कुशाल टंडन और शिवांगी जोशी एक-दूसरे को कर रहे हैं डेट? सोशल मीडिया पर यूं जाहिर किया प्यार

शिवांगी जोशी और कुशाल टंडन की जोड़ी टीवी सीरियल बरसातें में नजर आई थी. इस शो में दोनों की जोड़ी को काफी पसंद किया गया. हालांकि यह शो काफी समय पहले ही बंद हो गया है, लेकिन इन दोनों की जोड़ी के चर्चे अक्सर सुर्खियों में बनी रहती है.

खबर ये भी आई थी कि कुशाल और शिवांगी एक दूसरे को डेट कर रहे हैं. दरअसल कुछ समय पहले दोनों ने वेकेशन की तस्वीरें इंस्टग्राम पर शेयर की थी.

 

इन फोटोज में शिवांगी कुशाल की बाहों में दिखीं और दोनों ही बर्फ की वादियों को एन्जॉय कर रहे थे, इसके बाद दोनों की डेटिंग खबरें आने लगी. हाल ही में शिवांगी जोशी ने एक डांस वीडियो शेयर किया है, जिस पर कुशाल  टंडन ने दिल खोलकर प्यार लुटाया है, जी हां, इस डांस वीडियो पर उन्होंने दिल वाली आंखें इमोजी कमेंट की है.

 

शिवांगी जोशी (Shivangi Joshi) एक अच्छी एक्ट्रेस होने के साथ-साथ शानदार डांसर भी हैं. फैंस उनके एक्टिंग और डांसिंग दोनों के दीवाने हैं. उन्होंने इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक डांस वीडियो शेयर किया है, जिसमें ‘यिम्मी यिम्मी’ गाने पर एक्ट्रेस सिजलिंग डांस कर रही हैं.

 

इसमें एक्ट्रेस ने मिनी स्कर्ट और व्हाइट टॉप कैरी किया है. इसमें शिवांगी का लुक काफी क्यूट हैं और उनके डांस मूव्स फैंस को काफी पसंद आ रहे हैं. कुशाल को भी ये वीडियो काफी पसंद आया. उन्होंने इस वीडियो को अपनी इंस्टा स्टोरी पर भी लगाया है.

हालांकि शिवांगी जोशी और कुशाल टंडन एक दूसरे को अच्छा दोस्त बताते हैं, लेकिन यूजर्स का कहना है कि दोनों एक-दूसरे को डेट कर रहे हैं.

Neha Kakkar के पति रोहनप्रीत सिंह इस टीवी शो में आएंगे नजर, पहली बार करने वाली हैं डेब्यू

Neha Kakkar: नेहा कक्कड़ और उनके पति रोहनप्रीत सिंह (Rohanpreet Singh) अक्सर चर्चे में रहते हैं. दोनों ने अपने करियर की शुरुआत सिंगिंग रिएलिटी शोज से की थी. उन्होंने अलग-अलग रिएलिटी शोज में अपना टैलेंट दिखाने के लिए भाग लिया था. आज दोनों अपनी खूबसूरत आवाज के कारण देशभर में फेमस है.

साल 2020 में बॉलीवुड सिंगर नेहा कक्कड़ और रोहनप्रीत सिंह की शादी हुई. माना जाता है नेहा से शादी करने के बाद रोहनप्रीत अचानक पॉपुलर हुए. हालांकि दोनों के सामने कई चुनौतियां भी आई, लेकिन दोनों ने बखूबी सामाना किया. बताया जा रहा है कि रोहनप्रीत सिंह टीवी पर अपने करियर की नई शुरुआत करने जा रहे हैं. वो टीवी पर पहली बार डेब्यू करने जा रहे हैं.

 

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एक रिपोर्ट के मुताबिक रोहनप्रीत सिंह रिएलिटी सिंगिंग शो ‘सुपरस्टार सिंगर 3’ को हर्ष लिंबाचिया के साथ को-होस्ट करने वाले हैं और नेहा कक्कड़ (Neha Kakkar) इस शो को जज करेंगी. इस शो में रोहन और नेहा एक साथ नजर आएंगे.

 

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काफी समय पहले से नेहा कक्कड़ अलग-अलग सिंगिंग शोज को जज करती हैं. वह सिंगिंग शो ‘इंडियन आइडल’ में कई सालों तक जज की भूमिका में रही हैं. आपको ये भी बता दें कि इस शो में पहली बार नेहा कक्कड़ एक कंटेस्टेंट के तौर पर भी नजर आई थीं. इस शो से उनके करियर में नया मोड़ आया था.

नेहा के पति रोहनप्रीत सिंह ने 3 साल की उम्र से ही गायन की शुरुआत की थी. वह 2007 में रिएलिटी सिंगिंग शो ‘सा रे गा मा पा ‘लिटिल चैंप्स’ के फर्स्ट रनर अप भी रहें. इसके बाद वह ‘राइजिंग स्टार’ के सीजन 2 में भी नजर आए थे. अब वह म्यूजिक इंडस्ट्री में अपना मुकाम हासिल कर रहे हैं. उन्होंने जैद दरबाद और गौहर खान स्टारर गाना ‘बारिश में तुम’ बनाया.

Holi 2024: अच्छा सिला दिया तूने मेरे प्यार का

‘‘वाह मां, ये झुमके तो बहुत सुंदर हैं, कब खरीदे?’’ रंजो ने अपनी मां प्रभा के कानों में झूलते झुमकों को देख कर कहा.

‘‘पिछले महीने हमारी शादी की सालगिरह थी न, तभी अपर्णा बहू ने मुझे ये झुमके और तुम्हारे पापा को घड़ी दी थी. पता नहीं कब वह यह सब खरीद लाई,’’ प्रभा ने कहा.

अपनी आंखें बड़ी कर रंजो बोली, ‘‘भाभी ने, क्या बात है.’’ फिर आह भरते हुए कहने लगी, ‘‘मुझे तो कभी इस तरह से कुछ नहीं दिया उन्होंने. हां भई, सासससुर को मक्खन लगाया जा रहा है, लगाओ,’ लगाओ, खूब मक्खन लगाओ.’’ उस का ध्यान उन झुमकों पर ही अटका हुआ था, कहने लगी, ‘‘जिस ने भी दिए हों मां, पर मेरा दिल तो इन झुमकों पर आ गया.’’

‘‘हां, तो ले लो न, बेटा. इस में क्या है,’’ कह कर प्रभा ने वे झुमके उतार कर तुरंत अपनी बेटी रंजो को दे दिए. उस ने एक बार यह नहीं सोचा कि अपर्णा को कैसा लगेगा जब वह जानेगी कि उस के दिए उपहारस्वरूप झुमके उस की सास ने अपनी बेटी को दे दिए.

प्रभा के देने भर की देरी थी कि रंजो ने झट से वे झुमके अपने कानों में डाल लिए, फिर बनावटी मुंह बना कर कहने लगी, ‘‘मन नहीं है तो ले लो मां, नहीं तो फिर मेरे पीठपीछे घर वाले, खासकर पापा, कहेंगे कि जब आती है रंजो, कुछ न कुछ ले कर ही जाती है.’’

‘‘कैसी बातें करती हो बेटा, कोई क्यों कुछ कहेगा. और क्या तुम्हारा हक नहीं है इस घर में? तुम्हें पसंद है तो रख लो न, इस में क्या है. तुम पहनो या मैं पहनूं, बात बराबर है.’’

‘‘सच में मां? ओह मां, आप कितनी अच्छी हो,’’ कह कर रंजो अपनी मां के गले लग गई. हमेशा से तो वह यही करती आई है, जो पसंद आया उसे रख लिया, यह कभी न सोचा कि वह चीज किसी के लिए कितना माने रखती है. कितने प्यार से और किस तरह से पैसे जोड़ कर अपर्णा ने अपनी सास के लिए वे झुमके खरीदे थे, पर प्रभा ने बिना सोचेसमझे उठा कर झुमके अपनी बेटी को दे दिए.

अरे, वह यह तो कह सकती थी कि ये झुमके तुम्हारी भाभी ने बड़े शौक से मुझे खरीद कर दिए हैं, इसलिए मैं तुम्हें दूसरे बनवा कर दे दूंगी. पर नहीं, कभी उस ने बेटी के आगे बहू की भावना को समझा है, जो अब समझेगी?

‘‘मां, देखो तो मेरे ऊपर ये झुमके कैसे लग रहे हैं, अच्छे लग रहे हैं न, बोलो न मां?’’ आईने में खुद को निहारते हुए रंजो कहने लगी, ‘‘वैसे मां, आप से एक शिकायत है.’’

‘‘अब किस बात की शिकायत है?’’ प्रभा ने पूछा.‘‘मुझे नहीं, बल्कि आप के जमाई को, कह रहे थे आप ने वादा किया था उन से ब्रेसलेट देने का, जो अब तक नहीं दिया.’’

‘‘ओ, हां, याद आया, पर अभी पैसे की थोड़ी तंगी है, बेटा. तुझे तो पता ही है कि तेरे पापा को कितनी कम पैंशन मिलती है. घर तो अपर्णा बहू और मानव की कमाई से ही चलता है,’’ अपनी मजबूरी बताते हुए प्रभा ने कहा.‘‘वह सब मुझे नहीं पता है मां, वह आप जानो और आप के जमाई. बीच में मुझे मत घसीटो,’’ झुमके अपने पर्स में सहेजते हुए रंजो ने कहा और चलती बनी.

‘‘बहू के दिए झुमके तुम ने रंजो को दे दिए?’’ हैरत से भरत ने अपनी पत्नी प्रभा से पूछा‘‘हां, उसे पसंद आ गए तो दे दिए,’’ बस इतना ही कहा प्रभा ने और वहां से जाने लगी, जानती थी वह कि अब भरत चुप नहीं रहने वाले.

‘‘क्या कहा तुम ने, उसे पसंद आ गए? हमारे घर की ऐसी कौन सी चीज है जो उसे पसंद नहीं आती है, बोलो? जब भी आती है कुछ न कुछ उठा कर ले ही जाती है. जरा भी शर्म नहीं है उसे. उस दिन आई तो बहू का पर्स, जो उस की दोस्त ने उसे दिया था, उठा कर ले गई. कोई कुछ नहीं कहता तो इस का मतलब यह नहीं कि वह अपनी मनमरजी करेगी,’’ गुस्से से आगबबूला होते हुए भरत ने कहा.

तिलमिला उठी प्रभा. अपने पति की बातों पर बोली, ‘‘ऐसा कौन सी जायदाद उठा कर ले गई वह, जो तुम इतना सुना रहे हो? अरे एक जोड़ी झुमके ही तो ले गई है. जाने क्यों रंजो, हमेशा तुम्हारी आंखों में खटकती रहती है?’’

भरत भी चुप नहीं रहे. कहने लगे, ‘‘किस ने मना किया तुम्हें जायदाद देने से, दे दो न जो देना है, पर किसी का प्यार से दिया हुआ उपहार यों ही किसी और को देना, क्या यह सही है? अगर बहू ऐसा करती तो तुम्हें कैसा लगता? कितने अरमानों से वह तुम्हारे लिए झुमके खरीद कर लाई थी और तुम ने एक मिनट भी नहीं लगाया उसे रंजो को देने में.’’‘‘किसी को नहीं, बेटी को दिए हैं, समझे, बड़े आए बहू के चमचे, हूं…’’

‘‘अरे, तुम्हारी बेटी तुम्हारी ममता का फायदा उठा रही है और कुछ नहीं. किस बात की कमी है उसे? हमारे बेटेबहू से ज्यादा कमाते हैं वे दोनों पतिपत्नी, फिर भी कभी हुआ उसे कि अपने मांबाप के लिए

2 रुपए का भी उपहार ले कर आए? और हमारी छोड़ो, क्या कभी उस ने अपनी भतीजी को एक खिलौना भी खरीद कर दिया है? नहीं, बस लेना जानती है. क्या मेरी आंखें नहीं हैं? देखता हूं मैं, तुम बहूबेटी में कितना फर्क करती हो. बहू का प्यार तुम्हें ढकोसला लगता है और बेटी का ढकोसला प्यार. ऐसे घूरो मत मुझे, पता चल जाएगा तुम्हें भी एक दिन.’’

‘‘कैसे बाप हो तुम, जो बेटी के सुख पर भी नजर लगाते रहते हो. पता नहीं क्या बिगाड़ा है रंजो ने आप का, जो हमेशा वह तुम्हारी आंखों की किरकिरी बनी रहती है?’’ अपनी आंखें लाल करते हुए प्रभा बोली.

‘‘ओ, कमअक्ल औरत, रंजो मेरी आंखों की किरकिरी नहीं बनी है बल्कि अपर्णा बहू तुम्हें फूटी आंख नहीं सुहाती है. पूरे दिन घर में बैठी आराम फरमाती रहती हो, हुक्म चलाती रहती हो. कभी यह नहीं होता कि बहू के कामों में थोड़ा हाथ बंटा दो और तुम्हारी बेटी, वह तो यहां आ कर अपना हाथपैर हिलाना भी भूल जाती है. क्या नहीं करती है बहू इस घर के लिए. बाहर जा कर कमाती भी है और अच्छे से घर भी संभाल रही है. फिर भी तुम्हें उस से कोई न कोई शिकायत रहती ही है. जाने क्यों तुम बेटीबहू में इतना भेदभाव करती हो?’’

‘‘कमा कर लाती है और घर संभालती है, तो कौन सा एहसान कर रही है हम पर. घर उस का है, तो संभालेगा कौन?’’ ‘‘अच्छा, सिर्फ उस का घर है, तुम्हारा नहीं? बेटी जब भी आती है उस की खातिरदारी में जुट जाती हो, पर कभी यह नहीं होता कि औफिस से थकीहारी आई बहू को एक गिलास पानी दे दो. बस, तानें मारना आता है तुम्हें. अरे, बहू तो बहू, उस की दोस्त को भी तुम देखना नहीं चाहती हो. जब भी आती है, कुछ न कुछ सुना ही देती हो. तुम्हें लगता है कहीं वह अपर्णा के कान न भर दे तुम्हारे खिलाफ. उफ्फ, मैं भी किस पत्थर से अपना सिर फोड़ रहा हूं, तुम से तो बात करना ही बेकार है,’’ कह कर भरत वहां से चले गए.

सही तो कह रहे थे भरत. अपर्णा क्या कुछ नहीं करती है इस घर के लिए. पर फिर भी प्रभा को उस से शिकायत ही रहती थी. नातेरिश्तेदार हों या पड़ोसी, हर किसी से वह यही कहती फिरती थी, ‘भाई, अब बहू के राज में जी रहे हैं, तो मुंह बंद कर के ही जीना पड़ेगा न, वरना जाने कब बहूबेटे हम बूढ़ेबूढ़ी को वृद्धाश्रम भेज दें.’ यह सुन कर अपर्णा अपना चेहरा नीचे कर लेती थी पर अपने मुंह से एक शब्द भी नहीं बोलती थी. पर उस की आंखों के बहते आंसू उस के मन के दर्द को जरूर बयां कर देते थे.

अपर्णा ने तो आते ही प्रभा को अपनी मां मान लिया था, पर प्रभा तो आज तक उसे पराई घर की लड़की ही समझती रही. अपर्णा जो भी करती, प्रभा को वह बनावटी लगता था और रंजो का एक बार सिर्फ यह पूछ लेना, ‘मां आप की तबीयत तो ठीक है न?’ सुन कर कर प्रभा खुशी से कुप्पा हो जाती और अगर जमाई ने हालचाल पूछ लिया, तो फिर प्रभा के पैर ही जमीन पर नहीं पड़ते थे.

उस दिन सिर्फ इतना ही कहा था अपर्णा ने, ‘मां, ज्यादा चाय आप की सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकती है और वैसे भी, डाक्टर ने आप को चाय पीने से मना किया है. वुमन हौर्लिक्स लाई हूं, यह पी लीजिए.’ यह कह कर उस ने गिलास प्रभा की ओर बढ़ाया ही था कि प्रभा ने गिलास उस के हाथों से झटक लिया और टेबल पर रखते हुए तमक कर बोली, ‘तुम मुझे ज्यादा डाक्टरी का पाठ मत पढ़ाओ बहू, जो मांगा है वही ला कर दो,’ फिर बुदबुदाते हुए अपने मन में ही कहने लगी, ‘बड़ी आई मुझे सिखाने वाली, अच्छे बनने का नाटक तो कोई इस से सीखे.’ अपर्णा की हर बात उसे नाटक सरीखी लगती थी.

मानव औफिस के काम से शहर से बाहर गया हुआ था और अपर्णा भी अपने कजिन भाई की शादी में गई हुई थी. मन ही मन अपर्णा यह सोच कर डर रही थी कि अकेले सासससुर को छोड़ कर जा रही हूं, कहीं पीछे कुछ… यह सोच कर जाने से पहले उस ने रंजो को दोनों का खयाल रखने और दिन में कम से कम एक बार उन्हें देख आने को कहा. जिस पर रंजो ने आग उगलते हुए कहा, ‘‘आप नहीं भी कहतीं न, तो भी मैं अपने मांपापा का खयाल रखती. आप को क्या लगता हैख् एक आप ही हैं इन का खयाल रखने वाली?’’

पर अपर्णा के जाने के बाद वह एक बार भी अपने मायके नहीं आई वह इसलिए कि उसे वहां काम करना पड़ जाता. हां, फोन पर हालचाल जरूर पूछ लेती और साथ में यह बहाना भी बना देती कि वक्त नहीं मिलने के कारण वह उन से मिलने नहीं आ पा रही, पर वक्त मिलते ही आएगी.

एक रात अचानक भरत की तबीयत बहुत बिगड़ गई. प्रभा इतनी घबरा गई कि उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या करे. उस ने मानव को फोन लगाया पर उस का फोन विस्तार क्षेत्र से बाहर बता रहा था. फिर उस ने अपनी बेटी रंजो को फोन लगाया. घंटी तो बज रही थी पर कोई उठा नहीं रहा था. जमाई को भी फोन लगाया, उस का भी वही हाल था. जितनी बार भी प्रभा ने रंजो और उस के पति को फोन लगाया, उन्होंने नहीं उठाया. ‘शायद सो गए होंगे’ प्रभा के मन में यह खयाल आया. फिर हार कर उस ने अपर्णा को फोन लगाया. इतनी रात गए प्रभा का फोन आया देख कर अपर्णा घबरा गई. प्रभा कुछ बोलती, उस से पहले ही वह बोल पड़ी.

‘‘मां, क्या हुआ, पापा ठीक हैं न?’’ लेकिन जब उसे प्रभा की सिसकियों की आवाज आई तो वह समझ गई कि कुछ बात जरूर है. घबरा कर वह बोली, ‘‘मां, मां, आप रो क्यों रही हैं, कहिए न क्या हुआ?’’ अपने ससुर के बारे में सब जान कर कहने लगी, ‘‘मां, आ…आ…आप घबराइए मत, कुछ नहीं होगा पापा को. मैं कुछ करती हूं.’’ उस ने तुरंत अपनी दोस्त शोना को फोन लगाया और सारी बातों से उसे अवगत कराते हुए कहा कि तुरंत वह पापा को अस्पताल ले कर जाए, जैसे भी हो.

अपर्णा की जिस दोस्त को प्रभा देखना तक नहीं चाहती थी और उसे बंगालनबंगालन कह कर बुलाती थी, आज उसी की बदौलत भरत की जान बच पाई, वरना पता नहीं क्या हो जाता. डाक्टर का कहना था कि मेजर अटैक था. अगर थोड़ी और देर हो जाती मरीज को लाने में, तो वे इन्हें नहीं बचा पाते.तब तक अपर्णा और मानव आ चुके थे. फिर कुछ देर बाद रंजो भी आ गई. बेटेबहू को देख कर बिलखबिलख कर रो पड़ी प्रभा और कहने लगी, आज अगर शोना न होती, तो शायद तुम्हारे पापा जिंदा न होते.’’

अपर्णा के भी आंसू रुक नहीं रहे थे. उस ने अपनी सास को ढांढ़स बंधाया और अपनी दोस्त को तहेदिल से धन्यवाद दिया कि उस की वजह से उस के ससुर की जान बच पाई. अपनी भाभी को मां के करीब देख कर रंजो भी मगरमच्छ के आंसू बहाते हुए कहने लगी, ‘‘मां, मैं तो मर ही जाती अगर पापा को कुछ हो जाता. कितनी खराब हूं मैं जो आप की कौल नहीं देख पाई. वह तो सुबह आप की मिस्डकौल देख कर वापस आप को फोन लगाया तो पता चला, वरना यहां तो कोई कुछ बताता भी नहीं है.’’ यह कह कर अपर्णा की तरफ घूरने लगी रंजो.

तभी उस का 7 साल का बेटा बोल पड़ा, ‘‘मम्मी, आप झूठ क्यों बोल रही हो? नानी, मम्मी झूठ बोल रही हैं. जब आप का फोन आया था, हम टीवी पर ‘बाहुबली’ फिल्म देख रहे थे. मम्मी यह कह कर फोन नहीं उठा रही थीं कि पता नहीं कौन मर गया जो मां इतनी रात को हमें परेशान कर रही हैं. पापा ने कहा भी उठा लो, पर मां ने फोन नहीं उठाया और फिल्म देखती रहीं.’’ यह सुन कर तो सब हैरान हो गए.

?सचाई खुलने से रंजो की तो सिट्टीपिट्टी गुम हो गई. उसे लगा, जैसे उसे करंट लग गया हो. अपने बेटे को एक थप्पड़ लगाते हुए बोली, ‘‘पागल कहीं का, कुछ भी बकवास करता रहता है.’’ फिर हकलाते हुए कहने लगी, ‘‘अरे, वह तो कि…सी और का फोन आ रहा था, मैं ने उस के लिए कहा था,’’ दांत निपोरते हुए आगे बोली, ‘‘देखो न मां, कुछ भी बोलता है, बच्चा है न इसलिए.’’

प्रभा को अपने कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था. कहने लगी, ‘‘इस का मतलब तुम उस वक्त जागी हुई थी और तुम्हारा फोन भी तुम्हारे आसपास ही था? तुम ने एक बार भी यह नहीं सोचा कि इतनी रात को तुम्हारी मां किसी कारणवश ही तुम्हें फोन कर रही होगी? अच्छा सिला दिया तू ने मेरे प्यार और विश्वास का, बेटा. आज मेरा सुहाग उजड़ गया होता, अगर यह शोना न होती. जिस बहू के प्यार को मैं ढकोसला और बनावटी समझती रही, आज पता चल गया कि वह, असल में, प्यार ही था. मैं तो आज भी इस भ्रम में ही जीती रहती अगर तुम्हारा बेटा सचाई न बताता तो.’’अपने हाथों से सोने का अंडा देने वाली मुरगी निकलते देख कहने लगी रंजो, ‘‘ना, नहीं मां, आप गलत समझ रही हैं.’’

‘‘समझ रही थी, पर अब मेरी आंखों पर से परदा हट चुका है. सही कहते थे तुम्हारे पापा कि तुम मेरी ममता का सिर्फ फायदा उठा रही हो, कोई मोह नहीं है तुम्हारे दिल में मेरे लिए,’’ कह कर प्रभा ने अपना चेहरा दूसरी तरफ फेर लिया और अपर्णा से बोली, ‘‘चलो बहू, देखें तुम्हारे पापा को कुछ चाहिए तो नहीं?’’ रंजो, ‘‘मां, मां’’ कहती रही. पर पलट कर एक बार भी नहीं देखा प्रभा ने, मोह टूट चुका था उस का.

मेरी एक परिचिता के बेटे का विवाह होने वाला था. शादी का जो कार्ड पसंद किया गया, वह काफी महंगा था. उन्होंने ज्यादा कार्ड न छपवा कर एक तरकीब आजमाई, जिस में उन्हें पूरी सफलता मिली. पति व बेटे के बौस और कुछ बहुत महत्त्वपूर्ण लोगों को तो कार्ड दे दिए, बाकी जिस के घर भी गईं, कार्ड पर उन्हीं के सामने नाम लिखने से पहले बोलतीं, ‘‘बस, क्या बताऊं, कैसे गलती हो गई, कार्ड्स कम हो गए.’’

