दिखावा: अम्मा से आखिर क्यूं परेशान थे सब- भाग 3

लाश को नहला कर चिता पर रख दिया गया. अब इंतजार था महापात्र का, जिस से मुखाग्नि दी जा सके. उधर महापात्र लाश पर पड़ी दूसरी लाशों के हिसाबकिताब में बिजी था. सब से पूरे पैसे लेने के बाद ही वह हमारी तरफ आया. मंत्रोच्चार के साथ ही भाई साहब द्वारा अग्नि देने के बाद चिता जल उठी. इस अग्नि को घर से बड़ा ही सहेज कर लाया गया था.

तभी मेरी निगाह दूर ढेर पर चली गई. वहां लकड़ी की अरयियों का अंबार लगा था. मालूम पड़ा सब फिर बाजार में बेच दी जाएंगी, चारपाई आदि बनाने के काम आ जाएंगी. पास ही लाशों पर उतारी गईर् चादरों का ढेर था. इन को भी बाजार में अच्छे दामों पर बेचा जाना था.

अगले दिन घर के सभी बड़े चिता की राख को हंडिया में भरने के लिए श्मशान पहुंचे ताकि उसे वाराणसी, इलाहाबाद, गया व पुरी जैसे स्थानों पर पवित्र नदियों में विसर्जित किया जा सके.

इस कलश को ले कर भाई साहब को ही जाना था. जैसा मैं ने सुना है, भाई साहब एक बार भी दादी के जीवित रहते उन्हें साथ ले कर कहीं भी नहीं गए थे. वैसे हनीमून मनाने अपनी बीवी के साथकश्मीर से कन्याकुमारी तक जा चुके थे. उन का कहना था कि मां के लिए इतना न किया तो लोग क्या कहेगे. उन्हें बारबार लोगों के कहे जाने का डर खाए जा रहा था.

अंत में नहाने का नंबर आया. बिना नहाए घर में घुसने से घर अपवित्र हो जाने का डर था. मैं तो साफ नकार गया,  ‘‘जाड़ा काफी है. घर जा कर गरम पानी से नहाऊंगा. दादी तो चली ही गईं.’’

खैर, मु?ो छोड़ सभी लोग कांपतेठिठुरते नदी में नहाए. घर लौटने तक इन लोगों के दांतों का किटकिटाना बंद नहीं हुआ. कुछेक की तो नाक भी बहने लगी क्योंकि नाक सुड़कने की आवाजें कभीकभार आ जाती थीं.

घर पर अभी पंडितों के कई चोंचले होने बाकी थे. 10वीं एकादशी… तेरहवीं. पंडितों को दान, नातेदारों, महल्ले वालों को भोजन, हजारों का खर्च था.

श्रीमती को छोड़ कर मैं तो वापस आ गया. लौटने पर पत्नी ने बताया कि दादी के इलाज से ले कर उन की तेरहवीं तक करीब 2 लाख रुपए खर्च हुए. भाईसाहब की हर जगह धाक जम गई थी. पंडितों ने एक प्रकार से अम्मां के स्वर्ग जाने का सर्टिफिकेट दे दिया था. साथ ही अगले साल श्राद्ध भी करवाने को बोल गए थे. फोटोग्राफर को भी रुपए दिए गए थे.

करीब महीनेभर के दौरे में सब लोग होटलों में ठहरे थे. खाने, आनेजाने व किराए आदि में भी खूब रुपए खर्च हुए. पंडितों को खुश करने में भी खर्च हुआ. इतने खर्च के बावजूद भाई साहब का चेहरा प्रसन्नता से खिला हुआ था. मां के क्रियाकर्म में इतने पैसे नष्ट कर उन्होंने समाज में अपने लिए काफी जगह जो बना ली थी.

असली क्लाईमैक्स 7 दिन बाद शुरू हुआ जब दादी की अलमारी, कपड़ों की जांच की गई तो एक अलमारी में कागजों के नीचे लिफाफा मिला जो शायद 7-8 साल पुराना था. यह एक वसीयत थी. सब के सामने अलमारी खोली गई तो मेरी पत्नी के चाचा उसे छिपा न सके. वसीयत को सब के सामने पढ़ना उन की मजबूरी थी क्योंकि सब सोच रहे थे दादी बिना वसीयत के मरी होंगी और जिस के हाथ जो आएगा, वह उस का होगा.

दादी ने वसीयत में साफ लिखा था कि जो भी कुछ उन का है वह दीप्ति को मिलेगा और इस में उन का पुश्तैनी मकान जो गांव में है, लौकरों में रखे गहने, पहने गहने शामिल हैं. वसीयत सुन कर सब के मुंह फक रह गए.

मेरी सालियां एक स्वर में बोलीं, ‘‘अच्छा अब पता चला कि दीप्ति दादी की इतनी सेवा क्यों कर रही थी. उसे मालूम था मेवा ते उसे ही मिलने वाला है.’’

दीप्ति ने कुछ नहीं कहा और दूर से मु?ो इशारा कर दिया कि मैं कुछ न बोलूं.

घर आ कर दीप्ति ने एक बैग पकड़ाया जिस पर ढेरों धूल जमा थी. वह बोली, ‘‘दादी को

बीच में एक दिन अस्पताल में होश आया था. उन्होंने जिद की कि यह बैग शायद उन के पुराने गंदे कपड़ों में कहीं है. मैं ले कर आऊं. मैं ने बहुत मना किया पर दादी जिद पर अड़ी रहीं. बैग ले कर आई तो मेरे हाथ पर हाथ रख कर बोलीं कि बेटा यह मेरी तरफ से तुम दोनों के लिए है. किसी को खबर भी न लगने देना. मु?ो नहीं मालूम जो मैं ने लिखा है वह तुम ने मिलेगा. मैं ने यह बैग खोला तक नहीं और घर पर ले आई. अब वे चली गईं तो देखें क्या है उस में.’’

बैग में करीब 5 किलोग्राम सोने के जेवर थे. पुराने डिजाइन में थे. चाचियों की नजर से कब कैसे बच गया यह बैग पता नहीं. शायद इसीलिए कि दादी ने उसे उस अलमारी में रखा जिस में पुराने कपड़े थे. उन कपड़ों में बहुत बदबू थी. शायद दादी ने जानबू?ा कर पेशाब वाले कपड़े भी वहां ठूसे थे ताकि कोई चाचाचाची हाथ न लगाए. पिछले दिन भी किसी ने अलमारी नहीं खोली थी.

हम दोनों को पैसे का कोई लगाव न था. यह तो दादी का प्यार था जिस के लिए दीप्ति ने रातदिन उन की सेवा की और उस की सेवाभावना देख कर मैं ने भी एक बार उसे नहीं टोका. दादी ही हमारी शादी का सब से बड़ा संवल थीं. पैसा बड़ी चीज है पर प्यार तो उस से भी बड़ा है न.

