ऐसे बढ़ाएं आंखों की सुंदरता

बड़ी-बड़ी आंखें और लंबी-घनी पलकें आंखों के साथ पूरे चेहरे की रौनक बढ़ा देती हैं. लेकिन हर किसी को ऐसी पलकें नसीब नहीं होती. ऐसे में नकली पलकें लगाना, लड़कियों के बीच खासा ट्रेंड बनता जा रहा है लेकिन इससे उनमें नेचुरल ग्‍लो नहीं आता है.

अगर आप भी ऐसी ही ब्‍यूटी समस्‍या से परेशान हैं तो इन तीन उपायों की मदद से आप भी पा सकती हैं लंबी-घनी खूबसूरत पलकें…

1. अरंडी के तेल में ऐसे गुण होते हैं जो बालों की ग्रोथ के लिए अच्‍छे होते हैं. इसे रोज रात को सोते समय कॉटन की मदद से आंख बंद करके पलकों पर लगाएं. सुबह उठकर चेहरा धो लें.

2. जैतून का तेल लगाने से पलकें घनी हो जाती हैं और तेजी से बढ़ती हैं.

3. पलकों को छोटे से ब्रश से ऊपर की ओर रोजाना तीन बार ऊपर की ओर उठाएं. ऐसा करने से ब्‍लड सकुलेशन अच्‍छी तरह से होता है और इनकी गंदगी भी निकल जाती है.

4. ग्रीन टी के टी बैग को भिगो कर पलकों पर रखें. इससे पलकें स्‍वस्‍थ होंगी और इनकी ग्रोथ बढ़ेगी.

‘सैराट’ के नक्शेकदम पर ‘बार-बार देखो’

फिल्म ‘बार-बार देखो’ ने मार्केटिंग रणनीति के पुराने तरीकों को छोड़कर एक नया चलन शुरू किया है. फिल्म की लोकप्रियता का अंदाजा इसके ट्रेलर से पहले जारी पोस्टर और गाने के लांच से लगाया जा सकता है. इस संबंध में जारी एक बयान के अनुसार, ‘बार-बार देखो’ के निर्माता इस साल रिलीज हुई मराठी फिल्म ‘सैराट’ के नक्शेकदम पर चल रहे हैं.

सैराटने फिल्म के ट्रेलर से पहले लांच किए थे गाने

‘सैराट’ ने फिल्म के ट्रेलर से पहले गाने लांच किए. गानों का टीजर और फर्स्ट लुक जारी करने के बाद गाना जारी किया गया और फिर फिल्म का पूरा ट्रेलर. इससे ‘सैराट’ को फायदा यह हुआ कि इसने लोगों को फिल्म से बांधे रखा और यह मराठी फिल्म इंडस्ट्री की अब तक की सबसे बड़ी सुपरहिट फिल्म साबित हुई.

9 सितंबर को रिलीज हो रही है बार बार देखो

फिल्म ‘बार बार देखो’ के निर्माताओं ने भी इसी तर्ज पर पहले गाना रिलीज किया. इसके अब तक के सारे गाने रिलीज हो गए हैं. फिल्म 9 सितंबर को रिलीज हो रही है. फिल्म को नित्या मेहरा ने निर्देशित किया है. धर्मा प्रोडक्शन और एक्सल एंटरटेनमेंट ने इसे निर्मित किया है.

आगरा के कुछ रंग ऐसे भी

आगरा की पहचान ताजमहल से है, लेकिन ऐसा नहीं है कि यहां सिर्फ ताजमहल ही देखने लायक जगह है. महाभारत में आगरा को आगराबन (ब्रजभूमि का अविभाज्य हिस्सा या भगवान कृष्ण की भूमि) कहा गया है. अफगान के राजा सिकंदर लोदी के समय आगरा चर्चा में आया. लोदी ने आगरा को अपने राज्य की राजधानी बनाया. 1526 ईसवी में मुगल राजा बाबर ने आगरा को खूबसूरत बनाने की जिम्मेदारी अपने ऊपर ले ली थी.

बाबर ने आगरा के लोगों के लाइफस्टाइल और कल्चर में बदलाव लाने की शुरुआत की. इसके बाद आगरा से कुशल कारीगर, कलाकार, राजनेता और योद्धा तैयार हुए. यहीं से आगरा के गोल्डन पीरियड की शुरुआत हुई. आगे के 100 सालों में आगरा ने तीन मुगल सम्राटों- अकबर, जहांगीर और शाहजहां के वैभव को देखा. इन तीनों ने आगरा को आर्ट, कल्चर, लर्निंग और कॉमर्स का सेंटर बना दिया.

आगरा ने अपने आलीशान इतिहास को आज भी कुछ हद तक कायम रखा है. यहां आने वाला हर पर्यटक अपने साथ अच्छी यादें लेकर जाता है. यहां ट्रेडिशन के साथ-साथ लग्जरी और मॉर्डन सुविधाएं भी मौजूद हैं. यहां होटल, शॉपिंग मॉल्स, स्पोर्ट्स, बिजनेस, एजुकेशन, और आर्ट सेंटर मौजूद हैं.

यमुना नदी की ठंडक आगरा की यात्रा शुरू करने के लिए आपका मूड पूरा सेट कर देती है. संगमरमर का बना हुआ ताजमहल शाहजहां के प्यार की निशानी है और दुनिया के सात आश्चर्यों में से एक है. ताजमहल में लोगों को बेहतरीन आर्किटेक्चर, स्टोन वर्क, इनले वर्क, मार्बल एम्ब्रॉयडरी देखने मिलती है.

कहां-कहां घूम सकते हैं आप?

ताजमहल के साथ-साथ आगरा फोर्ट और फतेहपुर सीकरी का आर्किटेक्चर देखकर आप आश्चर्यचकित रह जाएंगे.

हरे-भरे बगीचों और आर्ट-क्राफ्ट से भरी गलियां आपका मन मोह लेंगी.

आगरा की शानदार मेहमान नवाजी, सुंदर आर्ट और लाजवाब फूड ज्वॉइंट्स यहां मुख्य आकर्षण का केंद्र हैं.

इटावा की भी सैर करें

आगरा से सटे इटावा में भारत का एकमात्र लॉयन सफारी है.

इटावा का नेशनल चंबल सेंक्चुरी जेनेटिक डॉलफिन्स का घर है.

कीठम के सुर सरोवर में प्रवासी पक्षियों का झुंड आपकी सारी थकान मिटा देगा.

बॉबी ने बजाया अपना गाना तो पब्लिक ने मांगे पैसे वापस

वैसै तो अगर कोई एक्टर या एक्ट्रेस बॉलीवुड में ना चले तो वो कोई ना कोई बिजनस या कुछ अपना काम शुरू कर ही देता है. अब ट्विंकल खन्ना को ही देख लीजिए वो बॉलीवुड में तो नहीं चली लेकिन राइटर और इंटिरियर डेकोरेशन जैसी चीजों में उन्हें खूब सफलता मिली.

बॉबी देओल भी वैसे ही बॉलीवुड स्टार्स में से हैं जो आते ही छा तो गए लेकिन अचानक गायब हो गए. काफी सालों से बॉबी देओल किसी भी फिल्म में नजर नहीं आए हैं. बॉबी देओल को डीजे का शौक हमेशा से ही था, वो पहले भी दूसरे देशों में ये कर चुके हैं. लिहाजा उन्होंने दिल्ली के एक कल्ब के लिए ये करने का सोचा.

वैसे सबकुछ तो ठीक था लेकिन कुछ ठीक नहीं था तो वो ये कि बॉबी देओल डीजे बनकर जो पहला गाना बजाया वो गुप्त का ‘दुनिया हसीनो का मेला’ था. यहां पब्लिक तो डीजे बॉबी देओल के गाने पर झूमने के लिए तैयार थी लेकिन पहला ही गाना ऐसा था कि लोग मायूस हो गए.

मजेदार बात ये है कि बॉबी देओल के नाम पर टिकट के दाम काफी ज्यादा रखे गए थे लेकिन पब्लिक कुछ खास इंज्वॉय नहीं की इसलिए अब टिकट के पैसे वापस करने की मांग कर रही है. बॉबी देओल तो अपने करियर की दूसरी पारी शुरू करना चाहते थे लेकिन सब कुछ गड़बड़ हो गया.

खबरों के अनुसार, बॉबी देओल को डीजे नाइट में सेलेब्रिटी गेस्ट के तौर पर बुलाया गया था और अपने डीजे प्रेम के चलते बॉबी मना ना कर सके. बॉबी मुंबई से दिल्ली पहुंचे और बन गए डीजे वाले बाबू.

बॉबी देओल आखिरी बार यमला पगला दिवाना 2 में नजर आए थे उसके बाद वो फिल्मों में नजर नहीं आए. पिछले दिनों खबरें जरूर आ रही थी कि बॉबी देओल अपना लुक किसी फिल्म के लिए बदले हैं लेकिन वो फिल्म भी डिब्बा बंद हो गई. 

अक्सर बॉबी क्रिकेट खेलते नजर आते हैं और वो काफी अच्छा क्रिकेट भी खेलते हैं. फिलहाल सनी देओल ने ये जरूर कहा था कि वो बॉबी के लोकर एक फिल्म बनाएंगे लेकिन उसके बारे में ज्यादा कुछ अभी पता नहीं चल पाया है.

इस खान को करेंगे शाहरुख रिप्लेस

बॉलीवुड में ‘बादशाह’ शाहरुख खान करण जौहर की आने वाली फिल्म ‘ऐ दिल है मुश्किल’ में नजर आ सकते हैं. शाहरुख कैमियो के रोल में इस फिल्म में दिख सकते हैं. ऐसी खबरें हैं कि वो इस फिल्म सैफ अली खान की जगह लेंगे.

मीडिया में आई खबरों के मुताबिक ‘ऐ दिल है मुश्किल’ में ऐश्वर्या राय के पति की छोटी लेकिन अहम रोल के लिए करण जौहर ने सैफ अली खान को लेने का मन बनाया था लेकिन सैफ को चोट लगने के कारण अब उनकी जगह शाहरुख खान नजर आ सकते हैं.

इससे पहले खबर थी कि ये फिल्म ‘दूसरा आदमी’ से प्रेरित है. फिल्म ‘दूसरा आदमी’ में ऋषि कपूर, राखी और शशि कपूर ने काम किया था. ‘दूसरा आदमी’ में शशि कपूर ने जो रोल किया था वही रोल शाहरुख करते नजर आ सकते हैं. हालांकि इस बारे में अभी आधिकारिक तौर पर पुष्टि नहीं हुई है.

करण द्वारा निर्देशित इस फिल्म में रणबीर कपूर के साथ ऐश्वर्या राय बच्चन, अनुष्का शर्मा और फवाद खान भी नजर आएंगे. फिल्म इसी साल 28 अक्टूबर को रिलीज होगी.

एक रात में ऐसे पाएं पिंपल से छुटकारा

आज के समय में इतना प्रदूषण है जिसके कारण हमारे चेहरे में कई तरह की समस्या हो जाती है. इन्ही में एक समस्या है कि चेहरे में पिपंल्स का होना. युवा अवस्था में पिपंल्स होना आम बात होती है. कभी-कभी ऐसा होता है कि हमें किसी पार्टी में जाना होता है, लेकिन यह पिंपल्स हमारा मूड ऑफ कर देते है. जिसके कारण हम किसी पार्टी में नहीं जाते है.

कई बार होता है कि यह पिपंल आपको किसी पार्टी या फिर किसी भी फंक्शन में जाने नहीं देते है. जिसके कारण आपका मूड खराब होने के साथ-साथ पूरा दिन खराब हो जाता है.  अगर आपके साथ भी ऐसा कुछ होता है तो हम आपको कुछ ऐसे टिप्स बता रहे है. जिनका इस्तेमाल कर आप आसानी से रातभर में पिपंल से निजात पा सकते है. जानिए इन उपायों के बारें में.

शहद

शहद में इतने औषधिय गुण पाएं जाते है जो आपकी सेहत के साथ-साथ सौंदर्य के लिए भी काफी फायदेमंद है. इसमें भरपूर मात्रा एंटी-बैक्टीरियल गुण पाएं जाते है. जो कि बैक्टीरिया को फैलने से रोकता है. इसके इस्तेमाल से आप रातभर में पिपंल से निजात पा सकते है. इसके लिए प्रभावित जगह पर शहद लगाएं और इसे बैन्डेड से कवर कर दें. रात भर इसे ऐसे ही लगा रहने दें और दूसरे दिन सुबह इसे हटाकर अपना चेहरा धो लें. आप देखेगे कि आपके चेहरे के पिंपल गायब हो गए.

बर्फ

बर्फ में ऐसे गुण पाएं जाते है जो कि आपके चेहरे में पड़ी सूजन, रैशेज को खत्म करता है. इसके लिए एक पतले कपड़े में एक आइस क्यूब लें और इसे पिंपल्स पर रखें. ऐसा दिन में कम से कम 4 बार करें. आपको आराम मिल जाएगा.