सुनने वाला फौरन बोलता, ‘‘अरे, हमें कार्ड की जरूरत नहीं, हम आ जाएंगे.’’परिचिता पूछतीं, ‘‘सच, आप आ जाओगे? फिर आप को कार्ड रहने दूं?’’सामने वाला कहता है, ‘‘हां, हां, हम ऐसे ही आ जाएंगे.’’

सामने वाला भी अपने को उन का खास समझता कि वे ऐसी बात शेयर कर रही हैं. परिचिता ने सब को एक खाली कार्ड दिखाते हुए निबटा दिया.मैं उन के साथ 2 घरों में कार्ड देने गई थी, इसलिए इस कलाकारी की प्रत्यक्षदर्शी हूं. खैर, कार्ड मुझे भी नहीं मिला. मैं ने बाद में उन्हें छेड़ा, ‘‘जब सब को दिखा देना, तो आखिर में कार्ड मुझे चाहिए.’’  इस पर

वे खुल कर हंसीं, बोलीं, ‘‘नहीं मिलेगा, बहुत खर्चे हैं शादी के. चलो, कार्ड के तो

पैसे बचाए.’’मेरी मौसी ने एक दिलचस्प किस्सा बताया. वे रोडवेज की बस से बनारस जा रही थीं. उन की दूसरी तरफ की सीट पर एक बूढ़ी अम्मा आ कर बैठ गईं. कंडक्टर भला आदमी था, उस ने बूढ़ी अम्मा से टिकट के लिए पैसे भी नहीं लिए.बस चल पड़ी. थोड़ी देर में कंडक्टर ने देखा कि अम्मा कुछ परेशान सी हैं. उस ने पूछा तो वे बोलीं, ‘‘बेटा, इलाहाबाद आ जाए तो बता देना.’’

कंडक्टर ने हां बोला और चला गया. लेकिन बाद में वह भी भूल गया, तब तक बस इलाहाबाद से आगे निकल गई थी.कंडक्टर को अच्छा न लगा, उस ने बस वापस मुड़वाई. इलाहाबाद आया तो सोती हुई को जगाते हुए वह बोला, ‘‘अम्मा, इलाहाबाद आ गया.’’

‘‘अच्छा बेटा, चलो, अपनी दवाई खा लेती हूं.’’‘‘अरे अम्मा, यहां उतरना नहीं है क्या,’’ कंडक्टर बोला.‘‘मुझे तो बनारस जाना है. बेटी ने कहा था कि इलाहाबाद आने पर दवाई खा लेना,’’ अम्मा बोलींसवारियों का हंसहंस कर बुरा हाल हो गया और कंडक्टर की शक्ल देखने लायक थी.

Holi 2024: प्रेम न बाड़ी उपजै

लीला ने जब से उस को देखा था, तब से ही उस के दिल में चैन ओ करार था ही नहीं. यह लड़का मनोज उस का सब सुकून छीन रहा था. इतना ही नहीं, सपनों में भी वह आ रहा था, पर वो जैसे कमजोर पड़ रही थी और आसक्ति में फंस कर खुद कुछ नहीं कर पा रही थी या शायद करना ही नहीं चाहती थी.

लीला कोई गईगुजरी तो थी नहीं. वह खुद एक दौलतमंद महिला थी. उस की इतनी लंबीचैड़ी जमींदारी थी, फिर भी वह साधना के पथ पर अपना आध्यात्मिक काम भी कर रही थी. वह जगहजगह यात्रा कर रही थी और प्रेम की कार्यशाला चला रही थी.

यों सच्ची बात यह थी कि साधना, वार्ता वगैरह यह सब वह अपने अकेलेपन की सूखी नदी को भरने के लिए ही कर रही थी. समाज उस को इतनी गपशप करने नहीं देता, मगर इस बहाने कितने चेहरे कितनी रसभरी बातें सब काम हो रहे थे. साथ ही, उस पर एक आवरण लग गया था त्याग करती महिला का, वह अपनी प्रेम पिपासा को ढंक कर, छिपा कर बहुत ही मजे में पूरा कर रही थी.

मगर, आज सुबह 3 बजे अचानक ही भद्देपन से फिर मनोज सपने में आ धमका और उस ने ही प्रीत की अगन जलाई और लीला को तत्परता से अपनी देह में भर कर यहांवहां टटोलने लगा. वह खुद भी बेसुध हो सब भूल सा गई थी. पुरुषोचित शौर्य से सम्मोहित वह कितनी पागल कैसी मोहित हो गई थी.

पर, आज वह 5 बजे जाग कर फिर से यही सोच रही थी कि कहीं कुछ जाहिर न हो जाए. मनोज को रोकना होगा. वह बेकार के लफडे़ में ही क्यों पड़ रही है, जबकि वह इस से पहले इसी तरह अचानक वहां, जहां उस के प्रवचन और वार्ता ही भलीभांति प्यास बुझा सकती हैं, कितने भी दर्जी बदल लो, न कपड़ा बदलता है, न तन और न ही मन. तो…, तो फिर खुद लीला क्या देहचक्र के साथ इतनी तेजी से खुद ही गोलगोल घूम रही थी?

यही सब सोचतेसोचते 6 बज गए. वह यों ही बाहर आंगन में निकल आई. देखा, अरे, मनोज  एक कुरसी पर बुत बना बैठा है. कम उजाले में अनिश्चितता में, उस के पदचाप सुन कर वह उठ खड़ी हुई और हंस दी.

यह हंसी मनोज की किसी सांस में झनझना उठी. वह चुपचाप उस के निकट गया. शायद वह देखना चाहता था, उस को आत्मा के भीतर बिलकुल उस की गहराई में देखना चाहता हो, पर यह तो, हमारा खयाल है, लीला ने एक मंत्र कहा और आवाज के तीव्र एकरस प्रकाश से उस का मुख एकबारगी चकाचौंध सा हो गया.

नहीं… यह खयाल नहीं है. मैं अभीअभी खेतों से चल कर यहां आया हूं.

और भरोसा दिलाने के लिए मनोज ने तिलमिला कर लीला को थाम लिया. उस की उंगली को 2-3 बार चूस कर छोड़ दिया.

‘‘ओह, बस… बस, मनोज बस… बहुत हुआ,‘‘ कह कर लीला ने हाथ छुड़ा लिया.

अब वे दोनों ही वहीं बैठ गए और फिर कोई जादू सा छाने लगा. उस खामोशी में जैसे मनोज अपने अंक में लीला को अचानक एक क्षण में पा गया.

‘‘फिर मिलेंगे. आज मैं चली जाऊंगी. अंतिम सत्र है आज मेरा,‘‘ वह जैसे इन एकएक शब्दों की सूक्ष्म ध्वनि नहीं, स्थूल शरीर दांतों से चबाना चाहती है. यह सुन कर मनोज जैसे हताश सा हो गया.

‘तो लीला, तुम्हारे आगे क्या इरादे हैं?’ जैसे इसी प्रश्न को करने के लिए शब्दों का दास बना हुआ है मनोज. जैसे उसे यह प्रश्न करने का निर्विवाद अधिकार है. लीला ने निर्विकार कहा, ‘कुछ… नहीं, नहीं.’

यह सुन कर वह चौंक उठा. एक विचित्र संतोष से, जैसे यह उत्तर पाने के लिए ही उस ने यह प्रश्न किया था, फिर बोला, ’क्या तुम मुझ से बंधी नहीं हो?’

‘बंधी’,  मैं तो जाने कब से जीवन के हर बंधन के मुंह पर थूक रही हूं. वह बोली, जैसे वह कुछ और कहना चाहती थी, ‘‘तो मुझे अभी और इसी समय प्रेम का रहस्य जानना है,‘‘ कह कर वह उस के पैरों से लिपट गया.

‘‘मगर, अभी तो भोर हुई है बस. ये क्या तमाशा कर रहे हो… यहां गेस्ट हाउस के नौकरचाकर आते ही होंगे,‘‘ लीला कुछ परेशान सी हो रही थी.

‘‘आने दो… आ जाते हैं तो भला हो क्या जाएगा? लीला, मैं तो तुम्हारा भक्त हो गया हूं. अब मैं अपनी देवी के पास जब चाहे आ सकता हूं… मुझे कोई डर नहीं है, कोई भय नहीं है.‘‘

सचमुच लीला यही सुनना चाहती थी. वह भी तो मन ही मन मनोज की दीवानी हो गई थी. उस ने यह भी नहीं पूछा कि 9 बजे का सत्र है. तुम इतनी सुबह क्यों खेतों से और कैसे पैदलपैदल ही आ धमके,‘‘ वह उस के गाल सहलाती हुई बोली, ‘‘मनोज, तुम बच्चे नहीं हो. तुम को यह पता होना चाहिए कि प्रेम करने की कला या किसी के प्यार में डूब जाने का गुर, किसी भी कार्यशाला में सीखे जाने लायक कौशल या हुनर बिलकुल नहीं है.”

‘‘हां… हां, जानता हूं,‘‘ मनोज ने बीच में टोका और कहने लगा, ‘‘लीला, ये बात अलग है कि कई विदेशी और भारतीय मीडिया में ‘क्रिएटिव लव’ यानी जादुई अटैचमेंट के फार्मूले सिखलाने के रसीले कोर्स बाकायदा चलाए जाते आ रहे हैं, और वे अकेले पड़ गए मनोज जैसे संकोची जीवों के बीच लोकप्रिय भी हैं.‘‘

‘‘लीला, मुझे मालूम है कि अकेले में मैं ने ही यही कोई 3,000 वैबसाइट देख रखी हैं, जो प्यार कैसे करें का बाकायदा लज्जतदार मसाला बना कर अनोखा आनंद भी देती हैं,‘‘ मनोज के  मुंह से निकल पड़ा.

यह सुनते ही लीला ने भी तपाक से कहा, ‘‘मनोज, मेरा मतलब प्रेम का आनंद आकर्षित करने वाली कुछ जरूरी चीजों की याद दिलाने की कोशिश तक ही सीमित नहीं है. मैं प्यार की कला के बारे में वे छोटीमोटी बातें कहूंगी, जिन्हें हम सब जानते हैं, पर जिन्हें हम अकसर भूल जाते हैं, इसलिए… और इस वार्ता के अंत में होने वाली निराशा के लिए मैं खासतौर पर मनोज तुम जैसे प्रेमियों से क्षमादान की उम्मीद करती हूं, जिन्होंने अपने दिल में ये छाप लिया है कि मैं तुम को आज प्यार करने के जादुई गुर सिखाने जा रही हूं… दुनिया में अनेक आविष्कार हुए हैं, पर प्यार करने, उस में डूबने का फार्मूला आज तक नहीं बना.‘‘

‘‘अच्छा… तो कब बनेगा? ऐसा करो, तुम ही बना दो ना,‘‘ मनोज ने उस की कलाई थाम ली.

‘‘मनोज, जहां तक सुंदर देह को सोचने का सवाल है, हमारे प्राचीन रसिकों ने, प्रेमशास्त्रियों ने 2 बातें जोर दे कर कही हैं- एक तो कल्पना और दूसरी लगाव. तुम जानते ही होगे या कभी सुना तो होगा ना…’’

‘‘क्या सुना होगा? साफसाफ कहो लीला?‘‘

‘‘वही मनोज, ‘करतकरत अभ्यास के जड़मति होत सुजान’. मनोज, मेरा मतलब है कि देह की  आहट सुनो… भाव को दफनाओ मत.‘‘

यह सुन कर मनोज जोरों से हंस पड़ा. लीला समझ गई तो वह भी खिलखिला कर हंस पड़ी.

‘‘मन में कोई देवी स्थापित कर लो मनोज इस की तर्ज पर, न सिर्फ अकेली सौंदर्य कला का आनंद मिल जाता है. साथ में लगाव का अभ्यास करते जाने से, बल्कि दोनों के आदर्श मेल से सुकून ही सुकून… इसलिए प्रेम प्रतिभा को भी युद्ध अभ्यास की तरह जरूरी बतलाया गया है.”

‘‘ओह, अच्छा,’’ कह कर मनोज ने अपनी दोनों आंखों को बंद कर लिया.

‘‘देखो, तबला बजाना सीखना है, तो इस कला में  ‘रियाज’ का असाधारण महत्त्व है. मुझे लगता है, प्रेम में भी अभ्यास या रियाज शायद उतना ही उपयोगी और जरूरी चीज होनी चाहिए, मुझे उम्मीद है कि संकल्प ही प्रेम को झरने की तरह प्रस्फुटित करता है, बहने देता है. प्रेम की हर गली में नयापन खोजने की संभावना है? इस मामले में कल, आज और कल कोई पगडंडी नहीं है.

“इसलिए जादुई अहसास में डूबने को राजी मन, उस की कल्पनाशक्ति और गंध महसूस करना यही एक बेहतरीन प्रेमी होने के लिए 3 जरूरी औजार हैं,‘‘ लीला कहती रही.

‘‘मनोज, सुन लो, यह भी एक विचार है, सौंदर्य और आनंद को ‘देखने’ की आदत से बंधा विचार, जो यह बतलाता है कि हम कितना कम देखते हैं.‘‘

‘‘लीला, यह लगाव और देखने के अलावा एक और बात है, खुद अपनी देह की जरूरत उस से प्रेम करने की निरंतरता, अनिवार्यता, यही ना लीला,‘‘ मनोज ने कहा, तो लीला ने सहमति में सिर हिला दिया.

वह फिर उस का माथा चूम कर बोली, ‘‘सुनो मनोज, कोई और दूसरा रास्ता नहीं बचा है… और हां, एक बात और सुन लो, याद भी रखना, अचार, चटनी बेशक कम खाएं,  पर अच्छा खाएं.

‘‘यह लालसा भी वही है… समझे, यानी तुम्हारी सलाह है, प्रेमी, आशिक बेशक कम ही डूबें, पर शानदार ढंग से.‘‘

मनोज ने सवाल किया, “केवल आकर्षण के जोर से या केवल जरूरत के चमत्कार भर से कोई अच्छा प्रेम पूरा हो पाएगा, मुझे संदेह है.‘‘

मनोज के इस सवाल पर लीला ने उस को संकेत किया कि उसे तैयार होना है क्योंकि सत्र का समय हो रहा है और उसे आज यहां से लौट कर भी जाना था. आज इस गेस्ट हाउस में उस का अंतिम दिन था. अब वह यहां कब वापस लौटेगी, कुछ पता नहीं था.

मनोज ने सत्र में रुकना उचित नहीं समझा. वह किसान था. अब उस को फसल कटवानी थी. मजदूरों की व्यवस्था करनी थी. वह भी लौट चला. जब तक अपने खेतों मे पहुंचा, याद करता रहा कि लीला क्या कह रही थी…

‘‘मनोज, प्रेम की दुनिया वैसी ही दुनिया है, जिस में अनगिनत महकतेगमकते चित्रों का असमाप्त मेला है, हर कोने में हर कदम पर आप का साबका तसवीरों से पड़ता है, पर जिन के बारे में आप तब तक जागरूक नहीं होते, जब तक आप उन्हें देखने की सही कोशिश और अभ्यास न करें, जैसा रोमियो जैसे समर्पित प्रेमी ने कभी जूलियट से कहीं कहा था. हमें चाहिए कि हम थोडा सा रुकें और वे अद्भुतअनूठे चित्र देखें, जो सिर्फ प्रेम ही हमें दिखला सकता है.’’

‘‘हर पल, हर समय आनंद आने तक रोज कई घंटे बस एक ही रंगरूप का विचार इस बात का सब से बड़ा उदाहरण है… अब भले ही वह युद्ध जैसा उतना कठोर और भयानक न हो, पर हौलेहौले उस रूप को दिल की कल्पना की किताब में रोज लिख रहा था और यथासंभव कलापूर्ण तरीके से उस में अपने अनुभव लिखना प्रेम रियाज की एक शुरुआत हो चुकी थी. यह चौंकाने वाला अनुभव वह झरोखा बन गया, जो उस को घरबैठे संसारभर के आनंद  दिखला रही थी.

अब मनोज विधिवत अपना कामधंधा देख रहा था. अनाज मंडी जा रहा था. रुपया आ रहा था. धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष सब सिद्ध हो गए. हर काम हो रहा था. सबकुछ आसान था.

जहां जैसी जरूरत होती है, वो अपनी कल्पना का वैसा ही उपयोग कर रहा था. जैसी उस पल की मांग होती, पर अब उस के दिमाग में कल्पना का भंडार ही इतना चटपटा था कि अभिव्यक्ति भी वैसी ही होने लगी थी.

अब तो कल्पना की कामधेनु को वह कितना दुह सकता, यह उस की कलाकारी थी. अब वह माहिर हो गया तो वह जान चुका था कि कैसे आती है सुंदरी किसी दृश्य, किसी आवाज, किसी गंध, किसी आकृति, किसी याद, किसी स्पर्श में सुंदरी की आत्मा एक पल के हजारवें हिस्से में दिखती है और सांस की तरह उस में दाखिल हो जाती है… पर, वह जानता था कि वह बहुत देर रुकने वाला अनुभव नहीं. फौरन वह उस आत्मा को अपनी हैरत, अचरज के आभूषण पहना कर सफलतम लाभ ले लिया करता था. अब तो हर जादुई अनुभव उस के निकट उस अनुभव को व्यक्त करने की, ‘’मोहिनी विद्या का खुशबूदार- प्रस्ताव भी साथ ही लिए आता रहा.”

Holi 2024: इस होली अपने बालों को दें स्टाइलिश लुक

माना कि मेकअप से खूबसूरती में चार चांद लग जाते हैं, लेकिन मेकअप के साथ बालों को स्टाइलिश बनाना भी जरूरी है. इस होली आप यहां बताए गए कुछ हेयर स्टाइल टिप्स अपना सकती हैं और इस होली अपने बालों को स्टाइलिश लुक दें सकती हैं.

पोनी पर्मिंग

पर्मिंग का क्रेज युवतियों में खासा देखने को मिलता है. लेकिन क्या कभी आप ने अपने बालों में पोनी पर्मिंग ट्राई किया है? इस से आप के बालों को 100% डिफरैंट लुक मिलेगा.

कैसे करें पोनी पर्मिंग

सब से पहले बालों को अच्छी तरह धो लें. उस के बाद उन्हें 70% सुखाने के बाद स्प्रे प्रयोग करें और फिर दोबारा 90% ड्राई करें. इस के बाद एक बाउल में पर्मिंग लोशन लें. फिर बालों पर लोशन अप्लाई करने के लिए कौटन का प्रयोग करें. उस के बाद बटर पेपर को छोटेछोटे टुकड़ों में काट लें. फिर पोनी बना कर उस में से पतलेपतले सैक्शन लें. हर सैक्शन पर अच्छी तरह कंघी करते हुए पर्मिंग लोशन अप्लाई करें. फिर बालों के ऐंड्स में अच्छी तरह बटर पेपर लपेटें ताकि किनारे अच्छी तरह कवर होते जाएं. आप जितनी अच्छी तरह बटर पेपर को बालों में लपेटेंगी कर्ल्स उतने ही अच्छे बनेंगे. सभी भागों के साथ यह प्रक्रिया दोहराएं. इस के बाद रोलर्स प्रयोग करें. फिर 40-45 मिनट बाद एक रोलर खोल कर देखें कि कर्ल्स आए या नहीं. अगर कर्ल्स दिख रहे हैं, तो रोलर्स के साथ ही बालों को सादे पानी से धोएं ताकि लोशन बालों से अच्छी तरह निकल जाए. उस के बाद 80 या 90% बालों को ड्राई करें.

ड्राई करने के बाद बालों पर न्यूट्रलाइजर लगाएं. ध्यान रखें कि न्यूट्रलाइजर हर रोलर पर अच्छी तरह लगना चाहिए. फिर 20-25 मिनट बाद सादे पानी से बालों को धो लें (सादे पानी का मतलब इस दौरान बालों में शैंपू प्रयोग नहीं करना है). अब बालों में कंडीशनर अप्लाई करें और उसे 5 मिनट के लिए छोड़ दें. उस के बाद बालों को तौलिए से 50% ड्राई करने के बाद रोलर्स खोलें और कर्ल्स पर कर्व कर्ल कंडीशनिंग क्रीम यूज करें. इस से कर्ल्स सौफ्ट रहेंगे.

पर्मिंग करते समय

  1. कलर किए बालों पर पर्मिंग करने की भूल न करें.
  2. बालों पर लोशन अप्लाई करते समय दस्ताने जरूर पहनें.
  3. कंडीशनर का प्रयोग जरूर करें, क्योंकि इस से कर्ल्स सौफ्ट रहते हैं.

रिबौंडिंग

रिबौंडिंग का मतलब होता है बालों को स्ट्रेट लुक देना. रिबौंडिंग करने के लिए सब से पहले बालों में नौर्मल शैंपू करें. नौर्मल शैंपू का मतलब कि उस में कंडीशनर न मिला हो. फिर बालों को 70% ड्राई करें. उस के बाद उन में स्प्रे प्रयोग कर के 90 या 100% ड्राई करें. अब बालों पर स्ट्रेट हेयर रिबौंडिंग क्रीम प्रयोग कर 40-45 मिनट के लिए छोड़ दें. यह बालों के टैक्स्चर पर निर्भर करेगा कि कितनी देर रिबौंडिंग क्रीम प्रयोग करनी है. उस के बाद चैक करें कि बाल बाउंस हुए हैं या नहीं. चैक करने के लिए आप एक बाल ले कर फिंगर पर लपेटें या फिर खींचें और देखें कि उस में स्प्रिंग टाइप का कर्ल शो हो रहा है या नहीं. अगर कर्ल दिखने लगे तो बालों को धो लें. फिर उन पर मास्क लगा कर 5 मिनट बाद फिर धो लें. जब बाल 50% सूख जाएं तो उन पर हीट प्रोटैक्शन स्प्रे करें और फिर दोबारा 100% सुखाएं. इस प्रक्रिया के बाद पतलेपतले सैक्शन ले कर स्ट्रेटनिंग मशीन से प्रैसिंग शुरू करें. पहले प्रैसिंग जड़ों के पास और फिर पूरी लंबाई में करें. प्रैसिंग कंप्लीट होने के बाद बालों पर न्यूट्रालाइजर क्रीम अप्लाई करें और फिर 10-15 मिनट बाद बालों को पीछे रख कर ही धो लें. अब उन में मास्क प्रयोग करें और 5-10 मिनट बाद धो कर 50% तक सुखा लें. हलके हाथों से कंघी करने के बाद 2-3 बूंदें हेयर कोट की हाथों में ले कर बालों में अप्लाई करें. फिर बड़ेबड़े सैक्शन ले कर स्ट्रेटनिंग मशीन से रिबौंडिंग को फाइनल टच दें.

ध्यान दें

  1. बालों का टैक्स्चर देख कर ही रिबौंडिंग करें.
  2. अगर स्कैल्प पर इन्फैक्शन हो तो रिबौंडिंग न करें.
  3. रिबौंडिंग करते समय एसी के सामने न बैठें.
  4. रिबौंडिंग के बाद 3 दिनों तक बालों में पानी न लगाएं और उन्हें खुला ही रखें.
  5. बाल ज्यादा रूखे हों तो रिबौंडिंग से पहले स्प्रा जरूर दें. स्प्रा का मतलब है बालों के अंदर की ड्राईनैस को रिलैक्स करना.
  6. हेयर कोट का मतलब बालों की सनस्क्रीन से है.

हाईलाइटिंग

हाईलाइटिंग का मतलब बालों की किसी लेयर में कलर हाईलाइट करना. हाईलाइटिंग करने के लिए सब से पहले बालों को नौर्मल शैंपू से धोएं. उस के बाद बालों के वे सैक्शन लें, जिन में आप को हाईलाइटिंग करना है. इस के बाद ब्लीच पाउडर लें औरउस में 9 या 12% डैवलपर मिला कर पेस्ट तैयार करें. ऊपर के बालों को अच्छी तरह बांध लें और जिस लेयर को चूज किया है उस पर तैयार पेस्ट अप्लाई करें और 10 मिनट बाद पैक करें. यह शुरुआत में ब्लौंड कलर शो करेगा. उस के बाद लेयर पर जो कलर करना है उसे अप्लाई करें. उस के बाद बालों को 30 मिनट तक यों ही छोड़ दें और फिर धो लें. फिर कंडीशनर प्रयोग कर बालों को दोबारा अच्छी तरह धो कर सुखा लें. लेयर पर हाईलाइटिंग शो होगी.

Holi 2024: होली में कलरफुल हो फैशन

होली आने से कुछ दिनों पहले से ही होली की खरीदारी होने लगती है. सब से बड़ी परेशानी यह है कि होली पर ऐसा क्या पहना जाए जो स्टाइलिश हो पर कम कीमत का हो. एक दौर वह था जब लोग अपने पुराने, खराब हुए कपड़े इसलिए संभाल कर रखते थे कि इन का प्रयोग होली के दिन रंग खेलने में करेंगे. आज के समय में होली खेलने के लिए सभी स्टाइलिश ड्रैस की तलाश करने लगे हैं.

होली के दिन अब सिर्फ होली ही नहीं खेली जाती बल्कि प्रौपर फोटोशूट भी होता है. लड़केलड़कियों में इस बात की होड़ लगी होती है कि कौन किस तरह के और कितने फैशनेबल कपड़े पहन कर आएगा और सभी फोटोज में छा जाएगा. फिर ये तसवीरें इत्मीनान से बैठ कर देखी जाती हैं, पोस्ट की जाती हैं और होली के यादगार कैप्शंस लिखे जाते हैं. वैसे आजकल तो होली खेलने से ज्यादा होली खेलने का दिखावा कर फोटोशूट और वीडियोशूट करवाने वाले युवा ज्यादा दिखाई पड़ते हैं.

लखनऊ में नजीराबाद बाजार है. यहां चिकनकारी कपड़ों की सब से ज्यादा दुकानें हैं. हर रेंज में यहां कपड़े मिल जाते हैं. फैशन डिजाइनर नेहा सिंह भी यहां पर एक दुकान से दूसरी दुकान में सस्ते मगर स्टाइलिश कपड़े देख रही थी.

नजीराबाद बाजार कैसरबाग से अमीनाबाद जाने वाली सड़क के दोनों किनारे बना हुआ है. सड़क के दोनों तरफ दुकानों में चिकनकारी के कुरतेपाजामे से ले कर साड़ी और दूसरे परिधान टंगे दिखने लगते हैं. करीब 300 मीटर लंबी इस सड़क पर चिकनकारी के साथ ही साथ स्टाइलिश फुटवियर भी मिल जाते हैं. लखनऊ का चिकन पूरी दुनिया में मशहूर है. यहां सब से अधिक चिकनकारी का काम चौक बाजार में होता है. वहां थोक का काम ज्यादा है. नजीराबाद में रिटेल की दुकानें हैं. ऐसे में यहां लोगों को सब से अधिक वैराइटियों की चीजें मिल जाती हैं. यहां ऐसी नौवल्टी शौप है जहां पर ऐसी चीजें मिल जाती हैं जिन से चिकनकारी के कपड़ों को फैशन के अलग रंग दिए जा सकते हैं.

नेहा भी इसी कारण यहां होली के लिए कपड़े देखने आई थी. नेहा अपना एक बुटीक चलाती है. उस का फोकस है कि इस होली पर वह ज्यादा से ज्यादा स्टाइलिश कपड़े तैयार करेगी जिसे लोग होली में पहन सकें. इस के लिए चिकनकारी वाले कुछ ऐसे कपड़े भी वह देख रही थी जो आउट औफ सेल हों, वे सस्ते मिल जाएंगे. अपने बुटीक में ले जा कर वह इन को और भी सुंदर और स्टाइलिश बना लेगी. वह कहती है कि इस तरह वह बजट में लोगों की होली को और भी कलरफुल बना देगी.

इलाहाबाद की रहने वाली फैशन डिजाइनर प्रतिभा यादव कहती है, ‘‘होली के फैशन में लोग अच्छे और सस्ते कपड़े चाहते हैं जिस से वे रंग पड़ने से बेकार हो जाएं तो भी कोई ज्यादा फर्क न पड़े. यूथ इस में सब से पहले अपने लिए स्टाइलिश और फैशनेबल कपड़े तलाशने लगता है. आज ज्यादातर युवावर्ग औनलाइन शौपिंग करने लगा है. ऐसे में वे होली से बहुत पहले इस तरह के कपड़े तलाश करने लगे हैं जो पुराने भी न हों और ज्यादा कीमती भी न हों. होली का क्रेज रंगों की वजह से होता है. सोशल मीडिया के दौर में रंग खेलने से पहले रंग को दिखाना जरूरी होता है. लड़के तो सफेद कुरतापाजामा या पैंटटीशर्ट के साथ खुश हो जाते हैं लेकिन लड़कियां हैं जो होली के रंगों में भी फैशन के ट्रैंड को तलाश करती रहती हैं.

सब से आगे हैं लड़कियां

अनारकली का क्रेज होली पर सब से ज्यादा है और इस की डिमांड भी खूब है. लखनवी प्रिंट और लखनवी वर्क के कुरतों की डिमांड होली में सब से ज्यादा होती है. लखनवी प्रिंट वाले अनारकली सूट को पहन कर सभी लड़कियां होली में नए लुक के साथ दिखना चाहती हैं. होली के खास मौके पर सफेद व पीले रंग का अनारकली कुरता सब से ज्यादा पसंद किया जा रहा है. अनारकली कुरते की खास बात यह भी होती है कि इस को वनपीस के रूप में भी पहना जा सकता है. अनारकली कुरते के साथ ट्रेडिशनल झुमके होली में फैशन का अलग ही रंग घोल देते हैं.

कुछ लड़कियों को लगता है कि अनारकली कुरता उन की फिगर को सूट नहीं करता. वे इस होली पर लैगिंग के साथ सामान्य सा शौर्ट लखनवी कुरता या टौप पहन सकती हैं. इस के साथ कलरफुल फुल स्लीव्स वाला जैकेट पहनें. होली पर पारंपरिक सफेद कुरते के साथ जींस पहनी जा सकती है. इस की वजह यह है कि सफेद कुरते पर होली के सारे रंग नजर आ जाते हैं. आजकल लेडीज ही नहीं, टीनएज लड़कियां भी होली पार्टी में साड़ी पहन सकती हैं.

साड़ी होली पर पहनने वाला सब से बेहतरीन परिधान है. साड़ी से ट्रेडिशनल लुक भी आता है. फिल्मी होली में साड़ी सब से ज्यादा प्रयोग की जाती है. इस को पहन कर हीरोइन वाले लुक की फीलिंग आती है. साड़ी पहनने से पहले इस को सलीके के साथ पहनना सीखना जरूरी होता है. खासकर होली में क्योंकि एक बार भीगने के बाद यह शरीर से चिपकने लगती है, होली में इनरवियर कपड़े ऐसे हों जो शरीर को पूरी तरह से ढक सकें.

कालेज में होली के लिए युवाओं में एक अलग ही उत्साह होता है क्योंकि कालेज की होली ही असल फैशन रैंप वाली होली होती है. लड़कियां शौर्ट्स, ट्राउजर्स और स्टाइलिश टीशर्ट्स पहन कालेज पहुंचती हैं. कुछ कालेजों में होली के दिन रेन डांस थीम भी रखा जाता है जिस का मजा लेने से युवा नहीं चूकते. वे फैशन का पूरापूरा ध्यान रखते हैं ताकि कुछ हो न हो, इंस्टाग्राम के लिए तसवीरें तो आ ही जाएं.

डिजाइनर नेहा सिंह कहती है कि होली में 2 तरह के कपड़े प्रयोग करने होते हैं, एक जिन को पहन कर होली खेल सकें और दूसरे जिन को पहन कर होली मिलन कर सकें. दोनों ही तरह के कपड़े स्टाइलिश और फैशनेबल होने चाहिए. रंग खेलने वाले कपड़े सस्ते होने चाहिए. ऐसे में होली के रंगों पर भी अब फैशन का रंग चढ़ गया है. होली केवल रंगों से भरा त्योहार नहीं रह गया अब यह बाजार बन गया है.

मेरी उम्र 42 साल है, कई दिनों से मेरी पीठ और हाथों में अचानक दर्द होने लगता है,दर्द से कैसे छुटकारा पाऊं?

सवाल

मेरी उम्र 42 साल है. कई दिनों से मेरी पीठ और हाथों में अचानक दर्द होने लगता है. पीठ के दर्द की तीव्रता हर बार अलग होती है. मलमूत्र में भी समस्या हो रही है और कभीकभी पैरों में भी दर्द होता है. क्या ये किसी बीमारी के लक्षण हैं या कोई सामान्य समस्या हैदर्द से कैसे छुटकारा पाऊं?

जवाब

आप के द्वारा बताए गए सभी लक्षण स्पाइनल इन्फैक्शन की ओर इशारा करते हैं. हालांकि समस्या कोई और भी हो सकती हैइसलिए एमआरआई करवा के सही समस्या की पुष्टि करें. इस में रीढ़ का आकार खराब हो सकता हैइसलिए इलाज में देरी बिलकुल न करें.

स्पाइनल संक्रमण का सब से सामान्य उपचार इंट्रावीनस ऐंटीबायोटिक दवाइयों के सेवनब्रेहेसग और शरीर को पूरी तरह आराम देने के साथ शुरू होता है. वर्टिब्रल डिस्क में रक्तप्रवाह ठीक से नहीं हो पाता हैइसलिए जब बैक्टीरिया अटैक करता है तो शरीर की इम्यून कोशिकाओं और ऐंटीबायोटिक दवाइयों को संक्रमण के स्थान तक पहुंचने में मुश्किल होती है.

वहीं ब्रेसिंग संक्रमण के उपचार के दौरान रीढ़ को सही आकार में रखने में मदद करती है. 7-8 हफ्तों के लिए ऐंटीबायोटिक्स का सेवन करने के लिए कहा जाता हैसाथ ही ब्रेसिंग की जाती है जो संक्रमण के ठीक होने तक रीढ़ को सही आकार में रखने में मदद करती है.

इस का दूसरा इलाज सर्जरी हैजिस की सलाह तब दी जाती है जब संक्रमण पर मैडिकेशन का कोई असर नहीं पड़ता है.

Holi 2024: काले घोड़े की नाल- क्या चाहता था चंद्रिका

मुखियाजी को घोड़े पालने का बहुत शौक था. बताते हैं कि ये शौक उन को विरासत में मिला हुआ था. आज भी मुखियाजी के पास 5 घोड़े थे, जिन की देखभाल का काम उन्होंने चंद्रिका नाम के 35 साला एक शख्स को दे रखा था.

मुखियाजी की उम्र तकरीबन 50-55 उम्र के बीच, फिर भी बढ़ती उम्र का कोई असर नहीं पता चलता था. रोज सुबहशाम दूध पीते और लंबी सैर को जाते. अपनी जवानी के दिनों में आसपास के इलाकों में खूब दंगल जीते थे मुखियाजी ने.

पीठ पीछे कोई मुखियाजी को कुछ भी कहे, पर उन के सामने सभी नतमस्तक नजर आते थे.

मुखियाजी और उन की पत्नी के जीवन में एक बहुत भारी कमी थी कि दोनों के कोई औलाद नहीं थी. घरेलू नुसखों से कई बार उपचार करने की कोशिश भी की गई, पर कुछ नतीजा नहीं निकला. मुखियाइन की गोद हरी नहीं हो सकी और दोनों हार कर हाथ पर हाथ धर कर बैठ गए.

मुखियाजी को अपनी वंश बेल सूखने की कतई परवाह नहीं थी. उन्हें तो अपनी जिंदगी में अपनी सभी इंद्रियों से सुख उठाना अच्छी तरह आता था.

मुखियाजी कुल मिला कर 3 भाई थे, मुखियाजी से छोटा वाला संजय और सब से छोटा विनय, दोनों भाई मुखियाजी के प्रभाव में दबे हुए रहते थे. किसी की भी उन के सामने जबान खोलने की हिम्मत नहीं थी.

पिछले कुछ दिनों से मुखियाजी के मन में उन के किसी चमचे ने समाजसेवा का शौक लगा दिया था, तभी तो मुखियाजी हर किसी से यही कहते कि बड़े घर से तो हर कोई रिश्ता जोड़ना चाहता है, पर मैं तो संजय और विनय की शादी किसी गरीब घर की लड़की से ही करूंगा.

हां… पर लड़की खूबसूरत और सुशील होनी चाहिए, समाजसेवा भी होगी और किसी गरीब का भला भी हो जाएगा.

आसपास के गांव में कम पैसे वाले ठाकुर भी रहते थे. उन में से बहुत से लोग मुखियाजी के यहां अपनी लड़कियों का रिश्ता ले कर पहुंचे. मुखियाजी ने लड़कियों के फोटो रखवा लिए और बाद में संपर्क करने को कहा.

कुछ दिन बाद मुखियाजी ने उन सारे फोटो में से 2 खूबसूरत लड़कियों को पसंद किया. हैरानी की बात थी कि मुखियाजी ने जो 2 लड़कियां पसंद की थीं, वो अपेकक्षाकृत भरेपूरे बदन की थीं.

मुखियाजी ने उन दोनों के पिताजी को बुला भेजा और हर किसी से अकेले में बात की, “देखिए, हम अपने भाई संजय के लिए एक लड़की ढूंढ़ रहे हैं… पर हमारी 2 शर्तें हैं…

“पहली शर्त तो यह है कि फोटो देख कर लड़की की बुद्धिमत्ता का परिचय नहीं मिलता, इसलिए हम व्यक्तिगत रूप से लड़की से मिलना चाहेंगे… और दूसरी शर्त क्या होगी कि ये हम आप को रिश्ता तय होने के बाद बताएंगे.”

दूसरी शर्त वाली बात से लड़की का पिता थोड़ा घबराया, तो मुखियाजी ने उस से कहा कि ऐसी कोई शर्त नहीं होगी, जिसे वे पूरा न कर सकें. उन की इस बात पर लड़की के बाप को कोई आपत्ति नहीं हुई.

उन लोगों ने घर जा कर अपनी बेटियों को नैतिकता का पाठ पढ़ाना शुरू कर दिया कि मुखियाजी के सभी सवालों का उत्तर सही से देना और सासससुर की बात मानना एक अच्छी बहू के गुण होते हैं.

मुखियाजी को आखिरकार सीमा नाम की एक लड़की पसंद आ गई.

“देखो सीमा, संजय को हम ने ही पालपोस कर बड़ा किया है, इसलिए हमारी हर बात मानता है वह. यही उम्मीद हम तुम से भी करते हैं… मानोगी न हमारी बात,” सीमा की पीठ पर हाथ घुमाते हुए मुखियाजी ने कहा. सीमा ने सिर्फ हां में सिर हिला दिया.

मुखियाजी ने सीमा के बाप मोती सिंह को बुलाया और कहा कि उन की लड़की उन्हें पसंद आ गई है और सब से पास वाले मुहूर्त बमें वे सीमा और संजय की शादी कर दें और फिर मुखियाजी ने सीमा के बाप मोती सिंह को अपनी दूसरी शर्त के बारे में बताया, “हमारी दूसरी शर्त ये है कि तुम हमें अपनी लड़की दे रहे हो, इसलिए हमारा भी फर्ज है कि हम तुम्हें अपनी तरफ से कुछ भेंट दें,” ये कह कर मुखियाजी ने 50,00 रुपए मोती सिंह को पकड़ा दिए. मोती सिंह उन की दरियादिली पर खुश हो गया. उस ने मुखियाजी के सामने हाथ जोड़ लिए.

संजय और सीमा की शादी हो गई थी, पर मुखियाजी का सख्त आदेश था कि अभी संजय और सीमा की सुहागरात का उचित समय नहीं है, इसलिए संजय को अलग कमरे में सोना पड़ेगा.

मुखियाजी अपने दोनों भाइयों के गांवों में रहने के सख्त खिलाफ थे. उन का साफ कहना था कि अगर तुम लोग गांव में रुक गए, तो यहां के गंवार लड़कों के साथ तुम लोग भी नहर पर बैठ कर चिलम पीया करोगे और आवारागर्दी करोगे और ये बात मुखियाजी को मंजूर नहीं, इसलिए मेहमानों के जाते ही संजय और विनय को शहर चलता कर दिया गया. बेचारा संजय अभी अपनी पत्नी के साथ सैक्ससुख भी नहीं ले पाया था और उस से अलग हो जाना पड़ा.

सीमा ने संजय से न जाने की फरियाद भी की, पर मुखियाजी का आदेश संजय के लिए पत्थर की लकीर था, इसलिए वह कुछ न बोल सका.

इसी तरह पूरे 6 महीने हो गए थे संजय को गए हुए, सीमा ने एक मर्द के शरीर का सामीप्य अभी तक नहीं जाना था. वह अकसर सोचती कि ऐसी शादी से क्या फायदा कि दिनभर घर का काम करो और रात में बिस्तर पर करवटें बदलो…

बाहर बारिश हो रही थी. सीमा अपने बिस्तर पर लेटी हुई थी कि उसे अपने पैरों पर किसी के गरम हाथ की छुअन महसूस हुई. वे हाथ उस की जांघों तक पहुंच गए थे, कोई उस के सीने पर अपने हाथों का दबाव बढ़ा रहा था. सीमा की सांसें गरम हो गई थीं. उस का स्पर्श सीमा को बहुत अच्छा लग रहा था. सीमा को लगा कि उस का पति संजय ही वापस आ गया है. उस ने अपनी आंखें बंद कर लीं और आंनद लेना शुरू कर दिया. उस आदमी ने सीमा के सारे कपड़े हटा दिए और सीमा के स्त्री शरीर में प्रवेश कर गया.

सीमा को आज पहली बार मर्द की मर्दानगी का मजा मिला था. संभोग खत्म होते ही वह व्यक्ति सीमा से अलग हो गया.

सीमा ने उस की तरफ देख कर प्यारमनुहार करना चाहा और अपनी आंखें खोलीं…पर ये क्या, ये तो संजय नहीं था, बल्कि मुखियाजी थे… बिस्तर में पूरी तरह नग्न सीमा भला मुखियाजी का सामना कैसे करती. उस ने तुरंत ही चादर से अपने शरीर को ढकने की असफल कोशिश की और अस्फुट स्वर में बोली, “ये क्या किया मुखियाजी आप ने?”

“एक बात अच्छी तरह समझ ले सीमा… तुझे अब मुझे ही अपना पति समझना होगा, क्योंकि संजय का सारा खर्चा मैं उठाता आया हूं. मेरे सामने वह चूं तक नहीं करेगा. मैं उस के माल का मजा उड़ा सकूं, इसीलिए उस को मैं ने शहर भेज दिया है…

“और वैसे भी हम ने तेरे बाप को हमारी हर बात मानने के लिए पैसे दिए हैं,” नशे में बोल रहे थे मुखियाजी.

ऐसा सुन कर सन्न रह गई थी सीमा, पर मन ही मन उस ने अपनेआप को समझा लिया था, क्योंकि उसे मुखियाजी के रूप में उस के जिस्म को सुख पहुंचाने वाला मर्द जो मिल गया था.

फिर क्या था, मुखियाजी लगभग रोज ही सीमा के कमरे में आ जाते और दोनों सैक्स का जम कर मजा उठाते. मुखियाजी के चेहरे की लालिमा बढ़ गई थी. नई जवान लड़की के जिस्म का रस पी कर जैसे उन की जवानी ही वापस आ गई थी.

कभीकभी जब मुखियाजी अपनी पत्नी के पास ही सो जाते तो सीमा को जैसे सौतिया डाह सताने लगता. उसे अकेले नींद न आती, इसलिए कभी वह चूड़ियां खनकाती, तो कभी अपनी पायलें बजाते हुए मुखियाजी के कमरे के सामने से निकलती. हार कर मुखियाजी को उठ कर आना पड़ता और सीमा के जिस्म की आग को बुझाना पड़ता.

इस दौरान शहर से संजय वापस आया, तो मुखियाजी की त्योरियां चढ़ने लगीं और उन्होंने उसे किसी बहाने यहांवहां दौड़ा दिया, ताकि वह सीमा के साथ न रह पाए. फिर एक दिन उसे पैसावसूली के लिए दूसरे गांव भेज दिया और जब वह वापस आया, तब तक शहर से उस के ठेकेदार का बुलावा आ चुका था. बेचारा संजय अपनी पत्नी के संसर्ग को तरसता रह गया.

कुछ समय बीता तो मुखियाजी अपने छोटे भाई विनय की शादी के बारे में सोचने लगे. उन्होंने शहर से विनय को भी बुलवा लिया था और बहू ढूंढ़ने लगे. जल्दी ही उन्हें मुनासिब बहू मिल भी गई, जिस का पिता गरीब था और पहले की तरह ही उसे पूरे 50,000 रुपए देते हुए मुखियाजी ने लड़की के बाप से कहा कि बस अपनी लड़की से इतना कह दो कि विनय को पढ़ानेलिखाने में हम ने बहुत खर्चा किया है. हम ही उस के मांबाप हैं, इसलिए हमारी बात मान कर रहेगी तो सुखी रहेगी.

शादी के बाद सीमा को घर में मेहमानों के होने के कारण मुखियाजी से मिलने में बहुत परेशानी हो रही थी. ऐसे में उसे अपने पति संजय का साथ और सुख मिला. संजय भी बिस्तर पर ठीक ही था, पर मुखियाजी की ताकत के आगे वह फीका ही लगा था, इसीलिए सीमा मन ही मन सभी मेहमानों के जाने का इंतजार करने लगी, ताकि वह फिर से मुखियाजी के साथ रात गुजार सके.

सारे मेहमान चले गए थे. संजय और विनय को आज ही शहर जाना पड़ गया था.

अगले दिन से सीमा ने ध्यान दिया कि मुखियाजी उस के बजाय नई बहू रानी का अधिक मानमनुहार करते हैं. उन की आंखें रानी के कपड़ों के अंदर घुस कर कुछ तौलने का प्रयास करती रहती हैं. सीमा मुखियाजी की मनोभावना समझ गई थी.

‘‘तो क्या मुखियाजी ने अपने भाइयों को इसलिए पालापोसा है, ताकि वे हमारे पतियों को हम से दूर कर के हमें भोग सकें… पर मैं चाह कर भी कुछ नहीं कर सकती, क्योंकि मेरे पति ही अपने बड़े भाई के खिलाफ एक शब्द भी नहीं सुनना चाहते हैं…‘‘ ऐसा सोच कर सीमा को नींद न आ सकी.

रानी के कमरे से सीमा को कुछ आवाज आती महसूस हुई, तो आधी रात को वह उठी और नई बहू रानी के कमरे के बाहर जा कर दरवाजे की झिर्री में आंख गड़ा दी. अंदर रानी बेसुध हो कर सो रही थी, जबकि मुखियाजी उस के बिस्तर के पास खड़े हो कर उस के बदन को किसी भूखे भेड़िए की तरह घूरे जा रहे थे. अभी मुखियाजी रानी के सीने की तरफ अपना हाथ बढ़ाने ही जा रहे थे कि उन की हरकत देख कर सीमा को गुस्सा आया और उस ने पास में रखे बरतन नीचे गिरा दिए, जिस की आवाज से रानी जाग गई, “मु… मुखियाजी आप यहां… इस समय…”

“हां… बस जरा देखने चला आया था कि तुझे कोई परेशानी तो नहीं है,” इतना कह कर मुखियाजी बाहर निकल गए.

रानी भी मुखियाजी की नजर और उन के मनोभावों को अच्छी तरह समझ गई थी, पर प्रत्यक्ष में उस ने अनजान बने रहना ही उचित समझा.

“कल तो आप रानी के कमरे में ही रहे… हमें अच्छा नहीं लगा,” सीमा ने शिकायती लहजे में कहा, तो मुखियाजी ने बात बनाते हुए कहा, “दरअसल, अभी वह नई है… विनय शहर गया है, तो रातबिरात उस का ध्यान तो रखना ही है न.”

एक शाम को मुखियाजी सीधा रानी के कमरे में घुसते चले गए. रानी उन्हें देख कर सिर से पल्ला करने लगी, तो मुखियाजी ने उस के सिर से साड़ी का पल्ला हटाते हुए कहा, “अरे, हम से शरमाने की जरूरत नहीं है… अब विनय यहां नहीं है, तो उस की जगह हम ही तुम्हारा ध्यान रखेंगे… विश्वास न हो, तो अपने पिता से पूछ लेना. वो तुम से हमारी हर बात का पालन करने को ही कहेंगे,” रानी की पीठ को सहला दिया था मुखियाजी ने और मुखियाजी की इस बात पर रानी के पिताजी ने ये कह कर मोहर लगा दी थी कि ‘‘बेटी, तुम मुखियाजी की हर बात मानना. उन्हें किसी भी चीज के लिए मना मत करना.‘‘

एक अजीब संकट में थी रानी.नई बहू रानी ने आज खाना बनाया था. पूरे घर के लोग खा चुके तो घर के नौकरों की बारी आई. घोड़ो की रखवाली करने वाला चंद्रिका भी खाना खाने आया. उस की और रानी की नजरें कई बार टकराईं. हर बार चंद्रिका नजर नीचे झुका लेता.

खाना खा चुकने के बाद चंद्रिका सीधा रानी के सामने पहुंचा और बोला, “बहुत अच्छा खाना बनाया है आप ने… हम कोई उपहार तो दे नहीं सकते, पर ये हमारे काले घोड़े की नाल है… इसे आप घर के दरवाजे पर लगा दीजिए, बुरे वक्त और भूतप्रेत से आप की रक्षा करेगी ये,” सकुचाते हुए चंद्रिका ने कहा.

“अरे, ये सब भूतप्रेत, घोड़े की नाल वगैरह कोरा अंधविश्वास होता है… मेरा इन पर भरोसा नहीं है,” रानी ने कहा, पर उस ने देखा कि उस के ऐसा कहने से चंद्रिका का मुंह उतर गया है.

“अच्छा… ये तो बताओ कि तुम मुझे घुड़सवारी कब सिखाओगे?” रानी ने कहा, तो चंद्रिका बोला, “जब आप कहें.”

“ठीक है, 1-2 दिन में अस्तबल आती हूं.”

घर की छत से अकसर रानी ने चंद्रिका को घोड़ों की मालिश करते देखा था. 6 फुट लंबा शरीर था चंद्रिका का. जब वह अपने कसरती बदन से घोड़ों की मालिश करता, तो वह एकदम अपने काम में तल्लीन हो जाता, मानो पूरी दुनिया में एकमात्र यही काम रह गया हो.

2 दिन बाद रानी मुखियाजी के साथ अस्तबल पहुंची. चंद्रिका ने काला वाला घोड़ा एकदम तैयार कर रखा था. मुखियाजी वहीं खड़े हो कर रानी को घोड़े पर सवार हो कर घूमते जाते देख रहे थे. चंद्रिका पैदल ही घोड़े की लगाम थामे हौलहौले चल रहा था.

“तुम ने सवारी के लिए वो सफेद वाली घोड़ी धन्नो क्यों नहीं चुनी?”

“जी, क्योंकि धन्नो इस समय उम्मीद से है न (गर्भवती है)… ऐसे में हम घोड़ी पर सवार नहीं होते,” चंद्रिका का जवाब दिलचस्प लगा रानी को.

“अच्छा… तो वो धन्नो मां बनने वाली है, तो फिर उस के बच्चे का बाप कौन है?”

“यही तो है… बादल, जिस पर आप बैठी हुई हैं. बहुत प्रेम करता है ये अपनी धन्नो से,” चंद्रिका ने उत्तर दिया.

“प्रेम…?” एक लंबी सांस छोड़ी थी रानी ने.

“इस घोड़े को जरा तेज दौड़ाओ… जैसा फिल्मों में दिखाते हैं.”

“जी, उस के लिए हमें आप के पीछे बैठना पड़ेगा,” चंद्रिका ने शरमाते हुए कहा.

“तो क्या हुआ… आओ, बैठो मेरे पीछे.”

चंद्रिका शरमातेझिझकते रानी के पीछे बैठ गया और बादल को दौड़ाने के लिए ऐंड़ लगाई. बादल सरपट भागने लगा. घोड़े की लगाम चंद्रिका के मजबूत हाथों में थी. चंद्रिका और रानी के जिस्म एकदूसरे से रगड़ खा रहे थे. रानी और चंद्रिका दोनों ही रोमांचित हो रहे थे. एक अनकहा, अनदेखा, अनोखा सा कुछ था, जो दोनों के बीच में पनपता जा रहा था.

हां… पर, चंद्रिका के स्पर्श में कितनी पवित्रता थी, कितनी रूहानी थी उस की हर छुअन.

रानी ने महसूस किया कि मुखियाजी के हाथों में कितनी वासना और लिजलिजाहट महसूस होती है… बहुत अंतर था इन दोनों के स्पर्श में.

उस दिन रानी वापस तो आई, पर उस का मन जैसे कहीं छूट सा गया था. बारबार उस के मन में आ रहा था कि वह जा कर चंद्रिका से खूब बातें करे, उस के साथ में जीने का एहसास पहली बार हुआ था उसे.

इस बीच रानी कभीकभी अकेले ही अस्तबल चली जाती. एक दिन उस ने चंद्रिका का एक अलग ही रूप देखा.

“बस, कुछ दिन और बादल… मुझे बस इस माघ मेले में होने वाली दौड़ का इंतजार है, जिस में मुखिया से मेरा हिसाब बराबर हो जाएगा… मुझे इस मुखिया ने बहुत सताया है.”

”ये चंद्रिका आज कैसी बातें कर रहा है? कैसा हिसाब…? और मुखियाजी ने क्या सताया है तुम्हें?” एकसाथ कई सवाल सुन कर घबरा गया था चंद्रिका.

“जाने दीजिए… हमें कुछ नहीं कहना है.”

“नहीं, तुम्हें बताना पड़ेगा… तुम्हें हमारी कसम,” चंद्रिका का हाथ पकड़ कर रानी ने अपने सिर पर रखते हुए कहा था. न चाहते हुए भी चंद्रिका को बताना पड़ा कि वह अनाथ था. मुखियाजी ने उसे रहने की जगह और खाने के लिए भोजन दिया. उन्होंने ही चंद्रिका की शादी भी कराई और फिर चंद्रिका को बहाने से शहर भेज दिया और उस के पीछे उस की बीवी की इज्जत लूटने की कोशिश की, पर उस की बीवी स्वाभिमानी थी. उस ने फांसी लगा ली… बस, तब से मैं हर 8 साल बाद होने वाले माघ मेले का इंतजार कर रहा हूं, जब मैं बग्घी दौड़ में इसे बग्घी से गिरा कर मार दूंगा और इस तरह से अपनी पत्नी की मौत का बदला लूंगा.

रानी को समझते देर न लगी कि ऊपर से चुप रहने वाला चंद्रिका अंदर से कितना भरा हुआ है. वह कुछ न बोल सकी और लौट आई. रानी के मन में चंद्रिका की मरी हुई पत्नी के लिए श्रद्धा उमड़ रही थी. अपनी इज्जत बचाने के लिए उस ने अपना जीवन ही खत्म कर दिया.

इस के जिम्मेदार तो सिर्फ मुखियाजी हैं… तब तो उन्हें सजा जरूर मिलनी चाहिए… पर कैसी सजा…? किस तरह की सजा…? मुखियाजी को कुछ ऐसी चोट दी जाए, जिस का दंश उन्हें जीवनभर झेलना पड़े… और वे चाह कर भी कुछ न कर सकें… आखिरकार रानी को उस के पति से अलग करने का जुर्म भी तो मुखियाजी ने ही किया है.

एक निश्चय कर लिया था रानी ने. अगली सुबह रानी सीधा अस्तबल पहुंची और चंद्रिका से कुछ बातें कीं, जिन्हें सुन कर असमंजस में दिखाई दिया था चंद्रिका.

वापस आते हुए रानी चंद्रिका से काले घोड़े की नाल भी ले आई थी… ये कहते हुए कि देखते हैं कि तुम्हारे इस अंधविश्वास में कितनी सचाई है और वो काले घोड़े की नाल उस ने मुखियाजी के कमरे के बाहर टांग दी थी.

रात में रानी ने घर का सारा कीमती सामान और नकदी एक बैग में भरी और अस्तबल पहुंच गई. रानी और चंद्रिका दोनों बादल की पीठ पर बैठ कर शहर की ओर जाने वाले थे, तभी चंद्रिका ने पूछा, “पर, इस तरह तुम को भगा ले जाने से मेरे प्रतिशोध का क्या संबंध…?”

“मैं ने अपने पति को एक पत्र लिखा है, जिस में उसे अपनी पत्नी का ध्यान न रख पाने का जिम्मेदार ठहराया है… वह तिलमिलाया हुआ आएगा और मुखियाजी से सवाल करेगा… दोनों भाइयों में कलह तो होगी ही, साथ ही साथ पूरे गांव में मुखियाजी की बहू के उन के घोड़ों के नौकर के साथ भाग जाने से उन की आसपास के सात गांव में जो नाक कटेगी, उस का घाव जीवनभर रिसता रहेगा… ये होगा हमारा असली प्रतिशोध,” रानी की आंखें चमक रही थीं.

रानी ने उसे ये भी बताया कि माना कि मुखियाजी को चंद्रिका मार सकता है, पर भला उस से क्या होगा? एक झटके में वह मुक्त हो जाएगा और फिर चंद्रिका पर हत्या का इलजाम भी लग सकता है और फिर मुखिया भले ही बहुत बुरा आदमी है, पर मुखियाइन का भला क्या दोष? उस के जीवित रहने से उस का जीवन जुडा हुआ है और फिर उसे मार कर बेकार पुलिस के पचड़े में पड़ने से अच्छा है कि उसे ऐसी चोट दी जाए, जो उसे जीवनभर सालती रहे.

“और हां… अब तो मानते हो न कि तुम्हारी वो बुरे वक्त से बचाने वाली काले घोड़े की नाल वाली बात एक कोरा अंधविश्वास के अलावा कुछ भी नहीं है… क्योंकि मुखियाजी का बुरा वक्त तो अब शुरू हुआ है, जिसे कोई नालवाल बचा नहीं सकती,” रानी की बात सुन कर एक मुसकराहट चंद्रिका के चेहरे पर फैल गई. उस ने बड़ी जोर से ‘हां‘ में सिर को हिलाया और बादल को शहर की ओर दौड़ा दिया.

Holi 2024: रेस्टोरेंट स्टाइल में बनाएं पनीर टिक्का मसाला करी

Holi 2024: होली पर परिवारी और मित्रों के लिए क्या स्पेशल बनाया जाए यह बहुत बड़ी समस्या होती है क्योंकि गुझिया, अनरसा जैसे पारम्परिक व्यंजन और मिठाई खाकर पहले ही हर कोई बोर हो चुका होता है दूसरे आजकल अधिकांश लोग हैल्थ कॉन्शस होते हैं और वे पहले से बने नाश्ते की अपेक्षा ताजे भोजन को ही प्राथमिकता देते हैं. कोई भी मेहमान आये पनीर तो हम बनाते ही हैं, आज हम आपको पनीर से एकदम रेस्टोरेंट जैसा पनीर टिक्का मसाला करी बनाना बता रहे हैं जिसे बनाना तो बहुत आसान है ही साथ ही बेहद स्वादिष्ट होने के कारण यह मेहमानों को भी बहुत पसंद आएगा. तो आइए देखते हैं कि इसे कैसे बनाया जाता है-

कितने लोगों के लिए         4

बनने में लगने वाला समय     30 मिनट

मील टाइप                          वेज

सामग्री(टिक्का के लिए)

पनीर                             300 ग्राम

शिमला मिर्च                  1

प्याज                            1

ताजा दही                       500 ग्राम

हल्दी पाउडर                   1/2 टीस्पून

बेसन                              1 टीस्पून

नमक                            1/2 टीस्पून

कश्मीरी लाल मिर्च         1 टीस्पून

अदरक, लहसुन हरी मिर्च पेस्ट  1 टीस्पून

तेल                                 1 टेबलस्पून

सामग्री(करी के लिए)

टमाटर                           4(मध्यम)

प्याज                             2

साबुत लाल मिर्च               3

तेजपात पत्ता                   2

तेल                            1 टेबलस्पून

हल्दी                        1/4 टीस्पून

कश्मीरी लाल मिर्च       1/2 टीस्पून

नमक                          1/4 टीस्पून

गर्म मसाला                  1/4 टीस्पून

काजू                           6

अदरक                          1 छोटी गांठ

लहसुन                           4 कली

सामग्री(टिक्का करी के लिए)

प्याज बारीक कटा            1

टमाटर बारीक कटा          2

हल्दी पाउडर                   1/4 टीस्पून

कश्मीरी लाल मिर्च           1/2 टीस्पून

नमक                              1/4 टीस्पून

धनिया पाउडर                 1 टीस्पून

कसूरी मैथी                    1 टीस्पून

तेल                                 1टेबलस्पून

ताजी मलाई                    1 टेबलस्पून

विधि

दही को एक छलनी में डालकर  4-5 घण्टे के लिए रख दें ताकि हंग कर्ड तैयार हो जाये. पनीर, प्याज और शिमला मिर्च को चौकोर टुकड़ों में काट लें. अब छलनी से दही को निकालकर एक बाउल में डालें तथा सभी मसाले व बेसन डालकर अच्छी तरह चलाएं. पनीर, प्याज और शिमला मिर्च के चौकोर टुकड़े डालकर अच्छी तरह चलाएं और 30 मिनट के लिए ढककर रख दें. आधे घण्टे बाद एक नॉनस्टिक पैन में तेल लगाकर मध्यम आंच पर इन्हें अलग अलग सुनहरा होने तक दोनों तरफ से सेंक लें.

ग्रेवी बनाने के लिए प्याज और टमाटर को चार टुकड़ों में काट लें. गर्म तेल में तेजपात डालकर प्याज को सॉते करके, साबुत लाल मिर्च, अदरक, लहसुन को हल्का सा भूनकर टमाटर डाल दें. 3-4 मिनट टमाटर को भूनकर सभी मसाले व काजू डालकर अच्छी तरह चलाएं. 1 कप पानी डालकर 5मिनट तक ढककर पकाकर गैस बंद कर दें. ठंडा होने पर मिक्सी में महीन पीसकर छलनी से छान लें.

टिक्का करी बनाने के लिए गर्म तेल में प्याज सौते करके हल्दी पाउडर, कसूरी मैथी व  मसाले डालकर अच्छी तरह चलाकर कटे टमाटर डाल दें. जब टमाटर पूरी तरह गल जाएं तो छनी हुई ग्रेवी डाल कर चलाएं. 1 कप पानी डालें. जब 2-3 उबाल आ जाएं तो सिके हुए टिक्का डालकर धीमी आंच पर 5 मिनट तक पकाएं. ताजी मलाई को फेंटकर डालें और गर्मागर्म टिक्का करी परांठा या रोटी के साथ सर्व करें.

Holi 2024: होली में अपने घर को सजाएं ऐसे

दोस्तों बहुत सारी जगहें ऐसी होती है जैसे कि होटल है या कोई भी स्टोर या स्पा वगैरह जहां पर हम भले ही एक ही बार जाते हैं पर हमेशा के लिए हमारे माइंड में उसकी मेमोरी रजिस्टर हो जाती है. जैसे कि हम किसी होटल में गए तो हमें लगा की वाह क्या होटल था, क्या रूम था, क्या आर्गेनाईजेशन था.

इसका क्या कारण है? दोस्तों इसका कारण है वहां का वातावरण, वहां का औरा या ऑर्गेनाइजेशन या फिर स्टाइलिंग जिसकी वजह से वो जगह हमें हमेशा के लिए याद रह जाती है. तो हम अपने घर में ऐसा क्या करें कि हमारा घर भी इन्ही जगहों की तरह स्टाइलिश और मेन्टेन रहे.

दोस्तों हम अपने घर को हर त्यौहार के हिसाब से सजा सकते हैं. जरूरी नहीं है कि जब त्यौहार हो तभी हम घर सजाएं लेकिन हां कुछ स्पेशल करना है तो ऐसा करना कोई बड़ी बात नहीं है .

होली रंगों का त्योहार है और शायद प्यार और दोस्ती के बंधन को मजबूत करने का सबसे अच्छा समय है. यह आपके घर को सजाने का सबसे अच्छा समय है.

दोस्तों होली का त्यौहार बस आने ही वाला है  इसलिए आपने होली पार्टी के लिए सबसे अच्छा मेजबान बनने की तैयारी शुरू कर दी होगी, चाहे वह स्वादिष्ट भोजन हो या आकर्षक और रंगीन आउटडोर सजावट. आप कुछ अनूठा करके पार्टी को यादगार बनाने के इच्छुक होंगे. होली और दिवाली जैसे त्योहारों के लिए, अपने घर को सजाना एक बहुत ही दिलचस्प काम है. आपको केवल त्योहार को ध्यान में रखते हुए सजावट की वस्तुओं का चयन करना होगा. उदाहरण के लिए, दिवाली रोशनी का त्यौहार  है इसलिए हम अपने घर को सजाने के लिए मोमबत्तियां, दीये, रोशनी आदि खरीदते हैं .वैसे ही होली  रंगों का त्यौहार  है, इसलिए जब आप अपने घर को सजाने जा रहे हैं, तो अपने घर की सजावट के लिए रंगों के चयन पर विशेष ध्यान दें.

दोस्तों आइये जानते है की होली के इस रंगीन त्यौहार को और भी आकर्षक और रचनात्मक सजावट के साथ ज्यादा रंगीन और विशेष बनाने के लिए हम अपने घर को कैसे सजाएं-

अपने मास्टर बेडरूम की सजावट

एक थकान भरे दिन के बाद जिंदगी की भागदौड़ से राहत हमें अपने बेडरूम में ही मिलती है यह वह जगह है जहां हम सपनों में डूब जाते हैं और हर दिन एक नई शुरुआत करते है. अपने बेडरूम को एक नया बदलाव देने के बिना घर की सजावट अधूरी मानी जाती है .

आप अपने रूम के हिसाब से किसी प्रिंट फैमिली का एक बेडशीट का  सेट खरीद सकते हैं, आप चाहे तो आप कलरफुल बेडशीट भी यूज कर सकते हैं कलरफुल पिलो कवर के साथ . इससे आपके लिए डेकोरेशन काफी आसान हो जाएगा. आप जितने चाहे उतने पिलोज और cushion  यूज़ करके अपने लिए एक आरामदायक जगह बना सकते हैं .

अब बात करें आपके रूम के wall की तो आप अपनी वॉल के कलर के हिसाब से पिक्चर फ्रेम यूज कर सकते हैं. हर बार वॉल पेंट यूज़ करना जरूरी नहीं है आप चाहे तो सर्कुलर मिरर भी यूज करके एक नया लुक क्रिएट कर सकते हैं. मिरर से डेकोरेट करना ट्रेंड में भी है. इससे आपकी वॉल को सही हाईलाइट मिलेगी. अब इस पूरे लुक को कंप्लीट करने के लिए हम बेड साइड टेबल को छोटे प्लांट्स और बुक से डेकोरेट करेंगे. आप चाहे तो अपने बोरिंग कर्टन हटा करके कलरफुल कर्टन भी यूज कर सकते हैं. ये होली में आपके रूम को vibrant लुक देगा.

बाथरूम

अपने बाथरूम में रखे बोरिंग तौलिये को रंगीन तौलिये में  बदल दें. खुशबूदार साबुन की छोटी छोटी बॉल्स कई रंगों  में आती हैं उन्हें बाथरूम के काउंटरटॉप पर आकर्षक रूप से सजा दें . होली सजावट के साथ मैच करने के लिए बाथरूम की खिड़की में रंगीन ताजे फूलों की फूलदान भी रखें.

लिविंग रूम

अपने लिविंग रूम को एक vibrant  मेकओवर देने से आपको होली के त्योहार के लिए सही माहौल बनाने में मदद मिल सकती है. यदि आप कोई स्थायी परिवर्तन नहीं करना चाहते हैं, तो आप अपने घर को आकर्षक  लुक देने के लिए लिविंग एरिया में रंगीन curtain का इस्तेमाल कर सकते हैं और साथ ही साथ आप अपने लिविंग एरिया के लिए मिरर वर्क कुशन खरीद सकते हैं क्योंकि यह फेस्टिव लुक देगा .अपनी सेंटर टेबल ताजे फूलों के गुलदस्ते से सजाना न भूलें.

अपनी सेंटर टेबल को सजाने के लिए

आप फूलों की पंखुड़ियों के साथ कुछ नए और रंगीन क्रिस्टल बाउल भी use  कर सकते  हैं. आप अपने लिविंग रूम की दीवार को आधुनिक रंग के फुल हैंड पेंटिंग और आर्ट वर्क से भी सजा  सकते हैं.

एक चीज़ याद रहिये की फर्श  घर का मुख्य हिस्सा है. यह रंगों का त्यौहार है इसलिए आप अपने घर के लिए एक विशेष रंग की हस्तनिर्मित आधुनिक कालीन खरीद सकते हैं. ये कालीन  खास तौर पर होली की थीम पर तैयार किए जाते हैं .

और एक चीज़ त्योहारों में रंगोली का बहुत महत्व होता है . इसलिए अपने सामने के दरवाजे में रंगों से सुंदर रंगोली बनाकर अपने प्रवेश द्वार को सजाएं. आप अपने घर में उत्सव के आकर्षण को जोड़ने के लिए एक फूलों की रंगोली जोड़ सकते हैं.

किचन

अपने पूरे घर को डेकोरेट करते समय अपने किचन को मिस न करें. ये घर का सबसे प्रमुख हिस्सा होता है. आप अपने किचन के प्रवेश द्वार पर एक आकर्षक रंगोली बना सकते हैं . आप होली सजावट को पूरा करने के लिए रसोई की छत के केंद्र में एक कलरफुल लालटेन  भी लटका सकते हैं.और आप चाहे तो फूलों की छोटी छोटी झालरें भी किचन के प्रवेशद्वार पर लटका सकते है.

सुनिश्चित करें कि आप घर के अंदर होली न खेलें. घर के अंदर होली खेलने से आपके सामान, जैसे फर्नीचर, सोफा और इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों को नुकसान हो सकता है.तो अपने मेहमान को आमंत्रित करने के लिए अपने घर को सजाएँ जरूर पर हो सके तो अपनी छत या लॉन में होली खेलें.

जाहिर है कि कोई घर के अंदर होली नहीं खेलेगा, इसलिए यहां बाहरी व्यवस्था बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है-

लॉन और छत

होली एक बाहरी त्यौहार है जिसे आमतौर पर लॉन, आँगन, बालकनियों और छतों में मनाया जाता है. होली खेलने के लिए इन स्थानों को तैयार करें. फूल इन स्थानों को सजाने का सबसे अच्छा तरीका है. अपनी रेलिंग को रंगीन  फूलों की माला से सजाएं. त्योहार के आनंद को बढाने  के लिए एक फूलों की रंगोली के साथ अपने छत या लॉन को सजाएं. हैं.

पानी से भरे रंगीन गुब्बारे होली खेलने के लिए लगभग सभी को पसंद होते हैं. तो क्यों न इन्हें अपने पार्टी स्पेस को सजाने में इस्तेमाल किया जाए. गुब्बारों के गुलदस्ते बनाकर  उन्हें विभिन्न स्थानों पर अलग-अलग तरीकों से बांध दे चाहे वो छत का प्रवेश द्वार हो या लॉन का .

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