ड्रैस भी मैच करे ज्वैलरी से

ज्वैलरी केयरिंग टिप्स

कौस्ट्यूम ज्वैलरी को हमेशा साफ व सूखा रखें. फिर चाहे वह नैकलैस हो, रिंग हो, बे्रसलेट हो या इयररिंग्स. कौस्ट्यूम ज्वैलरी को लोशन, परफ्यूम, औयल व पानी से बचाएं वरना उस का कलर चेंज हो सकता है. जब भी क्रीम, परफ्यूम लगाएं या हाथ धोएं ज्वैलरी को पहले उतार दें. कौस्ट्यूम ज्वैलरी को हमेशा न पहनें. उसे अमोनिया, ऐसिड, विनेगर के संपर्क से बचाएं. हर ज्वैलरी को अलगअलग बौक्स या पाउच में रखें.

गहने हर स्त्री का पहला प्यार होते हैं. शायद इसीलिए बचपन से दादीनानी और मां के गहनों से खुद को सजनासंवरना उन्हें हमेशा लुभाता है. दरअसल, हर युवती व महिला की चाहत होती है खुद को खूबसूरत व स्टाइलिश दिखाने की और इसी चाहत को पूरा करने के लिए वह ब्यूटीफिकेशन, लेटैस्ट फैशन व ज्वैलरी का सहारा लेती है. लेकिन वह इस बात से अनजान होती है कि फैशन व ब्यूटीफिकेशन के अलावा वह मैचिंग स्टाइलिश ज्वैलरी के साथ खुद को टीमअप कर के अपने डेली लुक को ज्वैलिसीफाई कर सकती है और अपनी खूबसूरती को नए माने दे कर फैशनीस्ता की कैटेगरी में खुद को शामिल कर सकती है.

आइए, ज्वैलरी डिजाइनर कृति गर्ग से जानते हैं कि अलगअलग ड्रैसेज के साथ किस तरह की ज्वैलरी पहन कर आप अपने डेली लुक को ज्वैलिसीफाई कर सकती हैं: इयररिंग्स: कृति कहती हैं कि सही ड्रैस के साथ पहनी गई मैचिंग ज्वैलरी न केवल किसी महिला की लुक को कंपलीट करती है, बल्कि उसे कौन्फिडैंस भी देती है. ज्वैलरी में अगर इयररिंग्स की बात की जाए, तो प्रेशियस मैटल जैसे गोल्ड, सिल्वर, डायमंड के अलावा मार्केट में मैटल, फाइबर, पेपर, प्लास्टिक व लैदर, एडी के इयररिंग्स की अनेक वैरायटी मौजूद हैं, जिन में से कोई भी महिला अपनी जरूरत और जेब के अनुसार अपनी ड्रैस मैच कर सकती है. कृति कहती हैं कि अगर कोई वर्किंग लेडी, जिस के औफिस में बिजनैस ड्रैस कोड हो तो उसे लार्ज ट्रूप या ड्रौप इयररिंग्स न पहन कर स्मौल स्टड्स पहनने चाहिए. बिजनैस ड्रैस कोड के साथ ब्राइट स्पार्कलिंग, डायमंड या बड़े जैम्स स्टोन नहीं जंचते. ट्राउजर्स व स्ट्राइप्ड शर्ट के साथ जियोमैट्रिक इयररिंग्स और जींस के साथ अगर कोई कलरफुल फ्लोरल टौप पहनता है, तो उस के साथ मैटल के इयररिंग्स पहन सकता है. इंडियन वियर जैसे लौंग कुरती के साथ हैंगिंग्स वाले इयररिंग्स लुक को कौंप्लिमैंट करेंगे. ज्यादा ब्लिंग या चमकीली ज्वैलरी मैरिज या पारिवारिक आयोजनों के लिए रखें.

अगर कोई महिला मैरिड है तो वह स्टड्स पहन सकती है. सस्ते फंकी स्ट्रीट इयररिंग्स, वैस्टर्न वियर और हैंडलूम, खादी, कौटन सूट व कुरती के साथ जंचते हैं. अगर आप शाम को किसी पार्टी में जा रही हैं, तो बाजार में मौजूद इयरकफ्स आप ईवनिंग गाउन या साड़ी के साथ पहन सकती हैं. बैंगल्स और वाचेज: अगर आप मैरिड हैं तो डेली यूज में वैस्टर्न ड्रैस के साथ हैंडकफ्स व मल्टीकलर्ड मैटल, फाइबर, प्लास्टिक या लैदर का बे्रसलेट पहन सकती हैं. लैदर ब्रेसलेट आप की स्किनी जींस को ऐनहांस करने का काम करता है. एक हाथ में बे्रसलेट या कफ्स के साथ आप दूसरे हाथ में वाच से खुद को ऐक्सैसराइज कर सकती हैं. आजकल बाजार में बड़े डायल वाली ट्रैंडी घडि़यों का फैशन चल रहा है. जहां युवतियों के लिए मौडर्न, स्टाइलिश, ऐलिगैंट और शाइनिंग वाचेज मौजूद हैं, तो वहीं सिल्वर व मैटल के बेस पर बे्रसलेट स्टाइल में भी मौजूद हैं. इन घडि़यों को साड़ी, सलवारकुरती व जींस सभी के साथ ऐक्सैसराइज किया जा सकता है. अगर आप टौम बौय जैसा लुक चाहती हैं तो स्पौटी लुक की कलरफुल घड़ी जींस के साथ पहन सकती हैं. वहीं ट्रैडिशनल व फौर्मल के साथ मैटल के साथ बे्रसलेट स्टाइल की घड़ी फबेगी.

कलाई के साइज और घड़ी के डायल के साइज की बात की जाए, तो ध्यान रहे कि डायल कलाई के 2/3 हिस्से से ज्यादा को कवर न करे.

 

ऐंकलेट व रिंग: वैस्टर्न वियर के साथ आप बीडेड या मैटल का सिंगल ऐंकलेट भी पहन सकती हैं. यह आप को क्लासी लुक देगा. जहां तक रिंग्स की बात है डेली यूज में औफिस में और अगर मैरिड हैं तो वैडिंग रिंग और सिंपल बैंड आकार की रिंग ही पहनें. औफिस से बाहर डेटिंग पर या ईवनिंग पार्टी में आप कलरफुल शाइनी ड्रैसेज के साथ बोल्ड रिंग्स पहन सकती हैं. लेकिन ध्यान रहे कि आप के नेल्स अच्छी तरह से मैनिक्योर किए हुए हों. साथ ही ज्यादा नेल आर्ट या ग्लिटर लुक न दें. इस से रिंग का महत्त्व कम हो जाएगा.

 

नैकलैस: आप सोचेंगी डेली लुक में भला नैकलैस कैसे पहना जा सकता है? नैकलैस तो सिर्फ फौर्मल और स्पैशल ओकेजन के लिए होता है. लेकिन आप की यह सोच गलत है.