ऐस्प्रिन

ऐस्प्रिन के फायदों के बारे में कौन नहीं जानता है. यह सेहत के साथ-साथ सौंदर्य के लिए भी फायदेमंद है. इसमें अधिक मात्रा में एंटी-इंफ्लेमेंटरी के तत्व, सैलिसाइलिक एसिड पाया जाता है. जो कि पिपंल के साथ-साथ एक्ने को खत्म करने में मदद करता है. इसके लिए इसकी 6-7 गोली ले और थोड़े से पानी में डालकर पेस्ट बना लें. इसके बाद प्रभावित जगह पर लगाएं. और 10 मिनट इसी तरह लगा रहने के बाद साफ पानी से धो लें. इससे आपको पिपंल से निजात मिल जाएगी.

लहसुन

वैसे तो आप जानते है कि लहसुन का इस्तेमाल सब्जी का टेस्ट बढाने में किा जाता है. यह हमारी सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है. लेकिन यह पिपंल से भी आपको निजात दिला सकता है. इसमें एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-फंगल और एंटीसेप्टिक प्रोपर्टीज़ मौजूद होती है. जो कि आपके चेहरे से पिंपल को खत्म कर सकता है. इसके लिए लहसुन की एक कली लेकर इसे दो भागों में काट लें. फिर इसे पिपंल में धीरे से रगड़े. और रात भर चेहरे में ऐसे ही लगा रहने दे. इसके बाद सुबह अपने चेहरे को साफ पानी से धो लें.

अरेंज्ड मैरिज में विश्वास नहीं: उर्वशी शर्मा

बड़े परदे पर बैस्ट डैब्यू का खिताब हासिल करने वाली उर्वशी ने लंबे समय के बाद छोटे परदे से वापसी की है. नए रूप में दर्शक उन्हें कितना पसंद करेंगे, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा.

फिल्म ‘नकाब’ की बोल्ड और सेक्सी अदाकारा उर्वशी अब अम्मां बन गई हैं. वे रीयल लाइफ में मां बनने के बाद अब रील लाइफ में भी मां का किरदार निभा रही हैं. दिल्ली की पंजाबी फैमिली में पली बढ़ी उर्वशी मेडिकल ऐंट्रेंस ऐग्जाम की तैयारी कर रही थीं. पर दोस्तों के कहने पर मॉडलिंग करने लगीं और फिर डाक्टर बनने का इरादा बदल दिया.

मॉडलिंग करने के बाद मीका के म्यूजिक अलबम ‘समथिंगसमथिंग…’ में उन्हें चांस मिला. इस में उर्वशी ने अपने ग्लैमरस अवतार के जरीए फिल्म ‘नकाब’ (2007) से बॉलीवुड में ऐंट्री की और पहली ही फिल्म में बेस्ट डेब्यू का फिल्म फेयर अवार्ड अपने नाम कर लिया.

‘आक्रोश’, ‘खट्टामीठा’, ‘चक्रधर’ जैसी हिंदी फिल्मों के साथ तेलुगु फिल्मों में भी काम कर चुकी उर्वशी ने रिएलिटी शो ‘खतरों के खिलाड़ी’ में भी खतरों से 2-2 हाथ किए हैं. 2 साल की बेटी समायरा की मां उर्वशी का मॉडलिंग के लिए पढ़ाई छोड़ने का फैसला हो या फिर लिव इन में रहने का, वे अपने हर फैसले से खुश हैं.

पहले प्यार फिर शादी

सचिन के प्यार में कैसे पड़ गईं?

प्रश्न के उत्तर में उर्वशी कहती हैं कि सचिन से मेरी पहली मुलाकात एक ईवेंट के दौरान हुई थी. उन्होंने देखते ही कहा कि उन्हें मुझ से प्यार हो गया है और शादी करना चाहते हैं. मैं टालती रही, लेकिन वे मानने को तैयार नहीं थे. जब मिले तो काफी बातें हुईं, फिर दोस्ती हुई. इसके बाद मिलने जुलने का सिलसिला ढाई साल तक चला.

एक दिन अचानक वे बोले कि हम 4 दिन बाद 27 फरवरी को शादी करेंगे. अचानक यह सुन कर मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा था. सचिन ने कहा कि शादी में आपकी और मेरी फैमिली के अलावा सिर्फ कुछ फ्रेंड्स शामिल होंगे. मुंबई में रिसेप्शन पार्टी दे देंगे. मैंने तुरंत अपनी डिजाइनर दोस्त को फोन किया. उस ने रातोंरात मेरे लिए वेडिंग ड्रैस तैयार कर दी और फिर हम शादी के बंधन में बंध गए.

