11 तरीके ब्रैस्ट को हैल्दी रखने के

हर युवती के लिए ब्रैस्ट उस की पर्सनैलिटी का खास हिस्सा होती है. इसीलिए चेहरे की तरह ब्रैस्ट की केयर की भी बहुत जरूरत होती है. आइए, जानें कि ब्रैस्ट की केयर कैसे करें.

  1. ब्रैस्ट रखें साफ

अपनी ब्रैस्ट को हमेशा साफ रखें. ऐसे सौप या बौडीवाश का यूज करें जिस में सैलिसिलिक ऐसिड हो. इस का फायदा यह होता है कि इस के यूज से ब्रैस्ट पर रिंकल्स नहीं पड़ेंगी.

2. ब्रैस्ट की करें मसाज

नहाने के बाद ब्रैस्ट की मसाज करें. इस के लिए बायो औयल औलिव औयल और कोकोनट औयल का इस्तेमाल कर सकती हैं. इस से ब्रैस्ट को पोषण मिलेगा, बल्ड फ्लो और ब्रैस्ट साइज बढ़ेगा. इस से ब्रैस्ट सौफ्ट और अट्रैक्टिव भी होगी. एक फायदा यह भी होता है कि इस के इस्तेमाल से बै्रस्ट ओल्ड ऐज में सैगी नहीं होती.

3.चुनें परफैक्ट ब्रा

अपने लिए परफैक्ट ब्रा चुनें. वह न ज्यादा टाइट हो न ही ज्यादा ढीली. अगर आप टीनऐजर हैं तो कोशिश करें कि टीशर्ट ब्रा लें. अगर आप 20 से 35 साल की हैं तो नौर्मल ब्रा पहनें. अगर आप ब्रैस्टफीडिंग मदर हैं तो हाई कवरेज ब्रा का इस्तेमाल करें. हमेशा ब्रैंडेड ब्रा ही पहनें.सिर्फ अपनी ब्रा पहनेंकभी दूसरी महिला की ब्रा न पहनें. इस से आप को इन्फैक्शन हो सकता है. क्रायोजेनिक ब्रैस्ट कैंसर भी हो सकता है. ब्रैस्ट का सीईए मार्कर पौजिटिव हो सकता है. अत: हमेशा अपनी ब्रा ही पहनें.

4. दौड़ते समय स्पोर्ट ब्रा

जब आप दौड़ती हैं तो ब्रैस्ट के बाउंस होने से तकलीफ हो सकती है. अगर आप रोजाना बिना स्पोर्ट ब्रा के दौड़ती हैं तो इस का ब्रैस्ट के टिशूज पर बुरा असर पड़ सकता है. अत: इस से बचने के लिए अच्छी क्वालिटी की स्पोर्ट ब्रा पहननी चाहिए.

5. निपल कवर का कम यूज करें

ज्यादा निपल कवर और ब्रा टेप का इस्तेमाल करने से बचें. इसे आप 1 हफ्ते में 1 बार यूज कर सकती हैं. इस बात का खास ध्यान रखें कि इसे 8 घंटे से ज्यादा यूज न करें.

6. मौइस्चराइजर लगाएं

ब्रैस्ट बौडी का सैंसिटिव पार्ट होता है. इसलिए बौडी के बाकी पार्ट्स की तरह ब्रैस्ट पर भी मौइस्चराइजर जरूर लगाएं. जब भी घर से बाहर जाएं फेस के साथसाथ ब्रैस्ट पर भी सनस्क्रीन जरूर लगाएं.

7. खानपान का रखें खयाल

जो युवतियां प्रैगनैंट होती हैं उन्हें अपने खाने का पूरा ध्यान रखना चाहिए. अपने खाने में मल्टीविटामिंस और आयरन प्रोडक्ट शामिल करें. इस के लिए आप हरी पत्तेदार सब्जी और टैबलेट ले सकती हैं. इन्हें इग्नोर करने से बै्रस्ट में मिल्क बनने में प्रौब्लम आती है. ऐसा प्रोलैक्टिन हारमोन की कमी के कारण होता है.

8.  मैग्नीशियम युक्त खाना

अपने खाने में मैग्नीशियम शामिल करें. मैग्नीशियम से युक्त खाना ब्रैस्ट को फूलने और ढीला होने से बचाता है. केले, बादाम, पालक, अंकुरित अनाज, काजू, सोयाबीन, डार्क चौकलेट, कददू के बीज, दही, मछली में मैग्नीशियम पाया जाता है. इन्हें इग्नोर करने पर प्यूबिक पीरियड में ब्रैस्ट इनक्रीज नहीं होती.

9.ऐक्सरसाइज करें

ब्रैस्ट को हैल्दी रखने के लिए ऐक्सरसाइज करें. पुशअप्स, डंबल प्रैस, कैमल पोज, आर्म प्रैस जैसी ऐक्सरसाइज ब्रैस्ट के लिए फायदेमंद हैं, जो ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ाती हैं.

10. ब्रैस्ट की करें जांच

समयसमय पर बै्रस्ट की जांच करती रहें. अगर ब्रैस्ट में कुछ भी बदलाव, फुंसी या सूजन नजर आए तो तुरंत डाक्टर की सलाह लें.

11. नो स्मोकिंग नो ड्रिंकिंग

यह सच है कि स्मोकिंग और ड्रिंक करना हैल्थ के लिए सही नहीं है. इसलिए इन की आदत न डालें. स्मोकिंग बौडी में इलास्टिन को तोड़ती है, जो ब्रैस्ट के आसपास की स्किन लूज हो जाती है. यह ब्रैस्ट की शेप को भी खराब कर देता है.

मैंने बालों में हेयर कलर करवाया था लेकिन अब खास फर्क नजर नहीं आ रहा, मैं अब क्या करूं?

सवाल

बालों में कलर करवाने से पूरा लुक गौर्जियस नजर आता है. यही सोच कर मैं ने 2 महीने पहले अपने बालों में कलर करवाया था पर अब मुझे कोई खास फर्क नजर नहीं आ रहा?

जवाब

हेयर कलर का असली लुक तभी आता है जब वह आप की स्किन टोन के मुताबिक हो. यदि आप की रंगत गोरी है तो आप ब्लौंड कलर का इस्तेमाल कर सकती हैं. इस के अलावा गोरेपन पर कौपर और लाल रंग की हाइलाइटिंग बहुत अच्छी लगती है यदि आप गेहुएं रंग की हैं तो आप कौपर कलर की हाइलाइटिंग करवा सकती हैं या फिर महोगनी कलर का इस्तेमाल कर सकती हैं.

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मेरी उम्र 25 साल है. मेरी समस्या यह है कि मेरे होंठ बहुत काले हो गए हैं. मेरे चेहरे का रंग काफी साफ है जिस से लिप्स और भी ज्यादा काले नजर आते हैं और देखने में बहुत बुरे लगते हैं. कोई उपाय बताएं?

जवाब

होंठों के कालेपन के कई कारण हो सकते हैं. सब से पहले तो आप अपने आहार को पौष्टिक और संतुलित बनाएं. दूध और दूध से बने खाद्यपदार्थों, फलों और हरी सब्जियों का सेवन करें. अगर लिपस्टिक न लगाती हों तो धूप की हानिकारक किरणों से बचाव के लिए किसी अच्छे किस्म के लिप गार्ड का इस्तेमाल करें. अगर आप नियमित रूप से लिपस्टिक का इस्तेमाल करती हैं तो उसे रोज रात को क्लीन जरूर करें. होंठों पर लिपस्टिक के अंश रहने से होंठ काले पड़ जाते हैं.

