जुल्फों की जरूरत

प्रिया के केश हैल्दी लुक नहीं देते थे. इस पर उस की सहेली नेहा ने सुझाव दिया कि केशों में तेल लगाना अच्छा घरेलू उपाय है. नियमित तौर पर तेल लगाया करो. केश अच्छे हो जाएंगे. प्रिया ने सुझाव मान लिया. लेकिन अब तो उस के केशों की समस्या और बढ़ गई. केश हर समय जकड़े हुए रहते. दरअसल, नेहा ने सुझाव तो दे दिया पर यह नहीं सोचा कि प्रिया के केश पहले से ही औयली हैं.

यह सुझाव प्रिया के लिए और मुश्किल का कारण बन गया. इसलिए यह समझना जरूरी है कि जब हर किसी के केश एक जैसे नहीं होते तो उन की देखभाल के तरीके भी एक जैसे नहीं हो सकते.

अलगअलग किस्म के केशों के लिए अलगअलग उपाय हैं जैसे नौर्मल, कर्ली या वेवी, बहुत हलके केश, औयली या ड्राई सभी केशों की देखभाल उन में होने वाली समस्याओं के अनुसार की जाती है.

पेश हैं, केशों की नियमित देखभाल से संबंधित पीतमपुरा स्थित अंगेजिंग ब्यूटी सैलून के संस्थापक और हेयर स्टाइलिस्ट शरद वधवा द्वारा सुझाए गए विशेष टिप्स –

वेवी या कर्ली हेयर

वेवी या कर्ली केश हों तो रोज शैंपू न कर के एक दिन छोड़ कर करें, क्योंकि ये केश ड्राई होते हैं.

ऐसे केश हार्ड होते हैं, इसलिए सौफ्टनैस लाने के लिए कंडीशनर का प्रयोग जरूर करें.

इन के लिए लंबे दांतों वाली कंघी इस्तेमाल करें ताकि ये आसानी से सुलझ जाएं और टूटें नहीं. जब तक केश गीले हों तब तक उन्हें कंघी न कर के उंगलियों से सुलझाएं.

वेवी हेयर की समस्या ज्यादातर महिलाओं को होती है, जिस में केश उलझे से लगते हैं. उन्हें सैट करने में परेशानी होती है, इसलिए ऐसे केशों की नियमित देखभाल करनी चाहिए. इस के लिए हेयर वाश के बाद कंडीशनर और सीरम का इस्तेमाल करें. ये केशों के उलझने की समस्या दूर करते हैं.

केशों की ड्राईनैस खत्म करने के लिए आप हफ्ते में 2 बार तेल लगा सकती हैं.

औयली हेयर

औयली हेयर में तेल न लगाएं. घरेलू कंडीशनर के तौर पर हिना का प्रयोग करें.

हिना से केशों की जरूरी नमी भी बरकरार रहती है और केशों से अतिरिक्त औयल भी निकल जाता है.

इन केशों में आप रोज शैंपू कर सकती हैं पर शैंपू माइल्ड ही होना चाहिए. ऐसे केशों में बाहरी कंडीशनर का इस्तेमाल न करें, क्योंकि उस से केश और ज्यादा औयली हो जाएंगे. केश औयली हों तो पानी ज्यादा पिएं.

हलके व पतले केश

केश बहुत हलके हों तो मस्टर्ड औयल से स्कैल्प पर स्टीम दें. हिना केशों में वौल्यूम लाती है, इसलिए ऐसे केशों के लिए हिना अच्छा कंडीशनर है. वैंट ब्रश का उपयोग करें.

ये केश कमजोर होते हैं, इसलिए माइल्ड शैंपू ही इस्तेमाल करें, क्योंकि हार्ड शैंपू केशों को और कमजोर बना देगा.

हफ्ते में 1 बार औयलिंग अवश्य करें. हेयर मास्क भी लगा सकती हैं.

नौर्मल हेयर

नौर्मल केशों में हफ्ते में 1 बार औयलिंग जरूर करें.

समयसमय पर ट्रिमिंग करवाती रहें. इस से केश शेप में रहेंगे और दोमुंहे भी नहीं होंगे.

नौर्मल हेयर में सौफ्टनैस लाने के लिए कंडीशनर और सीरम का इस्तेमाल करें.

स्कैल्प पर न लगाएं सिर्फ केशों की लैंथ पर ही लगाएं.

ऐसे केशों में कंघी करने के बजाय वैंट ब्रश इस्तेमाल करें.

देखभाल के साथसाथ उन्हें ट्रैंडी लुक देने के लिए निम्न उपाय हो सकते हैं-

हेयर कलर : मार्केट में हेयर कलर की काफी वैरायटी है. ज्यादातर महिलाएं हाइलाइट करवाना पसंद करती हैं, जिन में से कुछ डीसैंट हैं तो कुछ बोल्ड. आजकल हेयर कलर में ब्लौंड कलर काफी लोकप्रिय है. इस में भी काफी वैरायटी है, जैसे गोल्ड, कौपर, स्ट्राबैरी. रैड कलर की भी डिमांड है. ध्यान रहे, कमजोर केशों पर हेयर कलर नहीं करवाना चाहिए और अपने केशों का टैक्स्चर जांच लें कि हेयर कलर आप के लिए सूटेबल है या नहीं.

कूल हेयर कट : हेयर कट आप का पूरा लुक बदल देता है, इसलिए हेयर कट केशों को स्टाइल करने का सब से अच्छा उपाय है. लेकिन इस का चुनाव ध्यान से करें.

टैक्स्चर के हिसाब से : अगर हेयर वेवी हों तो लेयरस या स्टैप कट अच्छा लगता है और हेयर अगर नौर्मल या स्ट्रेट हों तो रेजर या ऐडवांस रेजर सूट करेगा.

