5 Style Tips | What not to Wear

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सारा का लिपलौक

बिग बौस से सुर्खियों में आईं सारा खान की एक नई तसवीर आजकल तहलका मचा रही है. जिस में सारा खान बिकनी पहने हुए है और ‘बालिका वधू’ फेम प्रत्यूषा बनर्जी के साथ लिपलौक कर रही हैं. सारा की बोल्डनैस यही तक नहीं है, अपनी बोल्डनेस से अपने बौयफ्रेंड पारस छाबड़ा के साथ फिल्म ‘मिड समर मिड नाइट मुंबई’ से बौलीवुड में कदम रख दिया है. खबर के अनुसार इस फिल्म में उन्होंने किसिंग का नया रिकार्ड कायम किया है.

कैसे रहें स्लिम ऐंड ट्रिम

बदलती जीवनशैली जहां लोगों को प्रगति पथ पर ला रही है, वहीं कई समस्याएं उन्हें कम उम्र में ही होने लगी हैं. उन में मधुमेह, ब्लडप्रैशर, नींद न आना वगैरह खास हैं.

अधिकतर ये समस्याएं बिना सोचेसमझे उद्देश्य के पीछे भागने, तनावपूर्ण जीवन बिताने, कम सोने, समय पर भोजन न करने आदि कारणों से होती हैं. अगर आप फिट रहना चाहती हैं, तो स्वास्थ्यवर्धक भोजन समय पर करना, व्यायाम करना, पूरी नींद लेना आदि बहुत जरूरी है.

आप चाहे वर्किंग वूमन हों चाहे हाउसवाइफ अगर आप इन बातों पर विशेष ध्यान दे कर इन्हें अपनाती हैं तो आप स्फूर्तिवान, ताजगीपूर्ण और फ्रैश दिख सकती हैं.

इस बारे में मुंबई के फिटनैस ऐक्सपर्ट मिकी मेहता कहते हैं कि फिटनैस के प्रति महिलाएं सब से अधिक उदास रहती हैं. वे इस बात पर ध्यान नहीं देतीं कि केवल घर पर रह कर या बाहर के काम से आप का वर्कआउट पूरा नहीं होता. कुछ व्यायाम आप को समयसमय पर करने जरूरी हैं.

वर्किंग विमंस के लिए जरूरी व्यायाम निम्न हैं:

– काम करतेकरते जब भी समय मिले, कुरसी पर बैठ कर अपने सिर को बाएं हाथ से दाईं ओर ले जाएं. 15 से 20 सैकंड वैसे रखने के बाद सिर को दाएं हाथ से बाईं ओर ले जाएं. इसे ट्रंक ट्विस्ट कहा जाता है. यह गरदन के लिए बहुत आरामदायक वर्कआउट है.

– अपने दोनों हाथों को सिर के पीछे ले जा कर कुहनी से दाएं घुटने को छूने की कोशिश करें. इस के लिए 15 से 20 सैकंड काफी होते हैं. फिर बाएं घुटने के साथ ऐसा करें.

– कुरसी पर बैठ कर पैरों को सीधा कर 30 सैकंड तक रखें. ऐसा थोड़ीथोड़ी देर में करने से दोनों पैरों में सूजन या थकान नहीं आती.

– कुरसी पर ही बैठ कर पैरों को सीधा कर, अंगूठे को जमीन पर टिका कर एक बार क्लौकवाइज और एक बार ऐंटीक्लौकवाइज घुमाएं. इस से पैरों में होने वाला दर्द कम होता है व ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है.

हाउसवाइफ को किसी ऐक्सपर्ट से व्यायाम को सीख लेना चाहिए ताकि उन की सेहत पर इस का बुरा प्रभाव न पडे़. कई बार सही जानकारी के अभाव में किया गया व्यायाम कई परेशानियों को भी दावत देता है.

एक अनुभव को शेयर करते हुए मिकी मेहता बताते हैं कि एक महिला ने घर पर पतले होने के लिए साइकिलिंग करना शुरू किया. लेकिन जरूरत से अधिक साइकिलिंग करने की वजह से उन के स्पाइनल कौर्ड में दर्द शुरू हो गया. वे कई महीनों तक ठीक से उठनेबैठने में असमर्थ थीं. काफी इलाज के बाद वे नौर्मल हुईं.

हलकेफुलके व्यायाम, जैसे जौगिंग करना, तैरना, साइकिल चलाना, टहलना आदि व्यक्ति कभी भी कर सकता है. पर कुछ खास व्यायाम जो आप को फिट रखें निम्न हैं:

–  स्क्वाट्स शरीर को फिट रखने का उत्तम व्यायाम है. इस में कंधे को सीधा कर खड़े हो कर, पैरों को थोड़ा अलग करें. फिर दोनों हाथों को ऊपर ले जा कर झुकें और अंगूठे को छुएं. करीब 10 सैकंड के बाद वापस खड़ी हो जाएं और 5 बार दोहराएं.

– जमीन पर उलटी लेट कर दोनों हाथों के सहारे शरीर को सहारा दे धीरेधीरे शरीर को ऊपर उठाएं. इसे 5 बार दोहराएं.

– महिलाओं के लिए पेट का व्यायाम एबडौमिनल कं्रचेस बहुत लाभदायक होता है. इस में फर्श पर लेट कर घुटनों को मोड़ लें और गरदन के पीछे दोनों हाथों को ले जा कर अपनी बौडी को घुटनों के साथ जोड़ने की कोशिश करें. बौडी को उठाते वक्त सांस खींच लें. फिर धीरेधीरे छोड़ें. इसे 12 से 15 बार दोहराएं.

इस के अलावा आगे बताए जा रहे आहार से जुड़े निर्देशों का पालन कर के महिलाएं अपने मोटापे से राहत पा सकती हैं.

– कभी भी भूखी न रहें. आहार तालिका में फल, हरी पत्तेदार सब्जियां शामिल करें.

– भोजन से पहले सलाद या सूप अवश्य लें.

– हर्बल या ग्रीन टी भी भोजन से पहले ले सकती हैं. इस से मैटाबोलिज्म अच्छा रहता है.

बचपन को दें प्यारभरी देखभाल

दुनिया की हर औरत के लिए मां बनने का एहसास सब से निराला और अनूठा है. नवजात के गर्भ में आने से ले कर उस के जन्म लेने तक हर मां शारीरिक बदलाव के साथसाथ अपने अंदर एक भावनात्मक बदलाव भी महसूस करती है.

बच्चे का जन्म जहां एक ओर खुशियां ले कर आता है, वहीं दूसरी ओर नई जिंदगी के लालनपालन की जिम्मेदारी का एहसास भी कराता है.

भावों से भरा ममता का बंधन

नन्हेमुन्ने के जन्म के साथ ही शुरू होता है उस की देखभाल का सिलसिला. ये सिलसिला एक प्यारा सा एहसास, ममता मां के दिल में जगाता है. नवजात की देखरेख करतेकरते मां और बच्चे के बीच भावनात्मक जुड़ाव भी विकसित होने लगता है और ये जुड़ाव ही मां व बच्चे के रिश्ते को सब रिश्तों में सब से खास बनाता है.

भावनाओं से भरपूर ममता का ये बंधन इतना अनूठा होता है कि बच्चे की एक किलकारी पर ही मां समझ जाती है कि बच्चा क्या कहना चाहता है. नवजात भी अपनी मां की गोद को ही दुनिया की सब से आरामदायक और सुरक्षित जगह मानता है.

नटखट को नहलाते, दूध पिलाते, मालिश करते और संवारते समय जब मां उस का लालनपालन कर रही होती है, तब मांबच्चे के रिश्ते की डोर और भी मजबूत हो रही होती है. ममता का ये स्पर्श ही तो देता है मासूम की जिंदगी को एक मजबूत शुरुआत.

ऐसे करें नवजात की केयर

यूं तो घर में दादीनानी, मां या सास बच्चे की देखभाल करने में हाथ बंटाती हैं, पर बच्चे की देखरेख के लिए मां को भी सजग रहना चाहिए. अधिकतर अस्पतालों और नर्सिंगहोम में नवजात शिशु को जन्म के दूसरे दिन नहलाया जाता है, लेकिन आप चाहें तो अपने बच्चे को पहले ही दिन नहला सकती हैं.

यह भ्रांति है कि जब तक अम्बलिकल कौर्ड (गर्भनाल) न सूख जाए तब तक बच्चे को नहीं नहलाना चाहिए क्योंकि नहलाने से संक्रमण होने का खतरा रहता है और जख्म को भरने में समय लगता है. जबकि ऐसा कुछ भी नहीं होता. हां, नहलाने के बाद जख्म के स्थान को हलके से पोंछ कर सुखा देना चाहिए.

शिशु को पहली बार नहलाना हर मां के लिए चुनौतीपूर्ण होता है लेकिन इस चुनौती से घबराना नहीं चाहिए. संयम से काम लेते हुए आहिस्ताआहिस्ता बच्चे को नहलाना चाहिए. बच्चे को नहलाते समय किसी को साथ में जरूर रखना चाहिए ताकि आप को जिस भी चीज की जरूरत हो वह आप को पकड़ाता जाए.

जब नहलाना हो बच्चे को

नवजात का शरीर बेहद नाजुक होता है, इसलिए उस को नहलाते समय कुछ बातों का ध्यान जरूर रखें. खासतौर पर बच्चे को नहलाने से पहले अपने हाथों को अच्छी तरह धो लें. नहाने से संबंधित सभी आइटम जैसे क्लींजर, टौवल, नैपी, कपड़े को एकत्र कर के एक स्थान पर रखें.

बाथ टब में हलका कुनकुना पानी डालें. गरमियों में भी बच्चे को गरम पानी से ही नहलाएं. टब में बच्चे की नाभि की ऊंचाई तक ही पानी होना चाहिए ताकि नटखट जब उछलकूद करे तो पानी उस की नाक या मुंह में न जाए.

पानी ज्यादा गरम तो नहीं हुआ इसे जांचने के लिए अपने हाथ की कुहनी को पानी में डाल कर देखें. इस के बाद बच्चे को टौवल में लपेटें और पहले उस के बाल और चेहरा धोएं.

नवजात की साफसफाई

नवजात की कोमल त्वचा को हलके हाथों से धीरेधीरे साफ करते हुए सुखाएं. बच्चे की आंखें, कान, नाक और गरदन स्पंज की सहायता से साफ करें. इस के बाद बच्चे को गरदन से सहारा दें और उस के सिर पर पानी डालें. आप बच्चे के बाल बेबी शैंपू से साफ कर सकती हैं. बच्चे के सिर पर पड़े हलके दागों को सौफ्ट टिप वाले ब्रश से साफ करें.

बच्चे को बाथ टब में नहलाते वक्त पीएच न्यूट्रल लिक्विड बेबीक्लींजर से साफ करें. अगर बच्चे की त्वचा रूखी है तो उस के नहाने के पानी में कुछ बूंदें तेल की डालें.

अगर आप बच्चे को सिर्फ पानी से नहलाना चाहती हैं तो बच्चे के सिर्फ नैपी एरिया को मौइश्चराइजिंग सोप से साफ कर दें.

बेबी के शरीर को स्पंज या मुलायम कपड़े से ही साफ करें. नहलाते वक्त बच्चे के शरीर के उन हिस्सों की सफाईर् पर भी ध्यान दें जहां मैल जमने की संभावना होती है. जैसे कुहनी, गरदन, नैपी एरिया, पैरों और हाथों की उंगलियां. इस के बाद बच्चे को बाथ टब से बाहर निकालें. बाथ टब से बाहर निकालते वक्त एक हाथ उस के गरदन के पास और एक हाथ उस के बौटम पर सहारा देने के लिए लगाएं.

बच्चे को बाथ टब से निकालते ही हूडेड टौवल में लपेटें. इस के बाद उसे 10 मिनट तक मुलायम कंबल में लपेट कर सुखाएं. बच्चे के शरीर को सुखाने के बाद उस की बेबी मौइश्चराइजर से हलकी मसाज करें और स्प्रिंगली में पाउडर लगा कर हलका स्पर्श करते हुए गोलगोल घुमाएं. पाउडर को बच्चों की नाक के पहुंच से दूर रखें.

इस के बाद बच्चे को कपड़े पहनाएं और गरम कंबल में उसे लपेटें. इस बात का ध्यान दें कि बच्चा जब बाथ टब में हो तो उस के साथ किसी एक व्यक्ति का होना जरूरी है.

मालिश दे मासूम को मजबूत शुरुआत

बच्चे को चुस्त व तंदुरुस्त बनाए रखने के लिए जरूरी पोषण देने के साथसाथ समयसमय पर उस की मालिश भी करें. मालिश करने के लिए सही समय का चुनाव करना बेहद जरूरी है. बच्चे को खाना खिलाने के बाद या जब उसे नींद आ रही हो उस समय को छोड़ कर कभी भी उस की मालिश की जा सकती है.

मालिश करने के लिए टौवल को फर्श पर बिछाएं और एक बाउल में वैजिटेबल औयल ले कर उस से मसाज शुरू कर दें. अगर बच्चा मसाज करते वक्त रोने लगे तो उसे हलके हाथों से थपकियां दें.

मालिश की शुरुआत करने के लिए बच्चे के पैर सब से सही स्थान होते हैं. क्योंकि यह जगह शरीर की बाकी सैंसेटिव जगहों से मजबूत होती है. यहां की मालिश करने के लिए बच्चे के पैर पर हलके हाथों से ऊपरनीचे रब करना होता है.

यह प्रक्रिया बिलकुल वैसी ही होती है जैसे गाय का दूध निकाला जाता है. पैरों के साथ ही बच्चे के पैर की दसों उंगलियों की भी मालिश करें. पैर की मालिश के बाद दोनों पैरों को उठा कर विपरीत दिशा में मोड़ना चाहिए.

पैर की मालिश के बाद बच्चे के हाथों की मालिश की जानी चाहिए. इस के लिए उस के कंधे से ले कर कलाई तक मालिश की जानी चाहिए. मालिश के दौरान उस की कलाई को विपरीत दिशाओं में हलके से घुमाना चाहिए.

बच्चे की हथेली को अपने अंगूठे से हलके हाथों से दबाएं. इस के बाद बच्चे के सीने पर हाथ रख कर उस के दोनों हाथों को विपरीत दिशा में बारीबारी मोड़ें. आखिर में बच्चे के पेट और पीठ पर भी हल्के हाथों से मसाज करें.

ताकि नटखट ले सुकून की नींद

बच्चे को सुलाना हर मां के लिए सब से जटिल काम होता है. सैकड़ों पैतरों को आजमाने के बाद भी मम्मियां बच्चों को सुलाने में असफल हो जाती हैं. लेकिन वे कुछ चीजों पर ध्यान दें तो बच्चा और वे दोनों ही सुकून की नींद सो सकते हैं.

बच्चे के सोने का एक समय बनाएं और रोज उसी समय पर उसे सुलाने का प्रयास करें. कुछ दिन में बच्चे को उसी समय सोने की आदत पड़ जाएगी. बच्चे को दिन में ज्यादा और रात के वक्त कुछ कम फीड कराएं. इस से आप के बच्चे को दिन और रात का फर्क पता चलेगा और वह आसानी से सो जाएगा.

इतना ही नहीं, बच्चे को कम से कम 6 से 8 हफ्तों तक अपने आप सोने का मौका दें. बच्चा जब थोड़ा सा निंदासा हो जाए तो उसे उलटा लिटा कर थपकिया दें. वह सो जाएगा. कुछ मांओं की आदत होती है कि जब बच्चे का सोेने का समय होता है तो वे उसे फीड कराना शुरू कर देती हैं. इस से बच्चा आदी हो जाता है और जब तक उसे फीड न कराया जाए वह सोता नहीं है.

बच्चे के सोने का एक रूटीन बनाएं. नहला कर उस की हलकी मसाज करें और उसे सोने वाले कपड़े पहनाएं. लोरी सुना कर उसे सुला दें. बच्चे के रात में सोने के लिए सब से अच्छा समय 8:30 से 9:00 बजे तक होता है. इस के बाद बच्चा इतना थक जाता है कि वह सोने की जगह चिड़चिड़ाना शुरू कर देता है.

सोने से पहले बच्चे को ब्लैंकेट और सौफ्टटौयज के बीच छोड़ दें. कोशिश करें कि उस ब्लैंकेट या सौफ्टटौय में बच्चे की मां के पास से आने वाली खुशबू हो. बच्चे को ममता का एहसास होता है और उसे सुलाना आसान हो जाता है. बच्चे को थोड़ा रोने भी दें. ऐसा तब करें जब बच्चा 4 से 5 महीने का हो जाए. रोने से बच्चा थोड़ा थक जाता है और आराम तलाशने के लिए उसे सोना सब से अच्छा विकल्प लगता है.

बच्चे को हलकी थपकी दे कर भी सुलाया जा सकता है. इस के लिए आप को भी उस के साथ लेटना होगा और उसे यह दिखाना होगा कि आप भी उस के साथ सो रही हैं. कोशिश करें कि आप और आप के पति दोनों इस प्रक्रिया में शामिल हों. बच्चा अगर रात में उठे तो एक बार उस की नैपी जरूर देखें. हो सकता है नैपी के गीले होने से वह उठ गया हो. कमरे की सर्दीगरमी से भी बच्चे की नींद टूट जाती है, इसलिए कमरे का तापमान समान रखें.

नैपी जो बच्चे को रखे हैप्पी

बच्चों की त्वचा बेहद नाजुक और संवेदनशील होती है, इसलिए उन के लिए डायपर का चुनाव करते समय व डायपर पहनाने के बाद कुछ सावधानियां बरतें. बच्चे के लिए डायपर का चुनाव करते समय यह ध्यान रखें कि डायपर प्लास्टिक या एअरटाइट फैब्रिक का बना हुआ न हो. ऐसा डायपर चुनें जिस का फैब्रिक बच्चों की त्वचा को ध्यान में रख कर बनाया गया हो.

ज्यादा नमी सोखने वाले डायपर भी बच्चे की नाजुक त्वचा पर नमी छोड़ देते हैं. उसी नमी में जब बच्चा मलमूत्र त्याग करता है तो इन तीनों के मिलने से बैक्टीरिया पनपने लगते हैं. ध्यान रखें कि त्वचा पर नमी न रहने पाए. ज्यादा समय तक डायपर में गंदगी रहे तो बच्चे की कोमल त्वचा पर रैशेश हो जाते हैं. गंदगी होने पर बिना देर किए बच्चे का डायपर बदलें.

जब बच्चा ठोस आहार लेना शुरू करता है तो उस के मल में परिवर्तन के साथ बढ़ोतरी होती है. ऐसे में मलत्याग के समय बच्चे की त्वचा पर रैशेश पड़ सकते हैं. इसलिए मलत्याग के बाद बच्चे की सफाई करते समय इस बात का ध्यान रखें. मां अपने खानपान का भी खयाल रखें क्योंकि स्तनपान करने वाले बच्चों की त्वचा पर मां के खानपान का असर पड़ता है.

डायपर एरिया में गरमी व नमी दोनों हो सकती है. ऐसे में बच्चे की त्वचा को बैक्टीरिया से बचाने के लिए समयमय पर डायपर बदलती रहें.

जो मांएं अपने बच्चे को स्तनपान करा रही हैं और उस दौरान ऐंटीबायोटिक्स दवाएं भी खा रही हैं उन के बच्चों को गंभीर संक्रमण हो सकता है. ऐसे में डाक्टर की सलाह से स्तनपान कराएं.

इन का भी रखें ध्यान

बच्चे की त्वचा हमेशा कोमल बनी रहे, इस के लिए उसे रैशेश से बचा कर रखें. नैपी एरिया को रैशेश से बचाने के लिए सब से अच्छा उपाय है कि उस एरिया को एकदम सूखा रखें.

जब भी डायपर बदलें, बच्चे की त्वचा को सौफ्ट टौवेल से अच्छी तरह साफ करें. यदि डायपर पहनाने से पहले पाउडर का प्रयोग करती हैं तो ध्यान रखें कि डायपर बदलते समय पहले लगाया गया पाउडर पूरी तरह साफ करने के बाद ही दोबारा पाउडर डालें. जब बच्चे को ठोस आहार देना शुरू करें तो उसे एक समय में एक ही खाने की चीज दें, दूसरी चीज देने में थोड़ा अंतर रखें जिस से बच्चे को यह समझने में आसानी रहे कि किस तरह का खाना खाने के बाद मलत्याग करने पर रैशेश होते हैं.

जितने समय तक बच्चे को स्तनपान करा सकती हैं कराएं. स्तनपान कराने से बच्चे के शरीर में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और संक्रमण होने का खतरा कम हो जाता है. डायपर लगाते समय ध्यान रखें कि वह जोर से न बंधा हो.

ताकि मुसकराते रहें केश

फैशनेबल और स्टाइलिश दिखने की होड़ के चलते आजकल युवतियां केशों पर तरहतरह के ऐक्सपैरिमैंट करवाती रहती हैं. जैसे हेयर स्मूदनिंग, स्ट्रेटनिंग, रिबौंडिंग, पर्मिंग आदि. लेकिन इन्हें करवाने का नतीजा कई बार यह होता है कि अच्छेखासे दिखने वाले केश भी बेढंगे से दिखने लगते हैं. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि इस तरह के ऐक्सपैरिमैंट कराते वक्त वे कुछ बातों को अनदेखा कर जाती हैं. उन्हें किन बातों का ध्यान रखना चाहिए यहां इसी संबंध में महत्त्वपूर्ण जानकारियां दे रही हैं हेयर ऐक्सपर्ट इंद्रजीत कौर.

बढ़ता चलन

इंद्रजीत कहती हैं कि भारतीय युवतियों के केश रफ होने के साथ ही सिल्की भी नहीं होते. इसीलिए हमारे यहां की 95% युवतियां स्ट्रेटनिंग, रिबौंडिंग, स्मूदनिंग करवाती हैं जबकि 5% सिर्फ पर्मिंग. लेकिन इन्हें करवाते वक्त कुछ खास बातों पर ध्यान देना जरूरी है.

रखें ध्यान

– टूट रहे केशों की स्ट्रेटनिंग हो सकती है, लेकिन रिबौंडिंग नहीं.

– ज्यादा रफ केशों की स्ट्रेटनिंग या रिबौंडिंग नहीं हो सकती. इस से पहले कस्टमर को सप्ताह में 7-8 सिटिंग्स हेयर स्पा की लेनी होती हैं.

– केशों को कुनकुने या ठंडे पानी से ही धोएं.

– ज्यादा शैंपू करने से बचें, क्योंकि बहुत ज्यादा शैंपू केशों को ड्राई बनाता है.

– हेयरवाश के बाद कंडीशनर जरूर अप्लाई करें. बाद में केशों को ठंडे पानी से धो लें. इस से उन में चमक आएगी.

– केशों को धोने के बाद तौलिए से न झाड़ें, बल्कि हलके हाथों से सुखाएं.

– रोजाना केशों की ओपन मसाज करें. इस से रक्तसंचार बढ़ेगा और केशों को पोषण मिलेगा. हेयर मसाज के बाद केशों को गरम पानी में भिगोए तौलिए में लपेट कर स्टीम दें. इस से उन में चमक आएगी.

– कर्लिंग आयरन का इस्तेमाल कम करें और आयरनिंग हमेशा जड़ों से ही करें. अगर ऐसा नहीं करेंगी तो केश उड़ेउड़े से लगेंगे.

– ड्रायर इस्तेमाल करते वक्त ड्रायर का मुंह हमेशा नीचे की तरफ रखें और केशों को ड्राई ऊपर से नीचे की तरफ सहलाते हुए करें.

कैसे बचें हेयर फौल से

– गीले केशों में कंघी करने से वे ज्यादा टूटते हैं, इसलिए गीले केशों में कंघी न करें.

– स्कैल्प की रोजाना 10-15 मिनट नारियल या फिर बादाम के तेल से मसाज करें.

– खाने में प्रोटीन की मात्रा अधिक लें.

ऐक्सपर्ट की सलाह

इंद्रजीत कौर ने कुछ सवालों के जवाब कुछ इस तरह से दिए-

स्टे्रटनिंग या रिबौंडिंग किस मौसम में करवाएं? केशों को कैसे मैंटेन रखें?

केशों की स्ट्रेटनिंग या रिबौंडिंग कराने के बाद उन्हें ज्यादा समय तक वैसा ही रखने के लिए शैंपू और कंडीशनर का इस्तेमाल करें. ऐसा करने से केश वैसे ही बने रहेंगे. जुलाई से सितंबर तक मानसून सीजन की वजह से स्ट्रेटनिंग या रिबौंडिंग अच्छा रिजल्ट नहीं दे पाती.

72 घंटों तक बरतें सावधानी

– रिबौंडिंग या स्टे्रटनिंग कराने के बाद 72 घंटों तक सावधानी बरतनी जरूरी है. ऐसा न करने से 100% रिजल्ट की उम्मीद नहीं की जा सकती.

 – केशों को कान के पीछे न करें. क्लिप, क्लच व हेयरबैंड, रबड़बैंड आदि भी न लगाएं.

– केशों को गीला न करें.

72 घंटों तक ऐक्सरसाइज, डांसिंग, जौगिंग आदि भी न करें.

स्ट्रेटनिंग या रिबौंडिंग के बाद 1-2 महीने तक स्टीम न कराएं.

हेयर कट से पहले

– हेयर कट करवाते वक्त चेहरा सैंटर में होना चाहिए वरना हेयर कट गलत हो जाएगा. साथ ही ज्यादा सिर को भी न हिलाएं.

– केशों को धोने के बाद तौलिए से न झाड़ें, क्योंकि ऐसा करने पर केश टूटते तो हैं ही, साथ ही कमजोर भी होते हैं.

– केश औयली हो गए हों तो कूलमिंट शैंपू से इस समस्या को दूर भगाएं.

– केश झड़ रहे हों तो किसी भी प्रोडक्ट के मास्क का तब इस्तेमाल न करें. बाद में करें.

(दिल्ली प्रैस भवन में फेब मीटिंग के दौरान हेयर ऐक्सपर्ट इंद्रजीत कौर से गीतांजलि द्वारा की गई बातचीत पर आधारित) 

3 डी नेलआर्ट से बन जाए बात

शरीर की खूबसूरती में नाखूनों की सुंदरता का अलग ही महत्त्व है. इस महत्त्व को महिलाएं भी बखूबी समझती हैं. इसीलिए अब सिर्फ ब्रैंडेड और कलरफुल नेलपेंट लगा कर उन का दिल नहीं भरता, बल्कि वे अब डिजाइनर नेलआर्ट करवा कर अपने नाखूनों को अपटूडेट लुक में देखना ज्यादा पसंद कर रही हैं.

पार्टी हो या फिर घर पर ही रहना हो, हर दिन एक नई नेलआर्ट के साथ इन के नाखून तैयार रहते हैं. इस बात का खुलासा कुछ अरसा पहले दिल्ली प्रैस भवन के गृहशोभा फेब इवेंट के नेलआर्ट एवं नेल ऐक्सटैंशन कंपिटिशन में हुआ जब जज पम्मी कौल (सेलिब्रिटी नेलआर्ट ऐक्सपर्ट)को यह तय करने में मुश्किल आई कि विनर का ताज किसे पहनाया जाए.

वानिया ब्यूटी प्रोडक्ट्स, ओरीफ्लेम्स, आदया ब्यूटी हब द्वारा स्पौंसर किए गए इस कंपिटिशन में कई नेल आर्टिस्टों ने हिस्सा लिया.

1 घंटे की प्रतियोगिता में प्रतिभागियों ने विभिन्न प्रकार के नेलआर्ट बना कर अपने हुनर का परिचय दिया. प्रतियोगिता की विनर रहीं पूजा तनेजा ने अपनी मौडल के नाखूनों पर 3डी लुक वाली नेलआर्ट बना कर सब को चकित कर दिया.

पूजा ने बताया कि नाखूनों को कुछ अलग स्टाइल देने के लिए 3डी नेलआर्ट का प्रयोग किया जा सकता है. इस आर्ट मेंनाखूनों पर 3-4 रंगों को ब्लैंड किया जाता है. साथ ही रंगों से ही नाखूनों पर ऐसी डिजाइन उकेरी जाती है कि देखने वालों को लगता है कि वे आकृति के तीनों भागों को देख पा रहे हैं. जबकि यह भ्रम होता है.

3डी नेलआर्ट बनाने का तरीका

इस तरह की आर्ट बनाने के लिए सब से पहले डिजाइन तय किया जाता है. इस के बाद नाखूनों पर कवर बेस लगाया जाता है. फिर 3-4 रंगों के नेलपेंट से नाखूनों पर उभरी डिजाइन बनाई जाती है. यह डिजाइन कैसी भी हो सकती है बस, रंगों के तालमेल और कलर ब्लैंडिंग से इसे 3डी लुक दिया जाता है.

3डी डिजाइंस

इस तरह की नेलआर्ट में ज्यादातर मार्बल, रेनबो, फौरेस्ट, स्ट्राइप्स जैसे डिजाइन बनाए जाते हैं. इस नेलआर्ट को आप अपनी ड्रैस की मैचिंग का भी बना सकती हैं, क्योंकि इस में कई सारे रंगों का एकसाथ इस्तेमाल किया जाता है.

