जब अरशद ने बोमन पर फेंका त्रिशूल

बॉलीवुड एक्टर्स के साथ फिल्म के सेट पर कई हादसे होते रहते हैं. इनमें कई बार एक्टर गंभीर रूप से भी घायल हो जाते हैं. लेकिन कहते हैं ना कि ‘द शो मस्ट गो ऑन’, इसलिए काम कभी रुकता नहीं हैं.

हाल ही में बोमन ईरानी ने एक दिलचस्प घटना का खुलासा किया. उन्होंने बताया कि कैसे उनके अच्छे दोस्त अरशद वारसी ने सालों पहले नाटक के दौरान एक बार दुर्घटनावश उन पर त्रिशूल फेंका था.

बोमन ने बताया, ‘मैंने करीब 25 साल पहले पहला नाटक किया था जिसमें अरशद एक कोरियोग्राफर था और मेरी एक छोटी भूमिका थी. अरशद ने एक आइटम नंबर किया और इसके बाद मेरी एंट्री थी. वह चारो ओर मुड़ा और एक ‘त्रिशूल’ फेंका जहां पर उसके असिस्टेंट को इसे लपकना था.’

उन्होंने बताया, ‘लेकिन उस दिन उसका सहायक किसी और सहायक के साथ मशगूल था. मैं उस स्थान पर खड़ा था और त्रिशूल आकर मुझे लग गया. खून बहने लगा.. मैं इसके लिए अरशद को कभी नहीं भूल पाता.’

बोमन ईरानी ने 2003 में ‘मुन्नाभाई एमबीबीएस’ से अपने कॅरियर की शुरुआत की थी जिसमें अरशद भी नजर आए थे. जल्द ही बोमन और अरशद एक बार फिर कॉमेडी फिल्म ‘द लीजेंड ऑफ माइकल मिश्रा’ में नजर आने वाले हैं.

अब ‘द कपिल शर्मा शो’ से भी सिद्धू OUT

बीजेपी से इस्तीफा दे चुके नवजोत सिंह सिद्धू अब जल्द ही ‘द कपिल शर्मा शो’ भी छोड़ सकते हैं. जी हां, चैनल के एक सूत्र के मुताबिक, ‘सिद्धू पाजी पर शो को छोड़ने का बहुत दबाव है. हमने सुना है कि उन्हें ऐसे शो का हिस्सा बनने के लिए मना किया जा रहा है ताकि वह अपनी इमेज में बदलाव कर सकें.’

क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू लंबे समय से कपिल शर्मा के कॉमेडी शो का हिस्सा हैं. सिद्धू की इस शो में एक खास जगह है. वह अपनी शायरी के लिए भी पसंद किए जाते हैं. इसके पहले वे ‘कॉमेडी नाइट्स विद कपिल’ में भी सबको हंसाते दिखे थे.

अपनी पार्टी बदलने के बाद सिद्धू हाल ही में मुंबई एयरपोर्ट पर नजर आए. सूत्र के मुताबिक, वह मुंबई ‘द कपिल शर्मा शो’ की शूटिंग के लिए आए थे और अब उनका इरादा इस शो को छोड़ने का है.

मेरी जिंदगी महिलाओं से प्रभावित

सुपरस्टार शाहरख खान का कहना है कि उनके जीवन को उनकी दादी, पत्नी, बेटी और फिल्म इंडस्ट्री की उन महिलाओं ने आकार दिया है जिनके साथ उन्होंने काम किया है.

50 साल के शाहरूख ने कहा, ‘‘मेरे जीवन को आकार महिलाओं ने दिया है, शुरूआत में मेरी दादी से लेकर अब मेरी बेटी तक. इस बीच मेरी पत्नी, कॉलोनी की चाची, दीदी और फिल्म इंडस्ट्री की उन महिलाओं ने जिनके साथ मैंने काम किया है, मेरे जीवन को प्रभावित किया है.’’

उन्होंने कहा, ‘‘मैं आज जो भी हूं उसका 100 फीसदी हासिल करने में उन्होंने मेरी मदद की है. मैं उन महिलाओं के बिना सफल नहीं होता. मेरा जीवन उनका एहसानमंद है.’’ यह सब वह एक समारोह में लेखिका गुंजन जैन की एक किताब ‘‘शी वाक्स, शी लीड्स’’ के विमोचन के अवसर पर बोल रहे थे.

इस किताब में जीवन के विभिन्न क्षेत्रों की 24 महिलाओं की चर्चा है, जिसमें नीता अंबानी, चंदा कोचर और स्वाति पीरामल शामिल हैं.

‘‘फैन’’ के अभिनेता ने अपने जीवन को प्रभावित करने वाली महिलाओं को लेकर एक किताब लिखने की आशा व्यक्त की है. उन्होंने कहा, ‘‘मुझमें जो संवेदनशीलता और अच्छाई है वह मेरे जीवन को प्रभावित करने वाली महिलाओं की वजह से है. उन्हें लेकर शायद मैं एक दिन किताब लिखूंगा.’’

TRP के लिए कुछ भी करेगा

इडियट बॉक्स पर अनगिनत चैनल्स आते हैं और उन चैनल्स पर अनगिनत प्रोग्राम्स. कुछ तो दिल को छू जाते हैं और कुछ दिमाग का दही कर जाते हैं.