फेस कट के हिसाब से : जहां ओवल शेप पर कोई भी हेयर कट अच्छा लग सकता है, वहीं फेस हैवी हो तो स्ट्रेट कट के बजाय बाउंसी हेयर कट करवाना चाहिए.

न्यू लुक : केश चाहे नौर्मल हों या वेवी, उन्हें प्रौपर स्टे्रट लुक देने के लिए रिबौडिंग काफी ट्रैंड में है. इस से केशों में सौफ्टनैस, चमक और प्रौपर स्टे्रट लुक आता है. केश बिलकुल नहीं उलझते और एकदम सलीकेदार हो जाते हैं.

स्टे्रट थेरैपी : यह थेरैपी रिबौडिंग का ऐडवांस रूप है. इस में रिबौडिंग की तुलना में ज्यादा अच्छा लुक आता है और केश स्टे्रट व ज्यादा सौफ्ट हो जाते हैं.

स्ट्रेट थेरैपी कितनी सेफ

यह थेरैपी सेफ है. इस ट्रीटमैंट को लेने से पहले यह ध्यान रहे कि आप के केश बहुत हलके या पतले न हों.

आप के केशों का टैक्स्चर अच्छा होना चाहिए. अगर आप के केशों का टैक्स्चर अच्छा हो तो इसे न करवाएं या पहले सही देखभाल से केशों को मजबूत बनाएं.

जिस कंपनी के प्रोडक्ट्स से आप यह ट्रीटमैंट ले रही हैं, बाद में भी उसी के प्रोडक्ट मसलन शैंपू, कंडीशनर, सीरम का ही इस्तेमाल करें और औयलिंग करनी हो तो महीने में 1 बार और सिर्फ कौटन से ही स्कैल्प पर तेल लगाएं. मसाज न करें. केशों में महीने में 1 बार स्पा जरूर लें. इस थेरैपी से आया न्यू लुक लगभग डेढ़ से 2 साल तक रहता है. उस के बाद केश फिर से पहले जैसे टैक्स्चर में आ जाते हैं. तब इसे फिर से ले सकती हैं.

हेयर स्पा : केशों में यदि डैंड्रफ हो तो हेयर स्पा अच्छा उपाय है. इस से केशों में मसाज कर के थेरैपी दी जाती है. इस से केशों में चमक और मजबूती आती है. अगर कलर या स्ट्रेट थेरैपी ली हो तो हेयर स्पा नियमित रूप से लेना अच्छा रहता है.

डीप कंडीशनिंग : हेयर ब्रेकेज की समस्या हो तो डीप कंडीशनिंग अच्छा ट्रीटमैंट है. इस से केशों में मसाज और स्टीम से जड़ों को नरिश किया जाता है.

व्यक्तित्व को आकर्षक बनाने में केशों का बहुत योगदान होता है. अगर चेहरा सुंदर भी है पर केश अनहैल्दी हैं तो आप का रंगरूप फीका ही रहेगा. वहीं अगर चेहरा ज्यादा सुंदर न हो, मगर केश दमकते हों तब भी आप के व्यक्तित्व में निखार आ जाएगा. आप स्मार्ट लगेंगी. दमकते और हैल्दी केश कौंफीडैंट बनाते हैं. केश सलीकेदार होंगे तो आप फ्रैश फील करेंगी. चिपके, जकड़े, अनहैल्दी और कमजोर केश इरिटेशन पैदा करते हैं. इसलिए इन की नियमित देखभाल  करना बहुत जरूरी है

मानसून डाइट

लाजो बूआ कभी भी, कहीं भी आ धमकती थीं. इधर मेरे घर इन का आना हुआ और बाहर मूसलाधार बारिश होने लगी. अब क्या करूं, इन्हें क्या खिलाऊंपिलाऊं, खुद ही 4 दिन बाद बाहर से लौटी हूं. फ्रिज खोल कर देखा तो उस में सिर्फ 2-4 उबलेछिले हुए आलू रखे थे, जो मैं हमेशा ऐसे वक्त के लिए रखती थी. साथ ही, बासी ब्रैड और मीठे बंद पड़े थे. सोचा झटपट इन्हीं का कोई स्नैक बना कर चाय के साथ सर्व कर दूंगी. बूआ ने मजे से आलू और ब्रैड के स्नैक्स खाए. पर थोड़ी ही देर बाद पेट में गड़बड़ शुरू हो गई. वे शिकायत पर शिकायत किए जा रही थीं और हम डाक्टर साहब को फोन पर बता रहे थे कि हम ने तो ऐसा कुछ भी नहीं खिलाया. बाहर से भी नहीं मंगवाया. घर पर ही बनाया था, अपने हाथों से, फिर यह क्या हुआ और कैसे हुआ?

डा. सुरेंद्र सोढी ने बूआ को देखा, दवा दी और फिर बताया कि घबराने की जरूरत नहीं. सब ठीक हो जाएगा. दरअसल, हम लोग फ्रिज में बचा हुआ खाना रख की आराम से बैठ जाते हैं और भूल जाते हैं. फ्रिज में ज्यादा दिन खाना रखने से उस में भी बैक्टीरिया उत्पन्न होने लगते हैं, स्वाद में भी फर्क आ जाता है, जैसे छिले हुए आलुओं में अकसर चिपचिपाहट पैदा हो जाती है, जिन का सेवन खतरनाक हो सकता है. रही बात ब्रैड की तो बरसात के मौसममें सब से अधिक नुकसान बासी ब्रैड के सेवन से होता है. ब्रैड में लगी फंगस आंतों की दुश्मन है. हम नासमझी में फंगस साफ कर ब्रैड इस्तेमाल कर लेते हैं और अनजाने में डायरिया, पेचिश को बुलावा दे देते हैं. एक तो पहले ही बरसात के मौसम में दूषित पानी से बीमारियां पैदा होती हैं, ऊपर से खानपान में लापरवाही. अमेरिका में न्यू जर्सी में रह रही क्लीनिकल चाइल्ड साइकोलौजिस्ट बौबी चांदी कहती हैं, ‘‘यहां तो साफसफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है. खानपान के प्रति लोग सजग हैं. हम खानपान पर विशेष ध्यान देते हैं. पहनावे पर ध्यान देते हैं. बारिश में शरीर भी ढक कर रखने की सलाह देते हैं. रेन कोट और पैरों में गम शू सभी के लिए पहनना जरूरी है ताकि बारिश के पानी से पैर गंदे न हों. तभी तो कोल्ड, फ्लू अमेरिकावासियों को कम होते हैं. बारिश में खानपान पर हम पूरा संयम बरतते हैं. खानपान का सही सलीका अपनाते हैं. जैसे, फ्रिज में भी कोई चीज कटी, पकी, बिना ढके नहीं रखते. फिर एक बार फ्रिज में रखी चीज गरम करें तो उसे पूरी खा लेते हैं. दोबारा इस्तेमाल नहीं करते वरना पेट में इन्फैक्शन का खतरा रहता है.’’

अब समझ में आया, दादी क्यों मां से जिद करती थीं कि ताजा बनाओ, ताजा खाओ. तापमान व मौसम हर चीज को प्रभावित करते हैं. भले ही शरीर हो या फिर खानपान. यों भी बरसात के दिनों में धरती सूर्य से दूर होती जाती है. सूर्य की किरणों का प्रभाव कम हो जाता है और वायुमंडल में आर्द्रता बढ़ जाती है, खानपान की रुचि में बदलाव आना स्वाभाविक है. कोलंबिया एशिया अस्पताल, पटियाला में कार्यरत डाइटिशियन भावना शर्मा कहती हैं, ‘‘बेहतर होगा शरीर को स्वस्थ, चुस्तदुरुस्त रखने के लिए ऐसे मौसम में हम अपने लिए एक बढि़या डाइटरी चार्ट प्लान बना लें. ताकि लिवर कमजोर न हो, पाचनक्रिया ठीक हो, संक्रमण न हो, पेट ठीक रहे और हम फिट रहें.’’

मानसून के लिए डाइट प्लान

प्रात:काल: ग्रीन टी या नीबू चाय या दूध वाली चाय 1 कप व 1-2 बिस्कुट या रस्क.

नाश्ता: 2 मिस्सी रोटियां दही के साथ या 1 कटोरी दलिया या ओट्स या 1 भरवां परांठा दही के  साथ.

11 बजे मिड मौर्निंग: ताजा मौसमी फल या ताजा फ्रूट चाट या घर में बनाया ताजा मौसमी फलों का 1 गिलास जूस.

दोपहर का भोजन: 2 रोटियां या उबले हुए चावल, सब्जी पकी हुई 200 ग्राम, पका हुआ हाई प्रोटीनयुक्त आहार 200 ग्राम (जैसे, न्यूटरी नगेट, सोयाबीन, राजमा, काले चने, टोफू चीज या घर का बना पनीर.

दही: 200 ग्राम.

सलाद: 1 प्लेट (सलादपत्ता खाएं तो अच्छी तरह से धो कर).

शाम की चाय: चाय या 200 ग्राम गरम दूध या कोई भी मनपसंद मिल्कशेक.

रात के खाने से पहले: 200 मिली. घर का बना सब्जियों का ताजा सूप, बिना मक्खन.

रात्रि भोजन: 2 रोटियां, 200 ग्राम पीली मूंगदाल, हलकी सब्जी 175 ग्राम.

सोने से पहले: गरमगरम 200 ग्राम दूध.

भावना शर्मा कहती हैं कि यदि अपने शरीर को स्वस्थ और चुस्त रखना है, तो इस तालिका के अनुरूप आप खाएंगी तो फिट रहेंगी और मौसम रोमानी लगेगा.

रसोई में जाने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है:

खाना पकाने और खाना खाने से पहले हाथ जरूर धो लें.

बाजार से लाए फलों और सब्जियों को पकाने और फ्रिज में रखने से पहले अच्छी तरह धो लें.

शिमलामिर्च के कटावों के बीच मिट्टी फंसी रहती है. इसलिए कुनकुने पानी से अच्छी तरह धो लें.

उबला, साफ किया और बोतल बंद पानी पिएं. पानी में बहुत जल्दी कीटाणु पनपते हैं. बेहतर होगा बोतल को अच्छी तरह से रोजाना धो कर साफ पानी भरें. उबले पानी में तुलसी की पत्तियां भी डाल सकती हैं.

ताजा सब्जियों से बना ताजा भोजन स्वास्थ्यवर्धक होने के साथसाथ जल्दी हजम भी हो जाता है. फाइटोकैमिकलयुक्त ताजे फल और सब्जियों का प्रयोग करें. यह हरे, लाल, पीले रंग के फल और सब्जियों में पाया जाता है, जिन में विटामिन और खनिज प्रचूर मात्रा में रहते हैं.

बासी भोजन से परहेज करें.

शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले पदार्थों, जैसे पुदीना, नीम, तुलसी और इमली की पत्तियों का सेवन करें.

कम मात्रा में पर थोड़थोड़े अंतराल पर कुछ खाते रहें.

औलिव औयल का इस्तेमाल करें. नौनस्टिक पैन में औयल डस्ट करने से अच्छा भोजन बन जाता है. इसलिए जितना हो सके, हैवी औयल इस्तेमाल में न लाएं.

किचन स्लैब पर नमक के घोल का पोंछा लगाएं.

कटिंग बोर्ड या चौपिंग बोर्ड को हर बार इस्तेमाल के बाद धो कर रखें. इन में जीवाणु बहुत जल्दी पनपने लगते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं.

चाकू, छुरी को अच्छी तरह धो कर, धूप में सुखाना न भूलें.

बरसात के मौसम में तलाभुना, मसालेदार भोजन न खाएं.

कटीपकी चीजें न खरीदें.

सीफूड से दूर रहें.

जो फल मुरझाए, अधिक पके और रंगत बदले हों, उन्हें न खाएं.

पेट या शरीर में गैस पैदा करने वाले पदार्थ जैसे गोभी, राजमा हो सके तो न खाएं.

हलकाफुलका व्यायाम अवश्य करें.

अनार या अनार का रस पेचिश में आराम दिलाता है.

नई फसल के अनाज से परहेज करें क्योंकि यह गरम होता है. इसलिए पुराना अनाज ही खाएं.

बरसात के मौसम में दूधपानी के साथ शहद का प्रयोग, स्वास्थ्यवर्धक होता है और ऊर्जा प्रदान करता है.    –

77 फल व सब्जियों का सेवन

ताजे फल व सब्जियों में भरपूर मात्रा में पानी, आवश्यक पोषक तत्त्व, घुलनशील विटामिन, मिनरल, नैचुरल शुगर और फाइबर मौजूद रहते हैं. मानसून और गरमी के मौसम में अपने भोजन में कई तरह के फलसब्जियों जैसे खरबूजा, संतरा, लीची, टमाटर, खीरा, प्याज आदि का सेवन सलाद और ताजे जूस के रूप में कर सकते हैं. फल और सब्जियां शरीर को हाइड्रेट रखती हैं व गरमी में शरीर के तापमान को कम करने में मदद करती हैं, साथ ही इन में फाइबर की अधिक मात्रा होने की वजह से ये वजन कम करने में भी सहायक सिद्ध होती हैं. आंवला और नीबू में भरपूर मात्रा में विटामिन सी होता है, शरीर की जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है. गरमी के मौसम में चरबीयुक्त (चिकना), तलाभुना भोजन खाने से बचें.

एक ही समय में अधिक भोजन न करें.

रात का बचा व खुला भोजन न खाएं.

फल व सब्जियां पकाने से पहले या सलाद के रूप में प्रयोग करने से पहले अच्छी तरह से धोएं.

पहले से कटी हुई सब्जियों व फलों का सेवन करने से बचें.

फिल्टर किए हुए और उबले पानी का ही इस्तेमाल करें.

मानसून के मौसम में संतुलित व कम भोजन ही खाएं.

अच्छी तरह से पका हुआ खाना खाएं.

बासी भोजन का सेवन न करें.

77 मानसून मंत्र

खूब पानी पिएं: पानी शरीर को हाइड्रेट और कूल रखता है और आप की प्यास बुझाता है. गरमी में पसीने के रूप में शरीर से पानी और सोडियम बाहर निकल जाते हैं. शरीर में पानी की कमी न हो, इसलिए भरपूर मात्रा में पानी पीना चाहिए.अगर आप प्यासे नहीं भी हैं तो भी पानी पीते रहें. घर से बाहर निकलने पर अपने साथ पानी की बोतल जरूर रखें. किचन, ड्राइंगरूम, बैडरूम हर जगह आप पानी की एक बोतल रखें ताकि प्यास लगने पर आप उसे अवाइड न करें. पानी पास में उपलब्ध होगा तो आप उसे फौरन पीना चाहेंगे. लेकिन एक ही समय में अधिक पानी पीने की कोशिश न करें. थोड़ीथोड़ी देर में पानी पीते रहें.

भेद तो शादी के बाद ही खुलता है

फिल्म ‘बदलापुर’ के बाद हुमा कुरैशी के पास कोई बड़े बैनर की फिल्म का औफर नहीं है. मतलब यह कि हुमा इस समय बिलकुल फ्री हैं. अपने सपनों के राजकुमार के बारे में बताते हुए हुमा कहती हैं कि उस में कुछ भी बनावटी न हो. उस में इमोशनल फीलिंग्स होनी चाहिए, जिस से वह मेरी भावनाओं को समझ सके. वह स्टार तो बिलकुल न हो. वह ऐसा होना चाहिए, जो मुझे बहुत प्यार करे. यदि मैं शौपिंग के लिए जाऊं, तो मेरा बैग पकड़ने में उसे दिक्कत न हो. मेरे हाथों में हाथ डाल कर वह चल सके. उस की नजर में सिर्फ मैं ही सब से खूबसूरत लड़की रहूं. लेकिन मुहतरमा, जो खूबियां आप चाहती हैं वह पहले तो सब लड़कों में नजर आती हैं पर भेद तो शादी के बाद ही खुलता है.

 

हम दिल दे चुके सनम

अभी हाल में हुए आईफा अवार्ड में रणवीर सिंह ने अपनी गर्लफ्रैंड दीपिका को सब के सामने स्टेज पर घुटनों के बल बैठ कर प्रपोज किया और एक बना हुआ हार्ट भी दीपिका को दिया. बाद में यहां से दोनों साथ में ही भारत लौटे. वैसे ये दोनों काफी समय से एकदूसरे को डेट कर रहे हैं. अब खबर है कि 2016 की फरवरी तक दोनों वैवाहिक बंधन में बंध जाएंगे. वैसे हाल ही में हुए एक इंटरव्यू में रणवीर ने कहा था कि उन की इच्छा है कि अब वे भी एक फैमिली मैन के तौर पर स्थापित हो जाएं. तो इस का मतलब साफ है कि दोनों ने शहनाई बजवाने का एकसाथ मूड बना लिया है. इस खबर के अलावा कंगना और दीपिका के बीच कोल्डवार की भी चर्चा गरम है. एक इवेंट में कंगना को इसलिए जल्दी जाना पड़ा क्योंकि वहां दीपिका की ऐंट्री होने वाली थी.

यौर्कशायर लैंब पैटीज

सामग्री

1 बड़ा चम्मच वैजिटेबल औयल

1 छोटा चम्मच हौर्सरैडिश सौस

1 छोटा प्याज कतरा सुनहरा भुना हुआ

1 छोटा चम्मच पार्सले कटा हुआ

200 ग्राम कीमा

नमक स्वादानुसार.

विधि

एक गोल मिक्सिंग बाउल में वैजिटेबल औयल और हौर्सरैडिश सौस को अच्छी तरह मिलाएं. फिर इस में भुना प्याज और कटा पार्सले मिलाएं. अब इस में कीमा, नमक और कालीमिर्च डालें और गोल पैटीज बनाएं. पैटीज को पैन ग्रिल में पकाएं और गरमगरम मेयोनीज सौस के साथ परोसें.

ऐल्बूक्यूरेक्यू ऐटौमिक मशरूम्स

सामग्री

20 मध्यम आकार के बटन मशरूम

2 बड़े चम्मच वैजिटेबल औयल

3 बड़े चम्मच टोमैटो पेस्ट

1 छोटा चम्मच कालीमिर्च पाउडर

1/2 छोटा चम्मच लालमिर्च पाउडर

2 रैड जैलपीनो

नमक स्वादानुसार.

विधि

मशरूमों को धो कर व साफ कर उन के डंठल हटा लें. अब एक गहरे गोल पेंदी वाले बरतन में सभी सामग्री को मिलाएं और 30 मिनट मैरिनेट होने के लिए रखें. फिर हलका फेंट लें. अब इसे ग्रिल पर रख कर भूनें. फिर कालीमिर्च बुरक कर गरमगरम परोसें.

महिलाओं की खुराफाती चालों के मारे पुरुष बेचारे

पुरुष सोचते हैं कि महिलाओं की जबान ज्यादा चलती है, लेकिन उन्हें यह पता नहीं होता कि उन का दिमाग भी काफी तेज चलता है. इसी वजह से वे अकसर खुराफाती चाल चलती हैं. ऐसी महिलाएं आपसी रिश्तों में जानबूझ कर अनजान बनने की कोशिश करती हैं और यह जताती हैं कि वे मासूम हैं. जबकि वे हर बात भलीभांति जानती हैं और कोशिश करती हैं कि पुरुष ही पहल करे. ऐसा करने के पीछे उन की मंशा यह रहती है कि वे अपने पार्टनर या प्रेमी से अपनी बात मनवा लें या अपना काम निकलवा ले.

आइए जानें, उन की कुछ खास खुराफाती चालों के बारे में:

एक बस में मेरी पीछे की सीट पर बैठी 2 महिलाएं इतनी तेज आवाज में बात कर रही थीं कि मुझे सब अच्छे से सुनाई दे रहा था. तभी एक महिला ने बताया कि रात करीब डेढ़ बजे तक पति से झगड़ा होता रहा. ‘‘अरे क्या हुआ यार?’’ दूसरी ने पूछा तो उस ने बताया कि कल रात पति यह जानने के लिए अड़े हुए थे कि मैं कल दिन में किस के साथ छोलेभठूरे खाने गई थी? लेकिन मैं भी अड़ी रही और देर रात तक मैं ने उन्हें कुछ नहीं बताया. बल्कि मैं ने उन से साफसाफ कह दिया कि मैं जिस के साथ भी गई थी आप को बताना जरूरी नहीं समझती. जब उन्होंने मुझे नैकलैस दिलाने का वादा किया तो मैं ने बताया कि मैं अपने कुलीग के साथ गई थी. 

औफिस में अकसर ऐसा देखा जाता है कि थोड़ी बड़ी उम्र की महिलाओं को एक पुरुष साथी की जरूरत होती है ताकि उन का यह एहसास बना रहे कि वे अभी भी जवां हैं. यह भी देखने में आता है कि इस उम्र की बहुत सी महिलाएं अपने पुरुष दोस्त के सामने पति की बुराई करने लग जाती हैं क्योंकि वे अच्छी तरह समझती हैं कि ऐसा कर के ही वे सामने वाले से सिंपैथी गेन कर सकती हैं. होता यही है कि इस से पुरुष जल्दी पिघल जाते हैं. महिलाएं ऐसा पुरुष साथी का अटैंशन पाने के लिए भी करती हैं. पुरुष बेचारा उन की चाल में फंस जाता है.

यह बात आप ने किसी को किसी से कहते हुए जरूर सुनी होगी, ‘मेरी शादी होने वाली है पर मेरा दिल हमेशा तुम्हारे और सिर्फ तुम्हारे लिए ही धड़कता है’, ‘तुम मिलने के लिए बुलाओगे तो मैं हमेशा आया करूंगी’, ‘मैं केवल तुम्हें ही चाहती हूं’. महिलाएं इस हथकंडे का इस्तेमाल बखूबी इसलिए करती हैं ताकि सामने वाला उन की मीठी बातों में आ कर ठीक वैसा ही सोचे जैसा महिला उसे बता रही है. अगर आप ने किसी महिला को मिलने बुलाया हो और आप को उस के पास पहुंचने में देर हो गई हो तो पहले तो वह कुछ देर मुंह फुला लेगी, आप को अपने पीछेपीछे भी टहलाएगी. फिर काफी देर बाद अगर आप उसे गिफ्ट देने या उस के मतलब की बात करेंगे तो आप को माफी देने की बात कह झट से मुसकरा कर आप से बात करना शुरू कर देगी.

पार्टनर या प्रेमी के साथ खुराफाती चालें

अधिकतर महिलाएं अपना दिमाग सब से ज्यादा प्रेमी या पार्टनर के लिए चलाती हैं क्योंकि वही उन का प्लेयर होता है. अगर यहां बात बन गई तो बाकी सब जाए भाड़ में. पार्टनर से कोई काम करवाना है तो वे मासूम बन जाती हैं. उन के चेहरे से लाचारी व बेचारगी झलकने लगती है. यह तो जगजाहिर है कि तैयार होने में सब से ज्यादा वक्त महिलाएं ही लगाती हैं. यह बहुत कम हुआ होगा कि किसी महिला ने पुरुष को इंतजार न करवाया हो. पति हो या प्रेमी, दोनों ही इन की इस चाल में फंस जाते हैं. दरअसल, ऐसी कंडीशन को वे खूब ऐंजौय करती हैं. साथ ही वे अपनी अहमियत भी जताती हैं. ज्यादातर महिलाएं चाहे बाकी चीजों में डौमिनेटिंग न हों पर यह पैतरा जरूर अप्लाई करती हैं. खुद टाइम दे कर देरी से पहुंचने का मतलब है कि वे आप को तड़पाना चाहती हैं.

महिलाएं पुरुषों के मुकाबले डेट्स याद रखने में भी माहिर होती हैं. मान लीजिए अगर आप ने उन के बर्थडे पर उन्हें कोई तोहफा नहीं दिया, तो वे महीनेभर तो आप की गलती याद दिलाएंगी और अपने लिए कई गिफ्ट्स भी खरीदवा लेंगी.

रोना है प्रमुख हथियार

कोई मुसीबत की स्थिति आने पर वे पतियों को आगे कर देती हैं. तब पति परमेश्वर, देवता, घर का बौस, मालिक सब कुछ हो जाता है. तब महिलाएं यह भी कहने से नहीं चूकतीं कि घर के मुखिया या हैड औफ द फैमिली आप हैं. पतियों को लगता है कि हां वे ही बौस हैं, लेकिन असलियत में कौन किस का बौस है, उन्हें तब पता चलता है जब कोई चीज पूरी न की गई हो. रोने के अलावा उन का दूसरा हथियार है उन का खामोश हो जाना और मुंह फुला कर एक कोने में बैठ जाना. खामोशी से अधिकतर पुरुष घबरा जाते हैं. अगर कोई महिला चुप हो गई तो समझिए कि कुछ घंटों या आने वाले दिनों में आप की खैर नहीं. झूठ बोलना तो ज्यादातर महिलाओं की ताकत है.

ससुराल में खुराफाती चालें

महिलाएं ससुराल में भी खूब खुराफाती चालें चलती हैं. अपने फायदे के लिए चलने वाली कुछ चालें तो ऐसी होती हैं, जिन्हें वे अकसर आजमाती हैं:

तबीयत खराब का बहाना कर वे कई कामों से छुटकारा पा लेती हैं.

शादी के बाद ससुराल में आने पर वे, ‘फलां काम मैं ने कभी किया ही नहीं’ जैसा बहाना बना कर ससुराल में अपने नापसंद काम को नहीं करने से बच जाती हैं.

मेरे सासससुर बहुत अच्छे हैं. मैं उन के साथ बहुत खुश हूं. आखिर वे भी मेरे अपने ही हैं. उन के यह कहने का अर्थ दूसरे के सामने यह जाहिर करना होता है कि उन से ज्यादा खुश और कोई बहू नहीं होगी.

औफिस में भी खुराफाती चालें

औफिस में अकसर महिलाएं अपनी तबीयत खराब होने के बहाने को हथियार के रूप में इस्तेमाल करती हैं. वे इस के लिए कुछ ऐसा करती हैं कि सामने वाला यह कह दे कि आज काम मत करो या मैं तुम्हारा काम कर दूंगा. औफिस में अधिकतर महिलाएं मतलब के लिए ही दोस्ती करती हैं क्योंकि कब न जाने किस से काम पड़ जाए. ऐसे में ये महिलाएं अपनी दोस्ती का वास्ता दे कर अपना उल्लू सीधा करती हैं. औफिस में अकसर यह भी देखने को मिलता है कि एक महिला दूसरी महिला से खुंदक निकालना चाहती है, तो वह उस से सीधेसीधे कुछ नहीं कहती. बल्कि उस के लिए उस के मुंह पर मीठी और पीठ पीछे दूसरे रंग की जबान रहती है. यानी अपरोक्ष रूप से वह उस को परेशान कर के उस की छवि खराब करती है. इस के लिए वह उस के करीबी दोस्त के नजदीक जा कर भी उस को चोट पहुंचाती है.

दोस्ती की चालें

ऐसी महिलाओं की दोस्ती बड़ी खतरनाक साबित हो जाती है जो दूसरों को फंसाने का काम करती हैं. आप से मीठी बनी रहेंगी और आप की हर छोटीबड़ी बात की रिपोर्ट उसे भी देंगी, जिस से आप ये बातें छिपाना चाहें. कुछ महिलाएं पीठपीछे बुराई करने में माहिर होती हैं. वे आप की दोस्त होते हुए भी आप की पर्सनल बातों की रिपोर्ट दूसरों को दे कर उन का भला बनने की भी कोशिश करती हैं. औफिस में महिला और पुरुष की दोस्ती हो तो यह दोस्ती दिखावे और काम निकलवाने की ज्यादा होती है. अगर दोस्ती 2 महिलाओं की हो तो कई बार एक महिला दूसरी को नीचा दिखाने के लिए उस की पर्सनल बातें डिसक्लोज कर देती है. 

कुछ महिलाओं की आदत होती है कि वे सामने वाले की इतनी तारीफ कर देंगी कि तारीफ सुनने वाला फूला नहीं समाएगा. जैसे मान लीजिए कोई आप से कहे कि आप फलां सब्जी बहुत अच्छी बनाती हैं, तो अपनी तारीफ सुन कर आप अगली बार यही सब्जी उस के लिए भी जरूर बनाएंगी. ऐसी महिलाएं आप की तारीफ कर बस अपना ही काम निकालती हैं. घर के आसपड़ोस की दोस्ती आजकल स्टेटस देख कर होती है. ऐसी दोस्ती करने वाली महिलाएं अपनी तारीफ करने में माहिर होती हैं. ऐसी खुराफाती महिलाओं से बच कर रहने में ही समझदारी है.

काम का मजा चुनौती में है : जोनिता डोडा

‘पत्तापत्ता सिंघां दा वैरी’ फिल्म की शूटिंग के लिए अभिनेत्री जोनिता डोडा ने 104 डिग्री बुखार में न केवल मुंबई से चंडीगढ़ तक का सफर तय किया, बल्कि इतने ही बुखार में उन्होंने शूटिंग भी की. ये ऐसे लमहे थे, जो उन्हें कभी नहीं भूलेंगे और न ही जीवन में हार मानने देंगे. ‘चंडीगढ़ दी सोहनी कुड़ी’, ‘चक जवाना’ व ‘यारा ओ दिलदारा’ जैसी पंजाबी तथा साउथ इंडियन फिल्मों की अभिनेत्री जोनिता डोडा की पंजाबी फिल्म ‘पत्तापत्ता सिंघां दा वैरी’ कुछ अरसा पहले रिलीज हुई.

बुखार में शूटिंग

जोनिता कहती हैं कि चंडीगढ़ में परवरिश हुई तो इस से ऐसा लगाव हो गया कि इसे छोड़ने के नाम से ही उन्हें बुखार हो जाता है. अपना ख्वाब पूरा करने के लिए मुंबई तक का सफर तय किया. वहां की आबोहवा में सैट होने में ही उन्हें एकडेढ़ साल लग गया. पंजाबी फिल्म ‘पत्तापत्ता सिंघां दा वैरी’ की शूटिंग के लिए चंडीगढ़ आना था, परंतु उन्हें 104 डिग्री बुखार था. फिर भी वे वहां आईं और शूटिंग की. यही कारण है कि इस फिल्म के रिलीज होने का इंतजार दर्शकों को ही नहीं, बल्कि जोनिता को भी बेसब्री से था. ‘पत्तापत्ता सिंघां दा वैरी’ एक फैमिली ड्रामा एवं ऐक्शन फिल्म है, जिस में वे एक गांव की लड़की बनी हैं और खूब पढ़लिख कर टीचर बनना चाहती हैं ताकि वे अपने गांव के हर बच्चे को शिक्षित कर सकें. इस फिल्म में पंजाबी के गायक राज काकड़ा हीरो हैं.

क्या हमेशा अभिनेत्री बनने की ही सोची थी? पूछे जाने पर वे कहती हैं, ‘‘नहीं, ऐसा नहीं है. मैं दरअसल पापा की तरह पायलट बनना चाहती थी, पर कुदरत ने मेरे हिस्से अभिनेत्री बनना ही लिखा था. तभी तो रास्ते अपनेआप बनते चले गए. अब तक की अभिनय यात्रा मेरे लिए सुखद ही रही. सब का प्यार मुझे और अच्छा करने को प्रेरित करता गया.’’ जोनिता ने कई साउथ इंडियन फिल्में भी की हैं. क्या कभी भाषा और इमोशन ऐक्सप्रैस करने की मुश्किल नहीं आई? सवाल पर जोनिता का जवाब था, ‘‘किसी भी चीज में मुश्किल तब आती है, जब हम उसे पूरी तरह से समझ नहीं पाते. काम करने का मजा  तभी है जब आप उसे किसी चुनौती की तरह लेते हैं. असिस्टैंट डायरैक्टर आप को पूरा सीन समझा देता है, जिस से डायलौग बोलते हुए इमोशन अपनेआप ही आ जाते हैं. यही चीज आप को दर्शकों से जोड़ देती है.’’

जोनिता का कहना है कि दक्षिण की फिल्म इंडस्ट्री इसलिए भी डिफरैंट है, क्योंकि वे लोग जहां ज्यादा क्रिएटिव हैं, वहीं नए ऐक्सपैरिमैंट से भी नहीं हिचकते. यही कारण है कि साउथ इंडियन फिल्में करते हुए किसी उत्तर भारतीय को कोई खास परेशानी नहीं होती. ड्रीम बौय के बारे में कुछ बताएं? सवाल पर जोनिता कहती हैं, ‘‘मैं सिंगल हूं और अभी सिर्फ अपने काम पर ही ध्यान देना चाहती हूं. हां, किसी का इंतजार तो है, परंतु रिलेशनशिप बहुत बड़े कमिटमैंट का नाम है. अपने कैरियर की तरफ पूरा ध्यान देना, उसे ऊंचाइयों तक ले जाना तथा अपना सौ प्रतिशत इस में देना ही मेरा लक्ष्य है.’’ जोनिता डोडा यह भी कहती हैं कि रिव्यू पढ़ कर फिल्म के बारे में राय न बनाएं, बल्कि खुद उसे देखने के बाद निर्णय लें, क्योंकि एक फिल्म को बनाने में बहुत लोगों की मेहनत लगी होती है. इन दिनों जोनिता एक मलयालम फिल्म और एक पंजाबी फिल्म की शूटिंग में व्यस्त हैं.

बच्चों को जंक फूड से बचाएं घर में ये बनाएं

बर्गर, पिज्जा, हौटडौग, नूडल्स, पास्ता, चिप्स इत्यादि खाद्यपदार्थ बच्चों को काफी पसंद आते हैं. मगर चिकित्सकों का कहना है कि इन चीजों को खाने से बच्चों के शरीर को पौष्टिकता नहीं मिलती, उलटे जंक फूड में फैट की मात्रा ज्यादा होती है, जो शरीर में कोलैस्ट्रौल बढ़ाती है. इन चीजों के अत्यधिक सेवन से बच्चे मोटापे, डायबिटीज, हाई ब्लडप्रैशर, दिल व लिवर की बीमारियों का शिकार हो जाते हैं.

आइए, जानें कि किस तरह हर मां अपने बच्चों को घर में उन की पसंद के टेस्ट की संतुष्टि करा सकती है:

बच्चों को चाउमिन, पास्ता, नूडल्स आदि बहुत पसंद आते हैं. अत: आटा नूडल्स या फिर मल्टीग्रेन आदि ही खरीदें. इन में रंगबिरंगी खूब सारी सब्जियां जैसे ब्रोकली, गाजर, मटर, हरी, पीली व लाल शिमलामिर्च, टमाटर आदि हैंड चौपर से काट कर डालें ताकि जो सब्जी बच्चों को पसंद न हो उस का उन्हें पता न चले. नूडल्स, पास्ता आदि कम रखें और सब्जियां ज्यादा. पास्ता में टमाटर के साथ कुछ सब्जियां पीस कर पेस्ट बना लें, फिर पकाएं. बच्चे चाव से खाएंगे.

2-3 फलों को मिक्स कर के उन का जूस निकाल कर बच्चों को पिलाएं. बच्चे अकसर पालक नहीं खाते पर यदि उस की प्यूरी में जलजीरा पाउडर, नमक, जीरा व नीबू का डाल कर कूलकूल ड्रिंक बच्चों को दिया जाए तो वे उसे मजे से पीएंगे. आम, केला, चीकू तो बच्चों के मनपसंद फल होते हैं. इन्हें दूध के साथ मिक्स कर के शेक बना कर बच्चों को दें.

गरमी के मौसम में बच्चों को आइसक्रीम, कुल्फी बहुत पसंद आती है. अत: खूब सारे फलों को चौपर से बारीकबारीक काटें. दूध के साथ केला या आम डाल कर शेक बनाएं. उस में सारे फल व मेवा डाल कर आइसक्रीम या कुल्फी जमाएं और फिर बच्चों को खिलाएं.

सैंडविच भी बच्चों को अच्छे लगते हैं खासकर आलू या पनीर के. उस में तीनों प्रकार की शिमलामिर्च बारीक काट कर मिलाएं व फिर सेंकें. इस से पौष्टिकता बढ़ जाएगी.

बच्चों को जो रोटी खिलाएं उस के आटे में सब्जी प्यूरी मिलाएं, अन्य आटे जैसे मूंगदाल आटा, जौ का आटा, रागी का आटा आदि मिक्स करें. इस से बनाई गई रोटियां स्वादिष्ठ व पौष्टिक होंगी और बच्चे भी चाव से खाएंगे.

बच्चों को पौपकौर्न बहुत पसंद होते हैं. अत: घर में बनाएं सादे साल्टेड पौपकौर्न.

फ्रोजन सब्जियां व कौर्न का प्रयोग कर के कटलेट, बर्गर बनाएं. बस डीप फ्राई करने के बजाय शैलो फ्राई करें. बर्गर में टमाटर, प्याज, पनीर, सलादपत्ता आदि लगाएं ताकि देखने में आकर्षक लगे व खाने में पौष्टिक.

राजमा, सूखे सफेद मटर, लोबिया, चना आदि को उबाल कर थोड़े से आलू या कटी सब्जियों के साथ मिक्स कर के हौटडौग में भरें. देखने में आकर्षक और खाने में स्वादिष्ठ लगेगा.

पिज्जा बेस आटे वाला बाजार में उपलब्ध है. उस का प्रयोग करें पर बनाएं घर में.

ब्राउन राइस को उबाल कर चटपटी भेल चाट बनाएं. यकीनन बच्चों को खूब पसंद आएगी.

बच्चों को गरमी के मौसम में बर्फीली चुसकी बहुत अच्छी लगती है. तरबूज, स्ट्राबैरीक्रश, खरबूजा व खस शरबत की चुसकी जमाएं. उस में स्टिक लगा दें. जमने के बाद बच्चों को चूसने में बड़ा मजा आएगा.

फलों को काट कर कस्टर्ड में मिला कर बच्चों को दें.

हरी पत्तेदार सब्जियों की प्यूरी बनाएं और उसे आटे में मांड कर हरी, लाल, पीली रोटी या परांठे बनाएं.

बच्चों को चिप्स भी बहुत अच्छे लगते हैं. आलू के चिप्स शैलो फ्राई करें. बहुत कम फैट में चिप्स तैयार हो जाएंगे. एक छोटे चम्मच तेल में 100 ग्राम मूंगफली आराम से तली जा सकती है.

बच्चों को ओट्स वाला परांठा दें. वे ओट्स खाना पसंद नहीं करते. अत: ओट्स को पीस कर पाउडर बना लें और आटे में गूंध कर परांठे बनाएं. परांठे टेस्टीटेस्टी व पौष्टिक होंगे.

अजय के घर आई नन्ही परी

अजय और ज्योति मक्कड़ के घर एक नन्ही  परी ने जन्म लिया है. टीवी ऐक्टरअजय सिंह चौधरी ने 2013 में ऐक्ट्रैस ज्योति से शादी की और अब एक बेटी के पापा बन गए हैं. अजय ने बताया कि उन की बेटी का जन्म लास एंजिल्स में हुआ, क्योंकि ज्योति की फैमिली वहीं रहती है. हम चाहते थे कि उस का नाम हम दोनों के नाम को मिला कर रखा जाए, इसलिए हम ने बेटी का नाम जियाना रख दिया, जिस का मतलब होता है हमारे दिल का मोती. 

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