विश्वास: बेटी शिखा ने क्यों किया मां अंजलि और कमल अंकल के रिश्तों पर शक

फोन पर ‘हैलो’ सुनते ही अंजलि ने अपने पति राजेश की आवाज पहचान ली.

राजेश ने अपनी बेटी शिखा का हालचाल जानने के बाद तनाव भरे स्वर में पूछा, ‘‘तुम यहां कब लौट रही हो?’’

‘‘मेरा जवाब आप को मालूम है,’’ अंजलि की आवाज में दुख, शिकायत और गुस्से के मिलेजुले भाव उभरे.

‘‘तुम अपनी मूर्खता छोड़ दो.’’

‘‘आप ही मेरी भावनाओं को समझ कर सही कदम क्यों नहीं उठा लेते हो?’’

‘‘तुम्हारे दिमाग में घुसे बेबुनियाद शक का इलाज कर ने को मैं गलत कदम नहीं उठाऊंगा…अपने बिजनेस को चौपट नहीं करूंगा, अंजलि.’’

‘‘मेरा शक बेबुनियाद नहीं है. मैं जो कहती हूं, उसे सारी दुनिया सच मानती है.’’

‘‘तो तुम नहीं लौट रही हो?’’ राजेश चिढ़ कर बोला.

‘‘नहीं, जब तक…’’

‘‘तब मेरी चेतावनी भी ध्यान से सुनो, अंजलि,’’ उसे बीच में टोकते हुए राजेश की आवाज में धमकी के भाव उभरे, ‘‘मैं ज्यादा देर तक तुम्हारा इंतजार नहीं करूंगा. अगर तुम फौरन नहीं लौटीं तो…तो मैं कोर्ट में तलाक के लिए अर्जी दे दूंगा. आखिर, इनसान की सहने की भी एक सीमा…’’

अंजलि ने फोन रख कर संबंधविच्छेद कर दिया. राजेश ने पहली बार तलाक लेने की धमकी दी थी. उस की आंखों में अपनी बेबसी को महसूस करते हुए आंसू आ गए. वह चाहती भी तो आगे राजेश से वार्तालाप न कर पाती क्योंकि उस के रुंधे गले से आवाज नहीं निकलती.

शिखा अपनी एक सहेली के घर गई हुई थी. अंजलि के मातापिता अपने कमरे में आराम कर रहे थे. अपनी चिंता, दुख और शिकायत भरी नाराजगी से प्रभावित हो कर वह बिना किसी रुकावट के कुछ देर खूब रोई.

रोने से उस का मन उदास और बोझिल हो गया. एक थकी सी गहरी आस छोड़ते हुए वह उठी और फोन के पास पहुंच कर अपनी सहेली वंदना का नंबर मिलाया.

राजेश से मिली तलाक की धमकी के बारे में जान कर वंदना ने उसे आश्वासन दिया, ‘‘तू रोनाधोना बंद कर, अंजलि. मेरे साहब घर पर ही हैं. हम दोनों घंटे भर के अंदर तुझ से मिलने आते हैं. आगे क्या करना है, इस की चर्चा आमने- सामने बैठ कर करेंगे. फिक्र मत कर, सब ठीक हो जाएगा.’’

वंदना उस के बचपन की सब से अच्छी सहेली थी. उस का व उस के पति कमल का अंजलि को बहुत सहारा था. उन दोनों के साथ अपने सुखदुख बांट कर ही पति से दूर वह मायके में रह रही थी. अपना मानसिक संतुलन बनाए रखने के लिए अंजलि जो बात अपने मातापिता से नहीं कह पाती, वह इन दोनों से बेहिचक कह देती.

राजेश से फोन पर हुई बातचीत का ब्योरा अंजलि से सुन कर वंदना चिंतित हो उठी तो उस के पति कमल की आंखों में गुस्से के भाव उभरे.

‘‘अंजलि, कोई चोर कोतवाल को उलटा नहीं धमका सकता है. राजेश को तलाक की धमकी देने का कोई अधिकार नहीं है. अगर वह ऐसा करता है तो समाज उसी के नाम पर थूथू करेगा,’’ कमल ने आवेश भरे लहजे में अपनी राय बताई.

‘‘मेरी समझ से हमें टकराव का रास्ता छोड़ कर राजेश से बात करनी चाहिए,’’ चिंता के मारे अपनी उंगलियां मरोड़ते हुए वंदना ने अपने मन की बात कही.

‘‘राजेश से बातचीत करने को अगर अंजलि उस के पास लौट गई तो वह अपने दोस्त की विधवा के प्रेमजाल से कभी नहीं निकलेगा. उस पर संबंध तोड़ने को दबाव बनाए रखने के लिए अंजलि का यहां रहना जरूरी है.’’

‘‘अगर राजेश ने सचमुच तलाक की अर्जी कोर्ट में दे दी तो क्या करेंगे हम? तब भी तो अंजलि

को मजबूरन वापस लौटना पडे़गा न.’’

‘‘मैं नहीं लौटूंगी,’’ अंजलि ने सख्त लहजे में उन दोनों को अपना फैसला सुनाया, ‘‘मैं 2 महीने अलग रह सकती हूं तो जिंदगी भर को भी अलग रह लूंगी. मैं जब चाहूं तब अध्यापिका की नौकरी पा सकती हूं. शिखा को पालना मेरे लिए समस्या नहीं बनेगा. एक बात मेरे सामने बिलकुल साफ है. अगर राजेश ने उस विधवा सीमा से अपने व्यक्तिगत व व्यावसायिक संबंध बिलकुल समाप्त नहीं किए तो वह मुझे खो देंगे.’’

वंदना व कमल कुछ प्रतिक्रिया दर्शाते, उस से पहले ही बाहर से किसी ने घंटी बजाई. अंजलि ने दरवाजा खोला तो सामने अपनी 16 साल की बेटी शिखा को खड़ा पाया.

‘‘वंदना आंटी और कमल अंकल आए हुए हैं. तुम उन के पास कुछ देर बैठो, तब तक मैं तुम्हारे लिए खाना लगा लाती हूं,’’ भावुकता की शिकार बनी अंजलि ने प्यार से अपनी बेटी के कंधे पर हाथ रखा.

‘‘मेरा मूड नहीं है, किसी से खामखां सिर मारने का. जब भूख होगी, मैं खाना खुद ही गरम कर के खा लूंगी,’’ बड़ी रुखाई से जवाब देने के बाद साफ तौर पर चिढ़ी व नाराज सी नजर आ रही शिखा अपने कमरे में जा घुसी.

अंजलि को उस का अचानक बदला व्यवहार बिलकुल समझ में नहीं आया. उस ने परेशान अंदाज में इस की चर्चा वंदना और कमल से की.

‘‘शिखा छोटी बच्ची नहीं है,’’ वंदना की आंखों में चिंता के बादल और ज्यादा गहरा उठे, ‘‘अपने मातापिता के बीच की अनबन जरूर उस के मन की सुखशांति को प्रभावित कर रही है. उस के अच्छे भविष्य की खातिर भी हमें समस्या का समाधान जल्दी करना होगा.’’

‘‘वंदना ठीक कह रही है, अंजलि,’’ कमल ने गंभीर लहजे में कहा, ‘‘तुम शिखा से अपने दिल की बात खुल कर कहो और उस के मन की बातें सहनशीलता से सुनो. मेरी समझ से हमारे जाने के बाद आज ही तुम यह काम करना. कोई समस्या आएगी तो वंदना और मैं भी उस से बात करेंगे. उस की टेंशन दूर करना हम सब की जिम्मेदारी है.’’

उन दोनों के विदा होने तक अपनी समस्या को हल करने का कोई पक्का रास्ता अंजलि के हाथ नहीं आया था. अपनी बेटी से खुल कर बात करने के  इरादे से जब उस ने शिखा के कमरे में कदम रखा, तब वह बेचैनी और चिंता का शिकार बनी हुई थी.

‘‘क्या बात है? क्यों मूड खराब है तेरा?’’ अंजलि ने कई बार ऐसे सवालों को घुमाफिरा कर पूछा, पर शिखा गुमसुम सी बनी रही.

‘‘अगर मुझे तू कुछ बताना नहीं चाहती है तो वंदना आंटी और कमल अंकल से अपने दिल की बात कह दे,’’  अंजलि की इस सलाह का शिखा पर अप्रत्याशित असर हुआ.

‘‘भाड़ में गए कमल अंकल. जिस आदमी की शक्ल से मुझे नफरत है, उस से बात करने की सलाह आज मुझे मत दें,’’  शिखा किसी ज्वालामुखी की तरह अचानक फट पड़ी.

‘‘क्यों है तुझे कमल अंकल से नफरत? अपने मन की बात मुझ से बेहिचक हो कर कह दे गुडि़या,’’ अंजलि का मन एक अनजाने से भय और चिंता का शिकार हो गया.

‘‘पापा के पास आप नहीं लौटो, इस में उस चालाक इनसान का स्वार्थ है और आप भी मूर्ख बन कर उन के जाल में फंसती जा रही हो.’’

‘‘कैसा स्वार्थ? कैसा जाल? शिखा, मेरी समझ में तेरी बात रत्ती भर नहीं आई.’’

‘‘मेरी बात तब आप की समझ में आएगी, जब खूब बदनामी हो चुकी होगी. मैं पूछती हूं कि आप क्यों बुला लेती हो उन्हें रोजरोज? क्यों जाती हो उन के घर जब वंदना आंटी घर पर नहीं होतीं? पापा बारबार बुला रहे हैं तो क्यों नहीं लौट चलती हो वापस घर.’’

शिखा के आरोपों को समझने में अंजलि को कुछ पल लगे और तब उस ने गहरे सदमे के शिकार व्यक्ति की तरह कांपते स्वर में पूछा, ‘‘शिखा, क्या तुम ने कमल अंकल और मेरे बीच गलत तरह के संबंध होने की बात अपने मुंह से निकाली है?’’

‘‘हां, निकाली है. अगर दाल में कुछ काला न होता तो वह आप को सदा पापा के खिलाफ क्यों भड़काते? क्यों जाती हो आप उन के घर, जब वंदना आंटी घर पर नहीं होतीं?’’

अंजलि ने शिखा के गाल पर थप्पड़ मारने के लिए उठे अपने हाथ को बड़ी कठिनाई से रोका और गहरीगहरी सांसें ले कर अपने क्रोध को कम करने के प्रयास में लग गई. दूसरी तरफ तनी हुई शिखा आंखें फाड़ कर चुनौती भरे अंदाज में उसे घूरती रहीं.

कुछ सहज हो कर अंजलि ने उस से पूछा, ‘‘वंदना के घर मेरे जाने की खबर तुम्हें उन के घर के सामने रहने वाली रितु से मिलती है न?’’

‘‘हां, रितु मुझ से झूठ नहीं बोलती है,’’ शिखा ने एकएक शब्द पर जरूरत से ज्यादा जोर दिया.

‘‘यह अंदाजा उस ने या तुम ने किस आधार पर लगाया कि मैं वंदना की गैर- मौजूदगी में कमल से मिलने जाती हूं?’’

‘‘आप कल सुबह उन के घर गई थीं और परसों ही वंदना आंटी ने मेरे सामने कहा था कि वह अपनी बड़ी बहन को डाक्टर के यहां दिखाने जाएंगी, फिर आप उन के घर क्यों गईं?’’

‘‘ऐसा हुआ जरूर है, पर मुझे याद नहीं रहा था,’’ कुछ पल सोचने के बाद अंजलि ने गंभीर स्वर में जवाब दिया.

‘‘मुझे लगता है कि वह गंदा आदमी आप को फोन कर के अपने पास ऐसे मौकों पर बुलाता है और आप चली जाती हो.’’

‘‘शिखा, तुम्हें अपनी मम्मी के चरित्र पर यों कीचड़ उछालते हुए शर्म नहीं आ रही है,’’ अंजलि का अपमान के कारण चेहरा लाल हो उठा, ‘‘वंदना मेरी बहुत भरोसे की सहेली है. उस के साथ मैं कैसे विश्वासघात करूंगी? मेरे दिल में सिर्फ तुम्हारे पापा बसते हैं, और कोई नहीं.’’

‘‘तब आप उन के पास लौट क्यों नहीं चलती हो? क्यों कमल अंकल के भड़काने में आ रही हो?’’ शिखा ने चुभते लहजे में पूछा.

‘‘बेटी, तेरे पापा के और मेरे बीच में एक औरत के कारण गहरी अनबन चल रही है, उस समस्या के हल होते ही मैं उन के पास लौट जाऊंगी,’’ शिखा को यों स्पष्टीकरण देते हुए अंजलि ने खुद को शर्म के मारे जमीन मेें गड़ता महसूस किया.

‘‘मुझे यह सब बेकार के बहाने लगते हैं. आप कमल अंकल के कारण पापा के पास लौटना नहीं चाहती हो,’’ शिखा अपनी बात पर अड़ी रही.

‘‘तुम जबरदस्त गलतफहमी का शिकार हो, शिखा. वंदना और कमल मेरे शुभचिंतक हैं. उन दोनों का बहुत सहारा है मुझे. दोस्ती के पवित्र संबंध की सीमाएं तोड़ कर कुछ गलत न मैं कर रही हूं न कमल अंकल. मेरे कहे पर विश्वास कर बेटी,’’ अंजलि बहुत भावुक हो उठी.

‘‘मेरे मन की सुखशांति की खातिर आप अंकल से और जरूरी हो तो वंदना आंटी से भी अपने संबंध पूरी तरह तोड़ लो, मम्मी. मुझे डर है कि ऐसा न करने पर आप पापा से सदा के लिए दूर हो जाओगी,’’ शिखा ने आंखों में आंसू ला कर विनती की.

‘‘तुम्हारे नासमझी भरे व्यवहार से मैं बहुत निराश हूं,’’ ऐसा कह कर अंजलि उठ कर अपने कमरे में चली आई.

इस घटना के बाद मांबेटी के संबंधों में बहुत खिंचाव आ गया. आपस में बातचीत बस, बेहद जरूरी बातों को ले कर होती. अपने दिल पर लगे घावों को दोनों नाराजगी भरी खामोशी के साथ एकदूसरे को दिखा रही थीं.

शिखा की चुप्पी व नाराजगी वंदना और कमल ने भी नोट की. अंजलि उन के किसी सवाल का जवाब नहीं दे सकी. वह कैसे कहती कि शिखा ने कमल और उस के बीच नाजायज संबंध होने का शक अपने मन में बिठा रखा था.

करीब 4 दिन बाद रात को शिखा ने मां के कमरे में आ कर अपने मन की बातें कहीं.

‘‘आप अंदाजा भी नहीं लगा सकतीं कि मेरी सहेली रितु ने अन्य सहेलियों को सब बातें बता कर मेरे लिए इज्जत से सिर उठा कर चलना ही मुश्किल कर दिया है. अपनी ये सब परेशानियां मैं आप के नहीं, तो किस के सामने रखूं?’’

‘‘मुझे तुम्हारी सहेलियों से नहीं सिर्फ तुम से मतलब है, शिखा,’’ अंजलि ने शुष्क स्वर में जवाब दिया, ‘‘तुम ने मुझे चरित्रहीन क्यों मान लिया? मुझ से ज्यादा तुम्हें अपनी सहेली पर विश्वास क्यों है?’’

‘‘मम्मी, बात विश्वास करने या न करने की नहीं है. हमें समाज में मानसम्मान से रहना है तो लोगों को ऊटपटांग बातें करने का मसाला नहीं दिया जा सकता.’’

‘‘तब क्या दूसरों को खुश करने के लिए तुम अपनी मां को चरित्रहीन करार दे दोगी? उन की झूठी बातों पर विश्वास कर के अपनी मां को उस की सब से प्यारी सहेली से दूर करने की जिद पकड़ोगी?’’

‘‘मुझ पर क्या गुजर रही है, इस की आप को भी कहां चिंता है, मम्मी,’’ शिखा चिढ़ कर गुस्सा हो उठी, ‘‘मैं आप की सहेली नहीं बल्कि सहेली के चालाक पति से आप को दूर देखना चाहती हूं. अपनी बेटी की सुखशांति से ज्यादा क्या कमल अंकल के साथ जुडे़ रहना आप के लिए जरूरी है?’’

‘‘कमल अंकल मेरे लिए तुम से ज्यादा महत्त्वपूर्ण कैसे हो सकते हैं, शिखा? मुझे तो अफसोस और दुख इस बात का है कि मेरी बेटी को मुझ पर विश्वास नहीं रहा. मैं पूछती हूं कि तुम ही मुझ पर विश्वास क्यों नहीं कर रही हो?  अपनी सहेलियों की बकवास पर ध्यान न दे कर मेरा साथ क्यों नहीं दे रही हो? मेरे मन में खोट नहीं है, इस बात को मेरे कई बार दोहराने के बावजूद तुम ने उस पर विश्वास न कर के मेरे दिल को जितनी पीड़ा पहुंचाई है, क्या उस का तुम्हें अंदाजा है?’’ बोलते हुए अंजलि का चेहरा गुस्से से लाल हो गया.

‘‘यों चीखचिल्ला कर आप मुझे चुप नहीं कर सकोगी,’’ गुस्से से भरी शिखा उठ कर खड़ी हो गई, ‘‘चित भी मेरी और पट भी मेरी का चालाकी भरा खेल मेरे साथ न खेलो.’’

‘‘क्या मतलब?’’ अंजलि फौरन उलझन का शिकार बन गई.

‘‘मतलब यह कि पापा ने अपनी बिजनेस पार्टनर सीमा आंटी को ले कर आप को सफाई दे दी तब तो आप ने उन की एक नहीं सुनी और यहां भाग आईं, और जब मैं आप से कमल अंकल के साथ संबंध तोड़ लेने की मांग कर रही हूं तो किस आधार पर आप मुझे गलत और खुद को सही ठहरा रही हो?’’

अंजलि को बेटी का सवाल सुन कर तेज झटका लगा. उस ने अपना सिर झुका लिया. शिखा आगे एक भी शब्द न बोल कर अपने कमरे में लौट गई. दोनों मांबेटी ने तबीयत खराब होने का बहाना बना कर रात का खाना नहीं खाया. शिखा के नानानानी को उन दोनों के उखडे़ मूड का कारण जरा भी समझ में नहीं आया.

उस रात अंजलि बहुत देर तक नहीं सो सकी. अपने पति के साथ चल रहे मनमुटाव से जुड़ी बहुत सी यादें उस के दिलोदिमाग में हलचल मचा रही थीं. शिखा द्वारा लगाए गए आरोप ने उसे बुरी तरह झकझोर दिया था.

राजेश ने कभी स्वीकार नहीं किया था कि अपने दोस्त की विधवा के साथ उस के अनैतिक संबंध थे. दूसरी तरफ आफिस में काम करने वाली 2 लड़कियों और राजेश के दोस्तों की पत्नियों ने इस संबंध को समाप्त करवा देने की चेतावनी कई बार उस के कानों में डाली थी.

तब खूबसूरत सीमा को अपने पति के साथ खूब खुल कर हंसतेबोलते देख अंजलि जबरदस्त ईर्ष्या व असुरक्षा की भावना का शिकर रहने लगी.

राजेश ने उसे प्यार से व डांट कर भी खूब समझाया पर अंजलि ने साफ कह दिया, ‘मेरे मन की सुखशांति, मेरे प्यार व खुशियों की खातिर आप को सीमा से हर तरह का संबंध समाप्त कर लेना होगा.’

‘मैं ऐसा कुछ नहीं करूंगा जिस से अपनी नजरों में गिर जाऊं. मैं कुसूरवार हूं ही नहीं, तो सजा क्यों भोगूं? अपने दिवंगत दोस्त की पत्नी को मैं बेसहारा नहीं छोड़ सकता हूं. तुम्हारे बेबुनियाद शक के कारण मैं अपनी नजरों में खुद को गिराने वाला कोई कदम नहीं उठाऊंगा,’ राजेश के इस फैसले को अंजलि किसी भी तरह से नहीं बदलवा सकी.

पहले अपने पति और अब अपनी बेटी के साथ हुए टकरावों में अंजलि को बड़ी समानता नजर आई. उस ने सीमा को ले कर राजेश पर चरित्रहीन होने का आरोप लगाया था और शिखा ने कमल को ले कर खुद उस पर.

वह अपने को सही मानती थी, जैसे अब शिखा अपने को सही मान रही थी. वहां राजेश अपराधी के कटघरे में खड़ा हो कर सफाई देता था और आज वह अपनी बेटी को सफाई देने के लिए मजबूर थी.

अपने दिल की बात वह अच्छी तरह जानती थी. उस के मन में कमल को ले कर रत्ती भर भी गलत तरह का आकर्षण नहीं था. इस मामले में शिखा पूरी तरह गलत थी.

तब सीमा व राजेश के मामले में क्या वह खुद गलत नहीं हो सकती थी? इस सवाल से जूझते हुए अंजलि ने सारी रात करवटें बदलते हुए गुजार दी.

अगली सुबह शिखा के जागते ही अंजलि ने अपना फैसला उसे सुना दिया, ‘‘अपना सामान बैग में रख लो. नाश्ता करने के बाद हम अपने घर लौट रहे हैं.’’

‘‘ओह, मम्मी. यू आर ग्रेट. मैं बहुत खुश हूं,’’ शिखा भावुक हो कर उस से लिपट गई.

अंजलि ने उस के माथे का चुंबन लिया, पर मुंह से कुछ नहीं बोली. तब शिखा ने धीमे स्वर में उस से कहा, ‘‘गुस्से में आ कर मैं ने जो भी पिछले दिनों आप से उलटासीधा कहा है, उस के लिए मैं बेहद शर्मिंदा हूं. आप का फैसला बता रहा है कि मैं गलत थी. प्लीज मम्मा, मुझे माफ कर दीजिए.’’

अंजलि ने उसे अपने सीने से लगा लिया. मांबेटी दोनों की आंखों में आंसू भर आए. पिछले कई दिनों से बनी मानसिक पीड़ा व तनाव से दोनों पल भर में मुक्त हो गई थीं.

उस के बुलावे पर वंदना उस से मिलने घर आ गई. कमल के आफिस चले जाने के कारण अंजलि के लौटने की खबर कमल तक नहीं पहुंची.

वंदना को अंजलि ने अकेले में अपने वापस लौटने का सही कारण बताया, ‘‘पिछले दिनों अपनी बेटी शिखा के कारण राजेश और सीमा को ले कर मुझे अपनी एक गलती…एक तरह की नासमझी का एहसास हुआ है. उसी भूल को सुधारने को मैं राजेश के पास बेशर्त वापस लौट रही हूं.

‘‘सीमा के साथ उस के अनैतिक संबंध नहीं हैं, मुझे राजेश के इस कथन पर विश्वास करना चाहिए था, पर मैं और लोगों की सुनती रही और हमारे बीच प्रेम व विश्वास का संबंध कमजोर पड़ने लगा.

‘‘अगर राजेश निर्दोष हैं तो मेरा झगड़ालू रवैया उन्हें कितना गलत और दुखदायी लगता होगा. बिना कुछ अपनी आंखों से देखे, पत्नी का पति पर विश्वास न करना क्या एक तरह का विश्वासघात नहीं है?

‘‘मैं राजेश को…उन के पे्रम को खोना नहीं चाहती हूं. हो सकता है कि सीमा और उन के बीच गलत तरह के संबंध बन गए हों, पर इस कारण वह खुद भी मुझे छोड़ना नहीं चाहते. उन के दिल में सिर्फ मैं रहूं, क्या अपने इस लक्ष्य को मैं उन से लड़झगड़ कर कभी पा सकूंगी?

‘‘वापस लौट कर मुझे उन का विश्वास फिर से जीतना है. हमारे बीच प्रेम का मजबूत बंधन फिर से कायम हो कर हम दोनों के दिलों के घावों को भर देगा, इस का मुझे पूरा विश्वास है.’’

अंजलि की आंखों में दृढ़निश्चय के भावों को पढ़ कर वंदना ने उसे बडे़ प्यार से गले लगा लिया.

महंगे ख्वाब: रश्मि को कौनसी चुकानी पड़ी कीमत

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त्रिकोण: शातिर नितिन के जाल से क्या बच पाई नर्स?

आज सोनल को दूसरे दिन भी बुखार था. नितिन अनमना सा रसोई में खाना बनाने का असफल प्रयास कर रहा था. सोनल मास्क लगा कर हिम्मत कर के उठी और नितिन को दूर से ही हटाते हुए बोली,”तुम जाओ, मैं करती हूं.”

नितिन सपाट स्वर में बोला,”तुम्हारा बुखार तो 99 पर ही अटका हुआ है और तुम आराम ऐसे कर रही हो,
जैसे 104 है.”

फीकी हंसी हंसते हुए सोनल बोली,”नितिन, शरीर में बहुत कमजोरी लग रही है, मैं झूठ नहीं बोल रही हूं.”

तभी 15 वर्षीय बेटी श्रेया रसोई में आई और सोनल के हाथों से बेलनचकला लेते हुए बोली,”आप जाइए, मैं बना लूंगी.”

तभी 13 वर्षीय बेटा आर्यन भी रसोई में आ गया और बोला,”मम्मी, आप लेटो, मैं आप को नारियल पानी देता हूं और टैंपरेचर चेक करता हूं.”

सोनल बोली,”बेटा, तुम सब लोग मास्क लगा लो, मैं अपना टैंपरेचर खुद चैक कर लेती हूं.”

नितिन चिढ़ते हुए बोला,”सुबह से जब मैं काम कर रहा था तो तुम दोनों का दिल नहीं पसीजा?”

श्रेया थके हुए स्वर में चकले पर किसी देश का नक्शा बेलते हुए बोली,”पापा, हमारी औनलाइन क्लास थी, 1
बजे तक.”

आर्यन मास्क को ठीक करते हुए बोला,”पापा, एक काम कर लो, कहीं से औक्सिमीटर का इंतजाम कर लीजिए, मम्मी का औक्सीजन लैवल चैक करना जरूरी है.”

नितिन बोला,”अरे सोनल को कोई कोरोना थोड़े ही हैं, पैरासिटामोल से बुखार उतर तो जाता है, यह वायरल
फीवर है और फिर कोरोना के टैस्ट कराए बगैर तुम क्यों यह सोच रहे हो?”

श्रेया खाना परोसते हुए बोली,”पापा, तो करवाएं? नितिन को लग रहा था कि क्यों कोरोना के टैस्ट पर ₹4,000 खर्च किया जाए. अगर होगा भी तो अपनेआप ठीक हो जाएगा. भला वायरस का कभी कुछ इलाज मिला है जो अब मिलेगा?”

जब श्रेया खाना ले कर सोनल के कमरे में गई तो सोनल दूर से बोली,”बेटा, यहीं रख दो, करीब मत आओ, मैं नहीं चाहती कि मेरे कारण यह बुखार तुम्हे भी हो.”

नितिन बाहर से चिल्लाते हुए बोला,”तुम तो खुद को कोरोना कर के ही मानोगी.”

सोनल बोली,”नितिन, चारों तरफ कोरोना ही फैला हुआ है और फिर मुझे बुखार के साथसाथ गले में दर्द भी हो रहा है.”

श्रेया और आर्यन बाहर खड़े अपनी मम्मी को बेबसी से देख रहे थे. क्या करें, कैसे मम्मी का दर्द कम करें
दोनों बच्चों को समझ नहीं आ रहा था. सोनल को नितिन की लापरवाही का भलीभांति ज्ञान था. उसे यह भी पता था कि महीने के आखिर में पैसे ना के बराबर होंगे इसलिए नितिन टैस्ट नहीं करवा रहा है. सरकारी फ्री टैस्ट की स्कीम ना जाने किन लोगों के
लिए हैं, उसे समझ नहीं आ रहा था.
सोनल ने व्हाट्सऐप से नितिन को दवाओं की परची भेज दिया. नितिन मैडिकल स्टोर से दवाएं ले आया,
हालांकि मैडिकल स्टोर वाले ने बहुत आनाकानी की थी क्योंकि परची पर सोनल का नाम नहीं था.

दवाओं का थैला सोनल के कमरे की दहलीज पर रख कर नितिन चला गया. सोनल ने पैरासिटामोल खा ली
और आंखे बंद कर के लेट गई. पर उस का मन इसी बात में उलझा हुआ था कि वह कल औफिस जा पाएगी
या नहीं. आजकल तो हर जगह बुरा हाल है. एक दिन भी ना जाने पर वेतन कट जाता है. कैसे खर्च चलेगा
अगर उसे कोरोना हो गया तो? नितिन के पास तो बस बड़ीबड़ी बातें होती हैं, यही सोचतेसोचते उस के कानों
में अपने पापा की बात गूंजने लगी,”सोनल, यह तुझे नहीं तेरी नौकरी को प्यार करता है. तुझे क्या लगता है यह तेरे रूपरंग पर रिझा है?
तुझे दिखाई नहीं देता कि तुम दोनों में कहीं से भी किसी भी रूप में कोई समानता नहीं है…”

आज 16 वर्ष बाद भी रहरह कर सोनल को अपने पापा की बात याद आती है. सोनल के घर वालों ने उसे नितिन से शादी के लिए आजतक माफ नहीं किया था और नितिन के घर में रिश्तों का कभी कोई महत्त्व था ही नहीं. शुरूशुरू में तो नितिन ने उसे प्यार में भिगो दिया था, सोनल को लगता था जैसे वह दुनिया की सब से खुशनसीब औरत है पर यह मोहभंग जल्द ही हो गया था, जब 2 माह के भीतर ही नितिन ने बिना सोनल से पूछे उस की सारी सैविंग किसी प्रोजैक्ट में लगा दी थी.

जब सोनल ने नितिन से पूछा तो नितिन बोला,”अरे देखना मेरा प्रोजैक्ट अगर चल निकला तो तुम यह नौकरी
छोड़ कर बस मेरे बच्चे पालना.”

पर ऐसा कुछ नहीं हुआ और तब तक श्रेया के आने की दस्तक सोनल को मिल गई थी. फिर धीरेधीरे नितिन
का असली रंग सोनल को समझ आ चुका था. जब तक सोनल का डैबिट कार्ड नितिन के पास होता तो सोनल पर प्यार की बारिश होती रहती थी. जैसे ही सोनल नितिन को पैसों के लिए टोकती तो नितिन सोनल से बोलना छोड़ देता था. धीरेधीरे सोनल ने स्वीकार कर लिया था कि नितिन ऐसा ही है. उसे मेहनत करने की आदत नही है. सोनल के परिवार का उस के साथ खड़े ना होने के कारण नितिन और ज्यादा शेर हो गया था. घरबाहर की जिम्मेदारियां, रातदिन की मेहनत और पैसों की तंगी के कारण सोनल बेहद रूखी हो गई थी.
सुंदर तो सोनल पहले भी नहीं थी पर अब वह एकदम ही रूखी लगती थी. सोनल मन ही मन घुलती रहती
थी. नितिन का इधरउधर घूमना सोनल से छिपा नहीं रहा था और ऊपर से यह बेशर्मी कि नितिन सोनल के पैसों से ही अपनी गर्लफ्रैंड के शौक पूरे करता था.

दोनों बच्चों को पता था कि मम्मीपापा के बीच सब कुछ नौर्मल नहीं था.
पर जिंदगी फिर भी कट ही रही थी.
यह सब सोचतेसोचते सोनल की आंख ना जाने किस पहर में लग गई थी. उसे एक बेहद अजीब सपना आया जिस में नितिन के हाथ खून से रंगे हुए थे. अचकचा कर सोनल उठ बैठी, उस का शरीर भट्टी की तरह तप रहा था. बुखार चैक किया 102 था. चाह कर भी वह उठ ना पाई और ऐसे ही गफलियत में लेटी रही.

सुबह किसी तरह से औक्सिमीटर का इंतजाम हो गया था. सोनल ने जैसे ही नापा तो उस का औक्सीजन लैवल
85 था. उस ने फोन कर के नितिन को बोला तो नितिन भी थोड़ा परेशान हो गया और बोला,”सोनल, प्रोन
पोजीशन में लेटी रहो.”

इधरउधर नितिन ने हाथपैर मारने शुरू किए. सब जगह पैसों के साथसाथ सिफारिश चाहिए थी. नितिन
के हाथ खाली थे. किसी तरह श्रेया की फ्रैंड की मदद से सोनल को अस्पताल तो मिल गया था पर दवाओं और टैस्ट के पैसे कौन देगा?
तभी कौरिडोर में एक सांवली मगर गठीली शरीर की नर्स आई और नितिन से मुखातिब होते हुए बोली,”सर, दवाएं यहां फ्री नहीं हैं.”

नितिन मायूसी से बोला,”जानता हूं पर घर में सब लोगों को कोविड है और मांपापा को कैसे ऐसे छोड़ देता, उसी चक्कर में सबकुछ लग गया. 2 बच्चे भी हैं, आप ही बताओ क्या करूं? बिजनैस में अलग से घाटा चल रहा है.”

नर्स का नाम ललिता था. वह 32 वर्ष की थी. उसे नितिन से थोड़ी सहानुभूति सी हो गई. उस ने कहा,”अच्छा सर, मैं कोशिश करती हूं.”

नितिन ने अचानक से ललिता का हाथ अपने हाथों में ले कर हलके से थपथपा दिया. ललित हक्कीबक्की रह गई थी. नितिन धीरे से बोला,”आई एम सौरी ललिता, पर तुम्हें पता है ना इंसान ऐसे पलों में कितना कमजोर पड़ जाता है.”

ललिता को लगा कि नितिन कितना केयरिंग है. अपने घरपरिवार को ले कर और एक उस का पहला पति था
एकदम निक्कमा. काश, मेरा पति भी इतना केयरिंग होता तो मुझे अपनी जान हथेली पर रख कर यह नौकरी नहीं करनी पड़ती.

नितिन विजयी भाव के साथ घर आया. उसे लग रहा था कि उस ने दवाओं का इंतजाम फ्री में ही कर दिया है. थोड़े से घड़ियाली आंसू बहा कर वह ललिता को पूरी तरह अपने शीशे में उतार लेगा.

नितिन के पास यही हुनर था, औरतों की भावनाओं को हवा दे कर उन को उल्लू बनाना. औरतों की झूठी
तारीफें करना और खुद अपना उल्लू सीधा करना.

ललिता ने सोनल की दवाओं का इंतजाम कर दिया था. नितिन ने नहा कर ब्लू कलर की शर्ट और जींस
पहनी. उसे पता था वह इस में कातिल लगता है. दोनों बच्चों को बुलाकर दूर से ही बोला,”बेटा, मैं मम्मी के पास जा रहा हूं, तुम लोग रह लोगे क्या अकेले?”

श्रेया डबडबाई आवाज में बोली,”पापा, मम्मी ठीक हो जाएंगी ना?”

नितिन इतना स्वार्थी था कि उसे अभी भी ललिता दिख रही थी. झुंझलाता हुआ बोला,”अरे भई, इसलिए तो वहां
जा रहा हूं, तुम क्यों रोधो रही हो?”

आर्यन श्रेया को चुप कराते हुए बोला,”दीदी, हम लोग हिम्मत नहीं हारेंगे, पापा आप जाओ.”

नितिन हौस्पिटल तो गया पर सोनल के पास जाने के बजाए घाघ लोमड़ी की तरह ललिता के बारे में
इधरउधर से पता लगाता रहा था. यह पता लगते ही कि ललिता का अपने पति से तलाक हो गया है नितिन
की बांछें खिल गई थीं. उधर सोनल का औक्सीजन लैवल डीप कर रहा था. हौस्पिटल में इतनी मारामारी थी
कि अगर मरीज का तीमारदार ध्यान ना दे तो मरीज की कोई सुधबुध नहीं लेता था.

नितिन बाहर से ही सोनल को देख रहा था. उस का बिलकुल भी मन नहीं था अंदर जाने का. तभी नितिन ने दूर से ललिता को आते हुए देखा, नितिन भाग कर अंदर सोनल के पास गया. नितिन ने देखा कि सोनल का
औक्सीजन लेवल 70 पहुंच चुका था. वह भाग कर ललिता के पास गया और घड़ियाली आंसू बहाते हुए
बोला,”ललिता, मेरी सोनल को बचा लो. घर पर बच्चों के लिए खाने का इंतजाम करने गया था.”

ललिता भागते हुए सोनल के पास पहुंची तो देखा औक्सीजन मास्क ठीक से लगा हुआ नहीं था. उस ने ठीक किया तो सोनल का औक्सिजन लैवल बढ़ने लगा. नितिन ललिता के करीब जाते हुए बोला,”ललिता, तुम मेरे लिए फरिश्ता बन कर आई हो.”

ललिता को नितिन से सहानुभूति सी हो गई थी. नरम स्वर में बोली,”आप चिंता मत करें, यह मेरा पर्सनल नंबर है. अगर जरूरत पड़े तो कौल कर लीजिएगा.”

नितिन को ललिता से और बात करनी थी, इसलिए बोला,”यहां कोई कैंटीन है, सुबह से कुछ नहीं खाया है. तुम्हें अजीब लग रहा होगा पर पापी पेट तो नहीं मानता ना.”

ललिता बोली,”आप मेरे साथ चलो…”

कैंटीन में बैठेबैठे 1 घंटा हो गया था. नितिन जितना झूठ बोल सकता था, उस ने बोल दिया था. ललिता जब
कैंटीन से बाहर निकली तो उसे लगा कि वह नितिन के बेहद करीब आ गई है. ललिता ने नितिन की मदद करने के उद्देश्य से अपनी ड्यूटी भी उस वार्ड में लगवा ली जिस में सोनल ऐडमिट थी. वह आतेजाते आंखों ही आंखों में नितिन को साहस देती रहती थी. नितिन को ललिता में अपना अगला शिकार मिल गया था. वह बेहया इंसान यहां तक सोच बैठा था कि अगर सोनल को कुछ हो गया तो वह ललिता को अपनी जिंदगी में शामिल कर लेगा. ललिता अकेली रहती है और अच्छाखासा कमाती है. दिखने में भी आकर्षक है और सब से बड़ी बात ललिता उसे पसंद भी करने लगी है.

अब नितिन का रोज का यह काम हो गया था, ललिता के साथ कैंटीन में खाना खाना और अपनी दुख की
कहानी कहना. ललिता को नितिन का आकर्षक रूपरंग और उस का अपने परिवार के लिए समर्पण आकर्षित
कर रहा था. उसे सपने में भी भान नहीं था कि नितिन इंसान के रूप में एक भेड़िया है.

सोनल का मन नितिन की हरकतें देख कर छटपटा रहा था. वह बच्चों को देखना चाहती थी. वह बहुत कोशिश
कर रही थी, क्योंकि उसे पता था कि उस के बाद यह चालाक इंसान बच्चों पर ध्यान नहीं देगा. पर कुदरत को
कुछ और ही मंजूर था, सोनल कोरोना के आगे जिंदगी की जंग हार गई थी.

नितिन जब सोनल का अंतिम संस्कार कर के घर पहुंचा तो श्रेया और आर्यन का विलाप देख कर पहली बार
उस का दिल भी भावुक हो उठा था. वह भी बच्चों को गले लगा कर फफकफफक कर रो पड़ा. पर नितिन को पता था कि सोनल इस घर की गृहिणी ही नहीं, बल्कि अन्नदाता भी थी.

बैंक में बस ₹10 हजार शेष थे. सोनल के जाने के बाद एक बंधी हुई इनकम का सोर्स बंद हो गया था. नितिन की आदतें इतनी खराब थीं कि उस के घर वाले और दोस्त उस की मदद करने को तैयार नहीं थे. ऐसे में ललिता के अलावा नितिन को कोई नजर नहीं आ रहा था.

सब मुसीबतों के बाद भी बस एक अच्छी बात यह थी कि यह घर नितिन और सोनल ने बहुत पहले बनवा लिया था. अब नितिन ने तिकड़म लगाया और ललिता को अपने घर पेइंगगैस्ट की तरह रहने को बोला. ललिता की हिचकिचाहट देख कर नितिन बोला,”मेरे बच्चों की खातिर आ जाओ ललिता, वे सोनल को बहुत मिस करते हैं. तुम जितना किराया देती हो, उस से आधा दे देना, मुझे तुम्हारे साथ की जरूरत है.”

ललिता के आंखों पर तो जैसे पट्टी बंधी हुई थी. वह अपना सामान ले कर नितिन के घर आ गई थी. दोनों बच्चे ललिता को देख कर अचकचा गए मगर कुछ बोल नहीं पाए. एक रूम में ललिता, दूसरे में बच्चे और ड्राइंगरूम में नितिन रहता था.
ललिता ने धीरेधीरे पूरे घर का काम अपने जिम्मे ले लिया था. नितिन रातदिन ललिता की तारीफों में कसीदे
पढ़ता था. ललिता को लगने लगा था कि उस से ज्यादा सुंदर शायद इस दुनिया में कोई नहीं है. ललिता
आखिर एक औरत थी और वह भी निपट अकेली, उस का दिल भी पिघल ही गया. ललिता और नितिन की शादी नहीं हुई थी पर वे दोनों अब पतिपत्नी की तरह ही रहने लगे थे.
ललिता का पूरा वेतन अब नितिन की जेब में जाता था. श्रेया और आर्यन अपने पापा और ललिता की चुहलबाजी देख कर अंदर ही अंदर चिढ़ते रहते थे. एक दिन तो हद हो गई जब नितिन और ललिता बेशर्मी की सारी सीमा लांघते हुए बच्चों के सामने ही कमरे में बंद हो गए.

ललिता के हौस्पिटल जाने के बाद आर्यन और श्रेया ने नितिन को आङे हाथों ले लिया था. आर्यन बोला,”पापा, आप को शर्म नहीं आती, मम्मी को अभी गए हुए 2 माह भी नहीं हुए हैं…”

नितिन गुस्से में बोला,”क्या तुम्हारी मम्मी के जाने के बाद मुझे अकेलापन नहीं लगता है? ललिता मेरी बहुत
अच्छी दोस्त है. उसी के कारण हमें यह रोटी नसीब हो रही है. तुम लोगों को अच्छा नहीं लगता तो जहां जाना चाहते हो चले जाओ. और फिर बेटा, मैं कोई ललिता आंटी को तुम्हारी मम्मी की जगह थोड़े ही दूंगा, वह बस हमारे यहां रह रही हैं और रहने का किराया दे रही हैं.”

दोनों बच्चे उस दिन अपनी मम्मी को याद कर के रोते रहे. नानानानी से तो कोई मतलब नहीं था और दादा के जाने के बाद दादी ने भी चाचा के डर से रिश्ता खत्म कर दिया था.

देखते ही देखते 1 साल बीत गया. अब ललिता नितिन पर शादी के लिए दबाव बनाने लगी. नितिन एक शातिर खिलाड़ी था. उस ने ललिता को यह कह कर चुप करा दिया था कि उस के बच्चे उसे छोड़ कर चले जाएंगे और वह उन के बिना नहीं रह पाएगा.”

ललिता गुस्से में बोली,”ठीक है तो मैं चली जाती हूं. नितिन ललिता को बांहों में भरते हुए बोला,”मैं आत्महत्या कर लूंगा, अगर तुम ने मुझे छोड़ने की बात भी सोची.”

3 साल हो गए थे. ललिता आत्मनिर्भर और आकर्षक थी पर नितिन उस का मानसिक, आर्थिक और शारीरिक रूप से शोषण कर रहा था. पर अब ललिता चाह कर भी इस जाल से निकल नहीं पा रही थी. नितिन के झूठ को भी वह सच मान कर जी रही थी. कम से कम सोनल के पास उस के 2 बच्चे तो थे पर ललिता के तो इस रिश्ते में…

ललिता पिछले 3 सालों में 2 बार गर्भपात करा चुकी थी. ललिता अकेली थी पर अपने अकेलेपन को भरने के लिए उस ने गलत साथी चुन लिया था.

उधर नितिन बेहद खुश था कि वह किसी भी कीमत पर शादी कर के एक और बच्चे का खर्च नहीं बढ़ाना चाहता था. वह खुश था कि अब उसे पूरी आजादी थी और साथ ही ललिता के ऊपर हक भी था. स्वार्थ में
नितिन को ना ललिता का खयाल था और न ही बच्चों की फिक्र थी. ललिता सोच रही थी कि कोरोना ने सोनल की तो जिंदगी छीन ली थी पर उसे जीतीजागती लाश बना दिया था.
श्रेया, आर्यन और ललिता तीनों ही एक त्रिकोण में ना चाहते हुए भी बंधे हुए थे और इस त्रिकोण के हर
कोण को नितिन अपने हिसाब से घटता या बढ़ाता रहता था.

भैरवी: भाग 1- आखिर मल्हार और भैरवी की शादी क्यों नहीं हुई

कमरेमें पंखा फुलस्पीड पर चल रहा था. लखनऊ में वैसे भी अप्रैल आतेआते अच्छीखासी गर्मी पड़ने लगती है.

मेज पर रखी ‘भैरवी सिंह, जिलाधिकारी’ नेमप्लेट के नीचे दबे लिफाफे से झंकते फड़फड़ाते गुलाबी कागज पर भैरवी की नजरें टिकी थीं. कागज पर लिखे सुनहरे रंग के शब्द दूर से ही चमक रहे थे.

‘‘सुप्रसिद्ध लोग गायक ‘मल्हार वेद’ के सुरों से सजी संध्या में आप सादर आमंत्रित हैं.’’

‘मल्हार’ यह नाम पढ़ते ही भैरवी का दिल डूबने सा लगा. उस ने अपनी कुरसी की पीठ पर सिर टिका कर आंखें बंद कर लीं. पलकों के पीछे एक जानापहचाना सा दृश्य उभरने लगा. दूरदूर तक फैला गंगा का कछार और किनारे बसा प्रयाग के नजदीक ही कहीं छोटा सा उस का गांव मल्हार. यही तो नाम था उस का. 9-10 बरस

का लड़का आ कर जोर से भैरवी के कंधों पर धौंस जमाता और उस के कानों में चिल्लाता, ‘‘धप्पा.’’

भैरवी ने अचकचा कर आंखें खोल दीं. सामने उस की सैक्रेटरी मोहना खड़ी थी. बोली, ‘‘मैडम, आप का कल के लिए शेड्यूल बनाना था. कल सुबह आप की मंत्री महोदय के साथ मीटिंग है, फिर दोपहर में एक आर्ट गैलरी के उद्घाटन में जाना है और फिर कल शाम 7 बजे से फोक सिंगर मल्हार के कार्यक्रम में आप आमंत्रित हैं. आयोजकों ने डिनर के लिए भी रिक्वैस्ट की है. क्या कह दूं मैडम उन से?’’

‘‘ठीक है मोहना. हम कार्यक्रम में तो जाएंगे परंतु डिनर तक  रुकेंगे या नहीं यह मैं बाद में देख लूंगी,’’ भैरवी ने अनमने ढंग से कहा, ‘‘चल न. तेरे बाग से आम की कच्ची कैरियां तोड़ें.’’

35 साल पुराना समय और फिर वही 9-10 बरस का लड़का सामने आ खड़ा हुआ.

‘‘मैं नहीं खाती कच्ची कैरियां, मां कहती है कच्ची कैरियां खाने से गला खराब हो जाता है. मेरा गला खराब हो गया तो मैं गाना कैसे गाऊंगी?’’ 7-8 साल की नन्ही भैरवी ने तुनक कर जवाब दिया.

‘‘तेरी मां को कैसे पता? क्या वे भी गाना गाती हैं?’’ लड़के ने उत्सुकता से पूछा.

‘‘गाती हैं न पर पापा से छिप कर जब पापा दूसरे गांवों के दौरे पर जाते हैं तब… पता है मेरी मां बहुत सुरीला गाती हैं कोयल की तरह,’’ भैरवी हाथ और आंखें नचानचा कर बोली.

‘‘तुझे भी गाना पसंद है न?’’ लड़के ने पूछा.

‘‘हां, बहुत… मां कहती हैं कि मेरी तो सांसों में भी लय है. मेरी बातों में राग और मेरी आवाज में संगीत, इसीलिए तो उन्होंने मेरा नाम भैरवी रखा है. तुझे तो गाने के बारे में सब बातें पता होंगी, तेरे पिताजी तो गायक हैं न,’’ भैरवी की प्रश्नसूचक निगाहें मल्हार के चेहरे पर टिकी थीं.

‘‘हां, मेरे तो खानदान में सभी को संगीत से बहुत लगाव है. मेरे पिताजी और बड़े चाचा चैती, फाग, कजरी जैसे लोकगीत गाते हैं, मां तानपुरा बजाती हैं और छोटे चाचा पखावज बजाते हैं.’’

‘‘बाप रे इतने बड़ेबड़े नाम,’’ भैरवी बोली.

फिर दोनों खिलखिला रहे और गंगा के कछार पर दौड़ लगाते, एकदूसरे पर रेत उछालने लगे. कभी उस रेत का नन्हा सा घरौंदा बनाते.

उस घरौंदे में एक कमरा संगीत के रियाज के लिए भी होता.

भैरवी के पिता ठाकुर बलदेव सिंह गांव के जमींदार थे और सारे गांव में उन का बहुत रुतबा था. घर में 7 लोगों का परिवार साथ रहता था. बलदेव सिंह, उन की पत्नी राजरानी, उन की मां श्यामा देवी तथा 4 बच्चे भैरवी, उस की छोटी बहन सोनी, मंझला भाई राजू और छोटा दीपू.

भैरवी सब से बड़ी होने के कारण अपनी उम्र से अधिक समझदार थी और मातापिता और दादी की सब से अधिक लाडली भी.

मां राजरानी ने भैरवी को मल्हार के पिता सोमेश्वर वेदजी के पास संगीत सीखने के लिए भेजना आरंभ कर दिया था. थोड़ी नानुकुर के बाद बलदेव सिंह ने भी हामी भर दी थी क्योंकि राजरानी ने उन्हें यह सम?ाया था कि यदि भैरवी भजन वगैरह गाना सीख लेगी तो उस का विवाह करने में आसानी होगी. अब सप्ताह में 3 दिन गांव की पाठशाला से लौट कर भैरवी मल्हार के घर संगीत सीखने जाती. मल्हारी की झोपड़ी के सामने बड़ से नीम के पेड़ के नीचे गोबर के लिपेपुते चबूतरे पर उन की संगीत की पाठशाला लगती. मल्हार के पिता सोमेश्वर वेद वहीं छोटेछोटे बच्चों को संगीत की शिक्षा देते सुर साधना सिखाते.

एक बार उन्होंने भैरवी की मां से कहा था, ‘‘आप की बिटिया के गले में तो सरस्वती मां का वास है ठकुराइन. इस का संगीत का रियाज कभी मत छुड़वाइएगा. एक दिन यह संगीत की दुनिया का चमकता सितारा बनेगी.’’

समय पंख लगा कर उड़ रहा था. अब भैरवी 12-13 बरस की हो चली थी. राजरानी अक्सर उसे सम?ातीं, ‘‘अब तू बड़ी हो रही है बिटिया, यह लड़कों के संग खेलनाकूदना तुझे शोभा नहीं देता, पाठशाला से सीधे घर आया कर. थोड़ा चूल्हेचौके का काम भी सीख परंतु भैरवी तो भैरवी थी, हवा में गूंजती स्वरलहरियों जैसी उन्मुक्त, गंगा नदी की लहरों जैसी उच्शृंखल. उस का मन कभी अपनी कोठी में लगता ही नहीं था. बस पलक झपकते ही उड़नछू हो जाती, फिर तो वह आम के बगीचे में दिखती या नीम के नीचे निंबोरियां बीनती दिखती या फिर गंगा के कछार में गीली रेत पर घरौंदा बनाते हुए.

वह एक गरमी की दुपहरी थी. आम के बगीचे में मल्हार ने हमेशा की तरह भैरवी की पीठ पर धौल जमाते हुए कहा, ‘‘धप्पा,’’ और फिर अचानक उस ने भैरवी के कंधे पर अपना चेहरा ?ाका दिया.

भैरवी के सारे शरीर में झरझरी सी दौड़ गई और सांसें धौंकनी सी चलने लगीं. वह तुरंत भाग कर अपनी कोठी के भीतर चली गई. उस दिन के बाद भैरवी और मल्हार के बीच प्रेम के बीज से नवांकुर फूट कर पल्लवित होने लगा.

अब संगीत की कक्षा में दोनों एकसाथ बैठने से कतराते, एकदूसरे से नजरें मिलते ही आंखों ही आंखों में मुसकराते और गंगा किनारे की तेरी पर बैठ भविष्य के सपने बुनते. उन सपनों के धागे कभी चांदी से रुपहले होते तो कभी सोने से सुनहरे. वे अपने सपनों की चादर में अपने अरमानों के सितारे और प्रेम के चमकते जुगनू टांकते.

सोमेश्वर वेद की पारखी आंखों से यह सब अधिक दिनों तक छिपा न रहा. उस दिन जब संगीत की कक्षा समाप्त हो गई तो मल्हार उठते हुए बोला, ‘‘चल भैरवी, तुझे तेरे घर तक छोड़ आऊं.’’

सोमेश्वर वेद ने तुरंत कहा, ‘‘भैरवी, अब तू बड़ी हो रही है और समझदार भी, आज से तू अकेली घर जाया कर या अपनी मां से कह कर अपनी सवारी बुलवा लिया कर. अब मल्हार तुझे छोड़ने नहीं जाया करेगा.’’

भैरवी के जाने के बाद उन्होंने मल्हार को सम?ाते हुए कहा, ‘‘देख मल्हार, मैं सब देख

रहा हूं और समझ भी रहा हूं. यह किशोरावस्था का आकर्षण है और कुछ नहीं. झोंपड़ी में रह

कर कोठी के सपने मत देख बेटा. कहीं ठाकुर साहब को पता चल गया तो हम तो कहीं के नहीं रहेंगे. ठाकुर साहब हमें गांव छोड़ने पर विवश कर देंगे.’’

फिर वही हुआ जिस की सोमेश्वरजी को आशंका थी. किसी ने भैरवी और

मल्हार को साथ देख कर बलदेव सिंह को खबर कर दी थी. उस दिन भैरवी पर तो जैसे आसमान टूट पड़ा. बलदेव सिंह अपनी पत्नी राजरानी से दहाड़ते हुए बोले, ‘‘देख लिया तुम ने संगीत सिखाने का नतीजा तुम ही भैरवी को संगीत सिखाना चाहती थी न. देखा कैसे उस नचैएगवैए के संग मुंह काला कर के आ गई तुम्हारी लड़की. मेरी तो सारी इज्जत मिट्टी में मिल गई. अब मैं इसे पढ़ने के लिए शहर भेज रहा हूं और सभी कान खोल कर सुन लो कोईर् भी मेरे इस निर्णय पर उंगली नहीं उठाएगा.’’

सोनी, राजू और दीपू सहम कर दादी के पीछे छिप गए. भैरवी रोती रही, चीखती रही, चिल्लाती रही, परंतु सभी ने जैसे अपने कानों में रुई भर ली हो. किसी ने उस की एक बात भी नहीं सुनी.

शहर में भैरवी को छात्रावास में डाल दिया गया. संगीत छूटने से जैसे भैरवी का मन ही मर गया. उस ने स्वयं को पढ़ाई में ?ोंक दिया. वह दिनरात मशीन की तरह पढ़ाई में जुटी रहती जहां केवल किताबें ही उस की सखियां थीं. पढ़लिख कर बड़ी अफसर बनना ही उस के जीवन का उद्देश्य रह गया.

इस बीच एक बार गांव आने पर दादी ने पूछा, ‘‘ब्याह कब करना बिटिया? उम्र तो हो गई तुम्हारी.’’

‘‘मुझे आईएएस बनना है दादी, उस के बाद ही ब्याह के लिए सोचूंगी.’’

सोनी, राजू और दीपू भी अपनीअपनी स्कूली पढ़ाई के पश्चात अलगअलग शहरों में आगे की पढ़ाई कर रहे थे. साल पर साल बीतते जा रहे थे. भैरवी का मल्हार से संपर्क पूरी तरह से टूट गया था. उस ने मल्हार की यादों को भी अपने सीने में हमेशा के लिए दफन कर दिया. मल्हार के प्रति उस का प्रेम सच्चा था, पवित्र था, इसीलिए उस ने मल्हार से पुन: कभी भी न मिलने का निर्णय लिया. भैरवी जानती थी कि यदि उस के पिता को पता चल गया कि वह और मल्हार एकदूसरे के संपर्क में हैं तो वे मल्हार को जीवित नहीं छोड़ेंगे.

न्यू मॉम Aashka Goradia ने बेटे संग शेयर की क्यूट वीडियो

टीवी अभिनेत्री आशका गोराडिया ने बेटे का स्वागत करने के बाद अपना पहला सोशल मीडिया अपडेट पोस्ट किया. एक्ट्रेस ने कुछ दिन पहले ही लंबा चौड़ा पोस्ट सोशल मीडिया पर शेयर करके खुलासा किया था कि वह मां बन गई हैं. इसी दौरान आशका ने अपने पति के साथ फोटो शेयर की थी जिसमें उनके बेटे की झलक भी दिखाई दे रही थी.
आशका और पति ब्रेंट गोबल ने 27 अक्टूबर को अपने बच्चे का स्वागत किया.

अपने नवजात शिशु के साथ आशका गोराडिया की झलकियाँ देखें

आशका गोराडिया ने जो वीडियो इंस्टाग्राम पर शेयर किया है, उसमें कई दिल पिघलाने वाले क्षण हैं, जिसमें नवजात शिशु अपनी मां की छाती पर शांति से लेटा हुआ है. न्यू मॉम ने अपने बच्चे का चेहरा नहीं किया दिखाया. एक्ट्रेस ने जो वीडियो शेयर की है उसमें, बच्चे का छोटा चेहरा उसकी प्यारी माँ के हाथ से ढका हुआ है. एक अन्य क्लिप में उनका चेहरा दिल वाले इमोजी से ढका हुआ दिख रहा है.

आशका ने कैप्शन के साथ लिखा, “इससे अधिक मधुर, अधिक अर्थपूर्ण, अधिक कीमती कभी कुछ नहीं हुआ! ये सच्चे प्यार का एक गीत है. ये बात दुनिया की सभी माताओं के लिए है! आशका ने कैप्शन में बताया प्यार को सबसे ऊपर.

 

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एक्टिंग की दुनिया को अलविदा कह चुकी है आशका गोराडिया

बता दें कि, टीवी एक्ट्रेस आशका गोराडिया कई सीरियल्स में काम कर चुकी है लेकिन वह अब एक्टिंग छोड चुकी है. आखिरी बार साल 2019 में एक्ट्रेस टीवी पर नजर आईं थी. इसके बाद आशका गोराडिया ने बिजनेस में कदम रखा जहां वह करोड़ो कमा रही है. साल 2020 में आशका अपना मेकअप और ब्यूटी ब्रांड रेनी कॉस्मेटिक्स लॉन्च किया था. कुछ ही समय में आशका कई बड़ी बिजनेसवुमन को टक्कर दे रही हैं.

 

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क्या रणवीर सिंह कंगाल हो रहे हैंः क्यों बेचे दो फ्लैट

2010 में फिल्म ‘बैंड बाजा बारात’’ से अभिनय कैरियर की शुरूआत करने वाले अभिनेता रणवीर सिंह के सितारे कुछ वर्षों से गर्दिश में चल रहे हैं. ‘घूमकेतु’,‘सूर्यवंशी’,‘83’, ‘जयेशभाई जोरदार’ व ‘सर्कस’ जैसी फिल्मों की लगातार असफलता की वजह से रणवीरं सिंह बुरी तरह से आहत व परेशान हैं.उनके हाथ से कई ब्रांड भी जा चुके हैं.लेकिन किसी ने भी कल्पना नही की होगी कि रणवीर सिंह की आर्थिक हालत इस कदर गड़बड़ है कि दीवाली से चंद दिन पहले उन्हें अपने मुंबई के दो फ्लैट औने पौने दाम पर बेचने पड़े.

रणवीर सिंह ने अपनी मां के साथ मिलकर 2014 में मुंबई के गोरेगांव पूर्व इलाके की बहुमंजली इमारत के 43 वें फ्लोर पर दो हजार छह सौ अड़तालिस स्क्यायर फुट क्षेत्रफल के दो रिहायशी फ्लैट खरीदे थे,जिसे अब उन्हे बेचना पड़ा. जी हाॅ!छह नवंबर को रणवीर सिंह ने अपने यह दो फ्लैट महज 15 करोड़ बीस लाख रूपए में बेच दिए. जिसके लिए 91 लाख पचास हजार रूपए स्टैंप ड्यूटी भी भरी गयी. इसमें दो पार्किंग भी समाहित हैं. हर फ्लैट की कीमत 7 करोड़ 62 लाख रूपए बतायी जा रही है. तो क्या वास्तव में रणवीर सिंह इस कदर कंगाल हो गए हैं? या उनके सामने कोई मजबूरी थी,जिसके चलते उन्हे यह कदम उठाना पड़ा?

माना कि रणवीर सिंह की लगातार कई फिल्मों ने बाक्स आफिस पर पानी भी नही मांगा और आज की तारीख में उनके पास रोहित शेट्टी के निर्देशन में बन रही फिल्म ‘‘सिंघम अगेन’’ के अलावा कोई दूसरी फिल्म भी नही है.‘जयेशभाई जोरदार ’की असफलता के बाद रणवीर सिंह ने एक विदेशी पत्रिका के लिए ‘नग्न’ फोटो शूट भी कराया था,जिससे उन्हे फायदे की बजाय नुकसान ही हुआ. इसी वजह से कुछ ब्रांड उनके हाथ से निकल गए.फिर भी यकीन नही होता कि रणवीर सिंह कंगाली के मुकाम पर पहुॅच गए हैं. क्योंकि गत वर्ष ही बैंड स्टैंड पर सलमान खान की इमारत ग्लैक्सी और शाहरुख खान के  मन्नत बंगले के बीच एक इमारत में रणवीर सिंह ने सी फेसिंग फ्लैट 129 करोड़ रूपए में खरीदकर हंगामा बरपाया था.तो फिर एक वर्ष के अंदर ही उन्हे अपने दो फ्लैट क्यों बेचने पड़े? इस सवाल के जवाब फिलहाल नजर नहीं आ रहे हैं. मगर बौलीवुड में तो यही कहा जा रहा है कि रणवीर सिंह कंगाली की तरफ बढ़ रहे हैं……

बथुआ साग के जबरदस्त फायदे, वेट लॉस से लेकर इम्यूनिटी बूस्ट करने मे कारगर

सर्दियों के मौसम में सेहत का विशेष ख्याल रखा जाता है. इस मौसम मे बाजार मे कई तरह-तरह के साग और फल तमाम चीजें मिलती है. ठंड के मौसम में अच्छे स्वस्थ के लिए विशेष चीजों को डाइट में शामिल करे. सर्दियों के मौसम में सबसे अच्छी चीज है साग है, जो बाजारों में दिखाई देते है. इनमें से एक है बथुआ का साग. बथुआ का साग सेहत के लिए बेहद लाभकारी होता है. बथुआ का साग काफी लोगों को बहुत पसंद होता है. हेल्थ एक्सपर्ट्स भी इसे खाने की सलाह देते है बथुआ पौष्टिक गुणों से भरपूर है.

  1. वेट लॉस में मददगार

अगर आपको अपना वजन कम करना है तो सर्दियों में बथुआ के साग का सेवन जरुर करे. आप चाहे तो इसे उबालकर खा सकते है या फिर इसका सूप बनाकर पी सकते है. बथुआ वेट लॉस में कारगार साबित होता है. बथुआ में अधिक मात्रा मे फाइबर मौजूद होते है. इसके सेवन करने से पेट फुल रहता है और इसे बार-बार खाने से बचते हैं. बथुआ लो कैलोरी फूड है.

2. डायबिटीज पेशेंट के लिए लाभदायक

डायबिटीज मरीजों के लिए बथुआ किसी चमत्कार से कम नहीं है. दरअसल, इसके सेवन से शरीर का ब्लड शुगर लेवल सामान्य रहता है. आप बथुआ का साग दाल चावल के साथ खा सकते हैं. डायबिटीज कंट्रोल करने में ये साग कारगर है.

3. मजबूत और स्वस्थ बाल

दरअसल, बथुआ में प्रोटीन की मात्रा पाई जाती है इसके साथ ही इसमें अन्य विटामिन और खनिज भी होते हैं. जिन लोगों को बाल झड़ने की समास्या है वह इसका सेवन जरूर करे. डाइट में रोजाना बथुआ का साग खाना चाहिए. इससे आपके बालों की जड़ें मजबूती होती हैं.

4. मजबूत इम्यून सिस्टम

बथुआ खाने से शरीर में इम्यूनिटी बूस्ट होती है. इसमें अमीनो एसिड, फाइबर और कई पोषक तत्व होते है. बथुआ साग का सेवन करने से आप कई बीमारियों से बच सकते है.

लव रिलेशनशिप: फोटो खींचें या नहीं

किसी भी रिश्ते में यादें इंपौर्टेंट रोल प्ले करती हैं और हरकोई चाहता है कि उन यादों को संजो कर रखे. कुछ यादें लमहों के रूप में होती हैं तो कुछ चीजों के रूप में. वहीं कुछ यादें तसवीरों के रूप में भी होती हैं. ये तसवीरें ही हैं जो हमारे चाहने वालों के हमारे पास न होने पर हम उन की तसवीरों से बातें करते हैं.

इसी तरह रिलेशनशिप में भी फोटोज बहुत इंपौर्टेंट होती हैं. रिलेशनशिप में कपल तरहतरह की फोटोज लेते हैं. ये सभी फोटो वे यादों के रूप में अपने साथ रखना चाहते हैं और यह भी चाहते हैं कि समयसमय पर इन्हें देख कर वे अपने पुराने दिनों को जी सकें. आजकल तो फोटोज से बनने वाले तरहतरह के गिफ्ट भी काफी डिमांड में हैं.

कई लोग डेटिंग के दिनों में ही अपनी फोटोज सोशल साइट पर अपलोड कर देते हैं जबकि वे यह नहीं जानते कि ये डेटिंग आगे चल कर रिलेशनशिप में बदलेगी भी या नहीं. ऐसे में उन का इतनी जल्दी रोमांटिक फोटोज अपलोड करना सही नहीं है. उन्हें अपने रिश्ते को वक्त देना चाहिए.

ताकि कोई प्रौब्लम न हो

अपना ऐक्सपीरियंस शेयर करते हुए प्रियंका बताती है कि एक लड़के को 3 महीने डेट करने के बाद वह उस के साथ रिलेशनशिप में आ गई लेकिन करीब 2 साल के बाद उन का रिलेशन टूट गया. तब तक वह उस के साथ अपनी कई फोटोज सोशल साइट पर अपलोड कर चुकी थी. वह कहती है कि जब उन का ब्रेकअप हुआ तो उस ने वे सारी फोटोज डिलीट कर दीं लेकिन अपने दोस्तों के सवालों का जवाब देदे कर वह परेशान हो गई.

प्राइवेट फोटो ही दिक्कत में न डाल दे

मधु श्रीवास्तव बताती है कि शादी के 5 साल बाद जब उन के हसबैंड ने उन की इंस्टाग्राम आईडी पर उन की और उन के एक्स बौयफ्रैंड की रोमांटिक फोटोज देखीं तो वे गुस्से से तिलमिला उठे. वे यह समझने के लिए तैयार नहीं थे कि फोटो वाला लड़का उन का पास्ट था और वे उस का प्रैजेंट हैं. वह कहती है कि काफी सम?ाने के बाद वे इस बात को समझे कि ये सब अतीत की बातें हैं.

अपनी गलती से सीख लेते हुए मधु कहती है, ‘‘ब्रेकअप होने के बाद सभी को सोशल साइट से अपने पार्टनर की फोटोज डिलीट कर देनी चाहिए ताकि बाद में आप को इस से कोई प्रौब्लम न हो.’’

गवर्नमैंट जौब की तैयारी करने वाली दिव्या शर्मा कहती है, ‘‘रिलेशनशिप में फोटोज लेना जरूरी है लेकिन एक हद तक. आज के दौर में लोगों ने फोटोज खींच कर सोशल मीडिया पर अपलोड करने का ट्रैंड बना लिया है. यह, बस, शो-औफ है.’’

कई बार जल्दबाजी में हम अपनी प्राइवेट फोटोज अपने लव वन को भेजने के बजाय किसी और को भेज देते हैं. ऐसे में हमें अजीब स्थिति का सामना करना पड़ता है और उस पर्सन के मन में कुछ गलत हो तो वह हमें इस के लिए ब्लैकमेल भी कर सकता है और किसी पोर्न साइट पर न डाल सकता है. इन सब से बचने के लिए फोटो भेजने में जल्दबाजी न करें.

बातचीत के दौरान वीडियो, फोटो शेयर करना एक सामान्य बात है. इस में कोई नई बात नहीं है और न ही कुछ गलत. लेकिन कई बार लड़की या लड़का सैक्स के दौरान खींचे गए फोटोज या वीडियोज रिकौर्ड कर के एकदूसरे को शेयर करते हैं, जिन में न्यूड फोटो, सैक्स वीडियो टेप, कौल रिकौर्डिंग जैसी कई चीजें भी होती हैं. जब रिलेशन टूटता है तो जो व्यक्ति रिवैंज लेना चाहता है वह इन फोटोज का गलत इस्तेमाल करता है. ऐसा कर के वह दूसरे पार्टनर को बदनाम करना चाहता है.

सोशल मीडिया साइट है खतरनाक

यूपी में एक 20 वर्षीय युवती ने अपने पूर्व प्रेमी पर रेप और ब्लैकमेल करने का आरोप लगाया. पूर्व प्रेमी उस की दूसरी जगह शादी होने के बाद उसे और उस के पति को ब्लैकमेल कर रहा था. पुलिस ने युवती की शिकायत पर तुरंत कार्रवाई करते हुए आरोपी को गिरफ्तार कर लिया.

जब कोई प्रेमी अपने पार्टनर की न्यूड फोटो या शारीरिक संबंध के दौरान ली गई प्राइवेट फोटो, वीडियो, औडियो को उस की परमिशन के बिना किसी सोशल मीडिया साइट या किसी अन्य पब्लिक साइट पर अपलोड करता है इस इरादे से कि पार्टनर को बदनाम किया जा सके तो इसे रिवैंज पोर्न कहते हैं. रिवैंज पोर्न को नौन कंसोलेशन पोर्न इमेज बेस्ड पोर्नोग्राफी भी कहते हैं. यह सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 के तहत अपराध है.

रिवैंज लेने के कई कारण होते हैं, जैसे फीमेल पार्टनर का शादी से इनकार, लड़की की लाइफ में किसी और का आ जाना या उस का दूसरा बौयफ्रैंड बन जाना जिस की वजह से वह पुराने बौयफ्रैंड को इग्नोर करने लगती है. कई बार लड़के अपना ईगो हर्ट करने पर भी रिवैंज लेते हैं. वहीं कई केस ऐसे भी आते हैं जिन में लड़की शादी से पहले सैक्स करना नहीं चाहती, ऐसे में उस का बौयफ्रैंड फोटो के साथ छेड़छाड़ कर के उसे वायरल कर देता है.

रिवैंज पोर्न के तहत लड़कियों या महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है, जैसे अनिद्रा, डिप्रैशन, माइग्रेन आदि.

पहले तो नियति डर गई लेकिन जब उस ने अपनी दोस्त मुक्ति को इस बारे में बताया तो उस ने इस की शिकायत पुलिस में दर्ज कराने को कहा. अब अक्षय जेल की हवा खा रहा है और नियति बिना डरे अपने कैरियर पर फोकस कर पा रही है.

यहां कर सकते हैं शिकायत

ब्लैकमेलिंग करने का तरीका औफलाइन या औनलाइन कुछ भी हो सकता है. इस की शिकायत भी उसी आधार पर दर्ज होती है जिस परिस्थिति में ब्लैकमेलिंग या उत्पीड़न हुआ होता है.

सरकार की साइबर क्राइम विभाग की वैबसाइट द्धह्लह्लश्चर्//ष्4ड्ढद्गह्म्ष्द्बद्वह्म्द्ग.द्दश1.द्बठ्ठ/ पर महिलाएं और बच्चे बिना नाम दिए भी अपनी शिकायत रजिस्टर करवा सकते हैं. उन्हें, बस, यह सुबूत देना होगा कि उन के साथ क्राइम हुआ है. अगर किसी को समाज का डर लग रहा है या फिर वह सोच रहा है कि शिकायत दर्ज करवाने पर बदनामी होगी या उसे खतरा होगा तो वह इस वैबसाइट पर जा कर अपनी शिकायत दर्ज करवा सकता है.

अगर किसी लड़की को फोटो वायरल करने की धमकी दी जाती है तो पुलिस आरोपी के खिलाफ साइबर क्राइम की धारा 66, 67 का अपराध दर्ज कर सकती है. इस के अलावा आईपीसी की धारा 320, 34, 170, 465, 468, 469, 120, 425 समेत कई दूसरी धाराओं में भी मामला दर्ज किया जा सकता है.

वहीं आईटी एक्ट की धारा 66 ई कहती है कि अगर कोई व्यक्ति किसी अन्य महिला या पुरुष के प्राइवेट पार्ट की तसवीर उस की अनुमति के बगैर लेता है और उसे औनलाइन कहीं अपलोड करता है या प्रिंट करता है तो ऐसा करने वाला व्यक्ति दोषी कहलाया जाएगा. ऐसे केस में उसे 3 साल तक की कैद और 2 लाख रुपए तक का जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है.

यह बात हमेशा ध्यान रखनी चाहिए कि डरने से बात और ज्यादा बिगड़ सकती है, इसलिए अगर कुछ गलत हो रहा है तो उस की शिकायत जरूर दर्ज होनी चाहिए. चाहे क्राइम औनलाइन हो या औफलाइन, शिकायत करनी बहुत जरूरी है ताकि आरोपी को सजा मिल सके. डरने से जुर्म करने वालों की हिम्मत बढ़ती है और जुर्म को बढ़ावा मिलता है.

लड़कियों को अपने अंदर से यह डर निकालना होगा कि शिकायत कराने से उन की बदनामी होगी. कई लड़कियां सोचती हैं कि अगर उन्होंने ब्लैकमे?िलंग के बारे में घर में बताया तो उन की पढ़ाई या नौकरी छूट जाएगी. लड़कियों को इस से डरना नहीं चाहिए. वे यह सम?ों कि यह उन के अस्तित्व की लड़ाई है और अगर उन्होंने यह लड़ाई लड़ ली तो वे सोसाइटी के लिए एक मिसाल बनेंगी.

बेस्ट स्नैक्स है ‘रोस्टेड आलू वेजेज’

हल्के-फुल्के स्नेक्स के तौर पर आलू से बने किसी भी व्यंजन को अधिकतर लोग पसंद करते हैं. चाहे पैकेट में बंद चिप्स हो, बाजार या घर में बने पकोडे़, समोसे, इत्यादि, आलू से बने हुए व्यंजन हमारे फेवरेट टाईम पास स्नैक्स होते हैं.

उन्हीं व्यंजनों में से एक है रोस्टेड आलू वेजेज (baked Potato wedges) जो कि चाय या काफी के साथ या स्टार्टर के रूप में परोसे जा सकते हैं. इन्हें बनाना भी बहुत ही आसान है. तो जानिए कैसे बनाए रोस्टेड आलू वेजेज.

बनाने की सामग्री

आलू – 4 मीडियम आकार के (300 ग्राम)

आलिव आइल – 2 टेबल स्पून

नमक – आधा छोटा चम्मच

कालीमिर्च चूरा – आधा छोटा चम्मच

आरगेनो – आधा छोटा चम्मच

कसूरी मेथी – आधा छोटा चम्मच

तिल – आधा छोटा चम्मच

बनाने की विधि

सबसे पहले आलू को छील लीजिये और अगर आलू को बिना छीले आलू वेजेज बना रहे हैं तो उन्हें धोकर पहले लम्बाई में काट कर 2 टुकड़े कर लीजिये.  फिर इस आधे आलू को बीच से काटकर 2 टुकड़े कर लीजिये. एक टुकड़ा उठाइये और इसे बराबर के 2 भांगों में बांटते हुये लम्बाई में काट लीजिये. सारे आलुओं को इसी तरह काट लीजिये.

एक बड़े प्याले में आलिव आइल, नमक, काली मिर्च, आरगेनो, कसूरी मेथी, सारे मसाले डाल कर मिला लीजिये. कटे हुये आलुओं को इस मसाले में डालकर तब तक मिलाइये जब तक आलू के टुकड़ों पर मसाले की कोटिंग अच्छी तरह से आ जाए और फिर इसमें तिल भी डालकर मिक्स कर लीजिये.

ओवन को 180 डि. से. पर  प्रिहीट कर लीजिये. मसाले मिले आलू को ट्रे में एक एक करके लगा लीजिये और इन्हें ओवन में रोस्ट करने के लिये रख दीजिये. ओवन को 180 डि.से. पर 35 मिनिट के लिये रोस्ट होने दीजिये. 35 मिनिट बाद आलू वेजेज को ओवन से निकालिये. आलू वेजेज रोस्ट हो गये हैं और खाने के लिए तैयार हैं.

जब चेहरे पर दिखने लगे झुर्रियां

डिप्रेशन, प्रदूषण और हार्मोनल असंतुलन की वजह से समय से पहले एजिंग की समस्या होने लगती है. ऐसे में बाजार में मिलने वाले महंगे ब्यूटी प्रोडक्ट आपके चेहरे से झुर्रियां ठीक करने के वादे तो बहुत करते हैं पर इनका आपकी त्वचा पर गहरा साइड इफेक्ट भी देखने को मिलता है. ऐसे में आपकी किचन में मौजूद ये कुछ खास चीजें आपके चेहरे पर दिखने वाली झुर्रियों को महीने भर में बिना किसी साइड इफेक्ट के कम कर देगी.

नारियल

नारियल का दूध एंटीआक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर होता है जो झुर्रियों को दूर रखता है. इसे इस्तेमाल करने के लिए करीब आधा कप नारियल का दूध ले लें. इसके बाद अब इसे कौटन की मदद से अपने चेहरे पर 10 मिनट तक लगाकर रखें. सूखने पर चेहरे को ठंडे पानी से धो लें. इस उपाय को हफ्ते में तीन बार जरूर करें.

केला

केला स्किन के लिए बहुत अच्छा होता है. इसमें मौजूद एंटी-एजिंग गुण और विटामिन ए और बी त्वचा में निखार लाने में मदद करते हैं. इसके लिए एक पके केले को लेकर उसमें एक चम्मच गुलाब जल और एक चम्मच शहद मिलाएं. पेस्ट बनाने के लिए इसमें दही मिला दें. इसके बाद इस पेस्ट को अपने चेहरे पर 10 मिनट तक लगाकर रख दें. पेस्ट के सूखने पर उसे ठंडे पानी से धो लें. ऐसा करने से आपके चेहरे की झुर्रियां कम होने लगी है.

आलू

आलू में मौजूद विटामिन सी त्वचा में कसाव बनाए रखने में मदद करता है. इसके लिए आधा आलू लेकर उसे कद्दूकस कर उसका जूस निकाल लें. फिर इसे कौटन की मदद से धीरे-धीरे अपने चेहरे पर लगा लें. इस उपाय को रेगुलर करें. हफ्ते में 3 बार इस उपाय को करने से आप 1 महीने में ही खुद में बदलाव महसूस करने लगेंगी.

शहद

शहद एक नेचुरल स्वीटनर होने के साथ मौइश्चचराइजर का भी काम करता है. शहद ना केवल झुर्रियों को दूर रखता है बल्कि इसके एंटीआक्सीडेंट गुणों के कारण स्किन हेल्दी भी बनती है. इसके लिए कौटन की मदद से शहद को अपने चेहरे और गर्दन पर 10 मिनट के लिए लगाएं. सूखने पर चेहरे को ठंडे पानी से धो लें.

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