मुझे शारीरिक संबंध बनाने के बाद ब्लीडिंग होती है,मैं जानना चाहती हूं इस का कारण क्या है?

सवाल

मुझे शारीरिक संबंध बनाने के बाद ब्लीडिंग होती है. मैं जानना चाहती हूं इस का कारण क्या है?

जवाब

शारीरिक संबंध बनाने के बाद होने वाली ब्लीडिंग (पोस्टकोइटल ब्लीडिंग) सामान्य है. लेकिन अगर ब्लीडिंग अधिक हो रही है, नियमित रूप से हो रही है और माहवारी के बीच में भी हो रही है तो यह सर्वाइकल कैंसर का प्रारंभिक लक्षण हो सकता है. यह हमारे देश में स्तन कैंसर के बाद महिलाओं में होने वाला सब से सामान्य कैंसर है. इस के मामले 30 से 65 वर्ष की आयु की महिलाओं में अधिक देखे जाते हैं. आप अपनी जांच कराएं तभी सर्विक्स या बच्चेदानी के मुंह पर विकसित होने वाली किसी ग्रोथ या पौलिप के बारे में पता चलेगा.

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सवाल

मेरी भाभी को स्तन कैंसर है. मेरे इस कैंसर की चपेट में आने का खतरा कितना है?

जवाब

आनुवंशिक कारक स्तन कैंसर होने का खतरा 5 से 10% तक बढ़ा देते हैं. अगर आप की मां, नानी, मौसी या बहन को स्तन कैसर है तो आप के लिए इस कैंसर की चपेट में आने का खतरा बढ़ सकता है. ऐसे में इन में से अगर किसी एक को स्तन कैंसर है तो बाकी सब को जरूरी जांचे कराने में देरी नहीं करनी चाहिए. लेकिन आप की भाभी को स्तन कैसर होने से आप के लिए खतरा नहीं बढ़ता है क्योंकि आप का उन से सीधा कोई रक्त संबंध नहीं है.

जीवनसाथी के प्रति यह कैसी जिम्मेदारी

‘‘बीमार पत्नी को सहानुभूति और सहयोग चाहिए. पत्नी केवल सेवा करने के लिए नहीं होती. वह भी इंसान है. वह भी बीमार पड़ सकती है. पत्नी की बीमारी क्रूरता नहीं है. इस के आधार पर तलाक नहीं दिया जा सकता,’’ भोपाल के फैमिली कोर्ट के जज आर. एन. आनंद ने बीते 10 अक्तूबर को एक मामले में न केवल सटीक फैसला दिया, बल्कि खुदगर्ज यानी मतलबी हो चले उन पतियों को यह नसीहत भी दी है कि वे पत्नी को प्रोडक्ट न समझें. इस रिश्ते की गंभीरता और संवेदनशीलता को प्राथमिकता में रखें.

इस मामले में पति राजेश (बदला नाम) ने अपने आवेदन में यह तर्क दिया था कि उस की पत्नी बीमार रहती है, इसलिए उसे दांपत्य सुख नहीं दे पा रही है. यह क्रूरता है इसलिए उस से तलाक दिलाया जाए.

राजेश की शादी सीमा (बदला नाम) से 2012 में हुई थी. 2014 में दोनों को एक बेटी भी हुई थी, लेकिन इस के बाद सीमा को पैरालिसिस हो गया. राजेश के मुताबिक वह सीमा का इलाज करवाता रहा. इस दौरान बीमारी के चलते वह कई सालों से दांपत्य सुख से वंचित रहा. इसी आधार पर उस ने तलाक चाहा था, जिसे अदालत ने खारिज कर दिया.

सीमा ने न केवल अपने फिट होने की दलील दी थी, बल्कि उसे साबित करते हुए राजेश पर यह आरोप भी लगाया था कि उस का एक लड़की से अफेयर है और अब वह उस की बीमारी का बहाना बना कर तलाक चाहता है. अदालत ने सीमा की बीमारी और फिटनैस के लिए काउंसलर शैल अवस्थी को नियुक्त किया, जिन्होंने अपनी जांच में पाया कि पत्नी पूरी तरह फिट है.

क्रूरता किसकी

राजेश को लगा यह था कि अदालत उस की दलील से सहमत होते हुए सहानुभूति रखेगी और तलाक दिला देगी, लेकिन हुआ उलटा. इस की अपनी वजह भी है कि क्रूरता वह खुद कर रहा था. इस मामले और अदालत के फैसले ने साफ कर दिया कि पतिपत्नी दोनों एक गाड़ी के 2 पहिए हैं और इन में से अगर कोई एक कमजोर पड़ जाए तो उसे निकाल कर फेंका जाना न्याय नहीं है, बल्कि दूसरे को ज्यादा ताकत लगाते हुए घरगृहस्थी चलानी चाहिए.

ऐसे पतियों की कमी नहीं है जो पत्नी के बीमार होते ही उसे बोझ समझ छुटकारा पाने की कोशिश करने लगते हैं. वे वाकई भूल जाते हैं कि पत्नी को इस वक्त उन की सब से ज्यादा जरूरत होती है और यह वही पत्नी है जो बुरे से बुरे वक्त में भी उस का साथ नहीं छोड़ती. फिर पति यह क्रूरता क्यों दिखाता है कि बीमार पत्नी से वैधानिक रूप से छुटकारा पाने के लिए अदालत जा पहुंचता है.

ये हैं मिसाल

भोपाल के एक सरकारी कालेज के एक प्राध्यापक की पत्नीप्रेम की मिसाल पूरे उच्च शिक्षा विभाग में दी जाती है, जिस से दूसरों को भी प्रेरणा मिलती है. इस मामले में भी पत्नी लकवाग्रस्त है, लेकिन प्राध्यापक पत्नी का खयाल बच्चों की तरह रखते हैं. उस के पूरे काम करते हैं. कालेज के बाद बचा वक्त उस के साथ गुजारते हैं और कभी यह रोना नहीं रोते कि उन्हें दांपत्य या फलां सुख नहीं मिल रहा.

यह जान कर तो और हैरानी होती है कि पत्नी ने उन्हें यह कह रखा है कि वे चाहें तो अन्यत्र शादी कर लें या संबंध स्थापित कर लें उसे कोई एतराज नहीं होगा. लेकिन प्राध्यापक का यह जवाब काबिल ए गौर है कि शादी तुम से की है, तुम मेरी जिम्मेदारी हो और अगर जरा सा लकवा इस पर भारी पड़ता है तो शादी और इस रिश्ते का मतलब क्या रह जाएगा? अगर मैं तुम्हारी जगह होता तो क्या तुम ऐसा करतीं?

एक और मामले में एक इंजीनियर की पत्नी को शादी के 5 साल बाद ही ब्रैस्ट कैंसर हो गया, लेकिन इस इंजीनियर ने अपना सबकुछ दांव पर लगा दिया और 2 साल में ही पत्नी ठीक हो गई. अब अगर कैंसर की पहचान होने के साथसाथ ही यह इंजीनियर पत्नी कैंसर को क्रूरता बताते हुए अदालत जा पहुंचता तो उसे भी वही फटकार मिलती जो हैदराबाद के एक पति को सुप्रीम कोर्ट से मिली थी.

अदालत ने बताई जिम्मेदारी

हैदराबाद के इस मामले में भी पत्नी को स्तन कैंसर था. पति ने तलाक की अर्जी लगाई, लेकिन दिलचस्प बात यह थी कि पत्नी पति की परेशानी और मंशा को देखते हुए परस्पर सहमति से तलाक देने को राजी भी हो गई. मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो 1 सितंबर, 2018 को आए फैसले का देशभर में स्वागत हुआ.

जस्टिस एम. वाय. इकबाल और जस्टिस बी. नारायणन की बैंच ने इस मामले में फैसला देते हुए पति को पत्नी की जिम्मेदारियों का जिस तरह एहसास कराया वह वाकई प्रशंसनीय था.

फैसले में न्यायाधीशों ने कहा था कि कठिन समय व बीमारी की हालत में पत्नी की सेवा करना पति का फर्ज है. यह पति का पूर्वनिर्धारित कर्तव्य है. पतिपत्नी की आपसी सहमति के बावजूद पहले से अलग रह रहे पति को तलाक की इजाजत नहीं दी जा सकती. मामले में चूंकि पत्नी स्तन कैंसर से पीडि़त है, इसलिए हो सकता है कि उस ने महंगे इलाज की जरूरत को देखते हुए तलाक के लिए सहमति दे दी हो.

प्रतिवादी पति का यह कर्तव्य है कि वह याचिकाकर्ता पत्नी के स्वास्थ्य व सुरक्षा का ध्यान रखे. वह पत्नी का इलाज कराए. मामले में पति तलाक की सहमति के साथ यह वादा कर रहा है कि वह मदद करेगा जबकि ऐसा करने के लिए वह पहले से ही कर्तव्यबद्ध है. इसलिए यह तलाक के आधार का वैध विचार नहीं हो सकता.

अदालत ने शादी को पवित्र गठबंधन बताते हुए कहा था कि पत्नी को ऐसी मुश्किलों से निबटने के लिए अकेला नहीं छोड़ा जा सकता. पत्नी एक तरह से अपने पति के घर प्रस्थापित होती है और नया जन्म लेती है. पतिपत्नी न केवल प्यार, बल्कि सुखदुख भी साझा करते हैं.

अदालत ने यह व्यवस्था भी दी थी कि पति बीमार पत्नी को तलाक के मुआवजे के क्वसाढ़े बारह लाख में से क्व5 लाख तत्काल दे और जब पत्नी बीमारी से उबर जाए, तब विचार हो. अदालत ने यह शंका जाहिर की थी कि पत्नी अपनी बीमारी के इलाज के लिए पैसा पाने के लिए तलाक के लिए राजी हो गई ताकि वह अपना जीवन बचा सके.

अदालत का शक या अंदाजा गलत नहीं कहा जा सकता, लेकिन पति को जो नसीहतें उस ने दीं अगर वही समाज और परिवार देता तो अदालत जाने की नौबत ही नहीं आती. लगता ऐसा है कि पति कैंसरग्रस्त पत्नी के इलाज, देखभाल व जिम्मेदारी से बचने के लिए उसे मामूली रकम दे कर उस से छुटकारा पाना चाह रहा था.

समाज भी खुदगर्ज

अकसर दूसरों के मामलों में टांग अड़ाते रहने वाला समाज ऐसे गंभीर मामलों में इसलिए खामोश रहता है कि वह परंपरावादी और पुरुषवादी सोच का है, जहां बीमार पत्नी बोझ समझी जाती है, क्योंकि वह घर के सामान्य कामकाज या झाड़ूपोंछा वगैरह भी नहीं कर सकती और पति को सहज शारीरिक संतुष्टि नहीं दे सकती. इसलिए हरकोई इस बात पर सहमत दिखाई देता है कि कुछ लेदे कर बीमार पत्नी से छुटकारा पाओ और फिर दूसरी शादी कर मौज की जिंदगी जीयो.