दलजीत कौर ने संगीत सेरेमनी में इस गाने पर डांस कर दूल्हे राजा को किया इंप्रेस

टीवी एक्ट्रेस दलजीत कौर अपनी नई जिंदगी में कदम रखने जा रही हैं. शालीन भनोट से तलाक के बाद दलजीत कौर मशहूर बिजनेसमैन निखिल पाटेल के साथ शादी के बंधन में बंधे जा रही हैं. सोशल मीडिया पर लगातार दलजीत कौर की दूसरी शादी की तस्वीरें और वीडियोज वायरल होती नजर आ रही हैं. वेडिंग फंक्शंस में दलजीत कौर हैप्पी ब्राइड की तरह की खिलखिलाती दिख रही हैं. केवल दलजीत ही नहीं इस वेडिंग फंक्शंस में उनकी ब्राइड्समेड भी खूब जंच रही हैं. सोशल मीडिया पर दलजीत की संगीत सेरेमनी के कई वीडियो वायरल हो रहे हैं जिनमें दलजीत (Dalljiet Kaur ) अपनी गर्ल गैंग के साथ स्पेशल परफॉर्मेंस देती नजर आई हैं.

 

 

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दलजीत कौर ने संगीत सेरेमनी में दी स्पेशल परफॉर्मेंस
सोशल मीडिया पर हर तरफ इनके डांस की स्पेशल वीडियो खूब वायरल हो रहे हैं. कई वीडियोस तस्वीरों में देख सकते हैं कि कैसे दलजीत कौर अपनी संगीत सेरेमनी धुआंधार डांस करती दिखाई दे रही हैं. एक नहीं दो नहीं दलजीत कौर ने अपनी दोस्तों के साथ कई बॉलीवुड गानों पर कदम थिरकाए हैं. दलजीत कौर की ब्राइडमैड बन करिश्मा तन्ना रिद्धि डोगरा और सनाया ईरानी ने भी स्पेशल परफॉर्मेंस दी है. उन्होंने साजन जी घर आए पर धुआंधार डांस किया है.

 

 

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बेटे ने दिया स्पेशल परफॉर्मेंस

केवल दलजीत के दोस्तों ने ही नहीं बल्कि उनके बेटे और उनके होने वाले पति ने भी इस महफिल में खूब धूम मचाई है. बेटे ने मां के लिए स्पेशल डांस परफॉर्मेंस रेडी की थी. वायरल हो रही वीडियो में बेटे को यू डांस करता देख दलजीत कौर काफी इमोशनल होती नजर आईं.

दलजीत कौर के चाहने वाले उनकी मजेदार वीडियोस इंटरनेट पर साझा करते नजर आ रहे हैं. शादी की कई खूबसूरत तस्वीरें भी इस इंटरनेट पर देखने को मिल रही हैं.

अंतर्द्वंद्व: आखिर क्यूं सीमा एक पिंजरे में कैद थी- भाग 3

सबकुछ ठीकठाक चल रहा था कि इसी बीच एक दिन रमेशजी ने ऐसी बात की जिस से सीमा को लगा की रमेशजी उसे काफी पसंद करने लगे हैं और उन्हें उस का सान्निध्य बहुत पसंद आता है. अब वे यदाकदा बिना काम फोन भी कर लिया करते थे.

हालांकि फोन पर बातचीत का विषय चित्रकला ही होता था परंतु उसी के बीच वे अप्रत्यक्ष रूप से सीमा की खूबसूरती और सुघड़ता की प्रशंसाभर कर दिया करती थे.

शुरूशुरू में तो सीमा को यह सब बड़ा अजीब लगता था परंतु वह रमेशजी की इज्जत भी करती थी तथा मन ही मन उन के व्यक्तित्व से भी प्रभावित थी इसलिए अब उसे उन की इन सब बातों में कोई बुराई नजर नहीं आती थी बल्कि उसे ऐसा महसूस होता था कि उस के अकेलेपन के अभिशाप को मिटाने के लिए ही कुदरत ने रमेशजी को एक माध्यम बना कर भेजा है. फिर अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनना किसे अच्छा नहीं लगता और वह भी इस ढलती उम्र में. इसलिए सीमा जोकि पहले से ही रमेशजी से प्रभावित थी धीरेधीरे उन्हें और भी अधिक पसंद करने लगी.

दोपहर का समय था कि अचानक घंटी बजी. सीमा ने देखा दरवाजे पर रमेशजी थे. दोपहर के समय इस तरह रमेशजी का आना सीमा को अटपटा तो लगा परंतु बुरा नहीं क्योंकि अब तक वह भी उन से काफी खुल चुकी थी.

‘‘अच्छा हुआ जो आप आ गए. बैठ कर गपशप करेंगे तथा आप से कला की बारीकियां भी सीख लूंगी,’’ उस ने दरवाजा खोलते हुए कहा.

कुछ देर औपचारिक बातचीत करने के बाद रमेशजी ने सीमा की आंखों में आंखें डालते हुए कहा, ‘‘सीमा तुम मु?ो बहुत अच्छी लगती हो. क्या मैं भी तुम्हें अच्छा लगता हूं?’’

रमेशजी की यह बात सुन कर सीमा एक बार तो सकपका गई. उसे यह रमेशजी द्वारा किया गया प्रश्न बड़ा अटपटा लग रहा था जो उम्र के इस पड़ाव पर उस से इस तरह प्रणय निवेदन कर रहे थे परंतु तत्क्षण ही एक नवयौवना की तरह शरमा गई और अपनी नजरें नीचे ?ाका कर बैठ गई, कुछ बोली नहीं.

‘‘तुम्हारी चुप्पी का क्या अर्थ सम?ां?’’ रमेश बाबू बोले.

इस पर सीमा धीरे से बोली, ‘‘आप अच्छे हैं तो सभी को अच्छे ही लगेंगे.’’

‘‘मैं सभी की बात नहीं कर रहा. मैं केवल तुम्हारी पसंद या नापसंद पूछ रहा हूं. बोलो, क्या मैं तुम्हें पसंद हूं?’’

‘‘रमेश बाबू, अब पसंद या नापसंद करने की उम्र निकल गई है. काश आप ने यह प्रश्न वर्षों पूर्व किया होता तो मैं इस का उत्तर दे सकती थी. अब ये बातें करने का क्या लाभ?’’

‘‘मु?ो तुम्हारा उत्तर हां या न में चाहिए. क्या तुम मु?ो पसंद करती हो? यदि करती हो तो मु?ो बता दो और यदि नहीं तो भी. मैं तो अपने दिल से मजबूर हूं क्योंकि इन दिनों मैं ने महसूस किया है कि मैं तुम्हें चाहने लगा हूं.’’

‘‘रमेश आप मु?ो चाहें यह मेरे लिए खुशी की बात है, गर्व की बात है परंतु इस चाहत का अंजाम भी सोचा है आप ने?’’

‘‘प्यार सोचसम?ा कर नहीं किया जाता. यह तो बस हो जाता है. मैं ने भी आज तक केवल सुना ही था परंतु अब इसे प्रत्यक्ष रूप

में घटित होते हुए देख रहा हूं वह भी स्वयं के साथ. जानती हो युवावस्था में मु?ो कभी कोई ऐसी लड़की नहीं मिली जिसे देख कर मन ने चाहा हो कि मैं उस से अपने प्रेम का इजहार करू. तुम्हें देख कर न जाने क्यों ऐसा महसूस होता है कि हमारा तुम्हारा जन्मजन्म का साथ है. मु?ो तुम से मिलना, तुम से बातें करना, तुम्हें देखना अच्छा लगता है. मेरे खयाल से तुम्हारे साथ भी ऐसा हो रहा होगा. यदि नहीं तो भी कह देना मैं इस विषय में फिर कभी बात नहीं करूंगा. ठीक है मैं अभी निकलता हूं. कल फिर फोन करूंगा ताकि मु?ो तुम्हारी हां या न का पता चल जाए.’’