कहीं नागिन तो कहीं डायन और कहीं मक्खी और मच्छर. हमारे टीवी के ये कलाकार डायरेक्टर के कहने पर कुछ भी बन जाते हैं और वहीं एक ओर किसी घर में औरतें सजी धजी बैठी घर के आदमियों पर रौब जमाया करती हैं.

टीआरपी के लिए है सारा खेल

टीवी के इन कार्यक्रमों की टीआरपी यानि की टेलीविजन रेटिंग पॉइंट ये तय करता है कि एक निश्चित समय के लिए कौन-कौन से सीरियल्स लोकप्रियता के किन पायदानों पर रहे. इसिलिए नाटकों में कई तरह के घुमाव दिखाए जाते हैं.

इसके अलावा भी समय समय पर निजी कंपनियां इस तरह के सर्वे करवाती रहती हैं. हाल ही में एक बड़ी अखबार कम्पनी ने एक सर्वे कंडक्ट कराया. इस सर्वे का परिणाम जानने के लिए आप अपना रुमाल, सर दर्द की दवा लेकर तैयार रहिएगा आपको कभी भी जरूरत पड़ सकती है.

सीआईडी

भारतीय टीवी के इतिहास का सबसे लम्बा चलने वाला कार्यक्रम है सीआईडी. ऐसा मालूम होता है कि इनके हीरोज के पास सुपरपावर्स है. क्यूंकि वे “कुछ भी” कर सकते हैं चाहे धूप के चश्मे से रेडिएशन देखना हो या किसी फटे कपड़े के एक रेशे से उसे बनाने वाले तक पहुंचना और बेहतरीन तो तब होता है जब झापड़ पड़ते ही गुनेहगार जहाँ भी हो सीधे सीआईडी के दफ्तर पहुंच जाता है.

निर्मल बाबा का दरबार

मुझे याद है एक बार किसी परेशान व्यक्ति ने इनसे समस्या का उपाय पूछा तो ये बोले बेटा समोसा हरी चटनी से खाया करो. किसी मधुमेह रोगी को रसगुल्ला खाने को कह देते हैं. कभी कहते हैं समागम होगा तो काला पर्स खोल कर बैठना कृपा बरसेगी. मेरी दादी भी बैठती थी ऐसे ही कृपा लेने; पर मैंने कभी आते नहीं देखी. बाबा ‘कुछ भी’ बताते थे.

साथ निभाना साथिया

इस सीरियल में लीप पर लीप होते जा रहें हैं लेकिन गोपी बहु बुड्ढी नहीं हुई और कोकिला कभी सुरीली नहीं हुई. अब जब सब बच्चों की शादी हो गयी और उनके भी बच्चे हो गये तो गोपी बहु की फिर से शादी हुई. उतनी ही जवान लग रही थी जितनी पहली शादी में थी.

दीया और बाती हम

जब सीरियल को इतना लम्बा खींचना था तो दीया और बाती नाम क्यूं रखा, अखंड ज्योत रख देते. संध्या बींदणी कभी भी कहीं भी “कुछ भी” कर सकती हैं क्योंकि वो एक सुपर कॉप हैं. हेलीकाप्टर पर उल्टा लटक सकती हैं. बम धमाके से बिना खरोंच के वापस आ सकती हैं क्योंकि देश की पूरी ज़िम्मेदारी इन्हीं पर हैं.

ससुराल सिमर का

ये तो एकदम अल्टीमेट सीरियल है. कभी रोली डायन तो कभी सिमर मक्खी बन जाती है. इनके घर के मर्द सब चूड़ी पहन कर बैठे रहते हैं. पूरे घर की जिम्मेदारी इन दोनों लडकियों पर हैं. बेचारी दो नन्हीं सी जान और उम्र भर का बोझ और उसपर कभी आत्माएं तो कभी जिन्न सब इन्हीं दोनों को परेशान करते हैं. फिर बेचारी पाताल जाकर अपने पति को बचा कर लाती हैं. “कुछ भी” करके इन्हें अपने परिवार को बचाना है और सीरियल को चलाना है.

ये रिश्ता क्या कहलाता है

ये तो इन्हें भी नहीं समझ आया पिछले 8-10 सालों से कि ये रिश्ता क्या कहलाता है? इनकी परेशानियाँ बहुत बड़ी होती हैं जैसे अक्षरा का पहली बार सलाद बनाना या सड़क खुद पार करके दूसरी तरफ जा पाना या नैतिक को छींक आना या नक्श की स्कूल बस छूट जाना. बाप रे इतनी सारी परेशानियाँ!! बेचारे कैसे सह पाते हैं. जीवन मुश्किल है इनका. “कुछ भी” हो सकता है इनके साथ.

जोधा अखबर

एकता कपूर ने अगर रामायण बनाई होती तो लंका में शायद सीता जी की प्लास्टिक सर्जरी हो गई होती और राम जब उन्हें लेने आते तो पहचान न पाते और रावण के मरने के 20 साल बाद पता चलता कि वो तो मरा ही नहीं और अब वो फिर से बदला लेगा. जोधा अखबर में भी यही हुआ. पूरे इतिहास की धज्जियां उड़ा दी गईं. इन्होंने जोधा अखबर की कहानी में “कुछ भी” करके जिन्न, भूत, आत्मा सब घुसेड़ दिया|

झलक दिखलाजा 9

डांस और ब्यूटी का डबल डोज़ झलक दिखलाजा 9 में एक और नई एंट्री.

