स्वस्थ महिला ही बन सकती है सफल महिला

चैंबर औफ कौमर्स ऐंड इंडस्ट्री द्वारा किए गए एक सर्वे के अनुसार, भारत में हर

4 में से 3 महिलाएं किसी न किसी स्वास्थ्य संबंधी समस्या से जूझ रही हैं. वहीं मल्टीटास्किंग सीरियसली अफैक्टिंग कौरपोरेट वूमन हैल्थ नाम के सर्वे से पता चलता है कि 78% कामकाजी महिलाएं शारीरिक रूप से स्वस्थ नहीं हैं. अध्ययन के मुताबिक अनियमित दिनचर्या और खराब जीवनशैली के कारण 42% महिलाओं को मोटापे, डिप्रैशन, पीठ दर्द, हृदय से जुड़ी बीमारियां और हाइपरटैंशन की शिकायत रहती है. 22% महिलाएं क्रोनिक डिजीज की शिकार हैं.

मैक्स हौस्पिटल, दिल्ली की कंसलटैंट न्यूट्रिशनिस्ट डाक्टर मंजरी कहती हैं, ‘‘अर्बन सैटिंग की महिलाओं के साथ 3 तरह की समस्याएं हैं. पहली यह कि वे वर्किंग हैं, इसलिए उन के पास समय की बहुत कमी है. अपने स्वास्थ्य पर उन का बिलकुल ध्यान नहीं होता. दूसरी, आज की महिलाएं बहुत ज्यादा ब्यूटी कौंशस हैं. स्किन टैनिंग न हो जाए, इस के लिए वे धूप में निकलने से घबराती हैं. इसलिए उन में विटामिन डी की भी बहुत कमी होती है. तीसरी समस्या यह है कि आज की महिलाएं बहुत ऐजुकेटेड हैं, इसलिए वे सिर्फ उसी बात को सही मानती हैं, जो उन्हें सही लगती है.

‘‘मगर यह कहना भी सही नहीं होगा कि वर्किंग होना और ऐजुकेटेड होना गलत है, लेकिन काम के साथसाथ खुद के लिए समय निकालना भी जरूरी है और अपनी ऐजुकेशन का सही इस्तेमाल करना उस से भी ज्यादा जरूरी.

‘‘दरअसल, आज की मौडर्न महिलाएं इंटरनैट पर ही देख लेती हैं कि अच्छे स्वास्थ्य के लिए क्या खाना चाहिए और फिर उसी हिसाब से अपनी डाइट प्लान कर लेती हैं. जबकि यह गलत तरीका है. इंटरनैट पर एक ही चीज पर लोगों के अलगअलग विचार होते हैं और जरूरी नहीं कि वे आप के लिए हों और आप के बौडी टाइप को सूट करें. हो सकता है आप पर उस का विपरीत असर पड़े. इसलिए जरूरी है कि समयसमय पर कंसलटैंट से अपना डाइट प्लान बनवाया जाए.

बढ़ती जिम्मेदारियां कमजोर होता स्वास्थ्य

निस्संदेह अब महिलाएं एकसाथ कई भूमिकाएं निभा रही हैं. चाहे वे कामकाजी हों या हाउसवाइफ उन की जिम्मदारियों में इजाफा ही होता जा रहा है. इस की एक वजह यह भी है कि अब महिलाएं ज्यादा जानकारी रखती हैं और आधुनिक चीजों का इस्तेमाल उन्हें बखूबी आता है. लेकिन एक तरफ यह उन के काम को आसान करता है, तो दूसरी तरफ जिम्मेदारियों को बढ़ा भी देता है. उदाहरण के तौर पर दोपहिया या चारपहिया वाहन चलाने वाली हाउसवाइफ पर जिम्मेदारी है कि बच्चे को स्कूल छोड़ने और लाने का काम वही करेगी. इसी तरह कामकाजी महिलाएं दफ्तर के साथ घरेलू जिम्मेदारियों को भी निभाती हैं.

ऐसे में उन के पास अपनी सेहत का खयाल रखने का भी समय नहीं होता या कहिए कि वे इतना थक चुकी होती हैं कि उन्हें अपने लिए कुछ भी अतिरिक्त कार्य करने में आलस्य आता है.

डा. मंजरी कहती हैं कि अकसर महिलाएं अपने परिवार के स्वास्थ्य का तो ध्यान रखती हैं, लेकिन अपना नहीं. सुबह पति, बच्चों और घर के बड़ेबुजुर्गों का नाश्ता और खाना तैयार करने में उन्हें आलस्य नहीं आता, लेकिन अपने लिए  नाश्ता बनाना उन्हें समय की बरबादी लगता है. इसलिए वे या तो नाश्ता करती ही नहीं या भूख लगने पर पैक्डफूड खा लेती हैं, जो फायदा करने की जगह नुकसान ही पहुंचाता है. इसलिए थोड़ा समय खुद को भी दें. कुछ अतिरिक्त न करें, लेकिन सुबह खाली पेट घर से न निकलें. हो सके तो मुट्ठी भर ड्राईफ्रूट्स का ही नाश्ता कर लें.

