भ्रमण कहीं खटाई में न पड़ जाए

फाइनल एग्जाम खत्म होते ही 10 साल की रिदिमा और 13 साल का निपुण खूब रोमांचित हो उठे थे. दोनों ने खूब मेहनत की थी और दोनों को अच्छे रिजल्ट की आशा थी. अपनी इस भरपूर मेहनत के लिए वे अपने पिता परेश की ओर से किसी विदेशी पर्यटन स्थल पर एक पखवाड़े के हौलीडे के इनाम की उम्मीद कर रहे थे. उन के परिवार का यह पहला विदेशी दौरा होने वाला था. असल में कपड़े के थोक व्यापारी परेश को पिछले साल भारी मुनाफा हुआ था और उस ने पत्नी नेहा और बच्चों से विदेश ट्रिप का वादा किया था. सब कुछ ठीक था, लेकिन 40 वर्षीय परेश ने यह महसूस नहीं किया कि उस के द्वारा ट्रिप के लिए अलग कर के रखी गई रकम काफी नहीं है. उस ने औफ या पीक सीजन और बच्चों की छुट्टियों को मद्देनजर रखते हुए ट्रिप की योजना बनाई थी. पर ट्रिप को फाइनालाइज करने में हुई देरी की वजह से एअरलाइंस टिकटों की कीमत बढ़ गई थी और लौजिंग यानी ठहरने का खर्च भी किफायती नहीं रह गया था.

परेश के लिए यह सांपछछूंदर वाली स्थिति थी. थोक विक्रेता होने के नाते उस के लिए व्यवसाय में से नकदी निकालना मुश्किल था, क्योंकि इस से उस की उधार दे सकने की क्षमता पर बुरा असर पड़ सकता था, साथ ही वह ट्रिप को स्थगित भी नहीं कर सकता था, क्योंकि इस से उस का परिवार मायूस हो जाता. परेश का मामला कोई अकेला मामला नहीं है. भारतवासी अच्छे हौलीडे प्लानर नहीं हैं. उन में चूक जाने की आम प्रवृत्ति है, कभी महज आलस की वजह से तो कभी वाजिब ध्यान न देने के कारण. ज्यादातर मामलों में लौजिंग ट्रिप के ठीक पहले बुक की जाती है और यात्रा के टिकट वास्तविक अवकाश के 2-3 हफ्ते पहले. इस ढिलाई के चलते शुरुआती बजट कभी पूरा नहीं पड़ता और सावधानी बरतने तथा अग्रिम रूप से प्लानिंग किए जाने पर कई लग्जरीज पर मिल सकने वाली छूट से वंचित रह जाना पड़ता है. अगर आप भी ऐसी परेशानी में नहीं पड़ना चाहते, तो एक कम लागत वाली और मजेदार वेकेशन प्लान करने के लिए निम्न टिप्स पर गौर करें:

अर्ली बर्ड बनें

जल्दी शुरुआत से आधी दौड़ जीत ली जाती है. एग्जोटिक हौलीडे यानी विदेश में अवकाश पर अमूमन 2 लाख रुपए प्रति व्यक्ति खर्च आता है. इसलिए शुरुआत में आप को एक मोटा अंदाजा इस बात का लगा लेना चाहिए कि आप टूर पर कितना खर्च करने के इच्छुक हैं. बजट के आधार पर अगला कदम होगा यात्रा की तारीखें और स्थान तय करना, फिर सफर पर होने वाले खर्च का एक मोटा अनुमान लगाना. यह कसरत यात्रा की वास्तविक तारीख से लगभग 6 से 12 महीने पहले कर लेनी चाहिए. इस से आप को अपने प्लान किए हुए हौलीडे के लिए रोडमैप बनाने का अच्छा समय मिल जाएगा. अगर पैसा एकसाथ निकाल पाना मुश्किल हो तो एक अलग खाता खोलना बेहतर होगा, जिस में आप अपने कुल बजट को ध्यान में रखते हुए एक तयशुदा रकम नियमित रूप से ट्रांसफर करते रहें.

‘‘इस के लिए एक आवर्ती जमा खाता यानी रिकरिंग डिपोजिट अकाउंट खोला जा सकता है या म्यूचुअल फंड्स में सिस्टेमैटिक इनवैस्टमेंट प्लान यानी सिप शुरू किया जा सकता है. इस से ऐसे किसी बेकार के खर्च से बचा जा सकेगा, जो पैसा बचत या चालू खाते में पड़े रहने पर हो सकता है,’’ कहते हैं मुकेश गुप्ता, जो वैल्थकेयर सिक्यूरिटीज के सर्टिफाइड फाइनैंशियल प्लानर और डाइरैक्टर हैं.

पर्याप्त बजट बनाएं

आप कितना भी शुरुआती बजट क्यों न बनाएं, 10-15% और रकम अलग कर के रखना बेहतर है. इस से बहुत सहूलियत रहती है, खासकर अगर आप हौलीडे सीजन के दौरान यात्रा करने वाले हों. वह न केवल आप को कीमतों में बढ़ोतरी से होने वाली कठिनाई से बचाएगी, बल्कि टै्रवल प्लान में अंतिम क्षणों में हो सकने वाले परिवर्तनों के वक्त भी काम आएगी. ‘‘जो परिवार अपने हौलीडे प्लान को गंभीरता से लेते हैं, वे जरूर फायदे में रहते हैं,’’ टै्रवल फर्म कौक्स ऐंड किंग्स के रिलेशनशिप्स ऐंड सप्लायर मैनेजमैंट के हैड करण आनंद कहते हैं.

डील्स लपकिए

टै्रवल आपरेटरों के अनुसार हौलीडे बुक करने का सब से अच्छा समय होता है प्रस्थान से कम से कम 2 महीने पहले. इस से आप इस बात के प्रति सुनिश्चित हो सकते हैं कि होटल के कमरे अफोर्डेबल होंगे, प्राइवेट टैक्सियां वाजिब कीमत पर मिल सकेंगी और एअर टिकट भी रेग्युलर फेयर पर उपलब्ध हो जाएंगे. इस से आप को ऊंचे हौलीडे टैरिफ्स की आशंका नहीं सताएगी, यहां तक कि आप स्पेशल ओकेजंस भी सेलिबे्रट कर सकेंगे. इस के अलावा इस से आप को स्वयं द्वारा किए जा सकने वाले खर्च का वास्तविक मूल्यांकन करने का मौका भी मिलेगा. ‘‘जितनी जल्दी आप बुक करेंगे, उतने ज्यादा आप को अर्ली बर्ड आफर्स मिलने के चांस रहेंगे,’’ कुओनी इंडिया के आउटबाउंड डिविजन की सी.ओ.ओ. कश्मीरा कमिशरियात बताती हैं. अगर आप 2 से ज्यादा देशों की यात्रा कर रहे हैं तो जल्दी बुकिंग का मतलब है, थोड़े ही समय में सारे वीजा प्राप्त करने में सफल होना, क्योंकि पीक सीजन के दौरान दूतावासों या कांसुलेटों पर वीजा के लिए लगने वाली भारी भीड़ के कारण कभीकभी इस में देर हो जाती है. लेकिन ज्यादा जल्दी बुकिंग करना, जैसे 3 से 6 महीने पहले, कुछ आशंकाएं भी साथ लाता है. कई बार ट्रिप स्थगित या रद्द होने की संभावना भी रहती है. अत: जल्दी बुकिंग करते समय इस बात को भी मद्देनजर रखना चाहिए.

स्मार्ट पैकिंग और अड़चनों का अंदाजा

अपना सामान 8-10 दिन पहले पैक करना शुरू कर दीजिए. इस से आप कई अनावश्यक खर्चों से बच जाएंगे, क्योंकि कई बार जल्दबाजी में यात्री बहुत जरूरी चीजें भी पैक करना भूल जाते हैं. इस के अलावा, अगर आप हौलीडे पीरियड के दौरान यात्रा कर रहे हों तो फ्लाइट्स की देरी के लिए भी तैयार रहें. ऐसा भी सामान्यत: नहीं होता कि सब कुछ योजनानुसार ही चले, इसलिए अड़चनों का पूर्वानुमान लगाइए और अगर हौलीडे से लौट कर आप को नौकरी पर जाना है या कोई महत्त्वपूर्ण मीटिंग अटैंड करनी है तो 1-2 दिन उस के लिए भी बचा कर रखिए.           

जरूरी है सैक्स

हम भारतीयों की मान्यता है कि जीवन के 4 उद्देश्य होते हैं.- धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष. इन चारों में काम को यानी सैक्स को वही महत्त्व प्राप्त है, जो धर्म, अर्थ और मोक्ष को है. हमारे प्राचीन साहित्य में सैक्स को ले कर खुल कर चर्चा हुई है और महर्षि वात्स्यायन ने सैक्स को ले कर कामसूत्र जैसे गं्रथ की रचना की है. यह विडंबना की बात है कि हमारे यहां आज भी सैक्स पर खुल कर बात करना वर्जित माना जाता है और सैक्स को एक टैबू माना जाता है. घरेलू महिला सुनीता एवं मैरिज काउंसलर दीप्ति के अनुसार, ‘‘सैक्स जरूरी है, जीवन का अभिन्न अंग है, यह आनंद देता ही है. आनंद देने के साथसाथ सैक्स सृष्टि के चलते रहने के लिए संतान की उत्पत्ति का एकमात्र साधन भी है.’’

यौन रोग विशेषज्ञ प्रकाश कोठारी के अनुसार सैक्स शारीरिक प्रक्रियाओं और हारमोंस के संचालन को नियमित रखता है. इस से शरीर के इम्यून सिस्टम यानी प्रतिरोधात्मक क्षमता को बढ़ावा मिलता है. सप्ताह में 2 बार सैक्स करने वालों की अपेक्षा जो कभीकभी सैक्स कर पाते हैं उन में इम्यूग्लोबिन ‘ए’ का स्तर कम पाया जाता है और रोग प्रतिरोधात्मक क्षमता काफी कम होती है. ऐसे लोग अकसर बीमार रहते हैं. इसलिए विवाहितों की अपेक्षा अविवाहितों की मृत्युदर अधिक पाई गई है.

सैक्स से प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि

कैंसर रोग के खतरे से बचाव होता है, क्योंकि पिछले 35 सालों में जो व्यक्ति जितना अधिक स्खलित होता है उस की अपेक्षा कम स्खलित होने वाले पुरुषों की तुलना में 33% कम प्रोस्टेट कैंसर पाया गया, जबकि पुरुषों में उम्र बढ़ने के साथ प्रोस्टेट कैंसर होने का खतरा अधिक रहता है.

प्रौढ़ावस्था संभालने में सहयोगी

प्रौढ़ावस्था एक ऐसी सीढ़ी है, जिस पर कदम रखते ही स्त्रीपुरुष दोनों ही कुंठाग्रस्त होने लगते हैं, खासकर पुरुष. ऐसे में सैक्स ही कुंठानाशक होता है. यह स्त्रीपुरुष दोनों को एहसास कराता है कि युवावस्था के बाद भी आप का जीवन पूर्ववत चल रहा है, आने वाले जीवन में विशेष प्रभाव नहीं पड़ता है.

सैक्स सौंदर्य बढ़ाता है

1999 में प्रकाशित ‘सुपर यंग’ के लेखक डाक्टर डेविड ने इस संबंध में अनेक शोध कार्य किए. शोध ने प्रमाणित किया कि जो पतिपत्नी सप्ताह में 4 बार औसतन सहवास क्रिया को अंजाम देते हैं वे अपनी वास्तविक उम्र से कम से कम 10 साल छोटे दिखते हैं.

सैक्स उम्र बढ़ाने में मददगार

डा. चार्नतेस्की एवं डा. प्रकाश कोठारी के अनुसार, ‘‘संतुलित सैक्स का आनंद लेने वाले स्त्रीपुरुष, जो करीब 10 सालों में अधिकतम चरमसुख प्राप्त करते हैं, वे कम चरमसुख महसूस करने वाले स्त्रीपुरुषों की अपेक्षा अधिक उम्र तक जीवित रहते हैं.

सैक्स सही ऐक्सरसाइज

पत्रकार मधु सैक्स को सही ऐक्सरसाइज मानती हैं, सैक्स एक अच्छाखासा व्यायाम है. आप रात या सुबहसुबह खुल कर सैक्स करती हैं तो यह आप को चुस्तदुरुस्त रखता है. सैक्स खून के दौरे को नियंत्रित करने में सहायक ही नहीं होता, बल्कि नियमित सैक्स कोलैस्ट्रौल को कम करता है और अतिरिक्त कैलोरी को नष्ट करने में भी सहायक होता है.

सैक्स वजन घटाता है

स्त्रीपुरुष यदि हफ्ते में कम से कम 5 बार सैक्स सुख लेते हैं तो यकीनन उन का बढ़ा हुआ वजन घटाने में सैक्स मददगार होगा, क्योंकि सहवास के दौरान प्रति मिनट में 4-5 कैलोरी और 1 घंटे में 300 कैलोरी कम हो जाती है.

बीमारी से बचाव

सैक्स करने की सलाह देते हुए डा. प्रकाश कोठारी और डा. अशोक जैन का कहना है कि हर स्वस्थ स्त्रीपुरुष के लिए सैक्स जरूरी है. खासकर महिलाओं को होने वाली बीमारियों से सैक्स बचाता है. महिलाओं को विवाह करने की सलाह भी इसलिए दी जाती है ताकि उन की शारीरिक क्रिया संतुलित रहे वरना हिस्टीरिया जैसी बीमारियां जकड़ लेती हैं. बच्चे के जन्म के बाद स्त्री के गर्भाशय की सफाई हो जाती है. स्त्री के शरीर को यदि संतुलित एवं सिस्टम में रखना है तो सैक्स निहायत जरूरी है.

डिप्रैशन कम करने में सहायक

डिप्रैशन में सैक्स रामबाण का काम करता है. दिलीप और मंजू पतिपत्नी दोनों कई बार अवसाद से घिर जाते हैं. जब उन्हें लगता है कि घरेलू समस्याएं उन्हें अवसाद की ओर ले जा रही हैं तो दोनों आपस में खुल कर सैक्स का लुत्फ उठाते हैं.

डा. गोर्डन गोलप के अनुसार, ‘‘जो स्त्रीपुरुष सैक्स को ज्यादा से ज्यादा ऐंजौय करते हैं वे अवसाद से परे होते हैं.’’

क्रिएटिव सोच

सैक्स से स्त्रीपुरुष दोनों की सोच में परिवर्तन होते हैं. परिवर्तन से दिमाग में नई क्रिएटिव प्रक्रिया को अंजाम देने की सोच ही पैदा नहीं होती, बल्कि क्रिएटिव कामों को अंजाम भी दिया जाता है. सैक्स एक मैडिसिन है. इस का सब से बड़ा फायदा है कि यह केवल स्वस्थ ही नहीं रखता बल्कि जिंदगी को खुशनुमा भी बनाता है.

अपनाएं उमंगभरा सैक्स

उमंगभरे सैक्स के लिए हफ्ते में 5-6 दिन कुछ कार्डियो (हृदय संबंधी) व्यायाम करें. इस से सैक्स क्षमता बढ़ेगी, कैलोरी बर्न होगी और ब्लड शुगर नियंत्रण में रहेगा. स्त्रीपुरुष दोनों ही स्वस्थ रहने के साथसाथ खुश भी रहेंगे.

भावनात्मक संबंध मजबूत करता है

जब तक स्त्रीपुरुष के भावनात्मक संबंध आपस में प्रगाढ़ नहीं होंगे तब तक सैक्स आप के लिए जरूरी नहीं होगा. मानसिक लगाव के बिना सैक्स अधूरा है. इस के अभाव में केवल खानापूर्ति ही होती है. सैक्स के बिना जिंदगी बेरौनक है. दांपत्य जीवन को तरोताजा रखने के लिए सैक्स को जीवन का अहम हिस्सा मान कर चलें.

रोहित नहीं होंगे इस सीजन में

कलर्स के शो ‘खतरों के खिलाड़ी सीजन 7’ को रोहित शेट्टी होस्ट नहीं करेंगे क्योंकि वे अपनी फिल्मों में बहुत ज्यादा व्यस्त हैं. वे काजोल और शाहरुख के साथ फिल्म ‘दिलवाले’ बना रहे हैं, जो दिसंबर में रिलीज होनी है. उस के लिए वे रातदिन एक कर रहे हैं और इसी व्यस्त शैड्यूल के चलते उन्होंने नए असाइन्मैंट लेने से मना कर दिया है, तो इस बार दर्शकों को हवा में उड़ती कारों के बिना यह देखना होगा.

अंडे का हलवा

सामग्री

10 अंडे द्य 500 ग्राम मावा द्य 1 कप नारियल पाउडर द्य 1 कप चीनी द्य 5 बड़े चम्मच घी

2 कप दूध द्य 1/2 छोटा चम्मच इलायची पाउडर द्य 1 उबला अंडा व कटे बादाम सजाने के लिए.

विधि

दूध को पहले अच्छे से उबाल लें. इस के बाद एक बड़े बाउल में अंडों को तोड़ कर डालें. अब इस में मावा, चीनी, दूध, नारियल पाउडर, इलाइची पाउडर और घी डाल कर अच्छी तरह से मिक्स करें. अब एक पैन को धीमी आंच पर रखें और इस में तैयार मिश्रण को डाल कर धीमी आंच पर पकाएं. धीरेधीरे इस मिश्रण को चम्मच की सहायता से हिलाते रहें. ऐसा 20-25 मिनट तक करें. इस के बाद जब मिश्रण थोड़ा गाढ़ा हो जाए और हलका पीला दिखने लगे तब आंच थोड़ी तेज करें ताकि मिश्रण घी छोड़ने लगे. ध्यान रखें कि आंच तेज करने पर यह जले नहीं. मिश्रण के घी छोड़ने के बाद इसे आंच से उतारें और उबले अंडे व कटे हुए बादाम के साथ नयासा की स्टाइलिश प्लेट में परोसें.

पर्स है भानुमती का पिटारा नहीं

वैसे तो सदियों से पर्स का इस्तेमाल रुपएपैसे और जरूरत की वस्तुएं रखने के लिए किया जाता रहा है. परंतु वर्तमान में पर्स पर्स न रह कर झोला बन गया है, जिस में रुपएपैसे के अलावा मेकअप की चीजें, लिपस्टिक, कांपैक्ट, फाउंडेशन, परफ्यूम, झुमके, टौप्स, पाजेब, बैंगल्स, क्लिप, हेयर बैंड, बालों में उलझी कंघी, 2-4 गंदे रूमाल, एकाध इंगलिश नौवल के साथसाथ लंचबाक्स और पानी की बोतल मिल जाएगी. कुछ महिलाओं के पर्स की स्थिति उस डस्टबिन जैसी होती है जिस में कूड़ा डाला तो जाता है पर निकाला नहीं जाता. कुछ के पर्स में टौफी, चौकलेट के साथ बर्गर, पैटीज और समोसे के अवशेष भी मिल जाते हैं, जिन की बदबू को पर्स में रखी परफ्यूम की खुशबू भी मिटा नहीं पाती. पर्स में बिना ध्यान दिए अनावश्यक चीजें ठूंसते रहने के कारण उस का वजन बढ़ जाता है और भारी पर्स उठाने के कारण कई प्रकार की बीमारियों का खतरा भी पैदा हो जाता है.

कैलिफोर्निया के डा. एडम हाल ने अपने एक अनुसंधान में पाया कि भारी पर्स की वजह से महिलाएं कंधे, गरदन व कमर के दर्द की शिकार हो सकती हैं. डा. एडम ने अपनी खोज में पाया कि स्पोंडिलाइटिस, रीढ़ की हड्डी में दर्द, हाथों की उंगलियों में दर्द, कलाई में दर्द आदि की शिकायत भारी पर्स लटकाने की वजह से हो सकती है. डा. एडम का मानना है महिलाओं का शरीर नाजुक होता है. ऐसे में भारी पर्स अधिक समय तक कंधे पर लटकाए रहने से ढेर सारी समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं. भारी पर्स स्वास्थ्य ही नहीं, व्यक्तित्व को भी प्रभावित करता है. भारी पर्स चाल को बिगाड़ता है जोकि व्यक्तित्व का माइनस प्वाइंट है.

क्या रखें पर्स में

एक आदर्श पर्स में एक नोटबुक, ढेर सारे विजिटिंग कार्ड्स और छोटेछोटे कागज पर लिखे नंबर और पते के बजाय एक छोटी टेलीफोन डायरी, 2 साफ रूमाल, कुछ दवाएं, जो आप के लिए जरूरी हों, 1 लिपस्टिक, कंघी, 2 पेन और जरूरत भर के पैसे ही होने चाहिए. लंचबाक्स और पानी की बोतल पर्स में न ठूंसें.

कैसा पर्स लें

  1. पर्स न तो ज्यादा बड़ा हो, न ही छोटा.
  2. जिस उद्देश्य के लिए पर्स ले रही हैं, उस का ध्यान रखें.
  3. पर्स सस्ता, सुंदर व टिकाऊ हो.
  4. रैक्सीन के बजाय लेदर या जूट का पर्स लें.
  5. पर्स में जरूरत के मुताबिक ही पाकेट्स हों.

योग्य बातें

  1. पर्स में फालतू व भारी सामान न रखें.
  2. समयसमय पर पर्स की सफाई करें और उस में रखा फालतू सामान निकाल दें.
  3. पर्स में पूरी डे्रसिंग टेबल ही न समेट लें. 1-2 जरूरत की चीजें ही रखें.
  4. पायल, झुमके, कंगन, चूडि़यां आदि उतार कर पर्स में न रखें.
  5. पानी की बोतल, लंचबाक्स, छतरी आदि पर्स में ठूंसने के बजाय अलग पोलीथिन या बैग में ले जाएं.
  6. पर्स को घरेलू सामान, सब्जी आदि ले जाने का झोला न बनाएं.
  7. पर्स में खाने की सामग्री मसलन टौफी, बिस्कुट, चौकलेट आदि न रखें. इस से पर्स में चींटियां आ सकती हैं.

मैंअपने आप से बहुत प्रेम करता हूं : विभव रौय

कुछ सपने ऐसे होते हैं जो दिन में भी आप को सोने नहीं देते. ऐसे ही सपने देख कर अपने दिल की सुनने वाले दिल्ली के विभव ने ऐक्टिंग के जनून के कारण एक सफल सीए की जौब छोड़ कर मायानगरी का रुख किया और स्ट्रगल कर छोटे परदे पर अपनी एक अलग पहचान बनाई. विभव ने बालाजी टेलीफिल्म्स के नए शो ‘कुछ तो है तेरेमेरे दरमियां’ के लौंच इवेंट पर कुछ खट्टीमीठी यादों को हमारे साथ बांटा:

एक सीए ऐक्टर कैसे बन गया?

ऐक्टिंग का कीड़ा मेरे अंदर बचपन से था. मैं जब दिल्ली में था तो हर शुक्रवार अपने पेरैंट्स के साथ फिल्म देखने जाता था. स्कूलिंग के बाद मुझे ग्रैजुएशन के लिए आस्ट्रेलिया भेजा गया. वहां बी.कौम कंपलीट करने के बाद वहीं सीए की जौब भी मिल गई. लेकिन वहां मेरी जिंदगी बड़ी नीरस हो गई. वहां एक ढर्रे वाली जिंदगी जीतेजीते मेरा दम घुटने लगा. उस पर दिल हमेशा कहता था कि मेरी मंजिल कहीं और है. फिर एक दिन दिल की सुनी और सब कुछ छोड़ कर मुंबई आ गया. मेरे इस फैसले से पेरैंट्स को धक्का तो लगा पर उन्होंने मेरी बात को समझा. मुंबई में ऐक्टिंग का प्रशिक्षण मैं ने सर बैरीजौन के स्कूल से लिया और शुरुआत में स्ट्रगल भी किया. पहला शो मिला ‘गुस्ताख दिल’, उस में भी लीड रोल. फिर क्या था ऐक्टिंग की गाड़ी चल पड़ी और आज मैं अपना तीसरा शो एकता कपूर के साथ कर रहा हूं.

आप की नजर में प्यार क्या है?

जो आप को अपने से भी ज्यादा प्यारा लगने लगे, मेरी नजर में सच्चा प्यार वही है. लेकिन मुझे अभी तक ऐसा कोई मिला नहीं. मेरा परिवार सभी धर्मों के मेल वाला है. मेरे पापा यूपी से हैं, तो मम्मी पंजाबी और सिस्टर ने क्रिश्चन से शादी की है. मेरा क्या होगा अभी तक पता नहीं है.

आप किस की सुनते हैं, दिल की या दिमाग की?

मैं हमेशा दिल की सुनता हूं. आस्ट्रेलिया में अपना बनाबनाया कैरियर छोड़ कर दिल की आवाज सुन कर ही मैं मुंबई आया था. और मैं कहूंगा कि सभी को प्यार के मामले में दिल की ही सुनना चाहिए क्योंकि जो दिमाग की सुन कर प्यार करता है वह सच्चा प्यार नहीं होता.

अगर फिल्मों से औफर आता है तो टीवी छोड़ देंगे?

कभी नहीं क्योंकि टीवी से ही मुझे पहचान मिली है. लेकिन अगर किसी अच्छी फिल्म का औफर आता है तो उसे जरूर करूंगा. पर ‘कुछ तो है तेरेमेरे दरमियां’ शो के बाद. जब मैं मुंबई आया था तो यह सोचता था कि धर्मा और यशराज प्रोडक्शन के अलावा कभी कोई और फिल्म साइन नहीं करूंगा. पर अब सिर्फ एक अच्छी फिल्म की तलाश है.

किसी रोल को निभाने का सपना?

मुझे फिल्म ‘रौकस्टार’ और शाहरुख वाली ‘देवदास’ बहुत पसंद है. कभी मौका मिला तो ऐसे किरदारों को निभाना मेरी पहली पसंद होगा. और शाहरुख खान का तो मैं बहुत बड़ा फैन हूं क्योंकि दिल्ली में उन का और मेरा स्कूल एक ही रहा है. मेरा सब से बड़ा सपना उन के साथ काम करने का है.

टीवी धारावाहिक हकीकत से कितने दूर होते हैं?

यह सच है कि वे हकीकत से बहुत दूर होती हैं, लेकिन मेरे सर बैरीजौन ने कहा था कि जो किरदार तुम्हें मिले, उस के लिए अगर यह लगे कि रीयल लाइफ में तुम कहीं न कहीं कुछ फीसदी ही उस किरदार के करीब हो, तो उस किरदार में जान डालने की कोशिश करो. हमेशा यह याद रखो कि दुनिया में कहानियां और मुद्दे एक जैसे ही होते हैं पर शो का प्रैजेंटेशन और ट्रीटमैंट उन्हें दूसरों से अलग बनाता है. तभी तो एक ही कहानी पर बनी एक फिल्म फ्लौप होती है, तो दूसरी हिट

साड़ी ड्रैपिंग के नए अंदाज

ऐश्वर्या राय, सनी लियोनी, विद्या बालन, करीना कपूर से ले कर सोनाक्षी सिन्हा तक ने साड़ी पहन कर जलवे दिखाए हैं. जलवे दिखें भी क्यों न. 6 गज लंबी साड़ी ने अपना चार्म और ग्रेस खोए बिना लंबा सफर तय किया है.

आज भी ट्रैंड में

बदलते समय के साथ साड़ी का ग्लैमर कम नहीं हुआ है. त्योहारों और शादियों के सीजन में महिलाओं के लिए पारंपरिक लुक के साथ ग्लैमरस दिखना किसी चुनौती से कम नहीं होता. लेकिन ऐसे में आप की फिगर कैसी भी हो साड़ी आप की सादगी और शालीनता की परिचायक रहती है. हां, साड़ी का स्टाइल जरूर बदला है पर आज भी साड़ी ट्रैंड में है. मेकअप और स्टाइलिश साड़ी ड्रैंपिंग ऐक्सपर्ट अर्चना ठक्कर ने साड़ी पहनने के अलग अंदाज बताए, ताकि साड़ी में आप का लुक उभर कर आए.

साडि़यों के नए अंदाज

फैशन डिजाइनरों ने सालों से एक ही स्टाइल में पहनी जाने वाली साड़ी को ट्रैंडी लुक में बदल दिया है. अब सडि़यों के अलगअलग स्टाइल हो गए हैं. कुरता स्टाइल साड़ी, नैकलैस लुक साड़ी, गाउन स्टाइल साड़ी, बैल्ट स्टाइल साड़ी, जैकेट स्टाइल साड़ी, डैनिम व लैगिंग स्टाइल साड़ी आदि.

साड़ी का ट्रैंडी अवतार

बदलते समय और महिलाओं की पसंद को ध्यान में रख कर डिजाइनरों ने साड़ी को ट्रैंडी अवतार में बदल दिया. अब साड़ी के साथ एक से बढ़ कर एक स्टाइलिश ब्लाउज के जलवे तो हैं ही, साथ ही यंग गर्ल्स में ब्लाउज की जगह बिकिनी, जैकेट्स और वैस्टकोट ने ले ली है. इस के अलावा पेटीकोट की जगह पैंट, लैगिंग और डैनिम ने इन ट्रैंडी अवतार साडि़यों को आप मौडर्न पार्टी या फंक्शन, शादी आदि में पहन सकती हैं. आप ने साडि़यों का फ्यूजन लुक बौलीवुड फैशन में दीया मिर्जा, सोनम कपूर और सोहा अली खान वगैरह की साडि़यों में देखा होगा.

साड़ी के जलवे

कुरता स्टाइल साड़ी: इस साड़ी को कमर पर पेटीकोट के साथ टैग करें. फिर प्लेट्स बना कर साड़ी को 2 राउंड में घुमाएं. पल्लू को कंधे पर ले कर फिर नीचे से एक राउंड उठा कर चोली तक लाएं. आगे से पौइंटेड पल्लू दिखेगा.

नैकलैस लुक साड़ी: आप जैसे नौर्मल साड़ी पहनती हैं वैसे ही पहनें. फिर साड़ी के पल्ले की प्लेट्स बनाएं. उन्हें गले से चिपका कर पल्ले के किनारे को आगे तक लाएं और कंधे पर पिन से अच्छी तरह सैट करें. अगर इस में पतले बौर्डर वाली साड़ी होगी तो साड़ी का लुक नैक पर बहुत अच्छा दिखेगा और आप को नैकपीस  पहनने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी.

गाउन स्टाइल साड़ी: फौर्मल साड़ी पहनें. फिर साड़ी के पल्ले को ले कर एक हाथ के नीचे से निकाल कर दूसरे कंधे पर ला कर टैग करें.

बैल्ट स्टाइल साड़ी: इस साड़ी को पहनने के लिए कमर पर बैल्ट या स्कार्फ प्रयोग करें. इस में साड़ी को कमर के ऊपर ब्लाउज लाइन के साथ और कमर के नीचे हिप से थोड़ा ऊपर पहना जाता है. स्कार्फ के साथ साड़ी को स्टाइलिश बनाने के लिए इसे रैक्टैंगल फोल्ड कर कमर पर बांधा जाता है. आप स्कार्फ की जगह ब्रोकेड कपड़ा या लेस भी प्रयोग कर सकती हैं.

जैकेट स्टाइल साड़ी: साड़ी का लुक उस के ब्लाउज से निखरता है, इसलिए साड़ी को ट्रैंडी बनाने के लिए जैकेट स्टाइल स्टिच ब्लाउज या फिर सिंपल ब्लाउज के अलावा एक अलग वनटोन जैकेट के साथ पहन सकती हैं. पर ध्यान रहे कि ब्लाउज का कलर कंट्रास्ट होना चाहिए.

डैनिम व लैगिंग स्टाइल साड़ी: ट्रैंडी अवतार के लिए आप इसे स्किन फिट डैनिम या लैगिंग के साथ पहनें. इस से न साड़ी फंसने की समस्या होगी और न ही चलने में मुश्किल. इस में आप साड़ी को डैनिम या लैगिंग के ऊपर ही ड्रैप करें और साड़ी की प्लेट्स को लैफ्ट पैर पर ही डालें. दूसरे पैर से डैनिम या लैगिंग दिखने दें. इस लुक में साड़ी के पल्लू को बाएं कंधे पर डाल कर पिनअप करें. साड़ी का चुनाव जरा संभल कर: जब भी साड़ी खरीदें हलके फैब्रिक वाली ही चुनें. जैसे क्रेप, शिफौन, जौर्जेट, नैट आदि.

बौडी के अनुसार साड़ी का चुनाव

स्लिम बौडी: अगर आप स्लिमट्रिम हैं तो कौटन, आरगेंजा, सिल्क आदि पहन सकती हैं, जिस में हलके रंग और भारी साड़ी के साथ बड़े प्रिंट वाली साड़ी हो. ज्यादा हैवी बौडी: हैवी बौडी वाली महिलाओं को कभी स्टार्च की फूली साड़ी नहीं पहननी चाहिए. वे शिफौन, सिल्क और हैंडलूम की साड़ी कैरी कर सकती हैं.

पियर शेप बौडी: जिन महिलाओं की बौडी पियर शेप होती है, उन्हें शिफौन, जौर्जेट की साड़ी पहननी चाहिए और वह भी ब्राइट कलर व सीधे पल्ले वाली. इस से पियर शेप कम दिखती है.

ऐप्पल शेप बौडी: ऐसी महिलाएं हमेशा लंबे ब्लाउज के साथ ऊंची साड़ी बांधें और पारदर्शी साड़ी न पहनें. ऐसी साड़ी पहनें जिस में बौडी कवर रहे.

ब्लाउज पर भी करें ऐक्सपैरिमैंट: अगर आप हौट और ग्लैमरस लुक अपनाना चाहती हैं, तो अपने ब्लाउज में ऐक्सपैरिमैंट करें क्योंकि अगर साड़ी सिंपल है और ब्लाउज स्टाइलिश तो उस साड़ी का ही लुक बेहतर नजर आता है और साथ ही आप भी ग्लैमरस दिखेंगी. अगर आप फौर्मल पहनने की सोच रही हैं तो मैंडरीन कौलर्ड ब्लाउज बैस्ट रहेगा. लग्जरी लुक के लिए आप अपनाएं जरी वर्क हौल्टर नैक ब्लाउज, प्लेन साड़ी के साथ. अगर ट्रैडिशनल लुक के साथ सैक्सी लुक चाहती हैं, तो आप नैट स्लीव्स वाला वैलवेट ब्लाउज, हलका शिमरी बौर्डर वाला ऐल्वो ब्लाउज पहनें.

जाड़े में भी होती है टैनिंग

सर्दी का मौसम आते ही धूप सेंकने और कुहरे में मुंह से धुएं के छल्ले बनाने की मस्ती सवार हो जाती है. लेकिन कभीकभी यह मस्ती त्वचा के लिए घातक भी साबित हो सकती है.

द स्किन क्लीनिक के डर्मैटोलौजिस्ट डाक्टर वरुण कत्याल कहते हैं, ‘‘अकसर महिलाएं इस धोखे में रहती हैं कि सर्दी के मौसम में टैनिंग नहीं होती है. यह एक बड़ी गलतफहमी है. इस मौसम में तो धूप के साथसाथ कुहरा भी त्वचा को टैन कर देता है.’’ अब आप के जेहन में सवाल उठ रहा होगा कि कुहरे में तो ठंड लगती है और ठंड से रंग निखरता है, फिर टैनिंग कैसे हो सकती है? इस दुविधा का हल बताते हुए डाक्टर वरुण कहते हैं, ‘‘यूवीए और यूवीबी 2 प्रकार की रेज होती हैं. अमूमन महिलाओं को यूवीबी रेज के बारे में पता रहता है कि वे सूर्य की किरणों से आती हैं, लेकिन बादल, कुहरे और गाड़ी के शीशों से छन कर आने वाली यूवीए रेज भी त्वचा को टैन कर देती हैं.

जरा सोचिए, कितनी ही बार सर्दी का मजा लेने के लिए आप बिना सनस्क्रीन और स्टोल के घर के बाहर निकल गई होंगी और कितना मैलेनिन आप की त्वचा पर इकट्ठा हो गया होगा, जिस का प्रभाव आप को ऐजिंग मार्क्स के रूप में कुछ समय बाद देखने को मिला होगा. अब सर्दी फिर से दस्तक देने वाली है. अत: इस बार अपनी त्वचा को सर्दी में होने वाली टैनिंग से बचाना है तो इन टिप्स पर गौर फरमाएं:

सनस्क्रीन का प्रयोग घर पर भी करें, क्योंकि घर में ट्यूब लाइटों, एलईडी बल्बों आदि की लाइट से निकलने वाली किरणों में भी यूवीए रेज होती हैं जो त्वचा को टैन कर सकती हैं.

हमेशा एसपीएफ 30 वाला सनस्क्रीन लें. यह भी देखें कि क्या उस में पी ++ लिखा है या नहीं. कुछ महिलाओं की त्वचा औयली होती है, इसलिए सनस्क्रीन लगाने से उन के चेहरे पर चिपचिपाहट आ जाती है. लेकिन अब मार्केट में सनस्क्रीन कई रूपों में उपलब्ध है. मसलन, जैल, पाउडर, स्प्रे. लेकिन औयली त्वचा वालों के लिए जैल सनस्क्रीन ही सब से अच्छी रहती है.

ध्यान रखें

डाक्टर वरुण कहते हैं कि सुबह 10 बजे से दिन के 2 बजे तक धूप में बैठना सब से ज्यादा हानिकारक है, क्योंकि इस वक्त सूर्य से यूवीए रेज निकलती हैं, जो त्वचा की कोलोजन लेयर को डैमेज करती हैं और त्वचा पर ऐजिंग मार्क्स लाती हैं. दरअसल, कोलोजन लेयर से ही स्किन टाइट होती है और यदि यह लेयर डैमेज हो जाए तो स्किन में सैगिंग आ जाती है.

धूप में बैठने के लिए 10 बजे से पहले का समय चुनें. इस वक्त सूर्य की किरणों  से हमें विटामिन डी मिलता है. लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि धूप को सीधे चेहरे पर न लगने दें.

एक रिसर्च के अनुसार हफ्ते में केवल 20 मिनट धूप में बैठ कर विटामिन डी लेना शरीर के लिए काफी है. यदि ऐसा संभव न हो तो बहुत सारी खाने की चीजें हैं, जिन में विटामिन डी भरपूर मात्रा में पाया जाता है.

ज्यादा सर्दी पड़ने पर लोग रूम हीटर और ब्लोअर का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन ये त्वचा से औक्सीजन छीन लेते हैं और उसे रूखा बना देते हैं. फिर रूखी त्वचा जब सूर्य के संपर्क में आती है तो उतना स्थान जल सा जाता है. इसलिए सर्दी में रूम हीटर या ब्लोअर का इस्तेमाल कम से कम करें.

सर्दी के मौसम में महिलाएं पानी पीना कम कर देती हैं. यह गलत है. यदि आप को साधारण पानी ठंडा लगता है तो उसे कुनकुना कर के पीएं, लेकिन 10-12 गिलास पानी रोज अवश्य पीएं, क्योंकि पानी की कमी से त्वचा की नमी खत्म हो जाती है और फिर टैनिंग की संभावना और भी अधिक हो जाती है.

कुछ घरेलू नुसखे आजमा कर भी टैनिंग को दूर किया जा सकता है. इस का सब से अच्छा विकल्प है होममेड उबटन लगाएं या दही में हलदी डाल कर हलके हाथों से टैन हुई त्वचा की मालिश करें. इस से टैनिंग भी खत्म होगी और त्वचा में चमक भी आएगी.

यदि आप के घर में ऐलोवेरा का पौधा है तो रोज उस की ताजा पत्ती तोड़ कर उसे छीलें और फिर उस के जैल से त्वचा की मालिश करें. ऐसा करने पर सनबर्न में भी राहत मिलेगी और टैनिंग भी हलकी होगी.

टैनिंग सब से अधिक हाथों में होती है. हाथों की त्वचा सूर्य के संपर्क में आने से डिहाइड्रेट हो जाती है. उसे हाइड्रेट रखने के लिए फ्रूट ऐसिडयुक्त मौइश्चराइजर का इस्तेमाल करें. इस से टैनिंग हलकी होती जाएगी.

६ उपाय रूसी को कहें बाय बाय

आज की भागदौड़ वाली जिंदगी में अपनी देखभाल के लिए महिलाओं के पास बहुत कम समय होता है. ऐसे में कई तरह की समस्याएं होने लगती हैं. इन में बालों में रूसी होना भी शामिल है, जिस से बाल झड़ने लगते हैं. सिर का गंदा रहना, रक्तसंचार में कमी, डाइट का सही न होना आदि रूसी होने के कारण हैं. जिन के बालों में रूसी हो उन्हें अपना हेयरब्रश, तौलिया, तकिया आदि अलग रखना चाहिए.

डर्मैटोलौजिस्ट ऐंड कौस्मैटिक सर्जन डा. सोमा सरकार बताती हैं कि आजकल प्रदूषण काफी बढ़ गया है. इस से बहुतों को रूसी की समस्या हो रही है. जाड़े के मौसम में तो यह समस्या और अधिक बढ़ जाती है, क्योंकि ठंड में हवा में नमी कम हो जाती है. ठंड की वजह से महिलाएं पानी भी बहुत कम पीती हैं. कई बार नहाती भी नहीं हैं, जिस से सिर की त्वचा गंदी हो जाती है और रूसी बढ़ने लगती है.

दरअसल, रूसी एक प्रकार की ईस्ट है, जो सिर में जमे तेल या मृत त्वचा को खा कर जीती है. इसी वजह से सिर की त्वचा की कोशिकाएं बहुत जल्दी झड़ने लगती हैं. जाड़े में मौसम शुष्क होता है. ठंड की वजह से महिलाएं अधिक समय तक रूम हीटर के पास बैठी रहती हैं. रूम हीटर से कमरे का वातावरण ड्राई होता है, जो रूसी को बढ़ाता है. इस के अलावा डैंड्रफ एक प्रकार का फंगल इन्फैक्शन भी है, जो बालों की जड़ों और स्कैल्प में होता है.

कुछ महिलाओं के बाल अधिक औयली और चिपचिपे से होते हैं, जिन में रूसी अपनेआप पनपने लगती है. ऐसे में सही डाइट अहम भूमिका निभाती है. अत: खाने में पर्याप्त मात्रा में जिंक, विटामिन बी और थोड़े फैट की मात्रा अवश्य लें.

रूसी होने के बाद सिर में खुजली होना, बालों का गिरना, उन का दोमुंहा होना आम बात है. अत: निम्न बातों का अवश्य ध्यान रखें:

ठंड के मौसम में बालों को सप्ताह में 2-3 बार जरूर माइल्ड शैंपू से धोएं.

हारमोन बैलेंस का ध्यान रखें. स्कैल्प में औयल ग्लैंड्स बंद होने के कारण भी ऐसा होता है.

डाक्टर की सलाह पर ही शैंपू का चयन करें, क्योंकि गलत शैंपू से ऐलर्जी भी हो सकती है.

हफ्ते में 2 बार सिर की औयल मसाज जरूर करें.

अधिक अमोनियायुक्त हेयर कलर का इस्तेमाल न करें.

अपनी डाइट पर पूरा ध्यान दें यानी डाइट पौष्टिक होनी चाहिए. इस के अलावा खूब पानी पीएं. भले ठंड का मौसम हो.

अगर इन सब उपायों के बावजूद डैंड्रफ न जाए तो तुरंत किसी डाक्टर से सलाह लें.

कोल्हापुरी काजू

सामग्री

250 ग्राम काजू

थोड़े से करीपत्ते बारीक कटे

10 ग्राम कोकम

1 बड़ा चम्मच मक्खन

1/2 छोटा चम्मच चाटमसाला

1/2 छोटा चम्मच मेथी पाउडर

1 छोटा चम्मच नमक.

विधि

कोकम को भिगो कर गाढ़ा रस निकाल लें. एक बड़े बरतन में मक्खन डाल कर उस में 1 चम्मच कोकम रस मिलाएं. अब इस में करीपत्ते मिलाएं और बरतन को आंच पर रखें. जब सारी चीजें मिक्स हो जाएं तो इस में काजू मिला दें. धीमी आंच पर काजुओं के भुन जाने तक पकाएं और फिर आंच से उतार लें. सारे मसाले डाल कर अच्छी तरह मिला लें. ठंडा होने पर जार में भर लें.

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