इश्क सीखने की जरूरत

ये कहानियां प्यार में पागल प्रेमियों की हैं, जो एक समय किसी से बेइंतिहा प्यार करते थे मगर बाद में उसी को अपने हाथों मार डाला. सवाल है कि क्या आज के युवा प्यार का मतलब क्यों नहीं समझते…

कुछ अरसा पहले देश की राजधानी दिल्ली में 24 घंटों के अंदर इश्क में हत्या की दो घटनाएं सामने आईं. 27 जुलाई, 2023 की दोपहर दिल्ली पुलिस के पास एक फोन आता है कि अरबिंदो कालेज के पास पार्क में एक लड़की की लाश पड़ी है.

पार्क में कई लोगों की उपस्थिति में दिनदहाड़े किसी सिरफिरे आशिक ने सरेआम अपने प्यार की हत्या कर दी. लड़की का नाम नरगिस था और वह कमला नेहरू कालेज की स्टूडैंट थी. वह अपने इस दोस्त के साथ पार्क में घूमने आई थी. उसे क्या पता था कि वह जिस के प्यार में पागल है वही उस का खून कर देगा.

दरअसल, मर्डर करने वाले लड़के का नाम इरफान खान है जो नरगिस पर शादी के लिए दबाव डाल रहा था. शादी से इनकार करने पर उस ने रौड से सिर कुचल कर नरगिस यानी अपनी प्रेमिका की हत्या कर दी. उस ने लड़की के सिर पर रौड से एक नहीं कई वार किए ताकि वह बच न सके.

सवाल यह है कि आखिर अपने प्रेमी या प्रेमिका के साथ कोई ऐसी निर्ममता से पेश कैसे आ सकता है?

यह एक मात्र घटना नहीं है बल्कि ऐसी घटनाएं आए दिन घटती रहती हैं. राजधानी दिल्ली में इस वारदात के एक दिन पहले इसी तरह की एक और घटना हुई थी. वह भी प्यार में उल?ो और चोट खाए आशिक की कू्ररता का नमूना थी जब डाबरी इलाके में एक महिला की गोली मार कर हत्या कर दी गई.

इस में 23 साल के युवक ने 42 साल की महिला को गोली मार दी थी. कुछ देर बाद उस युवक ने खुद को भी गोली मार ली. पुलिस के तफ्तीश में पता चला कि दोनों के बीच दोस्ती थी. उन के घर भी आसपास ही थे. महिला का नाम रेनू गोयल था और उस के पति बिल्डर हैं. हमलावर आशीष और रेनू दोनों साथ जिम जाते थे.

प्यार का दुखद अंत

शादीशुदा हो कर भी रेनू आशीष के करीब आ गई थी. मगर ससुराल वालों और पति को यह बात हजम नहीं हो रही थी. प्यार की इस कन्फ्यूजन के बीच आशीष को कोई रास्ता नजर नहीं आया और उस ने इस घटना को अंजाम दे दिया. इस तरह अपनी और अपनी प्रेमिका की जान ले कर उस ने अपने प्यार का शौकिंग एंड कर दिया.

लोग उस समय भी हैरान रह गए थे जब दिल्ली का बहुचर्चित श्रद्धा हत्याकांड सामने आया था. श्रद्धा वालकर की 18 मई, 2022 को महरौली इलाके में आफताब द्वारा कथित रूप से हत्या कर दी गई थी. उस के शरीर के अंगों को छतरपुर समेत दिल्ली के विभिन्न जंगलों में फेंक दिया गया था. यही नहीं आफताब पूनावाला ने श्रद्धा की कई हड्डियों को ग्राइंडर में पीस कर पाउडर को सड़क पर फेंक दिया था. नवंबर, 2022 में इस मामले में आरापी आफताब को गिरफ्तार किया गया था.

झगड़े के बाद हत्या

मलाड में एक एमएनसी के कौल सैंटर में काम करने के दौरान श्रद्धा की मुलाकात बंबल ऐप के जरीए आफताब अमीन पूनावाला से हुई थी. आफताब भी उसी कौल सैंटर में काम करता था. 2019 में वह अपने परिवार की इच्छा के विरुद्ध उस के साथ रहने के लिए चली गई. आफताब और श्रद्धा लिव इन में रहते थे और एकदूसरे से प्यार करते थे.

लेकिन कुछ समय से दोनों के बीच अकसर ?ागड़े होने लगे थे. इस कारण उन का ब्रेकअप हो गया था. उस समय दोनों की जौब नहीं थी और दोनों में छोटीछोटी बातों को ले कर काफी ?ागड़ा होने लगा. आफताब ने ?ागड़ा करने की आदत से तंग आ कर श्रद्धा को रास्ते से हटाने के लिए गला दबा कर उस की हत्या कर दी.

हत्या के बाद आफताब ने शव को बाथरूम में छिपा दिया. फिर शव के छोटेछोटे टुकड़े कर के बड़े ब्रीफकेस में डाल कर फेंकने की प्लानिंग की. उस ने एक हार्डवेयर की दुकान से एक हैमर, 1 आरी और 3 ब्लेड खरीदी. इस के बाद 25 हजार रुपए में एक फ्रिज खरीदे. शाम को कुछ बौडी पार्ट ट्रैश बैग में डाल कर पैक किए और कुछ बौडी पार्ट्स को फ्रीजर में रख दिया.

आफताब ने लाश के टुकड़ों को पैट्रोल से जलाया और कई हड्डियों को ग्राइंडर में पीस कर पाउडर को 100 फुटा सड़क पर डाल दिया. बौडी के कुछ पार्ट पौलीथिन में डाल कर 60 फुटा रोड छतरपुर पहाड़ी पर रखी एक डस्टबिन में डाल दिए. इस के अलावा शव के कुछ टुकड़े छतरपुर पहाड़ी के श्मशान घाट के पास वाले जंगल में फेंके. सोचने वाली बात है कि जिस श्रद्धा से वह कभी इतना प्यार करता था उसी प्यार का अंत उस ने इतनी कू्ररता से कैसे किया?

श्रद्धा हत्याकांड

मई, 2023 में दिल्ली में हुए श्रद्धा हत्याकांड को हैदराबाद में फिर से दोहराया गया. यहां भी एक शख्स ने अपनी लिव इन पार्टनर की हत्या कर दी और उस के शरीर को पत्थर काटने वाली मशीन से टुकड़ों में काट कर अलगअलग जगहों पर फेंक दिया. आरोपी ने मृतका के पैर और हाथ अपने घर के रैफ्रिजरेटर में रख रखे थे और दुर्गंध से बचने के लिए कीटाणुनाशक और इत्र का छिड़काव किया था.

दरअसल, 48 साल के आरोपी चंद्रमोहन के 55 वर्षीय कृतिका यारम अनुराधा रेड्डी के साथ पिछले 15 सालों से अवैध संबंध थे. अपने पति से अलग रहने वाली महिला चंद्रमोहन के साथ दिलसुखनगर स्थित चैतन्यपुरी कालोनी स्थित उस के घर में साथ रह रही थी. कृतिका 2018 से ब्याज पर जरूरतमंदों को पैसा उधार देने का बिजनैस करती थी.

आरोपी ने भी औनलाइन व्यापार करने के लिए मृतका से लगभग 7 लाख रुपए लिए थे और इसी पैसे ने दोनों के बीच विवाद पैदा कर दिया. पैसे के लिए महिला द्वारा दबाव बनाने पर वह उस से रंजिश रखने लगा और उसे जान से मारने की योजना बना ली. 12 मई को आरोपी ने ?ागड़ा किया और फिर उस के सीने और पेट पर चाकू से वार किया जिस से उस की मौत हो गई.

हत्या करने के बाद आरोपी ने शव को टुकड़ों में काट कर ठिकाने लगाने के लिए पत्थर काटने की 2 छोटी मशीनें खरीदीं. उस ने धड़ से सिर को काट कर काले पौलिथीन में रख दिया. फिर उस ने उस के पैर और हाथ अलग कर दिए और उन्हें फ्रिज में रख दिया. 15 मई को वह मृतक का कटा सिर मुसी नदी के पास एक औटोरिकशा में ला कर वहां फेंक गया. इस के बाद मोहन ने फिनाइल, डेटाल, परफ्यूम अगरबत्ती और कपूर खरीदा. फिर उन्हें नियमित मृतका के शरीर के अंगों पर छिड़का ताकि आसपास के क्षेत्र में दुर्गंध न फैले.

सनसनी खेज वारदात

दिसंबर, 2022 को ?ारखंड में भी ऐसा ही एक मामला सामने आया. यह सनसनीखेज घटना साहिबगंज जिले में हुई. प्रेमी ने प्रेमिका की हत्या कर शव के 30 से ज्यादा टुकड़े कर दिए. सुबूत छिपाने के लिए आरोपी ने टुकड़ों को बोरे में रख दिया था. पुलिस ने शव के 7-8 टुकड़े बरामद किए. सिर और शरीर के अन्य टुकड़ों की खोजी कुत्तों की मदद से तलाश की गई. मुख्य आरोपी दिलदार सहित 7 की गिरफ्तारी हुई. शव के टुकड़े करने के लिए आरोपी ने लोहा काटने वाली खास मशीन का इस्तेमाल किया था.

सूत्रों के मुताबिक गोंडा जनजाति की 25 साल की रबिता का संबंध कई वर्षों से दिलदार अंसारी के साथ था. दिलदार अंसारी पहले से शादीशुदा था. परिजनों को उस के इस युवती से संबंध पर आपत्ति थी. दिलदार ने परिजनों की नाराजगी से बचने के लिए रबिता को कुछ दिन पहले किराए पर घर ले कर रखा था.

जून, 2023 में मुंबई में भी एक 56 वर्षीय लिव इन पार्टनर को अपने पार्टनर की हत्या कर के टुकड़ों में काटने के आरोप में गिरफ्तार किया. मनोज सहनी बीते 3 सालों से अपनी लिव इन पार्टनर सरस्वती वैद्या के साथ रहता था. ये दोनों पार्टनर मुंबई के मीरा रोड स्थित आकाशगंगा अपार्टमैंट में किराए पर रहते थे. उसी अपार्टमैंट में रहने वाले लोगों ने पुलिस को सूचना दी कि एक घर से बदबू आ रही है. पुलिस ने घर खोल कर देखा तो वहां निर्मम तरीके से महिला की हत्या की गई थी. घर से कई टुकड़ों में कटी हुई उस की लाश मिली.

प्यार का मतलब ही नहीं मालूम

प्यार तो एक ऐसा खूबसूरत एहसास है जो हर इंसान के दिल के किसी न किसी कोने में बसा होता है. इस एहसास के जागते ही कायनात में जैसे चारों ओर हजारों फूल खिल उठते हैं और जिंदगी को जीने का नया बहाना मिल जाता है. मन में उत्साह और कुछ कर गुजरने की भावनाएं प्रबल हो उठती हैं. इंसान हमेशा खुश रहने लगता है और कल्पनाओं की एक नई दुनिया सजाने लगता है. यह प्यार जब दिल की गहराइयों में उतर जाता है तो  इंसान के लिए अपने प्रेमी से बढ़ कर कुछ नहीं रह जाता. उस की खुशी में ही अपनी खुशी मिल जाती है.

प्रेम करना सीखना जरूरी है

आज के समय में जरूरी है कि हम अपने बच्चों और युवाओं को प्रेम करना सिखाएं क्योंकि हमारे यहां और सबकुछ तो सिखाया जाता है पर प्रेम करना या प्रेम के साथ कैसे जिंदगी जीनी है यह कला नहीं सिखाई जाती है. हम ऐसे युग से आते हैं जब मां बाप अपनी पसंद की लड़की या लड़के से अपने बच्चों की शादी कराते थे. उस समय मांबाप की पसंद माने रखती थी और अरेंज्ड मैरिज होती थी. तब वे अपने जीवनसाथी के साथ जिंदगी जीते थे. उसी में कई बार प्यार भी हो जाता था. लेकिन कई बार ऐसी स्थिति भी आती थी कि पतिपत्नी के बीच कोई तीसरा आ जाता था. उन के बीच दूरी बढ़ती थी. ऐसा भी होता था कि तीसरे व्यक्ति के लिए पत्नी या पति अपने जीवनसाथी को छोड़ कर चला जाए या उसे मार डाले.

धर्म भी कम जिम्मेदार नहीं

आज स्थिति थोड़ी बदली है और प्यार में भी ज्यादा सुरूर आ चुका है. मगर हम प्रेम कैसे करें यह कोई बताने वाला है नहीं. पौराणिक प्रेम कहानियों में गलत सिखाया गया है. प्रेम में हत्या को बुरा नहीं कहा गया है. बेईमानी से औरतों के उपयोग को गलत नहीं कहा गया. द्रौपदी के 5 पति थे. इसे सही माना गया. उस समय की कहानियों में औरत को जुए में हार जाना, हत्या कर देना भी गलत नहीं माना जाता था. शूर्पणखा की नाक ही काट दी गई जबकि वह भी प्रेम निवेदन करने आई थी. मोहिनी ने प्यार का नाटक कर के राक्षसों को मारा. राम और सीता का प्यार जिस में राम ने अपनी पत्नी पर विश्वास ही नहीं किया.

महाभारत काल की कुछ ऐसी प्रेम कहानियां हैं जो कहीं न कहीं हत्या या धोखे की पृष्ठभूमि में लिखी गई थीं. मसलन, द्रौपदी और अर्जुन की प्रेम कहानी जिस में एक पत्नी 5 भाइयों में बांट दी गई, पांडवों का अपनी प्रिय पत्नी को जुए के दांव में लगाना और उसे हार जाना. कृष्ण का रानी रुक्मिणी को भगा कर विवाह करना या भीम और राक्षसी हिडिंबा की कहानी जिस में हिडिंबा ने अपने ही भाई को मरवा दिया.

प्रेम का नतीजा

भीम के साथ हिडिंबा की प्रेम कहानी की शुरुआत उस समय हुई जब लाक्षागृह के जलने के बाद पांडव जंगलों में छिप कर रहने लगे थे. उस समय एक रात सभी पांडव भाई और कुंती एक वृक्ष के नीचे विश्राम कर रहे थे और भीम हमेशा की तरह सब की रखवाली कर रहे थे. उस समय उन के लिए सब से बढ़ा खतरा राक्षस हिडिंब का था जो पांडवों पर हमला करने के लिए एक वृक्ष में छिप कर बैठा था.

हिडिंब मानवरक्त पीने का इच्छुक था और उस की बहन जिस का नाम हिडिंबा था उसे हिडिंब से आदेश मिला कि वह मानवरक्त ले आए. राक्षसी हिडिंबा पांडवों को मार कर उन का रक्त लेने गई. लेकिन वहां पहुंचने के बाद भीम को जगा हुआ देख कर हिडिंबा उस के रूप पर मोहित हो गई और उसे भीम से प्रेम हो गया.

इस प्रेम का नतीजा यह निकला कि हिडिंबा ने भीम के विरुद्ध युद्ध में अपने ही भाई हिडिंब का विरोध किया और भीम का साथ दिया. बाद में भीम ने हिडिंब को मार दिया. भीम और हिडिंबा ने शादी की और उन्हें एक पुत्र की प्राप्ति हुई जिस का नाम घटोत्कच पड़ा.

ऐसी कोई पुरानी कहानी नहीं है जिसे पढ़ कर हम सम?ा सकें कि प्यार क्या है. कैसे प्यार के साथ जिंदगी जी जाती है. दिल्ली प्रैस की कहानियां व लेख कुछ अलग रहे हैं. उन के द्वारा सही ज्ञान दिया गया लेकिन किताबें या मैगजीन पढ़ने वाले लोगों की कमी है. आजकल लोग सीरियल देखते हैं. सोशल मीडिया में घंटों बिताते हैं जहां प्यार का बहुत ही गंदा रूप दिखाया जाता है.

सीरियल्स हों या वैब सीरीज अथवा फिल्में सब में प्यार का धोखे वाला रूप ही देखने को मिलता है. कहीं पति किसी दूसरी स्त्री के प्यार में पागल है तो कहीं प्रेमी धोखे से प्रेमिका को मरवाने की साजिश रच रहा है. कहीं एक लड़की के पीछे 2 लड़के पड़े हुए हैं तो कहीं लड़की ही धोखा दे रही है.

क्या आजादी संभाल नहीं पा रही हैं औरतें

पहले पत्नी को पति के अधीन माना जाता था. उसे कभी बच्चे पैदा करने की मशीन तो कभी काम करने की मशीन बना दिया जाता था. अब औरतों को आजादी दे दी गई है. वे अपनी अहमियत सम?ाने लगी हैं, सपने देखने लगी हैं और आगे बढ़ने लगी हैं. वे खुद अपना जीवनसाथी चुनती हैं. औरतों को आजादी तो दी गई मगर चलना नहीं सिखाया गया. यह नहीं सम?ाया गया कि प्यार कैसे किया जाता है, किस तरह से निभाया जाता है या प्यार के साथ कैसे जिंदगी जी जाती है.

हमारे पास ऐसा कोई स्रोत नहीं है जिस से उन्हें सही शिक्षा मिल सके या प्रेमियों को कोई दिशा मिले. उन्हें यह नहीं बताया गया कि प्रेम में कैसे आकर्षण बना रहे. कैसे कोई ऊब पैदा न हो या ऊब पैदा हो तो उसे दूर कर वापस वही आकर्षण वापस कैसे लाएं. यह नहीं सिखाया जाता है कि प्रेम के साथ कैसे जीना है, जबकि यह प्रेम में सीखना जरूरी है कि अगर आप अपने जीवनसाथी से ऊब जाते हैं तो इस स्थिति में क्या करें.

किताबें पढ़नी हैं जरूरी

आजकल इस तरह प्रेम में हत्याएं या आत्महत्याएं क्यों हो रही हैं? इसलिए कि हम उस तरह के नाटक देखते हैं या उस तरह की फिल्में देखते हैं या फिर पासपड़ोस में ऐसी घटनाएं देखते या सुनते हैं. पेपरों में पढ़ते हैं. फिल्में देखते हैं. ‘धड़क’ फिल्म का ही उदाहरण लीजिए. इस में जिस तरह भाई ने अपनी बहन के पति और उस के बच्चे को मार दिया वह कूरता की इंतहा थी.

ऐसे किस्से सामान्य जीवन में भी देखनेसुनने को मिल जाते हैं. इसलिए आप किसी से प्यार करते हैं तो लड़के या लड़की का बैकग्राउंड जरूर देखना चाहिए. प्रेमी का भाई या पिता गुंडा तो नहीं या कुछ गलत करने वाले लोग या बेईमान तो नहीं हैं, लड़का कमा रहा है या नहीं? जिंदगी में खुश रहने के लिए प्यार के साथ पैसा भी बहुत महत्त्वपूर्ण है. पैसा है या नहीं लड़के के पास, इनवैस्टमैंट है या नहीं इस की जानकारी जरूर रखें. लेकिन यह सब चुनने की कला तब आएगी जब आप किताबें पढ़े और वे भी सही ज्ञान देने वाली किताबें पढ़े.

बदल रही है सोच

प्यार के प्रति स्त्री का नजरिया वक्त के साथ बदला है. स्त्री शिक्षित होती चली गई और उस का अपना स्वतंत्र वजूद होता गया. आज के युग की स्त्री के जीवन में प्यार की अहमियत जरूर है पर वह उस प्यार को तवज्जो देती है जो उस की पहचान मिटाने की कोशिश न करे. वह जान चुकी है कि प्यार उस के जीवन का अंतिम लक्ष्य कभी नहीं बन सकता. उस के लिए अब प्यार से अधिक महत्त्वपूर्ण है कैरियर.

हम खुशी पाने की चाहत में प्यार करते हैं पर यह जरूरी नहीं कि हर बार हमारी उम्मीदें सच ही साबित हों. ऐसे में जरूरी है खुद को बिखरने से बचाना और आज की स्त्री ऐसा करने में सक्षम है. उसे प्यार के पीछे बिखरना मंजूर नहीं.

आर्ट औफ लविंग

एरिक फ्रौम की विश्वविख्यात पुस्तक ‘आर्ट औफ लविंग’ ऐसी ही एक किताब है जो हमारा प्रेम के वास्तविक स्वरूप से परिचय कराती है. इस में प्रेम के सभी पहलुओं की चर्चा है.

प्रेम एक खूबसूरत एहसास ही नहीं है बल्कि एक महत्त्वपूर्ण सामाजिक दायित्व और एक रूढि़वादी समाज से बगावत भी है. प्रेम को ले कर चाहे जितनी जटिलताएं इंसान अपने जीवन में महसूस करता हो लेकिन उस के बारे में कभी ठीकठीक सम?ा नहीं पाता. दुनियाभर में प्रेम पर अनगिनत कला, साहित्य कविताएं और इतिहास गाथाएं लिखी गई हैं लेकिन प्रेम एक ऐसी भावना है जिस पर कितना भी लिखा जाए, पढ़ा जाए कम रहेगा.

‘आर्ट औफ लविंग’ ऐसी ही एक किताब है जो हमारा प्रेम के वास्तविक स्वरूप से परिचय कराती है. इस में प्रेम के सभी पहलुओं की चर्चा है. उस से जुड़े अनेक मिथ्स को खत्म कर के उस के वास्तविक अर्थों से परिचित करवाती है. प्रेम उसी तरह है जैसे जीवन जीने की एक कला. इस किताब के अनुसार जीवन को सम?ो बगैर प्रेम को नहीं सम?ा जा सकता.

21 मार्च, 1900 को जरमनी में जन्मे एरिक फ्रौम अमेरिका के जानेमाने मनोवैज्ञानिक और सामाजिक समालोचक माने जाते हैं. उन की विश्वविख्यात रचना ‘द आर्ट औफ लविंग’ से कुछ महत्त्वपूर्ण पंक्तियां जो प्रेम के स्वरूप पर हमारी सम?ा को नए आयाम देती हैं- प्रेम में, अगर वह सचमुच ‘प्रेम’ है तो एक वादा जरूर होता है कि मैं अपने व्यक्तित्त्व और अस्तित्व की तहों से अपने ‘प्रेमी’ या ‘प्रेमिका’ को उस के व्यक्तित्त्व और अस्तित्व की तहों तक प्रेम करता हूं. प्रेम एक तरह का संकल्प है.

शायद ही कोई ऐसी गतिविधि हो जो प्रेम की तरह बड़ीबड़ी उम्मीदों और अपेक्षाओं से शुरू हो कर कितने ही मामलों में बुरी तरह विफल होती हो.

प्रेम व्यक्ति के भीतर एक सक्रिय शक्ति का नाम है. यह वह शक्ति है जो व्यक्ति और दुनिया के बीच की दीवारों को तोड़ डालती है. उसे दूसरों से जोड़ देती है.

अगर मैं किसी एक व्यक्ति से प्रेम करता हूं तो मैं सभी व्यक्तियों से प्रेम करता हूं, किसी से ‘आई लव यू’ कहने का सच्चा अर्थ है कि मैं उस के  माध्यम से पूरी दुनिया और जिंदगी से प्रेम करता हूं.’

हेयर कंडीशनर के फायदे

चमकीले, बिना उलझे वाले बाल हर किसी की चाहत होती है. अच्छे व स्मूद बाल जहां आप की ब्यूटी को बढ़ाते हैं, वहीं उलझे व बेजान बाल इसे खराब भी कर सकते हैं. ऐसे में शैंपू के बाद कंडीशनर को बालों के लिए जरूरी माना गया है. हालांकि अधिकांश महिलाएं कंडीशनर की अहमियत को नहीं सम?ातीं. विशेषज्ञों के अनुसार प्रदूषण, गंदगी और वातावरण में मौजूद धूल के कणों के साथ ही स्कैल्प से नैचुरल औयल भी निकलता है, जिस के कारण सिर गंदा हो जाता है.

ऐसे में जहां शैंपू आप की स्कैल्प को साफ करता है वहीं कंडीशनर स्कैल्प में नमी बनाए रखता है और बालों को पोषण दे कर उन्हें स्मूद और शाइनी बनाता है. शैंपू के बाद कंडीशनर लगाने के कई अन्य फायदे भी हैं.

बाल रहते हैं हाइड्रेट

शैंपू के बाद बालों को कंडीशनर करने से आप की स्कैल्प हाइड्रेट रहती है. इस से नमी स्कैल्प में लौक हो जाती है जिस से बाल चिकने और स्मूद रहते हैं.

उलझन होती है कम

कंडीशनर में सिलिकौन और ऐमोलिएंट्स जैसे कई पोषक तत्त्व होते हैं जो बालों की उलझन कम करते हैं. जब आप के बाल स्मूद होते हैं तो वे कम ?ाड़़ते हैं. घर्षण कम होने के कारण दोमुंहे बालों का खतरा भी कम होता है.

बालों पर आती है चमक

हर किसी की चाहती होती है कि उस के बालों में ऐसी शाइनिंग हो, जो हर किसी को इंप्रैस करे. ऐसे में कंडीशनर इस काम को आसान बनाता है. कंडीशनर बालों के क्यूटिकल्स को चिकना बनाता है. इस से बाल मजबूत होते हैं और कम टूटते हैं.

सुधारता है बालों की बनावट

कंडीशनर का नियमित उपयोग कर के आप बालों की बनावट में भी सुधार कर सकती हैं. इस से बाल ज्यादा लचीले बनते हैं और कई प्रकार की क्षति से बच जाते हैं.

बालों की जड़ों को मिलती है मजबूती

विशेषज्ञों के अनुसार कंडीशनर बालों की जड़ों को मजबूती देता है. इस की मदद से प्रोटीन की कमी दूर होती है जिस से बालों को सुरक्षा मिलती है.

इन नुकसानों से भी होगा बचाव

आजकल महिलाएं हेयरस्टाइलिंग को काफी महत्त्व देती हैं. हालांकि इस से बालों को काफी नुकसान पहुंचता है. कंडीशनर आप को इस परेशानी से बचाता है. इसी के साथ प्रदूषण, यूवी किरणों के कारण भी बाल क्षतिग्रस्त होते हैं, लेकिन कंडीशनर इन से भी बालों का बचाव करता है.

स्कैल्प होगी हैल्दी

कंडीशनर सिर्फ आप के बालों को ही सुरक्षा नहीं देता बल्कि आप की स्कैल्प को भी पोषण देता है. यह स्कैल्प का पीएच लैवल संतुलित रखता है और उस का सूखापन दूर करता है. इस से स्कैल्प में नैचुरल नमी बनी रहती है. इस से डैंड्रफ जैसी परेशानियां भी कम होती हैं.

हेयर कलर के लिए लाभदायक

इन दिनों हेयर कलर करवाना काफी आम बात है लेकिन ये कलर कुछ ही समय बाद फीके पड़ने लगते हैं और कैमिकल के कारण बालों को भी रूखा कर देते हैं. कंडीशनर इन परेशानियों को दूर करने में काफी हद तक मदद करता है. यह आप के बालों से कलर निकलने से रोकता है और उन में कंडीशनिंग बनाए रखता है, जिस से बालों में चमक आती है.

इन 6 तरीकों में नींद हो सकती है आपकी सुपर पावर

आज के इतने व्यस्त और थका देने वाले शेड्यूल में हम एक चीज को सबसे हल्के में लेते हैं और वह है हमारी नींद. हाल ही में हुई एक स्टडी के मुताबिक भारतीय लोग दुनिया के स्लीप डेप्रिव्ड लोगों की श्रेणी में दूसरे नंबर पर आते हैं. इसमें पहले नंबर पर जापान है. मॉडर्न दुनिया में अब नींद को एक जरूरत ही नहीं माना जा रहा है. नींद पूरी करना काफी ज्यादा जरूरी होता है और इससे हमारा शरीर और दिमाग रिचार्ज होता है. नींद पूरी करने से आप पूरे दिन के लिए रिफ्रेश महसूस करते हैं.

चूंकि नींद शरीर का एक काफी जरूरी फंक्शन है, अगर इसे पूरा नहीं किया गया तो हमारे दिन की एनर्जी पर प्रभाव पड़ सकता है. इससे इमोशनल बैलेंस, प्रोडक्टिविटी और यहां तक कि हमारा वजन भी प्रभावित हो सकता है. एक व्यक्ति को रोजाना 7 से 9 घंटों की नींद जरूर पूरी करनी चाहिए.

कोरोना के साथ साथ अन्य चुनौतियों के साथ लोग अब अपने रूटीन को नॉर्मल बनाने की ओर जा रहे हैं. स्ट्रेस मुक्त रहने के लिए और चैन की नींद सोने के लिए आप काफी कुछ कर सकते हैं. स्लीपX न्यू एज मैट्रेस ब्रांड, शीला फोम के अनुसार इसके लिए आपको सोने का एक प्रॉपर वातावरण चाहिए होता है जो आपकी सारी आराम की जरूरतों को पूरा कर पाए. निम्न टिप्स की मदद से आप चैन की नींद सो सकते हैं.

1. नियमित रूप से एक्सरसाइज करें :

अगर रोजाना ब्रिस्क वॉक करते हैं तो मसल्स टोन होने में मदद मिलती है और रात में थोड़ा शांत भी महसूस होता है. जो लोग रोजाना एक्सरसाइज करते हैं वह रात में शांति से सो पाते हैं और अगले दिन भी उन्हे एनर्जेटिक महसूस होता है. मेटाबॉलिक बेनिफिट्स के साथ साथ एक्सरसाइज इमसोमनिया के लक्षणों से राहत दिलाने में लाभदायक है और इससे आपके सोने का समय भी बढ़ सकता है. सोने से पहले 3 से 4 घंटे पहले ही एक्सरसाइज करें. इसके बाद एक्सरसाइज करने से रात में सोने में दिक्कत हो सकती है. एक्सरसाइज करने से स्लीप अपनिया जैसे डिसऑर्डर के लक्षणों से भी राहत पाई जा सकती है.

2. सही गद्दे को चुनें :

अगर गद्दा कंफर्टेबल होगा तो आपको सोने के समय जिस आराम की जरूरत होती है वह शरीर को मिल जाता है. यह शरीर को सोते समय सही पोस्चर में और सही स्पाइनल अलाइनमेंट रखने में मदद करता है. एक बढ़िया गद्दा वही होता है जो आपकी स्किन को सोते समय सही रख सके. इससे आपको अगले दिन भी पूरी एनर्जी महसूस होगी. गद्दा ज्यादा गर्म भी नहीं होना चाहिए और आपके बजट में भी फिट बैठना चाहिए. अगर गद्दा अच्छा नहीं होगा तो अगले दिन आपके पूरे शरीर में दर्द हो सकता है जिससे आप इरिटेट महसूस कर सकते हैं.

3. लाइट कम कर दें :

आपका शरीर एक प्राकृतिक क्लॉक का काम करता है. यह क्लॉक आपके दिमाग, शरीर और हार्मोन्स को प्रभावित कर सकते हैं. यह क्लॉक ही आपको दिन के दौरान जागते रहने और रात के समय सोने में मदद करती है. रात को सोने से एक से दो घंटे पहले आपको ब्लू स्क्रीन से दूरी बना लेनी चाहिए. फोन या टीवी से निकलने वाली रोशनी आपकी नींद को प्रभावित कर सकती है.

4. अपने सोने के वातावरण पर भी ध्यान दें :

सोने के वातावरण में आवाज, रूम का तापमान और आपके कमरे का ओवर ऑल वातावरण शामिल होता है. अगर यह माहौल अच्छा होगा तो आपका शरीर दिमाग तक यह संकेत भेजेगा कि अब सोने का समय हो गया है और अब चिंता मुक्त हो कर सो जाना चाहिए. इसलिए सोते समय यह जरूरी होता है कि सारी आवाज को बंद किया जाए और कमरे के तापमान को नॉर्मल रखा जाए. सोते समय कमरे की अधिकतर लाइट भी बंद कर देनी चाहिए.

5. पूरे दिन की डाइट का भी ध्यान रखें :

आपके खाने और पीने का ढंग भी आपकी नींद को प्रभावित करता है. अपने खाने पीने का ढंग पर ध्यान रखने के कारण आप खुद को हेल्दी रख सकते हैं और इससे आपको रात में सोने में भी मदद मिल सकती है. अपनी डाइट को फल और सब्जियों से भरपूर रखें. ड्रिंकिंग में शराब, निकोटिन और कैफ़ीन का सेवन ज्यादा मात्रा में न करें. अगर सोने से पहले कैफ़ीन का सेवन कर लिया जाए तो इसके बाद सोने में दिक्कत आती है और 12 घंटे तक सोया नहीं जाता है. अगर सोने के समय शराब पीते हैं तो इससे नींद आने में तो मदद मिल सकती है लेकिन बाद में नींद खराब हो सकती है.

6. शरीर के जागने और सोने के ढंग का ख्याल रखें :

अच्छी नींद आने का सबसे बढ़िया तरीका है अपने सोने और जागने के समय का ध्यान रखना. अगर आप अपने सोने और जागने के समय का एक शेड्यूल बना लेते हैं तो आपको काफी रिफ्रेश महसूस होता है और एनर्जी भी महसूस होती है. ऐसा तब होता है जब आप रोजाना एक ही समय पर सोते हैं और एक ही समय पर जागते हैं. इसलिए अपने जागने और सोने का खासकर वीकेंड के समय जरूर ध्यान रखें. अगर दिन में सोते हैं तो 15 से 20 मिनट के लिए ही झपकी ले. अगर इससे ज्यादा सोते हैं तो रात में नींद कम आ सकती है और सोते समय बीच में आंख भी खुल सकती हैं.

Holi 2024: कल हमेशा रहेगा: वेदश्री ने किसे चुना

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Holi 2024: राधेश्याम नाई- बेटे का क्या था फैसला

कहानी- रमेश कुमार

‘‘अरे भाई, यह तो राधेश्याम नाई का सैलून है. लोग इस की दिलचस्प बातें सुनने के लिए ही इस की छोटी सी दुकान पर कटिंग कराने या दाढ़ी बनवाने आते हैं. ये बड़ा जीनियस व्यक्ति है. इस की दुकान रसिक एवं कलाप्रेमी ग्राहकों से लबालब होती है, जबकि यहां आसपास के सैलून ज्यादा नहीं चलते. राधेश्याम का रेट भी सारे शहर के सैलूनों से सस्ता है. राधेश्याम के बारे में यहां के अखबारों में काफी कुछ छप चुका है.’’

राजेश तो राधेश्याम का गुण गाए जा रहा था और मुझे उस का यह राग जरा भी पसंद नहीं आ रहा था क्योंकि गगन टायर कंपनी वालों ने मुझे राधेश्याम का परिचय कुछ अलग ही अंदाज से दिया था.

गगन टायर का शोरूम राधेश्याम की दुकान के ठीक सामने सड़क पार कर के था. मैं उन के यहां 5 दिनों से बतौर चार्टर्ड अकाउंटेंट बहीखातों का निरीक्षण अपने सहयोगियों के साथ कर रहा था. कंपनी के अधिकारियों ने इस नाई के बारे में कहा था कि यह दिमाग से जरा खिसका हुआ है. अपनी ऊलजलूल हरकतों से यह बाजार का माहौल खराब करता है. चीखचिल्ला कर ड्रामा करता है और टोकने पर पड़ोसियों से लड़ता है.

इन 5 दिनों में राधेश्याम मुझे किसी से लड़ते हुए तो दिखा नहीं, पर लंच के समय मैं अपने कमरे की खिड़की से उस की हरकतें जरूर देख रहा था. उस की दुकान से लोगों की जोरदार हंसी और ठहाकों की आवाज मेरे लंच रूम तक पहुंचती थी.

इस कंपनी में मेरे निरीक्षण कार्य का अंतिम दिन था. मैं ने अपनी फाइनल रिपोर्ट तैयार कर के स्टेनो को दे दी थी. फोन कर के राजेश को बुलाया था. मुझे राजेश के साथ उस के घर लंच के लिए जाना था. राजेश मेरा मित्र था और मैं उस के  यहां ही ठहरा था.

राजेश मुझे लेने आया तो रिपोर्ट टाइप हो रही थी. अत: वह मेरे पास बैठ गया. राधेश्याम के बारे में राजेश के विचार सुन कर लगा जैसे मैं आसमान से नीचे गिरा हूं. तो क्या मैं अपनी आंखों से 5 दिनों तक जो कुछ देख रहा था वह भ्रम था.

पिछले दिनों काम करते हुए मेरा ध्यान नाई की दुकान की ओर बंट जाता तो मैं लावणी की तर्ज पर चलने वाले तमाशे को देखने लगता. तब एक दिन भल्ला साहब बोले थे, ‘साहब, मसखर नाई की एक्ंिटग क्या देख रहे हो, अपना जरूरी काम निबटा लो. यहां तो मटरगश्ती करने वाले लोग दिन भर बैठे रहते हैं.’

‘ऐसे लोगों के अड्डे की शिकायत पुलिस से करो,’ मैं ने सुझाव दिया.

‘हम ने सब प्रयास कर लिए,’ भल्ला साहब बोले, ‘इस की शिकायत पुलिस और यहां तक कि स्थानीय प्रशासन और मंत्री तक से कर दी है, पर इस उस्तरे वाले का बाल भी बांका नहीं होता. मीडिया के लोगों और स्थानीय नेताओं ने इस को सिर पर बैठा रखा है.’

अब राजेश ने तो मानो पासा ही पलट दिया था. रास्ते में राजेश को मैं ने टायर कंपनी के अधिकारियों की राय राधेश्याम के बारे में बताई. राजेश हंस कर बोला, ‘‘तुम इस शहर में नए हो न, इसलिए ये लोग बात को तोड़मरोड़ कर पेश कर रहे थे. दरअसल, राधेश्याम की चलती दुकान से उस के कई पड़ोसी दुकानदारों को ईर्ष्या है. वे राधेश्याम की दुकान हथिया कर वहां शोरूम खोलना चाहते हैं. अरे भई, बड़ी मछली छोटी मछली को खा जाती है, यह कहावत तो तुम ने सुन रखी है न?’’

गाड़ी चलाते हुए राजेश ने एक पल को मुझे देखा फिर कहने लगा, ‘‘टायर कंपनी वालों ने पहले तो उसे रुपयों का भारी लालच दिया. जब वह उन की बातों में नहीं आया तो उस पर तरहतरह के आरोप लगा कर सरकारी महकमों और पुलिस में उस की शिकायत की और इस पर भी बात न बनी तो अब उस के खिलाफ जहर उगलते रहते हैं.’’

‘‘इस का मतलब यह हुआ कि वह नाई बहुत बड़ी तोप है?’’

‘‘नहीं…नहीं…पर नगर का बुद्धिजीवी वर्ग उस के साथ है.’’

‘‘परंतु राजेश, मुझे उस अनपढ़ नाई की हरकतें बिलकुल भी अच्छी नहीं लगीं,’’ मैं ने उत्तर दिया.

‘‘तुम तो अभी इस शहर में 2 महीने और ठहरोगे. किसी दिन उस की दुकान पर ग्राहक बन कर जाना और स्वयं उस के स्वभाव को परखना,’’ राजेश ने चुनौती भरे स्वर में कहा.

मैं चुप हो गया. राजेश को क्या जवाब देता? मैं कभी ऐसी छोटी सी दुकान पर कटिंग कराने के लिए नहीं गया. दिल्ली के मशहूर सैलून में जा कर मैं अपने बाल कटवाता था.

राजेश ने मुझे अपनी कार घूमनेफिरने और काम पर जाने के लिए सौंपी हुई थी. मैं भी राजेश की कंपनी का लेखा कार्य निशुल्क करता था. एक दिन मैं कार से नेहरू मार्ग से गुजर रहा था कि अचानक ही कार झटके लेने लगी और थोड़ी दूर तक चलने के बाद आखिरी झटका ले कर बंद हो गई. मैं ने खिड़की के बाहर झांक कर देखा तो गगन टायर कंपनी का शोरूम ठीक सामने था. मैं ने इस कंपनी का काम किया था, सोचा मदद मिलेगी. उन के दफ्तर में पहुंचा तो जी.एम. साहब नहीं थे. दूसरे कर्मचारी अपने कार्य में व्यस्त थे. एक कर्मचारी से मैं ने पूछा, ‘‘यहां पर कार मैकेनिक की दुकान कहां है?’’ उस ने बताया कि मैकेनिक की दुकान आधा किलोमीटर दूर है. मैं ने उस से कहा, ‘‘2-3 लड़के कार में धक्का लगाने के लिए चाहिए.’’

‘‘लेकिन सर, अभी तो लंच का समय चल रहा है. 1 घंटे बाद लड़के मिलेंगे. मैं भी लंच पर जा रहा हूं,’’ कह कर वह रफूचक्कर हो गया.

सड़क पर जाम लगता देख कर मैं ने किसी तरह अकेले ही गाड़ी को ठेल कर किनारे लगा दिया. इस के बाद पसीना सुखाने के लिए खड़ा हुआ तो देखता हूं कि राधेश्याम नाई की दुकान के आगे खड़ा हूं.

दुकान के ऊपर बड़े से बोर्ड पर लिखा था, ‘राधेश्याम नाई.’ इस के बाद नीचे 2 पंक्तियों का शेर था :

‘जाते हो कहां को, देखते हो किधर,

राधेश्याम की दुकान, प्यारे है इधर.’

मेरी निगाहें बरबस दुकान के अंदर चली गईं. 3-4 ग्राहक बेंच पर बैठे थे और बड़े से आईने के सामने रखी कुरसी पर बैठे एक ग्राहक की दाढ़ी राधेश्याम बना रहा था. आपस में हमारी आंखें मिलीं तो राधेश्याम एकदम से बोल पड़ा, ‘‘सेवा बताइए साहब, कोई काम है हम से क्या? यदि कटिंग करवानी है तो 1 घंटा इंतजार करना पड़ेगा.’’

‘‘कटिंग तो फिर कभी करवाएंगे, राधेश्यामजी. अभी तो मेरी कार खराब हो गई है और मैकेनिक की दुकान तक इसे पहुंचाना है, क्या करें,’’ मैं परेशान सा बोला.

‘‘गाड़ी कहां है?’’ राधेश्याम बोले.

‘‘वो रही,’’ मैं ने उंगली के इशारे से बताया.

‘‘आप जरा ठहर जाओ,’’ फिर दुकान से नीचे कूद कर, आसपास के लड़कों को नाम ले कर राधेश्याम ने आवाज लगाई तो 3-4 लड़के वहां जमा हो गए.

उन की ओर मुखातिब हो कर राधेश्याम गायक किशोर कुमार वाले अंदाज में बोला, ‘‘छोरां, मेरा 6 रुपैया 12 आना मत देना पर इन साहब की गाड़ी को धक्का मारते हुए इस्माइल मिस्त्री के पास ले जाओ. उस से कहना, राधेश्याम ने गाड़ी भेजी है, ज्यादा पैसे चार्ज न करे. और हां, गाड़ी पहुंचा कर वापस आओगे तो गरमागरम समोसे खिलाऊंगा.’’

राधेश्याम का अंदाज और संवाद मुझे पसंद आया. मैं ने 50 का नोट राधेश्याम के आगे बढ़ाया, ‘‘धन्यवाद, राधेश्यामजी… लड़कों के लिए समोसे मेरी तरफ से.’’

‘‘ये लड़के मेरे हैं साहब…समोसे भी मैं ही खिलाऊंगा. इन पैसों को रख लीजिए और अभी तो इस्माइल मैकेनिक के पास पहुंचिए. फिर कभी दाढ़ी बनवाने आएंगे तब हिसाब बराबर करेंगे,’’ राधेश्याम गंवई अंदाज में मुसकराते हुए बोला.

मेरी एक न चली. मैं मैकेनिक के पास पहुंचा. बोनट खोलने पर मालूम हुआ कि बैटरी से तार का कनेक्शन टूट गया था. उस ने तार जोड़ दिया पर पैसे नहीं लिए.

राधेश्याम से यह मेरी पहली मुलाकात थी जो मेरे हृदय पर छाप छोड़ गई थी. मैं ने शाम को राजेश से यह घटना बताई तो वह भी खूब हंसा और बोला, ‘‘राधेश्याम वक्त पर काम आने वाला व्यक्ति है.’’

मेरे मन का अहम कुछ छंटने लगा था इसलिए मैं ने मन में तय किया कि राधेश्याम की दुकान पर दाढ़ी बनवाने जरूर जाऊंगा.

रविवार के दिन राधेश्याम की दुकान पर मैं सुबह ही पहुंच गया. उस समय दुकान पर संयोग से कोई ग्राहक नहीं था. उस ने मुसकरा कर मेरा स्वागत किया, ‘‘आइए साहब, लगता है कि आप दाढ़ी बनवाने आए हैं.’’

‘‘तुम्हें कैसे पता?’’ मैं ने परीक्षा लेने वाले अंदाज में पूछा.

‘‘क्योंकि हर बार तो आप की कार खराब नहीं हो सकती न,’’ वह हंसने लगा.

‘‘राधेश्यामजी, पिछले दिनों मेरी कार में धक्का लगवाने के लिए शुक्रिया, पर मैं ने भी आप के यहां दाढ़ी बनवाने का अपना वादा निभाया,’’ मैं ने बात शुरू की.

‘‘बहुतबहुत शुक्रिया, हुजूर. खाकसार की दालरोटी आप जैसे कद्रदानों की बदौलत ही चल रही है. हुजूर, देखना, मैं आप की दाढ़ी कितनी मुलायम बनाता हूं. आप के गाल इतने चिकने हो जाएंगे कि इन गालों का बोसा आप की घरवाली बारबार लेना चाहेगी.’’

‘‘अरे, राधेश्यामजी अभी तो मेरी शादी ही नहीं हुई. घरवाली बोसा कैसे लेगी.’’

‘‘हुजूर, राधेश्याम से दाढ़ी बनवाते रहोगे तो इन गालों पर फिसलने वाली कोई दिलरुबा जल्दी ही मिल जाएगी.’’

‘‘हुजूर, खाकसार जानना चाहता है कि आप कहां रहते हैं, जिंसी, अनाज मंडी, छावनी या ग्वाल टोला…’’ राधेश्याम लगातार बोले जा रहा था.

‘‘मैं जूता फैक्टरी के मालिक राजेश वर्मा का मित्र हूं और उन्हीं के यहां ठहरा हूं.’’

‘‘तब तो आप इस खाकसार के भी मेहमान हुए हुजूर. राजेश बाबूजी ने आप को बताया नहीं कि मुझ से आप अपने सिर की चंपी जरूर करवाएं. दिलीप कुमार और देव आनंद तो जवानी में मुझ से ही चंपी करवाते थे,’’ यह बताते हुए राधेश्याम ने मेरे गालों पर झागदार क्रीम मलनी शुरू कर दी थी.

फिर राधेश्याम बोला, ‘‘किशोर दा, अहा, क्या गाते थे. आज भी उन की यादों को भुलाना मुश्किल है. मैं ने किशोर कुमार और अशोक कुमार की भी चंपी की है.’’

‘‘आप शायद मेरी बात को झूठ समझ रहे हैं. मैं ने फिल्मी दुनिया की बड़ी खाक छानी है और गुनगुनाना भी वहीं से सीखा है,’’ कहते हए वह ऊंचे स्वर में गाने लगा :

‘ओ मेरे मांझी, ले चल पार,

मैं इस पार, तू उस पार

ओ मेरे मांझी, अब की बार ले चल पार…’

मुझे लगा कि मेरे गालों पर लगाया साबुन सूख जाएगा अगर यह आदमी इसी तरह से गाता रहा. आखिर मैं ने उसे टोका, ‘‘राधेश्याम, पहले दाढ़ी बनाओ.’’

‘‘हां…हां… हुजूर साहब,’’ और इसी के साथ वह मेरे गालों पर उस्तरा चलाने लगा. पर अधिक देर तक चुप न रह सका. बोल ही पड़ा, ‘‘सर, आप को पता है कि आप की दाढ़ी में कितने बाल हैं?’’

‘‘नहीं,’’ मैं ने इनकार में सिर हिला दिया.

‘‘इसी तरह इस देश में कितनी कारें होंगी. किसी भी आम आदमी को नहीं पता. सड़कों पर चाहे पैदल चलने के लिए जगह न हो पर कर्ज ले कर लोग प्रतिदिन हजारों कारें खरीद रहे हैं और वातावरण को खराब कर रहे हैं,’’ राधेश्याम ने पहेली बूझी और मैं हंस पड़ा.

इस के बाद राधेश्याम अपने हाथ का उस्तरा मुझे दिखा कर बोला, ‘‘ये उस्तरा नाई के अलावा किसकिस के हाथ में है, पता है?’’

‘‘नहीं…’’ मैं अब की बार मुसकरा कर बोला.

‘‘सब से तेज धार वाला उस्तरा हमारी सरकार के हाथ में है. नित नए टैक्स लगा कर आम आदमी की जेब काटने में लगी हुई है,’’ राधेश्याम बोला.

अब तक राधेश्याम मेरी शेव एक बार बना चुका था. दूसरी बार क्रीम वाला साबुन मेरे गालों पर लगाते हुए बोला, ‘‘यह क्रीम जो आप की दाढ़ी पर लगा रहे हैं, इस का मतलब समझे हैं आप?’’

‘‘नहीं,’’ मैं बोला.

‘‘लोग आजकल बहुत चालाक और चापलूस हो गए हैं. जब अपना मतलब होता है तो इस क्रीम की तरह चिकना मस्का लगा कर दूसरों को खुश कर देते हैं किंतु जब मतलब निकल जाता है तो पहचानते भी नहीं,’’ राधेश्याम अपनी बात पर खुद ही ठहाका लगाने लगा.

मुझे राधेश्याम की इस तरह की उपमाएं बहुत पसंद आईं. वह एक खुशदिल इनसान लगा. मैं ने अपनी आंखें बंद कर लीं पर राधेश्याम चालू रहा और बताने लगा कि उस के घर में उस की बूढ़ी मां, पत्नी, 2 पुत्र और 1 पुत्री हैं.

पुत्री की वह शादी कर चुका था. उस का बड़ा बेटा एम.काम. कर चुका था और छोटा बी.ए. सेकंड ईयर में था. पर राधेश्याम को दुख इस बात का था कि उस का बड़ा बेटा एम.काम. करने के बाद भी पिछले 2 वर्षों से बेरोजगार था. वह सरकारी नौकरी का इच्छुक था पर उसे सरकारी नौकरी बेहद प्रयासों के बावजूद भी नहीं मिली.

अपनी दुकान से 5-6 हजार रुपए महीना राधेश्याम कमा रहा था. उस ने बेटे को सलाह दी थी कि वह दुकान में काम करे तो अभी जो दुकान 7 घंटे के लिए खुलती है उस का समय बढ़ाया जा सकता है. परंतु बेटे का तर्क था कि जब नाईगिरी ही करनी है तो एम.काम. करने का फायदा क्या था. पर राधेश्याम का कहना था कि नाईगिरी करो या कुछ और… पर काम करने की कला आनी चाहिए.

राधेश्याम की यह बात खत्म होतेहोते मेरी दाढ़ी बन चुकी थी. अब उस को अपनी असली कला मुझे दिखानी थी. उस ने अपनी बोतल से मेरे सिर पर पानी की फुहार मारी. फिर थोड़ी देर चंपी कर के सिर में कोई तेल डाला और मस्ती में अपने दोनों हाथों से मेरे सिर पर बड़ी देर तक उंगलियों से कलाबाजी दिखाता रहा.

मुझे पता नहीं सिर की कौनकौन सी नसों की मालिश हुई पर सच में आनंद आ गया. सारी थकान दूर हो गई. शरीर बेहद हलका हो गया था.

मैं राधेश्याम नाई को दिल से धन्यवाद देने लगा. उस का मेहनताना पूछा तो बोला, ‘‘कुल 20 रुपए, सरकार… यदि कटिंग भी बनवाते तो सब मिला कर 35 रुपए ले लेता.’’

मैं ने 100 का नोट निकाल कर कहा, ‘‘राधेश्याम, 20 रुपए तुम्हारी मेहनत के और शेष बख्शीश.’’

वह कुछ जवाब में कहता इस से पहले ही मैं बोल पड़ा, ‘‘देखो राधेश्याम, पहली बार तुम्हारी दुकान पर आया हूं… अनेक यादें ले कर जा रहा हूं इसलिए इसे रखना होगा. बाद में मिलने पर तुम्हारे फिल्मी दुनिया के अनुभव सुनूंगा.’’

अगले दिन ही मुझे दिल्ली लौटना पड़ा. इस के 6 माह बाद एक दिन राजेश का फोन आया कि उसे मेरी जरूरत पड़ गई है. मैं दिल्ली से राजेश के शहर में पहुंचा. 2 दिन में सारा काम निबटाया. इस के बाद दिल्ली लौटने से पहले सोचा कि राधेश्याम की दुकान पर 10 मिनट के लिए चल कर उस से मिल लूं, वह खुश हो जाएगा.

दुकान पर राधेश्याम का बड़ा लड़का मिला. वह कटिंग कर रहा था. मैं ने बड़ी व्याकुलता से पूछा, ‘‘राधेश्यामजी कहां हैं?’’

जवाब में वह फूटफूट कर रोने लगा. बोला, ‘‘पापा का पिछले महीने हार्ट अटैक के कारण निधन हो गया.’’

उस के रोते हुए बेटे को मैं ने अपने सीने से लगा कर दिलासा दी. जब वह थोड़ा शांत हुआ तो मैं ने उसे अपने पिता के व्यवसाय को अपनाते देख आश्चर्य प्रकट किया. कहा, ‘‘बेटे, तुम तो यह काम करना नहीं चाहते थे? क्या तुम्हारे लिए मैं नौकरी ढूंढूं. कामर्स पढ़े हो, मेरी किसी क्लाइंट की कंपनी में नौकरी लग जाएगी.’’

‘‘नहीं, अंकल, अब नौकरी नहीं करनी. पापा ठीक कहते थे कि पढ़ाई- लिखाई से आदमी का बौद्धिक विकास होता है पर सच्ची सफलता तो अपने काम को ही आगे बढ़ाने से मिलती है. नाई का काम करने से मैं छोटा नहीं बन जाऊंगा. छोटा बनूंगा, गलत काम करने से.’’

राधेश्याम के बेटे की आवाज में आत्मविश्वास झलक रहा था.

Holi 2024: आहत- शालिनी के प्यार में डूबा सौरभ उसके स्वार्थी प्रेम से कैसे था अनजान

हैवलौक अंडमान का एक द्वीप है. कई छोटेबड़े रिजोर्ट्स हैं यहां. बढ़ती जनसंख्या ने शहरों में प्रकृति को तहसनहस कर दिया है, इसीलिए प्रकृति का सामीप्य पाने के लिए लोग पैसे खर्च कर के अपने घर से दूर यहां आते हैं.

1 साल से सौरभ ‘समंदर रिजोर्ट’ में सीनियर मैनेजर के पद पर काम कर रहा था. रात की स्याह चादर ओढ़े सागर के पास बैठना उसे बहुत पसंद था. रिजोर्ट के पास अपना एक व्यक्तिगत बीच भी था, इसलिए उसे कहीं दूर नहीं जाना पड़ता था. अपना काम समाप्त कर के रात में वह यहां आ कर बैठ जाता था. लोग अकसर उस से पूछते कि वह रात में ही यहां क्यों बैठता है?

सौरभ का जवाब होता, ‘‘रात की नीरवता, उस की खामोशी मुझे बहुत भाती है.’’

अपनी पुरानी जिंदगी से भाग कर वह यहां आ तो गया था, परंतु उस की यादों से पीछा छुड़ाना इतना आसान नहीं था. आज सुबह जब से प्रज्ञा का फोन आया है तब से सौरभ परेशान था.

अब रात के सन्नाटे में उस की जिंदगी के पिछले सारे वर्ष उस के सामने से चलचित्र की तरह गुजरने लगे थे…

4 साल पहले जब सौरभ और शालिनी की शादी हुई थी तब उसे लगा था जैसे उस का देखा हुआ सपना वास्तविकता का रूप ले कर आ गया हो. शालिनी और सौरभ गोवा में 2 हफ्ते का हनीमून मना कर अपनी नई जिंदगी की शुरुआत करने दिल्ली आ गए. इतनी अच्छी नौकरी, शालिनी जैसी सुंदर और समझदार लड़की को अपनी पत्नी के रूप में पा कर सौरभ जैसे बादलों पर चल रहा था.

मगर सौरभ भूल गया था कि बादल एक न एक दिन बरस जाते हैं और अपने साथ सब कुछ बहा ले जाते हैं. शादी के पहले 1 साल में ही सौरभ को उस के और शालिनी के बीच के अंतर का पता चल गया. शालिनी खूबसूरत होने के साथसाथ बहुत ही खुले विचारों वाली भी थी, सौरभ के विचारों के बिलकुल विपरीत. उसे

खुले हाथों से खर्च करने की आदत थी, परंतु सौरभ मितव्ययी था. छोटीमोटी नोकझोंक उन के बीच चलती रहती थी, जिस में जीत हमेशा शालिनी की ही होती थी. शालिनी के व्यक्तित्व के सामने जैसे सौरभ का व्यक्तित्व गौण हो गया था.

रात के अंतरंग पलों में भी शालिनी को सौरभ से कई शिकायतें थीं. उस के अनुसार सौरभ उसे संतुष्ट नहीं कर पाता.

शालिनी जहां पार्टियों में जाना बहुत पसंद करती थी वहीं सौरभ का वहां दम घुटता था, परंतु शालिनी की जिद पर उस ने सभी पार्टियों में जाना शुरू कर दिया था. पार्टी में जाने के बाद शालिनी अकसर यह भूल जाती थी कि वह यहां सौरभ के साथ आई है.

ऐसी ही एक पार्टी में सौरभ की कंपनी का एक क्लाइंट विमल भी आया था. वह शालिनी के कालेज का मित्र था तथा एक बहुत बड़े उद्योगपति घराने का इकलौता चिराग था. उस से मिलने के बाद तो शालिनी जैसे यह भी भूल गई कि पार्टी में और लोग भी हैं.

बातें करते हुए विमल के हाथों का शालिनी के कंधों को छूना सौरभ को अच्छा नहीं लग रहा था, परंतु वहां पार्टी में उस ने शालिनी को कुछ नहीं कहा.

घर आने पर जब सौरभ ने शालिनी से बात करनी चाही तो वह भड़क उठी, ‘‘कितनी छोटी सोच है तुम्हारी… सही में, कौन्वैंट स्कूल में पढ़ने से अंगरेजी तो आ जाती है, पर मानसिकता ही छोटी हो तो उस का क्या करेंगे?’’

‘‘शालू, वह विमल बहुत बदनाम आदमी है. तुम नहीं जानती…’’

‘‘मैं जानना भी नहीं चाहती… जो स्वयं सफल नहीं हो पाते न वे औरों की सफलता से ऐसे ही चिढ़ते हैं.’’ सौरभ बात आगे नहीं बढ़ाना चाहता था, इसलिए चुप हो गया.

अगले दिन शालिनी की तबीयत ठीक नहीं थी तो सौरभ ने उसे परेशान करना ठीक नहीं समझा और बिना नाश्ता किए औफिस चला गया.

दोपहर में शालिनी की तबीयत के बारे में जानने के लिए लैंडलाइन पर सौरभ लगातार फोन करता रहा, परंतु शालिनी ने फोन नहीं उठाया. मोबाइल भी शालिनी ने बंद कर रखा था. काफी प्रयास के बाद शालिनी का फोन लग गया.

‘‘क्या हुआ शालिनी? ठीक तो हो न तुम? मैं कितनी देर से लैंडलाइन पर फोन कर रहा था… मोबाइल भी बंद कर रखा था तुम ने.’’

‘‘हां, मैं ठीक हूं. विमल ने लंच के लिए बुलाया था… वहां चली गई थी… मोबाइल की बैटरी खत्म हो गई थी.’’

‘‘क्या…विमल के साथ…’’

‘‘हां, क्यों?’’

‘‘मुझे बता तो सकती थी…’’

‘‘अब क्या इतनी छोटी सी बात के लिए भी तुम्हारी इजाजत लेनी पड़ेगी?’’

‘‘बात इजाजत की नहीं है, सूचना देने की है. मुझे पता होता तो इतना परेशान नहीं होता.’’

‘‘तुम्हें तो परेशान होने का बहाना चाहिए सौरभ.’’

‘‘खैर, छोड़ो शालिनी… घर पर बात करेंगे.’’

रिसीवर रखने के बाद सौरभ सोच में पड़ गया कि सुबह तक तो शालिनी

उठने की भी हालत में नहीं थी और दोपहर तक इतनी भलीचंगी हो गई कि बाहर लंच करने चली गई. फोन पर भी उस का व्यवहार सौरभ को आहत कर गया था. रात में उस ने शालिनी से इस विषय पर बात करने का मन बना लिया.

मगर रात में तो शालिनी का व्यवहार बिलकुल ही बदला हुआ था. पूरे घर में सजावट कर रखी थी उस ने. टेबल पर एक केक उस का इंतजार कर रहा था.

‘‘शालिनी, यह सब क्या है? आज किस का जन्मदिन है?’’

‘‘केक काटने के लिए उपलक्ष्य का इंतजार क्यों करना…अपने प्यार

को सैलिब्रेट करने के लिए केक नहीं काट सकते क्या?’’ शालिनी अपनी नशीली आंखों का जाल सौरभ पर डाल चुकी थी.

दोनों ने साथ केक काटा, फिर शालिनी ने अपने हाथों से सौरभ को डिनर कराया. शालिनी ने पहले से ही सब कुछ तय कर रखा था. धीमा संगीत माहौल को और खूबसूरत बना रहा था. उस रात दोनों ने एकदूसरे से खुल कर प्यार किया.

बहुत तड़के ही शालिनी उठ कर नहाने चली गई. अभी वह ड्रैसिंगटेबल के पास पहुंची ही थी कि सौरभ ने उसे पीछे से अपनी बांहों में भर लिया और चुंबनों की बौछार कर दी.

‘‘अरे छोड़ो न, क्या करते हो? रात भर मस्ती की है, फिर भी मन नहीं भरा तुम्हारा,’’ शालिनी कसमसाई.

‘‘मैं तुम्हें जितना ज्यादा प्यार करता हूं, उतना ही और ज्यादा करने का मन करता है.’’

‘‘अच्छा… तो अगर मैं आज कुछ मांगूं तो दोगे?’’

‘‘जान मांगलो, पर अभी मुझे प्यार करने से न रोको.’’

‘‘उफ, इतनी बेचैनी… अच्छा सुनो मैं ने नौकरी करने का निर्णय लिया है.’’

‘‘अरे, मैं तो खुद ही कह चुका हूं तुम्हें… घर बैठ कर बोर होने से तो अच्छा ही है… अच्छा समझ गया. तुम चाहती हो मैं तुम्हारी नौकरी के लिए किसी से बात करूं.’’

‘‘नहीं… मुझे नौकरी मिल गई है.’’

‘‘मिल गई, कहां?’’

‘‘विमल ने मुझे अपने औफिस में काम करने का औफर दिया और मैं ने स्वीकार लिया.’’

सौरभ समझ गया था विरोध बेकार है. शालिनी उस से पूछ नहीं रही थी, उसे अपना निर्णय बता रही थी. सौरभ ने गले लगा कर शालिनी को बधाई दी और उस के बाद एक बार फिर दोनों एकदूसरे में समा गए.

शालिनी ने विमल के औफिस में काम करना शुरू कर दिया था. औफिस के काम से दोनों को कई बार शहर से बाहर भी जाना पड़ता था, परंतु सौरभ को कभी उन पर शक नहीं हुआ, क्योंकि शक करने जैसा कुछ था ही नहीं.

विमल के हर टूअर में उस की पत्नी रमा उस के साथ जाती थी. शालिनी तो अकसर

सौरभ से विमल और रमा के प्रेम की चर्चा भी करती थी. ऐसे ही एक टूअर पर विमल और रमा के साथ शालिनी भी गई. वैसे तो यह एक

औफिशियल टूअर था पर मनाली की खूबसूरती ने उन का मन मोह लिया. तय हुआ अभी तीनों ही जाएंगे. सौरभ बाद में उन के साथ शामिल होने वाला था.

मीटिंग के बाद विमल और शालिनी लौट रहे थे. विमल को ड्राइविंग पसंद थी, इसलिए अकसर वह गाड़ी खुद ही चलाता था. अचानक एक सुनसान जगह पर उस ने गाड़ी रोक दी.

‘‘क्या हुआ विमल, गाड़ी खराब हो गई क्या?’’

‘‘गाड़ी नहीं मेरी नियत खराब हो गई है और उस का कारण तुम हो शालिनी.’’

‘‘मैं… वह भला कैसे?’’ शालिनी ने मासूमियत का नाटक करते हुए पूछा.

‘‘तुम इतनी खूबसूरत हो तो तुम्हारे प्यार करने की अदा भी तो उतनी ही खूबसूरत होगी न?’’ कह विमल ने शालिनी का हाथ पकड़ लिया.

‘‘मुझे अपने करीब आने दो… इस में हम दोनों का ही फायदा है.’’

‘‘तुम पागल हो गए हो विमल?’’ शालिनी ने हाथ छुड़ाने का नाटक भर किया.

‘‘नहीं शालिनी अभी पागल तो नहीं हुआ, लेकिन यदि तुम्हें पा न सका तो जरूर हो जाऊंगा.’’

‘‘न बाबा न, किसी को पागल करने का दोष मैं अपने ऊपर क्यों लूं?’’

‘‘तो फिर अपने इन अधरों को…’’ बात अधूरी छोड़ विमल शालिनी को अपनी बांहों में लेने की कोशिश करने लगा.

‘‘अरेअरे… रुक भी जाओ. इतनी जल्दी क्या है? पहले यह तो तय हो जाए इस में मेरा फायदा क्या है?’’

‘‘तुम जो चाहो… मैं तो तुम्हारा गुलाम हूं.’’

शालिनी समझ गई थी, लोहा गरम है और यही उस पर चोट करने का सही वक्त है. अत: बोली, ‘‘मुझे नए प्रोजैक्ट का हैड बना दो विमल. बोलो क्या इतना कर पाओगे मेरे लिए?’’

‘‘बस, समझो बना दिया.’’

‘‘मुझे गलत मत समझना विमल, परंतु मैं ऐसे ही तुम्हारी बात पर भरोसा…’’

‘‘ऐसा है तो फिर यह लो,’’ कह उसी समय उसी के सामने औफिस में फोन कर शालिनी की इच्छा को अमलीजामा पहना दिया.

जब शालिनी के मन की बात हो गई तो फिर विमल के मन की बात कैसे अधूरी रहती.

उस दिन के बाद विमल और शालिनी और करीब आते गए. दोनों एकसाथ घूमते, खातेपीते और रात भर खूब मस्ती करते. रमा होटल के कमरे में अकेली पड़ी रही, पर उस ने विमल से कभी भी कुछ नहीं पूछा.

2 हफ्ते बाद वे लोग दिल्ली लौट आए थे. सौरभ को औफिस से छुट्टी नहीं मिल पाई थी, इसलिए उस का मनाली का टूअर कैंसिल हो गया था. इसी बात को बहाना बना कर शालिनी ने सौरभ से झूठी नाराजगी का ढोंग भी रचाया था.

‘‘वहां विमल और रमा एकसाथ घूमते… मैं अकेली होटल में कमरे में करवटें बदलती रह जाती.’’

सौरभ बेचारा मिन्नतें करता रह जाता और फिर शालिनी को मनाने के लिए उस की पसंद के महंगेमहंगे उपहार ला कर देता रहता… फिर भी शालिनी यदाकदा उस बात को उठा ही देती थी.

मनाली से लौट कर शालिनी के रंगढंग और तेवर लगातार बदल रहे थे.

अब तो वह अकसर घर देर से लौटने लगी और कई बार तो उस के मुंह से शराब की गंध भी आ रही होती.

शालिनी अकसर खाना भी बाहर खा कर आती थी. कुक सौरभ का खाना बना कर चला जाता था. जब वह घर लौटती उस के बेतरतीब कपड़े, बिगड़ा मेकअप भी खामोश जबान से उस की चुगली करते थे. मगर सौरभ ने तो जैसे अपनी आंखें मूंद ली थी. उसे तो यही लगता था कि वह शालिनी को समय नहीं दे पा रहा. इसीलिए वह उस से दूर हो रही.

एक दिन शालिनी ने उसे बताया विमल और रमा घूमने आगरा जा रहे हैं और उन से भी साथ चलने को कह रहे हैं. सौरभ को इस बार भी छुट्टी मिलने में परेशानी हो रही थी. उस के कई बार समझाने पर शालिनी विमल और रमा के साथ चली गई. सब कुछ शालिनी के मनमुताबिक ही हो रहा था, फिर भी उस ने अपनी बातों से सौरभ को अपराधबोध से भर दिया था.

गाड़ी में आगे की सीट पर विमल की बगल में बैठी शालिनी सौरभ की बेवकूफी पर काफी देर तक ठहाका लगाती रही थी.

‘‘अब बस भी करो शालिनी डार्लिंग… बेचारा सौरभ… हाहाहा’’

‘‘चलो छोड़ दिया. तुम यह बताओ तुम्हें गाड़ी से जाने की क्या सूझी?’’

‘‘दिल्ली और आगरा के बीच की दूरी है ही कितनी और वैसे भी लौंग ड्राइव में रोमांस का अपना मजा है मेरी जान,’’ और फिर दोनों एकसाथ हंस पड़े थे. रमा पीछे की सीट पर बैठी उन की इस बेहयाई की मूक दर्शक बनी रही.

सौरभ को छुट्टी अगले दिन ही मिल गई थी, परंतु वह शालिनी को सरप्राइज देना चाहता था. इसलिए शालिनी को बिन बताए ही आगरा पहुंच गया.

लंबेलंबे डग भरता वह होटल में शालिनी के कमरे की तरफ बढ़ा. खूबसूरत फूलों का गुलदस्ता उस के हाथों में था. दिल में शालिनी को खुश करने की चाहत लिए उस ने कमरे पर दस्तक देने के लिए हाथ उठाया ही था कि अंदर से आती शालिनी और किसी पुरुष की सम्मिलित हंसी ने उसे चौंका दिया.

बदहवास सा सौरभ दरवाजा पीटने लगा. अंदर से आई एक आवाज ने उसे स्तब्ध कर दिया था.

‘‘कौन है बे… डू नौट डिस्टर्ब का बोर्ड नहीं देख रहे हो क्या? जाओ अभी हम अपनी जानेमन के साथ बिजी हैं.’’

परंतु सौरभ ने दरवाजा पीटना बंद नहीं किया. दरवाजा खुलते ही अंदर का नजारा देख कर सौरभ को चक्कर आ गया. बिस्तर पर पड़ी उस की अर्धनग्न पत्नी उसे अपरिचित निगाहों से घूर रही थी.

जमीन पर बिखरे उस के कपड़े सौरभ की खिल्ली उड़ा रहे थे. कहीं किसी कोने में विवाह का बंधन मृत पड़ा था. उस का अटल विश्वास उस की इस दशा पर सिसकियां भर रहा था और प्रेम वह तो पिछले दरवाजे से कब का बाहर जा चुका था.

‘‘शालिनी….’’ सौरभ चीखा था.

परंतु शालिनी न चौंकी न ही असहज हुई, बस उस ने विमल को कमरे से बाहर जाने का इशारा कर दिया और स्वयं करवट ले कर छत की तरफ देखते हुए सिगरेट पीने लगी.

‘‘शालिनी… मैं तुम से बात कर रहा हूं. तुम मेरे साथ ऐसा कैसे कर सकती हो?’’ सौरभ दोबारा चीखा.

इस बार उस से भी तेज चीखी शालिनी, ‘‘क्यों… क्यों नहीं कर सकती मैं तुम्हारे साथ ऐसा? ऐसा है क्या तुम्हारे अंदर जो मुझे बांध पाता?’’

‘‘तुम… विमल से प…प… प्यार करती हो?’’

‘‘प्यार… हांहां… तुम इतने बेवकूफ हो सौरभ इसलिए तुम्हारी तरक्की इतनी स्लो है… यह लेनदेन की दुनिया है. विमल ने अगर मुझे कुछ दिया है तो बदले में बहुत कुछ लिया भी है. कल अगर कोई इस से भी अच्छा औप्शन मिला तो इसे भी छोड़ दूंगी. वैसे एक बात बोलूं बिस्तर में भी वह तुम से अच्छा है.’’

‘‘कितनी घटिया औरत हो तुम, उस के साथ भी धोखा…’’

‘‘अरे बेवकूफ विमल जैसे रईस शादीशुदा मर्दों के संबंध ज्यादा दिनों तक टिकते नहीं. वह खुद मुझ से बेहतर औप्शन की तलाश में होगा. जब तक साथ है है.’’

‘‘तुम्हें शर्म नहीं आ रही?’’

‘‘शर्म कैसी पतिजी… व्यापार है यह… शुद्घ व्यापार.’’

‘‘शालिनी…’’

‘‘आवाज नीची करो सौरभ. बिस्तर में चूहा मर्द आज शेर बनने की ऐक्टिंग कर रहा है.’’

सौरभ रोते हुए बोला ‘‘शालिनी मत करो मेरे साथ ऐसा. मैं तुम से बहुत प्यार करता हूं.’’

‘‘सौरभ तुम मेरा काफी वक्त बरबाद कर चुके हो. अब चुपचाप लौट जाओ… बाकी बातें घर पर होंगी.’’

‘‘हां… हां… देखेंगे… वैसे मेरा काम आसान करने के लिए धन्यवाद,’’ कह बाहर निकलते सौरभ रमा से टकरा गया.

‘‘आप सब कुछ जानती थीं न’’ उस ने पूछा.

‘‘हां, मैं वह परदा हूं, जिस का इस्तेमाल वे दोनों अपने रिश्ते को ढकने के लिए कर रहे थे.’’

‘‘आप इतनी शांत कैसे हैं?’’

‘‘आप को क्या लगता है शालिनी मेरे पति के जीवन में आई पहली औरत है? न वह पहली है और न ही आखिरी होगी.’’

‘‘आप कुछ करती क्यों नहीं? इस अन्याय को चुपचाप सह क्यों रही हैं?’’

‘‘आप ने क्या कर लिया? सुधार लिया शालिनी को?’’

‘‘मैं उसे तलाक दे रहा हूं…’’

‘‘जी… परंतु मैं वह नहीं कर सकती.’’

‘‘क्यों, क्या मैं जान सकता हूं?’’

‘‘क्योंकि मैं यह भूल चुकी हूं कि मैं एक औरत हूं, किसी की पत्नी हूं. बस इतना याद है कि मैं 2 छोटी बच्चियों की मां हूं. वैसे भी यह दुनिया भेडि़यों से भरी हुई है और मुझ में इतनी ताकत नहीं है कि मैं स्वयं को और अपनी बेटियों को उन से बचा सकूं.’’

‘‘माफ कीजिएगा रमाजी अपनी कायरता को अपनी मजबूरी का नाम मत दीजिए. जिन बेटियों के लिए आप ये सब सह रही हैं उन के लिए ही आप से प्रार्थना करता हूं, उन के सामने एक गलत उदाहरण मत रखिए. यह सब सह कर आप 2 नई रमा तैयार कर रही हैं.’’

औरत के इन दोनों ही रूपों से सौरभ को वितृष्णा हो गई थी. एक अन्याय करना अपना अधिकार समझती थी तो दूसरी अन्याय सहने को अपना कर्तव्य.

दिल्ली छोड़ कर सौरभ इतनी दूर अंडमान आ गया था. कोर्ट में उस का केस चल रहा था. हर तारीख पर सौरभ को दिल्ली जाना पड़ता था. शालिनी ने उस पर सैक्स सुख न दे पाने का इलजाम लगाया था.

सौरभ अपने जीवन में आई इस त्रासदी से ठगा सा रह गया था, परंतु शालिनी जिंदगी में नित नए विकल्प तलाश कर के लगातार तरक्की की नई सीढि़यां चढ़ रही थी.

आज सुबह प्रज्ञा, जो सौरभ की वकील थी का फोन आया था. कोर्ट ने तलाक को मंजूरी दे दी थी, परंतु इस के बदले काफी अच्छी कीमत वसूली थी शालिनी ने. आर्थिक चोट तो फिर भी जल्दी भरी जा सकती हैं पर मानसिक और भावनात्मक चोटों को भरने में वक्त तो लगता ही है.

सौरभ अपनी जिंदगी के टुकड़े समेटते हुए सागर के किनारे बैठा रेत पर ये पंक्तियां लिख रहा था:

‘‘मुरझा रहा जो पौधा उसे बरखा की आस है,

अमृत की नहीं हमें पानी की प्यास है,

मंजिल की नहीं हमें रास्तों की तलाश है.’’

गर्मियों में पिंपल की प्रौब्लम से छुटकारा पाने का इलाज बताएं?

सवाल-

गर्मियों की शुरुआत होते ही हमारी स्किन पर पिंपल्स की प्रौब्लम शुरू हो जाती है. ये पिम्पल्स न तो दिखने में अच्छे लगते हैं और साथ ही इन्हें छूने पर पेन भी काफी महसूस होता है. कृपया इसका कोई सोलूशन बताएं?

जवाब-

असल में समर्स में तेल पैदा करने वाली सीबासोउस ग्लैंड्स त्वचा के छिद्रों के बंद होने के कारण अति सक्रिय हो जाते हैं. जिससे इन पोर्स में तेल के जमा होने के कारण मुंहासों की समस्या पैदा होनी शुरू हो जाती है. वैसे हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली इन फॉरेन तत्वों से छुटकारा पाने की कोशिश करती है, जो जलन, सूजन का कारण बनती है. वहीं कई बार होर्मोन्स के लेवल में अचानक वृद्वि होने से भी सीबम का उत्पादन उत्तेजित होता है. जिससे पोर्स बंद होने से त्वचा में सूजन की समस्या आ जाती है. जो  सीबासोउस ग्लैंड्स को ज्यादा एक्टिवेट करते हैं , जो सीबम का ज्यादा उत्पादन करता है, और मुंहासों का कारण बनता है. ऐसे में जरूरी है कि सही समय पर ट्रीटमेंट लेने की. तो आइए जानते हैं इस संबंध में ब्यूटी एक्सपर्ट नमिता से….

लाइफस्टाइल में बदलाव 

बहुत सी महिलाओं को बहुत माइल्ड मुंहासे की समस्या का सामना करना पड़ता है. और ये प्रोब्लम अकसर उन्हें आयल के कारण होती है. ऐसे में जरूरी है माइल्ड पिंपल्स से बचने के लिए अपने लाइफस्टाइल में बदलाव लाने की. इसके लिए ज्यादा ऑयली फूड से दूरी बनाने के साथसाथ समर्स में अपने चेहरे पर भी आयल को जमा न होने दें. इसके लिए चेहरे को फेसवाश से धोने के साथसाथ हर 3 – 4 घंटे में सादे पानी से फेस को क्लीन करना न भूलें. ताकि चेहरे पर ग्रीसी इफेक्ट खत्म होने के साथ इसके कारण हमारे पोर्स ब्लौक न हो. कोशिश करें कि अपनी स्किन को सोफ्ट क्लींज़र से क्लीन करें और कभी भी चेहरे पर हार्श तरीके से स्क्रबिंग न करें. क्योंकि इससे मुंहासों की स्थिति और खराब हो सकती है. साथ ही आप फ्रैग्रैंस वाले लोशन व आयल बेस्ड मेकअप अवोइड करें. और ऐसे मॉइस्चराइजर व सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें, जिस पर  नोनकोमेडिक लिखा हो, क्योंकि ऐसे प्रोडक्ट्स पोर्स को क्लोग नहीं करते हैं.

जब हो स्थिति गंभीर 

सनएक्सपोज़र से बचें 

जब चेहरे पर एक्ने की स्तिथि बहुत गंभीर होती है, तो थोड़ा सा सन एक्सपोज़र भी एक्ने प्रोन स्किन को नुकसान पहुंचा सकता है. ऐसे में जरूरी है कि आप जितना संभव हो सके सनएक्सपोज़र से बचें. और अगर निकलना भी पड़े तो आप स्किन को सूट करने वाला सनस्क्रीन लगाएं व अपने चेहरे व हाथ को सोफ्ट कॉटन के कपड़े से कवर करके निकलें. इससे काफी हद तक आप अपनी स्किन का बचाव कर सकते हैं.

यूज़ रेटिनोइड्स क्रीम्स 

अगर आपके मुंहासे काफी उबरे हुए हैं और उनमें सूजन व जलन भी काफी है तो आप रेटिनोल्स एक्ने क्रीम्स, जैल , लोशन्स का इस्तेमाल करें. क्योंकि ये न्यू सेल्स को तेजी से बनाने का काम करते हैं , जिससे डेड स्किन सेल्स पोर्स को क्लोग नहीं कर पाते हैं. इनमें एंटी इन्फ्लेमेटरी प्रोपर्टीज होती हैं. जिसके कारण ये दागधब्बों को भी कम करने में मददगार है. साथ ही मुंहासों के कारण स्किन में जो डलनेस देखने को मिलती है , उसमें भी कमी आती है. यानी ये स्किन पिगमेंटेशन को कम करने में मददगार है.

टॉक टू डर्मटोलोजिस्ट 

अगर आपको एक्ने में बेहद दर्द व सूजन महसूस हो रही है तो बिना कोई देरी किए तुरंत डर्मटोलोजिस्ट को दिखाएं , ताकि सही समय पर सही ट्रीटमेंट मिलने से स्तिथि को बिगड़ने से रोका जा सके.

केमिकल पील 

ये एक ऐसा ट्रीटमेंट है, जो पिंपल्स व इसके कारण चेहरे पर होने वाले दागधब्बों को खत्म करके आपको बहुत कम समय में क्लियर स्किन देने का काम करता है. इसके माध्यम से कुछ खास तरह के केमिकल्स का उपयोग करके त्वचा की ऊपरी परत को हटाया जाता है. जिससे स्किन में नई जान आने के साथ स्किन फिर से खिल उठती है. ये हमेशा एक्सपर्ट की देखरेख में ही करें. क्योंकि घर पर इसे करने से स्किन पर एलर्जी जैसी समस्या भी हो सकती है. ये कम समय में अमेजिंग रिजल्ट देता है.

डेप्सोल जैल 

पेनफुल पिंपल्स की स्थिति में डर्मटोलोजिस्ट भी इस जैल को लगाने की सलाह देते हैं. क्योंकि इस जैल में है एंटीमाइक्रोबियल व एंटीबैक्टीरियल प्रोपर्टीज. ये पिंपल्स को ट्रीट करने के साथ ब्लैकहेड्स , वाइटहेड्स की समस्या को भी दूर करने का काम करते हैं. लेकिन इस बात का खास तौर पर ध्यान देने की जरूरत होती है कि बेहतर रिजल्ट के चक्कर में इसकी ज्यादा क्वांटिटी न लगाएं वरना स्किन के ड्राई होने के चांसेस ज्यादा रहते हैं.

बेंज़ोइल पेरोऑक्साइड 

ये एंटीबैक्टीरियल  इंग्रीडिएंट होने के कारण एक्ने बैक्टीरिया को नष्ट करने का काम करता है, जो ब्रेअकाउट्स का कारण बनते हैं. लेकिन इस इंग्रीडिएंट युक्त क्रीम का इस्तेमाल करने से पहले पैक पर चेक जरूर करें कि इसमें 2 पर्सेंट से अधिक बेंज़ोइल पेरोऑक्साइड न हो, वरना ये सेंसिटिव स्किन को नुकसान पहुंचा सकता है. इस तरह आप एक्ने की प्रोब्लम से निजात पा सकते हैं.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

बोलती आंखे: क्यों परेशान रहती थी प्रतिमा ?

कम उम्र में ही जिम्मेदारियों तले दबी वह सिर्फ परिवार के लिए अपना कर्तव्य पूरा करती गई और शादी तक नहीं की. मगर ऐसा क्या हुआ उस के साथ कि एक समय वह खुद को ठगा हुआ महसूस करने ल   एकसमय था जब हर समय सितार के तारों की ?ांकार कानों में गूंजती रहती थी. बयार रोमरोम को सिहराती, सहलाती, अठखेलियां करती गुजरती थी.

खुले आकाश में पंक्तिबद्ध उड़ते पक्षियों को देख कर मेरा मन भी स्वच्छंद पंख फैलाए दूर आकाश में उड़ने को ललचाता था. हर सुबह एक सुखद नवजीवन का संदेश ले कर आती थी और हर रात सुनहरे सपनों के साथ नींद से बो?िल पलकों पर दस्तक देती थी.

दूर आकाश में दूधिया चांद बादलों की ओट से ?ांकता, मुसकराता और आने वाले जीवन के लिए शुभ आशीष देता प्रतीत होता था. जिंदगी की पुस्तक के पन्ने बड़ी तेजी से फड़फड़ाते हुए बदलते गए और एक किशोरी अपनी बड़ीबड़ी आंखों में तैरते हुए सपनों के साथ युवावस्था में प्रवेश कर के जिंदगी की सचाइयों को कुछकुछ सम?ाने लगी थी. युग का वह एक ऐसा दौर था जब मातापिता एक युवा लड़की के भविष्य के  धागों को बुन कर उसे एक ऐसा आवरण प्रदान करना चाहते हैं, जहां वह हर प्रकार के दुख की निशा के अंधकार से दूर रहे.

अब शुरू हुआ तरुणाई और इच्छाओं के सुंदर मेल के साथ जिंदगी का वह सफर जहां से आगे बढ़ने के बाद अपने शैशव और किशोर जीवन में जाना असंभव है. यह है कुदरत का नियम, नियति का कानून, जहां न चाहते हुए भी आगे बढ़ते जाना एक विडंबना ही है. मैं ने पीछे मुड़ कर देखने की कोशिश की तो 2 सुंदर मगर आंसुओं से भीगी आंखें मु?ा से कुछ कहने की कोशिश कर रही थीं. हां, शायद यही कि हम तुम्हारे शैशवकाल की आंखें हैं, जहां आंखों में जरा से आंसू आते ही मां का कोमल, प्यार से महकता आंचल हौले से उन आंसुओं की नमी को सुखा देता था.

हम तुम्हारे किशोरावस्था की आंखें हैं, जिंन्होंने जीवन के उस दौर में सबकुछ अच्छा ही देखा था. मु?ा में उन आंखों का सामना करने का बिलकुल साहस नहीं था.  अब मैं अपने जीवन में आगे बढ़ चुकी थी और एक युवा होने के नाते बहुत सी  जिम्मेदारियों और कायदेकानूनों से बंधी हुई थी. मेरी आंखों में सजीले सपने अभी भी तैरते थे, परंतु आकांक्षाओं के घने सायों में घिरे, कुछ सहमे तथा कुछ घबराए से, लगता था कि जीवन का कठोर धरातल, सपनों के कोमल कदमों को कुछ अधिक कर्कशता के साथ जख्म देने के लिए तैयार था. वह युवा जानती थी कि किशोरावस्था में उस ने जो हसीं व कोमल सपने देखे थे, वे कभी भी पूरे होने वाले नहीं हैं. फिर भी आशा की किरणों के प्रकाश ने प्रयास जारी रखा कि वास्तविकता का अंधकार जीवन से कुछ समय के लिए दूर ही रहे.

यह समाज, कू्रर समाज किसी भी लड़की को सपने देखने तक का अधिकार नहीं देता, सपने पूरे करना तो दूर की बात है. एक छोटे से शहर की यह लड़की अपने जीवन में कुछ ऐसा करना चाहती थी जिस से उस के मातापिता को सम्मान मिले तथा समाज में वह दूसरी लड़कियों के लिए प्रेरणा बन सके, उन्हें कुछ करने की दिशा दे सके, उन का मार्गदर्शन कर सके. अपनी ओर उठती सैकड़ों आंखों में मैं बस एक ही प्रश्न की परछाईं देखती थी कि क्या ऐसा संभव होगा? क्या यह निर्दयी समाज ऐसा होने देगा? फिर कुछ अन्य कुटिल आंखों में अपने लिए व्यंग्यात्मक घृणा के भावों का दर्शन करती थी, जो मु?ा से कह रहे थे कि लड़की को यह अधिकार हमारा समाज कभी नहीं दे सकता कि वह सुशिक्षित हो कर अपने स्वाभिमान की रक्षा करते हुए जीविकोपार्जन करे. उसे तो केवल एक ऐसे जीवनसाथी की प्रतीक्षा करनी चाहिए जो अपने अहं की संतुष्टि के लिए उस के जीवन में प्रवेश करेगा?

जिस के लिए मेरी कोमल भावनाओं की कोई कद्र नहीं होगी. वह आएगा किसी नृप के समान और उस के विचार से मु?ा जैसी तुच्छ, दीनहीन नारी पर दया कर के, मेरे द्वारा उस के लिए की गई हजारों सेवाओं के बदले वह मु?ो 2 वक्त की रोटी देने का एहसान करेगा. 2 वक्त की इन रोटियों के साथ सैकड़ों ताने तथा उलाहनों की तपन भी होगी, जिन्हें सुन कर वे रोटियां मेरे लिए स्वादिष्ठ भोजन नहीं बल्कि स्वयं को अपनी संतानों के लिए जीवित रखने का एक माध्यम मात्र होंगी. 22 वर्ष की अल्पायु में ही मु?ा से जीवन के सारे अधिकार छीन लिए गए. मैं सांस तो ले रही थी परंतु अपने लिए नहीं बल्कि अपने अनगिनत कर्तव्यों का पालन करने के लिए. मैं जी तो रही थी परंतु अपने लिए नहीं बल्कि कुछ ऐसे लोगों के लिए जो मु?ो इंसान भी नहीं सम?ाते थे.

मैं तो बस एक कठपुतली बन कर रह गई थी जो लोगों के इशारों पर, न चाहते हुए भी अनवरत, अथक नृत्य कर रही थी. कई जोड़ी आंखें मु?ा से दिनभर का हिसाब मांगती रहती थीं. मैं अपने कर्तव्यों को पूरा करतेकरते सारे दिन की थकान के बाद रात के अधंकार में अपने वजूद को तलाशने की कोशिश करती थी, पर हर बार नाकाम साबित होती थी. मेरा मस्तिष्क जो कभी वीणा के तारों की ?ांकार के समान हर दिन तरोताजा, सुमधुर तानें छेड़ता रहता था, आज वही लगता था कि हमेशा के लिए सो जाना चाहता है, चिरनिद्रा में लीन हो जाना चाहता है. रात के अंधकार में आईने के सामने खड़ी मैं खुद को निहार रही थी और स्तब्ध थी. आईने में यह छवि किस की है? कितनी सदियों के बाद आज मैं आईने के सामने खड़ी थी और आईने से बारबार यह प्रश्न करना चाहती थी कि वह मु?ो किस की छवि के दर्शन करा रहा है? यह तो मैं नहीं, नहीं… नहीं, यह तो मैं हो ही नहीं सकती.

मेरे तो काले, लंबे, घने बाल घुटनों को छूते थे. मेरे गोरे चेहरे पर 2 बड़ीबड़ी बोलती आंखें थीं, जो हर समय सपनों में खोई सी प्रतीत होती थीं. अधरों पर सुबह की ताजगी के समान खिली हुई एक मुसकराहट थी. कोमल लता के समान लचीला शरीर, जो प्राकृतिक रूप से सुंदर, सुगंधित छटा बिखेरता हुआ साक्षात अद्भुत स्वप्निल प्रतिमा सा दिखाई देता था. आईने वाली बूढ़ी औरत की आंखें तो धूमिल हैं. उन में सपने नहीं, केवल निराशा और आंसू हैं. इस के चेहरे पर तो ?ार्रियां ही ?ार्रियां हैं. माथे पर पड़ी गहरी लकीरें कह रही हैं कि इस औरत ने अपनी बेरौनक जिंदगी में बहुत उतारचढ़ाव देखे हैं. जिंदगीभर उस का सामना समस्याओं से ही होता रहा है. वह तो इस पूरे संसार में प्यार बांटना चाहती थी, अपनी अनथक सेवा से लोगों के दिलों को जीतना चाहती थी, पर इतने सब प्रयासों के बाद भी इस संसार में उसे नफरत, अपमान और दुत्कार के सिवा कुछ भी नहीं मिला.

उस के अपनों ने ही उसे दुखों के अंधकार में धकेल दिया.  एक समय था जब वह उन बोलती आंखों का इंतजार करती थी जो उस के जीवन  में आ कर उस के ऊपर अपार प्रेम की वर्षा कर के कहेंगी कि तुम्हारी छवि मु?ा में हर पल बसी है, जिन आंखों से जीवन जीने की दिशा मिलेगी, जो आंखें उठतीगिरती पलकों के साथ उस के हर सेवाभाव के लिए कृतज्ञतापूर्वक मुसकान बिखेरेंगी, जो उस के मन की बात बिना कहे ही पढ़ लेंगी, जिन आंखों में उस के लिए सम्मान होगा. मगर काश… काश ऐसा हो पाता. मैं ने तो जीवनभर हर तरफ से नफरत की बौछारों को ही ?ोला है. मैं आज आईने पर पड़ी धूल की तरह हो चुकी हूं, मैं समय की धारा से पूछना चाहती हूं कि मैं कहां गलत थी? मैं ने क्या गलत किया जिस की सजा मु?ो मिली? प्रियजनों के लिए सप्रेम कर्तव्यों का पालन किया, कोई अपेक्षित अंधकार तो था ही नहीं. तनमनधन अपने प्रियजनों पर निछावर किया.

मेरे शरीर के अंग ही मु?ो पीडि़त कर गए. क्या मु?ो लड़की होने की सजा जीवनभर मिलती रहेगी? क्या मेरे दुखों का अंत नहीं? मेरे सपनों की हत्या कर दी गई. मु?ा से हर सांस का हिसाब मांगा गया. मेरी सपनों से बो?िल आंखें अश्रुपूरित हो कर आज संसार से पूछना चाहती हैं कि क्या मेरे जीवन में आई दुखों, यातनाओं की आंधियों का उन के पास कोई जवाब है? मेरी दुखी आंखें कहना चाहती हैं कि काश इस जीवन में कोई उन की व्यथा को सम?ा पाता.

जब ये आंखें मुसकराना चाहती थीं तब लोगों ने इन में आंसू न भरे होते. जब ये सुख की नींद सोना चाहती थीं, तब इन में दर्द और तृष्णा न भरी गई होती. प्रेमप्यासी आंखें आज आंसुओं में डूबडूब कर इस सृष्टि के पालनहार से यह पूछ रही हैं कि इस दुखी जीवन का अंत कब होगा? अंतत: दूसरी दुनिया में प्रवेश करने के बाद भी क्या भावनात्मक असुरक्षा बनी रहेगी? क्या मेरे दुखों का अंत कभी होगा? जिंदगी की हर खुशी से रिक्त आंखें क्या कभी चैन की नींद सो पाएंगी? क्या मेरी बूढ़ी बोलती आंखों का दर्द कभी किसी को सम?ा में आएगा?

Holi 2024: फैमिली के लिए बनाएं भांग रबड़ी

रबड़ी हर किसी को पसंद होती है और अगर होली के मौके पर बनाया जाए तो इसका स्वाद दोगुना बढ़ जाएगा. आज हम आपको भांग रबड़ी की खास रेसिपी बताएंगे, जिसे आप आसानी से अपनी फैमिली और फ्रेंड्स के लिए होली के मौके पर बना सकते हैं.

हमें चाहिए

– 2 कप साधारण दूध (नियमित दूध का उपयोग करें)

– 2 कप गाढ़ा क्रीम वाला दूध (व्होल मिल्क)

– 1 बड़ा चम्मच गुलाब जल

– 1/4 कप भांग के बीज

– 1/4 कप चीनी

– 3/4 कप पानी (आवश्यकता के अनुसार समायोजित)

– 1 बड़ा चम्मच काजू

– 1 बड़ा चम्मच खरबूजे के बीज (चार मगज)

– 1/2 छोटा चम्मच केसर स्ट्रैस

– 1/2 चम्मच दालचीनी पाउडर

– 1/2 चम्मच जायफल पाउडर

– 1-2 चम्मच गुलाब की पंखुडिय़ां (गुलकंद)

– 1.5 चम्मच सौंफ पाउडर

– 1.5 चम्मच इलायची पाउडर

– 1/2 चम्मच पोस्ता बीज

– 12 बादाम

– 15 पिस्ता

– 3 काली मिर्च

बनाने का तरीका

– किसी बर्तन में दूध उबालें और उसमें केसर के स्ट्रैंड्स और भांग के बीज डाल दें.

– इसे 15 – 20 मिनट तक रहने दें.

– गर्म दूध में भिगोने से केसर का रंग और स्वाद बाहर आ जाता है.

– इसे चम्मच से हिलाते रहें, दूध में एक सुंदर पीला-केसरी रंग उतरता रहेगा.

– तब तक इसे ऐसे ही हिलाते रहें जब तक कि दूध अपनी कुल मात्रा से 20 फीसदी तक न हो जाए.

– सभी नट्स और मसालों को ग्राइंडर में पीसकर अलग रख लें.

– एक भारी तले वाले पैन में दूध उबालें.

– जब यह पूरी तरह से उबल जाए, तो मेवों और मसालों को इसमें डाल कर तब तक फेंट लें जब तक कोई     गांठ न रह जाएं.

– चीनी डालें और हिलाते रहें.

– अच्छी तरह उबाल कर आंच से उतार लें.

– पूरी तरह से ठंडा होने दें.

– ठंडा-ठंडा परोसे क्योंकि भांग रबड़ी का सबसे अच्छा स्वाद उसे खूब ठंडी करके खाने में आता है.

कुशाल टंडन और शिवांगी जोशी एक-दूसरे को कर रहे हैं डेट? सोशल मीडिया पर यूं जाहिर किया प्यार

शिवांगी जोशी और कुशाल टंडन की जोड़ी टीवी सीरियल बरसातें में नजर आई थी. इस शो में दोनों की जोड़ी को काफी पसंद किया गया. हालांकि यह शो काफी समय पहले ही बंद हो गया है, लेकिन इन दोनों की जोड़ी के चर्चे अक्सर सुर्खियों में बनी रहती है.

खबर ये भी आई थी कि कुशाल और शिवांगी एक दूसरे को डेट कर रहे हैं. दरअसल कुछ समय पहले दोनों ने वेकेशन की तस्वीरें इंस्टग्राम पर शेयर की थी.

 

इन फोटोज में शिवांगी कुशाल की बाहों में दिखीं और दोनों ही बर्फ की वादियों को एन्जॉय कर रहे थे, इसके बाद दोनों की डेटिंग खबरें आने लगी. हाल ही में शिवांगी जोशी ने एक डांस वीडियो शेयर किया है, जिस पर कुशाल  टंडन ने दिल खोलकर प्यार लुटाया है, जी हां, इस डांस वीडियो पर उन्होंने दिल वाली आंखें इमोजी कमेंट की है.

 

शिवांगी जोशी (Shivangi Joshi) एक अच्छी एक्ट्रेस होने के साथ-साथ शानदार डांसर भी हैं. फैंस उनके एक्टिंग और डांसिंग दोनों के दीवाने हैं. उन्होंने इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक डांस वीडियो शेयर किया है, जिसमें ‘यिम्मी यिम्मी’ गाने पर एक्ट्रेस सिजलिंग डांस कर रही हैं.

 

इसमें एक्ट्रेस ने मिनी स्कर्ट और व्हाइट टॉप कैरी किया है. इसमें शिवांगी का लुक काफी क्यूट हैं और उनके डांस मूव्स फैंस को काफी पसंद आ रहे हैं. कुशाल को भी ये वीडियो काफी पसंद आया. उन्होंने इस वीडियो को अपनी इंस्टा स्टोरी पर भी लगाया है.

हालांकि शिवांगी जोशी और कुशाल टंडन एक दूसरे को अच्छा दोस्त बताते हैं, लेकिन यूजर्स का कहना है कि दोनों एक-दूसरे को डेट कर रहे हैं.

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