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मेरे पति को मुझमें इंट्रैस्ट नहीं रहा, शादी बचाने के लिए क्या करूं?

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…

सवाल

मैं 21 वर्षीय विवाहिता हूं. विवाह को 2 वर्ष हुए हैं और मेरे पति की सैक्स के प्रति अभी से रूचि कम हो गई है. कोई उपाय बताएं, जिस से उन की सैक्स में दिलचस्पी बढ़ जाए. क्या कोई दवा कारगर होगी?

जवाब

सैक्स करने की इच्छा (कामेच्छा) हर व्यक्ति की अलग अलग होती है. इस का कोई निश्चित मानदंड नहीं है. यह व्यक्ति की इच्छा और क्षमता पर निर्भर करती है.

ऐसी कोई दवा नहीं है, जो व्यक्ति की यौनेच्छा को बढ़ा सके. अलबत्ता इस बात पर गौर करें कि आप के पति को अपनी नौकरी या व्यवसाय को ले कर कोई परेशानी तो नहीं है या फिर औफिस में काम का बोझ ज्यादा तो नहीं, क्योंकि कई बार ऐसी किसी परेशानी के कारण भी व्यक्ति का सैक्स करने को मन नहीं करता. थकान की वजह से नींद जल्दी आ जाती है. सैक्स के लिए प्रवृत्त होने के लिए व्यक्ति का तन और मन दोनों का स्वस्थ और सक्रिय होना आवश्यक होता है.

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हर काम युवा जल्दबाजी में करना चाहते हैं. युवा ऊर्जा और जोश की यह खासीयत भी है कि गरम खून और उत्साह से भरी यह पीढ़ी हर काम को खुद करना जानती है. प्रेम भी युवा खुल कर करते हैं. समाज की सीमाओं से परे इन के रिश्ते दकियानूसी दौर को पार कर चुके हैं और सैक्स संबंधों के लिए किसी से परमिशन नहीं लेनी पड़ती.

एक शोध में पाया गया कि शारीरिक संसर्ग की गुणवत्ता बोझिल होने से रिश्ते बोझ लगने लगते हैं और युवा भूल जाते हैं कि असल रोमांस क्या है. आजकल युवाओं में बढ़ती थकान, दबाव या निराशा के कारण अपनी गर्लफ्रैंड के साथ सैक्सुअल रिलेशन बोझिल होते जा रहे हैं, जिस का नकारात्मक असर उन के रिश्ते पर भी दिखता है.

युवकयुवती के बीच अगर सैक्स संबंधों में मधुरता है तो दोनों के रिश्तों में नई ऊर्जा का भी संचार होता है, लेकिन अगर सैक्स संबंध ही बोझिल हो चुके हैं तो रिश्ता भी बोझिल हुआ समझो. आइए, जानते हैं कि सैक्स संबंधों की बोझिलता दूर कर किस तरह युवा अपने रिलेशन में नई जान फूंक सकते हैं :

खुल कर करें इजहार

युवाओं के बीच अगर सैक्स में डिजायर्स नहीं है तो रिश्ते में भी ऊष्मा नहीं आएगी. ज्यादातर युवतियां अपने साथी से संकोचवश सैक्स के बारे में अपनी फीलिंग्स छिपाती हैं, जिस के चलते उन्हें उस तरह का सैक्सुअल प्लेजर नहीं मिल पाता जिस की उन्हें चाहत होती है. मन की बात मन में ही रह जाती है. पार्टनर के सामने खुल न पाने के चलते सैक्स संबंध बोझिल लगने लगते हैं. अगर आप चाहते हैं कि रिश्तों में रोमांस का तड़का लगा रहे तो अपनी डिजायर्स पार्टनर से शेयर करें, जो अच्छा लग रहा है, उसे बताएं और बुरी फीलिंग्स को भी छिपाएं नहीं. अपने साथी के साथ हर बात शेयर करें और सैक्सुअल रिलेशन बनाते समय संकोच को किनारे कर उस का पूरा आनंद लें, आप पाएंगे कि रिश्तों की खोई ऊष्मा वापस आ रही है.

जराजरा टचमी… टचमी…

स्पर्श प्रेम और सैक्स का सब से अहम टूल होता है. एक स्पर्श अंगअंग में गुदगुदी भर सकता है जबकि गलत तरीके से किया गया स्पर्श मन को घृणा से भर देता है. सैक्स संबंध बनाते समय अगर अपने साथी को स्पर्श करने की कला आप को आती है तो सैक्स का आनंद कई गुणा बढ़ जाता है. सैक्स ऐक्सपर्ट मानते हैं कि स्पर्श का प्यार और सैक्स से गहरा रिश्ता है. इस के पीछे वजह है कि स्किनटूस्किन कौंटैक्ट से आप का औक्सिटोसिन लैवल बढ़ेगा. इस से आप रिलैक्स महसूस करेंगी और अपने पार्टनर के और करीब जाएंगी. थोड़ा तन से छेड़छाड़ और तन से तन का स्पर्श ही कामइच्छा को जागृत करता है. स्पर्श से कामइच्छा में इजाफा होता है और संबंधों में प्रगाढ़ता आती है. पार्टनर को प्रेमस्पर्श देना सब से कारगर तरीका है. पार्टनर का मूड बनाने के लिए कान के पीछे, आंखों पर किस भी कर सकते हैं.

शरारती बातें और चाइनीज फुसफुस

सैक्स एक कला है और इस में जितने प्रयोग किए जाएं यह उतनी निखरती है. इसलिए जब भी आप सैक्स संबंध बनाएं नए प्रयोग आजमाने से हिचकें नहीं. जब भी आप को मौका मिले पार्टनर को फोन मिलाएं और रोमांटिक तथा शरारत भरी बातें करें साथ ही उन्हें हिंट दें कि शाम को जब आप दोनों की मुलाकात होगी, तो क्या सरप्राइज मिलने वाला है. इशारा सैक्स को ले कर हो तो ज्यादा मजेदार होगा. अगर और प्लेजर खोज रहे हैं तो कान में फुसफुस वाला गेम भी खेल सकते हैं. इसे चाइनीजविस्पर गेम कहा जाता है. इस खेल को कइयों ने बचपन में खेला होगा. इस में नौटी बातों का तड़का लगा कर खेलेंगे तो मजा दोगुना हो जाएगा. जब अपने पार्टनर के साथ यह खेल खेलें तो उस के कानों में कुछ सिडक्टिव बातें कहें.

माहौल हो खुशनुमा

सैक्स कहीं भी और कभी भी करने वाली क्रिया नहीं है. जिस तरह खाना बिना भूख और स्वाद के गले नहीं उतरता, बेस्वाद लगने लगता है, ठीक उसी तरह सैक्स भी जबरन या गलत मूड और माहौल में करने से बेहद नीरस लगने लगता है. जिस से कई बार रिश्ते बोझिल लगने लगते हैं. सैक्स में माहौल और मूड जरूरी फैक्टर्स हैं. पुराने समय में तरहतरह के इत्र का इस्तेमाल होता था, क्योंकि सुगंध का सैक्स से रोचक रिश्ता है. महकता बदन और मदहोश करने वाली सुगंध से सैक्स की डिजायर और बढ़ जाती है. इसलिए अपने कमरे या जहां भी सैक्स करते हैं, वहां का माहौल खुशनुमा बना लें, कमरा सजाएं. कमरे का इंटीरियर बदलें. कमरे की लाइट डिम हो और रोमांटिक म्यूजिक चला हो, फिर दिनभर की थकान दूर करने के लिए पार्टनर की मसाज करें.

रोल प्ले और साथ में बाथ

रोजरोज एक ही काम करने से उस में बोझिलता आना स्वाभाविक है. हर रिश्ता कुछ नया और एडवैंचर्स की मांग करता है. कई बार उस के लिए खुद को बदलना भी पड़ता है. सैक्सुअल रिलेशन में इसी काम को रोल प्ले भी कहते हैं. इस में कुछ फिक्शन और नौन फिक्शन किरदारों को मिला कर एक किरदार बना लें और अपने साथी के साथ सैक्स के दौरान उस किरदार में रहें. आप पाएंगे कि आप को सैक्स की कुछ अलग अनुभूति हो रही है और नया रोमांचकारी अनुभव भी मिलेगा. पार्टनर के साथ एक रोमांटिक कहानी बनाएं, दोनों रोल बांट लें और बैडरूम में रोल प्ले करें या फिर रोल निभाएं, जो आप निभाना चाहते हैं. एकदूसरे के करीब आने का यह क्रिएटिव तरीका है. साथ ही अपनी सैक्स अपील उभारने के लिए ट्रांसपेरैंट ड्रैसेज और इरोटिक लिंजरी का सहारा लेने से भी सैक्स में तड़का लगता है. सैक्स ड्राइव बढ़ाने के लिए यह भी एक नायाब तरीका हो सकता है. बाथरूम में अच्छा परफ्यूम स्प्रे करें. बाथटब में एकसाथ बाथ लें.

स्ट्रैसफ्री सैक्स, पोर्न की लत और हैल्दी फूड

युवाओं में काम की टैंशन, नौकरी का तनाव और थकान सैक्स को बेमजा करते हैं. लिहाजा, रिश्ते भी अपना आकर्षण खोने लगते हैं. इसलिए किसी भी तरह खुद को रिलैक्स करिए तभी स्वस्थ सैक्स का मजा ले सकेंगे. जब स्ट्रैसफ्री रहेंगे तभी अपने साथी की डिजायर समझेंगे और उसे सैक्स का पूरा आनंद दे सकेंगे वरना सैक्स तो होता है, लेकिन एकतरफा और अधूरा सा रहता है, जिस में एक साथी असंतुष्ट रहता है. जिस का गुस्सा उस रिश्ते को खराब भी कर सकता है. सैक्स का स्वस्थ खाने और हैल्थ से भी कनैक्शन है. वैसे तो स्वास्थ्य के लिहाज से भी यही सलाह दी जाती है. यहां भी हम यही सुझाव देंगे. यदि आप सैक्स करना चाहते हैं तो कम खाना खाएं या फिर घंटेभर पहले खाना खा लें. इस से बैड पर आप को आलस नहीं आएगा.

पोर्न की लत को ले कर सैक्स ऐक्सपर्ट्स का कहना है कि एक सीमा तक पोर्न देखना रिलेशनशिप के लिए अच्छा है. लेकिन शोध बताते हैं कि सैक्स में आती बोझिलता के चलते रिश्तों की गर्माहट खत्म हो रही है, जिस के नतीजे ब्रेकअप के रूप में सामने आ रहे हैं.

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ब्रैस्ट कैंसर से जंग के बीच दुलहन के लिबास में नजर आईं हिना खान, लाल जोड़े में किया रैंप वाक

जैसा कि कहा जाता है ”जिसने हिम्मत नहीं छोड़ी वही जीतता है जिंदगी की जंग.” ऐसा ही कुछ हाल फिल्म और टीवी ऐक्ट्रेस हिना खान का भी है. जिन्होंने कैंसर जैसी भयानक बीमारी से भी हार नहीं मानी और लंबे इलाज और तीन से चार बार कीमो थेरेपी के बावजूद हाल ही में जब हिना खान दुलहन के लिबास में रैंप वाक करती नजर आई . तो उनको देखकर वहां मौजूद सभी की धड़कनें तेज हो गई. क्योंकि जहां वह दुलहन के लिबास में बेहद खूबसूरत नजर आ रही थी . वही ब्रैस्ट कैंसर की तीसरी स्टेज के बावजूद उनका जज्बा देखकर वहां मौजूद लोग तालियां बजाने से अपने आप को रोक नहीं पाए.

 

गौरतलब है कि हिना खान को 2024 जून में ब्रेस्ट कैंसर का पता चला था जो उन्होंने सोशल मीडिया पर अपने प्रशंसकों के लिए शेयर किया था. उसके बाद में वो लगातार अपनी बीमारी से संबंधित जानकारी , इलाज और प्रोग्रेस अपने प्रशंसको के साथ शेयर करती नजर आई.

हिना खान के अनुसार उनके पिता ने हिना को बचपन से मुश्किलों से लड़ना सिखाया है, इसलिए वह अपनी बीमारी से भी बिना किसी रिजल्ट की चिंता किए पूरी शिद्दत के साथ लड़ रही हैं. हिना के अनुसार वह अब काफी ठीक है और जिंदगी की जंग में डटी हुई है.

हिना ने हाल ही में यह भी जानकारी दी कि कीमोथेरेपी के साइड इफैक्ट के चलते उनको म्यूकोसाइटिस बीमारी भी हो गई है जिसका इलाज वह कर रही है. ये रिश्ता क्या कहलाता है से प्रसिद्ध 36 वर्षीय हिना खान असल मायने में फाइटर हैं. जिन्होंने हजारों मुश्किलों के बावजूद हार नहीं मानी और पूरी खूबसूरती के साथ दुलहन के लिबास में रैंप वाक करते हुए सबका दिल जीत लिया.

मैं एक शादीशुदा शख्स से प्यार करती हूं, लेकिन वह मुझे पसंद नहीं करता है…

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सवाल

मेरी उम्र 30 साल है, अभी मैं सिंगल हूं, स्कूल टीचर हूं, वहां एक एक सीनियर टीचर ने ज्वाइन किया है. वो हमें ट्रेनिंग देते हैं. मैं उन्हीं के साथ रोजाना लंच करती हूं, वो मुझे बहुत अच्छे लगते हैं, मैंने उनसे अपने मन की भी बात बताई. लेकिन उन्होंने कहा कि मैं शादीशुदा हूं और दो बच्चों का बाप हूं. आप जो भी मेरे बारे में सोचती हैं, वो ख्याल अपने मन से निकाल दें. आइन्दा मैं आपसे बात भी नहीं करूंगा.

इसके बाद अब वो मेरे साथ लंच भी नहीं करते. वो अपने केबिन में ही खाना खा लेते हैं. मैं उनके पास जाती भी हूं, तो वो ये कहकर टाल देते हैं कि काम में मैं बिजी हूं. ट्रेनिंग में सबके साथ आपसे मिलता हूं. वो अब मेरे साथ सख्ती से पेश आते हैं. मुझे समझ नहीं आ रहा क्या करूं? उन्हें कैसे मनाऊं?

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जवाब

आप उनसे प्यार करने लगी हैं, इसलिए चाहती हैं कि वह आपसे नाराज न रहें. जैसा कि आपने बताया आपके सीनियर पहले ही बता चुके हैं, उनकी पत्नी है और दो बच्चों के पिता है और वो आपसे सख्ती से पेश आ रहे हैं. ऐसे में आपको समझदारी से काम लेनी होगी. आप उनके पीछे मत भगिये.

कुछ समय के लिए आप उनसे दूर ही रहे तो बेहतर है. आपके भी मन में जो उनके प्रति फीलिंग्स हैं. उससे बाहर निकलना बहुत जरूरी है. इसलिए दूरी बनाना सही है. रही बात प्यार की तो लाइफ में न चाहते हुए भी हम ऐसे शख्स से प्यार कर बैठते हैं, जो हमारे लिए सही साबित नहीं होता.

आजकल लोग प्यार की आड़ में लड़कियों की जिंदगी खराब करते हैं. ये तो उस शख्स की ईमानदारी है कि उसने अपने रिश्तों के बारे में आपसे कुछ नहीं छिपाया और वह इसलिए आपसे दूरी बना रहे हैं कि आपक मन में जो भी उनके लिए भावनाएं हैं, उससे आप बाहर निकलें. ऐसे में आप अपने कैरियर पर फोकस करें. आप टीचर हैं, बच्चों को पढ़ाने के साथ उनसे मजेदार ऐक्टिविटीज भी करवाएं, इससे बच्चे भी इंट्रैस्ट लेंगे और आप भी अपने काम में पूरी तरह व्यस्त रहेंगी. आप अपने सीनियर से प्रोफैशनली रिलेशन रखें.

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नया रिश्ता : पार्वती-विशाल ने किसे चुना अपना जीवनसाथी

अमित की मम्मी पार्वती ने शरमाते हुए विशाल कुमार को अंगूठी पहनाई तो अमित की पत्नी शिवानी और उन के बच्चे अनूप व अतुल ने अपनी दादी पर फूलों की बरसात करनी शुरू कर दी. बाद में विशाल कुमार ने भी पार्वती को अंगूठी पहना दी. माहौल खुशनुमा हो गया, सभी के चेहरे खिल उठे, खुशी से झूमते बच्चे तो अपने नए दादा की गोद में जा कर बैठ गए.

