धोनी की कहानी सबसे महंगी

क्रिकेटर महेन्द्र सिंह धोनी की बायोपिक पर बेस्ड भारत की मोस्ट अवेटेड फिल्म ‘एमएस धोनी: द अनटोल्ड स्टोरी’ अगले महीने रिलीज के लिए पूरी तरह से तैयार है. बता दें कि धोनी की यह कहानी भारत में बिकने वाली सबसे महंगी बायोपिक है.

जहां अब केवल फिल्म के रिलीज होने में केवल एक महीने का समय बचा है, वहीं इस बायोपिक के लिए धोनी को मिलने वाली राशि एकबार फिर से चर्चा में है. जी हां, इस बायोपिक के एवज में धोनी के फिल्ममेकर से 80 करोड़ रुपए लिए जाने की खबर थी.

कहा जा रहा है कि 20 करोड़ रुपए धोनी को पहले ही दिए जा चुके थे और इसके अलावा फिल्म को मिलने वाले फायदे और रॉयल्टी में से भी उन्हें शेयर दिया जाएगा. हालांकि, यह वह राशि है, जो अब तक शायद किसी सबसे बड़े एक्टर ने भी फिल्ममेकर से न मांगी हो.

इससे पहले मिल्खा सिंह, अजहरुद्दीन और मैरी कोम जैसे खिलाड़ियों पर भी फिल्में बन चुकी हैं. मिल्खा सिंह ने अपनी बायोपिक के एवज में मात्र 1 रुपया लिया था, जबकि मैरी कॉम ने 25 लाख रुपए लिए थे. अजहरुद्दीन ने भी अपनी बायोपिक पर बनी फिल्म के लिए एक रुपए भी नहीं लिए थे.

फिल्म में सुशांत सिंह राजपूत धोनी के किरदार में नजर आएंगे, जिसके लिए उन्होंने काफी कड़ी मेहनत की है. नीरज पांडे फिल्म के लेखक और निर्देशक हैं.

..इसलिए टाइगर बनना चाहते हैं रजनीकांत

जैकी श्रॉफ के सुपरहीरो बेटे टाइगर पर अब रजनीकांत बनने का भूत सवार हो गया है लेकिन अगर इसके पीछे का कारण आप जानेंगे तो आपकी हंसी छूट जायेगी.

बॉलीवुड में टाइगर श्रॉफ को आये हुए जुमा-जुमा दो साल हुए हैं लेकिन अपनी तीसरी फिल्म तक आते आते इस हीरो को प्रमोशन से परहेज होने लगा है. वो भी ऐसे समय जब 40 साल से ज्यादा काम करने वाले अमिताभ बच्चन भी प्रमोशन के लिए दिन रात एक कर देते हों, जूनियर श्रॉफ को फिल्म का प्रमोशन बिलकुल पसंद नहीं. इतना ही नहीं टाइगर ने रजनीकांत जैसा बनने के सपने देखने भी शुरू कर दिए हैं.

टाईगर की माने तो फिल्म बनाने से ज्यादा उन्हें फिल्म को प्रमोट करने में मेहनत लगती है. टाईगर कहतें हैं कि फिल्म के प्रमोशन के दौरान एक जैसे सवाल का जवाब देते-देते वो थक जाते हैं. इसलिए वो रजनीकांत जैसा बनना चाहते हैं क्योंकि सुपरस्टार रजनी को कभी अपनी फिल्म प्रमोट करने की जरूरत ही नहीं पड़ती. टाइगर की सोच अच्छी है लेकिन रजनी जैसा बनने का सपना देखने के लिए उन्होंने जो तोड़ निकाला है वो जरा हजम नहीं होता.

“करों के बोझ से कराह रही है भारतीय फिल्में”

फिल्मकार जोया अख्तर ने भारतीय फिल्मों पर करों के भारी बोझ पर चिंता जतायी है और इसे निर्माताओं के लिए कमरतोड़ करार दिया है. ‘दिल धड़कने दो’ की निर्देशक ने सरकार से इस उद्योग को सहयोग देने का आह्वान किया है.

जोया ने कहा, ‘मैं समझती हूं कि हमसे जितना कर लिया जाता है, उतना नहीं लिया जाना चाहिए क्योंकि हॉलीवुड फिल्मों से भी उतना कर नहीं वसूला जाता जितना भारतीय फिल्मों से. भारतीय फिल्में कराधान से कराह रही है.’

उन्होंने कहा, ‘हम मनोरंजन के लिए कर का भुगतान कर रहे हैं जो तार्किक कर है और हम सेवा के लिए कर अदा कर रहे हैं. ऐसे में हम लग्जरी हैं या सेवा हैं? हम बस कर का भुगतान करते जा रहे हैं.’ ‘जिंदगी ना मिलेगी दोबारा’ की 43 वर्षीय निर्देशक ने कहा कि सरकार को इस उद्योग का सहयोग करना चाहिए ताकि यह फले फूले.