दरअसल, बादाम, अखरोट, काजू और मूंगफली जैसे नट्स में बड़ी मात्रा में प्रोटीन, कर्ब्स और वसा होती है. वसा सुन कर चौंकिए मत, हमारे शरीर को कुछ अच्छे फैट्स जैसे ओमेगा 3 की जरूरत होती है. यह दिमाग के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है. साथ ही लिवर और हार्ट के लिए भी इसे सुरक्षाकवच माना जाता है. नट्स प्रोटीन के भी अच्छे स्रोत होते हैं. इन में अच्छी मात्रा में मैग्नीशियम, जिंक, कैल्सियम और विटामिन ए और ई पाया जाता है.

डा. मंजरी कहती हैं, ‘‘भारत में हर साल 1 करोड़ केस औस्टियोपीनिया के होते हैं. यह बीमारी हड्डियों में लोच खत्म हो जाने से होती है. 40 की उम्र की अधिकतर महिलाओं को यह परेशानी रहती है. उन की मांसपेशियों में भी ताकत नहीं रह जाती. इसलिए विटामिन और कैल्सियम युक्त चीजें उन के लिए खाना बहुत फायदेमंद है. वर्ल्ड हैल्थ और्गेनाइजेशन के अनुसार 50% महिलाएं ऐनीमिक होती हैं, इसलिए आयरन युक्त भोजन भी महिलाओं के लिए जरूरी है.’’

डा. मंजरी आगे बताती हैं, ‘‘इस की बड़ी वजह है कि आज की महिलाएं ज्यादातर कार्बोहाइड्रेट वाले भोजन पर ही निर्र्भर हैं. वे दाल, चावल, गेहूं की रोटी और ब्रैड खा कर काम चला लेती हैं. उन्हें लगता है कि यह सब से पोषणयुक्त भोजन है, लेकिन यह गलत सोच है.

‘‘गेहूं की ही रोटी क्यों? बाजरा, ज्वार, मक्का, चना इन सारे मोटे अनाज में फाइबर और प्रोटीन होता है. इसलिए इन्हें भी अपने आहार में शामिल करना चाहिए. चाहें तो इन सब को मिला कर आटा पिसवा सकती हैं. इस के अतिरिक्त जो महिलाएं नौनवैज नहीं खातीं उन में भी प्रोटीन की बहुत कमी होती है. इस कमी को वे दाल औैर 1/2 लिटर दूध पी कर पूरा कर सकती हैं.

‘‘कामकाजी महिलाएं, जो हर वक्त इन सब का सेवन नहीं कर सकतीं. उन्हें अपने औफिस में ही भुने चने और कुछ फल रखने चाहिए और काम के दौरान इन का सेवन करते रहना चाहिए. इस बात का भी ध्यान रखना अनिवार्य है कि एकसाथ सब कुछ न खाएं. छोटीछोटी मील प्लान करें और 3-4 घंटे के अंतराल में खाएं.’’

सही आहार के साथ व्यायाम भी है जरूरी

‘‘मैं दिन भर इतना काम करती हूं, तो अलग से व्यायाम करने की क्या जरूरत, इस भ्रम से बाहर निकलें और इस बात को समझें कि जो कार्य आप दिन भर करती हैं उस में अलगअलग तरह का तनाव होता है. यह तनाव कोर्टिसोल नामक हारमोन रिलीज करता है, जो इम्यून सिस्टम, पाचनतंत्र और त्वचा पर बुरा असर डालता है.

डा. मंजरी कहती हैं कि कई बार महिलाएं ऐसा तनाव पाल लेती हैं, जो वास्तविक तौर पर तनाव का विषय ही नहीं होता. जो काम हमारे हाथ में है, देरसवेर ही सही मेहनत और दिमाग से किया जाए, तो हो ही जाएगा. उस में तनाव करने से कुछ भी नहीं होगा. इसलिए तनाव कम करें और हलकाफुलका व्यायाम जरूर करें.

व्यायाम का मतलब यह नहीं कि आप को भारीभरकम डंबल्स उठाने हैं या पुशअप मारने हैं. हर दिन 30 मिनट की वाक और हर काम अपने हाथ से कर के भी आप व्यायाम कर सकती हैं.

एशियन इंस्टिट्यूट औफ मैडिकल साइंस के इक्यूलिब्रिम फिटनैस क्लब के ट्रेनर अभिषेक सिन्हा कहते हैं, ‘‘महिलाओं का मैटाबोलिज्म पुरुषों की अपेक्षा काफी स्लो होता है और 30 की उम्र पार करने के बाद यह और भी अधिक स्लो हो जाता है. ऐसे में वजन कम करना उन के लिए आसान नहीं होता है. इसलिए घर के कामकाज में नौकरों की सहायता लेने के बजाय खुद ही सारे काम करें. मसलन, घर की साफसफाई के लिए नौकर न रखें, बल्कि खुद करें. आप जितना काम करेंगी उतनी कैलोरी बर्न होगी.

‘‘इसी तरह यदि आप वर्किंग हैं तो जाहिर है आप का ज्यादा वक्त दफ्तर में ही बीतता होगा. इसलिए लिफ्ट के इस्तेमाल से बचें और सीढि़यों का इस्तेमाल करें. जब भी वक्त मिले थोड़ा टहलें. कई महिलाओं को भ्रम होता है कि खाना खाने के तुरंत बाद नहीं टहलना चाहिए, लेकिन टहलने का कोई वक्त नहीं होता है. आप कभी भी टहल सकती हैं. टहलने से कैलोरी बर्न होती है. वैसे कैलोरी तब भी बर्न होती है जब पानी पीते हैं या फिर खाना अच्छी तरह चबा कर खाते हैं.

कैलोरीज बर्न करने के अलावा स्ट्रैच ऐक्सरसाइज भी कर सकती हैं. जाहिर है, आप अपनी सीट पर बैठ कर ऐसा नहीं कर सकतीं, क्योंकि यह औफिस डैकोरम के खिलाफ है, लेकिन वाशरूम या फिर कैफेटेरिया में हाथ को स्ट्रैच किया जा सकता है. इस से हाथों में दर्द की शिकायत दूर हो जाएगी. इस के अतिरिक्त आप के बैठने का पोस्चर भी ठीक होना चाहिए, क्योंकि आप गलत तरीके से बैठेंगी तो आप की बैकबोन पर इस का असर पड़ेगा.

फिटनैस ट्रेनर अभिषेक कहते हैं कि बैकबोन पर ही पूरा शरीर टिका होता है. यदि सही पोस्चर में न बैठा जाए तो पीठ के दर्द की समस्या होना तय है. पोस्चर के अलावा मोटापे का असर भी बैकबोन पर पड़ता है. इसलिए ईटिंग हैबिट्स को सुधारना भी जरूरी है. फिटनैस

80% सही आहार और 20% वर्कआउट पर निर्भर करती है अर्थात महिलाओं को अपनी प्राथमिकताओं में घरपरिवार की जिम्मेदारियां और दफ्तर के काम के अलावा अपने स्वास्थ्य को भी जगह देनी चाहिए, क्योंकि स्वस्थ होने पर ही सफलतापूर्वक किसी काम को अंजाम तक पहुंचाया जा सकता है.        

टशन हील्स का

आजकल स्टाइलिश, फैशनेबल और ग्लैमरस दिखने का जमाना है. हर महिला स्वयं को भीड़ से अलग और प्रेजैंटेबल और ग्लैमरस दिखाना चाहती है और इस सब में चार चांद लगाता है हील्स वाला फुटवियर. हील्स पहनने से व्यक्तित्व सब से अलग और चाल आत्मविश्वास से भरी दिखाई देती है. आजकल बाजार में अनेक प्रकार की हील्स विभिन्न रेट्स में उपलब्ध हैं, जिन्हें आप अपनी पसंद के अनुसार खरीद कर अपने व्यक्तित्व को आकर्षक बना सकती हैं. इन्हें किसी भी बड़े शोरूम या मौल से खरीदा जा सकता है. इन की कीमत क्व500 से शुरू हो कर क्व5 हजार तक होती है. आप अपनी जेब के अनुसार इन्हें खरीद सकती हैं. औनलाइन शौपिंग साइट्स पर भी हील्स उपलब्ध रहती हैं. औनलाइन और्डर कर भी मंगवा सकती हैं.

कैसी कैसी हील्स

यों तो हील्स अनेक प्रकार की होती हैं, परंतु आमतौर पर बहुतायत में प्रचलित हील्स निम्न हैं:

किटन हील्स: ये आरामदायक और स्टाइलिश होती हैं. इन्हें ऐसे मौकों पर पहना जा सकता है जहां आप को अतिरिक्त हाइट दिखाने की आवश्यकता नहीं होती.

पंपस: इन की ऊंचाई 2 से 3 इंच के मध्य होती है. ये आमतौर पर चौड़ी और सामने की ओर से लो कट होती हैं.

स्टिलेटो: हील्स का यह सब से ऊंचा प्रकार है. इन की ऊंचाई 8 इंच तक होती है. इन्हें पहनने से कई बार बहुत सारी शारीरिक समस्याएं भी हो जाती हैं.

ऐंकल स्ट्रैप हील्स: आजकल ये हील्स सर्वाधिक चलन में हैं. इन की ऊंचाई अलगअलग होती है, परंतु सब से खूबसूरत होती हैं. इन की स्ट्रिप जो ऐंकल तक पैर को बांधे रखती है और पैर को अधिक आकर्षक बनाती है.

वेजेज हील्स: इन में पूरे सोल की हील एकसमान होती है. सोल और हील में कोई सैपरेशन नहीं होता.

कोन हील्स: इन का आकार आइसक्रीम के कोन जैसा होता है. यह हील पंजे की ओर चौड़ी तथा एड़ी पर एकदम पतली और संकरी हो जाती है.

पीप टो हील्स: इस प्रकार के फुटवियर आगे से खुले होते हैं ताकि नाखून दिखते रहें.

प्लेटफार्म हील्स: इन्हें छोटे और लंबे दोनों आकार की महिलाएं पहनती हैं. मुख्य बात यह है कि इन के सोल के नीचे का भाग बहुत मोटा होता है. हील्स की अपेक्षा ये बहुत आरामदायक होती हैं.

क्या हैं लाभ

– लंबाई व्यक्तित्व को आकर्षक बनाती है. छोटी हाइट वाली महिलाएं हील पहन कर अपनी लंबाई को 5 से 6 इंच तक बढ़ा सकती हैं.

– अलअलग ड्रैस के साथ अलग अंदाज के हील्स पहन कर अपने व्यक्तित्व में चार चांद लगाए जा सकते हैं. जैसे मिनी स्कर्ट पर हाई हील बूट्स, तो चूड़ीदार कुरतापाजामा के साथ 2 इंच हील के ओपन टो सैंडल. इसी प्रकार साड़ी पर हील्स आप की लंबाई तो बढ़ाती ही हैं, दिखती भी नहीं हैं. बौक्स हील्स आप के व्यक्तित्व को कौरपोरेट लुक देती हैं. पैंसिल हील्स ट्यूनिक को आकर्षक बनाती हैं. प्लेटफौर्म हील्स ट्राउजर्स और बौटम जींस को और अधिक आकर्षक बनाती हैं.

– हील्स पहनने से बौडी पोस्चर तो सही रहता है, साथ में आत्मविश्वास भी बढ़ता है.

– इन्हें पहनने से टांगों की लंबाई बढ़ जाती है, जिस से वे बहुत सुंदर दिखती हैं.

क्या हैं नुकसान

हील्स व्यक्तित्व को आकर्षक, प्रभावशाली और ग्लैमरस तो बनाती हैं, परंतु दूसरी ओर इन्हें पहनने से अनेक समस्याएं भी उत्पन्न हो जाती हैं, जिन में से कुछ प्रमुख हैं:

– आमतौर पर अधिकांश महिलाओं को इन्हें पहन कर लंबी दूरी तक चलने में समस्या आती है. अधिक समय तक एक ही जगह खड़े रहने से एडि़यों पर प्रैशर पड़ता है और वे दुखने लगती हैं.

– कई बार समतल जगह न होने पर संतुलन खो देने की वजह से वे गिर भी जाती हैं, जिस से पैर में मोच आ जाती है, फ्रैक्चर तक हो जाता है.

– हील्स पहनने से सारे शरीर का भार पीठ पर आ जाता है, जिस से पीठ दर्द की समस्या उत्पन्न हो जाती है.

– स्ट्रिप वाली हील्स की स्ट्रिप को बहुत अधिक कस कर बांधने से रक्तप्रवाह रुक जाता है. लंबे समय तक लगातार हील्स पहनने से पैरों में निशान पड़ जाते हैं और उन की शेप बिगड़ जाती है.

– पैरों में खिंचाव होने की मुख्य वजह अकसर हाई हील्स ही होती हैं, ऐसा आमतौर पर तब होता है जब आप को हील्स पहनने की आदत न हो.  

क्या बरतें सावधानियां

मिडवैस्ट और्थोपैडिक सर्जन डा. जार्ज बी. होम्स. जे. आर. जोकि ऐंकल और फुट स्पैशलिस्ट हैं, के अनुसार हील्स पहनते समय निम्न सावधानियां बरतनी चाहिए:

– पूरा दिन हील्स पहनने से बचें, क्योंकि रात होतेहोते अधिक दबाव के कारण पैरों में सूजन आ जाती है.

– सही नाप की हील्स ही लें, क्योंकि छोटे या बड़े साइज की लेने से चलने में असुविधा तो होगी ही, साथ ही अधिक समय तक पहनने से पैरों की शेप भी बिगड़ जाती है.

– हील्स पहन कर बहुत अधिक न चलें और न ही अधिक समय तक खड़ी रहें.

– प्रतिदिन हील्स न पहनें, साथ ही हील्स का साइज भी चेंज करती रहें.

– सदैव आरामदायक हील्स ही पहनें. फिजियोथेरैपिस्ट डा. बी. एस. सारस्वत के अनुसार, 1-2 इंच तक की हील्स पैरों के लिए सुरक्षित रहती हैं. फुटवियर खरीदते समय पैरों के आराम को प्राथमिकता दी जानी चाहिए.

– प्लेटफौर्म और पीप टो हील्स पैरों के लिए सर्वाधिक सुरक्षित रहती हैं. प्लेटफौर्म हील्स में जहां पैरों को एकसमान ऊंचाई मिलने से अधिक प्रैशर नहीं सहना पड़ता, वहीं टो हील में पंजा खुले रहने से पैरों को हवा और नमी मिलती रहने से थकान नहीं होती.  

पर्सनल लोन से बचना है, तो अपनायें ये रास्ता

अगर आपने पहले से ही होम लोन लिया हुआ है और भुगतान के कुछ वर्षों बाद आपको दोबारा कुछ अतिरिक्‍त लोन की जरूरत पड़ी तो आप क्‍या करेंगे? जाहिर है कि आप एक नए लोन के लिए आवेदन करने की सोचेंगे और आपको यह आसानी से मिल भी जाएगा, लेकिन यदि आपके पास होम लोन है तो यहां अतिरिक्‍त लोन हासिल करने का एक आसान और तेज विकल्‍प भी है, वह है टॉप-अप लोन.

कैसे काम करता है टॉप अप लोन

जब आप पहली बार होम लोन लेते हैं, तो आपकी कुछ होम लोन योग्यता सीमा होती है, जिसके तहत आप उतना लोन ले सकते हैं. यदि आप इस पूरी सीमा का उपयोग कर लेते हैं तो आपको तुरंत अतिरिक्त लोन नहीं मिलेगा. लेकिन कुछ वर्षों के बाद, जब आप अपने मौजूदा लोन की कुछ किस्‍तों का भुगतान कर देते हैं और आपकी सैलरी भी बढ़ जाती है तो यह हो सकता है कि आपकी लोन योग्‍यता भी बढ़ जाए. इस समय आप टॉपअप लोन लेने के योग्‍य होंगे, जो कि आपके मौजूदा होम लोन के बराबर हो सकता है. अधिकांश बैंकों का नियम है कि मौजूदा लोन का 6-12 किस्‍तों का भुगतान करने के बाद ही कोई टॉपअप लोन के लिए योग्‍यता हासिल कर सकता है.

टॉपअप लोन किन वजहों के लिए लिया जा सकता है

घर के रेनोवेशन

– पर्सनल लोन

– दूसरी प्रॉपर्टी खरीदने के लिए

– जमीन या प्लॉट खरीदने के लिए

– बच्चे की पढ़ाई या शादी क लिए

– बिजनेस के लिए

जानिए टॉपअप लोन से जुड़ी पांच बातें

टॉप अप लोन पर टैक्स बैनेफि‍ट

टॉपअप लोन पर टैक्स बैनेफि‍ट केवल उस स्थिति में मिलेगा अगर लोन की राशि का इस्तेमाल घर खरीदने या फिर रेनोवेशन के लिए किया जाए. इसके अतिरिक्त किसी अन्य काम के लिए लोन पर बैनेफिट नहीं दिया जाएगा.

टॉप अप के लिए इंटरेस्ट रेट

बैंक की ओर से दिए जाने वाले होम लोन के ब्याज का 1.5 से 2 फीसदी ज्यादा इंटरेस्ट रेट लगाया जाता है. मसलन, इंटरेस्ट रेट 11.5 फीसदी से 14 फीसदी तक का हो सकता है.

किसी सिक्योरिटी की जरूरत नहीं

टॉपअप लोन के लिए किसी भी एसेट को गिरवी रखने की जरूरत नहीं होती क्योंकि यह मौजूदा लिए गए होम लोन के आधार पर दिया जाता है. इसमें एक चीज का ध्यान रखें कि बैंक से अपने ओरिजनल हाउस पेपर्स मांगने से पहले होम लोन के साथ-साथ टॉपअप लोन को भी बंद कराएं.

अप लोन की राशि

सामान्य तौर पर टॉपअप लोन की राशि असल होम लोन की राशि से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. साथ ही टॉपअप लोन के लिए बैंक एक अपर लिमिट तय करता है जो 15 लाख रुपए से 40 लाख रुपए के बीच में होता है. अगर आपने 30 लाख रुपए का होम लोन लिया हुआ है तो आप अधिकतम 30 लाख रुपए तक का टॉपअप लोन ले सकते हैं.

प्रोसेसिंग फीस

अधिकांश बैंक टॉपअप लोन अप्रूव करने से पहले प्रोसेसिंग फीस चार्ज करते हैं. यह चार्जेस होम लोन प्रोसेसिंग चार्जेस के बराबर होते हैं. यह चार्जेस 0.75 फीसदी या फिर 2000 रुपए इनमें से, जो भी ज्यादा होता है, बैंक प्रोसेसिंग फीस के तौर पर आप से ले लेता है.

पर्सनल लोन का बेहतर विकल्‍प है टॉपअप लोन

टॉपअप लोन, पर्सनल लोन का एक बेहतर विकल्प है, ऐसा इसलिए क्योंकि होम लोन लेने के बाद टॉपअप लोन मिलने की संभावना ज्यादा होती है. साथ ही अगर आपका रि-पेमेंट रिकॉर्ड अच्छा है और होम लोन रिपेमेंट के 3 से 4 वर्ष हो गए हैं तो आपको एक अच्छी राशि का टॉपअप लोन आसानी से मिल जाता है.

24 साल बाद प्रदूषण बनेगा ‘दानव’

बाह्य वायु प्रदूषण को रोकने के लिए कठोर नियमनों को लागू करने में सरकार के विफल रहने पर भारत में वर्ष 2040 तक प्रदूषित वायु के कारण रोजाना औसतन 2500 लोगों की मौत हो सकती है. यह बात एक रिपोर्ट में कही गई.

अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए) की रिपोर्ट ‘वर्ल्ड एनर्जी आउटलुक’ में इस बात का भी उल्लेख किया गया है कि 2015 में बाह्य वायु प्रदूषण से सालाना पांच लाख 90 हजार समय पूर्व मौत हुई. यह औसतन रोजाना 1600 से अधिक है. अतिरिक्त 10 लाख समय पूर्व मौतें घरेलू वायु प्रदूषण की वजह से हुईं.

रिपोर्ट में कहा गया है कि नियम बिजली क्षेत्र के प्रदूषक उत्सर्जन में कटौती करने में प्रभावी है जबकि न्यू भारत छह मानदंड परिवहन में एनओएक्स और पीएम 2.5 के उत्सर्जन में कटौती करता है लेकिन ये उपलब्धियां उद्योग क्षेत्र से उत्सर्जन में जबर्दस्त वृद्धि के मद्देनजर प्रति संतुलन से अधिक हैं. रिपोर्ट में मौजूदा नयी नीतियों समेत दो परिदृश्यों का विश्लेषण किया गया है.

स्वच्छ वायु परिदृश्य की वकालत करते हुए इसमें कहा गया है कि यह सकारात्मक प्रभाव प्रदर्शित करेगा जो समय पर और अधिक सख्त वायु प्रदूषण नियमनों का सार्वजनिक स्वास्थ्य पर हो सकता है. इसमें यह भी कहा गया है कि अगर स्वच्छ रसोई स्टोव का इस्तेमाल बढ़ता है तो घरेलू वायु प्रदूषण से समय से पूर्व होने वाली मौतों की संख्या में तकरीबन आठ लाख की गिरावट आएगी.

दिल्ली की बात करते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि वायु में पीएम 2.5 का स्तर डब्ल्यूएचओ की वायु गुणवत्ता दिशा-निर्देश मूल्य से 10 गुणा से अधिक है. दिल्ली की वायु की गुणवत्ता एक दशक से अधिक समय से खराब है. रिपोर्ट में कहा गया है,

‘‘कुल नतीजा यह है कि वायु की गुणवत्ता 2040 तक महत्वपूर्ण नीतिगत चिंता का विषय बनी रहेगी. यद्यपि औसत जीवन प्रत्याशा का नुकसान 16 महीने घटा है लेकिन बाह्य वायु प्रदूषण से मरने वाले लोगों की संख्या बढ़कर नौ लाख से अधिक हो गई है.’’

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘घरेलू वायु प्रदूषण से समय से पूर्व होने वाली मौत घटकर तकरीबन आठ लाख पर पहुंच गई है क्योंकि स्वच्छ रसोई स्टोव का इस्तेमाल बढ़ा है.’’

बिना बच्चों के खुश नहीं रह पाते यहां के लोग

अमेरिका के लोग आमतौर पर खुशदिल माने जाते हैं और वे अप्रसन्न नहीं होते, लेकिन यहां बच्चों से दूरी इनकी अप्रसन्नता का कारण बनती है.

एक नए शोध से यह पता चला है कि अमेरिका में अभिभावक बगैर बच्चों के खुश नहीं रहते. टेक्सास के वाको काउंटी में स्थित बेलर यूनिवर्सिटी में समाजशास्त्र के सहायक प्रोफेसर और इस अध्ययन के सह-लेखक मैथ्यू एंडरसन ने बताया, इसका कारण कार्यस्थल की नीतियां हैं, जिसमें चिकित्सीय अवकाश, अवकाश, मातृत्व अवकाश और पितृत्व अवकाश जैसी भुगतान युक्त छुट्टियों की कमी शामिल है.

रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका के 22 औद्योगिक देशों में माता-पिता और बिना बच्चों के लोगों के बीच के बीच खुशी का एक बड़ा अंतर देखने को मिला है.

ऐसे देशों में जहां यह छुट्टियां सरकार और उद्योगों द्वारा अनिवार्य की गई हैं, वहां माता-पिता और बिना बच्चों के लोगों के बीच अप्रसन्नता का बहुत छोटा अंतर है.

एंडरसन ने कहा, “वास्तव में, उन स्थानों में माता-पिता थोड़ा अधिक प्रसन्न रहते हैं.” इस शोध के लिए अध्ययनकर्ताओं ने अमेरिका, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, रूस और न्यूजीलैंड के संयुक्त सर्वेक्षण के आंकड़ों का अध्ययन किया था.

यह शोध ‘अमेरिकन जर्नल ऑफ सोशियोलॉजी’ पत्रिका के आगामी अंक में प्रकाशित किया जाएगा.

 

अपने लिए चुनें सही फुटवेयर

आपको अपने कपड़ों की मैचिंग के फुटवेयर्स चुनना मुश्किल लग रहा है, तो हम आपको बताएंगे कि किस तरह के जूते आपकी कौन-सी ड्रेस से मैच करेंगे.

वैजेस फुटवेयर्स

इस तरह के जूतों का पूरा बेस मोटा और ऊंचा होता है. वैजेस हील्स सबसे ज्यादा फैशनेबल और वर्सटाइल फुटवेयर्स होते हैं, जो सभी तरह के कपड़ों के साथ पहने जा सकते हैं, यह ड्रेसेज, ट्राउजर्स, घुटनों तक की ड्रेसेज के साथ पहने जा सकते हैं, वैजेस फुटवेयर्स टाइट-फिटिंग कपड़ों पर भद्दे दिखते हैं.

स्टिलेटोज

स्टिलेटोज फुटवेयर्स खास मौकों और कार्यक्रमों पर हील्स में सबसे ज्यादा पहने जाते हैं, यह लंबी, घेरदार और पूरी लंबाई वाली ड्रेसेज पर ज्यादा अच्छी लगती हैं, स्टिलेटोज बर्थडे और पार्टीज में शॉर्ट ड्रेसेज के साथ भी पहने जा सकते हैं.

फ्लैट्स

कम लंबाई वाली ड्रेसेज के लिए फ्लैट जूते सबसे सही फुटवेयर्स हैं, फ्लैट सैंडल्स ज्यादा, कम लंबाई के लगभग हर तरह के कपड़ों के साथ पहने जा सकते हैं, जैसे शॉर्ट स्कर्ट्स और जींस किसी पर भी फ्लैट जूते पहन सकते हैं.

स्नीकर्स

स्नीकर्स मतलब कपड़े के जूते अगर आप अपने आपको और खिला हुआ बनाना चाहते हैं तो अपनी बड़े फूलप्रिंट वाली ड्रेस के साथ छोटे फूलप्रिंट के स्नीकर्स पहनें, पर आपकी ड्रेस और स्नीकर्स का प्रिंट कलर एक जैसा होना चाहिए, स्नीकर्स को आप शॉर्ट प्लेन स्कर्ट्स, शॉर्ट्स और कटी जींस के साथ भी पहन सकते हैं.

