टैक्स बचाने के इन तरीकों से क्या वाकिफ हैं आप

जब बात टैक्स बचाने की आती है, तो आप आईटी एक्ट की धारा 80सी के तहत मिलने वाले विकल्प खंगालते हैं. अगर आपको भी लगता है कि इनकम टैक्स बचाने के लिए निवेश के सीमित विकल्प हैं तो यहां हम आपको कुछ ऐसे तरीके बताते हैं जिस पर ज्यादातर लोग ध्यान नहीं देते…आइए जानते हैं क्या हैं वो तरीके…

चैरिटेबल संस्‍थान को दान

आप पैसे को दान दे सकते हैं बशर्ते जिस भी धर्मार्थ संस्‍थान को आप राशि दान दे रहे हैं, वह डोनेशन के लिए मंजूर की गई संस्‍थानों की सूची में होना चाहिए.

आश्रित सदस्य के इलाज या रखरखाव पर खर्च

आप अपने आश्रितों पर खर्च करके भी टैक्स बचा सकते हैं. लेकिन ध्यान रहे ये व्यक्ति पूरी तरह और सिर्फ आप पर आश्रित होना चाहिए. साथ ही यह तब भी लागू होता है जब आपने इलाज के खर्च से निपटने के लिए विकलांग कर्मचारी के तौर पर टैक्स कटौती का आवेदन ना किया हो.

आश्रित सदस्य की खास बीमारी का इलाज

इसके लिए शर्त यह है कि जो भी इलाज में खर्च आया है, उसके बदले आपको अपनी कंपनी या फिर बीमा कंपनी से कोई रकम ना मिली हो. इसके अलावा ये छूट सिर्फ कैंसर और न्यूरोलॉजिकल बीमारियों के मामले में मिलती है.

होम लोन पर ब्याज

अगर आप मकान में रहते हैं, केवल तभी इस विकल्प का फायदा उठा सकते हैं. अगर यह मकान किराए पर दिया हुआ है, साल का पूरा ब्याज टैक्स बचत के रूप में क्लेम किया जा सकता है.

NPS में निवेश

इसमें निवेश की शर्त यह है कि सेक्‍शन 80सी, 80सीसीसी और 80सीसीडी के तहत जिस राशि पर टैक्स बचत क्लेम की जा रही है, वो साल में 1.5 लाख रुपये से ज्‍यादा नहीं होनी चाहिए.

किराया भरकर

अगर आपकी सैलरी में हाउस रेंट अलाउंस (HRA) नहीं मिलता है, तो इसका भी लाभ लिया जा सकता है.

“बेस्ट एक्शन हीरो हैं सोनाक्षी”

अभिनेता और निर्माता जॉन अब्राहम ने ‘फोर्स 2’ की अपनी को-एक्टर सोनाक्षी सिन्हा की तारीफ के पुल बांधते हुए उन्हें बेस्ट एक्शन हीरो कहा है.

‘ढिशूम’, ‘फोर्स’ और ‘धूम’ जैसी फिल्मों में अपने एक्शन से दर्शकों को प्रभावित कर चुके जॉन ने सोनाक्षी की आगामी फिल्म ‘अकीरा’ का प्रचार करते हुए उनकी जमकर तारीफ की.

जॉन ने अपने ट्विटर खाते पर एक वीडियो शेयर किया, जिसमें उन्होंने कहा, ‘‘तुम सर्वश्रेष्ठ एक्शन हीरो हो. मैंने ‘अकीरा’ देखी है. यह शानदार है.’’

जॉन ने सोनाक्षी को फिल्म के लिए शुभकामनाएं भी और साथ ही कहा, ‘‘मैं जानता हूं, तुम धूम मचा दोगी.’’

सोनाक्षी ने जॉन को धन्यवाद देते हुए कहा, ‘‘धन्यवाद जॉन! फोर्स मेरे साथ था.. इसमें भी? बूम.’’

फिल्म में सोनाक्षी अकीरा शर्मा के किरदार में नजर आएंगी, जो मुंबई से जयपुर आती है और अपने कॉलेज में गुंडों के साथ झगड़े में फंस जाती है.

दीपिका हैं हॉलीवुड की भावी स्टार

अभी तो दीपिका पादुकोण की पहली हॉलीवुड फिल्म रिलीज भी नहीं हुई है, लेकिन अमेरिका में उनकी खूबसूरती का जादू चलने लगा है. दीपिका एक पॉप्यूलर फैशन मैगजीन के कवर पर आ रही हैं, जिसमें उन्हें बॉलीवुड का मेगा स्टार बताते हुए हॉलीवुड का भावी स्टार कहा गया है.

मैगजीन के सितंबर इश्यू के कवर पर दीपिका पादुकोण वेस्टर्न लुक में दिख रही हैं. मैगजीन ने दीपिका का इंटरव्यू भी छापा है, जिसकी हेडलाइन बेहद दिलचस्प है. (The Bollywood Mega Star About To Conquer America.) इस हेडलाइन से पता चल रहा है, कि हॉलीवुड में अपने लिए मुकाम तलाश रही दीपिका ने वहां की फिल्म और फैशन इंडस्ट्री को इंप्रेस कर लिया है.

वैसे आपको बताते चलें कि ये वही मैगजीन है, जिसने सोशलाइट और टीवी सेलिब्रटी किम कर्दाशियां के नेकेड पोज को अपने कवर पर जगह दी थी, और इंटरनेट पर सनसनी मचा दी थी.

हालांकि ये पहली बार नहीं है, जब दीपिका को पश्चिम की किसी मैगजीन ने हॉलीवुड का भावी स्टार बताया हो. इससे पहले वेनिटी फेयर मैगजीन भी उन्हें हॉलीवुड की नेक्स्ट जनरेशन कह चुकी है.

दीपिका xXx: Return Of Xander Cage से हॉलीवुड की पारी शुरू कर रही हैं, जिसमें वो एक्शन स्टार विन डीजल के साथ स्क्रीन स्पेस शेयर कर रही हैं. दिलचस्प बात ये है कि इस वक्त प्रियंका चोपड़ा भी हॉलीवुड में करियर बनाने की जद्दोजहद में हैं. ऐसे में दीपिका की बढ़ती पॉप्यूरेलिटी उनके लिए खतरे की घंटी हो सकती है.

अजय की फिल्म की सुपारी, करन ने दिए 25 लाख!

हाल ही में इंडस्ट्री का एक चौंकाने वाला सच सामने आया है. बॉलीवुड स्टार अजय देवगन ने एक ऑडियो टेप ट्विटर पर जारी कर इस बात का खूलासा किया है कि फिल्ममेकर करण जौहर ने अपनी फिल्म ‘ऐ दिल है मुश्किल’ के बारे में अच्छे रिव्यू देने के लिए केआरके को 25 लाख रुपये दिए हैं.

अजय देवगन ने ट्विटर पर इस ऑडियो क्लि‍प को शेयर करते हुए ट्वीट किया है, ‘यहां जानें क्या कह रहे हैं स्वघोषित नंबर 1 क्रिटिक और फिल्म ट्रेड एनालिस्ट कमाल आर खान.’

यह ऑडियो क्ल‍िप वाकई हैरान करने वाली है. इस फोन रिकॉर्डिंग में अजय देवगन के मैनेजर और बिजनेस पार्टनर कुमार मंगत पाठक और केआरके की बातचीत शामिल है. अजय देवगन की ओर से अपने मैनेजर के जरिए केआरके को करवाए गए इस फोन कॉल में वह केआरके से जब यह सवाल पूछ रहे हैं कि उन्होंने ‘शि‍वाय’ के खि‍लाफ और करण जौहर की फिल्म ‘ऐ दिल है मुश्कि‍ल’ के फेवर में ट्वीट क्यों किया?

तो इस सवाल को केआरके गोलमोल करते हुए सवाल का जवाब देने से कतराते नजर आ रहे हैं और यह भी कह रहे हैं कि‍ उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया. केआरके कह रहे हैं कि उन्हें तो करण जौहर की फिल्म के बारे में बोलना ही पड़ेगा क्योंकि इसके लिए करण ने उन्हें 25 लाख रुपये जो दिए हैं.

हालांकि केआरके ने अपने अगले ट्वीट्स में लिखा है कि उन्हें करण जौहर ने कोई 25 लाख रुपये नहीं दिए हैं बल्कि फोन पर उन्होंने अजय के मैनेजर को नजरअंदाज करने के लिए ऐसा बोला. केआरके ने ट्वीट में यह भी कहा कि अजय और उनके मैनेजर कुमार ने उन्हें ‘शिवाय’ की पब्ल‍िसिटी के लिए रुपये भी ऑफर किए लेकिन उन्होंने कहा कि वह उनके लिए यह काम फ्री में ही कर देंगे.

अजय देवगन ने एक आधि‍कारिक बयान जारी करते हुए इस मामले की जांच करने की मांग की है. अजय देवगन ने कहा, ‘मैं पिछले 25 साल से इस फिल्म इंडस्ट्री का हिस्सा रहा हूं और 100 से ज्यादा फिल्मों से जुड़ा रहा हूं. मेरे पिता एक प्रफेशनल एक्शन डायरेक्टर रहे हैं और इस इंडस्ट्री के साथ मेरा एक इमोशनल कनेक्शन है. इसलिए कमाल आर खान जैसे लोगों को देखकर दुख होता है जो इंडस्ट्री में वसूली कर, प्रोड्यूसर्स से पैसे खाकर फिल्मों के प्रति ने‍गेटि‍विटी फैला रहे हैं.’

उन्होंने यह भी कहा कि ‘यह बेहद दुख की बात है कि हमारी इंडस्ट्री के लोग भी इस तरह की चीजों को सपोर्ट कर फिल्म इंडस्ट्री के माहौल को खराब कर रहे हैं. मैं मांग करता हूं कि अगर करण जौहर इस मामले में शामिल हैं तो इस तरह के मामले की पूरी जांच होनी चाहिए.’

फिलहाल इस पूरे मामले पर करण जौहर की ओर से कोई ट्वीट या बयान जारी नहीं किया गया है.

बिग बॉस 10 में नजर आ सकते हैं ये सेलेब्स

‘बिग बॉस’ का सीजन 10 जल्द ही शुरू होने वाला है. चर्चा है कि इस बार घर में आम लोग नजर आएंगे. हालांकि सीजन 6 में वाइल्ड कार्ड के जरिए आम आदमी काशिफ कुरैशी की एंट्री हुई थी लेकिन काशिफ शो में टीआरपी नहीं ला पाए और एक ही हफ्ते में वो घर से एलिमिनेट हो गए थे.

शायद यही कारण है कि शो के प्रोड्यूसर्स ने ज्यादा रिस्क ना लेते हुए कॉमन मैन के साथ कुछ सेलेब्स को भी शो में लाने की सोची है. आइए आपको बताते हैं कि कौन से सेलेब्स की इस बार बिग बॉस में एंट्री होने की चर्चा है.

राधे मां

ग्लैमरस अंदाज में चौकी पर विराजमान राधे मां भले ही अपने भक्तों के बीच पूजी जाती हों, लेकिन उनका नाम कई विवादों से जुड़ा हुआ है. उन पर अश्लीलता और अंधविश्वास फैलाने के गंभीर आरोप लगे हैं. मिनी स्कर्ट में दिखने वाली यह मां बिग बॉस के घर में तहलका मचा सकती हैं.

कबीर बेदी

बॉलीवुड में कबीर बेदी अपने अलग अंदाज के लिए जाने जाते हैं. इनकी एक्टिंग की तारीफ तो खूब होती है लेकिन निजी जिंदगी में ये लड़कियों के साथ अपने रिश्ते को लेकर भी चर्चा में रहे हैं. कबीर ने चार शादियां की हैं.

शाइनी आहूजा

अपने डेब्यू फिल्म ‘हजारों ख्वाहिशे ऐसी’ के लिए फिल्मफेयर अवॉर्ड पाने वाले शाइनी का करियर उस समय डूब गया, जब 2009 में उनपर अपनी नौकरानी से रेप का आरोप लगा.

सना सईद

करण जौहर की फिल्म ‘कुछ-कुछ होता है’ में बतौर चाइल्ड एक्टर काम करने वाली सना ‘स्टूडेंट ऑफ द ईयर’ में सहायक अभिनेत्री और कुछ सीरियलों में भी नजर आ चुकी हैं.

राहुल राज सिंह

राहुल हाल ही में काफी विवादों से घिरे रहे. उनपर अपनी गर्लफेंड और टीवी एक्ट्रेस प्रत्यूषा बनर्जी को आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप है. फिलहाल उनपर केस चल रहा है.

राज महाजन

राज एक कवि, होस्ट, एक्टर, संगीतकार और गीतकार हैं. छोटे पर्दे पर राज एक शो ‘म्यूजिक मस्ती विद राज महाजन’ भी कर चुके हैं. पिछले तीन सालों में बतौर संगीतकार राज 100 से भी ज्यादा गाने निकाल चुके हैं. फिलहाल पत्नी से अलगाव के कारण ये अपनी फैमिली से दूर रहते हैं.

सुनील ग्रोवर

दर्शकों के चहेते कॉमेडियन सुनील ग्रोवर इस बार ‘बिग बॉस’ में सबको हंसाते नजर आ सकते हैं. सुनील फिलहाल ‘द कपिल शर्मा शो’ में डॉ. मशहूर गुलाटी के रोल में दिखते हैं.

अरमान जैन

बॉलीवुड के मशहूर कपूर खानदान से ताल्लुक रखने वाले अरमान जैन, राज कपूर की बहन रीमा जैन के बेटे हैं. अरमान ने फिल्म ‘लेकर हम दीवाना दिल’ से बॉलीवुड में कदम रखा था.

नक्षत्र बागवे

नक्षत्र एक्टर, डायरेक्टर, फिल्मकार और गे राइट एक्टविस्ट हैं. समलैंगिक मुद्दों पर फिल्में बनाने के कारण ये हमेशा चर्चा में रहते हैं. इन्होंने फिल्म ‘हार्ट्स’ में लीड रोल भी निभाया है.

..अभी और सताएगा चिकनगुनिया

 

चिकनगुनिया का वायरस एक बार फिर से दस्तक दे चुका है और हर गली-मोहल्ले में इस से संक्रमित लोग देखने को मिल जाएंगे. अगर आप अभी तक इस बीमारी से बचे हुए हैं और आगे भी बचे रहना चाहते हैं तो इस बीमारी और इसके लक्षणों के बारे में जान लेने में ही आपकी भलाई है…

क्या है चिकनगुनिया?

चिकनगुनिया वायरल बुखार है, लेकिन जानलेवा बुखार नहीं है. यह वायरल मादा एडिस मच्छर के काटने से होता है. यह विषाणु ठीक उसी लक्षण वाली बीमारी पैदा करता है जिस प्रकार की स्थिति डेंगू रोग में होती है.

चिकनगुनिया के लक्षण…

– चिकनगुनिया लंबे समय तक चलने रोग है जिसमें जोड़ों में दर्द होता है.

– ये रोग 5 से 7 दिन तक रहता है लेकिन इसकी वजह से जोड़ों का दर्द महीनों या हफ्तों तक बना रहता है.

– अभी इस बुखार का कहर सितंबर और अक्टूबर तक जारी बना रह सकता हैं.

– इस बीमारी में पूरे शरीर की हड्डियों में असहनीय दर्द होता हैं और तेज बुखार आता हैं.

– शरीर के कई हिस्सों सहित हाथों और पैरों पर चकते बनने लगते हैं. सिरदर्द, रोशनी से डर लगना, आंखों में समस्‍या होना, कमजोरी आना और नींद ना आने जैसी शिकायतें होने लगती हैं.

चिकनगुनिया से कैसे करें बचाव…

– इस बुखार के शुरुआत में सिर्फ डॉक्टर सिर्फ पैरासिटामोल लेने की सलाह देते हैं लेकिन किसी भी दवा को खाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.

– घर में कहीं भी पानी को स्टोर करके न रखें और अगर ऐसा करना भी पड़े तो पानी को ढककर रखें.

– घर और घर के आसपास मच्छर मारने वाली दवा का छिड़काव करवाएं.

– कूलरों की समय-समय पर सफाई करते रहें. सप्ताह में एक दिन कूलर को सूखा रहने दें.

– रात में सोते समय मॉसकीटो रिपेलेंट और नेट का इस्तेमाल करें और पूरी बाजू के कपड़े पहनकर रखें.

– इसमें कोई शक नहीं कि ये एक संक्रमित एडिस मच्छर के काटने से होता है इसी वजह से वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में जाता है. ऐसे में जरूरी है कि डॉक्टर की सलाह से समय-समय पर टीकें लगवाएं.

– बच्चों की इस मौसम में खास देखभाल करें.

महिलाएं कब होंगी इस गुलामी से आजाद

जीवन  में आने वाले सुखदुख ही नहीं, बल्कि सफलता और असफलता भी हमारी सोच पर निर्भर करती है. अच्छी सोच जहां हमें ऊंचाइयों पर ले जाती है, वहीं संकीर्ण सोच हमारे कद को और भी छोटा कर देती है. लेकिन महिलाएं इस बात को समझना नहीं चाहतीं. इसीलिए आज भी वे संकुचित विचारों का दामन थामे हैं. उन के विचारों में स्वतंत्रता दिखाई नहीं देती. यदि महिलाएं सही माने में स्वतंत्र कहलाना चाहती हैं तो उन्हें अपने विचारों में स्वतंत्रता लानी होगी.

वंश के लिए ‘अंश’ जरूरी

इंदिरा गांधी जैसी मिसाल देश में होने के बावजूद महिलाएं यह मानने को तैयार नहीं हैं कि वंश चलाने के लिए उन के अंश (संतान) की जरूरत होती है, बेटे या बेटी की नहीं. लेकिन कानूनन अपराध होने के बावजूद आज भी कई महिलाएं लिंग परीक्षण के जरीए बेटा पाने की लालसा को पूरा करती हैं, जिस के लिए उन्हें अपने शरीर के साथ होने वाली चीरफाड़ से भी कोई परहेज नहीं यानी शारीरिक और मानसिक पीड़ा सहने के बावजूद महिलाएं अपनी सोच बदलने को तैयार नहीं हैं.

बात यहीं खत्म नहीं होती. अगर कोई महिला बेटाबेटी दोनों को जन्म देती है, तब भी वह अधिक ध्यान बेटे की परवरिश पर देती है, क्योंकि वह बेटे को अपना और बेटी को पराया समझती है. बेटे को जहां शुरुआत से ही आजादी दी जाती है, वहीं बेटी पर कई तरह की बंदिशें शुरू हो जाती हैं. दोनों की परवरिश में यह भेदभाव महिलाओं की सोच के कारण है.

कहने का तात्पर्य यह है कि महिलाएं अपनी सोच को बदल कर नया आयाम लिख सकती हैं. इस बात को ध्यान में रख कर कि बेटे की तरह बेटी की रगों में भी उन्हीं का खून है. जिस दिन महिलाएं यह सोचेंगी उस दिन से कन्या भू्रण हत्या के मामले खुदबखुद कम हो जाएंगे.

कुप्रथाओं को बढ़ावा

कहते हैं अगर कोई औरत कुछ करने की ठान ले, तो वह उसे कर के ही दम लेती है, मगर निराश करने वाली बात यह है कि ज्यादातर महिलाएं किसी को बरबाद करने की भले ठान लें, लेकिन कुछ अच्छा करने की नहीं ठानतीं. अगर वे ऐसा कुछ करतीं तो आज समाज में दहेज, बाल विवाह, परदा जैसी कुप्रथाएं अपने पांव न पसारतीं. असल में महिलाओं की सोच ने ही इन प्रथाओं को जीवित रखा है.

हाल ही में छपरा कोर्ट (बिहार) के सामने दहेज हत्या (सोनी देवी) का मामला आया.

सोनी देवी की शादी 2003 में हुई थी. ससुराल वाले उसे दहेज के लिए प्रताडि़त करते थे. उन की मांग पूरी न होने पर 24 अप्रैल, 2005 को उन लोगों ने सोनी की हत्या कर उस के शव को जला दिया. नतीजतन कोर्ट ने सोनी के पति और ससुर को 10 साल की और सास को 7 साल की सजा सुनाई. अगर सोनी की सास के विचार स्वतंत्र होते तो वह दहेज की मांग न करती और सोनी आज जीवित होती.

धर्म पर कर्म से ज्यादा यकीन

कहते हैं मानव के कर्म ही उस के विचारों की सर्वश्रेष्ठ व्याख्या है, लेकिन महिलाएं हमेशा कर्म के बजाय धर्म को अधिक अहमियत देती हैं. वे चाहें तो तीजत्योहार के मौके पर अनाथालय जा कर बेसहारा बच्चों को खुशी दे सकती हैं, लेकिन धनसंपत्ति, खुशहाली तो कभी पति की दीर्घ आयु आदि की प्राप्ति के लिए वे धर्म स्थलों के द्वार खड़ी हो जाती हैं. भले वे किसी गरीब या दीनदुखी की सहायता न करें, मगर धर्म के नाम पर धार्मिक स्थलों पर दान देने से पीछे नहीं हटतीं. ढोंगी साधूबाबाओं में भी उन का गहरा विश्वास होता है. घर में कलह से ले कर बांझपन आदि समस्याओं के लिए समाधान निकालने के बजाय वे बाबाओं के तावीजों का सहारा लेती हैं. यही वजह है कि आए दिन बाबाओं द्वारा महिला भक्त पर रेप के मामले बढ़ रहे हैं. आज यदि महिलाओं के विचार स्वतंत्र होते, तो बाबाओं की दुकानें न चलतीं.

जिम्मेदारी पति के कंधों पर ही क्यों

वे दिन गए जब महिलाएं हाउसवाइफ हुआ करती थीं. आज मैट्रो सिटीज की कई महिलाएं वर्किंग हैं, लेकिन बात जब भी आर्थिक जिम्मेदारी को संभालने की आती है, तो महिलाएं अपना पल्ला झाड़ लेती हैं. उन्हें लगता है कि पैसों से जुड़ा मसला पुरुषों को संभालना चाहिए. घर के राशन से ले कर खुद की शौपिंग तक वे पति के पैसों से करना चाहती हैं. आज भी होटल में लंच या डिनर पार्टी के बाद महिलाएं बिल भरने के लिए पुरुषों का मुंह ताकती हैं. कभी खुद से पहल नहीं करती हैं. पैसा खर्च करने की जिम्मेदारी सिर्फ पुरुषों की है, महिलाओं को अपनी यह सोच बदलनी चाहिए, क्योंकि जब वे बाकी मामलों में पुरुषों की बराबरी कर सकती हैं, तो उन्हें आर्थिक जिम्मेदारी को भी बराबर बांटना चाहिए.

मनोचिकित्सक डा. निमिषा के अनुसार, महिलाओं को अपने विचारों में स्वतंत्रता लाने के लिए अपनी सोच को बदलना चाहिए. उन्हें कुछ इस तरह सोचना चाहिए:

शिक्षित सोच: महिलाओं का शिक्षित होना बेहद जरूरी है. शिक्षा से उन का आत्मविश्वास बढ़ता है. निर्भयता आती है और उन्हें बहुत जानकारी मिलती है.

संतुलित सोच: महिलाओं को खुद के विषय में संतुलित सोच रखनी चाहिए. उन्हें भावनाओं में बह कर नहीं सोचना चाहिए और न ही भावनाओं में आ कर कोई फैसला करना चाहिए.

सामाजिक सोच: किसी भी सामाजिक सोच को अपने ऊपर हावी नहीं होने देना चाहिए, क्योंकि समाज द्वारा थोपा गया कोई भी निर्णय आप की खुशी और शांति से बढ़ कर नहीं है. एक खुश और शांत महिला समाज को बहुत कुछ दे सकती है.

निर्णय लेने की सोच: महिलाओं को अपने निर्णय खुद लेने चाहिए. इस से वे ज्यादा सफल साबित होंगी.

शिकार पढ़ीलिखी महिलाएं भी

मई, 2016 को एक एनआरआई महिला ने पंजाब के एक बाबा पर रेप करने का मामला दर्ज करवाया. महिला का आरोप है कि एक पाखंडी बाबा ने उसे बुरी आत्माओं से बचाने के नाम पर उस के साथ रेप किया. बाबा का कहना था कि वह उसे बुरी आत्माओं से आजाद करा देगा. आरोपी बाबा ने महिला के साथ गलत हरकतें कीं. महिला द्वारा आपत्ति जताने पर वह कहता कि वह उस के साथ नहीं, बल्कि बुरी आत्माओं के साथ ऐसा बरताव कर रहा है. आश्चर्य तो इस बात का है कि पढ़ीलिखी महिलाएं भी ऐसे बाबाओं के झांसे में आ जाती हैं.

कुछ दिनों पहले ही बाराबांकी में महिलाओं की गोद भरने के नाम पर 100 से भी अधिक महिलाओं का यौन शोषण करने वाले स्वयंभू बाबा परमानंद को गिरफ्तार किया गया. यह बाबा महिलाओं का यौन शोषण करने के साथसाथ उन का अश्लील वीडियो भी बनाता था. बाबा बेटा पैदा होने के लिए आशीर्वाद देने के बहाने महिलाओं को फंसाता था और उन का अश्लील वीडियो बना कर उन्हें अपने जाल में उलझा

लेता था.

क्या आप जानती हैं

अंडरस्टैंडिंग जैंडर इक्वैलिटी इन इंडिया 2012 के आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा जैसे आर्थिक रूप से संपन्न राज्यों में लिंगानुपात की स्थिति पांडिचेरी, छत्तीसगढ़, मेघालय, मिजोरम, त्रिपुरा, केरल और ओडिशा जैसे राज्यों की तुलना में बेहद कम है? दिल्ली, चंडीगढ़, पंजाब, हरियाणा में प्रति हजार लड़कों पर लड़कियों की संख्या क्रमश: 866, 818, 813 और 877 है.

बदलनी होगी मानसिकता

‘‘सदियों से महिलाओं को आश्रित, परतंत्र या कमजोर देखा और माना गया है, जिस का काफी हद तक प्रभाव महिलाओं की खुद की मानसिकता पर होता है. उदाहरण के तौर पर अकसर महिलाएं जहां स्वतंत्रता से स्वयं का विकास कर सकती हैं, वहां भी इस मानसिकता और तमाम भूमिका निभाने के दबाव में वे अपना ध्यान नहीं रख पाती हैं. उन की मानसिकता उन्हें सिर्फ दूसरों का ध्यान रखने, त्याग करने या दूसरों के लिए जीने को प्रेरित करती है.’’

-डा. निमिषा, मनोचिकित्सक, इंटरनैशनल सर्टिफाइड लाइफ कोच, गुजरात

 

विचारों में स्वतंत्रता जरूरी

‘‘महानगरों की बात करें या कसबों की, महिलाएं पूर्णरूप से स्वतंत्र होने के बाद भी कोई निर्णय लेने से पहले अपने पति या सहयोगी की राय जरूर लेती हैं. किचन क्वीन होने के बाद भी खाने में क्या बनाऊं जैसा छोटा सवाल वे परिवार वालों से करती हैं. वे अपने कमाए पैसों का निवेश भी खुद नहीं कर पातीं. स्वतंत्र होते हुए भी महिलाओं ने खुद को सीमाओं में जकड़ रखा है, जिसे देख कर तो कतई नहीं लगता कि स्वतंत्र देश की स्वतंत्र महिलाएं विचारों से स्वतंत्र हैं.’’    

– डा. जयश्री सिंह, हिंदी प्राध्यापक, मुंबई

 

दहेज की बलि

राष्ट्रीय अपराध रिकौर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2007 से 2011 के बीच देश में दहेज हत्याओं के मामलों में तेजी आई है. 2007 में ऐसे 1,093 मामले दर्ज हुए, लेकिन 2008 और 2009 में यह आंकड़ा क्रमश: 8,172 और 8,383 था. 2010 में इस प्रकार की 8,399 मौतें दर्ज की गईं और 2012 में भारत भर से दहेज हत्या के 8233 मामले सामने आए. आंकड़ों के औसत की मानें तो प्रत्येक घंटे 1 महिला दहेज की बलि चढ़ रही है.

 

खुद को मजबूत बनाएं

‘‘अफसोस कि विचारों से महिलाएं आज भी स्वतंत्र नहीं हैं. वे आज भी वही बोलती हैं, जो लोगों को सुनने में अच्छा लगता है. शादी और रिश्तों की मर्यादा संभालतेसंभालते उन की आवाज भी दब गई है और उन की आवाज तब तक दबी रहेगी जब तक वे खुद के लिए बोलेंगी नहीं. जब तक महिलाओं को इस बात की परवाह रहेगी कि लोग क्या सोचेंगे तब तक वे मजबूत हो कर भी कमजोर ही रहेंगी.’’

-काम्या पंजाबी, टीवी कलाकार

 

प्रभावशाली बनें महिलाएं

‘‘बेशक आज की महिलाएं पावरफुल हैं, उन्हें किसी की जरूरत नहीं है, वे पूरी तरह से स्वतंत्र हैं और अपने और अपनों से जुड़े लोगों के जीवन की बागड़ोर संभालने में सक्षम भी, लेकिन बात जब विचारों की आती है तो उन के विचार आज भी उतने प्रभावशाली नहीं हैं, जितने कि होने चाहिए. तो भला कोई कैसे कह सकता है कि महिलाएं विचारों से स्वतंत्र हैं?’’

-सारा खान, टीवी कलाकार

आकर्षण का केंद्र बनता बस्तर दशहरा

बस्तरमें आयोजित होने वाले पारंपरिक पर्वों में बस्तर दशहरा सर्वश्रेष्ठ है. बस्तर के आदिवासियों की अभूतपूर्व भागीदारी का ही प्रतिफल है कि बस्तर दशहरे की पहचान अब राष्ट्रीय स्तर तक ही सीमित नहीं है वरन अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी स्थापित हो चुकी है. देशी एवं विदेशी पर्यटकों के लिए बस्तर दशहरा अब मुख्य आकर्षण का केंद्र बन चुका है.

रथ चलाने की प्रथा

यह मुख्यरूप से दंतेश्वरी देवी पर केंद्रित होता है. यह त्योहार संपूर्ण रूप से स्थानीय मान्यताओं एवं आदिवासी प्रथाओं का मिश्रण है. अनेक पारंपरिक जनजातीय, स्थानीय एवं हिंदू धर्म के देवीदेवता दंतेश्वरी देवी के मंदिर में एकत्रित होते हैं, जोकि पर्व का केंद्र बिंदु होता है.

कहते हैं कि राजा पुरुषोत्तम देव जब पुरी धाम से बस्तर लौटे तभी से गोंचा और दशहरा पर्वों में रथ चलाने की प्रथा चली.

मजबूत बुनियाद

75 दिवसीय सुप्रसिद्ध बस्तर दशहरे की शुरुआत श्रावण की हरेली अमावस्या से होती है एवं समापन अश्विन महीने की पूर्णिमा की 13वीं तिथि को होता है. इस पर्व पर आदिवासी समुदाय ही नहीं, बल्कि समस्त छत्तीसगढ़ी गर्व करते हैं. इस पर्व में अन्नदान एवं श्रमदान की जो परंपरा विकसित हुई

उस से साबित होता है कि हमारे समाज में सामुदायिक भावना की बुनियाद बेहद

मजबूत है.

सांस्कृतिक परंपरा

बस्तर दशहरे में होने वाली रस्में बेहद रोचक एवं अनूठी हैं जैसे पाट जात्रा, काछिन गादी, नवरात: जोगी बिठाई, रथपरिक्रमा, दुर्गाष्टमी निशाजात्रा, जोगी उठाई, मावली परघाव, विजयादशमी भीतर रैनी, बाहिर रैनी, मुरिया दरबार, ओहाड़ी आदि.

बस्तर दशहरा बहुआयामी है. धर्म, संस्कृति, कला, इतिहास और राजनीति से तो इस का प्रत्यक्ष संबंध जुड़ता ही है, साथ ही साथ परोक्षरूप से भी बस्तर दशहरा समाज की उच्च एवं परिष्कृत सांस्कृतिक परंपरा का गवाह बनता है. आज का बस्तर दशहरा पूर्णतया दंतेश्वरी का दशहरा है.  

घर बैठे ऐसे कमाएं पैसे

हर कोई पैसा कमाना चाहता है. लेकिन नौकरी पाना इतना आसान नहीं. कुछ लोग ऐसे भी हैं जो नौकरी करना ही नहीं चाहते. लेकिन पैसा तो इंसान की जरुरत है इसलिए यहां हम बता रहे हैं कुछ ऐसे तरीके जिससे आप घर बैठे भी पैसे कमा सकती हैं.

टिफिन सिस्टम

अगर आपको खाना बनाने का शौक है, तो आप इस हुनर को अपने प्रोफेशन में बदल सकती हैं. इसकी शुरुआत आप पांच टिफिन से भी कर सकती हैं. धीरे-धीरे टिफिन के साथ-साथ पैसे में भी इजाफा होगा.

ऑनलाइन राइटिंग

लिखना एक कला है. अगर आप भी इस कला में पारंगत हैं तो आप अपनी सर्विस किसी कंपनी को दे सकती हैं. कंटेन्ट राइटिंग, ब्लॉग, ऑनलाइन रिव्यू और आर्टिकल जैसे कई ऑप्शन हैं जिसके बदले आपको अच्छे पैसे कमाने का मौका मिलता है.

ब्याज का पैसा

अगर आपने भी अच्छे-खासे पैसे जमा कर लिए हैं तो आप इस पैसे को बैंक में या फिर म्यूचुअल फंड्स आदि में लगा सकती हैं. ऐसा करके आप घर बैठे ही पैसे कमा लेंगी. इसके अलावा जरूरतमंदों को पैसे उधार देकर भी आप चाहें तो ब्याज कमा सकती हैं.

किराए पर चीजें देना

अगर आपके घर में कमरे खाली हैं तो आप इन्हें किराए पर देकर भी अच्छे पैसे कमा सकती हैं. इसी तरह और कोई चीज जैसे अगर आप अपनी कार का इस्तेमाल रोज नहीं करती हैं तो आप इसे प्रति दिन के हिसाब से रेंट पर दे सकती हैं.

ऑनलाइन कोचिंग

आज कल ऑनलाइन पढ़ाने का ट्रेंड बढ़ता जा रहा है. इसलिए अगर आप पढ़ाई में अच्छी हैं तो आप ऑनलाइन क्लासेज के जरिए स्टूडेंट को पढ़ा सकती हैं और पैसे कमा सकती हैं. इसके लिए जरूरी नहीं है कि आपकी हर विषय में पकड़ हो. आप किसी एक विषय की भी कोचिंग दे सकती हैं.

कौर्न ब्लैक बींस ऐंड ट्राई पेपर बुरीतो

सामग्री

– 4 टोरटिला 9-10 इंच के

– 3/4 कप प्याज कटा

– 1/2 छोटा चम्मच जीरा

– 1/2 छोटा चम्मच मिर्च पाउडर

– 1 कप लाल शिमलामिर्च

– 2/3 कप फ्रिजर में रखे कौर्न

– 1 गाजर कसी हुई

– 1 कप भिगोई व सूखी बींस

– 2 छोटे चम्मच जैलपीनो चिली

– 8 बड़े चम्मच ग्रेटेड मोंटेरी जैक चीज

– 4 बड़े चम्मच वसारहित खट्टी क्रीम

– 4 बड़े चम्मच धनिया

– 2 छोटे चम्मच तेल

– नमक स्वादानुसार

विधि

ओवन को 350 डिग्री तापमान पर गरम करें. टोरटिला को एक फौइल पेपर में रैप करें. फिर 15 मिनट तक ओवन में गरम करें. नौनस्टिक कड़ाई में तेल गरम कर प्याज को धीमी आंच पर हलका सुनहरा होने तक भूनें. फिर इस में जीरा और मिर्च पाउडर डालें औैर 20 सैकंड तक सामग्री को हिलाएं. इस के बाद मिश्रण में शिमलामिर्च, कौर्न और गाजर डालें और तब तक हिलाती रहें जब तक सब्जियां न पक जाएं. फिर इस मिश्रण में बींस, टमाटर और जैलपीनो मिलाएं और आंच को धीमी कर दें. फिर नमक और कालीमिर्च डालें और आंच से उतार लें. अब गरम टोरटिला पर इस मिश्रण को बराबर हिस्सों में रखें और ऊपर से चीज, क्रीम और धनिया डाल टोरटिला के किनारों को फोल्ड कर प्लेट में रख कर परोसें.

-व्यंजन सहयोग:

शैफ जैर्सन फर्नांडिस

कौरपोरैट शैफ, बर्गुइन होटल, मुंबई          

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