले पार्टी लुक के लिए जरूर बुकमार्क करना चाहिए.

1. रेड हाई-नेक क्रौप टौप और धोती स्कर्ट-

शालिनी रेड हाई-नेक क्रौप टौप और धोती स्कर्ट में नजर आ रही हैं, जिसमें उनके एब्स पूरी तरह से दिख रहे है. स्लीक जेल किए हुए हेयर और मिनिमल एक्सेसरीज़ के साथ, उनका यह लुक पूरी तरह परफेक्ट था! चाहे दोस्तों के साथ नाइट आउट हो या किसी खास के साथ डेट नाइट, यह लुक हर मौके पर सही साबित होगा!

2. ग्रीन सीक्विन औफशोल्डर मिनी ड्रेस

यह लुक सबके दिलों पर छाया हुआ है! शालिनी ने एक औफ-शोल्डर ग्रीन सीक्विन मिनी ड्रेस पहनी, जिसमें प्लंजिंग नेकलाइन थी. उन्होंने इसे क्रिस्टल-एम्बेलिश्ड हील्स, होलोग्राफिक आई मेकअप, और व्हाइट नेल्स के साथ पेयर किया था, जो उनके लुक को पूरी तरह से कंप्लीट कर रहा था.

3.ब्लू प्रिंटेड को-आर्ड सेट

ऐक्ट्रेस शालिनी ने ब्लू प्रिंटेड को-आर्ड सेट पहना, जिसमें ड्रौस्ट्रिंग वाला ट्यूब टौप और मैचिंग पैंट्स शामिल थे. स्टेटमेंट गोल्डन इयररिंग्स और बीची कर्ल्स के साथ यह लुक बेहद ही स्टाइलिश और कैज़ुअल था. यह लुक हम ट्रौपिकल थीम पार्टी के लिए जरूर चुराने वाले हैं!

4. वायलेट सीक्विन क्रौप टौप और स्लिट स्कर्ट

 

सीक्विन हमेशा आपको पार्टी का स्टार बना सकता है, और शालिनी को यह बखूबी आता है. उन्होंने वायलेट सीक्विन क्रॉप्ड ब्लाउज़ और थाई-हाई स्लिट स्कर्ट में कहर ढाया. शिमरी आईलिड्स और स्लीक स्ट्रेट बालों के साथ, यह लुक पूरी तरह से ग्लिटर्स और ग्लैमर का था.

5. लेदर मिनी ड्रेस

शालिनी ने फैशन जगत का ध्यान अपनी फियर्स लेदर मिनी ड्रेस में खींचा. वेट कर्ल्स और बोल्ड स्मोकी आईज ने उनके लुक को परफेक्ट ‘इट गर्ल’ एनर्जी दी!

बौलीवुड में शालिनी पांडे ने 2022 में आई फिल्म जयसभाई जोरदार से डेब्यू किया था. लेकिन ये फिल्म फ्लौप रही. इसी साल शालिनी पांडे की फिल्म महाराज आई, जिसे नेटफ्लिक्स पर रिलीज किया गया था. इसमें आमिर खान के बेटे जुनैद खान लीड रोल में थे. अब वह 2 और फिल्मों में नजर आएंगी.

मेरे Husband को लगता है कि औफिस में बौस के साथ मेरा चक्कर चल रहा है…

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…

सवाल

मैं 38 साल की शादीशुदा महिला हूं. मुझे बचपने से ही पढ़लिख कर जौब करने का बहुत शौक था. लेकिन जब ग्रेजुएशन पूरा किया, मेरी शादी हो गई फिर उसके बाद बच्चे हो गए, तो उनकी देखरेख में लग गई. अब बच्चे स्कूल जाने लगे हैं, तो मुझे भी टाइम मिल जाता है.

