नियमत रूप से पीएं दूध और जाने क्या हैं इसके फायदे

दूध पीने किसे नहीं पसंद है…बच्चे हो या बड़े- बूढ़े सभी को अच्छा लगता है…किसी के भी घर में दूध के बिना तो कोई शुरूआत ही नहीं होती है. दूध भले ही एक पेय पदार्थ है, लेकिन दूध को एक कंपलीट फूड माना जाता है.बहुत से लोग दूध के बिना अपना आहार अधुरा मानते हैं. दूध भारतीय शाकाहारी पदार्थों  का अहम हिस्सा होता है.यहां तक की अगर बच्चे रात को खाना नहीं खाते हैं तो दूध पीकर सो जाते हैं ऐसा इसलिए क्योंकि वो संपूर्ण आहार माना जाता है इसलिए इसे एक पूरा खाना माना जाता है.

दूध के कितने  प्रोडक्ट बनते हैं ये तो जग जाहिर है. तमाम तरह की मिठाइयां दूध के बिना संभव ही नहीं है. दूध में सिर्फ कैल्शियम ही नहीं, प्रोटीन, विटामिन ए, बी1, बी2, बी12 और डी, मैग्नीशियम और पोटेशियम जैसे कई पोषक तत्व होते हैं जो मानव शरीर के लिए बहुत ही आवश्यक है. बहुत बार जब लोगों को चोट लग जाती है या कोई बिमार है तो उसको हल्दी मिलाकर दूध पीने को देते हैं क्योंकि वो बिमारी में भी दूध काफी शक्ति देता है. अपने पाचक और पोषण गुणों के कारण आयुर्वेद में भी दूध का एक विशेष स्थान है.

जानिए दूध पीने का सही वक्त आखिर क्या है ?

वैसे तो लोगों को जब मन होता है तब दूध पी लेते हैं. कई लोग दावा करते हैं कि सुबह दूध पीना सेहत के लिए ज्यादा सही है जबकि कई लोग रात में दूध पीना ज्यादा सही मानते हैं.देखा जाए तो जो छोटे बच्चे होतें हैं जो खाना नहीं खा सकते हैं उन्हें दिन में कई बार दूध पिलाया जाता है और चूंकि वो खा नहीं सकते हैं इसलिए दूध पिलाते हैं और दूध ही इसलिए क्योंकि वो एक संपूर्ण आहार है. लेकिन जो भी बड़े लोग या स्कूल वाले बच्चे होतें हैं तो वो रात को या सुबह दूध पीते हैं लेकिन एक रिर्पोट के मुताबिक आयुर्वेद के अनुसार, दूध पीने का सही वक्त रात में है. कहा जाता है कि रात में सोते वक्त दूध पीना चाहिए. वैसे सुबह दूध पीना भी फायदेमंद होता है, क्योंकि जिन लोगों को एसिडिटी की दिक्कत होती है, उन्हें रात में दूध पचाना मुश्किल होता है क्योंकि उनकी पाचन शक्ति इतनी मजबूत नहीं होती है.

इसके साथ ही अगर घर में 4 से 5 साल तक के बच्चे हैं तो दिन में दूध पीना उनकी सेहत के लिए अच्छा रहता है. लेकिन, ज्यादा सही रात में दूध पीना ही माना जाता है.साथ ही डॉक्टर्स के मुताबिक जिन लोगों को दूध से एलर्जी  है वो भले ही न पीए , लेकिन उसके आलावा सभी लोगों को दूध पीना चाहिए. चूंकि ये पूरा खाना माना जाता है इससे आपकी सेहत अच्छी रहेगी और साथ ही अगर आप रात में सोने से पहले दूध पीते हैं तो आपको नींद भी अच्छी होती है. साथ ही दूध को हमेशा थोड़ा सा गरम ज्यादा नहीं हल्का गुनगुना करके ही पीना चाहिए. दूध के पाचक और पोषण गुणों के कारण आप भी स्वस्थ रहते हैं. जब आप रात में दूध पीते हैं तो आपको कैल्शियम का ज्यादा फायदा मिलता है, क्योंकि रात में आपकी एक्टिविटी लेवल काफी कम रहता है क्योंकि आप रात को सोते हैं.बहुत बार ऐसा होता है कि जो लोग वर्किंग हैं उसमें से कुछ लोगों की नाईट शिफ्ट होती हैं तो वो दिन में सोते हैं ऐसे में अगर वो चाहे उस वक्त दूध पीकर सो सकते हैं और यदि आप चाहें तो खुद डॉक्टर से इसके बारे में सलाह ले सकते हैं.

Summer Special: घर पर बनाएं स्वादिष्ट कौर्न पिज्जा

अगर आप बच्चों के लिए कोई डिश ट्राय करना चाहती हैं तो कौर्न पिज्जा की ये हेल्दी और टेस्टी रेसिपी ट्राय कर सकती हैं.

सामग्री

–  9 इंच का एक पिज्जा

–  60 ग्राम उबले कौर्न

–  1/2 कप प्याज कटा

–  1/2 कप टमाटर कटे

–  1/2 कप शिमलामिर्च कटी

–  1 बड़ा चम्मच चाटमसाला

–  1 छोटा चम्मच ओरिगैनो

–  1 बड़ा चम्मच चिली फ्लैक्स

–  2 बड़े चम्मच मेयोनीज

–  1 बड़ा चम्मच पिज्जा पास्ता सौस

–  1 बड़ा चम्मच कैचअप

–  साल्ट पैपर सीजनिंग स्वादानुसार.

पनीर फिलिंग की तैयारी

एक बाउल में उबले कौर्न, प्याज, टमाटर, शिमलामिर्च, साल्ट पैपर सीजनिंग, ओरिगैनो, चिली फ्लैक्स व चाटमसाला डाल कर अच्छी तरह मिलाएं. फिलिंग तैयार है.

पिज्जा की विधि

पिज्जा बेस ले कर उस पर पिज्जा पास्ता सौस लगाएं. फिर उस पर अच्छी तरह मेयोनीज लगाएं. अब पिज्जा बेस पर कौर्न फिलिंग रखें. फिर उस पर मोजरेला चीज डालें. अब पहले से गरम ओवन में इसे सुनहरा होने तक बेक करें. तैयार पिज्जा को मेयोनीज व कैचअप के साथ सर्व करें.

यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन को न करें अनदेखा

यूरिनरी ट्रैक्ट में हुए किसी भी संक्रमण को यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन यानि UTI कहा जाता है. असल में ब्लैडर से पेशाब को शरीर से बाहर ले जाने वाली नली (यूरेथ्रा) में कोई जीवाणु नहीं होता या संक्रमण पैदा करने के लिए वह बहुत कम होता है, लेकिन किसी कारणवश यूरिनरी ट्रैक्ट का कोई भी हिस्सा गलत हाईजीन, लम्बे समय तक पेशाब रोके रखना, गर्भावस्था, रजोनिवृत्ति, शुगर आदि की वजह से संक्रमित हो सकता है और यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन होने की संभावना होती है.

असल में यूटीआई बैक्टीरिया के कारण होता है, जो मूत्रमार्ग के माध्यम से शरीर में प्रवेश करते हैं. महिलाओं में मूत्रमार्ग की नली पुरुषों की तुलना में बहुत छोटी होती है, और योनि पीछे के मार्ग (गुदा) के बहुत करीब होती है, जहाँ बैक्टीरिया रहते हैं. इन कारणों से  महिलाओं को यूटीआई होने का अधिक जोखिम होता है.

यूटीआई के रिस्क फैक्टर कुछ इस प्रकार है,

  • लगभग 3 में से 1 महिला को 24 वर्ष की आयु से पहले यूटीआई का उपचार कराना पड़ता है.
  • बढ़ी हुई प्रोस्टेट ग्रंथि के कारण मूत्राशय आंशिक रूप से खाली हो सकता है, जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है.
  • कुछ दवाओं और असंयम की समस्याओं के कारण वृद्ध लोगों में यूटीआई होने की संभावना अधिक होती है.
  • जो लोग गंभीर रूप से बीमार हैं और जो अपने मूत्राशय को खाली नहीं कर सकते हैं, उनमें संक्रमण का खतरा अधिक होता है.
  • इम्यून सिस्टम में परिवर्तन के कारण मधुमेह से पीड़ित लोग संक्रमण के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाते हैं.

इलाज

 

 

एंटीबायोटिक्स यूटीआई का कारण बनने वाले जीवाणु संक्रमण का इलाज कर सकता हैं. इसलिए इलाज के लिए डॉक्टर की परामर्श लेना बहुत जरूरी होता है, कोई भी दवा जांच के बाद ही शुरू करना सही होता है.

मिथ्स एण्ड फैक्ट्स

यूटीआई बारे में कई मिथक है, कुछ का मानना है कि यह समस्या विशेष रूप से महिलाओं में होता है, लेकिन पुरुष भी इससे प्रभावित हो सकते हैं. कुछ मिथक निम्न है,

पुरुषों को यूटीआई होने का कोई खतरा नहीं होता  

पुरुष भी इसका शिकार हो सकते हैं, लेकिन महिलाओं की तुलना में उनकी संभावना कम होती है.

यूटीआई के लक्षण हमेशा स्पष्ट होते हैं

यह देखा गया है कि यूटीआई के लक्षण अस्पष्ट होते हैं, जैसे कि तेज तापमान, मूत्र समस्याएँ, पेशाब में जलन, या अधिक मूत्र का संचय होना आदि.

गर्म पानी पीने से यूटीआई ठीक हो जाता है

गर्म पानी पीने से केवल साइड इफेक्ट्स को कम किया जा सकता है, लेकिन इससे यूटीआई ठीक नहीं होता.

यूटीआई सिर्फ यौन संबंधित समस्याओं का परिणाम है

यौन संबंध केवल एक कारण हो सकता है, लेकिन यह अकेला कारण नहीं है.   यूटीआई कई कारणों पर निर्भर कर सकता है, जैसे कि स्वास्थ्य और हाइजीन की स्तर, वातावरण, और आहार.

यूटीआई का इलाज बिना दवाई के हो सकता है  

कुछ साधारण यूटीआई के लिए घरेलू उपचार मौजूद हो सकते हैं, लेकिन गंभीर मामलों में चिकित्सा उपचार की आवश्यकता होती है.

यूटीआई का केवल एक प्रकार होता है

ये कई प्रकार का हो सकता है, जैसे कि साधारण पेशाब मार्ग संक्रमण, प्रोस्टेटाइटिस (पुरुषों में) पिड़ाशूल (किडनी संक्रमण) आदि. इन मिथकों की सही जानकारी प्राप्त कर अपने स्वास्थ्य को बेहतर बना सकते हैं. यह जागरूकता उन्हें समस्या की शुरुआत में ही सही उपचार और सावधानी बरतने में मदद कर सकती है. अधिक से अधिक लोगों को इसके बारे में जानकारी प्राप्त करने की जरूरत है, ताकि उन्हें इस समस्या को नियंत्रित करने के लिए सही कदम उठाने में सहायता मिल सके.

यूटीआई बच्चों को नहीं होता  

यह मिथक है कि यूटीआई सिर्फ वयस्कों को होता है. बच्चों में भी इसकी संभावना कई बार होती है.

यूटीआई का स्थायी उपचार संभव नहीं है

यह गलतफहमी है कि यूटीआई का स्थायी उपचार संभव नहीं है.  सही उपचार के साथ, बहुत से लोगों की यूटीआई पूरी तरह से ठीक हो जाता है, लेकिन इसके लिए उचित डायग्नोसिस और चिकित्सा उपचार की आवश्यकता होती है.

यूटीआई का उपचार निरोगी आहार से हो सकता है  

आहार एक महत्वपूर्ण घटक हो सकता है, जो यूटीआई के इलाज में मदद कर सकता है, लेकिन यह केवल उपचार का एक हिस्सा होता है। संतुलित आहार और प्रतिदिन की सही मात्रा में पानी पीना, जैसे उपाय अनेक बार यूटीआई को दूर करने में मदद कर सकते हैं, लेकिन डॉक्टर की सलाह लेना बहुत जरूरी होता है.

बार-बार यूटीआई  होना सामान्य है  

कुछ लोगों को बार-बार यूटीआई हो सकता है, जो एक सामान्य स्वास्थ्य समस्या है, लेकिन यह बिल्कुल भी सामान्य नहीं है. अगर किसी को बार-बार  यूटीआई हो रहा है, तो डॉक्टर से परामर्श अवश्य करें.

यूटीआई के बारे में बात करना जरूरी है

बहुत से लोगों को इसके बारे में बात करना शर्मनाक लगता है, लेकिन यह एक सामान्य स्वास्थ्य समस्या है और उसका इलाज संभव है.  सही जानकारी से लोगों को उपचार और बचाव के लिए सहायता मिल सकती है.

यूटीआई एक हानिकारक स्थिति नहीं है  

यह गलतफहमी है कि यूटीआई एक साधारण स्थिति है और इसका कोई असर नहीं होता. असंगठित इलाज या अनदेखी के मामले में, ये बीमारी गंभीर समस्याओं जैसे कि किडनी संक्रमण या सेप्टिसेमिया का कारण बन सकता है.

गर्म पानी बाथ या डुबकी लेने से  यूटीआई होने की संभावना कम होती है

हालांकि गर्म पानी बाथ या डुबकी लेने से स्थायी रूप से होने इसकी संभावना कम हो सकती है, लेकिन यह केवल एक उपाय है और इसे विशेष रूप से इस समस्या के उपचार के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए.

इन मिथकों के खिलाफ जागरूकता बढ़ाना महत्वपूर्ण है, ताकि लोग सही जानकारी प्राप्त करें और अपने स्वास्थ्य को सही दिशा में ले सकें.  यह समय पर उपचार और सही जानकारी के साथ संभावित समस्याओं को पहचानने में मदद कर सकता है.

 

मेरी शादी होगी तो मैं खुद बताउंगी: क्रिकेटर शुबमन गिल से शादी की खबरों पर रिधिमा पंडित

सोशल मीडिया पर यह खबर फैल रही है कि टीवी एक्ट्रेस रिधिमा पंडित की शादी भारतीय क्रिकेटर शुबमन गिल से हो रही है लेकिन रिधिमा ने इन खबरों का खंडन किया है और कहा है कि एक दिन वो सोकर उठी और उनके पास किसी पत्रकार का फोन आता है कि वो शादी कर रही हैं. लेकिन ऐसा नहीं है वो शादी नहीं कर रही हूं. अगर ऐसा होगा तो वह खुद इसके बारे में सबको बताएंगी. उन्होंने कहा है कि इन खबरों में बिल्कुल भी सच्चाई नहीं है.

 

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शुबमन ने अभी तक इन खबरों पर प्रतिक्रिया नहीं दी है. इससे पहले उनका नाम सचिन तेंदुलकर की बेटी अंजली के साथ जोड़ा जा रहा था कि वो उन्हें डेट कर रहे हैं.

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार यह खबरे थी कि शुबमन और रिधिमा दिसंबर 2024 में जयपुर में गुपचुप शादी करेंगे. शादी में मीडिया को जाने की अनुमति नहीं होगी. रिधिमा इन दिनों स्टार प्लस पर आने वाले शो बहू हमारी रजनीकांत में काम कर चुकी हैं. वो रिएलटी शो फियर फैक्टर खतरों के खिलाड़ी में फर्स्ट रनर अप भी रह चुकी हैं.

 

 

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गर्मियों में पैट्स की देखभाल करने के 13 टिप्स

अगर आप के घर में भी पालतू पशु हैं, तो उन्हें गरमियों में किस तरह देखभाल करें, जरूर जानिए…

आजकल पैट्स को रखना स्टेटस सिंबल तो है ही साथ ही सिंगल चाइल्ड वाले परिवार में एक बहुत बड़ी जरूरत भी है. ऐसे परिवार जहां पर परिवार में एक ही बच्चा होता है वहां पर बच्चे को कंपनी देने या फिर उस का अकेलापन दूर करने के लिए अभिभावक पैट को बच्चे के साथी के रूप में देखते हैं.

इस के अतिरिक्त आजकल अकेले रह रहे युवा भी अपने अकेलेपन को दूर करने के लिए पैट को रखते हैं. आमतौर पर तो यह पैट डौग होता है पर कुछ लोग आजकल कैट अर्थात बिल्ली को भी अपने घरों में पैट के रूप में रखते हैं. इसीलिए आजकल पैट क्लिनिक, पैट हेयर ड्रैसर, पैट ग्रूमिंग, पैट आइसक्रीम, पैट फूड आदि का बहुतायत से चलन हो गया है.

इन दिनों देश के अधिकांश हिस्सों में भयंकर गरमी पड़ रही है. ऐसे में आप के पैट को भी अतिरिक्त देखभाल की आवश्यकता होती है. यदि आप के घर में भी कोई पैट है तो इन दिनों उस की देखभाल के लिए निम्न टिप्स काफी मददगार साबित हो सकते हैं :

 

  • इन दिनों पैट को नहलाने के लिए बाथटब का प्रयोग करें. इस से आप का पैट लंबे समय तक बाथटब में रहेगा और खुद को ठंडा महसूस करेगा. इस के अतिरिक्त उसे हर दिन स्नान कराने का प्रयास भी करें. हर दिन नहलाते समय उन के लिए खास बने शैंपू का ही प्रयोग करें.

 

  • एक तो शरीर पर बालों के चलते पैट को काफी गरमी लगती है दूसरे लंबे बालों के कारण कई बार इंफैक्शन होने का भी खतरा रहता है. इसलिए माह में कम से कम उस के बालों की ट्रिमिंग तो करवाएं पर शेविंग करवाने से बचें क्योंकि शेविंग हो जाने पर उसे सनबर्न का खतरा हो जाएगा.

 

  • कई बार पैट की कुछ नस्लों में सनबर्न की समस्या भी आती है. इस से उन्हें बचाने के लिए उन के लिए विशेष रूप से बनाई गई सनस्क्रीन का प्रयोग करें.

 

  • उन्हें खाने के लिए खीरा, तरबूज आदि दें. पीने के लिए भी ठंडा पानी ही दें. समयसमय पर उन के पानी में आइस क्यूब्स डालते रहें.

 

  • पैट के लिए विशेषरूप से बनाई जाने वाली आइसक्रीम खिलाएं.

 

  • उन के बैठने के लिए मोटी दरी या चादर का इंतजाम ताकि वे गरम जमीन के प्रभाव में आने से बचे रहें.

 

  • पैट को सैर के लिए एकदम सुबह या शाम को ले जाएं ताकि वे धूप के सीधे प्रभाव में आने से बचे रहें. साथ ही ठंडी जगह पर घुमाना सुनिश्चित करें क्योंकि गरम सतह पर चलने से उन के पंजे जल सकते हैं.

 

  • बिल्ली और कुत्ते जैसे पैट्स को छाछ या दही भी दिया जा सकता है क्योंकि इनमें प्रोबायोटिक्स होते हैं जो इन के डाइजेशन में मदद करते हैं.

 

  • उन के रहने के लिए आप ने जो भी स्थान नियत किया है वहां पर एक छोटे कूलर की व्यवस्था करें ताकि उन्हें गरमी से कुछ राहत मिल सकें.

 

  • अक्सर लोग कार में ट्रैवल करते समय अपने पैट को भी साथ में ले कर चलते हैं, ऐसे में भूल कर भी उसे बंद कार में न छोड़ें क्योंकि गरमियों में कार का तापमान बहुत जल्दी गरम हो जाता है.

 

  • जिस तरह इन दिनों मानव शरीर को हाइड्रैट रखना जरूरी होता है उसी तरह आप अपने पैट को भी भरपूर पानी पिलाएं ताकि उस के शरीर में पानी की कमी न होने पाए.

 

  • यदि आप का पैट सामान्य से अधिक लार गिरा रहा है अथवा बहुत अधिक हांफ रहा है तो उसे तुरंत डाक्टर को दिखाएं क्योंकि ये लक्षण लू लगने के हो सकते हैं.

 

  • आजकल तापमान बहुत अधिक हो जाता है ऐसे में यदि आप जरा भी धूप में अपने पैट को बाहर ले कर जा रहे हैं तो उनके लिए विशेषरूप से बनाई गई सनस्क्रीन का प्रयोग उन के कम बालों वाले स्थान मुंह, नाक और पैरों के लिए करें ताकि वे सनबर्न से बचे रहें.

हीरामंडी में तवायफों के जीवन को अधिक ग्लैमराइस करके दिखाया गया है

संजय लीला भंसाली की वेब सीरिज हीरामंडी में जो तवायफों का जीवन दिखाया गया है उसे अधिक ग्लैमराइस करके दिखाया गया है. यह कहानी वास्तिवकता से अधिक दिखावा ज्यादा लग रही है. हमेशा की तरह से संजय लीला भंसाली ने भव्य सेट और महिलाओं को जरूरत से ज्यादा गहनों में सजा प्रदर्शित किया है. पहले के समय में एक तवायफ की जिंदगी बेकार हुआ करती थी. हालांकि को राजाओं के घर में हुआ करती थी वो अच्छी थी.

आजकल की औरतों के दृष्टिकोण से देखा जाए तो यह आज की औरत को अपमानित करने जैसा है. आज महिलाएं हर क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रही हैं. उसकी स्थिति ऐसी नहीं है जो वो एक हार के लिए बिक जाए.

फिक्म में महिलाओं का जो किरदार दिखाया गया है उनसे लगता है कि वो एक दूसरे की समर्थक तो हैं ही लेकिन विरोधी भी हैं. इन किरदारों को खाला आपा और हूजूर के रूप में प्रदर्शित किया गया है.

महिलाओं को लाहौर की रानियों के रूप में दिखाया गया है लेकिन वास्तव में पुरूषों की एहमियत महिलाओं से अधिक है.

फिल्म में जो एकेटर्स मेल रोल में हैं वो प्रेमी भी नहीं है साथी भी नहीं है और पति भी नहीं हैं वो लोग साहब हैं. हीरामंडी में महिलाओं को पुरूषों जैसा सम्मान नहीं मिल रहा है क्योंकि दोनों एक स्तर के नहीं हैं.

लेकिन अगर बात दमन करने की हो तो वो पुरुषों की तरफ से होता है. उस्ताद जी का जो किरदार है वो जनखे के रूप में दिखाया गया है जो तवायफों के इर्द-गिर्द धूमता रहता है. फिल्म में जो महिला किरदारों के बीच बातचीत होती है उनमें भई वहीं वर्णन है कि वो जुल्म सहती है प्रताड़ित होती है इससे अलग कुछ भी नहीं दिखाया गया है. पूरी फिल्म में बाजार में आपको कोई खुशी नजर नहीं आएगा. लगता है कि यह महिलाओं की दुर्गति की कहानी है जो कभी खत्म नहीं होती.

 

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मनीषा का किरदार मलिकाजान है जो यहा कि प्रमुख हूजूर है उसे किसी से डकर नहीं लगता और उसके पास सबसे अधिक ताकत है. अदिति राव हैदरी बिब्बोजान के किरदार में है जो हमेशा भआरी गहनों में और कपड़ों में दिखेगी ये मलिकाजान की बेटी है. फिल्म में इन्होंने एक गाने में मुजरा किया है. सोनाक्षी सिन्हा रेहाना का किरदार निभा रही हैं. रिचा चड्ढा लज्जो के किरदार में हैं जो हमेशा बेइज्जत होती रहती है. शरमिन सेहगल आलमजेब के किदार में है जो तवायफ बनने से परे कवि बनना चाहती है. ये भी मल्लिकाजान की बेटी है.

संजीदा शेख मलिकाजान की छोटी बहन है जो वहीदा का किरदार निभा रही है. इनका किरदार कभी लालची तो कभी वहम का शिकार हो जाता है.

 

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इसके अलावा शेखर सुमन, फरीदा जलाल, फरदीन खान, इंद्रेश मलिक सपोर्टिंग कास्ट में हैं

हेयर कलरिंग से आप भी दिखें ट्रेंडी और स्टाइलिश

ब्यूटी एक्सपर्ट  एनी मुंजाल

स्टाइलिश और खूबसूरत लुक के लिए महिलाओं के पास आजकल बहुत सारे ऑप्शन हैं. स्टाइलिश लुक के लिए महिलाएं कई तरह का हेयर ट्रीटमेंट लेती हैं. हेयर ट्रीटमेंट के साथ साथ बालों में कलर करना भी आज का फैशन स्टेटमेंट है. आमतौर महिलाएं स्टनिंग लुक के लिए बालों में हाइलाइट्स करवाती हैं.
बालों को कलर करवा कर आप अपने लुक और कॉन्फिडेंस में कुछ ही घंटो में कई गुना इजाफा कर सकती हैं. भले ही आप एक हाउसवाइफ यो या फिर एक वर्किंग प्रोफेशनल हेयर कलर आप के फिजिकल कॉन्फिडेंस में काफी योगदान करता है. आप मनचाहे कलर से अपने लुक को स्टाइलिश और आकर्षक रूप दे सकती हैं.

काम के हिसाब से करें अपने हेयर कलर का चुनाव

भले ही आप कॉर्पोरेट सेक्टर में हो या फिर क्रिएटिव सेक्टर, फैशन इंडस्ट्री में हों या बिजनेस ओनर आप अपने काम के हिसाब से अपने हेयर कलर का चुनाव कर सकती हैं. अगर आप कार्यालय में हैं तो सोबर और प्रोफेशनल रंग चुने जैसे चॉकलेट ब्राउन , हेज़ल कलर. आपका स्किनटोन भी आपके लिए करेक्ट हेयर कलर चूज करने में बेहद इम्पोर्टेन्ट होता है. यदि आप क्रिएटिव क्षेत्र में हैं तो आप अपनी प्रोफेशनलिज्म को प्रकट करने के लिए बोल्ड और ब्राइट रंग चुन कर सकते हैं, जैसे कि ब्राइट ब्लू , ग्रीन , पिंक , रेड. यदि आप फैशन या बिज़नेस इंडस्ट्री में हैं या फिर आप हाउसवाइफ हो तो आप मोडर्न टेक्निक्स चुन सकते हैं, जैसे कि ओम्ब्रे या बैलायाज.

 हेयर कलर कराने में जरूरी सावधानियां

अगर आप पहली बार कलर करवा रही हैं तो अपने हैयरस्टाइलिस्ट को अपने पास्ट के हेयर ट्रीटमेंट्स और हेयर केयर के बारे में ज़रूर बताइयेगा क्यूंकि हेयर कलर का आप के बालो की डेंसिटी और हाइड्रेशन लेवल पर फरक आता है. अगर आप ने पहले कभी मेहंदी लगवाई हो तो कलर करवाने से पहले कम से कम एक महीने का गैप दें ताकि आप के बालों से मेहंदी का रंग वाश ऑफ हो जाये और नया कलर अच्छे से अप्लाई हो.
अगर आप को ग्रे हेयर की दिक्कत है तो आप ग्लोबल कलर करवाने की बजाये क्राउन एरिया हाइलाइट्स करवा सकते हैं लाइट कलर के क्यूंकि वो स्टाइलिश भी लगता है और आपके ग्रे बाल भी उस में छुप जाते है. अगर आप को हेयर फॉल या ब्रेकेज की दिक्कत हो तो हेयर स्टाइलिस्ट से कंसल्ट कर के आप हेयर बोटॉक्स ट्रीटमेंट भी ऐड करवा सकते है क्यूंकि उस में हेयर कलर के बाद आप के बालो का केराटिन दोबारा रिस्टोर किया जाता है.
आप ओलप्लेक्स जैसे हेयर सेफ्टी प्रोडक्ट्स भी अपने हेयर कलर में ऐड करवा सकते है जिनसे आपके बालो को स्वस्थ रहने का पोषण मिले.
अगर आप हेयर कलर पहली बार करवा रहे है तो आप पहले टेस्ट पैच ज़रूर करवाएगा ताकि आपको यह सुनिश्चित हो कि आपकी त्वचा पर समस्याएं नहीं आएंगी. बालों को रंगने से पहले एक अनुभवी और पेशेवर हेयर स्टाइलिस्ट या कलरिस्ट से सलाह लें. अगर आपने पहले हेयर कलर करवाया या मेहंदी लगवाई है तो हेयर स्टाइलिस्ट को ज़रूर बताये ताकि वो जेन्युइन एडवाइस के साथ आपके हेयर पे काम कर सके .
हेयर कलर करवाने के बाद आप को अपने बालों की काफी देखभाल करनी चाहिए ताकि उन का मॉइस्चर बना रहे. आप हर 2 हफ्ते में हेयर स्पा कर सकते हैं और हर हेड वाश के बाद हेयर मास्क को पांच मिनट तक लगाकर ज़रूर रखें ताकि आप के बालो का हाइड्रेशन लेवल सुरक्षित रहे.

स्किन टोन का भी रखें ख़याल

कलर्स के चुनाव के वक्त आप को अपने स्किन टोन का भी ख़याल रखना चाहिए. यदि आप की त्वचा गहरे रंग की है तो आप गहरे रंगों का चयन कर सकते हैं जैसे कि रसियन रेड और महोगनी आदि. यदि आप की त्वचा हलके टोन की है तो आप लाइट रंगों की चॉइस कर सकते हैं जैसे कि ब्लॉन्ड, प्लेटिनम, और पेस्टल टोन्स.

जरुरत के हिसाब से चुनें कलरिंग तकनीक

हेयर कलर कर के आप स्वयं को फ्रेश, ट्रेंडी और मोडर्न फील करेंगे. आप अपनी जरुरत के हिसाब से अपनी कलरिंग तकनीक चूज कर सकते हैं जैसे हाईलाइट्स , लो-लाइट्स , ओम्ब्रे , बैलायाज , ग्लोबल कलर आदि.
– हाईलाइट्स: यह तकनीक विशेष बालों के चुने हुए हिस्सों को रंगने में मदद करती है.
– लो-लाइट्स: इस तकनीक में बालों के चयनित हिस्सों को गहरे रंग से रंगा जाता है.
– ओम्ब्रे: यह तकनीक बालों के ऊपरी हिस्से को गहरा रंग देती है जो नीचे की ओर धीरे धीरे हलका होता है.
– बैलायाज: इस में बालों के ऊपरी हिस्से को सिलेक्टेड रंग में रंगा जाता है जो नीचे की ओर समाप्त होता
है.
– ग्लोबल कलर: इस में पूरे बालों को एक ही रंग में रंगा जाता है.
बालों को रंगने की लागत विभिन्न कारकों पर निर्भर करती है जैसे तकनीक, आप की हेयर लेंथ और डेंसिटी, सैलून की स्थिति और शहर का इलाका. आमतौर पर बालों को रंगने की शुरुआती कीमत लगभग 2000 रुपये से 8000 रुपये तक हो सकती है.

जिंदगी पर भारी लापरवाही

बढ़ती गरमी के साथ आग लगने की घटनाओं में वृद्धि हो रही है. मगर इन घटनाओं की वजह क्या हैं, जान कर हैरान रह जाएंगे आप…

 

दिल्ली व एनसीआर ही नहीं, देश के अलगअलग राज्यों में गरमी का कहर बढ़ता जा रहा है. चाहे वह मैदानी क्षेत्र हो या पहाड़ी, गरमी ने लोगों का जीना बेहाल कर रखा है. आएदिन आग लगने की दिल दहला देने वाली खबरें बहुत तेजी से बढ़ रही हैं, जिस से आग लगने का ग्राफ दिनोंदिन बढ़ता ही जा रहा है.

 

कहीं गरमी ने त्राहि मचाई हुई है तो कहीं लापरवाही ने लेकिन खामियाजा लोगों को जान दे कर भुगतना पड़ रहा है.

 

*गुजरात टौप गेमिंग जोन*

 

गुजरात में टौप गेमिंग जोन में लगी आग ने 28 लोगों को अपनी चपेट में ले लिया जिस में 12 बच्चे थे. इस मामले में प्रशासन ने 6 अधिकारियों को सस्पैंड किया. आरोप है कि अधिकारी ने बिना जांचपड़ताल किए टीआरपी गेम जोन का लाइसैंस रिन्यू किया था. जांच में सामने आया है कि गेम जोन के पास अग्नि संबंधी अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) भी नहीं थी.

 

 

*दिल्ली में न्यू बोर्न बेबी हौस्पिटल में आग*

 

दिल्ली के विवेक विहार इलाके के न्यू बोर्न बेबी केयर अस्पताल में हाल ही में जो दर्दनाक हादसे हुआ उस में 7 नवजात बच्चों की मौत हो गई. रिपोर्ट के मुताबिक, इस अस्पताल का लाइसैंस 31 मार्च को ही समाप्त हो गया था. इस के बाद भी हौस्पिचल का संचालन किया जा रहा था. इस अस्पताल का लाइसैंस भी केवल 5 बिस्तरों के लिए ही अनुमति दी गई थी. लेकिन वहां ज्यादा बेड थे.

 

*कृष्णा नगर में लगी आग*

 

दिल्ली के कृष्णा नगर में एक बिल्डिंग में आग लगने से 3 लोगों की मौत हो गई है. उस के ग्राउंड फ्लोर पर कमर्शियल ऐक्टिविटीज होती थी. यहां कोई इलैक्ट्रिक टूव्हीलर ओनर अपने वाहन को चार्जिंग पर लगा कर चला गया था. पहले उस में आग लग गई और उस के बाद इलैक्ट्रिक मीटर में लगी और बढ़तेबढ़ते आग ने बिल्डिंग के तीनों फ्लोर को अपनी जद में ले लिया.

 

इन सभी घटनाओ में एक बात सामान्य है और वह है लापरवाही. लापरवाही चाहे प्रशासन की हो या आम आदमी की लेकिन लोगों को इस का खामकियाजा जान दे कर भुगतना पड़ा. क्यों आज के समय में लोगों में जान इतनी सस्ती हो गई है की वे सिर्फ अपना मतलब निकालने की ही सोचते हैं? ऐसी घटनाओं से बचने के लि जागरूक होना अति आवश्यक है.

 

रिश्ता बोरियत में बदलने लगे तो वक़्त रहते अपनाएं ये टिप्स

रिश्ते में कोई उत्साह नहीं रहा, एकदूसरे के बीच प्यार कम हो गया, तो जानिए कैसे बचाएं रिश्ते को…

 

जिस तरह फोन की बैटरी डिस्चार्ज होने पर आप का फोन बंद पड़ जाता है और किसी काम का नहीं रहता उसी तरह रिलेशनशिप में भी प्यार धीरेधीरे खत्म होने लगता है तो वह रिश्ता नहीं बोझ बनने लगता है और हम उस रिलेशनशिप में बोरियत महसूस करने लगते हैं.

 

यदि यह बोरियत समय रहते खत्म न की जाए तो आप का रिश्ता खत्म होने से कोई नहीं बचा सकता इसलिए जिस तरह फोन की बैटरी चार्ज कर आप उस को अच्छे से उपयोग कर सकते हैं उसी तरह रिलेशनशिप में भी समयसमय पर चार्जिंग की जरूरत होती है तभी उस रिश्ते में प्रेम की बढ़ोत्तरी होती है और बोरियत दूर भागती है.

 

रिलेशनशिप में एक वक्त बाद बोरियत आना कौमन प्रौब्लम है और शादी चाहे अरैंज्ड हों या लव दोनों में शादी के कुछ समय बाद कपल्स के बीच एक वक्त बाद प्यार और इंटीमेसी की कमी दिखाई देने लगती है. और जब इन छोटीछोटी बातों पर ध्यान नहीं दिया जाता तब यह बड़ी समस्या का रूप ले लेती है.

 

वैसे तो यह एहसास दोनों को ही होता है लेकिन अधिकतर महिलाओं में बोरियत की भावना जल्दी आ जाती है जिन्हें कुछ आसान बातों से आप जान सकती हैं कि आप का पार्टनर रिश्ते में बोरियत महसूस करने लगा है.

 

*वक्त कम गुजारना*

 

यदि आप का पार्टनर आप के साथ वक्त बिताने की बजाय दोस्तोंरिश्तेदारों से ज्यादा घुलनेमिलने लगता है तो समझ जाएं कि रिश्ता कमजोर पड़ने लगा है.

 

*कम्युनिकेशन की कमी*

 

अगर आप का पार्टनर आप से पहले की तरह बातें शेयर करना बंद कर दे,आप को ले कर उस का उत्साह कम होने लगे, आप की बातों को नजरअंदाज करने लगे या खुद को हमेशा किसी और काम में व्यस्त कर के रखे तो यह इशारा है बोरियत  आने का.

 

*इंटीमेसी में कमी*

 

यदि आप का पार्टनर इंटीमेसी के पल को अवौइड करने लगे या आप के साथ पार्टिसिपेट न करे, पहले की तरह ऐंजौयमैंट खत्म होने लगें तो यह सब से बड़ा इशारा है कि आप का पार्टनर आप के साथ खुश नहीं है .

 

*बातबात पर बहस होना*

 

छोटीछोटी बातों में राई का पहाड़ बनने लगें, बातबात पर बहस हो या एकदूसरे से नजरें चुराने लगें तो समझ लें आप का रिश्ता खराब होने लगा है.

 

*ऐसे बचाएं रिश्ता*

 

  • चाहे कितना भी व्यस्त रूटीन हो लेकिन दिन का कुछ वक्त अपने पार्टनर के साथ अवश्य बिताएं.

एकदूसरे से अपने मन की बात करें. यदि आप पहले की तरह समय नहीं दे पा रहे हैं तो उन्हें एहसास दिलाएं कि वे आज भी पहले जैसा ही प्यार करते हैं. बस, जिम्मेदारियों के चलते ज्यादा वक्त साथ बिताना मुश्किल हो रहा है. आप का पार्टनर आप की मजबूरी जरूर समझेगा.

 

  • हफ्ते या महीने में एक बार एकदूसरे के साथ बाहर घूमने के लिए जाएं चाहे कुछ घंटे के लिए ही पर साथ में समय बिताएं.

 

  • सरप्राइज गिफ्ट बहुत अच्छा व कारगर साबित होता है. रिश्ते में मजबूती देने के लिए सरप्राइज गिफ्ट अवश्य दें.

 

बंदर की तरह कहीं आपका दिमाग भी तो नहीं घूमता डाल-डाल पर, जानिए क्या है मंकी माइंड

“मैंने सोच लिया है कि अब मैं अपना यह टैक्सेशन वाला काम नहीं करूंगा …इसमें बहुत ज्यादा माथा पच्ची है. अब मैं जल्दी ही बैंक्विट हॉल खोलने वाला हूं.”

ये शब्द जैसे ही निलेश ने अपनी पत्नी मीना से कहे उसका माथा ठनका.  वो परेशान होकर सोचने लगी,”पता नहीं क्या होता जा रहा है निलेश को? किसी एक काम में मन ही नहीं लगता… कभी पाइप्स का काम करना है तो कभी ज्वेलरी का काम या फिर एक्सपोर्ट का काम. चार दिन एक काम का शौक चढ़ता है पांचवें दिन वो भी खत्म. लगता है मुझे किसी एक्सपर्ट से बात करनी पड़ेगी.”

एक्सपर्ट से बात करने पर मीना को एक्सपर्ट ने जो बातें बतायीं  आप से भी साझा कर रही हूं.

जैसे बंदर एक शाख से दूसरी शाख पर कूदता रहता है, वैसे ही अगर आपका दिमाग भी एक काम से दूसरे काम पर शिफ्ट होता रहता है तो ये गंभीर बात है.

यह सारे लक्षण बताते हैं कि उनको मंकी माइंड की समस्या है. जब व्यक्ति किसी एक चीज पर फोकस नहीं कर पाता तो उसका कारण मानसिक रूप से अस्वस्थ होना है.

मनोरोग चिकित्सक स्वाति मित्तल, मैक्स हॉस्पिटल के मुताबिक, हर व्यक्ति का शारीरिक स्वास्थ्य के साथ ही मानसिक सेहत पर ध्यान देना भी जरूरी है. हालांकि आमतौर पर लोग इस गंभीर विषय पर गौर करना भूल जाते हैं और सालों तक उन्हें अपनी परेशानियों का आभास ही नहीं हो पाता है. दूसरी ओर दुनियाभर में इस विषय पर शोध और अध्ययन किए जा रहे हैं. यही कारण है कि पिछले कई सालों में मेंटल हेल्थ को लेकर कई विचारधाराएं और मत सामने आए हैं, इन्हीं में से एक है ‘मंकी माइंड’.

क्या है मंकी माइंड

हमारे दिमाग में हमेशा से ही कई बातें और योजनाएं चलती रहती हैं. कभी दिमाग कुछ करने को करता है तो कभी कुछ और. ऐसे में दिमाग किसी एक विषय या काम पर रुकता ही नहीं है, इसे ही कहते हैं ‘मंकी माइंड’. लगातार सोच, विचार, चिंताओं के कारण बार-बार ध्यान भटकने से कई बार तनाव, बेचैनी, घबराहट होने लगती है.

 

ऐसे बचें मंकी माइंड के प्रभाव से

कुछ आसान तरीके अपनाकर आप मंकी माइंड की स्थिति से बच सकते हैं.

 

  1. गहरी सांस लें

 

जब आपको लगे कि आपका मन विषय से भटक रहा है और आप फोकस नहीं कर पा रहे हैं तो गहरी सांस लेना शुरू करें. यह मंकी माइंड को शांत करने का सबसे आसान और असरदार तरीका है. इससे आप रिलेक्स होते हैं और काम पर ध्यान लगाना भी आसान हो जाता है. उलझनों को कम करने के लिए कुछ देर शांति से बैठें, आंखे बंद रखें और अपनी पसंद का म्यूजिक लगाएं.

 

  1. खुद को रखें बिजी

 

कहते हैं ‘खाली दिमाग, शैतान का घर’. यह बात काफी हद तक मंकी माइंड पर भी लागू होती है. विशेषज्ञों के अनुसार मंकी माइंड की स्थिति उस समय ज्यादा होती है, जब आपके दिमाग में हजारों विचार होते हैं और आपके पास उन्हें सोचने के लिए बहुत ज्यादा समय भी होता है. इस स्थिति को दूर करने के लिए आप शारीरिक गतिविधियों में हिस्सा लें. इससे आपको ध्यान भटकाने का समय कम मिलेगा और जब समय मिलेगा उसे आप सही काम में उपयोग लेंगे.

 

  1. खुली हवा में जाएं

 

नेचर यानी प्रकृति आपको सुकून देती है. ऐसे में आप जब भी काम करने में उलझन महसूस करें तो कुछ देर के लिए खुली हवा में निकल जाएं. पेड़, पौधे, हरियाली आपको शांत करेंगे. पार्क में वॉक करना, समुद्र को निहारना, नदी किनारे बैठकर, आपको अच्छा महसूस होगा.

 

  1. डिजिटल दुनिया से निकलें बाहर

 

डिजिटल युग में अधिकांश लोग हर समय मोबाइल, लैपटॉप, कंप्यूटर, टैबलेट से चिपके रहते हैं. खाना खाने से लेकर व्यायाम करने तक, सोने से पहले, जागते ही, बाहर जाने पर, यहां तक कि सभी के साथ बैठे होने पर भी ज्यादातर लोगों का ध्यान गैजेट्स और डिवाइस में ही लगा रहा है. ऐसे में आपके दिमाग में बहुत सारी बातें एक साथ आती हैं. इससे आप अशांत होते हैं. इसलिए गैजेट और डिवाइस से अलग होकर दुनिया देखना शुरू करें. आप चाहें तो डिजिटल डिटॉक्स भी अपना सकते हैं.

 

  1. माइंडफुल ईटिंग

 

मंकी माइंड को कंट्रोल करने के लिए माइंडफुल ईटिंग भी बहुत काम की है. माइंडफुल ईटिंग का मतलब है कि आप धीरे-धीरे खाना खाएं, हर निवाले का पूरा स्वाद लें और इस बात पर ध्यान दें कि आपका पेट कब भर रहा है. इस प्रकार से भोजन करने से आप अंदर से स्वस्थ और अच्छा महसूस करेंगे. इससे आपकी सेहत में भी सुधार होगा. विचार भी नियंत्रित रहेंगे.

 

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