जब करें इनरवियर का चुनाव

फैशनेबल दिखने के लिए इनरवियर्स का सही चुनाव बहुत जरूरी है, क्योंकि इनरवियर्स ही ड्रैस की फिटिंग को उभारते हैं. यदि सही इनरवियर्स नहीं होंगे तो बौडी शेप भी खराब दिखेगी. लेकिन इनरवियर किसे दिखाने हैं, यह सोच कर लड़कियां अकसर सस्ते इनरवियर खरीद लेती हैं और यहीं हो जाती है उन से फैशन मिस्टेक. जबकि आजकल बाजार में हर ड्रैस के लिए तरहतरह के इनरवियर्स उपलब्ध हैं.

आइए, जानते हैं किस ड्रैस के साथ कौन सा इनरवियर पहनना चाहिए:

– मिनिमाइजर ब्रा स्लिम फिट टौप के लिए है यदि आप अपनी हैवी ब्रैस्ट का साइज कम दिखाना चाहती हैं तो यह ब्रा आप के लिए परफैक्ट है.

– टी शर्ट पहन रही हैं तो टीशर्ट ब्रा ही पहनें. यह ब्रा आप की ब्रैस्ट को सही आकार देगी और टीशर्ट की फिटिंग भी सही आएगी.

– पैडेड ब्रा उन ड्रैसेज के लिए है, जो बहुत ही महीन फैब्रिक मसलन सिल्क, कौटन और लिनेन से बनी होती हैं.

– यदि डीपनैक ड्रैस पहनने जा रही हैं तो डैमी ब्रा पहनना न भूलें. यह ब्रा औफशोल्डर और ट्यूब टौप के नीचे भी पहनी जा सकती है.

– हाल्टरनेक ब्रा को ढीलेढाले स्पोर्टवियर के नीचे पहनना चाहिए. यह न केवल ब्रैस्ट को स्थाई रखती है, बल्कि पसीने को भी सोखती है. यह पसीने को आप के आउटरवियर पर नहीं आने देती.

फैशन ऐक्सपर्ट विनीता कहती हैं, ‘‘ब्रैस्ट और बंप्स महिलाओं के शरीर के बहुत ही अहम हिस्से होते हैं. ये दोनों ही हिस्से महिलाओं को अच्छी फिगर देते हैं और ड्रैस को अच्छी शेप. यदि किसी महिला की ब्रैस्ट का साइज कम है तो उसे आर्टिफिशियली बढ़ाने के लिए पैडेड ब्रा पहनी जा सकती है. ब्रा की ही तरह बंप्स को बढ़ाने के लिए पैडेड पैंटीज भी मिलती हैं.’’

टीनऐजर्स के इनरवियर

दरअसल, आज की युवा पीढ़ी में इनरवियर्स से जुड़ी सही जानकारी का ज्ञान होना बहुत जरूरी है खासतौर पर जब हम टीनऐजर्स की बात करते हैं, तब यह और भी महत्त्वपूर्ण विषय बन जाता है.

वर्तमान समय में कई तरह के पर्यावरण बदलाव हो रहे हैं, जिन का सीधा असर हमारे शरीर पर पड़ता है. इन बदलावों का ही असर है, जो आज लड़कियों में बहुत से शारीरिक बदलाव देखे जा रहे हैं.

इस की एक बड़ी वजह आजकल का खानपान भी है. मासिकधर्म शुरू होने पर लड़कियों के शारीरिक अंगों में विकास होता है. स्तनों का विकास भी मासिकधर्म पर निर्भर करता है.

इस तरह कम उम्र से ही लड़कियों को ब्रा पहननी होती है. यह एक ऐसी उम्र होती है जब अधिकतर लड़कियों को इस बात का आभास भी नहीं होता कि उन के स्तनों में उभार आ रहा है और वे आकार ले रहे हैं. ऐसे में एक मां ही अपनी बेटी को ब्रैस्ट केयर और ब्रा के सही चुनाव की जानकारी दे सकती है.

पेश है, कुछ खास जानकारी जो मां को अपनी बढ़ती बेटी को जरूर देनी चाहिए:

जब बेटी के स्तन आकार लेने लगें, तो तुरंत अपनी बेटी को इस बदलाव के बारे में समझाएं और उसे ट्रेनिंग या स्पोर्ट ब्रा खरीद कर पहनने को दें.

– विकसित होते स्तन कभीकभी लड़कियों को अवसाद में ले जाते हैं. इस बदलाव को लड़कियां आसानी से स्वीकार नहीं कर पातीं. दरअसल, खुद के शारीरिक अंगों में हो रहे बदलाव के बारे में दूसरों के मुंह से सुनती हैं, तो उन्हें यह परिस्थिति अटपटी लगती है, साथ ही विकसित होते स्तनों की बनावट भी अटपटी सी ही होती है. ऐसे में बेटी को कप्ड ब्रा पहनने का सुझाव दें. ऐसी ब्रा स्तनों के आकार को पौइंटेड दिखाने की जगह गोल आकार देती है. इस ब्रा में लगे अंडरवायर भी स्तनों को अच्छी सपोर्ट देते हैं.

– स्कूल में बहुत सारी ऐक्टिविटीज होती हैं, जिन में शारीरिक क्षमता का बहुत प्रयोग करना होता है. इन गतिविधियों में इस उम्र की लड़कियों को भी हिस्सा लेना होता है. मगर इस से पहले मां का फर्ज बनता है कि वह बेटी को समझाए कि उसे विकसित होते स्तनों का ध्यान रखना है और इस का ध्यान वह एक अच्छी स्पोर्ट ब्रा पहन कर ही रख सकती है. स्पोर्ट ब्रा पहनने से स्तनों के टिशूज पर प्रभाव नहीं पड़ता. इसलिए इस ब्रा को किसी स्पोर्ट में हिस्सा लेते या व्यायाम करते वक्त बेटी को पहनने को कहें.

– सवाल होते हैं. मसलन, फिटिंग, साइज और ब्रा पहनने के बाद कितना सहज महसूस हो सकता है. बेटी के मन में चल रही इस उथलपुथल को एक अच्छी फिटेड ब्रा के साथ मां ही खत्म कर सकती है.

– बेटी को डार्क कलर की ब्रा की जगह हलके रंग, हो सके तो स्किन टोन से मैच करते रंग की ब्रा पहनने की सलाह दें. दरअसल, डार्क रंग की ब्रा कपड़ों पर फ्लांट हो सकती है, लेकिन स्किन टोन कलर की ब्रा में यह दिक्कत नहीं आती.       

ये खाएं शरीर को नुकसान से बचाएं

गरमी का मौसम हानिकारक तत्त्वों को शरीर से बाहर निकालने (डिटौक्स) के लिए उपयुक्त समय होता है, क्योंकि इन दिनों ताजा और्गेनिक फलों और सब्जियों की काफी उपलब्धता होती है.

लिवर अपने ऐंटीऔक्सीडैंट्स का उत्पादन खुद करता है, लेकिन स्वस्थ बने रहने के लिए इसे खाद्यपदार्थों के स्रोतों से अन्य ऐंटीऔक्सीडैंट्स की भी जरूरत पड़ती है. इसलिए ऐसे खाद्यपदार्थों का सेवन करें, जो लिवर और पाचनतंत्र को दुरुस्त रखने में सहायक होते हैं.

ऐंटीऔक्सीडैंट आधारित खाद्यपदार्थों के ज्यादा सेवन से शरीर के मुक्त कणों से मुकाबला करने में मदद मिलती है. डिटौक्स के निम्न टिप्स की मदद से शरीर को साफ करने में मदद मिलती है:

– समर में डिटौक्स के लिए तरबूज सब से अच्छा खाद्यपदार्थ है. इस से शरीर में काफी क्षारीय गुणों वाले तत्त्व बनते हैं और इस में काफी मात्रा में साइट्रोलाइन होता है. इस से आर्जिनिन बनने में मदद मिलती है, जिस से शरीर से अमोनिया एवं अन्य हानिकारक तत्त्व बाहर निकलते हैं. इस के साथ ही तरबूज पोटैशियम का भी अच्छा स्रोत है, जो हमारी डाइट में सोडियम की मात्रा को संतुलित करता है और सफाई के दौरान हमारी किडनियों को भी सपोर्ट करता है.

– शरीर से हानिकारक तत्त्वों को निकालने में खीरा काफी मददगार होता है. खीरे में पानी की काफी मात्रा होती है, जिस से मूत्र प्रणाली में गतिशीलता आती है.

– नीबू लिवर के लिए बेहतरीन उत्प्रेरक है और यह यूरिक ऐसिड और अन्य हानिकारक रसायनों को घोल देता है. यह शरीर को क्षारीय बनाता है और इस तरह से यह शरीर के पीएच लैवल को संतुलित करता है.

– पुदीने की पत्तियां गरमी में ठंडक का एहसास देती हैं. ये ज्यादा प्रभावी तरीके से खाना पचाने में मदद करती हैं और लिवर, पित्ताशय व छोटी आंत से पित्त के प्रवाह में सुधार लाती हैं, साथ ही आहार वसा को विघटित करती हैं.

– अमीनो ऐसिड प्रोटीनयुक्त पदार्थों में पाया जाता है और यह हानिकारक तत्त्वों को शरीर से निकालने की प्रक्रिया के लिए बहुत आवश्यक है.

– सब्जियों को भाप से पकाना या हलका फ्राई करना अच्छा विकल्प है, क्योंकि इस से पोषक तत्त्वों का क्षय नहीं होता है.

– हानिकारक तत्त्वों को शरीर से बाहर निकालने के लिए कुछ हलकेफुलके व्यायाम करें. डिटौक्सिंग के दौरान यह जरूरी है कि आप अलकोहल और कैफीन से दूर रहें.

– प्रतिदिन सुबह गरम पानी में नीबू और शहद मिला कर पीएं, क्योंकि यह पाचनतंत्र को सक्रिय करता है और कब्ज से दूर रखने में मदद करता है.

– पोलिफेनोल्सयुक्त हरी चाय का खूब सेवन करें, क्योंकि यह शक्तिशाली ऐंटीऔक्सीडैंट का काम करती है.

– तय मात्रा में लेकिन नियमित तौर पर दूध का सेवन करें. दूध में पोषक तत्त्वों की प्रचुरता होती है, जो हड्डियों के लिए खासतौर पर महत्त्वपूर्ण है. दूध हमारे शरीर से अशुद्ध चीजों को बाहर निकालने के दौरान शरीर को मजबूत बनाता है.

– कैफीन से दूर रहें, क्योंकि यह शरीर को पोषक तत्त्वों को अवशोषित करने में अड़चन खड़ी करती है. इस के साथ ही शराब का सेवन न करें, क्योंकि यह रक्तप्रवाह में आसानी से अवशोषित होती है और शरीर के हर हिस्से को प्रभावित करती है.