मुन्नी और भाईजान फिर आएंगे साथ

बॉलीवुड एक्टर सलमान खान की बजरंगी भाईजान एक ऐसी फिल्म है जिसे फैन्स कई बार देख सकते हैं. खासकर फिल्म में सलमान और मुन्नी यानी हर्षाली मल्होत्रा के मासूम से रिश्ते ने सभी के दिल को छुआ था.

सलमान और मुन्नी के फैन्स के लिए एक खुशखबरी है. जी हां, दोनों जल्द ही फिर साथ नजर आएंगे. खबर के मुताबिक दोनों ने एक बिस्किट के एड के लिए हाल ही में शूट किया है. हालांकि एड का फोकस सलमान पर रहेगा लेकिन हर्षाली भी कुछ समय के लिए नजर आएंगी.

इस बारे में जब हर्षाली की मां से पूछा गया तो उन्होंने ज्यादा जानकारी देने से इंकार कर दिया. हांलाकि एड की बात स्वीकारी और बताया कि ये एड 10-12 दिन में रिलीज हो जाएगा.

रिमझिम फुहारों में महाराष्ट्र की सैर

भीषण गरमी के बाद जब मौनसून की पहली फुहार मुंबई और उस के आसपास के क्षेत्रों पर पड़ती है, तो पेड़पौधों, जीवजंतुओं से ले कर मनुष्यों तक सभी खुश हो उठते हैं. मौनसून में मुंबई और उस के आसपास के क्षेत्रों में रहने वाले लोग वीकैंड में कुछ जगहों पर जाना बहुत पसंद करते हैं.

इस बारे में महाराष्ट्र टूरिज्म डैवलपमैंट कौरपोरेशन के संयुक्त प्रबंध निदेशक, सतीश सोनी कहते हैं कि महाराष्ट्र हमेशा टूरिज्म को बढ़ावा देता है. मौनसून में लोनावाला, माथेरान, भंडारदारा, मालशेज घाट आदि पर्यटन स्थल लोगों को सर्वाधिक पसंद हैं.

मौनसून में पर्यटकों की संख्या बढ़ने की वजह महाराष्ट्र की जलवायु है, जो यहां घूमने आने वालों को अच्छा अनुभव कराती है. थोसेघर फाल्स, अंबोली घाट वाटर फाल्स, भांबावली वज्री वाटरफाल आदि बहुत प्रसिद्ध हैं. इन के अलावा कुछ और आकर्षक स्थल जैसे कुंडालिका वाटर राफ्टिंग, लौहगढ़ की ट्रैकिंग आदि भी मौनसून में आकर्षण का केंद्र बनते हैं. इन के साथसाथ इस समय समुद्र तट घूमने का भी अपना अलग ही मजा होता है.

मालशेज घाट

सहयाद्री रेंज पर स्थित यह हिल स्टेशन मौनसून में हरीभरी वादियों और झरनों के कारण पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बन जाता है. यह माउंटेन पास अपनी खूबसूरती के लिए खासा मशहूर है. मालशेज घाट पुणे से 130 किलोमीटर दूर थाणे और अहमदनगर के बौर्डर पर स्थित है. यहां कई रिजोर्ट्स भी हैं.

लोनावाला और खंडाला

ये मुंबई से काफी नजदीक हैं. यहां लैंड और वाटर का अद्भुत समन्वय देखने को मिलता है. मौनसून में यह स्थान अपनी प्राकृतिक छटा को सब से अधिक बिखेरता है. यहां एअरपोर्ट नहीं है, इसलिए मुंबई या पुणे से रोड या ट्रेन से जाना पड़ता है. मुंबई से 83 किलोमीटर की यह दूरी तय करने के लिए ट्रेन और लग्जरी बसों की सुविधा उपलब्ध है.

भूसी डैम, राजमाची व्यूपौइंट और सैलिब्रिटी वैक्स म्यूजियम आदि खंडाला के घूमने योग्य स्थल हैं. यहां रहने के लिए महाराष्ट्र टूरिज्म के होटल के अलावा कई हौलिडे रिजोर्ट्स और होटल्स भी हैं.

मुलशी डैम

मूला नदी पर बने इस बांध तक मुंबई से केवल 3 घंटे की यात्रा कर पहुंचा जा सकता है. यह डैम पूरे महाराष्ट्र के लिए विद्युत उत्पादन का प्रमुख साधन है. मौनसून में डैम पूरी तरह भर जाता है. फलस्वरूप पानी के तेज बहाव से यहां इतना कुहरा होता है कि यहां चलते हुए व्यक्ति को बादल में चलने का एहसास होता है. यह नया पर्यटन स्थल है. इस के आसपास रहने की कई सुविधाएं उपलब्ध हैं.

