ऊप्स मोमैंट्स: फैशन की दौड़ या पब्लिसिटी का फंडा

बॉलीवुड में हीरोइनें अपने फैशन को ले कर काफी सतर्क रहती हैं. हर इवेंट या अवार्ड शो में बेहतर दिखने की उन में चाहत होती है. लेकिन बेहतर दिखने की इस चाहत में उन का खूबसूरत लिबास कई बार उन्हें ऐसा धोखा देता है कि वे ऊप्स मोमैंट्स का शिकार हो जाती हैं.

बॉलीवुड से ले कर हॉलीवुड तक की खूबसूरत हीरोइनें अधिकतर वार्डरोब मालफंक्शन का शिकार होती रहती हैं. लेकिन कई बार तो वे खुद ही अपनी खूबसूरती को अपने ट्रांसपैरेंट कपड़ों के जरीए दिखा कर खुद को सुर्खियों में शामिल कर लेती हैं.

हाल ही में कैटरीना कैफ ने भी कुछ ऐसा किया कि मीडिया ने उन्हें सुर्खियों में शामिल कर लिया. दरअसल,हाल ही में कैटरीना कैफ एअरपोर्ट गईं. वहां उन के ब्लैक ट्रांसपैरेंट टौप के नीचे से उन की शाइन करती लिंजरी नजर आई.

इसी तरह अभिनेत्री आलिया भट्ट भी एक इवेंट में ऊप्स मोमेंट का शिकार हो चुकी हैं. उस इवेंट में हिस्सा लेने पहुंची सेक्सी आलिया ने व्हाइट तंग ड्रैस पहन रखी थी, जिसकी वजह से वे काफी असहज नजर आ रही थीं और इसी असहजता में आलिया के वे कपड़े भी दिख गए, जो नहीं दिखने चाहिए थे. लेकिन जब तक वे अपनेआप को संभालतीं तब तक काफी देर हो चुकी थी.

पिछले दिनों भारत की यात्रा पर आए ब्रिटेन के शाही दंपती प्रिंस विलियम और उन की पत्नी केट मिडलटन जब इंडिया गेट स्थित अमर जवान ज्योति पर श्रद्धांजलि देने गए, तो श्रद्धांजलि देने के दौरान तेज हवा के झोंकों ने केट की ड्रैस हवा में उछाल दी. शर्मिंदगी से बचने के लिए केट ने फौरन स्कर्ट संभालने की कोशिश की, लेकिन नाकाम रहीं. बस फिर क्या था. वहां मौजूद मीडिया के कैमरों ने इसे कैद कर लिया और सोशल मीडिया पर यह तसवीर वायरल हो गई. इस मोमेंट को मर्लिन मुनरो मोमेंट का नाम दे दिया गया.

कांस बना फैशन शो

फ्रांस के कांस में होने वाले फिल्म फेस्टिवल में दुनिया भर की सिनेतारिकाएं शिरकत करती हैं और उन में ग्लैमरस दिखने की होड़ रहती है. लेकिन ग्लैमरस दिखने की यह होड़ उन्हें कई बार ऐसी स्थिति में पहुंचा देती है कि उन की खूब जगहंसाई होती है.

कांस फिल्म फैस्टिवल के दौरान माईवेन ली बेस्को भी वार्डरोब मालफंक्शन का शिकार हो चुकी हैं. जरमनी में ‘मैन इन ब्लैक-3’ फिल्म के प्रीमियर के मौके पर मिकेला शैफर भी वार्डरोब मालफंक्शन का शिकार हुईं.

हाल ही में हिंदी सिनेमा की मंझी हुई अदाकारा शबाना आजमी ने फ्रांस के कांस फिल्म फेस्टिवल को फैशन इवेंट की तरह इस्तेमाल करने पर नाराजगी जताई. उन्होंने ट्विटर को अपनी भावनाएं व्यक्त करने का जरिया बनाया और ट्वीट किया कि कांस का दूसरा दिन लग रहा था जैसे कपड़ों की परेड हो. यह एक गंभीर फिल्म समारोह है, न कि फैशन इवेंट.

वे कहती हैं कि महिलाओं को आजादी के नाम पर कपड़ों से आजाद करने की रणनीति हकीकत में पुरुषवादी सोच का नतीजा है. यह महिलाओं को हर दिन पुरुषों के ऐशोआराम की चीज बनाते हुए उन्हें गुलामी की ओर ले जा रही है. समाज में महिलाओं की भूमिका बदलने के साथसाथ विज्ञापनों में भी उन की छवि बदली है. आधुनिक विज्ञापनों में महिलाओं को सेक्स सिंबल के रूप में दिखाया जा रहा है.

दुनिया भर में अंगप्रदर्शन के मामले में भारतीय फिल्में सब से आगे हैं, यह बात संयुक्त राष्ट्र महिला एवं रौकेफेलर फाउंडेशन, जिनेवा के एक अध्ययन में साबित हुई है. अपनी फिल्मों में महिलाओं को आकर्षक तरीके से पेश करने के मामले में भारत की गिनती शीर्ष देशों में होती है.

अंगप्रदर्शन में बॉलीवुड शीर्ष पर

भारतीय फिल्मों की 35 फीसदी महिला कलाकार अंगप्रदर्शन करती हैं. यहां फिल्मों में महिला किरदारों को हॉट और सेक्सी दिखाया जाता है. सर्वे ने महिलाओं के साथ होने वाले पक्षपात, उन के प्रति व्यापक रूढ़िवादी सोच, उन के प्रति कामुक नजरिए और अंतर्राष्ट्रीय फिल्म उद्योग द्वारा उन्हें प्रभावशाली भूमिकाओं में कमतर रूप से पेश करने की प्रवृत्ति को उजागर किया गया है.

