महिलाओं के लिए १० नई बंदिशें नए अधिकार

आज की महिला अपने ख्वाबों को साकार करने के लिए किसी की मुहताज नहीं. इरादों के साथसाथ बुलंदियों तक पहुंचने का हौसला भी रखती है वह. जहां उस की यह कामयाबी काफी हद तक उसे मिल रही कानूनी और सामाजिक छूटों का नतीजा है, तो वहीं बहुत सी कानूनी व सामाजिक बंदिशें बेडि़यां बन कर उस के कदम भी रोकती हैं.

आइए एक नजर डालते हैं ऐसी छूटों व बंदिशों पर:

बलात्कार पीडि़ता को गर्भपात की छूट: 35 साल की हालो बी को 21 नवंबर, 2012 को उस्मान नाम के एक शख्स की हत्या के जुर्म में गिरफ्तार किया गया. कथित तौर पर हालो बी को वेश्यावृति के लिए उस के पति आमिन ने उस्मान को बेच दिया था, जहां उस के साथ बारबार बलात्कार किया गया.

दिसंबर, 2012 में मैडिकल टैस्ट में यह साबित हो गया कि उसे करीब 6 सप्ताह का गर्भ है. और यह उन बलात्कारों की ही परिणति थी. वह इस गर्भ से छुटकारा पाना चाहती थी, मगर जेल प्रबंधन ने इस की सुविधा नहीं दी. नतीजतन परेशान हो कर हालो बी ने खुदकुशी का प्रयास किया. पर उसे बचा लिया गया. जनवरी, 2013 में उस ने एक पेटिशन फाइल कर कानून से सहायता मांगी.

अंतत: मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया. अपने आदेश में उच्च न्यायालय ने भारत के संविधान की धारा 21 का हवाला देते हुए कहा कि किसी महिला को बलात्कारी के बच्चे को जन्म देने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता, क्योंकि यह बात उसे गहरा मानसिक आघात पहुंचाती है. एमटीपी (मैडिकल टर्मिनेशन औफ प्रैगनैंसी) के अंतर्गत यह फैसला डाक्टर और उस महिला का होगा जिस के साथ रेप हुआ है. महिला को गर्भपात हेतु मैडिकल सुविधा दी जाए.

गुजरात उच्च न्यायालय द्वारा भी फरवरी, 2011 को बलात्कार की शिकार एक दलित 18 वर्षीय लड़की के पक्ष में जस्टिस अनंत एस. डवे ने ऐसा ही आदेश सुनाया कि इस तरह की परिस्थिति में गर्भपात को टर्मिनेट कराना गलत नहीं है.

ऐंटी रेप बिल: अप्रैल, 2013 को महिलाओं की सुरक्षा को ले कर बनाए गए इस ऐंटी रेप बिल को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई है. इस नए बिल में न केवल साधारण यौन अपराधों की सजा बढ़ाई गई वरन बलात्कार मामले में न्यूनतम 20 वर्ष और अधिकतम मौत की सजा का प्रावधान किया गया है.

इस के तहत महिला के संवेदनशील अंगों से छेड़छाड़ को भी अब बलात्कार माना जाएगा.

तेजाब हमला करने वालों को 10 साल तक की सजा मिलेगी.

ताकझांक करने, पीछा करने के मामले में दूसरी दफा जमानत नहीं मिलेगी. बारबार पीछा करने पर अधिकतम 5 साल की सजा होगी.

सजा के अतिरिक्त दुष्कर्म पीडि़ता के इलाज हेतु अभियुक्त पर भारी जुर्माने का भी प्रावधान होगा.

धमकी दे कर शोषण करने के लिए 7 से 10 साल तक की कैद की सजा.

कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठाने की छूट: दिसंबर, 2012 के दिल्ली गैंग रेप के बाद लंबे समय से प्रतीक्षित सैक्सुअल हैरेसमैंट औफ वूमन एट वर्कप्लेस (प्रीवेंशन, प्रोहिबिशन और रिड्रैशल) ऐक्ट, 2013, 23 अप्रैल को लागू हुआ.

इस के अंतर्गत किसी भी तरह के यौन आचरण के अवांछित व्यवहार को शामिल किया गया है, जैसे कि फिजिकल कौंटैक्ट ऐंड ऐडवांटेजेज, डिमांड ऐंड रिक्वैस्ट फौर सैक्सुअल फेवर्स, रिमार्क्स औफ ए सैक्सुअल नेचर, पोर्नोग्राफी आदि. कार्यस्थल के अंतर्गत न सिर्फ औफिस वरन काम के सिलसिले में यात्रा करने के दौरान ऐंप्लौयर द्वारा व्यवस्था किए गए ट्रांसपोर्टेशन को भी इस में शामिल किया गया है.

इस ऐक्ट के अंतर्गत एक ऐंप्लौयर को बहुत सारी बातों का ध्यान रखना होगा. मसलन, कार्य का अच्छा वातावरण, सैक्सुअल हैरेसमैंट होने पर सही कदम और एक इंटरनल कंप्लेंट्स कमेटी (आईसीसी) बनाना, जिस में कम से कम 4 सदस्य हों और जिस में आधी महिलाएं हों.

बच्चे की देखभाल के लिए समय दे सकने की स्वतंत्रता: छठे सैंट्रल पे कमीशन के मुताबिक, सरकारी महिला कर्मचारियों को अपने 18 साल से नीचे के 2 बच्चों की देखभाल हेतु अपने कार्यकाल के दौरान कभी भी 730 दिनों का सीसीएल (चाइल्ड केयर लीव) लेने का अधिकार है.

यह छुट्टी वह बच्चों की बीमारी, परीक्षा या देखभाल हेतु ले सकती है. इस दौरान सैलरी नहीं कटेगी. विधवाओं को ससुर से गुजाराभत्ता पाने की छूट: मुंबई उच्च न्यायालय द्वारा फरवरी, 2013 में दिए गए एक आदेश के मुताबिक, एक विधवा महिला को अधिकार है कि वह अपने पति की मौत के बाद ससुर द्वारा गुजाराभत्ता प्राप्त करे.

संबद्ध मामला सीमा शाह नाम की महिला का है. 12 सालों तक मुंबई में रहने के बावजूद पति की मौत के बाद उन्हें ससुराल वालों ने घर से निकाल दिया था. जस्टिस रोशन डालवी ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि सीमा शाह का हक न सिर्फ अपने पति की छोड़ी जायदाद पर है वरन ससुर की जायदाद पर भी है.

लिव इन रिलेशनशिप से संबंधित अधिकार: एक पेटिशन की सुनवाई के दौरान अप्रैल, 2014 में बी.एस. चौहान ऐंड चेलामेस्वर ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि यदि एक पुरुष और एक महिला पतिपत्नी की तरह लंबे समय से रह रहे हों, तो उन्हें शादीशुदा माना जाएगा और उन के बच्चों को अवैध करार नहीं दिया जा सकता. जरूरी नहीं कि धार्मिक रीतिरिवाजों से उन की शादी हो.

गुजाराभत्ता पाने का अधिकार: तलाक की याचिका पर एक शादीशुदा स्त्री, हिंदू विवाह अधिनियम के सैक्शन 24 के तहत गुजारा भत्ता ले सकती है. तलाक लेने के निर्णय के बाद सैक्शन-25 के तहत परमानैंट ऐलिमनी लेने का प्रावधान भी है. रकम कम लगे तो वह पति को अधिक खर्च देने को बाध्य कर सकती है.

सी.आर.पी.सी. के सैक्शन 125 के अंतर्गत पत्नी को मैंटेनैंस पाने का अधिकार है. दहेज कानून (498 ए): ससुराल पक्ष के सदस्यों द्वारा शादी से पहले, शादी के दौरान या बाद किसी महिला से दहेज की मांग की जाए और उसे शारीरिक/मानसिक/आर्थिक/भावनात्मक रूप से परेशान किया जाए, तो वह दहेज कानून के तहत केस दर्ज करा सकती है.

दहेज के लिए तंग करने के साथसाथ कू्ररता और भरोसा तोड़ने को भी इस में शामिल किया गया है. यह गंभीर और गैरजमानती अपराध है. इस के लिए महिला क्राइम अगेंस्ट वूमन सेल्स के अलावा 100 नंबर या महिला हैल्पलाइन नंबर 1091 पर कभी भी काल कर सकती है या थाने में जा कर शिकायत दर्ज करवा सकती है.

हक की आवाज उठाने की स्वतंत्रता: दी हंस फाउंडेशन की को फाउंडर और चेयरपर्सन, श्वेता रावत कहती हैं कि आज परिवारों में लड़कियों का स्वागत किया जाने लगा है. उन्हें पढ़ायालिखाया जाता है, नौकरी करने दी जाती है और लोग बेटी के उपलब्धि पर भी गर्व करते हैं. लोगों में महिलाओं के हक को ले कर जागरूकता आई है. ‘बेटी बचाओ आंदोलन’, ‘राइट टु ऐजुकेशन’ जैसे इंस्ट्रूमैंट्स महिलाओं को समानता का अधिकार दिला रहे हैं.

मानसिकता में इस बदलाव की मुख्य वजह है इंटरनैट द्वारा बढ़ती सोशल कनैक्टिविटी. आज महिलाओं को आजादी है कि वे घर बैठे देश भर की महिलाओं से जुड़ सकें और अपने हक की आवाज उठा सकें.

बच्चों से संबंधित अधिकार: हिंदू अडौप्शन और सक्सेशन ऐक्ट के तहत कोई भी वयस्क विवाहित/अविवाहित महिला बच्चों को गोद ले सकती है. दाखिले के लिए स्कूल के फौर्म में अब पिता का नाम लिखना अनिवार्य नहीं. बच्चे की मां या पिता में से किसी भी एक अभिभावक का नाम लिखना ही पर्याप्त है.

बंदिशें

आइए अब नजर डालते हैं महिलाओं पर थोपी गई कुछ बंदिशों पर:

बीमार रिश्ते को सहते रहने की बंदिश: एक महिला ससुराल में कितनी ही प्रताडि़त क्यों न की जाती रहे, पति कैसी भी बेवफाई क्यों न कर ले, मगर हमारा कानून उस बंधन से औरत को आसानी से आजाद नहीं होने देता. सैक्शन 13बी (हिंदू विवाह अधिनियम) के मुताबिक, पतिपत्नी आपसी सहमति से तलाक ले सकते हैं, पर ऐसा तभी हो सकता है जब पति इस के लिए तैयार हो.

