तेल मालिश के फायदे अनेक

बालों में आजकल कैमिकल युक्त उत्पादों का इतना ज्यादा प्रयोग किया जाता है कि वे कमजोर हो जाते हैं और शाइन नहीं करते. ऐसे में अगर बालों को स्वस्थ व मजबूत बनाए रखने के लिए तेल लगाने का सुझाव दिया जाए तो जवाब मिलता है कि तेल तो दादीनानी के जमाने में लगाया जाता था. अब भला कौन तेल लगाता है? मगर क्या आप को पता है कि तेल बालों को घना बनाता है, उन में चमक लाता है? यही नहीं, स्कैल्प को सूखा भी नहीं होने देता और त्वचा को बैक्टीरिया और फंगल इन्फैक्शन से भी दूर रखता है. यानी तेल से बालों को पौष्टिक तत्त्व मिलते हैं. इसलिए अपनी व्यस्त दिनचर्या में से कुछ समय निकाल कर बालों की तेल से मालिश जरूर करें. नियमित रूप से अगर बालों में तेल से मालिश की जाए, तो इस के अनेक फायदे होते हैं. मसलन:

अगर बालों की जड़ें सूखी हैं तो तेल की मालिश उन्हें ताकत देती है और नए बाल निकलने में मदद करती है.

तेल बालों को टूटने व उलझने से रोकता है, साथ ही तेल से सिर की मालिश करने से सिर का रक्तसंचार सुचारु रहता है.

बालों में सही मात्रा में तेल न लगाने से बाल दोमुंहे होने लगते हैं. पर्याप्त तेल लगाने से यह समस्या दूर हो जाती है.

मालिश से न केवल बाल स्वस्थ होते हैं, बल्कि शरीर को भी लाभ पहुंचता है. रात को अच्छी नींद आती है. दिमाग भी शांत होता है.

तेल से बालों में नमी आती है. वे मुलायम व चमकदार बनते हैं. जब भी बालों में तेल लगाएं तो इस बात का ध्यान रखें कि एक ही बार में पूरे बालों में तेल न लगाएं वरन सैक्शन बना कर तेल लगाएं. ऐसा करने से तेल स्कैल्प तक अच्छी तरह पहुंचता है.

बालों और सिर की त्वचा के लिए हौट स्टीम बाथ लेना भी फायदेमंद होता है. गरम तेल से सिर की त्वचा की मसाज करें और इस के बाद कुनकुने पानी से भीगे तौलिए को कुछ मिनट के लिए सिर पर लपेटें. ऐसा करने से सिर की त्वचा के रोमछिद्र खुल ते हैं और बाल चमकदार बनते हैं.

तेल बालों की ग्रोथ के लिए जरूरी है. इस की मालिश से आप के सिर की कोशिकाएं काफी सक्रिय हो जाती हैं, जिस से बाल जल्दी लंबे होते हैं.

अगर आप की घने और सिल्की बालों की चाह है तो सरसों के तेल में दही मिला कर लगाएं. इस से बाल बढ़ेंगे भी और घने भी होंगे.

रात में सोने से पहले या फिर हफ्ते में कम से कम 2 बार सिर की मालिश जरूर करें. इस से बालों को तो पोषण मिलता ही है, तनाव भी कम होता है.

कौन सा तेल फायदेमंद

आज मार्केट में कई तरह के खुशबूदार तेल उपलब्ध हैं. उन से दूर रहें. प्राकृतिक तेल से ही मालिश करें. सिर की मसाज के लिए जैतून का तेल, नारियल तेल, तिल का तेल, बादाम तेल, भृंगराज तेल, नीम का तेल, जोजोबा, चमेली व पेपरमिंट तेल और मेहंदी का तेल आदि अच्छे विकल्प हैं. यदि आप नियिमित हेयरकलर कराती हैं तो जोजोबा का तेल आप के लिए बेहतरीन विकल्प है. इस से क्षतिग्रस्त रंगीन और रूखे बालों की रिपेयर होती है.

अपने बालों की जरूरत के अनुसार तेल का चुनाव ऐसे करें:

नौर्मल हेयर: इस तरह के बालों की कुदरती चमक बनाए रखने के लिए इन की आंवले या बादाम के तेल से मसाज करें.

ड्राई हेयर: रूखे बालों के लिए नारियल, तिल, सरसों और बादाम का तेल उपयुक्त है. सप्ताह में एक बार नारियल के दूध से बालों को धोना भी फायदेमंद है.

औयली हेयर: एक खास तरह का सीबम निकलने की वजह से बाल तैलीय दिखते हैं. ऐसे बालों में तिल या जैतून का तेल लगाने से फायदा मिलता है.

डैंड्रफ हेयर: स्कैल्प में रूसी हो जाने के कारण बालों की ग्रोथ भी रूक जाती है और वे कमजोर भी हो जाते हैं. इस समस्या से बचने के लिए टीट्री औयल और भृंगराज तेल का इस्तेमाल करें. कैसे करें मसाज: जब सिर की त्वचा सेहतमंद रहेगी, तभी बाल मजबूत और घने होंगे. स्वस्थ बालों के लिए सब से जरूरी है कि मसाज सही तरीके से की जाए. बालों में तेल लगाने से पहले उसे हलका कुनकुना कर लें. इस के बाद पोरों से स्कैल्प की धीरेधीरे मसाज करें. इस से स्कैल्प में रक्तसंचार बढ़ता है और स्कैल्प के बंद छिद्र खुल जाते हैं. बालों में तेल लगाते वक्त उंगलियों का मूवमैंट महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है. मसाज करते समय उंगलियों में प्रैशर दें और पूरे सिर की त्वचा में रोटेट करें. आप चाहें तो रात में तेल से अच्छी तरह मालिश कर के अगले दिन शैंपू कर सकती हैं. अगर आप रात भर तेल बालों में नहीं लगाए रखना चाहती हैं, तो सब से आसान तरीका यह है कि शैंपू करने से पहले अच्छी तरह मसाज करें और 1 घंटे के लिए छोड़ दें. इस के बाद शैंपू से बालों को धो लें.

पानपसंदा काजू

सामग्री

250 ग्राम काजू

1 बड़ा चम्मच बारीक सौंफ

2 बड़े चम्मच ब्राउन शुगर

1/2 छोटा चम्मच पानमसाला

1 बड़ा चम्मच मक्खन

1/2 छोटा चम्मच मीठी सुपारी के लच्छे

1/2 छोटा चम्मच छोटी इलायची पाउडर.

विधि

एक भारी पेंदी के पैन में मक्खन व ब्राउन शुगर को गरम करें. चीनी पिघल जाए तो काजू मिला कर अच्छी तरह चलाएं. आंच से उतार कर सारे मसाले मिक्स करें. 180 डिग्री प्रीहीट ओवन में 10-15 मिनट बेक कर लें. ठंडा होने पर जार में भर लें.