जीवनसाथी का चुनाव

लव मैरिज में ज्यादा भरोसा है या अरेंज्ड मैरिज में?

इस सवाल के जवाब में वे कहती हैं, ‘‘मैंने जिंदगी का हर फैसला चाहे वह करियर का हो या फिर शादी का, खुद लिया. मैं जब 21 साल की थी तब दिल्ली से मुंबई पहुंच गई थी. मैंने पढ़ाई छोड़ कर मॉडलिंग करने के फैसले पर घर पर किसी को ऐतराज नहीं हुआ. इसी तरह जब बात लाइफपार्टनर चुनने की आई तो सचिन को मैंने खुद चुना. ढाई साल लिव इन में रहने के बाद शादी करने का फैसला मेरा ही था. मैं अरेंज्ड मैरिज में बिलीव नहीं करती. मैं तो सोच भी नहीं सकती हूं कि जिसे मैं शादी के पहले जानती नहीं उस के साथ कैसे सारी जिंदगी बिताऊंगी. हम दोनों ने भी ढाई साल के लंबे रिलेशन के बाद शादी करने का फैसला किया था.’’

सासबहू वाले शोज से ऐलर्जी

दोबारा फिल्मों में जाने का मन है या फिर छोटे परदे पर ही रमने का इरादा है?

पूछने पर उर्वशी कहती हैं, ‘‘मैं जब फिल्मों में काम करती थी, तो टीवी पर आने के लिए उत्साहित थी पर सासबहू वाले शोज से बहुत ऐलर्जी थी, इसलिए छोटे परदे से दूर भागती थी. लेकिन जब टीवी शो ‘खतरों के खिलाड़ी’ के लिए औफर आया तब मैं ने उसे स्वीकार कर लिया, क्योंकि वह शो बिलकुल अलग था. अगर किसी ने 6 सालों तक चलने वाले टीवी शो में लगातार सास का रोल किया है, तो अगला औफर भी उसे सास का ही मिलेगा. अगर अच्छी कहानी वाली फिल्म का औफर आता है, तो जरूर करूंगी.’’

छोटी पर बड़ी बात

इस शो ‘एक मां जो लाखों के लिए बनी अम्मा’ की पृष्ठभूमि बंटवारे के समय की है. उस समय को आज दोहराने में कोई परेशानी होती है?

सवाल के उत्तर में उर्वशी ने बताया, ‘‘मेरे शो की रिसर्च टीम ने बहुत गहराई से उस समय के प्रत्येक बिंदु का अध्ययन किया है. शो के निर्देशक फरहान और क्रिएटिव टीम से कैसे बोलना है, किस तरह कपड़े पहनने हैं, चलने का लहजा क्या होगा. सब कुछ स्क्रिप्टेड कर के रखा था. मुझे स्क्रिप्ट पकड़ा कर कहा जाता कि इसे पढ़ो. उसे पढ़ कर मैं शौट देने के लिए तैयार हो जाती. एक बात का ध्यान मैं ने जरूर रखा कि बोलने के दौरान कहीं उर्दू और अंगरेजी के शब्द धोखे से न निकल जाएं, क्योंकि जीनत का किरदार एक कम पढ़ीलिखी मुसलिम महिला का है, जो सामान्य भाषा ही बोलती है.’’

इन उपायों से पाएं फटी एड़ियों से निजात..

एड़ियों का फटना सामान्य समस्या है और ये अक्सर सर्दियों में ज्यादा फटती हैं क्योंकि मौसम की खुश्की की वजह से  मॉश्चराइजर की कमी होने लगती है. इसके अलावा भी एड़ियां किसी भी मौसम में और किसी भी उम्र में फट सकती हैं.  एक ओर जहां फटी एड़ियां देखने में बुरी लगती हैं, वहीं तकलीफ बढ़ जाने पर इनमें से खून आना भी शुरू हो जाता है, जिससे पैरों में काफी दर्द होता है.

आइए जानें, इस दर्द भरी समस्या से राहत देने वाले ये तीन घरेलू उपायों के बारे में…

1. स्क्रबिंग करेगी कमाल

फटी एड़ियों को स्क्रबिंग की मदद से मुलायम बनाया जा सकता हैं. ऐसा करने से डेड स्किन हट जाती है और एड़ियां मुलायम हो जाती है. स्क्रबिंग करने से पहले अपने पैर को थोड़ी देर के लिए गुनगुने पानी में डुबोकर रखें.

2. नारियल तेल

फटी और बेजान एड़ियों के लिए नारियल तेल एक अच्छा घरेलू उपाय है. ये एड़ी की नमी को बनाए रखता है. इसके अलावा ये फंगस जैसे बैक्टीरिया संक्रमण से भी एड़ी को सुरक्षित रखता है.

3. रोज लगाएं ग्लि‍सरीन

फटी एड़ियों के लिए ग्लि‍सरीन किसी वरदान से कम नहीं. आप इस हर रात सोने से पहले लगा लें. ऐसा नियमित करते रहने से एड़ी जल्दी ठीक हो जाएगी. नींबू में अम्लीय गुण मौजूद होता है, जो डेड स्किन को हटाने का काम करता है. साथ ही ये त्वचा को कोमल-मुलायम बनाता है.

Movie Review: ए फ्लाइंग जट्ट

सिनेमा मनोरंजन का साधन है. सिनेमा के माध्यम से मनोरंजन के साथ सीख देना एक फिल्मकार के लिए आसान कभी नहीं होता है. यही प्रयास नृत्य निर्देशक से फिल्म निर्देशक बने रेमो डिसूजा ने अपनी चौथी फिल्म ‘‘ए फ्लाइंग जट’’ में की है, जिसमें वह पूरी तरह से सफल नहीं रहे.

सुपर हीरो वाली फैंटसी फिल्म की कहानी के केंद्र में एक पेड़ को बचाने की कवायद है. पर कहानी ज्यों ज्यों आगे बढ़ती है, त्यों त्यों यह मसला पूरी तरह से प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई बन जाती है. अब एक तरफ प्रदूषण से शक्ति पाने वाला राका (नाथन जोंस) है, तो दूसरी तरफ अच्छी शक्तियों व नेक इरादे से युक्त फ्लाइंग जट (टाइगर श्राफ) है.

कहानी पंजाब के एक शहर की है. इस शहर की नदी किनारे करतार सिंह कालोनी है. नदी किनारे एक पेड़ है, जिसकी काफी मान्यताएं हैं. करतार सिंह कालोनी के लोग इस पेड़ को भगवान की तरह पूजते हैं. लोगों की हर मनोकामना यह पेड़ पूरा कर देता है. पता चलता है कि यह पेड़ अमन उर्फ फ्लाइंग जट (टाइगर श्राफ) के पिता करतार सिंह ने लगवाया था, जिनकी कैंसर से मौत हो गयी थी. अमन अपनी मां और भाई रोहित (गौरव पांडेय) के साथ इसी कालोनी में रहता है. अमन की मां इस पेड़ की रक्षा करने के लिए किसी से भी लड़ जाती है, जबकि वह शराबी भी है. अमन एक स्कूल में मार्शल आर्ट शिक्षक है, मगर बहुत डरपोक है. उसे उंचाई से डर लगता है. अमन उसी स्कूल की शिक्षक कीर्ति (जैकलीन फर्नांडिज) से प्यार करता है. कीर्ति भी अमन से प्यार करती है.

शहर के उद्योगपति मल्होत्रा (केके मेनन) चाहते हैं कि इस नदी पर पुल बन जाए, तो उनके व्यापार के लिए बहुत फायदेमंद हो जाएगा. इसके लिए पेड़ का कटना जरुरी है. उसकी कंपनी के लोग इस पेड़ की जगह खरीदने के लिए अमन की मां से बात करने पहुंचते हैं, पर वह उनकी पिटाई कर भगा देती है. तब मल्होत्रा खुद जाते हैं और वह बाजार भाव से दुगनी कीमत देने को तैयार हैं, पर बात नहीं जमती है. तब मल्होत्रा धमकी देकर चला जाता है.

दूसरे दिन मल्होत्रा अपने घर पर अमन को बुलाकर समझाता है कि हर इंसान के लिए मां से ज्यादा महत्वपूर्ण कुछ नहीं होता. उसे अपनी मां की सुरक्षा की चिंता करनी चाहिए. उसके बाद मल्होत्रा एक खूंखार अपराधी राका को बुलाकर उसे पेड़ को काटने का आदेश देता है.