रमेश तो चले गए परंतु सीमा के दिल में हलचल मचा कर छोड़ गए. उसे यह बात बहुत अजीब भी लग रही थी कि प्रौढ़ावस्था में भी कोई उस से प्यार का इजहार कर रहा है. सच पूछो तो उसे अच्छा भी लग रहा था क्योंकि  युवावस्था में उस ने भी किसी से इस तरह प्यार का इजहार नहीं किया था. वह जबजब किसी कथाकहानी या फिल्मों में यह देखती थी तो अकसर यही सोचती थी ऐसा किन लोगों के साथ होता है परंतु उस ने यह सपने में भी नहीं सोचा था कि यह सब उस के साथ जीवन के उस मोड़ पर होगा जब वह चाह कर भी उस का प्रतिउत्तर नहीं दे पाएगी.

रमेश ने उस के दिल के एक कोने में अपनी जगह तो बना ली थी परंतु वह एक अच्छे इंसान और पथप्रदर्शक के रूप में. आज उन्हें एक प्रेमी के रूप में देख कर वह आश्चर्यचकित थी परंतु कुछ चाहत का एहसास उस के मन में भी हो रहा था.

सीमा ने स्वयं को दर्पण में देखा और सोचा, ‘क्या मैं सचमुच अभी भी इतनी सुंदर लगती हूं कि कोई मु?ा पर आसक्त हो जाए और उस का मन स्वाभिमान से भर गया. वह कल्पना के सागर में हिलोरें खाने लगी. युवावस्था में उस ने जिस सुंदर युवक की एक प्रेमी के रूप में कल्पना की थी, आज रमेश बाबू के रूप में वह साकार होती नजर आ रही थी. उसे लगा कि सचमुच वे दोनों एकदूसरे के लिए बने हैं जो कुदरत की भूल के कारण अभी तक मिल नहीं पाए.

 

तभी उसे सतीश का खयाल आया और वह घबरा गई कि यह मु?ो क्या हो गया है.

इतने वर्षों तक मैं ने अपने पत्नी धर्म का निर्वाह किया है और अब इस उम्र में यह आशिकी. नहींनहीं यह ठीक नहीं है. मैं सतीश के साथ बेवफाई नहीं कर सकती. मैं रमेशजी को साफ मना कर दूंगी कि वे मेरे घर न आयाजाया करें. यही सब सोचतेसोचते सीमा की आंख लग गई.

सीमा जब सुबह सो कर उठी तो रात वाली उथलपुथल अभी भी उस के मन में थी. जैसेजैसे दिन बीत रहा था, उस की धड़कन बढ़ती जा रही थी. क्या कहूंगी. कैसे कहूंगी. उन्हें कैसा लगेगा. यह सोचसोच कर वह परेशान हो रही थी कि तभी फोन की घंटी बजी. फोन रमेश का ही था.

‘‘हैलो,’’ सीमा ने धीरे से कहा. न जाने क्यों आज उस के हैलो बोलने में परिवर्तन आ गया था.

‘‘कैसी हो?’’

‘‘अच्छी हूं.’’

‘‘मेरी याद आई?’’

सीमा चुप रही और मन ही मन बोली कि आप को कैसे भूल सकती हूं.

रमेश बोले, ‘‘जानती हो तुम्हारा यही संकोची स्वभाव, यही शर्मीलापन मु?ो सब से अच्छा लगता है. क्या सतीशजी को भी यह पसंद है?’’

‘‘पता नहीं, उन्होंने कभी ऐसा कहा नहीं.’’

‘‘कहना चाहिए. यदि कुछ अच्छा लगे और मन को पसंद आए तो अवश्य कहना चाहिए. इस से कहने वाला और सुनने वाला दोनों ही प्रसन्न रहते हैं.’’

रमेशजी की बात सुन कर सीमा मुसकराए बिना न रह सकी और फिर बोली, ‘‘सभी आप के जैसे नहीं हो सकते.’’

‘‘इस का अर्थ मैं तुम्हें पसंद हूं.’’

‘‘यह तो मैं ने नहीं कहा.’’

‘‘हर बात कहने की जरूरत नहीं होती. कुछ बातें अनकही हो कर भी कही जाती हैं. कह कर रमेशजी ने फोन रख दिया और सीमा भी फोन रख कर सोफे पर धम से बैठ गई.

पति को लेकर परेशान हुई अनुपमा, अनुज ने कही ऐसी बात टूट गई अनु

रुपाली गांगुली और गौरव खन्ना स्टारर ‘अनुपमा’ इन दिनों काफी चर्चा में बना हुआ है. शो अपने ट्विस्ट और टर्न्स के कारण टीआरपी लिस्ट में तो नंबर वन पर आ गया है, लेकिन दर्शक करंट ट्रैक से काफी नाराज नजर आ रहे हैं. ‘अनुपमा‘ (Anupama) में इन दिनों दिखाया जा रहा है कि छोटी अनु उन्हें छोड़कर चली गई है. बीते दिन भी रुपाली गांगुली (Rupali Ganguly) के शो में देखने को मिला कि छोटी अनु मायूस होकर माया के साथ चली जाती है. उसके जाते ही अनुज-अनुपमा की जिंदगी में गृहण लग जाता है, क्योंकि अनुज अपना होश खो बैठता है और बेटी की यादों में ही गुम रहता है. लेकिन रुपाली गांगुली के ‘अनुपमा’ में आने वाले ट्विस्ट और टर्न्स यहीं खत्म नहीं होते हैं.

 

अनुज-अनुपमा को याद कर फूट-फूटकर रोएगी छोटी अनु

अनुपमा‘ में देखने को मिलेगा कि अनुज और अनुपमा से दूर होकर छोटी अनु जरा भी खुश नहीं रहती है. वह बार-बार उनकी तस्वीरें देखती है. माया उसे समझाती है कि वह उसे इतना प्यार देगी कि छोटी अनुज और अनुपमा को भूल जाएगी. लेकिन छोटी उसकी इस बात पर गुस्सा हो जाती है और रोने लगती है। ऐसे में माया कहती है कि अगर छोटी उनके पास वापिस जाना चाहती है तो वह उसे भेज देगी। लेकिन छोटी कहती है, “मैं आपको अकेले छोड़कर कहीं नहीं जाऊंगी

 

छोटी अनु के जाने पर खुद को कोसेगा अनुज

रुपाली गांगुली के ‘अनुपमा’ में देखने को मिलेगा कि छोटी अनु के जाने के बाद अनुज खुद को कोसता है. वह कहता है कि उसके मां-बाप की डेथ उसकी वजह से हुई. वह मुक्कू की शादी के लिए भी खुद को जिम्मेदार मानता है और छोटी के जाने के लिए भी खुद को ही दोषी समझता है. वह ऑफिस तक नहीं जाता और छोटी के खिलौनों के आसपास बैठकर ही वक्त बिताता है.