इस के साथ ही हमेशा अच्छी किस्म की लिपस्टिक का इस्तेमाल करें. होंठों के कालेपन का एक कारण अधिक धूम्रपान भी हो सकता है. अगर ऐसा है तो इस खराब आदत को छोड़ दें. काले होंठों के लिए आप मलाई में शहद व केसर मिला कर इस पेस्ट को होंठों पर लगाएं और हलकी मालिश करें या फिर थोड़ी सी मलाई में गुलाब की पत्तियां और ग्लिसरीन मिला कर भी लगा सकती हैं. 1 घंटे बाद धो कर लिप गार्ड लगा लें. आप किसी अच्छे कौस्मैटिक क्लीनिक से परमानैंट लिप कलर भी करवा सकती हैं.

-समस्याओं के समाधान

ऐल्प्स ब्यूटी क्लीनिक की फाउंडर

डाइरैक्टर डा. भारती तनेजा द्वारा पाठक अपनी समस्याएं

इस पते पर भेजें : गृहशोभा, ई-8, रानी झांसी मार्ग, नई दिल्ली-110055.व्हाट्सऐप मैसेज या व्हाट्सऐप औडियो से अपनी समस्या 9650966493 पर भेजें.

Raksha Bandhan: इस रक्षा बंधन पर अपनी बहन को दें ये खास गिफ्ट

अक्सर ये देखा जाता है कि रक्षाबंधन के दिन भाई अपनी बहनों को गिफ्ट्स दे कर खुश करने की कोशिश करते हैं और जब भाईयों को कुछ समझ नही आता कि उन्हे क्या देना चाहिए तो वे उन्हे कैश दे देते हैं ताकि उन्हे जो पसंद हो वे खुद लें. हर भाई चाहता है कि वे अपनी बहन को हमेशा खुश रख सके और बहनों की खुशी के लिए वे हर वो चीज़ सोचते है जो कोई और नही सोच सकता.

ज्यादातर लोग रक्षा बंधन के दिन अपनी बहनों के लिए या तो चौक्लेट्स खरीदते हैं या फिर कुछ मिठाइयां. आज हम आपको बताएंगे कि अपनी बहनों को क्या गिफ्ट देना चाहिए जिससे कि उनके चहरे पर प्यारी सी मुस्कान आ सके.

1. इयरिंग्स करें गिफ्ट

एसा देखा जाता है कि लड़कियां छोटी-छोटी चीजों से काफी खुश हो जाती हैं और ज्यादा तब जब वो चीज़ उनका खुद का भाई ले कर आए. लड़कियों को ज्वैलरी पहनने का बहुत शौक होता है और खासकर इयरिंग्स पहनना. इस रक्षा बंधन आप भी अपनी बहनों को इयरिंग्स गिफ्ट कर खुश कर सकते हैं.

 

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2. कस्टमाइज्ड टी-शर्ट है ट्रेंड

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आजकल लड़कियों को टी-शर्ट पहनना बेहद अच्छा लगता है और खासकर तब तब टी-शर्ट पर उनके मन पसंद का कुछ लिखा हो. जी हां अब एसी बहुत सी वेब-साइट्स और दुकानों पर इस तरह की सुविधा उप्लब्ध है जहां आप अपनी मर्ज़ी का डिज़ाईन या टैक्सट टी-शर्ट पर लिखवा सकते हैं. तो आप इस रक्षा बंधन अपनी बहन के पसंदीदा डिज़ाईन और टैक्सट के अनुसार उन्हे टी-शर्ट गिफ्ट कर सकते हैं.

3. कौस्मेटिक आइटम्स रहेगा बेस्ट औप्शन

 

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हर उम्र की महिला को मेक-अप करने का शौक जरूर होता है फिर चाहे वे आपकी बहन हो या पत्नी. महिलाओं के अनुसार मेक-अस उनकी सुंदरता को और निखार देता है तभी उन्हे मेक-अप करना बहुत अच्छा लगता है. इस रक्षाबंधन अपनी बहन को उनकी पसंदीदा मेक-अप किट या कौस्मेटिक आइटम्स गिफ्ट कर सकते हैं.

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4. फिटनेस बैंड से रहेगी हेल्थ फिट

आजकल हर कोई अपनी फिटनेस का काफी ध्यान रखता है फिर चाहे वे पुरूष हो या महिलाएं. स्मार्ट वौच और फिटनेस बैंड के जरिए हम कहीं भी अपनी हेल्थ की जानकारी रख सकते है. इस बैंड के जरिए हम अपनी ‘हार्ट-बीट’, ‘कैलरीज’ ‘कार्डियो स्टैप्स’ जैसी बहुत सी चीज़े देख सकते हैं. तो अगर आपकी बहन भी है फिटनेस फ्रीक और अपनी हेल्थ का काफी ध्यान रखती हैं तो उन्हे फिटनेस बैंड जैसा गिफ्ट जरूर दें.

Raksha Bandhan: कन्यादान- भाग 3- भाई और भाभी का क्या था फैसला

अगले दिन वे कालेज की सीढि़यां चढ़ रहे थे, उसी समय प्रोफैसर रंजन तेजी से उन की तरफ आए, ‘क्यों अनिरुद्धजी, श्रेयसी तो आप के किसी रिलेशन में है न. आजकल रौबर्ट के साथ उस के बड़े चरचे हैं?’ अनिरुद्ध कट कर रह गए, उन्हें तुरंत कोई जवाब न सूझा. धीरे से अच्छा कह कर वे अपने कमरे में चले गए थे.

उसी शाम रौबर्ट और श्रेयसी को फिर से साथ देख कर उन का माथा ठनका था. वे रौबर्ट के मातापिता से मिलने के लिए शाम को अचानक रौबर्ट के घर पहुंच गए. रौबर्ट उन्हें अपने घर पर आया देख, थोड़ा घबराया, परंतु उस के पिता मैथ्यू और मां जैकलीन ने खूब स्वागतसत्कार किया. मैथ्यू रिटायर्ड फौजी थे. अब वे एक सिक्योरिटी एजेंसी में मैनेजर की हैसियत से काम कर रहे थे. जैकलीन एक कालेज में इंगलिश की टीचर हैं. गरमगरम पकौडि़यों और चटनी का नाश्ता कर के अनिरुद्ध का मन खुश हो गया था.

वे प्रसन्नमन से गुनगुनाते हुए अपने घर पहुंचे. ‘क्या बात है? आज बड़े खुश दिख रहे हैं.’

‘मंजू, आज रौबर्ट की मां के हाथ की पकौडि़यां खा कर मजा आ गया.’

‘आप रौबर्ट के घर पहुंच गए क्या?’

‘हांहां, बड़े अच्छे लोग हैं.’

‘आप ने उन लोगों से श्रेयसी के बारे में बात कर ली क्या?’

‘तुम तो मुझे हमेशा बेवकूफ ही समझती हो. तुम्हारे आदरणीय भाईसाहब की अनुमति के बिना भला मैं कौन होता हूं, किसी से बात करने वाला? लेकिन अब मैं ने निश्चय कर लिया है कि एक बार तुम्हारे भाईसाहब से बात करनी ही पड़ेगी.’ मंजुला नाराजगीभरे स्वर में बोली, ‘देखिए, आप को मेरा वचन है कि आप इस पचड़े में पड़ कर उन से बात न करें. आप मेरे भाईसाहब को नहीं जानते, किसी को बुखार भी आ जाए तो सीधे अपने महाराजजी के पास भागेंगे. उन के पास जन्मकुंडली दिखा कर ग्रहों की दशा पूछेंगे. उन से भभूत ला कर बीमार को खिलाएंगे और घर में ग्रहशांति की पूजापाठ करवाएंगे. डाक्टर के पास तो वे तब जाते हैं जब बीमारी कंट्रोल से बाहर हो जाती है.