– ढेर सारा पानी पीएं. पुरुषों को प्रतिदिन कम से कम 3 लिटर और महिलाओं को करीब 2.2 लिटर पानी पीना चाहिए. पानी महत्त्वपूर्ण अंगों से हानिकारक तत्त्वों को बाहर निकालता है और पोषक तत्त्वों को कोशिकाओं तक पहुंचाता है.

– अपने आहार में फाइबरयुक्त भोजन की मात्रा बढ़ाएं. फाइबरयुक्त आहार प्रतिरोधक प्रणाली के नियमन में अहम भूमिका निभाता है और इस की वजह से कार्डियोवैस्क्युलर बीमारी, मधुमेह, कैंसर और मोटापे का खतरा कम होता है.

– पर्याप्त विटामिंस लें. यह एक महत्त्वपूर्ण पोषक है, जिस का शरीर अपनेआप ही पर्याप्त मात्रा में उत्पादन नहीं कर सकता. इसलिए यह काफी महत्त्वपूर्ण है कि आहार में विटामिंस संतुलित मात्रा में हों.

– सोने की भी भूमिका महत्त्वपूर्ण है. जब हम सोते हैं तो सभी कोशिकाओं और ऊतकों में समुचित औक्सीजन का संचार होता है. औक्सीजन की उपलब्धता सभी आवश्यक अंगों को अच्छी तरह चलाने में मदद करती है और त्वचा को कोमल एवं आंखों को चमकदार बनाती है.                     

सोनिया नारंग

ओरिफ्लेम इंडिया

यूं बनाएं बैगी फिलर्स

सामग्री

– 1 पैकेट पाव

– 2 बड़े चम्मच मक्खन

– 100 ग्राम पनीर कटा

– 2 बड़े चम्मच हरा प्याज

– 2-2 बड़े चम्मच हरी, लाल व पीली शिमलामिर्च

– 2 बड़े चम्मच मकई दाना उबला हुआ

– 2 बड़े चम्मच टोमैटो सौस

– 2 क्यूब्स मोजरेला चीज

– 1/4 छोटा चम्मच कालीमिर्च पाउडर

– 1/2 छोटा चम्मच ओरिगैनो

– 1 छोटा चम्मच चिली सौस

– 1 कटोरी चावल उबले

– 1 कटोरी मिश्रित स्प्राउट्स

– नमक स्वादानुसार

विधि

फ्राइंगपैन में मक्खन गरम कर के सारी सामग्री को हलका सा पका लें. फिर आंच से उतार कर हलका ठंडा होने दें. अब हाथ से कटलेट का आकार दे कर एक पीस तैयार करें.

बन को बीच से खाली कर के उस कटलेट को बन में फिट करें. पनीर व सौस से सजा कर सर्व करें.

व्यंजन सहयोग: कमलेश संधु

सिस्टम के खिलाफ आम आदमी की जद्दोजहद ‘मदारी’

हिंदी फिल्मों में ‘सिस्टम’ पर फिल्में हमेशा बनती रही है. फिल्म ‘मदारी’ सिस्टम में हुई गलतियों की जानकारी देकर भविष्य में ऐसा न हो, उस पर अगाह करने की बात कही गई है. ये फिल्म हमारे वोटर्स और यूथ के लिए है जो अपना वोटिंग समझ कर करें.

निर्देशक निशिकांत कामत ने आज से 8 साल पहले अभिनेता इरफान खान के साथ ‘मुंबई मेरी जान’ बनाई थी और एक बार फिर से दोनों ने साथ काम किया है.

यह फिल्म राजनीति और राजनेता दोनों पर कटाक्ष करती है, जिसमें घुसकर हर इंसान आत्मसुख का आदि बन जाता है. फिर चाहे वोटर्स को कुछ भी हो, उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता.

फिल्म में इरफ़ान खान ने मदारी की भूमिका अच्छी तरह से निभाया है. पूरी फिल्म में वे हावी रहे, लेकिन उनके किडनैपर का गेटअप कुछ अधिक समय तक चला जिसे हॉल में बैठकर देखना मुश्किल हो रहा था.

कहानी इस प्रकार है.

फिल्म के शुरू में होम मिनिस्टर (तुषार दलवी) का बेटा किडनैप हो जाता है. किडनैप करने वाला निर्मल कुमार (इरफान खान) होता है. होम मिनिस्टर अपनी पूरी ताकत अपने बेटे रोहन को पाने के लिए लगा देता है. जिसमें साथ देता है जिम्मी शेरगिल जो एक विजिलेंस ऑफिसर है. लेकिन निर्मल की चालाकी के आगे वह कुछ भी करने में नाकाम रहता है. किडनैपर बनने के पीछे निर्मल की कुछ मंशा है जिससे वह सबको अगाह करवाना चाहता है. बिना हिंसा के वह उसे अंजाम तक पहुचाता है.

फिल्म में जिम्मी शेरगिल की कुछ खास अभिनय नहीं थी. फिल्म की रफ्तार धीमी थी. फिल्म की स्क्रिप्ट अच्छी तरह लिखी नहीं गई. जिसकी कमी बार-बार दिखी. फिल्म को और छोटा बनाया जा सकता था. बीच-बीच में इरफान का अचानक रोना-चिल्लाना समझ से परे थी. इरफान एक अच्छे कलाकार है, अपने आँखों से वह पूरी कहानी कहने में समर्थ होते है. ऐसे में उन्हें अच्छी तरह से परदे पर उतारने में निशिकांत इस बार असफल रहे. बहरहाल फिल्म के कुछ संवाद और गाना ‘डम डमा डम’ सटीक थे, जो फिल्म को मनोरंजक बना रहे थे. इसे टू स्टार दिया जा सकता है.  