 

आप डेली लुक के साथ भी नैकलैस कैरी कर सकती हैं. जैसे बटन फ्रंट और कौलर्ड शर्ट के साथ कंट्रास्ट कलर के बिब टाइप नैकलैस स्टाइलिश लुक देते हैं और आप की लुक को ज्वैलिसीफाई करते हैं. ट्रैडिशनल ड्रैसेज जैसे कौटन साड़ी व कलरफुल कुरती के साथ चांदी के औक्सीफाइज्ड नैकलैस आप को शिल्पा व दीपिका की तरह फैशन दीवा का रूप देंगे. बाजार में स्ट्रीट ज्वैलरी में बिब, लेयर्ड व कलर्ड नैकलैस की फंकी ज्वैलरी उपलब्ध है, जिसे आप डेली लुक में पहन सकती हैं. अगर आप को आर्टिफिशियल ज्वैलरी से ऐलर्जी है तो आप सिल्वर ज्वैलरी, जो अभी ट्रैंड में भी है और जिस का फ्यूचर में कौस्ट बैनिफिट भी होता है, का नैकलैस डेली पहन सकती हैं. गरमियों में सिल्वर ज्वैलरी डेली लुक के लिए बैस्ट औप्शन होता है. फिर चाहे वह कौरपोरेट लंच हो, डेट हो, औफिस हो या किट्टी पार्टी.

 

कृति बताती हैं कि अगर आप अपनी ड्रैस के साथ बोल्ड बैल्ट पहन रही हैं, तो लौंग चेन नैकलैस न पहनें वरना ध्यान चेन के बजाय वैस्टलाइन पर जाएगा.

लुक को बनाएं स्टाइलिश ऐसे

फिल्म ‘हम आप के हैं कौन’ में माधुरी दीक्षित द्वारा पहने गए डोरी वाले ब्लाउज को लोग आज भी याद करते हैं. उन का वह स्टाइल उस समय हर युवा लड़की के लिए फैशन बन गया था. वैसे भी नए फैशन और स्टाइल के प्रेरणास्रोत हमेशा बौलीवुड सैलिब्रिटीज रहे हैं. युवावर्ग हर दौर में उन का अनुसरण करता रहा है.

लेकिन नए युग में स्क्रीन का फैशन ट्रैंड बिलकुल बदल गया है. अब डिफरैंट स्टाइल और बड़ीबड़ी डिजाइनर ड्रैसों का फैशन बौलीवुड में चल निकला है. ऐसे में आप का स्टाइल कैसा हो, इस बारे में बता रही हैं बुजारिया की फाउंडर फैशन डिजाइनर ममता ममता:

स्टाइल में दिखें कुछ ऐसे

फैशन और स्टाइल का यूथ में बड़ा क्रेज रहता है. फैशनेबल के साथ स्टाइलिश दिखने के लिए आप को हर मौसम के ट्रैंड के बारे में पता होना चाहिए. फैशन ऐसी चीज है, जो समय के साथ बदलती रहती है, लेकिन आप का स्टाइल आप का ऐटिट्यूड होता है, जिसे लोग हमेशा याद रखते हैं. आप ने कोई फैशनेबल ड्रैस पहनी है, उस से लोगों को मतलब नहीं होता. मतलब इस से होता है कि आप ने उसे किस स्टाइल में कैरी किया है, जो लोगों की नजरों में आए और आप एक फैशन आइकोन बन जाएं.

सैल्फ स्टाइल से करें कुछ क्रिएटिव

खुद को स्टाइलिश दिखाने के लिए आप सैल्फ स्टाइल बनाएं, अपना खुद का क्रिएट किया हुआ. इस में मिक्स ऐंड मैच का कोई भी कौंसैप्ट नहीं होता है. बस आप को वही कैरी करना होता है, जो आप पर फबे. इस में बस कुछ डिफरैंट चीजें मिला कर अपना एक ऐसा स्टाइल तैयार करना होता है जो अलग और बेहतर हो. बस इस बात का ध्यान रखें कि ड्रैस के कलर्स आप की पर्सनैलिटी से मैच करें.

कालेजगोइंग के लिए

द्य आप वनपीस लौंग ड्रैस के साथ डैनिम की छोटी फुलस्लीव्स जैकेट पहनें. इस के साथ डैंगलिंग इयररिंग्स व फिंगर रिंग पहनें तो लुक ज्यादा स्टाइलिश लगेगा.

द्य हैरम पैंट यानी धोती स्टाइल पैंट प्रिंटेड जैकेट के साथ पहनें.

द्य जींस को फोल्ड कर के कैपरी लुक दे सकती हैं. इस के साथ हाथों में फंकी कड़ों के साथ कानों में स्ट्रैप टौप पहनें.

द्य पैंट, जींस के साथ विंटर में डैनिम पोलोनैक जैकेट व स्वैटर स्टाइलिश पैटर्न वाला पहनें. इस के साथ ही सर्दी के मौसम में अपने लुक को स्टाइलिश दिखाने के लिए वूलन कैप लगाएं. मार्केट में चैक, स्ट्राइप्स आदि हर तरह की कैप्स मिल रही हैं. आप इन में से जो उपयुक्त लगे उसे चुन सकती हैं.

द्य लौंग साइड स्लिटेड ड्रैसेज लैगिंग के साथ पहनें और इस के साथ चंकी बैंगल्स और गले में छोेटे पैंडेंट वाली चेन पहनें.

द्य स्टाइलिश दिखना चाहती हैं तो मौसम के अनुसार स्कर्ट का चुनाव करें. गरमियों में घुटनों तक लंबी स्कर्ट को अपना स्टाइल बनाएं. स्कर्ट फौर्मल हो या डेलीवियर इस के अनुसार ही टौप का चुनाव करें. ऐथनिक प्रिंट्स वाली स्कर्ट, ब्लैक या व्हाइट टौप, बांधनी दुपट्टा और कोल्हापुरी फुटवियर पहनें.

औफिसवियर स्टाइलिश ड्रैसेज: औफिस में स्टाइलिश दिखने के लिए कौटन स्कर्ट, पैंट, ट्राउजर के साथ प्लेन शर्ट व टौप, पोंचू व जैकेट पहनें. इन के अलावा वीनैक कौटन की लौंग शर्ट व लैगिंग के साथ कुरती पहनें. इस पर वुडन, प्लास्टिक की ऐक्सैसरीज कैरी करें. वुडन ऐक्सैसरीज हर ड्रैस पर अच्छी लगती हैं. साथ में फ्लैट फुटवियर पहनें. फौर्मल या बिजनैस ओकेजन के लिए: इन दिनों वैस्टर्न आउटफिट्स में ट्यूलिप पैटर्न की ड्रैसेज काफी पसंद की जा रही हैं. डिफरैंट स्टाइल और पैटर्न फैब्रिक के अलावा बौडी शेप के अनुसार स्कर्ट की शेप भी डिफरैंट होती है. फैंसी टौप और ट्रैंडी ऐक्सैसरीज से इन ड्रैसेज में थोड़ा स्टाइल भी ऐड किया जा सकता है. इसी तरह इन स्कर्ट्स की डिजाइन भी काफी अलग है. कहीं स्ट्रेट फिटिंग के साथ ट्यूलिप टच दिया गया है, तो कहीं हलके घेरे के साथ पैटर्न ऐड किया है. ये लौंग और शौर्ट दोनों ही लैंथ में मौजूद हैं.

डैनिम लौंग स्कर्ट के साथ रैड, व्हाइट या ब्लैक टौप अथवा शौर्ट स्कर्ट के साथ विंटर में स्टाकिंस पहनें. डैनिम लुक सदाबहार लुक है और यह सभी पर सूट भी करता है. इस के साथ फंकी ज्वैलरी या हलकी हील वाली बैली अथवा सैंडल आप के लुक को बैस्ट बनाते हैं.

स्कार्फ ऐंड स्टोल: स्कार्फ ऐंड स्टोल का अपना अलग ही फैशन स्टेटमैंट है. आप इन्हें अपने स्टाइल में गले में लपेटें, सिर में या चोटी में बांधें या गले में नौट लगा कर रखें. इन्हें अपनी ड्रैस के लुक के अनुसार कैरी करें. स्टोल और स्कार्फ दोनों आप की ड्रैस को और ज्यादा स्टाइलिश बना देंगे.

फंकी लुक के लिए ऐक्सैसरीज: फंकी लुक के लिए फंकी ऐक्सैसरीज जैसे वुडन, प्लास्टिक, मैटल की बोल्ड ज्वैलरी यूज करें. इस में डिफरैंट स्टाइल में कलरफुल ज्वैलरी भी उपलब्ध है. उसे भी पहन सकती हैं.

ऐलिगैंट लुक के लिए: अगर आप ऐलिगैंट लुक चाहती हैं, तो सिंपलसोबर ज्वैलरी पहनें. इस के लिए पर्ल की ज्वैलरी बहुत अच्छी होती है.

फौर्मल लुक: फौर्मल लुक के लिए ज्यादा ऐक्सैसरीज के बजाय आप अपने हेयरस्टाइल और सिर्फ इयररिंग्स पर फोकस करें. ज्यादा ज्वैलरी आप के लुक को दबा देगी.

पार्टी में दिखें स्टाइलिश: किसी भी पार्टी में अलग दिखने के लिए गौर्जियस फ्लोरलैंथ अनारकली सूट के साथ पोटली पर्स लें. इस से आप की पर्सनैलिटी को परफैक्ट लुक मिलेगा. पोटली पर्स को आप कलाई पर भी लटका सकती हैं. इस पर ऐथनिक ज्वैलरी और हील या फ्लैट फुटवियर पहनें.

गौर्जियस गोल्ड लहंगे के साथ हाई कौलर ग्लिटरी शाइनी ब्लाउज पहनें. इस पर कानों में बड़े इयररिंग्स व हाथों में मोटे कड़े पहनें. स्टाइलिश फुटवियर से बनाएं स्टाइल: आजकल फ्लैट स्लीपर्स में काफी स्टाइलिश वैराइटी मिलती है, जिस में जिकजैक, डोरी, नग आदि लगे होते हैं. हर कलर व डिजाइन में मौजूद इन फुटवियर्स में आधे इंच की हील कम वर्क में भी और अधिक वर्क में भी मिलती है.

किट्टी पार्टी में जाने के लिए आप किटन हील्स फुटवियर पहनें.

मैरिज पार्टी में स्टाइलिश दिखने के लिए स्टोन व मोती जड़ा हाईहील वाला फुटवियर पहनें. इस के अलावा स्टिलैटो फुटवियर भी पहन सकती हैं.

सनग्लासेज से बनाएं स्टाइल मस्त: लुक को स्टाइलिश दिखाने के लिए सनग्लासेज का प्रयोग करें पर उस का अपने फेस की शेप को देख कर ही चुनाव करें. बड़े फेस के लिए आप बड़े फे्रम वाले स्टाइलिश गौगल का प्रयोग करें लेकिन वह इतना भी बड़ा न हो जो आप के चेहरे को पूरा कवर कर ले. मार्केट में गोल फ्रेम, चौकोर फ्रेम, छोटेबड़े हर साइज और कलर के फ्रेम मौजूद हैं. आप अपनी स्किनटोन और फेस के आकार के हिसाब से फ्रेम चुन कर अपने स्टाइल को और बेहतर बना सकती हैं.

स्टाइलिश हैंड बैग से बनाएं स्टाइल डिफरैंट: बैग एक फैशन ऐक्सैसरी है. इसे स्टाइल स्टेटमैंट की तरह इस्तेमाल करें. अलगअलग अवसरों पर अलगअलग बैग कैरी कर के डिफरैंट व स्टाइलिश लुक पाया जा सकता है. आजकल बाजार में विभिन्न अवसरों जैसे मार्केटिंग, आउटिंग आदि के लिए कई तरह के बैग जैसे होबो बैग, ईवनिंग बैग, रिस्टलेट बैग, टोटे बैग, शोल्डर स्ट्रैप बैग, क्लच, बटुआ आदि आसानी से उपलब्ध हैं.

कालेजगोइंग गर्ल्स के लिए स्लिंग बैग काफी स्टाइलिश लगता है. अगर आप इसे साइड में न डाल कर क्रिसक्रौस कैरी करें तो ज्यादा स्टाइलिश लगेगा.

फैशन ट्रैंड में इन सब बातों का पूरा ध्यान रख कर आप भी किसी भी सैलिब्रिटी से कम स्टाइलिश नहीं दिखेंगी.

काजोल फ्रैंडली होने में समय लेतीं : कृति सैनोन

फिल्म ‘हीरोपंती’ से हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखने वाली 25 वर्षीय अभिनेत्री कृति सैनोन ने मौडलिंग से कैरियर की शुरुआत की थी. लेकिन बचपन से ही उन्हें अभिनय का शौक था, जिसे पूरा करने में साथ दिया उन के मातापिता ने. ‘हीरोपंती’ फिल्म कृति के जीवन का टर्निंग पौइंट थी. इस फिल्म में उन के काम की बहुत तारीफ हुई और कई अवार्ड मिले.

बेहद नम्र और हंसमुख स्वभाव की कृति से बात करना रोचक रहा. पेश हैं, कुछ खास अंश:

फिल्मों में कैसे आना हुआ?

मैं दिल्ली की हूं. मेरे पिता राहुल सैनोन चार्टर्ड अकाउंटैंट हैं. मां गीता सैनोन दिल्ली विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफैसर हैं. मेरी 1 छोटी बहन नूपुर सैनोन है, जो अभी पढ़ रही है. पढ़ाई पूरी करने के बाद मैं ने मौडलिंग शुरू की. उसी दौरान मुझे दक्षिण की फिल्म में काम करने का मौका मिला. लेकिन हिंदी फिल्मों में काम करने की चाह बनी हुई थी. साउथ फिल्म में काम करते हुए ही मुझे हिंदी फिल्म ‘हीरोपंती’ का औफर मिला.

साजिद नाडियाडवाला के साथ आप का 3 फिल्मों का कौंटै्रक्ट था. ऐसे में ‘दिलवाले’ फिल्म में काम करने की वजह क्या थी?

मेरा दोनों फिल्मों में काम करने का अनुभव अद्भुत था. निर्णय बहुत जल्दी लिया गया. ‘हीरोपंती’ के दौरान मैं जिस दिन औडिशन के लिए गई उसी दिन फिल्म साइन की. यहां भी निर्देशक रोहित शेट्टी के यहां से फोन आया. मैं उन के औफिस गई. स्क्रिप्ट सुनने के बाद ही मुझे कहानी अच्छी लगी, तो मैं ने हां कह दी और फिर अगले ही दिन से शूटिंग शुरू हो गई. यह बहुत जल्दी हुआ. मुझे कुछ सोचने का मौका ही नहीं मिला. लेकिन जो भी हो रहा था वह सही हो रहा था. साजिद मुझे बच्चे की तरह ट्रीट करते हैं. उन के और मेरे बीच कोई फौर्मैलिटी नहीं. उन्होंने जब ‘दिलवाले’ की बात सुनी तो खुद ही बधाई दे डाली. अपने कैरियर की दूसरी ही फिल्म में इतने बड़े सितारों के साथ काम करना मेरे लिए गर्व की बात थी.

नए कलाकार के रूप में दूसरी फिल्म का मिलना काफी देर बाद रहा. क्या इस का प्रभाव आप के कैरियर पर नहीं पड़ेगा?

‘हीरोपंती’ के बाद कई फिल्मों के औफर आए, लेकिन मुझे काम करना है, इस जल्दबाजी में मैं ने कोई निर्णय नहीं लिया. फिल्म की कहानी मेरे लिए बहुत माने रखती है यानी उस में काम करते हुए मुझे ग्रो करने का मौका मिले. ‘दिलवाले’ भी वैसी ही थी. आगे भी मैं सोचसमझ कर ही काम करूंगी.

परिवार का कितना सहयोग रहता है?

मुझे हमेशा परिवार वाले सहयोग देते हैं. जब मैं ने अभिनय की इच्छा जताई थी, तो उन्होंने मुझे पहले पढ़ाई पूरी करने की सलाह दी. मैं ने वैसा ही किया.

शाहरुख और काजोल के साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा?

बहुत अच्छा रहा. बड़े कलाकारों के साथ काम करने का मौका मिला. शूट से पहले मैं कई बार शाहरुख से मिल चुकी थी. जब गोवा में शूटिंग चल रही थी तो शाहरुख हमेशा मजाक करते रहते थे. वे अपने कैरियर और फिल्म सैट के बारे में बताते रहते थे. इस से मुझे उन का व्यवहार बड़ा फ्रैंडली लगा, जिस से मेरा काम करना और आसान हो गया. काजोल से मैं पहले कभी नहीं मिली थी. जब मेरा पहला सीन उन के साथ था तो मैं बहुत डरी हुई थी. मुझे याद है मैं अपने संवाद तक भूल गई थी. बहुत नर्वस हो गई थी. काजोल किसी के साथ फ्रैंडली होने में समय लेती हैं. वे रिजर्व रहती हैं. लेकिन धीरेधीरे बातचीत होने से मेरा डर दूर हो गया.

आप का ब्यूटी सीक्रेट क्या है?

सही डाइट, फिटनैस आजकल हर किसी के लिए आवश्यक है. इस के लिए नियमित थोड़ा व्यायाम, दिन में 4-5 बार थोड़ाथोड़ा खाते रहना जरूरी है. वह जमाना गया जब लोग सुबह ही 5-6 परांठे खा लेते थे और फिर पूरा दिन नहीं खाते थे. अब वक्त स्वास्थ्यवर्धक खाना खाने का है. दिन में फल, सूप, कौर्नफ्लैक्स लेती हूं. रात 9 बजे के बाद हैवी खाना नहीं खाती. इस के अलावा मैडिटेशन, पिलेट्स क्रंचेस आदि करती हूं. रोज 3-4 लिटर पानी पीती हूं, सप्ताह में 4 बार बाल धोती हूं. हर 2 महीने बाद ट्रिमिंग कराती हूं, सप्ताह में 1 बार मसाज और हेयर औयलिंग कराती हूं. इस के अलावा 8 घंटे की नींद अवश्य लेती हूं.

इस क्षेत्र में आने वाले युवाओं को क्या संदेश देना चाहती हैं?

मैं कहना चाहती हूं कि वे महत्त्वाकांक्षी बनें पर अगर वह पूरी न हो तो निराश न हों, क्योंकि हताशा से इनसान गलतियां करता है. किसी भी क्षेत्र में जाने से पहले अपनी शिक्षा जरूर पूरी करें ताकि किसी भी परिवेश में तालमेल बैठा सकें.

नए कलाकारों में वह बात नहीं : सुप्रिया पाठक

सुप्रिया की मां दीना पाठक और उन की बड़ी बहन रत्ना पाठक दोनों अभिनय की दुनिया में सक्रिय थीं, लेकिन सुप्रिया ने अभिनय में आने की कभी नहीं सोची थी. वे तो एक डांस टीचर बनना चाहती थीं. पर मां के कहने पर उन्होंने एक नाटक में हिस्सा लिया और अपने अभिनय के लिए वाहवाही पाई. इस के बाद तो उन के अभिनय का सफर शुरू हुआ, जो फिल्म ‘कलयुग’ (1981) से ले कर आज तक यानी फिल्म ‘किस किस को प्यार करूं’ (2015) तक लगातार जारी रहा है. फिल्म ‘बाजार’ की दबीसहमी लड़की जो कंधे झुका कर चलती है, से ले कर फिल्म ‘विजेता’ की दबंग लड़की, जो पुरुषों के इस समाज में बराबरी से चलती है, तक के हर किरदार को बड़ी ही बेबाकी से फिल्मों में जीने वाली और बौलीवुड से ले कर छोटे परदे तक में अपनी अदाकारी का जलवा दिखा चुकीं सुप्रिया पाठक ने एक शो के दौरान अपनी अभिनय यात्रा और जिंदगी के कुछ खास लमहों को हमारे साथ बांटा. यहां पेश हैं, उस के कुछ खास अंश:

काफी लंबे समय के बाद आप छोटे परदे पर आई हैं. दूर रहने का कोई कारण?

यह सच है कि मैं काफी लंबे समय के बाद छोटे परदे पर आई हूं, पर इस के पीछे कोई खास कारण नहीं है. मैं मानती हूं कि डेली सोप यानी रोज आने वाले धारावाहिक को बिना वजह लंबा नहीं खींचना चाहिए. कई शो ऐसे भी हैं जो 7-8 सालों से लगातार चल रहे हैं. मुझे लगता है कि यह उन दर्शकों और कलाकारों के साथ अन्याय है जो इस शो का हिस्सा बने हैं. एक ही कैरेक्टर के रोल में 6-7 साल तक लगातार काम करने से कोई भी कलाकार अपनी वास्तविकता खोने लगता है और दर्शक ऊबने लगते हैं. मुझे उन शोज के लिए जिन को मैं कर रही थी, ऐसा लगने लगा कि ये ज्यादा खींचे जा रहे हैं, इसलिए उन से दूर हो गई. रही बात छोटे परदे की तो मैं उस से दूर नहीं रह सकती क्योंकि वही एक ऐसा माध्यम है जिस के द्वारा मैं अपनी बात कह सकती हूं. यह बहुत से लोगों को आप से जोड़ता है और इस में अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए फिल्मों की तुलना में अधिक स्पेस होता है.

आजकल के शो इतने लंबे समय तक क्यों खींचे जाते हैं ?

मैं तो खुद हैरान हूं यह सुन कर कि ‘बालिका वधू’ शो आज भी चल रहा है, इस के लिए उन दर्शकों के धैर्य को तो दाद देनी पड़ेगी जो इसे लगातार इतना प्यार दे रहे हैं. ऐसे शोज के निर्माता कहानी में थोड़ा फेरबदल कर के और कलाकार रिप्लेस कर के अपना शो लंबा खींचते रहते हैं क्योंकि उन्हें विज्ञापन मिलते रहते हैं. लेकिन उन्हें दर्शकों का भी तो ध्यान रखना चाहिए.

अगर आप के सामने छोटा परदा और बड़ा परदा दोनों के एकसाथ औफर आएं तो किसे प्राथमिकता देंगी?

चाहे फिल्म हो या टीवी शो मैं सिर्फ यह देखती हूं कि मेरा रोल कैसा है क्योंकि आज मैं उस मुकाम पर हूं जहां मेरे लिए छोटा या बड़ा परदा अहमियत नहीं रखता. अगर किसी टीवी शो की कहानी और किरदार मुझे पसंद आया तो मैं उस के लिए फिल्म छोड़ सकती हूं.

आज के नए कलाकारों में क्या लंबी रेस के घोड़े बनने जैसी बात पाती हैं?

आजकल जो भी लड़केलड़कियां इस लाइन में आ रहे हैं, वे निश्चित रूप से हार्डवर्किंग हैं, पर उन में काम के प्रति पैशन का अभाव है. उन्हें देख कर लगता है कि वे केवल स्टार बनने को आए हैं. उन का कैरियर शो के चलने पर निर्भर करता है. अगर शो चल गया तो वे स्टार बन जाते हैं और अगर नहीं चला तो दोबारा स्ट्रगल करते हैं. इन कलाकारों में काम के प्रति पैशन सिर्फ शो चलने तक ही रहता है. वे जल्दी से जल्दी पैसा कमाना चाहते हैं और इस के लिए छोटा परदा बड़ा अच्छा माध्यम है क्योंकि हमारे यहां टैलीवीजन को मनीमेकिंग मशीन माना जाता है. इन सभी कलाकारों में केवल एक शो हिट होने के बाद स्टार जैसा ऐटिट्यूड आ जाता है जो इन के भविष्य के लिए सही नहीं होता. ऐसा फिल्मों में नहीं है क्योंकि वहां हर शुक्रवार एक कलाकार जन्म लेता है एक कलाकार मरता है.

आप का कोई सपना बाकी है अभी ?

बहुत से सपने बाकी हैं अभी. कई कलाकारों के साथ काम करना है, तो मैं अभी यह भी सोचती हूं कि मेरा बैस्ट वर्क बाकी है. साथ ही कुछ ऐसा करने की दिली इच्छा है जिस से लोग मुझे याद रखें. वैसे मेरा सपना है कि मैं अपनी बेटी सना के साथ काम करूं. उस ने अभी हाल में ही में फिल्म ‘शानदार’ में शाहिद और पंकज के साथ काम किया है.

पहले की सुप्रिया में और आज की सुप्रिया में क्या फर्क आया है?

बहुत फर्क आया है. आज मैं पहले की अपेक्षा अधिक आत्मविश्वास से भरी हुई हूं और यह बदलाव पंकज से मिलने के बाद आया है. उस के पहले तो मैं ऐसी सुप्रिया पाठक थी जो हर बात से घबराती थी और जो कठिन लगे उस से दूर हो जाती थी. पर अब सब सरल लगता है. और एक बात जो पहले भी थी और आज भी है वह है ऐक्टिंग के प्रति मेरा पैशन. उस में आज भी कोई फर्क नहीं आया है. यही पैशन मैं अपनी बेटी में देखती हूं. मुझे अपनी मां की वे सभी बातें जो वे मुझ से कहती थीं बड़ी बुरी लगती थी. पर मां बनने के बाद वही सब बातें जब मैं अपनी बेटी से कहती हूं तो सोचती हूं कि मां सही कहा करती थीं.

परिवार का माहौल कैसा रहता है ?

आज भी हम सब यानी मैं, पंकज और दोनों बच्चे साथ में अगर मुंबई में हुए तो  दोपहर का और शाम का खाना साथ मिल कर खाते हैं. हमारे यहां मेरे बेटे को छोड़ कर सभी फिल्मों में सक्रिय हैं, तो अपनेअपने किरदारों के बारे में सभी एकदूसरे से डिस्कसन जरूर करते हैं. पर निर्णय सब का अपना होता है. पूरी फैमिली में कभी किसी ने अपनी बात एकदूसरे पर थोपी नहीं है.

ये दोस्ती कब तक चलेगी

‘बिग बौस’ के सैट पर अपनी फिल्म ‘दिलवाले’ का प्रमोशन करने पहुंचे शाहरुख का सलमान ने बांहें खोल कर स्वागत किया. आपस में गलबहियां डाले दोनों पूरे शो के दौरान अपनी पुरानी यादों को दोहराते रहे. पर आने वाले समय में यह दोस्ती इस तरह रह पाएगी कि नहीं पता नहीं, क्योंकि सलमान की फिल्म ‘सुलतान’ और शाहरुख की फिल्म ‘रईस’ का टकराव भी ‘बाजीराव मस्तानी’ और ‘दिलवाले’ फिल्मों जैसा ही होने वाला है. इस टकराव में शाहरुख की ‘दिलवाले’ को तो नुकसान ही हासिल हुआ. अब देखना यह है कि कहीं ‘रईस’ का भी यही हाल न हो, क्योंकि सल्लू भाई का जादू अभी भी इस कदर है कि कुछ दिन पहले आई उन की फिल्म ‘प्रेम रतन धन पायो’ भी 100 करोड़ी लिस्ट में शामिल हो गई थी.

 

सनी की वन नाइट स्टैंड

इस बार गरमी का मौसम कुछ ज्यादा ही हौट होगा. वैसे तो गरमी रहेगी ही, सिनेमाघरों के अंदर भी आप के पसीने छूटने वाले हैं, क्योंकि हौट बेबे सनी लियोनी ‘मस्तीजादे’ के बाद अपनी दूसरी फिल्म ‘वन नाइट स्टैंड’ लाने वाली हैं. अब फिल्म में सनी हैं तो यह निश्चित है कि इस में सैक्स का डबल तड़का जरूर होगा. निर्देशक जैसमीन डिसूजा की इस फिल्म में बीते दिनों की अदाकारा रति अग्निहोत्री के बेटे तनुज विरवानी भी हैं. अब देखना यह है कि पुरानी फिल्मों की तरह सनी की यह फिल्म भी केवल बोल्डनैस के लिए जानी जाएगी या कुछ ऐक्टिंग भी दर्शकों को देखने को मिलेगी.

 

घरघर फैलता जाति का जहर

अगर हम इस गलतफहमी में रहने लगें कि देश और समाज आधुनिक हो गया है और आज की पीढ़ी पुरातनवादी सोच से ऊपर उठ चुकी है तो अपने को सुधार लें.

अगर हैदराबाद का ओस्मानिया विश्वविद्यालय युवाओं का गढ़ है, तो जातिवादी गुटों का भी. वहां कम से कम 60 जातियों से जुड़ी युवा संस्थाएं हैं, जो एकदूसरे की कट्टर दुश्मन हैं और जातिवाद के जहरीले दलदल में पैट्रोल, तेल, गंद डाल कर खुद को धन्य समझ रही हैं. कभीकभार पिछड़ी यानी अदर बैकवर्ड कास्ट्स एक मंच पर एकसाथ बैठ कर कुछ करने की योजना बनाती हैं, जैसे हार्दिक पटेल के गुजरात के आंदोलन को समर्थन देने के लिए हुआ पर उन में हर जाति की अलग पहचान का मुद्दा उभर आया.

युवाओं को इन जाति समूहों से बहुत परेशानी होती है. पहली और सब से बड़ी परेशानी तो यह होती है कि ये समूह प्यार में आड़े आते हैं. आमतौर पर इन समूहों को एक जाति के जने का दूसरी जाति में प्यार नहीं सुहाता, क्योंकि अगर प्यार और विवाह हो गया तो जातिवाद की चूलें हिल जाएंगी और जाति के नाम पर चल रही दुकानें ठप्प हो जाएंगी. गांवों और शहरों में भी इस का असर पड़ता है. अब हमारे यहां ऐसे महल्ले बनने लगे हैं, जिन में एक ही जाति के लोग रहते हैं और जातिवाद को पनाह देने वाले पंडेपुजारी यहां जम कर कमाते हैं.

अब पिछड़ी और दलित जातियों में भी पंडेपुजारियों की बरात बन गई है, जो भक्तों से मोटा दान पाती है और वे केवल कट्टरों को चाहते हैं, क्योंकि इसी बहाने उन को हड़काया जा सकता है. ओस्मानिया विश्वविद्यालय में हाल ही में गौमांस खाने पर हल्ला मचा. जो गाएं सड़कों पर कचरा खाती हैं, उन को काटने पर लोग आदमी का सिर काटने को तैयार थे और जो कहते थे कि इसे खाने का हमें पुश्तैनी हक है, आपस में सिर फोड़ने को तैयार थे. यह तो सरकार की दखल थी जो मामले को दबा दिया गया वरना धर्म और जाति पर बंटा ओस्मानिया विश्वविद्यालय मारपीट की क्लासें लगाने लगता. ऐसा सारे देश में हो रहा है. हर स्कूल, कालेज, दफ्तर, महल्ला, कालोनी जातियों पर बंटी है. किट्टी पार्टियों में भी एक ही जाति की औरतें नजर आती हैं मानो हर जाति पर कोई मुहर लगी रहती हो और किसी जाति वालों के 4 हाथ हैं और किसी की 3 आंखें.

घरघर में जाति का जहर जोर पकड़ रहा है. यह भगवाधारियों की सफलता है पर आधुनिक सोच वाला घर भी एक समरस समाज नहीं बन रहा. देश एक मैल्टिंग पौट नहीं बना, इसे अफसोस ही कहेंगे.

और की चाहत बन गई आफत

पत्नी के किसी से संबंध बन जाएं तो पतिपत्नी के रिश्ते पर तो आंच आती ही है, एकाध का खून हो जाना भी संभव रहता है. दिल्ली में बिजली के ठेकेदार को मथुरा ले जा कर पति ने इसलिए मार डाला कि पत्नी के उस से तब संबंध बन गए जब वह ठेकेदार पतिपत्नी के घर में ही रहता था और दोनों साथ काम करते थे. पत्नी पर हक बहुत पुराना मामला है. राम ने सीता को वापस पाने के लिए जहां पूरा युद्ध लड़ा, वहीं पत्नी के अपमान का बदला लेने के लिए महाभारत का युद्ध चचेरे भाइयों में हुआ. शक पर बनी फिल्मों में ‘संगम’ अच्छेअच्छों को आज भी याद होगी, जिस में तीसरा खुद आत्महत्या कर लेता है. नानावटी का मामला महीनों सुर्खियों में रहा.

पत्नी पर इस तरह का हक कि वह अपनी मरजी से किसी और से शारीरिक संबंध न बना सके, आज और ज्यादा विवाद का कारण बन रहा है. इस बारे में कानून एकतरफा सा है. पत्नी से उस की मरजी से बने संबंध पर पति तीसरे पर फौजदारी का मुकदमा कर सकता है और यदि संबंध साबित हो जाए तो दूसरे आदमी को सजा भी हो सकती है. पर अगर पति का दूसरी किसी औरत से संबंध हो तो सजा न पति को दिलवाई जा सकती है, न सौतन को. कुछ वर्ष पहले सर्वोच्च न्यायालय ने पत्नियों के दूसरों से संबंध बनाने के हक पर उन के खिलाफ फैसला दिया था क्योंकि इस कानून से सजा पत्नी को नहीं, तीसरे पुरुष को ही मिलती है.

कानून चाहे आज भी पत्नी को पति की संपत्ति मानता हो पर सच यह है कि पति या पत्नी के किसी और से संबंध को तलाक की वजह तो माना जा सकता है पर न अपराध और न अपराध करने की छूट. यदि आज की औरत किसी से संबंध बनाती है तो वह सारी ऊंचनीच देख कर बनाती है. यह सामाजिक तौर पर भले गलत हो पर समाज के नाम पर पत्नी को एक औरत के सामान्य हकों से वंचित नहीं करा जा सकता. शारीरिक संबंध वैवाहिक संबंधों से अलग है. विवाह साथ रहने, साझा घर शेयर करने, एकदूसरे का खयाल रखने का वादा है, पर जब विवाह में खटास आ जाए और पति या पत्नी को किसी और की चाहत हो जाए तो इसे इस विवाह की कमजोर कड़ी माना जा सकता है. इस पर तलाक लिया जाए या नहीं, यह दोनों की अपनी मरजी है पर इस में पति, पत्नी या तीसरे के खून को सामाजिक हक या संभावना का नाम नहीं दिया जा सकता.

दिल्ली के इस मामले में पति उमेश ने पत्नी के साथ शारीरिक संबंध बनाने पर तपन को मार कर सजा दे दी पर अब क्या होगा? उमेश वर्षों जेल में रहेगा और पत्नी वर्षों तक उस दर्द को झेलती रहेगी कि उस के साथ न तो प्रेमी है और न ही पति. विवाह का क्या यही हक है कि इस कारण 3-3 जीवन खराब हो जाएं? यह पुरुषों की ही सोच नहीं है, औरतों की भी है. पतिपत्नी दोनों एकदूसरे पर अधिकार जमातेजमाते हदें पार कर लेते हैं. उन्हें जरा भी भूलचूक स्वीकार्य नहीं होती और बहुत मामलों में आपा खो दिया जाता है. यह सिर्फ हमारे यहां हो रहा हो ऐसा नहीं, यह दुनिया भर में होता है. आज जब औरतों का अपना वजूद बन रहा है, वे पति पर ही आशरित नहीं हैं, नई तरह की सोच विकसित करनी होगी. एक को लगता है कि दूसरा उसे धोखा दे रहा है तो तलाक का रास्ता खुला तो है, मारपीट पर क्यों उतारू हो जाए जिस में कुछ हाथ नहीं लगता.

मिठास न भर दे जीवन में खटास

एक टुकड़ा केक, 2 लड्डू, दिन में 4-5 कप चाय या कौफी, ठंडा पेय, बिस्कुट, हलवा, खीर और भी न जाने क्याक्या. इस तरह हम दिन भर में 1 कप चीनी खा जाते हैं. 1 कप यानी 770 कैलोरी. क्या आप भी औरों की तरह यह परवाह नहीं करतीं कि आप के शरीर को कितनी शकर की जरूरत है और कितनी आप खा रही हैं या फिर आप इतनी व्यस्त हैं कि इस के बारे में सोचनेसमझने की फुरसत ही नहीं है आप को?

स्वास्थ्य के लिहाज से क्या यह मिठास हमारे जीवन में कड़वाहट नहीं भरेगी? आइए जानते हैं कि ज्यादा मीठा हमें कितना नुकसान पहुंचाता है.

एक सर्वे के अनुसार अब हम पहले से कई गुना अधिक शकर का सेवन कर रहे हैं. यह शकर अधिक नुकसानदेह इसलिए भी है कि जिन स्रोतों से यह प्राप्त हो रही है वे प्राकृतिक न हो कर अप्राकृतिक हैं. इसीलिए यह फायदा कम नुकसान ज्यादा करती है. जितनी शकर हम खाते हैं, उस का केवल एकचौथाई ही प्राकृतिक स्रोतों-फलों, सब्जियों और डेयरी उत्पादों से प्राप्त होता है. बाकी तीनचौथाई खाद्यपदार्थों को सुस्वाद बनाने के लिए उपयोग की गई कृत्रिम चीनी के रूप में लेते हैं. जैसे ठंडे पेय, आइसक्रीम, बिस्कुट, केक, मिठाई आदि.

दांतों में सड़न

दांतों की सड़न की जिम्मेदार चीनी ही होती है, क्योंकि दांतों के कीटाणु मीठे पर ही आश्रित होते हैं. ये कीटाणु ऐसा ऐसिड छोड़ते हैं, जिस से दांतों में कीड़ा लग जाता है व दांत खोखले हो जाते हैं. लेकिन दांतों के संक्रमण के लिए केवल मीठी चीजें ही दोषी नहीं होती हैं. कोई भी कार्बोहाइड्रेट रोटी या अन्य खाद्यपदार्थ भी उतना ही नुकसान पहुंचाते हैं जितना चीनी. चिपकने वाली मिठाई के सेवन से बचना चाहिए. धीरेधीरे घुलने वाली गोलियां, टौफियां, जो दांतों के बीच फंस जाती हैं, से भी परहेज करना ही ठीक है. सोने से पहले नियमित ब्रश करने से इस नुकसान से बचा जा सकता है.

जो मधुमेह के रोगी नहीं हैं, उन्हें चीनी खाने से मधुमेह रोग नहीं होता है. पहले डाक्टरों का सोचना था कि अगर मधुमेह का रोगी चीनी का सेवन करेगा, तो उस के खून में ग्लूकोज की मात्रा पर वही प्रभाव पड़ेगा, जो रोटीचावल या आलू खाने से पड़ता है. मगर अमेरिकन मधुमेह ऐसोसिएशन मधुमेह के रोगियों को नियंत्रित रूप से चीनी सेवन की छूट देती है. वह आश्वस्त करती है कि सामान्य व्यक्ति चीनी के सेवन से मधुमेह का रोगी नहीं हो सकता.

केवल चीनी को दोषी ठहराना ठीक नहीं

योनि, आंतों व खून में बनने वाला फेन शकर से ही बनता है. लेकिन जरूरत से ज्यादा चीनी के सेवन से यह नियंत्रण के बाहर हो जाता है. नतीजा, मोटापा व योनि क्षेत्र में खुजली व संक्रमण हो जाता है. ध्यान रहे, चीनी से आंतों या योनि में तब तक संक्रमण नहीं हो सकता जब तक आप को स्वास्थ्य संबंधी कोई और व्याधि न हो.

शकर से हृदयरोग भी नहीं होता

आवश्यक मात्रा में शकर लेने से हृदयरोग नहीं होता है. हां, अधिक कैलोरी व कार्बोहाइड्रेट्स वाला आहार लेने से वजन बढ़ता है, जिस से हृदयरोग का खतरा बढ़ जाता है. कोई भी शोध आज तक यह प्रमाणित नहीं कर पाया है कि चीनी खाने से बच्चों में कोई मानसिक विकृति होती है.

जरूरत से ज्यादा चीनी लेने के खतरे

जरूरत से ज्यादा चीनी के सेवन से वजन बढ़ सकता है क्योंकि चीनी में कैलोरी की मात्रा बहुत अधिक होती है. इस से भी ज्यादा खतरे की बात यह है कि अधिक मीठे खाद्यपदार्थों में फैट अधिक होता है, जिस से कैलोरी और बढ़ जाती है. चीनी में न तो कोई विटामिन या खनिज गुण है और न ही पोषक तत्त्व. सिर्फ ऊर्जा व शक्ति मिलती है, वह भी 1 ग्राम चीनी में 4 कैलोरी की दर से. इस तरह अधिक मिठाई, ठंडे पेय, बिस्कुट और केक लेने से आहार का संतुलन बिगड़ जाता है और उस की पौष्टिकता खत्म हो जाती है.

अत्यधिक चीनी का सेवन लत न बन जाए

जिन्हें मीठा खाने की आदत होती है धीरेधीरे वे मीठे के इतने आदी हो जाते हैं कि कम मीठी कोई भी चीज उन्हें संतुष्ट नहीं कर पाती है. मीठा उन की कमजोरी बन जाता है. थोड़ा खाने से तसल्ली नहीं होती और खाने की हमेशा इच्छा बनी रहती है.

चीनी के विकल्प कृत्रिम स्वीटनर्स

कृत्रिम स्वीटनर्स चीनी जितने नुकसानदेह नहीं होते. शोधकर्ताओं का यह भी मानना है कि स्वीटनर्स के उपयोग से कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है. लेकिन यह खतरा भी उन के लिए है, जो बहुत अधिक मात्रा में कृत्रिम स्वीटनर्स का प्रयोग करते हैं. कभीकभार उपयोग करने से कोई नुकसान नहीं होता है. ज्यादातर लोग वजन कम करने के लिए कृत्रिम स्वीटनर्स का प्रयोग करते हैं, लेकिन अभी तक यह प्रमाणित नहीं हो पाया है कि चीनी के विकल्प वजन नियंत्रण में सहायक होते हैं. शारीरिक विकास के लिए चीनी आवश्यक तत्त्व है, फिर चाहे वह फलोंसब्जियों या डेयरी उत्पादों से प्राकृतिक रूप से प्राप्त हो अथवा हलवा, खीर या मिठाई से.

चीनी का कितनी मात्रा में सेवन करें

अगर युवा हैं, पूर्णतया स्वस्थ हैं, नियमित रूप से दांत साफ करते हैं, तो कितनी मात्रा में चीनी बिना किसी जोखिम के ले सकते हैं? यह प्रश्न सभी के दिमाग में उठता है. हालांकि ऐसा कोई सर्वसम्मत आधार नहीं है, फिर भी विशेषज्ञों के अनुसार प्रतिदिन 1,600 कैलोरी युक्त आहार लेने वाले व्यक्ति को  24 ग्राम से अधिक अतिरिक्त चीनी नहीं लेनी चाहिए. अतिरिक्त चीनी का मतलब यह कि फलों सब्जियों और डेयरी उत्पादों में प्राकृतिक रूप से पाई जाने वाली शकर की मात्रा के अलावा चीनी. प्रतिदिन 2,200 कैलोरी युक्त आहार लेने वाला व्यक्ति 48 ग्राम तक अतिरिक्त चीनी ले सकता है.

एक अन्य मत यह है  कि आहार की कुल कैलोरी का 25% शकर ली जा सकती है. लेकिन इस 25% में अतिरिक्त चीनी की मात्रा आधी से कम होनी चाहिए. इस के अनुसार 1,600 कैलोरी का आहार लेने वाला व्यक्ति 48 ग्राम व 2,200 कैलोरी वाला 66 ग्राम ले सकता है. इस मत का यह भी कहना है कि मीठी चीजें अधिक फैट वाली नहीं होनी चाहिए और उन में कार्बोहाइड्रेट्स की मात्रा भी अधिक नहीं होनी चाहिए. इतनी मात्रा में चीनी लेने वालों को बहुत मीठे व अधिक फैट वाले खाद्यपदार्थों से दूर ही रहना चाहिए.

कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि कम से कम व अधिक से अधिक कितनी मात्रा में शकर का सेवन इनसान के लिए हितकर होगा, यह दावे के साथ कहना कठिन है, क्योंकि यह उस के संपूर्ण आहार और दिनचर्या पर निर्भर करता है यानी वह दिन भर में कितनी भागदौड़ करता है.

ज्योति प्रकाश खरे

सौंदर्य समस्याएं

मैं विवाहित महिला हूं. मेरी समस्या मेरे चेहरे पर हो रहे फ्रैकल्स को ले कर है. इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए मैं ने अनेक उपाय किए, पर कोई फायदा नहीं हुआ. मैं जब भी शीशे में चेहरा देखती हूं तो मुझे वह बहुत बुरा लगता है. मैं बहुत परेशान हूं.

फ्रैकल्स फ्लैट, राउंड अलगअलग आकार के ब्राउन रंग के दाग होते हैं, जो चेहरे के साथसाथ शरीर के अन्य अंगों पर भी हो सकते हैं. इन के होने के कई कारण हो सकते हैं जैसे सूर्य की किरणों के अधिक संपर्क में आना, जेनेटिक हारमोनल असंतुलन भी फ्रैकल्स का कारण हो सकता है. अत: आप सब से पहले अपने फैमिली डाक्टर से संपर्क करें ताकि कारणों को जान कर सही उपचार किया जा सके. इस के अलावा घरेलू उपाय के तौर पर आप नीबू के रस को चेहरे पर लगा कर हलके हाथों से चेहरे की मसाज करें. फिर 10-15 मिनट के बाद कुनकुने पानी से चेहरे को धो लें. ऐसा दिन में 2 बार करें. नीबू में त्वचा के रंग को हलका करने का गुण होता है, इसलिए इस से फ्रैकल्स का रंग हलका होने में मदद मिलेगी. इस के अलावा पपीते के रस व छाछ को मिला कर चेहरे पर लगा सकती हैं. जरूर आराम मिलेगा.

मेरी समस्या मेरे टूटते और कमजोर नाखून हैं. मेरे नाखून बड़े होने से पहले ही टूट जाते हैं. मैं चाहती हूं कि मेरे नाखून भी दूसरों के नाखूनों की तरह सुंदर हों.

नाखूनों के कमजोर होने व टूटने का मुख्य कारण कैल्सियम की कमी, लंबे समय तक नेलपौलिश व नेलपौलिश रिमूवर का प्रयोग और नाखूनों का पानी के अधिक संपर्क में रहना है. इन के अलावा थायराइड, फंगल इन्फैक्शन, ऐग्जिमा व ऐनीमिया के कारण भी नाखून कमजोर हो जाते हैं. अत: उन्हें मजबूत व चमकदार बनाने के लिए आप घरेलू उपाय के तौर पर नारियल तेल का प्रयोग कर सकती हैं. इस में मौजूद सैचुरेटेड फैट नाखूनों के लिए मौइश्चराइजर का काम करता है. कुनकुने नारियल तेल को प्रत्येक नाखून पर लगा कर 5 मिनट तक मसाज करें. ऐसा दिन में 2-3 बार करें. इस के अलावा आप कुनकुने नारियल तेल में थोड़ा सा नीबू का रस मिला कर अपने नाखूनों को 10 मिनट तक उस में डुबोएं. ऐसा आप सोने से 10 मिनट पहले करें और अच्छे परिणाम के लिए बाद में हाथों में दस्ताने पहन लें. इसी तरह आप नाखूनों को मजबूत बनाने के लिए विटामिन ई औयल व औलिव औयल का भी प्रयोग कर सकती हैं.

मैं अपने फटे होंठों को ले कर बहुत परेशान रहती हूं. यह समस्या सर्दियों में अधिक होती है. साथ ही सर्दियों में मेरे हाथों व चेहरे की त्वचा भी काली हो जाती है. मैं क्या करूं?

रूखे व फटे होंठ न केवल अनाकर्षक दिखते हैं, बल्कि तकलीफ भी देते हैं. इस के कारण ऐलर्जी, शरीर में पानी की कमी, ठंडी हवा, विटामिन की कमी आदि होते हैं. फटे होंठों को नर्म व मुलायम बनाने के लिए आप 1 छोटे चम्मच गुलाबजल में 1 छोटा चम्मच शहद मिलाएं और इस मिश्रण को 15 मिनट तक होंठों पर लगाए रखें. सूखने के बाद पानी से धो लें. ऐसा रोज करें. इस के अलावा आप 1 छोटा चम्मच मलाई या दूध में 3 बूंदें नीबू के रस की मिलाएं व उसे 1 घंटे तक फ्रिज में रख दें. फिर इस मिश्रण को रात को सोने से पहले होंठों व होंठों के चारों तरफ लगाएं. जल्द ही आप को आराम महसूस होगा.

इस के अलावा जहां तक सर्दियों में त्वचा के काला होने की बात है तो ठंडी हवाएं, सर्दियों में पानी कम पीना, हीटर के सामने बैठना आदि इस के कारण होते हैं. अत: सर्दियों में त्वचा की रंगत को निखारने के लिए त्वचा पर ऐलोवेरा जैल का प्रयोग करें. यह बेहतरीन मौइश्चराइजर का काम करता है. आप चाहें तो कच्चे दूध में बादाम पीस कर उस पेस्ट को भी चेहरे पर लगा सकती हैं. इस पेस्ट में नीबू का रस और बेसन भी मिला सकती हैं.

मेरी बेटी 10 साल की है. उस के ऊपरी होंठ पर बहुत बाल हैं, जिस से होंठ का ऊपर का हिस्सा बहुत काला दिखता है. कृपया इन बालों को हटाने का कोई घरेलू उपाय बताएं?

आप 1 बड़ा चम्मच हलदी व 1 बड़ा चम्मच दूध को एक कटोरी में अच्छी तरह मिला कर उंगलियों की सहायता से बेटी के ऊपरी होंठ पर लगाएं. फिर सूखने दें. सूखने के बाद रगड़ कर पेस्ट को हटाएं और ठंडे पानी से धो दें. ऐसा करने से बाल तो हटेंगे ही त्वचा की रंगत में भी निखार आएगा. इस के अलावा आप थोड़े से पानी में हलदी व बेसन मिला कर उस में थोड़ी सी ताजा क्रीम मिलाएं और फिर उसे ऊपर के होंठ पर सूखने तक लगाए रखें. सूखने के बाद बालों के उगने की विपरीत दिशा में स्क्रब करें. इस से धीरेधीरे बाल कम हो जाएंगे.

मैं 41 वर्षीय महिला हूं. मैं अपने माथे और आंखों के आसपास गहरे दागों व ढीली त्वचा से परेशान हूं. समस्या के समाधान का कोई उपाय बताएं?

चेहरे पर दाग मुंहासों या पिगमैंटेशन के कारण होते हैं. इन से बचने के लिए शुरू से ही यानी जब दाग बनने लगें तभी उपचार कराएं. त्वचा की रोज क्लींजिंग करें. इस से त्वचा के औयलीपन व ब्लैकहैड्स से छुटकारा मिलता है. सूर्य की किरणों से त्वचा को बचाएं. इस के अलावा साफ कपड़े में आइसक्यूब्स डाल कर दागों पर 5 मिनट रखा रखें. आप चाहें तो शहद, नीबू का रस व हलदी का पेस्ट बना कर भी दागों पर लगा सकती हैं.

जहां तक त्वचा के ढीली होने की समस्या है तो रोज चेहरे पर गुलाबजल का प्रयोग करें. यह एक प्राकृतिक ऐस्ट्रिंजैंट व टोनर है, जो त्वचा में कसाव लाता है. शहद में ऐंटीऔक्सिडैंट प्रौपर्टी होती है. इस में कुछ बूंदें नीबू रस मिला कर चेहरे पर लगाएं और फिर सूखने पर कुनकुने पानी से धो लें. आप को यकीनन फायदा होगा.    

– समाधान दिल्ली प्रैस में आयोजित फेब मीटिंग में लिए गए.

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