‘जब से मैं ने होश संभाला है, भाईसाहब को कथा, भागवत, प्रवचन जैसे आयोजनों में बढ़चढ़ कर भाग लेते हुए देखा है. वे पंडे, पुजारी और कथावाचकों को घर पर बुला कर अपने को धन्य मानते हैं. उन सब को भरपूर दानदक्षिणा दे कर वे बहुत खुश होते हैं.’

‘मंजुला, तुम समझती क्यों नहीं हो? यह श्रेयसी के जीवन का सवाल है. रौबर्ट के साथसाथ उस का परिवार भी बहुत अच्छा है.’

‘प्लीज, आप समझते क्यों नहीं हैं.

2-4 दिनों पहले ही भाभी का फोन आया था कि जीजी, आप के भाईसाहब एक बहुत ही पहुंचे हुए महात्माजी को ले कर घर में आए थे. उन्होंने उन की जन्मकुंडली देख कर बताया है कि आप की बिटिया का मंगल नीच स्थान में है, इसलिए मंगल की ग्रहशांति की पूजा जब तक नहीं होगी, तब तक शादी के लिए आप के सारे प्रयास विफल होंगे.

‘जीजी, महात्माजी बहुत बड़े ज्ञानी हैं. वे बहुत सुंदर कथा सुनाते हैं. उन के पंडाल में लाखों की भीड़ होती है. कह रहे थे, सेठजी दानदाताओं की सूची में शहरभर में आप का नाम सब से ऊपर रहना चाहिए. आप के भाईसाहब ने एक लाख रुपए की रसीद तुरंत कटवा ली. वे कह रहे थे कि शास्त्रों में लिखा है कि ‘दान दिए धन बढ़े’ दान से बड़ा कोई भी धर्म नहीं है.

‘महात्माजी खुश हो कर बोले थे कि सेठजी, आप की बिटिया अब मेरी बिटिया हुई, इसलिए आप बिलकुल चिंता न करें. उस के विवाह के लिए मैं खुद पूजापाठ करूंगा. आप को कोई भी चिंता करने की जरूरत नहीं है.’ मंजुला अपने पति अनिरुद्ध को बताए जा रही थी, ‘भाभी कह रही थीं कि नए भवन के उद्घाटन के अवसर पर महात्माजी भाईसाहब के हाथों से हवन करवाएंगे.’

‘वाह, आप के भाईसाहब का कोई जवाब नहीं है. अरे, जिन को महात्मा कहा जा रहा है वे महात्मा थोड़े ही हैं, वे तो ठग हैं, जो आम जनता को अपनी बातों के जाल में फंसा कर दिनदहाड़े ठगते हैं. छोड़ो, मेरा मूड खराब हो गया इस तरह की बेवकूफी की बातें सुन कर.’

‘इसीलिए तो आप से मैं कभी कुछ बताती ही नहीं हूं. जातिपांति के मामले में तो वे इतने कट्टर हैं कि घर या दुकान, कहीं भी नौकर या मजदूर रखने से पहले उस की जाति जरूर पूछेंगे.’ ‘मान गए आप के भाईसाहब को. वे आज भी 18वीं शताब्दी में जी रहे हैं. मेरा तो सिर भारी हो गया है. एक गिलास ठंडा पानी पिलाओ.’

‘अब तो आप अच्छी तरह समझ गए होंगे कि वे कितने रूढि़वादी और पुराने खयालों के हैं. आप भूल कर भी उन के सामने कभी भी ये सब बातें मत कीजिएगा.’

अनिरुद्ध बोले, ‘कम से कम एक बार श्रेयसी को अपने मन की बात भाईसाहब से कहनी चाहिए.’

‘अनिरुद्ध, आप समझते नहीं हैं, लड़की में परिवार वालों के विरुद्ध जाने की हिम्मत नहीं होती. उस के मन में समाज का डर, मांबाप की इज्जत चले जाने का ऐसा डर होता है कि वह अपने जीवन, प्यार और कैरियर सब की बलि दे कर खुद को सदा के लिए कुरबान कर देती है.’

‘इस का मतलब तो यह है कि बड़े भाईसाहब ने तुम्हारे साथ भी अन्याय किया था.’

‘मेरे साथ भला क्या अन्याय किया था?’ ‘तुम्हारी शादी जल्दी करने की हड़बड़ी देख मेरा माथा ठनका था. क्या सोचती हो, मैं नासमझ था. तुम्हारा उदास चेहरा, रातदिन तुम्हारी बहती आंखें, मुझे देखते ही तुम्हारी थरथराहट, संबंध बनाते समय तुम्हारी उदासीनता, तुम्हारी उपेक्षा, कमरा बंद कर के रोनाबिलखना, प्रथम रात्रि को ही तुम्हारी आंसुओं से भीगा हुआ तकिया देख कर मैं सब समझ गया था. ‘तुम्हारी भाभी का पकड़ कर फेरा डलवाना. तुम्हारे कानों में कभी दीदी फुसफुसा रही थीं तो कभी तुम्हारी बूआ. विदा के समय भाईसाहब के क्रोधित चेहरे ने तो पूरी तसवीर साफ कर दी थी. उन का बारबार कहना, ‘ससुराल में मेरी नाक मत कटवाना’ मेरे लिए काफी था.

‘मैं परेशान तो था, परंतु धैर्यपूर्वक तुम्हारे सभी कार्यकलापों को देखता रहा और चुप रहा. वह तो उन्मुक्त पैदा हुआ तो उस से ममता हो जाने के बाद तुम पूर्णरूप से मेरी हो पाई थीं.’ यह सब सुन कर मंजुला की अंतर्रात्मा कांप उठी थी. अनिरुद्ध ने तो आज उस की पूरी जन्मपत्री ही खोल कर पढ़ डाली थी. इधर उन्मुक्त और छवि शादी के लिए शौपिंग में लगे हुए थे. आयुषी भी अपने लिए लहंगा ले आई थी. परंतु अभी तक श्रेयसी से किसी की बात नहीं हो पाई थी, इसलिए मंजुला का मन उचटाउचटा सा था. एक दिन कालेज से आने के बाद अनिरुद्ध बोले, ‘‘रौबर्ट बहुत उदास था, उस ने बताया कि श्रेयसी के मम्मीपापा आए थे और उस को अपने साथ ले गए. उस के बाद से उस का फोन बंद है. सर, एक बार उस से बात करवा दीजिए.’’

उदास मन से ही सही, श्रेयसी को देने के लिए, मंजुला अच्छा सा सैट ले आई थी. शादी में 4-5 दिन ही बाकी थे कि मंजुला का फोन बज उठा. उधर भाईसाहब थे, ‘‘मंजुला, श्रेयसी घर से भाग गई. वह हम लोगों के लिए आज से मर चुकी है.’’ और उन्होंने फोन काट दिया था. घर में सन्नाटा छा गया था. सब एकदूसरे से मुंह चुरा रहे थे. मंजुला झटके से उठी, ‘‘अनिरुद्ध जल्दी चलिए.’’

‘‘कहां?’’

‘‘हम दोनों श्रेयसी का कन्यादान ले कर उस को उस के प्यार से मिला दें. मुझे मालूम है, इस समय श्रेयसी कहां होगी. जल्दी चलिए, कहीं देर न हो जाए.’’ बरसों बाद आज मंजुला अपने साहस पर खुद हैरान थी.

उन्मुक्त बोला, ‘‘मां, भाई के बिना बहन की शादी अच्छी नहीं लगेगी. मैं भी चल रहा हूं. आप लोग जल्दी आइए, मैं गाड़ी निकालता हूं.’’