इधर मल्होत्रा के घर से वापस आने के बाद रात में अमन पेड़ के पास अपनी मां की सुरक्षा की मन्नत मांगने जाता है, वहां राका उस पेड़ को काटने पहुंचता है. राका और अमन में लड़ाई होती है. ताकतवर राका, अमन को अधमरा कर देता है और उसे पेड़ की तरफ धक्का देता है. अमन की पीठ पेड़ पर बने सिख धर्म के चिन्ह से जाकर टिकती है. अमन की पीठ पर भी वह चिन्ह अंकित हो जाता है. फिर अचानक अमन को दैविक शक्ति मिल जाती है. वह राका को मारते हुए गंदे नाले में फेंक देता है. इधर वह हैरान है. उसके शरीर पर चोट के निशान नहीं है. दूसरे दिन वह अपने भाई रोहित के सामने ही कई गुंडो से भिड़ जाता है. गुंडों की गोलियों का भी उस पर असर नहीं होता. सब कुछ जानकर अमन की मां उसके लिए एक खास तरह की पोशाक सिलकर देती है और उसे फ्लाइंग जट नाम देती है, इसी नाम से लोग अमन के पिता को भी बुलाया करते थे. फिर फ्लाइंग जट कई कारनामे करता है. अमन उर्फ फ्लाइंग जट के कारनामों की वजह से मल्होत्रा का व्यापार ठप हो जाता है.

एक दिन राका बहुत गंदे नाले से निकल कर मल्होत्रा के पास पहुंचता है. उसकी हालत देखकर मल्होत्रा अपने अस्पताल के डाक्टर के पास उसे ले जाते हैं. डाक्टर जांच करने के बाद बताते हैं कि राका का खून पूरा काला हो गया है. पता चलता है कि गंदगी, सिगरेट व फैक्टरियों के निकलने वाले धुंएं से अब उसे ताकत मिलती है. फिर फ्लाइंग जट व राका के बीच युद्ध शुरू हो जाता है. एक दिन राका, फ्लाइंग जट को अधमरा कर देता है. उस वक्त मल्होत्रा सभी से कहते हैं कि उन लोगों ने उनकी जीत आसान कर दी. वह जो गंदगी व प्रदूषण फैलाते हैं, वही राका की ताकत बन गयी. इसी बीच मल्होत्रा की छोटी बेटी प्रदूषण की ही वजह से मौत के मुंह में समा जाती है. रोहित भी राका के हाथों मारा जाता है. उसके बाद फ्लाइंग जट व राका लड़ते लड़ते अंतरिक्ष में पहुंच जाते हैं. अंतरिक्ष में प्रदूषण न होने से राका की ताकत कम होती जाती है और वह मारा जाता है.

अंततः फ्लाइंग जट सकुशल अपने घर आ जाता है. उसके बाद सभी बच्चे व नागरिक ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने की मुहिम शुरू कर देते हैं.

एक स्तरहीन कहानी व स्तरहीन पटकथा पर बनी फिल्म ‘‘ए फ्लाइंग जट’’ जिस मकसद से बनायी गयी है, उस मकसद को भी सही ढंग से पूरा नही कर पाती. इंटरवल के बाद फिल्म इतनी उबाउ हो जाती है कि दर्शक सोचने लगता है कि यह फिल्म कब खत्म होगी. इसके लिए पूरी तरह से फिल्म के लेखक आकाश कौशिक व मधुर शर्मा ही ही दोषी हैं. लेखक यह स्थापित करने में भी विफल रहे हैं कि अमन व रोहित भाई हैं. फिल्म में पेड़ बचाओ व प्रदूषण के खिलाफ जो बाते कही गयी हैं, उनका असर भी सही ढंग से नहीं हो पाता है. जिन लोगों ने हृतिक रोशन वाली फिल्म ‘‘कृष’’ देख रखी है, उन्हे भी यह फिल्म पसंद नहीं आएगी. इसमें फ्लाइंग जट जो कुछ करता है, वह सब कृष पहले ही कर चुका है. कृष में सब कुछ वैज्ञानिक शोध के इर्दगिर्द था, यहां देसीपना है कि सब कुछ आज की समस्या प्रदूषण को लेकर है. पर कहानी में कोई नवीनता नहीं है.

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व उनके प्रशंसक जरूर खुश होंगे कि फिल्म में मोदी जी के स्वच्छता अभियान की बात की गयी है. पूरी फिल्म में कहीं भी भावनाएं व संवेदनाएं ठीक से नहीं उभर पायी. फिर चाहे वह मां व बेटे के बीच का संबंध हो या मल्होत्रा की पांच छह साल की बेटी के मौत के मुंह में समाने का सीन हो. यह सारे सीन बहुत मशीनी लगते हैं. यहां पर निर्देशक भी मात खा गए. रोमांस भी ठीक से नहीं दिखा पाए. निर्देशक रेमो डिसूजा मूलतः नृत्य निर्देशक हैं, इसलिए उन्होंने बेवजह गाने भर दिए हैं, जो कि फिल्म को कमजोर करते हैं. एक गीत ‘चल चलिए’ अच्छा है. फिल्म का क्लायमेक्स तो बहुत ही ज्यादा बोर करता है.

राका और फ्लाइंग जट के बीच अंतरिक्ष, चंद्रमा और फिर अंतरिक्ष यान के अंदर युद्ध के दृश्य भले ही सिनेमायी स्वतंत्रता के नाम पर सही ठहराए जाएं, मगर जिस तरह से यह दृश्य विस्तारित किए गए हैं, वह गड़बड़ लगते हैं. फिल्म मनोरंजन का दामन थाम जैसे ही सार्वजनिक हित मे उपदेशात्मक बाते करना शुरू करती है, वैसे ही निर्देशक की फिल्म पर पकड़ कमजोर हो जाती है. फिल्म के कई सीन विदेशी फिल्मों से चुराए गए लगते हैं. फिल्म में सरदार जी के 12 बज गए की असल कथा लोगों का ज्ञानवर्धन करती है.

जहां तक अभिनय का सवाल है, तो ‘हीरोपंती’ और ‘बागी’ के बाद इस फिल्म में टाइगर श्राफ कुछ कमतर हो गए हैं. जैकलीन से अभिनय की उम्मीद करना ही बेकार है. वैसे भी टाइगर श्राफ व जैकलीन की जोड़ी परदे पर नहीं जमी. के के मेनन और अमृता सिंह के किरदार छोटे हैं, पर दोनों ने ठीक काम किया है. विलेन राका के किरदार में नाथन जोंस सराहनीय हैं.

अंत में हमारी समझ में यह नहीं आया कि मेहनत की कमाई के पैसे इस फिल्म के देखने में क्यों खर्च किए जाएं. हां! छोटे बच्चों को कुछ दृश्य पंसद आ सकते हैं. अन्यथा टीवी पर जब यह फिल्म आए, तो इसे देखा जा सकता है.

दो घंटे 31 मिनट की फिल्म ‘‘ए फ्लाइंग जट’’ की निर्माता शोभा कपूर व एकता कपूर, कहानी लेखक व निर्देशक रेमो फर्नांडिज, पटकथा लेखक आकाश कौशिक, संवाद मधुर शर्मा, संगीतकार सचिन जिगर, कलाकार हैं- अमृता सिंह, टाइगर श्राफ, जैकलीन फर्नाडिज, के के मेनन, नाथन जोंस, गौरव पांडे व अन्य. 

धोनी की कहानी सबसे महंगी

क्रिकेटर महेन्द्र सिंह धोनी की बायोपिक पर बेस्ड भारत की मोस्ट अवेटेड फिल्म ‘एमएस धोनी: द अनटोल्ड स्टोरी’ अगले महीने रिलीज के लिए पूरी तरह से तैयार है. बता दें कि धोनी की यह कहानी भारत में बिकने वाली सबसे महंगी बायोपिक है.

जहां अब केवल फिल्म के रिलीज होने में केवल एक महीने का समय बचा है, वहीं इस बायोपिक के लिए धोनी को मिलने वाली राशि एकबार फिर से चर्चा में है. जी हां, इस बायोपिक के एवज में धोनी के फिल्ममेकर से 80 करोड़ रुपए लिए जाने की खबर थी.

कहा जा रहा है कि 20 करोड़ रुपए धोनी को पहले ही दिए जा चुके थे और इसके अलावा फिल्म को मिलने वाले फायदे और रॉयल्टी में से भी उन्हें शेयर दिया जाएगा. हालांकि, यह वह राशि है, जो अब तक शायद किसी सबसे बड़े एक्टर ने भी फिल्ममेकर से न मांगी हो.

इससे पहले मिल्खा सिंह, अजहरुद्दीन और मैरी कोम जैसे खिलाड़ियों पर भी फिल्में बन चुकी हैं. मिल्खा सिंह ने अपनी बायोपिक के एवज में मात्र 1 रुपया लिया था, जबकि मैरी कॉम ने 25 लाख रुपए लिए थे. अजहरुद्दीन ने भी अपनी बायोपिक पर बनी फिल्म के लिए एक रुपए भी नहीं लिए थे.

फिल्म में सुशांत सिंह राजपूत धोनी के किरदार में नजर आएंगे, जिसके लिए उन्होंने काफी कड़ी मेहनत की है. नीरज पांडे फिल्म के लेखक और निर्देशक हैं.

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