 

अनुपमा की तरफ देखेगा भी नहीं अनुज

‘अनुपमा’ में एंटरटेनमेंट का डोज यहीं पर खत्म नहीं होता है. अनुज के कारण किचन में आग लग जाती है, लेकिन अनुपमा वक्त पर आकर उसे संभाल लेती है. अनुपमा अनुज को समझाने की कोशिश भी करती है, लेकिन वह उसे अनदेखा करके चला जाता है. यहां तक कि छोटी का वीडियो कॉल आने पर भी अनुज बुरी तरह अनुपमा को नजरअंदाज करता है. अनुज की हालत देखकर अनुपमा कहती है, “ऐसे में तो अनुज डिप्रेशन में चले जाएंगे.” वह उससे बात करने की कोशिश करती है, लेकिन अनुज उसे जरा भी भाव नहीं देता.

मुझे माफ कर दो- भाग 3

उच्च मध्य परिवारों की तरह संपन्न सा ड्राइंगरूम में बिछा मोटा कालीन, दीवार पर शोभा बढ़ातीं आकर्षक पेंटिंग्स, काफी कीमती सोफा, साइड टेबल पर कलात्मक राधाकष्ण की सुंदर चमचमाती पीतल की मूर्ति, वहां पर रहने वालों की सुरुचि और संपन्नता को दशा रही थी.

 

चारों ओर नजरें घुमाकर देखने के बाद श्री ज्वैलर्स के यहां से आया मैनेजर रजत

थोड़ा सकपका सा उठा परंतु अपनी ड्यूटी के कारण मजबूर था.

‘‘सर, मैं श्री ज्वैलर्स के यहां से आया हूं,’’ कुछ भी बोलने में उस की जबान तालू से चिपकी सी जा रही थी.

सजल ने गिलास में पानी दे कर कहा, ‘‘बिना संकोच बोलिए, वैसे शायद आप गलत जगह आ गए हैं. मेरी गोल्ड या सिल्वर में इन्वैस्टमैंट की रुचि नहीं है. सर, आप की पत्नी नीराजी 3 नवंबर को मेरे शोरूम में एक महिला के संग आई थीं और गलती से शायद डायमंड की रिंग अपनी उंगली में पहन कर आ गई हैं. सर, सीसीटीवी में हम लोगों ने रिकौर्डिंग देखने के बाद आधार कार्ड से आप का पता निकाला, तब मैं यहां आ पाया हूं. सर मेरे यहां तो एक लाख के ऊपर की चीजों पर तुरंत थाने में एफआईआर की जाती है, लेकिन इस केस में हम लोगों ने पहले एक बार कोशिश कर लेने के विचार से आप के घर आए हैं.’’

सजल पत्नी नीरा की छोटीछोटी चीजों

की चोरी कर लेने की आदत से परिचित थे, इस वजह से वे कई बार उन्हें खूब अच्छी तरह डांटफटकार और लताड़ भी चुके थे, परंतु इतनी बड़ी चीज इसलिए

उन का चेहरा तमतमा उठा था.

मैनेजर ने नीरा का उंगली में अंगूठी पहन कर दुकान से बाहर हाथ छिपा कर निकलने वाला वीडियो उन के फोन पर फौरवर्ड कर दिया. सामने प्रूफ देख कर सजल का सिर पत्नी की करतूत के कारण शर्म से ?ाक गया.

‘‘तुम श्री ज्वैलर्स के यहां गई थी?’’

‘‘एक दिन रश्मि मु?ो ले गईर् थी.’’

‘‘वहां से डायमंड रिंग पहन कर आ गई थी तो लौटाने क्यों

नहीं गई.’’

‘‘मैं ने रश्मि

को लौटाने के लिए दे दी थी.’’

‘तुम सरासर ?ाठ बोल रही हो. तुम ने अंगूठी वहां से चुराई है.’’

‘‘आप की निगाहों में तो मैं हमेशा से चोर हूं,’’ यह कहते हुए अपने आखिरी अस्त्र का इस्तेमाल करते हुए नीरा ने जोरजोर से रोनाधोना शुरू कर दिया.

मगर आज सजल इस समय अपने

अपमान की ज्वाला से सुलग रहे थे. आंसू देख कर भी उन का दिल तिल भर भी नहीं पिघला. तड़प कर चीख पड़े, ‘‘बदतमीज, कमीनी औरत चोरी और सीना जोरी, तुम मेरी आंखों में धूल ?ोंकती रही और मैं तेरे पूजापाठ वाले नाटक पर विश्वास करता रहा. धार्मिक कर्मकांड की आड़ में तुम्हारा शातिर दिमाग चोरी जैसे घिनौने काम में लगा हुआ था. अब भुगतो अपने बुरे कर्म का बुरा नतीजा.’’

‘‘सच मानिए, मैं अंगूठी गलती से पहन कर आ गई थी, फिर रश्मि को दे दी थी.’’

‘‘फिर ?ाठ बोल रही हो. यह देख ले, कैसे हाथ छिपा कर चुपके से बाहर निकल रही है,’’ उन्होंने गुस्से में अपना मोबाइल नीरा की तरफ फेंक दिया और फिर तमक कर उठे और सामान को इधरउधर फेंकते हुए उस की अलमारी का लौकर खोल कर उस में से 1-1 सामान निकाल कर फेंकने लगे.

‘‘यह मोटी चेन तुम्हारे पास कहां से आई? बताओ कहां से चुरा कर लाई और ये ?ामकी तो मैं ने खरीद कर नहीं दिए थे आदिआदि…’’

तभी उन्हें पीछे की तरफ एक डब्बी दिखाई पड़ी. उस को खोलते ही चीख पड़े,

‘‘देख ?ाठी औरत यह रही वह अंगूठी, जिसे तुम बारबार रश्मि को दे दी थी, कह रही थी,’’ सजल गुस्से में अपना आपा खो बैठे थे. वे क्रोध के मारे थरथर कांप रहे थे.

सजल अंगूठी ले कर गिरतेपड़ते से मैनेजर के पास पहुंचे और बोले, ‘‘यह रही आप की अंगूठी… मेरी बीवी चोर है… अब आप जाए…’’ वे अपना होश खो बैठे थे, अपमान और शर्म के कारण सम?ा नहीं पा रहे थे कि वे क्या कर रहे हैं.

‘मैं ने तुम्हारी हर ख्वाहिश को पूरी करने के लिए कोशिश करता रहा लेकिन तुम्हारी नजर और निशाना तो कहीं और था. अब मैं तुम्हें एक क्षण भी बरदाश्त नहीं कर सकता.’’

नीरा अपनी चोरी पकड़े जाने के कारण सहम उठी थी. वह सिसकती हुई उठी, ‘‘मु?ो माफ कर दो,’’ कहते हुए पति के पैरों को पकड़ लिया.

मगर आज सजल ने मन ही मन एक कड़ा फैसला ले लिया. उन्होंने पत्नी के बढ़े हाथों को जोर से ?ाटक दिया और अपने फैसले पर अडिग रहते हुए सीधे तलाक के लिए वकील से मिलने के लिए चल पड़े थे.

वह जानते थे कि तलाक लेने में वर्षों लग जाएंगे पर एक चोर वाली पत्नी के साथ रहने से यह अच्छा ही है.