छवि और आयुषी जल्दीजल्दी लहंगा ले कर निकलीं. दोनों आपस में बात करने लगीं, ‘‘श्रेयसी दी, लहंगा पहन कर परी सी लगेंगी.’’ सब जल्दीजल्दी निकले और खिड़की से आए हवा के तेज झोंके ने श्रेयसी की शादी के कार्ड को कटीपतंग के समान घर से बाहर फेंक दिया था.

Raksha Bandhan:अंतत- भाग 1- क्या भाई के सितमों का जवाब दे पाई माधवी

बैठक में तनावभरी खामोशी छा गई थी. हम सब की नजरें पिताजी के चेहरे पर कुछ टटोल रही थीं, लेकिन उन का चेहरा सपाट और भावहीन था. तपन उन के सामने चेहरा झुकाए बैठा था. शायद वह समझ नहीं पा रहा था कि अब क्या कहे. पिताजी के दृढ़ इनकार ने उस की हर अनुनयविनय को ठुकरा दिया था.

सहसा वह भर्राए स्वर में बोला, ‘‘मैं जानता हूं, मामाजी, आप हम से बहुत नाराज हैं. इस के लिए मुझे जो चाहे सजा दे लें, किंतु मेरे साथ चलने से इनकार न करें. आप नहीं चलेंगे तो दीदी का कन्यादान कौन करेगा?’’

पिताजी दूसरी तरफ देखते हुए बोले, ‘‘देखो, यहां यह सब नाटक करने की जरूरत नहीं है. मेरा फैसला तुम ने सुन लिया है, जा कर अपनी मां से कह देना कि मेरा उन से हर रिश्ता बहुत पहले ही खत्म हो गया था. टूटे हुए रिश्ते की डोर को जोड़ने का प्रयास व्यर्थ है. रही बात कन्यादान की, यह काम कोई पड़ोसी भी कर सकता है.’’

‘‘रघुवीर, तुझे क्या हो गया है,’’ दादी ने सहसा पिताजी को डपट दिया.

मां और भैया के साथ मैं भी वहां उपस्थित थी. लेकिन पिताजी का मिजाज देख कर उन्हें टोकने या कुछ कहने का साहस हम लोगों में नहीं था. उन के गुस्से से सभी डरते थे, यहां तक कि उन्हें जन्म देने वाली दादी भी.

मगर इस समय उन के लिए चुप रहना कठिन हो गया था. आखिर तपन भी तो उन का नाती था. उसे दुत्कारा जाना वे बरदाश्त न कर सकीं और बोलीं, ‘‘तपन जब इतना कह रहा है तो तू मान क्यों नहीं जाता. आखिर तान्या तेरी भांजी है.’’

‘‘मां, तुम चुप रहो,’’ दादी के हस्तक्षेप से पिताजी बौखला उठे, ‘‘तुम्हें जाना हो तो जाओ, मैं ने तुम्हें तो कभी वहां जाने से मना नहीं किया. लेकिन मैं नहीं जाऊंगा. मेरी कोई बहन नहीं, कोई भांजी नहीं.’’

‘‘अब चुप भी कर,’’ दादी ने झिड़क कर कहा, ‘‘खून के रिश्ते इस तरह तोड़ने से टूट नहीं जाते और फिर मैं अभी जिंदा हूं, तुझे और माधवी को मैं ने अपनी कोख से जना है. तुम दोनों मेरे लिए एकसमान हो. तुझे भांजी का कन्यादान करने जाना होगा.’’

‘‘मैं नहीं जाऊंगा,’’ पिताजी बोले, ‘‘मेरी समझ में नहीं आता कि सबकुछ जानने के बाद भी तुम ऐसा क्यों कह रही हो.’’

‘‘मैं तो सिर्फ इतना जानती हूं कि माधवी मेरी बेटी है और तेरी बहन और तुझे उस ने अपनी बेटी का कन्यादान करने के लिए बुलाया है,’’ दादी के स्वर में आवेश और खिन्नता थी, ‘‘तू कैसा भाई है. क्या तेरे सीने में दिल नहीं. एक जरा सी बात को बरसों से सीने से लगाए बैठा है.’’

‘‘जरा सी बात?’’ पिताजी चिढ़ गए थे, ‘‘जाने दो, मां, क्यों मेरा मुंह खुलवाना चाहती हो. तुम्हें जो करना है करो, पर मुझे मजबूर मत करो,’’ कह कर वे झटके से बाहर चले गए.

दादी एक ठंडी सांस भर कर मौन हो गईं. तपन का चेहरा यों हो गया जैसे वह अभी रो देगा. दादी उसे दिलासा देने लगीं तो वह सचमुच ही उन के कंधे पर सिर रख कर फूट पड़ा, ‘‘नानीजी, ऐसा क्यों हो रहा है. क्या मामाजी हमें कभी माफ नहीं करेंगे. अब लौट कर मां को क्या मुंह दिखाऊंगा. उन्होंने तो पहले ही शंका व्यक्त की थी, पर मैं ने कहा कि मामाजी को ले कर ही लौटूंगा.’’

‘‘धैर्य रख, बेटा, मैं तेरे मन की व्यथा समझती हूं. क्या कहूं, इस रघुवीर को. इस की अक्ल पर तो पत्थर पड़ गए हैं. अपनी ही बहन को अपना दुश्मन समझ बैठा है,’’ दादी ने तपन के सिर पर हाथ फेरा, ‘‘खैर, तू चिंता मत कर, अपनी मां से कहना वह निश्चिंत हो कर विवाह की तैयारी करे, सब ठीक हो जाएगा.’’

मैं धीरे से तपन के पास जा बैठी और बोली, ‘‘बूआ से कहना, दीदी की शादी में मैं और समीर भैया भी दादी के साथ आएंगे.’’

तपन हौले से मुसकरा दिया. उसे इस बात से खुशी हुई थी. वह उसी समय वापस जाने की तैयारी करने लगा. हम सब ने उसे एक दिन रुक जाने के लिए कहा, आखिर वह हमारे यहां पहली बार आया था. पर तपन ने यह कह इनकार कर दिया कि वहां बहुत से काम पड़े हैं. आखिर उसे ही तो मां के साथ विवाह की सारी तैयारियां पूरी करनी हैं.

तपन का कहना सही था. फिर उस से रुकने का आग्रह किसी ने नहीं किया और वह चला गया.

तपन के अचानक आगमन से घर में एक अव्यक्त तनाव सा छा गया था. उस के जाने के बाद सबकुछ फिर सहज हो गया. पर मैं तपन के विषय में ही सोचती रही. वह मुझ से 2 वर्ष छोटा था, मगर परिस्थितियों ने उसे उम्र से बहुत बड़ा बना दिया था. कितनी उम्मीदें ले कर वह यहां आया था और किस तरह नाउम्मीद हो कर गया. दादी ने उसे एक आस तो बंधा दी पर क्या वे पिताजी के इनकार को इकरार में बदल पाएंगी?

मुझे यह सवाल भीतर तक मथ रहा था. पिताजी के हठी स्वभाव से सभी भलीभांति परिचित थे. मैं खुल कर उन से कुछ कहने का साहस तो नहीं जुटा सकी, लेकिन उन के फैसले के सख्त खिलाफ थी.

दादी ने ठीक ही तो कहा था कि खून के रिश्ते तोड़ने से टूट नहीं जाते. क्या पिताजी इस बात को नहीं समझते. वे खूब समझते हैं. तब क्या यह उन के भीतर का अहंकार है या अब तक वर्षों पूर्व हुए हादसे से उबर नहीं सके हैं? शायद दोनों ही बातें थीं. पिताजी के साथ जो कुछ भी हुआ, उसे भूल पाना इतना सहज भी तो नहीं था. हां, वे हृदय की विशालता का परिचय दे कर सबकुछ बिसरा तो सकते थे, किंतु यह न हो सका.

