शेविंग करते वक्‍त कभी ना करें ये 6 गलतियां

कई बार लड़कियों को वैक्‍सिंग की बजाए पैरों को शेविंग करने में ही ज्‍यादा आसानी महसूस होती है. सैलून में घंटे बैठ कर दर्द सहने से अच्‍छा होता है शेविंग कर के कुछ ही मिनटों में काम खतम कर दिया जाए.

पर क्‍या आप जानती हैं कि कई लड़कियां पैरों को शेविंग करते वक्‍त कई गलतियां कर जाती हैं, जिसके बारे में उन्‍हें पता ही नहीं होता. ये गलतियां त्‍वचा को नुकसान पहुंचा सकती हैं और इससे पैरों में आने वाले बाल थोड़े सख्‍त हो सकते हैं. आइये जानते हैं कौन सी हैं वे गलतियां, जिसे रोक कर आप शेविंग को एक आरामदायक प्रक्रिया बना सकती हैं.

1. बहुत तेजी से शेव करना

इस आदत की वजह से आपको घाव हो सकता है और रेजर की वजह से जलन महसूस हो सकती है. शेविंग हमेशा धीरे और सवधानी से करनी चाहिये.

2. क्रीम ना लगाना

क्रीम या साबुन लगा कर शेविंग ना करने से बाल ठीक तरह से नहीं निकल पाते.

त्‍वचा को गीला ना करना शेविंग करने से पहले अपने पैरों को कुछ देर के लिये पानी में भिगोएं या फिर शावर लेने के बाद ही शेव करें. इससे बाल नरम हो जाते हैं और आराम से शेव हो जाते हैं.

3. एक ब्‍लेड वाला रेजर प्रयोग करना

कई लोग एक ब्‍लेड वाला रेजर प्रयोग करते हैं, जिससे बाल ठीक प्रकार से साफ नहीं होते. वहीं पर दो दो ब्‍लेड वाला रेजर आपना काम बड़ी आसानी से करता है.

4. नियमित स्‍क्रब ना करना

अगर आप अपने पैरों को नियमित शेव करती हैं, तो आपको उन्‍हें स्‍क्रब भी करते रहना चाहिये जिससे उसमें धंसे हुए बाल निकल आएं.

5. मॉइस्‍चराइजन ना लगाना

शेविंग करने के बाद आपको पैरों को ठंडे पानी से धोना चाहिये और फिर उस पर मॉइस्‍चराइजर लगाना चाहिये, जिससे रैश ना पड़े या फिर उसमें जलन ना हो.

6. रेजर शेयर करना

अपना खुद का रेजर कभी भी शेयर नहीं करना चाहिये क्‍योंकि इससे इंफेक्‍शन और बीमारियां होने का डर रहता है.

ये भी पढ़ें- आपको बूढ़ा दिखा सकता है गलत मेकअप

Summer Special: जानिए कैसी है आपकी स्किन

स्किन का वह असामान्य हिस्सा, जहां के रंग में बदलाव आ गया हो, एक आम समस्या है जिस के कई संभावित कारण हो सकते हैं. हो सकता है कि आप की स्किन के उस हिस्से के मेलानिन के स्तर में अंतर की वजह से पिग्मैंटेशन में बदलाव आ गया हो. दागधब्बे वाली स्किन के भी कई संभावित कारण होते हैं, जो साधारण से जटिल भी हो सकते हैं, जैसे कीलमुंहासे, धूप या अन्य किसी कारण से झुलसना, संक्रमण, ऐलर्जी, हारमोन में बदलाव, जन्मजात निशान आदि. परंतु आम धारणा के उलट, आप के चेहरे के दाग सिर्फ मुंहासों की वजह से ही नहीं होते.

कीलमुंहासों की वजह से होने वाले घाव भी दाग छोड़ सकते हैं. यहां तक कि उन्हें आप नहीं छेड़ते तो भी आप उन से नहीं बच सकते. कुछ द्रव से भरे घाव ऐसे होते हैं, जिन की वजह से स्किन के भीतर दर्द महसूस होता है और वास्तव में ऐसे घाव स्किन की बाहरी सतह पर नहीं होते. जलन सा दर्द देने वाले ये मुंहासे ऐसे होते हैं, जिन में श्वेत रक्तकण की मात्रा अधिक जमा होती है और इस वजह से उस क्षेत्र में ज्यादा ऐंजाइम इकट्ठा हो जाते हैं और ये ज्यादा घातक होते हैं. ऐसी स्थिति में आप की स्किन स्वयं ही घाव भरने की कोशिश करती है और इस की वजह से दागधब्बे उभर आते हैं. मुंहासे अकेले स्किन पर बदरंग दाग के कारक नहीं होते. अन्य गहरे रंग के धब्बे और ज्यादा पिग्मैंटेशन वाली स्किन के प्रकार के लिए आप की ढलती उम्र, धूप से होने वाला नुकसान, यहां तक कि गर्भनिरोधक गोलियां तक जिम्मेदार हो सकती हैं. अगर धब्बे, ऐलर्जी या हाइपरपिग्मैंटेशन जैसी स्किन की गंभीर समस्या है तो स्किन रोग विशेषज्ञ के पास जाने से गुरेज न करें.

निशान और धब्बों में फर्क

मुंहासों के निशान और स्किन के धब्बों में बहुत फर्क होता है. इन के बीच फर्क समझने में जिस एक बिंदु पर लोग भ्रमित होते हैं, वे हैं वास्तविक मुंहासे के दाग और उस के फटने के बाद लाल धब्बा अथवा डिसकलरेशन. स्किन की उपरी सतह पर जो गुलाबी, लाल अथवा भूरे निशान होते हैं वे तो समय के अंतराल के साथ ठीक हो जाते हैं. वे असल में मुंहासे होते ही नहीं, पर वास्तविक मुंहासों के धब्बे स्किन के अंदरूनी नुकसान का परिणाम होते हैं, और अपने पीछे धब्बे छोड़ सकते हैं.

दरअसल, स्किन की अंदरूनी परत में नुकसान के ही परिणाम होते हैं ये धब्बे, जो स्किन को सहारा देने वाली संरचना में टूटफूट की वजह से होते हैं. ये कोलेजन और ऐलेस्टिन के टूटने के कारण बनते हैं. स्वाभाविक तौर पर स्किन पर आए निशान बिना चिकित्सीय इलाज के ठीक नहीं होते. उन्हें खत्म होने में ज्यादा समय लगता है और सिर्फ लेजर उपचार के जरीए ही उन्हें हटाया जा सकता है, क्योंकि ये स्किन के अंदरूनी हिस्सों में पहुंच कर नुकसान पहुंचाते हैं, जो प्राय: मुंहासों को छेड़ने की वजह से होता है. हालांकि हमेशा ही ऐसा नहीं होता.

रक्ताल्पता के परिणामस्वरूप बने ऐट्रौफिक निशान खरोंच या गहराई जैसे दिखते हैं. जिन्हें प्राय: आइस पिक के नाम से जाना जाता है. वहीं हाइपरट्रौफिक निशान ज्यादा मोटे दिखते हैं. ये स्किन की ऊपरी सतह पर उभार लिए फोड़े की तरह होते हैं. सांवले रंग की स्किन वाले लोगों में प्राय: पोस्टइनफ्लैमेटरी हाइपरपिग्मैंटेशन का मामला देखने को मिलता है. इस के निशान भूरे रंग के होते हैं. तुलनात्मक तौर पर गोरे रंग के लोगों में पोस्टइनफ्लैमेटरी ऐरीथेमा होता है, जो पर्पल और लाल रंग का होता है.

ये भी पढ़ें- Summer Special: नेचुरल मॉइश्चराइजर दें Skin को ताजगी

सचेत रहना जरूरी

वास्तव में मुंहासे के दाग उस चरण में दिखते हैं, जब शरीर के भीतर घाव भरने की प्रक्रिया चल रही होती है और इस वजह से सामान्य तरीके से कोलेजन नहीं बन पाता. मुंहासे के घाव अपने आसपास मौजूद कोलेजन और ऐलेस्टीन जैसे सारे ऐंजाइम को खत्म कर देते हैं. इस दौरान स्किन में बहुत ज्यादा जलन महसूस होती है. कोलेजन और ऐलेस्टीन के ऊतक और अधिक कोलेजन और ऐलेस्टीन उत्पन्न करने में नाकाम रहते हैं या फिर यों कहें कि वे विकृत और लचर ढंग से ऐसा कर पाते हैं और चेहरे पर दागधब्बे छोड़ जाते हैं.

स्वस्थ और सुंदर स्किन पाना बहुत मुश्किल काम नहीं है. बस, आप को स्किन की देखभाल के मामले में लगातार गंभीर रहने की जरूरत है. पिग्मैंटेशन, काला धब्बा, झांइयां और असमान स्किन टोन आदि कुछ ऐसी समस्याएं हैं, जिन का हम सामना करते हैं. यहां तक कि एक दाग के साथ भी बाहर निकलना बहुत परेशान करने वाली स्थिति होती है. इसलिए सब से पहले आप अपनी स्किन के प्रकार के बारे में जानें और फिर उस के अनुसार ही उत्पाद का इस्तेमाल करें. सामान्य, तैलीय, मिश्रित, शुष्क व संवेदनशील आदि स्किन के प्रकार हैं. कुछ लोगों के मामले में उन की स्किन विभिन्न जगहों पर भिन्नभिन्न प्रकार की होती है. बदलते वक्त के साथ स्किन के प्रकार में भी परिवर्तन हो सकता है. स्किन के प्रकार का बदलना विभिन्न तथ्यों पर निर्भर करता है मसलन:

पानी के अवयव, जो स्किन को आराम पहुंचाते हैं. इन से इस की लोच प्रभावित होती है.

तेल (लिपिड) सामग्री, जो स्किन की कोमलता को प्रभावित करती है.

संवेदनशीलता का स्तर.

सामान्य स्किन

सामान्य स्किन न तो ज्यादा शुष्क और न ही ज्यादा तैलीय होती है. इस में न के बराबर खामियां होती हैं. इस में ज्यादा संवेदनशीलता नहीं होती और मुश्किल से दिखने लायक रोमछिद्र होते हैं. इस का रंग चमकदार होता है.

मिश्रित स्किन

मिश्रित प्रकार की स्किन का कुछ हिस्सा शुष्क या सामान्य हो सकता है, तो दूसरे हिस्से जैसे टीजोन (नाक, माथा और ठुड्डी) तैलीय हो सकते हैं. कई लोगों की स्किन मिश्रित प्रकार की होती है, जो अपने भिन्नभिन्न हिस्सों की स्किन के अलगअलग प्रकार के लिए अलगअलग तरह की देखभाल का लुत्फ ले सकते हैं. मिश्रित स्किन के मामले में निम्न बातें दिख सकती हैं:

ज्यादा फैले हुए रोमछिद्र.

कीलमुंहासे.

चमकदार स्किन.

शुष्क स्किन

शुष्क स्किन के मामले में निम्न बातें दिख सकती हैं:

लगभग न दिखने वाले रोमछिद्र.

बिना चमक का रूखा रंग.

लाल धब्बे.

कम लोचदार.

ज्यादा दिखने वाली धारियां.

शुष्क स्किन के निम्न कारण हो सकते हैं या इन की वजह से स्थिति और बदतर हो सकती है:

आनुवंशिक कारक.

ढलती उम्र या हारमोन में बदलाव.

तेज हवा, धूप या ठंड जैसे मौसम.

पराबैगनी विकिरण.

बंद कमरे को गरम करना.

लंबे समय तक गरम पानी से नहाना.

साबुन, सौंदर्य प्रसाधन या क्लींजर्स की सामग्री.

दवा का प्रयोग.

ये भी पढ़ें- 5 टिप्स: यूं पाएं खिली खिली स्किन

स्किन की देखभाल

ज्यादा देर तक न नहाएं.

हलके व कोमल साबुन अथवा क्लींजर्स का इस्तेमाल करें.

नहाने के बाद मौइचराइजर जरूर लगाएं. शुष्क स्किन के मामले में लोशन की तुलना में मरहम और क्रीम ज्यादा कारगर साबित हो सकते हैं, परंतु लोग प्राय: इन से दूर रहते हैं. दिन भर में जरूरत पड़ने पर इन्हें दोहराएं.

बंद कमरे का तापमान ज्यादा न बढ़ने दें.

तैलीय स्किन

तैलीय स्किन के मामले में निम्न बातें दिख सकती हैं:

बढ़े हुए रोमछिद्र.

चमकदार या बिना चमक वाली स्किन.

कीलमुंहासे और अन्य दागधब्बे.

मौसम के परिवर्तन पर तैलीय स्किन में परिवर्तन आ सकता है. निम्न तथ्य तैलीय स्किन के कारक हो सकते हैं या स्किन को और अधिक तैलीय बना सकते हैं:

प्रौढता या हारमोन में असंतुलन.

तनाव.

गरमी या बहुत ज्यादा आर्द्रता का होना.

स्किन की देखभाल

दिन भर में 2 बार से ज्यादा चेहरे को न धोएं.

हलके क्लींजर का इस्तेमाल करें और स्किन को न रगड़ें.

मुंहासों को न छेड़ें. इस से उन्हें ठीक होने में ज्यादा समय लगता है.

संवेदनशील स्किन

अगर आप की स्किन संवेदनशील है, तो यह पता लगाने की कोशिश करें कि संवेदनशीलता किनकिन चीजों को ले कर है. फिर उन से परहेज करें. संवेदनशील स्किन के कई कारक हो सकते हैं परंतु कई मामलों में स्किन की देखभाल से संबंधित उत्पाद भी इस के कारण हो सकते हैं.

स्किन में अगर लाली, खुजलाहट, जलन व रूखापन हो तो ये लक्षण संवेदनशील स्किन के हो सकते हैं.

डा. पंकज चतुर्वेदी स्किन रोग विशेषज्ञ, मेडलिंक्स

ये भी पढ़ें- जानें कैसा हो आपका फेशियल

सौफ्ट & शाइनी स्किन के लिए अपनाएं ये 10 टिप्स

अंजली का चेहरा हमेशा बुझाबुझा सा नजर आता था. अरे यार, वह अपने चेहरे पर ध्यान देगी तभी तो उस की त्वचा साफ, कोमल और दमकी नजर आएगी. क्या आप को भी लगता है कि आप अपने चेहरे को साफ रखती हैं, तब भी उस में चमक नहीं आ पाती है? कई बार ऐसा होता है कि त्वचा पर से डेड सेल्स ठीक से न निकलने पर त्वचा बेजान और धुंधली दिखाई देने लगती है.

इस के अलावा त्वचा की नमी और तैलीयता बनाए रखने की शक्ति भी कम होती जाती है. डेड सेल्स ठीक से न निकलने पर नए सेल्स को निकलने के लिए जगह नहीं मिलती, जिस के कारण त्वचा पर कई तरह की समस्याएं जैसे मुंहासे, ब्लैकहेड्स और दागधब्बे दिखाई देने लगते हैं. त्वचा को पानी या साबुन से धोने से उस पर जमी धूलमिट्टी और चिकनाई तो दूर हो जाती है लेकिन डेड सेल्स अच्छी तरह से नहीं निकल पाते हैं. इसलिए त्वचा पर से डेड सेल्स को अच्छी तरह से निकालने के लिए कुछ खास उपायों की आवश्यकता होती है.

1. एस्ंट्रिजेंट

बाजार में कई प्रकार के एस्ट्रिंजेंट उपलब्ध हैं. अल्कोहल बेस्ड एस्ट्रिंजेंट त्वचा पर से डेड सेल्स को हटाता है.

2. प्यूमिक स्टोन

त्वचा पर हलके हाथों से प्यूमिक स्टोन को रगड़ने से डेड सेल्स निकल जाते हैं. प्यूमिस स्टोन जब इस्तेमाल करें तब इसे त्वचा पर जोरजोर से न रगड़ें. इस से त्वचा के डेड सेल्स तो हट जाते हैं, लेकिन नए सेल एमीलोइड नामक एक प्रकार के प्रोटीन का निर्माण करते हैं और यही प्रोटीन त्वचा पर काले दागधब्बे के रूप में उभर आता है.

3. बौडी ब्रशिंग

पूरे शरीर पर साबुन लगाने के बाद लूफा या ब्रश से हलके हाथों से त्वचा को रगड़ना चाहिए. बौडी ब्रशिंग से त्वचा पर जमे डेड सेल्स अच्छी तरह से निकल जाते हैं.

ये भी पढ़ें- 10 लेटैस्ट ब्यूटी ट्रीटमैंट्स

4. स्क्रब

स्क्रब द्वारा त्वचा के डेड सेल्स को आसानी से निकाला जा सकता है. स्क्रब करने से पहले त्वचा को माइल्ड सोप से अच्छी तरह धो लें. होममेड स्क्रब त्वचा के लिए काफी अच्छे रहते हैं. इन्हें आप आसानी से घर पर ही बना कर इस्तेमाल कर सकती हैं. सप्ताह में एक बार त्वचा पर होममेड स्क्रब करना चाहिए. इस से त्वचा दमकती रहती है.

5. फेस पैक और फेस मास्क

फेस पैक और फेस मास्क चेहरे और गरदन के डेड सेल्स को हटाने के अच्छे उपाय हैं. फेस पैक को चेहरे पर लगाया जाता है. सूख जाने पर हलके हाथ से रगड़ कर निकाल दिया जाता है. इस के बाद ठंडे पानी से त्वचा को साफ कर लिया जाता है. फेस मास्क को त्वचा की प्रकृति के हिसाब से इस्तेमाल कर सकती हैं.

6. फेशल

फेशल एक प्रकार की मसाज है. यह भी त्वचा पर से डेड सेल्स निकालने का अच्छा उपाय है. फेशल से त्वचा में निखार आता है. चेहरे की त्वचा में रक्तसंचार ठीक से होने लगता है. त्वचा की झुर्रियां नष्ट हो जाती हैं. आंखों के डार्क सर्कल्स खत्म हो जाते हैं.

7. प्रिजरवेटिव फेशल

स्वस्थ त्वचा पर प्रिजरवेटिव फेशल किया जाता है.

8. हर्बल फेशल

हर्बल फेशल में कुकुंबर, रोज, लैमन, संदल आदि मिला होता है. घरेलू हर्बल फेशल आप खुद भी घर पर कर सकती हैं.

ये भी पढ़ें- फेसपैक लगाते समय रखें ध्‍यान

9. यों करें फेशल

हलके हाथों से त्वचा पर मालिश करें. हाथों की दिशा को अप एंड आउट चलाएं, जिस से त्वचा को टोन मिलेगा. आउट यानी बाहर की ओर स्ट्रोक करें. इस से त्वचा के जहरीले पदार्थ हट जाएंगे. त्वचा पर मुंहासे हैं, तो फेशल से पहले स्टीम अवश्य लें. त्वचा पर संक्रमण, एक्ने तथा त्वचा अधिक संवेदनशील होने पर फेशल न करें.

10. पैडीक्योर और मैनीक्योर

हाथपैरों के डेड सेल्स को निकालने के लिए पैडीक्योर और मैनीक्योर सब से आसान और अच्छे उपाय हैं. सप्ताह में एक बार पैडीक्योर और मैनीक्योर अवश्य करना चाहिए. 

वैक्सिंग कराने के बाद खुजली और दानों की प्रौब्लम हो जाती है, मैं क्या करुं?

सवाल-

मेरी उम्र 21 साल है. मेरी बाजुओं पर बहुत सारे बाल हैं जिन्हें रिमूव करने के लिए मैं वैक्सिंग कराती हूं. पर हर बार वैक्सिंग कराने पर मुझे इचिंग होने लगती है और कभीकभी दाने भी हो जाते हैं. बताएं मैं क्या करूं?

जवाब-

वैक्सिंग से इचिंग होती है तो इस का कारण वैक्सिंग से ऐलर्जी होना होता है. अगर आप को वैक्सिंग से ऐलर्जी है तो वैक्सिंग से पहले आप कोई ऐंटीऐलर्जिक गोली खा सकती हैं ताकि ऐलर्जी न हो. अगर वैक्सिंग के बाद दाने निकल आते हैं तो चांसेज हैं कि वैक्सिंग करने वाला सही नहीं है या वह सफाई से काम नहीं कर रहा. वैक्सिंग के लिए हाइजीन का ध्यान रखना बहुत जरूरी है.

वैक्सिंग करने के लिए डिस्पोजेबल पट्टी का इस्तेमाल करवाएं. वैक्सिंग करने से पहले फ्री वैक्स जैल और करने के बाद पोस्ट वैक्स जैल दोनों का इस्तेमाल करना बहुत जरूरी है. इन बातों का ध्यान रखा जाए तो दाने होने के चांसेज बहुत कम हो जाते हैं. आप चाहें तो इन बालों से हमेशा के लिए छुटकारा पा सकती हैं. इस के लिए पल्स लाइट ट्रीटमैंट या लेजर ट्रीटमैंट ले सकती हैं. यह बहुत सेफ और पेनलैस है और इस से हमेशा के लिए बालों से छुटकारा पाया जा सकता है.

ये भी पढ़ें- सनस्क्रीन लगाने पर पसीना बहुत आ जाता है, क्या करूं?

ये भी पढ़ें-  

टीनऐजर्स की स्किन सौफ्ट होती है, छोटी उम्र में वैक्सिंग बिलकुल नहीं, हाथपैर खराब हो जाएंगे, सैंसिटिव स्किन पर रैशेज पड़ने का डर रहेगा, वैक्स करवाने से स्किन लटक जाएगी आदि बातें की जाती हैं.

सचाई यह है कि प्यूबर्टी के कारण शारीरिक व मानसिक रूप से काफी परिवर्तन होते हैं. खासकर, बालों की ग्रोथ तेजी से बढ़ती है. इस का कारण हार्मोनल चैंजेस होते हैं. ऐसे में टीनऐजर्स अपने शरीर में हुए इन बदलावों को स्वीकार नहीं कर पाते हैं और खुद की तुलना दूसरी लड़कियों से कर के कौंपलैक्स के शिकार होने लगते हैं. वैक्सिंग व उन की स्किन की सही जानकारी ले कर उन की इस समस्या का समाधान करें.

कैसी है स्किन

आप की स्किन की सौफ्टनैस व लचीलापन सिर्फ इस बात पर निर्भर नहीं करता है कि आप कैसा प्रोडक्ट इस्तेमाल करती हैं, बल्कि इस के लिए एक्स्टर्नल व इंटरनल दोनों कारण जिम्मेदार होते हैं.

जैसे, स्किन की इलास्टिसिटी कितना वाटर रिटेन करने में सक्षम है इस बात पर डिपैंड करती है तो वहीं सीबम के उत्पादन पर स्किन की सौफ्टनैस निर्भर करती है. स्किन की सैंसिटिविटी के लिए हमारा खानपान व हार्मोंस जिम्मेदार होते हैं, इसलिए स्किन टाइप को ध्यान में रख कर ही हमेशा वैक्सिंग करवानी चाहिए ताकि किसी तरह के रिऐक्शन का डर न हो. लेकिन ऐसा तभी हो पाएगा जब आप को इस की जानकारी होगी.

स्किन टाइप के हिसाब से वैक्सिंग

नौर्मल स्किन : नौर्मल स्किन वालों में वाटर व लिपिड कंटैंट काफी अच्छा होता है, जिस के कारण उन की स्किन ड्राई नहीं होती. यह अतिरिक्त सीबम का उत्पादन भी करता है. इस से स्किन पर किसी भी तरह का रिऐक्शन नहीं होता. ऐसी स्किन वाले टीनऐजर्स के लिए सौफ्ट व हार्ड वैक्स बैस्ट विकल्प है, जो उन की स्किन को नरिश करने का काम करता है.

Winter Special: सर्दियों में स्किन को कैसे संभालें 

सर्दियों के मौसम में स्किन को अतिरिक्त केयर की जरूरत होती है. क्योंकि मौसम व तापमान में आए बदलाव के कारण हमारी स्किन बहुत अधिक ड्राई हो जाती है और ड्राई स्किन कई अन्य चुनौतियों जैसे फटे होंठ, स्किन की ऊपरी लेयर निकलना , स्किन का रूखापन जैसी समस्याओं को न्यौता दे सकती है. इसलिए ऐसे समय में स्किन को पोषण देने की खास आवश्यकता होती है, ताकि वह स्किन में मोइस्चर को लौक करके उसकी नमी को बनाए रख सके. डर्मटोलोजिस्ट वैशाली श्रद्धा के अनुसार तापमान में गिरावट के साथ हमारी स्किन अधिक शुकस हो जाती है और अगर इसे सही से , सही इंग्रीडिएंट्स से बने मॉइस्चराइजर से मॉइस्चराइज नहीं किया जाता तो यह परतदार स्किन का कारण बन सकती है. इसलिए सर्दियों में एक अच्छे स्किनकेयर रूटीन का पालन करते हुए नेचुरल इंग्रीडिएंट्स से युक्त उत्पादों का उपयोग करना फायदेमंद साबित होता है. तो जानते हैं सर्दियों में कैसे करें केयर.

1. मॉइस्चराइजर है जरूरी 

वैसे तो सभी जानते हैं कि स्किन को नमी प्रदान करने के लिए बारह महीने स्किन को मॉइस्चराइजर की जरूरत होती है, लेकिन इसकी खास तौर पर जरूरत तब महसूस होती है , जब तापमान में गिरावट देखने को मिलती है.  मॉइस्चराइजर से स्किन हाइड्रेट रहती है. वरना नमी के अभाव व रूखेपन की वजह से स्किन में इंफेक्शंस व ऑउटब्रेक्स की समस्या भी खड़ी हो जाती है. इसलिए स्किन को करें  मॉइस्चराइज .

 इंग्रीडिएंट्स इन गुड मॉइस्चराइजर

– हुमेक्टेंट्स , आपकी स्किन की टोप लेयर में जिसे एपिडर्मिस कहते हैं , हवा से और आपकी स्किन की गहरी परतों से पानी खींचते हैं. जिससे स्किन हाइड्रेट रहती है.  हुमेक्टेंट्स में शामिल हैं , ग्लिसरीन, ह्यलुरोनिक एसिड और प्रोपाइलिन ग्लाइकोल.

– एमोलिएंट्स जैसे शिया बटर, कोको बटर एपिडर्मिस में होने वाले क्रैक्स को हील करके स्किन में मोइस्चर को लौक करने में मदद करता है.

बेस्ट टाइम 

– नहाने के तुरंत बाद व रात को सोने से पहले मॉइस्चराइजर अप्लाई करने से स्किन को ज्यादा फायदा मिलता है.

ये भी पढ़ें- फेस स्टीम से स्किन को रखें क्लीन व हाइड्रेट 

2. लिप बाम है जरूरी 

सर्दियों में लिप्स का ड्राई होना आम है. क्योंकि लिप्स में आयल ग्लैंड्स नहीं होते हैं , जिसके कारण  ठंड , हवा का सीधा व पहला असर लिप्स पर ही पड़ता है, जबकि लिप बाम आपके लिप्स और सर्द हवाओं के बीच एक प्रोटेक्टिव लेयर बनाने का काम करता है.  इसलिए ही लिप्स की खास केयर के लिए लिप बाम की खास जरूरत होती है.

इंग्रीडिएंट्स इन गुड लिप बाम 

– शिया और कोको बटर नेचुरल टाइप के फैट्स होने के कारण ये आपके लिप्स में मोइस्चर को होल्ड करने के साथ उन्हें फटने से बचाने का काम करते हैं.

– हनी को हुमेक्टैंट के रूप में जाना जाता है. जो मोइस्चर को अपनी ओर खींचने का काम करता है. साथ ही इस इंग्रीडिएंट से युक्त लिप बाम अपनी एक्सफोलिएशन प्रोपर्टीज के कारण लिप्स को एक्सफोलिएट करने के साथ उसे हाइड्रेट रखने का  काम करती है.

– कैस्टर आयल स्किन में आसानी से घुसकर उसे हाइड्रेट रखने का काम करता है. तभी तो लिप्स की ड्राईनेस को दूर करने के लिए  कैस्टर आयल युक्त लिप बाम लगाने की सलाह दी जाती है.  क्योंकि इसमें है जरूरी फैटी एसिड्स , जो एन्टिओक्सीडैंट्स में रिच होते हैं.

3. प्रोटेक्शन के लिए सनस्क्रीन 

सिर्फ गर्मियों में ही नहीं बल्कि सर्दियों में भी स्किन को सूर्य की अल्ट्रावायलेट किरणों से बचाव के लिए सनस्क्रीन की जरूरत होती है. क्योंकि सर्दियों में यूवीए किरणों के प्रभाव से स्किन पर डार्क स्पोट्स , टैनिंग व यहां तक कि झुर्रियां तक पड़ जाती है. इसलिए भूलकर भी सर्दियों में सनस्क्रीन से स्किन को प्रोटेक्ट करना न भूलें.

बेस्ट इन सनस्क्रीन 

मामा एअर्थ इंडियन सनस्क्रीन विद कैरेट सीड, टर्मेरिक एंड एसपीएफ

बता दें कि कैरेट सीड आयल स्किन में अंदर तक जाकर न सिर्फ सनप्रोटेक्शन देने का काम करता है बल्कि स्किन को मॉइस्चराइज भी करता है. वहीं हलदी में एंटीबैक्टीरियल प्रॉपर्टीज होने के कारण ये स्किन को हील करने के साथसाथ सभी तरह की स्किन के लिए परफेक्ट है. वहीं ऑरेंज आयल नोन ग्रीसी होने के साथ इसमें हैं एंटीइंफ्लेमेटरी प्रोपर्टीज , जो यूवीए और यूवीबी किरणों से प्रोटेक्ट करने का काम करता है.

न्यूट्रोजेना हाइड्रो बूस्ट सनस्क्रीन 

इसका हाइड्रो बूस्ट फार्मूला , जिसमें है ह्यलुरोनिक एसिड और ग्लिसरीन. जो स्किन को हाइड्रेट रखने के साथ उसकी यूवी किरणों से प्रोटेक्शन करने का भी काम करता है.

ये भी पढ़ें- फेस वैक्स करने से पहले जान लें ये बातें

4. बोडी लोशन 

सिर्फ फेस को ही नहीं बल्कि सर्दियों में पूरे शरीर को मोइस्चर प्रदान करने की जरूरत होती है. ऐसे में अकसर लोग फेस क्रीम व बोडी लोशन को एक ही समझ कर अप्लाई करने लगते हैं. लेकिन आपको बता दें कि बोडी लोशन क्रीम के मुकाबले में कम गाढ़ा होता है. इसमें प्यूरीफाई पानी का बहुत ज्यादा इस्तेमाल करने के कारण ये काफी पतले होते हैं. ये शरीर पर आसानी से फैलने के साथसाथ उसके रूखेपन को दूर करने का काम करते हैं. हमेशा ऐसे बोडी लोशन का इस्तेमाल करना चाहिए , जो डेड स्किन को रिमूव करने के साथ पोर्स को ब्लोक न करे.

इंग्रीडिएंट्स इन गुड बोडी लोशन 

– जरूरी फैटी एसिड्स , जो स्किन को हैल्दी व ग्लोइंग बनाने का काम करते हैं. बता दें कि शरीर खुद से फैटी एसिड्स नहीं बनाता है बल्कि इसे डाइट व स्किन क्रीम्स के जरिए प्राप्त किया जाता है. ऐसे में जरूरी फैटी एसिड्स के लिए आपके बोडी लोशन में शिया बटर, ओलिव आयल , एवोकाडो , आलमंड आयल जैसे इंग्रीडिएंट्स का होना बेहद जरूरी है, ताकि वे स्किन में मोइस्चर को लौक कर सके.

– ग्लिसरीन, ग्ल्य्कोल्स और पोलियोल्स ये तीनों हुमेक्टेंट्स फैमिली के सदस्य होते हैं. ये तीनों स्किन में एक्स्ट्रा मोइस्चर को लौक करते हैं.

– ह्यलुरोनिक एसिड की त्वरित और प्रभावी हाइड्रेटेड क्रिया कोलेजन और इलास्टिन को नम और कार्यशील रखती है. जिससे स्किन सोफ्ट, स्मूद व यंग बनती है. इस तरह से आप सर्दियों में अपनी स्किन का खास खयाल रख सकते हैं.

व्हाइटहेड्स का कारण और इनसे कैसे बचें

लेखिका- दीप्ति गुप्ता

ब्लैकहेड्स के बारे में तो आप सभी ने सुना होगा, लेकिन क्या आप व्हाइटहेडस के बारे में जानते हैं. दरअसल, दोनों ही मुंहासों के हल्के रूप हैं, जो लगभग सभी को प्रभावित करते हैं. कई लोग ब्लैकहेड्स और व्हाइहेड्स को लेकर कंफ्यूज रहते हैं, उन्हें लगता है कि दोनों एक ही हैं, लेकिन ऐसा नहीं है. व्हाइटहेड्स ब्लैकहेड्स से एकदम अलग होते हैं. चेहरे पर व्हाइहेड्स होना आम समस्या है. व्हाइट हेड्स को कॉमेडोनल का रूप माना जाता है. ये कोमेडोनल तब बनते हैं, जब अतिरिक्त तेल, गंदगी, स्किन डेड सेल्स और बैक्टीरिया के कारण स्किन के छिद्र यानी पोर्स बंद हो जाते हैं. आमतौर पर यह स्किन की सतह पर गोल, छोटे और सफेद धब्बों की तरह दिखते हैं. व्हाइटहेड्स ज्यादातर  कंधों, चेहरे, छाती , गर्दन  और पीठ पर अलग -अलग आकार के होते हैं. कभी-कभी तो इतने छोटे होते हैं, कि दिखाई भी नहीं देते. तो आइए जानते हैं व्हाइटहड और ब्लैकहेड में क्या अंतर होता है.