शादी से पहले पार्टनर की क्रेडिट हिस्‍ट्री भी जाने

जीवन में शादी का फैसला सबसे बड़ा और सबसे अहम फैसला होता है. महिलाएं अपने लाइफ पार्टनर के बारे में फैसला करने से पहले प्रोफेशन, पर्सनालटी, कांपैटिबिलिटी, फैमिली बैकग्राउंड जैसी चीजों पर विचार करती हैं. लेकिन क्‍या आपने शादी से पहले आपने पार्टनर की फाइनेंशिल कांपैटिबिलिटी पर विचार किया है. आपके पार्टनर की क्रेडिट हिस्‍ट्री आपकी आगे की लाइफ में अहम भूमिका निभाने निभाने वाली है.

अपने लाइफ पार्टनर की क्रेडिट हिस्‍ट्री को न करें इग्‍नोर

अनीता ने राज के साथ शादी की. अनीता एक महत्‍वाकांक्षी और वेल पेड एक्‍जीक्‍यूटिव थी और वह चेन्‍नई में एमएनएमसी में काम कर रही थी. शादी के एक वर्ष बाद दोनों ने अपना घर खरीदने का फैसला किया. अनीता ने काम करना शुरू कर दिया था और उसे मंथ्‍ली सैलरी मिल रही थी. ऐसे में दोनों ज्‍वाइंट होम लोन के लिए आवेदन किया. हालांकि अनीता यह जानकर शाक्‍ड रह गई कि उनकी क्रेडिट हिस्‍ट्री के कारण होम होन एप्‍लीकेशन रिजेक्‍ट हो गई है. इस बारे में और जानकारी लेने पर राज और अनीता दोनों को सिबिल से क्रेडिट रिपोर्ट और क्रेडिट स्‍कोर हासिल करने को कहा गया.

क्रेडिट रिपोर्ट हासिल करने के बाद इन लोगों ने पाया कि जहां अनीता की क्रेडिट हिस्‍ट्री और स्‍कोर अच्‍छा था वहीं राज की क्रेडिट हिस्‍ट्री में डिफॉल्‍टस और कई क्रेडिट कार्ड और पर्सनल लोन पर रिटेन ऑफ स्‍टेटस था. इसके बाद राज ने अनीता के सामने स्‍वीकार किया कि उस पर क्रेडिट कार्ड का कर्ज बकाया था और वह शादी के लिए लिया गया पर्सनल लोन भी नहीं चुका पाया था.

क्रेडिट स्‍कोर सुधारने के लिए लें फाइनेंशियल काउंसलर की मदद

अनीता को पता चल चुका था कि फाइनेंशियल डिसिप्लिन न होने की वजह से राज की क्रेडिट हिस्ट्री खराब है और अगर इसे नहीं रोका गया तो भविष्‍य में इसके खराब नतीजे हो सकते हैं. इसके बाद दोनों ने फाइनेंशियल काउंसलर की मदद ली और राज के कर्ज का भुगतान कर अच्‍छी क्रेडिट हिस्‍ट्री और स्‍कोर बनाने के लिए जरूरी कदम उठाए.

ऐसे में यह जरूरी है कि शादी का फैसला करने से पहले एक दूसरे की स्‍पेंडिंग हैबिट और कर्ज को मैनेज करने के बोर में जानें. एक कपल के तौर पर आपको नियमित तौर पर अपनी क्रेडिट हिस्‍ट्री चेक करनी चाहिए. इससे आपको यह जानने में मदद मिलेगी कि फाइनेंस के मोर्चे पर आप कहां खड़े हैं और आपको इससे फ़यूचर के लिए साथ में प्‍लानिंग करने में मदद मिलेगी.

साथ बैठ कर डिस्‍कस करें क्रेडिट रिपोर्ट इन्फॉर्मेशन

आप दोनों को क्रेडिट इन्फार्मेशन ब्‍यूरो से क्रेडिट रिपोर्ट इन्फॉर्मेशन सीआईआर की कॉपी खरीदनी होगी. आप दोनों को एक साथ बैठ कर अपने फाइनेंशियल गोल्‍स के साथ सीआईआर डिस्‍कश करना चाहिए.

इससे आपको इन सवालों के जवाब मिलेंगे-

– क्‍या आपकी क्रेडिट हिस्‍ट्री और क्रेडिट स्‍कोर अच्‍छा है या यह डिफॉल्‍ट और गैर जिम्मेदार क्रेडिट बिहेवियर की ओर संकेत करता है?

– क्‍या आप दोनों फाइनेंशियल स्‍टेबल हैं?

 – क्‍या आप समय पर कर्ज का भुगतान कर रहे हैं या आप पर कर्ज का बोझ है?

– क्‍या आप दोनों पर क्रेडिट कार्ड का बकाया ज्‍यादा है?

– भविष्‍य में क्‍या आप दोनों मिल कर फाइनेंशियल गोल अचीव कर पाएंगे?

