शराब : लत है यह गलत

दुनिया भर में करीब 10% लोग शराब की आदत या अलकोहलिज्म नामक बीमारी से ग्रस्त हैं. इन के शरीर में ऐसा रसायन विकसित हो जाता है, जिस की वजह से एक बार शराब पीने के बाद बारबार पीना इन की मजबूरी बन जाता है. इस रसायन का नाम है- ‘टैट्राहाइड्रोआइसोक्यूनालिन.’ कभीकभी व्यक्ति ऐंजौय करने के लिए या फिर गम में डूब कर शराब को गले लगाता है, तो कुछ शराब पीने को स्टेटस सिंबल मानते हैं. वजह जो भी हो, यह शौक कब लत और कब आफत बन जाए, कोई नहीं जानता.

पिछले दिनों मुंबई में एक युवती ने शराब पी कर सड़क पर खूब हंगामा किया. 15 जून आधी रात के वक्त एक युवती को शराब के नशे में ड्राइविंग करते देख कर पुलिस ने ‘ब्रीथ ऐनालाइजर टैस्ट’ के लिए उसे रोकना चाहा, तो पहले तो उस ने बच निकलने का प्रयास किया, मगर सफल न हो पाने पर स्वयं को कार में बंद कर लिया. शिवाजी बाली नामक इस युवती ने खास सीन तब क्रिएट किया जब वह 2 घंटे तक कार से बाहर नहीं निकली. अंदर बैठी सिगरेट पीती हुई ऊंची आवाज में गाने सुनती रही. इतना ही नहीं, उस ने पुलिस और मीडिया कर्मियों पर आपत्तिजनक कमैंट्स करते हुए नतीजे के लिए तैयार रहने की भी चेतावनी दे डाली. बाद में पुलिस ने कार का शीशा तोड़ कर उसे बाहर निकाला.

उस वक्त तक कार में खूब धुआं जमा हो चुका था. यदि पुलिस ने उसे निकाला न होता तो दम घुटने से उस की मौत भी हो सकती थी. पुलिस ने उस युवती के खिलाफ सैक्शन 185 (मोटर व्हीकल ऐक्ट) और सैक्शन 110 (बांबे पुलिस ऐक्ट) के अंतर्गत केस दर्ज किया. बाद में क्व2000 जुर्माना ले कर छोड़ दिया गया. इस से 5-7 दिन पहले 35 वर्ष की कारपोरेट वकील, जाह्नवी गडकर ने भी शराब के नशे में एक टैक्सी को टक्कर मार कर 2 लोगों को मार दिया.

नशा कर इस तरह की घटनाओं को अंजाम देना आजकल आम बात हो गई है. शराब में जो नशा पैदा करने वाली चीज है, उसे अलकोहल या इथेनौल कहते हैं. इस की मात्रा से ही तय होता है कि शराब में कितना नशा है. नशा व्यक्ति की सोचनेसमझने की शक्ति छीन लेता है. शराब पी कर व्यक्ति को सहीगलत में फर्क की समझ नहीं रहती है यानी शराब एक तरह से इनसान के दिमाग को ब्लौक कर देती है. बदलते जीवनमूल्य और तनाव के इस माहौल में युवतियां भी शराब पीने में पीछे नहीं रही हैं.

असर महिलाओं पर अधिक

शराब का असर पुरुषों के मुकाबले महिलाओं पर ज्यादा स्ट्रौंग नजर आता है. अध्ययन बताते हैं कि महिलाएं, जिन्हें शराब पीने की आदत है उन में आत्महत्या, ऐक्सीडैंट और दूसरी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं की वजह से मृत्युदर पुरुषों के मुकाबले दोगुनी पाई जाती है. महिलाओं के शरीर में शराब उस तेजी से प्रोसैस नहीं कर पाती जितनी तेजी से पुरुषों के शरीर में करती है. महिलाओं का शरीर शराब की ज्यादा मात्रा अवशोषित करता है, मगर इसे तोड़ कर बाहर निकालने में समय ज्यादा लगता है, क्योंकि इन के शरीर में पानी की मात्रा पुरुषों की तुलना में कम होती है, जबकि शराब पानी में ही डिफ्यूज हो कर बाहर निकलती है. यही वजह है कि समान वजन वाले पुरुष और स्त्री यदि समान मात्रा में शराब पीएं तो महिलाओं के ब्लड में शराब की ज्यादा मात्रा पाई जाती है. डा. संदीप गोविल (सरोज सुपर स्पैशयलिटी हौस्पिटल) कहते हैं कि अगर किसी व्यक्ति में निम्न लक्षण नजर आएं तो उसे शराब की लत हो सकती है:

घबराहट, बेचैनी, चिड़चिड़ापन.

तबात पर गुस्सा आना.

तनाव एवं मानसिक थकावट.

तेज सिरदर्द.

पसीना आना खासकर हथेलियों और तलवों में.

जी मिचलाना, भूख कम लगना.

शरीर में ऐंठन होना.

निर्णय लेने में कठिनाई.

याददाश्त कम होना.

नींद न आना.

सेवन से महिलाएं 2 तरह से प्रभावित होती हैं:

पहली ऐक्टिव यानी बायोलौजिकल: जब वे स्वयं इस का सेवन करती हैं और दूसरी पैसिव यानी मैंटली और फिजिकली. जब वे स्वयं नहीं पीतीं, मगर पति/बौयफ्रैंड/पिता/भाई या किसी और पुरुष के पीने की वजह से प्रभावित होती हैं. ऐक्टिव रूप में महिलाएं भावनात्मक वजहों से शराब पीने लगती हैं. इन वजहों में कुछ भी हो सकता है जैसे प्यार में धोखा, पति द्वारा मारपीट, बेवफाई, अलगाव, घर में कलह वगैरह या फिर सोशल स्टेटस और पीयर ग्रुप का दबाव वजह बन सकता है. कुछ महिलाएं तनाव दूर करने के लिए शराब का सहारा लेती हैं, तो कुछ पैसों के शोऔफ के लिए. वजह जो भी हो, शराब पीने का उन पर स्वास्थ्य संबंधी काफी बुरा प्रभाव पड़ता है.

डा. एस.के. मुद्रा (सीनियर कंसलटैंट, इंटरनल मैडिसिन) के मुताबिक, अत्यधिक शराब का सेवन करने से गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं जैसे लिवर डिजीज, कैंसर, पैप्टिक अल्सर के साथसाथ दूसरे कई गंभीर रोग होने की भी आशंका बढ़ जाती है. हृदयरोग और शराब: नियमित या अत्यधिक बहुत ज्यादा मात्रा में शराब का सेवन हृदय को नुकसान पहुंचा सकता है. इस कारण हृदय की मांसपेशियों का रोग जिसे कार्डियोमायोपैथी कहते हैं, हो जाता है. अधिक मात्रा में शराब पीने से हृदय की धड़कनें अनियमित हो जाती हैं, जिसे अर्राइथमियास कहते हैं. 

डा. मुद्रा कहते हैं कि शराब को शरीर में स्टोर भी नहीं किया जा सकता, इसलिए शरीर इसे मैटोबोलाइज करने के लिए अधिक तेजी से कार्य करता है और इस प्रक्रिया में शरीर में संग्रहीत बहुत सारे विटामिनों व मिनरलों का उपयोग हो जाता है, जिस कारण पोषक तत्त्वों की अत्यधिक कमी हो जाती है. विटामिन बी कौंप्लैक्स की कमी के कारण ऐंग्जाइटी, डिप्रैशन, हृदय और तंत्रिकाओं से संबंधित समस्याएं हो जाती हैं. पोटैशियम व मैग्नीशियम की कमी के कारण थकान, कमजोरी, भूख न लगना आदि समस्याएं हो जाती हैं.’’ शराब और प्रैगनैंसी: शराब की वजह से एक महिला की प्रैगनैंट होने की क्षमता भी प्रभावित होती है. प्रैगनैंसी के दौरान शराब का सेवन उस की संतान को भी नुकसान पहुंचा सकता है.

शराब और कैंसर: जो महिलाएं शराब का सेवन करती हैं, उन्हें ब्रैस्ट कैंसर, हैड व नैक कैंसर होने का खतरा ज्यादा रहता है. हाल के ताजा अध्ययन (जर्नल औफ द अमेरिकन मैडिकल ऐसोसिएशन में प्रकाशित) के मुताबिक 1 सप्ताह में 3 से 6 बार शराब का सेवन ब्रैस्ट कैंसर के खतरे को 15% तक बढ़ा देता है. जो महिलाएं शराब के नशे में रहती हैं, उन के सैक्सुअल असौल्ट का खतरा बढ़ जाता है, साथ ही पर्सनल इंजरी की भी संभावना बढ़ जाती है. डिप्रैशन की भी संभावना बढ़ जाती है. 

क्रिमिनल साइकोलौजिस्ट और समाजसुधारिका, अनुजा कपर कहती हैं, ‘‘पैसिव रूप में यानी जब महिलाएं स्वयं शराब नहीं पी रही होतीं तब भी किसी और के पीने का खमियाजा उन्हें भुगतना पड़ सकता है. कई दफा जब पति शराबी हो तो वह घर आ कर पत्नी के साथ मारपीट करता है, रुपएपैसे छीन लेता है, गहने बेच देता है, यहां तक कि अपनी सारी सैलरी भी शराब में लुटा आता है. घर में इस वजह से काफी तनाव पैदा होता है और इस सब का नतीजा औरत को ही भुगतना पड़ता है. यदि औरत कमा रही होती है, तो भी शराबी पति/पिता पैसे छीनने में गुरेज नहीं करते और न देने की स्थिति में हिंसा पर उतारू हो जाते हैं.

‘‘शराब पी कर पति की तबीयत खराब हो, वह ऐक्सीडैंट कर बैठे या फिर दूसरी औरत के चक्कर में पड़ जाए, हर तरह से पिसती औरत ही है. यही नहीं, महिलाओं का सैक्सुअल ऐब्यूज करने वाले भी आमतौर शराबी ही होते हैं. शराब इनसान के सोचनेसमझने की शक्ति को कुंद कर देती है, उसे जानवर बना देती है. शराब इनसान की धनदौलत, उस का वक्त, कैरियर सब कुछ तबाह कर देती है. यह सिर्फ पीने वाले को ही नहीं, उस के संपर्क में आने वाले को भी बुरी तरह प्रभावित करती है. ‘‘शराब पी कर दूसरों के साथ मारपीट करने, अपना आपा खोने से बेहतर है कि शराब पी ही न जाए. ‘‘जरुरी है कि हम जिम्मेदार इनसान बनें, अपने हक के साथसाथ दायित्वों के प्रति भी. हमें यह ज्ञान रहना चाहिए कि हम जो कर रहे हैं, उस का हमारे साथसाथ समाज पर क्या प्रभाव पड़ेगा? समाज हम से बना है और हमारा दायित्व गंदगी फैलाना नहीं वरन उसे साफ करना है. जब तक हम सचेत नहीं होंगे, दूसरे कुछ नहीं कर सकते. ‘‘शराब पी कर कभी ड्राइविंग का प्रयास न करें. लाखों लोग रोज रोड ऐक्सीडैंट में मारे जाते हैं. आप को यह जान कर आश्चर्य होगा कि मरने वालों में ज्यादा संख्या उन लोगों की होती है, जो शराब पी कर ड्राइव कर रहे होते हैं.’’

अलग रह लो पर तलाक न लो

सुप्रीम कोर्ट ने एक निर्णय में कहा है कि तलाक या अलगाव के बाद भी औरत का स्त्रीधन का पूरा अधिकार बना रहता है. जो उपहार औरत को पत्नी बनने से पहले या बाद में मिलते हैं वे स्त्रीधन कहलाते हैं और पति की आय व संपत्ति से अलग होते हैं चाहे वे पति या पति के घर वालों ने ही क्यों न दिए हों. यह निर्णय वैसे तो कानून में कोई नई बात नहीं जोड़ता पर पहले के कानून की पुष्टि जरूर करता है. तलाक या अलगाव अपनेआप में एक दर्दनाक प्रक्रिया है और जिन हालात में एक औरत इसे स्वीकारती है, उस की कल्पना पुरुष नहीं कर सकते. यह एक तरह से अनाथ हो जाने के बराबर है जब एक औरत का न मायका रह जाता है, जहां से वह विदा हो चुकी होती है न ससुराल रह जाती है, जहां से वह निकाली जा चुकी होती है. ऐसी स्थिति में उसे जो भी पैसा मिल जाए वह उसे कम से कम भटकने और भूखों मरने से तो बचाता है. हो सकता है तलाक औरत की गलती से हुआ हो पर दर्द तो रहता ही है. आप का हाथ भूकंप में कटे या गुस्से में आप उस पर छुरी चला दें, दर्द में फर्क नहीं होगा. तलाक के लिए जिम्मेदार कोई भी हो, यह प्रक्रिया एक दुखद हिस्सा है और उस में औरतों को जो मिल जाए वह अच्छा है, क्योंकि आज भी एक अकेले आदमी को समाज सहज स्वीकार कर लेता है पर एक औरत को पगपग पर मुसीबतों का सामना करना पड़ता है.

स्त्रीधन पर औरतों का हक सदा बना रहता है. पति दिवालिया हो जाए या पत्नी भी अपने व्यवसाय में नुकसान कर बैठे, लेनदार स्त्रीधन को नहीं छू सकते. इस दृष्टि से इस सुरक्षित धन को पति के साथ रहने वाली या अलग चली जाने वाली औरत को अपने सीने से चिपका कर रखना चाहिए, क्योंकि यह जीवन के लिए अति आवश्यक है और जब पिता या पति दोनों का सहारा न हो तो इसे संबल मानना चाहिए और इस में से खर्च कम से कम करना चाहिए. तलाकों के बढ़ते मामलों को देखते हुए जोड़ों को यह जरूर सोचना चाहिए कि तलाक के बाद क्या होगा? यदि दोनों में से एक ने भी किसी और को पसंद कर रखा है तो ही तलाक का रास्ता अपनाना चाहिए वरना मतभेदों पर अलग रह लो पर तलाक बिलकुल न लो. पति से झगड़ा है, तो अलग मकान ले लो, मायके चले जाओ पर तलाक जैसा सारे संबंधों को समाप्त करने वाला रास्ता न अपनाओ, क्योंकि इस से कानूनी स्तर भी बदलता है और आर्थिक समस्याएं भी आ खड़ी होती हैं. एक छत के नीचे दुश्मनों की तरह रहने में दिक्कत है तो भी अदालतों के काले बरामदों में न जाओ, क्योेंकि वहां के स्याह अंधेरे में जिंदगी गुमनाम सी हो जाती है.

बारिश भी बन गई लुटेरी

सुनामी और भूकंप तो वैसे ही बदनाम थे अब बारिश भी रिमझिम न रह कर लुटेरी बन गई. जिन सावन के झोंकों का बेसब्री से इंतजार करा जाता था, उन्होंने तमिलनाडु में कहर ढा कर 80 लाख की आबादी वाले शहर चेन्नई को वर्षों के लिए गहरा घाव दे दिया है. बारिश की वजह से लगभग पूरा शहर एक विशाल स्विमिंग पूल बन गया और दशकों से बसीं गृहस्थियां एकदम भूख के कगार पर आ गईं. 2 सप्ताह की बारिश और शहर के साथ मखौल उड़ाने की सजा इस पुराने शहर को मिली है और कितने साल लगेंगे इस का हरजाना पूरा करने में कुछ कहा नहीं जा सकता. गनीमत यही है कि मकान यहां अमेरिका की तरह कच्चे नहीं थे और सिवा निचली मंजिलों वाले या झोंपडि़यों के मकानों के मकान के ऊपरी हिस्सों में जा कर जानें बच गईं पर तिनकातिनका जोड़ कर बनाया गया सारा सामान नष्ट हो गया.

कहने को तो दफ्तरों में पानी घुसा, बैंकों में घुसा, हवाईअड्डे पर खड़े हवाईजहाजों में घुसा, गाडि़यां डूबीं, बेसमैंट के लौकर, दुकानें, गोदाम डूबे पर जो दर्द एक गृहिणी को अपनी शादी की कांजीवरम की साड़ी के भीग कर नष्ट हो जाने का होता है, उसे बयां नहीं करा जा सकता. ब्लेम गेम में कहा जा रहा है कि गलती तो यह है कि प्लेटनुमा इलाकों में जहां से पानी की निकासी कभी नहीं हो सकती, वहां मकान बनने ही नहीं चाहिए पर जब शहरी जमीन की जरूरत हो तो चाहे जो हो, जोखिम वाले मकान बनाए ही जाएंगे और लोग रहेंगे भी. लोग बाढ़ वाली नदियों के किनारे भी मकान बनाते हैं और पहाड़ों पर भी, जहां बर्फ जमी रहती है. तमिलनाडु की सरकार देश की अन्य सरकारों की तरह है, जो 10-15 साल की नहीं, आज की सोचती है. वह भी आज की मुसीबतों से इतनी घिरी रहती है कि 10-15 साल बाद क्या होगा या सुनामी, भूकंप, बाढ़ अथवा बारिश में क्या होगा, यह सोचने की फुरसत ही नहीं मिलती. जब देश की राजधानी दिल्ली को बढ़ते प्रदूषण और जहरीली होती हवा पर सोचने की फुरसत नहीं तो चेन्नई के पोएस गार्डन यानी जयललिता के घर से क्यों कोई उम्मीद की जाए? फिलहाल तो यही हो सकता है कि यदि आप के रिश्तेदार व दोस्त तमिलनाडु में हैं, तो उन की कुछ सहायता करें. छोटे बच्चे हों तो उन्हें अपने पास बुला लें और रख सकें तो 8-10 दिन रखें. कुछ नएपुराने कपड़े,९९ अन्य सामान अपने परिचितों को दें. कुछ आर्थिक सहायता करें.

समाजसेवी संस्थाओं को पैसा या सामान दान करने की होड़ में शामिल न हों, क्योंकि वह बेकार जाता है. वह जमा तो हो जाता है पर कौन ले जाएगा और कैसे बंटेगा, इस का इंतजाम नहीं हो सकता. इसलिए जो दें निजी तौर पर अपने रिश्तेदारों या परिचितों को दें. आफत में हाथ बढ़ाएं पर यह न सोचें कि श्राद्ध की तरह अपने सामने बैठे पंडित को मृत पूर्वजों के लिए दिए खाने की तरह आप के द्वारा दिया सामान दक्षिण पहुंच जाएगा.

धर्म की देन है आतंकवाद

6 महीने की बेटी के युवा मांबाप निहत्थे निर्दोषों की जान लेने पर उतारू हो जाएं यह सुनने में जमता नहीं पर ऐसा हुआ जब 2 मुसलिम पाकिस्तानी मूल के युवाओं ने अमेरिका के कैलिफोर्निया राज्य के छोटे शहर सैन बर्नारडिनो में एक क्रिसमस पार्टी पर हमला कर 14 लोगों को भून डाला और 17 अन्य घायल हो गए. एक आम दंपती की तरह रह रहे इस युगल ने कई राइफलें, पाइपबम और सामान्य बम जमा कर रखे थे मानो वे पाकिस्तान के स्वात जिले में हों, अमेरिका में नहीं. अमेरिका में इस तरह की घटनाएं रोज होने लगी हैं, क्योंकि वहां हरेक के पास बंदूक का हक है और हरेक बेहद तनाव में जी रहा है. अमेरिका की आर्थिक प्रगति ने कुछ में इतना असंतोष पैदा कर दिया है कि जिस की मरजी होती है वह 4-5 बंदूकें खरीद कर अपना गुस्सा कभी स्कूली बच्चों पर, कभी बाजार में खरीदारी करते लोगों पर उतारता है, तो कभी वहां जहां मानसिक अक्षम लोग क्रिसमस पार्टी कर रहे थे गोलियां बरसा देता है. यह युगल तो इसलामी था पर अमेरिका में ज्यादातर हत्याएं गोरे ही कर रहे हैं, जो सिर्फ इसलिए खूनखराबा करते हैं कि वे तनाव में रहते हैं और वहां हथियार भी आसानी से उपलब्ध हैं.

पिछले 20 सालों में इन हत्याओं में अमेरिका में इतने लोग मारे गए हैं जितने अमेरिका के दूसरों के साथ युद्धों में नहीं मारे गए. इस मारामारी का बड़ा कारण हथियार सुलभ होना है. अमेरिका के संविधान बनाने वालों ने हथियार रखने का हक मौलिक  अधिकार बना दिया था ताकि यूरोप की तरह शासकों की तानाशाही लागू न हो सके. इस से अमेरिका में लोकतंत्र तो कायम हुआ पर घरेलू आतंक भी है. अमेरिका के परिवारों में अनुशासन की भारी कमी है. वहां जो स्वतंत्रता बच्चों व युवाओं को उपलब्ध है वही उस की नई सोच, नई खोजों, नई तकनीक, कड़ी मेहनत का कारण है, पर वहीं जो रेस में पीछे रह गया उस पर यह स्वतंत्रता बुरी तरह चेचक के दागों की तरह उभर आती है और अगर हाथ में हथियार हो तो जानकार या अनजाने को मार डालने को उकसा देती है. अमेरिका ने बचाव के लिए जेलें बनाई हैं जहां उद्दंड युवाओं को बंद करा जा सके पर वहां तो वे और भी ज्यादा अपराध सीख रहे हैं. इसलामी आतंकवाद ने और पाठ पढ़ा दिया है कि शासकों को डराने के लिए निहत्थे निर्दोषों को मारना सब से ज्यादा आसान है. युद्ध कला में इसलामी देश बेहद कमजोर हैं पर वे आतंकवाद के सहारे दहशत फैलाने में सफल हैं. इसी तर्ज पर तनावग्रस्त अमेरिकी युवा नशे और आजादी के मिश्रित घोल का लाभ उठा कर आम लोगों के लिए कहर बन रहे हैं. इसलामी आतंकवाद ने मन में बैठा दिया है कि अपनी हार, खीज, असफलता के लिए पड़ोसी के घर में आग लगा देना तो धार्मिक हक है. जब मौलवी इसे सही ठहरा रहे हैं तो पक्की बात है यह ऊपर वाले की मरजी है.

सदियों से धर्म के नाम पर लड़े गए युद्धों में आम लोगों की बलि दी गई है. गांव के गांव जला दिए जाते थे. आज सभ्य समाज ने तो इसे छोड़ दिया पर धार्मिक समाज इस कीड़े को पाल रहा है और कुछ कीड़े आम लोगों में घुस रहे हैं. यह इबोला जैसा संक्रमण कभी कंट्रोल में आएगा? शायद नहीं. धर्म की दुकानें कई हजार सालों से बखूबी चल रही हैं और अभी भी तार्किकता के आगे सीना ताने फूलफल रही हैं. जो भी धर्म के नाम पर कुछ भी पूजापाठ करते हैं, तो मान लें कि वे उस आग में पैट्रोल छिड़क रहे हैं.

कील मुंहासे अब नहीं

फास्ट फूड व हैक्टिव लाइफ के चलते आजकल कीलमुंहासों की समस्या कौमन हो गई है. मुंहासे होने के कई कारण होते हैं जैसे डैंड्रफ, औयली स्किन, कब्ज आदि. इंटरनल चैकअप और ट्रीटमैंट से इस समस्या से छुटकारा तो मिल जाता है पर इस में थोड़ा समय लगता है. ऐसे में इस प्रौब्लम से जल्दी छुटकारा पाने के लिए किसी अच्छे कौस्मैटिक क्लीनिक से ओजोन ट्रीटमैंट करवा सकती हैं. इस ट्रीटमैंट के अंदर हाई फ्रीक्वैंसी मशीन का इस्तेमाल किया जाता है, जिस के जरीए स्किन रिवाइटलाइज और रिजुविनेट होती है, साथ ही हीलिंग की प्रक्रिया भी तेज हो जाती है. इस ट्रीटमैंट को करते समय त्वचा के आसपास की औक्सीजन ओजोन में बदल जाती है, जिस के ऐंटीबैक्टीरियल गुण त्वचा की ऊपरी सतह में समा कर उसे क्लीन करते हैं और चेहरे को फ्लालैस लुक देते हैं. इस के ऐंटीफंगल और ऐंटीसैप्टिक गुणों के होने से इन्फैक्टेड स्किन जल्दी ठीक हो जाती है . इस के अलावा अगर पिंपल्स की प्रौब्लम हारमोनल नहीं है और समय भी बहुत कम है, तो ओजोन के साथसाथ रैड लेजर का इस्तेमाल कर के इस प्रौब्लम को जल्दी दूर किया जा सकता है.

घर पर मुंहासों को ट्रीट करने के लिए नीम व पुदीने की सूखी पिसी पत्तियों के पाउडर में 1/2 चम्मच कैलामाइन पाउडर, चुटकी भर हलदी और गुलाबजल मिला कर पेस्ट बनाएं और उसे चेहरे पर लगाएं. इस पैक का रोजाना इस्तेमाल करने से मुंहासे कुछ ही दिनों में सूख जाएंगे. नीम में मौजूद डिसइन्फैक्टिंग गुण और पुदीने में शामिल ऐंटीबैक्टीरियल गुण स्किन को ऐक्ने से प्रोटैक्ट करेगा, हलदी उन्हें हील करेगी और गुलाबजल से त्वचा में निखार आएगा.

स्कार्स

टीनऐज में होने वाले हारमोनल चेंज के कारण पिंपल्स की प्रौब्लम से आमतौर पर सभी लड़कियां प्रभावित होती हैं. समय के साथ ये मुंहासे तो खत्म हो जाते हैं, लेकिन कई बार इन्हें छील देने से त्वचा पर भद्दे निशान पड़ जाते हैं. इस प्रौब्लम से छुटकारा पाने के लिए रैड लेजर ट्रीटमैंट का सहारा ले सकती हैं. ऐंटीमाइक्रोबियल प्रकृति होने के कारण लेजर त्वचा से सभी प्रकार के इनफैक्शन को दूर करती है और नए सैल्स को रिजेनरेट करती है. यह त्वचा की अंदरूनी लेयर पर कार्य करती है और त्वचा से सभी निशान मिटा कर चेहरे को सुंदर व आकर्षक बनाती है.

मुंहासों के निशानों को हलका करने के लिए घर पर भी स्क्रब बना सकती हैं. सूखी नीम की पत्तियां, 5-6 लौग, 1-1 कटोरी धुली उरद, लाल मसूर और चने की दाल को दरदरा पीस कर उस में चुटकी भर हलदी, आधा कटोरी चंदन पाउडर व मुलतानी मिट्टी मिक्स कर के पाउडर बना लें. प्रतिदिन 1 चम्मच पाउडर में पपीते का गूदा मिला कर पेस्ट बनाएं और चेहरे पर लगाएं. 2-4 मिनट तक चेहरे पर मलें और फिर 10 मिनट बाद पानी से धो लें. कच्चे पपीते में पैपीन नामक ऐंजाइम होता है, जो रंग साफ करता है, साथ ही दागधब्बों को भी दूर करता है. लेकिन ध्यान रहे यदि चेहरे पर मुंहासे हों तो कोई भी स्क्रब करने से बचें.

पिट्स

मुंहासों के त्वचा में गहराई तक होने के कारण या फिर बचपन में चिकनपौक्स के हो जाने से त्वचा पर गड्ढे पड़ जाते हैं. डर्माब्रेशन तकनीक द्वारा इस समस्या से पूरी तरह से छुटकारा पाया जा सकता है. इस में ऐल्यूमिनियम क्रिस्टल्स की मदद से त्वचा की ऊपरी सतह निकल जाती है, जिस से दागधब्बे कम होते हैं और त्वचा पर इंस्टैंट निखार नजर आता है. घरेलू तौर पर आप इन निशानों को हलका करने के लिए नारियल तेल से मसाज कर सकती हैं या फिर विटामिन ई के कैप्सूल्स को फोड़ कर भी लगा सकती हैं. वैसे अगर पिट्स काफी सालों से हों तो उन का घरेलू उपचार द्वारा ठीक हो पाना मुश्किल होता है.

– भारती तनेजा डायरैक्टर औफ एल्प्स ब्यूटी क्लीनिक ऐंड ऐकैडमी

५ मेकअप लुक बनाएं खास

मेकअप वास्तव में किसी भी महिला की खूबसूरती में चार चांद लगा देता है. भारत में केवल थ्री टाइप स्किनटोन हैं- फेयर, मीडियम और डार्क. आजकल स्किनटोन के हिसाब से मेकअप करने का चलन है. निम्न मेकअप लुक दिखाएंगे आप को औरों से एकदम अलग:

लुक नं. 1

मेकअप में आईलाइनर का हमेशा प्रयोग करें. आंखों के नीचे काजल लगाएं. आईशैडो को आकर्षक बनाने के लिए सफेद आईपैंसिल या फिर आईशैडो से आंखों के कोनों को हाईलाइट करें. लिपस्टिक डार्क शेड की ही प्रयोग करें. अगर आप कौंटैक्ट लैंस पहनती हैं तो वे पोशाक से मेल खाते हों.

लुक नं. 2

ब्लश आईशैडो आईलिड्स पर लगाएं. अगर रात की पार्टी में जा रही हैं, तो उस के अनुसार डीप या लाइट मेकअप करें. इसे यंग गर्ल्स अधिक पसंद करती हैं. इस से फ्रैश लुक आता है. जेट ब्लैक आईलाइनर को विंग्ड स्टाइल में लगाएं. न्यूड लिपस्टिक से गौर्जियस लुक दें. कर्ली हेयर वाली महिलाओं पर भी यह लुक आकर्षक लगेगा.

लुक नं. 3

रौयल ब्लू कलर की आईपैंसिल आईलिड्स पर पंखों के स्टाइल में लगाएं. काले रंग का काजल पहले आंखों के नीचे लगाएं, बाद में ब्लू पैंसिल उस पर फेर लें ताकि एकसारता बनी रहे. अंत में पिंक कलर का ब्लश और लाल लिपस्टिक लगा लें.

लुक नं. 4

अगर आप की रंगत थोड़ी सांवली है और आप मैरून ड्रैस पहन रही हैं, तो लाल या मैरून आईशैडो पलकों पर लगाएं. रंग हमेशा हलका लगाएं और अच्छी तरह स्मज कर लें. इस के बाद जेट ब्लैक आईलाइनर विंग्ड स्टाइल में लगाएं. बाद में लाल लिपस्टिक लगा कर उस पर मैरून लिपस्टिक की एक हलकी परत लगा लें ताकि आप के होंठ आकर्षक दिखें.

लुक नं. 5

‘बन’ हेयरस्टाइल के साथ साड़ी या लहंगा काफी पौपुलर है. गे्र आईशैडो दोनों आंखों के कौर्नर पर लगाएं. फिर शिमरी ब्रौंज आईशैडो लगाएं. अच्छी तरह स्मज कर स्मोकी आईज का लुक दें. लाइट शेड की लिपस्टिक से अंतिम रूप दें. हलका स्मोकी इफैक्ट किसी भी रंगत पर शोभा देता है.

सौंदर्य समस्याएं

मैं 22 वर्षीय युवती हूं. मेरी समस्या मेरे बालों को ले कर है. मेरे बाल बहुत पतले व अनहैल्दी हैं. कृपया उन्हें घना, लंबा व चमकदार बनाने का कोई घरेलू उपाय बताएं?

बालों के अनहैल्दी व कमजोर होने का कारण कई बार कोई बीमारी या डाइट में पोषक तत्त्वों की कमी भी होता है. अगर ऐसा नहीं है तो आप घरेलू उपाय के तौर पर हेयर पैक का प्रयोग करें. पैक बनाने के लिए 2 छोटे चम्मच मेथीदाना पिसा, 1 छोटा चम्मच रीठा, 1 छोटा चम्मच शिकाकाई, 1 छोटा चम्मच अश्वगंधा, 1 छोटा चम्मच प्याज का रस, 1 छोटा चम्मच त्रिफला, 1 छोटा चम्मच संतरे के सूखे छिलकों का पाउडर, 1 बड़ा चम्मच औलिव औयल, 1 छोटा चम्मच ब्राह्मी पाउडर लें व सब को अच्छी तरह मिला कर पेस्ट बना लें. फिर इसे बालों की जड़ों व बालों में अच्छी तरह लगाएं. 1/2 घंटे बाद बालों को शैंपू से धो लें. इस पैक से बालों की सभी समस्याएं दूर हो जाएंगी व वे नरम, मुलायम, चमकदार व मजबूत हो जाएंगे.

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मैं 18 वर्षीय युवती हूं. धूप में जाने की वजह से मेरे चेहरे पर बहुत टैनिंग हो गई है. मैं ब्लीच का प्रयोग करना चाहती हूं पर ब्लीच के बारे में अधिक जानकारी नहीं है. कृपया बताएं किस त्वचा पर कौन से ब्लीच का प्रयोग बेहतर रहेगा?

अगर त्वचा सैंसिटिव है तो उसे लैक्टो ब्लीच का प्रयोग करना चाहिए. लैक्टो ब्लीच हार्श नहीं होता, इसलिए इस से त्वचा पर ऐलर्जी होने के चांस कम होते हैं. औक्सी ब्लीच हर प्रकार की त्वचा के लिए उपयुक्त रहता है, जबकि गोरी रंगत वालों के लिए केसर युक्त ब्लीच बेहतर रहता है. गहरे रंग वालों को पर्ल ब्लीच का प्रयोग करना चाहिए. अगर किसी खास अवसर जैसे शादी, पार्टी के लिए ब्लीच का प्रयोग करना चाहती हैं तो इंस्टैंट ग्लो के लिए गोल्ड ब्लीच का प्रयोग करें.

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मैं 30 वर्षीय महिला हूं. मेकअप के लिए जब भी फाउंडेशन का प्रयोग करती हूं तो त्वचा पर दरारें पड़ जाती हैं. ऐसा न हो, इस के लिए मुझे क्या करना चाहिए?

अगर आप की त्वचा ड्राई है तो फाउंडेशन लगाने से पहले मौइश्चराइजर अवश्य लगाएं. कौंपैक्ट न लगाएं. ड्राई त्वचा पर कौंपैक्ट लगाने से उस पर दरारें पड़ जाती हैं. इस के अतिरिक्त अगर जब कभी फाउंडेशन अधिक लग जाए तो पफ या ब्रश को गोलाकार घुमाते हुए अतिरिक्त फाउंडेशन को हटा लें.

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मैं कालेजगोइंग छात्रा हूं. ट्रैवलिंग के दौरान मैं शूज पहनना पसंद करती हूं. लेकिन बंद जूतों में पैरों से बदबू आती है. मैं क्या करूं ताकि पैरों से बदबू न आए?

बंद जूतों से पैरों की बदबू की समस्या दूर करने के लिए एक टब में कुनकुना पानी डाल कर उस में 2 चम्मच बेकिंग सोडा व नीबू का रस मिला लें. फिर इस घोल में पैरों को 10 मिनट तक भिगोए रखें. 10 मिनट बाद पैरों को पानी से निकाल कर सूखा कर मौइश्चराइजर लगाएं और सूती मोजे पहन लें. कई बार बंद जूतों के कारण पैरों में फंगल इन्फैक्शन की समस्या भी हो जाती है. उस के लिए टब में सिरका व गरम पानी मिला लें व पैरों को उस में डुबोएं. सिरका पैरों की गंदगी साफ करने के साथसाथ इन्फैक्शन को भी ठीक करता है.

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त्वचा की देखभाल में आजकल ऐक्सफौलिएशन की बात की जाती है. त्वचा के ऐक्सफौलिएशन के लिए घरेलू उपाय के तौर पर क्या करें और इस का क्या फायदा होता है, बताएं?

घरेलू उपाय के तौर पर 1 चम्मच दूध में 1 चम्मच मलाई व 1 चम्मच ओट्स पाउडर को मिला कर चेहरे पर सर्कुलर मोशन में रगड़ें. फिर चेहरे को सादे पानी से धो लें. इस तरीके से त्वचा का ऐक्सफौलिएशन तो होगा ही, त्वचा की टैनिंग भी दूर होगी.

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मेरी उम्र 25 वर्ष है. चेहरे पर पिंपल्स के साथसाथ टैनिंग भी है. कृपया बताएं कि मैं क्या करूं ताकि मुझे पिंपल्स व टैनिंग की परेशानी से राहत मिले?

आप पपीते व केले को मैश कर के टैनिंग वाली जगह लगाएं. पपीते व केले के पल्प में आलू व टमाटर का रस मिला कर उसे पिंपल्स वाली जगह पर लगाएं. 10 मिनट लगा रहने के बाद चेहरे को धो लें. समस्या से जरूर राहत मिलेगी.

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मैं 15 वर्षीय छात्रा हूं. मेरी आंखों के नीचे काले घेरे हो गए हैं, जिन की वजह से चेहरा बहुत भद्दा दिखता है. मेरी स्किन भी बहुत औयली है. चेहरे पर ग्लो लाने के लिए मुझे क्या करना चाहिए?

काले घेरों से छुटकारा पाने के लिए रात को सोते समय काले घेरों पर बादाम का तेल या बाजार में उपलब्ध अंडर आई जैल लगाएं. इस के अलावा अंडर आई पैक भी घर पर बना कर लगा सकती हैं. इस के लिए मैदे में कच्चा दूध, पानी मिला कर पैक बनाएं व आंखों के नीचे लगाएं. सूखने पर धो लें. लाभ मिलेगा. औयली स्किन से छुटकारा पाने के लिए औयल फ्री फेसवाश प्रयोग करें, साथ ही नीम व तुलसी के पानी से चेहरा धोएं. यकीनन लाभ मिलेगा.

-समाधान ब्यूटी ऐक्सपर्ट   
मीनू अरोड़ा के सहयोग से

मुझे इतना पुराना मत बनाओ

आजकल प्रीति जिंटा प्रैस वालों से खफाखफा नजर आ रही हैं. कारण यह है कि मीडिया ने उन्हें और रानी मुखर्जी चोपड़ा को 90 के दशक की कह दिया है. प्रीति कहती हैं कि मैं इतनी पुरानी भी नहीं हूं. मेरी अधिकतर फिल्में 90 के दशक के बाद की हैं. 90 में तो सिर्फ मैं ने 3 फिल्में ‘सोल्जर’, ‘दिल से’ और ‘संघर्ष’ की थीं. इस के बाद की मेरी सारी फिल्में 2000 के बाद की हैं. रही बात रानी की तो मेरी और उस की साथ वाली फिल्में 2000 के बाद की हैं. मीडिया के यह कहने पर तो प्रीति को बेहद बुरा लगा कि वे अगर इसी तरह से बौलीवुड से गायब रहीं तो वह दिन दूर नहीं जब लोग उन का नाम सुन कर पूछेंगे कौन प्रीति?

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