धूम मचाते स्क्वेयर नेल्स

हाथों की खूबसूरती में सब से अहम होता है नेल्स का खूबसूरत होना. यदि आप के नेल्स सुंदर नहीं हैं तो आप के हाथ ब्यूटीफुल नजर नहीं आएंगे. नेल्स को साफसुथरा रखने के साथसाथ जरूरी है उन का स्टाइलिश दिखना, क्योंकि आजकल नेल्स बढ़ाने के साथसाथ नेल आर्ट भी फैशन में काफी देखा जा रहा है. नेल आर्ट तो काफी चलन में है, लेकिन इस के साथ ही नेल्स की शेप्स काफी अट्रैक्ट करती हैं.

स्क्वेयर शेप फौर इन

कुछ समय पहले तक गर्ल्स ओवल शेप नेल्स रखती थीं, लेकिन अब उन्हें स्क्वेयर शेप में नेल्स रखना पसंद आ रहा है. इस नए आकार में नेल्स देखने में बेहद खूबसूरत लगते हैं और ऐसे नेल्स पर नेल आर्ट भी बहुत अच्छी होती है.

आर्टिफिशियल नेल्स

  1. कुछ गर्ल्स के साथ यह समस्या होती है कि उन के नेल्स ज्यादा लंबे होने से पहले ही टूट जाते हैं. ऐसे में लंबे नेल्स का शौक रखने वाली गर्ल्स आर्टिफिशियल स्क्वेयर नेल्स यूज कर के भी काम चला लेती हैं.
  2. आर्टिफिशियल नेल्स क्व50 से 250 तक की रेंज में मार्केट में उपलब्ध हैं.

ध्यान दें

  1. नेल्स को शेप सुंदर ढंग से दें अन्यथा ऊबड़खाबड़ नेल्स काफी भद्दे नजर आते हैं.
  2. आप फाइलर से इन्हें एक प्रौपर स्क्वेयर शेप देने की कोशिश करें. धीरेधीरे ये अच्छी स्क्वेयर शेप ले लेंगे.
  3. नेल्स तभी सुंदर लग सकते हैं जब वे साफसुथरे हों, उन में गंदगी न हो.
  4. स्क्वेयर शेप में नेल्स काफी अट्रैक्टिव लगते हैं, लेकिन इन पर यदि आप नेल आर्ट कराएं तो ये और भी अट्रैक्टिव बन जाते हैं.

ब्यूटीफुल नेल्स के लिए टिप्स

  1. यदि आप नाखूनों की अच्छी ग्रोथ चाहती हैं तो इन्हें समयसमय पर ट्रिम कराती रहें.
  2. पार्लर में जा कर मैनीक्योर कराएं. यह नाखूनों के लिए जरूरी है. नाखूनों की फाइलिंग भी एक ही डाइरैक्शन में करें.
  3. नाखूनों को स्ट्रौंग बनाने के लिए एक दिन छोड़ कर लगभग 20 मिनट के लिए उंगलियों को औलिव आयल में डुबोएं.
  4. मौइश्चराइजर से नाखूनों की मालिश करें.
  5. खाने में भरपूर कैल्शियम वाली चीजें लें.
  6. पानी ज्यादा से ज्यादा पीने की कोशिश करें.

रोमांस में 20 साल का अंतर

सोनम कपूर अपने से उम्र में 20 साल बड़े सलमान खान के साथ सूरज बड़जात्या की फिल्म ‘प्रेम रतन धन पायो’ में रोमांस करेंगी. जब सोनम का जन्म हुआ था तब सलमान 20 साल के थे. सोनम कहती हैं कि जब मैं 14 साल की थी तब मेरे पापा अनिल कपूर सलमान के साथ एक फिल्म कर रहे थे. तब पापा ने मुझे उन से मिलवाया था. आज उन के साथ औनस्क्रीन रोमांस कर रही हूं. शुरू में यह सोच कर ही बड़ा अजीब लगता था और उन के साथ शूटिंग करते समय मैं बड़ी नर्वस थी. हर समय डर लगा रहता था कि कहीं कोई गलती न हो जाए. पर सलमान खान ने बहुत सपोर्ट किया. इस फिल्म का हिस्सा बन कर मैं बहुत खुश हूं.

संकल्प करें जिद नहीं

विज्ञान जगत में जो नएनए आविष्कार हुए और आज जो हम प्रगति के पथ पर बढ़ रहे हैं यह मुमकिन हो पाया दृढ़ संकल्प की मानसिकता वाले व्यक्तियों की वजह से. किसी चीज को पाने की तीव्र इच्छा यानी किसी ध्येय को हासिल करने का इरादा व्यक्ति को आंतरिक प्रेरणा देता है कि वह उस दिशा में ठोस कदम बढ़ाए. दृढ़ संकल्प ध्येय हासिल करने के लिए होना चाहिए पर उस से अन्य किसी को या खुद को किसी तरह का नुकसान न पहुंचे वरना कठिनाइयां पैदा हो जाएंगी. जानीमानी गाइनोकोलौजिस्ट डा. नलिनी पटेल अपने दृढ़ संकल्प के चलते ही भारत और विदेश में उच्च शिक्षा ग्रहण कर के टैस्ट ट्यूब बेबी को अवतरित करवाने में कामयाब रहीं.

वे बताती हैं कि उन के पिता किसान थे. जब वे महज 8 साल की थीं तब उन के पिता का देहांत हो गया. वे अपने मातापिता की इकलौती संतान थीं. पिता के देहांत के बाद रिश्तेदारों ने धोखे से उन की जमीन भी हथिया ली. चूंकि उन की मां ज्यादा पढ़ीलिखी नहीं थीं, इसलिए उन से धोखे से हस्ताक्षर करवा लिए गए. मजबूरन उन्हें अपनी छोटी बच्ची नलिनी को साथ ले कर घर त्यागना पड़ा. कुछ रिश्तेदारों ने थोड़ी सहायता की, लेकिन वे भी कब तक करते? आखिर नलिनी की मां को जीवनयापन और छोटी बच्ची के लालनपालन की खातिर लोगों के घर जा कर बरतन मांजने और कपड़े धोने जैसे काम करने पड़े. इस दौरान नलिनी सरकारी स्कूल में पढ़ाई भी करती रहीं और मां की काम करने में जितनी हो सकती थी, मदद भी करती रहीं. पढ़ाई में वे होशियार थीं, अत: मन ही मन दृढ़ संकल्प किया कि डाक्टर बन कर बीमार लोगों का इलाज करेंगी और अपने जीवनस्तर को ऊंचा उठाएंगी. मां को जीवन में सुखशांति और खूब मानसम्मान दिलवाएंगी.

डा. नलिनी बताती हैं कि अपने उद्देश्य में कामयाब होने के लिए उन्होंने कड़ी मेहनत की. इस में उन की मां ने भी उन की पूरीपूरी मदद की. इस तरह वे अपने उद्देश्य में सफल रहीं. दृढ़ संकल्प यही होता है. मनुष्य सामाजिक प्राणी है. समाज में रह कर अपने गृहस्थ जीवन को सुखद और सरल बनाने की इच्छा सभी स्त्रीपुरुषों की होती है. इसी इच्छापूर्ति के लिए पति और पत्नी अपनी तरफ से पूरीपूरी कोशिश करते हैं. अपने उद्देश्य में सफलता के लिए नजदीकी रिश्तेदारों की सहायता, पर्याप्त धन और मानसिक धैर्य की भी जरूरत पड़ती है और यह सब कड़ी मेहनत तो मांगता ही है. ध्येय को हासिल करने की तीव्र इच्छा मन में संजो कर डांवांडोल मन को स्थिर और मजबूत बनाना ही दृढ़ संकल्प है. यही दृढ़ संकल्प की सकारात्मक व्याख्या है.

दृढ़ संकल्प का एक अन्य स्वरूप जिद

जिद भी दृढ़ संकल्प का ही एक प्रकार है. तीव्र इच्छाशक्ति इस में भी होती है. किसी चीज को हासिल करने की या स्वयं के लिए मनचाहे हालात पैदा करने की ऐसी इच्छा जो दूसरे व्यक्तियों पर दबाव बनाने का काम करती है, जिद कहलाती है. जिद को पूरा करने के लिए व्यक्ति ज्यादातर दूसरों पर ही निर्भर रहता है. एक बच्चा जब किसी खिलौने को पाने की इच्छा जताता है तब वह उस के लिए अपने अभिभावकों पर निर्भर होता है. उन पर ही वह दबाव बनाता है कि वे उसे वह खिलौना दिलवाएं. जब अभिभावक किसी वजह से उस बच्चे की जिद पूरी नहीं करते तब वह गुस्सा दिखा कर या रो कर अथवा और किसी हरकत से उन्हें मजबूर करता है कि वे उस की इच्छा पूरी करें. जहां तक एक बच्चे की जिद का सवाल है, तो अभिभावक कुछ हद तक उस की जिद पूरी भी कर देते हैं, क्योंकि इस से उन्हें या जिद्दी बच्चे को ज्यादा नुकसान नहीं उठाना पड़ता.

कई बार बच्चे बाजार में किसी ऐसी खानेपीने की चीज के लिए जिद करते हैं, जो उन के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है. बाजार में खुले में बिकने वाले गोलगप्पे, टिकियां, भल्लेपापड़ी, आलू चाट वगैरह खाने की जिद जब बच्चे करते हैं तो उन्हें समझाबुझा कर स्वास्थ्य के लिए लाभदायक अन्य खाने की चीजें दिलवाई जाती हैं. अगर बच्चे बिलकुल ही मानने के मूड में नहीं होते हैं, तब उन की जिद पूरी करने के लिए अभिभावक उन्हें कम मात्रा में उन की मनपसंद चीज दिलवाते हैं. लेकिन अपनी जिद मनवाने के लिए अभिभावकों पर इस प्रकार से दबाव बनाने वाले बच्चे बीमार भी पड़ जाते हैं. फिर चाहे जिद्दी बच्चे हों या बड़े नुकसान तो उठाते ही हैं.

घर टूटने से बचाएं

ममता अपनी जिद का परिणाम भुगत रही है. उस की शादी 6 साल पहले हुई थी. वह सासससुर और पति निरंजन के साथ ससुराल में रह रही थी. 2 बड़ी ननदें शादीशुदा थीं और अपनेअपने गृहस्थ जीवन में सुखी थीं. ममता के ससुर और पति निरंजन एकसाथ रैडीमेड गारमैंट्स का बिजनैस करते थे. बड़ा शोरूम था. अच्छी आय थी. घर में सभी सुखसुविधाएं ममता को उपलब्ध थीं. लेकिन ममता और उस की सासूमां में हमेशा किसी न किसी बात को ले कर कहासुनी होती रहती थी. शादी के 1 साल बाद ही ममता ने एक बेटी को जन्म दिया. बेटी के आने से घर में सभी खुश थे, लेकिन ममता और उस की सासूमां के बीच तनाव बढ़ता गया और एक दिन ममता अपनी बेटी को ले कर मायके आ गई. उस का कहना था कि पति निरंजन को उस की कोई परवाह नहीं है. उस ने तलाक लेने का मन बना लिया और इस के लिए कोर्ट में केस भी फाइल कर दिया. कुछ रिश्तेदारों और उस के वकील ने भी उसे समझाया कि इतनी छोटीछोटी बातों को ले कर तलाक लेना ठीक नहीं. तब ममता मान गई कि वह तलाक नहीं लेगी और ससुराल लौट जाएगी.

मगर फिर उस की सास इस जिद पर अड़ गईं कि ममता और निरंजन अलग मकान ले कर रहेंगे. वह इस घर में वापस नहीं आएगी. निरंजन भी अलग घर ले कर रहने के लिए मान गया. लेकिन ममता फिर जिद पर अड़ गई कि वह उसी मकान में सासससुर के साथ ही रहेगी. अलग मकान ले कर नहीं रहेगी. इधर मां की तो उधर पत्नी की जिद, निरंजन पर दबाव बढ़ता गया. न उस की मां जिद छोड़ने को तैयार थीं, न पत्नी. समय गुजरता गया. निरंजन इस दरमियान बुरे मित्रों की सोहबत में फंसता चला गया और उस ने शराब और ड्रग्स लेना शुरू कर दिया. कामकाज से उस का मन हटता चला गया. यही नहीं उस ने कुछ घिनौनी हरकतें भी करनी शुरू कर दीं. उस की हालत ऐसी हो गई कि उस के पिता को मजबूरन उसे नशामुक्ति केंद्र में दाखिल करवाना पड़ा. ममता को जिद कर के क्या मिला? ससुरजी ने बिजनैस बंद कर दिया है और उधर सासूमां बीमार पड़ गईं. अब ममता सोचती है कि काश उस ने जिद न की होती. अलग मकान में पति के साथ रहने चली गई होती तो यह नौबत न आती. रिचा पति और सासससुर के साथ छोटेमोटे झगड़ों से तंग आ कर मायके चली गई. उस के 2 बेटे थे. बड़े 8 साल के बेटे को वह पति और सासससुर के पास छोड़ कर, छोटा जो 3 साल का था, को ले कर मायके चली आई. उस की जिद थी कि पति अलग मकान ले कर रहे, पर पति इस के लिए तैयार नहीं था.

मगर मायके में भी रिचा को क्या मिला? यहां भी भाईभाभी के साथ आएदिन झगड़ा होने लगा. ममता के बेटे को जो इज्जत और प्यार उसे पिता के घर में रह कर मिलता था वह न मिल पाया. रिचा के मातापिता भी अपने बहूबेटे की ही तरफदारी करते. यह सब देख रिचा ने मन ही मन सोचा कि गलती उसी की है. पति और सासससुर के साथ कहासुनी या झगड़ा होना आम बात है. ऐसे में अगर थोड़ी सी सहनशक्ति हो तो जीवन को सुखद बनाया जा सकता है. फिर क्या था. रिचा जल्द ही अपनी जिद छोड़ कर ससुराल वापस चली गई. इस तरह उस ने अपना घर टूटने से बचा लिया. मगर ममता ने अपनी जिद न छोड़ कर अपना और अपनी बेटी का जीवन बरबाद कर लिया. अत: कुछ पाने के लिए दृढ़ संकल्प जरूर करें पर जिद नहीं. 

– डा. अरुणा कपूर

कोलोंबे्र हेयर कलर का बढ़ता क्रेज

पहले हेयर कलर का प्रयोग सफेद बालों को छिपाने के लिए किया जाता था, पर अब यह फैशन बन गया है. आजकल कोलोंब्रे हेयर कलर का फैशन है. दरअसल, पिछले कुछ सालों से सैलिब्रिटीज नएनए हेयर फैशन ट्रैंड अपना रहे हैं. कभी ब्राइट, कभी लाइट तो कई बार अननैचुलर कलर भी प्रयोग किए जाते हैं. कलर तकनीक में भी नित नए प्रयोग हो रहे हैं. ओंबे्र एक ऐसा डाई पैटर्न है, जो 2 रंगों के शेड को ले कर डार्क टु लाइट में हेयर को कलर करता है. इस में अगर कई ब्राइट कलर को ले कर एकसाथ अलगअलग पतली स्ट्रिप में हेयर को डार्क टु लाइट में रंगा जाता है तो उसे कोलोंबे्र कहते हैं. इसे इंद्रधनुषी रंग भी कहा जाता है. इस से लुक और नया बन जाता है, जो देखने में आकर्षक लगता है. इस में बालों की जड़ों को औरिजिनल रहने दिया जाता है. युवतियां आजकल इसी फैशन को अधिक अपना रही हैं. अभिनेत्री शिबानी दांडेकर और ऐश्वर्या राय बच्चन के बाल भी कोलोंबे्र फैशन के उदाहरण हैं. शिबानी कहती हैं कि एक तरह के रंग मुझे पसंद नहीं. कोलोंब्रे कई रंगों का मिश्रण है और यह हेयर कलर ग्लैमरस लुक देता है.

जब कराएं हेयर कलर

बालों को कलर करते समय अपनी स्किनटोन पर ध्यान देना आवश्यक है. इस संबंध में हेयर ऐक्सपर्ट से सलाह लें.

कलर करने से पूर्व बालों को शैंपू करना न भूलें, क्योंकि चिपचिपे बालों पर रंग ठीक से नहीं लगता.

अगर त्वचा संवेदनशील है तो बालों के टैक्सचर के हिसाब से कलर करवाएं.

अगर कोई नया रंग ट्राई कर रही हैं तो पहले किए गए रंग को अच्छी तरह उतर जाने दें. लाइट कलर पर डार्क कलर लगाना सही रहता है. अगर डार्क लगाया है तो पूरा रंग उतरने के बाद ही नया रंग लगाएं.

कलर प्रोटैक्टिव शैंपू का प्रयोग करें. इस शैंपू के जरीए कलर लंबे समय तक टिका रहेगा. हार्ड शैंपू या ऐंटीडैंड्रफ शैंपू कभी प्रयोग न करें.

शैंपू करने के बाद बालों में कंडीशनर जरूर लगाएं. इस से न केवल बाल चमकीले रहते हैं वरन सूर्य की हानिकारक किरणों से भी सुरक्षित रहते हैं. बाल में रूसी होने या उन के बेजान लगने पर सीरम का इस्तेमाल करें. कंडीशनर में 2-3 बूंदें सीरम मिला कर बालों पर लगाने से उन की चमक और बढ़ जाती है.

बालों को कर्ली या स्ट्रेट करवाना है तो पहले यह करवाने के 2-3 हफ्ते बाद ही कलरिंग करें.

कभीकभी हेयर स्पा भी अपनाएं.

कोलोंबे्र हेयर कलर कई तरह से किए जाते हैं. अत: परमानैंट हेयर कलर से पहले टैस्ट कलरिंग जरूर करवा लें.

यह कलरिंग आसान नहीं होती. ऐक्सपर्ट कई बार पंख की सहायता से ऊपर से नीचे की ओर रंगते हैं, क्योंकि ब्रश से रंग लगाने पर एक रंग की दूसरे रंग पर लग जाने की संभावना रहती है, जिस से कोलोंबे्र लुक खराब हो सकता है.इस कलरिंग को हमेशा ऐक्सपर्ट से ही करवाएं ताकि आप को मनपसंद लुक मिल सके.पहली बार कोलोंबे्र करवाते वक्त 2 शेड खासकर पिंक और पर्पल को अपनाएं. अगर आकर्षक दिखना चाहती हैं तो उस में बीचबीच में ग्रीन, ब्लू और पर्पल कलर को बारीबारी से लगाएं.वैसे तो कोलोंबे्र की वैरायटी बहुत है, लेकिन आप उसे ही अपनाएं जो आप पर जंचे और जिसे आप अधिक दिनों तक लगा सकें.

शाही पिन्नी

सामग्री

250 ग्राम चावल का आटा

1 ग्राम शुगर पाउडर

100 ग्राम देशी घी

25 ग्राम किशमिश

जरूरतानुसार काजू, बादाम, पिस्ता और खजूर कटे.

विधि

कड़ाही में घी गरम कर उस में चावल का आटा अच्छी तरह भून लें. आंच से उतार कर उस में बची सारी सामग्री मिला दें. मिश्रण के ठंडा होने पर पिन्नियां बना लें.

खीर कदम

सामग्री

16 काले छोटे गुलाबजामुन

3 कप खोया

2 बडे़ चम्मच दूध

4 बड़े चम्मच चीनी पाउडर

11/2 छोटा चम्मच रोज ऐसैंस

जरूरतानुसार खोया पाउडर.

विधि

गुलाबजामुनों के ऊपर लगी चाशनी हटा लें. खोया कद्दूकस कर के उस में चीनी पाउडर अच्छी तरह मिला लें. मिश्रण को और भी मुलायम बनाने के लिए उस में दूध मिला कर 2-3 मिनट तेज आंच पर पकाएं. अब उसे ठंडा कर के रोज ऐसैंस मिलाएं और 16 बौल तैयार करें. तैयार बौल्स को हाथों से प्रैस कर के इतना चपटा करें कि उन से गुलाबजामुन कवर किए जा सकें. गुलाबजामुनों को अच्छी तरह कवर कर के रोल करने के बाद पाउडर खोया उन के ऊपर लगाएं और ठंडाठंडा परोसें.

काजू रोज

सामग्री

11/2 कप काजू पाउडर

1 कप शुगर पाउडर

1/2  कप मिल्क पाउडर

1-2 चुटकी इलायची पाउडर

2 चम्मच पानी

2 बूंदें रोज ऐसैंस

जरूरतानुसार चुकंदर का पानी रंग के लिए.

विधि

एक डबल बौयलर में पानी गरम करें. जब बौयलर का ऊपर वाला ड्राई पैन अच्छी तरह गरम हो जाए तो उस में शुगर पाउडर और मिल्क पाउडर डाल कर 2-3 मिनट भूनें. भुन जाने पर इस मिश्रण को पैन से निकाल कर काजू पाउडर के साथ मिला दें. अब रोज ऐसैंस को गरम पानी में मिला कर मिश्रण में डालें और अच्छी तरह गूंध लें. इस को लाल रंग देने के लिए थोड़ा सा चुकंदर का पानी भी मिला लें. तैयार मिश्रण को ग्रीस की रोलिंग पिन पर लपेट कर इच्छानुसार मोटाई में रोल कर लें. रोल को मनचाही शेप में काट कर सर्व करें.

बिगबौस में खबरों, विवादों का बाजार

पिछले सीजनों की तरह इस सीजन के शुरू होते ही ‘बिगबौस’ में शादी, प्यार, रोमांस, छींटाकशी का खेल शुरू हो गया है. कीथ 2 औरतों मंदाना और रौशेल के साथ अपने रिश्ते को ले कर मुसीबत में फंस गए हैं. हालांकि रौशेल उन की गर्लफ्रैंड हैं, लेकिन मंदाना के साथ उन की बढ़ती नजदीकियां रौशेल के लिए परेशानी का कारण बन रही हैं. वहीं सुयश और किश्वर ने घोषणा की है कि वे शो के खत्म हो जाने के बाद शादी कर लेंगे. पर इस वादे में कितनी सचाई है यह नहीं बता सकते, क्योंकि पिछले सीजन के सभी कपल्स जो साथ में जीनेमरने की कसम खाते थे आज अलगअलग हैं. लगता है ऐसी ड्रामेबाजी सिर्फ दर्शकों को खींचने के लिए की जाती है.

यह तनाव निरर्थक है

ननदभौजाई की खटपट घरों में होनी जरूरी नहीं. जो लड़की अपने भाई के लिए पत्नी देखने खुद गई हो, जिस ने उस के साजशृंगार का इंतजाम किया हो, शादी पर जम कर नाची हो, शादी के बाद घंटों गप्पें मारी हों, उसे कुछ दिन बाद देख कर रूखी नमस्ते कर मुंह फेर ले तो इसे अजूबा नहीं कहा जाता. यह तो साहिबाओ बड़ेबड़े लोगों में भी होता है. अब देखिए न अपनी ताजपोशी के दिन नरेंद्र मोदी ने बड़े आदरसत्कार के साथ नवाज शरीफ को दिल्ली बुलाया. घंटों बात की. उपहार लिएदिए. खाना साथ खाया पर अब न्यूयौर्क में दिखे, एक ही होटल में रहते हुए तो बस दूर से हाथ हिला दिया और मुसकान फेंक कर आगे बढ़ गए, क्योंकि भारतपाक संबंध एक बार फिर खटाई में पड़ गए हैं. भारत चाहता है कि दोनों देश कश्मीर का मामला छोड़ कर बाकियों पर फैसला कर लें पर पाकिस्तान कहता है कि 1947 का विभाजन सही नहीं था और कश्मीर पाकिस्तान का हिस्सा होना चाहिए.

व्यवहार, राजनीतिक या कूटनीतिक स्थिति चाहे जो भी हो, इस विवाद में पिस आम लोग ही रहे हैं. लाखों परिवार 1947 में बंट गए थे. कुछ पाकिस्तान चले गए तो कुछ भारत में रह गए. वे कभीकभार मिलना चाहें भी तो नरेंद्र मोदी और नवाज शरीफ की सरकारें मिलने देने के बीच दीवारें बन कर खड़ी हैं. राजनीति चाहे जो कहे, दोनों देशों की जबान, व्यवहार, खानपान, सोच एक ही है. जहां धर्म अलग हैं वहां भी अपनापन सा है, क्योंकि सदियों का साझा इतिहास है. नरेंद्र मोदी से उम्मीद थी कि वे पाकिस्तान के कठमुल्लों को समझाबुझा कर कम से कम आम आदमियों के बीच बनी खाई पर संकरा सा पुल तो बनवा ही लेंगे पर अब हालत यह है कि बात भी संभव नहीं है, घरों में देवरानीजेठानी, ननदभौजाई की तरह. यह तनाव आज निरर्थक है. कश्मीर का मसला जैसा है, वैसा पड़ा रहने दे कर भी काम आसानी से चल सकता है. आम आदमी लड़ें तो ठीक पर समझदार नेता जब लड़ते हैं तो रौंदे आम आदमी ही जाते हैं.

सुगंध का प्रभाव

सुगंध का हमारे जीवन में बहुत प्रभाव होता है. यह हमारे स्नायुतंत्र को उत्तेजित कर विचारों को बदल देती है. शोध से पता चला है कि जब आप तनाव या डिप्रैशन में हों तो कुछ प्रकार की सुगंधों को सूंघ कर अपनेआप को तनावमुक्त कर सकते हैं. इतना ही नहीं, सुगंध के द्वारा आप अपनेआप को काम पर केंद्रित कर सकते हैं. सही तरीके की सुगंध और अरोमा से आप अपने बैडरूम के माहौल को बदल सकते हैं. सुगंध 2 प्रकार की होती है. पहली जो आप शरीर पर प्रयोग करते हैं, दूसरी, जो आप के वातावरण को सुगंधित बनाती है. यहां हम उस सुगंध के बारे में बात कर रहे हैं, जो हमारे आसपास के माहौल को हमारे मनमुताबिक बना सकती है. इस बारे में मैसूर के प्रसिद्ध सुगंध निर्माता किरन रांगा, जो ‘रिपल फ्रेग्रैंस प्राइवेट लिमिटेड’ के डाइरैक्टर और ‘फ्रेग्रैंस ऐंड फ्लेवर्स एसोसिएशन औफ इंडिया’ के सदस्य हैं, बताते हैं कि यह व्यवसाय उन के परिवार में सालों से चला आ रहा है. वे तीसरी पीढ़ी के हैं. उन का कहना है कि सुगंध हमारे देश में काफी मात्रा में पाई जाती है, पर इस का अधिकतर निर्यात विदेशों में कर दिया जाता है, क्योंकि यहां के लोग इस की उपयोगिता को नहीं जानते. इस का उपयोग यूरोप और जरमनी में अधिक होता है.

कई बार लोग एक तरह की खुशबू को बारबार चुनते हैं, जिस से आप उस के व्यक्तित्व का पता लगा सकते हैं. व्यक्ति कितना महत्त्वाकांक्षी है, कितना काम करना चाहता है आदि कई बातें सुगंध के द्वारा जानी जा सकती हैं. अगर आप अपने घर के लिए सही सुगंध का चुनाव करते हैं तो आप का जीवन खुशहाल बन सकता है.

फ्लोरल

इस में आप तरहतरह के पारंपरिक फूलों की सुगंध पाते हैं. ये हमारे मस्तिष्क में फेमिनिन विचारों को लाती है. इस में रोज, जैसमीन आदि फूलों की सुगंध अधिक लोकप्रिय है.

फ्रूटी

इस से स्वच्छता और ताजगी का अनुभव होता है. संतरा, नीबू, लैमनग्रास, ग्रेपफ्रूट आदि इस तरह की खुशबू फैलाते हैं. इसे आप बाथरूम, कार या आफिस कहीं भी रख सकते हैं.

ग्रीन

ग्रीन खुशबू हर किसी के लिए लाभदायक होती है. इस में रोजमैरी, चामोमिली और यूकेक्लिप्ट अधिक लोकप्रिय हैं. इन के प्रयोग से आप एक रिलैक्सिंग बाथ ले सकते हैं.

वुडी

यह नहाने के लिए उपयुक्त सुगंध है. इसे पुरुष और महिला दोनों ही प्रयोग कर सकते हैं. इस में संदलवुड, रोजवुड, मस्क आदि सुगंध आती हैं. ये सुगंध आप अपने घर में कहीं भी किसी आकर्षक पात्र में रख सकते हैं. आजकल बाजार में पत्थर, लकड़ी या सिरामिक्स के तरहतरह के आकर्षक पात्र मिलते हैं. किरन रांगा कहते हैं कि किसी भी सुगंध को बनाने के लिए 60 से 100 कच्चे पदार्थों की आवश्यकता होती है, जिन्हें वैज्ञानिक परीक्षण के बाद बाजार में लाया जाता है. भारत में सुगंध का प्रयोग अगरबत्ती के रूप में अधिक होता है पर आजकल लोग इसे अपने घरों में अरोमा के रूप में रख रहे हैं. यहां फ्लोरल सुगंध अधिक चर्चित है, जबकि विदेशों में फलों की सुगंध अधिक चलती है. एक छोटी बोतल सुगंध का मूल्यक्व700 से 800 तक होता है. पूरा महीना अगर घर में इस का प्रयोग किया जाए तो खर्चा क्व250 से 300 तक ही बैठता है.

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