घर पर बनाएं कोरियन राइस वाटर स्प्रे, इसके इस्तेमाल से चमक जाएंगे आपके बाल और स्किन

ग्लास स्किन, स्पॉटलेस चेहरे और निखरे रंग की जब भी बात होती है तो कोरियन ब्रांड्स का जिक्र जरूर होता है.कोरिया के लोगों की चमकती स्किन उनकी पहचान है.यही कारण है कि ब्यूटी प्रोडक्ट्स के समंदर में कोरियन ब्यूटी उत्पादों ने अपनी एक अलग और खास पहचान बना ली है.अपने शानदार रिजल्ट के कारण यह लोगों की पहली पसंद बनते जा रहे हैं.दरअसल, कोरिया के लोग अपनी स्किन और बालों की देखभाल के लिए काफी सचेत रहते हैं.वे ब्रांडेड ब्यूटी प्रोडक्ट्स के साथ ही घर में बने कई डीआईवाई स्प्रे का उपयोग करते हैं.इनमें से सबसे प्रमुख है राइस वाटर.इस नेचुरल राइस वाटर स्प्रे से आपके बाल और स्किन दोनों को ही भरपूर फायदा मिलेगा.इस बजट फ्रेंडली स्प्रे से आपके बाल मजबूत होंगे और स्किन ग्लोइंग बनेगी.

क्यों महत्वपूर्ण है चावल का पानी

चावल का पानी कोरियन लोगों की ब्यूटी प्रोडक्ट श्रृंखला का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है.इसे बालों और त्वचा के लिए ‘अमृत’ माना जाता है.अमीनो एसिड और कई प्रकार के खनिज और विटामिन से भरपूर राइस वाटर बालों को जड़ों से मजबूत बनाता है.इससे बालों का टूटना, झड़ना, दोमुंह के बालों की समस्या दूर होती है.साथ ही इसके उपयोग से बाल बहुत तेजी से बढ़ते हैं.यह बालों में कोलेजन की मात्रा को बढ़ाने में मदद करता है जिससे बाल मजबूत होते हैं.वहीं चेहरे पर राइस वाटर लगाने से स्किन की झुर्रियां कम होती हैं, दाग धब्बे गायब होते हैं, एक्ने आदि की समस्याएं भी दूर होती हैं.राइस वाटर त्वचा को हाइड्रेट करता है.यह त्वचा में नमी बनाए रखने में मदद करता है, जिससे त्वचा कोमल और मुलायम बनी रहती है.इसमें एंटीऑक्सीडेंट और अन्य पोषक तत्व होते हैं जो त्वचा को स्वस्थ और चमकदार बनाते हैं.यह त्वचा में मेलेनिन की मात्रा को बढ़ाने में मदद करता है.यही कारण है कि इसके उपयोग से चेहरे पर चमक आती है.राइस वाटर त्वचा की उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा करता है.इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट त्वचा को नुकसान पहुंचाने वाले मुक्त कणों को बेअसर करने में मदद करते हैं.

ऐसे बनाएं राइस वाटर स्प्रे

सबसे पहले आप आधा कप सफेद या ब्राउन राइस लें.ध्यान रखें इसके लिए आप ऑर्गेनिक चावलों का ही उपयोग करें.अब चावलों को अच्छे से धो लें.फिर इन्हें एक अलग कटोरे में निकाल लें.अब चावलों में करीब 2 कप पानी डालें और इन्हें 2 घंटे के लिए छोड़ दें.इसके बाद चावलों को छान लें.इस पानी को किसी भी साफ एयरटाइट कंटेनर या बोतल में स्टोर करें.रातभर इन्हें खमीर उठने के लिए छोड़ दें.खमीर उठने के बाद इसमें एक टीस्पून अरंडी का तेल अच्छे से मिला लें और स्प्रे बोतल में भर लें.तैयार है आपका राइस वाटर स्प्रे।

ऐसे करें इस नेचुरल स्प्रे का उपयोग

यह एक स्प्रे आपके बालों और चेहरे दोनों के काम आएगा.अगर आप इसे बालों के लिए उपयोग में ले रहे हैं तो स्प्रे बोतल को अच्छे से मिक्स करके इसे बालों की जड़ों में स्प्रे करें.अच्छे रिजल्ट के लिए इस स्प्रे का रात में उपयोग करें और रातभर इसे अपना काम करने दें.सुबह आप बाल धो लें.अगर आप चेहरे पर उपयोग करना चाहते हैं तो आप रात को सोने से पहले चेहरे को अच्छे से धो लें.इसके बाद आवश्यकतानुसार राइस वाटर स्प्रे को चेहरे पर लगाएं.रातभर के लिए इसे छोड़ दें.सुबह चेहरा वाॅश कर लें.आपको कुछ ही समय में इसका रिजल्ट नजर आएगा।

मौइस्चराइजर लगाने के बाद भी हाथ ड्राय रहते हैं, मैं क्या करुं?

सवाल

मेरे हाथ काफी रूखे रहते हैं. मौइस्चराइजर लगाने के बाद भी ये सामान्य नहीं दिखते. कोई उपाय बताएं जिस से ये नर्ममुलायम बने रहें?

जवाब-

हाथों की स्किन में औयल ग्लैंड्स नहीं होने के कारण इन्हें औयल देना पड़ता है. इसलिए इन्हें मुलायम और चिकना बनाए रखने के लिए हाथ धोने के बाद हमेशा कोई थिक क्रीम लगाएं. यह आप की त्वचा में औयल को बनाए रखने में मदद करेगी.

आप हाथ धोने के लिए कौन सा साबुन इस्तेमाल करती हैं इस पर भी ध्यान दें. ज्यादातर साबुन आप के हाथों को रूखा बना देते हैं, इसलिए लिक्विड सोप ही बेहतर है. रात को आप थोड़ी सी वैसलीन अपने हाथों पर लगा कर इसे एक ओवरनाइट ट्रीटमैंट की तरह भी इस्तेमाल कर सकती हैं. बस हाथ धोने के बाद इसे अपने हाथों पर लगाएं और कौटन के दस्ताने पहन कर सो जाएं.

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बदलता मौसम सर्दी और गर्मी के बीच की कड़ी है. इस मौसम में तमाम पेड़ नयी कोंपलों की आस में अपने पुराने पत्ते गिरा देते हैं. इस मौसम को पतझड़ का मौसम भी कहते हैं. पतझड़ के महीने में चलने वाली तेज़ हवा जहाँ सुबह-शाम को खुशनुमा बनाती है, वहीँ ये स्किन में रूखापन भी पैदा करती है. हवाओं के कारण होंठ बार-बार ड्राय होते हैं और कभी-कभी तो उनमे गहरी दरारें भी पड़ जाती हैं जो ज़्यादा तकलीफदेय होती हैं.

पतझड़ के मौसम में ड्राय स्किन को स्निग्ध रखने के लिए यदि तेल या क्रीम का इस्तेमाल करें तो हवा में उपस्थित धूलकणों और गर्मी के कारण ये स्किन को और खराब करती है. इन दिनों में सूरज भी अपनी पूरी प्रचंडता दिखाने लगता है, इसकी अल्ट्रावायलेट किरणें स्किन पर मौजूद तेल के साथ मिल कर आपके पूरे कॉम्प्लेक्शन को बर्बाद कर देती हैं.

स्किन में अपनी नमी और कोमलता ही किसी स्त्री के सौंदर्य का आधार है. इस नमी और कोमलता को ड्राय मौसम में भी बनाये रखने के लिए विशेष देखभाल और घरेलू उपचार की आवश्यकता होती है. हर व्यक्ति की स्किन में ड्रायता का पैमाना अलग-अलग होता है. कुछ लोगों की स्किन कम रूखी होती है और कुछ की अधिक. मौसमों के बदलाव के साथ भी ड्रायता कम या ज़्यादा होती रहती है. जब रूखापन बहुत ज़्यादा होने लगे तो उपचार आवश्यक हो जाता है मगर इन उपचारों को जानने से पहले ये जानना बहुत ज़रूरी है कि अत्यधिक रूखेपन के क्या कारण हो सकते हैं.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

Winter Special: सर्दियों में खूबसूरत और फ़ैशनेबल दिखने के लिए ट्राई करें ये आउटफिट्स

वैसे मेरा कहना ग़लत होगा की हम सभी को सर्दियों का मौसम पसंद नहीं है. ठंड का मौसम हर किसी को बहुत लुभाता है. रज़ाई मे बैठकर मूंगफली चबाना हो या सरसों द साग या मक्के की रोटी का मज़ा लेना हो ये सारे मज़े हम सभी सर्दियों मे ही ले सकते है. सर्दियों मे खाने के साथ साथ कपड़े पहने का एक अपना ही एक मज़ा होता है. ठंड मे बच्चे से लेकर बूढ़े , लड़के -लड़कियाँ सारे के सारे ठकपड़ों की खूब सारी लेयर पहने रहते है.  और अगर यहाँ कपड़ों की बात छेड़ ही दी गयी है तो गर्मी हो या सर्दी हम सभी को स्टाइलिश कपड़े पहनने का शौक़ होता है ख़ास कर लेडीस या लड़कीयो दोनो को. इंडिया मे ठंड के मौसम मे कोहरे के साथ साथ शादियां भी खूब होती है. ठंड का टाइम हो और साथ मे हमारे घर मे शादियाँ हो तब तो बहुत बड़ी परेशानी कपड़ों की होतीं है. गर्मियों में शादियों मे लहंगा , साड़ी , बैकलेस चोली या ब्लाऊज जैसे मन चाहे कपड़े पहन लेते है और इस बात का ग़म भी नहीं रहता की हमारे महंगे कपड़े दिख नहीं रहे है. लेकिन सर्दियों मे मेन प्रोब्लम यहीं होती है की कैसे हम सुंदर के साथ -साथ स्टाइलिश भी दिखे और हमें ठंड भी ना लगे , ऐसा होना थोड़ा मुश्किल होता है क्यूँकि यदि आप कोई बहुत सुंदर से साड़ी या ड्रेस पहनते है और साथ मेन उसके शाल या स्वेटर पहन ले तो आपके कपड़ों का सारा लुक ही चला जाता है.

वैसे घबराने की कोई बात नहीं है हम यहां आपको ऐसे ही कुछ स्टाइलिश और फ़ैशनेबल स्वेटर जैकेट के बारे मेन बताएँगे जो आपको इंडीयन और वेस्टर्न लुक दोनो ही दे सके.

1-स्वेटर वाले ब्लाउज

इंडिया मे महिलाओं की  बड़ी समस्या की सर्दियों मे किसी शादी या पार्टी मे साड़ी के साथ ब्लाउज की होती है क्यूँकि गर्मियों मे आप सिंपल ब्लाउज पहन सकती है साड़ी और ब्लाउज दोनो का शो अच्छा आता है लेकिन विंटर मे किसी शादी या पार्टी मे बिना स्वेटर के तो रहना मुश्किल हो जाता है और स्वेटर या शाल से लुक हो जाता है ख़राब इसलिए आप यदि साड़ी पहन्ने के शौक़ीन है तो आज कल स्वेटर वाले ब्लाउज प्रचलन में है आप इसे एक बार ट्राई करिए आपकी साड़ी का लुक बहुत खूबसूरत आएगा और ठंड से बचाव भी होगा.

2-ट्रेंच कोट

अधिकतर महिलायें शादियों मे साड़ियों को पहना पसंद करती है. आप यदि साड़ी पहने के शौकिन है तो सर्दियों में आपको इस बात का ख़ास ध्यान रखे की आप साड़ी मे कुछ ऐसा नया ट्राई करे जिससे आपको ठंड ना लगे उसके लिए आप ट्रेंच कोट साड़ी मे ट्राई कर सकते है. साड़ी के ऊपर ट्रेंच कोट पहने पर साड़ी बहुत ही सुंदर , एलीगेंट लगती है और आप सर्दी से भी बच सकती है.

3-अनारकली स्टाइलिश जैकेट

आप सिर्फ़ साड़ी नहीं इंडो वेस्टर्न ड्रेस को भी पहन सकती है थोड़ा सा चेंज  आपको भी अच्छा लगता है और दूसरों को देखने मे भी. सर्दियों मे आप यदि लहंगा या कोई प्यारी ड्रेस पहन रही है तो आप उसके ऊपर से अनारकली वाली स्टाइलिश जैकेट पहन सकते है जिसका बहुत यूनिक लुक आता है और बहुत ही खूबसूरत लगता है.

4-लेदर जैकेट

लेदर जैकेट का अपना एक अलग ही क़्रेज़ होता है. किसी भी कपड़ों के साथ आपकी ये लेदर जैकेट जंच ही जाती है. लहंगा हों या साड़ी या कोई इंडीयन या वेस्टर्न ड्रेस हो लेदर जैकेट ऊपर से पहन कर आप बहुत स्टाइलिश और अलग लुक देते है इसलिए सर्दियों मे आप लेदर जैकेट को ज़रूर ट्राई करियेगा.

5- वेलवेट या पश्मीना शॉल

यदि लहंगा ,साड़ी या सूट पहनते है आप तो दुप्पटें की बजाय आप वेलवेट या पश्मीना शॉल एक साइड डाल सकती है कुछ अलग दिखेगा और सुंदर भी। वेलवेट या पश्मीना शॉल आपको थोड़ा महंगा पड़ता है लेकिन इसका लुक बहुत अच्छा आता है. इसलिए विंटर मे आप ये ज़रूर ट्राई करिएगा.

6-श्रग

श्रग का अपने आप में ही अलग दिखता है बहुत ही ज़्यादा  स्टाइलिश और यूनिक. इंडियन लुक हो या जींस या वेस्टर्न ड्रेस मे आप श्रग पहने पर आप बहुत ही फ़ैशनेबल दिखती है और विंटर मे बहुत ज़्यादा उपयोगी भी है इसलिए आप अपनी अलमिरा मे इसे रखना ना भूले.

अब आपको परेशान होने की ज़रूरत नहीं होगी. विंटर में आप बस अपनी अलमिरा मे थोड़ा बदलाव लाइए और अपने लुक को चेंज करिए और दिखिए स्टाइलिश और फ़ैशनेबल.

जानें क्या है सीजनल इफेक्टिव डिसओर्डर  

क्या आप सैड यानि सीजनल इफेक्टिव डिसओर्डर के बारे में जानते हैं. जिसे मूड डिसओर्डर के रूप में भी जाना जाता है. जो हर साल एक विशिष्ट समय पर यानि आमतौर पर सर्दियों में ही होता है. जिसे विंटर ब्लूज भी कहते हैं. ये मौसम में आए बदलाव के कारण ही होता है. इसमें प्रभावित व्यक्ति डिप्रेशन, उदासी, नेगेटिव विचारों से घिरना , चिड़चिड़ापन, अत्यधिक थकान , शुगर क्रेविंग्स, रोजमर्रा के कार्यों में दिलचस्पी न लेना, लोगों से बेवजह खुद ब खुद दूरी बनाने लगता है. जिसके कारण वह अंदर ही अंदर इतना परेशान होने लगता है कि उसे समझ ही नहीं आता कि उसके साथ ऐसा क्यों हो रहा है. ऐसे में इस परेशानी की वजह को जानकर इससे समय रहते बाहर निकलना बहुत जरूरी होता है. ताकि व्यक्ति सामान्य जीवन जी सके. तो आइए जानते हैं कैसे-

कैसे पहचाने 

हर समय उदास रहना 

अकसर लोग मौसम में आए बदलाव के बाद जीवन में खुशी का अनुभव करने लगते हैं. सर्दी , गर्मी व मानसून सीजन आते ही वे खुशी से झूम उठते हैं. क्योंकि नई चीज , नया मौसम शरीर में हैप्पी होर्मोन को बढ़ावा देने का काम जो करता है. लेकिन खासकर सर्दियों में जब शरीर को सूर्य की रोशनी नहीं मिल पाती है तो उसे अपनी जिंदगी में अंधेरा , निराशा लगने लगती है. क्योंकि हमारी  किरकाडीएन rhythm का काफी हद तक कंट्रोल सूर्य की रोशनी से जुड़ा होता है. जो हममें खुशी व उदासी जैसे भावों के लिए जिम्मेदार माना जाता है. और इसकी कमी से व्यक्ति खुद को हमेशा उदास उदास  सा फील करने लगता है.

नेगेटिव सोचना 

शरीर में सारा खेल  हार्मोन्स का ही होता है. और जब इन होर्मोन्स में किसी वजह से गड़बड़ी होनी शुरू हो जाती है तो शरीर प्रोपर ढंग से कार्य करने में असमर्थ हो जाता है. ऐसे ही जब शरीर को सूर्य की रोशनी नहीं मिल पाती है तो शरीर में हैप्पी हार्मोन्स के स्तर  में कमी आने लगती है, जो न तो हमें खुश रहने देती है और फिर इसकी वजह से ही हम हर चीज को नेगेटिव नजरिए से देखना शुरू कर देते हैं , जो हमें परेशान करने का काम करती है.

हर काम से मन हटना 

जिस काम को अभी तक हम पूरे मन व लगन से करते थे, लेकिन धीरेधीरे उन चीजों से भी इंटरेस्ट हटना शुरू हो जाता है. ऐसा अकसर शरीर को पर्याप्त रोशनी नहीं मिलने की वजह से होता है. क्योंकि शरीर में विटामिन डी की कमी हमारी हड्डियों को कमजोर बनाने के साथ हमारे एनर्जी लेवल में भी कमी लाती है, जिसकी वजह से हमारा काम से मन हटने लगता है.

शुगर क्रेविंग जब शरीर को प्रोपर सनलाइट नहीं मिल पाती है , तो उससे मेलाटोनिन का लेवल बढ़ता है, जो हमें स्लीपी फील करवाने का काम करता है , तो वहीं सेरोटोनिन के लेवल में गिरावट आने से हमारे मूड पर प्रभाव पड़ने के साथ ये हमारी भूख को बढ़ाने का काम करता है. और ऐसे समय में हम हाई कार्ब्स फूड को ही खाने की इच्छा रखते हैं. जो हमारे वजन व हमारी हैल्थ को भी बिगाड़ने का काम करता है.

लोगों से दूरी बना लेना 

जब शरीर में हैप्पी हार्मोन्स के स्तर में कमी आती है और जिसकी वजह से हम खुद को उदास व नेगेटिव विचारों से घिरा हुआ पाते हैं तो हमें अपने आसपास लोग अच्छे नहीं लगते हैं. हम खुद ही लोगों से दूरी बनाने लग जाते हैं. हम उनकी हर बात को नेगेटिव नजरिए से देखते हैं , जो हमें खुद को लोगों से दूर रखने का काम करता है.

क्या हैं कारण 

किरकाडीएन rhythm – पर्याप्त मात्रा में सूर्य की रोशनी नहीं मिलने से व्यक्ति उदास जैसा फील करने लगता है. ऐसा अकसर  किरकाडीएन rhythm के कारण होता है, जो शरीर में नेचुरल व आतंरिक प्रक्रिया होती है, जो हमारे सोने व उठने के साइकिल को रेगुलेट करने का काम करती है. ये प्रक्रिया लगभग हर 24 घंटे में रिपीट होती है. और जब शरीर को पर्याप्त मात्रा में  सूर्य की रोशनी नहीं मिल पाती है , तो हमारी नींद प्रभावित होने के साथ हमारे मूड पर भी उसका सीधा असर पड़ता है, जो उदासी का एक बड़ा कारण बनता है.

सेरोटोनिन लेवल सन एक्सपोज़र शरीर में सेरोटोनिन के लेवल को रेगुलेट करने में मदद करता है, जिसे खुशी देने वाले होर्मोन के नाम से भी जानते हैं. साथ ही सन एक्सपोज़र की कमी से शरीर में विटामिन डी की भी कमी होने लगती है, जो सीधे तौर पर हमारे में उदासी व हमारे मूड को प्रभावित करने का काम करती है. इससे व्यक्ति ज्यादा नेगेटिव सोचना शुरू कर देता है, जो उसे डिप्रेशन की ओर धकेलने का काम करता है.

मेलाटोनिन लेवल मौसम में आए बदलाव के कारण  शरीर में मेलाटोनिन का लेवल प्रभावित होने के कारण हमारी नींद, मूड और हमारी ओवरआल परफोर्मन्स प्रभावित होती है. क्योंकि मेलाटोनिन होर्मोन हमारी नींद को सुचारू बनाने के लिए जिम्मेदार माना जाता है. लेकिन जब सर्दियों में सूर्य की पर्याप्त रोशनी नहीं मिलने के कारण यानि अकसर पूरे दिन बादल छाए रहने के कारण शरीर में मेलाटोनिन का उत्पादन काफी ज्यादा होने लगता है, तो पूरे दिन नींद आने के साथ हम कार्यों के प्रति इनएक्टिव होने लगते हैं , जो हमारी प्रोडक्टिविटी पर प्रभाव डालने का काम करती है.

क्या है समाधान 

नेचुरल लाइट  सैड यानि सीजनल इफेक्टिव डिसओर्डर से निबटने के लिए जितना संभव हो सके नेचुरल लाइट के संपर्क में रहें. इसके लिए सर्दियों में आप घर को धूप के समय खोलकर रखें, ताकि जितनी भी नेचुरल लाइट घर में आ सके आ पाएं. साथ ही कोशिश करें कि आप नेचुरल लाइट यानि सन एक्सपोज़र के लिए थोड़ी देर धूप में जरूर जाएं , ताकि आप सीजनल   इफेक्टिव  डिसओर्डर से खुद को दूर करने में कामयाब हो सकें.

अवोइड कार्ब्स अनेक रिसर्च के अनुसार, जो भी लोग  सीजनल  इफेक्टिव  डिसओर्डर की समस्या को फेस कर रहे होते हैं , उन लोगों में शुगर व कार्ब रिच फूड खाने की क्रेविंग ज्यादा बढ़ती हैं. इसलिए जरूरी है हैल्दी डाइट से खुद को अधिक ऊर्जावान बनाने के लिए.  विटामिन डी सप्लीमेंट भी इस तरह के डिप्रेशन से लड़ने में सहायक साबित होता है. इसलिए अच्छा खाकर आप खुद को हैल्दी रखें.

एक्टिव रहें   सीजनल इफेक्टिव डिसओर्डर के लिए हमारे आलस व थकान को भी जिम्मेदार माना जाता है. इसलिए अपने एनर्जी लेवल को बूस्ट करने व मूड को ठीक करने के लिए फिजिकल एक्टिविटी को रेगुलर अपने रूटीन में शामिल करना जरूरी है.  विंटर्स में घर में ही न रहें बल्कि कवर करके बाहर भी निकलें और मौसम का मजा लेते हुए खुद को अच्छा फील करवाएं. इससे आप काफी हद तक खुद को  सीजनल  इफेक्टिव  डिसओर्डर से दूर रख सकते हैं.

Winter Special: घर पर बनाएं कुरकुरी और हेल्दी मिस्सी रोटी

मिसी रोटियां राजस्थानी भोजन का आम भाग है. इन्हें तीखी सब्जी या चटपटी लौंजी के साथ परोसकर स्वादिष्ट व्यंजन बनाएं.

सामग्री

1 कप गेहूं का आटा

आधा कप बेसन

आधा टी-स्पून अजवायन

एक टी-स्पून जीरा

एक चुटकी हींग

नमक स्वादअनुसार

4 टी-स्पून पिघला हुआ घी

विधि

सभी सामग्री को एक गहरे बाउल में मिला लें और जरुरत अनुसार पानी का प्रयोग कर सख्त आटा गूंथ लें. आटे को 10 भाग में बांट लें.

थोड़े सूखे आटे का प्रयोग कर, प्रत्येक भाग को गोल आकार में बेल लें. एक नॉन-स्टिक तवा गरम करें और थोड़े घी का प्रयोग कर, प्रत्येक रोटी को दोनों तरफ से सुनहरा होने तक पका लें. गरमा गरम परोसें.

व्रत: भग 3- क्या वर्षा समझ पाई पति की अहमियत

लेखक-अमृत कश्यप

मुसीबत की रात समाप्त होने को नहीं आती. उस ने बड़ी मुश्किल से वह रात काटी और सुबह ही सुबह पति को देखने के लिए अस्पताल दौड़ पड़ी. अपने साथ वह चाय और ब्रैड भी ले गई. पति की बीमारी में उसे पूजापाठ करने का होश भी न रहा. जब अनिल ने उस से पूछा कि आज वह पूजा पर क्यों नहीं बैठी और चाय बना कर कैसे ले आई है तो उस ने कहा, ‘‘पूजापाठ तो बाद में भी हो जाएगा, पहले मुझे तुम्हारी सेहत की चिंता है.’’ अब अनिल ठीक होता जा रहा था. वह अभी हिलनेडुलने के योग्य तो नहीं हुआ था किंतु उसे 5 दिन के बाद अस्पताल से छुट्टी मिल गई और वर्षा अपने पति को घर ले आई. अनिल ने अपने मातापिता को इस दुर्घटना के बारे में कोई खबर न होने दी थी. उस का खयाल था कि इस से वे बेकार परेशान होंगे.

दूसरे दिन मंगलवार था. अनिल ने कहा, ‘‘वर्षा, तुम तो हनुमानजी का व्रत रखोगी ही, आज मैं भी व्रत रखूंगा. क्या पता बजरंगबली मुझे जल्दी अच्छा कर दें.’’

‘‘नहींनहीं, तुम कमजोर हो, तुम से व्रत नहीं रखा जाएगा.’’ ‘‘इतनी कमजोर होने पर तुम सारे व्रत रख लेती हो तो क्या मैं एक व्रत भी नहीं रख सकता? मैं आज अवश्य व्रत रखूंगा.’’

‘‘मेरी बात और है, तुम्हारे शरीर से इतना खून निकल चुका है कि उस की पूर्ति करने के लिए तुम्हें डट कर पौष्टिक भोजन करना चाहिए, न कि व्रत रखना चाहिए,’’ वर्षा ने तर्क दिया.

‘‘तुम मुझे धार्मिक कार्य करने से क्यों रोकती हो? क्या तुम नास्तिक हो? फिर बजरंगबली मुझे कमजोर क्यों होने देंगे? मैं खाना न खाऊं, तब भी वे अपने चमत्कार से मुझे हट्टाकट्टा बना देंगे,’’ अनिल ने मुसकरा कर कहा.

‘‘अब तो तुम मेरी बातें मुझे ही सुनाने लगे. मैं कह रही हूं कि अभी तुम्हारे शरीर में इतनी शक्ति नहीं है कि व्रत रख सको. जब हृष्टपुष्ट हो जाओगे तो रख लेना व्रत,’’ वर्षा ने तुनक कर कहा.

‘‘मैं कुछ नहीं जानता. मैं तो आज हनुमानजी का व्रत अवश्य रखूंगा.’’ वर्षा के अनुनयविनय के बाद भी अनिल ने कुछ नहीं खाया और व्रत रख लिया. यद्यपि वर्षा ने स्वयं व्रत रखा था, पति के व्रत रखने पर उसे गहरी चिंता हो रही थी. वह सोच रही थी कि अनिल के शरीर में खून की कमी है, खाली पेट रहने से और नुकसान होगा. यदि डाक्टर के दिए कैप्सूल और दवाएं खाली पेट दी जाएंगी तो लाभ की जगह हानि हो सकती है. वह करे तो क्या करे?

उस ने कहा, ‘‘अब तुम खाली पेट कैप्सूल कैसे खाओगे?’’

‘‘मैं दवा भी नहीं खाऊंगा. जैसा कड़ा व्रत तुम रखा करती हो, वैसा ही मैं भी रखूंगा. आखिर बजरंगबली इतना भी नहीं कर सकते हैं?’’ अनिल ने दृढ़ता से कहा.

‘‘देखो जी, तुम्हें कुछ हो गया तो?’’

वर्षा अपनी बात पूरी न कर पाई थी कि अनिल ने टोकते हुए कहा, ‘‘तो भी क्या होगा? यदि मैं व्रत रख कर मर गया तो मोक्ष प्राप्त होगा, जन्ममरण के बंधन से मुक्त हो जाऊंगा.’’

‘‘ऐसा न कहो जी, जब तुम ही न रहोगे तो मेरी सुध लेने वाला कौन है इस संसार में?’’

‘‘क्यों, तुम्हारे भोलेभंडारी तुम्हें खानेपीने को देंगे, साईं बाबा तुम्हें सहारा देंगे, महालक्ष्मी तुम्हारे ऊपर धन की वर्षा करेंगी. और निर्मल बाबा, आसाराम बापू, श्रीश्री रविशंकर, रामदेव, अम्मा हैं न तुम्हारी देखभाल के लिए. इस के अतिरिक्त और भी देवीदेवता हैं. क्या वे तुम्हारी सहायता नहीं करेंगे?’’ अनिल ने हंसते हुए कहा.

‘‘अजी, छोड़ो जी, वे क्या करेंगे? मेरे लिए तो सबकुछ तुम ही हो.’’

‘‘किंतु मैं तुम्हारे देवीदेवताओं से तो बड़ा नहीं हूं.’’

‘‘हो. मेरे लिए तुम से बढ़ कर कोई नहीं है.’’

‘‘तो आज तक तुम ने मेरी जो उपेक्षा की है, व्रत रखरख कर जो मुझे असंतुष्ट रखा है और…’’

वर्षा को यह एहसास हो गया था कि उस ने अपने पति की परवा न कर के भारी भूल की है और अब उस के तीर उसी पर छोड़े जा रहे हैं. उस ने जरा सी देर के लिए वहां से हट जाना उचित समझा. जिस व्यक्ति के शरीर में रक्त की मात्रा बहुत कम हो, उस का व्रत रखना उचित नहीं होता. दोपहर तक अनिल भूख महसूस करने लगा और उस की आंखें बंद होने लगीं. वर्षा घबरा गई और उस ने पति से व्रत तोड़ने को कहा, किंतु अनिल अपनी जिद पर अड़ा रहा. शाम तक उस की हालत चिंताजनक हो गई. वर्षा ने जबरदस्ती उस का व्रत तुड़वाना चाहा, किंतु उस ने कहा, ‘‘मैं मर जाऊंगा, लेकिन व्रत नहीं तोड़ूंगा. अब तो रात को ही व्रत पूरा कर के कुछ खाऊंगा.’’ जब वर्षा ने बहुत जिद की तो अनिल ने कहा, ‘‘यदि तुम अपना व्रत तोड़ने को तैयार हो तो मैं भी तोड़ लूंगा.’’ पहले तो वह राजी नहीं हुई, फिर अपने पति की हालत देखते हुए उस ने व्रत तोड़ लिया. इस के बाद उस ने अनिल के सामने कुछ फल रख दिए. अनिल ने कहा, ‘‘वर्षा, मेरी एक बात का जवाब दो. तुम ने अपना व्रत क्यों तोड़ा?’’

‘‘तुम्हारे लिए.’’

‘‘क्यों? मेरे लिए यह पाप क्यों किया तुम ने?’’

‘‘मुझे इस समय व्रत से अधिक तुम्हारी चिंता है.’’

‘‘इस का मतलब यह हुआ कि मैं हनुमानजी से श्रेष्ठ हूं?’’

‘‘इस समय तो ऐसा ही समझ लो. तुम्हारी सेहत है तो सबकुछ है.’’

‘‘अब तुम्हारी समझ में मेरी बात आई है. मैं कई महीनों से तुम्हें समझाता रहा, किंतु तुम हमेशा ही मेरी बात की अवहेलना करती रहीं. मेरी सुखसुविधा पर ध्यान न दे कर व्रत रखती रहीं. अब तुम्हें मेरी सेहत की चिंता क्यों सता रही है? यह ठीक है कि तुम ने व्रत तोड़ डाला है, किंतु मैं तोड़ने को तैयार नहीं हूं.’’ अनिल ने गंभीर हो कर कहा.

‘‘तब तो तुम्हारी हालत और ज्यादा खराब हो जाने का डर है,’’ वर्षा ने चिंतित हो कर कहा.

‘‘ऐसा होना तो नहीं चाहिए. आज तक तुम ने पुण्य कमाने के लिए सैकड़ों व्रत रखे हैं. क्या तुम्हारे देवीदेवता तुम्हारे सुहाग की रक्षा भी नहीं करेंगे?’’

एक घंटे बाद अनिल की हालत और खराब हो गई. उस ने आंखें फेर लीं और बहुत निढाल हो गया. अब वह ठीक से बोल भी नहीं पा रहा था. कई बार उसे बेहोशी के दौरे भी पड़ चुके थे. वर्षा रोने लगी. उस के हाथपांव फूल गए. वह अपने किए पर पछताने लगी कि उस ने व्रत रखरख कर अपने पति की उपेक्षा की है. उसे कोई सुख नहीं दिया. वह पश्चात्ताप की आग में जलने लगी कि उस के व्यर्थ के अंधविश्वास से उस का पति दुखी रहा. वे सच कहा करते थे कि औरत के लिए पति सबकुछ होता है. पत्नी को उसी की सेवा करनी चाहिए और उसे प्रसन्न रखने की चेष्टा करनी चाहिए. अनिल में अब बोलने की भी शक्ति नहीं रही थी. वह उसी प्रकार अर्धचेतनावस्था में लेटा रहा. वर्षा ने चुपकेचुपके उस के मुंह में मौसमी का रस डाला और अनिल ने थोड़ी देर बाद आंखें खोल दीं. वह वर्षा की आंखों में देखने लगा जिन में पश्चात्ताप के आंसू साफ दिखाई दे रहे थे. अनिल मुसकराने लगा.

अब टीवी पर धार्मिक सीरियल नहीं चलते, गानों के और न्यूज चैनल चलते हैं. उन्होंने फर्टिलिटी क्लिनिक में जाना शुरू कर दिया और 2 माह में ही वर्षा गर्भवती हो गई थी. उस की फैलोपियन ट्यूब में कोई सूजन थी. वहां देवीदेवता नहीं, वायरस बैठा था जो दवा से गायब हो गया.

हमसफर: भाग 3- पूजा का राहुल से शादी करने का फैसला क्या सही था

शादी के 5 माह बाद अचानक ही राहुल की सेहत तेजी से गिरनी शुरू हो गई. राहुल का वजन कम हो रहा था. उस के चेहरे की जर्दी बढ़ रही थी और यह देख कर घर के लोग परेशान थे.

‘‘राहुल की सेहत लगातार खराब हो रही है बहू, पता नहीं क्या बात है. वह काफी लापरवाह किस्म का इनसान है. तुम ही उसे किसी अच्छे डाक्टर को दिखलाओ,’’ आखिर एक दिन सास शकुंतला ने पूजा को कह ही दिया. उस के कहने के अंदाज से पता चलता था कि वह बेटे की गिरती सेहत को स्त्रीपुरुष के सेक्स संबंधों से जोड़ कर देख रही थीं.

पूजा को इस से हैरानी नहीं हुई थी. वह जानती थी कि राहुल की गिरती सेहत को देख कर लोग ऐसा ही सोच सकते थे. अब किसी को क्या मालूम अधिक सेक्स तो एक तरफ, उन में तो सेक्स संबंध बना भी नहीं था.

अपने सारे मनोभावों को छिपाते हुए पूजा ने सास से कहा, ‘‘आप ठीक कह रही हैं मांजी, मैं कल ही इन्हें किसी अच्छे डाक्टर को दिखलाने ले जाऊंगी.’’

अगले दिन राहुल को साथ ले कर किसी डाक्टर के पास जाने का दिखावा करती हुई पूजा घर से बाहर निकली. किंतु किसी डाक्टर के यहां जाने के बजाय उन्होंने 2-3 घंटे एक मौल में बिताए.

थकावट होने पर उन दोनों ने मौल के रेस्तरां में बैठ कर कोल्ड डिं्रक पी और साथ में हलका सा फास्ट फूड भी लिया.

रेस्तरां में बैठे थकीथकी आंखों से पूजा को देखते हुए राहुल ने कहा, ‘‘हम जो कर रहे हैं क्या वह अपनों के साथ धोखा नहीं?’’

‘‘नहीं, मैं नहीं मानती कि हम किसी को कोई धोखा दे रहे हैं,’’ पूजा ने जवाब दिया.

‘‘एड्स से रोजाना दुनिया में सैकड़ों लोग मरते हैं. अगर मैं भी मर जाऊंगा तो कौन सी अनोखी बात होगी? मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि तुम मेरी बीमारी को छिपा कर क्यों रखना चाहती हो? एकदम से मेरी मौत के सदमे को झेलने से बेहतर होगा कि हकीकत को जान कर मां, बाबूजी, रश्मि और दूसरे लोग मेरी मौत के सदमे को झेलने के लिए खुद को पहले से ही तैयार कर लें.’’ राहुल ने भारी आवाज में कहा.

‘‘मैं भी ऐसा ही चाहूंगी. मगर तुम को एड्स है, मैं ऐसा कभी जाहिर नहीं होने दूंगी. ऐसी दूसरी लाइलाज बीमारियां भी तो हैं जिन से इनसान की मौत यकीनी होती है, जैसे कैंसर. किंतु कैंसर की मौत एड्स से होने वाली मौत से कहीं अधिक सम्मानजनक है. कैंसर डरावना है और एड्स बदनाम. एड्स के बारे में लोगों में अनेक गलतफहमियां हैं. इसलिए कैंसर से तो केवल इनसान मरता है लेकिन एड्स से मरने वाले इनसान के परिवार की उस के साथ ही सामाजिक मौत हो जाती है.

एड्स से मरने वाले इनसान के परिवार को लोग शक और घृणा की नजरों से देखते हुए एक तरह से उस का सामाजिक बहिष्कार कर देते हैं. मैं नहीं चाहती कि तुम्हारे बाद तुम्हारे अपनों के साथ कुछ ऐसा हो. एक एड्स संक्रामक व्यक्ति की पत्नी होने के कारण समाज में मेरी क्या स्थिति होगी इस की शायद तुम ठीक से कल्पना भी नहीं कर सकते. हमारे विवाहित जीवन के अंदरूनी सच को दुनिया तो नहीं जानती. मैं एक शापित जीवन बिताऊं, ऐसा तो तुम भी नहीं चाहोगे,’’ राहुल का हाथ अपने हाथ में लेते हुए पूजा ने कहा.

राहुल की समझ में आने लगा था कि पूजा उस की बीमारी को किन कारणों से छिपा कर रखना चाहती थी. उस की सोच में केवल आज नहीं, आने वाला कल भी था.

जैसेजैसे वक्त करीब आ रहा था राहुल अंदर से टूट रहा था. अपने प्यार से पूजा टूट रहे राहुल को सहारा देने की कोशिश करती.

डाक्टर को दिखलाने की बात कह कर पूजा राहुल को साथ ले कर घर से बाहर जाती. किसी पार्क या रेस्तरां में 2-3 घंटे बिता कर दोनों वापस आ जाते. राहुल एड्स की दवाएं ले रहा था, मगर वे बेअसर हो रही थीं.

ऐसी स्थिति बन रही थी कि पूजा को लग रहा था कि उस को राहुल की बीमारी को ले कर एक और झूठ बोलना ही होगा.

एक रोज मांजी ने पूजा को हाथ से पकड़ अपने पास बिठा लिया और बोलीं, ‘‘राहुल की यह कैसी बीमारी है बहू जो ठीक होने का नाम ही नहीं ले रही? तुम जरूर मुझ से कुछ छिपा रही हो. मुझ को किसी धोखे में मत रखो. मैं राहुल की बीमारी का सच जानना चाहती हूं.’’

‘‘मैं आप से कुछ भी छिपाना नहीं चाहती, मांजी, लेकिन सच बड़ा ही निर्मम और कठोर है. आप सुन नहीं सकेंगी. आप के बेटे को कैंसर है,’’ हिम्मत कर के पूजा को जो कहना था उस ने कह दिया.

उस के शब्द जैसे बम बन कर मांजी के सिर पर फूटे. सदमे में अपना माथा पकड़ते हुए वह सोफे पर लुढ़क सी गईं.

उधर सच को छिपाने के लिए पूजा ने जो झूठ बोला उस का चेहरा छिपाए गए सच से कम डरावना नहीं था.

पूजा के द्वारा राहुल की बीमारी को कैंसर बतलाने के बाद घर का सारा माहौल ही गमगीन और मातमी हो गया था.

मांजी, बाबूजी और रश्मि की आंखों में से बहने वाले आंसू जैसे थम नहीं रहे थे. कोई ठीक से खा नहीं रहा था. कैंसर का भी दूसरा नाम मौत ही तो था. जब मौत का पहरा बैठ गया हो तो किसी को चैन कैसे आ सकता था?

अंत शायद बहुत करीब था. राहुल का शरीर इतना कमजोर हो गया था कि कई बार बाथरूम तक जाने के लिए उसे पूजा के सहारे की जरूरत पड़ती.

पूजा किसी तरह भी कमजोर नहीं पड़ना चाहती थी. हालांकि राहुल की बातें कभीकभी उस को कमजोर करने की कोशिश जरूर करती थीं.

मांजी और बाबूजी बेटे की हालत देख उस को किसी अस्पताल में दाखिल कराने की बातें करते.

लेकिन पूजा इस से मना कर देती.

‘‘इस से कोई फायदा नहीं होगा क्योंकि कैंसर अपने अंतिम स्टेज में है. अस्पताल में रेडियो थेरैपी से इन की जिंदगी और ज्यादा कष्टपूर्ण हो जाएगी. मैं ऐसा नहीं चाहती,’’ पूजा उन से कहती.

राहुल की अंदर को धंसती निस्तेज आंखें और पीला चेहरा खामोश जबान में बतलाने लगे थे कि उस के जीवन की टिमटिमाती लौ किसी भी घड़ी बुझ सकती थी.

एक रात अचानक राहुल ने पूजा के हाथों को अपने हाथों में लेते हुए वे शब्द कहे तो पूजा को लगा वह घड़ी कुछ फासले पर ही है.

‘‘शायद मेरा वक्त आ गया है मेरे हमसफर. मेरी जिंदगी के उदास सफर में हमसफर बनने के लिए शुक्रिया. दुनिया और समाज कुछ भी समझे, मगर हम दोनों जानते हैं कि हमारे बीच में पतिपत्नी नहीं, दो इनसानों का रिश्ता है. इसलिए मेरे मरने के बाद कभी अपनेआप को विधवा मत मानना. अपने लिए जो भी विकल्प ठीक लगे उसी को चुनना.’’

राहुल के उक्त शब्द पूजा के मर्म को चीर गए.

बड़ी मुश्किल से उस ने खुद को संभाला था.

राहुल ने पूजा से कमरे की खिड़की खोलने का अनुरोध किया और यह भी कहा कि वह उस के पास बैठी रहे.

खिड़की के बाहर चांद चमक रहा था. रात ढल रही थी.

राहुल की बेचैनी भी लगातार बढ़ रही थी.

पूजा हौसला देने वाले अंदाज से बीचबीच में उस के ललाट पर अपना हाथ फेर देती थी. डाक्टर के बताए अनुसार उस ने राहुल को दवा दी तो उस ने आंखें बंद कर लीं.

बैठेबैठे ही न जाने कब पूजा को कुछ मिनटों के लिए नींद की झपकी आ गई.

झपकी जब टूटी तो सब खत्म हो चुका था. राहुल की खुली आंखें पथरा चुकी थीं.

इंतजार शौहर का: भाग 3- अरशद दुबई क्यों गया था

बस वही नसीहत हमें आज भी याद है इसलिए हम गाड़ी को आगे बढ़ाना भी सीख गए और घुमानामोड़ना भी आ गया हमें. बस अब गाड़ी को रिवर्स करने में परेशानी हो रही थी और घबराहट भी अधिक होती थी. लगता था पीछे का सारा आलम ही गोलगोल घूम रहा है क्योंकि हमें झले पर बैठते ही सिर घूमने और उलटी आने जैसी समस्या बचपन से ही है इसलिए जब साथ की लड़कियां मेले में आए हुए झले में बैठ कर आसमान में गुम हो जाने को होतीं तब हम डरपोक से बने उन्हें नीचे खड़े हो कर देखते और अपने को कोसते रहते. उम्र बीतने से समस्याएं हल नहीं होती.

हमारी भी यह समस्या जस की तस बनी रही और हम तो इस सिर घूमने वाली बीमारी को भूल ही गए थे पर जब गाड़ी को रिवर्स गियर में डाला और व्यू मिरर में देखा तब समझ में आ गया कि वह बचपन के सिर घूमने वाली समस्या बदस्तूर अब भी हमारे साथ बनी हुई है.

हमें परेशान देख कर अरशद ने हमें हौसला दिया और कहा कि ये सारी मामूलीमहीन चीजें धीरेधीरे जेहन में उतरती हैं. जैसेजैसे आप का हाथ साफ होगा वैसेवैसे आप ठीक ढंग से गाड़ी को रिवर्स करने लगोगी और फिर रिवर्स में आप गाड़ी को कभीकभार ही करते हो. यह कह कर उस ने हमें एक अच्छे ड्राइवर होने का तमगा और भरोसा दे दिया था जिस के कारण हमारा तो मन ही भर आया था. तुरंत पर्स से क्व2,000 का नोट निकाला और अरशद की जेब में डाल दिया.

‘‘ये पैसे कुछ सोच कर नहीं दे रही, बस समझ लो पिज्जा पार्टी के लिए हैं.’’
अरशद सिर्फ मुसकरा दिया था.

आज लखनऊ में सुबह से ही बारिश की फुहारें पड़ रही थीं. तपती गरमी के बाद
इस बारिश से मन को बड़ा सुकून मिल रहा था. याद आया कि कौन बनेगा करोड़पति. नाम के टीवी शो में एक बार एक प्रतियोगी ने अमिताभ बच्चन को बताया था कि उसे तेज बारिश में तेज ड्राइविंग करना बहुत पसंद है. बदले में बिग बी ने उसे ऐसा नहीं करने की सलाह दी थी क्योंकि ये दोनों ही चीजें खतरनाक होती हैं. पर बारिश में गाड़ी चलाने में मजा आएगा और फिर गाड़ी को अलग से धोने की जहमत उठानी पड़ेगी, हमारे जेहन में ये सारी बातें गूंज गईं फिर क्या था.

हम ने गैराज में खड़ी गाड़ी पर नजर डाली और 7 साल की गुलशन का हाथ पकड़ कर छतरी लगा कर गाड़ी में आ कर बैठ गए और घर वालों को बताया कि गुलशन के पेट में दर्द हो रहा है सो पास वाले डाक्टर साहब के यहां उसे दिखा कर वापस आते हैं.

डाक्टर साहब ज्यादा दूरी पर नहीं थे और वैसे भी घर वालों को अब तक हमारी ड्राइविंग पर थोड़ाबहुत भरोसा आ चुका था इसलिए उन्होंने कुछ न कहा. हम और गुलशन गाड़ी में बैठ कर सड़क पर आ चुके थे और गाड़ी की विंडस्क्रीन पर चलते हुए वाइपर बड़ा खुशनुमा सा एहसास करा रहे थे हमें. गुलशन भी मुसकरा जाती थी.

हम गाड़ी धीरेधीरे चला रहे थे और वजीराबाद चौराहे पर आ कर हम ने गाड़ी सीधा अमीनाबाद मार्केट की ओर मोड़ दी. अमूमन मेरे जैसा नौसिखिया ड्राइवर अमीनाबाद मार्केट की तरफ गाड़ी ले जाता क्योंकि मार्केट में भीड़भाड़ होती है पर तो क्या. अभी तो बारिश हो रही है, लोग भी सड़कों पर कम दिख रहे हैं बस थोड़ा आगे जा कर गाड़ी को घुमा लेंगे, ऐसा सोच कर हम आगे बढ़े जा रहे थे. बारिश पिछले कुछ समय से काफी तेज होने लगी थी और अब सड़कों पर थोड़ाबहुत जलभराव भी दिखने लगा था.

दुकानदार अपनी दुकानें तो ऊंची करते रहे पर सड़कें नीची की नीची ही रह गईं और फिर लगता है कि बारिश के पानी का निकास भी ठीक से नहीं हो पा रहा है. तभी तो पानी भरता सा दिख रहा है. मेरी नजरों के सामने सड़क पर नाली की ओर से पानी आता हुआ दिख रहा था. मैं ने गुलशन को देखा, अब उसे गाड़ी के अंदर मजा नहीं आ रहा था बल्कि उस के चेहरे पर अब एक अजीब सा डर नुमाया हो रहा था. वैसे डरने की बात तो थी ही क्योंकि बारिश तेज हो रही थी.

सड़क पर आधा फुट तक पानी चलने लगा था. मुझे लगा कि अब गाड़ी को मोड़ लेना चाहिए, आगे वाले गोल चौराहे से घुमा लूंगी, ऐसा सोच कर मैं गाड़ी को चौराहे तक ले गई और यू टर्न ले लिया. मैं ने देखा कि पानी चौराहे पर लगी हुई मूर्ति के दूसरे पायदान तक पहुंच चुका है. हम ने उस मूर्ति के पायदान से गाड़ी थोड़ा सा आगे बढ़ाई पर इतने में हम ने देखा कि सामने वाली सड़क तेज बारिश के कारण दरक सी गई थी और एक बड़ा सा गड्ढा बन गया था.
मतलब साफ था कि अब आगे जा पाना खतरे से खाली नहीं था. कुछेक नई उम्र के लड़के छतरी लगा कर मोबाइल से उस टूटी सड़क का वीडियो बनाने में लगे थे जबकि कुछ लोग हमें हाथ से इशारा कर रहे थे कि आगे जाना खतरे से खाली नहीं है इसलिए आप बैक कर के वापस चली जाइए.
हमें सम?ा में आ गया था कि गाड़ी को किसी तरह गोल घुमा कर वापस जाना संभव नहीं है इसलिए रिवर्स गियर लगा कर गाड़ी को बैक करना होगा. हम ने क्लच दबा कर रिवर्स गियर लगाया और गाड़ी पीछे की ओर रेंगने लगी और गाड़ी किस जानिब मुखातिब हो रही है यह देखने के लिए व्यू मिरर में देखा, पर जैसे ही हम ने व्यू मिरर में गाड़ी के पिछले हिस्से को देखा तो बस वहीं हमारा सिर अचानक से घूमने लगा और चक्कर सा आ गया. लिहाजा, हमारे हाथ से स्टीयरिंग का कंट्रोल लड़खड़ा सा गया. हमें गुलशन की परवाह थी सो हम ने अपनेआप को बहुत संभाला और होशोहवास में रहने की पूरी कोशिश करी और हम इस में कामयाब भी हो गए पर इतने में भाड़ की आवाज के साथ गाड़ी रुक गई. और हम ने देखा कि गाड़ी का पिछला हिस्सा उस मूर्ति के पायदान से टकरा गया था. बदहवासी में हम गुलशन को देखते हुए नुकसान का जायजा लेने बाहर उतरे तो देखा कि गाड़ी की डिक्की पिचक चुकी थी. डर के मारे सिर घूमना बंद हो गया था और हमारी आंखों के सामने अब घर वालों और रहीम मियां का चेहरा घूम रहा था. लग रहा था कि वे सब हमें गुस्से से घूर रहे हैं. हमारा पूरा शरीर कांप रहा था, गुलशन रोए जा रही थी.
शुक्र था कि हम दोनों में से कोई भी चोटिल नहीं हुआ था. अपनी गाड़ी का ऐसा हाल देख कर वही वीडियो बनाने वाले लड़के मदद को आए और हमें हौसला दिया. एक लड़के ने तो तुरंत कंपनी की हैल्पलाइन को फोन कर दिया और उसी से हमें पता चला कि वे लोग मदद के लिए कुछ ही देर में आ कर गाड़ी को सर्विस स्टेशन मरम्मत के लिए ले जाएंगे.
गाड़ी तो मरम्मत के लिए चली गई लेकिन घर आ कर हमारी जो मरम्मत हमारे ससुर ने करी उसे तो हम ताउम्र नहीं भूल पाएंगे.
‘‘क्या जरूरत थी वहां भीड़ वाली मार्केट में जाने की और वह भी कार से और अगर गुलशन को कुछ हो जाता तो?’’
शाम को अरशद का फोन आया. कम से कम उस से तो ऐसी उम्मीद नहीं थी.
‘‘आप भी कमाल करती हैं, अभी तो आप को रिवर्स करना ठीक से नहीं आया और आप बारिश में गाड़ी चलाने चल दीं. अरे अगर गुलशन को कुछ हो जाता तो?’’
अब्बू ने रहीम मियां को भी फोन कर के मीडिया चैनल की तरह सब बता दिया होगा. तभी तो उन का फोन भी इतनी रात को आया.
‘‘गाड़ी चलाना तो ठीक था, टूटफूट होती है और होती रहेगी पर सोचो अगर कहीं तुम्हें कुछ हो जाता तो?’’ रहीम बेहद शांत आवाज में बोल रहे थे और उन के अंदाज में एक शौहर की चिंता साफ ?ालक रही थी.

कोई तो है जिसे गाड़ी की टूट और गुलशन के अलावा मेरी चिंता भी है, उन की
बात सुन कर मेरी रुलाई निकल गई. रहीम ने औडियो कौल को वीडियो कौल में बदला और मु?ा से मुखातिब हो कर बड़ी देर तक सम?ाते रहे और अंत में मैं ने रोतेरोते उन से बस एक गुजारिश करी, ‘‘मु?ो कुछ नहीं चाहिए, गाड़ीबंगला इन सब के बगैर काम चला लूंगी मगर एक औरत अपने शौहर के बिना अधूरी रहती है. रात ढलने पर जब तक वह अपने शौहर के सीने पर सिर रख कर 2-4 बातें न कर ले तब तक उसे चैन नहीं आता, इसलिए आप वहां पैसों का लालच छोड़ कर अपने वतन वापस आ जाइए,’’ और मैं सिसकियों में टूट गई थी.

मेरी बात पर रहीम मियां ने जल्दी वापस आने का भरोसा दिया मु?ो.
अब करीब 1 महीना बीत चुका है, गाड़ी बन कर वापस आ गई है और अब तो पहले से ज्यादा चमक रही है वह लेकिन हम ने गाड़ी को चलाया नहीं.
अरशद ने उसे गैराज में पार्क कर के उसे कवर से ढक दिया है और आज सुबह ही रहीम मियां की कौल आई है कि वे दुबई से अपने
वतन आने के लिए चल दिए हैं फिर कभी
वापस न जाने के लिए, अब तो हमारी गाड़ी के साथसाथ हम सब को भी उन के आने का बेसब्री से इंतजार है.

Republic Day 2024: सारा खान से लेकर मोनिका सिंह तक, इस बार ऐसे मनाएंगे गणतंत्र दिवस

इस वर्ष 2024 में भारत का 75वां गणतंत्र दिवस मनाया जा रहा है, जो अपने आप में एक बड़ी बात है. इसी दिन वर्ष 1950 को भारत सरकार अधिनियम (1935) को हटाकर भारत का संविधान लागू किया गया था. इस दिन को राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाया जाता है. हर साल की तरह इस साल भी हिंदी मनोरंजन की दुनिया के सेलेब्स इस दिन को अच्छी तरह से मना रहे हैं, क्या कहते हैं, जानें

किरण खोजे

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फिल्म हिंदी मीडियम फेम अभिनेत्री किरण खोजे कहती हैं कि मैं भारत की नागरिक होने पर गर्व महसूस करती हूं. यह एक ऐसा देश है, जहां हर प्रकार की संस्कृति है, जिसमे कई प्रकार के उत्सव, डांस, संगीत का आनंद लिया जा सकता है. इस देश की भौगोलिक स्थिति ऐसी है, जहाँ हर तरह की प्राकृतिक सुन्दरता देखने को मिलती है. ये देश बहुत अनोखा है, यहां हर प्रकार के फ़ूड खाने को मिलते है, जो और कहीं मिल नहीं सकता. हर 10 से 15 किलोमीट पर फ़ूड और पहनावे में यहाँ एक नया एक्सपीरियंस होता है. यहां की इतनी सारी अलग भाषाएँ सुनना मुझे बहुत पसंद होता है, लेकिन एक चीज जो मुझे यहां की पसंद नहीं होती, वह है भ्रष्टाचार, जो एक यूनिवर्सल इशू है, इसे अगर ठीक किया जा सकता है, तो इस देश से अच्छी और सुकून भरी जिंदगी कही नहीं मिल सकती.

सचिन पारिख

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अभिनेता सचिन पारिख कहते है कि इस दिन केवल मैं ही नहीं मेरा पूरा परिवार कही बाहर घूमने जाना पसंद करते है. मुझे ख़ुशी इस बात से होती है कि इस देश की प्राकृतिक सुन्दरता बहुत अधिक है, क्योंकि यहाँ हर प्रकार के लैंडस्केप मिलते है. पहाड़ और वर्फ से लेकर मरुस्थल हर स्थान पर एक अलग दृश्य देखने को मिलता है. इस बार गणतंत्र दिवस डायमंड जुबली मनाने जा रहे है और मुझे इस बात का गर्व है कि मैं देश का नागरिक हूँ. हालांकि देश ने काफी प्रगति की है, लेकिन आगे और अधिक होने की उम्मीद कर रहा हूँ.

मोनिका सिंह

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एक्ट्रेस मोनिका सिंह कहती है कि मुझे देश की इतने सारे पर्व, फ़ूड और पहनावे की वैरायटी बहुत पसंद है. यहाँ हर जगह के खाने में एक अलग तरह का प्यार झलकता है, जो वहां के लोगों के रहन – सहन को बताती है, लेकिन यहां कचरे का अच्छी तरह से मैनेजमेंट अभी भी नहीं हो पाया है, जिसे करने पर देश अधिक अच्छा बन सकेगा.

गुरप्रीत सिंह

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टीवी शो चांद जलने लगा में अभिनय कर रहे अभिनेता गुरप्रीत सिंह कहते है कि इतनी सारी संस्कृति के साथ इस देश में रहते हुए मैं बहुत प्राउड फील करता हूँ. खुद के भावनाओं की अभिव्यक्त करने की आजादी के इस पर्व को मैं सेलिब्रेट करना हर साल पसंद करता हूँ, लेकिन अभी भी हमारे देश में कुछ खामियां है, जिसे ठीक करना बहुत जरुरी है, जिसमे यूथ के लिए अधिक जॉब क्रिएट करना, सभी रास्तों को दुरुस्त बनाना आदि कई चीजे है, जिसे ठीक करने पर देश की जनता अच्छी रह सकती है. इसके अलावा भ्रष्टाचार को ख़त्म करना और लीगल सिस्टम में तेजी लाने से ही सकारात्मक बदलाव देश में अधिक दिख सकेगा.

यशाश्री मासुरकर

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खूबसूरत अदाकारा यशाश्री मासुरकर कहती है कि देश का इतिहास और संस्कृति मुझे एक प्राउड इंडियन फील कराती है. हमारे देश के लोग किसी का आदर सत्कार करना बहुत अच्छी तरह से जानते है, लेकिन एक बात जो मुझे यहाँ की पसंद नहीं वह है, अनुसाशन. हालाँकि अभी हमारे देश में उचित संसाधनों की कमी है, लेकिन अगर लोग डिसिप्लिन में रहे, तो हमारी लाइफ अधिक बेहतर हो सकती है.

सारा खान

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अभिनेत्री सारा कहती है कि मैं ऐसे देश में रहती हूँ जहाँ की संस्कृति और परंपरा बहुत अच्छी है. यहाँ की सुरक्षा और बचाव की प्रक्रियां पहले से काफी सुधर चुकी है. इसके आगे मेरा कहना है कि देश के हर नागरिक के माइंड सेट को बदलने की आवश्यकता है, जिसमे देश की उन्नति, सबके प्रति सम्मान और समान भाव बनाये रखने की भावना होनी चाहिए.

इंतजार शौहर का: भाग 2- अरशद दुबई क्यों गया था

हमें बात जम गई अरशद को पैसे ट्रांसफर कर दिए और खुद हमें भी आरटीओ औफिस के चक्कर लगाने पड़े. फिर भी पूरे 2 महीने लगे थे डीएल के आने में पर मजाल है कि हम इन 2 महीनों में घर पर निठल्ले बैठे रहे हों पर इन दिनों में तो अरशद हमें एक बहुत शानदार कार ड्राइविंग स्कूल ले गया जहां पर एक हौलनुमा कमरे में ही ‘कार सिम्युलेटर’ की ट्रेनिंग दी जाती थी. दरअसल, यह एक वीडियो गेम की तरह था जिस पर सीखने वाला व्यक्ति अपने हाथ में स्टेयरिंग पकड़ कर अपने सामने लगी स्क्रीन पर देखते हुए एकदम रोड पर गाड़ी चलाने जैसे माहौल में गाड़ी सीखता है. इतना ही नहीं बल्कि गाड़ी के टकरा जाने पर आप से पैसा भी लिया जाता है, न जाने कितनी बार तो हमें फाइन भरना पड़ा.

अब हमारा ड्राइविंग लाइसैंस भी बन कर आ गया था भले ही उस पर अभी लर्नर होने की कुछ पाबंदियां थीं पर हमें तो पाबंदियां तोड़ने में ही मजा आता है इसलिए हम अरशद के साथ जा कर वैदिकी इंटर कालेज वाली फील्ड में पहले ही गाड़ी चलाना सीख रहे थे ताकि लाइसैंस आने पर हम तुरंत ही सड़क पर जा कर बिंदास गाड़ी चला सकें.

भाई चाबी लगा कर कैसे क्लच को दबा कर पहला गियर डाल कर गाड़ी आगे बढ़ानी और उस के बाद धीरे से दूसरे गियर में कैसे आना है यह तो बखूबी समझ लिया था हम ने और अब जा कर ही पहली बार समझ आया था कि कार सिर्फ गोलगोल स्टीयरिंग व्हील से नहीं चलाई जाती बल्कि गाड़ी चलाने में बाकायदा ए, बी और सी अर्थात ऐक्सीलेटर, ब्रेक और क्लच का यूज किया जाता है. मुझे याद आता कि गाड़ी न जाने कितनी बार झटके ले कर बंद हुई थी.
कई बार तो अरशद को भी कोफ्त हुई लेकिन हम ने भी सुन रखा था कि गिरते हैं शहसवार ही मैदान जंग में… सो हम लगे रहे और एक बार गाड़ी आगे बढ़ी तो बस हमारी समझ में आ गया कि गाड़ी को दूसरे से तीसरे गियर में कैसे लाना है.

घर आतेआते हमारी आंखें लगातार विंडस्क्रीन के बाहर देखते रहने के कारण थक कर
सूज जातीं और हाथपैरों में एक अलग तरह की कंपकंपी होती रहती. घर के लोग तो हमारा जोश हाई रखते थे पर हमारे महल्ले वालों के लिए एक औरत जात को गाडी चलाते देखना गंवारा नहीं हो रहा था. तभी तो हमें अरशद के साथ जाते देख कर मुंह दबा कर हंसते और उलटेसीधे फिकरे कसते.

‘‘अब शौहर अपना वतन छोड़ कर कमाने गया है तो उस के पीछे बेगमें कैसी मौज ले रही हैं. अब तो गाड़ी से ही आयाजाया जा रहा है. भई वाह.’’

और फिर आखिरकर वह नुक्कड़ वाली बड़ी बी कल शाम को आ ही गई और हम लोगों की तबीयत के बारे में पूछताछ करने लगी. शायद वह जानना चाहती थी कि हम लोग रोज शाम को गाड़ी ले कर कहां जाते हैं. हम ने भी बड़ी बी को टालने के अंदाज में बता दिया कि दरअसल हमारे बदन पर बैठेबैठे थोड़ी चरबी अधिक चढ़ गई थी इसलिए मार्केट में एक जिम जौइन कर रखा है बस वहीं चले जाते हैं. अब जिम खासा दूर है, तो रिकशा कौन ढूंढे़ इसलिए अरशद और गाड़ी को साथ ले लेते हैं.

बड़ी बी को हमारी बातों से इत्मीनान तो नहीं हुआ पर वह कुछ कह न सकी. थोड़ी देर इधरउधर की बातें करती रही और उस के बाद टाइम नहीं है, जल्दी जाना है का बहाना कर के चली गई. यह एक दीगर बात थी कि वह पूरे 2 घंटे बैठ कर और चायपकौड़े उड़ा कर गई थी.

हम यह तो जानते थे कि गाड़ी चलाना सीखने में दिक्कतें तो आएंगी पर हमारी ड्राइविंग लोगबाग की आंखों में छिदने लगेगी, यह तो न सोचा था. खैर, जाने दीजिए, कुछ तो लोग कहेंगे और एक बात मैं ने अपनेआप से भी कही थी कि गाड़ी चलाना सीखते वक्त गाड़ी की रफ्तार बढ़ाने की जरूरत बिलकुल नहीं है. पता चला कि 2-4 बातें जानते ही गाड़ी की स्पीड बढ़ा दी और लगे आसमान से बातें करने. ज्यादातर नया ड्राइवर और नई उम्र के लड़के जो अपनेआप को माइकल शुमाकर की अगली कौम सम?ाते हैं वे गलती कर बैठते हैं.

अरे मेरे भाई, थोड़ा रहम रखो इस ऐक्सीलेटर पैडल पर और फिर गाड़ी हलकी रफ्तार
में रहेगी तो अचानक किसी जानवर या आदमजात के सामने नुमायां हो जाने से संभाली भी जा सकती है पर अगर रफ्तार अधिक होगी तब तो जानवर के साथ ड्राइवर को भी उठाने के बजाय बटोरने की नौबत आ सकती है.

अब यह सारी मालूमात हमें वैसे तो यू ट्यूब के वीडियोज देख कर पता चली थी और वैसे तो इन सब बातों का इल्म हमें तभी हो गया था जब हम छठी क्लास में साइकिल सीख रहे थे. भाई जान ने हमें गद्दी पर बैठाया और खुद कैरियर पर बैठ गए और हमें आगे देखते रहने की नसीहत देते रहे. 2-4 बार हैंडल संभला, 3-4 बार भाई जान की डांट खाई और 5-6 बार जमीन से गले भी मिले पर फिरफिर खड़े हुए वह भी पूरी शान से और फिर भाई जान ने हमें रफ्तार न बढ़ा कर धीरेधीरे ही साइकिल चलाने की सलाह दी और तब जा कर हम कामयाब हुए थे.

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