Best Story in Hindi: ‘‘सुगंधा, क्या तुम मु झ से शादी करोगी प्लीज?’’ प्रदीप के व्यवहार से ऐसा लगता मानो वह ऐसा कहना चाहता है. यदि वह ऐसा कह दे तो क्या उसे हां कर देनी चाहिए? यह प्रश्न अकसर सुगंधा के दिमाग में तैरता रहता था. इस में कोई दो मत नहीं कि प्रदीप एक बहुत ही अच्छा व्यक्ति था. वह पिछले 6 वर्षों से सुगंधा के साथ था. उन के बीच बहुत अच्छी कैमिस्ट्री थी. उन के प्यार की कोई सीमा नहीं थी. पर एक बात सुगंधा के मन में हमेशा कौंधती रहती कि कहीं उसे बाद में यह पछतावा न हो कि उस ने किसी और के साथ डेटिंग क्यों नहीं की. तो क्या उसे कुछ और लोगों के साथ डेटिंग पर जा कर देखना चाहिए?
सुगंधा को खुद पता नहीं था कि वह क्या चाह रही है. उसे खुद ही पता नहीं था कि क्यों अन्य लोगों के साथ डेटिंग पर जाने का विचार उस के मन में आ रहा है और अगर वह किसी और के साथ डेटिंग पर जाए तो क्या उस का उद्देश्य पूरा हो जाएगा? यदि प्रदीप उस के निर्णय से अवगत होगा तो फिर उस की क्या प्रतिक्रिया होगी? क्या वह भी अन्य किसी लड़की के साथ डेटिंग पर जाने की नहीं सोचेगा यह देखने के लिए कि कोई सुगंधा से बेहतर उसे मिलता है या नहीं और यदि वह ऐसा करेगा तो वह कैसा महसूस करेगी? क्या इस से दोनों को नुकसान नहीं होगा? दोनों एकदूसरे से प्यार करते हैं तो क्या इस तरह के प्रयोग करना सही होगा?
सुगंधा अपनी दोहरी मानसिकता से परेशान हो रही थी. किसी से इस बारे में सलाह लेने के लिए बहुत ही बेचैन थी. तभी उस का ध्यान श्वेता पर गया. वह उस की बहुत ही अच्छी दोस्त थी और बहुत ही तर्कपूर्ण तरीके से बात करती थी. उस से मु झे सही सलाह मिलेगी, उस ने सोचा और फिर श्वेता को फोन लगाया.
‘‘हैलो सुगंधा. कैसे याद किया?’’ श्वेता ने कहा.
‘‘श्वेता, तुम्हारा समय चाहिए था. कुछ बातें करनी थी,’’ सुगंधा ने कहा.
‘‘अरे मेरी बैस्ट फ्रैंड, तुम्हारे लिए समय ही समय है. कभी भी आ जाओ,’’ श्वेता ने कहा.
‘‘कुछ जरूरी बातें करनी हैं और तुम्हारे साथ क्वालिटी टाइम भी बिताना है. इसलिए कभी भी नहीं, जब तुम्हारे पास समय हो तब आऊंगी,’’ सुगंधा ने कहा.
‘‘तो फिर शनिवार को आ जाओ. हम लोग ट्राइटन मौल में ‘मेरे हसबैंड की बीवी’ फिल्म देखेंगे. डिनर लेंगे और मस्ती करेंगे,’’ श्वेता ने कुछ सोच कर कहा.
‘‘शनिवार को तो प्रदीप ने जवाहर कला केंद्र जाने का कार्यक्रम बना लिया है, ‘समाज’ देखने के लिए. यदि तुम रविवार को फ्री हो तो आऊं?’’ सुगंधा ने अपना प्रस्ताव रखा.
‘‘अरे रानी तुम्हारे लिए हमेशा फ्री हूं. आ जाओ रविवार को,’’ श्वेता ने कहा.
‘‘फिर ठीक है. 5 बजे मैं पहुंच जाऊंगी,’’ सुगंधा ने कहा.
‘‘डन, इंतजार करूंगी रविवार को. बाय,’’ श्वेता ने कहा और फोन डिसकनैक्ट कर दिया.
रविवार को सुगंधा श्वेता के फ्लैट पर ठीक 5 बजे पहुंच गई. उस ने डोरबैल बजाई. श्वेता ने दरवाजा खोला. सुगंधा को देख कर खुश हो गई. उस ने सुगंधा को कस कर गले लगा लिया. दोनों अंदर आईं और बैठ कर गप्पें लड़ाने लगीं. श्वेता ने ट्रे में 2 कप चाय और एक प्लेट में बिस्कुट ला कर रख दिए. दोनों चाय सिप करने लगीं.
‘‘मैं ने 2 टिकट ले लिए हैं इवनिंग शो के. शो साढ़े 6 बजे शुरू होने वाला है. हमारे पास आधा घंटा है. क्या इतना काफी है तुम्हारी जरूरी बात के लिए?’’ श्वेता ने कहा.
‘‘अरे, तुम्हें देखते ही मैं उस बात को भूल ही गई. आधा घंटा काफी है तुम्हारे जैसी फ्रैंड, फिलौस्फर और गाइड के लिए मेरी जरूरी बात पर सलाह के लिए,’’ सुगंधा ने कहा.
‘‘तो शुरू करो अंत्याक्षरी,’’ श्वेता ने मुसकराते हुए कहा.
‘‘जैसाकि तुम जानती हो प्रदीप और मैं एकदूसरे से बहुत प्यार करते हैं लेकिन मैं अपने जीवन में सिर्फ प्रदीप से ही मिली हूं. किसी और के साथ डेटिंग नहीं की है. क्या मु झे कुछ और लोगों के साथ डेटिंग करनी चाहिए यह जानने के लिए कि प्रदीप ही मेरे लिए सब से अच्छा है या कोई और अच्छा मु झे मिल सकता है,’’ सुगंधा ने अपनी बात रखी.
‘‘हूं,’’ श्वेता ने एक ठंडी सांस ली. कुछ देर सोचती रही. सुगंधा उसे सोचते हुए देखती रही. कुछ देर के बाद पूछा, ‘‘क्या हुआ? कुछ गलत सवाल कर दिया मैं ने? मु झे यह डर है कि कहीं बाद में मु झे पछताना न पड़े,’’ सुगंधा चिंतित हो कर बोली.
‘‘जहां तक मैं तुम दोनों के रिश्ते को जानती हूं, मु झे लगता है कि तुम दोनों एकदूसरे से बहुत प्यार करते हो, दोनों एकदूसरे का खयाल रखते हो और कोई भी बड़ा विवाद नहीं है तुम दोनों के बीच,’’ श्वेता ने कहा.
‘‘बात तुम्हारी सही है. मु झे तो लगता है हम दोनों एकदूसरे के लिए ही बने हैं,’’ सुगंधा ने मोहक मुसकान के साथ कहा.
‘‘क्या तुम ने इस बात पर विचार किया है कि अगर यही काम प्रदीप करना चाहे तो तुम्हें कैसा लगेगा या फिर यदि तुम अपना विचार प्रदीप से बताओ तो उसे कैसा लगेगा?’’ श्वेता ने पूछा. सुगंधा चुप रह गई.
‘‘यदि तुम दोनों एकदूसरे से इतना प्यार करते हो, यदि तुम दोनों बैस्ट फ्रैंड हो तो तुम दोनों ने वह पा लिया है जो कई लोग जिंदगीभर तलाश करने के बाद भी नहीं पाते. मैं खुद 3 लोगों के साथ डेट पर गई हूं. किसी को मैं ने ऐसा नहीं पाया जिस के साथ मैं रिलेशन बना सकूं. अभी तुम दोनों 24-25 वर्ष की उम्र में हो. तुम दोनों के ऊपर कोई दबाव भी नहीं है जल्दी शादी करने का. तुम्हारे परिवार को भी कोई जल्दी नहीं है. प्रदीप के परिवार के बारे में मु झे जानकारी नहीं है,’’ बोल कर श्वेता चुप हो गई.
‘‘उस के ऊपर भी जल्दी शादी करने के लिए परिवार का कोई दबाव नहीं है,’’ सुगंधा ने कहा.
‘‘तुम दोनों जब तक भावनात्मक रूप से, वित्तीय रूप से, हर रूप से तैयार न हो जाओ तब तक एकदूसरे को किसी प्रकार का वचन मत दो. अभी समय लो और देखो कि तुम्हारा संबंध कैसा रहता है. जहां कोई समस्या नहीं है वहां समस्या खड़ी मत करो. अकारण किसी के साथ डेटिंग की इच्छा मत रखो. हां, यदि प्रदीप के व्यवहार के कारण तुम किसी और के साथ डेटिंग करना चाहो तो अलग बात है,’’ श्वेता ने कहा.
‘‘मेरे मन में यों ही यह खयाल आ रहा था. प्रदीप के साथ किसी प्रकार की परेशानी नहीं है.हम तो एकदूसरे के साथ बहुत ही मित्रतापूर्वक रहते हैं,’’ सुगंधा ने कहा.
‘‘फिर मेरे खयाल से कोई अनावश्यक प्रयोग करने की आवश्यकता नहीं है.’’
‘‘तुम ठीक कहती हो. तुमने मेरी परेशानी दूर कर दी, अनिश्चितता के दलदल से बाहर निकाल दिया. थैंकयू वेरी मच फार आ नाइस सजेशन.’’ सुगंधा ने कहा. फिर बोली, ‘‘पर क्यों न थोड़ा प्रदीप का मन टटोल कर देखा जाए?’’
‘‘वह कैसे?’’ श्वेता ने पूछा.
‘‘यह तो तुम बताओ न. तुम्हारे पास आई हूं सलाह के लिए.’’
‘‘मैं ने तो बिलकुल ईमानदारीपूर्वक सलाह दे दी तुम्हें. अब तुम्हारे सिर पर प्रदीप का मन टटोलने का भूत सवार हो गया है तो इस का उपाय तुम्हीं सोचो.’’
कुछ देर सुगंधा सोचती रही. फिर बोली, ‘‘एक फेक प्रोफाइल बना कर उसे फ्रैंड रिक्वैस्ट भेजती हूं. फिर देखती हूं उस के दिल का हाल.’’
‘‘मैं तो ऐसा करने की सलाह नहीं दूंगी.’’
‘‘तुम सलाह भले ही मत दो पर मैं ऐसा करूंगी. थोड़ा रोमांच भी होना चाहिए न जीवन में?’’ सुगंधा ने कहा.
श्वेता ने अपने कंधों को उचकाया. संदेश साफ था कि वह इस मामले में पड़ना नहीं चाहती है.
‘‘और किस नाम से फेक प्रोफाइल बनाऊंगी जानती हो?’’ सुगंधा ने शरारतपूर्वक पूछा.
श्वेता की भौंहें सिकुड़ गईं.
‘‘श्वेता. यही नाम रखूंगी नकली प्रोफाइल में,’’ सुगंधा ने हंसते हुए कहा.
श्वेता ने आंखें तरेरी.
‘‘पर फोटो तुम्हारा नहीं लगाऊंगी,’’ सुगंधा ने ऐसे कहा मानो उस पर एहसान कर रही हो.
श्वेता ने अपने हाथ से अपना माथा ठोक कर कहा, ‘‘लगता है तुम पर कोई भूत सवार हो गया है. जब यही करना था तो फिर मु झ से सलाह लेने की क्या आवश्यकता थी?’’
‘‘तुम मेरी बैस्ट फ्रैंड हो तो सलाह किस से लूं?’’ सुगंधा ने शोखी से कहा.
‘‘पर इस में मैं तुम्हारे साथ नहीं हूं, बैस्ट फ्रैंड होने के बाद भी,’’ श्वेता ने भी उसी शोखी से कहा.
फिर दोनों चले गए फिल्म देखने और अपनेअपने निवास पर वापस आ गए.
सुगंधा ने सचमुच एक प्रोफाइल बनाया श्वेता ने नाम से. फोटो किसी मौडल का लगाया और उसे कुछ ऐसे अवतार में परिवर्तित कर लिया कि स्पष्ट पहचान न हो. फिर उस ने प्रदीप को फ्रैंड रिक्वैस्ट भेज दी. कुछ दिनों तक रिक्वैस्ट यों ही पड़ी रही. पर 3-4 दिनों के बाद उस के फ्रैंड रिक्वैस्ट को स्वीकार कर लिया. श्वेता ने उस के साथ फ्लर्ट करना शुरू कर दिया. और जवाब में उसे दोगुना फ्लर्ट मिला.
चिंता में पड़ गई सुगंधा. प्रदीप ऐसा होगा उस ने सोचा भी न था. कई दिनों तक इसी प्रकार बातें होती रहीं. प्रदीप बड़ी ही तत्परता से सोशल मीडिया पर जवाब देता था. बहुत ही प्यारीप्यारी बातें करता था. जब उस ने उस से पूछा कि क्या वह किसी के साथ रिलेशनशिप में है तो उस ने साफ मना कर दिया. जब सुगंधा फोन पर या व्यक्तिगत रूप से उस से बात करती तो वह इस बात का जिक्र नहीं करता था.
एक दिन सुगंधा ने पूछा भी कि लगता है तुम किसी और के साथ रिलेशनशिप में रहने का मन बना रहे हो तो प्रदीप ने साफसाफ मना कर दिया. सुगंधा का मन उदास हो गया. उसे लगा वह कितना बड़ा धोखेबाज है.
एक दिन वह प्रदीप से मिलने गई. मिलने के लिए एक ट्राइटन मौल के एक फूड कोर्ट को निर्धारित किया गया. उस का चेहरा कुछ उदासी लिए हुए था. पहले वह प्रदीप से मिलती थी तो बहुत ही उत्साहित रहती थी पर आज उस के मन में जरा भी उत्साह नहीं था.
‘‘तुम कुछ उदास लग रही हो?’’ प्रदीप ने सुगंधा से पूछा.
‘‘हां. जमाने में ऐसीऐसी बातें देखने में आती हैं तो मन थोड़ा उदास हो जाता है,’’ सुगंधा ने कहा.
‘‘तुम तो फिलौस्फर की तरह बातें करने लगी. हुआ क्या यह तो बताओ?’’ प्रदीप ने कहा.
‘‘आज किसी अखबार में पढ़ा कि एक लड़के ने अपनी 5 साल की रिलेशनशिप को तोड़ कर दूसरी लड़की से रिलेशनशिप बना ली,’’ सुगंधा ने उस के चेहरे पर नजरें गड़ाते हुए कहा.
‘‘अखबार और तुम? कब से पढ़ने लगी अखबार तुम? मैं तो
तुम्हें इतनी अच्छी तरह से जानता हूं जितना कि तुम खुद को भी नहीं जानती,’’ प्रदीप ने कहा.
‘‘अरे कोई पढ़ रहा था. बस हैडिंग देखा था,’’ सुगंधा ने बात को टाल दिया.
‘‘पर तुम क्यों परेशान हो रही हो?’’ प्रदीप ने शांत स्वर में पूछा.
‘‘यह समाचार परेशान करने वाला नहीं है?’’ सुगंधा ने पूछा. उस की आवाज में नाराजगी और उदासी का मिश्रण था.
‘‘ऐसी भी क्या परेशान करने वाली बात है? 5 साल में रिलेशनशिप उतनी पक्की थोड़े ही हो पाती है. हमारी रिलेशनशिप को देखो. 6 वर्ष की है. मु झे कोई लड़की रिलेशनशिप में रहने के लिए बोल कर देखे. ठोकर मार दूंगा,’’ प्रदीप ने कहा.
सुगंधा ने प्रदीप को संदेहभरी नजरों से देखा.
‘‘ऐसे क्या देख रही हो?’’ प्रदीप ने पूछा. फिर बोला, ‘‘अच्छा तुम बताओ तुम्हें कोई लड़का प्रस्ताव देगा कि मेरी जगह पर तुम उस के साथ रिलेशनशिप बनाओ तो तुम तैयार हो जाओगी?’’
‘‘देखना होगा. यदि वह तुम्हारी अपेक्षा अधिक वफादार होगा तो स्वीकार करने में हरज क्या है?’’ सुगंधा ने कहा.
‘‘कैसी बातें कर रही हो?’’ प्रदीप ने कहा.
‘‘मैं कैसी बातें कर रही हूं. तुम श्वेता नाम की लड़की के साथ रिलेशनशिप बनाने के सपने देख रहे हो और मु झ से कह रहे हो कि मैं कैसी बातें कर रही हूं?’’ सुगंधा एकदम से क्रोधित हो कर बोली. आसपास के लोग उन की ओर देखने लगे.
‘‘सभी इधर देख रहे हैं. थोड़ा धीरे बोलो,’’ प्रदीप ने कहा. फिर बोला, ‘‘पर श्वेता तो फेक प्रोफाइल है. उस नाम की कोई लड़की है ही नहीं और फोटो भी फेक है उस प्रोफाइल में तो फिर हरज क्या है फ्लर्ट करने में?’’ प्रदीप ने कहा.
अब चौंकने की बारी सुगंधा की थी, ‘‘तुम्हें कैसे पता?’’ वह आश्चर्यचकित हो कर बोली.
‘‘तुम्हारी बैस्ट फ्रैंड श्वेता ने बताया. मैं तो सोशल मीडिया पर बहुत कम रहता हूं. मु झे तो पता भी नहीं था कि मेरे पास कोई फ्रैंड रिक्वैस्ट आई है. श्वेता ने बताया तब मैं ने उस रिक्वैस्ट को ऐक्सैप्ट किया,’’ प्रदीप ने मामला स्पष्ट किया.
‘‘ठीक है मैं पूछती हूं श्वेता से आज शाम को ही मिल कर,’’ सुगंधा ने कहा.
‘‘शाम को क्यों अभी मिल कर पूछा लो न? वह वहां बैठी कौफी का आनंद ले
रही है,’’ प्रदीप ने एक टेबल की ओर इशारा किया.
सुगंधा ने देखा श्वेता उस की ओर देख कर हाथ हिला रही है. फिर वह कौफी का कप लिए उन की टेबल पर आ गई.
‘‘ऐसा क्यों किया तुम ने?’’ सुगंधा ने बनावटी तैश के साथ कहा.
‘‘क्योंकि मैं तुम्हारी बैस्ट फ्रैंड हूं. कहा था न मैं ने, अनावश्यक प्रयोग करने की आवश्यकता नहीं है. सिर्फ प्रयोग करने में तुम्हारी यह हालत हो गई. अगर सचमुच में कुछ हो जाता तो?’’ श्वेता बोली.
‘‘बाई द वे, थैंक्यू,’’ सुगंधा ने कहा और फिर तीनों खिलखिला कर हंस पड़े.
लेखक- निधि माथुर
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