भारत में महिला निर्माता निर्देशकों और लेखकों की संख्या भी ज्यादा नहीं है. भारत में महिला निर्माताओं की संख्या केवल 15.2 फीसदी है, जबकि विश्व में यह औसत 22.7 फीसदी है. सर्वे में पाया गया कि भारतीय फिल्मों में महिलाओं को एक सेक्स औब्जैक्ट की तरह ही पेश किया जाता है.

देह के मामले में आज के दौर में एक ही नियम लागू होता है. इफ यू हैव इट, फ्लौंट इट यानी आप के पास दिखाने लायक शरीर है, तो उसे दिखाइए. पूरा का पूरा फैशन उद्योग स्त्री के इस देहसौंदर्य को कैसे उभारना है, किस अंग को कितना छिपाना व कितना दिखाना है, पर ही टिका है. फैशन की इस होड़ में सभी बराबर के भागीदार हैं.

इस समय करेंगे सेक्स तो होगा फायदेमंद

बेहतर सेक्स लाइफ न सिर्फ पति-पत्नी के संबंधों को रुमानी बनाने के लिए जरूरी है बल्कि सेहत के लिए भी इसके फायदे किसी से छिपे नहीं हैं. ऐसे में अगर सेक्स उस समय हो जब इसका फायदा न सिर्फ आपका मूड बनाएगा बल्कि आपके लिए सेहत से जुड़े कई फायदों की वजह हो सकता है. क्वीन्स यूनिवर्सिटी के शोध के आधार पर जानिए सुबह के समय सेक्स करने के बड़े फायदों के बारे में.

दिन भर रहेंगे टेंशन फ्री

सेक्स की प्रक्रिया के दौरान शरीर से ऑक्सीटोसिन नामक हार्मोन रिलीज होते हैं जो मूड अच्छा रखने और आपको तनावमुक्त रखने में सहायक होता है.

इंफेक्शन से दूर

यूनिवर्सिटी ऑफ वाइक बैरे के अनुसार, सुबह के समय सेक्स के दौरान शरीर में इम्यूनोग्लोबिन ए नामक एंडीबॉडी तत्व बनता है जो शरीर की प्रतिरोधी क्षमता को बढ़ाता है और दूसरों की अपेक्षा संक्रमण का खतरा 30 प्रतिशत तक कम करता है.

वजन घटाने में मददगार

शोधों में माना जा चुका है कि एक घंटे तक संभोग की प्रक्रिया के दौरान करीब 300 कैलोरी बर्न होती है जो वजन घटाने के लिए किसी दिलचस्प कसरत से कम नहीं.

वीर्य की गुणवत्ता

सिडनी आईवीएफ क्लीनिक के शोध की मानें तो सुबह के समय सेक्स से वीर्य की गुणवत्ता 12 प्रतिशत बढ़ जाती है. इससे सेक्स संबंधी कई समस्याओं में आराम हो सकता है.

ग्लोइंग स्किन

यूवायर यूनिवर्सिटी के शोध की मानें तो सुबह के समय सेक्स से शरीर में एस्ट्रोजन का स्तर अधिक तेजी से बढ़ता है जिससे ऑक्सीजन का संचार त्वचा और बालों में अच्छी तरह होता है.

ऐसे करें पहचान, आप झूठ सुन रहे हैं या सच

हर इंसान अपने जीवन में कभी ने कभी झूठ का सहारा लेता ही है. कोई अच्छी तरह से झूठ बोलना जानता है तो कोई खराब लेकिन इसका सहारा सब लेते हैं. तो आप व्यक्ति के झूठ को कैसे पहचान सकते हैं? दरअसल, किसी को भी झूठ पकड़ने के लिए किसी खास ज्ञान की जरूरत नहीं होती है. आइए जानें कि जब आपके आस-पास के लोग अगर झूठ बोलें तो आप उन्हें कैसे पहचान सकते हैं.

शारीरिक संकेतों को समझें

झूठे लोग आपसे नजरें मिलाने का दिखावा करेंगे. उनके शरीर का ऊपरी हिस्सा फ्रीज होगा. वे झूठी हंसी हंसने की कोशिश करेंगे, आवाज धीमी होगी. साइंस ने इसे पकड़ने के अन्य सूचकों के बारे में भी बताया है. तो जब आप धोखे को पकड़ने के विज्ञान, सुनने, देखने की कला को साथ मिला देंगे तो आप खुद को झूठ से दूर रख सकेंगे.

बालों में हाथ फेरना

अक्सर ऐसा देखा जाता है कि झूठ बोलता है तो वो सामने वाले आंखो में देखकर बात नहीं कर पाता. बात करते समय उसकी नजरें झुकी रहती हैं क्योंकि उसे डर लगता है कि कहीं उसका झूठ पकड़ में ना आ जाए.

आत्मविश्वास में कमी

ईमानदार शख्स की बॉडी लैंग्वेज आत्मविश्वाल से भरपूर होती है. जबकि झूठ बोलने वाला बार-बार अपनी बांह चढ़ाकर बात करता है. उसके पैर या तो अंदर की ओर मुड़े होते है या फिर वह उनका मूवमेंट कम से कम रखता है. उसके हाथ भी अक्सर पीछे बंधे रहते हैं क्योंकि वह अपनी बेचैनी को किसी को दिखाना नहीं चाहता.

चेहरे पर गौर करें

जब आपकों लगता है कि सामने वाला आपसे झूठ बोल रहा है तो उसके फेस को गौर से देखें. झूठ बोलते समय चेहरे के भाव बिल्कुल बदल जाते हैं. झूठ बोलते समय गालों का रंग बदल जाता है, क्योंकि भीतर झूठ के पीछे छिपी चिंता से लोग मन ही मन शर्मिंदा रहते हैं.इसके अलावा नाक के नथुने फूल जाना, गहरी सांस लेना, बार-बार पलकें झपकाना और होंठ चबाना इस बात की निशानी हैं कि दिमाग ज्यादा चल रहा है.

मुस्कुराहट से पकड़ें

मुस्कुराहट भी कई बार सच्ची भावना बयां करने का काम करती हैं. आप किसी का झूठ पकड़ना चाहती हैं तो इस बात पर ध्यान दें कि सामने वाले मुस्कुरा कैसा रहा है. सच्ची मुस्कुराहट होंठों और आंखों से झांकती है,लेकिन झूठे शख्स की आंखों में मुस्कुराहट नहीं होती.

आवाज के बदलाव को पहचानें

हालांकि झूठ बोलने वाला कई बार इतनी सफाई से झूठ बोलता है कि आप उसकी आवाज के उतार-चढ़ाव को पहचान नहीं पाते, लेकिन आप अगर बोलने की गति और सांस के लेने की तरीके पर गौर करेंगे तो पाएंगे कि झूठ बोलते वक्त इन दोनों में बढ़ोत्तरी होती या कमी. अगर ऐसा है तो संभव है कि आप सच नहीं सुन रहे हैं.

डिलिवरी के बाद घुटनों के दर्द से बचाव

डिलिवरी के बाद बहुत कम महिलाएं ही नियमित व्यायाम कर पाती हैं. ज्यादातर महिलाओं को अपने शरीर की कैलोरी कम करने के लिए पर्याप्त समय और प्रोत्साहन नहीं मिल पाता है, क्योंकि वे डिलिवरी के बाद बच्चे के लालनपालन और सामान्य स्थिति में लौटने की जद्दोजहद में जुट जाती हैं.

अधिक वजन के कारण शरीर के उन जोड़ों पर अधिक कष्टदाई दबाव पड़ता है, जो पूरी जिंदगी हमारे शरीर का वजन सहते हैं यानी घुटने. जैसेजैसे हमारी उम्र बढ़ती जाती है, शरीर के अन्य जोड़ों की तरह ही हमारे घुटनों में भी घिसाव होने लगता है और शरीर के अधिक वजन के कारण यह प्रक्रिया अधिक तेजी से होने लगती है. पुरुषों के मुकाबले महिलाएं अपने जीवनकाल में अधिक बोन डैंसिटी गंवाती हैं. उन में औस्टियोपोरोसिस की आशंका भी अधिक रहती है. औस्टियोपोरोसिस हड्डियों को पतला और कमजोर करने की समस्या है, जिस से महिलाओं की स्थिति और बिगड़  जाती है. आधुनिक लाइफस्टाइल में टैक्नोलौजी का अधिक इस्तेमाल और न्यूनतम शारीरिक श्रम करना भी इस की एक वजह है.

घुटनों की खराब सेहत का दुष्परिणाम

जोड़ों में घिसाव बढ़ते रहने के कारण औस्टियोआर्थ्राइटिस की समस्या हो जाती है और इस वजह से सुरक्षा प्रदान करने वाले कार्टिलेज में भी घिसाव बढ़ने लगता है, जो जोड़ों में अकड़न, दर्द एवं घुटनों के जोड़ों में लौकिंग की समस्या बढ़ा देता है.

चूंकि अधिक वजन घुटनों पर अधिक दबाव बढ़ाता है, इसलिए अधिक वजन के कारण कार्टिलेज एवं लिगामैंट में भी घिसाव बढ़ने लगता है, जिसे जोड़ों का सपोर्ट सिस्टम माना जाता है. कार्टिलेज में जल्दी घिसाव शुरू होने से बचने के लिए हमें अपने वजन पर काबू रखना जरूरी है.

समस्या से कैसे मुकाबला करें

हालांकि गर्भवती महिलाओं का गर्भावस्था के दौरान धीरेधीरे वजन बढ़ना एक स्वस्थ और अनिवार्य प्रक्रिया मानी जाती है. हाई कार्बोहाइड्रेट भोजन करने, हर तरह के शारीरिक श्रम का त्याग करने और कई बार हारमोनल असंतुलन के कारण भी कुछ महिलाओं का वजन अधिक हो जाता है. गर्भावस्था के दौरान अत्यधिक वजन हाई ब्लडप्रैशर, डायबिटीज, गर्भधारण संबंधी असहजता, अल्ट्रासाउंड के गलत परिणाम और समय पूर्व प्रसवपीड़ा तथा सामान्य से अधिक वजन वाले बच्चे के जन्म की संभावना बढ़ा सकता है.

अत्यधिक वजन के कारण गर्भधारण संबंधी समस्याओं के अलावा घुटनों का दर्द भी बढ़ जाता है. ज्यादातर महिलाओं में यह दर्द अस्थाई ही रहता है और डिलिवरी के बाद चरबी कम होने के साथ ही यह दर्द गायब हो जाता है, लेकिन कुछ महिलाओं में यह ज्यादा समय तक रह सकता है.

इन उपायों को अपना कर महिलाएं गर्भावस्था के दौरान और उस के बाद भी अपने घुटनों की सेहत दुरुस्त रख सकती हैं:

नियमित सैर

गर्भावस्था के दौरान और उस के बाद भी टहलना लाभकारी होता है. स्वस्थ जीवन के लिए सैर सब से प्रभावकारी व्यायाम माना जाता है. दरअसल, सैर करने से हड्डियां मजबूत होती हैं. स्वास्थ्य समस्याओं के कारण जो लोग सश्रम व्यायाम नहीं कर पाते हैं, उन के लिए 30 मिनट की सैर कारगर हो सकती है. गर्भवती महिलाओं के लिए सैर करना सब से अच्छा व्यायाम है, जिस से उन का वजन भी काबू में रहता है और घुटनों के जोड़ भी सक्रिय रहते हैं.

उचित खानपान

गर्भवती होने का मतलब यह नहीं कि खूब सारी कैलोरी लेते हुए आप मोटापा बढ़ा लें. अपने न्यूट्रिशनिस्ट के संपर्क में रहना जरूरी है, जो आप की और आप के बच्चे की सेहत के साथसाथ वजन पर भी काबू रखने के लिए जरूरी पोषण और खानपान लेने की सलाह दे सकते हैं.

जोड़ों के दर्द और हड्डियों की कमजोरी के लिए वजन बढ़ने के अलावा शरीर में कैल्सियम और विटामिन डी की कमी को भी जिम्मेदार माना जाता है. लिहाजा, संतुलित खानपान में न सिर्फ जंक फूड और तैलीय भोजन से बचा जा सकता है, बल्कि शरीर में इन पोषक तत्त्वों की कमी भी दूर करने की कोशिश की जाती है.

क्या खाएं

विटामिन डी की भरपूर मात्रा वाले प्राकृतिक भोजन में फिशऔयल, फिशलिवर, मशरूम, चीज तथा अंडे की जर्दी शामिल है. गर्भवती महिलाओं की हड्डियों के लिए जरूरी विटामिन डी की भरपाई धूप में रह कर भी हो सकती है.

दूध, दही, हरी पत्तेदार सब्जियां, टोफू, भिंडी, ब्रोकली और बादाम जैसे कैल्सियम

संपन्न भोजन सहित कैल्सियम सप्लीमैंट्स सभी महिलाओं के लिए जरूरी हैं, खासकर घुटनों के दर्द के संभावित खतरे वाली नई मांओं के लिए.

दौड़ना

बच्चे के जन्म के बाद अपने स्वाभाविक स्वरूप में लौटने की कोशिश करें. स्वस्थ शरीर और घुटनों के लिए दौड़ना सर्वोत्तम व्यायाम माना जाता है. इस से न सिर्फ आप का वजन काबू में रहता है, बल्कि आप का दिल भी अच्छी स्थिति में रहता है. इस से आप की हड्डियां और मांसपेशियां मजबूत रहती हैं, जो आप को घुटनों की समस्या से दूर रखने में मददगार होती हैं.

(डा. राजीव के शर्मा, इंद्रप्रस्थ अपोलो हौस्पिटल, नई दिल्ली)

बैलेंस के बिना भी अब होगी फोन कॉल..!

अगर आपके फोन में बैलेंस नहीं है और आपको कोई जरूरी कॉल करनी है और आस-पास को व्यक्ति भी नहीं जिससे आप फोन मांग सके तो घबराए मत एक नयी मोबाइल एप्प ‘नानू’ मोबाइल और लैंडलाइन नंबरों पर मुफ्त कॉल सेवा प्रदान कर रही है. ‘नानू’ अपनी सेवा का प्रयोग करने वाले लोगों को हर रोज कहीं भी एक सीमा में मुफ्त कॉल करने की सुविधा देता है. यह सेवा मोबाइल और लैंडलाइन दोनों नंबरों पर उपलब्ध है. इस सुविधा का लाभ वो लोग भी उठा सकते हैं जिन्होंने उसकी एप्प को इंस्टाल भी नहीं किया है.

हालांकि इस सेवा का दूरसंचार सेवा प्रदाता कंपनियों ने ट्राई और सरकार के समक्ष विरोध किया है. नानू के प्रमुख मार्टिन नैगेट ने कहा कि यदि आप भारतीय टेलीग्राफ कानून को देखे तो उसके अनुसार आप इंटरनेट पर किसी भी प्रकार के डेटा का ट्रांसमिशन कर सकते हैं जो कि संचार के स्वरूप में हो. यह पूरी तरह वैध है क्योंकि इसका नियमन दूरसंचार लाइसेंस के तहत नहीं होता. अगर आप इस संदर्भ में देखें तो कानून का यह क्षेत्र अस्पष्ट है.

भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने नेट निरपेक्षता के मुद्दे पर सलाह लेने की प्रक्रिया शुरू की हुई है और इसमें मोबाइल एप्लीकेशन से कॉल करने की सुविधा पर भी बात की गई है. मई में मोबाइल सेवा प्रदाताओं की संस्था सीओएआई ने दूरसंचार विभाग से कहा था कि वह एप्प के माध्यम से कॉल करना रोकने के लिए एहतियाती कदम उठाएं क्योंकि यह नियमों के विरूद्ध है.

पाइनऐप्पल डोडा

सामग्री

– 1 कप पाइनऐप्पल प्यूरी

– 1/2 कप मिल्क पाउडर

– 1/2 कप चीनी

– 3 बड़े चम्मच क्रीम

– 1 बड़ा चम्मच बादाम कटे

– 1 छोटा चम्मच घी

– 1 छोटा चम्मच इलायची पाउडर

विधि

एक बाउल में पाइनऐप्पल प्यूरी में मिल्क पाउडर, चीनी और क्रीम डाल कर अच्छी तरह मिलाएं. एक पैन गरम कर पाइनऐप्पल मिश्रण डाल कर धीमी आंच पर सुनहरा होने तक पकाएं. घी और इलायची पाउडर डाल कर गाढ़ा होने तक चलाते हुए पकाएं. एक डिश में चिकनाई लगा कर मिश्रण डाल कर थोड़ी देर रख दें. ठंडा होने पर काट कर सर्व करें.

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मल्टीस्टारर फिल्म पसंद नहीं: किंग खान

फिल्म ‘फैन’ अभिनेता शाहरुख खान की पसंदीदा फिल्मों की सूची में शामिल हो चुकी है. यह फिल्म एक अलग विषय को ले कर बनाई गई है, जिस में शाहरुख ने अच्छा अभिनय किया है. इस फिल्म में शाहरुख ने 2 भूमिकाएं निभाई हैं, जो डबल रोल नहीं थीं. इसके लिए निर्देशक मनीष शर्मा ने काफी मेहनत की.

शाहरुख बताते हैं कि मनीष के साथ जब फिल्म के बारे में चर्चा कर रहे थे तभी उन्होंने सोचा था कि यह फिल्म डबल रोल नहीं लगना चाहिए. शाहरुख का  मानना था कि दूसरा यंग शाहरुख उनके तरह दिखे इसलिए बाल वैसे ही दिखें

फिल्मों में उम्र अधिक दिखाना तो आम है, कम दिखाना पहली बार हुआ.

शाहरुख लोगों से अधिक मिलते नहीं हैं. पर इतना जरूर है कि लोग उन्हें प्यार करते हैं. उन की फिल्में देखते हैं. तभी तो फिल्में चलती हैं.

शाहरुख हंसते हुए कहते हैं कि एक लड़की है, जो ट्विटर पर उनकी स्केचेस बनाती है. एक ने चांद पर मेरे लिए जमीन खरीदी है. यह सब यूथ ही करते हैं, क्योंकि इस उम्र में व्यक्ति वह सब कर जाता है, जो मैच्योर न कर सके.

एक साउथ अफ्रीकन फैन है. मुझे याद आता है कि जब मेरी स्पाइन की सर्जरी हो रही थी, तो बारबार फोन कर कह रही थी कि उसने सपने में ऑपरेशन के वक्त मेरी मृत्यु को ऑपरेशन टेबल पर देखा है. बारबार सकारात्मक सोच रखने पर भी वह मुझे ऑपरेशन से मना करती रही.

लंदन पहुंच कर भी मैं कागज साइन करते वक्त बारबार हर पहलू को पढ़ता रहा. पता नहीं यह उस की केयर थी या जनून, पर बहुत डरावनी घटना थी. फैन की भी अपनी एक सीमा होनी चाहिए.

प्राइवेट लाइफ नहीं रहती

शाहरुख की पब्लिक और प्राइवेट लाइफ में अधिक अंतर नहीं है. वे कहते हैं कि जब आप पब्लिक में स्टार हों तो आप की प्राइवेट लाइफ उतनी प्राइवेट नहीं रहती. इस बारे में मेरे परिवार का काफी सहयोग रहता है. वे समझते हैं. मैं कभी उन के साथ बैठना चाहूं तो वे मना नहीं करते.

मेरे जीवन में समय का अभाव हमेशा रहता है. मेरा परिवार कभी मुझ से शिकायत नहीं करता. मुझे बेहद खराब लगता है जब मेरी गैरहाजिरी में मेरे बच्चों के बारे में लोग गलत बातें करते हैं. गुस्सा आता है. मन खराब होता है. मैंने बच्चों को इसीलिए अपने से दूर विदेश में पढ़ाया.

मेहनत वाली फिल्म

25 सालों से शाहरुख इंडस्ट्री में काम कर रहे हैं. अलग फिल्म करना वे हमेशा पसंद करते हैं. कई बार कुछ अच्छी फिल्में भी वे समय के अभाव के कारण छोड़ देते हैं. वे हर साल 3 फिल्में करना चाहते हैं. किसी भी भूमिका को करने में अगर मजा आए तो उसे वे छोड़ते नहीं.

‘फैन’ उन की सब से मेहनत वाली फिल्म है, जिस में खास तकनीक के द्वारा उन की आंखें बड़ी की गई थीं. यह तकनीक केवल लॉस एंजिल्स में मिलती है. इस का प्रौसेस बहुत बड़ा होता है. 3-4 घंटे मेकअप में लगते हैं. एक खास तरह की रोशनी में इसे शूट किया जाता है.

अच्छा करने की कोशिश

पहली बार 7-8 सेकंड के सीन के लिए 7 दिन लगे थे. उस रोशनी में एक मूवमैंट के

200 भाव कैद किए जाते हैं. 300 लोगों ने 24 घंटे काम किया, 10 दिन लगे थे. इस का प्रभाव शूटिंग के साढ़े तीन महीने बाद दिखा. वे कहते हैं कि मैं अपने अभिनय को देख कर हैरान था. अब खुश हूं कि दर्शकों को मेरा काम पसंद आया.

फिल्मों की कलैक्शन का प्रभाव शाहरुख पर नहीं पड़ता.

वे बताते हैं कि वे 40 से 50 निर्देशकों के साथ काम कर चुके हैं. किसी को भी निर्देशन के बारे में गाइड नहीं करता. स्क्रिप्ट पढ़ कर दृश्य करता हूं. क्रिएटिव पक्ष निर्देशक का होता है. फिल्म हिट कैसे होगी, इस का फौर्मूला किसी के पास नहीं है.

हम केवल यह जानते हैं कि एक अच्छी फिल्म बनानी है. उसी पर मेहनत करते हैं. इसलिए कितना पैसा उस फिल्म से आएगा मैं ध्यान नहीं देता, बल्कि अच्छा काम करने की कोशिश करता हूं.

मल्टीस्टारर फिल्मों में काम करना अधिक पसंद नहीं करता, क्योंकि इस से बाकी कलाकारों के साथ समय का तालमेल बैठाना पड़ता है.

शाहरुख खान कभी तनाव में नहीं रहते. उन का मानना है कि अभिनय मेरी ‘लार्जर देन लाइफ’ है रियल नहीं. आप वैसे नहीं हो सकते. आपको एक इमेज के लिए मेहनत करनी पड़ती है. मेकअप करना पड़ता है. इस बात को ‘स्टार’ को समझना आवश्यक है.

फिल्म ‘रईस’ में शाहरुख अलग ही रूप में दिखेंगे. फिल्म को ले कर वे काफी उत्साहित हैं, जिस में उन्होंने गैंगस्टर अब्दुल लतीफ की भूमिका निभाई है.        

रोमांटिक गानों की नई आवाज, अंतरा मित्रा

जिसका ‘रंग दे तू मोहे गेरुआ…’, ‘साड़ी के फाल सा…’ इन गानों के साथ नाम जुड़ा हुआ है और वह है अंतरा मित्रा. उनका पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना के बनगांव प्रखंड के एक कसबे मच्छलंदपुर से मुंबई का सफर बड़ा रोमांचक रहा है.

अंतरा को बॉलीवुड में मुकाम बनाने का कोई सिल्क रूट नहीं मिला. इंडियन आइडल में ऑडिशन देने से ले कर बॉलीवुडी गायकी की दुनिया में अपने लिए एक मुकाम हासिल करने के लिए अंतरा ने रात दिन एक किया है.

आज सफलता उनके कदम चूम रही है. लेकिन अंतरा जब कभी पीछे मुड़ कर देखती हैं, तो बहुत सारे उतार चढ़ाव इन रास्तों में उन्हें नजर आते हैं. वे जानती हैं कि आगे भी उनका इन उतार चढ़ाव से सामना होता रहेगा. लेकिन इस के लिए वे पूरी तरह तैयार हैं.

‘इंडियन आइडल सीजन-2’ में अंतिम 5 में पहुंच कर अंतरा का सफर थम गया था. इस सीजन के लगभग छोर में पहुंच कर भी किनारा नहीं मिला. अंतरा कंपीटिशन से बाहर हो गईं. पहले राउंड में अंतरा ने गाना गाया था, ‘रंगीला रे…’ जिसे सुन कर अनु मल्लिक ने कहा था कि लगता है मुझे मेरा प्लेबैक सिंगर मिल गया. उस दिन सोनू निगम के मुंह से भी निकला था कि बहुत खूब.

अगले राउंड में जब अंतरा ने गाया, ‘रुकी रुकी थी जिंदगी…’ तो अनु मल्लिक ने कहा था कि तुम अगले राउंड में जा रही हो. फिर अगले राउंड में उस ने गाया, ‘मोरनी बागां में नाचे…’ जिसे सुनते ही अनु मल्लिक बस चीख पड़े कि फैंटैस्टिक सिंगिंग. मैं श्योर हूं कि मैं इसी को ढूंढ़ रहा था.

वहीं सोनू निगम ने कहा कि तुम्हें पा कर अच्छा लग रहा है, क्योंकि तुम हर तरह का गाना गा सकती हो.

‘मोरनी बागां में नाचे…’ और ‘रुकीरुकी थी जिंदगी…’ गानों पर अंतरा के लिए सब से ज्यादा एसएमएस भेजे गए. लेकिन अंतत: अंतरा ‘सीजन-2’ से बाहर हो गईं.

हार नहीं मानी

मगर अंतरा ने हार नहीं मानी. इस के बाद उन्होंने 2008 में ‘जनून कुछ कर दिखाने का’ नामक म्यूजिक रिऐलिटी शो में भाग लिया. लेकिन इन सब से कुछ खास नहीं बन पाया. अंतरा को बंगाल लौटना पड़ा. लेकिन यहां उन्हें अच्छा नहीं लग रहा था. इसलिए वह वापस मुंबई आ गईं.

मुंबई में वह प्रीतम चक्रवर्ती के स्टूडियो गईं. प्रीतम ने उन्हें ‘लविंग यू…’ गाना गाने को कहा. सोनू निगम भी इंडियन आइडल से अंतरा को पहचानते थे. सोनू निगम के साथ ‘स्पीड’ फिल्म का गाना ‘लविंग यू…’ गा कर उनके आत्मविश्वास में इजाफा हुआ.

प्रीतम ने श्रेया घोषाल के साथ ‘जब वी मेट’ के लिए ‘ये इश्क हाय, बैठे बैठाए जन्नत दिखाए…’ गवाया. यह गाना हिट रहा. लेकिन सारा क्रैडिट श्रेया घोषाल को गया. लेकिन प्रीतम ने फिर मौका दिया. इस बार ‘लाइफ पार्टनर’, फिल्म के लिए ‘कूकेकूके कोयलिया…’ गवाया.

इसके बाद उन्हें मीका सिंह के साथ भी गाने का मौका मिला. आखिरकार बात बनी फिल्म ‘राजनीति’ से मोहित चौहान के साथ ‘भीगी सी भीगी सी…’ गाने से अंतरा के पैरों को थोड़ी सी जमीन हासिल हुई. फिर तो साजिद वाजिद के संगीत पर भी गाने का मौका मिला.