ये दिल्ली है मेरे यार…

एक विराट संस्कृति और विरासत सहेजे हमारी राजधानी दिल्ली देश और दुनिया के तमाम पर्यटको को अपनी ओर आकर्षित करती है. यह आकर्षण सिर्फ मेट्रो के चलते नही हैं बल्कि यहां कि हस्तलिपि, कला से लेकर मुगलकालीन इमारतें तक पर्यटन को बढ़ावा देती है. यहां के मंदिरों में भी सालभर रौनक दिखाई देती है. अगर संस्कृति और विरासत से इतर होकर बात करें तो खेलकूद और खानपान के मामले में भी दिल्ली गजब है.

ये है राजधानी के प्रसिद्ध पर्यटन केन्द्र

अक्षरधाम मन्दिर

अक्षरधाम मन्दिर दिल्ली की संस्कृति का एक अनोखा तीर्थ है. इसे 26 दिसम्बर 2007 में गिनीज बुक ऑफ व‌र्ल्ड रिका‌र्ड्स में शामिल किया गया. आप यहां शाम के समय एक दर्शनीय म्युजिकल फाउंटेन शो देख सकते हैं जिसमें भारतीय दर्शन के अनुरूप जन्म, जीवनकाल और मृत्यु चक्र का उल्लेख किया जाता है. यह मंदिर के साठ एकड़ के हरे-भरे लॉन, बाग और कांस्य की उत्कृष्ट प्रतिमा में भारत के उन बाल-वीरों, वीर योद्धाओं, राष्ट्रीय देशभक्तों और महान महिला विभूतियों का सम्मान किया गया है, जो मूल्यों और चरित्र के प्रेरणास्रोत रहे हैं.

दिल्ली हाट, आईएनए

दिल्ली हाट आपको भरतीय कला और विरासत की जादुई दुनिया में ले जाती है, जहां हस्तशिल्प, भोजन और सांस्कृतिक गतिविधियों का शानदार परिदृश्य मौजूद होता है. यहां आपको हस्तशिल्प, भोजन और सांस्कृतिक कार्यक्रम सब देखने को मिलेगी. यहां स्टालों पर विभिन्न राज्यों और संघशासित क्षेत्रों के बहुत अच्छे-अच्छे स्वाद वाले पकवान लिए जा सकते हैं.

बहाई मंदिर

बहाई मंदिर को लोट्स टेम्पल भी कहते है. कमल के फूल के आकार का यह मंदिर पूरे विश्व में बने सात बड़े मंदिरों में से अंतिम बना मंदिर है. कमल की खिली हुई पंखुड़ियों के चारों ओर पानी के नौ तालाब है, जो प्राकृतिक प्रकाश में प्रकाशमान होते हैं.  गोधूलि वेला में रोशनी में नहाया बहाई मंदिर शानदार दिखाई देता है.

बिरला मंदिर

दिल्ली के प्रमुख मंदिरों और प्रमुख पर्यटन केन्द्र में से एक लक्ष्मी नारायण मंदिर को बिरला मंदिर के नाम से भी जाना जाता है.इसे उद्योगपति जी. डी. बिरला ने साल 1938 में बनवाया था.यह मंदिर लक्ष्मी (समृद्धि की देवी) और नारायण (संरक्षक) को समर्पित है. इस मंदिर का उद्घाटन महात्मा गांधी ने इस शर्त पर किया गया था कि इस मंदिर में सभी जाति के लोगों को प्रवेश  मिलेगा.

हुमायुं का मकबरा

यह शानदार मकबरा भारत में मुग़ल वास्तुकला का पहला महत्वपूर्ण उदाहरण है. इसका निर्माण हुमायूं की मृत्यु के बाद 1565 ई. में उसकी ज्येष्ठ विधवा बेगा बेगम ने करवाया था. चाहरदीवारी के भीतर बने चौरस बागीचे (चाहरबाग) देखने लायक हैं नहरों के साथ बने पैदल मार्ग और बीचों-बीच स्थापित एकदम सटीक अनुपात वाले मकबरे के ऊपर दोहरे गुम्बद शोभायमान हैं. चाहरदीवारी के भीतर मुग़ल शासकों की कई कब्रें हैं.

इंडिया गेट

नई दिल्‍ली के मध्‍य चौराहे में 42 मीटर ऊंचा इंडिया गेट है जो मेहराबदार “आर्क-द ट्रायम्‍फ” के रूप में है. यहां उन 70,000 भारतीय सैनिकों का स्‍मारक है. जिन्‍होंने विश्‍व युद्ध के दौरान ब्रिटिश आर्मी के लिए अपनी जान गंवाई थी. इस स्‍मारक में अफगान युद्ध-1919 उत्‍तर-पश्चिम पाकिस्‍तान में मारे गए 13516 से अधिक ब्रिटिश और भारतीय सैनिकों के नाम भी अंकित है. इंडिया गेट की आधारशिला 1921 में माननीय डयूक ऑफ कनॉट ने रखी थी और इसे एडविन ल्‍यूटन ने डिजाइन किया था. अन्‍य स्‍मारक अमर ज्‍योति भारत स्‍वतंत्रता के काफी बाद स्‍थापित की गई थी. मेहराब के नीचे यह अमर-ज्‍योति दिन-रात जलती रहती है, जो दिसंबर 1971 के भारत पाक युद्ध में शहीद हुए सैनिकों की याद दिलाती है. सरात में इंडिया गेट को फ्लडलाइट से जगमगाया जाता है जबकि समीपवर्ती फव्वारों को रोशनियों से जगमगाते हैं.

जामा मस्जिद

भारत की सबसे बड़ी मस्जिद पुरानी दिल्‍ली में है. इसके प्रांगण में 25,000 लोग बड़ी आसानी से आ सकते है. मुगल सम्राट शाहजहां ने इसका निर्माण साल 1644 में शुरू किया था. इस मस्जिद में तीन गेट चार मीनारें और 40 मीटर की लम्‍बी छोटी मीनारें है जो लाल बालुई पत्थर और सफेद संगमरमर से बनी है.

जंतर मंतर

जयपुर के महाराजा जयसिंह ने इस वेधशाला का निर्माण कराया था उन्‍होंने उज्‍जैन, वाराणसी और मथुरा मे भी इसी तरह की और वेधशालाओं का निर्माण कराया था. जयसिंह को सही माप लेने के लिए मौजूदा अंतरीक्षीय उपकरण काफी छोटे लगे इसलिए उन्‍होंने बड़े और अधिक सही उपकरणों को निर्मित कराया था.

लोधी का मकबरा

पुराना ओल्‍ड लेडी वैलिन्‍गटन पार्क जिसे अब लोदी गार्डन के नाम के नाम से जाना जाता है. यह अष्‍टभुजाकार मकबरा सैयद और लोदीकालीन स्मारक हैं जिसमें गुम्बद, मस्जिदें और पुल हैं. इसका शीश और बड़ा गुम्‍बद वर्गाकार और किनारों पर कंगूरे और अग्रभाग बने होने के कारण मकबरा दो मंजिला होने का भ्रम पैदा करता है.

संसद भवन

स्‍तंमावली भवन है. इसमें कई सचिवालय कार्यालय,समितियों के कक्ष और एक उत्‍कृष्‍ट पुस्‍तकालय है. इम्पीरियल शैली में निर्मित इस भवन में एक खुला प्रांगण और 144 स्‍तंभ है. लकड़ी की दीवारों और तीन अर्धवर्तुल भवनों के साथ गुम्‍बदाकार वर्तुल केंद्रीय हाल जिसका उपयोग राज्‍य सभा और लोक सभा की बैठकों के लिए किया जाता है.

पुराना किला

यह किला काफी निर्जन स्‍थान पर है जहां चारों ओर हरियाली है. दिल्‍ली इन्‍द्रप्रस्‍थ के कई अति प्राचीन शहरों के अवशेष पर निर्मित पुराना किला लगभग दो किलोमीटर की परिधि में लगभग आयताकार में है. इसकी मोटी प्राचीरों को कंगूरों द्वारा सुसज्जित किया गया इसमें तीन मार्ग है जिसके दोनों ओर बुर्ज लगाए गए हैं. इसके चारों तरफ खंदक है जो यमुना नदी से जुड़ी है जो किला के पूर्वी ओर बहती है. उत्‍तरी द्वार को तलाकी दरवाजा या परित्‍यक्‍त द्वार कहते हैं. जो पारंपरिक इस्‍लामिक उत्‍कीर्ण मेहराब के साथ हिन्‍दू छतरियों और ब्रेकटों का समिश्रण है जबकि दक्षिणी दरवाजे को हुमायूँ दरवाजा कहते हैं ये भी इसी तरह बना है.

कुतुब मीनार

यह मीनार भारत में ही नहीं बल्कि विश्‍व की बेहतरीन स्‍मारक है इसे दिल्‍ली के अंतिम हिन्‍दू शासक की पराजय के बाद 1193 में कुतुबुद्धीन ऐबक ने 73 मीटर ऊंची विजय मीनार के रूप में इसे बनवाया था. इस पांच मंजिलें इमारत में हर मंजिल में एक बालकनी है और पहली तीन मंजिलें लाल बलुआ पत्‍थर से निर्मित है और चौथी तथा पांचवीं मंजिलें मार्बल और बलुआ पत्‍थरों से निर्मित हैं. मीनार के निकट भारत की पहली क्‍वातुल-इस्‍लाम मस्जिद है. यह 27 हिन्‍दू मंदिरों को तोड़कर इसके अवशेषों से निर्मित की गई है.इस मस्जिद के प्रांगण में एक 7 मीटर ऊँचा लौह-स्‍तंभ है. माना जाता है कि यदि आप इसके पीछे पीठ लगाकर इसे घेराबंद करते है तो आपकी इच्‍छा होगी पूरी हो जाएगी.

लाल किला

इस विशाल लाल किला की लाल बालुई पत्‍थर की दीवारें जमीन से 33 मीटर ऊंची हैं जो मुगल शासकों की राजसी शक्ति और प्रताप की याद दिलाती है. 1638 में बनी इस प्राचीर का निर्माण मुख्‍यत: आक्रमणकारियों से बचाने के लिए किया गया था. अब यह शहर के शोर शराबे से भी बचाती हैं. यहां स्‍वतंत्रता दिवस पर हजारों की संख्‍या में लोग एकत्रित होते हैं. इसके अन्दर कई महत्‍वपूर्ण इमारतें है जैसे कि ड्रम हाउस, दीवान-ए-खास, दीवान-ए-आम, मोतिया मस्जिद, शाही हमाम तथा रंग महल बने हुए हैं.

सफ़दरजंग का मकबरा

हुमायूं के मकबरे की परंपरा में सफदरजंग का मकबरा दिल्‍ली का अंतिम चारों तरफ से बंद बागीचों वाला मकबरा है. यहां पर साल 1753-54 में मुगल शासक मोहम्‍मद शाह के अधीन रहे अवध के नवाब सफदरजंग की कब्रगाह है.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें