रुमाली पनीर रोल्स

सामग्री

1 कप पनीर, 1 कप मैदा, 1 बड़ा चम्मच तेल, 3 बड़े चम्मच चीज, 1/4 कप शिमलामिर्च कटी, 1 प्याज कटा, 1 आलू उबला, 3 बड़े चम्मच ताजा ब्रैडक्रंब्बस, तलने के लिए तेल, नमक स्वादानुसार.

विधि

मैदा, नमक व तेल को मिला कर गूंध लें. इस के छोटेछोटे पेड़े बना कर पतलापतला बेल कर गरम तवे पर सेंक लें. पनीर, प्याज, शिमलामिर्च, आलू, ब्रैडक्रंब्स व नमक डाल कर रोल बनाएं. गरम तेल में सुनहरा होने तक तलें. सिंकी रोटियों पर चीज डालें ऊपर से शिमलामिर्च व प्याज डालें और गरमगरम परोसें.

टिक्की टार्ट

सामग्री

1 कप मैदा, 1 बड़ा चम्मच तेल, 2 उबले आलू, 1 प्याज कटा, 1/2 कप दही, 2 बड़े चम्मच लाल मीठी चटनी, 1 बड़ा चम्मच धनियापत्ती कटी, 1 बड़ा चम्मच अरारोट पाउडर, 1/2 छोटा चम्मच नीबू रस, नमक स्वादानुसार.

विधि

मैदे व नमक को छान लें. फिर इस में तेल मिला कर पानी से गूंध लें. एक बड़े टार्ट मोल्ड को ग्रीस कर गुंधे मैदे की मोटी पूरियां बेल कर मोल्ड में लगाएं और पहले से गरम ओवन में 180 सैंटीग्रेड पर 10-15 मिनट बेक करें. उबले आलुओं को मैश कर अरारोट पाउडर, नमक, नीबू रस व आधा कटा प्याज मिलाएं. फिर टिकियों का आकार दे कर डीप फ्राई या शैलो फ्राई करें. अब बेक किए टार्ट पर 3-4 टिकियां रखें. ऊपर से दही डालें. उस पर प्याज, धनियापत्ती व मीठी चटनी डाल कर सर्व करें.

प्रोटीन स्टिक्स

सामग्री

1 आलू उबला, 1/4 कप चना दाल, 1/4 कप छोले, 1/4 कप काले चने, 1/2 छोटा चम्मच अमचूर पाउडर, 1 हरीमिर्च कटी, 1 प्याज कटा, 2 बड़ा चम्मच बेसन, 1 शिमलामिर्च कटी, 1 टमाटर कटा, नमक स्वादानुसार.

विधि

चना दाल, छोले व काले चने पानी में भिगो कर नमक डाल कर उबाल लें. फिर इन में नमक व हरीमिर्च डाल कर इन्हें पीस ले. इस में उबले आलू, अमचूर पाउडर व प्याज डाल कर अच्छी तरह मिला कर रोल बनाएं. रोल्स को बेसन में लपेट कर गरम तेल में डीप फ्राई करें. रोल्स के टुकड़े करें. स्टिक में रोल्स का टुकड़ा, शिमलामिर्च व टमाटर का टुकड़ा व फिर रोल्स का दूसरा टुकड़ा लगाएं व परोसें.

ओट्स फ्रिटर्स

सामग्री

1 कप ओट्स, 1/2 कप सूजी, 1/4 कप शिमलामिर्च कटी, 1 प्याज कटा, 1 हरीमिर्च कटी, तलने के लिए तेल, नमक स्वादानुसार.

विधि

ओट्स व सूजी को मिला कर पानी डालें और गाढ़ा बैटर बनाएं. इस में प्याज, हरीमिर्च, शिमलामिर्च व नमक मिलाएं. गरम तेल में इस के फ्रिटर्स तलें. चटनी या सौस  के साथ गरमगरम परोसें.

क्रिस्पी बन

सामग्री

2 बन, 1/4 कप ब्रोकली, 2-3 बेबीकौर्न, 1 प्याज कटा, 1/2 शिमलामिर्च कटी, 1 टमाटर कटा, 2 बड़े चम्मच मक्खन, 1/4 छोटा चम्मच कालीमिर्च पाउडर, 2 बड़े चम्मच चीज कसा, नमक स्वादानुसार.