ब्लैकहेड्स और व्हाइटहेड्स में अंतर-

दोनों ही कॉमेडोनल एक्ने के सामान्य रूप हैं. इन दोनों के बीच मुख्य अंतर यह है कि व्हाइटहेड के मामले में पोर्स स्किन की मुलायम परत के साथ ऊपर से बंद हो जाते हैं, जबकि ब्लैकहेड खुले होते हैं और हवा के संपर्क में आते हैं. व्हाइटहेडस अक्सर बैक्टीरिया , स्किन डेड सेल्स  और सीबम से भरे होते हैं. ब्लैकहेड्स के उलट व्हाइट हेड्स काले नहीं होते , क्योंकि हवा की आपूर्ति के संपर्क में कमी के कारण रोमकूप के भीतर मौजूद सीबम ऑक्सीकरण नहीं कर पाता.

ये भी पढ़ें- लंबे बालों के लिए अपनाएं ये 7 टिप्स

व्हाइहेड्स से बचने का घरेलू उपाय

भाप लेना- 

जब स्किन भाप के संपर्क में आती है, तो छिद्र अस्थाई रूप से खुल जाते हैं. ऐसे में व्हाइटहेड्स वाले लोगों के लिए यह घरेलू उपाय बहुत अच्छा है. व्हाइटहेडस के साथ शरीर के हिस्सों को नियमित रूप से तब तक भाप दें जब तक की वह चला ना जाए.

टीट्री ऑयल- 

टी ट्री ऑयल में एंटीमाइक्रोबियल और एंटीइंफ्लेमेट्री गुण होते हैं. अधिकांश फेसवॉश, क्लीनर और टोनर में एक घटक के रूप में टी ट्री ऑयल मौजूद होता है. इसके लिए टी ट्री ऑयल को कॉटनपैड में लें और व्हाइहेड्स पर लगाएं.

जंक फूड से दूर रहें- 

जंक फूड या डीप फ्राइड फूड से स्किन ऑयली हो सकती है. जिससे व्हाइटहेड्स बढ़ सकते हैं. इसलिए हमेशा ऑयली फूड अवॉइड करें. इनकी जगह पर ताजे फल और सब्जियों का सेवन करें.

चेहरे की सफाई करें- 

दिन में कम से कम दो बार ऐसे क्लींजर या फेस वॉश से चेहरा साफ करें, तो स्किन टाइप के लिए अच्छा हो.

ये भी पढ़ें- Christmas Special: क्रिसमस पार्टी के लिए बेस्ट है रेड चेरी मेकअप

हाइड्रेट रहें- 

स्किन को व्हाइटहेड्स से बचाने के लिए खूब पानी पीएं. पीने स्किन को अंदर से हाइड्रेट करता है और स्किन की रंगत में भी सुधार करता है.

जीवनशैली के कई अन्य कारक भी भविष्य में होने वाले इन ब्रेकआउट्स को रोकने में मदद कर सकते हैं. जैसे चेहरे को बर-बार न छूएं , घर से बाहर निकलने पर सनस्क्रीन जरूर लगाएं और व्यक्तिगत स्वच्छता बनाए रखें.

Winter Special: Moisturized स्किन है जरूरी

चाहे सर्दी हो गर्मी, हैल्दी और मॉइस्चराज्ड स्किन बहुत जरूरी है, हमें अक्सर कहा जाता है कि स्किन पर मॉइस्चराइजर जरूर लगाएं. स्किन की चमक बढ़ाने के लिए यह बहुत जरूरी है. ग्लोइंग और निखरी स्किन हम सभी की चाहत है. खासतौर पर गर्ल्स चाहती हैं कि उनकी स्किन हर समय सॉफ्ट बनी रहे. ताकि वे अपनी मनपसंद शॉर्ट्स पहनें और खूबसूरत दिखें. लेकिन स्मूद और ग्लोइंग स्किन के लिए जरूरी होता है कि आप अपनी स्किन को मॉइस्चराइज करें. आइए, जानते हैं कि मॉइस्चराइजर आपकी स्किन पर कैसे काम करता है.

1. ड्राईनेस रोकता है

अब मौसम बदलने लगा है. खासतौर पर ड्राईनेस की दिक्कत विंटर में होती है. लेकिन हम लोग अब ज्यादातर वक्त एसी में रहते हैं. ऐसे में हमारी स्किन को मॉइस्चराइजर की जरूरत होती है. इससे हमारी स्किन सेल्स में नमी बनी रहती है. हर मौसम में अपनी स्किन को तैयार रखें ताकि आपकी स्किन खिलीखिली और ग्लोइंग रहे.

2. उम्र का असर कम करता है

शरीर को मॉइस्चराइज्ड रखने से बढ़ती उम्र का असर जल्दी से स्किन पर नजर नहीं आता. स्किन को जरूरी पोषण मिलने से फाइन लाइन्स और रिंकल्स की समस्या नहीं होती है. इससे आप हमेशा युवा नजर आती हैं. आपकी स्किन का खास खयाल रखा जाये, तो आप दावे के साथ 10 साल जवान लग सकते हैं, अपने लिए सही मॉइस्चराइजर चुनें.

ये भी पढ़ें- फेस स्क्रब टिप्स व ट्रिक्स

3. ऐक्ने से रोकथाम

ऐक्ने की समस्या आमतौर पर ऑइली स्किन वालों को होती है. ऐसे में मॉइस्चर लगाने की सलाह देना आपको अजीब लग सकता है. लेकिन यह सच है कि ऑइली स्किन को क्लीन करके समय-समय पर मॉइस्चराइज किया जाए तो ऐक्ने की समस्या को दूर किया जा सकता है. चेहरे पर मसाज करने से स्किन पोर खुलते हैं और स्किन स्वस्थ बनती है.

4. लाइट वेट मॉइस्चराइजर

एक लाइट वेट मॉइस्चराइजर आपके लिए किसी जादू से कम नहीं, अपने लिए सही प्रोडक्ट चुनें, ताकि आपकी स्किन को सही देखभाल मिल सके और आपकी स्किन का मॉइस्चर बना रहे.

5. सन प्रोटेक्शन

धूप के कारण होने वाली टैनिंग भी बहुत जल्दी स्किन पर असर नहीं डाल पाती अगर आपकी स्किन में नमी और पूरा पोषण होगा. इसलिए सन प्रोटेक्शन में भी मॉइस्चराइजर मददगार है. इसलिए अपनी स्किन की जरूरत के हिसाब से सही एसपीएफ वाला मॉइस्चराइजर और मॉइस्चराइजिंग क्रीम आपको ठंड के मौसम में भी अप्लाई करनी चाहिए.

6. रूखी स्किन

मॉइस्चराइजर का इस्तेमाल न करने की वजह से आपको एक और स्किन की समस्या हो सकती है. अगर महिलाएं नियमित रूप से मॉइस्चराइजर नहीं करती हैं तो उससे उनकी स्किन रूखी हो जाती है, जो महिलाएं नियमित रूप से मॉइस्चराइजर लगाती हैं, उनकी स्किन स्मूथ और सॉफ्ट रहती है.

ये भी पढ़ें- Winter Special: गिरते बालों के लिए अपनाएं ये उपाय

7. डिहाइड्रेटेड स्किन

अगर आप अपने चेहरे पर अच्छी तरह मॉइस्चराइजर नहीं लगते हैं तो ऐसे में आपकी स्किन डिहाइड्रेटेड भी हो सकती है. इससे आपकी स्किन पर अन्य दिक्कतें आ सकती हैं जो आपकी स्किन को काफी हद तक नुकसान पहुंचा सकती हैं. फ्रूटामिन लोशन, फ्रूटामिन क्रीम और रोज वॉटर आपको आपकी स्किन हाइड्रेट करने में मदद कर सकते हैं.

अपनी Skin को बनायें जवां

ओट न सिर्फ एक हेल्‍दी ब्रेकफास्‍ट है बल्कि एक बेहतर ब्यूटी प्रोडक्ट भी है. यह आपकी त्‍वचा के लिए बहुत फायदेमंद है और इससे बने फेसपैक से त्‍वचा को हमेशा के लिए जवां बनाया जा सकता है. इसमें मौजूद एक्सफोलिएटिंग, क्लींजिंग और मॉश्चराइजिंग तत्व इसे आपकी त्‍वचा के लिए बेहतर रेमेडी बना देते हैं. ओट फेस पैक को आसानी से घर पर बना सकते हैं. आइए जानते हैं ओट फेस पैक कैसे बनायें और इसका प्रयोग कैसे करें.

1. ओट मील और एलोवेरा स्क्रब

एलोवेरा का प्रयोग काफी समय से मेडिकल ट्रीटमेंट के लिए किया जाता रहा है. इसमें मौजूद एंटी-इन्फ्लेमेटरी एलिमेंट मूहांसे, टैनिंग और संक्रमण जैसी त्‍वचा की समस्‍याआं को दूर करता है. ओटमील पाउडर को एलोवेरा जेल में अच्छे से मिलाकर चेहरे पर मसाज करें. 3 से 5 मिनट तक मसाज करने के बाद इसे सूखने दें, उसके बाद पानी से धो लें. इस नैचुरल स्क्रब से त्वचा की अंदरूनी सफाई होती है. इससे डेड स्किन के साथ ही ब्लैक हेड्स और व्हाइट हेड्स की समस्या भी दूर हो जाती है.

2. शहद और ओट फेसपैक

इस मॉश्चराइजिंग और एक्सफोलिएटिंग फेस पैक को बनाने के लिए 2 चम्मच ओट्स में थोड़ा कच्चा दूध और एक चम्‍मच शहद मिलाएं. इसे अच्छे से मिक्स कर लीजिए, फिर इस पेस्‍ट को चेहरे और गले पर लगाएं. जब यह सूख जाये तो इसे पानी से धो लें. ये फेस पैक ड्राई स्किन के लिए अच्छा है और इससे त्‍वचा में निखार आता है.

ये भी पढ़ें- कभी ना फेकें इन 4 फलों के छिलके, स्किन को चमकाने में आएंगे बड़े काम

3. ओट्स और गुलाबजल

इस फेस पैक को बनाने के लिए 2 चम्मच ओट्स में 1 चम्मच गुलाबजल और 1 चम्मच शहद मिला लीजिए. इनका पेस्ट बना लें. इस पेस्‍ट को चेहरे पर 10 मिनट के लिए लगाएं और फिर चेहरा धो लें. फिर देखिये आपकी त्‍वचा चमक जायेगी.

4. ओटमील, दूध और नींबू

इस फेस पैक को बनाने के लिए 2 चम्मच उबले ओट्स, 2 चम्मच दूध और 4 चम्मच नींबू का रस मिला लें. जब ओट्स ठंडे हो जाएं तो उसे चेहरे पर लगा लें. 20-25 मिनट बाद गुनगुने पानी से चेहरा धो लें. चेहरा निखर जायेगा.

5. ओटमील पैक और योगर्ट

थोड़े ओटमील को पानी में पका लें और इसे ठंडा होने दें. फिर चेहरे पर इसे लगा लें. इसे 15-20 मिनट तक चेहरे पर लगा रहने दें, उसके बाद धो लें. 2 चम्मट ओट्स लें और उसमें दही मिला लें. इसे पूरे चेहरे पर, ख़ासतौर पर रोमछिद्रों वाले हिस्सों पर लगाएं और 20 मिनट तक सूखने दें. फिर ठंडे पानी से धो लें. इससे चेहरे में निखार आयेगा.

त्‍वचा को हेल्‍दी बनाने और उनको निखारने के लिए खानपान और नियमित व्‍यायाम भी बहुत जरूरी है.

ओट न सिर्फ एक हेल्‍दी ब्रेकफास्‍ट है बल्कि एक बेहतर ब्यूटी प्रोडक्ट भी है. यह आपकी त्‍वचा के लिए बहुत फायदेमंद है और इससे बने फेसपैक से त्‍वचा को हमेशा के लिए जवां बनाया जा सकता है. इसमें मौजूद एक्सफोलिएटिंग, क्लींजिंग और मॉश्चराइजिंग तत्व इसे आपकी त्‍वचा के लिए बेहतर रेमेडी बना देते हैं. ओट फेस पैक को आसानी से घर पर बना सकते हैं. आइए जानते हैं ओट फेस पैक कैसे बनायें और इसका प्रयोग कैसे करें.

1. ओट मील और एलोवेरा स्क्रब

एलोवेरा का प्रयोग काफी समय से मेडिकल ट्रीटमेंट के लिए किया जाता रहा है. इसमें मौजूद एंटी-इन्फ्लेमेटरी एलिमेंट मूहांसे, टैनिंग और संक्रमण जैसी त्‍वचा की समस्‍याआं को दूर करता है. ओटमील पाउडर को एलोवेरा जेल में अच्छे से मिलाकर चेहरे पर मसाज करें. 3 से 5 मिनट तक मसाज करने के बाद इसे सूखने दें, उसके बाद पानी से धो लें. इस नैचुरल स्क्रब से त्वचा की अंदरूनी सफाई होती है. इससे डेड स्किन के साथ ही ब्लैक हेड्स और व्हाइट हेड्स की समस्या भी दूर हो जाती है.

ये भी पढ़ें- Winter Special: सर्दियों में चेहरे लगाएं बाजरे के आटे का फेस पैक, मिलेंगे कई फायदे

2. शहद और ओट फेसपैक

इस मॉश्चराइजिंग और एक्सफोलिएटिंग फेस पैक को बनाने के लिए 2 चम्मच ओट्स में थोड़ा कच्चा दूध और एक चम्‍मच शहद मिलाएं. इसे अच्छे से मिक्स कर लीजिए, फिर इस पेस्‍ट को चेहरे और गले पर लगाएं. जब यह सूख जाये तो इसे पानी से धो लें. ये फेस पैक ड्राई स्किन के लिए अच्छा है और इससे त्‍वचा में निखार आता है.

3. ओट्स और गुलाबजल

इस फेस पैक को बनाने के लिए 2 चम्मच ओट्स में 1 चम्मच गुलाबजल और 1 चम्मच शहद मिला लीजिए. इनका पेस्ट बना लें. इस पेस्‍ट को चेहरे पर 10 मिनट के लिए लगाएं और फिर चेहरा धो लें. फिर देखिये आपकी त्‍वचा चमक जायेगी.

4. ओटमील, दूध और नींबू

इस फेस पैक को बनाने के लिए 2 चम्मच उबले ओट्स, 2 चम्मच दूध और 4 चम्मच नींबू का रस मिला लें. जब ओट्स ठंडे हो जाएं तो उसे चेहरे पर लगा लें. 20-25 मिनट बाद गुनगुने पानी से चेहरा धो लें. चेहरा निखर जायेगा.

5. ओटमील पैक और योगर्ट

थोड़े ओटमील को पानी में पका लें और इसे ठंडा होने दें. फिर चेहरे पर इसे लगा लें. इसे 15-20 मिनट तक चेहरे पर लगा रहने दें, उसके बाद धो लें. 2 चम्मट ओट्स लें और उसमें दही मिला लें. इसे पूरे चेहरे पर, ख़ासतौर पर रोमछिद्रों वाले हिस्सों पर लगाएं और 20 मिनट तक सूखने दें. फिर ठंडे पानी से धो लें. इससे चेहरे में निखार आयेगा.

त्‍वचा को हेल्‍दी बनाने और उनको निखारने के लिए खानपान और नियमित व्‍यायाम भी बहुत जरूरी है.

ये भी पढ़ें- Winter Special: सर्दियों में कैसे करें स्किन की केयर

कभी ना फेकें इन 4 फलों के छिलके, स्किन को चमकाने में आएंगे बड़े काम

लेखिका- दीप्ति गुप्ता

फल हर किसी के फेवरेट होते हैं . नाश्ते में खाना हो या वर्कआउट से पहले फल हमेशा लोगों की पहली पसंद होते हैं. स्वादिष्ट होने के साथ पोषक तत्वों से भरपूर फलों में बहुत सा टैलेंट है. आप इनका इस्तेमाल अपने चेहरे पर चमक लाने के लिए कर सकते हैं. लेकिन कई बार हम कुछ फलों के छिलकों को बेकार समझकर डस्टबिन में फेंक देते हैं. जबकि ऐसा नहीं करना चाहिए. फलों के छिलके बाजार में मिलने वाले किसी  फेस मास्क की ही तरह, अच्छे होते हैं. सबसे अच्छी बात है कि चिकनी और मुलायम स्किन के लिए आपको स्पा में हजारों रूपए खर्च करने की जरूरत नहीं पड़ेगी. तो आइए आज हम आपको बताते हैं कि फलों के छिलकों से आप अपनी स्किन की चमक कैसे बरकरार  रख सकते हैं.

संतरा-

आप अपनी स्किन और जरूरतों के आधार पर संतरे और एलोवेरा का फेस पैक बना सकते हैं. इसके लिए धूप में सुखाए गए छिलकों को पीसकर महीन पाउडर बना लें. यदि आप इसमें एलोवेरा मिलाने की सोच रहे हैं, तो एलोवरेा जेल के साथ थोड़ा सा गुलाबजल डालें और पेस्ट बना लें. इस पेस्ट को अपनी स्किन पर लगाएं. ठंडे पानी से अपना चेहरा धोने से पहले 15 मिनट के लिए इसे सूखने दें. अगर फेस पैक लगाना आपके लिए परेशानी का सबब है , तो बस संतरे के पाउडर को अपनी स्किन पर रगड़ लीजिए. चेहरे पर लगभग पांच तक तक सर्कुलर मोशन में मालिश करें  और धो लें. स्किन बहुत कोमल हो जाएगी.

ये भी पढ़ें- Winter Special: सर्दियों में चेहरे लगाएं बाजरे के आटे का फेस पैक, मिलेंगे कई फायदे

पपीता-

पपीता के छिलके को फेंकने से पहले जान लें कि पपीते का छिलका या खाने के बाद बचा हुआ भाग मुहांसों को साफ करने के साथ शुष्क स्किन को मॉइस्चराज करता है. इसके लिए आधा कप बचे हुए पपीते को मैश करके 2 बड़े चम्मच दूध और 1  बड़ा चम्मच शहद मिलाएं. इसे तक तक मिलाएं, जब तक की एक बारीक पेस्ट न मिल जाए. इसे स्किन पर लगाएं, 15 मिनट तक सूखने दें और फिर ठंडे पानी से धो लें.

केला-

केले का छिलका किसी काम नहीं आएगा, ये सोचकर आप इसे फेंक देते होंगे. लेकिन बता दें कि केले का छिलका मुहासों का इलाज करने और स्किन की गंदगी को साफ करने के लिए बहुत अच्छा है. इसके लिए एक ताजे केले का छिलका लें और धीरे से अपने चेहरे पर भीतरी परत को रगड़ें. छिलका जल्द ही भूरा होने लगेगा और आपकी स्किन पर एक चिपचिपा सा अवशेष छोड़ देगा. जब ऐसा हो, तो आपको रूक जाना चाहिए. इसे अपनी स्किन पर तब तक लगा रहने दें जब तक यह सूख ना जाए. फिर ठंडे पानी से धो लें.

तरबूज- 

वैसे तो तरबूज गर्मियों में बहुत ज्यादा मिलता है. बॉडी हो हाइड्रेट करने के लिए यह एक शानदार फल है. लेकिन स्किन को हाइड्रेट करने के लिए भी इसके छिलके का इस्तेमाल कर सकते हैं. तरबूज को चबाने के बाद जो छिलका बचता है , इसे आप हाइड्रेटिगं फेस पैक में बदल सकते हैं. लगभग 10 मिनट के लिए छिलका ठंडा करें. इसे पतले टुकड़ों में काट लें. अब इन ठंडी पट्टियों को अपने चेहरे पर लगाएं और लगभग 15 मिनट तक रिलेक्स करें और फिर ठंडे पानी से धो लें. स्किन में पानी की कमी को पूरा करने के लिए आप हफ्ते में एक या दो बार सा कर सकते हैं.

यहां बताए गए फलों के छिलकों से कुछ लोगों को एलर्जी हो सकती है, इसलिए इनका इस्तेमाल करने से पहले स्किन पैच टेस्ट जरूर कर लें.

ये भी पढ़ें- Winter Special: सर्दियों में कैसे करें स्किन की केयर

कहीं बड़ी न बन जाएं छोटी बीमारियां

39 साल की देविका की त्वचा संवेदनशील है. एक दिन उस ने अपनी जांघ पर छोटेछोटे लाल रंग के चकत्ते देखे जिन में दर्द हो रहा था. उस ने इन चकत्तों को अनदेखा कर दिया. वैसे भी 2 बच्चों की मां की व्यस्त दिनचर्या में खुद के लिए वक्त कहां मिलता है. मगर धीरेधीरे देविका ने महसूस किया कि वह अकसर थकीथकी सी रहने लगी है. कुछ हफ्तों बाद एक दिन जब वह सोफे पर आराम कर रही थी तो उस ने अपने कूल्हे के पास एक गांठ देखी. वह घबरा गई और यह सोच कर रोने लगी कि उसे कैंसर हो गया है.

पति के कहने पर वह अस्पताल गई और वहां जांच कराई. तब डाक्टर ने बताया कि उसे शिंगल्ज नाम का चर्मरोग है और गांठ बनना इस बीमारी का एक लक्षण है जो लिंफ नोड की सूजन के कारण था. तुंरत डाक्टर के पास जाने से देविका जल्दी ठीक हो गई. ऐसा किसी के साथ भी हो सकता है. जब भी त्वचा से जुड़ी कोई परेशानी दिखे तो डाक्टर से सलाह लें. ध्यान रखें कि ऐसी बहुत सी छोटीछोटी बीमारियां हैं जो घातक नहीं, मगर कभीकभी कैंसर जैसे घातक रोग का कारण भी हो सकती हैं. सो, इन बीमारियों के बारे में जानना जरूरी है.

सोरायसिस

यह एक त्वचा रोग है जिस में त्वचा पर लाल, परतदार चकत्ते दिखाई देते हैं. इन में खुजली व दर्द का एहसास भी होता है. हालांकि यह रोग शरीर के किसी भी हिस्से पर हो सकता है किंतु ज्यादातर यह सिर, हाथपैर, हथेलियों, पांव के तलवों, कुहनी तथा घुटनों पर होता है. अकसर यह 10 से 30 वर्ष की आयु में शुरू होता है. यह बीमारी बारबार हो सकती है. कभीकभी यह पूरी जिंदगी भी रहती है.

कैसे होता है :

शरीर के इम्यून सिस्टम यानी रोगप्रतिरोधक प्रणाली की गड़गड़ी से यह बीमारी होती है. जिस से त्वचा की बाहरी परत यानी एपिडर्मिस कोशिकाएं बहुत तेजी से बनने लगती हैं. बाद में चकत्ते दिखने लगते हैं. हालांकि, यह छूत की बीमारी नहीं है. शोधकर्ताओं का मानना है कि इस रोग के पीछे आनुवंशिक और पर्यावरणीय कारक जिम्मेदार होते हैं. सोरायसिस होने का एक कारण तनाव, धूम्रपान और अधिक शराब का सेवन भी है. शरीर में विटामिन ‘डी’ की कमी व उच्च रक्तचाप की दवाइयां खाने से भी यह हो सकता है. इस के अलावा यदि घर में कोई इस बीमारी से पीडि़त है तो यह आप को भी हो सकती है.

ये भी पढ़ें- सावधान: ज्यादा तनाव लेना सेहत पर पड़ेगा भारी

सोरायसिस के लक्षण प्रत्येक व्यक्ति में अलगअलग दिखाई देते हैं. ये लक्षण इस बात पर भी निर्भर करते हैं कि व्यक्ति को किस तरह का सोरायसिस है. इलाज : सोरायसिस पर काबू पाने के लिए पहले स्टैप के तौर पर टौपिकल स्टीरौयड एक से 2 सप्ताह तक लगाया जा सकता है. जिस से चकत्ते घटने लगते हैं. हलकी धूप लेने से भी आराम मिलता है. विटामिन ‘डी’ सिंथेटिक फौर्म में, मैडिकेटेड शैंपू आदि भी तकलीफ घटाते हैं.

ध्यान रखें : सोरायसिस के लगभग 10 से 30 प्रतिशत मरीजों में गठिया होने की आशंका रहती है. इस के अलावा टाइप 2 डायबिटीज और कार्डियो वैस्कुलर डिजीज भी सोरायसिस की वजह से हो सकती हैं. शिंगल्ज

शिंगल्ज

एक त्वचा संक्रमण है. यह आमतौर पर जोड़ों में होता है. इस के अलावा यह पेट, चेहरे अथवा त्वचा के किसी भी हिस्से में हो सकता है. आम बोलचाल की भाषा में इसे दाद भी कहा जाता है. शिंगल्ज के कारण : यह रोग तब होता है जब चिकनपौक्स फैलाने वाला वायरस शरीर में दोबारा सक्रिय हो जाता है. जब आप चिकनपौक्स से उबर जाते हैं तो यह वायरस आप के शरीर की तंत्रिका प्रणाली में सुप्तावस्था में चला जाता है. कुछ लोगों में यह आजीवन इसी अवस्था में रहता है. वहीं कुछ व्यक्तियों में अधिक उम्र के कारण प्रतिरक्षा प्रणाली में होने वाली कमजोरी के चलते यह फिर सक्रिय हो जाता है. कुछ मामलों में दवाएं भी इस वायरस को जागृत करने में अहम भूमिका निभाती हैं और व्यक्ति को शिन्गाल्ज की शिकायत हो जाती है.

शिंगल्ज का इलाज :

अगर शिंगल्ज के लक्षण नजर आएं तो तुरंत डाक्टर के पास जाना चाहिए. इसे दवाओं से ठीक किया जा सकता है. इन दवाओं में एंटीवायरल मैडिसिन और दर्दनिवारक दवाएं शामिल होती हैं. लगभग 72 घंटे के अंदर एंटीवायरल दवाएं लेने से रेशेज जल्दी ठीक हो जाते हैं और दर्द भी कम हो जाता है. इसे अनदेखा करने पर रिकवरी में 3 माह से 1 साल तक का समय लग सकता है.

एक्जिमा

यह ऐसा चर्मरोग है जिस में त्वचा लाल, शुष्क व पपड़ीदार हो जाती है. त्वचा की ऊपरी सतह पर नमी की कमी हो जाने के कारण रोगी को, खासतौर पर रात में, बहुत खुजली महसूस होती है. एक्जिमा के रैशेज आमतौर पर कुहनी, टखने के पास और घुटने के पीछे, जोड़ों के पास होते हैं. अगर इन का इलाज न किया जाए तो त्वचा खुरदरी होने लगती है. त्वचा के रंग में भी परिवर्तन आ जाता है.

एक्जिमा के कारण : यदि मातापिता इस बीमारी से पीडि़त हों तो संतान में भी एक्जिमा होने की आशंका बढ़ जाती है. इस के अलावा किसी चीज की एलर्जी से भी एक्जिमा हो सकता है. आप के आहार में भी कुछ तत्त्व एक्जिमा को ट्रिगर कर सकते हैं. यदि आप के मातापिता को अस्थमा, फीवर जैसी कोई बीमारी है तब भी आप को एक्जिमा होना संभव है.

उपाय : हर दिन स्नान करने के बाद तथा सोने से पहले अपनी त्वचा को मौइश्चराइज करना न भूलें. गंभीर स्थिति में टौपिकल कोर्टिको स्टेराइड क्रीम का उपयोग करें. जिद्दी एक्जिमा के उपचार हेतु फोटोथेरैपी जैसी तकनीक अपनाई जाती है, जिस में यूवीबी लाइट से गंभीर सूजन का इलाज होता है.

याद रखें : एक्जिमा भी त्वचा के कैंसर का लक्षण हो सकता है. त्वचा पर यदि 4 सप्ताह से अधिक समय तक धब्बे हों तो ये त्वचा के कैंसर का संकेत हो सकते हैं.

पित्ती

पित्ती (आर्टिकारिया) त्वचा रोग है जिस में शरीर पर खुजली वाले लाल चकत्ते निकल आते हैं. ये चकत्ते शरीर पर कुछ घंटों से ले कर कुछ हफ्ते तक रह सकते हैं. हलके पड़ने पर ये किसी नई जगह पर निकल आते हैं. पित्ती को आमतौर पर 2 भागों में बांटा जाता है. पहला, एक्यूट या अल्पकालिक जो कुछ समय के लिए रहती है और शरीर के किसी भी हिस्से को प्रभावित कर सकती है. दूसरा, क्रोनिक या दीर्घकालिक पित्ती 6 हफ्ते से अधिक रहती है.

ये भी पढ़ें- एसीडिटी से छुटकारा देंगे ये 15 घरेलू नुस्खे

पित्ती के कारण :

पित्ती निकलने के बहुत से कारण हो सकते हैं लेकिन ये अधिकतर शरीर से निकलने वाले हिस्टामिन्स से प्रतिक्रिया होने के कारण होते हैं जो आप को किसी खाद्य पदार्थ, दवा या अन्य किसी चीज की एलर्जी के कारण रिलीज होते हैं. हालांकि पित्ती होने के ज्यादातर मामलों में वजह का पता नहीं चलता. इस के कारणों में वायरल संक्रमण तथा अंदरूनी बीमारियां भी मानी जाती हैं.

पित्ती का इलाज : पित्ती के लक्षणों को कम करने और उस की रोकथाम के लिए ओवर द काउंटर एंटीहिस्टमीन का सेवन करना चाहिए. यदि आप को दीर्घकालिक पित्ती की समस्या है तो डाक्टर आप को एंटीहिस्टमीन की स्ट्रौंग डोज तथा एंटीइनफ्लैमेटरी दवाओं की सलाह देते हैं.

रौसेसिया

यह एक त्वचा संबंधी रोग है जो चेहरे की त्वचा पर दिखाई देता है. चेहरे की रक्त नलिकाएं जब लंबे समय तक बड़ी हो कर उसी अवस्था में रहती हैं तो यह स्थिति रौसेसिया कहलाती है. इस की वजह से चेहरे की त्वचा पर लालिमा के साथ दर्द भी रहता है जो पिंपल की तरह दिखाई देते हैं. कई बार यह छोटे लाल दानों की तरह भी निकल आता है. रौसेसिया से पीडि़त व्यक्ति की नाक के पास की त्वचा मोटी हो जाती है जिस की वजह से नाक उभरी हुई दिखाई देने लगती है.

रौसेसिया के कारण :

एक्जिमा की ही तरह यदि मातापिता रौसेसिया से पीडि़त हों तो संतान में भी इस के होने की आशंका बढ़ जाती है. इस के अलावा सूरज की तेज किरणों के संपर्क में आने से भी यह रोग हो सकता है. कुछ दवाओं के गलत प्रभाव से भी रक्त नलियां आकार में बड़ी हो जाती हैं. आमतौर पर ये गुलाबी मुंहासे हलकी त्वचा के रंग वालों में 35 वर्ष की आयु में आरंभ होने लगते हैं और उम्र बढ़ने के साथ गंभीर रूप धारण कर लेते हैं. रौसेसिया का इलाज : इस के इलाज के लिए कुछ ओरल एंटीबायोक्टिस व कुछ स्किन क्रीम वगैरह दी जाती हैं. छोटी रक्त वाहिकाओं से हुई त्वचा की लाली का सब से अच्छा उपचार लेजर द्वारा किया जा सकता है.

त्वचाशोथ या कौंटेक्ट डर्मेटाइटिस

त्वचाशोथ या त्वचा की सूजन और एक्जिमा दोनों को त्वचा की एक ही तरह की समस्या माना जाता है, क्योंकि दोनों ही बीमारियों में जलन, सूजन, खुजली तथा त्वचा लाल होने जैसे लक्षण देखे जाते हैं. वास्तव में डर्मेटाइटिस एक्जिमा की तरह कोई गंभीर समस्या नहीं है. यह रोग दाने के रूप में केवल उन हिस्सों में होता है जो हिस्से वैसी चीजों के संपर्क में आते हैं जिन से त्वचा को एलर्जी होती है.

कारण :

पौयजनस आईवी के पौधे, गहने, इत्र, फेसक्रीम या अन्य सौंदर्य उत्पादों से एलर्जी आदि त्वचाशोथ के मुख्य कारण हैं.

ये भी पढे़ं- Dementia मानसिक बीमारी या बढ़ती उम्र के साथ होने वाली एक असहजता?

इलाज :

यदि रोगी को सूजन है और साथ में अन्य कोई सक्रमण है तो उस के लिए एंटीबायोटिक दवा की आवश्यकता होती है. एक्जिमा की भांति त्वचाशोथ भी त्वचा के कैंसर का लक्षण हो सकता है. इसलिए सही उपचार हेतु विशेषज्ञ डाक्टर से संपर्क करें.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें