मेरे पति पुरुष नसबंदी कराना चाहते हैं, क्या ऐसा करना सही होगा?

सवाल

मैं 29 वर्षीय और 2 बच्चों की मां हूं. हम आगे बच्चा नहीं चाहते और इस के लिए मेरे पति स्वयं पुरुष नसबंदी कराना चाहते हैं. कृपया बताएं कि इस से वैवाहिक जीवन पर कोई असर तो नहीं होगा?

जवाब

आज जबकि सरकारें पुरुष नसबंदी को प्रोत्साहन दे रही हैं, आप के पति का इस के लिए स्वयं पहल करना काफी सुखद है. आमतौर पर पुरुष नसबंदी को ले कर समाज में अफवाहें ज्यादा हैं. आप को यह जान कर आश्चर्य होगा कि भारत में पुरुष नसबंदी कराने वालों का प्रतिशत काफी निराशाजनक है.

दरअसल, पुरुष नसबंदी अथवा वासेक्टोमी पुरुषों के लिए सर्जरी द्वारा परिवार नियोजन की एक प्रक्रिया है. इस क्रिया से पुरुषों की शुक्रवाहक नलिका अवरुद्ध यानी बंद कर दी जाती है ताकि शुक्राणु वीर्य (स्पर्म) के साथ पुरुष अंग तक नहीं पहुंच सकें.

यह बेहद ही आसान व कम खर्च में संपन्न होने वाली सर्जरी है, जिस में सर्जरी के 2-3 दिनों बाद ही पुरुष सामान्य कामकाज कर सकता है. सरकारी अस्पतालों में तो यह सर्जरी मुफ्त की जाती है. अपने मन से किसी भी तरह का भय निकाल दें और पति के इस निर्णय का स्वागत करें.

आखिर क्यों: निशा का दिल टूटा, स्मृति बनी राज की जीवनसंगिनी

निशा को उस के पति नील ने औफिस में फोन किया और कहा उस के बचपन की मित्र स्मृति अपने पति के साथ दिल्ली में आई है. बेचारी का कैंसर लास्ट स्टेज पर है. प्लीज तुम उस से मिलने चलो मेरे साथ क्योंकि वह मेरी बचपन की मित्र है और हमारे ही शहर में बड़ी मुसीबत में है. बहुत सालों तक हम मिले ही नहीं. पापा का फोन आया था कि वह अपने पति के साथ इसी शहर में डाक्टर को दिखाने आ रही है. निशा को भी ठीक लगा कि उस का जाना जरूरी है. दोनों अस्पताल पहुंचे. वहा पहुंच कर निशा ने देखा राज को स्मृति के पति के रूप में.

उस के पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई. वह थोड़ी देर तक रुकी फिर स्मृति से कहा, ‘‘आप बिलकुल ठीक हो जाएंगी हौसल रखें और मैं शाम को फिर आप से मिलने आऊंगी. अभी मु झे निकलना होगा.’’ फिर उस ने अपने पति नील से कहा, ‘‘आप यहीं रुको. मैं गाड़ी से चली जाती हूं. शाम को हम दोनों साथ घर चलेंगे.’’ बाहर निकल कर निशा ने देखा कि आकाश में काले बादल छाए हुए हैं. निशा अपने औफिस लौट रही थी. सड़क खाली थी शायद बारिश की आशंका की वजह से लोग अभी बाहर नहीं निकल रहे थे. कार और मन दोनों तेज गति से दौड़ रहे थे… निशा का मन अपने बचपन में पहुंच गया था. वह स्कूल की होनहार विद्यार्थी थी. सभी टीचर्स उसे बहुत पसंद करती थीं.

सहपाठी भी उसे तवज्जो देते थे और निशा का जीवन अच्छा चल रहा था. वह अपने भविष्य की बहुत शानदार बुनियाद रख रही थी. वह जितनी तेज और कुशाग्रबुद्धि की थी उस की प्रिय सखी रोशनी उतनी ही सीधीसादी थी. शायद विपरीत गुणों में भी प्रगाढ़ मित्रता हो सकती है, उन दोनों को देख कर यह आसानी से सम झा जा सकता था. 12वीं कक्षा पास कर निशा आगे की पढ़ाई के लिए दिल्ली आ गई थी किंतु रोशनी का विवाह हो गया था जिस में निशा शामिल नहीं हो सकी थी. बाद में निशा रोशनी से मिलने पहुंची और वहां उस की मुलाकात रोशनी के पति के मित्र राज से हुई और दोनों एकदूसरे से प्रभावित हो गए.

राज सिविल सर्विस की तैयारी कर रहा था और निशा पढ़ाई के साथसाथ पार्टटाइम जौब भी कर रही थी. अत: रोशनी के साथसाथ निशा राज को भी कभीकभी गिफ्ट भेजती थी. उस को भी एसटीडी कौल लगा देती थी. निशा राज की हर छोटीबड़ी खुशी और दुख की सहभागी बनती थी. निशा राज के जीवन के महत्त्वपूर्ण दिनों को अपनी खुशी सम झ कर सैलिब्रेट करती थी. उस ने ऐसा कभी नहीं सोचा कि राज उस के लिए कभी कुछ नहीं करता क्योंकि शायद निशा प्रेम कर रही थी और प्रेम कभी प्रतिदान नही मांगता. समय बीत रहा था. निशा के पिता निशा का विवाह करना चाहते थे. एक अच्छा लड़का मिलते ही पिता ने निशा का रिश्ता तय कर दिया और ठीक इसी समय राज का भी चयन प्रशासनिक सेवा में हो गया. जब निशा ने राज को बताया कि उस की सगाई हो गई तो राज ने भरी आंखों से उसे बधाई दी और उस से मिलने दिल्ली आया. राज ने निशा से कहा कि वह उस के पिता से मिलना चाहता है.

बहुत अनुनयविनय कर निशा के पिता को राजी किया. निशा के पिता ने दोनों के प्रेम को देखते हुए ही शादी के लिए हां कर दी और निशा की सगाई तोड़ दी. कोई दिक्कत भी नहीं थी दोनों की धर्मजाति भी एक थी. किंतु कुछ महीनों के बाद राज जब ट्रेनिंग पर गया तो वहां उस की मुलाकात स्मृति से हुई. उस का भी चयन राज के साथ ही हुआ था. दोनों ने जीवनसाथी बन कर साथ रहने का फैसला किया. निशा राज के इस आकस्मिक बदलाव से बहुत आहत हुई. लेकिन उस की राज से अपने प्यार के लिए भीख मांगने की मंशा नहीं थी. किंतु वह सोचती थी आखिर राज ने ऐसा क्यों किया? क्या राज ने सफलता की चकाचौंध और शोर में अपने दिल की आवाज को दबा दिया? राज ने ट्रेनिंग से आने के बाद स्मृति से विवाह कर लिया. मगर निशा राज की स्मृति को मन से निकाल नहीं पा रही थी. खैर, वक्त कभी रुकता नहीं है. धीरेधीरे निशा भी जीवन में आगे बढ़ गई और उस का विवाह भी नील से हो गया.

नील एक आईटी कंपनी में सौफ्टवेयर इंजीनियर था. आज अचानक राज के बारे में सुना कि उस की पत्नी कैंसर से जू झ रही है और 2 साल से बिस्तर पर है. वह सम झ नहीं पा रही थी कि राज की गलती की सजा स्मृति को मिल रही है या राज को उस के किए की सजा मिल रही है. निशा दिनभर औफिस में भी राज के ही बारे में सोच रही थी और उन्हीं विचारों में डूबी हुई शाम को वह वापस अस्पताल पहुंची नील को लेने. उस के विचारों को विराम लग तब जब निशा के पति नील ने राज से उसे मिलवाया और कहा, ‘‘आप हैं राज मेरी बचपन की मित्र स्मृति के पति.’’ उस ने राज की आंखों में कुछ देखा.

वह क्या था पता नहीं. शायद पछतावा या शर्मिंदगी या कायरता. किंतु निशा की आंखों में राज के लिए एक ही सवाल बरसों से था, ‘‘आखिर क्यों…’’ स्मृति की तबीयत में कोई सुधार नहीं हुआ. वह अब शायद जीवन की आशा छोड़ चुकी थी. किंतु जब तक सांस है तब तक तो जीवन जीना ही होता है. वह सोच रही थी कि उस के पीछे राज कहीं अकेला न रह जाए. बस यही बात उसे दिनरात खा रही थी. नील भी स्मृति की देखभाल में लगा हुआ था. इसलिए निशा का भी आनाजाना होता रहता था. एक दिन निशा स्मृति के पास बैठी थी और थकावट के कारण उसे झपकी आ गई. तभी राज वहां आ गया. उस ने निशा से कहा, ‘‘आप बहुत थकी हुई लग रही हैं. ऐसे में ड्राइव कर के मत जाओ. इंतजार करो मैं नील को भी औफिस से यहीं बुला लेता हूं. आप दोनों साथ ही घर चले जाना.’’ निशा इतने सालों बाद अचानक नील को इस अधिकार वाले स्वर में अपने लिए कुछ कहते सुना तो असमंजस में पड़ गई कि राज की बात मान ले या टाल दे. खैर, जीत राज की हुई. अब दोनों चुप बैठे थे.

हालांकि अंदर भावनाओं का तूफान उठा था दोनों के ही. राज ने ही चुप्पी तोड़ी बोला, ‘‘निशा, मु झे माफ कर दो,’’ और फिर जो भावावेश में बोलना चालू हुआ तो उसे कुछ भी होश न रहा और उस ने अपनी गलती की स्वीकारोक्ति भी कर ली. उस ने मान भी लिया कि उस ने पदप्रतिष्ठा के लिए स्मृति से शादी की और शादी के बाद उसे पता चला कि उस की असली खुशी कहीं और थी. स्मृति जो पहले सो रही थी न जाने कब जाग गई थी और चुपचाप लेटी थी. उस ने सब सुन लिया और उसे लगा कि क्यों न मरते हुए भी वह एक अच्छा काम कर जाए और 2 सच्चे प्यार वाले दिलों को मिलवा कर इस दुनिया से जाए. बस वह मन ही मन कुछ सोचने लगी. नील जब शाम को निशा को लेने आया तो स्मृति ने उसे बातों में उल झा लिया. फिर राज से कहा कि वह निशा को घर ड्रौप कर दे. वह नील के साथ बचपन की बातें कर रही है… उसे कुछ राहत मिलती है अपने वर्तमान के दुखों से. निशा और राज के जाते ही स्मृति ने नील से कहा, ‘‘नील, तुम से कुछ मांगना चाहती हूं.’’ नील थोड़ा भावुक हो गया. उस ने कहा, ‘‘तुम क्या चाहती हो? बोलो मैं तुम्हें दूंगा.’’ स्मृति ने कहा, ‘‘नील मैं तुम से राज की खुशियां मांगती हूं,’’ और फिर उसे बताया, ‘‘राज और निशा बहुत पुराने प्रेमी हैं. राज ने पदप्रतिष्ठा के लिए मु झ से शादी की थी, किंतु प्रेम वह निशा से ही करता था. यह बात मु झे आज ही पता चली है.

देखो मैं तो इस दुनिया से जा रही हूं किंतु तुम निशा को वापस राज को दे देना, बस तुम से यही चाहिए.’’ नील के तो पैरों तले की जमीन खिसक गई. नील ने निशा की सहेली रोशनी से बात की तो उसे सारी सचाई पता चली. अब नील ने सोचा कि 2 सच्चे प्रेमियों को मिलाना ही होगा. उस ने जाते ही अपना रैज्यूम एक अमेरिकन आईटी कंपनी में भेजा जहां पर स्मृति का एक दोस्त पहले से ही काम कर रहा था. स्मृति के कहने पर नील का चयन उस कंपनी में हो गया. उसे 3 साल का कौंट्रैक्ट साइन करना था. नील ने निशा से कहा, ‘‘निशा, मु झे अमेरिका में जौब औफर हुई है.’’ निशा बहुत खुश हुई. किंतु नील ने कहा, ‘‘देखो निशा मु झे वहां अकेले ही बुलाया गया है. अब तुम जैसा कहो.’’ निशा ने कहा, ‘‘नील, मैं तुम्हारी खुशी में कभी रास्ते का रोड़ा नहीं बनूंगी. अगर तुम मु झ से दूर जा कर जिंदगी में कामयाबी हासिल करना चाहते हो तो मैं तुम्हें रोकूंगी नहीं.’’ इस पर नील ने कहा, ‘‘निशा, मैं भी तुम्हें किसी बंधन में बांध कर नहीं जाना चाहता हूं. 3 साल का समय बहुत लंबा होता है.

तुम भी मेरी तरफ से आजाद हो,’’ नील थोड़ा भावुक हो गया था. निशा भी कुछ सम झ नहीं पा रही थी कि यह सब अचानक से क्या हो रहा है. खैर, वह चुप रही. 10 दिन बाद नील का वीजा और टिकट आ गया और वह चला गया. नील के जाते ही निशा काफी अकेली हो गई. ऐसे में राज ने उसे संभाला. अपनेपन की उष्णता पाते ही पुरानी भावनाएं पिघलने लगीं. उधर स्मृति की हालत बहुत तकलीफदेह हो गई थी. उस ने डाक्टर से पूछा, ‘‘उसे अब कितने दिन यह दर्द झेलना पड़ेगा?’’ डाक्टर ने कोई जवाब नहीं दिया. अब उस ने नर्स से एक कागज और पैन मांगा और राज को एक पत्र लिखा और साथ ही निशा से भी निवेदन किया कि वह राज को अपना ले और नील की कुरबानी को जाया न करे. जैसे ही स्मृति ने पत्र पूरा कर अपने तकिए के नीचे रखा वह एक संतोष लिए हमेशा के लिए सो गई और हर दर्द से आजाद हो गई. निशा एक बार फिर सोचने लगी कि नील और स्मृति ने ऐसा किया आखिर क्यों? द्य

गाजर का हलवा: दो बहनो की जलन की कहानी

‘‘हां…हैलो…’’ ‘‘हां बोल… बहरी नहीं हूं सुनाई दे रहा है.’’ ‘‘हां, मैं अमरावती ऐक्सप्रैस में बैठ गई हूं 5:30 तक नागपुर पहुंच जाऊंगी.’’ ‘‘अरे बेवकूफ तु झे आजाद हिंद पकड़?ने को बोला था न. उस ट्रेन में इतनी भीड़ होगी कि तु झे बैठने की जगह भी नहीं मिलने वाली… उस के टौयलेट भी गंदे मिलेंगे, ऊपर से हमेशा लेट चलती है…’’ यह थी मेरी बड़ी बहन राशि जो एक मैडिकल स्टूडैंट है. पिछले 3 सालों से रायपुर टू नागपुर अपडाउन कर अपनेआप को रेलवे की इनसाइक्लोपीडिया सम झने लगी है. उसे जहां जब मौका मिले अपना ज्ञान झाड़ने का मौका नहीं छोड़ती… ‘‘मगर मेरा तो रिजर्वेशन है और बस 6 घंटे का रास्ता है काट लूंगी.’’ ‘‘तेरी सीट कन्फर्म है उस के लिए तु झे पदमश्री अवार्ड मिलना चाहिए… जो करना है कर, मैं अभी कालेज के लिए निकल रही हूं. तेरे उतरने से पहले प्लेटफौर्म में खड़ी मिलूंगी… न आई तो वापस चली जाना बाय.’’ ‘‘बाय.’’ ‘ये बड़ी बहनें होती ही ऐसी हैं. उन का कहा मान लिया तो ठीक, नहीं तो हर काम में गलतियां निकल कर बहस करने की रस्ता निकालती बैठती हैं. अरे, भई अब ट्रेन में भीड़ नहीं होगी तो कहां होगी और भीड़ है तो बाथरूम गंदे होंगे ही… लगता है पागलों के बीच में रहती है.’’

आज मैं बहुत ऐक्साइटेड हूं क्योंकि मेरी ट्वैल्थ बोर्ड में अच्छी परसैंटेज आई है और यह मेरी लाइफ का पहली सोलो ट्रैवलिंग ट्रिप है. हम दोनों की छुट्टियां साथ चालू हो रही हैं इसलिए उस के होस्टल में रह कर खूब मौजमस्ती करने का शानदार प्रोग्राम बना रखा है. ‘‘भाई वाह क्या खुशबू है. कहीं से अचार तो कहीं से पूरियां, तरहतरह का तड़का लगी सब्जियां सूंघसूंघ कर मु झे भी भूख लगने लगी.’’ ‘‘खाना अपना भी पूरी टक्कर का बना है मेरे दोस्त, आलू, भिंडी की लजीज सब्जी, परांठे और छोटे से डब्बे में रखा राशि का पसंदीदा गाजर का हलवा.’’ ‘‘चलो भई खाना तो भरपूर हो गया अब थोड़े बाहर के नजारे देख लिए जाएं.’’ मैं अपनी गरदन सीट पर टिकते हुए अपने चेहरे पर खिड़की से आतीजाती हवा के झोंकों को महसूस करते हुए कभी खाली खेत, तो कभी रोड पर दौड़ती बड़ीबड़ी गाडि़यां देखते सोचने लगी कि क्या यही लोग, यही नजारे मु झे फिर से देखने को मिलेंगे? नहीं हमारी नियति में बस ये कुछ सैकंड्स का मिलना लिखा है.

‘‘काफी देर देखनादिखाना हो गया अब थोड़ा सो लिया जाए.’’ पूरे 2 घंटे बाद मेरी नींद अचानक चायचाय के शोर से टूटी. मेरे पास नागपुर पहुंचने का अभी भी 1 घंटा बचा था. सब को चाय पीते हुए देख मैं ने भी सोचा चलो मैं भी चाय पी लेती हूं. चाय वाला मु झे एक पतले से डिस्पोजेबल प्लास्टिक कप में चाय के नाम पर मीठा गरम पानी थमा कर चला गया. बताइए शराफत का तो जमाना ही नहीं रहा वह भी पूरे 20 रुपए का. अब तो 5:45 बज गए. मैं ने पैंट्री स्टाफ से पूछा, ‘‘नागपुर स्टेशन कब आने वाला है?’’ ‘‘ट्रेन आधा घंटा लेट है,’’ उस ने जवाब दिया और हवा के झोंके की तरह ओ झल हो गया. आउटर में 10 मिनट और रुकने के बाद आखिरकार ट्रेन स्टेशन पहुंची. मैं ट्रेन से उतरी नहीं कि राशि किसी को अपने साथ लिए हुए मेरे सामने प्रकट हुई. हम एकदूसरे के पास मुसकराते हुए पहुंचीं, ‘‘निशी इन से मिली ये हमारी सीनियर हिना मैम हैं.’’

‘‘हैलो दीदी.’’ ‘‘हैलो, आर यू रैडी फौर फन राइड?’’ उन्होंने पूरी मस्ती के साथ मु झ से पूछा. ‘‘यस श्योर,’’ राशि ने पहले भी इन के बारे में बताया था. इन की पीठ पीछे लोग इन्हें ‘कोशिश एक आशा’ के नाम से चिढ़ाते हैं क्योंकि पिछले 2 सालों से इन के कई सब्जैक्ट में बैक लग गया है. हर साल की तरह इस बार भी उन्होंने बहुत मेहनत की है. अब देखना यह है कि इस साल इन की कोशिश क्या रंग लाती है. ‘‘राशि 15 मिनट हो गए. दीदी क्या कर रही हैं अंदर?’’ ‘‘उन का हर बार का यही नाटक है. पार्किंग वाले को मेरी गाड़ी में यहां कैसे स्क्रैच आया, वहां कैसे स्क्रैच आया, दिखादिखा कर अपने पार्किंग के पैसे बचाने का उन का मास्टर प्लान रहता है. ‘‘चुप रह आ रही है वह.’’ ‘‘साले को कोर्ट जाने की धमकी दी तब जा कर क्व25 में माना. आओ बैठो.’’ ‘‘तू तो बोल रही थी दीदी ने नई गाड़ी खरीदी है. मु झे तो कहीं से उन की स्कूटी ब्रैंड न्यू नहीं लग रही?’’ मैं ने राशि के कान में फुसफुसाया.

‘‘पागल उन्होंने सैकंड हैंड नई गाड़ी खरीदी है.’’ मेरा सामान फुट्रेस्ट में रख कर उन दोनों ने मु झे बीच में सैंडविच की तरह दबा कर बैठा दिया. दीदी ने मु झे पलट कर कहा, ‘‘कस कर पकड़ लेना.’’ दीदी ने अपनी स्कूटी को फर्राटेदार बाइक जैसे चलाना शुरू किया, हर कटिंग के साथ वे अपने फैवरिट हीरो जौन अब्राहिम के गाने ‘धूम मचाले…’ की धुन के साथ फुल औन अपने हौर्न को दबादबा कर गाने लगी ‘‘ता… ता… ता… ता… ता… ता… ता… ता… ता… ता… ता… ता… ता… ता… धूम मचा ले धूम मचा ले धूम…’’ मैं भीतर से सोचने लगी कि यह चल क्या रहा है? देखा जाए तो यह दूसरों की नजरों में भले पागलपन होगा मगर मजा बड़ा आया. ठहाके मारते हुए हम होस्टल के सामने पहुंच गए, ‘‘गुड ईवनिंग राशि मैम. आप की सिस्टर तो बिलकुल आप के जैसी दिखती है.’’ ‘‘मैम मु झे तो लगा था कि आप दोनों ट्विन सिस्टर हैं.’’ ‘‘चलो अब जाने दो थक गई होगी, कल बात करेंगे.’’ राशि का अपने होस्टल में रुतबा बहुत है, सब जूनियर आगेपीछे घूमते रहते हैं. हो क्यों न एक तो सीनियर है ऊपर से होस्टल में मौजूद इकलौती सुपर सीनियर हिना दीदी की एक मात्र फ्रैंड. मैं अब उस के रूम में आ चुकी थी.

वह अपनी रूममेट के साथ किचन में जा कर कुछ बनाने लगी. ‘‘चल ले खा,’’ राशि ने एक प्लेट थमाते हुए कहा. ‘‘यह क्या है? 2 ब्रैड के बीच में मैगी? मैं नहीं खाऊंगी.’’ ‘‘चुपचाप खा ले नहीं तो भूखे पेट सो.’’ मैं ने जैसेतैसे खाया. सच में इन की जिंदगी इतनी भी आसान नहीं होती. ‘‘राशि में नहा कर आती हूं,’’ उस की रूममेट जैसे ही बाहर गई राशि ने तपाक से कहा. ‘‘मेरा गाजर का हलवा कहां है जल्दी दे नहीं तो वह आ जाएगी और उसे भी देना पड़ेगा.’’ मैं ने जल्दी से अपने सामान के बीच में से एक बड़ा सा डब्बा निकाला, जिस में मेरी मम्मी ने गले तक ठूंसठूंस कर हलवा भरा था. इस हलवे के लिए मैं ने अपनी मम्मी को पिछले 2 दिनों से गाजर खरीदते, छीलते, कसते, दूध में घंटों चकाते और न ही मु झे ज्यादा मात्रा में खाने के लिए देते हुए साफसाफ देखा था. राशि को एक के बाद 1 चम्मच भरभर कर हलवे का निवाला अपने मुंह में भरते हुए देख मु झे लगा जैसेकि आज के बाद इसे कभी हलवा खाने को नहीं मिलने वाला या तो आज उस के जीने का आखिरी दिन है. ‘‘क्या देख रही है? तू तो खा कर आई होगी न और फिर मम्मी तो तेरे लिए कभी भी बना सकती हैं.’’ ‘‘नहीं तू खा. वैसे भी मु झे हलवा उतना पसंद नहीं है.’’

‘‘दुनिया की तू अकेली होगी जिसे गाजर का हलवा पसंद नहीं है… पागल.’’ अब हम तीनों अपनेअपने सिंगल बैड में लेट गए थे. कोने में एक टेबल है जिसे ये लोग किचन बोलते हैं, एक पंखा है जिस की हाईएस्ट स्पीड 3 है और हां एक खिड़की में पतली सी रस्सी बंधी हुई है. जितनी उस की ताकत नहीं उस से ज्यादा उस में कपड़े सूख रहे हैं. ‘‘आधी रात में कौन झगड़ रहा है?’’ ‘‘अभी 7 बजे हैं वापस सो जा. यहां यह सब रोज होता रहता है,’’ वह अपने टाइम से पहले बाथरूम यूज करने चली थी. ‘‘अच्छा,’’ मैं ने अपनी आंखें मलते राशि को देखते हुए कहा जो इतनी सुबह नहाधो कर तैयार हो रही थी. अपना सफेद कोट पहनते हुए उस ने मुझ से आगे कहा, ‘‘अब ध्यान से सुन. 9 बजे बिस्तर छोड़ देना. 9:30 बजे मैस में नाश्ता कर लेना नहीं तो सब खत्म हो जाएगा. वापस आ कर नहा लेना, कपड़े धो कर कमरे में सुखाना,’’ उस ने एक बालटी की ओर इशारा किया जिस में 1 मग, 1 साबुन और शैंपू की सब से छोटी बोतल रखी थी. फिर खूब सारी किताबें पकड़ीं और कहा, ‘‘मैं 2 बजे तक आ जाऊंगी. तब तक किसी से बात मत करना, बालकनी में मत जाना, कमरे में ही रहना.’’ सब चीज उस के कहे हिसाब से हो गई और राशि आते ही अपनी डायरी निकाल कर उस में कुछ लिखने लगी, ‘‘तो सुन कल पिक्चर, परसों वाटर पार्क, लास्ट डे शौपिंग.’’ ‘‘शकीरा आई है जल्दी चल,’’ हिना दीदी ने बिना सांस रोके कहा और हम उन के साथ दौड़ पड़े.

‘‘यह शकीरा कौन है?’’ ‘‘दूसरे कालेज की है और बहुत अच्छा डांस करती है देखना.’’ हमारे कानों पर फुल वौल्यूम में ‘हिप्स डौट लाई…’ गाना सुनाई पड़ा और हम तेजी से वहां पहुंचे. कमरा लड़कियों से खचाखच भरा था लेकिन राशि मैम के लिए बिस्तर पर वीआईपी सीट पहले से खाली कर के रखी थी. पलभर में होस्टल का माहौल पूरी तरीके से रंगीन होने लगा. हमारे बीच एक सुंदर सी दीदी और उन की मनमोहक अदा. वाह, उन्होंने मेरा दिन वाकई बना दिया. चूंकि पूरा होस्टल तब मौजूद था. राशि ने मु झे सभी से मिलवाया. वे अपनेअपने कमरे में आने के लिए कहने लगीं और मैं ऐक्साइटेड हो कर हरेक के कमरे को ध्यान से देखने लगी और मैं ने पाया कि विभिन्न चेहरे, कदकाठी की नारियां, कुछ खेलप्रेमी, तो किसी को पसंद बालियां, कुछ प्यार में लिप्त, तो कई इन के खिलाफ, कोई किताबों में चूर, किसी को पसंद सैरसपाट. ये कोमल कलियां कभी लड़ती झगड़ती तो कभी एकदूसरे का हौसला बढ़ातीं त्योहारों में, तो कभी मां के बने उस स्वाद में बेबस हो बदलती रहती है करवटें रातों में सुबह जब कभी मां पूछे, ‘‘बेटा नाश्ता कर लिया?’’ खाली पेट, बे िझ झक वे कहती हैं, ‘‘हां मां मैं ने खा लिया.’’

घरों से दूर, अपना भविष्य संवारने वे रहतीं साथ, अनेक प्रश्नों के जाल में… अगले दिन पिक्चर ने पूरा दिन अपने नाम कर लिया और हम अगली सुबह वाटर पार्क पहुंच गए. ‘‘हिना दीदी नहीं दिख रहीं?’’ ‘‘उसे क्लोरीन पानी से ऐलर्जी है,’’ मेरी बहन ने मु झे आंखों से आगे और कुछ न बोलने का इशारा किया. ‘‘उस मरी हुई छिपकली को ऐलर्जी. पूरा दिन अपनी स्कूटी में घूमती रहेगी मगर पानी के मजे के लिए कौन पैसा बरबाद करे? मक्खी चूस,’’ एक नए किरदार पूजा दीदी ने चिढ़ कर जवाब दिया. ‘‘अरे तू जाने दे न. मूड मत खराब कर.’’ मु झे हजार खरीखोटी सुनाने के बाद पता चला कि पूजा और हीना दीदी अभिन्न सगे दुश्मन हैं. कैसे मेरी बहन दोनों ओर से दोस्ती निभा रही है, मानना पड़ेगा. ‘‘सनस्क्रीन नहीं लाई. ओह तुम कैसे भूल सकती हो? अब जलो सब,’’ निराश राशि ने पूजा दीदी को झल्लाते हुए कहा. ‘‘यह मेरे बैग में ही तो था. यह ऐसे कैसे गायब हो गया?’’ वह अपने बैग को बहुत देर तक खंगालती रही. काले शौर्ट्स और स्लीवलैस पहने हुए हम पानी के पूल में लगभग 5 घंटे की गरमाहट में बिना सनस्क्रीन के अंदर थे. लेकिन मेरे जीवन का वह सब से मजेदार दिन था. अगले दिन रोड वाली शौपिंग. राशि ने मु झे खासतौर से कहा, ‘‘अगर तु झे कोई चीज पसंद आए तो सीधा मु झे बोलना न कि हीना को… वह दुकानदार से इतना मोलभाव करेगी कि वह बेचने से खुद मना कर देगा.’’

मैं ने अब अपना जाने का बैग बांध लिया. आज फिर उसी डायरी में राशि कुछ लिख रही थी. स्टेशन निकलने से पहले उस ने हिसाब की एक परची मु झे सौंप कर यह कहते हुए नहाने चली गई, ‘‘तु मु झे क्व1,870 देगी. चल बस क्व1,500 ही दे देना.’’ यह हमारे लिए नया नहीं था. हम हमेशा ऐसा करते आए हैं. उस के जाने के बाद मैं ने झटपट वह डायरी खोल कर पढ़नी चाही और उसे पढ़ कर मैं हैरान रह गई. राशि जिस साल, महीने और दिन से घर से दूर रहने लगी उस दिन से उस ने अपना सारा खर्च लिखा हुआ था और सब से बड़ी बात तो यह है कि मेरे पापा ने आज तक उस से कभी नहीं पूछा कि बेटी मेरे भेजे हुए पैसों का तूने क्या किया? हम शायद अब बड़े हो गए थे इसलिए बचपन जैसा प्यार धीरेधीरे बदलने लगा था, मगर न जाने क्यों आज उस से अलग होते हुए मैं उस के गले लग गई और उस की आंखों में आंसू क्यों आए? यही ट्रेन में बैठी सोचतीसोचती मैं वापस घर पहुंच गई. नई ऊर्जा और जोश के साथ मैं अपनी मम्मी से राशि और उस की क्रेजी सहेलियों के बारे में घंटों बतियाती रही. अब आप से क्या छिपाना. आप को भले मेरी बात बहुत छोटी सी लगे, आप की नजर में ऐसा मानना भी सही होगा कि इतनी सी बात में 2 बहनों और एक मां और बेटी के बीच में दूरियां लाने वाली इस में ऐसी कोई बात नहीं थी. मगर ऐसा मेरे साथ हुआ और वह मु झे भीतर तक सालोंसाल आघात करते चला गया.

मैं हमेशा उन दोनों के बीच उस विशेष लाडप्यार से बहुत जलन महसूस करती थी खासतौर से तब जब मम्मी उस के लिए दिनरात मेहनत कर के गाजर का हलवा बनाती थी न कि मेरे कहने पर. हलवा मु झे भी सब से प्रिय था, मैं महीनो बोलती रहूं, मम्मी मु झे यहांवहां के काम गिनाने लगती और जब कभी राशि घर आने वाली हो या कोई नागपुर जा रहा हो तो उस के बिना कहने पर वह अपनेआप उस के लिए हलवा बनाना शुरू कर देती. हलवा मु झे तभी मिलता जब उस के लिए बनता हो और वह भी धीरेधीरे मात्रा में कम होता गया. इस बात को ले कर मैं इतनी हताश हुई कि मैं ने हलवा खाना ही छोड़ दिया. मगर अब मैं सम झ सकती हूं कि उस के लिए मम्मी का प्यार इतना अलग क्यों है? मेरे पास तो हर सुखसुविधा है और वहां राशि को देखो हम से मीलों दूर हो कर खुद कपड़े धो रही है, कभीकभी उसे भूखे पेट भी सोना पड़ता है. इतने साल मेरी उन से जो दूरियां थीं वे इन 3 दिनों में नजदीकियों में बदल गईं. मु झे अब उन से कोई शिकायत नहीं थी. अगली सुबह जब मैं नहा कर बाहर आई तो मेरी आंखें पूरे शरीर में हुए स्किन बर्न को देख कर चौंक गईं. हो न हो वाटर पार्क में हुई एक गलती का ही यह नतीजा है. मगर अपनेआप को ऐसे देखते हुए मु झे बिलकुल गुस्सा नहीं आया. उसे देख कर में महीनों इतराती रही क्योंकि यह मु झे उन खूबसूरत पलों की याद दिलाते रहे, जो मैं ने अपनी प्यारी सी बहन के साथ गुजारे थे.

फैमिली के लिए बनाएं पनीर धनिया अदरकी

अगर आप लंच या डिनर में पनीर से बनी हेल्दी रेसिपी ट्राय करना चाहते हैं तो पनीर धनिया अदरकी रेसिपी ट्राय करना ना भूलें.

सामग्री

400 ग्राम पनीर,

2-3 हरीमिर्चें,

12 कलियां लहसुन,

3/4 कप धनियापत्ती,

3 बड़े चम्मच तेल,

3 मध्यम आकार के प्याज कटे हुए,

2-3 छोटे चम्मच अदरक व लहसुन पेस्ट,

1/4 छोटा चम्मच हलदी पाउडर,

1 छोटा चम्मच धनिया पाउडर,

1/2 छोटा चम्मच जीरा पाउडर,

1 छोटा चम्मच लालमिर्च पाउडर,

1 कप दही,

1/2 छोटा चम्मच गरममसाला,

1 नीबू का रस,

1/2 कप क्रीम,

नमक स्वादानुसार.

विधि

हरीमिर्चों, लहसुन व धनियापत्ती को काट कर अलग रख लें. पनीर को भी काट लें. एक नौनस्टिक बरतन में तेल गरम कर प्याज भूनें. इस में अदरक व लहसुन का पेस्ट, हलदी पाउडर, धनिया पाउडर, जीरा पाउडर और लालमिर्च पाउडर डाल कर अच्छी तरह मिलाएं. हरीमिर्चों, लहसुन व धनियापत्ती में 1 कप पानी डाल कर अच्छी तरह मिलाएं. अब इस में नमक व दही डाल कर उबालें फिर पनीर के टुकड़े डालें. गरममसाला और नीबू का रस मिलाएं, क्रीम डाल कर आंच बंद कर दें. धनियापत्ती से सजा कर सर्व करें.

अगर बच्चा हो प्रीमैच्योर तो इन बातों का जरूर रखें ध्यान

गर्भाधान के बाद अगर कोई बच्चा 37 हफ्तों में या उस से थोड़ा पहले जन्म लेता है तो उसे प्रीमैच्योर बेबी यानी समय से पहले जन्मा बच्चा कहा जाता है. आमतौर पर बच्चा 40 सप्ताह तक गर्भ में रहता है. उस का समय पूर्व जन्म होने से उस को गर्भ में विकसित होने के लिए कम समय मिल पाता है. इसलिए उस को अकसर जटिल चिकित्सकीय समस्याएं होती हैं. बच्चे के समय पूर्व जन्म लेने का कारण स्पष्ट नहीं हो पाता, लेकिन कारण कई हैं.

– यदि महिला को पहले भी समय से पहले प्रसव हो चुका हो.

– 2 या 2 से अधिक बच्चे गर्भ में होना.

– 2 गर्भाधानों के बीच कम का वक्त होना.

– इनविंट्रो फर्टिलाइजेशन द्वारा गर्भाधान.

– गर्भाशय, गर्भग्रीवा या प्लेसैंटा के साथ समस्या और गर्भाशय का आकार असामान्य होना.

– सिगरेट, शराब का सेवन या नशीली दवाएं लेना.

– मां को पर्याप्त पोषण न मिलना.

– स्वाभाविक रूप से अपरिपक्व प्रसव पीड़ा उठना और वक्त से पहले ही मैंबे्रन (तरल पदार्थ का थैला) का टूटना.

– कोई संक्रमण होना, विशेष कर ऐमनियौटिक फ्लूड और प्रजनन अंग के निचले हिस्से में कोई क्रौनिक स्थिति, जैसे उच्च रक्तचाप और डायबिटीज.

– गर्भधारण से पहले वजन कम या अधिक होना.

– जीवन में तनाव की घटनाएं होना, जैसे घरेलू हिंसा.

– एक से ज्यादा बार मिसकैरेज या गर्भपात होना.

– शारीरिक चोट या ट्रौमा.

चिकित्सकीय समस्याएं

ऐसफिक्सिया: जन्म के तुरंत बाद शिशु श्वास लेना शुरू नहीं कर पाता, इसलिए उसे कृत्रिम श्वास की आवश्यकता होती है.

शारीरिक तापमान कम होना: छोटे आकार, पारदर्शी व नाजुक त्वचा के चलते ऐसे बच्चे का शारीरिक तापमान कम होता है और त्वचा के जरीए शरीर का बहुत सा तरल पदार्थ खो जाता है जिस से बच्चे में पानी की कमी हो जाती है. कम तापमान की वजह से उसे सांस लेने में दिक्कत होती है और ब्लड शुगर का स्तर कम रहता है. ऐसे बच्चे को अतिरिक्त गरमाहट चाहिए होती है, जो इन्क्युबेटर से दी जाती है.

श्वास समस्या: अपरिपक्व फेफड़ों व मस्तिष्क की वजह से उसे सांस लेने में कठिनाई होती है. सांस लेने की प्रक्रिया में लंबे विराम को ऐपनिया कहते हैं, जो अपरिपक्व दिमाग के कारण होता है.

आहार की समस्या: प्रीमैच्योर बच्चे के रिफ्लैक्स चूसने और निगलने के लिए कमजोर होते हैं जिस से उसे अपना आहार प्राप्त करने में मुश्किल होती है.

संक्रमण: समय पूर्व जन्मे बच्चे में गंभीर जटिलताएं जल्दी विकसित हो जाती हैं जैसे रक्तधारा में संक्रमण (सेप्सिस). इस प्रकार के संक्रमण बच्चे की अविकसित रोगप्रतिरोधक प्रणाली की वजह से होते हैं.

हृदय में समस्याएं: दिल में छिद्र (पीडीए- पेटेंट डक्टस आर्टेरियोसस) होने से सांस लेने में दिक्कत होती है. इस से हाइपोटैंशन (निम्न रक्तचाप) हो सकता है और किसीकिसी मामले में हार्ट फेल भी हो जाता है.

मस्तिष्क में समस्याएं: ऐसे बच्चे को दिमाग में रक्तस्राव का भी जोखिम रहता है, जिसे इंट्रावैंट्रिक्युलर हैमरेज कहते हैं. अधिकांश हैमरेज हलके होते हैं और अल्पकालिक असर के बाद ठीक हो जाते हैं.

गैस्ट्रोइंटैस्टाइनिल समस्याएं: समय से पूर्व जन्मे बच्चे की जठरांत्रिय प्रणाली अपरिपक्व हो सकती है. बच्चा जितनी जल्दी पैदा होता है उस में नैक्रोटाइजिंग ऐंटेरोकोलाइटिस (एनईसी) विकसित होने का जोखिम उतना ही ज्यादा होता है. यह गंभीर अवस्था प्रीमैच्योर बच्चे में तब शुरू होती है जब वे फीडिंग शुरू कर देते हैं. जो समय पूर्व जन्मे बच्चे केवल स्तनपान करते हैं उन में एनईसी विकसित होने का जोखिम बहुत कम रहता है.

रक्त समस्याएं: ऐसे बच्चे को रक्त संबंधी समस्याओं का भी जोखिम रहता है. जैसे ऐनीमिया (हीमोग्लोबिन कम होना) और शिशु पीलिया. इन की वजह से बच्चे को कई बार खून चढ़ाने तथा फोटोथेरैपी लाइट की आवश्यकता पड़ती है.

समय पूर्व प्रसव को रोकना मुमकिन नहीं है किंतु एक स्वस्थ व पूर्ण गर्भावस्था को बढ़ावा देने के लिए काफी कुछ किया जा सकता है:

नियमित जांच कराएं: प्रसव से पहले डाक्टर से नियमित जांच कराना सहायक होता है, क्योंकि वह मां और गर्भस्थ शिशु दोनों की सेहत पर निगरानी रख सकता है.

स्वास्थ्यवर्धक खुराक लें: गर्भावस्था में महिला को पहले से ज्यादा विटामिनों जैसे फौलिक ऐसिड, कैल्सियम व आयरन वगैरह की जरूरत होती है. गर्भधारण से कुछ महीने पहले से ही इन विटामिनस का सेवन शुरू कर देने से गर्भावस्था के दौरान बाद में कमी पूरी करने में मदद मिलती है. पूरा आराम और पर्याप्त पानी व तरल पदार्थों का सेवन भी जरूरी होता है.

समझदारीपूर्वक वजन हासिल करें: सही परिमाण में वजन हासिल करने से आप के बच्चे की सेहत को सहारा मिलता है और प्रसव के बाद फालतू वजन घटाने में भी मदद मिलती है. गर्भावस्था से पहले जिस महिला का वजन सही स्तर पर हो तो उस के वजन में 11 से 16 किलोग्राम तक इजाफा ठीक रहता है.

जोखिम वाले पदार्थों से बचें: यदि कोई स्त्री धूम्रपान करती है तो उस को उसे तत्काल छोड़ देना चाहिए. धूम्रपान से समय पूर्व प्रसव हो सकता है. शराब और नशीली दवाएं भी खतरनाक असर कर सकती हैं.

गर्भावस्था में अंतर रखें: कुछ अध्ययन बताते हैं कि 2 गर्भाधानों में कम का अंतर प्रीमैच्योर बर्थ का जोखिम बढ़ा देता है, इसलिए इस से बचें.

असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टैक्नोलौजी (एआरटी): यदि आप गर्भधारण करने के लिए एआरटी का उपयोग करने की योजना बना रही हैं तो इस पर ध्यान दें कि कितने भू्रण रोपित किए जाएंगे. एक से अधिक भू्रण होने से समय पूर्व पेन का जोखिम बढ़ जाता है.

यदि आप का डाक्टर यह तय करता है कि आप को समय पूर्व प्रसव होने का ज्यादा जोखिम है, तो वह इस जोखिम को घटाने के लिए कुछ अतिरिक्त कदम सुझा सकता है. जैसे:

रोकथाम की दवा: यदि आप का प्रीमैच्योर प्रसव का इतिहास रहा है तो डाक्टर दूसरी तिमाही में हारमोन प्रोजेस्टेरौन के एक किस्म के साप्ताहिक शौट्स का सुझाव दे सकता है. जिन महिलाओं की गर्भाशय ग्रीवा छोटी है उन के मामले में समय पूर्व प्रसव के जोखिम को इस तरह कम किया जाता है.

यौन क्रिया से परहेज: जिस महिला का समय पूर्व प्रसव का इतिहास रहा हो या इस के लक्षण दिख रहे हों उसे यौन क्रिया से परहेज करना चाहिए और सैक्स के बाद ध्यान देना चाहिए कि उसे संकुचन तो नहीं हो रहा.

शारीरिक गतिविधियों को सीमित करना: समय पूर्व पेन का जोखिम होने या उस के लक्षण प्रकट होने पर भारी सामान नहीं उठाना चाहिए या बहुत देर तक खड़े नहीं रहना चाहिए.

क्रौनिक स्थितियों की देखभाल: डायबिटीज और उच्च रक्तचाप जैसी कुछ स्थितियां वक्त से पहले प्रसव का जोखिम बढ़ा देती हैं, इसलिए गर्भावस्था के दौरान उन पर खास ध्यान देना और उन्हें कंट्रोल में रखना जरूरी होता है.

सर्विकल सर्कलेज: इसे सर्विकल स्टिच के नाम से भी जाना जाता है. इस का इस्तेमाल उस स्थिति में होता है जब गर्भाशय ग्रीवा सामान्य से छोटी हो जाती है और मिसकैरिज का जोखिम होता है. इस से संक्रमण गर्भाशय में पहुंच सकता है और फिर भू्रण पर असर कर सकता है. इस के इलाज में मजबूत टांके शामिल होते हैं, जो गर्भावस्था के 12वें से 14वें सप्ताह में गर्भाशय ग्रीवा में व उस के आसपास लगाए जाते हैं और फिर गर्भावस्था के अंत की ओर बढ़ते वक्त उन्हें हटा दिया जाता है. तब तक मिसकैरिज का जोखिम गुजर चुका होता है.

ऐंटीबायोटिक्स: कभीकभी प्रजनन अंग का संक्रमण समय पूर्व लेबर पेन का कारण बन जाता है. इस के लिए ऐंटिबायोटिक्स सुझाए जाते हैं जो कि समय पूर्व प्रसव के इलाज या रोकथाम के लिए सक्षम उपचार हैं.

प्रीमैच्योर बच्चे को ये दीर्घकालिक जटिलताएं हो सकती हैं:

प्रमस्तिष्क पक्षाघात (सेरेब्रल पाल्सी): सेरेब्रल पाल्सी हिलनेडुलने, मांसपेशियों या मुद्रा का विकार है, जो प्रीमैच्योर बच्चे के विकासशील मस्तिष्क में चोट लगने (गर्भावस्था में या जन्म के बाद) से उत्पन्न होता है. रक्तप्रवाह की खराबी, अपर्याप्त औक्सीजन आपूर्ति, पोषण की कमी या संक्रमण के चलते मस्तिष्क में पहुंची चोट से सेरेब्रल पाल्सी या अन्य न्यूरोलौजिकल समस्याएं हो सकती हैं.

खराब संज्ञानात्मक कौशल: प्रीमैच्योर बच्चा विकास के विभिन्न पैमानों पर अपने हमउम्र बच्चों से पिछड़ जाता है. जो बच्चा वक्त से पहले पैदा हो गया हो उसे स्कूल जाने की उम्र में सीखने के मामले में दिक्कतें हो सकती हैं.

दृष्टि दोष: प्रीमैच्योर बच्चे में रेटिनोपैथी औफ प्रिमैच्योरिटी (आरओपी) पनप सकती है. यह बीमारी तब होती है जब रक्त धमनियां सूज जाती हैं और रेटिना (आंख का पिछला हिस्सा) की प्रकाश के प्रति संवेदनशील तंत्रिकाओं की परत ज्यादा बढ़ जाती है. कुछ मामलों में रेटिना की असामान्य धमनियां रेटिना पर जख्म पैदा कर देती हैं, उसे उस की जगह से बाहर खींच लेती है. और यदि इस समस्या का पता न लगाया गया तो नजर कमजोर हो जाती है और अंधापन तक आ सकता है.

सुनने में दिक्कत: प्रीमैच्योर बच्चे में बहरेपन का जोखिम ज्यादा होता है. इस का पता तब चलता है जब बच्चे के घर लौटने से पहले उस की श्रवण क्षमता की जांच की जाती है.

दंत समस्या: जो प्रीमैच्योर बच्चा गंभीर रूप से बीमार होता है. उस में दंत समस्याएं विकसित होने का जोखिम ज्यादा रहता है. जैसे दांत देर से निकलना, दांतों का मलिन होना और दांतों की पंक्ति गड़बड़ होना.

व्यवहार संबंधी और मनोवैज्ञानिक समस्याएं: जो बच्चे अपना गर्भकाल पूरा कर के जन्मे हैं उन के मुकाबले वक्त से पहले पैदा हुए बच्चे में व्यवहार संबंधी और मनोवैज्ञानिक समस्याएं हो सकती हैं. जैसे अटैंशन डेफिसिट हाइपरऐक्टिविटी डिसऔर्डर, अवसाद या सामान्य व्यग्रता तथा अपनी उम्र के बच्चों से घुलनेमिलने में कठिनाई.

क्रौनिक स्वास्थ्य समस्याएं: प्रीमैच्योर बच्चे में क्रौनिक स्वास्थ्य समस्याएं होने की ज्यादा संभावना रहती है. जैसे संक्रमण, दमा और फीडिंग की समस्या.

कुल मिला कर वक्त से पहले पैदा हुए बच्चे में चिकित्सकीय जटिलताओं तथा भावी विकास की अक्षमताओं का ज्यादा जोखिम होता है. हालांकि मैडिकल साइंस में प्रगति होने से समय से बहुत जल्दी पैदा होने वाले बच्चों के जीवित बचने की संभावनाओं में सुधार हुआ है. फिर भी विकास के मामले में ऐसे बच्चों के पिछड़ने का जोखिम ज्यादा रहता है.

डा. कुमार अंकुर

राखी सावंत के एक्स Husband आदिल दुर्रानी ने किया दूसरी शादी, जानें वजह

बिग बॉस फेम एक्ट्रेस राखी सावंत की निजी जीवनशैली एक बार फिर चर्चा में आई है हाल ही में खबर आई कि टीवी शो राखी सावंत के पूर्व प्रेमी आदिल खान दुर्रानी खान ने बिग बॉस 12 की प्रतियोगी सोमी खान से शादी कर ली है. इन रिपोर्ट्स ने आज दिन भर चर्चा की. आदिल खान दुर्रानी ने अब इन रिपोर्ट्स को प्रमाणित कर दिया है. आदिल खान दुर्रानी ने घोषणा की है कि वह एक्ट्रेस सोमी खान से दूसरी बार विवाह कर चुके हैं. इसके साथ ही राखी सावंत और आदिल खान दुर्रानी की प्रेम कहानी फिर से चर्चा में आई है.

आदिल खान दुर्रानी और सोमी अली की शादी पक्की हुई

टाइम्स नाउ नामक मनोरंजन पत्रिका ने कहा कि एक्टर आदिल खान दुर्रानी ने सोमी खान से शादी कर ली है. यह सच है, आदिल खान दुर्रानी ने बताया. हम शादी कर चुके हैं. 3 मार्च को मैसूर में हमारी शादी हुई.रिपोर्ट के अनुसार, आदिल खान दुर्रानी ने राखी सावंत से बातचीत की और कहा कि जब अदाकारा को पता चला तो वह हैरान रह गईं. आदिल खान दुर्रानी ने इस पर कहा, ‘राखी सावंत से क्या लेना देना है? उनसे मैंने कभी शादी नहीं की. बल्कि हमारे विवाह को नल और वॉइड नाम दिया गया है. वह शादी से पहले ही रितेश राज सिंह से शादीशुदा थीं. इसलिए मुझे तलाक नहीं दिया गया. मैंने पहले ही उनके खिलाफ कोर्ट में केस किया था क्योंकि मैं एक बार में दो लोगों से शादीशुदा था. जो अभी भी जारी है. दोबारा शादी करने के लिए मैं पूरी तरह स्वतंत्र हूँ. मैं कानूनी तौर पर कोर्ट से अनुमति प्राप्त कर चुका हूँ. तो मैं इसे छुपा नहीं रहा हूँ. मैं कानूनी रूप से शादी कर चुका हूँ.’

आदिल खान दुर्रानी ने रितेश और राखी को लेकर कहा कि राखी सावंत ने उन्हें कभी नहीं बताया था कि वे रितेश सिंह से शादीशुदा हैं. नतीजतन, उन्होंने उनसे कभी तलाक के पेपर्स नहीं मांगे थे. एक्टर ने बताया कि राखी सावंत ने उनसे झूठ बोला था और दोनों ने एक दूसरे के खिलाफ लगभग छह से सात केस दायर किए हैं.

आदिल खान दुर्रानी की मुलाकात सोमी खान से कैसे हुई?

आदिल खान दुर्रानी ने बताया कि अदाकारा से उनकी मुलाकात दुबई में एक म्यूजिक वीडियो की शूटिंग के दौरान हुई थी. आदिल खान दुर्रानी ने बताया कि दोनों ने 7 महीने तक एक दूसरे को डेट किया. इसके बाद विवाह कर लिया. आदिल खान दुर्रानी ने कहा कि इसके बाद उन्होंने सोमी खान के माता-पिता से शादी की अनुमति ली. उनकी शादी से सभी खुश हैं.

आराध्या के नए अंदाज पर ट्रोल्स की नकल, फैन्स बने समर्थन के सैनिक

ऐश्वर्या राय की बेटी का लुक अनंत अंबानी और राधिका मर्चेंट के प्री-वेडिंग सेलिब्रेशन में बहुत चर्चा में रहा। हमेशा कैजुअल दिखने वाली आराध्या ने स्ट्रेट बालों वाली वाइट-पिंक लहंगा पहना था। अभिषेक-ऐश्वर्या की बेटी बहुत सुंदर लगती थी। सोशल मीडिया पर आराध्या चर्चा में है, जबकि कुछ लोग गलत टिप्पणी करने से बाज नहीं आए। ऐसे में बहुत से लोगों ने ट्रोल्स को जमकर लताड़ लगाई और पॉक्सो कानून की मांग की।

अराध्या सुन्दर दिख रही थी

ऐश्वर्या राय की बेटी आराध्या ने अपने परिवार के साथ अंबानी परिवार के फंक्शन में भाग लिया। उनकी कई सुंदर तस्वीरें और वीडियोज वहाँ से सामने आए। आराध्या की लंबी हाइट पहले ही चर्चा में थी, लेकिन उनके नए बालों से उनका रूप पूरी तरह बदल गया। आराध्या की फोटो सोशल मीडिया पर बहुत से कमेंट्स मिल रहे हैं। नकारात्मक टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया भी देखने को मिल रही है।

आराध्या पर गलत टिप्पणी

आराध्या की उम्र सिर्फ बारह वर्ष है। यही कारण है कि बच्ची के लिए ऐसा लिखने वालों के खिलाफ पॉक्सो कानून लागू करने की मांग की जा रही है। लोगों का कहना है कि बच्चन परिवार को इस पर कार्रवाई करनी चाहिए। एक यूजर ने आराध्या की फोटो के साथ लिखा, “फिर क्या, अगले दिन ऐश्वर्या अपने मोहल्ले में आई, सॉरी उसकी बेटी आई।”

बच्चन परिवार को भी लोगों ने घेर लिया

वह एक बच्ची है, टीम से ऑफिशियल रिपोर्ट है। इस लेख और घटिया प्रतिक्रिया देने वालों के खिलाफ पॉक्सो कानून के तहत मुकदमा चलाना चाहिए। अमिताभ बच्चन और अभिषेक बच्चन दोनों ने दिल्ली पुलिस को टैग किया है। कुछ लोग बच्चन फैमिली को टैग करके लिखते हैं कि बाहर के लोग उनकी बच्ची से अधिक परेशान हैं। वे लोग क्या कर रहे हैं? कुछ महिलाएं लिख रही हैं कि आराध्या को सर्जरी करवाई गई है, जिस पर भी उनका आलोचना हुई है।

सुदंर दिखना हर महिला का हक है: आश्मीन मुंजाल कौस्मैटोलौजिस्ट

अपने घर के फस्र्ट फ्लोर में 25 साल पहले एक कमरे से आश्मीन मुंजाल ने ‘आश्मीन ग्रेस’ नाम से एक पार्लर की शुरुआत की थी. समय के साथ काम पसंद किया गया तो पार्लर बड़ा होता गया. फस्र्ट फ्लोर पर ही दूसरे कमरों में भी पार्लर के काम को बढ़ाया गया. 8 साल बाद साउथ ऐक्स में पहली बार कमॢशयल मार्केट में पार्लर खोला और उस का नाम ‘आश्मीन मुंजाल्स अंपायर औफ मेकओवर’ का नाम दिया गया. डिमांड बढ़ी और लोग यूनिसक्स सैलून की मांग करने लगे. तब उन्होंने ‘स्टार सैलून प्राइवेट लिमिटेड’ नाम से पहली दफा अपनी कंपनी रजिस्टर्ड कराई जिस में वे कंपनी की डाइरैक्टर थीं और बाकी पार्टनर्स थे.

फिर 2010 में स्टार सैलून के अंदर ‘स्टार एकेडमी’ की शुरुआत हुई जहां लोगों को सुंदर बनाने की ऐजुकेशन दी जाने लगी. इस तरह एक कमरे से शुरू हुए पार्लर ने इंटरनैशनल फेम के सैलून का रूप लिया. आश्मीन कौर मुंजाल पिछले 25 सालों से ब्यूटी इंडस्ट्री में कौस्मैटोलौजिस्ट के रूप में काम कर रही हैं. यह एक ऐसी इंडस्ट्री है जिस के अंदर हरउम्र और हर वर्ग की महिलाओं और पुरुषों को खूबसूरत बनाने और उन्हें कैरियर की ऊंचाइयों तक पहुंचाने का काम किया जाता है.  शुरुआत में उन्होंने हाउसवाइफ के तौर पर अपने घर से ही एक छोटे से कमरे से काम शुरू किया.

उन के पति ने बस इतनी परमिशन दी थी कि वे काम कर सकती हैं पर साथ ही बंदिश यह लगाई थी कि जो करना है घर रह कर ही करना है, साथ ही वह काम सुबह 10 बजे उन के शोरूम जाने के बाद और शाम को 7 बजे के करीब वापस आने से पहले तक ही करना है ताकि वे काम के साथसाथ पूरा घर भी मैनेज कर पाएं और बच्चे को भी देख सकें.

काम के प्रति दीवानगी

उस समय तक उन की केवल ग्रैजुएशन ही पूरी हुई थी और इतनी कुछ खास ऐजुकेशनल बैकग्राउंड भी नहीं था. घर से काम करना था सो ऐसे में वे बुटीक खोल सकती थीं या कोङ्क्षचग सैंटर/ट्यूशन पढ़ा सकती थीं. कुङ्क्षकग में खास इंट्रैस्ट था नहीं. उन्हें लोगों को सुंदर बनाना बहुत पसंद था तो इसी पैशन को ध्यान में रख कर इसी फील्ड में हाथ आजमाने की सोची.

उन्होंने कुछ कोर्सेज भी किए और अपनेआप को ऐडवांस नौलेज देने के लिए दिल्ली के अंदर इस फील्ड में जो बैस्ट कोर्सेज उपलब्ध थे वे कर के उन्होंने अपना काम शुरू किया. उन के इस पैशन और काम को लोगों ने काफी पसंद किया. स्पैशली हेयर कट और कलङ्क्षरग का काम बहुत पसंद किया जाने लगा. समय के साथ काम फैलता चला गया. वह वर्कहोलिक रही हैं. मतलब काम के प्रति दीवानगी हमेशा से रही है. सुबह 10 बजे काम शुरू कर रात 9-10 बजे तक कंटिन्यू करतीं. बीच में बच्चों को संभालना, उन का खानापीना, पढ़ाई आदि सबकुछ मैनेज करती थीं.

अब तक आश्मीन मुंजाल को बहुत से अवाड्र्स मिल चुके हैं. अरङ्क्षवद केजरीवाल के जरीए उन्हें स्किल डैवलपमैंट के लिए अवार्ड मिला. उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडु से भी सम्मान मिल चुका है. उन्हें वूमन ऐंपावरमैंट के लिए भी अवाड्ïर्स मिले हैं. सुषमा स्वराज पुरस्कार भी मिला है. मेकअप और ब्यूटी की फील्ड में कई औल इंडिया ऐक्सीलैंस अवौड्ïर्स मिले हैं. सैलिब्रिटी मेकअप आॢटस्ट के अवाड्ïर्स मिले हैं.

सुंदरता का खयाल जरूरी

आश्मीन मुंजाल का मानना है कि जिंदगी में प्रौपर टाइम मैनेजमैंट बहुत जरूरी है. आप का कैरियर आताजाता रहेगा, पैसा और शोहरत भी आतीजाती रहेगी, आप का पैशन भी वापस आ जाएगा पर आप के बच्चों का बचपन दोबारा कभी वापस नहीं आएगा. इसलिए अपने बच्चों के बचपन को जरूर ऐंजौय करें. उन को पूरा टाइम दें वरना जो गिल्ट होता है कि मैं बच्चों को क्वालिटी टाइम नहीं दे पाई यह गिल्ट आप को फ्यूचर में आप की सक्सैस को भी ऐंजौय नहीं करने देगी. आज वे अपने प्रोफैशन और अपनी सक्सैस को बहुत ऐंजौय करती हैं.

मु?ो हमेशा लोगों को सुंदर बनाने में बहुत मजा आता था. खुद की सुंदरता का भी खयाल रखती थी. जरूरी नहीं कि आप जैसे हों वह सुंदरता के मानदंडों में खरा उतरे. हर समुदाय और हर देश का अपनाअपना सुंदरता का मानदंड होता है. कहीं पर काला रंग, कहीं सांवला रंग तो कहीं पर गोरा रंग अच्छा माना जाता है. कहीं कैसा मेकअप होता है तो कहीं कैसा.

आप कैसे अपनेआप को और निखार सकते हो उस पर ध्यान देना जरूरी है. मु?ो लगता है आप के बाल और स्किन का अपर लेयर आप के लुक पर ज्यादा असर डालता है. किसी को उस के मनचाहे रूप में ढालने के लिए बालों को स्टाइल करना, उन में वौल्यूम और सही कङ्क्षटग देना, स्किन में पिगमैंटेशन/ङ्क्षपपल/डार्क सर्कल्स वगैरह को ठीक करना/मैनेज करना, मेकअप के जरीए स्किन और लुक को आकर्षक बनाना यानी लोगों को सुंदर बनने में सपोर्ट करना, यही बचपन से मेरा शौक था और आज भी है.

नाश्ते में बनाएं वेज चीजी मूंग रोल्स

नाश्ता सुबह का हो या शाम का हर महिला के लिए बहुत बड़ी समस्या होती है. आज जहां पैकेज्ड और इंस्टेंट फ़ास्ट फ़ूड के युग में हैल्दी खाद्य वस्तुएं मिलना बहुत बड़ी चुनौती है. बाजार में एक तो हैल्दी खाद्य पदार्थों का अभाव है दूसरे उन्हें लम्बे समय तक सुरक्षित रखने के लिए बहुत सारे केमिक्ल युक्त प्रिजर्वेटिव और ऐसी चीजो का प्रयोग किया जाता है जो सेहत के लिए जरा भी अच्छे नहीं होते. यदि घर पर थोड़े से प्रयास से कुछ नाश्ते बना लिए जायें तो हम हैल्दी नाश्ते तो बनायेंगे ही साथ ही हम अपने परिवार को स्वस्थ भी रख पाएंगे. आज हम आपको ऐसा ही एक नाश्ता बनाना बता रहे हैं जिसे आप घर की वस्तुओं से ही बहुत हैल्दी नाश्ता बना सकते हैं तो आइये देखते हैं कि इसे कैसे बनाया जाता है.

कितने लोगों के लिए 4

बनने में लगने वाला समय 20 मिनट

मील टाइप वेज

सामग्री (कवर के लिए)

ब्रेड स्लाइस 4
मूंग दाल 1 कप
बेसन 1 टीस्पून
नमक 1/4 टीस्पून
अजवाइन 1/4 टीस्पून
कसूरी मैथी 1 टीस्पून
तलने के लिए तेल पर्याप्त मात्रा में
सामग्री(फिलिंग के लिए)
मैश किये उबले आलू 3
बारीक कटी हरी शिमला मिर्च 1/4 कप
बारीक कटी लाल शिमला मिर्च 1/4 कप
बारीक कटी पीली शिमला मिर्च 1/4 कप
कटा पनीर 1/4 कप
कटी हरी मिर्च 4
कटा प्याज 1
कटा लहसुन 4 कली
कटा अदरक 1 इंच
कटी हरी धनिया 1 लच्छी
नमक 1/2 टीस्पून
लाल मिर्च पाउडर 1/4 टीस्पून
गरम मसाला 1/4 टीस्पून
अमचूर पाउडर 1/2 टीस्पून
काली मिर्च पाउडर 1/4 टीस्पून
तेल 1 टीस्पून
जीरा 1/4 टीस्पून
चीज क्यूब्स 4

विधि

बनाने से 4-5 घंटे पहले मूंग दाल को भिगो दें, 5 घंटे बाद पानी निकालकर इसे एकदम महीन पीस लें. इसमें नमक, बेसन, अजवाइन और कसूरी मैथी डालकर ढककर रख दें.

फिलिंग बनाने के लिए एक नानस्टिक पैन में तेल गरम करें और जीरा तड़काकर प्याज, हरी मिर्च, अदरक और लहसुन को भूनकर सभी सब्जियां और नमक डाल दें. ढककर सब्जियों के गलने तक पकाएं. जब सब्जियां गल जायें तो मैश किये आलू, पनीर और सभी मसाले डालकर बिना ढक्कन लगाये 2 से 3 मिनट तक चलाते हुए पकाएं. अंत में हरा धनिया डालकर ठंडा होने दें.

ब्रेड स्लाइस के किनारे काटकर इसे बेलन से बेल लें. इसी प्रकार सारे ब्रेड स्लाइस तैयार कर लें. अब एक बड़ा चम्मच फिलिंग के बीच में 1 चीज क्यूब को रखकर बंद करें. अब इस फिलिंग को ब्रेड स्लाइस के बीच में 1 रखकर ब्रेड के किनारों पर पानी लगाकर स्लाइस को मनचाहे आकार में रोल कर लें. अब इस रोल को मूंग दाल के घोल में डुबोकर गरम तेल में मध्यम आंच पर सुनहरा होने तक तल कर बटर पेपर पर निकाल लें. बीच से काटकर टोमेटो सौस के साथ सर्व करें.

हर महिला के अंदर एक हिडन बिजनैस वूमन छिपी होती है: गीता सिंह

गीता सिंह बिजनैस वूमन

‘द यलो कौइन कम्युनिकेशन’ की संस्थापिका और निदेशक गीता सिंह का जन्म उत्तराखंड के एक छोटे से गांव गदेरा में एक मध्यवर्गीय परिवार में हुआ था. उन के गांव में लड़कियों क विवाह कम उम्र में ही हो जाते थे और वे उच्च शिक्षा से वंचित रह जाती थीं. मगर उन के पिता की इच्छा थी कि वे डाक्टर या इंजीनियर बनें.

गीता सिंह ने दिल्ली आ कर अपनी उच्च शिक्षा प्राप्त की. इस के बाद शुरुआती दौर में विभिन्न मीडिया संस्थानों में भी काम किया. इसी दौरान उन में कौरपोरेट क्षेत्र में एक खास मुकाम बनाने की ख्वाहिश जगी फिर दिल्ली में एक शानदार पीआर और ब्रैंङ्क्षडग एजेंसी स्थापित की. इस कंपनी में 50 से अधिक लोग काम कर रहे हैं जिन में ज्यादातर महिलाएं निर्णायक भूमिका में हैं.

गीता ने अपनी कंपनी की शुरुआत 2012 में की. लेकिन इसे फरवरी, 2014 में प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में कन्वर्ट किया गया. यहां सैकड़ों राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय ब्रैंड्स के लिए काम हो रहा है. आज इस कंपनी ने देश में एक खास पहचान बना ली है. गीता ङ्क्षसह को 2018 में पब्लिक रिलेशन इंडस्ट्री में ‘वूमन ऐंटरपन्योर औफ द ईयर’ पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था.

कैरियर की शुरुआत

‘‘मैं ने अपने कैरियर की शुरुआत एक पत्रकार के रूप में की और कई नामचीन मीडिया संस्थानों के साथ काम करना एक अद्ïभुत अनुभव रहा. लेकिन वहां रहने के बावजूद मैं कौरपोरेट जगत से बेहद आकॢषत थी खासकर किरण मजूमदारशा और इंद्रा नूई जैसी भारतीय महिला बिजनैस लीडर्स के प्रेरणादायक जीवन से जिन्होंने अन्य महिलाओं को यह एहसास कराया कि वे भी इच्छाशक्ति और निरंतर प्रयास से अपने सपनों को साकार कर सकती हैं.

‘‘इस के अलावा मैं एक ऐसा व्यावसायिक उद्यम स्थापित करने की इच्छुक थी जहां पुरुषों और महिलाओं दोनों को समान विकास के अवसर प्रदान किए जाएं. मेरा यह सपना टीवाईसी कम्युनिकेशन के साथ पूरा हुआ जहां महिलाओं की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है और उन्हें अपना हुनर दिखाने के पूरे अवसर मिलते हैं.’’

महिलाएं कैसे आगे बढ़ें

इस फील्ड में खासकर महिलाएं कैसे आगे बढ़ सकती हैं और उन्हें किन चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, पूछने पर वे कहती हैं, ‘‘मेरी राय में शिक्षित महिलाओं के लिए इस से बेहतर कोई और फील्ड नहीं हो सकती है क्योंकि यह मल्टीटाङ्क्षस्कग फील्ड है और विभिन्न कार्यों को अच्छे से मैनेज करना महिलाएं बखूबी जानती हैं. महिलाएं वास्तविक तौर पर अनुशासित, संगठित और जु?ाारू होती हैं और उन की ये खूबियां जब उन के शालीन व्यवहार और अटूट सहनशक्ति से मिलती हैं तो एक संपूर्ण व्यक्तित्व का जन्म होता है और कम्युनिकेशन इंडस्ट्री में वही लोग सफल होते हैं जिन के अंदर ये सारे गुण अच्छे से पाए जाते हैं. पीआर, ब्रैंङ्क्षडग और सोशल मीडिया में महिलाएं काफी अग्रसर हो कर काम कर रही हैं.

‘‘प्रोफैशनल क्वालिफिकेशन जैसे मास कम्युनिकेशन, मीडिया और पत्रकारिता में डिगरी या फिर प्रोफैशनल डिगरी या एडवरटाइङ्क्षजग और मार्केङ्क्षटग में सॢटफिकेट का होना इस क्षेत्र में सफलता पाने के लिए न बेहद जरूरी है बल्कि इंडस्ट्री को सामना के लिए और प्रोफैशनल सक्सैस के लिए भी महत्त्वपूर्ण है. हालांकि उन्हें कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि इस फील्ड में रातदिन काम होता है और यह पुरुषप्रधान समाज है जहां महिलाओं को जौब के साथसाथ अपने घर को भी संभालना पड़ता है.’’

सक्षम हैं महिलाएं

एक बिजनैस वूमन होने के लिए महिला में क्या खासियत होनी चाहिए, इस पर वे कहती हैं, ‘‘मेरे अनुसार हर महिला के अंदर पहले से ही एक हिडन बिजनैस वूमन छिपी होती है बस उसे यह एहसास होना चाहिए कि प्रकृति ने उसे अनमोल स्किल्स से नवाजा है. अगर वह उसे अच्छे से इस्तेमाल करे तो बिजनैस वल्र्ड में उसे कामयाब होने से कोई नहीं रोक सकता है. एक महिला जिस कुशलता से घर का बजट बनाती है,  महत्त्वपूर्ण वित्तीय निर्णय लेती है और यहां तक कि सीमित आय में बचत भी कर लेती है, इस से पता चलता है कि एक संगठन के फाइनैंस को मैनेज करने में महिलाएं कितनी कारगर साबित हो सकती हैं.

समाज की सोच

‘‘महिलाओं में घर को मैनेज करने का गुण भी होता है. आप देखेंगे कि दुनिया में इंद्रा नूई से ले कर सावित्री ङ्क्षजदल, राधिका गुप्ता और कई महिलाओं ने बिजनैस वल्र्ड में अपने संगठन को आगे बढ़ाने में जबरदस्त योगदान दिया है क्योंकि महिलाओं को मैनेज करना आता है और मु?ो लगता है कि एक बिजनैस को महिलाएं पुरुषों से बेहतर चला सकती हैं.’’

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