विधि

बन को बीच में से स्कूप करें व बीच का भाग निकाल दें. कड़ाही में मक्खन गरम कर प्याज भूनें. इस में शिमलामिर्च, बेबीकौर्न व टमाटर डाल कर पकाएं. पकने पर ब्रोकली, नमक व कालीमिर्च पाउडर डालें. इसे स्कूप किए बन में भरें. ऊपर से बन की साइड पर चीज लगा कर 180 सैंटीग्रेड पर बेक करें.

टाइगर बनेंगे करण के स्टूडैंट

‘हीरोपंती’ के हीरो टाइगर श्रौफ अब बौलीवुड के यंग निर्देशक करण जौहर की क्लास के स्टूडैंट बनने वाले हैं. करण आलिया और वरुण, सिद्धार्थ के साथ आई हिट फिल्म ‘स्टूडैंट औफ द ईयर’ का सीक्वल बनाने जा रहे हैं. यह फिल्म युवाओं को बहुत पसंद आई थी. अब खबर यह है कि टाइगर श्रौफ इस फिल्म में लीड रोल में होंगे. उन के अलावा 2-3 अन्य युवा हीरो भी इस फिल्म में होंगे. ऐसा फैसला शायद इसलिए है, क्योंकि टाइगर ने अपनी पहली ही फिल्म से सभी को प्रभावित किया है.

रिश्ते को समय देना जरूरी : सैफ करीना

5 साल की जानपहचान के बाद सैफ अली खान और करीना कपूर ने शादी कर ली. शादी से दोनों ही खुश हैं. फिल्म ‘टशन’ को सैफ यादगार मानते हैं क्योंकि भले ही फिल्म नहीं चली पर करीना उन के जीवन में आ गईं. करीना भी इस विवाह को काफी महत्त्व देती हैं. काम से अधिक वे अपने परिवार और सैफ का ध्यान रखती हैं.

हैड ऐंड शोल्डर की ब्रैंड ऐंबैसेडर करीना कपूर खान और सैफ अली खान ने एक मुलाकात के दौरान बताया कि कैसे वे दोनों अपनी शादीशुदा जिंदगी में तालमेल बैठा रहे हैं.

करीना, आप सैफ की किस बात से आकर्षित हुईं?

करीना: वे अच्छे कलाकार हैं. मैं जब पहली बार उन से मिली थी, तभी लगा था कि यही मेरा प्यार है. मुझे उन की हर बात अच्छी लगी थी. मैं उन मैजिक क्षणों का वर्णन नहीं कर सकती. मैं ने न तो अपने प्यार के लिए काम छोड़ा और न ही काम के लिए अपना प्यार.

सैफ, करीना बौलीवुड की नंबरवन हीरोइन हैं. ऐेसे में गर्लफ्रैंड, फिर पत्नी के रूप में वे कितनी कामयाब हैं?

सैफ: करीना गर्लफ्रैंड और पत्नी दोनों ही रूपों में बेहद कामयाब हैं. वे गर्लफ्रैंड के रूप में हों या पत्नी के रूप में, हमेशा तालमेल रखती हैं. वे मैच्योर भी हैं और बच्चों जैसा व्यवहार भी करती हैं, जो हमारे रिश्ते को मजबूती देने के साथसाथ नयापन भी देता है.

हम जब घर आते हैं, तो साथ रहना पसंद करते हैं. हर काम साथसाथ करते हैं. मैं वैसे तो बाहर पार्टी ऐंजौय नहीं करता पर कई बार प्रोफैशन के मद्देनजर जाना भी पड़ता है. इस से हमें स्पेस भी मिल जाता है.

आप दोनों एकदूसरे के साथ कैसे संतुलन रखते हैं?

करीना: एक कलाकार के रूप में सैफ ने मुझे हमेशा सम्मान दिया. टैलेंट वैल्यूज को हमेशा महत्त्व दिया. मेरे लंबे बाल उन्हें बहुत आकर्षित करते हैं तभी तो उन्होंने उन्हें कभी न कटाने को कहा है. चूंकि विवाह दोनों का हुआ है, इसलिए आपस में तालमेल बैठाने का फर्ज भी दोनों का बनता है.

सैफ: करीना बेहद समझदार हैं. वे मेरी हर बात को समझती हैं. वे इस रिश्ते को पर्याप्त समय देती हैं. जब भी मुझे उन की जरूरत पड़ती है, वे हमेशा साथ होती हैं. मेरी भी कोशिश रहती है कि मैं हमेशा उन का साथ दूं.

रिश्ते को मजबूत बनाए रखने के लिए क्या आवश्यक है?

करीना: परिवार और काम के बीच समय का तालमेल. कई लोग कहते हैं कि उन्हें पर्सनल लाइफ के लिए वक्त नहीं मिलता. मुझे यह कहना पसंद नहीं. हम दोनों एकदूसरे और परिवार के साथ रहें और फिल्में भी करें, तभी हमारी लाइफ सुखद हो सकती है, किसी भी रिश्ते को वक्त चाहिए होता है, कैरियर के मुकाम पर पहुंच कर लोग इस बात को भूल जाते हैं. पर मैं ने ऐसा नहीं किया. शर्मिलाजी ने भी शादी के बाद परिवार को पूरा महत्त्व दिया.

क्या आप दोनों एकदूसरे की परफौर्मैंस को ले कर कभी आलोचना करते हैं?

सैफ: हम अपनी पर्सनल और प्रोफैशनल लाइफ को अलग रखते हैं और यह ठीक भी होता है. हम एकदूसरे की फिल्में तक नहीं देखते. प्रोफैशनल फैसला हम खुद ही लेते हैं. लेकिन हम दोनों में आपसी समझौता यह होता है कि हम उतना ही काम करें जितना आराम से कर सकें ताकि हमारी परफौर्मेंस भी अच्छी रहे. हम आपस में कभी झगड़ते नहीं, बल्कि हैल्दी चर्चा करते हैं. मेरे हिसाब से पतिपत्नी आपस में एकदूसरे से हर बात शेयर करें तो ही रिश्ता अच्छा बना रहता है और यह कोशिश दोनों को करनी पड़ती है.

करीना: मैं एक बिंदास लड़की हूं. अपनी शर्तों पर जीती हूं. लेकिन किसी को मेरी किसी बात से दुख न पहुंचे, इस का खयाल हमेशा रखती हूं. मैं बौलीवुड पार्टियों में अधिक नहीं जाती. काम से समय मिलने पर परिवार के साथ वक्त बिताती हूं. शादी के बाद भी मेरे जीवन में अधिक बदलाव नहीं आया.

सैफ का परिवार मौडर्न विचार रखता है. सैफ के पिता क्रिकेटर थे, इसलिए अधिकतर चर्चा हम क्रिकेट से संबंधित विषयों पर ही करते हैं. बौलीवुड की बातें कम होती हैं.

आप दोनों को एकदूसरे की कौन सी बात पसंद नहीं?

करीना: सैफ नवाब हैं, बहुत सोते हैं. कई बार मैं कहीं जाने के लिए तैयार भी हो जाती हूं, मगर नवाब साहब सोए ही होते हैं.

सैफ: करीना की कोई बात ऐसी नहीं जो मुझे पसंद नहीं.

किचन का मौडर्न तड़का : माइक्रोवेव ओवन

आधुनिक किचन की शान बन चुका माइक्रोवेव ओवन आज भारतीय गृहिणियों की नजरों में चढ़ रहा है, तो इस के पीछे शायद आम भारतीय ग्राहक परिवार की जीवनशैली में आया बदलाव एक प्रमुख कारण है.

ऊर्जा की बचत

दरअसल, उच्च आवृत्ति दर (सामान्यतया 2,500 मेगाहर्ट्ज या 25 गीगाहर्ट्ज) वाली माइक्रोवेव्स को उत्पन्न कर के खाना पकाने या खाना गरम करने में माइक्रोवेव ओवन का कोई सानी नहीं है. एल.जी. कंपनी के राजीव जैन इस संबंध में बताते हैं कि माइक्रोवेव ओवन में उत्पन्न होने वाली माइक्रोवेव्स जहां पानी, वसा और कार्बोहाइड्रेट्स द्वारा आसानी से अवशोषित कर ली जाती हैं, वहीं वे कागज, ग्लास, प्लास्टिक और सिरेमिक द्वारा शोषित नहीं होतीं और अधिकांश धातुओं द्वारा ये परावर्तित हो जाती हैं.

जिन पदार्थों द्वारा इन का शोषण होता है वे उन के परमाणुओं को उत्तेजित कर के ताप ऊर्जा को उत्पन्न करते हैं. इस प्रकार उत्पन्न होने वाली ताप ऊर्जा का उपयोग खाना गरम करने से ले कर खाना पकाने तक में होता है. कागज, प्लास्टिक, ग्लास या सिरेमिक के बरतन में माइक्रोवेव्स द्वारा खाना पकाने में परंपरागत इलैक्ट्रिक ओवन की तुलना में काफी कम ऊर्जा खर्च होती है तथा बहुत ही कम समय लगता है, क्योंकि माइक्रोवेव ओवन में माइक्रोवेव्स केवल खाने के अणुओं को उत्तेजित करने में ही खर्च होती हैं, जिस से भोजन एकसार रूप में एक ही समय में अंदर से बाहर की ओर पकता है. जबकि तुलनात्मक रूप से देखा जाए तो इलैक्ट्रिकल ओवन में संचालन द्वारा ताप बाहर से अंदर की ओर जाता है, जिस की वजह से पहले ओवन की हवा गरम होती है, फिर बरतन गरम होता है, तब जा कर भोजन बाहर से अंदर की ओर गरम होता है. वह भी धीरेधीरे, इसलिए इस में समय लगता है. मतलब साफ है कि ज्यादा समय लगने से ऊर्जा की खपत भी ज्यादा होती है.

पकाने का जादू भोजन में

माइक्रोवेव ओवन में माइक्रोवेव्स का उत्पादन करने के लिए वैक्यूम्ड ट्यूब के अंदर कैथोडएनोड और एक ग्रिड की व्यवस्था की जाती है. ट्रायोड इलैक्ट्रोड ट्यूब में एक इलैक्ट्रोड से दूसरे इलैक्ट्रोड की दूरी तय करने में लगने वाले समय का तरंगों की आवृत्ति से सीधा संबंध होता है. उच्च वाटेज पर माइक्रोवेव ओवन के मैग्नेट्रौन ट्यूब से 25 गीगाहर्ट्ज की उच्च आवृत्ति दर वाली माइक्रोवेव्स से भोजन को पकाए जाने पर ये माइक्रोवेव्स भोजन में उपस्थित अणुओं (विशेषकर भोजन में उपस्थित पानी के अणुओं) की पोलैरिटी को प्रति सैकंड लाखों बार परिवर्तित करते रहते हैं. इन की इसी उत्तेजना के फलस्वरूप उत्पन्न घर्षण ऊर्जा द्वारा भोजन गरम हो कर पकता है. माइक्रोवेव में उच्च आवृत्ति दर वाले माइक्रोवेव का उपयोग अवश्य होता है, लेकिन इस ओवन में एक ऐसी पक्की व्यवस्था की जाती है कि ये वेव्स ओवन के बाहर न निकल सकें. अत: माइक्रोवेव ओवन के उपयोग से हमारे शरीर के किसी भी हिस्से को क्षति पहुंचने की संभावना न के बराबर होती है. शर्त यह है कि माइक्रोवेव ओवन किसी प्रकार से दोषयुक्त न हो.

हालांकि माइक्रोवेव्स की आवृत्ति की दर सामान्य रेडियो तरंगों की तुलना में कई गुना अधिक होती है, लेकिन ये तरंगें नौन आयोनाइजिंग प्रकार की होती हैं अर्थात इन में इतनी ऊर्जा नहीं होती है कि ये एक्सरे जैसी आयोनाइजिंग किरणों की तरह जैविक कोशिकाओं के परमाणुओं से टकरा कर उन से इलेक्ट्रौन को अलग कर के गंभीर क्षति पहुंचा सकें.

माइक्रोवेव रहे कितना नया

आमतौर पर एक ऐप्लाइंसेस के बाजार में आने के बाद भी कंपनियां नए से नए ऐप्लाइंस बाजार में लाने की पेशकश करती रहती हैं. इस के पीछे उन की निश्चित तौर पर यही सोच रहती है कि घरेलू और कामकाजी गृहिणियां नई टैक्नोलोजी का नए और आसान सौल्यूशंस के साथ समायोजन कर सकें. इसलिए खास डिजाइन और स्टाइल के साथ माइक्रोवेव ऐप्लायंसेस ग्राहकों की जीवनशैली को आधुनिक बनाने का काम कर रहे हैं और पूरी तरह से इनडोर प्रबंधन का भी मौका दे रहे हैं.

इस संबंध में एल.जी. के राजीव जैन कहते हैं कि आप का माइक्रोवेव चाहे किसी भी कंपनी का क्यों न हो, उस की औसत आयु लगभग 10 साल ही होती है, क्योंकि उस के बाद ओवन की कार्यक्षमता में बदलाव आने लगता है. यह बदलाव इतना धीमा होता है कि अमूमन किसी को पता भी नहीं चलता. जैसे अगर किसी गृहिणी का नया माइक्रोवेव एक कप पानी 1 मिनट में उबाल देता है तो 10 साल बाद वह इस काम को करने के लिए डेढ़ मिनट लेगा. अकसर गृहिणियां इस बात पर ध्यान दिए बिना कुकिंग टाइम को ऐडजस्ट कर देती हैं, जिस से बिजली का बिल नियंत्रित नहीं रह पाता. अगर बिजली के बिल को नियंत्रण में रखना है तो 10 साल के बाद ओवन को बदल देने में ही समझदारी है.

माइक्रोवेव ओवन खरीदते समय कुछ बातों का ध्यान रखना इसलिए जरूरी होता है, क्योंकि अगर ओवन का उपयोग तरीके से नहीं किया जाए तो इस से ऊर्जा की बरबादी खूब होती है. पर यदि ओवन का सही इस्तेमाल करना आता हो तो एक गृहिणी 10% तक ऊर्जा की बचत कर सकती है.

खरीदते समय

अगर आप सिर्फ खाना गरम करने के लिए माइक्रोवेव खरीदने जा रही हैं तो ध्यान रखिए कि ऐसा माइक्रोवेव ओवन देखें जिस में ज्यादा फीचर न हों. इस से आप दुकानदार को ज्यादा पैसे देने से बच जाएंगी. अगर आप माइक्रोवेव ओवन में खाना पकाना चाहती हैं तो सब से लेटैस्ट और ज्यादा फीचर वाला माइक्रोवेव खरीदें.

अगर आप के घर में बच्चे भी माइक्रोवेव उपयोग करने वाले हैं तो खरीदे जा रहे माइक्रोवेव में यह जरूर देख लें कि वह सरलता से चलाया जा सके, साथ ही उस में सुरक्षा संबंधी फीचर भी हों.

यह जानामाना सच है कि ज्यादा वाटेज भोजन को जल्दी पकाता है. ज्यादातर माइक्रोवेव 600 से 1,200 वाट की बिजली पर चलते हैं. माइक्रोवेव ओवन में पकने वाली ज्यादातर रैसिपी को पकाने के लिए रैसिपी विशेषज्ञों द्वारा 800 वाट की आवश्यकता बताई जाती है. इसलिए ओवन खरीदने से पहले उस की वाटेज सुनिश्चित कर लें.

उपयोग करते समय

फूड ऐक्सपर्ट नीता मेहता कहती हैं कि माइक्रोवेव ओवन के इस्तेमाल में कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है जैसे कि- द्य खाना पकाने के समय को सावधानी से ऐडजस्ट करना जरूरी है वरना ज्यादा पका हुआ भोजन कड़ा और बदमजा हो जाता है. अगर पकाई जाने वाली भोजन सामग्री की मात्रा बढ़ाई जा रही हो तो पकाने का वक्त भी बढ़ जाता है. जैसे, 4 आलू 6 मिनट में पकते हैं, वहीं 8 आलू 9 मिनट में पकेंगे, इसलिए अगर रैसिपी में भोजन सामग्री की मात्रा बदल रही हों तो टाइमिंग का ऐडजस्टमैंट जरूरी है.

माइक्रोवेव से भोजन को बाहर निकालने के बाद भी वह कुछ समय तक अपनी गरमी से पकता रहता है. उदाहरण के लिए माइक्रोवेव में केक बनाया जाए तो मानक वक्त के अंदर उसे बाहर निकालने पर वह अधपका दिखाई देता है. लेकिन बाहर निकालने के 8-10 मिनट के बाद वह खाने योग्य दिखाई देता है.

खाद्य सामग्री को ढक कर रखने से उस से निकलने वाली भाप सामग्री को डिहाइड्रेट होने से रोकती है. इसलिए ढक्कन के तौर पर हीटप्रूफ प्लेट अच्छा विकल्प है. अगर सिर्फ 6 मिनट के लिए ही खाना पकाया जा रहा हो तो क्लिंग (पारदर्शी) फिल्म से भी खाद्य सामग्री ढकी जा सकती है.

अगर खाद्य सामग्री को उलटनेपलटने की जरूरत पड़े तो सामग्री को बरतन के बाहर की ओर से मध्य की ओर पलटें, क्योंकि माइक्रोवेव्स खाद्य सामग्री को बरतन के बाहर की ओर से पहले पकाती हैं. हालांकि माइक्रोवेव में लगातार उलटनेपलटने की जरूरत बहुत कम पड़ती है.

माइक्रोवेव्स हमेशा भोजन के बाहरी हिस्से को पहले भेदती हैं, जिस के कारण डिश में खाद्य सामग्री रखते समय बाहर की ओर उस की मोटी परत जमाएं. चिकन या मटन बनाते समय मीट वाला हिस्सा बाहर की ओर रखें. टमाटर, आलू या कौर्न को पकाते समय उन्हें या तो

गोलाई में या फिर एक पंक्ति में सजाएं. ध्यान रखें, भोजन पकाने के लिए हमेशा गोलाकार बरतन का प्रयोग करें. चौकोर या आयताकार बरतनों में भोजन किनारों से ज्यादा पक जाता है. यदि उचित समय तक तथा सही ताप पर भोजन न पकाया जाए तो उस के अंदर से कच्चा रह जाने का अंदेशा रह जाता है या फिर बाहरी हिस्से के जल जाने का खतरा रहता है. खाना पकाने के बाद कुछ देर तक माइक्रोवेव का दरवाजा खुला रखें, ताकि नमी बाहर निकल जाए. नमी अंदर रहने से मशीन को नुकसान हो सकता है. माइक्रोवेव को सूखे स्थान पर व बच्चों की पहुंच से दूर रखें.

  1. इस्तेमाल करने से पहले माइक्रोवेव ओवन के साथ दिए गए ब्रोशर को अवश्य पढ़ें और उस के अनुसार उसे इस्तेमाल करें.
  2. माइक्रोवेव ओवन को कभी खाली न चलाएं. अगर जांच करना हो तो पहले कुछ भी चीज, जो माइक्रोवेव ओवन में इस्तेमाल करने योग्य हो, उसे रख कर चलाएं.
  3. माइक्रोवेव में धातु के बरतन आदि रख कर न चलाएं. इस से ओवन में शार्ट सर्किट हो सकता है.
  4. सफाई करते समय माइक्रोवेव को हमेशा साफ और सूखे कपड़े से पोंछें.
  5. माइक्रोवेव की सफाई नुकीली और धारदार चीजों से न करते हुए नरम कपड़े या प्लास्टिक स्टिक से करें.

Wedding Special: 5 ट्रैंडी ब्राइडल लुक्स

ट्रैडिशनल लुक

गोल्डन शेड इस साल ब्राइडल सीजन में काफी हिट है. ऐसे में आंखों पर ब्राइटनैस जगाने के लिए गोल्ड आईशैडो लगाएं. आईलिड पर स्मज लाइनर और लोअरलिड पर बोल्ड काजल लगा कर आंखों को कजरारा लुक दें. आईलैशेज को आईलैश कर्लर से कर्ल कर के मसकारे का कोट लगाएं.

ऐंबैलिश्ड लुक

इस में सब से पहले आईज पर ब्राइडल टच देने के लिए कौपर शेड का आईशैडो लगाएंगे फिर आईब्रोज की व्हाइट व क्रीम के मिक्स शेड से हाईलाइटिंग करें. आईज को डिफाइन करने के लिए ड्यूअल कंट्रास्टिंग कलर्स का इस्तेमाल कर सकती हैं. आईलिड के इनर कौर्नर पर सैफायर ब्लू और आउटर कौर्नर पर इमरल्ड ग्रीन शेड से विंग्ड लाइनर लगाएं. आंखों के नीचे भी हलका सा ग्रीन शेड विंग्ड से कनैक्ट करते हुए लगाएं. साथ ही वाटरलाइन पर काजल लगा लें. आंखों को कंप्लीट सैंसुअल लुक देने के लिए पलकों पर आर्टिफिशियल लैशेज जरूर लगाएं. लैशेज को आईलैश कर्लर से कर्ल कर के मसकारे का कोट लगाएं ताकि वे नैचुरल लैशेज के साथ परफैक्टली मर्ज हो जाएं.

ब्रौंज लुक

इस मेकअप में चीक्स पर ब्लशऔन के बजाय ब्रौंजर से कंटूरिंग की जाती है. इस लुक में डार्क आईब्रोज, बोल्ड लाइनर, काजल व मसकारा के हैवी कोट के साथ आई मेकअप को कंप्लीट किया जाता है. सैंटर पर रैड बोल्ड बिंदी व लिप्स पर ब्राइट रैड कलर लगा कर लिप्स को सील किया जाता है.

कैट आई लुक

आईलिड पर स्मोकी टच देता ग्रीन आईशैडो लगाएं और कौर्नर को टैंपल्स की तरफ पौइंट करता हुआ ही रखें. ऐसा करने से ही आईज कैटी नजर आएंगी. आईज की शेप को डिफाइन करने के लिए आईशैडो से कंट्रास्टिंग शेड जैसे टरक्वाइश ब्लू कलर के लाइनर का इस्तेमाल करें. वाटरलाइन पर भी ब्लू कलर का इस्तेमाल करें.

आई मेकअप को कंप्लीट ब्राइडल लुक देने के लिए लाइनर के ऊपर छोटीछोटी ब्लू स्वरोस्की और पलकों पर आर्टिफिशियल लैशेज लगा कर मसकारे का कोट लगाएं. अब कंट्रास्टिंग शेड यानी पिंक को चीक्स और लिप्स पर इस्तेमाल करें.

ग्राफिकल लाइनर विद रैड लिप्स

आई मेकअप का यह लेटैस्ट ट्रैंड यानी ग्राफिकल लाइनर चेहरे पर काफी बोल्ड नजर आता है, इसलिए इस लुक के साथ आईज पर केवल न्यूड शेड का इस्तेमाल किया जाता है. माथे पर बोल्ड रैड बिंदी व पूरी आईब्रोज पर स्टिकर बिंदियां इस मेकअप के साथ काफी फबेंगी. चेहरे को सौफ्ट लुक देने के लिए कंटूरिंग जरूर करें और लिप्स पर बोल्ड रैड शेड लगाएं.

– इशिका तनेज, एअरब्रश मेकअप ऐक्सपर्ट ऐंड ऐग्जीक्यूटिव डायरैक्टर औफ एल्प्स कौस्मैटिक क्लीनिक

रहस्य में आरुषि का रहस्य

राइटर डाइरैक्टर रोहित गुप्ता की फिल्म ‘रहस्य’ का टीजर रिलीज हो गया है. इस फिल्म में केके मेनन और टिस्का चोपड़ा ने प्रमुख भूमिकाएं निभाई हैं. इस फिल्म की कहानी नोएडा के आरुषि हत्याकांड से मिलतीजुलती है. यह फिल्म एक टीनएज लड़की की हत्या पर आधारित है. इस में यह लड़की अपने मांबाप की इकलौती संतान है और इस की इस के घर में ही हत्या कर दी जाती है. पुलिस तहकीकात करती है, जिस में हत्या की आशंका उस के पिता पर जताई जाती है. यह फिल्म अपनी कहानी के चलते इस साल काफी चर्चा में रही, क्योंकि इस फिल्म की कहानी को नोएडा में हुए आरुषि मर्डर केस से मिलताजुलता बताया जा रहा था. आरुषि के पेरैंट्स की ओर से इस फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने के लिए एक याचिका भी कोर्ट में दायर की गई थी, जिस पर मुंबई हाईकोर्ट ने इस की रिलीज पर 13 जून तक रोक लगा दी थी.

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