बच्चों के लिए बनाएं ये 5 टेस्टी और देसी स्नैक्स

शाम होते होते भूख लगना स्वाभाविक सी बात है परन्तु अक्सर इस भूख को मिटाने के लिए बाजार के रेडीमेड खाद्य पदार्थों का सेवन कर लिया जाता है जो सेहतमंद नहीं होते क्योंकि उन्हें बनाने के लिए प्रयोग किया गया तेल और मसाले उतने हाइजीनिक और उत्तम क्वालिटी के नहीं होते. आज हम आपको घर में उपलब्ध सामग्री से ही एक ऐसा स्नैक बनाना बता रहे हैं जो बहुत हैल्दी तो है ही साथ बहुत टेस्टी भी है तो आइए देखते हैं कि इसे कैसे बनाया जाता है-

1- नमकपारे

सामग्री

– 1 कप मैदा

-तलने के लिए पर्याप्त तेल

– 1 छोटा चम्मच कसूरी मेथी

– 1/2 छोटा चम्मच जीरा पाउडर

-1/2 छोटा चम्मच अजवायन

-1/2 छोटा चम्मच काली मिर्च दरदरी कुटी

-जरूरतानुसार पानी

नमक स्वादानुसार.

विधि

मैदाकसूरी मेथीजीरा पाउडरअजवायनकाली मिर्चनमक और तेल को एक बाउल में डाल कर अच्छी तरह मिक्स करें. मिश्रण में थोड़ाथोड़ा कर के पानी डालें और सख्त आटा गूंध लें. उस के बाद एक हलके गीले कपड़े से ढक कर करीब 30 मिनट के लिए रैस्ट करने दें. उस के बाद आटे को कुछ मिनट और मथें फिर बेलन पर तेल लगा कर चपाती की तरह पतला बेल लें. चाकू या पिज्जाकटर की मदद से लंबीलंबी स्ट्रिप्स में काट लें. अब एक पैन में तेल गरम कर मध्यम आंच पर नमकपारे सुनहरे होने तक तलें. ठंडा होने पर एयरटाइट कंटेनर में स्टोर कर लें.

2- अचारी मखाने

– 2 कप मखाने

-3 छोटे चम्मच तेल

-1 छोटा चम्मच अचारी मसाला

– 1/2 छोटा चम्मच हलदी पाउडर

– नमक स्वादानुसार.

विधि

मध्यम आंच पर मखानों को हलका सुनहरा होने तक ड्राई रोस्ट कर लें और एक बाउल में अलग निकाल कर अलग रख दें. एक अलग पैन में तेल गरम कर उस में अचारी मसालाहलदी पाउडर और नमक डाल कर तड़कने दें. अब मखाने डालें और अच्छी तरह टौस करें ताकि वे अचारी मसाले से अच्छी तरह कोट हो जाएं. आप इन्हें तुरंत भी सर्व कर सकते हैं या फिर ठंडा होने पर एयरटाइट कंटेनर में स्टोर कर सकते हैं.

3- मुरमुरा

सामग्री

-2 कप मुरमुरा

– 1/2 कप तली हुई मूंगफली.

तड़के के लिए

-1 बड़ा चम्मच तेल द्य एक चुटकी हींग

– 1/2 छोटा चम्मच काली सरसों के बीज

– 2 सूखी लालमिर्चें आधी कटी द्य थोड़े से करीपत्ते द्य 1/2 छोटा चम्मच हलदी पाउडर

– नमक स्वादानुसार.

विधि

एक चौड़ी तली की कड़ाही में तेल गरम कर के आंच को मध्यम कर दें. अब उस में हींगकाली सरसों और सूखी लालमिर्च डाल कर तड़कने दें. फिर उस में करीपत्तेहलदी पाउडर व नमक डाल कर मिक्स करें. अब कड़ाही में मुरमुरे और मूंगफली डाल कर मिलाएं और कड़ाही को आंच से उतार लें. ठंडा होने के बाद सर्व करें या एयरटाइट कंटेनर में डाल कर स्टोर कर लें.

4- चटपटे काजू

सामग्री

– 2 कप काजू द्य 1/2 छोटा चम्मच जीरा पाउडर

– 1/2 छोटा चम्मच काली मिर्च पाउडर

– 1/2 छोटा चम्मच काला नमक द्य तलने के लिए तेल द्य नमक स्वादानुसार.

विधि

एक कड़ाही में मध्यम आंच पर तेल गरम कर काजू को कुरकुरा और सुनहरा होने तक तल लें. गरम काजुओं को एक बाउल में निकाल लें और तुरंत ही जीरा पाउडरकाली मिर्च पाउडरकाला नमक और नमक डालें. अच्छी तरह मिक्स और ठंडा कर के काजुओं को बाउल में उछाल कर अच्छी तरह मसाले मिक्स कर लें. ठंडा कर के एयरटाइट कंटेनर में स्टोर करें.

5- चिवड़ा

सामग्री

– 1 कप पोहा द्य 1/2 कप मूंगफली द्य 1/2 कप काजू द्य 1/2 कप सूखे नारियल के टुकड़े

– तलने के लिए पर्याप्त तेल द्य थोड़े से करीपत्ते

– 2 हरीमिर्चें बारीक कटी द्य 1/2 छोटा चम्मच हलदी पाउडर द्य 1 छोटा चम्मच बूरा (चीनी)

– 1 छोटा चम्मच नमक.

विधि

एक चौड़े तले वाली कड़ाही में तेल गरम करें. अब पोहा को छलनी में छान कर तेल में डाल दें. क्रिस्पी होने पर निकाल कर पेपर टावेल पर रखें.

अब उसी तेल में 1-1 कर मूंगफलीकाजूनारियल को भी अच्छे से भून लें. फिर एक अलग पैन में तेल गरम कर करीपत्तेहरीमिर्चहलदी पाउडर और नमक डाल कर चटकने तक भूनें. अब इस पैन में पहले से तले हुए पोहेमूंगफलीकाजूनारियल के टुकड़े और चीनी डाल कर मिक्स करें और पैन को आंच से उतार कर मिश्रण को ठंडा होने दें. एयरटाइट कंटेनर में स्टोर करें.

मेरे पति की किडनियां काफी क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं, मैं जानना चाहती हूं कि किडनी फेल्योर क्या होता है?

सवाल

डायग्नोसिस में पता चला है कि मेरे पति की किडनियां काफी क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं. मैं जानना चाहती हूं कि किडनी फेल्योर क्या होता है?

जवाब

किडनी फेल्योर तब होता है जब किडनियां आप के रक्त से अचानक व्यर्थ पदार्थों को फिल्टर करना बंद कर देती हैं. तब किडनियां फिल्टर करने की क्षमता खो देती हैंशरीर में व्यर्थ पदार्थ खतरनाक स्तर तक इकट्ठा हो जाते हैं और रक्त में रसायनों का संतुलन गड़बड़ा जाता है. ऐक्यूट किडनी फेल्योर को ऐक्यूट रीनल फेल्योर भी कहते हैं. यह स्थिति कुछ घंटों या कुछ महीनों में विकसित हो सकती है. अत्यधिक बीमार लोगों में किडनी फेल्योर कुछ ही घंटों में हो जाता है. किडनी फेल्योर उसे कहा जाता जब दोनों किडनियां अपनी सामान्य गतिविधियों का 15-20% से भी कम कर पाती हैं. इसे ऐंड स्टेज रीनल डिजीज कहते हैं. इस समस्या से डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट के द्वारा निबटा जा सकता है.

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सवाल

किडनियों से संबंधित समस्याओं के बढ़ते मामलों को देखते हुए मैं जानना चाहती हूं कि किडनियों को स्वस्थ रखने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं?

जवाब

विश्व की लगभग 10% आबादी किडनी से संबंधित किसी न किसी समस्या से जू?ा रही है. ऐसे में किडनियों को स्वस्थ रखना बहुत जरूरी है. जीवनशैली में कुछ जरूरी परिवर्तन ला कर किडनियों से संबंधित बीमारियों के खतरों को कम किया जा सकता है  इन में सम्मिलित हैं- संतुलित और पोषक भोजन का सेवन करनानियमित रूप से ऐक्सरसाइज करनारक्त में शुगर के स्तर और रक्तदाब को नियंत्रित रखनामोटापे से बचनाशराब और धूम्रपान से दूर रहना.

ऐसे तो घरों की छतें टूटने लगेंगी

फूड होम डिलिवरी सर्विस स्विग्गी का इस साल का नुकसान 3,629 करोड़ है. उस के साथ काम कर रही जोमैटो भी भारी नुकसान में है और उस ने 550 करोड़ की सहायता अभी किसी फाइनैंशियल इनवैस्टर से ली है. स्विग्गी को पिछले साल 1,617 करोड़ का नुकसान हुआ था पर फिर भी उस का मैनेजमेंट धड़ाधड़ पैसा खर्च करता रहा और अब यह नुकसान दोगुना से ज्यादा हो गया.

स्विग्गी की डिलिवरी से फूले नहीं समा रहे ग्राहक यह भूल रहे हैं कि इस नुकसान की कीमत उन से आज नहीं तो कल वसूली ही जाएगी. जितनी भी ऐप बेस्ड सेवाएं हैं वे मुफ्त या सस्ती होने के कारण भारी नुकसान में कुछ साल चलती हैं पर जब वे मार्केट पर पूरी तरह कब्जा कर लेती हैं तो खून चूसना शुरू कर देती हैं.

स्विग्गी अब धीरेधीरे छोटे रेस्तरांओं का बिजनैस खत्म कर रही है और वह क्लाउड किचनों से काम करा रही है. वह अब डिलिवरी बौयज को दी गई शर्तों पर काम करने को मजबूर कर रही है. स्विग्गी से जो रेस्तरां नहीं जुड़ता वह देरसवेर बंद हो जाता है चाहे उस रेस्तरां का खाना और उस की सेवा कितनी ही अच्छी क्यों न हो.

स्विग्गी ने घरों की औरतों को काम न करने का नशा डाल दिया है और इस के लिए 1 साल का 3,600 करोड़ का खर्च करता है. अगर औरतें घरों की किचन में नहीं घुसेंगी तो उन्हें देरसवेर वही खाना पड़ेगा जो स्विग्गी या उस जैसा कोई ऐप मुहैया करेगा. घरों में से किचन गायब हो जाएगी तो लोग दानेदाने के लिए किसी ऐप को तलाशेंगे.

जैसे अब किराने की दुकानों को अमेजन व जियो भारी नुकसान सह कर बंद करा रहे हैं वैसे ही स्विग्गी लोगों का स्वाद बदल रही है. आप वह खाइए जो मां या पत्नी ने नहीं बनाया और डिलिवर हुआ. मां या पत्नी का प्रेम उस खाने से पैदा होता है जो वे प्रेम से बनाती हैंखिलाती हैं. जब इस प्रेम की ही जरूरत नहीं होगी तो घर की छतें टूटने लगेंगी. यह बड़ी कौरपोरेशनों के लिए अच्छा है. सदियों तक राजा और धर्मों के ठेकेदार घरों से आदमियों को निकाल कर युद्ध या धर्म प्रचार में लगाते रहे हैं और दोनों काम करने वालों को जम कर लूटते रहे थे.

उन की औरतें बेबसअनचाहीकेवल बच्चे पैदा करने वाली मशीनें बन कर रह जाती थीं. अब इन औरतों को भी कौरपोरेशनों ने टारगेट करना शुरू कर दिया है और उन से किचन छिनवा दी है. सैनिकों या धर्म के सेवकों को मैसों व लंगरों में खाना खाना पड़ता थाएक जैसावही स्विग्गी करेगा. दिखावटीनकली सुगंध वाला खाना जिस में सस्ती सामग्री लगे लेकिन पैकिंग बढि़या हो और दाम इतने कि न दो तो खाना मिले ही नहीं.

भारत में नए साल पर स्विग्गी ने 13 लाख खाने डिलिवर किए क्योंकि इतने घरों की औरतों ने खाना बनाने से इनकार कर दिया. इस डिलिवरी में कौन लगा थास्विग्गी की स्लेव लेबर जो भीड़ में गरम खाना डिलिवर करने में लगी थी. उन के लिए न अब दीवाली त्योहार रह गया हैन नया साल.

3,600 करोड़ का खर्च इतनी बड़ी जनता को घरों में कैद करने में या मोटरबाइक पर गुलामी करने में कुछ ज्यादा नहीं है. इस का फायदा कोई तो उठा रहा है चाहे आप को वह दिखे न.

पीनट फेसपैक से मिनटों में पाएं चेहरे पर निखार

क्या आप नहीं चाहतीं कि आपके चेहरे पर मिनटों में सेलिब्रिटी जैसा ग्लो दिखे. लेकिन अब शायद आप यह सोच रही होंगी कि ऐसा ग्लो या तो स्किन पर नेचुरल होता है या फिर उसके लिए ढेरों पैसे खर्च करने पड़ते हैं . जबकि ऐसा नहीं है. आप घर बैठे ही घर में रखी चीजों से मिनटों में ऐसा ग्लो पा सकती हैं. तो यहां हम बात कर रहे हैं मूंगफली से बनने वाले फेस पैक के बारे में. जो न सिर्फ आपकी स्किन की खोई रंगत को तुरंत वापिस लाने का काम करेगी बल्कि आपके स्किन पोर्स को साफ करके आपकी स्किन को यंग भी बनाएगी.

कैसे बनाएं फेस पैक .

1. पीनट एंड हनी पैक

क्या आपको अचानक से किसी फ्रैंड के घर डिनर का इनवाइट आ गया है और ऐसे में आप यही सोच रही हैं कि न तो कपड़े रेडी हैं और न ही कई दिनों से फेसिअल करवाया है. अगर ऐसे तो चली गई तो पता नहीं वो मेरा फेस देख कर क्या क्या कहेगी. ऐसे में अब आप ज्यादा मत सोचिए , हम आपके लिए लाए है पीनट एंड हनी पैक. तो मिनटों में आपको पार्टी जैसा ग्लो देगा.

इसके लिए आप बिना छिलके वाली 2 बड़े चम्मच मूंगफली लेकर उसका ग्राइंडर में स्मूद पेस्ट तैयार करें. फिर इसमें जरूरत के हिसाब से दूध मिलाकर थोड़ा सा हनी मिलाकर इसका स्मूद पेस्ट तैयार करें. और फिर इसे चेहरे पर अप्लाई कर लें. बेहतर रिजल्ट के लिए आप आधा घंटा इस पेस्ट को अपने चेहरे पर जरूर लगाएं और फिर फेस को धो लें. रिजल्ट देखकर आप खुद हैरान रह जाएंगी. इस पैक को हर स्किन टाइप वाले अप्लाई कर सकते हैं. ड्राई स्किन पर इसका रिजल्ट और बेहतर आता है.

2. ऑरेंज एंड पीनट पैक

संतरा जहां डार्क सर्कल्स, ब्लैकहेड्स, डेड सेल्स को रिमूव करने का काम करता है वहीं पीनट में प्रोटीन होने के कारण ये स्किन रीजनरेशन व स्किन की रेडनेस को कम करने में मददगार होता है. तो जब आप इसके फायदे जान गई हैं तो सोचिए इससे तैयार पैक स्किन के लिए कितना फायदेमंद होगा.

इसके लिए आप एक संतरे को छील लें. और फिर इसमें 1 बड़ा चम्मच के लगभग इसमें पीनट और थोड़ा सा दूध ऐड करके इसका स्मूद पेस्ट तैयार करें. और फिर इससे चेहरे व गर्दन पर 10 मिनट तक लगा छोड़ दें. और फिट पानी से धो लें. तुरंत ही आपको अपनी स्किन पर ग्लो दिखने लगेगा.

3. पीनट एंड कॉफी पाउडर

कॉफ़ी स्किन एक्सफोलिएटर का काम करता है. ये बहुत ही माइल्ड होने के कारण स्किन को किसी भी तरह का कोई नुक्सान नहीं पहुंचाता. वहीं पीनट स्किन सेल्स के पुन निर्माण का कार्य करके स्किन को यंग बनाने का काम करता है.

इसके लिए आप बराबर मात्रा में पिसा हुआ पीनट और कॉफी पाउडर लेकर उसमें थोड़ा सा दूध और शहद मिलकर पेस्ट तैयार करें. फिर इस पेस्ट को चेहरे पर अप्लाई करके हलके हाथों से मसाज करें , जिससे डेड स्किन सेल्स रिमूव हो सके. फिर इसे चेहरे पर 5 मिनट तक लगा छोड़ दें और धो दें. आपको अपनी स्किन पर चमक के साथ साथ काफी सोफ्ट भी लगेगी.

4. एग एंड पीनट

एग को स्किन क्लींजिंग के लिए बेस्ट माना जाता है. वहीं पीनट में फैटी एसिड्स की मौजूदगी होने के कारण झुर्रियों, फाइन लाइन्स और डलनेस की समस्या से निजात मिलता है.

इसके लिए आप अच्छे से ग्राइंड किए 1 चम्मच पीनट में 1 अंडा डालकर उसका अच्छे से क्रीमी पेस्ट बनाएं. फिर इससे चेहरे पर 10 – 15 मिनट के लिए लगा छोड़ दें. फिर पानी से चेहरे को साफ कर लें. आप अपने चेहरे पर एक अलग ही रौनक देखेंगी.

क्यों है पीनट स्किन के लिए फायदेमंद

– झुर्रियां स्किन की इलास्टिसिटी यानि उसके लचीलेपन को कम करती है. जबकि पीनट में विटामिन सी होने के कारण ये स्किन की इलास्टिसिटी को मैंटेन रखने का काम करता है.

– पीनट में ओमेगा 6 फैटी एसिड होने के कारण ये स्किन की जलन को कम करने में मददगार है.

– ये एक ऐसा मास्क है , जो घर में रखी चीजों से बनने के साथ साथ स्किन पर जमा गंदगी को मिनटों में हटाकर क्लियर स्किन देने का काम करता है.

– इसमें फाइबर की मौजूदगी स्किन से विषैले प्राधातो को बाहर निकालकर स्किन पर नेचुरल ग्लो लाने का काम करती है. तो हुआ न पीनट स्किन के लिए फायदेमंद.

जिंदगी के हर दौर में महिलाओं के लिए हेल्थ इंश्योरेंस है जरूरी

मैटरनिटी एक महिला के जीवन में सबसे खूबसुरत पलों में से एक होता है. हालांकि, यह अपने साथ भावनात्मक और वित्तीय जिम्मेदारी लेकर आता है. जीवन बदलने वाले इस फैसले को लेने से पहले, मैटरनिटी के साथ आने वाली जिम्मेदारियों के लिए वित्तीय रूप से तैयार होना बहुत ही जरूरी है. इसके अलावा, गर्भावस्था के दौरान या बाद में किसी भी मेडिकल इमरजेंसी का सामना करने के लिए एक सही हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी का होना भी उतना ही जरूरी है.

अमित छाबड़ा, हेड-हेल्थ एंड ट्रेवल इंश्योरेंस, पॉलिसीबाज़ार.कॉम का कहना है, “स्वास्थ्य देखभाल की लागत तेजी से बढ़ने के साथ, अस्पताल में भर्ती होने के दौरान कवरेज मिलना बहुत ही महत्वपूर्ण है. खासतौर से उन महिलाओं के लिए जिन्हें अपने आश्रितों की देखभाल करनी होती है, उनके लिए जीवन के हर चरण में पर्याप्त कवरेज होना आवश्यक है. और जिस तरह मैटरनिटी के दौरान उनकी चिकित्सीय ज़रूरतें विकसित होती हैं, उसी तरह उनका इंश्योरेंस कवरेज भी होना चाहिए. अलग-अलग राइडर्स का उपयोग करके, महिलाएं अपनी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी को जीवन के प्रत्येक चरण के मुताबिक तैयार कर सही लाभ प्राप्त कर सकती हैं. साथ ही सभी महिलाओं को अपनी फाइनेन्शियल प्लानिंग करते समय उनकी बढ़ती जरूरतों को ध्यान में रखना चाहिए क्योंके वे गर्भावस्था से लेकर बुढ़ापे तक विभिन्न चरणों से गुजरती हैं”.

होने वाली मां: जिस समय आप अपने परिवार का आगे बढ़ाने की योजना बनाते है, एक मां बनने का सफर वहीं से शुरू हो जाती है, और इसी के साथ फाइनेन्शियल प्लानिंग भी शुरू हो जाती है. गर्भावस्था के दौरान किसी भी तरह की परेशानी न हो इसके लिए, होने वाली मां को शुरू से ही चिकित्सा देखभाल की आवश्यकता होती है. यहीं पर मैटरनिटी बेनिफिट वाली हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी सामने आती है. इस तरह की इंश्योरेंस पॉलिसी एक निश्चित अवधि तक बच्चे के जन्म से संबंधित सभी खर्चों को कवर करती है – जिसमें गर्भावस्था से पहले और गर्भावस्था के बाद दोनों समय का खर्च शामिल होता है। वास्तव में, अब ऐसी योजनाएं हैं जो गर्भ धारण करने की कोशिश कर रहे लोगों के लिए आईवीएफ लागत को भी कवर करती हैं.

आम तौर पर मैटरनिटी बेनिफिट प्राप्त करने से पहले पॉलिसी के आधार पर दो से चार साल का वेटिंग पीरियड होता है. हालांकि, अब ऐसी पॉलिसी भी उपलब्ध हैं जिन्होंने इस वेटिंग पीरियड को घटाकर एक साल कर दिया है. इसलिए, मैटरनिटी बेनिफिट के साथ हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी जल्दी ही लेनी चाहिए क्योंकि मौजूदा गर्भावस्था को मैटरनिटी बेनिफिट के तहत कवर नहीं किया जाएगा.
गर्भावस्था से पहले और बाद की देखभाल के अलावा, डिलीवरी के दौरान होने वाला खर्च बहुत ज्यादा होता है जो कुछ लाख तक हो सकता है, खासकर सर्जिकल डिलीवरी में। इस खर्च को कवर करने वाली इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदना यह सुनिश्चित करता है कि आप अपने शहर में उपलब्ध अच्छी से अच्छी मेडिकल सुविधाओं का लाभ उठा सकते हैं। इससे न केवल नई मां के लिए बल्कि उसके बच्चे के लिए भी उचित देखभाल मिल पाएगी.

नई माताएं: गर्भावस्था के दौरान ध्यान मां के स्वास्थ्य पर, और अजन्मे बच्चे पर होता है। हालांकि, जैसे ही बच्चा पैदा होता है, दुनिया फिर बच्चे के चारों ओर घूमती है। इस अवस्था में नवजात शिशु की इम्यूनिटी क्षमता कम होती है जिसकी वजह से शिशु संक्रमण और बीमारियों के प्रति बहुत ज्यादा सेसेंटिव होता है. साथ ही उसे समय-समय पर टीका लगवाने की भी जरूरत होती है, जिसम एक बड़ा खर्चा होता है.
मैटरनिटी कवरेज वाली कई हेल्थ इंश्येरंस पॉलिसी नवजात शिशु के लिए भी कवर प्रदान करती हैं, जो ऐसे समय में बहुत ही लाभदायक हो सकती है. हालांकि, यह कवरेज एक निश्चित समय तक ही रहता है. इसलिए एक हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी जो बच्चे को आधार योजना से जोड़ने की सुविधा प्रदान करती है, इस स्टेज में माताओं के लिए एक सही विकल्प है. इसके अलावा, लगभग सभी प्रमुख इंश्योरेंस कंपनियां हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी की पेशकश करती हैं जो बच्चों के टीकाकरण को कवर करती हैं. अगर पॉलिसी के नियम और शर्तों को देखते हुए, युवा मां अपनी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के साथ नवजात की देखभाल के लिए अतिरिक्त ऐड-ऑन को विकल्प भी चुन सकती हैं.

हालांकि, इस स्तर पर स्वास्थ्य देखभाल केवल बच्चे तक ही सीमित नहीं है. बच्चे के जन्म के बाद देखभाल के लिए मां को भी कवर करने की जरूरत है. इसके अलावा, जैसे-जैसे समय बीतता है, एक मां की इंश्योरेंस संबंधी ज़रूरतें मैटरनिटी से अलग भी विकसित होंगी और उसे अपने पूरे स्वास्थ्य को कवर करने की आवश्यकता होगी. इसलिए महिलाओं को स्तर कैंसर, गठिया, हृदय रोग जैसी गंभीर बीमारियों से सुरक्षा पर भी विचार करना चाहिए और उसके मुताबिक एक व्यापक हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी का चुनाव करना चाहिए.

सिंगल मदर: सभी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी सिंगल महिलाओं को उनकी मैटरिनिटी पॉलिसी में शामिल नहीं करती हैं, लेकिन बाजार में कुछ ऐसी योजनाएं भी उपलब्ध हैं जो सिगंल महिलाओं और सिंगल मदर्स को मैटरनिटी बेनिफिट प्रदान करती हैं. हालांकि, यहां सबसे महत्वपूर्ण कारक है वेटिंग पीरियड है. पॉलिसी के नियमों और शर्तों के अनुसार महिला द्वारा वेटिंग पीरियड को पूरा करने के बाद, वह अपनी वैवाहिक स्थिति के बावजूद पॉलिसी के मैटरनिटी बेनिफिट का क्लेम करने के लिए पात्र है.

वृद्ध माताएं: जैसे-जैसे समय बीतता है और बच्चा बड़ा होकर वयस्क बनता है, मां की भी उम्र बढ़ती है और उसकी स्वास्थ्य देखभाल और बीमा की ज़रूरतें और विकसित होती हैं. ऐसे समय में एक ऐसी योजना की आवश्यकता होगी जो गंभीर बीमारियों को कवर करे. उम्र बढ़ने के साथ पुरुषों की तुलना में महिलाओं में गठिया और ऑस्टियोपोरोसिस जैसी स्थितियों का खतरा ज्यादा होता है. इस स्तर पर इन गंभीर बीमारियों को कवर करने के लिए ऐड-ऑन कवर पर विचार करना ही बुद्धिमानी है.

अगर इस स्तर पर, वृद्ध मां अपनी बदली हुई परिस्थितियों के कारण पूरी तरह से एक नए हेल्थ कवर की तलाश कर रही है, तो उसे पहले दिन से ही पहले से मौजूद बीमारियों को कवर करने वाली पॉलिसी की तलाश करनी होगी. साथ ही सीनियर सिटीजन स्पेशल योजनाएं भी हैं जो 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों द्वारा किए गए मेडिकल खर्च को कवर करती हैं। चूंकि सीनियर सिटीजन को एक रेगुलर मेडिकल चेक-अप की आवश्यकता होगी, इसलिए ऐसी योजनाएं सहायक होती हैं क्योंकि वे ऐसे खर्चों के लिए कवर प्रदान करती हैं.

हेल्थ इंश्योरेंस के लिए अपनी आय का कितना हिस्सा खर्च करना चाहिए?

COVID-19 महामारी ने सभी को सिखाया है कि स्वास्थ्य को हर चीज से ऊपर प्राथमिकता देना बहुत ही जरूरी है। एक अच्छी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी अस्पताल में भर्ती होने से पहले और बाद में, एंबुलेंस खर्च और डे-केयर प्रक्रियाओं से लेकर आईसीयू और कमरे के किराए को कवर करती है और चुनी गई पॉलिसी के प्रकार के आधार पर कैशलेस हॉस्पिटलाइजेशन की सुविधा भी प्रदान करती है.
हेल्थ इंश्योरेंस खरीदते समय वेतन का अनुपात 4-5% होना चाहिए। उदाहरण के लिए, अगर आप 1,00,000 रुपये मासिक कमाते हैं, तो 4000-5000 रुपये के बीच हेल्थ इंश्योरेंस के खर्च को अलग रखने की सलाह दी जाती है. हालांकि, अगर आपके परिवार की पुरानी मेडिकल हिस्ट्री में कई समस्याएं रही है या परिवार के किसी सदस्य को कोमोरबिडिटी है,तो व्यक्ति को पहले से मौजूद बीमारियों को कवर करने वाला प्लान खरीदना चाहिए और इसे बेहतर सुरक्षा प्राप्त करने के लिए आवश्यकता के अनुसार उपलब्ध ऐड-ऑन्स का विकल्प भी चुनना चाहिए.

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