मगर जब महिला इस ऐक्ट के तहत एकतरफा तलाक का दावा करती है, तो तलाक मिलने में सालों लग जाते हैं. कोर्टकचहरी के चक्कर लगाते वह आर्थिक, मानसिक रूप से इतनी त्रस्त हो जाती है कि फैसला आतेआते कहीं की नहीं रह जाती. उस की उम्र काफी हो चुकी होती है और ऐेसे में कोई शख्स उसे हमसफर बनाने की इच्छा नहीं रखता.

शादी के बाद ससुराल में रहने की बंदिश: लड़के ही बरात ले कर लड़की के घर क्यों जाएं? यह परंपरा गलत है क्योंकि यह लड़कियों को उठा लाने की याद दिलाती है.

आज भी बचपन से बेटियों को सिखाया जाता है कि उन्हें दूसरों के घर जाना है, इसलिए झुक कर रहना सीखे. सारे समझौते और त्याग उसे ही करने होते हैं. पर क्या यह सही है? औरतोें के बढ़ते कदमों की बेडि़यां नहीं? होना यह चाहिए कि विवाह के बाद पतिपत्नी अपने घर में रहें यानी न तो लड़की ससुराल जा कर रहे और न लड़का. वे अपना नया घर बनाएं. 5-7 साल बाद जहां सुविधा हो या जहां जरूरत हो वहां चले जाएं.

लड़की के परिवार वालों पर हमेशा दबाव: ससुराल में कोई भी त्योहार हो, लड़की के मायके से बहुत सारे उपहार, मिठाइयां, कपड़े और नक्द राशि की अपेक्षा रखना रीतिरिवाजों का हिस्सा माना जाता है. लड़की की संतान उत्पन्न हो या बच्चे का मुंडन या नामकरण, उस में भी मायके वालों को बराबर का खर्चा देना पड़ता है. ससुराल में सास या ससुर में से कोई गुजर जाए तो भी रिवाज के नाम पर खर्च लड़की के मायके वालों का करवाया जाता है. अगर उन की आर्थिक दशा ठीक नहीं है, तो उन्हें कर्ज भी लेना पड़ जाता है.

ऐसी प्रथाओं की वजह से औरतों पर हमेशा मानसिक दबाव बना रहता है. ससुराल, बच्चों, पति व रिवाजों में फंसी नारी का स्वतंत्र रह कर अपने जीवन की बेहतरी के लिए फैसला लेना सरल नहीं होता.

मन मारते रहने की बंदिश: लड़कियों की अच्छे घर व अच्छे कपड़ों की बढ़ती चाहत पर पैसों की कमी आम बात है. आज बाजार में हजारों औप्शंस हैं. बात चाहे ड्रैसेज की हो, फुटवियर की या फिर ऐक्सैसरीज की, बाजार में प्रोड्क्ट्स भरे पड़े हैं. मगर पैसों की वजह से महिलाओं को अपनी ख्वाहिशें दबानी पड़ती हैं और खूबसूरत दिखने और व्यक्तित्व को आकर्षक बनाने के मसले पर समझौते करने पड़ते हैं. क्योंकि उन पर आर्थिक स्वतंत्रता की बंदिशें जो लगी रहती हैं.

सिरफिरे आशिकों की वजह से बंदिश:महिलाएं चाहें स्कूलकालेज के लिए निकलें या फिर औफिसों के लिए, मनचले और सिरफिरे आशिकों की टोली हर रास्ते पर मौजूद होती है. उन के लिए लड़कियों पर कमैंट करना, अपशब्द कहना, छेड़ना आदि टाइमपास है. इस से लड़कियों का मनोबल गिरता है. बचपन से ही लड़कों को घरों में मांबहन की गालियां देते और सुनते देखा जा सकता है. नतीजा, बड़े हो कर भी उन की सोच विकृत ही रहती है. इन हालातों को देख घर वाले लड़कियों के बढ़ते कदमों पर बेडि़यां डालने के प्रयास में लगे रहते हैं.

लड़कियों की पढ़ाई पर बंदिश: केवल लड़कियों के स्कूलकालेजों का चलन लड़कियों के व्यक्तित्व विकास में बाधक है. यह उन पर जबरन लादी गई एक सामाजिक बंदिश है. घर वालों द्वारा उन्हें निर्देश दिया जाता है कि वे इसी स्कूल/कालेज में पढ़ेंगी, तभी सुरक्षित रह पाएंगी. स्कूलकालेजों की तो बात छोडि़ए, आजकल तो मैट्रो, रेलवे रिजर्वेशन काउंटरों और धार्मिक कार्यक्रमों में भी पुरुषों व स्त्रियों की अलगअलग लाइनों व बैठने की व्यवस्था उन्हें पुरुषों से अलग रखने व व्यक्तित्व विकास व समानता के अधिकार हनन का प्रयास है.

खाप पंचायतों की बंदिश: खाप पंचायतों, ग्राम पार्षदों और दूसरी संस्थानों के प्रबंधकों की तरफ से गाहेबगाहे ऐसे फतवे जारी किए जाते रहते हैं, जिन का कानूनी लिहाज से कोई मोल नहीं होता. मगर सामाजिक व परंपरागत मूल्यों के नाम पर औरतों पर नकेल कसने का प्रयास किया जाता है.

मार्च, 2013 में रोहतक के एक शिक्षण संस्थान प्रबंधन ने लड़कियों के स्कर्ट पहनने पर पाबंदी लगा दी, तो वहीं जींद जिले में लड़कियों को स्कूल समारोह में नृत्य करने पर पाबंदी लगा दी गई.

पिछले साल कुछ खापों ने दुष्कर्म के मामलों पर काबू पाने के लिए लड़कियों की शादी की उम्र 18 साल से घटा कर 16 साल करने की मांग की थी, तो हरियाणा में लगातार हो रही बलात्कार जैसी घटनाओं के बीच पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला ने भी एक विवादास्पद बयान में खाप पंचायतों के उस प्रस्ताव का समर्थन किया, जिस में उन्होंने बलात्कार जैसी वारदात से बचाने के लिए लड़कियों की शादी कम उम्र में ही कर दिए जाने की बात की.

ऐसे फरमान महिलाओं को बंधन में रखने के षड्यंत्र हैं.

घर से निकलने की बंदिशें: नैशनल क्राइम रिकौर्ड्स ब्यूरो, 2013 की वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक, अकेले 2012 में भारत में 24,923 बलात्कार के मामले दर्ज किए गए, जिन में 24,470 बलात्कार के अपराधों को रिश्तेदारों या पड़ोसियों द्वारा अंजाम दिए गए. जाहिर है, बलात्कार की खबरें पढ़सुन कर अभिभावक डर जाते हैं और बेटियों को ज्यादा बाहर जाने से मना करने लगते हैं. जरूरी काम हो तो भी अंधेरा होने के बाद उन के निकलने पर एतराज जताया जाता है.

यूनिफौर्म सिविल कोड नहीं: अपराध मनोवैज्ञानिक, अनुजा कपूर कहती हैं कि भारत में औरतों से जुड़े कानून अलगअलग हैं. हिंदू और मुसलिम महिलाओं को ही लीजिए. दोनों के लिए अलगअलग कानून हैं. हिंदुओं में एक से ज्यादा शादी गैरकानूनी है, तो मुसलिमों में 4-4 शादियां जायज हैं. इस से उन महिलाओं का शोषण होता है. एक यूनिफौर्म सिविल कोड नहीं है, जिसे होना चाहिए.

इंडियन पैनल कोड के सैक्शन 375 के मुताबिक, 16 साल से नीचे की लड़की से सैक्सुअल इंटरकोर्स बलात्कार कहलाता है. मगर 16 साल से कम की बीवी है, तो वह रेप नहीं. जबकि क्रिमिनल लौ (एमैंडमैंट) ऐक्ट, 2013 के मुताबिक भारत में सहमति से यौन संबंध और विवाह की उम्र 18 साल तय की गई है.

ये कानून अपनेआप में इतने पेचिदा हैं कि महिलाएं समझ ही नहीं पातीं कि कानून वास्तव में कहना क्या चाहता है.

प्रीमैरिटल सैक्स के बाद उसी से शादी:जून, 2013 में मद्रास उच्च न्यायालय ने एक केस के सिलसिले में फैसला देते हुए कहा कि विवाहपूर्व संबंध हो चुका हो तो लड़के और लड़की को विवाहित माना जाएगा. इस के लिए केवल लड़के का 21 साल और लड़की का 18 साल का होना जरूरी है.

अनुजा कपूर कहती हैं कि संभव है कि लड़की नशे में हो या जबरन उसे सैक्स के लिए बाध्य किया गया हो. तो ऐसे में उसी के साथ लड़की की शादी कर दी जाए, यह कहां का इंसाफ है? 

कुल मिला कर कानून और समाज महिलाओं को खुले आसमान में उड़ने के लिए पंख दे या फिर बेडि़यां बन कर रास्ता रोके, यदि उन्होंने ठान लिया तो उन्हें मुकाम तक पहुंचने से कोई नहीं रोक सकता.

१० नए स्थान देखें जरूर

नए साल का जश्न मनाने के लिए जरूरी नहीं कि आप महंगे पर्यटन स्थलों की तरफ ही रुख करें. देशविदेश में कई ऐसे सस्ते शहर भी हैं जहां आप नए साल का जश्न मना सकते हैं. जानिए, कुछ ऐसी ही मनोरम जगहों के बारे में, जो हर तरह के सैलानियों को अपनी तरफ आकर्षित करती हैं:

ओरछा की छतरियां

मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की सीमा पर बसे ओरछा के पुराने महलों और हवेलियों को देखा जा सकता है. यहां के राजाओं की स्मृतियों के रूप में छतरियों का निर्माण कराया गया था, जो आज भी देखने वालों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र हैं.

ओरछा में राजाओं की स्मृतियों में बनी 14 छतरियां बेतवा नदी के किनारे कंचनघाट पर स्थित हैं. 1800 में बना शीशमहल हैरिटेज होटल के रूप में बदल गया है. ओरछा झांसी से आधे घंटे की दूरी पर स्थित है. जहांगीर महल यहां का प्रमुख महल है. इस के प्रवेशद्वार पर 2 झुके हाथी बने हैं. तीनमंजिला यह महल वास्तुकला का अद्भुत नमूना है. इस के अलावा फूलबाग, सुंदर महल और राय प्रवीन महल भी देखने लायक हैं.

यहां के बाजारों में डोकरा धातु से बनी चीजों को खरीदा जा सकता है. ओरछा के सब से करीबी हवाईअड्डे खजुराहो और ग्वालियर हैं. करीबी रेलवे स्टेशन झांसी है. दिगी मुंबई और दिगी चेन्नई राजमार्ग झांसी हो कर ही गुजरता है. ओरछा के लिए सभी करीबी शहरों से बस सेवा भी उपलब्ध है.

मुन्नार की मट्टुपेट्टी झील

दक्षिण भारत के केरल राज्य में स्थित मुन्नार पर्यटन स्थल से सभी परिचित हैं. यह केरल के इड्डुक्की जिले में आता है. यह दक्षिण भारत का प्रमुख पर्वतीय पर्यटन स्थल है. यहां का मुख्य आकर्षण 12 हजार हैक्टेयर में फैले चाय के खूबसूरत बागान हैं. हर साल यहां हजारों पर्यटक चाय संग्रहालय और टी प्रोसैसिंग देखने आते हैं. चाय बागान के अलावा यहां मुन्नार से 15 किलोमीटर दूर एर्नाकुलम राष्ट्रीय उद्यान भी है. यह देवीकुलम में पड़ता है. इस का निर्माण नीलगिरी जंगली बकरों की रक्षा के लिए किया गया था. यहां पर्यटकों के लिए ट्रैकिंग की सुविधा भी उपलब्ध है.

चाय बागानों के अलावा पर्यटक मट्टुपेट्टी झील भी देख सकते हैं. यहां पर्यटक पिकनिक मनाने आते हैं. मट्टुपेट्टी समुद्रतल से 1,700 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. मट्टुपेट्टी के जंगलों में विभिन्न प्रकार के पक्षियों का निवास है. मट्टुपेट्टी के साथसाथ पर्यटक अथुकड फाल्स भी देख सकते हैं. यह झरना मुन्नार से 8 किलोमीटर दूर कोगि रोड पर गहरी घाटी में स्थित है. अथुकड फाल्स के अलावा चीयापरा और वलार फाल्स भी देखने लायक हैं. मुन्नार घूमने आने वाले पर्यटक चिन्नार वन्यजीव अभयारण्य भी घूम सकते हैं, जो यहां से 60 किलोमीटर दूर केरल तमिलनाडू बौर्डर पर स्थित है.

मुन्नार का करीबी हवाईअड्डा कोचीन इंटरनैशनल एअरपोर्ट है. मुख्य रेलवे जंक्शन एर्नाकुलम है. राष्ट्रीय राजमार्ग 49 कोगि और मुन्नार को जोड़ता है. यहां सस्ता और अच्छा खाना मिलता है. एमजी रोड पर सरवन भवन का शाकाहारी भोजन बहुत मशहूर है. इस के अलावा आर्यभवन और एसएन एनैक्स भी देखने लायक हैं.

शीतलखेत में बर्फ से ढकी पहाडि़यां

अगर आप पहाड़, सुंदर घाटियां, चीड़ और देवदार के ऊंचेऊंचे पेड़, संकरे रास्ते और पक्षियों का कलरव सुनना चाहते हैं तो आप के लिए रानीखेत से बेहतर दूसरी कोई जगह नहीं. 25 वर्ग किलोमीटर में फैले रानीखेत को फूलों की घाटी भी कहा जाता है. यहां पहाड़ों पर सुबह, दोपहर और शाम का अलगअलग रंग मन मोह लेता है. रानीखेत में पहले छोटेछोटे खेत थे. इसी कारण इस का नाम रानीखेत पड़ा. यहां पंतनगर हवाईअड्डा सब से करीब है. काठगोदाम सब से करीबी रेलवे स्टेशन है.

काठगोदाम से रानीखेत 84 किलोमीटर दूर है. यहां से बस और टैक्सी दोनों की सुविधा है. रानीखेत शहर से 6 किलोमीटर दूर स्थित चिलियानौला में ट्रैकिंग की भी सुविधा है. यहां फूलों के सुंदर बाग हैं, जिन की सुंदरता देखते ही बनती है.

रानी खेत से 35 किलोमीटर दूर शीतलखेत है. यहां बर्फ से ढकी पहाडि़यां देखना बहुत अच्छा लगता है. यहां से पूरा रानीखेत दिखता है. रानीखेत से 10 किलोमीटर दूर चौबटिया है. यहां सब से बड़ा फलों का बगीचा है. यहां 3 झरने भी हैं, जो पर्यटकों को बहुत लुभाते हैं.

घने जंगलों से घिरा सोलन

हिमाचल प्रदेश में घूमने वाली जगहों में सब से पहला नाम शिमला का आता है. मगर शिमला में बड़ी संख्या में पर्यटकों के आने से तमाम परेशानियां आती हैं. ऐसे में पर्यटन के लिए सोलन सब से अच्छी जगह है. सोलन जिला घने जंगलों से घिरा होने के कारण पर्यटकों को खूब लुभाता है. समुद्र तट से 1,467 मीटर ऊंचा होने के कारण सोलन अपने सुंदर दृश्यों से पर्यटकों को आकर्षित करता है. यह पूरा क्षेत्र घने जंगलों और ऊंचे पहाड़ों से घिरा है. यहां की सब से ऊंची चोटी मतिउल है. यह शहर के पूर्व में स्थित है. शहर के उत्तर में कारोल चोटी है. कंडाघाट, कसौली, चैल और दगशाई भी यहां की दर्शनीय जगहें हैं. कारोल पर्वत के ऊपर एक गुफा भी है.

सोलन एक औद्योगिक शहर भी है. यहां बड़े पैमाने पर मशरूम की खेती होती है. चंडीगढ़ यहां का सब से करीबी हवाईअड्डा है. यह सोलन से 67 किलोमीटर दूर है. नजदीकी रेलवे स्टेशन कालका है, जो सोलन से 44 किलोमीटर दूर है.

सब से मशहूर रौस द्वीप

पर्यटक अब ज्यादातर ऐसी जगहों का चुनाव करते हैं जहां प्रकृति और इतिहास दोनों को देखा जा सके. अंडमान निकोबार द्वीप समूह इस के लिए सब से मुफीद जगह है. यह भारत सरकार के केंद्र शासित प्रदेशों में आता है. यह बंगाल की खाड़ी के दक्षिण में हिंद महासागर में स्थित है. अंडमान निकोबार 572 छोटे द्वीपों का एक समूह है. यहां की राजधानी पोर्टब्लेयर है.

रौस द्वीप यहां की सब से मशहूर जगह है. यहां पर ब्रिटिश वास्तुशिल्प के खंडहरों को देखा जा सकता है. सुबह और शाम को यहां तमाम तरह के पक्षियों को देखा जा सकता है. इसे पक्षियों का स्वर्ग भी कहा जाता है.

रौस द्वीप पहुंचने के लिए फीनिक्स सागर से नाव मिलती है. पोर्टब्लेयर तक पहुंचने के 2 रास्ते हैं. पहला रास्ता हवाई मार्ग है. चेन्नई, कोलकाता, दिगी और भुवनेश्वर से पोर्टब्लेयर के लिए हवाईजहाज मिलते हैं. दूसरे रास्ते के तहत कोलकाता, चेन्नई और विशाखापट्टनम से पानी के जहाज मिलते हैं, जिन के जरीए पोर्टब्लेयर तक पहुंचा जा सकता है. पानी के जहाज से यहां पहुंचने में करीब 2 दिन लग जाते हैं.

नक्की झील से देखें माउंट आबू

राजस्थान रेगिस्तान की वजह से मशहूर है. यहां के सिरोही जिले के समीप स्थित माउंट आबू नीलगिरी पहाडि़यों की सब से ऊंची चोटी पर बसा है. अंगरेजों के शासनकाल में इसे प्रमुख पर्यटक शहर के रूप में विकसित किया गया. यहां सर्दी और गरमी दोनों ही मौसम में पर्यटक आते हैं. यहां घूमने के लिए तमाम जगहें हैं. सब से मशहूर नक्की झील है. इस में नौकायान का मजा लिया जा सकता है. झील के चारों ओर पहाडि़यों का नजारा बहुत खूबसूरत लगता है. यहां एक सनसैट पौइंट भी है, जहां से डूबते सूरज को देखा जा सकता है.

माउंट आबू का सब से करीबी हवाई अड्डा उदयपुर है. यहां से माउंट आबू 185 किलोमीटर दूर है. उदयपुर से टैक्सी और बस के द्वारा भी यहां पहुंचा जा सकता है. यहां से माउंट आबू 28 किलोमीटर दूर है. अहमदाबाद, दिगी, जयपुर और जोधपुर से सीधी बस सेवा के द्वारा भी यहां पहुंचा जा सकता है.

पणजी में रिवर कू्रज का आनंद

नए साल के जश्न की बात हो और गोवा का नाम न आए ऐसा हो ही नहीं सकता है. गोवा चारों तरफ समुद्र से घिरा होने के कारण भारत का सब से आकर्षक पर्यटन स्थल है. यहां पहुंचने के 2 रास्ते हैं. पहला मुंबई हो कर और दूसरा कर्नाटक के बैलगाम के रास्ते. गोवा पहुंचने के लिए हवाई मार्ग, सड़क और रेल का प्रयोग किया जा सकता है. कोंकण रेल सेवा के शुरू होने से गोवा का सफर सरल और किफायती हो गया है. गोवा में समुद्र तट पर वाटर सर्फिंग, पैरासीलिंग और तमाम अन्य वाटर स्पोर्ट्स का मजा लिया जा सकता है.

गोवा की राजधानी पणजी भी पर्यटन के लिए बहुत मशहूर है. ज्यादातर पर्यटक गोवा में समुद्री किनारों का ही मजा लेते हैं. पणजी मांडवी नदी के किनारे बसा है. यहां का रिवर ब्रिज देखने लायक है. मांडवी नदी में रिवर कू्रज में म्यूजिक और डांस का मजा लिया जा सकता है. नए साल में यहां बहुत सारे आयोजन होते हैं. जो समुद्र के सौंदर्य और जीवन की मस्ती का मजा लेने विदेश नहीं जा सकते उन के लिए गोवा की यात्रा विदेश यात्रा से कम नहीं है.

खरीदारों का स्वर्ग दुबई

संयुक्त अरब अमीरात देशों में दुबई सब से खास है. यहां प्राकृतिक गैस के भंडार हैं. इस का विकास आधुनिक हिसाब से किया गया है. सरकारी नीतियां यहां ऐसी हैं जिन से कि पर्यटन को बढ़ावा मिल सके. वास्तुकला के लिहाज से यह दुनिया के सब से प्रमुख आधुनिक शहरों में आता है. यहां की इमारतें बहुत आलीशान हैं. बुर्ज खलीफा देखने पूरी दुनिया से पर्यटक आते हैं. जब विश्व में आर्थिक उदारीकरण का दौर नहीं था दुबई तब से खरीदारों के लिए जाना जाता है. पूरी दुनिया से दुबई सीधे रूप से जुड़ा है. यहां के बाजारों में कपड़े, गहने, इलैक्ट्रौनिक सामान, खेल उपकरण, इंटीरियर का सामान और सौंदर्य प्रसाधन सब से अधिक मिलते हैं. इसलिए जिन लोगों को खरीदारी करनी है उन के लिए दुबई स्वर्ग जैसा है. दुबई में आधुनिक जीवन के हिसाब से हर तरह की सुविधाएं उपलब्ध हैं.

थाईलैंड का कोरल आईलैंड

विदेशी पर्यटन में थाईलैंड सब से करीब है. यहां पर्यटकों को हर तरह की सुविधाएं मिलती हैं. थाईलैंड में राजधानी बैंकौक के अलावा पट्टया, फुकेट, चियांग माई और नखोन पथोम घूमने वाले शहर हैं. थाईलैंड में पट्टया शहर सब से सुंदर जगह मानी जाती है. इस के करीब ही कोरल आइसलैंड है. यहां पर पैरासोलिंग और वाटर स्पोर्ट्स का मजा ले सकते हैं. यहां घूमने के लिए कांच के तले वाली नाव मिलती है. इस से जलीय जीवों और कोरल को भी देखा जा सकता है.

इस के अलावा पट्टया में अलकाजर कैबरट भी देखने वाली जगह है. यहां पर डांस और म्यूजिक के शो देख सकते हैं. यहां के कार्यक्रमों में काम करने वाली खूबसूरत अभिनेत्रियां वास्तव में पुरुष होते हैं.

थाईलैंड का सब से बड़ा और अधिक आबादी वाला द्वीप फुकेट है. रंगों से भरी इस जगह का विकास पर्यटन के कारण ही हुआ है. समुद्र के खूबसूरत किनारों को देखने का आनंद लेना है तो थाईलैंड से सुंदर कोई दूसरी जगह नहीं है. इस में कोरल आइसलैंड सब से प्रमुख है.

जिम कार्बेट में वाइल्ड लाइफ पर्यटन

जो लोग वाइल्ड लाइफ पर्यटन का शौक रखते हैं वे जिम कार्बेट नैशनल पार्क जा सकते हैं. उत्तराखंड के नैनीताल जिले में स्थित यह पार्क 1,318 वर्ग किलोमीटर में फैला है. इस के 821 वर्ग किलोमीटर में बाघ संरक्षण का काम होता है. दिगी से यह पार्क 290 किलोमीटर दूर है. मुरादाबाद से काशीपुर और रामनगर होते यहां तक पहुंचा जा सकता है.

यहां पर तमाम तरह के जानवर मिलते हैं. इन में शेर, भालू, हाथी, हिरन, चीतल, नीलगाय और चीता प्रमुख हैं. यहां वन्य पशुओं के संरक्षण का काम होता है. 1935 में इस का निर्माण हुआ था. पहले इस का नाम हेली नैशनल पार्क था, जो अंगरेज गवर्नर मालकम हेली के नाम पर पड़ा था. मालकम हेली ने ही इस पार्क का निर्माण कराया था. आजादी के बाद इसे रामगंगा नैशनल पार्क के नाम से जाना जाने लगा. आजादी के बाद यहां पर आदमखोर शेरों ने लोगों को बहुत परेशान किया.

जिम कार्बेट एक बड़े शिकारी थे. उन का पूरा नाम जेम्स एडवर्ड कार्बेट था. कुमाऊं के आदमखोर शेरों को मार कर उन्होंने लोगों की जानें बचाई थीं. उन के नाम पर ही लोग इसे जिम कार्बेट के नाम से भी जानते हैं.

1957 में भारत सरकार ने इस पार्क का नाम जिम कार्बेट नैशनल पार्क रखा. आज का जिम कार्बेट पार्क बहुत अच्छा है. इस में 200 पर्यटकों के ठहरने की व्यवस्था है. यहां अतिथिगृह, कैबिन और टैंट उपलब्ध हैं. यह रामनगर रेलवे स्टेशन से 12 किलोमीटर दूर है. रामनगर रेलवे स्टेशन से पार्क के लिए छोटीबड़ी हर तरह की गाडि़यां मिलती हैं. यहां से जिप्सी के द्वारा पार्क घूमने की व्यवस्था है. घूमते समय गाड़ी के शीशे बंद रखने पड़ते हैं, क्योंकि जंगली जानवरों के हमले का डर बना रहता है. सुबह 6 से शाम 4 बजे के बीच नेचर वाक का आयोजन किया जाता है.

10 गैजेट्स ले आएं स्मार्ट हाउसवाइफ बन जाएं

पुराना साल विदा लेने को तैयार है, तो नया साल खुली बांहों से स्वागत के लिए. ऐसे में मन में जन्म ले रही है नई आशाएं, नई उमंगें और जिंदगी को आसान व सुखद बनाने का विचार. जी हां, नए साल में स्मार्ट गैजेट्स के जरीए आप कर सकती हैं अपने जीवन में खुशियों की बरसात.

स्मार्ट कुकिंग विद एअरफ्रायर

नए साल में आप और आप का परिवार रहे हैल्दी, इस के लिए अपने किचन में शामिल कीजिए एअरफ्रायर. एअरफ्रायर के जरीए आप कर सकती हैं औयल फ्री, फैट फ्री कुकिंग. कम तेल में फ्रैंच फ्राइज, वेजर्स, चिकन नगेट्स के साथसाथ और ढेर सारी डिशेज बना कर आप परिवार वालों का दिल जीत सकती हैं. औयल ड्रेन बास्केट और इंसुलेटेड साइड हैंडल्स वाला एअरफ्रायर न केवल आप के किचन को स्मार्ट बनाएगा, बल्कि आप को भी देगा स्मार्ट कुकिंग का औप्शन.

हैल्दी कुकिंग विद इलैक्ट्रिक तंदूर

खाना टेस्टी होने के साथसाथ हैल्दी भी हो तो फिर क्या कहने. आप भी ऐसा कर सकती हैं, इलैक्ट्रिक तंदूर को अपने किचन का हिस्सा बना कर. इलैक्ट्रिक तंदूर की मदद से आप बेकिंग, बार्बेक्यू, ग्रिलिंग, रोस्टिंग व डिफ्रौस्टिंग सभी कुछ आसानी से कर सकती हैं. इलैक्ट्रिक तंदूर आप की कुकिंग को नए लैवल पर पहुंचाएगा और घरपरिवार, दोस्त आप के हाथों के बने खाने की तारीफ करते नहीं थकेंगे. कम समय में आसानी से नईनई डिशेज बनाने वाले इलैक्ट्रिक तंदूर में फैदर टच कंट्रोल पैनल है. यह लाइट वेट है. इसे साफ करना भी आसान है. औयल फ्री कुकिंग का यह बेहतरीन गैजेट है, जो आप की जिंदगी को बनाएगा स्मार्ट और आसान.

पर्यावरण फ्रैंडली इंडक्शन कुकटौप

नो स्मोक, नो गैस, नो फायर के सिद्धांत पर आधारित इंडक्शन कुकटौप को शामिल कीजिए नए वर्ष की गैजेट शौपिंग में और बनाइए अपनी जिंदगी को सहज और सरल. इंडक्शन कुकटौप पर आप बौयलिंग, फ्राइंग के अलावा रोटियां और सब्जी भी बना सकती हैं. 7 मल्टीपल कुकिंग औप्शन वाला इंडक्शन कुकटौप ईको फ्रैंडली भी है, क्योंकि यह बिजली से चलता है और अलगअलग तरह की कुकिंग के लिए इस में तापमान को घटाने व बढ़ाने का औप्शन भी है. औटोमैटिक पैन डिटक्शन की सुविधा वाले इंडक्शन कुकटौप में चाइल्ड लौक औप्शन के अलावा टाइमर फंक्शन भी है, जिस से आप निश्चिंत हो कर कुकिंग के साथसाथ मल्टी टास्किंग भी कर सकती हैं. कुला मिला कर यह गैजेट नए साल में आप की जिंदगी को पूरी तरह रिफ्रैश कर देगा और देगा स्मार्ट कुकिंग का औप्शन.

वाटर प्यूरीफायर

नए साल में आप का परिवार रहे सेहतमंद, इस के लिए ले आइए घर में वाटर प्यूरीफायर बाजार में आरओ वाटर प्यूरीफायर. मूवी वाटर प्यूरीफायर मौजूद हैं, जो पानी से बैक्टीरिया हटा कर उसे पूरी तरह शुद्ध बनाते हैं और आप के परिवार को पानी से जुड़ी बीमारियों से बचाते हैं. नए प्यूरीफायर में ठंडेगरम दोनों तरह के पानी का औप्शन होता है.

टाइम सेविंग डिशवाशर

नए साल में अगर आप अपने घरपरिवार को ज्यादा से ज्यादा समय देना चाहती हैं, साथ ही चाहती हैं कामवाली की टैंशन से मुक्ति तो डिशवाशर को बनाइए अपने किचन का हिस्सा. चमकते बरतनों के लिए अब आप को सिर्फ एक बटन प्रैस करने की जरूरत होगी और साफ चमकते बरतन बाहर आ जाएंगे.

ईको वाश फीचर व बरतनों के साइज के अनुसार ऐडजस्टेबल रौक्स वाले अनेक डिशवाशर बाजार में मौजूद हैं, जो आप की किचन को बनाएंगे स्मार्ट और हाईटैक किचन. डिशवाशर में मौजूद जैट वाश मोड और स्टीम ड्राइंग औप्शन बरतनों को जर्म फ्री बनाने के साथसाथ साफ व चमकदार भी रखता है.

डिशवाशर गैजेट की वजह से किचन से बचने वाले समय को जब आप अपने घरपरिवार को देंगी तो नया साल आप के लिए ले आएगा खुशहाली और नजदीकी का उपहार.

वैक्यूम क्लीनर यानी मौडर्न लाइफस्टाइल

नए साल में घर की साफसफाई का स्टाइल भी नया होना चाहिए. इसलिए नए साल में भूल जाइए झाड़ूपोंछे को और मौडर्न गैजेट्स से कीजिए हाउस क्लीनिंग. घर ले आइए मल्टीपल क्लीनिंग वैक्यूम क्लीनर. पावरफुल सक्शन टैक्नीक वाला अलगअलग ऐक्सैसरीज के साथ आने वाला मौडर्न वैक्यूम क्लीनर आप के घर के कोनेकोने को चमका देगा और आप बन जाएंगी पति की नजरों में स्मार्ट होम मेकर. बाजार में वैरिएबल पावर कंट्रोल वाले तथा डस्ट बैग फुल इंडिकेटर वाले वैक्यूम क्लीनर मौजूद हैं, जो गीली व सूखी दोनों तरह की सफाई करते हैं.

टेबलेट और स्मार्टफोन

बदलती तकनीक के साथ अब डैस्कटौप व लैपटौप का स्थान स्मार्ट फोन्स और टेबलेट ने ले लिया है. नए साल में आप भी बन जाइए स्मार्ट फोन व टेबलेट के जरीए स्मार्ट फाइनैंसर और दिल जीत लीजिए पति का. स्मार्ट फोन में मौजूद ढेरों स्मार्ट ऐप्लीकेशन के जरीए आप न केवल औनलाइन शौपिंग, बैकिंग, बिल पेमैंट कर सकती हैं, बल्कि ध्यान रख सकती हैं घरपरिवार की सेहत व अपनी ब्यूटी का भी. सुरक्षित भविष्य के लिए आप मार्केट में मौजूद अनेक सेविंग्स स्कीम्स की जानकारी ले सकती हैं व तुलनात्मक अध्ययन द्वारा उन में निवेश कर बन सकती हैं स्मार्ट व इंटैलिजैंट फाइनैंसर.

बनिए हाइटेक मौम

बच्चों का होमवर्क कराना हो, प्रोजैक्ट सबमिट करना हो तो ऐसे में बारबार मार्केट जाने के बजाय घर में ले आइए प्रिंटर और बन जाइए स्मार्ट मौम. बच्चे आप की इस हाइटेक गैजेट की शौपिंग की दिल से तारीफ करेंगे. बाजार में ब्लैक ऐंड व्हाइट, लेजर प्रिंटर, मल्टीपर्पज ब्लैक ऐंड व्हाइट प्रिंटर, प्लेन, कलर्ड लेजर प्रिंटर की बहुत वैराइटी मौजूद है. प्लेन लेजर प्रिंटर मल्टीपर्पज प्रिंटर की अपेक्षा सस्ता होता है. इस में एक बार में 3,000 के करीब प्रिंटआउट निकाले जा सकते हैं. जबकि मल्टीपर्पज प्रिंटर में स्कैन, फोटो कौपी, फैक्स का भी औप्शन रहता है.

हैल्थ गैजेट्स

निरोगी काया को आधार मानते हुए इस साल हैल्थ गैजेट्स को शामिल कीजिए अपनी गैजेट्स शौपिंग में, क्योंकि बेहतरीन तकनीक से लैस ये गैजेट्स न केवल आप के लाइफस्टाइल पर पैनी नजर रखते हैं, बल्कि इन की मदद से आप बढ़ा सकती हैं फिटनैस की ओर पहला कदम. बाजार में मौजूद ग्लूकोमीटर गैजेट का प्रयोग शरीर में ब्लड ग्लूकोज की स्तर की जांच के लिए किया जा सकता है और हैल्थ व फिटनैस को काफी हद तक नियंत्रण में रखा जा सकता है. इसी तरह ब्लडप्रैशर मौनिटरिंग मशीन से आप घर बैठे ब्लडप्रैशर की जांच कर सकती हैं और अपने परिवार के दिल का हाल जान सकती हैं. इस से लाइफस्टाइल को बेहतर बना सकती हैं.

सिक्योरिटी सिस्टम

आप की जिंदगी में आप के घरपरिवार की सुरक्षा से जरूरी भला और क्या होगा. इसलिए नए साल की शुरुआत में सिक्योरिटी सिस्टम गैजेट्स को शामिल कीजिए और पाइए पूरे परिवार की सुरक्षा का तोहफा. स्मोक इंडिकेटर, फायर से सुरक्षा, अनजान लोगों की घर में ऐंट्री से सुरक्षा देने वाले वीडियो डोर फोन, फिंगर प्रिंट लौक्स, टूवी कम्यूनिकेशन, स्पीकर सिस्टम जैसे मौडर्न गैजेट्स लगवा कर आप रह सकती हैं टैंशन फ्री और निभा सकती हैं अपनी जिम्मेदारियों को सफलतापूर्वक.

स्टेम सैल्स : सेहतमंद भविष्य के लिए

जन्म लेने के बाद से अंतिम सांस लेने तक मनुष्य को सैकड़ों बीमारियों से गुजरना पड़ता है. ये बीमारियां जानलेवा भी हो सकती हैं. इन के चंगुल से निकलने के लिए स्टेम सैल्स एक कवच का काम करते हैं. स्टेम सैल्स के जरीए मैडिकल साइंस के क्षेत्र में कई ऐसे कामों को अंजाम दिया जाने लगा है जिन्हें अंजाम देने के बारे में करीब 50 वर्ष पूर्व तक कल्पना भी नहीं की जा सकती थी.

स्टेम सैल्स ने मैडिकल साइंस की तसवीर ही बदल डाली है. आइए, जानते हैं कि स्टेम सैल्स क्या हैं और बीमारी को दूर भगाने में इन का कैसे इस्तेमाल किया जाता है.

स्टेम सैल्स

स्टेम सैल्स मनुष्य के शरीर के मास्टर सैल्स होते हैं. इन्हें मां सैल्स के नाम से भी जाना जाता है. इन सैल्स द्वारा अन्य कई प्रकार के सैल्स का सृजन होता है, जो मनुष्य के शरीर में मौजूद विभिन्न ऊतकों और अंगों की मरम्मत करते हैं. स्टेम सैल्स गर्भनाल और गर्भनाल के रक्त में पाए जाते हैं. ये मनुष्य के शरीर में रक्त की भरपाई और इम्यून सिस्टम की प्रतिरक्षा करते हैं. स्टेम सैल्स में मानव शरीर में पाए जाने वाली विभिन्न प्रकार की कोशिकाओं में अंतर करने की अद्वितीय क्षमता होती है.

कौर्ड ब्लड और कौर्ड ब्लड स्टेम सैल्स

कौर्ड ब्लड का आशय उस रक्त से है, जो गर्भनाल को काटने के बाद उस में शेष रह जाता है. अधिकतर इसे चिकित्सा अपशिष्ट के रूप में खारिज कर दिया जाता है, जबकि शिशु का गर्भनाल रक्त हिमैटोपोइटिक स्टेम सैल्स का महत्त्वपूर्ण स्रोत है, जो रक्त और प्रतिरक्षा प्रणाली कोशिकाओं की भरपाई करता है. गर्भनाल रक्त स्टेम कोशिकाओं को कई तरह के कैंसर और रक्तविकारों सहित अन्य कई बीमारियों के सफल इलाज के लिए भी महत्त्वपूर्ण और फायदेमंद माना गया है.

शिशु की गर्भनाल बैंक में रखने का फायदा

डाक्टर ल्यूकेमिया और लिम्फोमा सहित अन्य कई रोगों का इलाज करने के लिए इन स्टेम सैल्स का इस्तेमाल करते हैं.

गर्भनाल टिशूज स्टेम सैल्स

गर्भावस्था के दौरान मां और बच्चे के बीच गर्भनाल एक जीवनरेखा के रूप में कार्य करता है. बच्चे के जन्म के बाद इस नाल को काट दिया जाता है और सामान्य रूप से चिकित्सा अपशिष्ट समझ कर फेंक दिया जाता है. जबकि गर्भनाल ऊतक स्टेम सैल्स को विविधता प्रदान करता है, जिस से बीमारियों की एक व्यापक रेंज का इलाज करने की क्षमता बढ़ जाती है, इन में से कुछ मैसेनकाइमल और ऐपिथेलिअल स्टेम सैल्स होते हैं. मैसेनकाइमल स्टेम सैल्स विभिन्न रोगों के उपचार में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.

एक अध्ययन से पता चलता है कि इन स्टेम सैल्स में हड्डियों, मांसपेशियों और तंत्रिका कोशिकाओं को पुनर्नियोजित करने का गुण होता है. एक अध्ययन में पाया गया कि ये स्टेम सैल्स रीढ़ की हड्डी की चोटों और मस्तिष्क आघात का हर संभव इलाज कर सकते हैं. एपिथेलिअल स्टेम सैल्स नाजुक होते हैं और ये त्वचा और लिवर के आसपास पाए जाते हैं.

शिशु के कौर्ड ब्लड का इस्तेमाल

शिशु की गर्भनाल का इस्तेमाल केवल उस के बीमार होने पर ही नहीं, बल्कि परिवार के दूसरे सदस्यों के बीमार पड़ने पर भी किया जा सकता है. खासतौर पर शिशु की गर्भनाल में मौजूद ब्लड यूनिट उस के भाईबहन के लिए इस्तेमाल किए जाने पर 60% अधिक तेजी से उपचार होता है.

स्टेम सैल्स के लाभ

हर 200 लोगों में से एक को अपने जीवनकाल में स्टेम सैल्स प्रत्यारोपण की जरूरत पड़ती है.  भारत में उच्च 10 सामान्य कर्क रोगों में से 1 रोग गैर हौजकिंस लिम्फोमा नामक रोग का इलाज स्टेम सैल्स द्वारा किया जा सकता है.

भारत में उच्च 5 सामान्य बाल अवस्था में होने वाले कर्क रोगों में से 2 रोग ल्यूकेनिया और लिम्फोमा नामक बीमारी का इलाज भी स्टेम सेल्स द्वारा किया जा सकता है.

दुनिया में 500 शिशुओं में से 1 शिशु सेरेब्रल पलसी का शिकार होता है, जो जन्म के समय का एक मस्तिष्क संबंधी विकार है, सैल्युलर चिकित्सा के साथ सेरेब्रल पलसी का उपचार किया जा सकता है.

अमेरिका में पैदा हुए हर 68 बच्चों में से 1 औटिज्म स्पैक्ट्रम विकार से ग्रस्त होता है, जिस का उपचार क्लीनिकल ट्रेल के द्वारा ही संभव है. 

5+5 मेकअप ऐंड हेयरस्टाइल

कारपोरेट मेकअप

कारपोरेट औफिस में काम करने वाली महिलाओं का लुक ऐसा होना चाहिए जो उन में कौन्फिडैंस पैदा करे.

कैसे करें मेकअप: सब से पहले चेहरे को अच्छी तरह साफ करें. फिर पूरे चेहरे पर मौइश्चराइजर लगाएं. फिर एसपीएफ-18 फ्लूड टिंट लोशन लगाएं. अगर फेस पर दागधब्बे हों तो कंसीलर का प्रयोग करें. बेस अपनी स्किन मैचिंग का ही चुनें और कौंपैक्ट पाउडर लगाएं.

आईज मेकअप: स्मोकी आईज मेकअप करें. उस के लिए ब्राउन ग्रे शैडो का प्रयोग करें. ड्रैस से मिलते रंग का लाइनर लगाएं. आईलैशेज पर मसकारे का प्रयोग अच्छी तरह करें. वाटरबेस मसकारे का चुनाव करें.

लिप, चिक मेकअप: रिसैप्शनिस्ट और एअरहोस्टेस ग्लौसी डार्क लिपस्टिक का चुनाव करें और चीक्स पर पिंक ब्लशर लगा कर उसे अच्छी तरह मर्ज करें. औफिस की दूसरी महिलाएं लाइट कलर की लिपस्टिक का प्रयोग करें.

हेयरस्टाइल

कारपोरेट औफिस में काम करने वाली महिलाओं के हेयरस्टाइल में नीड लुक ही होना चाहिए. छोटे बालों के लिए आधे बालों को उठा कर पिन से सैट करें और आधे बालों को खुला छोड़ दें. लंबे बालों की ऊंची पोनी बनाएं. सिंपल सा जूड़ा भी बना सकती हैं. एअरहोस्टेस व रिसैप्शनिस्ट अपने बालों का आगे से डिफरैंट स्टाइल बना कर अलग लुक दे सकती हैं.

करैक्टिव मेकअप

यह मेकअप ज्यादातर ऐंकर, न्यूज रीडर के लिए ही बैस्ट माना जाता है, जो उन्हें कैमरे में बैस्ट लुक प्रदान करता है. बेस का चुनाव: फेस को क्लीन कर के पूरे चेहरे पर ब्रश से प्राइमर लगाएं. स्किन के अनुसार डर्मा बेस कलर का चुनाव करें. डर्मा बेस हार्ड होता है. इसे सौफ्ट बनाने के लिए इस में 1 बूंद मेकअप ब्लंड की डाल कर लिक्विड बनाएं. बेस हमेशा चेहरे पर डैबडैब कर लगाएं. डर्मा के कंटूरिंग कलर से चेहरे की कटिंग करें जैसे, फोरहैड, चीक्स, चिन आदि की. इस के अलावा ब्राउन आईशैडो से भी कंटूरिंग की जा सकती है. फिर ट्रांसलूशन पाउडर से पफिंग करें.

आईज मेकअप: आईशैडो लगाने से पहले आईशैडो प्राइमर की 1 बूंद लगाएं. इस से ब्लैंडिंग अच्छी तरह होती है. ब्रश के बजाय इसे उंगलियों से लगा कर ब्लंड करें. फिर इस पर कौपर या गोल्डन ब्राउन शैडो लगाएं. आंखों के कौर्नर्स पर डार्क ब्राउन शैडो लगा कर अंदर की तरफ ब्लैंड करें. आईब्रोज के नीचे हाईलाइटर सिल्वर या गोल्डन कोई भी लगा सकती हैं. फिर आईब्रोज को ब्लैक या ब्राउन पैंसिल से या फिर ब्रश में कलर लगा कर हाइरेस्ट पौइंट से लगाते हुए अंदर की तरफ आएं. अब ब्रश से आईलाइनर लगाएं. आंखों के आकार के अनुसार काजल का प्रयोग अगर जरूरत है तो करें वरना नीचे की तरफ लाइनर भी लगा सकती हैं. फिर आईलैशेज पर मसकारे का 1 कोट लगाएं.

लिप मेकअप: लिप पर मौइश्चराइजर लगा कर फिर आउटलाइन ब्रश या पैंसिल से लगाएं. इसे लिपस्टिक से फिल करें. लिपस्टिक ज्यादा डार्क कलर की नहीं होनी चाहिए.

चीक्स मेकअप: चीक्सबोन पर पीच या पिंक ब्लशर लगाएं. अंदर से बाहर की तरफ ब्रश के स्ट्रोक दें.

हेयरस्टाइल

ऐंकर हेयरस्टाइल में ज्यादातर खुले स्ट्रेट बाल ही रखे जाते हैं. अगर हेयर कर्ली हैं तो उन्हें अच्छी तरह से ब्लो ड्रायर करें. फ्रंट के बालों में सिंपल और शोबर स्टाइल हलका पफ ही बनाएं.

पार्टी मेकअप: डे मेकअप के लिए स्किन मूज से चेहरा तरोताजा दिखाई देता है. अगर पार्टी मेकअप की बात करें तो सिलिकौन बेस फाउंडेशन सर्दी के मौसम में त्वचा पर बेहतर काम करता है. आप मिनरल मेकअप प्रोडक्ट ही लगाएं, क्योंकि इस मौसम में त्वचा खिंचीखिंची सी लगती है. मौइश्चराइजर में फाउंडेशन मिक्स कर के भी लगा सकती हैं. डार्कसर्कल्स के लिए कंसीलर स्टिक का प्रयोग करें. बेस को अच्छी तरह मर्ज करें ताकि वह फेस स्किन में जा कर शाइन करे. हलका सा फेस पाउडर का टच दें. मेकअप शुरू करने से पहले व बाद में फेस मिस्ट का प्रयोग करें ताकि स्किन खिंचीखिंची सी प्रतीत न हो.

आई मेकअप: आंखों को बेहतर लुक देने के लिए ग्लिटरी व मेटैलिक आईशैडो लगाएं. अपनी आंखों के अनुसार मोटा या पतला कलरफुल लाइनर लगाएं. आंखों के वाटरलाइन एरिया में काजल लगाएं. फिर आंखों पर थोड़ा गोल्ड, ब्रौंज या ग्रे मेटैलिक शिमर लगाएं. आंखों के बाहरी हिस्सों पर गहरे ब्राउन या ब्लैक आईशैडो से स्मोकी आईज बनाएं. इस के अलावा मल्टीकलर का शैडो भी लगा सकती हैं.

लिप कलर: मैट कलर की लिपस्टिक के बजाय लिप्स पर रैड वाइन या डीप पिंक कलर लिपस्टिक लगाएं. सुबह व रात के मेकअप के लिए अलगअलग कलर का इस्तेमाल करें. लेकिन दोनों ही समय शाइन व ग्लौस का इस्तेमाल करें. दिन में मोव, पिंक रोज व लाइलैक शेड्स ही चुनें. सर्दी के मौसम में सिर्फ लिपग्लौस की जगह विटामिन ई-वैलवेट, क्रीम मैट और मौइश्चराइजरयुक्त लिपस्टिक का चुनाव करें.

चीक्स मेकअप: गालों की खूबसूरती के लिए शाइनिंग वाले ब्लशर का प्रयोग करें. पिंक शाइनिंग ब्लशर ज्यादा बैस्ट लगता है. नौर्मल ब्लशर लगा कर उस पर शाइनिंग का 1 कोट दें.

हेयरस्टाइल

पार्टी हेयरस्टाइल कुछ ऐसा हो जो आप के पूरे लुक को खास बना दे. इस के लिए साइड की मांग निकाल कर पीछे टौप के बालों की एक पोनी बना लें. नीचे के बालों को छोड़ कर एक लट ले कर रबड़बैंड को अच्छी तरह से कवर कर दें. फिर फ्रंट के बालों की बैककौंबिंग करें और पफ बनाते हुए पोनी के पास ही पिन से सैट करें. फिर आगे से बालों की 1-1 लट ले कर ट्विस्ट करते हुए सैट करें. बाकी बालों को भी ऐसे ही सैट करें और पफ तक ला कर सैट करें फिर पीछे से एक सैक्शन ले कर नौट लगाएं और स्प्रे करें. ऐसे ही 6 सैक्शन बनाएं. फिर रोल करते हुए जूड़ा बना कर ऐक्सैसरीज से सजाएं.

कौकटेल मेकअप: फेस को क्लीन कर के क्राइलोन का आइवरी शेड लगाएं. यह काफी थिन बेस होता है. इसे ब्रश से गोलगोल घुमाते हुए लगाएं. फिर गीला स्पौंज ले कर फेस पर थपथपाएं. इसे टैंपल एरिया में ज्याद प्रयोग करें. क्राइलोन के 070 प्योर व्हाइट क्रीम बेस को चीक्स पर ब्रश से लगाएं. इसे हाईलाइटिंग एरिया पर लगाया जाता है. जैसे फोरहैड, चीक्स और चिन. फिर इस की ब्रश से अच्छी तरह ब्लैंडिंग में करें ताकि शाइनिंग आ जाए.

व्हाइट और पिंक टोन के ट्रांसलूशन पाउडर को मिक्स कर के पाउडर ब्रश से फेस पर लगाएं और फेस टोनर से फेस पर स्प्रे करें. इन से मेकअप वाटरपू्रफ हो जाएगा. फिर इसे पफ की सहायता से सुखाएं. बेस पूरा होने पर आई मेकअप शुरू करें.

आई मेकअप: ब्रश की सहायता से फीरोजी कलर का आईशैडो आंख के एक कोने से लगाना शुरू करें. फिर आई सौकेट के बीच का हिस्सा छोड़ कर बाकी एरिया में पर्पल आईशैडो लगाएं. फिर आईलैशेज पर मसकारा लगाएं. फिर मैक का काजल लगाएं. ब्लैंडिंग ब्रश से आईब्रोज पर ब्लैक शैडो से हाईलाइटिंग करें. मेकअप स्टूडियो का लाइनर ब्रश की सहायता से लगाएं. सीलर में ब्रश को डिप कर के आईशैडो मिड से ब्लैक शैडो लें और उसे आंखों के बाहरी कोनों में लगाएं. फिर फैन ब्रश से ऐक्स्ट्रा प्रोडक्ट को हटा दें. आईज के नीचे वाटरलाइन एरिया के बाहर पतले ब्रश से फीरोजी कलर का लाइनर लगाएं.

अब आंखों के ऊपर न्यूट्रल सिमर लगाएं. इसे जैल लगाने के बाद लगाएं. फिर आईलैशेज पर मसकारा के 2 कोट लगाएं.

लिप मेकअप: आप लिप कलर के कई शेडोज को मिला कर भी न्यू शेड्स बना सकती हैं. सब से पहले लिप पर बेस कलर लगाएं. फिर कोई ब्राइट कलर की लिपस्टिक लगाएं. फिर उस पर सिल्वर कलर का वीओवी का पाउडर लगाएं. इस से लिप्स स्पैशल हाईलाइट होंगे.

मेकअप स्टूडियो किड से ब्लशर ले कर चीक्सबोन पर लगाएं. इसे ब्रश से अंदर से बाहर की तरफ ले जाते हुए अच्छी तरह लगाएं.

हेयरस्टाइल

कौकटेल लुक के साथ हेयरस्टाइल भी डिफरैंट होना चाहिए. बालों में अच्छी तरह कंघी कर के लैफ्ट साइड में ‘वी’ शेप में कुछ बाल ले कर पोनी बनाएं और स्प्रे करें. दूसरी साइड भी वैसी ही पोनी बनाएं और स्प्रे करें. अब बचे हुए बालों की सैंटर में रबड़बैंड से हाई पोनी बनाएं. पोनी के बालों को अच्छी तरह कंघी कर के रबड़बैंड के किनारे बौल पिन लगाएं. सैंटर पोनी में एक लट उठा कर बैककौंबिंग कर के स्प्रे करें. ऐसे ही 3 पोनी की 3 लटें बनाएं उन में स्प्रे कर उन्हें अंदर की तरफ रोल कर दें और पिन से सैट करें. 2 अगलबगल और 1 बीच में राइट साइड के बालों की एक पतली लट निकाल कर उसे कर्ल मशीन से कर्ल करें और पूरे बालों में स्प्रे करें.

अब बालों को सजाने के लिए आर्टिफिशियल फ्लौवर लगाएं और हर रोल के ऊपर स्पार्कल लगाएं.

मिनरल मेकअप

इसे न्यूड मेकअप भी कहा जाता है. इस मेकअप के लिए पहले फेस को सीटीएम (क्लींजिंग, टोनिंग, मौइश्चराइजिंग) करें. फिर चेहरे पर प्राइमर लगाएं. अगर कहीं जा रही हैं तो शाइनिंग वाले स्ट्रोक क्रीम प्राइमर का इस्तेमाल करें और इसे उंगलियों से ही लगाएं. अगर डार्क सर्कल्स हों तो कंसीलर का प्रयोग करें. ज्यादा डीप डार्क सर्कल्स के लिए औरेंज कंसीलर को पहले अंडरआईज फिर फोरहैड पर लगाएं. फिर इस पर बेस लगाएं. क्राइलोन का बेस 626सी+बी को मिक्स कर के लगाएं. इस से स्किनटोन बेहतर लगता है. बेस के लैक्मे का क्रीम बेस ब्लश चीक्सबोन पर लगाएं. इसे उंगलियों से थपथपाते हुए लगाएं. अगर ज्यादा फेयर लुक देना है तो डियो का फाउंडेशन ब्रश से लगाएं. अब क्राइलोन का पी5 डर्मा लूज पाउडर लगाएं. चिन से शुरू करते थपथपाते हुए ऊपर तक जाएं. अब ऐक्स्ट्रा पाउडर को ब्रश से हटा कर डर्मा फिक्सर से बेस को लौक कर दें.

आई मेकअप: सब से पहले आंखों पर लूज पाउडर लगाएं, क्राइलौन के रैंबो शैडो में गोल्डन शैडो उंगली या ब्रश से लगाएं. आईब्रोज के नीचे गोल्ड में सिल्वर हाईलाइटर मिक्स कर के लगाएं. आईपैंसिल से लाइनर लगाएं. इसे आईज के अनुसार आगे से पतला पीछे से मोटा लगाएं. आईब्रोज को पैंसिल से क्लीन कर शेप दें. वाटरलाइन एरिया में काजल लगाएं. फिर आईलैशेज पर मसकारे के 2 कोट लगाएं. अब नोज की हलकी सी कंटूरिंग ब्राउन बेस से करें. इस से नोज शार्प हो जाएगी.

हेयरस्टाइल

पूरे बालों को वन साइड कर के बैककौंबिंग करें, फिर साइड पोनी बनाएं. फिर कर्ल रौड से पोनी के बालों की 1-1 लट ले कर कर्ल करें. फिर कर्ली किए बालों को टेल कौंब की सहायता से पोनी में बौब पिन से सैट करें. यह एक फंकी जूड़ा बन जाएगा. ऐसे ही बाकी सभी कर्ल की गई लटों को करें. आप चाहें तो इसे खुला भी छोड़ सकती हैं, दोनों ही लुक बेहतर लगते हैं. अब इसे मैचिंग ऐक्सैसरीज से सजाएं.

लिप्स मेकअप: होंठों को क्लीन कर के आउटलाइन बनाएं. फिर इस में ब्रश की सहायता से मैक की हौट पिंक लिपस्टिक फिल करें. इस के ऊपर लिप कोट सीलर जरूर लगाएं. मेकअप को फिक्स करने के लिए पूरे फेस पर डर्मा फिक्सचर स्प्रे करें.

कमाई का पाखंडी तरीका

कुरुक्षेत्र हरियाणा प्रांत का एक जिला है, जिसे तीर्थस्थान का दर्जा भी प्राप्त है. ऐसा माना जाता है कि यहां महाभारत का धर्मयुद्ध हुआ था. अब युद्ध को भी धर्म से जोड़ देना हिंदुओं का ही कौशल है. बहरहाल, इस लेख में मुद्दा यह नहीं है. मैं तो उस अजूबे की बात कर रहा हूं, जो मैं ने कुरुक्षेत्र की यात्रा में देखा. नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से कुरुक्षेत्र के लिए रात 8 बजे के करीब ट्रेन पकड़ी. डब्बा खचाखच भरा हुआ था.

अचानक मुझे बोगी के अंदर कीर्तन की आवाजें सुनाई देने लगीं. देखा तो 8-10 लोग डफली, खड़ताल, मजीरा और तालियां पीटपीट कर कीर्तन कर रहे थे. ‘हरेराम हरेराम रामराम हरेहरे, हरेकृष्ण हरेकृष्ण, कृष्णकृष्ण हरेहरे’ का शोर यात्रा की थकान को और बोझिल बना रहा था. लेकिन कीर्तन करने वाले तो आम आदमी के मनोविज्ञान को अच्छी तरह समझते हैं. कीर्तन शुरू हुआ तो गाड़ी में बैठे यात्री भी स्वर में स्वर मिला कर झूमने लगे. कोई 40 मिनट तक यह कीर्तन चलता रहा.

यह अजूबा यहीं खत्म नहीं हो गया. इस के बाद कीर्तन मंडली ने आरती शुरू कर दी. इन के पास लकड़ी के एक छोटे से फ्रेम में मंदिर था. घी और दीपक का भी इंतजाम था. ट्रेन के डब्बे में ही आरती हुई और फिर आरती थाली में रख कर सभी के पास पहुंचाई गई.

यह हम सब जानते हैं कि जलते हुए दीपक की लौ का हाथ से स्पर्श कर सिर पर लगाने की क्रिया को ‘आरती लेना’ कहा जाता है. यह भी लोगों के दिलों में बैठा हुआ एक डर है कि वे अगर खाली आरती लेंगे, तो यह अधर्म होगा और इस वजह से भगवान नाराज भी हो सकते हैं. इसलिए शायद ही कोई ऐसा हिंदू होगा, जो आरती के सामने आ जाने पर थाली में कुछ न चढ़ाए.

जब ट्रेन में यात्रियों के समक्ष आरती घुमाई गई तो फटाफट थाली नोटों और सिक्कों से भर गई. धंधेबाजों का मकसद पूरा हो गया था. पैसा बटोर कर ये लोग बीच में ही कहीं उतर गए.

मैं ने कुरुक्षेत्र में कुछ लोगों से इस घटना का जिक्र किया तो सभी के लिए यह सहज बात थी. पता चला कि इन कीर्तनबाजों ने दिल्ली से कुरुक्षेत्र तक की एमएसटी बनवा रखी है. ये लोग रोज ही किसी न किसी ट्रेन में चढ़ जाते हैं और कीर्तन का धंधा करते हैं. अफसोस की बात तो यह रही कि किसी को भी इस धंधे पर कोई एतराज नहीं था.

कमाई का आसान तरीका

धर्म के नाम पर कमाई के बहुत से तरीके चल रहे हैं. इन में बेहद आसान तरीके कीर्तन और आरती हैं. आज आम आदमी अपनी जिंदगी में काफी व्यस्त हो गया है. वह सुबह तो मंदिर जाने का समय निकाल लेता है, लेकिन शाम को दूसरे कामों में व्यस्त भी हो जाता है. इस का नतीजा यह हो रहा है कि शहरों में जो बड़े मंदिर हैं, वहां तो आरती के समय शाम को भीड़ जमा हो जाती है, लेकिन गलीमहल्लों के छोटे मंदिरों में उतने लोग नहीं पहुंच पाते.

आसपास के जो दुकानदार होते हैं, वे दुकानें छोड़ कर शाम की आरती में शामिल हो ही नहीं सकते. इसलिए इन मंदिरों के पुजारियों ने तरीका यह निकाला है कि इन्होंने शाम की आरती को मोबाइल बना दिया है. हम सब रोज ही यह नजारा छोटेबड़े शहरों में देखते हैं कि मंदिरों के पुजारी अपनी शाम की आरती की थाली ले कर दुकानदुकान और घरघर घूमते हैं. आरती लेने वाला हरेक श्रद्धालु कम से कम 1 रुपया तो चढ़ाता ही है. इस तरह एकएक पुजारी, एकएक दिन में कम से कम क्व4-5 सौ तो कमाता ही है.

‘आरती’ पैसा हड़पने का एक शानदार फंडा है. तभी तो हर धार्मिक कार्यक्रम के समापन में आरती का आयोजन किया जाता है. चाहे कोई कथा हो, प्रवचन हो या फिर कीर्तन, सभी का समापन चढ़ावा प्राप्त करने के लिए आरती से किया जाता है.

प्रवचन और कथा बांचने वाले साधुमहात्मा कहते हैं कि जहां भगवान की चर्चा की जाती है, वहां भगवान उपस्थित हो जाते हैं. भगवान को विदा करने के लिए आरती जरूर की जानी चाहिए. कथावाचक उस ग्रंथ रामायण, श्रीमद्भागवत, गीता आदि की ही आरती उतरवा देते हैं. उन का तर्क होता है कि आरती कर हम उस ग्रंथ के प्रति अपना आभार व्यक्त करते हैं.

धर्म के नाम पर कमाई का एक और आसान तरीका है- कीर्तन. यह भी पूरी तरह से एक पाखंड भरा काम है. पाखंड इसलिए क्योंकि यह कीर्तन करने वाले भी जानते हैं कि इस से किसी के जीवन में कोई शुभ परिवर्तन होने वाला नहीं है. अलबत्ता कीर्तनबाजों का आर्थिक भला जरूर होता रहता है.