ग्लैडिएटर्स

ग्लैडिएटर्स रोमन जूते हैं, जिन्हें लंबी ट्यूनिक ड्रेस और मैक्सी-स्टाइल की हैल्ट्र ड्रेस के साथ पहनें. ज्यादातर ग्लैडिएटर्स सभी ड्रेसेज के साथ पहने जा सकते हैं, यह प्लेन, ट्रेंडी, मिनी, और मैक्सी के साथ भी अच्छे दिखते हैं.

हैदराबादी बैंगन सालन

अगर आपको या आपके परिवार में किसी को बैंगन की किसी भी तरह की डिश पसंद है, लेकिन आप चाहती है कि बैंगन की कोई इस तरह की सब्जी बनाऊं जिसे सभी बड़े चाव से उंगुली चाट कर भरपेट खाएं, तो फिर आप आज बनाइएं हैदराबाद की एक मशहूर ग्रेवी वाली रेसिपी बैंगन का सालन. जो खाने में बहुत ही स्वादिष्ट और हेल्दी होती है. इसे आप चाहे तो वेजिटेबल बिरयानी या फिर प्‍लेन राइस के साथ सर्व कर सकती है. जो भी इस डिश को एक बार खा लेगा वो उसे बार-बार खाना चाहेगा. आप डिनर में बनाइए हैदराबादी बैंगन का सालन.

सामग्री

1. 10-15 बैंगन छोटे आकार

2. एक प्‍याज कटा हुआ

3. एक चम्मच लाल मिर्च पाउडर

4. आध चम्मच हल्‍दी

5. एक चम्मच धनिया पाउडर

6. आधा चम्मच जीरा और जीरा पाउडर

7. थोड़े कड़ी पत्‍ते

8. एक चम्मच लहसुन और अदरक का पेस्ट

9. तीन खड़ी लाल मिर्च

10. एक चौथाई चम्मच कलौंजी

11. थोड़ी सा मेथी दाना

12. एक चम्मच कोकोनेट पाउडर

13. एक चम्मच तिल

14. एक चम्मच मूंगफली

15. दो हरी मिर्च

16. हरी धनिया कटा हुआ

17. एक चौथाई कप दही

18. हरी पुदीना कटा हुआ

19. नमक स्वादानुसार

यूं बनाएं हैदराबादी बैंगन सालन

सबसे पहले एक कढ़ाई में तेल गर्म करें और बैंगन को चार भागों में काटकर इसमें डालें. जब यह फ्राई हो जाए तो इन्हें एक प्लेट में निकाल लें. इसके बाद एक पैन को गर्म करें और गर्म हो जाने के बाद उसमें तिल, मूंगफली और नारियल पाउडर डालकर फ्राई कर लें इसके बाद इसे ग्राइडर में डालकर पीस लें और एक बाउल में निकालकर रख लें.

अब एक कढ़ाई में थोड़ा तेल डालकर गर्म करें. गर्म हो जाने के बाद इसमें राई डालें फिर इसमें जीरा, खड़ी लाल मिर्च, कलौंजी और प्याज डाल कर फ्राई करे और तब तक फ्राई करे जब तक कि प्याज ब्राउन न हो जाएं. इसके बाद इसमें अदरक लहसुन का पेस्ट डालकर चलाएं और कुछ देर बाद इसमें हल्दी, लाल मिर्च और धनिया पाउडर, मूंगफली वाला पेस्ट डालें और थोड़ा सा पानी डाल कर कम से कम 30 मिनट तक धीमी आंच में पकाएं. इसके बाद इसमें फेटा हुआ दही और हरी धनिया, पुदीना डालें और इसे पकने दें जब यह उबलने लगे तो इसमें बैंगन डाल दें और किसी ढ़क्कन से 5 मिनट के लिए ढ़क दें. अब आपका हैदराबादी बैंगन सालन बनकर तैयार हो गया है. इसे आप गरमा-गरम सर्व करें.

अब पाइल्स नहीं करेगा परेशान

पाइल्स या हेमोराइड्स प्रत्येक उम्र के लोगों की निजी समस्या है. यह पुरुषों और महिलाओं में समान रूप से पाई जाती है. यह एक दर्दनाक स्थिति होती है जिसमें गुदाद्वार के आसपास की नसों में सूजन और जलन होती है. इसके कारण बहुत अधिक दर्द होता है, विशेष रूप से मलत्याग करते समय तकलीफ अधिक होती है. कुछ मामलों में मलत्याग करते समय ब्लीडिंग की समस्या भी हो सकती है.

पाइल्स में कभी कभी सूजन और खुजली भी होती है जिसके कारण असुविधा महसूस होती है. कई मामलों में आंतरिक ब्लीडिंग होती है. कभी-कभी इस समस्या का प्राकृतिक उपचार किया जा सकता है परन्तु अधिक गंभीर मामलों में सर्जरी की आवश्यकता होती है.

अधिकांश लोग इस समस्या के उपचार के लिए डॉक्टर के पास जाने से कतराते हैं क्योंकि वे इसे शर्मनाक मानते हैं. यही कारण है कि लोग घर पर ही इसका उपचार कर लेते हैं. लोगों को इस विषय पर संशय होता है कि पाइल्स का घर पर उचित तरीके से उपचार किस प्रकार किया जाए.

जो भी उपचार आप घर पर करें वह पाइल्स का जड़ से इलाज करे केवल उसके लक्षणों का नहीं. अधिकांश मामलों में लोग प्रासंगिक इलाज करना पसंद करते हैं क्योंकि इससे जल्द आराम मिलता है.

यहां ऐसे ही कुछ उपायों के बारे में बताया जा रहा है.  

– पीड़ित प्रभावित जगह पर क्रीम लगा लेते हैं जिस से तुरंत आराम मिलता है. हालांकि यह आराम बहुत कम समय के लिए होता है तथा कई बार क्रीम लगाने पर भी समस्या वैसी ही बनी रहती है.

– दूसरा तरीका यह है कि एक टब में गर्म पानी भरें तथा इसमें सेंधा नमक डालें. इससे सूजन और खुजली से आराम मिलता है. बारी बारी से ठन्डे और गर्म पानी में बैठने से आराम मिलता है.

– मल त्याग करते समय पैरों को स्टूल का सहारा दें जिस से आप मल त्याग आसानी से कर पायें.

– कसरत और योग से रक्त परिसंचरण में सुधार आता है और पाचन भी अच्छे से होता है. इससे उस जगह को ठीक होने में सहायता मिलती है.

– इसके अलावा अपने नाखूनों को छोटा रखें तथा उस जगह पर खुजलायें नहीं क्योंकि ऐसा करने से संक्रमण हो सकता है.

– टॉयलेट की सीट पर अधिक समय तक न बैठें और जोर न लगायें. हमेशा ध्यान रखें कि मल त्याग को टालें नहीं.

– हमेशा सूती इनरवियर ही पहनें.

यदि आप ऊपर बताई गई सावधानियां और उपचार अपनाएंगे तो आप घर पर ही पाइल्स का प्राकृतिक तरीके से उपचार कर पायेंगे. हालांकि यदि समस्या निरंतर बनी रहती है तो अच्छा होगा कि डॉक्टर की सलाह ली जाए.

शादी से पहले ही पापा बने तुषार !

जी हां, यह बिल्कुल सच है. अभिनेता तुषार कपूर शादी से पहले ही एक बच्चे के पिता बन गए हैं और ऐसा भी नहीं है कि उन्होंने बच्चे को गोद लिया है. यह तुषार कपूर का अपना बच्चा है, दरअसल आईवीएफ तकनीक का इस्तेमाल कर सरोगेसी के जरिए उन्हें पिता बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है. शायद तुषार पहले अभिनेता हैं, जो शादी से पहले पिता बने हैं.

तुषार ने अपने बेटे का नाम लक्ष्य रख है और अपनी जिंदगी में वो इस नए रोल को लेकर काफी एक्साइटेड हैं.

मुंबई के जसलोक अस्पताल में डॉक्टर फिरुजा पारिख की देखरेख में तुषार के बच्चे का जन्म हुआ. उन्होंने सेलेब्रिटी होते हुए तुषार के इस फैसले को साहसिक बताया है.

अपनी फैमिली में आए इस नए नन्हे मेहमान के बारे में तुषार ने बताया , ‘मैं पिता बनकर बहुत उत्साहित हूं. एक पिता बनने की इच्छा पिछले काफी लम्बे समय से मेरे दिल में हिलोरें मार रही थी. लक्ष्य आज मेरी जिंदगी में खुशी की सबसे बड़ी वजह है. ऊपरवाले के रहम से और जसलोक में उम्दा मेडिकल टीम की बदौलत सिंगल लोग भी पैरेंटहुड का विकल्प चुन सकते हैं.’

तुषार के पिता बनने से उनके पिता जितेंद्र और मां शोभा कपूर भी बेहद खुश हैं. आखिरकार यह उनका पहला पोता जो है.

जितेंद्र और शोभा भी पूरी तरह से तुषार के फैसले के सपोर्ट में हैं. उनके मुताबिक, तुषार एक बहुत ही होनहार बेटे हैं और उन्होंने यह साबित भी कर दिखाया है. साथ ही दोनों ने यह उम्मीद जताई कि तुषार भी एक अच्छे पिता बनकर दिखाएंगे.

आपको बता दें कि इससे पहले आमिर खान और शाहरुख खान भी सरोगेसी और आईवीएफ तकनीक से पिता बन चुके हैं, मगर दोनों ने शादी के बाद यह फैसला लिया था.

आलिया चली हॉलीवुड

बॉलीवुड एक्ट्रेस आलिया भट्ट अब हॉलीवुड फिल्म में काम करना चाहती है. आलिया ने कहा कि वह दुनियाभर में काम करना चाहती हैं और उन्हें उम्मीद है कि उनकी अगली जगह हॉलीवुड होगी.

आलिया ने कहा ‘मैं हर तरह की फिल्म करना चाहती हूं. लंदन मेरा अगला गंतव्य है, क्योंकि मैं वहां छुटटियों के लिए जा रही हूं. जल्द ही हॉलीवुड मेरा अगला गंतव्य है.’

आलिया ने 2012 में आई फिल्म ‘स्टूडेंट ऑफ द ईयर’ से बॉलीवुड में अपने करियर की शुरुआत की थी. हाल ही में आलिया की फिल्म ‘उड़ता पंजाब’ प्रदर्शित हुई है. बता दें कि बॉलीवुड की दो बेहतरीन एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण और प्रियंका चोपड़ा भी हॉलीवुड में डेब्यू कर चुकी हैं.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें