शहनाई बज गई

दीपिका और रणवीर की शादी हो गई और किसी को कानोंकान भी खबर नहीं हुई, ऐसा कैसे हो सकता है? दरअसल, यह शादी असल जिंदगी में नहीं बल्कि दीपिका की आने वाली फिल्म ‘फाइंडिंग फैनी’ में हुई है, जिस में रणवीर सिंह ने कैमियो रोल निभाया है. फिल्म के पोस्टर में क्रिश्चियन दंपती के गैटअप में दोनों की तसवीर है. माना यह भी जा रहा है कि फिल्म के निर्देशक होमी अदाजानिया ने इस हौट कपल का पोस्टर इसलिए लौंच किया है कि असल जिंदगी में भी इस कपल की खबरें हमेशा छाई रहती हैं.

किकर फिश स्केवर्स

सामग्री

180 ग्राम बासा फिश, 30 ग्राम पेरीपेरी सौस, 30 ग्राम चिली लाइम मार्मलेड, 1 छोटा खीरा, 2 ग्राम थाई रैड चिली (गार्निशिंग के लिए), थोड़ी सी धनियापत्ती (गार्निशिंग के लिए).

विधि

बासा मछली के टुकड़े करें व पेरीपेरी सौस के साथ मैरिनेट करें. मैरिनेशन के बाद टुकड़ों को सीखों में लगाएं व प्रीहीटेड ओवन में अच्छी तरह पक जाने तक ग्रिल करें. हर तरफ से 3-4 मिनट तक पकाएं. गरमगरम फिश को धनियापत्ती व थाई रैड चिली से सजाएं और मिर्च व कटे खीरे के साथ सर्व करें.

चिकन ऐंड बेकन शौकर्स

सामग्री

180 ग्राम बोनलैस चिकन, 50 ग्राम बेकन स्लाइस, 2 ग्राम बारीक कटा लहसुन, 2 ग्राम कालीमिर्च, 10 मि.लि. रिफाइंड औयल, 3 ग्राम अजवाइन, 20 ग्राम आरुगुला पेस्ट, 20 ग्राम चिपोटल सौस (स्मोकड्राइड जलोपेनो), नमक स्वादानुसार.

विधि

चिकन को लहसुन, नमक, कालीमिर्च व आरुगुला पेस्ट के साथ मैरिनेट करें. फिर चिकन को बेकन स्लाइस से रैप करें. इस रैप को प्रीहीटेड ओवन में ग्रिल करें. ग्रिल होने के बाद चिपोटल सौस व सलाद के साथ सर्व करें.

ग्रिल्ड जुकिनी रोल

सामग्री

150 ग्राम जुकिनी, 10 ग्राम रिफाइंड औयल, 180 ग्राम रिकोटा चीज, 20 ग्राम लाल शिमलामिर्च, 20 ग्राम पीली शिमलामिर्च, 20 ग्राम हरी शिमलामिर्च, 10 तुलसी की पत्तियां, 5 ग्राम ओरिगैनो, कालीमिर्च, नमक आवश्यकतानुसार, 30 ग्राम हरीसा सौस (हौट चिली पैपर पेस्ट).

विधि

मध्यम आंच पर ग्रिल प्लेट को प्रीहीट करें. जुकिनी को लंबाई में काटें व उस पर नमक व कालीमिर्च छिड़कें. फिर उसे नरम होने तक ग्रिल करें. एक बरतन में रिकोटा चीज, तीनों प्रकार की शिमलामिर्च, ओरिगैनो व तुलसी की पत्तियों को अच्छी तरह मिलाएं. इस मिश्रण को जुकिनी के स्लाइस पर रखें व रोल करें. रोल को पीछे की तरफ से प्लेट में रखें. इसी तरह सभी स्लाइस को रखें व हरीसा सौस के साथ सर्व करें.

गृहवाटिका से खाद्य सुरक्षा

कैमिकल्स के इस्तेमाल से उगाई जा रही सब्जियों व उन की आसमान छूती कीमतों ने घरघर की रसोई का स्वाद बिगाड़ दिया है. ऐसे में समझदारी यही है कि गृहवाटिका यानी किचन गार्डन में सब्जियां उगाई जाएं. लेकिन कैसे, बता रही हैं नीलिमा पंत.

सब्जियां हमारे भोजन को स्वादिष्ठ, पौष्टिक और संतुलित बनाने में सहायक हैं. इन के माध्यम से शरीर को कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, खनिज लवण, आवश्यक अमीनोएसिड व विटामिन मिलते हैं. भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के अनुसार, प्रत्येक व्यक्ति को अपने भोजन में लगभग 100 ग्राम पत्तेदार सब्जियां, 100 ग्राम जड़ वाली सब्जियां और 100 ग्राम दूसरी सब्जियां खानी चाहिए.

बाजार में उपलब्ध सब्जियां व फल आमतौर पर ताजे नहीं होते तथा महंगे भी होते हैं. साथ ही उन में मौजूद रोगाणुओं व हानिकारक रसायनों की मात्रा के कारण वे स्वास्थ्यकर भी नहीं होते. इसलिए बेहतर है कि खाने के लिए सब्जियों को अपने घर या घर के आसपास गृहवाटिका यानी किचन गार्डन में उगाएं जिस से खाद्य सुरक्षा के साथसाथ वाटिका में कार्य करने से घर के सदस्यों का व्यायाम भी हो जाए.

गृहवाटिका से कुछ हद तक सभी लोग जुड़ सकते हैं चाहे वे गांव में रहते हों या शहर में. बड़े शहरों में जहां पौधे उगाने के लिए जमीन की उपलब्धता नहीं है वहां भी कुछ चुनिंदा सब्जियों को गमलों व डब्बों में सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है. गांव में जहां जगह की कमी नहीं है, वहां सब्जियों के अलावा फल वाले पौधे जैसे पपीता, केला, नीबू, अंगूर, अमरूद, स्ट्राबैरी, रसभरी आदि भी आसानी से उगाए जा सकते हैं.

गृहवाटिका बनाते समय ध्यान रखें :

  1. गृहवाटिका के लिए खुली धूप व हवादार छायारहित स्थान या घर के पीछे दक्षिण दिशा सर्वोत्तम होती है.
  2. सिंचाई का प्रबंध अच्छा व स्रोत पास में होना चाहिए.
  3. अच्छे जल निकास वाली दोमट भूमि इस के लिए उपयुक्त होती है. सड़ी हुई गोबर की खाद की सहायता से खराब भूमि को भी सुधार कर गृहवाटिका के योग्य बनाया जा सकता है.
  4. गृहवाटिका का आकार व माप, स्थान की उपलब्धता, फल व सब्जियों की आवश्यकता और समय की उपलब्धता आदि पर निर्भर करता है. चौकोर आकार की गृहवाटिका सर्वोत्तम मानी जाती है.
  5. अगर वाटिका खुली जगह में बना रहे हैं तो उस के चारों ओर लकड़ी, बांस आदि की बाड़ बनानी चाहिए.
  6. जमीन की 10-15 सैंटीमीटर गहराई तक खुदाई करें व कंकड़पत्थर निकाल कर मिट्टी को भुरभुरा बना कर आवश्यकतानुसार क्यारियां बना लेनी चाहिए.
  7. क्यारियों में सड़ी गोबर की खाद व जैविक खाद आदि का प्रयोग करना चाहिए.
  8. सीधे बुआई की जाने वाली व नर्सरी द्वारा लगाई जाने वाली सब्जियों को लगाने से पूर्व जैव फफूंदनाशी व जैव कल्चर से उपचारित करने के बाद उचित दूरी पर बनी कतारों में बोना चाहिए.
  9. क्यारियों में समयसमय पर सिंचाई व निराईगुड़ाई करते रहना चाहिए.
  10. गृहवाटिका में कीट नियंत्रण व बीमारियों से बचाव के लिए रासायनिक दवाओं का कम से कम प्रयोग करना चाहिए. नीमयुक्त व जैविक दवाओं का ही प्रयोग करना चाहिए.
  11. उपलब्ध जगह का अधिक से अधिक प्रयोग करने के लिए बेल वाली सब्जियां जैसे लौकी, तोरई, करेला, खीरा आदि को दीवार के साथ उगा कर छत या बाड़ के ऊपर ले जा सकते हैं.
  12. जड़ वाली सब्जियां जैसे मूली, शलगम, गाजर व चुकंदर को गृहवाटिका की क्यारियों की मेड़ों के ऊपर बुआई कर के पैदा किया जा सकता है.

मौसमी फल व सब्जियां

ग्रीष्मकालीन सब्जियां : (बुआई का समय जनवरी से फरवरी) टमाटर, मिर्च, भिंडी, करेला, लौकी, खीरा, टिंडा, अरबी, तोरई, खरबूजा, तरबूज, लोबिया, ग्वार, चौलाई, बैगन, राजमा आदि.

वर्षाकालीन सब्जियां : (बुआई का समय–जून से जुलाई) टमाटर, बैगन, मिर्च, भिंडी, खीरा, लौकी, तोरई, करेला, कद्दू, लोबिया, बरसाती प्याज, अगेती फूलगोभी आदि.

शरदकालीन सब्जियां : (बुआई का समय–सितंबर से नवंबर) फूलगोभी, गाजर, मूली आलू, मटर, पालक, मेथी, धनिया, सौंफ, शलगम, पत्तागोभी, गांठगोभी, ब्रोकली, सलाद पत्ता, प्याज, लहसुन, बाकला, बथुआ, सरसोंसाग आदि.

उपरोक्त सब्जियों के अलावा गृहवाटिका में कुछ बहुवर्षीय पौधे या फलवृक्ष भी लगाने चाहिए, जैसे अमरूद, नीबू, अनार, केला, करौंदा, पपीता, अंगूर, करीपत्ता, सतावर आदि.

आवश्यक सामग्री

यंत्र : फावड़ा, खुरपी, फौआरा, दरांती, टोकरी, बालटी, सुतली, बांस या लकड़ी का डंडा, एक छोटा स्प्रेयर.

बीज : गृहवाटिका में कम जमीन के अंदर अधिक से अधिक उत्पादन देने वाले गुणवत्तायुक्त बीज या पौध को विश्वसनीय संस्था से खरीद कर प्रयोग करें.

पौधा : अधिकतर सब्जियों की पौध तैयार कर के बाद में रोपाई करते हैं. नर्सरी के अंदर स्वस्थ पौध तैयार कर के फिर उन की रोपाई कर या संस्था से पौध खरीद कर उन्हें गृहवाटिका में लगा कर सब्जियां उगाई जा सकती हैं.