पंडेपुजारी चैतन्य महाप्रभु और मीराबाई का नाम ले कर दलील देते हैं कि ऐसे कई भक्त कीर्तन करतेकरते कथित रूप से भगवान के धाम को प्राप्त हो गए थे. पंडेपुजारी और कथावाचक कीर्तन के बारे में कहते हैं कि जितने समय तक हम कीर्तन में रमे रहते हैं उतने समय तक हम दुनिया को भूल कर अपने गमों से दूर रहते हैं. धीरेधीरे भगवान की कृपा हमें प्राप्त होती जाती है.

कृपालु महाराज को परोक्ष रूप में हिंसक महात्मा कहा जाए तो गलत न होगा. इसी की वजह से 4 मार्च, 2010 को प्रतापगढ़ के इस के आश्रम में भगदड़ में 63 बेगुनाह लोग मारे गए थे. यह हिंसक महात्मा कीर्तन के बारे में कहता है कि कीर्तन करने से हमारी परेशानियां भगवान की हो जाती हैं. कीर्तन के बारे में इसी तरह के भ्रम फैलाने का यह नतीजा है कि आम आदमी मनोवैज्ञानिक रूप से इस से प्रभावित होता जाता है. एक समय था, जब कीर्तनों का दायरा बहुत ज्यादा नहीं था. कभीकभी मंदिरों में या खास अवसरों पर घरों में कीर्तन हो जाया करते थे. लेकिन जैसजैसे धर्म के धंधेबाजों का ध्यान इस तरफ गया, तो इन धूर्तों ने कीर्तन को आभामंडित करना शुरू कर दिया.

नोटों की बरसात

धर्म की इस विधा कीर्तन में अब बड़े अजीब से बदलाव दिखाई देते हैं, कीर्तन के बीच में अकसर ऐसा तो होता ही है कि लोग विभोर हो कर भजन गायक पर रुपयों की बौछार करते हैं. भजन गाने वाला उन का नाम बोल कर उन के अहंकार को और बढ़ाता रहता है.

अब कीर्तनों में एक और स्वांग रचा जाने लगा है. भजनमंडली की ही तरफ से कोई लड़की राधा या गोपी बन कर नाचती है. इस तरह कीर्तन सुनने वालों की धार्मिक भावनाएं और भड़कती हैं. वे इस स्वरूप पर खूब नोट बरसाते हैं. यह बरसात एक तरह से होड़ भी बन जाती है. इस तरह कमाई का यह पाखंडी तरीका आजकल कीर्तनों में खूब कामयाब हो रहा है.                

डिजाइनर ब्लाउज : परंपरा को दे नया लुक

युवा हो या वयस्क हर कोई सुंदर दिखना चाहता है और सौंदर्य बढ़ाने में फैशन का बड़ा योगदान होता है. फैशन में भी सब से अहम होते हैं परिधान. वस्त्रों का आकर्षक होना बेहद आवश्यक है. पारंपरिक परिधान की बात करें तो साड़ी का नाम सब से ऊपर आता है. यह हमेशा नए ट्रैंड में शामिल रहती है और इसे आकर्षक बनाता है इस का ब्लाउज.

आजकल डिजाइनर ब्लाउज का क्रेज है. कोलकाता के फैशन डिजाइनर देवारुन मुखर्जी पिछले 16 सालों से इस क्षेत्र में हैं और हर साल ब्लाउजों के नएनए कलैक्शन बाजार में उतारते हैं.

बचपन से ही फैशन के क्षेत्र में आने की इच्छा रखने वाले देवारुन ने लंदन कालेज औफ फैशन से अपनी फैशन डिजाइनिंग की शिक्षा पूरी की. इस के बाद मुंबई के एक ऐक्सपोर्ट हाउस में 4 साल काम करने के दौरान विश्व के कई प्रसिद्ध डिजाइनर हाउसों जैसे यूरोपियन, कोरियन, अमेरिकन आदि के साथ काम किया. उस दौरान उन्हें लगा कि सभी परिधान बदलते रहते हैं पर साड़ी का क्रेज कभी खत्म नहीं होता. ब्लाउजों में थोड़ा चेंज कर उसे हमेशा पहना जाता है. तभी विदेशों में रहने वाले भारतीय ब्लाउजों की अधिक खरीदारी करते हैं.

2007 में उन्हें लैक्मे फैशन वीक में पहली बार चुना गया. उसी दौरान उन्होंने अपना ब्रैंड ‘देवारुन’ नाम से स्थापित किया, जिस का प्रमुख उद्देश्य भारतीय परंपरा को नए से नया लुक देने का रहा.

अवसर व मौसम का भी खयाल

देवारुन कहते हैं कि आजकल महिलाएं साड़ी कम पहनती हैं पर खास अवसर या त्योहारों पर वे हमेशा साड़ी पहनती हैं. इस का बाजार कभी खत्म नहीं होता. हालांकि आजकल कंट्रास्ट पहनने का चलन है, लेकिन ब्लाउज के चयन से पहले कुछ बातों पर गौर जरूर फरमाएं:

यदि काले रंग के शिफौन ब्लाउज पर गोल्डन कढ़ाई की गई है, तो उसे किसी भी रंग की साड़ी के साथ पहना जा सकता है.

त्योहारों के समय गहरे रंग का ब्लाउज अधिक पौपुलर होते हैं, जिन में लाल, नीला, औरेंज, हरा, एमरल्ड ग्रीन, बैगनी आदि सभी रंगों के ब्लाउज बाजार में उतारे जाते हैं.

गरमी के मौसम में हलके रंग, जिन में पिंक के ऊपर सिल्वर वर्क, मुक्कैश का काम, सफेद, औफ व्हाइट, टरक्वायज के ऊपर सिल्वर वर्क अधिक पौपुलर है. इन ब्लाउजों को आप सिल्क, शिफौन, जौर्जेट आदि सभी साडि़यों के साथ पहन सकती हैं.

अधिकतर ब्लाउज पारंपरिक और ऐथनिक लुक लिए होते हैं जिन्हें तैयार करने में समय लगता है. इन का मूल्य क्व4 हजार से ले कर क्व लाखों में होता है. अगर कढ़ाई अधिक है तो मूल्य अधिक और अगर कढ़ाई कम है तो मूल्य भी कम होता है. इस के अलावा ब्लाउज में प्रयोग किए गए कपड़े के आधार पर भी मूल्य निर्धारित किया जाता है.

देवारुन के अनुसार इन कीमती ब्लाउजों का रखरखाव भी बड़ी सावधानी से करना पड़ता है. उन के अनुसार-

इन्हें मलमल के कपड़े में लपेट कर अलमारी में रखें.

अगर ब्लाउज पसीने से गीला हो जाए तो हवा में सुखा कर ही स्टोर करें.

डिजाइनर ब्लाउज को हमेशा ड्राईवाश कराएं.

क्लासिक कलेक्शन का सिलेक्शन

अगर सजतेसंवरते समय कुछ टिप्स ध्यान में रखें तो महफिल में बस आप ही आप नजर आएंगी:

यदि आप का कद छोटा है, तो चोकर न पहनें. इस से कद और छोटा लगेगा.

सोने की चूडि़यां या ब्रैसलेट 1 इंच से ज्यादा मोटा न हो.

लटकता नेकलेस न पहनें. नेकलेस गले से चिपका हुआ ही अच्छा लगता है.

सादी सोने की बालियां जहां अच्छी लगती हैं, वहीं गोल्डन बटन जैसी बालियां भी कानों की सुंदरता बढ़ाती हैं. लंबी बालियां सभी पर सूट करती हैं.

छमछम करते आभूषण न पहनें.

नथुनी और करधनी न पहनें.

यदि आप की साड़ी या सूट पर गोल्डन वर्क है तो गोल्डन ज्वैलरी पहनें और यदि सिल्वर वर्क हो तो सिल्वर ज्वैलरी अच्छी लगेगी.

यदि परिधानों पर काठचोबी, रंगबिरंगे रेशम या रंगबिरंगे सलमासितारों का काम हो तो नगों या मीनाकारी वाली ज्वैलरी अच्छी लगेगी.

सफेद या काले परिधानों के साथ मोती की ज्वैलरी सूट करेगी.

बीडवर्क के साथ मेटल की ज्वैलरी या बीड्स वाली ज्वैलरी सूट करेगी.

मल्टीकलर बालियां चेहरे पर ग्लो बढ़ाती हैं.

ड्रैस से मेल खाती, चमचमाती बालियां चेहरे की रौनक बढ़ाती हैं. लाल, नीले, पीले, गाढ़े रंग सब पर खिलते हैं.

गोलाकार बालियां सभी प्रकार के हेयरस्टाइल पर सूट करेंगी.

क्रिस्टल के टौप्स और बालियां सब पर अच्छी लगेंगी.

चेहरे के अनुसार सुझाव

ओवल शेप: ओवल शेप वाली महिलाएं कुछ भी पहन सकती हैं. हर डिजाइन इस शेप पर सूट करेगी.

राउंड शेप: गोल चेहरे पर गले की सुंदरता बढ़ाने के लिए चोकर पहन सकती हैं, इस से आप की गरदन सुराही की तरह लंबी लगेगी.

हार्ट शेप: यदि आप का चेहरा हार्ट शेप है, तो आप 2 या 3 लटों वाला चोकर या नेकलेस पहन सकती हैं. आंखों की सुंदरता चौड़ा लाइनर लगा कर बढ़ा सकती हैं.

कैसा हो पर्स

पतला और आयताकार पर्स सभी पर सूट करता है.

पर्स कपड़ों से मेल खाता हो, तो सोने में सुहागे का काम करता है. जैसे- पिंक आउटफिट के साथ पिंक पर्स अच्छा लगेगा.

कंट्रास्ट पर्स भी अच्छे लगते हैं, जैसे ब्लैक आउटफिट के साथ व्हाइट पर्स अच्छा लगाता है. इसी प्रकार सफेद पोशाक के साथ ब्लैक पर्स अच्छा लगेगा.

गोल्डन वर्क वाला पर्स गोल्डन आउटफिट के साथ स्मार्ट लगता है.

सिल्वर वर्क वाला पर्स सिल्वर आउटफिट के साथ स्मार्ट लगता है.

बीड वर्क वाला पर्स बीड वर्क वाली ज्वैलरी के साथ अच्छा लगता है.

पर्ल वर्क के साथ पर्ल वर्क का पर्स बेहतर लगेगा.

ब्लैक और ब्राउन पर्स सभी रंगों के आउटफिट के साथ जंचते हैं.

गोलाकार पर्स स्मार्टनेस कम करता है. इसलिए गोल पर्स की जब तक फिनिशिंग अच्छी न हो, नहीं लेना चाहिए.

एलीगेंट लुक के लिए ब्लैक कलर पर यदि गोल्डन वर्क हो रहा हो तो अच्छा लगता है.

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