कोलकाता से लगभग 80 किलोमीटर और ढाई घंटे की दूरी पर वनगांव के मच्छलंदरपुर नाम के एक कसबे में पलीबढ़ी अंतरा मित्रा के पिता म्यूजिक ट्यूटर रहे हैं. संगीत से लगाव पिता की ही देन है. पिता सलिल चौधरी के बड़े प्रशंसक रहे हैं. इसीलिए सलिल चौधरी की बेटी के नाम पर ही अंतरा का नाम रखा था. शुरू से ही पिता ने गायकी के लिए अंतरा को तैयार करना शुरू कर दिया था. बाद में शोभना मुखर्जी के पास अंतरा ने विशुद्ध शास्त्रीय संगीत का प्रशिक्षण लिया.

अंतरा हायर सेकेंडरी के बाद कल्याणी विश्वविद्यालय में अंग्रेजी साहित्य में पढ़ाई करने लगीं. मगर महज कुछ महीने ही पढ़ाई हुई. इस बीच इंडियन आइडल में ऑडिशन का मौका मिला. अत: इंडियन आइडल के लिए ऑडिशन देने के लिए वे पिता के साथ मुंबई के स्टूडियो पहुंचीं. स्टूडियो में कंपीटिशन के लिए हुजूम को देख कर अंतरा थोड़ा घबरा गईं. फिर जब पता चला कि सोनू निगम ऑडिशन लेंगे तो अंतरा के हाथपांव ही ठंडे हो गए.

तब पिता ने हौसला बढ़ाते हुए यही कहा था कि इतनी दूर पहुंचना ही बड़ी बात है. इस से ज्यादा कुछ हो जाता है, तो वह बोनस होगा. इसलिए चिंता मत करो. अपना बेस्ट देने की कोशिश करो. दिल खोल कर गाओ. और अंतरा ने दिल से गाया. आज भी पिता की बात को याद कर के अंतरा दिल से गाने की कोशिश करती हैं.

मुंबई के संघर्ष के दिनों को अंतरा बड़ी शिद्दत से याद करती हैं. दरअसल, मुंबई जब वे दोबारा लौटीं तो पेइंगगेस्ट की तरह रहना पड़ा. 1 कमरे के फ्लैट में 3 पेइंगगेस्ट थे. बेंत के सोफे पर कुंडली मार कर सोना पड़ता था. इस तरह सोने पर सारा दिन बदन में दर्द रहता था.

फ्लैट की मालकिन थोड़ी सनकी थीं. एक दिन नींद से जगा कर बताया कि तीनों के दिन इस फ्लैट में पूरे हो चुके हैं. बाकी दोनों को उनके बॉयफ्रैंड्स ने इंतजाम करा दिया. अंतरा अकेले रह गईं. तब हेमंत मुखर्जी की भतीजी अरुनिता मुखर्जी के यहां सिर छिपाने की जगह मिल गई.वह 1 महीना वहीं रहीं.

प्रीतम, अनुराग बसु के परिवार ने अंतरा को भावनात्मक सहारा दिया. अंतरा इनके घर का सदस्य सी बन गईं हैं

शाहरुख से पहली मुलाकात

‘रंग दे तू मोहे गेरुआ…’ गाने की सफलता को अंतरा बहुत अधिक महत्त्व नहीं देती हैं. वे कहती हैं कि अभी तो बहुत दूर जाना है. अंतरा शाहरुख खान की बड़ी फैन हैं. वे बताती हैं कि शाहरुख की फिल्म ‘कुछ कुछ होता है’ जब रिलीज हुई थी, तब वे छठी क्लास में पढ़ रही थीं. फिल्म में काजोल का हेयरकट उन्हें बहुत भाया था. वैसे ही बाल कटवा कर वे साइकिल से मच्छलंदपुर घूमती थीं. लेकिन प्रीतम के स्टूडियो में शाहरुख खान को देख कर उनके हाथपांव ठंडे पड़ गए.

वे बताती हैं कि प्रीतम का स्टूडियो उस के अंधेरी वेस्ट फ्लैट के करीब है. कई बार ऐसा हुआ है कि जब कभी शाहरुख खान प्रीतम का स्टूडियो आते तब प्रीतम अंतरा को शाहरुख को गाना सुनाने के लिए बुला लेते. प्रीतम गिटार बजाते और अंतरा गा कर शाहरुख को सुनातीं.

अंतरा कहती हैं कि काजोल के लिए गाना था, तो वे बहुत नर्वस थीं. दरअसल, काजोल के लिए अब तक अलका याज्ञनिक ही गाना गाती रही हैं. ऐसे में उन का गला काजोल पर फिट बैठेगा या नहीं, सोच सोच कर घबराहट होती थी.

अंतत: वह दिन आ गया जब ‘रंग दे तू मोहे गेरुआ… गाने के लिए प्रीतम ने बुलाया.

रात 2 बजे फाइनल रिकॉर्डिंग कर के शाहरुख को भेजना था ताकि आइलैंड में शाहरुख काजोल शूटिंग कर सकें. अंतरा को रात में हुई रिकॉर्डिंग पर भरोसा नहीं हो रहा था. अंतरा ने प्रीतम को फिर से रिकॉर्डिंग के लिए मना लिया. फिर से रिकॉर्डिंग कर के शाहरुख को भेजा गया. लेकिन शाहरुख को रात की रिकॉर्डिंग ही पसंद आई. इस गाने का श्रेय अंतरा संगीतकार प्रीतम को देती हैं.

बहरहाल, 9 साल के बाद अंतरा अपना एक मुकाम हासिल कर पाई हैं. बौलीवुड में अंतरा मित्रा रोमांटिक गानों की एक नई आवाज के रूप में उभर रही हैं.

संतोषम् परम् सुखम्: माधुरी दीक्षित

80 और 90 के दशक में फिल्म इंडस्ट्री में धमाल मचाने वाली अभिनेत्री माधुरी दीक्षित ने शादी के बाद फिल्मों से दूरी बना ली थी. उन्होंने 2006 में ‘आजा नचले’ फिल्म से बॉलीवुड में वापसी की, पर बॉक्स ऑफिस पर फिल्म खरी नहीं उतरी. हालांकि आलोचकों ने माधुरी की परफौर्मेंस की तारीफ की थी. इसके बाद उन्होंने ‘डेढ़ इश्किया’ और ‘गुलाब गैंग’ जैसी फिल्मों में काम किया, पर दर्शकों को खींचने में ये फिल्में भी नाकामयाब रहीं.

इसके बाद माधुरी अपने हुनर डांस की तरफ मुड़ीं और कई रिऐलिटी शोज की जज बनीं. वे कहती हैं, ‘‘डांस उन का पैशन है. 3 साल की उम्र में उन्होंने डांस सीखना शुरू कर दिया था.’’

कत्थक नृत्य की सारी शैलियों में निपुण माधुरी इन दिनों ऐंड टीवी पर ‘सो यू थिंक यू कैन डांस’ रिऐलिटी शो की एक बार फिर से जज बनी हैं. उन से बात करना दिलचस्प रहा.

पेश हैं, उन से हुए वार्त्तालाप के कुछ अंश:

डांस शो नए कलाकारों के लिए कितना महत्त्व रखता है?

डांस शो नए डांसरों को अपनी प्रतिभा दिखाने का मंच देते हैं. यहां उन्हें नए डांस फॉर्म सीखने और देखने का मौका मिलता है. साथ ही गाइडेंस भी मिलती है कि वे कैसे अपनेआप को आगे बढ़ाएं, अपनी कमियों को कैसे दूर करें. अगर कोई डांस को कॅरियर बनाना चाहता है, तो उसे अपने सपनों को साकार करने का भी अवसर मिलता है, क्योंकि पूरा देश उसे देख रहा होता है.

आप रोज कितना समय डांस कर लेती हैं?

जब मैं नृत्य करती हूं तो समय सीमा में नहीं बंधती. मेरे हिसाब से जिस काम को करने में आप खुश हों, उसके लिए समय सीमा कभी नहीं होनी चाहिए. फिर भी मैं 1-2 घंटे डांस कर लेती हूं. यह मेरे लिए वर्कआउट है, जो मुझे फिट रखता है.

नृत्य से क्या शांति मिलती है?

हर व्यक्ति अपनेआप को शांत रखने के लिए अलग-अलग तरीका अपनाते हैं. कुछ इसके लिए व्यायाम करते हैं, तो कुछ दौड़ते हैं. कुछ लोग गाना सुनते हैं, तो कुछ ऐसे भी हैं जो परेशान होने पर खूब खाते हैं. डांसिंग मेरा पैशन है. यह मुझे शांत रखता है. इसे करने से मुझे सुकून मिलता है, स्वास्थ्य फिट रहता है. मुझे जिम जाने की जरूरत नहीं पड़ती.

फिल्मों में कब आने वाली हैं?

अभिनय मेरा पहला प्यार है. जब भी मुझे कोई अच्छी स्क्रिप्ट मिलेगी, तो मैं अवश्य काम करूंगी. मैं फिल्मों से दूर नहीं जा सकती.

अच्छे नृत्य के लिए व्यक्ति में क्या क्या गुण होने चाहिए?

अच्छा डांसर बनने के लिए सही ट्रेनिंग आवश्यक है. वहां आप को अपनी कमजोरी को जान कर उसे सुधारने का मौका मिलता है. भावभंगिमा का अच्छा होना भी बहुत जरूरी है, क्योंकि नृत्य में भाव के द्वारा आप बहुत सारी बातें कह जाते हैं. अंत में सही डाइट का लेना आवश्यक है ताकि आप का स्टैमिना बढ़े और आप का ऐनर्जी लैवल हमेशा ऊपर रहे.

आप अपनी दूसरी जर्नी को कैसे देखती हैं?

हर किसी का अपना एक सपना होता है. मेरा भी है. परिवार और बच्चे मेरे सपने का एक अहम हिस्सा हैं. मेरे मातापिता, सासससुर और पति सभी का सहयोग मुझे रहता है. मैं और मेरे पति एक यूनिट की तरह हैं. जब मैं व्यस्त होती हूं, तो वे घरपरिवार को संभालते हैं और जब वे बिजी होते हैं तो मैं सब संभालती हूं. मैं ऐसे परिवार की कामना हर महिला के लिए करती हूं. मेरे लिए यह मेरा एक जर्नी है, जो अलग-अलग रास्तों में विभाजित हो चुकी है, जिस में मेरा परिवार और काम दोनों शामिल हैं.

फिल्म इंडस्ट्री में पहले से कितना बदलाव देखती हैं?

इंडस्ट्री में काफी बदलाव आया है. तकनीक से ले कर शूटिंग करने का तरीका, सबकुछ बदल गया है. पहले केवल कुछ महिलाएं फिल्म मेकिंग में थीं, पर आज लड़कियां असिस्टैंट डायरेक्टर, क्रिएटिव डायरेक्टर, सिनेमैटोग्राफर आदि हर क्षेत्र में अच्छा काम कर रही हैं. इंडस्ट्री ने भी काफी ग्रो किया है.

खुश रहने का मूल मंत्र क्या है?

जो मिले उसी में संतुष्ट रहना. इस से आप आगे बढ़ सकते है.

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