मैं नहीं जानती कि वास्तव में हुआ क्या था और दोष किस का था. यह घटना मेरे जन्म से भी पहले की है. मैं 20 की होने को आई हूं. मैं ने तो जो कुछ जानासुना, दादी के मुंह से ही सुना. एक बार नहीं, बल्कि कईकई बार दादी ने मुझे वह कहानी सुनाई. कहानी नहीं, बल्कि यथार्थ, दादी, पिताजी, बूआ और फूफा का भोगा हुआ यथार्थ.

दादी कहतीं कि फूफा बेकुसूर थे. लेकिन पिताजी कहते, सारा दोष उन्हीं का था. उन्होंने ही फर्म से गबन किया था. मैं अब तक समझ नहीं पाई, किसे सच मानूं? हां, इतना अवश्य जानती हूं, दोष चाहे किसी का भी रहा हो, सजा दोनों ने ही पाई. इधर पिताजी ने बहन और जीजा का साथ खोया तो उधर बूआ ने भाई का साथ छोड़ा और पति को हमेशा के लिए खो दिया. निर्दोष बूआ दोनों ही तरफ से छली गईं.

मेरा मन उस अतीत की ओर लौटने लगा, जो अपने भीतर दुख के अनेक प्रसंग समेटे हुए था. दादी के कुल 3 बच्चे थे, सब से बड़े ताऊजी, फिर बूआ और उस के बाद पिताजी. तीनों पढ़ेपलेबढ़े, शादियां हुईं.

उन दिनों ताऊजी और पिताजी ने मिल कर एक फर्म खोली थी. लेकिन अर्थाभाव के कारण अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा था. उसी समय फूफाजी ने अपना कुछ पैसा फर्म में लगाने की इच्छा व्यक्त की. ताऊजी और पिताजी को और क्या चाहिए था, उन्होंने फूफाजी को हाथोंहाथ लिया. इस तरह साझे में शुरू हुआ व्यवसाय कुछ ही समय में चमक उठा और फलनेफूलने लगा. काम फैल जाने से तीनों साझेदारों की व्यस्तता काफी बढ़ गई थी.

औफिस का अधिकतर काम फूफाजी संभालते थे. पिताजी और ताऊजी बाहर का काम देखते थे. कुल मिला कर सबकुछ बहुत ठीकठाक चल रहा था. मगर अचानक ऐसा हुआ कि सब गड़बड़ा गया. ऐसी किसी घटना की, किसी ने कल्पना भी नहीं की थी.

वाइल्ड लाइफ चीतों का पुनर्वास करना मुश्किल क्यों हो रहा है, जानें एक्सपर्ट की राय

मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में लगातार हो रही चीतों की मौत ने सरकार और वनकर्मी की चिंता बढ़ा दी है. अब तक कुल नौ चीतों की मौत हो चुकी है. कुछ विशेषज्ञ इन मौतों का कारण चीतों को लगाए घटिया रेडियो कॉलर को मानते हैं. ये कॉलर टाइगर के थे मगर चीतों को लगा दिए गए, यही वजह है कि अब सभी बाकी बचे चीते के रेडियों कॉलर हटा दिए गए है और उनकी पूरी निगरानी की जा रही है.

असल में कूनो में नर चीते सूरज के रेडियो कॉलर को हटाने पर उसके गर्दन के नीचे संक्रमण पाया गया था. गहरे घाव में कीड़े भरे हुए थे. सूरज 8वां चीता था  जिसकी कूनों में मौत हुई. दावा है कि इसके पहले तेजस चीते में भी गर्दन में ऐसा ही इन्फेक्शन मिला था. ये इन्फेक्शन फ़ैल रहा है. कॉलर आईडी के कारण ऐसा हो रहा है, ऐसा विशेषज्ञ मान रहे है. जबकि 9वां मादा चीता धात्री भी इन्फेक्शन की वजह से ही मृत पाई गई.

असल में मध्यप्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में नामीबिया से आठ और दक्षिण अफ्रीका से 12 इस प्रकार कुल 20 चीते ‘प्रोजेक्ट चीता’ लाए गए. 29 मार्च को कूनो राष्ट्रीय उद्यान में छोड़ी गई तीन वर्ष की नामीबियाई मादा चीता ‘सियाया’ ने चार चीता शावकों को जन्म दिया. वर्तमान में 10 चीते खुले जंगल में विचरण कर रहे हैं और पांच चीतों को बाड़ों में रखा गया है. सभी चीतों की 24 घंटे मॉनीटरिंग की जा रही है. इसके अलावा कूनो वन्य-प्राणी चिकित्सक टीम और नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका के विशेषज्ञों द्वारा स्वास्थ्य परीक्षण भी किया जा रहा है.

इसके बावजूद कूनो नेशनल पार्क में अब तक छह चीते और तीन शावकों की जान जा चुकी हैं. इन घटनाओं के बीच कई सवाल भी खड़े हुए. आखिर कूनो नेशनल पार्क में चीतों की लगातार हो रही मौत की वजह क्या है?

चीता न लाने की वजह

असल में चीता (Cheetah). दुनिया का सबसे तेज भागने वाला जानवर है. अधिकतम गति 120 किलोमीटर प्रतिघंटा के हिसाब से भाग सकता है. वर्ष 1948 में छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले के खुले साल जंगल में तीन चीतों का शिकार किया गया. साल 1952 में चीतों को विलुप्त घोषित कर दिया गया. 70 साल से चीतें भारत में नहीं थे, फिर अचानक चीतों को लाने की जरुरत क्यों पड़ी? इसे पहले लाया क्यों नहीं गया? आइये जानते है इसका इतिहास, वर्ष 1970 के दशक में ईरान के शाहने कहा था कि वे ईरान से चीतें देने के लिए तैयार है, लेकिन बदले में उन्हें एशियाटिक लायन चाहिए.

लगभग उसी दौरान भारत सरकार ने वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट बनाया, जिसे साल 1972 में लागू किया गया. इसके अनुसार देश में किसी भी जगह किसी भी जंगली जीव का शिकार करना प्रतिबंधित है. जब तक इन्हें मारने की कोई वैज्ञानिक वजह न हो या फिर वो इंसानों के लिए किसी प्रकार का खतरा न हो. इसके बाद देश में जंगली जीवों के लिए संरक्षित इलाके बनाए गए, लेकिन किसी ने चीतों के बारें में नहीं सोचा. असल में इसकी आवाज साल 2009 में उठी.

जब वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया (WTI) ने राजस्थान के गजनेर में दो दिन का इंटरनेशनल वर्कशॉप रखा. सितंबर में हुए इस दो दिवसीय आयोजन में यह मांग की गई कि भारत में चीतों को लाया जा सकता है. दुनिया भर के एक्सपर्ट इस कार्यक्रम में शामिल थे. केंद्र सरकार के मंत्री और संबंधित विभाग के अधिकारियों ने भी इसमें भाग लिया था.

फ़ूड चैन में रखता है संतुलन

दरअसल चीतों के विलुप्त होने के बाद भारतीय ग्रासलैंड की इकोलॉजी खराब हो चुकी है, उसे ठीक करना जरुरी था, चीता अम्ब्रेला प्रजाति का जीव है, जो बहुत ही सेंसेटिव होता है, यानि फ़ूड चैन में सबसे ऊपर के जीव, जो फ़ूड चेन की संतुलन को बनाए रखता है. कूनो नेशनल पार्क को इसलिए चुना गया था, क्योंकि यहाँ चीतों के लिए पर्याप्त मात्रा में भोजन उपलब्ध है और चीता की सबसे पसंदीदा भोजन ब्लैक बग्स यानि काला हिरन है. इसके अलावा चीता की पसंदीदा जगह के बारें में बात करें, तो उन्हें ऊँचे घास वाले मैदान पसंद होते है, जहाँ वातावरण में अधिक उमस न हों.

कुल पांच राज्यों में चीतों के लायक वातावरण पाए गए, जहाँ पर चीतों को रखा जा सकता है. उत्तर प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, छत्तीसगढ और मध्यप्रदेश के सभी स्थानों को एक्सपर्ट ने जाँच किया और पाया कि इन सबमें मध्यप्रदेश का वातावरण सबसे अधिक उपयुक्त है, लेकिन फिर इसे होल्ड पर रखा गया और एक्सपर्ट ने पाया कि ईरान और अफ्रीका के चीतों की जेनेटिक्स एक जैसी है, ऐसे में सभी ने अफ्रीका से चीतों को लाया जाना उचित समझा और 8 चीते नामीबिया से और बाकी 12 साउथ अफ्रीका से लाए गए.

सही वातावरण जरुरी

इस बारें में महाराष्ट्र के रिटायर्ड चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन विश्वजीत मजुमदार कहते है कि टाइगर, पैंथर, लेपर्ड, लायन आदि सभी बिग कैट के इकोलॉजी, फिजियोलोजी, टेरिटोरी जरूरतें अलग -अलग होती है, जो वातावरण टाइगर के लिए सही है वह पैंथर के लिए सही नहीं हो सकता. चीता को पुनर्वास करना पूरे विश्व में बहुत कठिन होता है. चीता की ब्रीडिंग सबसे अधिक मुश्किल होती है. चीता जेनिटिकली दो तरह के होते है. अफ्रीकन चीता भी जेनिटकली एशियन चीता से अलग होते है.

इंडिया में एशियन वाइल्ड चीता मरने की वजह कई है, उनके शिकार करने के तरीके भी बहुत स्पेशल होते है, उन्हें काले हिरन बहुत पसंद होते है, लेकिन काले हिरण की संख्या में लगातार कमी होने की वजह से चीता की नैचुरल फ़ूड में कमी आने लगी, जिससे उन्हें कम पोषक तत्व मिलने लगे. वर्ष 1960 में जब अंतिम चीता का शिकार हुआ, तब हंटिंग के विरुद्ध कानून नहीं थे, जिससे शिकार होते रहे. अब कानून की वजह से वह बंद हो गए.

असल में पहले इंडिया में एशियाटिक चीता हुआ करते थे. वाइल्ड एशियाटिक चीता अभी केवल ईरान में है. सरकार उन्हें इंडिया लाना चाहती थी, लेकिन वे इसके बदले एशियाटिक लायन मांग रहे थे , इसलिए ये डील नहीं हो पाई और बातें होल्ड पर चली गई. ईरान की तरह भारत में भी गुजरात के गिर फारेस्ट में ही केवल एशियाटिक लायन है. भारत ने उसे देने से मना कर दिया थ. ईरान के मना करने की वजह से सभी चीते अफ्रीका से लाये गए.

इन्फेक्शन के अतिसंवेदनशील जानवर

जानकारों की माने तो पहले कई बार एशियाटिक लायन को मध्यप्रदेश के कुनो फारेस्ट में भी लाने का प्रावधान रहा, ताकि कूनों में उनकी संख्या बढे और कूनों एशियाटिक लायन का दूसरा होम बन जाय, क्योंकि ये सभी बिग कैट्स  वायरल इन्फेक्शन के अतिसंवेदनशील होते है. ये अधिकतर वायरल इन्फेक्शन आसपास के जानवरों से प्राप्त करते है, क्योंकि जंगलों के पास रहने वालों की आबादी अधिकतर पशुपालन करती है.

उनके जानवर इधर-उधर चरते रहते है, उन्हें जंगल के शेर से बचाना आसान नहीं होता, ऐसे चरते हुए जानवरों को शेर अधिकतर शिकार करते है, उन्हें खाने पर शेर भी उस जानवर के इन्फेक्शन को कैरी कर लेते है. इसका उदाहण साउथ अफ्रीका के क्रूगर नेशनल पार्क से लिया जा सकता है. वहां लायन बेस्ड टूरिज्म नंबर वन है. वहां के शेरों के घटने की वजह इन्फेक्शन ही रही, जो उन्हें डोमेस्टिक कैटल से मिलता था, क्योंकि वहां के पशुपालक अपने जानवरों को चरने के लिए छोड़ देते थे और इन इन्फेक्शन वाले जानवरों का शिकार लायन करते थे, जिससे उनमे भी इन्फेक्शन आ जाता था.

इसे देखते हुए वहां की सरकार ने वन मिलियन किलोमीटर के जंगल के दायरे को फेंसिंग किया और सारें ग्रामवासी हटाये गए. इस तरह की समस्या किसी भी प्रकार की इन्फेक्शन वाली बीमारी बिग कैट्स या शेरों में आने पर उनकी पूरी जनसंख्या ख़त्म हो सकती है. इसलिए ऐसे जानवरों के लिए सेकंड होम बनाया जाना चाहिए, ताकि एक जगह इन्फेक्शन होने पर उनकी प्रजाति को सेकंड होम में सुरक्षित रखा जाय, लेकिन तत्कालीन गुजरात के मुख्यमंत्री ने ऐसा करने से मना किया. अभी केंद्र सरकार चीतों को लाई है और उन्हें कुनो फ़ॉरेस्ट में रखने का मन बनाया है, ताकि पर्यटन के साथ-साथ उनके काम को भी सराहा जाय. यही कड़वी सच्चाई है, लेकिन लगातार चीतों की मृत्यु ने सबको सोचने पर मजबूर किया है.

जेनेटिक वेरिएशन में सबसे नीचे

इसके आगे विश्वजीत कहते है कि चीता खासकर बहुत कम बच्चे को जन्म देती है. जिसमे बहुत कम बच्चे एडल्ट हो पाते है, क्योंकि वे बचपन में ही मर जाते है, या मेल चीता उन्हें मार डालते  है. इसके अलावा चीता जेनेटिक वेरिएशन में सबसे नीचे आता है, वे अपने ही समूह में ब्रीड करते है. वे अफ्रीका के नामीबिया, जोहेंसबर्ग आदि सभी जगहों पर संगीन जेनेटिक डाइवर्सिटी यानि बोटलनेक के अंदर आते है. पूरे विश्व में इनकी पूरी जनसंख्या केवल 2 या 3 चीतों पर टिकी हुई है.

जिसमे 1 पुरुष चीता दो या तीन फिमेल चीता के साथ सम्भोग करता है, उससे अलग वह किसी भी जगह के मादा चीते साथ सम्भोग नहीं करता, यही वजह है कि उनकी जनसँख्या किसी भी बिमारी के लिए अति संवेदनशील होते है, क्योंकि उनकी जेनेटिक गुण स्ट्रोंग नहीं होती. अफ्रीका के चीता किसी भी बीमारी के बहुत अधिक संवेदनशील है, लेकिन उनकी जनसंक्या वहां अधिक होने की वजह से उसपर अधिक ध्यान नहीं दिया जाता.

कम रोगप्रतिरोधक क्षमता

फारेस्ट वार्डन का आगे कहना है कि चीतों को जब भारत लाया गया, तो यहाँ की जलवायु तक़रीबन एक जैसी है और फारेस्ट भी उनके अनुसार होने की वजह से कुनो में लाया गया, लेकिन ऐसा देखा गया है कि, ऐसे बीमारी के संवेदनशील चीतों को यहाँ लाकर बचाया जाना मुश्किल हो रहा है, क्योंकि चीते ने यहाँ जन्म नहीं लिया है, उनकी रोगप्रतिरोधक क्षमता भारत के अनुसार विकसित नहीं हुई है और इसे विकसित होने में भी सालों लगेंगे और तकरीबन 10 से 15 साल बाद ही ये काम सफल हो सकेगा, इससे पहले होना संभव नहीं.

इसके अलावा सबसे जरुरी है जू में रखे जानवरों और जंगलों में रहने वालें जानवरों के बीच अंतर को समझना. चीता ने अगर कुनो में शावकों को जन्म दिया है तो इसकी वजह बहुत अधिक अफ्रीकन और इंडियन एक्सपर्ट के देखभाल का नतीजा है. इस बारें में बहुत अधिक टिप्पणी करना जल्दबाजी होगी. उदहारण को लें तो वाइल्ड लाइफ में टाइगर की अगर बात करें तो 3 शावक में केवल एक शावक बहुत मुश्किल से बच पाता है.

मादा टाइगर अपने बच्चों को दूसरे जंगली जानवरों और नर बाघ से बचाती है, क्योंकि नर टाइगर हमेशा शावकों को मार डालता है, ताकि मादा बाघ फिर से सम्भोग के लायक हो जाय. इसलिए 90 प्रतिशत अपना समय मादा टाइगर अपने बच्चों को सुरक्षित रखने में बीता देती है. वाइल्ड एनिमल वर्ल्ड में ये सबसे बड़ी समस्या है, जब उनके बच्चे एडल्ट नहीं हो पाते.

एक शावक को एडल्ट होने में 4 से 5 साल लगते है. चीता लाने के पहले वैज्ञानिकों ने काफी छानबीन की है और उपयुक्त माहौल उन्हें देने की कोशिश भी की गयी है. चीता की देखरेख में आज पूरा जू कमिशन काम कर रहा है, जबकि वाइल्ड कमीशन में काम करना जू कमीशन बिल्कुल अलग होता है. इसलिए उन्हें चीता के बारें में अधिक जानकारी होना जरुरी है. रिस्क फैक्टर ये भी है कि आगे आने वाली किसी  सरकार को भी इस प्रोजेक्ट पर ध्यान देने और जिम्मेदारी लेने की जरुरत है.

रिहैबिलिटेशन करना नहीं आसान

इसके आगे वे कहते है कि भारत में जानवरों का रिहैबिलिटेशन बहुत कम किया जाता है, अगर कही पर जानवर आसपास के लोगों को अटैक कर रह हो, तो उसे उठाकर दूसरी जगह भेज दिया जाता है, लेकिन एक सफल रिहैबिलिटेशन दुधवा राष्ट्रीय उद्यान में किया गया था, क्योंकि दुधवा राष्ट्रीय उद्यान कभी गैंडो (RHINOCEROS) का होम टाउन हुआ करता था, लेकिन अचानक सभी राइनो के गायब होने पर आसाम के काजीरंगा नेशनल पार्क से उन्हें लाकर दुधवा नेशनल पार्क में छोड़ा गया और सभी राइनो वहां पर सरवाईव कर गए, क्योंकि दुधवा के जंगल भी मार्शी और गीले है, जो असम के काजीरंगा नेशनल पार्क से मेल खाते है.

किसी भी जानवर को पुनर्वास कराने से पहले उसकी पूरी छानबीन करना पड़ता है, जिसमे वहां के वातावरण जानवर को सूट करें और उसे रहने में किसी प्रकार की असुविधा न हो. इसमे उनके आहार का सबसे अधिक ध्यान रखना पड़ता है, ताकि वे स्वस्थ रहे.

इसमें एक पूरी टीम होती है, जिसमे वेटेरनरी डॉक्टर, लोकल वैज्ञानिक, आब्जर्वर आदि होते है, जो उनके घूमने फिरने और उनके स्वास्थ्य और हाँव-भाव को मोनिटर करते है. कुनो में भी यही किया जा रहा है, जिसमे वाइल्ड लाइफ मैनेजर का सबसे अधिक भागीदारी होती है. इसके लिए रेडियो कॉलर लगाया जाता है, जिसपर विवाद चल रहा है, लेकिन चीतों को सेटल होने में अभी काफी समय लगेगा, इस बारें में अभी बहुत कुछ कह पाना जल्दबाजी होगी.

YRKKH: अबीर के लिए फिर साथ आएंगे अक्षरा और अभिमन्यू

प्रणाली राठौड़ और हर्षद चोपड़ा स्टारर ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ इन दिनों काफी ड्रामा से गुजर रहा है. अभिनव के मौत के बाद अबीर काफी डिप्रेशन में चला जाता है जिससे अक्षरा काफी परेशान नजर आती है. इसी वजह से अक्षरा अबीर के खातिर अभिमन्यू के साथ रहने का फैसला करती है.

कसौली जाएगी अक्षरा

टीवी सीरियल ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ के अपकमिंग एपिसोड में देखने को मिलेगा कि अभिमन्यू गोयनका हाउस में अबीर से मिलने पहुंचा. लेकिन अबीर उससे नहीं मिलेगा वह सोता रहेगा. वहीं अक्षरा अभिमन्यू से सारी बातें शेयर करेगी. लेकिन मुस्कान को ये बातें पसंद नहीं आती. वहीं अबीर शाम के बाद भी नहीं उठेगा. वह सोने की जिद करता रहता है और रात में अबीर टीवी देखने लगता है. अगले दिन अक्षरा कसौली जाने का फैसला लेगी.

 

अभिमन्यू देगा अक्षरा का साथ

अक्षरा बड़े पापा से बोलेगी- कसौली में मेरी जिंदगी है. वहां जाकर मुझे अभिनव की बहुत याद आएगी. लेकिन अबीर खुश रहेगा. सब लोग अक्षरा को समझाते है लेकिन वह नहीं मानती. तभी शो में अभिमन्यू रूही,आरोही और शिव को लेकर गोयनका हाउस पहुंच जाता है. वह कहेगा- जहां जाना है चले जाओ. बस खुश रहो, मैं वीकेंड्स पर आ जाऊंगा. लेकिन मुस्कान यह सब सुनकर खुश नहीं रहती. वहीं रूही और शिव वीकेंड्स पर कसौली जाने की जिद करेंगे.

अक्षरा और अभिमन्यू साथ रहने का फैसला करेंगे

अभिनव के मौत के बाद अबीर काफी डिप्रेशन में चला गया है जिससे अक्षरा काफी परेशान नजर आती है. अबीर को डॉक्टर के पास ले जाएंगे. वहीं डॉक्टर दोनों को बात बताएंगे घर में खुशनामा महौल बनाएं. डॉक्टर की बात सुनकर अभिमन्यू और अक्षरा अबीर की खुशी के लिए दोनों साथ में रहने का फैसला करेंगे. वहीं दोनों परिवार गोयनका और बिड़ला परिवार से कहेंगे कि अबीर को डिप्रेशन से बाहर निकालने के लिए मदद करें.

TRP List: TMKOC ने अनुपमा को टीआरपी में धूल चटा दी, देखें बाकी शो का हाल

टीवी सीरियल का जुनून हर दर्शकों के दिलों में देखी जा सकती है. दिन-प्रतिदिन टीवी सीरियल जनता को खूब मनोरंजन करते है. मनोरंजन की दुनिया में सारा खेल टीआरपी का है. जनता के मन पसंद शो टीआरपी की किस नंबर पर हैं, आज हम आपको बताएंगे.

साल 2023 के 33वें हफ्ते की टीआरपी लिस्ट जारी हो चुकी है. एक बार फिर से इस लिस्ट में सब टीवी के फेमस कॉमेडी शो ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ ने टीआरपी में झंडे गाड़ दिए है तो वहीं सीरियल ‘गुम है किसी के प्यार में’ का पत्ता टॉप 10 टीआरपी लिस्ट से साफ हो चुका है. तो वहीं रुपाली गांगुली और गौरव खन्ना के शो ‘अनुपमा’  की हालत में सुधार देखने मिला है. आइए आपको बताते हैं कि कौन सा सीरियल पहले नंबर पर है?

TMKOC बना नंबर वन

इस साल 2023 के 33वे हफ्ते की टीआरपी जारी हो गई. दर्शकों का सबसे चाहेता सीरियल ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ अभी भी नंबर वन पर छाया हुआ है. एक्टर दिलीप जोशी का शो हर बार की तरह इस बार भी सबको पछाड़ते हुए टीआरपी में नंबर वन पर बना हुआ है. ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ ने 74 रेटिंग के साथ पहले नंबर पर जगह बनाई है.

अनुपमा ने दूसरे स्थान पर जगह बनाई

रूपाली गांगुली और गौरव खन्ना स्टारर ‘अनुपमा’ सीरियल में कई ट्विस्ट और टर्न्स देखने के वाबजूद ‘अनुपमा’ ने दूसरे नंबर पर जगह बनाई है. शो को 68 रेटिंग के साथ दूसरे स्थान मिला है. बता दें कि ‘अनुपमा’  सीरियल को दर्शको से खूब प्यार मिल रहा है.

ये रिश्ता क्या कहलाता है

स्टार प्लास का सबसे पुराना सीरियल ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ को आज भी दर्शकों का खूब प्यार मिल रहा है. प्रणाली राठौड़ और हर्षद चोपड़ा के शो ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ शो को लिस्ट में तीसरा स्थान मिला है. शो को 67 की रेटिंग मिली है.

कुंडली भाग्य

जी टीवी का सबसे चर्चित टीवी सीरियल कुंडली भाग्य की किस्मत चमकती नजर आ रही है. शो ने टीआरपी में बड़ा उछाल आया है. यह शो 7वें स्थान से सीधे 4वें स्थान पर पहुंच गया है. ‘कुंडली भाग्य’ को 64 की रेटिंग मिली है.

भाग्य लक्ष्मी और राधा मोहन

जी टीवी के शो ‘भाग्य लक्ष्मी’ को टीआरपी लिस्ट में पांचवां स्थान मिला है. ऐश्वर्या खरे और रोहित सुचांती स्टारर इस सीरियल को 62 रेटिंग मिली है. वहीं एक्टर शब्बीर अहलूवालिया के शो ‘राधा मोहन’ को लिस्ट में छठा स्थान मिला है. शो को 62 रेटिंग मिली है.

इंडियाज गॉट टैलेंट और कौन बनेगा करोड़पति

सोनी टीवी का रियलिटी शो इडियाज गॉट टैलेंट टीआरपी में हलात बेहद खराब नजर आ रही है. जहां पिछले हफ्ते शो को 5वां स्थान मिला था, वहीं अब इस शो को सातवां स्थान मिला है. इस सीरियल को 62 रेटिंग मिली है. वहीं अमिताभ बच्चन के रियलिटी शो ‘कौन बनेगा करोड़पति’ सीजन 15 की टीआरपी लिस्ट में एंट्री हो गई है. शो को लिस्ट में 8वें स्थान के साथ ही 60 की रेटिंग मिली है.

यह चाहते है और खतरों के खिलाड़ी 13

टीवी सीरियल ‘ये हैं चाहतें’ लगातार टॉप 10 की लिस्ट में आता- जाता रहता है. इस हफ्ते शो को 9वां स्थान हासिल हुआ है. शो को 59 की रेटिंग मिली है. वहीं कलर्स का रियलिटी शो ‘खतरों के खिलाड़ी 13’ रोहित शेट्टी होस्ट कर रहे है. टीआरपी के लिस्ट में इसे 10वां स्थान प्राप्त हुआ है. शो को 59 रेटिंग मिली है.

सोशल मीडिया है बीमारी

सोशल मीडिया पर धामकी धंधेबाजी आजकल खूब चमक रही है. न सिर्फ अपने पूजे जाने वाले देवीदेवताओं के फोटो सुबहसबेरे अपने सारे व्हाट्सएप गु्रपों पर डालने का आदेश हरेक के गुरू पंडे समयसमय पर देते रहते हैं. पढ़ीलिखी समझदार औरतें भी नहीं समझ पातीं कि जिस देवीदेवता को सब का कल्याणकारी और सर्वव्यापी माना जाता है वह अमेरिका की बनी तकनीक और कोरिया के बने मोबाइल के सहारे धर्म प्रचार में लग जाती है.

इसी के साथ हिंदू मुस्लिम वैरभाव भी चालू हो जाता है. धर्म के पिताओ ने बाकायदा फैक्टरियां खोल रखी हैं जिस में दसियों लोग एक साथ बैठ कर इतिहास और तथ्यों को तोड़मरोड़ वह फैलाते रहते हैं. इस फैक्टरियों में नकली मुसलिम बने कैरेक्टर ऐसा काम करते नजर आ सकते हैं जो ङ्क्षहदूमुसलिम बैर की आग पर पैट्रोल डाले.

ऐसे हर काम से फायदा पूजापाठ के धंधेबाजों को होता है. मंदिरों में भीड़ बढ़ जाती है. चंदा ज्यादा आने लगता है. छोटेमोटे त्यौहारों पर भी पंडितों की घरों में हाजिरी जरूरी हो जाती है जो स्लिक का कुरता पहने धर्म कार्य कराने आते हैं.

दिक्कत यह है कि यह बकवास, झूठी कहानियों, नकली वीडियो पोस्ट करने वाले गालीगलौच की भाषा को सोशल मीडिया पर इस्तेमाल करने के पूरी तरह आदी हो जाते है और यही शब्द अपने दोस्तों, सहेलियों रिश्तेदारों या जिन से व्यापारिक या व्यावसायिक संबंध हो उन पर भी लागू भी लागू होने लगते हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने हाल में ही कहा कि सोशल मीडिया पर भाषा का इस्तेमाल बड़ी सावधानी से किया जाना चाहिए क्योंकि एक गलत शब्द दूसरे को बुरी तरह चुभ भी सकती है और उस की रेपूटेशन को हानि पहुंचा सकता है. एक मामले में एक डिफेमेशस मामले में राहत देने से इंकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सोशल मीडिया का मनमाना दुरुपयोग किया जाना किसी तरह माफ नहीं किया जाता. यहां 2 जनों के बीच मामला राजनीतिक था पर किसी भी मामले में कोई परिचित भी नाराज हो कर अदालत की शरण ले सकता है और तक मैसेज डिलीट करने या एपोंलोजी देेने का कदम भी सुप्रीमकोर्ट के हिसाब से काफी नहीं है. गलत पोस्ट के लिए कोई भी जिम्मेदार हो सकता है.

हिंदू मुस्लिम बैरभाव वाले पोस्टों पर अगर मुसलिम पुलिस में मामले ले जाने लगे तो अच्छीखासी पूजापाठी औरतें चपेटे में आ जाएंगे और उन की ऊंची एड़ी की सैंडिल घिसतेघिसते चप्पल बन जाएंगे क्योंकि अदालतों के कौरीडोर गंदे और खुरदुरे होते हैं.

व्हाट्सएप का इस्तेमाल डाक से भेजे जाने वाले पंखों की तरह करें जिन में सलाह या सूचना दी जाती रही थी, वैरभाव नहीं सिखाया जाता था. गलत मैसेजों को पोस्ट करने के पाप ऐसे ही देवीदेवताओं के फोटो पोस्ट करने से नहीं धुल जाएंगे.

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