इस मानसिकता के पीछे धार्मिक और पौराणिक कारण भी हैं कि स्त्री भोग्या और पैर की जूती है जब वह चुभने लगे तो उसे बदल दो. यह सोच नए परिष्कृत लेकिन बीमार और अमानवीय रूप से इस तरह के मामलों के जरीए सामने आती रहती है.

ये मामले और यह मानसिकता बताती है कि औरत की हालत दयनीय है. वह हर लिहाज से पति पर निर्भर है और उस की खुशी के लिए तलाक तक देने को तैयार हो जाती है. ऐसे में कोसा उन पतियों को जाना चाहिए, जिन के लिए पत्नी डिस्पोजल गिलास की तरह यूज ऐंड थ्रो चीज है.

करना पड़ता है: धर्म ने किया दानिश और याशिका को दूर- भाग 3

नौशीन ट्रे ले कर आईं तो दानिश ने उन के हाथ से आदतन ट्रे ले ली और ललित को स्नैक्स की प्लेट खुद अपने हाथों से लगा कर हंसते हुए बोला, ‘‘अंकल, मम्मी के हाथ के पनीर के पकौड़े खा कर देखिए… और यह खीर. मम्मी ने आज आप के लिए ही बनाई है और ये कुकीज मैं ने बेक किए हैं.’’

‘‘सच? अरे, पनीर के पकौड़े और खीर मु?ो बहुत पसंद है और दानिश तुम ने ककीज बनाए हैं? तुम कुकिंग जानते हो?’’

‘‘हां अंकल, मम्मी कहती हैं कि ये सब काम सब को आने चाहिए, जब भी फ्री होता हूं, मम्मी को कुछ बना कर खिलाता हूं्.’’

ललित को लग रहा था कि इस मांबेटे की इतनी सुंदर दुनिया में वे कैसे आ बैठे हैं. उन्होंने बड़े स्वाद ले कर नाश्ता किया, बहुत तारीफ की. वे कहां जानते थे कि यशिका ने बताया था कि पापा को खुश करना हो तो पनीर के पकौड़े और खीर खिला दो, बस. पापा

को लाइफ में यही 2 चीजें सब से प्यारी हैं. वे सब इस बात पर बहुत हंसे थे और कुकीज तो वह खुद सुबह बना कर गई थी जिन्हें खा कर ललित के मुंह से निकल ही गया, ‘‘मेरी बेटी भी ऐसे ही कुकीज बनाती है.’’

थोड़ी देर बाद वे जाने के लिए खड़े हुए तो दानिश ने कहा, ‘‘अंकल, मैं आप को छोड़ आऊं?’’

‘‘नहीं बेटा, नीचे ड्राइवर है, शिंदे भी है.’’

‘‘आइए, हमारा छोटा सा घर तो देख लीजिए,’’ कहतेकहते नौशीन उन्हें अपना 2 कमरे का फ्लैट दिखाने लगीं तो ललित को याद आया, ‘‘अरे, आप का घर तो बहुत सुंदर है, फिर भी नया खरीदना चाहती हैं?’’

‘‘हां, एक फ्लैट ले कर इन्वैस्ट करना चाह रही थी.’’

‘‘आराम से आप का काम हो जाएगा, चिंता मत करना, मैं देख लूंगा, रेट भी सही लगवा दूंगा,’’ ललित का बस नहीं चल रहा था कि नौशीन के लिए क्या न कर दें. पूरा फ्लैट इतना सुंदर, व्यवस्थित था कि वे 1-1 चीज निहारते रह गए. उन के मन में चोर आ गया था जो नौशीन से टच में रहने के लिए उन्होंने यों ही कह दिया, ‘‘मैं इधर अकसर आता हूं, कभी फ्री रहूंगा, आ जाऊंगा मिलने, आप दोनों से मिल कर बहुत अच्छा लगा.’’

दानिश और नौशीन ने उन्हें फिर आने के लिए कह कर विदा दी और ललित चले गए नौशीन को दिल में समाए. वे चरित्रहीन इंसान नहीं थे पर थे तो पुरुष ही न. नौशीन का साथ उन्हें बहुत भला लगा था. दानिश भी उन्हें बहुत पसंद आया था. सोच रहे थे ऐसा लड़का यशिका के लिए मिल जाए तो कितना अच्छा हो. पर दानिश दूसरी जाति का था, यहां तो कुछ नहीं हो सकता था पर वे इस बात पर हैरान थे कि जब तक वे नौशीन के घर रहे, एक बार भी उन्हें जाति के अंतर का खयाल नहीं आया.

 

कुछ दिन और बीते. एक बार नौशीन ने आम हालचाल

के लिए उन्हें फोन किया. उन्होंने भी नौशीन से कई बार फोन पर हालचाल ले लिए थे. नौशीन दानिश और यशिका के साथ इस प्रोजैक्ट पर बात करते हुए खूब हंसतीं. तीनों को इस बात में मजा आ रहा था.

एक दिन यशिका ने अपने मम्मीपापा के साथ डिनर करते हुए जानबू?ा कर बात छेड़ी, ‘‘पापा, आप सचमुच आजकल के जमाने में भी जातबिरादरी के बाहर मेरी शादी नहीं करेंगे? अगर मु?ो किसी और जाति का अच्छा लड़का पसंद आ जाए तो क्या होगा?’’