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इसलिए मैंने 1 साल से जौब करना शुरू किया है, मेरा प्रमोशन होने वाला है. जब मैंने ये बात अपने पति (Husband)  को बताई तो वो खुश नहीं हुए. उन्होंने रिएक्ट किया और कहा कि तुम्हें इतनी जल्दी प्रमोशन कैसे मिल रही है, मैं तो 5 सालों से जौब कर रहा हूं, मुझे आज तक प्रमोशन नहीं मिली. जरूर तुम्हारा चक्कर बौस के साथ चल रहा है, इसलिए वो तुम्हें प्रमोट कर रहा है.

पति की ये बात सुनकर मेरे होश उड़ गए. मैंने उन्हें समझाने की कोशिश की, लेकिन वो मेरी बात नहीं मान रहे हैं. उन्होंने साफसाफ मना कर दिया है कि जौब छोड़ दो पर मैं अपने सपनों को ऐसे नहीं तोड़ सकती. समझ नहीं आ रहा क्या करूं?

Worried laptop computer sitting

जवाब

अगर कोई महिला आगे बढ़ती है, तो पीठ पीछे कई तरह की बातें होती है. कुछ लोगों की ये सोच ही बन चुकी है कि किसी लेडी को प्रमोशन मिल रहा है, तो कई उसका चक्कर होगा. ऐसे लोगों की सोच को हम कंट्रोल नहीं कर सकते हैं, पर हां हम आपको यह सलाह देंगे कि आप अपने काम पर फोकस करें.
आपके पति आपके बारे में ऐसा सोचते हैं, तो उन्हें यकिन दिलाएं कि आपने मेहनत किया है, कंपनी को फायदा हुआ है, इसलिए वो आपको प्रमोट कर रहे हैं. आप उन्हें ये भी समझाएं कि जौब करने का मतलब ये नहीं होता है कि महिलाएं बाहर जाकर गलत संबंध बनाती है. अगर आप समझदारी से काम लेंगी, तो आप जौब पर भी फोकस करेंगी और पति भी आपके बात समझेंगे.

जैसा कि आपने बताया कि आपके बच्चे स्कूल जा रहे हैं, तो आपके खर्चे आने वाले दिनों में बढ़ने ही वाले है. आप अपने हसबैंड से ये भी कहें कि आज के टाइम में पतिपत्नी दोनों का वर्किंग होना जरूरी है. लाइफस्टाइल, पढ़ाई के खर्चे सब बढ़ते जा रहे हैं, ऐसे में आपदोनों एकदूसरे के सपोर्ट सिस्टम बनेंगे और फाइनेंशियली आपको कोई परेशानी भी नहीं होगी.

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लाइफ एंज्वायमेंट: जब रिसेप्शनिस्ट मोनिका की आवाज में फंसे मिस्टर गंभीर

टेलीफोन की घंटी घनघनाई. मैं ने जैसे ही फोन उठाया, उधर से आई मधुर आवाज ने कानों में मिठास घोल दी.

‘‘क्या मिस्टर गंभीर लाइन पर हैं? क्या मैं उन से बात कर सकती हूं?’’

प्रत्युत्तर में मैं ने कहा, ‘‘बोल रहा हूं.’’ इस से पहले कि मैं कुछ कहूं, उधर से पुन: बातों का सिलसिला जारी हो गया, ‘‘सर, मैं पांचसितारा होटल से रिसेप्स्निष्ट बोल रही हूं. हम ने हाल ही में एक स्कीम लांच की है. हम चाहते हैं कि आप को उस का मेंबर बनाएं. सर, इस के कई बेनीफिट हैं. शहर के प्रतिष्ठित लोगों से कांटेक्ट कर के आप हाइसोसायटी में उठबैठ सकेंगे. क्रीम सोसायटी में उठनेबैठने से आप का स्टेटस बढ़ेगा और आप ऐश से लाइफ एंज्वाय करेंगे. इतने सारे लाभों के बावजूद सर, आप के कुल बिल पर हम 10 परसेंट डिस्काउंट भी देंगे. आप समझ सकते हैं सर कि यह स्कीम कितनी यूजफुल है, आप के लिए. सर, बताइए, मैं कब आ कर मेंबरशिप ले लूं?’’

मैं एकाग्रता से उस की बातें सुन रहा था क्योंकि उस के लगातार बोलने के कारण मुझे कुछ कहने का अवसर ही नहीं मिल सका. वह जब कुछ क्षण के लिए रुकी तो मैं ने तुरंत पूछ  लिया, ‘‘मैडम, आप पहले अपना नाम और परिचय दीजिए ताकि मैं आप की स्कीम के संबंध में कुछ सोच सकूं. बिना सोचेसमझे कैसे मेंबर बन पाऊंगा?’’

उस ने कहा, ‘‘सर, मैं पहले ही बता चुकी हूं कि मैं रिसेप्शनिस्ट हूं. क्या परिचय के लिए इतना काफी नहीं है? आप तो सर मेंबरशिप में इंटरेस्ट लीजिए. जो आप के लिए बहुत यूजफुल है.’’

‘‘मैडम, आप का कहना सही है पर उस से पहले आप के बारे में जानना भी तो जरूरी है. बिना कुछ जानेपहचाने मेंबर बनना कैसे संभव है.’’ वह अपनी बात पर कायम रहते हुए फिर बोली, ‘‘सर, आप मेंबर बनने के लिए यस कीजिए. जब मैं पर्सनली आ कर आप से कांटेक्ट करूंगी तब आप मुझ से रूबरू भी हो लीजिएगा. बस, आप के यस कहने की ही देर है. आप जो चाहते हैं, वह सब डिटेल में जान जाएंगे. हमारे आनरेबल कस्टमर के रूप में, आप जब यहां आएंगे तो मुलाकातें होती रहेंगी. लोगों को आपस में मिला कर, लाइफ एंज्वाय कराने का चांस देना ही हमारी स्कीम का मेन मोटो है. सर, प्लीज हमें सेवा करने का एक चांस तो अवश्य दीजिए. मेरा नाम और परिचय जानने में आप क्यों टाइम वेस्ट कर रहे हैं?’’

यह तर्क सुनने के बाद भी मैं अपनी बात पर अटल रहा. मैं ने कहा, ‘‘मैडम, जब तक आप नाम और परिचय नहीं बताएंगी, तब तक आप के प्रस्ताव पर कैसे विचार करूं?’’

जब उस ने देखा कि मैं अपनी बात पर कायम हूं, तो हार कर उस ने कहा, ‘‘सर, जब आप को इसी में सैटिस्फैक्शन है कि पहले मैं अपना इंट्रोडक्शन दूं, तो मैं दिए देती हूं. पर सर, मेरी भी एक शर्त है. इस के बाद आप मेंबर अवश्य बनेंगे. आप इस का भी वादा कीजिए.’’

मैं ने हंसते हुए कहा, ‘‘पहले कुछ बताइए तो सही.’’

उस ने कहा, ‘‘सर, मेरा नाम मोनिका है,’’ और यह बताने के साथ ही उस ने फिर अपनी बात दोहराई और बोली, ‘‘अब तो प्लीज मान जाइए, मैं कब आ जाऊं?’’

उस के बारबार के मनुहार पर कोई ध्यान न देते हुए मैं ने उस की प्रशंसा करते हुए कहा, ‘‘मैडम, कितना सुंदर नाम है, मोनिका? जिसे बताने में आप ने इतनी देर लगा दी. जब नाम इतना शार्ट और स्वीट है, आप की आवाज इतनी मधुर है, आप बात इतने सलीके से कर रही हैं तो स्वाभाविक है, आप सुंदर भी बहुत होंगी? सच कहूं तो आप के दर्शन करने की अब इच्छा होने लगी है.’’

अपनी तारीफ सुन कर उस ने हंस कर कहा, ‘‘सर, अब आप मेन इश्यू को अवाइड कर रहे हैं. यह फेयर नहीं है. जो आप ने नाम पूछा वह मैं ने बता दिया. फिर आप मेरी तारीफ करने लगे और अब दर्शन की बात. आखिर इरादा क्या है आप का, सर? हम ने बहुत बातें कर लीं. अब आप काम की बात पर आइए. सर, बताइए कब आ कर दर्शन दे दूं.’’

वह बराबर सदस्यता लेने के लिए अनुनयविनय करती जा रही थी लेकिन मेरे मन में एक जिज्ञासा थी जिस का समाधान करना उपयुक्त समझा. मैं ने पूछा, ‘‘मोनिकाजी, इतने बड़े शहर में आप ने मुझे ही क्यों इस के लिए चुना? शहर में और लोग भी तो हैं?’’

उस ने गंभीर हो कर कहा, ‘‘सर, वास्तव में स्कीम लांच होने पर हम शहर के स्टेटस वाले लोगों से फोन पर कांटेक्ट कर रहे हैं, जो हमारी मेंबरशिप अफोर्ड करने योग्य हैं. वैसे आप के नाम का प्रपोजल आप के मित्र सुदर्शनजी ने किया था. उन्होंने कहा था कि यदि मिस्टर गंभीर तैयार हो जाते हैं तो मैं भी मेंबर बन जाऊंगा. इसीलिए आप से इतनी रिक्वेस्ट कर रही हूं क्योंकि आप के यस कह देने पर हमें आप दोनों की मेंबरशिप मिल जाएगी. सर, अब तो सारी बातें क्लीयर हो गई हैं. इसलिए अब कोई और बहाना मत बनाइए. बताइए, मैं कब आऊं?’’

यह सुन कर मैं पसोपेश में पड़ गया क्योंकि कुछ कहने की कोई गुंजाइश नहीं थी. मुझे चुप देख कर उस ने घबराई आवाज में पूछा, ‘‘सर, अब क्या हो गया? किस गंभीर सोच में पड़ गए हैं? आप का नाम तो गंभीर है ही, क्या नेचर से भी गंभीर हैं? लाइफ में एंज्वाय करने का चांस, आप का वेट कर रहा है और आप इतनी देर से सोचने में टाइम वेस्ट कर रहे हैं. मैं ने कहा न, कम से कम मेरी बात मान कर आप एक चांस तो लीजिए, नो रिस्क नो गेन.’’

मैं ने कहा, ‘‘मोनिकाजी, मैं बहुत कनफ्यूज्ड हो गया हूं. आप को जान कर दुख होगा कि मैं अब 68 का हो गया हूं. जीवन के इस पड़ाव में आप के द्वारा दर्शित जिंदगी का उपभोग कैसे कर सकूंगा? एंज्वाय करने के दिन तो लद गए.’’

उस ने तुरंत मेरी बात को काटते हुए कहा, ‘‘गंभीरजी, यही उम्र तो होती है मौजमस्ती करने की. जब आदमी सभी रिस्पोंसिबिलिटीज से फ्री हो जाता है. फ्री माइंड हो एंज्वाय करने का मजा ही कुछ और होता है. आप मिसेज को साथ ले कर आइए और दोनों मिल कर लुफ्त उठाइए. आप अभी तक जो मजा नहीं उठा पाए  हैं, उसे कम से कम लेटर एज गु्रप में तो उठा लीजिए.’’

मैं ने कहा, ‘‘यही तो परेशानी है. श्रीमतीजी एक घरेलू और धार्मिक प्रवृत्ति की महिला हैं. होटलों में आनाजाना उन्हें पसंद नहीं है. आज तक तो कभी गईं ही नहीं फिर अब कैसे जा पाएंगी? हमारे दौर में आज जैसा होटलों में जाने का चलन और संस्कृति नहीं थी. फिर इस उम्र में लोग क्या कहेंगे? आप ही बताइए, इन हालात में आप का प्रस्ताव कैसे स्वीकार करूं?’’

उस ने तपाक से कहा, ‘‘गंभीरजी, आप जैसे एज गु्रप वालों के साथ यही तो समस्या है कि सेल्फ डिसीजन लेने में हिचकिचाते हैं. लोग क्या कहेंगे, यह सोच कर अपना इंटरेस्ट और फ्यूचर क्यों किल कर रहे हैं आप? यदि आप की मिसेज को होटल आने में दिक्कत है तो क्या हुआ? उस का समाधान भी मेरे पास है. मैं आप के लिए पार्टनर का प्रबंध कर दूंगी. हाइसोसायटी में तो यह कामन बात है.

‘‘हमारे यहां कई सिंगल फीमेल मेंबर्स हैं. वे भी यही सोच कर मेंबर बनी हैं कि यदि अदर सेक्स का कोई सिंगल मेंबर होगा तो वे उस के साथ पार्टनरशिप शेयर कर लेंगी. गंभीरजी, जरा सोचिए, अब उन्हें आप के साथ एडजेस्ट होने में कोई आब्जेक्शन नहीं है तो आप को क्या डिफीकल्टी है? बस, आप को करेज दिखाने की जरूरत है. बाकी बातें आप मुझ पर छोड़ दीजिए. आप कोई टेंशन न लें अपने ऊपर. मैं हूं न, सब मैनेज कर दूंगी. आप तो अपनी च्वाइस भर बता दीजिए. बस, अब कोई और बहाना मत बनाइए और हमारा आफर फाइनल करने भर का सोचिए.’’

मोनिका की खुली और बेबाक दलीलें सुन कर मैं सकते में आ गया. मन में अकुलाहट होने लगी. सोचने लगा कि कहीं मैं उस के शब्दजालों में घिरता तो नहीं जा रहा हूं? यद्यपि उस से चर्चा करते हुए मन को आनंद की अनुभूति हो रही थी. टेलीफोन के मीटर घूमते रहने की भी चिंता नहीं थी. इसलिए बात को आगे बढ़ाते हुए, मैं ने पूछ लिया, ‘‘मोनिकाजी, इस प्रकार की पार्टनरशिप में पैसे काफी खर्च हो सकते हैं. मैं एक रिटायर आदमी हूं. इस का खर्च सब कैसे और कहां से बरदाश्त कर सकूंगा?’’

उस ने कहा, ‘‘आप का यह सोचना सही है. हमारी एनुअल मेंबरशिप ही 5 हजार रुपए है. होटल विजिट की सिंगल सिटिंग में 700-800 का बिल आना साधारण बात है पर आप चिंता क्यों कर रहे हैं? इस बिल पर 10 परसेंट का डिस्काउंट भी तो मिल रहा है आप को. वैसे कभीकभी पार्टनर के बिल का पेमेंट भी आप को करना पड़ सकता है. कभी वह भी पेमेंट कर दिया करेंगी. मैं उन्हें समझा दूंगी. वह मुझ पर छोडि़ए.’’

वह एक पल रुक कर फिर बोली, गंभीरजी, एक बात कहूं, जब लाइफ एंज्वाय करना ही है तो फिर पैसों का क्या मुंह देखना? आखिर आदमी पैसा इसीलिए तो कमाता है. फिर बिना पार्टनरशिप के जिंदगी में एंज्वायमेंट कैसे होगा? सिर्फ रूखीसूखी दालरोटी खाना ही तो जिंदगी का नाम नहीं है. ‘‘गंभीरजी, एक बार इस लाइफ स्टाइल का टेस्ट कर के देखिए, सबकुछ भूल जाएंगे. शुरू में आप को कुछ अजीबअजीब जरूर लगेगा लेकिन एक बार के बाद आप का मन आप को बारबार यहां विजिट करने को मजबूर करेगा. इस का नशा सिर चढ़ कर बोलता है. यही तो रियल लाइफ का एंज्वायमेंट है.’’

‘‘मोनिकाजी, मैं 68 का हूं. क्या ऐसा करना मुझे अच्छा लगेगा?’’ मैं ने यह कहा तो वह तुनक कर बोली, ‘‘गंभीरजी, आप एज का आलाप क्यों कर रहे हैं? अरे, हमारे यहां तो 80 तक के  मेंबर हैं. उन्होंने तो कभी लाइफ एंज्वायमेंट में एज फेक्टर को काउंट नहीं किया. जिंदादिली इसी को कहते हैं कि आदमी हर एज गु्रप में स्वयं को फुल आफ यूथ समझे. बस, जोश और होश से जीने की मन में तमन्ना होनी चाहिए. ‘साठा सो पाठा’ वाली कहावत तो आप ने सुनी ही होगी. आदमी कभी बूढ़ा नहीं होता, जरूरत है सिर्फ आत्मशक्ति की.’’

मोनिकाजी द्वारा आधुनिक जीवन दर्शन का तर्क सुन कर मैं अचंभित हुए बिना नहीं रहा. मुझे ऐसा लगा कि मेरी प्रत्येक बात का, एक अकाट्य तथ्यात्मक उत्तर उस के पास है. वह मुझे प्रत्येक प्रश्न पर निरुत्तर करती जा रही है. अंदर ही अंदर भय भी व्याप्त होने लगा था. एकाएक मन में एक नवीन विचार प्रस्फुटित हुआ. उन से तुरंत पूछ बैठा कि आप की एज क्या है? यह सुन कर वह चौंक गई और कहने लगी, ‘‘अब मेरी एज बीच में कहां से आ गई?’’ पर जब इस के लिए मैं ने मजबूर किया तो उस ने हंसते हुए कहा, ‘‘आप स्वयं समझ सकते हैं कि फाइव स्टार रिसेप्सनिस्ट की एज क्या हो सकती है? इतना तो श्योर है कि मैं आप के एज ग्रुप की नहीं हूं.’’

‘‘फिर भी बताइए तो सही, मैं विशेष कारण से पूछ रहा हूं.’’

‘‘25.’’

इस के बाद मैं ने फिर प्रश्न किया कि आप के मातापिता भी होंगे? उस ने सहजता से हां में उत्तर दिया. मैं ने फिर पूछा, ‘‘मोनिकाजी, क्या आप ने उन्हें भी सदस्य बना कर जीवन का आनंद उठाने का अवसर दिलाया है? वे तो शायद मुझ से भी कम उम्र के होंगे. जब आप अन्य लोगों को लाइफ एंज्वाय करने के लिए प्रोत्साहित और अवसर प्रदान कर रही हैं, तो उन्हें क्यों और कैसे भूल गईं? वे भी तो अन्य लोगों की तरह इनसान हैं. उन्हें भी जीवन में आनंद उठाने का अधिकार है. उन्हें भी मौका मिलना चाहिए. पूर्व में आप ही ने कहा कि यही उम्र तो एंज्वाय करने की होती है, इसलिए आप को स्मरण दिलाना मैं ने उचित समझा. ‘चैरिटी बिगिंस फ्राम होम’ वाली बात आप शायद भूल रही हैं.’’

मेरी बात सुन कर शायद उसे अच्छा नहीं लगा. खिन्न हो कर बोली, ‘‘आप मेरे मातापिता में कैसे इंटरेस्ट लेने लगे? मैं तो आप के बारे में चर्चा कर रही हूं.’’

‘‘आप ठीक कहती हैं,’’ मैं ने कहा, ‘‘आप के मातापिता से मेरा इनसानियत का रिश्ता है. मुझे यही लगा कि जब आप सभी लोगों को जीवन में इतना सुनहरा अवसर प्रदान करने के लिए आमादा हो कर जोर दे रही हैं तो फिर इस में मेरा भी स्वार्थ है.’’

उस ने तुरंत पूछा, ‘‘मेरे मातापिता से आप का क्या स्वार्थ सिद्ध हो रहा है?’’

तब मैं ने कहा, ‘‘कुछ खास नहीं, मुझे उन की कंपनी मिल जाएगी. आप मुझे पार्टनर दिलाने का जो टेंशन ले रही हैं, उस से मैं आप को मुक्त करना चाहता हूं. इसलिए मैं उन्हें भी मेंबर बनाने की नेक सलाह दे रहा हूं,’’ बिना अवरोध के अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए मैं ने कहा, ‘‘मोनिकाजी, आप उन दोनों के मेंबर बन जाने का शुभ समाचार मुझे कब दे रही हैं, ताकि मैं खुद आप के पास आ कर सदस्यता ग्रहण कर सकूं?’’

मेरी इस बात का उत्तर शायद उस के पास नहीं था. अब उस की बारी थी निरुत्तर होने की. एकाएक खट की आवाज आई और फोन कट गया. मैं ने एक लंबी सास ली और फोन रख दिया.

विगत 15 मिनट से चल रही बातचीत के क्रम का इस प्रकार एकाएक पटाक्षेप हो गया. मेरी एकाग्रता भंग हो गई. मैं गंभीरता से बीते क्षणों मेें हुई बातचीत के बारे में सोचने लगा कि आज के इस आधुनिक युग में विज्ञापनों के माध्यम से उपभोक्ताओं को जीवन में आनंद और सुखशांति की परिभाषा जिस प्रकार युवाओं द्वारा परोसी तथा पेश की जा रही है, वह कितनी घिनौनी है. जिस का एकमात्र उद्देश्य उपभोक्ता को किसी भी प्रकार आकर्षित कर, उन्हें सिर्फ ‘ईट, ड्रिंक एंड बी मेरी’ के आधुनिक मायाजाल में लिप्त और डुबो दिया जाए. क्या यह सब बातें हमारी भारतीय संस्कृति, संस्कारों, आदर्शों और परंपराओं के अनुरूप और उपयुक्त हैं? क्या यह उन के साथ छल और कपट नहीं है? सोच कर मन कंपित हो उठता है.

आज के आधुनिक युग की दुहाई दे कर जिस प्रकार का घृणित प्रचारप्रसार, वह भी देश की युवा पीढ़ी के माध्यम से करवाया जा रहा है, क्या वह हमारी संस्कृति पर अतिक्रमण और कुठाराघात नहीं है? हम कब तक मूकदर्शक बने, इन सब क्रियाकलापों तथा आपदाओं के साक्षी हो कर, इन्हें सहन करते जाएंगे?

दूसरे दिन फिर उसी होटल से फोन आया. इस बार आवाज किसी पुरुष की थी. उस ने कहा, ‘‘सर, मैं पांचसितारा होटल से बोल रहा हूं. हम ने एक स्कीम लांच की है. हम उस का आप को मेंबर…’’ इतना सुनते ही मैं ने बात काटते हुए उस से प्रश्न किया, ‘‘आप के यहां मोनिकाजी रिसेप्शनिस्ट हैं क्या?’’

उस ने सकारात्मक उत्तर देते हुए प्रत्युत्तर में हां कहा. इतना कह कर मैं ने फोन काट दिया कि कल इस बारे में उन से विस्तृत चर्चा हो चुकी है. मेंबरशिप के बारे में आप उन से बात कर लीजिए.

तब से मैं उन के फोन की प्रतीक्षा कर रहा हूं. पर खेद है कि उन का फोन नहीं आया. इस प्रकार तब से मैं रियल माडर्न लाइफ एंज्वायमेंट करने के लिए प्रतीक्षारत हूं.

अवार्ड शो के दौरान Anupama को क्यों आया गुस्सा, क्या सीरियल में आएगा 15 साल का लीप?

टीवी सीरियल अनुपमा (Anupama) की कहानी में इन दिनों कई ट्रैक दिखाए जा रहे हैं. जिससे दर्शकों को इस सीरियल में हाई वोल्टेज ड्रामा देखने को मिल रहा है. शो में दिखाया जा रहा है कि अनुज-अनुपमा धीरे-धीरे करीब आ रहे हैं. दोनों पहले की तरह एकदूसरे में खोए नजर आ रहे हैं.

मौका देखकर अनुज अपनी अनु से अक्सर प्यार का इजहार कर देता है. तो वहीं दूसरी तरफ अनुपमा भी फुरसत के पल में अनुज को याद कर लेती है. दोनों का रोमांटिक सीन भी दिखाया जा रहा है. सीरियल में काफी दिनों से वनराज को गायब दिखाया जा रहा है.

आशा भवन में तोषु फिर चलेगा घटिया चाल

दूसरी तरफ आशा भवन में शाह परिवार के लोग सबके साथ रह रहे हैं. पाखी और तोषु भी लौटकर आ गए है. अनुपमा ने उन दोनों को फिर से रहने की अनुमति दे दी है. लेकिन वो दोनों भाई-बहन अपनी आदतों से बाज नहीं आएंगे. आज के एपिसोड में आप देखेंगे कि तोषु आशा भवने में चोरी करेगा तभी मीनु और सागर देख लेंगे, लेकिन तोषु चाल चलेगा और उल्टा इल्जाम सागर और मीनु पर लगाएगा कि सागर चोरी कर रहा था ताकि वो मीनु को लेकर घर से भाग सके.

शो में आएगा 15 साल का लीप ?

सीरियल गौसिप के अनुसार, इस सीरियल के मेकर्स कहानी में नया ट्विस्ट लाने की तैयारी कर रहे हैं. बताया जा रहा है कि सीरियल अनुपमा में एक बार फिर लीप लाने की प्लानिंग की जा रही है. यह लीप 15 साल बाद की होगी. जिससे शो की कहानी पूरी तरह पलट जाएगी. मेकर्स अनुपमा की कहानी में ढेर सारा ड्रामा लाने की तैयारी कर रहे है. एक रिपोर्ट की माने तो अनुपमा को लेकर एक बहुत बड़ा अपडेट सामने आया है. रिपोर्ट के अनुसार, शो में अब सीधा 15 साल का लीप दिखाया जाएगा, जिससे शो के बहुत से कलाकारों की छुट्टी होगी. सीरियल में सिर्फ अनुपमा और अनुज ही नजर आएंगे. मेकर्स इस शो में नए कलाकारों को लाने की तैयारी कर रहे हैं.

स्टार परिवार अवार्ड के दौरान रुपाली गांगुली गुस्से में निकली बाहर

‘अनुपमा’ फेम रुपाली गांगुली (Rupali Ganguly) बीती रात एक अवार्ड शो में नजर आईं. स्टार परिवार अवार्ड फंक्शन में ऐक्ट्रैस ने कई अवार्ड्स भी जीता और स्टेज पर अपनी खुशी भी जाहिर की. लेकिन इसी बीच सोशल मीडिया पर एक वीडियो सामने आया है. जिसमें अनुपमा गुस्से में इस अवार्ड फंक्शन से बाहर निकलती नजर आ रही है.

इस वायरल वीडियो में  अनुपमा गोल्डन कलर के आउटफिट में बहुत खूबसूरत लग रही है. वह बीच सड़क पर फोन पर किसी से बात करती नजर आ रही हैं और कह रही हैं कि ‘तेरा क्या चक्कर है, बता मैं निकलूं या फिर नहीं निकलूं. मैं कोई अवार्ड लेकर नहीं जा रही.’ इसके बाद रुपाली गांगुली स्कूटी के पीछे बैठती हैं और वहां से निकल जाती हैं. रुपाली गांगुली शहनाज गिल के मैनेजर कौशल जोशी के साथ स्कूटी पर इवेंट से निकलती नजर आ रही हैं. शो के दौरान अनुपमा क्यों क्यों भड़कीं, इस बात की कोई जानकारी नहीं सामने आई है.

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