कलसुबाई पीक

सहयाद्री रेंज की सब से ऊंची चोटी (5,400 फुट) पर स्थित कलसुबाई पीक को महाराष्ट्र का ऐवरेस्ट कहा जाता है. यहां स्थित कलसुबाई हरीशचंद्र गढ़ वाइल्ड लाइफ सैंक्चुअरी काफी प्रसिद्ध है. पूरे साल यहां ट्रैकर्स आते हैं, पर मौनसून में इस की सुंदरता सब से अधिक है. मुंबई से यह 152.8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यहां रहने के लिए होटल्स और रिजोर्ट्स उपलब्ध हैं. इन में होटल परिचय, होटल राज पैलेस, यश रिजोर्ट, आदित्य लौज ऐंड विस्टा रूम्स आदि हैं.

भंडारदरा

भंडारदरा महाराष्ट्र के अहमद नगर जिले में स्थित है. मुंबई से 185 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस स्थल के प्राकृतिक झरने, पर्वत शिखर, हरियाली, शांति और प्राचीन माहौल पर्यटकों का मन मोह लेता है. प्रवरा नदी के किनारे बसा यह क्षेत्र आर्थर झील और रंधा झरने के लिए प्रसिद्ध है. यह क्षेत्र मौनसून में खास आकर्षण का केंद्र बन जाता है. मुंबई में भंडारदरा पहुंचने का सब से उचित माध्यम सड़क हैं.

अंबोली घाट

महाराष्ट्र का यह हिल स्टेशन 690 मीटर की ऊंचाई पर है. सहयाद्री हिल्स पर स्थापित यह स्थान विश्व का एकमात्र ‘इको हौट स्पोट्स’ के रूप में जाना जाता है. यहां की ‘फ्लोरा और फना’ की वैराइटी काफी अच्छी है. यहां पर पर्यटक मौनसून में ही घूमने आते हैं. मुंबई से 491 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस पर्यटन स्थल तक कार, टे्रन और बस द्वारा जाया जा सकता है.

यहां रहने के लिए अच्छे रिजोर्ट्स और होटल भी उपलब्ध हैं, जिन में वृंदावन रिजोर्ट, होटल सैली, साइलैंट वैली रिजोर्ट, महाराष्ट्र टूरिज्म आदि के होटल्स प्रमुख हैं. नानगरता झरना, केवलेश पौइंट, अंबोली झरना, शिरगांवकर पौइंट, माधवगढ़ फोर्ट आदि यहां देखने योग्य स्थल हैं.

करनाला

चारों तरफ हरीहरी वादियों और प्राकृतिक झरने से सुशोभित यह क्षेत्र मुंबई से केवल 80 किलोमीटर दूर स्थित है. मौनसून में यहां ट्रैकिंग आकर्षण का खास केंद्र होता है. यहां स्थित करनाला फोर्ट में देखने लायक कई दृश्य हैं.

कोलाड

मुंबई गोवा हाईवे से निकट स्थित कोलाड एक छोटा सा पर्यटन स्थल है, जो चारों तरफ से छोटीछोटी पहाडि़यों से घिरा है. कुंडालिका नदी पर स्थित यह स्थान मुंबई से 117 किलोमीटर की दूरी पर है. यहां स्थित बांध से पानी छोड़ने के बाद कोलाड राफ्टर्स, मुंबई हाइकर्स, महाराष्ट्र टूरिज्म डैवलपमैंट कौरपोरेशन आदि राफ्टिंग का इंतजाम करते हैं.

थोसेगर फाल्स

मुंबई से नजदीक यह पर्यटन स्थल झरनों की खूबसूरती और फ्लौवर वैली के लिए प्रसिद्ध है. यहां के झरने 20 मीटर से ले कर 500 मीटर की ऊंचाई पर हैं. मौनसून में ये झरने शांत वातावरण में पर्यटकों का ध्यान खींचते हैं. यहां पहुंचने के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट या अपने वाहन का सहारा लेना पड़ता है. कास झील, फूलों से लदे कास पठार यहां देखने योग्य हैं.

लोहगढ़ फोर्ट

लोहगढ़ का किला मुंबई का सब से नजदीकी आकर्षक पर्यटन स्थल है. इस का इतिहास पुराना है. सातवाहन, चालुक्य, राष्ट्रकूट यादव, बहमनी, निजाम, मुगल और मराठा आदि ने समयसमय पर यहां कब्जा किया. 3,390 फुट की ऊंचाई पर बना यह किला मौनसून में अपनी प्राकृतिक छटा बिखेरता है. यहां जाने वाले सभी रास्तों पर अलगअलग तरह की वनस्पति देखते ही बनती है. यह किला पुणे और मुंबई एअरपोर्ट से नजदीक है. यहां नजदीकी रेलवे स्टेशन मालावली है. लोनावाला और पुणे जाने वाली सभी ट्रेनों से यहां पहुंचा जा सकता है. मौनसून में ट्रैकिंग यहां खास है. इस के अलावा भाजा केव्स, कारला केव्स आदि भी देखने योग्य हैं. यहां ठहरने के लिए पुणे और आसपास कई होटल्स और रिजोर्ट्स हैं.

ट्राई करें लीची प्रौन सलाद

सामग्री ड्रैसिंग की

– 60 एमएल चावल का सिरका या व्हाइट वाइन शुगर

– 2 बड़े चम्मच ब्राउन शुगर

– 1 छोटी कली लहसुन बारीक कटी हुई

– चुटकी भर चिली फ्लैक्स

– 1 छोटा चम्मच लैमनग्रास पाउडर

– 1 नीबू का रस

– 2 छोटे चम्मच फिश सौस

सामग्री प्रौन एवं लीची की

– 18 बड़े प्रौन पके हुए

– 1 बड़ा चम्मच ऐक्स्ट्रा वर्जिन औलिव औयल

– 24 लीची छिली

– 1/4 कप प्याज भुना

– मुट्ठी भर धनियापत्ती कटी

– 10 पुदीनापत्ती

– 100 ग्राम मूंगफली रोस्टेड व कटी हुई

– 2 छोटी लालमिर्चें कटी हुई

विधि

ड्रैसिंग तैयार करने के लिए एक पैन गरम करें और फिर उस में चावल का सिरका व ब्राउन शुगर डालें. उबाल आने पर उस में लहसुन और चिली फ्लैक्स डालें और फिर आंच से पैन उतार लें. ठंडा होने पर इस मिश्रण में नीबू का रस और फिश सौस डालें. स्वादानुसार नमक डालें. अब एक बड़ी प्लेट लें. प्रौन, लीची और हर्ब्स डालें. ऊपर से औलिव औयल डालें और फिर तैयार ड्रैसिंग डालें. मूंगफली, मिर्च और प्याज डालें और सर्व करें.

व्यंजन सहयोग:

रणवीर बरार, सैलिब्रिटी शैफ

बनें सजग उपभोक्ता

हाल ही में ‘सेंटर फौर साइंस ऐंड ऐन्वायरन्मैंट’ के एक अध्ययन में यह सच सामने आया कि देश में बिकने वाली ब्रैड और रेडी टु ईट बर्गर, पिज्जा वगैरह में पोटैशियम ब्रोमेट और पोटैशियम आयोडेट काफी मात्रा में इस्तेमाल किए जाते हैं, जो कैंसर व थायराइड का कारण बन सकते हैं. इन के 38 पौपुलर ब्रैंड्स में से 84% में सैंपल टैस्ट में इन की अधिक मात्रा पाई गई. बाद में करीब 1 माह की जांच-पड़ताल के बाद फूड सेफ्टी और स्टैंडर्डस औथोरिटी औफ इंडिया द्वारा स्पष्ट तौर पर पोटैशियम ब्रोमेट के प्रयोग पर बैन लगा दिया गया. इसी तरह जून 2015 में एफएसएसए ने उस वक्त मैगी नूडल्स पर पूरी तरह बैन लगा दिया था जब इस के सैंपल्स में लेड की काफी अधिक मात्रा पाई गई थी. लेड सेहत के लिए खतरनाक साबित हो सकता है.

दरअसल, उपभोक्ताओं के साथ उत्पादक कंपनियां, विक्रेता, दुकानदार या सेवाप्रदाता कंपनियां वगैरह कई तरह से धोखाधड़ी कर सकती हैं. दोनों मामले जहां उपभोक्ताओं की सेहत से जुडे हैं, वहीं कई दफा आर्थिक दृष्टि से भी उपभोक्ताओं का शोषण किया जाता है. हाल ही में consumerfraud.com में एसबीआई बैंक के ग्राहकों की बैंकिंग जानकारी की धोखाधड़ी से संबंधित एक शिकायत की गई थी कि उन्हें बेवकूफ बना कर उन के डैबिट कार्ड की जानकारी लेने के बाद उन के खाते से पैसे निकाल लिए गए.

कुछ समय पहले एक कंज्यूमर ने एक दुकानदार के खिलाफ केस दर्ज कराया कि दुकानदार ब्रैड पर लिखित एमआरपी से अधिक रकम वसूल रहा था. इसी तरह एक टूअर ऐंड ट्रैवल्स कंपनी पर धोखाधड़ी का केस दर्ज हुआ कि वह वादा की गई सुविधाएं मुहैया नहीं करा पाई.

आज चाहे कोई राशन, कपड़े, दवाएं, ब्यूटी प्रोडक्ट्स या इलैक्ट्रौनिक आइटम्स खरीद रहा हो या फिर किसी कंपनी द्वारा दी जा रही कोई और सेवा प्राप्त कर रहा हो, कहीं भी, कभी भी उस के साथ धोखाधड़ी हो सकती है. ऐसे में जरूरी है कि एक उपभोक्ता होने के नाते सदैव अपनी आंखें खुली रखे और जब भी जरूरत पड़े अपने हक के लिए आवाज उठाए.

आरएसजे लैक्सस के डायरैक्टर, गौरव जैन कहते हैं कि जब एक रेस्टोरैंट में खाना खाने जाते हैं तो खाने की क्वालिटी के अलावा आप को यह भी ध्यान रखना होगा कि आप से कहीं अवैध रूप से वैट या सर्विस टैक्स तो नहीं वसूला जा रहा. आप को सिर्फ इतना देखना है कि बिल पर रजिस्टर्ड सर्विस टैक्स नंबर या वैट/टिन नंबर है या नहीं. टिन 11 डिजिट का एक नंबर होता है और इसे वैट से जुड़ी हर तरह की ट्रांजैक्शन में मैंशन करना जरूरी होता है. यदि बिल पर यह नंबर प्रिंटेड है तो ठीक वरना समझ लें कि आप को बेवकूफ बनाया जा रहा है.

महिलाएं रहें सावधान

महिलाओं का खासतौर पर सावधान रहना जरूरी है. प्रैगनैंसी के दौरान कुछ खरीदना हो या छोटे बच्चों का सामान लेना हो अथवा पूरे परिवार के लिए खानेपीने की चीजें, दवाएं वगैरह लेनी हों सजगता हर जगह जरूरी है.

इस तरह की सावधानी आप का 5-10 मिनट से ज्यादा वक्त नहीं लेती. आप पहले इंटरनैट पर प्रोडक्ट के बारे में पूरी जानकारी ले लें फिर उसे खरीदते वक्त पैक के ऊपर मैन्युफैक्चरिंग और ऐक्सपायरी डेट जरूर देखें. वह प्रोडक्ट किन चीजों से बनाया गया है और उस के प्रयोग में क्याक्या सावधानियां बरतना जरूरी है, यह सब भी पैक पर लिखा होना जरूरी है. यही नहीं, प्रोडक्ट की जितनी एमआरपी लिखी गई है उस से ज्यादा कीमत वसूली जाए तो उपभोक्ता इस की लिखित शिकायत कर सकता है. इसी तरह जब आप कोई वस्तु खरीदती हैं, तो उस का उस पर लिखे वजन से कम वजन निकल सकता है.

यदि आप को किसी प्रोडक्ट के वजन को ले कर शंका है तो इसे जरूर चेक कर लें. उदाहरण के लिए एलपीजी सिलैंडर जब आप के पास आता है तो बहुत संभव है कि उस का वजन 1 या 2 किलोग्राम कम हो. आप लेते वक्त उसे तुलवा कर देख सकती हैं. बतौर उपभोक्ता आप को हमेशा कोई भी वस्तु खरीदने के बाद दुकानदार से उस का बिल जरूर मांगना चाहिए. धोखाधड़ी होने पर आप यह बिल सुबूत के तौर पर पेश कर सकती हैं.

द फूड सेफ्टी ऐंड स्टैंडर्ड रैगुलेशंस ऐक्ट, 2011 के मुताबिक अब सभी फूड मैन्युफैक्चरिंग कंपनीज के लिए यह अनिवार्य कर दिया गया है कि वे किसी भी पैक्ड फूड पर स्पष्ट लिखें कि फूड आइटम में नौनवैज इनग्रीडिएंट्स हैं या नहीं और यह स्क्वायर के अंदर ब्राउन या ग्रीन सर्कल के रूप में इंडिकेट किया जाए. ब्राउन सर्कल नौनवैज के लिए और ग्रीन वैजिटेरियन को इंडिकेट करता है.

आर्थिक मुद्दे

गौरव जैन कहते हैं कि अपनी बैंकिंग इन्फौरमेशन सुरक्षित रखने का प्रयास करें. यदि आप नया सिम कार्ड लेने जाते हैं और आप से पैन कार्ड, आधार कार्ड आदि की फोटो कौपी और आप का फोटो लिया है तो हमेशा खयाल रखें कि पूरे पेज पर 2 लाइनें खींच दें और लिखें कि यह फोटोकौपी क्यों और किस उद्देश्य से व कब जमा की गई है.

यदि आप से फोन पर बोनस आदि का लालच देते हुए इंश्योरैंस/बैंक अकाउंट आदि से जुड़ी जानकारी मांगी जाए जैसे पौलिसी नंबर वगैरह तो कभी न दें. आप के साथ फ्रौड हो सकता है. इसी तरह फोन पर क्रैडिट कार्ड/ औनलाइन बैंकिंग आदि से जुड़ा विवरण व पासवर्ड आदि मांगा जा सकता है. आप यह भूल कर भी न बताएं. इस तरह के लोग फ्रौड हो सकते हैं. डिटेल जान कर बड़ी से बड़ी रकम भी अपने अकाउंट में ट्रांसफर करा सकते हैं.

इसी तरह वाट्सऐप पर भी कभी अपने क्रैडिट कार्ड वगैरह का फोटो किसी को न भेजें. यदि कभी कार्ड खो जाए तो उसे तुरंत बंद करा दें. कभी इंश्योरैंस फौर्म साइन करते वक्त आंखें बंद न रखें. खाली फौर्म में कभी अपने हस्ताक्षर न करें. जब भी आप इंश्योरैंस लें तो अपने परिवार के किसी न किसी सदस्य का नाम नौमिनी में जरूर डालें वरना यह भी संभव है कि वह उस खाली जगह पर अपने आदमी का नाम डाल कर कमाई कर ले.

क्वालिटी का प्रमाण

वे पदार्थ जो वैधानिक रूप से स्टैंडर्ड को मैंटेन करते हैं, उन की पैक पर हमेशा खास क्वालिटी मार्कस या सर्टिफिकेशन होते हैं. उदाहरण के लिए इंडस्ट्रियल प्रोडक्ट्स के मामले में आईएसआई मार्क हमेशा देखना चाहिए. इसी तरह कृषि उत्पादों पर एग्मार्क, फ्रूट प्रोडक्ट्स के लिए एफपीओ मार्क व सोने के गहनों की शुद्धता बीआईएस हौलमार्क से प्रमाणित होती है. इसी तरह जिन कंपनियों के पास आईएसओ प्रमाणपत्र है, उन की तरफ से भी उपभोक्ता निश्चिंत हो सकते हैं. किसी भी फूड आइटम का उत्पादन करने वाली कंपनी के लिए यह जरूरी है कि वह एफएसएसएआई में रजिस्टर्ड हो.

धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज कराएं

अगर आप किसी तरह की धोखाधड़ी का शिकार बनते हैं तो परेशान न हों. आप कंज्यूमर फोरम में अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं. कंज्यूमर फोरम एक सरकारी संस्था है, जहां विक्रेता और सप्लायर के खिलाफ केस दर्ज कराया जा सकता है. इसे कंज्यूमर कोर्ट भी कहा जाता है.

कंज्यूमर कोर्ट 3 स्तरों पर स्थापित किए गए हैं. यदि 20 लाख रुपए तक की धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज करवानी है तो आप जिला उपभोक्ता फोरम का दरवाजा खटखटा सकते हैं. 20 लाख रुपए से 1 करोड़ तक के मामले में राज्य उपभोक्ता फोरम और 1 करोड़ रुपए से ऊपर की धोखाधड़ी में राष्ट्रीय उपभोक्ता फोरम में केस दर्ज कराया जा सकता है. शिकायत दर्ज कराने की प्रक्रिया सरल और कम खर्च वाली है. आप स्वयं भी अपना केस लड़ सकते हैं. मगर दावा 2 साल के अंदर दायर करें. उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत प्रावधान है कि उपभोक्ता फोरम 3 माह के भीतर मामला निबटाए.   

पहले से बना लें शिक्षा का बजट

बच्चों को जितनी अच्छी शिक्षा मिलेगी उन का भविष्य उतना ही अच्छा होगा. अगर बच्चे सही से पढ़ाई नहीं कर पाते हैं तो जीवन भर परेशान रहते हैं. ऐसे में जरूरी है कि पेरैंट्स बच्चों की पढ़ाई के बारे में पहले से ही सोचना शुरू कर दें और उच्च शिक्षा के लिए अलग से बचत करना शुरू करें ताकि कालेज का चयन करते समय बजट की समस्या न रहे.

जिस तरह से बच्चों की शादी, घर और मैडिकल सुविधाओं के लिए पहले से तैयारी की जाती है उसी तरह उच्च शिक्षा का भी बजट तैयार किया जाना चाहिए. प्राइवेट कालेज में उच्च शिक्षा की फीस कालेज की गुडविल, कोर्स और वहां मिलने वाली सुविधाओं पर निर्भर करती है.

एसआर ग्रुप औफ  इंस्टिट्यूट्स, लखनऊ के चेयरमैन, पवन सिंह चौहान कहते हैं, ‘अब पेरैंट्स बहुत जागरूक हो रहे हैं. वे बच्चे की उच्च शिक्षा के लिए अपना बजट पहले से बना लेते हैं. इस के अलावा प्राइवेट और सरकारी स्तर पर छात्रों को छात्रवृत्ति की व्यवस्था भी है. लेकिन पेरैंट्स को छात्रवृत्ति को बजट में नहीं जोड़ना चाहिए. कई बार यह नहीं मिलती तो परेशानी होती है.’

जैसी सुविधा वैसा खर्च

उच्च शिक्षा में बीए की पढ़ाई से ले कर इंजीनियरिंग तक की पढ़ाई शामिल होती है. हर कोर्स की फीस अलगअलग होती है. यह 20 रुपए हजार सालाना से ले कर 2 लाख रुपए सालाना तक हो सकती है. डाक्टरी की पढ़ाई की फीस सब से ज्यादा है. इस का कारण यह है कि डाक्टरी की पढ़ाई के लिए निजी शिक्षण संस्थान बहुत कम हैं.

उच्च शिक्षा में पढ़ाई के बाद दूसरा बड़ा खर्च होस्टल का होता है. सरकारी कालेजों के मुकाबले प्राइवेट कालेजों के होस्टल बहुत अच्छे होते हैं. यहां रहने के लिए अच्छे हवादार कमरों के साथसाथ बिजली, जिम, इंटरनैट जैसी सुविधाएं भी होती हैं. दिन में 2 बार खाने के साथ-साथ सुबह-शाम नाश्ते का भी इंतजाम कालेज की ओर से रहता है. बच्चों के मनोरंजन के लिए कौमनरूम में टीवी और होम थिएटर तक की व्यवस्था होती है.

होस्टल की फीस 45 हजार रुपए सालाना से ले कर 90 हजार रुपए तक हो सकती है. कुछ कालेजों में एसी की सुविधा भी है. ज्यादातर होस्टल 1 कमरे में 2 बच्चों को रखते हैं. कुछ कालेजों में 3 बच्चों को भी रखा जाता है, तो कुछ कालेज 1 कमरे में 1 बच्चे के रहने की भी सुविधा देते हैं. इन सुविधाओं के हिसाब से होस्टल की फीस भी तय होती है.

उच्च शिक्षा में इंटरनेट का महत्त्व बढ़ गया है. ऐसे में कालेजों के होस्टल में भी इंटरनैट सुविधाएं मिलने लगी हैं. कई कालेज होस्टल में इंटरनैट न दे कर कौमनरूम में देते हैं. इस के अलावा होस्टल में मैडिकल सेवाएं भी मिलती हैं. प्राइवेट कालेजों में वातानुकूलित होस्टल सुविधा दी जाती है.

सुरक्षित और सुविधाजनक माहौल

मेरठ के सुभारती विश्वविद्यालय में फाइन आर्ट के प्रिंसिपल पिंटू मिश्रा कहते हैं, ‘आज उच्च शिक्षा के लिए लड़कियां अपने घरों से दूर दूसरे शहरों के प्राइवेट कालेजों तक जाने लगी हैं. ऐसे में पेरैंट्स की प्राथमिकता यह होती है कि वे किस तरह के माहौल में रह रही हैं. प्राइवेट कालेजों में शिक्षा और रहने का माहौल सुरक्षित और सुविधाजनक होता है. ऐसे में लड़कियों को भी घर से दूर आने के बाद किसी तरह की परेशानी का अनुभव नहीं होता है. जिन शिक्षण संस्थानों में लड़के-लड़कियां साथ पढ़ते हैं वहां के होस्टल पूरी तरह से लड़कियों के लिए सुरक्षित हैं.’

कालेज में रह रहे छात्रों का सही तरह से विकास हो सके, इस का पूरा खयाल रखा जाता है. सरकारी और प्राइवेट कालेजों में यही अंतर होता है. सरकारी कालेजों में जहां केवल पढ़ाई पर ध्यान दिया जाता है वहीं प्राइवेट कालेजों में पढ़ाई के साथ-साथ बच्चों के सर्वांगीण विकास का ध्यान रख कर काम किया जाता है. इस से छात्र बेहतर तरीके से उच्च शिक्षा का लाभ ले सकते हैं. पेरैंट्स को इस तरह की सुविधाओं को ध्यान में रखना चाहिए.

कई बार पेरैंट्स सही तरह से इन बातों का अंदाजा नहीं लगा पाते. ऐसे में बाद में उन को परेशानियों का सामना करना पड़ता है. कई बार पेरैंट्स कालेज के अंदर होस्टल लेने के बजाय खर्च कम करने के लिए कालेज के बाहर होस्टल ले लेते हैं. कालेज के बाहर के होस्टल पूरी तरह सुरक्षित और सुविधाजनक नहीं होते हैं. कालेज के होस्टल ज्यादा सुरक्षित रहते हैं.

अन्य खर्च

शिक्षा में कालेज फीस और होस्टल की फीस के अलावा तीसरा महत्त्वपूर्ण खर्च बच्चे की पौकेटमनी का होता है. यह हर माह पेरैंट्स को देना होता है. सामान्य तौर पर इस की लिमिट बच्चे और खर्च पर तय होती है. सामान्य रूप से यह खर्च 2 हजार रुपए से ले कर 5 हजार रुपए तक होती है. इस पैसे से बच्चे अपनी जरूरतें पूरी करते हैं. पौकेटमनी से उन का आत्मविश्वास बढ़ता है. जरूरत इस बात की है कि पौकेटमनी का सही तरह से उपयोग हो. पढ़ाई में कई प्रकार के खर्च पहले से तय नहीं होते. इस में ऐजुकेशन टूअर, कई तरह के आयोजन आदि होते हैं. इन में बच्चों से कुछ फीस अलग से ली जाती है. इस तरह से उच्च शिक्षा के खर्च का अंदाजा लगा कर पेरैंट्स अपना बजट तैयार कर सकते हैं ताकि उन के बच्चों को अच्छा कालेज और मनपसंद शिक्षा मिल सके.

अच्छी पहल है

‘‘बच्चे को उस की रुचि के अनुसार शिक्षा दिलानी चाहिए. प्राइवेट कालेज अब पेरैंट्स की जरूरत के हिसाब से फीस और होस्टल फीस को किस्तों में भी लेते हैं. इस से पेरैंट्स को बजट मैंटेन करने में मदद मिलती है.किस्तों में फीस देना सुविधाजनक होता है,’’          

पवन सिंह चौहान, चेयरमैन,

एसआर ग्रुप औफ इंस्टिट्यूट्स, लखनऊ

बढ़ता है आत्मविश्वास

‘‘कई कालेज छात्रवृत्ति भी देते हैं. इस के लिए छात्रों को टैस्ट देना होता है. नंबरों के हिसाब से छात्रवृत्ति का पैसा तय होता है. इस से छात्र पढ़ने की तरफ ज्यादा ध्यान देते हैं. छात्र में आत्मविश्वास भी आता है. उसे लगता है कि अपनी मेहनत से वह अपनी पढ़ाई में योगदान दे सकता है,’’

-पिंटू मिश्रा, प्रिंसिपल, फाइन आर्ट डिपार्टमैंट सुभारती विश्वविद्यालय, मेरठ

‘गोलमाल-4’ में स्पेशल सॉन्ग करेंगी करीना!

करीना कपूर खान प्रेग्नेंसी के कारण ‘गोलमाल-4’ में लीड रोल नहीं कर रही है, लेकिन रोहित शेट्टी ने हाल ही में बताया कि वे छोटा सा रोल कर सकती हैं.

उन्होंने कहा, ‘ऐसी स्थिति में करीना को गोलमाल-4 के लिए अप्रोच करना ठीक नहीं, जबकि वे अपने पहले बच्चे के इस दुनिया में आने का इंतजार कर रही हैं. वे इस फिल्म में एक स्पेशल सॉन्ग कर सकती हैं.’

आगे शेट्टी ने कहा कि वे उन्हें फिल्म की शूटिंग के दौरान काफी मिस करने वाले हैं. वे उन्हें इस फिल्म के लिए कह भी सकते हैं, लेकिन यह उचित नहीं. गौरतलब है कि करीना इस सीरीज की पिछली दो फिल्मों ( गोलमाल रिर्टन्स और गोलमाल-3) में काम कर चुकी हैं.

अब चौथी फिल्म के लिए कई एक्ट्रेस के नाम पर विचार चल रहा है. इसमें आलिया भट्ट सबसे ऊपर हैं. जानकारी के अनुसार, यह फिल्म अगले साल जनवरी तक फ्लोर पर आएगी.

इसके अगले साल दिवाली पर रिलीज होने की उम्मीद है. अजय देवगन इस फिल्म में लीड एक्टर हैं.

घर पर ऐसे बनाएं बेसिल चिकन

सामग्री

– 1 बड़ा चम्मच औलिव औयल

– 1 बड़ा चम्मच लहसुन व अदरक कटा हुआ

– 1 बड़ा चम्मच लैमनग्रास कटी हुई

– 1/4 कप स्प्रिंग ओनियन का सफेद भाग कटा हुआ

– 450 ग्राम मिंस्ड चिकन

– 1 बड़ा चम्मच सोया सौस

– 1 छोटा चम्मच फिश सौस

– 1 छोटा चम्मच हौट सौस

– 1 छोटा चम्मच ताजा पिसी मिर्च

– 1/4 छोटा चम्मच चीनी

– 7-8 तुलसी की पत्तियां मसली हुईं

– 1 अंडे का आमलेट गार्निशिंग के लिए.

विधि

एक पैन में तेल गरम कर अदरक, लहसुन और लैमनग्रास को भूनें. अब इस में प्याज डालें और 2-3 मिनट तक भूनें. इस मिश्रण में मिंस्ड चिकन डालें और 3-4 मिनट तक भूनें. अब सभी सीजनिंग, हर्ब्स और सौस को मिश्रण में डाल कर अच्छी तरह मिलाएं. चिकन के अच्छी तरह पकने के बाद पैन को आंच से उतार कर जैसमिन राइस के साथ परोसें.

व्यंजन सहयोग:

रणवीर बरार, सैलिब्रिटी शैफ

 

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