बौर्नविटा राइप

सामग्री

250 ग्राम किशमिश

चांदी का वर्क आवश्यकतानुसार

100 ग्राम चौकलेट

1 बड़ा चम्मच बौर्नविटा.

विधि

किशमिश को रात भर पानी में भिगोए रखें. सुबह पानी निथार कर किशमिश को तौलिए पर रख कर सुखा लें. एक बरतन में चौकलेट पिघला लें. उस में बौर्नविटा मिला दें. फिर किशमिश मिलाएं. चौकलेट को किशमिश पर कोट होने दें. एक थाली में निकाल कर चांदी का वर्क लगा कर परोसें.

कैंडिड नट

सामग्री

250 ग्राम काजू

1 चुटकी छोटी इलायची पाउडर

2 बड़े चम्मच शुगर पाउडर

1 छोटा चम्मच अदरक का रस

तलने के लिए पर्याप्त देशी घी

1 छोटा चम्मच वैनिला ऐसेंस.

विधि

काजुओं को कुछ देर गरम पानी में भिगोए रखें. फिर पानी निथार कर नरम काजुओं पर शुगर पाउडर बुरकें और अच्छी तरह मिलाएं. एक भारी पेंदी की कड़ाही में घी गरम कर थोड़ेथोड़े काजू डाल कर सुनहरा होने तक तल लें. फिर इलायची पाउडर, अदरक का रस व वैनिला ऐसेंस मिलाएं. प्रीहीट ओवन में 180 डिग्री पर 5 मिनट बेक कर ठंडा होने पर सर्व करें.

गर्भावस्था में टार्च विकार

टार्च संक्रमण गर्भावस्था के दौरान होने वाले संक्रमणों का समूह है. टार्च मूलत: समेकित रूप से 4 तरह के रोगों के प्रथम नाम के प्रथम शब्दों का समेकित लघु नाम है, जिन में निम्न 4 रोग आते हैं :

1. टोक्सोप्लाज्मोसिस   –      टी.ओ.

2. रूबैला      –      आर

3. सायटोमेगालोसिस   –      सी

4. हरपीज     –      एच

टार्च टेस्ट

जिन महिलाओं को बारबार गर्भपात हो जाता हो, गर्भावस्था के दौरान शिशु का विकास अवरुद्ध हो गया हो, यदि शिशु की मृत्यु गर्भ में ही हो गई हो.

लक्षण

गर्भस्थ शिशु की वृद्धि और विकास उस की गर्भावस्था की आयु के अनुरूप नहीं हो रहा हो.

जिस शिशु की तिल्ली और यकृत बड़े हो गए हों.

रक्त में प्लेटलेट्स की मात्रा कम हो.

शरीर पर लाल, भूरे, नीले दाने निकल आए हों.

रोगों के निम्न घटक हैं, जो गर्भवती महिलाओं को प्रभावित कर गर्भावस्था को विषम कर देते हैं तथा महिलाओं से मातृत्व का सुख छीन लेते हैं.

टोक्सोप्लाज्मोसिस

यह एक कोशिकीय प्रोटोजोआ टोक्सोप्लाज्मा नामक परजीवी से उत्पन्न होने वाला रोग है. इस में रोगी को बुखार आता है, शरीर की लिंफ ग्रंथियों में सूजन आ जाती है. संक्रमित माताओं से बच्चों में टोक्सोप्लाज्मोसिस का संक्रमण पहुंच जाता है. इस रोग में गर्भस्थ शिशु के मस्तिष्क का विकास और वृद्धि पर प्रतिकूल असर पड़ता है, जिस के फलस्वरूप संभावित संतान अल्प या मंदबुद्धि की पैदा होती है. गंभीर संक्रमण की स्थिति में बड़े सिर वाला, जिस के सिर में पानी भरा हुआ हो शिशु का जन्म होता है, जिस से वह मानसिक और शारीरिक रूप से जिंदगी भर के लिए अपाहिज हो जाता है.

रूबैला

इस रोग को जरमन मीजल्स के नाम से भी जाना जाता है. यह एक विषाणु रोग है. यह अल्प अवधि वाला, स्पर्शजन्य संक्रामक रोग है. इस के प्रारंभिक लक्षणों में हलकाहलका बुखार, शरीर की लिंफ ग्रंथियों में सूजन, शरीर पर हलकेहलके चकत्ते, फुंसियां हो जाती हैं. इस रोग का संक्रमण गर्भावस्था की प्रथम तिमाही में हो जाने पर गर्भस्थ शिशु पर अत्यधिक खतरनाक असर होता है.

सायटोमेगालोसिस

यह सायटोमेगालो वायरस से उत्पन्न होने वाला रोग है, जो प्रारंभ में लक्षणहीन होता है, बाद में तीव्र न्यूमोनिया में तबदील हो जाता है. यह रोग गर्भावस्था के दौरान गर्भस्थ शिशु का विकास रोक देता है तथा मस्तिष्क विकलांगता, छोटे सिर वाले बच्चे का जन्म होता है. ऐसे जन्मजात विकार से शिशु प्रसव के पश्चात मर जाता है या फिर जीवनभर अपाहिज बना रहता है.

हरपीज

यह कई हरपीज वायरस समूहों का रोग है, जिन में सामान्य हरपीज सिंपलेक्स से ले कर दर्दकारक हरपीज जोस्टर तथा चिकनपौक्स तक का संक्रमण होता है. कभीकभी दुर्गम स्थितियों में भी यह वायरस मस्तिष्क को प्रभावित करता है, जिस से जानलेवा ऐनसेफेलाइटिस तक हो सकता है.

उपचार

यदि मां और शिशु दोनों ही उपरोक्त रोगों से ग्रस्त हैं तो उन्हें इम्युनोग्लोबुलिन के टीके संयुक्त रूप से लगाए जाते हैं, ताकि दोनों में सुरक्षा प्रणाली मजबूत हो सके. टार्च टेस्ट के बाद रोग के अनुरूप ही मरीज को औषधि दे कर संभावित गर्भस्थ शिशु को सुरक्षा प्रदान की जा सकती है तथा संक्रमण से शिशु और मां दोनों को इस रोग से मुक्त किया जा सकता है. 

मेकअप का नया अंदाज

जब भी आप मेकअप कर रही होती हैं तो आप के दिमाग में बहुत सी बातें आती हैं कि ऐसा करने से मेकअप भद्दा नजर आएगा. मेकअप के प्रति अलगअलग महिलाओं की अलगअलग प्रतिक्रियाएं हैं. कुछ धारणाएं ऐसी बन गई हैं जिन के चलते आप सही माने में मेकअप को समझ ही नहीं पाती हैं, जबकि आप इन धारणाओं से निकल कर बिंदास मेकअप कर सकती हैं और वह आप पर काफी फबेगा भी. कुछ पुराने फंडों को दरकिनार करते हुए नए फंडे अपनाइए :

पुराना अंदाज : ग्लौसी रेड लिपस्टिक बहुत लाउड लगती है.

नया अंदाज : बिलकुल नहीं. रेड लिपस्टिक खराब नहीं लगती. यह आजकल फैशन में है. लेकिन इसे लगाने का सही तरीका अपनाना जरूरी है. यह इस बात पर निर्भर करता है कि कौन इस का प्रयोग किस अवसर के लिए कर रहा है. ब्राउनिश रेड या मैरून रेड शेड सभी पर जंचते हैं.

पुराना अंदाज : पाउडर लगाने से उम्रदराज लगने लगते हैं.

नया अंदाज : पाउडर लगाने से ऐसा नहीं होता, लेकिन जरूरत से अधिक पाउडर की परत फ्लैकी लुक देती है, जो आप को आप की उम्र में बड़ा  दिखाएगा. इसलिए ध्यान रखें कि पाउडर चेहरे पर बराबर से लगाएं और अतिरिक्त पाउडर को ब्रश से झाड़ दें.

पुराना अंदाज : हाथों की नेलपौलिश और पैरों की नेलपौलिश मेल खाती होनी चाहिए.

नया अंदाज : यह हमेशा जरूरी नहीं है कि दोनों के लिए एक ही नेलकलर लगाया जाए.

पुराना अंदाज : लिपग्लौस 40 साल की उम्र के बाद नहीं लगाना चाहिए.

नया अंदाज : हालांकि 30 साल की उम्र के बाद लिपग्लौस लगाना ठीक नहीं लगता है लेकिन अगर आप पहले अपने होंठों पर बाम या लिप मास्चराइजर लगाएं और उस के उपर लिप ग्लौस लगाएं तो बेहतर होगा. लेकिन लिप डिफाइनर से लिप को पहले डिफाइन (लिप लाइन बनाना) करना जरूरी है, ताकि ग्लौस होंठों के बाहर फैलने न पाए.

पुराना अंदाज : लिपस्टिक हमेशा लाइनर लगा कर ही लगानी चाहिए.

नया अंदाज : हमेशा लिपलाइन बनाना जरूरी नहीं होता. लाइनर लगाने से होंठों की सही शेप पता चलती है, जिस के जरिए उन्हें छोटाबड़ा दिखाया जा सकता है, साथ ही यह लिपस्टिक को फैलने से भी रोकती है. आजकल लिपलाइनर का चलन नहीं है. हालांकि हलके शेड्स वाले लाइनर से आउटलाइन बना कर लिपस्टिक के साथ ब्लैंड कर देने से होंठों का आकर्षण बढ़ जाता है. अगर आप नैचुरल मेकअप करना चाहती हैं तो लिपलाइनर की कोई आवश्यकता नहीं होगी. होंठों को सौफ्ट लुक देने के लिए सीधे होंठों के भीतर हलके शेड की लिपस्टिक लगाएं.

पुराना अंदाज : शिमरी मेकअप दिन के लिए सही नहीं होता है. खासतौर पर अगर आप 30 साल की हैं.

नया अंदाज : शिमरी मेकअप आप कहीं भी कभी भी लगा सकती हैं. यह वाकई में आप को जवां बना देता है. इस से आप की त्वचा में एक सौफ्ट ग्लो नजर आएगा. शिमर की बहुत सी रेंज जैसे कैमल और पिंक आप दिन या रात किसी भी समय लगा सकती हैं. उदाहरण के लिए अगर आप मेकअप में शिमरी आई और लिपस्टिक का प्रयोग करती हैं तो आप का ब्लशर मैट फिनिश वाला होना चाहिए.

पुराना अंदाज : आप की लिपस्टिक मेकअप से मेल खाती होनी चाहिए.

नया अंदाज : लिपस्टिक आप की त्वचा के रंग से मेल खाती होनी चाहिए. इसलिए बजाय अपने मेकअप से मेल खाती लिपस्टिक चुनने के, आप ऐसी लिपस्टिक चुनें, जो आप के होंठों के रंग को खिला दे. फ्लश टोंड कलर जैसे पिंकी ब्राउन, न्यूड और सौफ्ट रोज बहुत सी महिलाओं पर जंचते हैं. विशेष अवसर के लिए आप ब्राइट शेड्स चुन सकती हैं जैसे कि अगर आमतौर पर आप पिंकी ब्राउन लिपस्टिक लगती हैं तो विशेष अवसर पर आप बेरी टोन वाली लिपस्टिक आसानी से लगा सकती हैं.

पुराना अंदाज : आईशैडो आंखों के प्राकृतिक रंग से मेल खाना चाहिए.

नया अंदाज : उसी टोन का आईशैडो इस्तेमाल करने से आंखों की तरफ ध्यान ही नहीं जाएगा. बजाय इस के हमेशा विपरीत शेड का प्रयोग करें. उदाहरण के लिए आप की आंखों का रंग नीला है तो लाइलैक गोल्ड, ब्रोंज, कौपर, पीच या लाइट पिंक कलर और भूरी आंखों के लिए एमरल्ड ग्रीन, मोव, पर्पल, ब्रोंज या डीप प्लम शेड और हरी आंखों के लिए गोल्ड या कोरल टोन, पर्पल, मोव, सिल्वर शेड वाला आईशैडो लगाना चाहिए.

पुराना अंदाज : आई मेकअप फाउंडेशन, कंसीलर और ब्लश के बाद लगाना चाहिए.

नया अंदाज : आई मेकअप पहले लगाना चाहिए. सब से अंत में आई मेकअप करने से चेहरे पर इधरउधर आईशैडो फैलने का खतरा रहता है. फिर इसे हटाने से चेहरे के बीचबीच से मेकअप भी उतर जाता है, जो देखने में खराब लगता है. इसलिए आई मेकअप पहले करना चाहिए. आईशैडो लगा कर अतिरिक्त आईशैडो को ब्रश से झाड़ दें. फिर आईलाइनर लगाएं. उस के बाद एक कोट मस्कारा लगाएं. उस के बाद स्पोंज की सहायता से फाउंडेशन लगाएं. फिर ब्लश या ब्रोंजर लगाएं.

पुराना अंदाज : हमेशा एक ही ब्रांड का प्रोडक्ट इस्तेमाल करना चाहिए.

नया अंदाज : आप अपने चेहरे के लिए जो प्रोडक्ट इस्तेमाल करती हैं वह चेहरे या आप की त्वचा को पता नहीं होता. आप अपनी इच्छा से जो भी प्रोडक्ट इस्तेमाल करती हैं, चेहरे को उसी का पता होता है. लेकिन इस तरह आप दूसरे अच्छे विकल्प नहीं अपना पातीं, जबकि हो सकता है कि किसी दूसरे ब्रांड के प्रोडक्ट में वह विशेषता हो जो वास्तव में आप के चेहरे के लिए जरूरी हों. इसलिए ब्रांड को बदल कर भी देखिए. उदाहरण के लिए हो सकता है किसी विशेष ब्रांड का मास्चराइजर, जिस का आप लंबे समय से इस्तेमाल कर रही हैं, लेकिन वह आप की त्वचा को उतना लाभ न दे पा रहा हो, जो दूसरे ब्रांड का मास्चराइजर आप को दे सकता है.

कभी सोचा न था, ऐक्टर बन जाऊंगा

टीवी शो ‘रजिया सुल्तान’ में मिर्जा के रोल में आ रहे रोहित पुरोहित का कहना है कि मैं ने कभी नहीं सोचा था कि मैं टीवी पर आऊंगा. मैं एक फोटो शूट के लिए दोस्तों के साथ मुंबई आया था. वहां मेरा पोर्टफोलिओ देख कर एक फोटोग्राफर ने कहा कि फिल्मों में ट्राई क्यों नहीं करते? फिल्मों में तो चांस नहीं मिला पर ‘जोधा अकबर’ के औडीशन में सिलैक्ट हो गया. पर जो रोल मुझे दिया गया वह मुझे पसंद नहीं आया तो आशुतोषजी ने अस्सिटैंट डाइरैक्टर बना दिया. वहां मैं ने बहुत कुछ सीखा पर मुझे हीरो बनना था निर्देशक नहीं, इसलिए फिर प्रयास किए और टीवी शो ‘शौर्य और सुहानी’ के बाद ‘चंद्रगुप्त’ किया और अब ‘रजिया सुल्तान’ कर रहा हूं.

लोकप्रियता की आड़ में सलाहों का कारोबार

शारदा चिट फंड घोटाले में घेर लिए जाने के बाद 80 के दशक के जूनियर अमिताभ कहे जाने वाले मिथुन चक्रवर्ती ने इस घोटालेबाज कंपनी का प्रचारप्रसार करने के लिए ली गई करोड़ों रुपए की फीस वापस कर दी. हालांकि इस से उन भुक्तभोगियों का कोई भला नहीं होने वाला, जिन्होंने शारदा चिट फंड कंपनी के बतौर बैंड ऐंबैसेडर मिथुन दा के आह्वान पर इस कंपनी की लुभावनी वित्तीय निवेश योजनाओं पर दांव लगाया था, बावजूद इस के सैलिब्रिटीज से हासिल फीस वापस कर के कोर्ट ने कम से कम ऐसे लोगों को सबक सिखाने का एक काम तो किया ही है कि भविष्य में वे किसी कंपनी का प्रचारप्रसार करने के लिए उस के बारे में कुछ भी कहने और बोलने से पहले थोड़ी तो उस की छानबीन कर लें. अमिताभ और माधुरी भी नैस्ले की मैगी का खूब जम कर प्रचार करते थे. अब उन के खिलाफ भी अदालत में याचिका दायर हो गई है. अंतिम  फैसला क्या आता है, पता नहीं.

सचाई कुछ और

लेकिन इस से यह बात पता चलती है कि सैलिब्रिटीज किसी चीज को बेचने के लिए कुछ भी कहें जरूरी नहीं कि वह सच ही हो. चूंकि वे आम जनता के बीच लोकप्रिय होते हैं, तमाम आम लोग उन में अपना नायक, अपने सपनों के किरदार देखते हैं, इसलिए उन की कही तमाम बातों पर यकीन कर लेते हैं. अपने चाहने वालों के इस भरोसे को सैलिब्रिटीज खूब भुनाते हैं. पहले तो वे इस लोकप्रियता को शैंपू, साबुन और परफ्यूम जैसी चीजों को खरीदने की सलाह दे कर ही भुनाते थे, मगर अब इस से भी दो कदम आगे बढ़ गए हैं और अपनी लोकप्रियता की आड़ में अपने नाम से तैयार किए गए उत्पाद बेच रहे हैं. अब बिपाशा बसु को ही लें. पहले उन्होंने मीडिया के जरीए खुद को एक फिटनैस आइकोन की तरह स्थापित किया, अब उसी छवि को अपनी फिटनैस सीडी के कारोबार में तबदील कर दिया है. उन्होंने कुछ साल पहले अपनी फिटनैस संबंधी जब तीसरी डीवीडी जारी की थी, तो रातोंरात वह डीवीडी बैस्ट सेल की कैटेगरी में आ गई थी जबकि वह थोड़ीबहुत कीमत की नहीं, बल्कि पूरे 7 हजार की थी. अब बाजार में चर्चा है कि ये बंगाली मुहतरमा फिट रहने के लिए स्पैशल योगासनों की सीडी ले कर आ रही हैं, जिस की कीमत 10 हजार होने की संभावना है.

लोकप्रियता की कीमत

बिपाशा के नक्शेकदम पर अब रानी मुखर्जी भी चलने की तैयारी कर रही हैं. यह तो हम जानते ही हैं कि पिछले 4 सालों में आदित्य चोपड़ा से शादी के अलावा उन के खाते में और कोई दूसरी उपलब्धि नहीं है. एक नायिका के रूप में उन का समय ठीक नहीं चल रहा है. इसलिए रानी मुखर्जी इन दिनों कई फैशन शोज में चीफ गैस्ट के रूप में पहुंच रही हैं और शो के अंत में फैशन को ले कर भाषण देने का काम कर रही हैं. सुना है, इस के लिए वे अच्छाखासा मेहनताना वसूलती हैं और अब तो यह भी खबर है कि फैशन को प्रमोट करने के लिए वे जल्द ही एक किताब लिखेंगी जो देश के एक बड़े अंगरेजी अखबार में किस्त दर किस्त प्रकाशित होगी. टीवी न्यूज चैनलों ने पारंपरिक सैलिब्रिटी की संकीर्ण परिभाषा को बदल दिया है. अब सैलिब्रिटी की सूची काफी लंबी हो गई है. इस कारण अब सैलिब्रिटी सिर्फ क्रिकेटर या फिल्मी हीरोहीरोइन भर ही नहीं रह गए, बल्कि उन में मीडिया ऐक्सपर्ट, समसामयिक मामलों में टिप्पणी करने वाले सोशलाइट और टैलीविजन की बहसों में सक्रिय रहने वाली शख्सियतें भी शामिल हो गई हैं.

जो दिखता है वही बिकता है

अब सुहेल सेठ को ही लें. अभिजात्य जीवनशैली, किसी भी मामले में टिप्पणी करने की उन की खूबी (चाहे कचरा ही बोलें) बाजार गुरु की उपाधि, लेखक और न जाने क्याक्या उन की शान में कहा और लिखा जा सकता है. सुहेल सेठ की ताजा मास्टर पीस सलाह यह है कि एक ही समय पर सारी सही जगहों में मौजूदगी जरूरी है. यह थोड़ा गुरु गंभीर वाक्य है. इसलिए हो सकता है कि आप की समझ में न आए पर चिंता की कोई बात नहीं. हम भी तो सलाह देने के लिए ही बैठे हैं. तो सुनिए सुहेल सेठ के गुरु गंभीर वाक्य का मतलब है हर उस जगह अपना थोबड़ा (चेहरा) मौजूद रखने की कोशिश करिए, जहां कैमरा क्लिक करता हो, क्योंकि जो दिखता है, वही बिकता है. लेकिन सुहेल सेठ का दर्शन यहीं तक सीमित नहीं है. वे कहते हैं कि जो दिखता है, वही प्यारा भी लगने लगता है. शायद उन की यह समझ विज्ञापनों के मनोविज्ञान से बनी है कि जिस विज्ञापन को बारबार दिखाया जाता है, लोग उस उत्पाद के प्रति आकर्षित होते ही हैं, भले ही वह कितना भी गयागुजरा क्यों न हो. तो सुहेल सेठ की सुनिए. हर सही जगह मौजूद रहने की कोशिश कीजिए. आखिर यह एक सैलिब्रिटी की फिलहाल महत्त्वपूर्ण पर मुफ्त की सलाह है.

पैसों की कीमत

अमित बर्मन को हो सकता है वे पाठक ज्यादा न जानते हों जो सिर्फ हिंदी का अखबार पढ़ते हैं या फिर अंगरेजी के उन अखबारों को नहीं देखते जिन के शहरी लाइफस्टाइल से संबंधित बड़ेबड़े पुलआउट हैं. बहरहाल, अमित बर्मन डाबर समूह के युवा चेयरमैन हैं, उद्योगपति हैं. बाजार में उन के उत्पादों की अच्छीखासी मांग है, इसलिए जाहिर है उन से सलाह भी वैसी ही मांगी जाएगी या ली जानी पसंद की जाएगी जिस में कारोबारी गुर हों. तो अमित बर्मन भी अपनी पृष्ठभूमि का महत्त्व जानते हैं. शायद इसी वजह से उन की सलाह कारोबार से जुड़ी है. उन की सलाह कई स्तरों की है, जिस का सार है कि अच्छा कारोबारी बनना है तो यह जानने की कोशिश करें कि ग्राहक चाहता क्या है? वे अपने गुरु वाक्य को कुछ इस तरह वर्गीकृत करते हैं- आप के उत्पाद की कीमत वाजिब होनी चाहिए. इसे अंगरेजी में स्मार्ट प्राइसिंग कहते हैं. अमित के मुताबिक बिजनैस में सफलता का कम से कम भारत में यह मूलमंत्र है कि आप का उत्पाद सस्ता हो. वे मानते हैं कि थोड़ी क्वालिटी कम अच्छी हो तो चलेगा, लेकिन दाम ज्यादा हो तो चीज नहीं बिकेगी. इसलिए वे युवा कारोबारियों को सलाह देते हैं कि वे अपने उत्पादों की कीमत कम रखें, क्योंकि हिंदुस्तान का अच्छाखासा कमाने वाला शख्स भी सस्ती भद्दी चीजें खरीदना चाहता है. हालांकि वे तीखे शब्दों का इस्तेमाल नहीं करते. वे इसे थोड़ा नरमी से कहते हैं. मसलन, वे कहते हैं कि भारतीय उपभोक्ता अपने पैसों की कीमत अच्छी तरह से जानते हैं और कम पैसे में कैसे बेहतर सुविधा पाई जा सकती है, यह भी वे जानते हैं.

पचानी पड़ेगी सलाह

सिकंदर से ले कर नैपोलियन तक ने यह गंभीर सीख देने की कोशिश की है कि आदमी अपनी हर हार से सीखता है. लेकिन अब इस गंभीर सीख को देने वाले गौतम गंभीर हैं. गौतम किस्सा सुनाते हैं, ‘‘मैं 10वीं कक्षा में फेल हो गया. यह भयानक अनुभव था. मैं क्रिकेट का दीवाना था और मुझे लगा इस क्रिकेट ने मुझे डुबो दिया. मैं फट पड़ा. मां ने कहा सवाल यह नहीं है कि तुम शुरुआत कैसे करते हो? सवाल यह है कि तुम खत्म कैसे करते हो?’’ गौतम बताते हैं कि सीख यही थी कि कुछ भी करो, मगर निगाह निशाने पर ही रखो. हर हार आप को एक नई जीत का रास्ता दिखाती है, क्योंकि उस में एक सीख होती है. बहरहाल, गौतम गंभीर को अपनी सलाह देने का ज्यादा मौके या मंच नहीं मिलते, फिर भी जब कोई मौका मिलता है, वे अपने जूनियरों से ले कर उन तमाम लोगों को भी यह सीख देने से अपनेआप को नहीं रोक पाते जो उन की तरफ इस के लिए देखते हैं.

उम्र पीछे चलती है

गुजरे जमाने में अनगिनत विशेषणों से नवाजी गईं वहीदा रहमान आज भी कुछ विशेषणों पर अपना हक जता सकती हैं. मसलन, आप यह नहीं कह सकते कि 72 साल के बाद आप आकर्षण की दुनिया से बाहर हो जाते हैं. वहीदा रहमान को देखिए और उन की यह लाखों रुपए कीमत वाली सलाह सुनिए. वहीदा कहती हैं कि उम्र को सम्मान के साथ स्वीकारो तो वह भी आप को सम्मानजनक बनाए रखती है. अगर आप अपनी उम्र को तार्किक ढंग से स्वीकारते हैं तो न सिर्फ आप खुद को बेहतर ढंग से समझ पाते हैं बल्कि, लोग भी आप को बेहतर तरीके से समझते हैं. यही वजह है कि उम्र को स्वीकरते और सम्मान देते हुए वहीदा रहमान ने 72 की उम्र में अपने बाल काले नहीं किए. वे कहती हैं कि बाल काले करने के बाद भी मैं 17 की नहीं लगूंगी. खुद को धोखे में भले रखूं, लेकिन इन तरीकों से मुझे लोग ज्यादा पसंद नहीं करने लगेंगे. वहीदा की एक और नेक सलाह है कि अपनी उम्र के अनुसार ही टिप्पणी करो और  उसी के हिसाब से काम करो. जितने के हो, उतने ही दिखो. उम्र के हिसाब से ही अपनी राय बनाओ और गलतफहमी में न फंसो कि उम्र आप के पीछे चलती है. हां, उन की एक सब से कीमती सलाह यह है कि शांत रहें. शांति में हर अशांत सवाल का जवाब छिपा है.

बीमारी को मात

लीजा कहतीं हैं कि जैसे ही आप को पता चले कि आप किसी बड़ी बीमारी से ग्रस्त हैं तो चेहरे पर मुरदनी मत आने दीजिए. चेहरे पर हंसी का गुलाल बिखेरिए. बीमारी के साथ जीना और उसे स्वीकार करना आधी बीमारी खत्म कर देता है. हालांकि वे यह भी कहती हैं कि सब में जीने और लड़ने का जज्बा अलगअलग होता है. जिस तरीके से आप सहज महसूस करें, जिस भी तरीके से आप अपने बुरे समय से नजर मिला सकें, मिलाएं, क्योंकि मर्ज को मात देने का मजबूत तरीका यही है.

नेक सलाहों के बदले

अब यह जुमला तो आप ने अपनी दादीनानी से ले कर मां और पिताजी से होते हुए बड़े भाई तक से भी सुना होगा कि मुसीबत के समय छोटे से छोटा पैसा भी काम आता है. लेकिन जब यही बात अभिनेता सुशांत सिंह कह रहे हों तो माने रखती है. सुशांत के मुताबिक जो शख्स अपनी जिंदगी में पैसे को महत्त्व नहीं देता, एक दिन वह उसी पैसे के लिए मुहताज होता है. उन की नेक सलाहों में कई बातें  शामिल हैं. मसलन, आलसी मत बनो, खूब मेहनत करो वगैरहवगैरह. इस पुरानी कहावत में वे अपनी टिप्पणी का तर्क कुछ यों जोड़ते हैं कि आप जिस तरह पैसा खर्च करते हैं वह तरीका ही आप के पास पैसे होने या न होने की गारंटी देगा. अपनी 1-1 पाई का महत्त्व समझना चाहिए, क्योंकि हमें हर पल पैसे खर्च करने पड़ते हैं. मतलब क्या है? उन की इस बात का मतलब यह है कि महीने की शुरुआत में ही अंधाधुंध खरीदारी कर के अपनी जेब खाली न कर बैठें बल्कि महीने के अंत में बड़ी खरीदारी करें ताकि महीने के अंत में पैसे की समस्या न खड़ी हो. एक बार आप में यह आदत बन जाए तो फिर आप अपनी बड़ी से बड़ी जरूरत भी इस बचत की आदत के चलते पूरा कर सकते हैं.

राखी का उपहार

इस समय रात के 12 बज रहे हैं. सारा घर सो रहा है पर मेरी आंखों से नींद गायब है. जब मुझे नींद नहीं आई, तब मैं उठ कर बाहर आ गया. अंदर की उमस से बाहर चलती बयार बेहतर लगी, तो मैं बरामदे में रखी आरामकुरसी पर बैठ गया. वहां जब मैं ने आंखें मूंद लीं तो मेरे मन के घोड़े बेलगाम दौड़ने लगे. सच ही तो कह रही थी नेहा, आखिर मुझे अपनी व्यस्त जिंदगी में इतनी फुरसत ही कहां है कि मैं अपनी पत्नी स्वाति की तरफ देख सकूं.

‘‘भैया, मशीन बन कर रह गए हैं आप. घर को भी आप ने एक कारखाने में तबदील कर दिया है,’’ आज सुबह चाय देते वक्त मेरी बहन नेहा मुझ से उलझ पड़ी थी. ‘‘तू इन बेकार की बातों में मत उलझ. अमेरिका से 5 साल बाद लौटी है तू. घूम, मौजमस्ती कर. और सुन, मेरी गाड़ी ले जा. और हां, रक्षाबंधन पर जो भी तुझे चाहिए, प्लीज वह भी खरीद लेना और मुझ से पैसे ले लेना.’’

‘‘आप को सभी की फिक्र है पर अपने घर को आप ने कभी देखा है?’’ अचानक ही नेहा मुखर हो उठी थी, ‘‘भैया, कभी फुरसत के 2 पल निकाल कर भाभी की तरफ तो देखो. क्या उन की सूनी आंखें आप से कुछ पूछती नहीं हैं?’’

‘‘ओह, तो यह बात है. उस ने जरूर तुम से मेरी चुगली की है. जो कुछ कहना था मुझ से कहती, तुम्हें क्यों मोहरा बनाया?’’

‘‘न भैया न, ऐसा न कहो,’’ नेहा का दर्द भरा स्वर उभरा, ‘‘बस, उन का निस्तेज चेहरा और सूनी आंखें देख कर ही मुझे उन के दर्द का एहसास हुआ. उन्होंने मुझ से कुछ नहीं कहा.’’ फिर वह मुझ से पूछने लगी, ‘‘बड़े मनोयोग से तिनकातिनका जोड़ कर अपनी गृहस्थी को सजाती और संवारती भाभी के प्रति क्या आप ने कभी कोई उत्साह दिखाया है? आप को याद होगा, जब भाभी शादी कर के इस परिवार में आई थीं, तो हंसना, खिलखिलाना, हाजिरजवाबी सभी कुछ उन के स्वभाव में कूटकूट कर भरा था. लेकिन आप के शुष्क स्वभाव से सब कुछ दबता चला गया.

‘‘भैया आप अपनी भावनाओं के प्रदर्शन में इतने अनुदार क्यों हो जबकि यह तो भाभी का हक है?’’

‘‘हक… उसे हक देने में मैं ने कभी कोई कोताही नहीं बरती,’’ मैं उस समय अपना आपा खो बैठा था, ‘‘क्या कमी है स्वाति को? नौकरचाकर, बड़ा घर, ऐशोआराम के सभी सामान क्या कुछ नहीं है उस के पास. फिर भी वह…’’

‘‘अपने मन की भावनाओं का प्रदर्शन शायद आप को सतही लगता हो, लेकिन भैया प्रेम की अभिव्यक्ति भी एक औरत के लिए जरूरी है.’’

‘‘पर नेहा, क्या तुम यह चाहती हो कि मैं अपना सारा काम छोड़ कर स्वाति के पल्लू से जा बंधूं? अब मैं कोई दिलफेंक आशिक नहीं हूं, बल्कि ऐसा प्रौढ हूं जिस से अब सिर्फ समझदारी की ही अपेक्षा की जा सकती है.’’ ‘‘पर भैया मैं यह थोड़े ही न कह रही हूं कि आप अपना सारा कामधाम छोड़ कर बैठ जाओ. बल्कि मेरा तो सिर्फ यह कहना है कि आप अपने बिजी शैड्यूल में से थोड़ा सा वक्त भाभी के लिए भी निकाल लो. भाभी को आप का पूरा नहीं बल्कि थोड़ा सा समय चाहिए, जब आप उन की सुनें और कुछ अपनी कहें. ‘‘सराहना, प्रशंसा तो ऐसे टौनिक हैं जिन से शादीशुदा जीवन फलताफूलता है. आप सिर्फ उन छोटीछोटी खुशियों को समेट लो, जो अनायास ही आप की मुट्ठी से फिसलती जा रही हैं. कभी शांत मन से उन का दिल पढ़ कर तो देखो, आप को वहां झील सी गहराई तो मिलेगी, लेकिन चंचल नदी सा अल्हड़पन नदारद मिलेगा.’’

अचानक ही वह मेरे नजदीक आ गई और उस ने चुपके से कल की पिक्चर के 2 टिकट मुझे पकड़ा दिए. फिर भरे मन से बोली, ‘‘भैया, इस से पहले कि भाभी डिप्रेशन में चली जाएं संभाल लो उन को.’’ ‘‘पर नेहा, मुझे तो ऐसा कभी नहीं लगा कि वह इतनी खिन्न, इतनी परेशान है,’’ मैं अभी भी नेहा की बात मानने को तैयार नहीं था.

‘‘भैया, ऊपरी तौर पर तो भाभी सामान्य ही लगती हैं, लेकिन आप को उन का सूना मन पढ़ना होगा. आप जिस सुख और वैभव की बात कर रहे हो, उस का लेशमात्र भी लोभ नहीं है भाभी को. एक बार उन की अलमारी खोल कर देखो, तो आप को पता चलेगा कि आप के दिए हुए सारे महंगे उपहार ज्यों के त्यों पड़े हैं और कुछ उपहारों की तो पैकिंग भी नहीं खुली है. उन्होंने आप के लिए क्या नहीं किया. आप को और आप के बेटों अंशु व नमन को शिखर तक पहुंचाने में उन का योगदान कम नहीं रहा. मांबाबूजी और मेरे प्रति अपने कर्तव्यों को उन्होंने बिना शिकायत पूरा किया, तो आप अपने कर्तव्य से विमुख क्यों हो रहे हैं?’’

‘‘पर पगली, पहले तू यह तो बता कि इतने ज्ञान की बातें कहां से सीख गई? तू तो अब तक एक अल्हड़ और बेपरवाह सी लड़की थी,’’ मैं नेहा की बातों से अचंभे में था.

‘‘क्यों भैया, क्या मैं शादीशुदा नहीं हूं. मेरा भी एक सफल गृहस्थ जीवन है. समर का स्नेहिल साथ मुझे एक ऊर्जा से भर देता है. सच भैया, उन की एक प्यार भरी मुसकान ही मेरी सारी थकान दूर कर देती है,’’ इतना कहतेकहते नेहा के गाल शर्म से लाल हो गए थे. ‘‘अच्छा, ये सब छोड़ो भैया और जरा मेरी बातों पर गौर करो. अगर आप 1 कदम भी उन की तरफ बढ़ाओगे तो वे 10 कदम बढ़ा कर आप के पास आ जाएंगी.’’

‘‘अच्छा मेरी मां, अब बस भी कर. मुझे औफिस जाने दे, लेट हो रहा हूं मैं,’’ इतना कह कर मैं तेजी से बाहर निकल गया था. वैसे तो मैं सारा दिन औफिस में काम करता रहा पर मेरा मन नेहा की बातों में ही उलझा रहा. फिर घर लौटा तो यही सब सोचतेसोचते कब मेरी आंख लगी, मुझे पता ही नहीं चला. मैं उसी आरामकुरसी पर सिर टिकाएटिकाए सो गया.

‘‘भैया ये लो चाय की ट्रे और अंदर जा कर भाभी के साथ चाय पीओ,’’ नेहा की इस आवाज से मेरी आंख खुलीं.

‘‘तू भी अपना कप ले आ, तीनों एकसाथ ही चाय पिएंगे,’’ मैं आंखें मलता हुआ बोला.

‘‘न बाबा न, मुझे कबाब में हड्डी बनने का कोई शौक नहीं है,’’ इतना कह कर वह मुझे चाय की ट्रे थमा कर अंदर चली गई. जब मैं ट्रे ले कर स्वाति के पास पहुंचा तो मुझे अचानक देख कर वह हड़बड़ा गई, ‘‘आप चाय ले कर आए, मुझे जगा दिया होता. और नेहा को भी चाय देनी है, मैं दे कर आती हूं,’’ कह कर वह बैड से उठने लगी तो मैं उस से बोला, ‘‘मैडम, इतनी परेशान न हो, नेहा भी चाय पी रही है.’’ फिर मैं ने चाय का कप उस की तरफ बढ़ा दिया. चाय पीते वक्त जब मैं ने स्वाति की तरफ देखा तो पाया कि नेहा सही कह रही है. हर समय हंसती रहने वाली स्वाति के चेहरे पर एक अजीब सी उदासी थी, जिसे मैं आज तक या तो देख नहीं पाया था या उस की अनदेखी करता आया था. जितनी देर में हम ने चाय खत्म की, उतनी देर तक स्वाति चुप ही रही.

‘‘अच्छा भाई. अब आप दोनों जल्दीजल्दी नहाधो कर तैयार हो जाओ, नहीं तो आप लोगों की मूवी मिस हो जाएगी,’’ नेहा आ कर हमारे खाली कप उठाते हुए बोली.

‘‘लेकिन नेहा, तुम तो बिलकुल अकेली रह जाओगी. तुम भी चलो न हमारे साथ,’’ मैं उस से बोला.

‘‘न बाबा न, मैं तो आप लोगों के साथ बिलकुल भी नहीं चल सकती क्योंकि मेरा तो अपने कालेज की सहेलियों के साथ सारा दिन मौजमस्ती करने का प्रोग्राम है. और हां, शायद डिनर भी बाहर ही हो जाए.’’ फिर नेहा और हम दोनों तैयार हो गए. नेहा को हम ने उस की सहेली के यहां ड्रौप कर दिया फिर हम लोग पिक्चर हौल की तरफ बढ़ गए.

‘‘कुछ तो बोलो. क्यों इतनी चुप हो?’’ मैं ने कार ड्राइव करते समय स्वाति से कहा पर वह फिर भी चुप ही रही. मैं ने सड़क के किनारे अपनी कार रोक दी और उस का सिर अपने कंधे पर टिका दिया. मेरे प्यार की ऊष्मा पाते ही स्वाति फूटफूट कर रो पड़ी और थोड़ी देर रो लेने के बाद जब उस के मन का आवेग शांत हुआ, तब मैं ने अपनी कार पिक्चर हौल की तरफ बढ़ा दी. मूवी वाकई बढि़या थी, उस के बाद हम ने डिनर भी बाहर ही किया. घर पहुंचने पर हम दोनों के बीच वह सब हुआ, जिसे हम लगभग भूल चुके थे. बैड के 2 सिरों पर सोने वाले हम पतिपत्नी के बीच पसरी हुई दूरी आज अचानक ही गायब हो गई थी और तब हम दोनों दो जिस्म और एक जान हो गए थे. मेरा साथ, मेरा प्यार पा कर स्वाति तो एक नवयौवना सी खिल उठी थी. फिर तो उस ने मुझे रात भर सोने नहीं दिया था. हम दोनों थोड़ी देर सो कर सुबह जब उठे, तब हम दोनों ने ही एक ऐसी ताजगी को महसूस किया जिसे शायद हम दोनों ही भूल चुके थे. बारिश के गहन उमस के बाद आई बारिश के मौसम की पहली बारिश से जैसे सारी प्रकृति नवजीवन पा जाती है, वैसे ही हमारे मृतप्राय संबंध मेरी इस पहल से मानो जीवंत हो उठे थे.

रक्षाबंधन वाले दिन जब मैं ने नेहा को उपहारस्वरूप हीरे की अंगूठी दी तो वह भावविभोर सी हो उठी और बोली, ‘‘खाली इस अंगूठी से काम नहीं चलेगा, मुझे तो कुछ और भी चाहिए.’’

‘‘तो बता न और क्या चाहिए तुझे?’’ मैं मिठाई खाते हुए बोला. ‘‘इस अंगूठी के साथसाथ एक वादा भी चाहिए और वह यह कि आज के बाद आप दोनों ऐसे ही खिलखिलाते रहेंगे. मैं जब भी इंडिया आऊंगी मुझे यह घर एक घर लगना चाहिए, कोई मकान नहीं.’’

‘‘अच्छा मेरी मां, आज के बाद ऐसा ही होगा,’’ इतना कह कर मैं ने उसे अपने गले से लगा लिया. मेरा मन अचानक ही भर आया और मैं भावुक होते हुए बोला, ‘‘वैसे तो रक्षाबंधन पर भाई ही बहन की रक्षा का जिम्मा लेते हैं पर यहां तो मेरी बहन मेरा उद्धार कर गई.’’ ‘‘यह जरूरी नहीं है भैया कि कर्तव्यों का जिम्मा सिर्फ भाइयों के ही हिस्से में आए. क्या बहनों का कोई कर्तव्य नहीं बनता? और वैसे भी अगर बात मायके की हो तो मैं तो क्या हर लड़की इस बात की पुरजोर कोशिश करेगी कि उस के मायके की खुशियां ताउम्र बनी रहें.’’ इतना कह कर वह रो पड़ी. तब स्वाति ने आगे बढ़ कर उसे गले से लगा लिया

वेडिंग इंश्योरेंस

आजकल मेट्रो सिटीज में वेडिंग इंश्योरेंस के प्रति लोगों की रुचि अच्छीखासी बढ़ रही है. शादियों में लोग अच्छाखासा पैसा खर्च कर रहे हैं. लेकिन आजकल जितनी सुविधाएं हैं उतना ही जोखिम भी है. यदि कोई दुर्घटना हो जाए तो शादी वालों की स्थिति डांवांडोल हो जाती है. ऐसी स्थिति में वेडिंग इंश्योरेंस मददगार साबित होता है. जहां हम लाखों रुपए खर्च करते हैं वहां चंद और रुपए खर्च कर के जोखिम भरी दुर्घटनाओं से बचा जा सकता है.

क्या है वेडिंग इंश्योरेंस

इसे इवेंट इंश्योरेंस भी कहते हैं. यह शादी में होने वाली दुर्घटना और जानमाल की हानि से बचने के लिए कराया जाता है. इस में 6 भाग होते हैं :

प्रिंटेड तिथि : इस में शादी की तिथि के 7 दिन पहले यदि शादी वेन्यू में कोई आगजनी, कोई दुर्घटना या दंगाफसाद हो तो वह इस भाग के तहत कवर होता है.

पर्सनल दुर्घटना : इस भाग में सगे परिवार के किसी सदस्य जैसे – दूल्हे के मातापिता, भाईबहन या फिर परिवार के किसी अन्य सदस्य के साथ कोई दुर्घटना होती है तो ये सब इस पालिसी के अंतर्गत आते हैं. शर्त यह होती है कि इन का नाम पालिसी में लिखा होना चाहिए. जैसेजैसे लोग बढ़ते जाते हैं वैसेवैसे पालिसी का प्रीमियम भी बढ़ता जाता है.

संपत्ति को नुकसान : इस में संपत्ति को शामिल किया जाता है, जिस में शादी की जगह तथा घर की डेकोरेटिंग में आग से नुकसान शामिल होता है.

मनी मैटर : इस भाग के अंतर्गत आप के रुपयों का रिस्क कम हो जाता है. आप ने जो मनी सेव की है उस की सुरक्षा रहती है.

चोरी : यदि शादी के समय घर में चोरी आदि हो जाए तब आप को इस पालिसी के अंतर्गत कवरेज मिल सकता है.

पब्लिक लिबेरेलाइजेशन : किसी कारण से शादी में आए मेहमानों के साथ कोई अनहोनी घट जाए तो वह भी कवर हो जाता है.

बीमे की राशि

इस में 20 हजार से 70 लाख रुपए का बीमा होता है. इस के प्रीमियम की राशि 3 हजार रुपए से शुरू होती है और जोखिम के साथसाथ प्रीमियम की राशि भी बढ़ती जाती है, जो 15 हजार रुपए तक भी हो सकती है.

कब होगा कवर

शादी की जगह या दूल्हेदुलहन के घर की सजावट में आगजनी होने पर.

कीमती सामान की चोरी होने पर.

फूड प्वाइजनिंग होने पर.

शादी के इंतजाम में जिन चीजों की अग्रिम राशि दी जा चुकी है जैसे- मैरिज हाल, कैटरिंग, डेकोरेर्ट्स, कमरे आदि की व्यवस्था, उन की कवरेज.

कब नहीं होगा कवर

बालविवाह के अंतर्गत नहीं आएगा.

जानबूझ कर सारी व्यवस्था करने के बाद शादी रुकने या रोकने पर.

यदि दूल्हादुलहन या उन के मातापिता ने कोई अपराध किया हो.

दोनों पक्षों में झगड़ा होने पर शादी स्थगित होने पर.

कैसे कराएं बीमा

सर्वप्रथम जिस कंपनी से आप बीमा करा रहे हैं उस का फार्म भरना पड़ता है, जिस के अंतर्गत नाम, पता, शादी की जगह सहित फोन नंबर भी भरना होता है.

फार्म में लिखित सारी सूचनाएं भरनी पड़ती हैं.

शादी का कार्ड जमा कराना पड़ता है.

ज्वेलरी की रसीदों की फोटोकापी नत्थी करनी पड़ती है.

मैरिज हाल, कैटरिंग, डेकोरेशन वाले को दिए रुपयों की रसीदें सब की कार्बन कापी जमा करानी पड़ती है.

बीमा कराते समय जिनजिन व्यक्तियों को इस के अंतर्गत शामिल किया जाना है उन के नाम व पता लिखना पड़ता है

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