इस के अलावा प्रतियोगिता में भाग लेने वाले पुरुष प्रतिभागी नवनीत चावला को उन के द्वारा स्टर्ड और स्टोन से बनाई गई नेलआर्ट के लिए स्पैशल क्रिएटिव ऐंड बैलेंस्ड अवार्ड से नवाजा गया. नवनीत अपनी इस आर्ट के बारे में बताते हैं कि यह बिंदी में इस्तेमाल किए जाने वाले स्टोन से की जाती है.

स्टर्ड और स्टोन नेलआर्ट बनाने का तरीका

इस आर्ट को बनाने के लिए सब से पहले किसी भी रंग के नेलपेंट को अपने नाखून पर लगाएं और उसे कौंप्लीमैंट करता हुआ एक स्टोन या स्टर्ड नाखून पर लगने वाले ग्लू से चिपका लें. ऐसा ही आप ट्रांसपेरैंट और स्पार्कल्स के कौंबिनेशन वाले नेलपेंट के साथ भी कर सकती हैं.

स्टर्ड और स्टोन डिजाइंस

स्टर्ड औैर स्टोन के जरीए आप नाखूनों पर फूल और फूल की बेल बना सकती हैं. साथ ही स्टोंस को पोलका डौट की तरह भी इस्तेमाल कर सकती हैं.

3डी और स्टोन नेलआर्ट ही नहीं, प्रतियोगिता में सोशल नैटवर्किंग साइट के आइकोन भी नेलआर्ट की लिस्ट में शामिल होने से नहीं बच सके. नेलआर्ट के इस स्वरूप को नाखूनों पर उकेरने वाली गृहिणी अंजू शर्मा को प्रतियोगिता में बेशक कोई अवार्ड न मिला हो, लेकिन उन की नेलआर्ट का यह अंदाज बेहद जुदा था.

वे कहती हैं, ‘‘आजकल के बच्चे पूरा समय कंप्यूटर से चिपके रहते हैं और सोशल नैटवर्किंग साइट में उलझे रहते हैं. इसलिए अगर नेलआर्ट में भी सोशल नैटवर्किंग आइकोन डिजाइन किए जाएं तो कुछ क्रिएटिव हो जाएगा.’’

वाकई अंजू का यह नेलआर्ट डिजाइन आइडिया काफी क्रिएटिव था. प्रतियोगिता के  कुछ प्रतिभागियों ने फैब्रिक नेलआर्ट में भी अपना हुनर दिखाया. इन्हीं में से एक प्रतिभागी स्वाति सिंह ने फैब्रिक कलर्स से फ्रैंस और फंकी डिजाइंस बनाए और सैकंड प्राइज भी जीता.

वे बताती हैं, ‘‘नेलपेंट से बारीक डिजाइन बनाने में रंग फैल जाते हैं इसलिए ऐसी जगह फैब्रिक कलर्स का इस्तेमाल किया जाता है.’’

फैब्रिक नेलआर्ट बनाने का तरीका

फैब्रिक नेलआर्ट बनाने के लिए नाखूनों पर ब्रश या टूथपिक का इस्तेमाल किया जाता है. इस तरह की नेलआर्ट बनाने के लिए पहले नाखूनों पर नेल बेस लगाया जाता है. नेल बेस के आधा सूख जाने के बाद उस पर टूथपिक ले कर फैब्रिक कलर से पोलका डौट्स या चैक कुछ भी बना सकती हैं. डिजाइन के सूख जाने के बाद उस के ऊपर ट्रांसपेरैंट नेलपेंट लगाएं ताकि वह अच्छी तरह सैट हो जाए.

प्रतियोगिता में कुछ प्रतिभागियों ने नेल ऐक्सटैंशन में भी अपना हुनर दिखाया, जिस में से शोभा सिंह और निशी को क्रमश: प्रथम और द्वितीय पुरस्कार से नवाजा गया.

(दिल्ली प्रैस भवन में आयोजित फेब इवेंट में नेलआर्ट एवं नेल ऐक्सटैंशन कंपिटिशन पर आधारित अनुराधा गुप्ता का लेख.)

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