धर्म और जाति के दलदल में फंसा मन भला इतनी आसानी से कैसे यह बात चुपचाप सुन लेता. थोड़ा गुस्से से ललित की आवाज जरा तेज हुई, ‘‘हम ने तुम्हें हमेशा सारी छूट दी है, किसी चीज के लिए कभी टोका नहीं. बस शादी तुम्हारी हम ही करेंगे. हम अपनी बिरादरी में लड़का ढूंढ़ रहे हैं.’’

यशिका ने मां को देखा. उन्होंने हमेशा की तरह उसे चुप रहने के लिए कहा तो यशिका गुस्से में पैर पटकती हुई जाने लगी. रुकी, फिर मां से कहा, ‘‘आप तो हमेशा खुद भी चुप रहना और मु?ो भी यही सिखाना. आप को और आता भी क्या है.’’

उस की मां गीता देहात में पलीबढ़ी, कम पढ़ीलिखी, दबू, धार्मिक कार्यों में जीवन बिताने वाली महिला थीं जिस के लिए पति का आदेश सर्वोपरि होता है. ललित को अचानक नौशीन याद आ गईं. सोचने लगे कि वह गीता से कितनी अलग है. उन्होंने अपने रूम में जा कर नौशीन को फोन मिला दिया. यों ही उन से बातें करना उन्हें अच्छा लगा, फिर उन्हें ऐसे ही डिनर पर इन्वाइट किया. थोड़ी नानुकुर के बाद नौशीन मान गईं.

ऐसा फिर 3-4 बार और भी हुआ. वे नौशीन के घर भी आए. बाहर भी मिले. सबकुछ मर्यादा

में था, कोई आपत्तिजनक बात भी नहीं हुई पर ललित ने अपने घर में किसी से नौशीन से मिलनाजुलना बताया भी नहीं जबकि दानिश

और यशिका को 1-1 प्रोग्राम पता रहता था.

कुछ महीने बीते कि यशिका ने घर में बम फोड़ दिया, ‘‘मैं एक मुसलिम लड़के से शादी करना चाहती हूं, पापा.’’

दहाड़ गूंजी, ‘‘दिमाग खराब हो गया है? सोचा भी कैसे? यह हो ही नहीं सकता.’’

‘‘पापा, यह तो होगा. उसी से शादी करूंगी.’’

गीता देवी उस पर खूब चिल्लाईं, बहुत डांटा पर यशिका अपनी जिद पर डटी रही. 3 दिन

घर में खूब घमासान हुआ. एक तूफान उठा रहा जिस में हिंदूमुसलिम ये 2 ही शब्द गूंजते रहे. यशिका ने जा कर दानिश और नौशीन को अपने घर के हालात बताए.

नौशीन ने ठंडे दिमाग से सब सुना, फिर कहा, ‘‘चलो, अब प्रोजैक्ट को खत्म करने का टाइम आ गया है. इस संडे को सब क्लीयर कर देते हैं.’’

फिर बैठ कर संडे की प्लानिंग की गई. नौशीन ने ललित को फोन किया, ‘‘बहुत दिन हो गए. चलिए, संडे को डिनर साथ करते हैं. फ्री हैं?’’

‘‘हांहां, बिलकुल फ्री हूं. मिलते हैं.’’

‘‘ठाणे चलते हैं, अर्बन तड़का. कभी गए हैं वहां?’’

‘‘न.’’

‘‘आप अपनी कार रहने देना. मैं अपनी कार से आप को लेने आप के औफिस के बाहर आ जाऊंगी. अच्छी आउटिंग हो जाएगी.’’

सब तय हो चुका था. कार में नौशीन के बराबर में बैठ कर ललित अलग ही दुनिया में

जा पहुंचे थे जहां जाति की कोई दीवार नहीं थी,

न कोई धर्म का जाल. पता नहीं नौशीन से मिल कर वे सबकुछ कैसे भूल जाते हैं, यही सोचते

हुए मुसकराते हुए उन्होंने नौशीन से कहा, ‘‘आप की कंपनी मु?ो अच्छी लगती है, मैं सब भूल

जाता हूं.’’

नौशीन मुसकरा दी, कहा, ‘‘मु?ो भी एक दोस्त के रूप में आप का मिलना अच्छा लगा.’’

‘अर्बन तड़का’ पहुंच कर नौशीन ने कहा, ‘‘मैं और दानिश यहां अकसर आते हैं.’’

‘‘फिर आप ही और्डर दीजिए, आप को आइडिया होगा कि यहां क्या अच्छा है.’’

नौशीन ने वेटर को पहले 2 मौकटेल लाने के लिए कहा. इतने में ही तय प्रोग्राम के अनुसार वहां यशिका और दानिश ने ऐंट्री ली. यशिका उन्हें देख चहकी, ‘‘अरे पापा. आप. हेलो आंटी, अरे, वाह, आंटी. पापा. आप लोग यहां? कैसे?’’

ललित का चेहरा देखने वाला था. वे कुछ बोल ही नहीं पाए. तभी दानिश ने उन के पैर छूए तो यशिका चौंकी, ‘‘अरे दानिश तुम मेरे पापा को जानते हो?’’

‘‘और क्या. अंकल तो हमारे घर आ चुके हैं.’’

‘‘पापा, यह क्या है? मेरे लिए इतने नियम और आप आंटी और दानिश के घर भी जा चुके हैं? पापा, वैरी बैड.’’

नौशीन ने भोलेपन से पूछा, ‘‘क्या हुआ यशिका, मैं सम?ा नहीं?’’

ललित ने यशिका के कुछ बोलने से पहले ही जवाब दिया जिस से नौशीन को यशिका की कोई बात सुन कर बुरा न लग जाए, ‘‘ऐसे ही इस का और मेरा कुछ न कुछ ?ागड़ा चलता रहता है.’’