यह नज़ारा देख कर अमित की आंखें नम हो गईं. वह अतीत की यादों में खो गया. अमित 5 वर्षों से शहर की सब से पौश कालोनी सनराइज सोसाइटी में रह रहा था. शिवानी अपने मिलनसार स्वभाव के कारण पूरी कालोनी की चहेती बनी हुई थी. कालोनी के सभी कार्यक्रमों में शिवानी की मौजूदगी अकसर अनिवार्य होती थी.

अमित के मातापिता गांव में रहते थे. अमित चाहता था कि वे दोनों उस के साथ मुंबई में रहने के लिए आ जाएं मगर उन्होंने गांव में ही रहना ज्यादा पसंद किया. वे साल में एकदो बार 15-20 दिनों के लिए जरूर अमित के पास रहने के लिए मुंबई आते थे. मगर मुंबई आने के 8-10 दिनों बाद ही गांव लौटने का राग आलापने लग जाते थे.

वक्त बीत रहा था. एक दिन रात को 2 बजे अमित का मोबाइल बजा.

‘हैलो, अमित बेटा, मैं तुम्हारे पिता का पड़ोसी रामप्रसाद बोल रहा हूं. बहुत बुरी खबर है, तुम्हारे पिता शांत हो गए है. अभी घंटेभर पहले उन्हें हार्ट अटैक आया था. हम उन्हें अस्पताल ले कर जा रहे थे, रास्ते में ही उन्होंने दम तोड़ दिया.’

अपने पिता की मृत्यु के बाद अमित अपनी मम्मी को अपने साथ मुंबई ले कर आ गया. बतौर अध्यापिका सेवानिवृत्त हुई पार्वती अपने पति के निधन के बाद बहुत अकेली हो गई थी. पार्वती को पुस्तकें पढ़ने का बहुत शौक था. अमित और शिवानी के नौकरी पर जाने के बाद वह अपने पोते अनूप और अतुल को पढ़ाती थी. उन के होमवर्क में मदद भी करती थी.

पार्वती को अमित के पास आए 2 साल हो गए थे. अमित के पड़ोस में विशाल कुमार रहते थे. वे विधुर थे, नेवी से 2 साल पहले ही रिटायर हो कर रहने के लिए आए थे. उन का एक ही बेटा था जो यूएस में सैटल हो गया था. एक दिन शिवानी ने पार्वती की पहचान विशाल कुमार से करवाई. दोपहर में जब बच्चे स्कूल चले जाते थे तब दोनों मिलते थे. कुछ दिनों तक दोनों के बीच औपचारिक बातें होती थीं. धीरेधीरे औपचारिकता की दीवार कब ढह गई, उन्हें पता न चला. अब दोनों के बीच घनिष्ठता बढ़ गई. पार्वती और विशाल कुमार का अकेलापन दूर हो गया.

एक दिन शिवानी ने अमित से कहा- ‘अमित, पिछले कुछ दिनों से मम्मी में आ रहे बदलाव को तुम ने महसूस किया क्या?’

अमित की समझ में कुछ नहीं आ रहा था, उस ने विस्मय से पूछा- ‘मैं कुछ समझा नहीं, शिवानी, तुम क्या कह रही हो?’

‘अरे अमित, मम्मी अब पहले से ज्यादा खुश नज़र आ रही हैं, उन के रहनसहन में भी अंतर आया है. पहले मम्मी अपने पहनावे पर इतना अधिक ध्यान नहीं देती थीं, आजकल वे बहुत ही करीने से रह रही हैं. उन्होंने अपने संदूक से अच्छीअच्छी साड़ियां निकाल कर वार्डरोब में लटका दी हैं. आजकल वे शाम को नियमितरूप से घूमने के लिए जाती हैं…’

अमित ने शिवानी की बात बीच में काटते हुए पूछा- ‘शिवानी, मैं कुछ समझा नहीं, तुम क्या कह रही हो?’

‘अरे भई, मम्मी को एक दोस्त मिल गया है. देखते नहीं, आजकल उन का चेहरा खिला हुआ नज़र आ रहा है.’

‘व्हाट…कैसा दोस्त, कौन दोस्त, शिवानी. प्लीज पहेली मत बुझाओ, खुल कर बताओ.’

‘अरे अमित, आजकल हमारे पड़ोसी विशाल अंकल और मम्मी के बीच याराना बढ़ रहा है,’ यह कहती हुई शिवानी खिलखिला कर हंस पड़ी.

‘वाह, यह तो बहुत अच्छी बात है. मम्मी वैसे भी अकेली पड़ गई थीं. वे हमेशा किताबों में ही खोई रहती थीं. कोई आदमी दिनभर किताबें पढ़ कर या टीवी देख कर अपना वक्त भला कैसे गुजार सकता है. कोई तो बोलने वाला चाहिए न. चलो, अच्छा हुआ मगर यह सब कब से हो रहा है, मैं ने तो कभी महसूस नहीं किया. तुम्हारी पारखी नज़रों ने यह सब कब भांप लिया? शिवानी, यू आर ग्रेट…’ अमित ने विस्मय से कहा.

‘अरे अमित, तुम्हें अपने औफिस के काम, मीटिंग, प्रोजैक्ट्स आदि से फुरसत ही कहां है, मम्मी अकसर मुझ से तुम्हारी शिकायत भी करती हैं कि अमित को तो मुझ से बात करने का वक्त भी नहीं मिलता है,’ शिवानी ने शिकायत की तो अमित तुरंत बोला, ‘हां शिवानी, तुम सही कह रही हो, आजकल औफिस में इतना काम बढ़ गया है कि सांस लेने की फुरसत तक नहीं मिलती है. मगर मुझे यह सुन कर अच्छा लगा कि अब मम्मी बोर नहीं होंगी. साथ ही, हमें कभी बच्चों को ले कर एकदो दिन के लिए बाहर जाना पड़ा तो मम्मी घर पर अकेली भी रह सकती हैं.’ अमित ने अपने दिल की बात कह दी.

‘मगर अमित, मैं कुछ और सोच रही हूं,’ शिवानी ने धीरे से रहस्यमयी आवाज में कहा तो अमित ने विस्मयभरी आंखों से शिवानी की सूरत को घूरते हुए कहा- ‘हां, बोलो, बोलो, तुम क्या सोच रही हो?’

‘मैं सोच रही हूं कि तुम विशाल अंकल को अपना पापा बना लो,’ शिवानी ने तुरुप का पता फेंक दिया.

‘क्या…तुम्हारा दिमाग तो नहीं खिसक गया,’ अमित लगभग चिल्लाते हुए बोला.

‘अरे भई, शांत हो जाओ, पहले मेरी बात ध्यान से सुनो. मम्मी अकेली हैं, उन के पति नहीं हैं. और विशाल अंकल भी अकेले हैं व उन की पत्नी नहीं हैं. जवानी की बनिस्पत बुढ़ापे में जीवनसाथी की जरूरत ज्यादा होती है. मम्मी और विशाल अंकल दोनों सुलझे हुए विचारों के इंसान हैं, दोनों सीनियर सिटिजन हैं और अपनी पारिवारिक व सामाजिक जिम्मेदारियों से मुक्त हैं.

‘विशाल अंकल का इकलौता बेटा है जो यूएस में सैटल है. विशाल अंकल के बेटे सुमित और उस की पत्नी तान्या से मेरी अकसर बातचीत भी होती रहती है. वे दोनों भी चाहते हैं कि उन के पिता यूएस में हमेशा के लिए आ जाएं मगर उन्हें तो अपने वतन से असीम प्यार है, वे किसी भी कीमत पर वहां जाने को राजी नहीं, सेना के आदमी जो ठहरे. फिर उन का तो कहना है कि वे आखरी सांस तक अपने बेटे और बहू को भारत लाने की कोशिश करते रहेंगे. मगर वे अपनी मातृभूमि मरते दम तक नहीं छोडेंगे.’ अमित बड़े ध्यान से शिवानी की बात सुन रहा था.

शिवानी ने किंचित विश्राम के बाद कहा, ‘अमित, अब मैं मुख्य विषय पर आती हूं. तुम ने ‘लिवइन रिलेशनशिप’ का नाम तो सुना ही होगा.’

शिवानी की बात सुन कर अमित के चेहरे पर अनभिज्ञता के भाव तेजी से उभरने लगे जिन्हें शिवानी ने क्षणभर में पढ़ लिया और अमित को समझाते हुए बोली- ‘अमित, आजकल हमारे देश में विशेषकर युवाओं और बुजुर्गों के बीच एक नए रिश्ते का ट्रैंड चल रहा है जिसे ‘लिवइन रिलेशनशिप’ कहते हैं. इस में महिला और पुरूष शादी के बिना अपनी सहमति के साथ एक ही घर में पतिपत्नी की तरह रह सकते हैं. आजकल शिक्षित और आर्थिक रूप से स्वतंत्र लोग इस तरह की रिलेशनशिप को अधिक पसंद करते है क्योंकि इस में विवाह की तरह कानूनी प्रक्रिया से गुजरना नहीं पड़ता है. भारतीय कानून में भी इसे स्वीकृति दी गई है.

‘शादी के टूटने के बाद आप को कई तरह की कानूनी प्रक्रियाओं से गुजरना पडता है मगर इस रिश्ते में इतनी मुश्किलें नहीं आती हैं. लिवइन रिलेशनशिप में रहने का फैसला आप को सामाजिक व पारिवारिक दायित्वों से मुक्ति देता है. इस रिश्ते में सामाजिक व पारिवारिक नियम आप पर लागू नहीं होते हैं. अगर यह रिश्ता टूट भी जाता है तो आप इस में से आसानी बाहर आ सकते हैं. इस में कोई कानूनी अड़चन भी नहीं आती है. इसलिए मैं चाहती हूं कि…’ बोलती हुई शिवानी फिर रुक गई तो अमित अधीर हो गया और झल्लाते हुए बोला- ‘अरे बाबा, लगता है तुम ने ‘लिवइन रिलेशनशिप’ विषय में पीएच डी कर रखी है. पते की बात तो बता नहीं रही हो, लैक्चर दिए जा रही हो.’

‘अरे यार, बता तो रही हूं, थोड़ा धीरज रखो न,’ शिवानी ने मुसकराते हुए कहा.

‘ठीक है, बताओ,’ अमित ने बात न बढ़ाने की मंशा से कहा.

‘अमित, मैं चाहती हूं कि हम मम्मी और विशाल अंकल को ‘लिव इन रिलेशनशिप’ में रहने के लिए राजी कर लेते हैं ताकि दोनों निश्चिंत और स्वच्छंद हो कर साथसाथ घूमफिर सकें,’ शिवानी ने अपने मन की बात कह दी.

‘मगर शिवानी, क्या मम्मी इस के लिए तैयार होंगी?’ अमित ने संदेह व्यक्त किया.

‘क्यों नहीं होंगी, वैसे भी आजकल दोनों छिपछिप एकदूसरे से मिल रहे हैं, मोबाइल पर घंटों बात करते हैं. लिव इन रिलेशनशिप के लिए दोनों तैयार हो जाएंगे तो वे दुनिया से डरे बगैर खुल कर मिल सकेंगे, साथ में भी रह सकेंगे,’ शिवानी ने अमित को आश्वस्त करते हुए कहा.

‘इस के लिए मम्मी या विशाल अंकल से बात करने की मुझ में तो हिम्मत नहीं है बाबा,’ अमित ने हथियार डालते हुए कहा.

‘इस की चिंता तुम न करो, अमित. अपनी ही कालोनी में रहने वाली मेरी एक खास सहेली रेणू इस मामले में मेरी सहायता करेगी. वह इस प्रेमकहानी से भलीभांति वाकिफ भी है. हम दोनों मिल कर इस शुभकार्य को जल्दी ही अंजाम दे देंगे. हमें, बस, तुम्हारी सहमति का इंतजार है,’ शिवानी ने विश्वास के साथ यह कहा तो अमित की व्यग्रता कुछ कम हुई.

उस ने शांत स्वर में कहा, ‘अगर मम्मी इस के लिए तैयार हो जाती हैं तो भला मुझे क्यों एतराज होगा. उन्हें अपनी जिंदगी अपने हिसाब से जीने का हक तो है न.’

अमित की सहमति मिलते ही शिवानी और रेणु अपने मिशन को अंजाम देने में जुट गईं. शिवानी को यह विश्वास था कि पार्वती और विशाल अंकल पुराने जमाने के जरूर हैं मगर उन्हें आधुनिक विचारधारा से कोई परहेज नहीं है. दोनों बहुत ही फ्लैग्जिबल है और परिवर्तन में यकीन रखते हैं. एक संडे को शिवानी और रेणू गुलाब के फूलों के एक सुंदर गुलदस्ते के साथ विशाल अंकल के घर पहुंच गईं.

विशाल कुमार ने अपने चिरपरिचित मजाकिया स्वभाव में उन का स्वागत करते हुए कहा- ‘वाह, आज सूरज किस दिशा में उदय हुआ है, आज तो आप दोनों के चरण कमल से इस गरीब की कुटिया पवित्र हो गई है.’

शिवानी और रेणू ने औपचारिक बातें समाप्त करने के बाद मुख्य बात की ओर रुख किया. रेणू ने कहना शुरू किया-

‘अंकल, आप की और पार्वती मैडम की दोस्ती से हम ही नहीं, पूरी कालोनी वाकिफ है. इस दोस्ती ने आप दोनों का अकेलापन और एकांतवास खत्म कर दिया है. कालोनी के लोग क्या कहेंगे, यह सोच कर अकसर आप दोनों छिपछिप कर मिलते हैं. अंकल, हम चाहते हैं कि आप दोनों ‘औफिशियली’ एकदूसरे से एक नया रिश्ता बना लो और दोनों खुल कर दुनिया के सामने आ जाओ…’

कुछ गंभीर बने विशाल कुमार ने बीच में ही पूछा, ‘मैं समझा नहीं, रेणू. तुम कहना क्या चाहती हो?’

‘अंकल, आप और पार्वती मैडम ‘लिवइन रिलेशनशिप’ बना लो, फिर आप को दुनिया का कोई डर नहीं रहेगा. आप कानूनीरूप से दोनों साथसाथ रह सकते हैं और घूमफिर सकते हैं,’ यह कहती हुई शिवानी ने ‘लिव इन रिलेशनशिप’ के बारे में विस्तृत जानकारी विशाल अंकल दे दी.

विशाल अंकल इस के लिए तुरंत राजी होते हुए बोले-

‘यह तो बहुत अच्छी बात है. दरअसल, मेरे और पार्वती के बीच अब तो अच्छी कैमिस्ट्री बन गई है. हमारे विचारों में भी बहुत समानता है. हम जब भी मिलते हैं तो घंटों बाते करते हैं. पार्वती को हिंदी साहित्य की अकूत जानकारी है. उस ने अब तक मुझे हिंदी की कई प्रसिद्ध कहानियां सुनाई हैं.’

‘अंकल, अब पार्वती मैडम को लिवइन रिलेशनशिप के लिए तैयार करने की जिम्मेदारी आप की होगी.’

‘यस, डोन्ट वरी, आई विल डू इट. मगर जैसे आप दोनों ने मुझ से बात की है, वैसे एक बार पार्वती से भी बात कर लो तो ज्यादा ठीक होगा, बाकी मैं संभाल लूंगा.’

विशाल अंकल को धन्यवाद दे कर शिवानी और रेणू खुशीखुशी वहां से विदा हुईं. अगले संडे दोनों ने पार्वती से बात की. पहले तो उन्होंने ना नू, ना नू किया, मगर शिवानी और रेणू जानती थीं कि पार्वती दिल से विशाल कुमार को चाहती हैं और वे इस रिश्ते के लिए न नहीं कहेंगी, फिर उन दोनों की बेहतर कन्विन्सिंग स्किल के सामने पार्वती की ‘ना’ कुछ ही समय के बाद ‘हां’ में बदल गई.

शिवानी ने दोनों की ‘लिव इन रिलेशनशिप’ की औपचारिक घोषणा के लिए एक दिन अपने घर  पर एक छोटी पार्टी रखी थी, जिस में अमित, शिवानी और विशाल कुमार के बहुत करीबी दोस्त ही आमंत्रित थे. विशाल और पार्वती ने एकदूसरे को अंगूठियां पहना कर इस नए रिश्ते को सहर्ष स्वीकर कर लिया.

“अरे अमित, कहां खो गए हो, अपनी मम्मी और नए पापा को केक तो खिलाओ,” शिवानी ने चिल्ला कर यह कहा तो अमित अतीत से वर्तमान में लौटा.

इस नए रिश्ते को देख अमित की नम आंखों में भी हंसी चमक उठी.