जैविक व रासायनिक खाद : गोबर या कंपोस्ट खाद का प्रयोग ही गृहवाटिका के अंदर करना चाहिए. इन के उपयोग से पौष्टिक व सुरक्षित सब्जियां उगाई जा सकती हैं. परंतु कभीकभी अभाव की दशा व अधिक उत्पादन हेतु यूरिया, किसान खाद, सुपर फास्फेट, म्यूरेट औफ पोटाश की थोड़ी मात्रा की आवश्यकता होती है.

कीटनाशी व रोगरोधी दवाएं : गृहवाटिका के अंदर कीड़ों व बीमारियों का प्रकोप होता है तो ग्रसित पौधों के उस भाग को काट कर मिट्टी में दबा दें. प्रकोप होने पर जैविक कीटनाशी दवाओं का ही प्रयोग करें.

गृहवाटिका में छोटीछोटी क्यारियां बना कर और उन में सड़ी हुई गोबर की खाद या कंपोस्ट खाद मिला कर क्यारियां समतल कर के उन में बीज की बुआई व पौध की रोपाई कर हलकी सिंचाई कर दें. आवश्यकतानुसार समयसमय पर सिंचाई व निराईगुड़ाई करते रहना चाहिए. बीचबीच में पौधों को सहारा देना चाहिए. सब्जियां तैयार होने के बाद उन की उचित अवस्था में तुड़ाई कर के उन्हें उपयोग करें. उचित प्रबंधन व देखभाल के साथ गृहवाटिका के अंदर ताजी, पौष्टिक व स्वादिष्ठ सब्जियां पैदा की जा सकती हैं जो परिवार के भोजन को अधिक पौष्टिक व संतुलित बना सकती हैं. इस प्रकार, गृहवाटिका हमारी खाद्य सुरक्षा का एक विकल्प भी है.

मेरा सजिद खान से रिश्ता था : जैकलीन फर्नांडिस

हिंदी फिल्म ‘अलाद्दीन’ से 2009 में बौलीवुड में अपना कैरियर शुरू करने वाली श्रीलंका की अभिनेत्री जैकलीन फर्नांडिस ने बौलीवुड में 5 साल पूरे कर लिए हैं. उन की पहली फिल्म कोई खास नहीं चली पर उन्हें फिल्मों में काम करने के औफर हमेशा मिलते रहे. जैकलीन ने ‘मर्डर टू’, ‘हाउसफुल 2’, ‘रेस 2’ आदि फिल्मों में काम किया. नम्र स्वभाव और सैक्सी छवि की धनी जैकलीन के पिता श्रीलंका से हैं जबकि मां मलयेशियन हैं. जर्नलिज्म की पढ़ाई पूरी करने के बाद जैकलीन ने कुछ दिनों तक राइटिंग का काम किया. मगर सैक्सी छवि की वजह से उन्हें मौडलिंग के कुछ औफर मिले, तो मौडलिंग और म्यूजिक अलबम में काम करने के बाद जैकलीन ने हिंदी फिल्मों की तरफ रुख किया.

काम करने के दौरान जैकलीन फर्नांडिस का नाम कई कोस्टार्स के साथ जुड़ा पर निर्मातानिर्देशक साजिद खान के साथ उन का रिश्ता करीब 3 साल तक चला. साजिद की पाबंदियों से तंग आ कर उन्होंने इस रिश्ते पर पूर्णविराम लगा दिया. इन दिनों जैकलीन कैरियर पर फोकस्ड और अपनी फिल्मों की शूटिंग में व्यस्त हैं. पेश हैं, उन से हुई बातचीत के कुछ अहम अंश:

‘किक’ फिल्म में काम करने का अनुभव कैसा रहा?

यह मेरे कैरियर की सब से बड़ी फिल्म है. बहुत चैलेंजिग रोल था. अभिनय, परफौर्मैंस, रिहर्सल मुझे सब कुछ अधिक करना पड़ा, क्योंकि मेरे कोस्टार सलमान खान थे. ऐसे में निर्देशक को लगना नहीं चाहिए कि उन्होंने मुझे सही कास्ट नहीं किया. मैं ने स्टाइलिंग पर भी काफी मेहनत की. 200 से ज्यादा ड्रैसेज ट्राई कीं. शूटिंग के वक्त शौट ठीक हो, इस के लिए सुबह से ले कर रात तक बारबार रिहर्सल किया. संवाद को ठीक से बोलने की प्रैक्टिस की.

आप की सलमान खान के साथ कैमिस्ट्री कैसी रही?

पहले मैं थोड़ी नर्वस थी. पर जब शूटिंग शुरू हुई तो सहज हो गई, क्योंकि सलमान सैट पर बहुत सहज होते हैं. मैं जब कभी सीरियस हो जाती थी तो वे सीन को डिस्कस कर अभिनय को आसान बना देते थे.

क्या आप अपने कैरियर के ग्राफ से खुश हैं?

मैं बहुत खुश हूं. हां, इतना जरूर है कि मेरे दोस्त कहते हैं कि मैं और अच्छा कर सकती थी, पर मैं हर फिल्म नहीं कर सकती. मुझे अच्छे किरदार की तलाश रहती है. मैं कहानी के साथसाथ कोस्टार और प्रोडक्शन हाउस को भी देखती हूं.

स्वाद के लिए अमानवीय कृत्य

दुनिया को अलविदा कहने से पहले कुछ जरूरी कामों को पूरा करने की मैं ने एक लिस्ट बनाई है, जिस में ‘शार्क फिनिंग’ यानी शार्क की पीठ पर मौजूद धारदार पंख जैसी संरचना वाले अंग को पाने के लिए उस की हत्या जैसे अमानवीय कृत्य पर रोक लगाना सब से ऊपर है.

क्या है यह धंधा

शार्क मछलियां समुद्र की प्रमुख प्रजातियों में से हैं. इन का वजूद सीधेसीधे समुद्र और उस के अंदर रहने वाली दूसरी मछलियों की सेहत से जुड़ा है. यदि सागर से शार्क की प्रजाति समाप्त हो जाए तो दूसरी समुद्री प्रजातियों के भी विलुप्त होते देर न लगेगी. चीन के निवासी, चाहे वे अपने देश में हों या कहीं और शार्क के फिन का सूप पीना पसंद करते हैं. ये लोग फिन को उबाल कर किसी सादे सूप में डाल देते हैं. इस फिन में ऐसा कुछ नहीं होता, जो इंसान के शरीर के लिए फायदेमंद हो. फिर भी चीनी यह सूप बनाते हैं. यह कुछ ऐसा है कि कुछ परिवारों को हाथीदांत की बनी चीजों का शौक था तो उन का यह शौक पूरा करने के लिए पिछले 3 सालों में लगभग 20 हजार हाथियों को बेरहमी से मार दिया गया. खाने में शार्क फिन के इस्तेमाल को सामाजिक प्रतिष्ठा के तौर पर भी देखा जाता है और त्योहारों के अवसर पर भी इस का भरपूर प्रयोग किया जाता है.

शार्क फिन का इस्तेमाल चीनी दवाओं में भी किया जाता है. सूप की क्वालिटी के हिसाब से इस का रेट 10 डौलर से शुरू हो कर 100 डौलर तक होता है. चूंकि चीन के लोग अब समृद्ध हो गए हैं तो वे महंगी डिश भी अफोर्ड कर सकते हैं, जिस के चलते फिन के लिए शार्कों की मांग और शिकार दोनों बढ़ गए हैं और हमेशा की तरह इस बार भी इन का शिकार भारत में ही हो रहा है.

कैसे होती है शार्क की हत्या

शिकारी पहले शार्क को पकड़ने के लिए समुद्र में जाल लगाते हैं. जब शार्क उस में फंस जाती है तो धारदार हथियार से उस का फिन उस के शरीर से अलग करने के बाद उसे वापस पानी में छोड़ देते हैं. थोड़ी ही देर में लगातार खून बहने के कारण शार्क की तड़पतड़प कर मौत हो जाती है. शार्क के मांस में यूरिक ऐसिड की मात्रा अधिक होने के कारण इस का मांस अच्छा नहीं माना जाता है.

बढ़ रहा है घिनौना धंधा

क्या विश्व स्तर पर इस धंधे के बारे में लोगों के सोच से भारत में इस के व्यापार में कोई कमी आई है? नहीं, बल्कि यह तो हर साल तेजी से बढ़ रहा है. पूरे विश्व में शार्क फिन की मांग का 90% तो भारत से ही पूरा हो रहा है. यदि आप को लग रहा है कि इस व्यापार से भारत सरकार या भारतीय अर्थव्यवस्था को कोई फायदा हो रहा है तो आप गलत हैं, क्योंकि फिन का ज्यादातर निर्यात ब्लैक मार्केट के जरीए होता है. दरअसल, शार्क को पकड़ने से ले कर फिन बेचने तक, सारा धंधा ही अनियंत्रित तरीके से चल रहा है. कितनी शार्कों का शिकार किया जा सकता है या फिन कहां और किस तरह बेचे जा सकते हैं, इस को नियंत्रण करने के लिए कोई कानून नहीं बनाया गया है.

फिन निकालने के बाद शार्कों के शरीर की बरबादी, 1 फिन बेचने के फेर में 6-7 फिनों की बरबादी मछुआरों, शिकारियों के लिए आम बात हो गई है. इस कारण हजारों शार्क रोज मारी जा रही हैं. नौबत यहां तक आ गई है कि शार्कों की कुछ ही प्रजातियां बची हैं और बची हुई शार्कों में भी वयस्कों की संख्या बेहद कम है.

इस व्यापार के अंतर्राष्ट्रीय नियंत्रकों ने भारत सरकार पर उंगली उठाते हुए बताया है कि शार्क फिन निर्यात के आंकड़ों की सरकारी रिपोर्ट और असली रिपोर्ट में बहुत अंतर है. भारतीय शार्क फिन निर्यात के बारे में ‘यूनाइटेड नेशंस फूड ऐंड ऐग्रीकल्चर और्गेनाजेशन’ और ‘हौंगकौंग इंपोर्ट्स फ्रौम इंडिया’ के आंकड़े बताते हैं कि असली रिर्पोट और सरकारी रिपोर्ट में लगभग 70 हजार मीट्रिक टन का अंतर है.

शार्कों को पकड़ने और फिन निकालने की आज्ञा छोटे मछुआरों को ही है ताकि उन की आर्थिक मदद हो सके. पर छोटे मछुआरे शिकार के लिए बेड़ों, हाथ से मछली पकड़ने के तरीकों और डोंगियों का इस्तेमाल करते हैं. आधुनिक जलपोतों की तरफ सरकार का ध्यान नहीं जाता जबकि भारतीय समुद्र से 70% शार्क इन्हीं से पकड़ी जाती हैं. ऐसे आधुनिक पोत उन छोटे और गरीब मछुआरों के पास नहीं हैं, जो अब मात्र 12% ही बचे हैं और धीरेधीरे इन की संख्या घट रही है. इन महंगे पोतों के मालिक बड़ीबड़ी आयात कंपनियां या अमीर व्यापारी हैं. इन व्यापारियों में कुछ ऐसे भी हैं जिन के पास विदेशी पासपोर्ट हैं.

सब से ज्यादा दोषी

शार्कों को पकड़ने और फिन की कालाबाजारी के प्रमुख दोषी अंडमाननिकोबार द्वीपसमूह, केरल, तमिलनाडु और गुजरात राज्य हैं. इन में से गुजरात के जलपोत पकड़ी जाने वाली शार्कों का आधा हिस्सा अकेले ही पकड़ते हैं. बची हुई शार्कों को अंडमाननिकोबार के निकट सागर से पकड़ा जाता है. यहां शार्क का मांस बेचने के लिए कोई स्थानीय बाजार नहीं है.

भारतीय सागरों में शार्क की 70 प्रजातियां पाई गई हैं. एक भी मछली पकड़ने वाला जहाज इन का शिकार करना बंद नहीं करता, न ही सरकार इन को ऐसा करने से रोकती है. इस मामले में भारत दूसरे देशों से बिलकुल अलग है, क्योंकि यहां विदेशों की तरह जहाजों से शिकार के आंकड़े नहीं मांगे जाते.

और मोनिका फिर से लिखने लगी

घाटकोपर रेलवे स्टेशन पर लोकल ट्रेन पकड़ते वक्त हुई चूक से मोनिका मोरे नामक 16 वर्षीय लड़की ने 11 जनवरी, 2014 अपने दोनों हाथ गंवा दिए. नेहरूनगर, कुर्ला में रहने वाली मोनिका उस दिन दोपहर में घाटकोपर रेलवे स्टेशन में लोकल ट्रेन पकड़ते वक्त हाथ फिसल जाने से नीचे गिर गई थी. इस घटना के बाद उसे पहले राजावाडी अस्पताल में भरती कराया गया, लेकिन उस के तुरंत बाद उसे केईएम अस्पताल में ले जाया गया.

इस दौरान काफी खून बह जाने पर भी उस का शीघ्रता से एक औपरेशन तो किया गया, लेकिन टूटी हड्डियों को जोड़ने के लिए निश्चित समय में औपरेशन न होने से उसे अपने दोनों हाथ गंवाने पड़े. उस के और उस के परिवार पर अचानक दुखों का पहाड़ टूट पड़ा. लेकिन मोनिका के लिए बहुत से हाथ आगे आए और उन्होंने पैसों की मदद की. इस से जीने की एक नई उम्मीद उसे मिली. और अब तो मुंबई का केईएम अस्पताल मोनिका का दूसरा घर बन गया है.

गुजरे महीनों के दुखदायक और तनाव भरे माहौल में उस की जिंदगी में डा. भोसले और उन की टीम के कारण आशा की एक नई किरण आई, क्योंकि उन के लगाए गए मायोइलैक्ट्रिक आर्टिफिशियल हाथों के कारण अब वह एक बार फिर से लिखने लगी है. वे आर्टिफिशियल हाथ जरमनी से मंगाए गए हैं.

डा. प्रदीप भोसले एक डाक्टर के नाते मोनिका की प्रगति पर बहुत ही खुश हैं, क्योंकि जिस लड़की ने अपने दोनों हाथ एक दुर्घटना में गंवाए हैं, वही आर्टिफिशियल हाथों की सहायता से एक बार फिर नए सिरे से लिखना और चीजों को उठाना सीख रही है और ड्राइंग बना रही है.

आशा की किरण

उपचार की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि आहिस्ताआहिस्ता अब मोनिका उन के द्वारा लगाए गए आर्टिफिशियल हाथों की सहायता से चीजें उठा रही है, लेकिन यह सभी सामान लाइट वेटेड हैं. मुझ से लोग पूछते रहते हैं कि वह नौर्मल ऐक्टिविटी कर सकेगी क्या? तो इस का जवाब हाल में तो मेरे पास नहीं है. अभी वह दिन में 2 घंटे लिखने और ड्राइंग करने लगी है और लैपटौप पर टाइपिंग भी करने लगी है. ऐसा होने से मुझे आशा की नई किरण दिखने लगी है कि वह आहिस्ताआहिस्ता सामान्य जीवन के रूटीन में आ सकती है, लेकिन ऐसा कब होगा इस का जवाब मेरे पास नहीं है.

कई महीनों से मोनिका केईएम अस्पताल में ट्रीटमैंट ले रही है, लेकिन शुरू के लगभग ढाई महीने ऐक्सिडैंट में हुए जख्म के सूखने और फिर उस पर लगाए गए प्लास्टर में गए. इस दरमियान डा. प्रदीप जरमनी की औटोबौक कंपनी से मोनिका के लिए मायोइलैक्ट्रिक आर्टिफिशियल हाथ मंगाने के लिए मन बनाया. इस कंपनी की डीलरशिप मुंबई में है, उन्हें यह मालूम था.

वे बताते हैं कि उस दौरान कुछ महीनों के लिए मैं केईएम अस्पताल की तरफ से जरमनी स्टडी टूअर के लिए गया था. वहीं मुझे इस मायोइलैक्ट्रिक आर्टिफिशियल हाथों के बारे में जानकारी मिली थी. मोनिका के लिए इस तरह के हाथ ठीक रहेंगे क्या, इस के बारे में मैं ने स्टडी की और इस स्टडी के बाद मुझे यह समझ में आया कि इस तरह के हाथ उसे लगाए जा सकते हैं. इन हाथों की विशेषता यह है कि इन की गतिविधि पूरी तरह से मस्तिष्क के जरीए ही होती है.

इन्हीं हाथों से मोनिका के लिए हर दिन के काम करना संभव हो पाया है. जैसे कप, चम्मच उठाना, दरवाजा खोलनाबंद करना. लेकिन यह सब तभी संभव है जब मोनिका इस के लिए अथक परिश्रम करेगी. वह अपने दिल को मजबूत बना कर जितना प्रयास करेगी, उतना ही अच्छा परिणाम उसे दिखेगा.

इन हाथों का वजन बाकी मायोइलैक्ट्रिक आर्टिफिशियल हाथों की तुलना में कम है. मोनिका को दूर से देखने वालों या मोनिका को न पहचानने वालों को उस के हाथ आर्टिफिशियल हैं, यह समझ में नहीं आएगा क्योंकि उन का रंग मोनिका के स्किन से मैचिंग है. मोनिका को फिलहाल केईएम में ही रखा गया है. यहां से वह हर दिन चेंबूर में जाती है और 2 घंटे हाथों के ऐक्सरसाइज करती है.

म्यूलेट ड्रैस : फैशन का नया अंदाज

क्याआप भी हौलीवुड अभिनेत्री सराह जेसिका पार्कर, सिंगर सेलेना गोमेज या फिर बौलीवुड अभिनेत्री बिपाशा बसु की तरह आकर्षक दिखने की ख्वाहिश रखती हैं? क्या कहा हां तो आइए हम आप को एक ऐसी ड्रैस के बारे में बताते हैं, जो आप को बोल्ड स्टेटमैंट देने के साथसाथ कूलफील भी कराएगी. अगर आप बहुत ड्रैस पर्सन नहीं हैं तो यह ड्रैस आप के लिए एकदम परफैक्ट रहेगी.

1940 के यूरोपियन फैशन से पे्ररित म्यूलेट ड्रैस आज रैड कारपेट स्टाइल होने के साथसाथ फैशन के साथ चलने वालों की हौट पिक भी है. इस ड्रैस को पहन कर आप भी किसी भी पार्टी की शान बन सकती हैं. आगे से शौर्ट यानी ऊंची और पीछे से लौंग यानी लंबी होने के कारण इस ड्रैस को हाईलो या वाटरफौल ड्रैस भी कहा जाता है. फैशन फ्लोर पर जलवा बिखेरती म्यूलेट ड्रैस पहनने वाली को स्टर्निंग लुक देती है.

अगर बात इस ड्रैस की वैराइटी की की जाए तो फैशन मार्केट में म्यूलेट ट्यूनिक्स, म्यूलेट ड्रैसेज, स्कर्ट्स, टौप्स और जैकेट्स उपलब्ध हैं. 2 लुक देने वाली यह सिंगल ड्रैस सामने से बिजनैस या प्रोफैशनल स्टाइल लुक व पीछे से पार्टी स्टाइल लुक देती है. ये सभी ड्रैसेज सामने से शौर्ट हैमलाइन और पीछे से लौंग टेल वाली होती हैं. म्यूलेट ड्रैस बेहद बोल्ड व सैक्सी लुक देती है. कुछ म्यूलेट ड्रैसेज में फिटेड मिनी स्कर्ट भी अटैच्ड होती है और कुछ में सिर्फ हाईलो हैमलाइन ही होती है. ये म्यूलेट ड्रैसेज सैलिब्रिटीज की खास पसंद हैं. इन्हें वे रैडकारपेट से ले कर पार्टियों तक में पहन कर अपना जलवा बिखेरती हैं.

हर फिगर को दे परफैक्ट लुक

म्यूलेट ड्रैस हर फिगर की महिला पर सूट करती है और उसे परफैक्ट लुक देती है. कुछ महिलाएं कहती हैं कि यह ड्रैस सिर्फ लंबी व दुबलीपतली महिलाओं पर ही सूट करती है. मगर ऐसा हरगिज नहीं है. लंबी महिलाओं को म्यूलेट ड्रैस सुपर मौडल सा लुक देती है. भारी शरीर वाली महिलाएं बिना गैदर्स वाले स्ट्रेट कट के म्यूलेट परिधान पहन सकती हैं और अपने कर्व्स दिखा सकती हैं. ऐसी महिलाएं वेस्ट लाइन पर स्किनी बैल्ट पहन कर अपनी बौडीशेप को परफैक्ट लुक दे सकती हैं.

पीयर शेप वाली महिलाएं म्यूलेट ड्रैस का टेलर्ड कट पहन सकती हैं तो रैक्टैंगुलर शेप वाली महिलाएं पीछे की साइड पर फ्लेयर्स वाली जबकि बल्की शरीर व कम हाइट वाली महिलाएं असमान म्यूलेट ड्रैस जिस की आगे व पीछे की लैंथ में ज्यादा अंतर न हो, आराम से पहन सकती हैं.

मैचिंग फुटवियर

हाईहील फुटवियर म्यूलेट ड्रैस की खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं. म्यूलेट ड्रैस के साथ ऐंकललैंथ स्ट्रैपी सैंडल व स्मार्ट बूट भी आकर्षक दिखते हैं और टैरिफिक लुक देते हैं. म्यूलेट ड्रैस के साथ ज्यादा चंकी प्लेटफौर्म या वेज हील न पहनें, क्योंकि ये म्यूलेट ड्रैस के ऐलिगैंट लुक को खराब कर सकती हैं. फ्लैट बेलेरी तो बिलकुल न पहनें. कम हाइट वाली महिलाएं म्यूलेट ड्रैस के साथ फ्लैट फुटवियर पहनने की गलती न करें.

सही ऐक्सैसरीज

सही ऐक्सैसरीज का चुनाव जहां म्यूलेट ड्रैस की खूबसूरती उभारता है वहीं ज्यादा या फिर गलत ऐक्सैसरीज म्यूलेट ड्रैस की खूबसूरती और उस के कट से ध्यान हटा सकती हैं. कंट्रास्ट ऐक्सैसरीज, जैसे रैड पेयर औफ शूज और नियोन रंग के क्लच ब्लैक, आइवरी या सिल्वर, म्यूलेट ड्रैस के साथ काफी आकर्षक लगती हैं. अगर आप पार्टी में जा रही हैं तो म्यूलेट स्कर्ट के साथ ग्लैमरस टौप, स्लिम बैल्ट व ऐंकललैंथ स्ट्रैपी सैंडल पहन सकती हैं.

म्यूलेट ड्रैस को क्रिएटिव लुक देने के लिए आप उस के साथ स्कार्फ और स्मार्ट जैकेट कैरी कर सकती हैं. फौर्मल म्यूलेट ड्रैस के साथ स्टेटमैंट नैकपीस तो कैजुअल म्यूलेट ड्रैस के साथ कलरफुल बीड्स की ज्वैलरी फबती है. आप चाहें तो मल्टिपल या सिंगल स्ट्रिंग्स भी कैरी कर सकती हैं. अगर आप टीनएज या कालेजगोइंग गर्ल लुक नहीं चाहतीं तो प्रिंट व पैटर्न म्यूलेट ड्रैस की जगह सौलिड रंगों की म्यूलेट ड्रैस चुनें.

लैग्स को फ्लांट करे म्यूलेट ड्रैस

म्यूलेट ड्रैस पैरों को शोऔफ करने का अवसर देती है. आगे से सुपर शौर्ट व पीछे से लंबी यह ड्रैस आप को किसी शहजादी से कम नहीं दर्शाती. इस ड्रैस में पैरों की खूबसूरती को बढ़ाने के लिए आप को पैरों पर शाइनी लोशन लगाना चाहिए. लंबे पैरों पर यह ड्रैस बेहद खूबसूरत दिखती है और स्टर्निंग लुक देती है. म्यूलेट ड्रैस लैग्स को फ्लांट करने का स्मार्ट आइडिया है. अगर आप के पैर स्पौट फ्री नहीं हैं तो आप स्किन कलर की स्टौकिंग्स पहन सकती हैं.

म्यूलेट ड्रैस के बोल्ड लुक के बारे में जान कर अब तो यकीनन आप भी सोच रही होंगी कि एक म्यूलेट ड्रैस का आप के वार्डरोब में होना तो बनता ही है.

फैशन डिजाइनर दुर्गेश सुमन से ललिता गोयल द्वारा की गई बातचीत पर आधारित लेख

करें हेयरस्टाइलिंग उत्पादों का सही प्रयोग

जब हम अपने बालों को आकर्षक स्टाइल में ढालने की कोशिश करते हैं तो आधुनिक हेयरस्टाइलिंग उत्पादों का प्रयोग करते हैं क्योंकि इन की मदद से हम मनमाफिक हेयरस्टाइल बना सकते हैं.

लेकिन कई बार नए हेयर लुक के चक्कर में नुकसानदेह रसायनों या ऐलर्जी वाले तत्त्वों के कारण बालों को खासा नुकसान उठाना पड़ता है. इस के अलावा बालों को रोजाना पर्यावरण प्रदूषण, धूल, गंदगी और धूप का सामना करना पड़ता है, जिस से यह नुकसान कई गुना बढ़ सकता है.

कोई भी इस तरह के नुकसान झेलना नहीं चाहता. लिहाजा यदि आप ड्रायर, ब्लोअर और स्ट्रेटनर जैसे स्टाइलिंग प्रोडक्ट्स या जैल या अल्कोहल वाले स्प्रे या अन्य खतरनाक रासायनिक तत्त्वों के इस्तेमाल से अपने बालों पर बहुत ज्यादा प्रयोग कर रही हैं, तो सावधान हो जाएं और अपने बालों की अतिरिक्त देखभाल पर ध्यान देना शुरू कर दें. सुनिश्चित करें कि आप अपने बालों के पोषण और उन की अन्य जरूरतों का खास खयाल रख रही हैं.

देखभाल के तरीके

– देखभाल की बुनियादी शुरुआत बालों की सफाई से होती है. यदि आप अपने बाल नियमित रूप से नहीं धोती हैं और उन्हें साफ नहीं रखतीं तो बालों की जड़ें कमजोर पड़ जाएंगी और हेयरस्टाइलिंग प्रोडक्ट्स का नियमित इस्तेमाल बालों का नुकसान बढ़ा देगा. इस के अलावा डीप कंडीशनिंग का नियमित इस्तेमाल आप के बालों को स्वस्थ रखेगा. उस से हेयरस्टाइलिंग उत्पादों के अत्यधिक इस्तेमाल से बेजान और शुष्क नजर आने वाले बाल भी सुरक्षित और पोषित रहेंगे.

– विटामिन ए, फौलिक ऐसिड, विटामिन बी कौंप्लैक्स, प्रोटीन तथा कैल्सियम जैसे सप्लिमैंट्स बालों के लिए अच्छे होते हैं. यदि आप के बाल पतले हो रहे हैं, तो किसी अच्छे डर्मेटोलौजिस्ट से मिलें, जो आप को उचित विटामिन लेने की सलाह दे सके.

– गरम हवा वाले ड्रायर का इस्तेमाल कम करना ही अच्छा होता है. इस के बजाय आप बालों से टपकते पानी को सावधानी से निचोड़ लें और फिर तौलिए से पोंछ लें. यदि आप को ड्रायर का इस्तेमाल करना ही पड़ जाए तो याद रखें कि ब्लोअर से निकलने वाली गरम हवा बालों पर तेजी से पड़ती है और इस प्रक्रिया में रोमकूपों (हेयर फौलिकल्स) को काफी नुकसान पहुंचता है. इस नुकसान से बचने के लिए नर्म मूस (एक प्रकार का जैल) लगा कर बालों को ड्रायर से सुखाएं. कोई भी मूस जहां बालों के स्टाइल बदलने में कारगर होता है, वहीं नर्म मूस बालों की बेहतर सुरक्षा भी करता है.

– ब्लोअर के इस्तेमाल से स्कैल्प के रोमछिद्र भी खुल जाते हैं और इस वजह से इन में धूल तथा प्रदूषण का भी प्रवेश हो जाता है, जिस से बालों की जड़ें और कमजोर हो जाती हैं. इस के अलावा बारबार हेयरड्रायर का इस्तेमाल बालों को बेजान बना देता है.

– अल्कोहल या अन्य हानिकारक रासायनिक तत्त्वों वाले स्टाइलिंग प्रोडक्ट्स भी बालों को नुकसान पहुंचाते हैं. इसलिए ऐसे तत्त्वों वाले उत्पादों के इस्तेमाल से बचें या जहां तक संभव हो सके, इन का कम से कम इस्तेमाल करें.

– बालों की स्टाइलिंग के लिए हेयर कलरिंग करने का चलन भी बढ़ा है, लेकिन हमें सिलिकौन युक्त हेयर कलर और अल्कोहल युक्त हेयर कलर के इस्तेमाल से बचना चाहिए. इन से बालों में रूसी, खुजली तथा बालों के झड़ने जैसी समस्याएं पैदा हो सकती हैं.

– बालों को हीट देने, आयरनिंग करने या घुंघराला बनाने के लिए स्टाइलिंग उत्पादों के इस्तेमाल से बचें. बालों को पोषण देने का खयाल भी रखें. इस के लिए अपनी स्कैल्प की नियमित रूप से मालिश करें. स्कैल्प और बालों की मालिश के लिए कुनकुने औलिव औयल या नारियल तेल का इस्तेमाल करें. इस से बालों में नमी लौट आएगी और बालों का सूखापन दूर होगा.

लेकिन बहुत ज्यादा तेल लगाना भी अच्छा नहीं होता. सप्ताह में एक बार ही तेल लगाना पर्याप्त होता है. पूरी रात बालों में तेल लगाए रखना भी जरूरी नहीं है, बल्कि 2-3 घंटे ही पर्याप्त होते हैं. बालों पर बहुत ज्यादा मालिश या बहुत ज्यादा तेल का इस्तेमाल न करें, क्योंकि तब आप को तेल से छुटकारा पाने के लिए बहुत ज्यादा शैंपू लगाना होगा और इस का भी बालों पर बुरा असर ही होगा.

– स्कैल्प में नई ऊर्जा का संचार करने वाली कुछ मैडिकल थेरैपीज हमेशा अच्छी मानी जाती हैं. मसलन स्टेम सेल थेरैपी, पेप्टाइड थेरैपी, एलईडी थेरैपी और रिजुविनेटिंग औरेंज लाइट थेरैपी. ये बालों के विकास में तेजी लाती हैं और रूसी तथा बालों से संबंधित अन्य समस्याओं से बचाए रखती हैं.

– प्राकृतिक कंडीशनर का इस्तेमाल भी फायदेमंद रहता है. दही, अंडे की सफेदी, हिना आदि चीजें प्राकृतिक कंडीशनर का काम करती हैं और बालों को स्वस्थ बनाए रखने में कारगर होती हैं. इन से आप के बेजान और शुष्क बालों को भी नवजीवन मिलता है.

– पौष्टिक खानपान का पालन करें क्योंकि आप के बालों की सेहत इस पर भी निर्भर करती है. अंडा, चिकन, ओमेगा 3 फैटी ऐसिड जैसे प्रोटीनयुक्त भोजन और मछली, बादाम और अखरोट जैसी आयरन युक्त चीजों के अलावा गाजर और दालों का सेवन करें, जिन में विटामिन और फौलिक ऐसिड की प्रचुरता होती है. इन चीजों से आप के बाल स्वस्थ बने रहेंगे.

डा. चिरंजीव छाबड़ा

डर्मेटोलौजिस्ट और हेयर ऐक्सपर्ट, स्किन अलाइव क्लीनिक, दिल्ली

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