‘‘पापा, यही है दानिश. आप का होने वाला दामाद,’’ कह कर यशिका हंस कर ललित से लिपट गई.

ललित अब न कुछ कह पाए, न कर पाए, बस ?ोंपी सी हंसी हंसते हुए कहा, ‘‘अरे वाह, यह तो बहुत खुशी की बात है. दानिश तो मु?ो भी पसंद है.’’

‘‘पर पापा…’’

ललित ने बेटी को आंखों से चुप रहने का इशारा किया तो नौशीन और दानिश ने अपनी हंसी मुश्किल से रोकी.

नौशीन ने बहुत प्यार से पूछा, ‘‘ललितजी, फिर यह रिश्ता आप को मंजूर है? मु?ो तो बहुत ही खुशी होगी कि आप की बेटी हमारे घर आए.’’

‘‘हांहां, बिलकुल मंजूर है.’’

‘‘चलो, फिर आज सैलिब्रेट करते हैं, अब तुम अपने मम्मी और पापा के साथ हमारे घर जल्द ही आओ, बहुत कुछ करना है,’’ नौशीन की आवाज में आज अलग ही उत्साह था.

ललित की हालत सब से अजीब थी, उन्होंने इस स्थिति की कभी कल्पना भी नहीं की थी. सब ने खायापीया. गीता को यशिका ने वीडियो कौल कर के दानिश से ‘हेलो’ कहलवाया और कहा, ‘‘बाकी विस्फोट आ कर करती हूं.’’

सब हंसने लगे. लौटते समय सब कार में साथ ही बैठे, अब दानिश कार चला रहा था.

उस की बगल वाली सीट पर नौशीन बैठी थी, पीछे बैठेबैठे ललित अभी भी चोर नजरों से नौशीन को देख रहे थे. यशिका दानिश को निहार रही थी. नौशीन राहत की सांस ले रही थीं.

तभी मोबाइल पर पीछे बैठी यशिका ने मैसेज भेजा, ‘‘थैंक यू, आंटी. आप ने हमारे लिए बहुत कुछ किया.’’

‘‘करना पड़ता है,’’ उस ने रिप्लाई किया. नौशीन यही सोच रही थीं. हां, करना पड़ता है, अपने बच्चों की खुशियां धर्म, जाति की भेंट न चढ़ जाएं, इस के लिए सचमुच कभीकभी बहुत कुछ करना पड़ता है.

नौशीन जैसी महिला जीवन में दोस्त, रिश्तेदार बन कर रह पाएगी, इस की खुशी महसूस कर ललित उत्साहित थे, सोच रहे थे, नौशीन जैसी दोस्त के लिए, दानिश जैसे दामाद के लिए, अपनी बेटी के चमकते चेहरे की इस खुशी के लिए धर्म, जाति को किनारे करना ही पड़ता है, करना पड़ता है. करना ही चाहिए.

दलजीत कौर ने शेयर की हनीमून की पहली सेल्फी, निखिल पटेल ट्रॉली में बिठा ले गए अपनी दुल्हनिया

टीवी एक्ट्रेस दलजीत कौर ने यूएस बेस्ड बिजनेसमैन निखिल पटेल से ब्याह रचा लिया है. इसके बाद एक्ट्रेस अब अपना हनीमून एंजॉय कर रही हैं. ऐसे में कुलवधु एक्ट्रेस की हनीमून से पहली सेल्फी सामने आई है, जिसे देख कर फैंस बेहद खुश हैं. दलजीत कौन इस सेल्फी में अपनी पति निखिल के साथ रोमांटिक अंदाज में दिखाई दे रही हैं. ये फोटो उन्होंने अपनी इंस्टा स्टोरी से शेयर की है, साथ ही इसमें लिखा है- कई सेल्फी में से ये एक पहली सेल्फी हमारे हनीमून से.

 

दलजीत कौर और निखिल पटेल ने शेयर किया क्यूट वीडियो

इस दौरान दलजीत ने एक वीडियो भी शेयर किया है. जिसमें निखिल दलजीत को अपने साथ ले जाते हुए दिखाई दे रहे हैं. खास बात ये है कि दलजीत निखिल के साथ होटल की लगेज ट्रॉली में बैठ कर जाती नजर आ रही हैं. साथ ही वह हाथ से वेव करते हुए बाय बाय भी कहती नजर आ रही हैं. इस वीडियो को कैप्शन देते हुए उन्होंने लिखा- ‘दुनिया भर के कई एडवेंचरस जगहों में से एक, पहली बार हम मिस्टर एंड मिसेज पटेल बन कर चल पड़े, चलिए इसे हनीमून कहते हैं.

 

दलजीत कौर ने शेयर की हनीमून ट्रिप की पहली तस्वीरें

टीवी सीरियल अदाकारा दलजीत कौर और उनके बिजनेसमैन बॉयफ्रेंड निखिल पटेल ने आखिरकार शादी रचा ली है. ये ग्रैंड इंडियन वेडिंग बेहद धूमधाम से हुई थी. जिसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुईं। अब अदाकारा दलजीत कौर ने अपने हनीमून ट्रिप की पहली तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर करनी शुरू कर दी हैं। जिसमें अदाकारा अपने पति निखिल पटेल के साथ जमकर पोज करती दिखीं। दलजीत कौर और निखिल पटेल की ये तस्वीरें सोशल मीडिया पर आते ही छाने लगीं। यहां देखें सामने आईं दलजीत कौर और निखिल पटेल के हनीमून ट्रिप की पहली तस्वीरें

 

अनुज के इस बड़े फैसले से अनुपमा के पैरों तले खिसकी जमीन

टीवी शो ‘अनुपमा’ में माया अपने चाल में कामयाब हो गई और वह छोटी अनु को हमेशा के लिए अनुज और अनुपमा से दूर ले गई. माया ने एक तीर से दो निशाने लगाए. एक तरफ उसे अपनी बेटी मिल गई और दूसरी ओर अनुपमा-अनुज के रिश्ते पर ग्रहण भी लगा दिया. छोटी अनु के जाने से अनुज बावला हो गया है और वह अनुपमा से नफरत करने लगा है. वह कहता है कि अनुपमा के साथ उसे घुटन होती है. ये सुन अनुपमा टूट जाती है.

अनुपमा-अनुज के रिश्ते को सुधारने आए उनके दोस्त

आज के एपिसोड में दिखाया जाएगा कि अनुज और अनुपमा के दोस्त देविका और धीरज दोनों को समझाते हैं कि जो बीत गया उसे भूल जाओ. अनुपमा अपनी दोस्त को रोते हुए अपना दिल का बताती है, वहीं अनुज भी अपने मन की भड़ास निकालता है. देविका और धीरज अनुपमा और अनुज को अपनी इंस्पिरेशन बताते हैं, लेकिन अपने इंस्पिरेशन को ऐसा टूटता देख उन्हें भी डाउट होने लगा है. हालांकि, वे उन्हें समझाने की पूरी कोशिश करते हैं. देविका अनुपमा से कहती है कि अनुज को अपने अंदर के नफरत को निकालना पड़ेगा, वरना नफरत और रिश्ते में से कोई एक छूट जाएगा.

 

शाह हाउस में होगा होली सेलिब्रेशन

दूसरी ओर शाह हाउस में होली की तैयारियां होती हैं. शाह हाउस में होली सेलिब्रेट की जाएगी. पाखी और परी की पहली होली है, साथ ही तोषू भी ठीक हो रहा है. इस बात से पूरा परिवार बहुत खुश है. वह अनुपमा को होली के मौके पर ये बात बताने की प्लानिंग कर रहे हैं. बापू जी अनुपमा को फोन कर पूरे कपाड़िया परिवार को होली के लिए बुलाते हैं. सभी राजी हो जाते हैं, लेकिन अनुज साफ-साफ मना कर देता है कि वह नहीं जाएगा और कोई उसे फोर्स नहीं करेगा.

 

अनुज ने मारा अनुपमा को ताना

अनुपमा कमरे में जाती है और बताती है कि माया ने फोन किया था कि वह कभी-कभी छोटी अनु से बात कर सकती है. वह हर रोज उससे बात नहीं कर सकती, वरना उसे उनकी याद आएगी. अनुज चुपचाप उसकी बातें सुनता रहता है. इतने में अनुपमा अनुज से एक नई शुरुआत करने की बात कहती है. वह होली और देविका-धीरज की शादी की तैयारियों में शामिल होने के लिए अनुज को मनाने की कोशिश करती है, लेकिन अनुज उसे ताना मारता है कि वह इतनी जल्दी कैसे आगे बढ़ सकती है. वह साफ मना कर देता है कि वह देविका-धीरज की शादी में शामिल नहीं होगा.

 

अनुज ने लिया ये फैसला

यही नहीं, अनुज एक और फैसला लेता है कि अब वह अब उस कमरे में नहीं रह सकता है. अनुपमा पूछती है कि क्या वह उसकी वजह से ऐसा कदम उठा रहा है. अनुज बिना कुछ कहे वहां से चला जाता है. अनुपमा का रो-रोकर बुरा  हाल हो जाता है.

आने वाले एपिसोड में दिखाया जाएगा कि अनुपमा अकेले शाह हाउस में होली सेलिब्रेट करने जाती है. धीरज अनुज को समझाता है कि उसके बिना अनुपमा की होली बेरंग है. अब देखना होगा कि अनुज होली में शामिल होता है या नहीं.

स्नैक्स में परोसें कमल ककड़ी कबाब

अगर आप स्नैक्स की रेसिपी सोच रही हैं तो कमल ककड़ी के कबाब की ये आसान रेसिपी ट्राय करना ना भूलें. ये हेल्दी और टेस्टी रेसिपी है, जिसे आप अपने बच्चों से लेकर मेहमानों को आसानी से खिला सकते हैं.

1-कमल ककड़ी के कबाब

सामग्री

-2 कमल ककड़ी कद्दूकस

– 1/2 कप चना दाल उबली

– 3 बड़े चम्मच घी

-1 छोटा चम्मच गरममसाला

– 1 छोटा चम्मच लालमिर्च पाउडर

– 1 हरीमिर्च कटी

– 1 छोटा चम्मच अदरकलहसुन का पेस्ट

– तलने के लिए तेल

– आवश्यकतानुसार तिल

– नमक स्वादानुसार.

विधि

कड़ाही में घी गरम कर कमल ककड़ी को सुनहरा होने तक तल लें. अब उस में उबली हुई चना दालगरममसालालालमिर्च पाउडरहरीमिर्चअदरकलहसुन का पेस्ट और नमक डालें. इसे तब तक पकाएं जब तक यह सूख न जाए और पैन के किनारे तेल न छोड़ने लगें. अब पैन को आंच से उतार कर मिश्रण को हलका ठंडा होने पर मिक्सर में पीस लें. चपटेगोल कबाब का आकार दें. दोनों तरफ से थोड़े से भुने हुए तिल लगा कर शैलो फ्राई करें और पुदीने की चटनी के साथ गरमगरम परोसें.