Anupamaa : टीटू और नंदिता पर शक करेगी डिंपी, अपनी बहू को थप्पड़ मारेगी अनुपमा

Anupamaa : टीवी का पौपुलर शो अनुपमा लगातार टीआरपी चार्ट में टौप पर है. इस शो के हर एपिसोड में हाईवोल्टेज ड्रामा दिखाया जाता है, जिससे दर्शकों का इंट्रैस्ट बना रहता है. इन दिनों शो में दिखाया जा रहा है कि शाह परिवार घर से बेघर हो गए हैं, ऐसे में अनुपमा उन्हें आशा भवन ले गई है. तोषू और पाखी आशा भवन की चीजों को घटिया बताते हैं और वहां अपनी स्टैंडर्ड के सामान के बारे में बात करते हैं, तो अनुपमा अपने दोनों बच्चों को सबक सिखाती है. तो वहीं सीरियल के अपकमिंग एपिसोड में डिंपी नया बखेड़ा खड़ा करेगी. आइए जानते हैं सीरियल के नए ट्विस्ट के बारे में…

नंदिता पर आरोप लगाएगी डिंपी

अनुपमा के लेटेस्ट एपिसोड में आप देखेंगे कि आशा भवन में सभी लोग हौल में बैठेंगे, तभी नंदिता का पैर फिसलेगा, ऐसे में टीटू उसे बचा लेगा. ये देखते ही डिंपी भड़क जाएगी. वह खरीखोटी सुनाएगी, कहेगी कि नंदिता उसका घर तोड़ना चाहती है. डिंपी ये भी आरोप लगाएगी कि नंदिता का कोई अफेयर रहा होगा, तभी उसकी शादी टूट गई.

डिंपी को थप्पड़ मारेगी अनुपमा

दूसरी तरफ अनुपमा का पारा चढ़ेगा और डिंपी को थप्पड़ मारेगी. वह डिंपी को नंदिता से माफी मांगने के लिए कहती है. वहीं तोषु और पाखी का नया ड्रामा भी देखने को मिलेगा. आशा भवन से निकाले जाने के बाद दोनों भाईबहन सड़क पर भटकते नजर आएंगे. फिर तोषु वनराज का क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करेगा और दोनों होटल में ठहरेंगे. दोनों भाईबहन एंजौय करेंगे और अपनी फोटोज सोशल मीडिया पर डालेंगे. दूसरी तरफ किंजल और आध्या वो फोटोज देख लेंगे. जब मैनेजर होटल का बिल लेकर आएगा तो दोनों की अकल ठिकाने आती है.

अपनी बेटी की अकल ठिकाने लगाएगी बा

दूसरी तरफ आशा भवन में अनुपमा एक नई सुबह की शुरुआत करेगी. भवन के सभी सदस्य मिलजुल कर काम करते हैं. बा ये देखकर इमोशनल हो जाती है.  इसके बाद सभी लोग आशा भवन में मिलकर आरती करते हैं. तो वहीं दूसरी तरफ डिंपी और डौली दोनों ही अपने नखड़े दिखाते हैं. लेकिन उनदोनों को काम पर लगा देती है, उन्हें प्याज काटने के लिए देती हैं.

शो में आप ये भी देखेंगे कि अनुज जौब की तलाश में लग जाता है. तभी उसे एक काल आता है और वह अनुपमा से शेयर करता है. शो में अब ये देखना दिलचस्प होगा कि क्या अनुपमा शाह हाउस को बचा पाएगी?

मोहभंग : आंचल को पति के बारे में क्या पता चला

5 साल पहले अंसल दंपती ने उस पौश कालोनी में यह विशाल बंगला खरीदा था. उन के आते ही कालोनी की महिलाएं उन को अपनी किट्टी पार्टी में शामिल करने पहुंच गई थीं. उस पहली मुलाकात में भी रागिनी ने बिदा करते समय सब को एकएक आयातित सेंट की बोतल दी थी और साथ में यह भी कहा था, ‘‘आप सब ने मुझे अपनी किट्टी पार्टी में शामिल कर जो एहसान किया है उस के बदले यह उपहार कुछ भी नहीं है.’’

आयातित उपहार पा कर महिलाएं खुश होती थीं, पर प्रेमा भगत कुछ ज्यादा ही खुश होती थी जो रागिनी अंसल की अनुभवी आंखों से छिपा नहीं था. वह ताड़ गई थीं कि इस औरत में विदेशी सामान के प्रति मोह कुछ ज्यादा ही है. इस तरह रागिनी अंसल ने 5 साल की किट्टी पार्टी की हर सदस्य को 6 उपहार दे डाले थे, सेंट, म्यूजिकल गुडि़या, नेल पालिश, नाइटक्रीम, लिपस्टिक तथा एक शो पीस, जिस का अजीब सा जिगजैग आकार था. इस शो पीस को सब ने बड़े गर्व से अपने ड्राइंगरूम में सजा लिया था.

उपहार देते हुए अकसर रागिनी अंसल कहतीं, ‘‘क्या करूं, इतना सबकुछ है पर भोगने वाला कोई नहीं. बस, एक भतीजा है, वह भी विवाह नहीं करता. कोई लड़की उसे पसंद ही नहीं आती. परिवार बढ़े तो कैसे बढ़े?’’

जब से रागिनी ने अपने कुंआरे भतीजे के बारे में महिलाओं को बताया है तब से प्रेमा भगत अपनी बेटी आंचल का उस के साथ विवाह करने का सपना देखने लगी. पर मन की बात नहीं कह पाती क्योंकि करोड़ों में खेलने वाली रागिनी अंसल के सामने वह अपनेआप को बौना समझती थी. यद्यपि रागिनी अंसल आंचल के रूपलावण्य पर मुग्ध थीं पर वह खुद आगे बढ़ कर लड़की वालों से बात चलाना हेय समझती थीं.

इन सब से बेखबर आंचल अपनी दुनिया में व्यस्त थी. वह अपनी मां के एकदम विपरीत थी. इंजीनियरिंग कर के वह बंगलौर की एक प्रतिष्ठित कंपनी में कार्यरत थी. उसे विदेश व विदेशी वस्तुएं तनिक भी नहीं लुभाती थीं.

सादा जीवन उच्च विचार की सोच वाली आंचल के साथ की लड़कियों ने जहां बाल कटवाए हुए थे वहीं वह अपने लंबे काले घने केशों को एक चोटी में बांधे रखती थी.

प्रेमा भगत बेटी के इस तरह से रहने पर अकसर खीज उठती, ‘‘पता नहीं यह लड़की किस पर गई है. तनिक भी कपड़े पहनने का ढंग नहीं है. इस के साथ की सब लड़कियां इंजीनियर बन कर अपने सहयोगियों के साथ प्रेम विवाह कर विदेश चली गईं पर यह अभी तक यहीं बैठी हुई है.’’

आंचल मां की बातें सुन कर हंस देती. उस पर मां की बड़बड़ का तनिक भी असर नहीं होता.

इस बार की किट्टी पार्टी से लौट कर प्रेमा भगत ने ठान ली थी कि वह आज आंचल से बात कर के ही रहेगी. जैसे ही बेटी घर आई उस ने रागिनी अंसल से मिली लिपस्टिक को दिखाते हुए पूछा, ‘‘आंचल, इस का शेड कैसा है? आयातित है, रागिनी अंसल ने दी है.’’

आंचल ने लिपस्टिक बिना हाथ में लिए दूर से देख कर कहा, ‘‘अच्छा शेड है मां, आप पर खूब फबेगा.’’

‘‘मैं अपनी नहीं तेरी बात कर रही हूं.’’

‘‘मैं तो लिपस्टिक नहीं लगाती.’’

‘‘क्यों नहीं लगाती? कब तक ऐसे चलेगा? दूसरी लड़कियों की तरह तू क्यों नहीं ओढ़तीपहनती और अपनी मार्केट वेल्यू बढ़ाती.’’

‘‘मार्केट वेल्यू? मां, मैं क्या कोई बेचने की वस्तु हूं?’’ नाराज हो गई आंचल.

मांबेटी की बातचीत को ध्यान से सुन रहे पिता स्थिति बिगड़ती देख पत्नी को झिड़कने वाले अंदाज में बोले, ‘‘पढ़ीलिखी बेटी से कैसे बात करनी है इस की तुम्हें जरा भी तमीज नहीं,’’ और फिर बेटी को दुलार कर दूसरे कमरे में ले गए. पिता ने रात के एकांत में प्रेमा से पूछा, ‘‘क्यों, आंचल के लिए कोई लड़का ढूंढ़ रखा है क्या?’’

‘‘ढूंढ़ना क्या है, समझ लीजिए कि अपनी पकड़ के अंदर है. केवल आंचल को उस के अनुसार ढालना बाकी है.’’

फिर अपने पति को रागिनी अंसल के अमेरिका प्रवासी भतीजे तथा उन के विशालकाय बंगले के बारे में बता कर बोली, ‘‘रागिनी के न कोई आगे है न कोई पीछे. सबकुछ अपनी आंचल का होगा. ऐश करेगी वह अमेरिका में जा कर.’’

भारतीय संस्कृति के परिवेश में डूबे बापबेटी को विदेश में बसने के नाम से बड़ी कोफ्त होती थी. वैसे भी वह अपनी इकलौती बेटी को इतनी दूर भेजने के पक्ष में नहीं थे. बोले, ‘‘कोई यहीं का लड़का ढूंढ़ना चाहिए ताकि आंचल हमारी आंखों से ओझल न हो.’’

2 माह बाद रागिनी अंसल के यहां तीसरा चेहरा देख कर कालोनी के लोग चौंक उठे. एक नौजवान चोटियां बांधे अंसल दंपती के साथ कार में अकसर दिखाई देता. पता लगा कि वही उन का भतीजा देव अंसल है.

प्रेमा भगत उसे देख कर कुछ निराश हुई. बेटी आंचल को दिखाया तो वह बोली, ‘‘इस अजीबोगरीब चुटियाधारी जानवर को मुझ से दूर ही रखो मां, अन्यथा मैं इसे स्वयं खदेड़ दूंगी.’’

मां ने समझाया, ‘‘बेटी, आदमी का रूप नहीं, धन देखा जाता है.’’

आंचल ने मुंह बिचकाया, ‘‘ऊंह, पैसा तो मेरे पास भी बहुत है पर आकर्षक व्यक्तित्व पसंद है.’’

मां बेटी को समझाने में लगी ही थी कि रागिनी अंसल का निमंत्रण आ गया. अपने भतीजे से परिचय कराने के लिए सभी सपरिवार अगले दिन शाम पार्टी में आमंत्रित थे.

आंचल जाने को तैयार नहीं थी, पर मां के रोनेधोने के कारण तैयार हुई. पार्टी क्या थी, एक अच्छाखासा बड़ा आयोजन था जिस में शहर के तमाम बड़ेबड़े उद्योगपति, बड़ेबड़े नेता, सरकारी अफसर सपरिवार आए थे. उन के साथ उन के परिवार की बेटियां भी आई थीं जो एक से बढ़ कर एक डिजाइन की पोशाक पहने अपने शरीर की नुमाइश लगाने में लगी हुई थीं. आंचल सब से अलग कुरसी पर बैठी हाथ में ठंडा पेय ले कर उन्हें देखने में लगी हुई थी.

अचानक देव अंसल ने आंचलके पास आ कर हाथ बढ़ाते हुए विनम्रता के साथ डांस के लिए आग्रह किया तो आंचल ने बेहद शालीनता से मना कर दिया. तभी प्रेमा भगत दनदनाती हुई आई और बोली, ‘‘यह आंचल है, मेरी बेटी. पसंद आई तुम्हें?’’

उस के इस बेतुके सवाल पर देव चौंक पड़ा और आंचल नाराज हो कर पिता के साथ घर चली आई.

अगले दिन अंसल दंपती के घर लड़कियों के मातापिता की ओर से देव के लिए विवाह प्रस्तावों की झड़ी

लग गई. रागिनी अंसल के जोर दे कर पूछने पर देव बोला, ‘‘मुझे आंचल पसंद है.’’

चौंक गईं रागिनी. क्योंकि भगत दंपती की ओर से कोई प्रस्ताव नहीं आया था. एक सप्ताह के बाद रागिनी अंसल को भतीजे के लिए झुकना पड़ा. उन्होंने प्रेमा भगत को फोन लगाया और बोलीं, ‘‘आप ने मेरे भतीजे को देख कर अभी तक अपनी कोई राय नहीं दी.’’

‘‘क्यों नहीं, क्यों नहीं रागिनीजी, मैं ने आप के भतीजे को देखा और पसंद भी किया पर आप को क्या बताऊं…’’ कहतेकहते प्रेमा रुक गई.

‘‘नहीं, आप को बात तो बतानी ही पड़ेगी,’’ श्रीमती अंसल की रौबीली आवाज सुन कर प्रेमा भगत का मुख अपनेआप खुल गया और वह बोल पड़ी, ‘‘आंचल को देव की चुटिया पसंद नहीं है.’’

आंचल की नापसंदगी सुन कर रागिनी को धक्का सा लगा और उन्होंने आहत हो कर फोन रख दिया.

यह पता चलते ही देव अंसल ने आम भारतीय युवाओं की तरह तुरंत बाल कटवा लिए और पहुंच गया आंचल के आफिस. देव को इस नए रूप में सामने खड़ा देख कर आंचल चौंक उठी.

देव बड़ी विनम्रता के साथ आंचल से बोला, ‘‘मिस, क्या आज शाम आफिस के बाद आप मेरे साथ एक कप चाय पीना पसंद करेंगी?’’

उस के निमंत्रण में एक अनोखी आतुरता का भाव देख कर आंचल मना नहीं कर सकी.

इस पहली मुलाकात के बाद तो दोनों की शामें एकसाथ गुजरने लगीं.

दोनों के ही घर वाले देव व आंचल की मुलाकातों से अनजान थे पर बाहर वालों की नजरों से कब तक बचे रहते, खासकर तब जब मामला अंसल परिवार से जुड़ा हो. दोनों के घर वालों को जब उन के आपस में मिलने की जानकारी हुई तो भगत परिवार बेहद खुश हुआ पर रागिनी अंसल के पैरों तले धरती खिसक गई.

इस बीच देव ने आंचल के सामने विवाह का प्रस्ताव रख दिया. आंचल ने भी हां कर दी. बेटी के हां करने की बात सुन कर प्रेमा भगत ने उसे खुशी से चूमते हुए कहा, ‘‘आखिर बेटी किस की है.’’

एक भव्य समारोह में देव व आंचल का विवाह हो गया. चूंकि अंसल परिवार के साथ रिश्ता हुआ था और आंचल के मांबाप ने यह पता लगाने की कोशिश नहीं की कि देव अमेरिका के किस शहर में रहता है तथा वहां काम क्या कर रहा है. फिर भी आंचल के बौस केशवन ने उस का त्यागपत्र अस्वीकार करते हुए उसे समझाया, ‘‘आंचल, मैं तुम्हारे पिता समान हूं. बहुत अनुभवी हूं. अनजान देश में अनजान पुरुष के साथ जा रही हो. बेशक देव तुम्हारा पति है पर तुम उस के बारे में अधिक तो नहीं जानतीं इसलिए नौकरी मत छोड़ो. वहां न्यूयार्क में भी हमारी कंपनी की एक शाखा है, मैं तुम्हारी पोस्टिंग वहीं कर दे रहा हूं. अवश्य ज्वाइन कर लेना.’’

देव को बिना बताए आंचल ने वहां का नियुक्तिपत्र संभाल कर रख लिया था.

एअरपोर्ट पर विदा करने आए लोगों की भीड़ देख कर आंचल को अपने भाग्य पर रश्क होने लगा. लगभग 16 घंटे का हवाई सफर था पर देव अपने ही खयालों में खोया था. बड़ा विचित्र लगा आंचल को.

पहली बार आंचल को ध्यान आया कि देव ने अपने बिजनेस के बारे में उसे कुछ भी नहीं बताया था. पूछने पर बोला, ‘‘दूर जा रही हो तो खुद ही सब देख लेना. न्यूयार्क शहर की सीमा से लगा मेरा कारखाना है, कारों के कलपुर्जे बनते हैं.’’

आश्वस्त हुई आंचल जान कर.

न्यूयार्क पहुंच कर अगले ही दिन सुबह देव कारखाने चला गया तो उस विशालकाय बंगले में आंचल अकेली ही रह गई. देव जब तीसरे दिन भी नहीं लौटा तो चौथे दिन बोर हो कर आंचल ने नौकरी ज्वाइन करने का मन बनाया.

कंपनी की न्यूयार्क शाखा के बौस रेमंड ने उस का बेहद गर्मजोशी से स्वागत किया. पूरे स्टाफ से परिचय करवाया. पति के रूप में देव अंसल का नाम सुनते ही वहां अचानक चुप्पी छा गई. आंचल ने चौंक कर रेमंड की ओर देखा तो उन्होंने इशारे से आंचल को अपने केबिन में बुलाया और पूछा, ‘‘क्या वास्तव में तुम्हारे पति देव अंसल ही हैं?’’

रेमंड के प्रश्न और स्टाफ के लोगों की चुप्पी को देख कर उसे किसी अनहोनी का पूर्वाभास हो रहा था.

कुछ रुक कर रेमंड ने फिर पूछा, ‘‘मैडम, देव अंसल से आप का विधिवत विवाह हुआ है? या आप दोनों की ‘लिव इन’ व्यवस्था है?’’

‘‘यह ‘लिव इन’ व्यवस्था क्या होती है, मैं समझी नहीं, सर. स्पष्ट बताइए,’’ आंचल कांपते हुए बोली.

‘‘जब बिना विवाह के लड़का और लड़की पतिपत्नी की तरह साथ रहने लगते हैं तो उसे ‘लिव इन’ व्यवस्था कहते हैं,’’  रेमंड बोले, ‘‘विश्वास नहीं होता कि देव अंसल जैसे व्यक्ति ने विवाह कैसे कर लिया. वह तो ‘लिव इन’ व्यवस्था का पक्षधर है. तकरीबन 2 साल पहले अरुणा नाम की एक लड़की देव के साथ ‘लिव इन’ थी. गर्भवती हो गई तो देव पर विवाह के लिए जोर डालने लगी तब देव ने उसे अपने घर से निकाल बाहर किया. सुनते हैं उस ने…’’

‘‘आत्महत्या कर ली,’’ आंचल ने उन का वाक्य पूरा किया.

चौंक कर रेमंड ने आंचल की ओर देखा और बोले, ‘‘नहीं, उस ने आत्महत्या नहीं की थी, उस की हत्या हुई थी. पुलिस को देव पर शक था. वह इस मामले में जेल भी गया था पर सुबूत के अभाव में छूट गया.’’

आंचल याद करने लगी अरुणा को, जो उस के साथ कालिज में पढ़ती थी और अचानक पता चला कि उस को किसी एन.आर.आई. से प्रेम हो गया था और वह हमेशा के लिए अमेरिका चली गई थी.

रेमंड ने बताया कि देव ने अपने कारखाने में ही एक छोटा सा बंगला बनवा रखा है. वहां आजकल मिली नाम की एक अमेरिकन लड़की ‘लिव इन’ व्यवस्था में देव के साथ रह रही है,’’ फिर कुछ रुक कर बोले, ‘‘यहां आने वाले कुछ भारतीय पुरुष दोहरा मानदंड अपनाते हैं, अकेले में यहां कुछ और भारत में मातापिता तथा रिश्तेदारों के सामने कुछ अलग मुखौटा ओढ़े रहते हैं.’’

आंचल सोच रही थी कि देव का असली चेहरा सब के सामने लाना होगा ताकि वह आगे किसी लड़की की भावनाओं से खिलवाड़ न कर सके.

अपने दफ्तर के एक अमेरिकन सहयोगी के साथ वह अंसल के कारखाने की ओर चल पड़ी.

ठिकाने पर पहुंच कर आंचल ने देखा कि कारखाने के पश्चिमी छोर पर स्थित बंगला दूर से ही लुभा रहा था. वह कारखाने के सामने वाले दरवाजे से न जा कर बंगले की दूसरी तरफ वाले दरवाजे से अंदर घुसी. कुत्तों के भौंकने की आवाज सुन कर अंदर से एक बेहद खूबसूरत युवती बाहर निकली. बड़े ही सहज भाव से आंचल ने आगे बढ़ कर उस का अभिवादन किया और बोली, ‘‘मैं आंचल हूं. देव से मिलने के लिए भारत से यहां आई हूं.’’

उस लड़की ने अंगरेजी में कहा, ‘‘देव बाहर गया है. एक घंटे के बाद लौटेगा. आप यहां बैठ कर इंतजार कर सकती हैं.’’

आंचल यही तो चाहती थी. उसे अंदर ले जाते हुए मिली ने अपना परिचय दिया, ‘‘मैं देव की पत्नी मिली हूं.’’

तपाक से आंचल बोली, ‘‘मैं भी देव की कानूनन ब्याहता पत्नी हूं. उस ने 15 दिन पहले भारत में मुझ से विवाह किया था.’’

एक घंटे बाद जब देव लौटा तो मिली और आंचल को एकसाथ एक सोफे पर बैठा देख कर बौखला गया. वह घबरा कर उलटे पांव वापस लौटने ही वाला था कि दोनों ने उसे लपक कर पकड़ लिया और अंदर ले जा कर एक कमरे में बंद कर दिया.

इस के बाद आंचल और मिली ने फोन कर पुलिस को बुलाया और देव को धोखा दे कर विवाह करने के अपराध में पुलिस के हवाले कर दिया. यही नहीं दोनों ने मिल कर अरुणा की संदेहास्पद मौत की फाइल को दोबारा खुलवा दिया.

बेटी आंचल को सहीसलामत वापस पा कर प्रेमा भगत एक अलग ही सुकून महसूस कर रही थी. रागिनी अंसल ने किट्टी ग्रुप से हमेशा के लिए अपना नाता तोड़ लिया तथा उन की भव्य पार्टी में अपनीअपनी बेटियों को सजा कर लाए मातापिता एकदूसरे से यही कह रहे थे, अच्छा हुआ जो हम बालबाल बच गए.

62 की उम्र में 26 वाली कमाल की फिटनेस चाहती हैं, तो ऐक्ट्रेस अनिता राज से ले फिटनेस मंत्र

अकसर देखा गया है 50 प्लस की महिलाएं अपनी फिटनैस और लुक का जरा भी ध्यान नहीं रखती हैं। उन्हें ऐसा लगता है कि अब इस उम्र में लुक और फिटनैस पर ध्यान दे कर क्या करना है। अब तो बस आराम करना है. जबकि यही वह बैस्ट टाइम होता है जब आप अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियों से फ्री हो कर खुद की फिटनैस के लिए समय निकाल सकती हैं और लुक को बेहतर बना सकती हैं.

यहां हम बौलीवुड की उस ऐक्ट्रैस की बात कर रहे हैं जो 60 प्लस की हो चुकी हैं लेकिन उन की फिटनैस से उन की उम्र का पता ही नहीं चलता.

गजब की फिटनैस

80 के दशक की पौपुलर ऐक्ट्रैस अनीता राज ने 62 की उम्र में गजब की फिटनैस बरकरार रखी है। इस उम्र में बौडी को फिट रखना हर किसी के बस की बात नहीं लेकिन उन्होंने कर दिखाया। उन्होंने उम्र को अपनी बौडी पर बिलकुल भी हावी होने नहीं दिया.

अगर आप को अनीता राज की फिटनैस की झलक देखनी है तो आप उन के इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक नजर डाल सकती हैं जहां वह जिम में जबरदस्त ऐक्सरसाइज करती पसीना बहाती दिख जाएंगी.

अनीता राज का फिटनैस वीडियो

हाल ही में अनीता राज ने इंस्टाग्राम पर फिटनैस वीडियो शेयर किया है, जिस में वे व्हाइट कलर की स्लीवलैस जिम टौप, व्हाइट शौर्ट्स और औरेंज कलर के शूज पहन कर जिम में नजर आ रही हैं.

कभी वे स्क्वौड करती नजर आ रही हैं तो कभी डंबल उठाती नजर आ रही हैं। पसीने से भीगी ऐक्ट्रैस की ऐनर्जी देख कर लग ही नहीं रहा कि वह 60 से ऊपर की हैं। उन के फिटनैस वीडियोज को देख कर उन के फैंस खूब तारीफ कर रहे हैं.

फैंस के कमैंट्स

किसी ने कमैंट किया कि आप को फिट रहने के लिए इतनी मेहनत करती देख अच्छा लगता है. वहीं, एक यूजर ने पूछा कि क्या वह डाइट भी फौलो करती हैं? तो एक्ट्रेस ने जवाब दिया कि वह पौष्टिक और संतुलित आहार लेती हैं। एक ने पूछा कि क्या वह पूरी बौडी का वर्कआउट करती हैं तो उन्होंने कहा कि हां.

फिल्मों से टीवी तक का सफर

फेमस ऐक्टर जगदीश राज खुराना की बेटी अनीता राज ने 100 से ज्यादा फिल्मों में अभिनय किया है. उन की बस्ट फिल्मों में ‘गुलामी’, ‘जरा सी जिंदगी’, ‘जमीन आसमान’ और ‘मास्टरजी’ रही है. फिल्मों के बाद अनीता राज ने 1993 में ‘आशिकी’ से टैलीविजन पर डैब्यू किया, फिर वे कई टीवी सीरियल्स में नजर आईं, जिन में ‘ईना मीना डीका’, ‘तुम्हारी पाखी’, ’24’, ‘एक था राजा एक थी रानी’, ‘ छोटी सरदारनी’ और ‘माया’ वगैरह.

लेकिन ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ से अनीता राज ने घरघर में अपनी पहचान बनाई है.

इंटिमेट सीन के कारण इस ऐक्ट्रैस ने फिल्म को किया रिजैक्ट, करोड़ों के औफर को मारी लात

साउथ इंडस्ट्री में जहां हीरोइन इंटिमेट सीन और सैक्सी डांस मूमेंट्स देने में जरा भी नहीं हिचकिचाती है . वही साउथ की हीरोइन साई पल्लवी ने अपने अभी तक के सफल करियर में किसी भी फिल्म में चुंबन दृश्य नहीं दिया है . क्योंकि साई पल्लवी के अनुसार ऐसे सीन देने से उनके घर वालों की छवि खराब होती है और वो नहीं चाहती कि वह फिल्मों में कोई भी ऐसा काम करें जिससे उनको अपने परिवार के सामने शर्मिंदा होना पड़े.

जिसके चलते खबरों के अनुसार साई पल्लवी को विजय देवरकोंडा के साथ करोड़ों के बजट की फिल्म डियर कौमरेड आफर हुई थी, लेकिन क्योंकि इस फिल्म में विजय देवरकोंडा के साथ एक लंबा चुबन दृश्य था और कुछ इंटिमेट सीन थे. जिसकी वजह से साई पल्लवी ने ये फिल्म करने से इनकार कर दिया. साई पल्लवी के इनकार के बाद यह फिल्म रश्मिका मंदांना को औफर हो गई . डियर कौमरेड फिल्म रश्मिका मदन की झोली में आ गई है. यह फिल्म रिलीज हो चुकी है. लेकिन यह फिल्म ना करने से सई पल्लवी को कोई नुकसान नहीं हुआ. बल्कि आज भी उनके पास ढेर सारी फिल्में है.

ऐसे में कहना गलत ना होगा कि सक्सेस अपने उसूलों के साथ भी पाई जा सकती है. गौरतलब है बौलीवुड में भी सुपरस्टार एक्टर सलमान खान को चुंबन दृश्यों से सख्त ऐतराज है. सलमान खान ने भी अपने अब तक के करियर में किसी भी फिल्म में चुंबन दृश्य नहीं दिया है. लेकिन वह भी 44 वर्ष से फिल्म इंडस्ट्री पर राज कर रहे हैं.

फर्श पर जमी काई से हैं परेशान, तो हटाने के लिए अपनाएं ये आसान तरीके

बारिश का मौसम लगभग समाप्ति की ओर है. बारिश के बाद घर की अधिकांश दीवारें, फर्नीचर और बाथरूम में पानी की नमी के कारण सीलन से प्रभावित हो जाती है. जब यह सीलन काफी लंबे समय तक बनी रहती है तो दीवारों में फफूंद और काई लग जाती है. यही नहीं कई बार इस फफूंद और काई से दीवारों का रंग हरा और काला तक हो जाता है. इस काई और फफूंद में हजारों अदृश्य वायरस (माइक्रोऔर्गेनिज्म) होते हैं जो सेहत के लिए अत्यंत हानिकारक होते हैं.

औल इंडिया इंस्टीट्यूट औफ मेडिकल साइंसेज के अनुसार भारत में 5 करोड़ से अधिक लोग इस काई और फफूंद से उत्पन्न होने वाली फंगल डिजिज से प्रभावित होकर डौक्टर के पास जाते हैं. इन माइक्रोऔर्गेनिज्म से राइनाइटिस अर्थात् लगातार नाक का बहना, एलर्जी, अस्थमा, छींक आना, और शरीर में खुजली होने जैसी अनेकों समस्याएं हो सकतीं हैं. इसलिए आवश्यक है कि घर के किसी भी हिस्से में किसी भी प्रकार की सीलन, काई या फफूंद न पनपने दें. यदि आपके घर का कोई भी स्थान इससे प्रभावित है तो आप निम्न तरीकों से उसे दूर कर सकते हैं-

1-फफूंद प्रभावित स्थान को झाड़ू से साफ करने की कोशिश न करें क्योंकि ऐसा करने से फफूंद में मौजूद कीटाणु हवा में जाकर घर के लोगों को प्रभावित करेंगे.

2-सर्वप्रथम एक गीले कपड़े से फफूंद को हल्के हाथ से रब करें, इससे उस जगह का कालापन काफ़ी हद तक कम हो जाएगा. इस कपड़े को डस्टबिन में फेंक दें.

3-एक कपड़े को फिनायल या वेनेगर में डुबोयें और प्रभावित स्थान को साफ़ करें इससे वह स्थान कीटाणु मुक्त हो जाएगा. इस कपड़े को दोबारा प्रयोग करने का प्रयास न करें.

4-काई युक्त स्थान पर विनेगर को अच्छी तरह छिड़ककर आधे घंटे के लिए छोड़ दें फिर ब्रश से रगड़कर साफ़ करें, काई के मलबे को हटाकर साफ़ पानी से धो दें. फर्श और दीवारें एकदम चमक जाएंगी. इसके बाद आवश्यकतानुसार पेंट करवाएं.

5-आजकल बाज़ार में अनेकों फंगस रिमूवर और ब्लीच उपलब्ध हैं आप इनका प्रयोग कर सकती हैं, बस इन्हें प्रयोग करने से पहले उस पर लिखे निर्देशों को अवश्य पढ़ लें.

6-बाथरूम के फर्श पर जमा काई या फंगस को हार्पिक अथवा फ्लोर क्लीनर से साफ़ करें, बाथरूम के फर्श को साफ़ करते समय ध्यान रखें कि क्लीनर या हार्पिक नलों या जेट पर न लगने पायें. क्योंकि इन सभी में निहित एसिड से नल और जेट का रंग काला हो जाता है जो बाद में देखने में अच्छे नहीं लगते.

7-फंगस को साफ़ करने के लिए आप डिटौल के घोल का प्रयोग कर सकती  हैं. इसके लिए 1 टेबलस्पून डिटॉल में 5 चम्मच पानी मिलाकर घोल तैयार करें.

8-फंगस और काई को साफ करने के बाद यदि दीवार पर कोई निशान दिखे तो उस स्थान को पेंट करा दें.
9-2 लीटर पानी में 4 चम्मच बोरेक्स पाउडर और 2 चम्मच चूना अच्छी तरह मिलाकर घोल तैयार करें. अब इस घोल को प्रभावित स्थान पर लगाकर 20 मिनट के लिए छोड़ दें. 20 मिनट बाद ब्रश से रगड़कर साफ़ कर लें.

10-कई बार नमी के कारण कपड़ों में भी काली काली फफूंद लग जाती है इसे पहले कपड़ो से झाड़कर साफ़ कर दें. फिर वाशिंग मशीन के हीट मोड पर डिटौल और सर्फ से धोएं. यदि धुलने के बाद कोई निशान हो जाए तो ब्लीच या वेनिश से साफ कर दें.

रखें इन बातों का भी ध्यान

-काई या फफूंद हटाते समय मुंह पर कपड़ा बांधें या मास्क लगाएं ताकि वायरस आपके शरीर में प्रवेश न कर सकें.

-घर के किसी भी स्थान पर पानी जमा न होने दें.

-ब्लीच और एसिड का प्रयोग करते समय हाथों में ग्लव्स अवश्य पहनें.

-यदि अधिक सीलन है तो वाटर प्रूफ़िंग करवायें ताकि अगली बारिश में सीलन न आए.

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