Mothers’s Day 2024: दर्द- क्या नदीम ने कनीजा बी को छोड़ दिया

कनीजा बी करीब 1 घंटे से परेशान थीं. उन का पोता नदीम बाहर कहीं खेलने चला गया था. उसे 15 मिनट की खेलने की मुहलत दी गई थी, लेकिन अब 1 घंटे से भी ऊपर वक्त गुजर गया?था. वह घर आने का नाम ही नहीं ले रहा था.

कनीजा बी को आशंका थी कि वह महल्ले के आवारा बच्चों के साथ खेलने के लिए जरूर कहीं दूर चला गया होगा.

वह नदीम को जीजान से चाहतीं. उन्हें उस का आवारा बच्चों के साथ घर से जाना कतई नहीं सुहाता था.

अत: वह चिंताग्रस्त हो कर भुनभुनाने लगी थीं, ‘‘कितना ही समझाओ, लेकिन ढीठ मानता ही नहीं. लाख बार कहा कि गली के आवारा बच्चों के साथ मत खेला कर, बिगड़ जाएगा, पर उस के कान पर जूं तक नहीं रेंगी. आने दो ढीठ को. इस बार वह मरम्मत करूंगी कि तौबा पुकार उठेगा. 7 साल का होने को आया है, पर जरा अक्ल नहीं आई. कोई दुर्घटना हो सकती है, कोई धोखा हो सकता है…’’

कनीजा बी का भुनभुनाना खत्म हुआ ही था कि नदीम दौड़ता हुआ घर में आ गया और कनीजा की खुशामद करता हुआ बोला, ‘‘दादीजान, कुलफी वाला आया है. कुलफी ले दीजिए न. हम ने बहुत दिनों से कुलफी नहीं खाई. आज हम कुलफी खाएंगे.’’

‘‘इधर आ, तुझे अच्छी तरह कुलफी खिलाती हूं,’’ कहते हुए कनीजा बी नदीम पर अपना गुस्सा उतारने लगीं. उन्होंने उस के गाल पर जोर से 3-4 तमाचे जड़ दिए.

नदीम सुबकसुबक कर रोने लगा. वह रोतेरोते कहता जाता, ‘‘पड़ोस वाली चचीजान सच कहती हैं. आप मेरी सगी दादीजान नहीं हैं, तभी तो मुझे इस बेदर्दी से मारती हैं.

‘‘आप मेरी सगी दादीजान होतीं तो मुझ पर ऐसे हाथ न उठातीं. तब्बो की दादीजान उसे कितना प्यार करती हैं. वह उस की सगी दादीजान हैं न. वह उसे उंगली भी नहीं छुआतीं.

‘‘अब मैं इस घर में नहीं रहूंगा. मैं भी अपने अम्मीअब्बू के पास चला जाऊंगा. दूर…बहुत दूर…फिर मारना किसे मारेंगी. ऊं…ऊं…ऊं…’’ वह और जोरजोर से सुबकसुबक कर रोने लगा.

नदीम की हृदयस्पर्शी बातों से कनीजा बी को लगा, जैसे किसी ने उन के दिल पर नश्तर चला दिया हो. अनायास ही उन की आंखें छलक आईं. वह कुछ क्षणों के लिए कहीं खो गईं. उन की आंखों के सामने उन का अतीत एक चलचित्र की तरह आने लगा.

जब वह 3 साल की मासूम बच्ची थीं, तभी उन के सिर से बाप का साया उठ गया था. सभी रिश्तेदारों ने किनारा कर लिया था. किसी ने भी उन्हें अंग नहीं लगाया था.

मां अनपढ़ थीं और कमाई का कोई साधन नहीं था, लेकिन मां ने कमर कस ली थी. वह मेहनतमजदूरी कर के अपना और अपनी बेटी का पेट पालने लगी थीं. अत: कनीजा बी के बचपन से ले कर जवानी तक के दिन तंगदस्ती में ही गुजरे थे.

तंगदस्ती के बावजूद मां ने कनीजा बी की पढ़ाईलिखाई की ओर खासा ध्यान दिया था. कनीजा बी ने भी अपनी बेवा, बेसहारा मां के सपनों को साकार करने के लिए पूरी लगन व मेहनत से प्रथम श्रेणी में 10वीं पास की थी और यों अपनी तेज बुद्धि का परिचय दिया था.

मैट्रिक पास करते ही कनीजा बी को एक सरकारी दफ्तर में क्लर्क की नौकरी मिल गई थी. अत: जल्दी ही उन के घर की तंगदस्ती खुशहाली में बदलने लगी थी.

कनीजा बी एक सांवलीसलोनी एवं सुशील लड़की थीं. उन की नौकरी लगने के बाद जब उन के घर में खुशहाली आने लगी थी तो लोगों का ध्यान उन की ओर जाने लगा था. देखते ही देखते शादी के पैगाम आने लगे थे.

मुसीबत यह थी कि इतने पैगाम आने के बावजूद, रिश्ता कहीं तय नहीं हो रहा था. ज्यादातर लड़कों के अभिभावकों को कनीजा बी की नौकरी पर आपत्ति थी.

वे यह भूल जाते थे कि कनीजा बी के घर की खुशहाली का राज उन की नौकरी में ही तो छिपा है. उन की एक खास शर्त यह होती कि शादी के बाद नौकरी छोड़नी पड़ेगी, लेकिन कनीजा बी किसी भी कीमत पर लगीलगाई अपनी सरकारी नौकरी छोड़ना नहीं चाहती थीं.

कनीजा बी पिता की असमय मृत्यु से बहुत बड़ा सबक सीख चुकी थीं. अर्थोपार्जन की समस्या ने उन की मां को कम परेशान नहीं किया था. रूखेसूखे में ही बचपन से जवानी तक के दिन बीते थे. अत: वह नौकरी छोड़ कर किसी किस्म का जोखिम मोल नहीं लेना चाहती थीं.

कनीजा बी का खयाल था कि अगर शादी के बाद उन के पति को कुछ हो गया तो उन की नौकरी एक बहुत बड़े सहारे के रूप में काम आ सकती थी.

वैसे भी पतिपत्नी दोनों के द्वारा अर्थोपार्जन से घर की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हो सकती थी, जिंदगी मजे में गुजर सकती थी.

देखते ही देखते 4-5 साल का अरसा गुजर गया था और कनीजा बी की शादी की बात कहीं पक्की नहीं हो सकी थी. उन की उम्र भी दिनोदिन बढ़ती जा रही थी. अत: शादी की बात को ले कर मांबेटी परेशान रहने लगी थीं.

एक दिन पड़ोस के ही प्यारे मियां आए थे. वह उसी शहर के दूसरे महल्ले के रशीद का रिश्ता कनीजा बी के लिए लाए थे. उन के साथ एक महिला?भी थीं, जो स्वयं को रशीद की?भाभी बताती थीं.

रशीद एक छोटे से निजी प्रतिष्ठान में लेखाकार था और खातेपीते घर का था. कनीजा बी की नौकरी पर उसे कोई आपत्ति नहीं थी.

महल्लेपड़ोस वालों ने कनीजा बी की मां पर दबाव डाला था कि उस रिश्ते को हाथ से न जाने दें क्योंकि रिश्ता अच्छा है. वैसे भी लड़कियों के लिए अच्छे रिश्ते मुश्किल से आते हैं. फिर यह रिश्ता तो प्यारे मियां ले कर आए थे.

कनीजा बी की मां ने महल्लेपड़ोस के बुजुर्गों की सलाह मान कर कनीजा बी के लिए रशीद से रिश्ते की हामी?भर दी थी.?

कनीजा बी अपनी शादी की खबर सुन कर मारे खुशी के झूम उठी थीं. वह दिनरात अपने सुखी गृहस्थ जीवन की कल्पना करती रहती थीं.

और एक दिन वह घड़ी भी आ गई, जब कनीजा बी की शादी रशीद के साथ हो गई और वह मायके से विदा हो गईं. लेकिन ससुराल पहुंचते ही इस बात ने उन के होश उड़ा दिए कि जो महिला स्वयं को रशीद की भाभी बता रही थी, वह वास्तव में रशीद की पहली बीवी थी.

असलियत सामने आते ही कनीजा बी का सिर चकराने लगा. उन्हें लगा कि उन के साथ बहुत बड़ा धोखा हुआ है और उन्हें फंसाया गया है. प्यारे मियां ने उन के साथ बहुत बड़ा विश्वासघात किया था. वह मन ही मन तड़प कर रह गईं.

लेकिन जल्दी ही रशीद ने कनीजा बी के समक्ष वस्तुस्थिति स्पष्ट कर दी, ‘‘बेगम, दरअसल बात यह थी कि शादी के 7 साल बाद?भी जब हलीमा बी मुझे कोई औलाद नहीं दे सकी तो मैं औलाद के लिए तरसने लगा.

‘हम दोनों पतिपत्नी ने किसकिस डाक्टर से इलाज नहीं कराया, क्याक्या कोशिशें नहीं कीं, लेकिन नतीजा शून्य रहा. आखिर, हलीमा बी मुझ पर जोर देने लगी कि मैं दूसरी शादी कर लूं. औलाद और मेरी खुशी की खातिर उस ने घर में सौत लाना मंजूर कर लिया. बड़ी ही अनिच्छा से मुझे संतान सुख की खातिर दूसरी शादी का निर्णय लेना पड़ा.

‘मैं अपनी तनख्वाह में 2 बीवियों का बोझ उठाने के काबिल नहीं था. अत: दूसरी बीवी का चुनाव करते वक्त मैं इस बात पर जोर दे रहा था कि अगर वह नौकरी वाली हो तो बात बन सकती है. जब हमें, प्यारे मियां के जरिए तुम्हारा पता चला तो बात बनाने के लिए इस सचाई को छिपाना पड़ा कि मैं शादीशुदा हूं.

‘मैं झूठ नहीं बोलता. मैं संतान सुख की प्राप्ति की उत्कट इच्छा में इतना अंधा हो चुका था कि मुझे तुम लोगों से अपने विवाहित होने की सचाई छिपाने में कोई संकोच नहीं हुआ.

‘मैं अब महसूस कर रहा हूं कि यह अच्छा नहीं हुआ. सचाई तुम्हें पहले ही बता देनी चाहिए थी. लेकिन अब जो हो गया, सो हो गया.

‘वैसे देखा जाए तो एक तरह से मैं तुम्हारा गुनाहगार हुआ. बेगम, मेरे इस गुनाह को बख्श दो. मेरी तुम से गुजारिश है.’

कनीजा बी ने बहुत सोचविचार के बाद परिस्थिति से समझौता करना ही उचित समझा था, और वह अपनी गृहस्थी के प्रति समर्पित होती चली गई थीं.

कनीजा बी की शादी के बाद डेढ़ साल का अरसा गुजर गया था, लेकिन उन के भी मां बनने के कोई आसार नजर नहीं आ रहे थे. उस के विपरीत हलीमा बी में ही मां बनने के लक्षण दिखाई दे रहे थे. डाक्टरी परीक्षण से भी यह बात निश्चित हो गई थी कि हलीमा बी सचमुच मां बनने वाली हैं.

हलीमा बी के दिन पूरे होते ही प्रसव पीड़ा शुरू हो गई, लेकिन बच्चा था कि बाहर आने का नाम ही नहीं ले रहा था. आखिर, आपरेशन द्वारा हलीमा बी के बेटे का जन्म हुआ. लेकिन हलीमा बी की हालत नाजुक हो गई. डाक्टरों की लाख कोशिशों के बावजूद वह बच नहीं सकी.

हलीमा बी की अकाल मौत से उस के बेटे गनी के लालनपालन की संपूर्ण जिम्मेदारी कनीजा बी पर आन पड़ी. अपनी कोख से बच्चा जने बगैर ही मातृत्व का बोझ ढोने के लिए कनीजा बी को विवश हो जाना पड़ा. उन्होंने उस जिम्मेदारी से दूर भागना उचित नहीं समझा. आखिर, गनी उन के पति की ही औलाद था.

रशीद इस बात का हमेशा खयाल रखा करता था कि उस के व्यवहार से कनीजा बी को किसी किस्म का दुख या तकलीफ न पहुंचे, वह हमेशा खुश रहें, गनी को मां का प्यार देती रहें और उसे किसी किस्म की कमी महसूस न होने दें.

कनीजा बी भी गनी को एक सगे बेटे की तरह चाहने लगीं. वह गनी पर अपना पूरा प्यार उड़ेल देतीं और गनी भी ‘अम्मीअम्मी’ कहता हुआ उन के आंचल से लिपट जाता.

अब गनी 5 साल का हो गया था और स्कूल जाने लगा था. मांबाप बेटे के उज्ज्वल भविष्य को ले कर सपना बुनने लगे थे.

इसी बीच एक हादसे ने कनीजा बी को अंदर तक तोड़ कर रख दिया.

वह मकर संक्रांति का दिन था. रशीद अपने चंद हिंदू दोस्तों के विशेष आग्रह पर उन के साथ नदी पर स्नान करने चला गया. लेकिन रशीद तैरतेतैरते एक भंवर की चपेट में आ कर अपनी जान गंवा बैठा.

रशीद की असमय मौत से कनीजा बी पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा, लेकिन उन्होंने साहस का दामन नहीं छोड़ा.

उन्होंने अपने मन में एक गांठ बांध ली, ‘अब मुझे अकेले ही जिंदगी का यह रेगिस्तानी सफर तय करना है. अब और किसी पुरुष के संग की कामना न करते हुए मुझे अकेले ही वक्त के थपेड़ों से जूझना है.

‘पहला ही शौहर जिंदगी की नाव पार नहीं लगा सका तो दूसरा क्या पार लगा देगा. नहीं, मैं दूसरे खाविंद के बारे में सोच भी नहीं सकती.

‘फिर रशीद की एक निशानी गनी के रूप में है. इस का क्या होगा? इसे कौन गले लगाएगा? यह यतीम बच्चे की तरह दरदर भटकता फिरेगा. इस का भविष्य अंधकारमय हो जाएगा. मेरे अलावा इस का?भार उठाने वाला भी तो कोई नहीं.

‘इस के नानानानी, मामामामी कोई भी तो दिल खोल कर नहीं कहता कि गनी का बोझ हम उठाएंगे. सब सुख के साथी?हैं.

‘मैं गनी को लावारिस नहीं बनने दूंगी. मैं भी तो इस की कुछ लगती हूं. मैं सौतेली ही सही, मगर इस की मां हूं. जब यह मुझे प्यार से अम्मी कह कर पुकारता है तब मेरे दिल में ममता कैसे उमड़ आती है.

‘नहींनहीं, गनी को मेरी सख्त जरूरत है. मैं गनी को अपने से जुदा नहीं कर सकती. मेरी तो कोई संतान है ही नहीं. मैं इसे ही देख कर जी लूंगी.

‘मैं गनी को पढ़ालिखा कर एक नेक इनसान बनाऊंगी. इस की जिंदगी को संवारूंगी. यही अब जिंदगी का मकसद है.’

और कनीजा बी ने गनी की खातिर अपना सुखचैन लुटा दिया, अपना सर्वस्व त्याग दिया. फिर उसे एक काबिल और नेक इनसान बना कर ही दम लिया.

गनी पढ़लिख कर इंजीनियर बन गया.

उस दिन कनीजा बी कितनी खुश थीं जब गनी ने अपनी पहली तनख्वाह ला कर उन के हाथ पर रख दी. उन्हें लगा कि उन का सपना साकार हो गया, उन की कुरबानी रंग लाई. अब उन्हें मौत भी आ जाए तो कोई गम नहीं.

फिर गनी की शादी हो गई. वह नदीम जैसे एक प्यारे से बेटे का पिता भी बन गया और कनीजा बी दादी बन गईं.

कनीजा बी नदीम के साथ स्वयं भी खेलने लगतीं. वह बच्चे के साथ बच्चा बन जातीं. उन्हें नदीम के साथ खेलने में बड़ा आनंद आता. नदीम भी मां से ज्यादा दादी को चाहने लगा था.

उस दिन ईद थी. कनीजा बी का घर खुशियों से गूंज रहा था. ईद मिलने आने वालों का तांता लगा हुआ था.

गनी ने अपने दोस्तों तथा दफ्तर के सहकर्मियों के लिए ईद की खुशी में खाने की दावत का विशेष आयोजन किया था.

उस दिन कनीजा बी बहुत खुश थीं. घर में चहलपहल देख कर उन्हें ऐसा लग रहा था मानो दुनिया की सारी खुशियां उन्हीं के घर में सिमट आई हों.

गनी की ससुराल पास ही के शहर में थी. ईद के दूसरे दिन वह ससुराल वालों के विशेष आग्रह पर अपनी बीवी और बेटे के साथ स्कूटर पर बैठ कर ईद की खुशियां मनाने ससुराल की ओर चल पड़ा था.

गनी तेजी से रास्ता तय करता हुआ बढ़ा जा रहा था कि एक ट्रक वाले ने गाय को बचाने की कोशिश में स्टीयरिंग पर अपना संतुलन खो दिया. परिणामस्वरूप उस ने गनी के?स्कूटर को चपेट में ले लिया. पतिपत्नी दोनों गंभीर रूप से घायल हो गए और डाक्टरों के अथक प्रयास के बावजूद बचाए न जा सके.

लेकिन उस जबरदस्त दुर्घटना में नन्हे नदीम का बाल भी बांका नहीं हुआ था. वह टक्कर लगते ही मां की गोद से उछल कर सीधा सड़क के किनारे की घनी घास पर जा गिरा था और इस तरह साफ बच गया था.

वक्त के थपेड़ों ने कनीजा बी को अंदर ही अंदर तोड़ दिया था. मुश्किल यह थी कि वह अपनी व्यथा किसी से कह नहीं पातीं. उन्हें मालूम था कि लोगों की झूठी हमदर्दी से दिल का बोझ हलका होने वाला नहीं.

उन्हें लगता कि उन की शादी महज एक छलावा थी. गृहस्थ जीवन का कोई भी तो सुख नहीं मिला था उन्हें. शायद वह दुख झेलने के लिए ही इस दुनिया में आई थीं.

रशीद तो उन का पति था, लेकिन हलीमा बी तो उन की अपनी नहीं थी. वह तो एक धोखेबाज सौतन थी, जिस ने छलकपट से उन्हें रशीद के गले मढ़ दिया था.

गनी कौन उन का अपना खून था. फिर भी उन्होंने उसे अपने सगे बेटे की तरह पालापोसा, बड़ा किया, पढ़ाया- लिखाया, किसी काबिल बनाया.

कनीजा बी गनी के बेटे का भी भार उठा ही रही थीं. नदीम का दर्द उन का दर्द था. नदीम की खुशी उन की खुशी थी. वह नदीम की खातिर क्या कुछ नहीं कर रही थीं. कनीजा बी नदीम को डांटतीमारती थीं तो उस के भले के लिए, ताकि वह अपने बाप की तरह एक काबिल इनसान बन जाए.

‘लेकिन ये दुनिया वाले जले पर नमक छिड़कते हैं और मासूम नदीम के दिलोदिमाग में यह बात ठूंसठूंस कर भरते हैं कि मैं उस की सगी दादी नहीं हूं. मैं ने तो नदीम को कभी गैर नहीं समझा. नहीं, नहीं, मैं दुनिया वालों की खातिर नदीम का भविष्य कभी दांव पर नहीं लगाऊंगी.’ कनीजा बी ने यादों के आंसू पोंछते हुए सोचा, ‘दुनिया वाले मुझे सौतेली दादी समझते हैं तो समझें. आखिर, मैं उस की सौतेली दादी ही तो हूं, लेकिन मैं नदीम को काबिल इनसान बना कर ही दम लूंगी. जब नदीम समझदार हो जाएगा तो वह जरूर मेरी नेकदिली को समझने लगेगा.

‘गनी को भी लोगों ने मेरे खिलाफ कम नहीं भड़काया था, लेकिन गनी को मेरे व्यवहार से जरा भी शंका नहीं हुई थी कि मैं उस की बुराई पर अमादा हूं.

अब नदीम का रोना भी बंद हो चुका था. उस का गुस्सा भी ठंडा पड़ गया था. उस ने चोर नजरों से दादी की ओर देखा. दादी की लाललाल आंखों और आंखों में भरे हुए आंसू देख कर उस से चुप न रहा गया. वह बोल उठा, ‘‘दादीजान, पड़ोस वाली चचीजान अच्छी नहीं हैं. वह झूठ बोलती हैं. आप मेरी सौतेली नहीं, सगी दादीजान हैं. नहीं तो आप मेरे लिए यों आंसू न बहातीं.

‘‘दादीजान, मैं जानता हूं कि आप को जोरों की भूख लगी है, अच्छा, पहले आप खाना तो खा लीजिए. मैं भी आप का साथ देता हूं.’’

नदीम की भोली बातों से कनीजा बी मुसकरा दीं और बोलीं, ‘‘बड़ा शरीफ बन रहा है रे तू. ऐसे क्यों नहीं कहता. भूख मुझे नहीं, तुझे लगी है.’’

‘‘अच्छा बाबा, भूख मुझे ही लगी है. अब जरा जल्दी करो न.’’

‘‘ठीक है, लेकिन पहले तुझे यह वादा करना होगा कि फिर कभी तू अपने मुंह से अपने अम्मीअब्बू के पास जाने की बात नहीं करेगा.’’

‘‘लो, कान पकड़े. मैं वादा करता हूं कि अम्मीअब्बू के पास जाने की बात कभी नहीं करूंगा. अब तो खुश हो न?’’

कनीजा बी के दिल में बह रही प्यार की सरिता में बाढ़ सी आ गई. उन्होंने नदीम को खींच कर झट अपने सीने से लगा लिया.

अब वह महसूस कर रही थीं, ‘दुनिया वाले मेरा दर्द समझें न समझें, लेकिन नदीम मेरा दर्द समझने लगा है.’

बदला: मनीष के प्यार को क्या समझ पाई अंजलि

मनीष सुबह टहलने के लिए निकला था. उस के गांव के पिछवाड़े से रास्ता दूसरे गांव की ओर जाता था. उस रास्ते से अगले गांव की काफी दूरी थी. वह रास्ता गांव के विपरीत दिशा में था, इसलिए उधर सुनसान रहता था. मनीष को भीड़भाड़ से दूर वहां टहलना अच्छा लगता था. वह इस रास्ते पर दौड़ लगाता और कसरत करता था.

मनीष जैसे ही अपने घर से निकल कर गांव के आखिरी मोड़ पर पहुंचा, तो उस ने देखा कि सामने एक लड़की एक लड़के से गले लगी हुई. मनीष रुक गया था. दोनों को देख कर उस के जिस्म में सनसनाहट पैदा होने लगी थी. वह जैसे ही नजदीक पहुंचने वाला था, वह लड़की जल्दी से निकल कर पीछे की गली में गुम हो गई.

‘‘अरे, यह तो अंजलि थी,’’ वह मन ही मन बुदबुदाया. वही अंजलि, जिसे देख कर उस के मन में कभी तमन्ना मचलने लगती थी. उस के उभारों को देख कर मनीष का मन मचलने लगता था. आज उसे इस तरह देख कर वह अपनेआप को ठगा सा महसूस करने लगा था.

आज मनीष पूरे रास्ते इसी घटना के बारे में सोचता रहा. आज उस का टहलने में मन नहीं लग रहा था. वह कुछ दूर चल कर लौटने लगा था. वह जैसे ही घर पहुंचा कि गांव में शोर हुआ कि किसी की हत्या हुई है. लोग उधर ही जा रहे थे.

मनीष भी उसी रास्ते चल दिया था. वह हैरान हुआ, क्योंकि भीड़ तो वहीं जमा थी, जहां से अंजलि निकल कर भागी थी. एक पल को तो उसे लगा कि भीड़ को सब बता दे, पर वह चुप रहा.

सामने अंजलि अपने दरवाजे पर खड़ी मिल गई. शायद वह भी बाहर हो रही घटनाओं के संबंध में नजरें जमाई थी.

मनीष ने उसे धमकाते हुए कहा, ‘‘मैं ने सबकुछ देख लिया है. मैं चाहूं तो तुम सलाखों के पीछे चली जाओगी.’’

अंजलि ने हाथ जोड़ कर गिड़गिड़ाते हुए कहा, ‘‘अपना मुंह बंद रखना. मैं तुम्हारी अहसानमंद रहूंगी.’’

‘‘ठीक है. आज शाम 7 बजे झाड़ी के पीछे वाली जगह पर मिलना. मैं तुम्हारा इंतजार करूंगा.’’

‘‘अच्छा, लेकिन अभी जाओ और घटना पर नजर रखना.’’

मनीष वहां से चल दिया. घटनास्थल पर भीड़ इकट्ठा हो गई थी. कुछ देर बाद पुलिस भी आ गई थी. पुलिस ने हत्या के बारे में थोड़ीबहुत जानकारी ले कर लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया था. मनीष अपने घर लौट आया था.

मनीष अंदर से बहुत खुश था कि आज उस की मनोकामना पूरी होगी. फिर हत्या कैसे और क्यों की गई है,  इस का राज भी वह जान पाएगा. उस के मन में बेचैनी बढ़ती जा रही थी. आज काम में बिलकुल भी मन नहीं लग रहा था, इसलिए समय बिताने के लिए वह अपने कमरे में चला गया था.

मनीष तय समय पर घर से निकल गया था. जाड़े का मौसम होने के चलते अंधेरा पहले ही हो गया था.

मनीष तय जगह पर पहुंच चुका था, तभी उस की ओर एक परछाईं आती हुई नजर आई. मनीष थोड़ा सा डर गया था. परछाईं जैसेजैसे उस की ओर बढ़ रही थी, उस के मन से डर भी खत्म हो रहा था, क्योंकि वह कोई और नहीं बल्कि अंजलि थी.

अंजलि के आते ही मनीष ने उस के दोनों हाथों को अपने हाथों में थाम लिया था. कुछ पल के बाद उसे अपने आगोश में भरते हुए उस ने पूछा, ‘‘अंजलि, तुम ने जितेंद्र की हत्या क्यों की?’’

‘‘उस की हत्या मैं ने नहीं की है, उस ने मेरे साथ सिर्फ शारीरिक संबंध बनाए थे, जो तुम देख चुके हो.’’

‘‘हां, लेकिन हत्या किस ने की?’’

‘‘शायद मेरे जाने के बाद किसी ने हत्या कर दी हो. यही तो मुझे भी समझ में नहीं आ रहा है… और इसीलिए मैं डर रही थी और तुम्हारी बात मानने के लिए राजी हो गई,’’ अंजलि अपनी सफाई देते हुए बोली थी.

‘‘क्या उस की किसी से दुश्मनी रही होगी?’’ मनीष ने सवाल किया.

‘‘मुझे नहीं पता… अब तुम पता करो.’’

‘‘ठीक है, मैं पता करता हूं.’’

‘‘मुझे तो डर लग रहा है, कहीं मैं इस हत्या में फंस न जाऊं.’’

‘‘मेरी रानी, डरने की कोई बात नहीं है, मैं तुम्हारे साथ हूं. मैं तुम्हारी मदद करूंगा. बस, तुम मेरी जरूरतें पूरी करती रहो,’’ मनीष के हाथ उस की पीठ से फिसल कर उस के कोमल अंगों को छूने लगे थे.

थोड़ी सी नानुकुर के बाद जब मनीष का जोश ठंडा हुआ, तो उस ने अंजलि को अपनी पकड़ से आजाद कर दिया.

मनीष अगले सप्ताह रविवार को मिलने के लिए अंजलि से वादा किया था. अंजलि राजी हो गई थी. इधर अंजलि के मन का बोझ थोड़ा शांत हुआ कि वह मनीष को समझाने में कामयाब रही. मनीष को मुझ पर शक नहीं हुआ है. वह हत्यारे के बारे में पता करने में मदद करेगा.

अब अंजलि और मनीष के मिलने का सिलसिला जारी हो चुका था. मनीष एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ाता था. अभी उस की शादी नहीं हुई थी. अंजलि महसूस कर रही थी कि मनीष दिल का बुरा नहीं है. उस की सिर्फ एक ही कमजोरी है. वह हुस्न का दीवाना है. कई बार अंजलि महसूस कर चुकी है कि आतेजाते मनीष उसे देखने की कोशिश करता था, लेकिन वह जानबूझकर शरीफ होने का नाटक करता था. इसीलिए औरों की तरह वह मेरा पीछा नहीं कर पाया था.

जितेंद्र की हत्या की जांच कई बार की गई, लेकिन यह पता नहीं चल पाया कि उस की हत्या किस ने की. पुलिस द्वारा जहरीली शराब पीने से मौत की पुष्टि कर तकरीबन उस की फाइल बंद कर दी गई थी. अब अंजलि भी समझ चुकी थी कि पुलिस की ओर से कोई डर नहीं है.

जितेंद्र की हत्या के बारे में गांव के लोगों की ज्यादा दिलचस्पी नहीं थी. इस के पीछे वजह यह थी कि वह लोगों की नजरों में अच्छा इनसान नहीं था. वह शराब तो पीता ही था, औरतों व लड़कियों को भी छेड़ता रहता था. बहुत से लोग उस के मरने पर खुश भी थे.

अंजलि तकरीबन एक साल से मनीष से मिल रही थी. कई बार मनीष उसे उपहार भी देता था. अब तो अंजलि का भी मनीष के बगैर मन नहीं लगता था.

एक दिन मनीष अंजलि को अपने गोद में ले कर उस के बालों से खेल रहा था. उस ने अपनी इच्छा जाहिर की, ‘‘क्यों न हम दोनों शादी कर लें? कब तक यों ही हम छिपछिप कर मिलते रहेंगे?’’

इस पर अंजलि बोली, ‘‘मुझे कोई एतराज नहीं है, पर मुझे अपनी मां से पूछना होगा.’’

‘‘तुम अपनी मां को जल्दी से राजी करो.’’

‘‘मां तो राजी हो जाएंगी, लेकिन यह बात मैं राज नहीं रखना चाहती हूं.’’

‘‘कौन सी बात?’’

‘‘यही कि जितेंद्र की हत्या किस ने की थी.’’

‘‘किस ने की थी?’’

‘‘मैं ने…’’

‘‘कैसे और क्यों?’’

‘‘3 साल पहले की बात है. मेरी एक बहन रिया भी थी. घर में मां और मेरी बहन समेत हम सभी काफी खुश थे. पिताजी के नहीं होने के चलते मेरी छोटी बहन रिया मौल में काम कर के अच्छा पैसा कमा लेती थी. उसी के पैसों से हमारा घर चल रहा था.

‘‘जब भी मेरी बहन घर से निकलती थी, जितेंद्र अपनी मोटरसाइकिल से उस का पीछा करता था. मना करने के बाद भी वह नहीं मानता था.

‘‘मेरी बहन रिया उस से प्यार करने लगी थी. जितेंद्र ने मेरी बहन से कई बार शारीरिक संबंध बनाए. बहन को विश्वास था कि जितेंद्र उस से शादी जरूर करेगा.

‘‘लेकिन, जितेंद्र धोखेबाज निकला. मेरी बहन रिया को जितेंद्र के बारे में पता चला कि वह कई लड़कियों की जिंदगी बरबाद कर चुका है. मेरी बहन पेट से हो गई थी. 5 महीने तक मेरी बहन शादी के लिए इंतजार करती रही. जितेंद्र केवल झांसा देता रहा.

‘‘आखिरकार जितेंद्र ने शादी करने से इनकार कर दिया था. उस का मेरी बहन से झगड़ा भी हुआ था.

‘‘मेरी बहन परेशान रहने लगी थी. उस ने मुझे सबकुछ बता दिया था. मैं बहन को ले कर अस्पताल गई थी. वहां मैं ने उस का बच्चा गिरवाया, पर वह कोमा में चली गई थी. उस का बच्चा तो मरा ही, मेरी बहन भी दुनिया छोड़ कर चली गई. उसी दिन मैं ने कसम खाई थी कि जितेंद्र का अंत मैं ही करूंगी.

‘‘इस बार मैं ने गोरा को फंसाया था. मैं भी उस से प्यार का खेल खेलती रही. उस ने कई बार मुझे हवस का शिकार बनाना चाहा, लेकिन मैं उस से अपनेआप को बचाती रही.

‘‘उस दिन जितेंद्र ने मुझे अपने गुसलखाने में बुलाया था. मैं सोच कर गई थी कि आज रात काम तमाम कर के आना है. मैं ने उस की शराब में जहर मिला दिया.

‘‘मैं उस की मौत को नजदीक से महसूस करना चाहती थी, इसलिए उस की हत्या करने के बाद मैं भी उस के साथ रातभर रही. वह तड़पतड़प कर मेरे सामने ही मरा था.

‘‘सुबह मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं. जानबूझ कर उस के शरीर से मैं लिपटी हुई थी, ताकि कोई देखे तो गोरा को जिंदा समझे. पकड़े जाने पर पुलिस को गुमराह किया जा सके. हत्या के बारे में शक किसी और पर हो. यही हुआ भी. तुम ने मुझे बेकुसूर समझा.

‘‘मैं शादी करने से पहले सबकुछ तुम्हें बता देना चाहती हूं, ताकि भविष्य में पता चलने पर तुम मुझे गलत न समझ सको. मैं ने अपनी बहन रिया की मौत का बदला ले लिया, इसलिए मुझे इस बात का कोई अफसोस नहीं है.’’

मनीष यह सुन कर हक्काबक्का था. उस के मन में थोड़ा डर भी हुआ, लेकिन जल्द ही अपनेआप को संभालते हुए बोला, ‘‘तुम ने ठीक ही किया. तुम ने उस को उचित सजा दी है. तुम्हारे ऊपर किसी तरह का इलजाम लगता भी तो मैं अपने ऊपर ले लेता, क्योंकि मैं अब तुम से प्यार करने लगा हूं.’’

अंजलि ने मनीष को अपनी बांहों में ले कर चूम लिया था. वह अपनेआप पर गर्व कर रही थी कि उस ने गलत इनसान को नहीं चुना है. फिर वह सुखद भविष्य के सपने देखने लगी थी. उन दोनों ने जल्दी ही शादी कर ली. अंजलि अब मनीष को अपना राजदार समझती थी.

 

Happy Birthday Anushka Sharma जानें उनकी पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ से जुड़ी कुछ खास बातें

बौलीवुड एक्ट्रेस अनुष्का शर्मा आज 36 साल की हो गई हैं. वो अपनी पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ के बीच परफेक्ट बैलेंस करती हैं. अनुष्का ने 2008 में यशराज बैनर की फिल्म ‘रब ने बना दी जोड़ी’ से एक्टिंग करियर की शुरुआत की थी. पहली फिल्म में ही अनुष्का ने बौलीवुड के बादशाह शाहरुख खान के साथ काम किया.

सिर्फ एक्टिंग ही नहीं बल्कि अनुष्का ने साल 2015 में आई फिल्म ‘एनएच-10’ और साल 2017 में आई ‘फिल्लौरी’ फिल्मों को प्रोड्यूस भी किया. हालांकि दोनों फिल्में फ्लौप हो गईं.

 

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अनुष्का ने अपने फिल्मी करियर में बौलीवुड के तीन खान आमिर खान, सलमान खान और शाहरुख खान के साथ काम कर चुकी हैं. उन्होंने आमिर के साथ प्रोड्यूसर विदु विनोद चोपड़ा की फिल्म ‘पीके’, सलमान खान के साथ यशराज बैनर की फिल्म ‘सुलतान’ और शाहरुख के साथ यशराज बैनर की फिल्म ‘रब ने बना दी जोड़ी’ में काम किया. अनुष्का और उनके भाई कर्नेश शर्मा दोनों मिलकर एक प्रोडक्शन हाउस भी चलाते हैं जिसका नाम क्लीन स्टेट फिल्म्स है.

पर्सनल लाइफ की बात करें तो अनुष्का ने लंबे समय तक डेट करने के बाद साल 2017 में क्रिकेटर विराट कोहली से शादी कर ली थी. दोनों की शादी के 5 साल बाद 2021 में अनुष्का की बेटी वामिका का जन्म हुआ. इसके बाद हाल ही में फरवरी में उनके घर बेटे अकाय का जन्म हुआ है.

 

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वर्क फ्रंट की बात करें तो अभी अनुष्का फोन ब्रांड वन प्लस को प्रमोट कर रही हैं और क्रिकेटर झूलन गोस्वामी के जीवन पर बनी बायोपिक ‘चकदा एक्सप्रेस’ में काम कर रही है. ये फिल्म ओटीटी प्लैटफॉर्म पर जल्द ही आएगी. हालांकि रिलीज डेट अभी फाइनल नहीं हुई है.

इस फिल्म में अनुष्का के अलावा एक्ट्रेस रेणुका साहाने,एक्टर दिब्येंदू भट्टाचार्या, एक्टर महेश ठाकुर भी हैं. फिल्म प्रोसित रॉय ने डायरेक्ट की है और अभिषेक बनर्जी ने लिखी है.

अगर आंखें छोटी हैं तो कैसे करें मेकअप

सवाल-

मेरी उम्र 21 साल है. मेरी आंखें काफी छोटी हैं. मु झे कोई ऐसी मेकअप टैक्नीक बताएं जिस से मेरी आंखें बड़ी और अट्रैक्टिव नजर आएं?

जवाब-

अपनी आंखों को अट्रैक्टिव व बड़ी दिखाने के लिए आप ब्लैक के बजाय व्हाइट कलर की आई पैंसिल अप्लाई करनी करें और ध्यान रहे कि आईलाइनर बहुत थिन यानी पतला लगाएं. बाद में मसकारा लगा लें. आर्टिफिशियल आईलैशेज भी लगा सकती हैं, लेकिन ध्यान रहे कि मीडियम थिन आईलैशेज लगाएं. ऐसा आई मेकअप करने से आप की आंखें बड़ी और खूबसूरत नजर आएंगी. आंखें काफी छोटी हों तो आई मेकअप के लिए आईशैडो भी लाइट कलर का ही अप्लाई करें. सब से अच्छा रहेगा कि आप आईलैशेज ऐक्सटैंशन करवा लें. आप को रोज आईलैशेज नहीं लगाना पड़ेगा. यह आराम से 1-2 महीने चल जाएगी. बीचबीच में फिलिंग करवा सकती हैं.

त्योहारों का सीजन हो और सजना सवारना न हो, ऐसा हो ही नहीं सकता. क्योंकि त्योहार जहां मन में उमंग लाते हैं , वहीं त्योहार सजने सवरने का भी मौका देते हैं. खासकर महिलाओं को, क्योंकि मेकअप महिलाओं की खूबसूरती को बढ़ाने का काम जो करता है. ऐसे में त्योहारों पर मेकअप की बात हो और आई मेकअप न किया जाए तो सारे मेकअप पर पानी फिर जाता है. इसलिए इन त्योहारों मेकअप से अपनी आंखों को खूबसूरत बनाकर करें त्योहारों को एंजोय.

कैसे करें अलगअलग तरह के आई मेकअप 

–  सिंपल आई मेकअप 

अगर आपको सिंपल लुक ज्यादा पसंद है और आप अपनी आंखों को ज्यादा तड़कभड़क लुक नहीं देना चाहतीं तो सिर्फ अपनी आंखों को दो चीजों से निखारें. काजल और दूसरा आई लाइनर.  बस आपको अपनी आंखों के नीचे काजल लगाकर अपनी पसंद के अनुसार आंखों के ऊपर पतला या मोटा लाइनर अप्लाई करना होगा. यकीन मानिए मिनटों में आपका लुक चेंज हो जाएगा.

आप चाहें तो इसके लिए मल्टी पर्पस पेंसिल काजल या लाइनर का इस्तेमाल कर सकती हैं या फिर जैल फोर्म में भी यूज़ कर सकती हैं . जिसे आप काजल के रूप में भी इस्तेमाल कर सकती हैं , लाइनर के रूप में भी और बिंदी के लिए भी.  आपको मार्केट में अलगअलग वैरायटी के साथ साथ डिफरेंट कलर्स के लाइनर व काजल मिल जाएंगे, जिन्हें आप अपनी पसंद के अनुसार खरीद कर बढ़ाएं अपनी खूबसूरती को.

2. कैट आई लुक 

कैट आई लुक काफी डिमांड में है, जो न सिर्फ आंखों को खूबसूरत बनाता है बल्कि आपके कोन्फिडेन्स को भी कई गुणा बढ़ाने का काम करता है. वैसे इस लुक को खुद से करना थोड़ा मुश्किल जरूर है लेकिन एक दो बार प्रैक्टिस करके आप खुद से अपनी आंखों को कैट आई लुक दे सकती हैं.  बस इसके लिए आपको  जैल आई लाइनर, पेंसिल आई लाइनर या वाटरप्रूफ लिक्विड आई लाइनर के साथ  ब्रश की जरूरत होगी, जिससे आप अपनी आंखों को क्लासिक लुक ले पाएंगी.

मेकअप की ये गलतियां बिगाड़ सकती है आपकी खूबसूरती

मेकअप आपकी खूबसूरती के साथ-साथ आत्मविश्वास को भी बढ़ाता है, इसमें कोई शक नहीं. मेकअप की मदद से आप खुद को मनचाहा सौंदर्य दे सकते हैं.

लेकिन कभी-कभी मेकअप की कुछ गलतियां आपकी खूबसूरती को बढ़ाने के बजाए आपको उम्रदराज भी बना देती हैं. जानिए ऐसी ही 10 गलतियां, जिनसे आपकी उम्र दिखती है ज्यादा

1. कंसीलर का ज्यादा प्रयोग  

परफेक्ट दिखने की चाहत में हम कई बार कंसीलर को अधिक उपयोग करते हैं. खास तौर से तब, जब आप गलत कलर को चुनते हैं और उसकी मोटी परत त्वचा पर लगाते हैं, तो इस तरह से आप अपनी झुर्रियों को हाइलाइट कर खुद को उम्रदराज दिखा रहे होते हैं.

2. मस्कारा

मस्कारा का प्रयोग कर आप अपनी पलकों को काला, लंबा और घना दिखा सकती हैं. लेकिन इसका अधिक प्रयोग, खास तौर से निचली पलकों पर मस्कारा का ज्यादा प्रयोग आपके आंखों के नीचे की झुर्रियों को आकर्ष‍ित करता है साथ ही वह नेचुरल दिखने के बजाए नकली लगता है.

3. लिप्स्टिक का गलत शेड

लिपस्ट‍िक आपकी छवि पर जादुई असर डालती है, इसमें कोई श‍क नहीं. आप बेझिझक किसी भी रिच कलर के साथ एक्पेरिमेंट कर सकती हैं, लेकिन यदि आपके होंठ पतले, संकरे या छोटे हैं तो आपको डार्क कलर्स से दूर रहना चाहिए. गहरे रंग आपके होंठों को और पतला दिखाएंगे और उम्र को ज्यादा.

4. आईशेडो का तरीका

आईशेडो लगाते समय इस बात का विशेष ध्यान रखें कि आपको यह पूरे आईलिड पर नहीं लगाना है. यह तरीका आपको उम्रदराज दिखाता है. आईशेडो लगाने का सही तरीका है कि आप इसे आंख के सिर्फ बाहरी कोनों पर लगाएं.

5. आई लाइनर

आंखों की निचली लिड पर लाइनर जरूरत से ज्यादा प्रयोग आपकी आंखों को छोटा दिखाता है. इसके विपरीत प्रभाव के लिए आपको लाइट मेकअप पेंसिल का प्रयोग करना चाहिए. यह आपकी आंखों को खुलापन देकर सही लुक देगा.

6. ब्लश ऑन

अब समय आ गया है कि आप डार्क और इंटेंस कलर्स को ना कहें. ब्लश ऑन के लिए डार्क कलर्स के प्रयोग से आपकी उम्र ज्यादा लगती है. गालों के उपरी भाग में ब्लशर अप्लाई करें ना कि बीच में. गाल के उभारों को हाइलाइट करना भी एक अच्छा विकल्प है. जब भी आप इसे प्रयोग करें नोज एरिया से ज्यादा पास अप्लाई न करें.

7. आई ब्रोज

आईब्रोज या भौंहों को लंबा और घना दिखाने के लिए डार्क पेंसिल का प्रयोग करना इसे बिखरा हुआ, कृत्रिम और उम्रदराज दिखा सकता है. नेचुरल कलर पेंसिल का ही प्रयोग करें ताकि ओवर मेकअप न दिखाई दे.

8. डार्क सर्कल्स

आंखों के नीचे डार्क सर्कल्स मेकअप के बावजूद परेशानी खड़ी करते हैं. अत्यधिक कंसीलर के प्रयोग के बजाए इसे करेक्टर से छुपाया जा सकता है. कई लोग इसका प्रयोग ही नहीं करते जिससे उम्र अधिक दिखती है और चेहरा भी उतना अच्छा नहीं दिख पाता. लेकिन इसे सिर्फ डार्क एरिया में हल्की मात्रा में लगाकर फैला लें. इससे मेकअप नेचुरल लगेगा.

9. लिप लाइनर

होंठों को सही आकार देने के लिए और परफेक्ट  लुक के लिए लिप लाइनर जरूरी है, लेकिन गलत शेड का इस्तेमाल और मोटी डार्क लाइनिंग आपको उम्र से ज्यादा दिखाती है. जितना हो सके नेचुरल तरीके से इसका प्रयोग करें, ताकि आप जवां और खूबसूरत नजर आ सकें.

10. पाउडर

त्वचा की छोटी-मोटी चीजों को छिपाने के लिए पाउडर का प्रयोग अच्छा विकल्प है लेकिन इसे ज्यादा मात्रा में थोपना मेकअप को बिगाड़ सकता है. इससे आपकी झुर्रियां हाईलाइट होंगी साथ ही त्वचा रूखी नजर आएगी. आपके चेहरे का ग्लो भी पाउडर की ज्यादा मात्रा से खत्म हो जाता है.

आपको बूढ़ा दिखा सकता है गलत मेकअप

 

Mother’s Day 2024: बेटों को भी कराएं ससुराल की तैयारी

अर्पिता एक अच्छी मां हैं. अपनी अच्छाई के चलते वे रिश्तेदारों व पूरे महल्ले की प्रिय हैं. इस की सब से बड़ी वजह यह है कि उन का रवैया एकसमान है. जितना वे बेटी के लिए करती हैं उतना ही अपने बेटे के लिए भी करती हैं. न किसी के लिए कम न किसी के लिए ज्यादा. सब से बड़ी बात यह है कि जहां महल्ले और रिश्तेदारों की महिलाएं अपनी बहुओं से परेशान रहती हैं वहीं अर्पिता को सब से ज्यादा सुख अपनी बहू से ही है.

दरअसल, अर्पिता ने शुरू से ही घर के काम सिर्फ बेटी को ही नहीं सिखाए, बल्कि अपने बेटे को भी सिखाए हैं. अर्पिता का बेटा मल्टीनैशनल कंपनी में जौब करता है. अच्छा कमाता है. इस के बावजूद वह घर के कामकाज में पत्नी को पूरा सहयोग देता है. बेटा अगर किचन में पत्नी की मदद करता है तो अर्पिता को बुरा नहीं लगता. अगर बहू किचन में काम कर रही है और अर्पिता किसी काम में बिजी हैं तो भी वह बेटे को किचन में बहू की मदद करने के लिए जाने को कहती हैं.

अर्पिता की बहू को सास का यह रवैया काफी पसंद आया और यही वजह है कि उन की कभी खटपट नहीं हुई जबकि शादी को करीब 5 साल हो रहे हैं. लेकिन ऐसा काफी कम घरों में ही देखने को मिलता है. बेटे को घर की शुरू से ही कोई भी जिम्मेदारी नहीं दी जाती. उसे नाजों से पाला जाता है जो आगे चल कर परेशान करता है.

बेटों को भी करें तैयार

घर के काम सिर्फ बेटियों को ही न सिखाएं बल्कि बेटों में भी काम करने की आदत डालें. अकसर हर घर में देखने को मिलता है कि बेटे को खेलने भेज दिया जाता है और बेटियों को मांएं घर के काम में व्यस्त कर देती हैं. अगर बेटों को खेलने का हक है तो बेटियों को भी है. बेटों से घर के काम करवाएं, शुरुआत छोटेछोटे काम सेकरें लेकिन इस आदत को छूटने न दें.

बड़ेबुजुर्ग चढ़ाते हैं बेटों को सिर पर

अकसर देखने को मिलता है कि बुजुर्ग घर में बेटों को सिर चढ़ा कर रखते हैं. अगर बेटे से किसी काम के लिए बोल भी दिया जाए तो बुजुर्ग मना कर देते हैं. कहा जाता है कि बच्चा थक गया है. अरे छोड़ो भी, क्या काम करवा रहे हो. लड़कियों वाले काम क्यों करेगा बेटा. ऐसे कथनों की आड़ में बेटों को बचाने की कोशिश की जाती है, लेकिन यह सही नहीं है.

काम के प्रति जितनी जिम्मेदारी एक लड़की की होती है उतनी ही जिम्मेदारी एक बेटे की भी होती है. घर में भले ही 10 नौकर हों लेकिन काम करने की आदत हर बच्चे में होनी चाहिए.

जरूरी काम तो जरूर सिखाएं

ऐसा तो नहीं है कि बेटा हमेशा आप से ही चिपका रहेगा. कल को उसे पढ़ाई के लिए बाहर किराए पर रहना पड़े तो सोचिए वह उस वक्त क्या करेगा. आप कब तक उस के दोस्तों के साथ रहेंगे. कम से कम बच्चों को इस लायक बनाएं कि वह नूडल्स के भरोसे न रहे. अपने लिए खाने के लिए कुछ बना सके. बाहर का खाना हर वक्त सही नहीं रहता है. खुद के कपड़े धोना, बाहर से सामान लेना. खाना बनाना ये वे काम हैं जिन से वास्ता हर शख्स का पड़ता है. कल को परेशानी न हो, इसलिए आज से ही इस के लिए कोशिश कर लीजिए.

बेटों को घर का काम सिखा कर न सिर्फ आप उन्हें सुखी रखेंगी, बल्कि अपनी आने वाली बहू की नजर में भी आप की इज्जत बढ़ जाएगी. और शायद आप के इस रवैए से हो सकता है समाज का नजरिया धीरेधीरे बदल जाए.

कैसे करें शुरुआत

•       बच्चा अगर छोटा है तो उसे धीरेधीरे काम देना शुरू करें. मसलन, अगर वह 10 साल का है तो छोटेमोटे काम में हाथ बंटाने को बोलें.

•       बाहर से कुछ सामान लाना हो तो उसे भेजना शुरू करें. ज्यादा दूर तक नहीं. थोड़ा बड़ा होने पर आप घर के  बाकी कामों में भी उस की मदद ले सकती हैं.

•       अगर बच्चे की छुट्टियां हैं तो रसोई में मदद करने के लिए कहें.

•       उसे गमलों को ठीक करने का काम दें.

•       बच्चा अगर 15 साल के आसपास है तो कभीकभी उस से अपने कपड़े धोने के लिए बोलें.

•       खाना खा कर बच्चे अकसर टीवी देखने बैठ जाते हैं. ऐसा न करने दें.

•       खाना खा कर टेबल पर पड़े बरतन उठा कर किचन में रखने का काम दें.

•       बीमार हैं तो रैस्ट करें, बच्चे और पति को घर की जिम्मेदारी दें.

•       सिर्फ नूडल्स बनाना ही न सिखाएं, आगे का प्रोसैस भी धीरेधीरे शुरू करें.

अच्छी नौकरी और भविष्य के साथ यह भी जरूरी है कि वह निजी तौर पर भी अच्छा बने. अगर आज वह आप की मदद कर रहा है तो कल को वह अपनी पत्नी की भी मदद करेगा. इस से आप की आने वाली बहू को भी काफी आराम मिलेगा और आप की छवि एक अच्छी मां की बनेगी.

Mother’s Day 2024: मां को फील कराना चाहते हैं स्पेशल तो इन तरीकों से करें मदर्स डे सेलिब्रेट

मां एक ऐसा शब्द जिसे ममता की मूरत कहा जाता है. मां वो है जो खुद हजार दुख सहती है लेकिन अपने बच्चों पर आंच ना आने पाए उसके लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाती है. उसके मन में चल रही हजारों कुंठओं के बाद भी वह चेहरे पर एक भी शिकन नहीं आने देती और हमेशा एक प्यारी सी मुस्कान उसके चेहरे पर बनी रहती है. वैसे तो हर दिन मां के होता है लेकिन इस मदर्स डे पर हम आपको अपनी मां को स्पेशल फील कराने के तरीके बता रहे हैं.

बनाएं पसंद का खाना : मम्मी को खुश करने के लिए इस दिन उनकी पसंद का खाना बनाएं. उन्हें रसोई में ना जाने दें, उन्हें मिठाई में कुछ खास बनाकर दें जैसे खोये की बर्फी, बेसन के लड्डू, गुण के शक्कर पारे या कोई भी ऐसी चीज जिसे वे शौक से और आनंद के साथ खाएं.

गिफ्ट करें उनकी पसंदीदा ज्वेलरी : मदर्स डे पर मां को उनकी पसंद की ज्वेलरी शॉप पर ले जाकर सोने, चांदी, हीरा आदि रत्नों से जुड़ी ज्वेलरी भी दिला सकते हैं.

मां को दें स्पेशल लुक : प्यारी सी मां को इस दिन कुछ स्पेशल लुक दे. उन्हें रोजमर्रा से अलग कुछ पहनाएं या उनकी पसंदीदा साड़ी पर खुद से प्रेस करें और पहनाएं। इस दिन उनका सारा साजोश्रृंगार करें और उन्हे यह अहसास कराएं कि आप हैं तो हम हैं.

मां को उनके बीते बचपन की याद दिलाएं :  उन्हें बिना बताए उनके मायके लेकर जाएं या मामा जी, मौसी जी और उनकी सहेलियों को उन्हें बिना बताए घर पर बुलाएं और एक सरप्राइज दें.

भेजे डेट पर: आप अपनी मम्मी को पापा के साथ एक डिनर या लंच डेट पर भी भेज सकती हैं. जिससे उन्हें अपने युवास्था के दिन याद आएं

घर पर बनाएं केक : मदर्स डे पर मम्मी के लिए घर पर केक बनाएं एक पूरे कमरे को सजाकर उन्हें आंखों पर पट्टी बांधकर लेकर आएं और स्पेशल फील कराएं.

मां के जैसे तैयार हों :  घर पर जितनी भी लड़कियां और औरतें हैं वो अपनी मम्मी की तरह तैयार हो और उनकी मिमिक्री करके उनके स्पेशल होने का आभास कराएं.

तोहफे में दे सकते हैं पौधा:  इस दिन एक पौधा खरीदकर लाए और मां के साथ बागवानी करने में उनकी मदद करें. इस पौधे को रोज पानी दें और उसका ध्यान रखें.

हाथों से बुने स्वेटर : मां के लिए आप हाथों से बुना हुआ स्वेटर और पैरों में पहनने वाले मोजे भी बनाकर दे सकती हैं. जिससे उन्हें लगे कि आप उनका कितना ध्यान रखते हैं या जमीन पर बैठने वाला आसन बुनकर बना सकती हैं.

इलेक्ट्रौनिक गैजेट्स: अगर आपकी मां को गाने सुनने का शॉक है तो पॉकेट एफएम, आईपॉड या सारेगामा करवां भी गिफ्ट कर सकते हैं.

प्लैन करें वेकेशन: घर और बाहर के सारे कामों से इस दिन मां को छुट्टी देकर उनके लिए वेकेशंस भी प्लान कर सकती हैं. उन्हें किसी भी हिल स्टेशन पर लेकर जा सकती है. उनके साथ लौंग ड्राइव पर भी ले जा सकते हैं. उन्हें हवाई यात्रा भी करा सकती हैं.

जानिए कितने प्रकार की होती हैं बेल्ट ट्राई करें डिफरेंट स्टाइल

अक्सर हम लोग जब बाहर जाने के लिए तैयार होने लगते हैं तो कपड़े, जूते और ज्वेलरी तो डिसाइड कर लेते हैं लेकिन इन सबमें सबसे जरूरी होती है बेल्ट जिसे हम इग्नोर बिल्कुल भी नहीं कर सकते. आज हम आपको बेल्ट के ही कुछ प्रकार बताने जा रहे हैं.

1. ब्रेडिड बेल्ट- इस बेल्ट में लेदर को गुथकर बनाया जाता है. इन्हें आप फॉर्मल वीयर में पहन सकती हैं और कैजुअल वीयर में भी पहन सकती हैं. यह ज्यादातर वन पीस ड्रेस और फॉर्मल पैंट्स में सूट करती है.

2.कौटन बेल्ट- यह बेल्ट कॉटन से बनी होती है. इसे आप नाइट वियर और फ्रॉक्स के साथ कैरी कर सकती हैं. यह सादे कॉटन के कपड़ों से गूथकर और सिलकर बनाई जाती है.

3. रिवर्सिबल बेल्ट– इस बेल्ट को आप दोनों तरफ से अदल-बदलकर पहन सकते हैं. यह प्लेन लेदर की होती है इसे आप ब्लेजर, फॉर्मल पैंट्स और वेस्टर्न ड्रेसिज के साथ कैरी कर सकती हैं.

4. पतली बेल्ट- इसे आप साड़ी के साथ भी पहन सकती हैं। यह बेल्ट पतले लोगों की फिजीक को हाइलाइट करने के लिए ज्यादातर प्रयोग की जाती है. यह आपको कई रंगों में मिल जाएगी.

5. गेलिस: ये बेल्ट हमारे ढीले कपड़ों को टाइट करने के लिए प्रयोग की जाती है. बेसिकली जो कपड़े ढीले होते हैं उन्हें ऊपर की ओर खींचने के लिए इस बेल्ट का प्रयोग किया जाती है. यह छोटे-बच्चों और वृद्ध पुरुषों के लिए ज्यादा प्रयोग की जाती है. ये बेल्ट इलासटिक से बनाई जाती है.

6.डी रिंग बेल्ट– इस बेल्ट को दो रिंगों में बांधा जाता है. इन बेल्टों में बकल नहीं होता है. यह बेल्ट कॉटन या रेक्सीन से बनी होती है.

7.स्टडिड बेल्ट्स: ये बेल्टस वो होती हैं जिन्हें मोतियों, मेटल और नगो के साथ गुथा जाता है।यह ज्यादातर वन पीस के साथ पहनी जाती हैं. इन्हें आप अपनी सादी सी ड्रेस के साथ पहनेंगी तो बहुत अच्छी लगेगी और खिलेगी.

Mother’s Day 2024: बच्चों के लिए लंच में बनाएं कॉर्नफ्लैक्स स्टफ्ड कुकम्बर

गर्मियों में सब्जियों की उपलब्धता बहुत कम हो जाती है हर रोज एक ही समस्या होती है कि क्या सब्जी बनाई जाए. खीरा आजकल हर मौसम में भरपूर मात्रा में मिलता है. गहरे हरे और हल्के हरे रंग में पाया जाने वाले खीरे में विटामिन सी और बीटा केरोटीन जैसे एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो इम्युनिटी को बेहतर बनाते हैं. खीरे के छिल्के में काफी मात्रा में सिलिका पाया जाता है जो हड्डियों को मजबूत बनाता है इसलिए इसे छिल्का सहित ही खाना चाहिए.

खीरे में भरपूर मात्रा में पानी होता है जिससे यह शरीर को हाइड्रेट रखता है और नाममात्र की कैलोरी होने से वजन को भी नियंत्रित रखता है. आमतौर पर खीरे का उपयोग सलाद के रूप में किया जाता है परन्तु आज हम आपको एक नए स्टाइल में खीरे की सब्जी बनाना बता रहे हैं जो बनाने में तो बहुत आसान है ही साथ ही खाने में भी बहुत स्वादिष्ट है. तो आइए देखते हैं कि इसे कैसे बनाते हैं.

कितने लोंगों के लिए 4
बनने में लगने वाला समय 30 मिनट
मील टाइप वेज

सामग्री

मोटा बड़ा खीरा 1
कॉर्नफ्लेक्स 1 टेबलस्पून
उबला और मैश किया आलू 1
बारीक कटा प्याज 1
अदरक, लहसुन, हरी मिर्च पेस्ट 1 टीस्पून
दरदरी सौंफ 1 टीस्पून

धनिया पाउडर 1 टीस्पून
हल्दी पाउडर 1/4टीस्पून
लाल मिर्च पाउडर 1/2टीस्पून
अमचूर पाउडर 1 टीस्पून
नमक स्वादानुसार
तेल 3 टेबलस्पून
नारियल बुरादा 1 टीस्पून
बारीक कटी हरी धनिया 1 टीस्पून

विधि

खीरा को छीलकर बीच से काटकर स्कूपर से बीज वाला भाग अलग कर दें. कॉर्नफ्लैक्स को आधा कप पानी में भिगो दें. 1 टेबलस्पून गर्म तेल में प्याज सॉते करें और अदरक, हरी मिर्च, लहसुन का पेस्ट डालकर भूनें. 1टेबलस्पून पानी में सभी मसाले मिलाकर पैन में डालें और तेल के ऊपर आने तक भूनें. अब नमक, कॉर्नफ्लैक्स तथा आलू डालकर भली भांति मिलाएं. गैस बंद कर दें और मिश्रण को ठंडा होने दें. तैयार भरावन को खीरे में अच्छी तरह भरें और चारों ओर धागा लपेटें ताकि मसाला बाहर न निकले. एक नॉनस्टिक पैन में बचा 1 टेबलस्पून तेल डालें और भरे खीरे को डालकर पैन को ढक दें और मध्दिम आंच पर खीरा के गलने तक पकाएं. पकने पर धागा निकालकर हरा धनिया और नारियल बुरादा डालकर कलछी से टुकड़ों में काटकर परांठा या रोटी के साथ सर्व करें.

 

क्या होती है वर्कआउट इंजरी और कैसे करें इससे बचाव

हाल के वर्षों में बदन तराशने का एक फैशन सा चल पड़ा है. इसे देखते हुए भारत के बड़े शहरों से ले कर छोटे कसबों तक में जिम एवं फिटनैस सैंटरों की बाढ़ सी आ गई है. आप को जिम और फिटनैस सैंटर तो हर जगह मिल जाएंगे, लेकिन कुशल ट्रेनर शायद ही कहीं मिलें. इसी वजह से फिटनैस के दीवानों को लेने के देने पड़ जाते हैं. कई बार ट्रेनर की हिदायत के बावजूद जनूनी युवा जल्दी आकर्षक शरीर पाने के लिए जरूरत से ज्यादा व्यायाम कर शरीर को बिगाड़ लेते हैं.

बी.टैक के छात्र नरेश पंड्या को हाल ही में कंधे में दर्द की शिकायत हुई. जांच से पता चला कि कंधे की रोटेटर कफ मसल में खिंचाव आ गया है. नरेश ने बताया कि हाल ही में उस ने अपनी मांसपेशियां बढ़ाने की चाह में जिम में कुछ ज्यादा ही जोरआजमाइश कर ली थी, जबकि पिछले कई वर्षों से व्यायाम नहीं करता था. इसीलिए उस की मांसपेशियां अचानक ज्यादा वजन सहने को तैयार नहीं हो पाई थीं. उस के ट्रेनर ने उसे कई बार आराम से अभ्यास करने की हिदायत दी, लेकिन इस के बावजूद वह अधिक से अधिक वजन उठाता रहा. अपनी इसी आक्रामक प्रवृत्ति के कारण नरेश को मांसपेशियों में खिंचाव का शिकार होना पड़ा.

जिम में अभ्यास करते वक्त आप को जिनजिन इंजरीज का खतरा अधिक रहता है, उन में शामिल हैं- मांसपेशियों में खिंचाव, टैंडिनिटिस, शिन स्पलिंट, नी इंजरी, कंधे की इंजरी, कलाई में मोच आना आदि. अकसर गलत प्रशिक्षण और अस्वास्थ्यकर दैनिक लाइफस्टाइल के कारण ही ऐसी इंजरीज होती हैं.

वर्कआउट संबंधी आम इंजरीज

कंधा: निष्क्रिय और कम श्रम वाले लाइफस्टाइल के कारण मांसपेशियां प्रभावित होती हैं. कंधे की मांसपेशियां भी कमजोर पड़ जाती हैं. इस के अलावा कंप्यूटर के सामने बैठ कर प्रतिदिन एक ही मुद्रा में काम करने वालों के कंधों में खिंचाव आ जाता है. यदि बिना प्रशिक्षण के अपनी मांसपेशियों पर ज्यादा जोर डालते हैं, तो कमजोर मांसपेशियां जकड़ सकती हैं. मांसपेशियों के समूह रोटेटर कफ कहलाते हैं, जिन से मूवमैंट नियंत्रित होता है और जोड़ों को स्थिरता मिलती है. कंधे के दर्द का एक बड़ा कारण रोटेटर कफ मसल्स हड्डियों की संरचना के बीच अन्य सौफ्ट टिशूज में घर्षण होना है. इसे शोल्डर इंपिंजमैंट कहा जाता है. इसे सुप्रास्पिनेट टैंडिनिटिस के नाम से अधिक जाना जाता है.

टखने में मोच: यह समस्या ऐथलीटों में अधिक होती है. लिगामैंट्स टिशू की ही पट्टियां होती हैं, जो हड्डियों को जोड़ कर रखती हैं. टखने पर अधिक दबाव आप के लिगामैंट को इंजर्ड कर सकता है. जो लोग ऊबड़खाबड़ सतहों पर टहलते या दौड़ते हैं, उन में इस समस्या का खतरा अधिक रहता है. यदि आप वर्कआउट के तहत दौड़ते या हलकी दौड़ लगाते हैं, तो पैरों में अच्छी तरह फिट आने वाले जूते ही पहनें और समतल सतह पर दौड़ लगाएं.

घुटना: घुटने में मोच भी वर्कआउट इंजरी की एक समस्या है. यह अकसर जोड़ों के अति इस्तेमाल के कारण होती है. ट्रेडमिल का अधिक इस्तेमाल करने वालों में नी इंजरी होने का खतरा अधिक रहता है. ट्रेडमिल के कारण घुटनों पर ज्यादा जोर पड़ता है. वहीं दूसरी तरफ जमीन पर दौड़ लगाने पर घुटनों को ज्यादा आसानी होती है, क्योंकि यहां आप को मशीन की क्षमता के मुताबिक नहीं चलना पड़ता है. घुटनों के जोड़ों के ऊपर आवरण के तौर पर लगे कार्टिलेज और लिगामैंट्स अत्यधिक दबाव के कारण बारबार स्ट्रैस इंजरी का शिकार हो जाते हैं. कार्टिलेज का नुकसान ज्यादा खतरनाक होता है, क्योंकि इस की मरम्मत नहीं हो पाती. लोअर बैक: वेट लिफ्टिंग का लोअर बैक यानी कमर पर सब से ज्यादा असर पड़ता है. हमारी कमर ही पूरा दिन हमारे सारे शरीर का ज्यादातर दबाव झेलती है, जिस का मतलब है कि इस में हमेशा खिंचाव बना रहता है. यदि आप बहुत ज्यादा वजन उठाते रहते हैं, तो लोअर बैक की मांसपेशियों में इंजरी हो सकती है. कई मामलों में भारी वजन उठाने पर स्लिप डिस्क का भी खतरा हो सकता है.

बचाव

इंजर्ड मसल्स, लिगामैंट या कार्टिलेज को स्वस्थ करने में लंबा समय लग सकता है. लिहाजा, बचाव ही सर्वोत्तम उपाय है. व्यायाम और वर्कआउट को स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा माना जाता है. लेकिन इस में हमेशा सुधार और कुशल निरीक्षण की जरूरत रहती है. जैसे:

1. भारी व्यायाम करने से पहले वार्मअप जरूरी है. नाकआउट करने से पहले पार्क में जौगिंग, नियमित स्टै्रचिंग और साइक्लिंग आप की मांसपेशियों को ताकतवर बनाएगी. व्यायाम से पहले स्ट्रैचिंग करना शरीर को लचीलापन प्रदान करने के लिए महत्त्वपूर्ण है. इस से शरीर कठिन व्यायाम करने में भी सक्षम हो जाता है.

2. व्यायाम करते वक्त निर्धारित पद्धति का पालन करना भी महत्त्वपूर्ण है. एक ही प्रकार की मसल्स पर अधिक जोर आजमाइश नहीं करनी चाहिए. हाथों, कूल्हों, पैरों, नितंबों और बाइसैप्स पर समान रूप से उचित ध्यान देना जरूरी है. अत्यधिक थकान वाले व्यायाम और एक ही तरह की मांसपेशियों के लिए बारबार व्यायाम करने से मांसपेशियों में खिंचाव और अकड़न आ सकती है.

3. यदि आप वजन उठाने वाला व्यायाम शुरू कर रहे हैं, तो वजन में धीरेधीरे वृद्धि करें ताकि आप की मांसपेशियां उस तनाव में ढल सकें और अधिक इस्तेमाल से खिंचाव की स्थिति में न आएं. कम वजन उठाने से शुरुआत करें. यह ट्रेनिंग 1 सप्ताह तक जारी रखें और फिर धीरेधीरे वजन बढ़ाएं.

4. फिटनैस अभ्यास के दौरान शरीर को पर्याप्त आराम दें. यदि आप को कोई शारीरिक परेशानी महसूस हो रही हो तो थोड़ी देर आराम करें.

5. वेट लिफ्ंिटग रूटीन शुरू करने से पहले ट्रेनर की सलाह लें. ट्रेनर आप की ताकत और कमजोरी को समझ आप को व्यायाम के तौरतरीके बताएगा. इस के अलावा वर्कआउट शुरू करने से पहले उपयुक्त पोशाक पहनें.

6. किसी ऐसे ट्रेनर की निगरानी में ट्रेनिंग लें जो आप के शरीर की संरचना जानता हो.

7. अपने शरीर के हाइड्रेशन लैवल का खयाल रखें. वर्कआउट शुरू करने से पहले वर्कआउट के दौरान और बाद में थोड़ा पानी पी लें.

 

वर्कआउट इंजरी से कैसे करें बचाव

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