2- दाल पालक

सामग्री

– 3/4 कप चना दाल

– 2 कप पानी

-1 बड़ा प्याज कद्दूकस किया

– 2 मध्यम टमाटर कद्दूकस किया

– 2 कप पालक बारीक कटी

-1 बड़ा चम्मच अदरकलहसुन का पेस्ट

-1/2 छोटा चम्मच हलदी पाउडर

– 1/2 छोटा चम्मच लालमिर्च पाउडर

– 1 छोटा चम्मच धनिया पाउडर

– 1/2 छोटा चम्मच गरममसाला

– 2 बड़े चम्मच तेल

– नमक स्वादानुसार.

विधि

एक पैन में तेल गरम कर प्याज को सुनहरा होने तक फ्राई करें. अब टमाटर डाल कर तेल छोड़ने तक पकाएं. अदरकलहसुन का पेस्ट भी मिक्स करें. हलदी पाउडरलालमिर्च पाउडरधनिया पाउडरगरममसाला और नमक डाल कर 2 मिनट तक पकने दें. उस के बाद पैन में पालक और चना दाल डाल कर आवश्यकतानुसार पानी डालें और दाल को अच्छे से पकने दें. आप चाहें तो प्रैशर कुकर में भी 2 से 3 सीटी आने तक कुक कर सकते हैं. उस के बाद अपनी जरूरतानुसार पानी डालें या सूखा रखने के लिए कुछ मिनट तक खुला पकाएं. गरमगरम सर्व करें.

मुद्दा न वोट का न नोट का

इस में अब संदेह नहीं रह गया है कि जनता के हित के जो काम वोटों से चुन कर आई सरकारों को करने चाहिएअदालतें उन्हीं सरकारों के बनाए कानूनों की जनहित व्याख्या करते हुए काम करने लगी है. अदालतों ने साबित कर दिया है कि हमारी सरकारों के पास या तो मंदिर बनाने का काम रह गया है या ठेके देने का. दोनों में जनता का गला घोंट कर पैसा छीन कर लगाया जा रहा है. सरकारों को आम जनता के दुखदर्द की चिंता कम ही होती है जब मामला टैक्स का हो या वोट का या फिर धर्म का.

चैन्नई उच्च न्यायालय ने एक अच्छे फैसले में कहा है कि हालांकि एक मुसलिम औरत को खुला प्रथा के अनुसार तलाक लेने का पूरा हक है पर इस का सर्टिफिकेट कोईर् भी 4 जनों की जमात नहीं दे सकती. अब तक शरीयत कोर्ट’ ऐसे सर्टिफिकेट देती थी जिन्हें कैसे बनाया जाता था और उन के तर्कवितर्क क्या होते थेवहीं रिकौर्ड नहीं किए जाते थे. उच्च न्यायालय ने कहा कि औरतों को फैमिली कोर्ट जा कर अपना सर्टिफिकेट लेना चाहिए जहां उस के खाविंद की भी सुनी जाएगी.

इसी तरह सेना में ऐडल्ट्री यानी पतिपत्नी में से एक का किसी दूसरे से सैक्स संबंध इंडियन पीनल कोड में अब आपराधिक गुनाह नहीं रह गया होसेनाओं में सेना कानूनों के हिसाब से चलता रहेगा. यह बहुत जरूरी है क्योंकि सैनिकों को महीनों घरों से बाहर रहना पड़ता है और उन के पास उन के पीछे बीवियों के गुलछर्रे उड़ाने की खबरें आती रहती हैं.

इसी तरह महीनों पत्नी से दूर रहे सैनिक पति कहीं किसी लोकल औरत से संबंध न बना लेंइस गम में पत्नियां घुलती रहती हैं.

अपराधी होने का साया दोनों को काबू में रख सकता है. सैनिक युद्ध में बिना घर की फिक्र किए तैनात रहेंयह देश की सुरक्षा के लिए जरूरी है.

केंद्र सरकार मुसलिम कानून में 3 तलाक को बैन करने का ढोल बजाती रहती है पर उसे इन लाखों हिंदू औरतों की चिंता नहीं है जो तलाकों के मुकदमों के लिए अदालतों के गलियारों में चप्पलें घिस रही हैं.

अगर पति या पत्नी में से कोई 1 मिनट पर अड़ जाए तो तलाक महीनोंबरसों टलता रहता है. जैसे हिंदू कानून में शादी मिनटों में कोई भी तिलकधारी करा सकता हैतो तलाक भी क्यों नहीं हो सकताहांअगर हिंदू औरतें इतनी पतिव्रताधर्मकर्मजन्मजन्मांतरों को मानने वाली हों तो बात दूसरी होती. वे तो आम दुनियाभर की औरतों की तरह जिन्हें तलाक की तलवार के नीचे आना पड़ सकता हैसरकार उन्हें तरसातरसा कर तलाक दिलवाती है. सरकार कानून में रद्दोबदल करने में कोई इंटरैस्ट ही नहीं लेती क्योंकि यह मुद्दा न तो वोट का है न नोट का. चैन्नई की अदालत ने सही किया है या गलत अभी कहना पक्का नहीं?

ब्रेकफास्‍ट में बनाएं इंस्‍टेंट डोसा

क्‍या आपको इतना समय नहीं मिलता कि आप खुद के लिये अच्‍छा ब्रेकफास्‍ट बना सकें? हम आपको एक ऐसी रेसिपी बताएंगे जो झट पट तैयार हो जाएगी. आज हम आपको इंस्‍टेंट डोसा बनाने की विधि बताएंगे. वैसे तो आपको बाजार में डोसा बनाने वाला मिक्स मिल जाएगा पर घर पर तैयार किया मिक्स ही सबसे अच्‍छा होता है.

इस डोसे को आप मिनटों में बना सकते हैं, क्‍योंकि इसमें चावल भिगो कर पीसने की जरुरत नहीं है. अगर आपको यह डोसा ब्रेकफास्‍ट में खाने पर अच्‍छा लगे तो, इसे लंच पर भी ले जाया जा सकता है. यह टेस्‍ट में भी बहुत अच्‍छा होता है. इसे नारियल चटनी के साथ या फिर सांभर के साथ सर्व किया जा सकता है. तो आइये देखते हैं इसे बनाने की विधि-

कितने– 3

तैयारी में समय– 10 मिनट

पकाने में समय– 10 मिनट

सामग्री

  • गेंहू का आटा- 2 कप
  • चावल का आटा- 1 कप
  • हरी धनिया, कटी- 1चम्‍मच
  • हरी मिर्च या लाल मिर्च- 4- 5
  • कड़ी पत्‍ते- 8-10
  • बेसन- 1/2 कप
  • जीरा- 1/2 चम्‍मच
  • नमक

विधि  

1.एक कटोरे में गेंहू, चावल और बेसन डालें.

2.फिर उसमें कटी हरी मिर्च, धनिया, जीरा, कड़ी पत्‍ते और नमक मिलाएं.

3.अब इसमें धीरे धीरे पानी मिलाएं और घोल तैयार करें.

4.घोल ना ज्‍यादा पतला होना चाहिये और ना ही गाढा.

5.अब पैन लें, उसे गरम करें. फिर उसमें थोड़ा सा तेल लगाएं.

6.पैन बहुत ज्‍यादा गरम नहीं होना चाहिये नहीं तो डोसा फैलेगा नहीं.

7.अब एक बड़ा चम्‍मच डोसे का घोल डाल कर फैलाएं और पकने दें.

8.फिर इसे पलट कर कुछ देर पकाएं.

9.डोसे के किनारों पर हल्‍का तेल जरुर लगाएं, वरना डोसे को पलटने में दिक्कत होगी

10.अब इसी तरह से बाकी के डोसे बनाएं.

11.आपका डोसा तैयार है, इसे प्‍लेट में नारियल चटनी और सांभर के साथ सर्व करें.

कभी नहीं फोड़ें अपने पिंपल

आप सुबह बिलकुल फ्रेश मूड से उठती हैं. और ब्रश करने के लिए जैसे ही मिरर के सामने खड़ी होती हैं . आपको अपने चेहरे पर एक मुँहासा दिखाई देता है और सारी फ्रेशनेस दो मिनट में चिंता बन जाती है.

आपको दर्द भी होने लगता है और सारा ध्‍यान सिर्फ और सिर्फ उसी मुँहासे पर बना रहता है. कई बार तो दिल मानता नहीं और हम फोड़ भी देते ..

लेकिन मुँहासा फोड़ना या दबाना अच्‍छी बात नहीं है. इससे चेहरे को नुकसान पहुँचता है और आपको बाद में एहसास होता है कि ऐसा नहीं करना चाहिए था.

मुँहासा ठीक होने में समय लग सकता है लेकिन अगर आपने इससे छेड़छाड़ नहीं की तो ये ठीक होने के बाद चेहरे पर पता भी नहीं चलता है. पर अगर आपने धोखे से भी इसे फोड़ या दबा दिया तो आपको ये दिक्‍कतें झेलनी पड़ेंगी.

1. दाग पड़ जाना: अगर आप चेहरे पर पड़ने वाले मुँहासे को फोड़ देते हैं तो वहां दाग पड़ ही जाता है जोकि चेहरे पर बहुत भद्दा लगता है.

2. इंफेक्‍शन हो जाना: मुँहासे में भरी हुई गंदगी निकलने लगती है और उतनी जगह पर संक्रमण हो जाता है. इसे प्राकृतिक रूप से सूखने दें.

3. सूज जाना: मुँहासे को फोड़ने पर उस जगह जलन होती है और कई बार सूजन भी हो जाती है. इसलिए बेहतर विकल्‍प है कि चंदन आदि का लेप लगाकर छोड़ दें. मुल्‍तानी मिट्टी भी सही उपाय है.

4. पपड़ी जमना: जब आप मुँहासे को फोड़ते हैं तो वहां से खून निकलने लगता है क्‍योंकि वह कच्‍चा ही होता है ऐसे में त्‍वचा पर खूनी पपड़ी जम जाती है और आपका चेहरा भद्दा हो जाता है.

5. सही होने में ज्‍यादा समय लगना: मुँहासे को फोड़ देने पर उसे सही होने में ज्‍यादा वक्‍त लगता है क्‍योंकि वो अंदर से घायल हो जाता है और अंदर से भरने में ही उसे लम्‍बा वक्‍त लगता है.

6. और ज्‍यादा मुँहासें होना: अगर आप एक मुँहासा फोड़ती हैं तो उससे निकलने वाला पानी और पस आसपास की त्‍वचा पर लग जाता है और संक्रमण के कारण वहां भी मुँहासे बन जाते. ऐसे में एक भी मुँहासा छेड़े नहीं.

7.त्‍वचा में चकत्‍ते होना: मुँहासा फोड़ने पर वहां की त्‍वचा काली हो जाती है, जो देखने से साफ पता चलती है. इस प्रकार, चेहरे पर चकत्‍ते नज़र आने लगते.

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