गरमी में फूड पौइजनिंग से बचाएंगी ये 5 चीजें

बिजी लाइफस्टाइल में अक्सर हम बाहर का खाना खाते है, जो सेहत के लिए बिल्कुल अच्छा नहीं होता. वहीं अगर आप गरमियों में भी ज्यादा बाहर का खाना खाते हैं तो ये आपकी हेल्थ के साथ खिलवाड़ हो सकता है.  तेज गरमी में ज्यादातर खाना खराब हो जाता है या खराब होने की आशंका बनी रहती है. जिसके कारण आप फूड पौइजनिंग का शिकार हो जाते हैं. इसीलिए आज हम आपको फूड पौइजनिंग से बचे रहने और अगर फूड पौइजनिंग हो जाएं तो उसका घर पर कैसे इलाज करें यह बताएंगे.

1. फूड पौइजनिंग में नींबू का करें इस्तेमाल

नींबू में एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल गुण मौजूद होते हैं. जिसका इस्तेमाल पानी के साथ करें तो बौडी में मौजूद फूड पौइजनिंग वाले बैक्टीरिया मर जाते हैं. आप खाली पेट नींबू-पानी बनाकर पी सकते हैं या चाहें तो गर्म पानी में नींबू निचोड़ें और पी जाएं.

2. सेब के सिरके का इस्तेमाल करना होगा फायदेमंद

-सेब के सिरके में मेटाबालिज्म रेट को बढ़ाने वाले तत्व होते हैं. खाली पेट इसका सेवन करने पर यह भी खराब बैक्टीरिया को मारने में मदद करते हैं.

3. फूड पौइजनिंग से बचाएगी तुलसी

तुलसी में मौजूद रोगाणुरोधी गुण सूक्ष्म जीवों से लड़ते हैं. तुलसी का सेवन आप कई तरीकों से कर सकते हैं. एक कटोरी दही में तुलसी की पत्तियां, कालीमिर्च और थोड़ा सा नमक डालकर खा सकते हैं. पानी व चाय में भी तुलसी की पत्तियां डालकर पी सकते हैं.

4. फूड पौइजनिंग के लिए दही है एंटीबायोटिक

दही एक प्रकार का एंटीबायोटिक है, जिसमें थोड़ा सा काला नमक डालकर इसे खा सकते हैं.

5. एंटी फंगल गुण से भरपूर है लहसुन

लहसुन में एंटी फंगल गुण होते हैं. जिसे आप सुबह खाली पेट लहसन की कच्ची कलियां पानी के साथ खा सकते हैं. इससे भी राहत मिलेगी.

ज्विगाटोः नंदिता दास की भटकी हुई पटकथा, अभिनय से कोसों दूर कपिल शर्मा

रेटिंगः एक स्टार

निर्माताः समीर नायर,दीपक सहगल और नंदिता दास

लेखकः नंदिता दास और समीर पाटिल

निर्देषकः नंदिता दास

कलाकारः कपिल षर्मा,षहाना गोस्वामी,गुल पनाग,सयानी गुप्ता,स्वानंद किरकिरे,युविका ब्रम्ह,प्रज्वल साहू व अन्य

अवधिः एक घंटा 42 मिनट

मषहूर अभिनेत्री नंदिता दास ने 2008 में गुजरात दंगों पर आधारित फिल्म ‘फिराक’ का लेखन व निर्देषन किया था.फिर दस वर्ष बाद 2018 में उन्होेने दूसरी फिल्म ‘‘मंटो’’ का निर्देषन किया था.और अब बतौर निर्देषक व सहनिर्माता वह अपनी तीसरी फिल्म ‘‘ज्विगाटो’’ लेकर आयी हैं,जो कि कहीं से भी नंदिता दास कील फिल्म नही लगती.इस फिल्म से नंदिता दास ने भी साबित कर दिया कि जब कलाकार, सरकार या सरकारी धन के लिए काम करता है,तो वह अपनी कला के साथ केवल अन्याय ही करता है.जी हाॅ!नंदिता दास ने इस फिल्म को उड़ीसा राज्य की फिल्म पाॅलिसी को ध्यान मे ेरखकर ही फिल्माया है,जिससे वह उड़ीसा सरकार से सब्सिडी के रूप में एक मोटी रकम एंठ ले.मगर इस प्रयास में उन्होने फिल्म की विषयवस्तु का सत्यानाष कर डाला.मगर वर्तमान समय का एक तबका जरुर खुष होगा कि नंदिता दास ने भुवनेष्वर के मंदिरों के दर्षन करा दिए.

परिणामतः

वह बेरोजगारी,सामाजिक असमानता और राजनीतिक अंतः दृष्टि को ठीक से चित्रित करने की बजाय एक उपदेषात्मक व अति नीरस फिल्म बना डाली.कम से कम नंदिता दास से इस तरह की उम्मीद नही की जा सकती थी.यह महज संयोग है कि नंदिता दास निर्देषित यह तीसरी फिल्म बतौर अभिनेता कपिल षर्मा की तीसरी फिल्म है.सबसे पहले कपिल षर्मा ने असफल फिल्म ‘‘किस किस को प्यार करुं’’ में अभिनय किया था. फिर उन्होने असफल फिल्म ‘फिरंगी’ में अभिनय किया,जिसका उन्होने निर्माण भी किया था और अब उन्होेने नंदिता दास के निर्देषन में तीसरी फिल्म ‘‘ज्विगाटो’ मंे अभिनय किया है.इसी के साथ उन्होने साबित कर दिखाया कि उनके अंदर अभिनय की कोई क्षमता नही है,वह तो महज टीवी पर उलजलूल हकरतें व द्विअर्थी संवादांे के माध्यम से लोगांे को कभी कभार जबरन हंसा सकते है

कहानीः

कोविड महामारी के बाद पूरे देष में आर्थिक हालात खराब हुए हैं. बेरोजगारी बढ़ी है. लोगों को अपनी नौकरियों से हाथ धोना पड़ा.दो वक्त की रोटी व परिवार को चलाने के लिए लोग मजबूरन अनचाहा काम भी करने पर मजबूर हुए हैं,जहां उन्हे अच्छे पैसे नही मिल रहे.इसी पृष्ठभूमि में नंदिता दास ने यह कहानी रची है.यह कहानी है रांची से नौकरी की तलाष में भुवनेष्वर,उड़ीसा आकर बसे मानस महतो की.मानस महतो ( कपिल षर्मा) अपनी पत्नी प्रतिमा ( षहाना गोस्वामी),बूढ़ी मां माई (शांतिलता पाधी),एक बेटे कार्तिक (प्रज्वल साहू) व एक बेटी पूरबी (युविका ब्रह्मा)के साथ रहते हैं .वह एक घड़ी कंपनी मंे मैनेजर थे,मगर अचानक नौकरी चली जाती है और पूरे आठ माह की बेरोजगारी के बाद मानस को ‘ज्विगाटो’ कंपनी में डिलीवरी ब्वौय की नौकरी मिलती है,जहां काम का दबाव होने के अतिरिक्त कई अन्य दबाव भी हैं.अब मानस का जीवन दंड देने वाले एल्गोरिदम, असभ्य ग्राहकों, तत्काल समीक्षा और सारी शक्ति रखने वाली कंपनी की दया पर आश्रित है. मानस नेकदिल इंसान है जो अब भी मानता है कि गृहस्थी पालना करना उसकी जिम्मेदारी है.प्रतिमा अपने पति की मदद के लिए मालिष का काम करती है.पर उसे अच्छा नही लगता.तब वह एक षाॅपिंग माल में नौकरी करना चाहती है.पर मानस इंकार कर देता है.लेकिन एक दिन जब मानस को ‘ज्विगाटो’ से बाहर कर दिया जाता है,तब वह पत्नी के षाॅपिंग माल में नौकरी करने पर खुषी जाहिर करता है.

लेखन व निर्देषनः

‘ज्विगाटो’ के पहले दृष्य से अंतिम दृष्य तक के एक भी दृष्य में कोई दम नही है.फिल्म दर्षकों को बांधकर रखने मे पूरी तरह से विफल रहती है. पटकथा अति घटिया है.ऐसा लगता है कि उड़ीसा सरकार ने नंदिता दास से कहा कि हम सब्सिडी(उड़ीसा सरकार अपनी फिल्म पौलिसी के तहत उड़ीसा में फिल्माए जाने पर डेढ़ करोड़ से तीन करोड़ तक की सब्सिडी देती है. ) के रूप में धन देंगें और आप फिल्म बना दे,जिसमें राज्य को चित्रित किया जाएं.नंदिता दास ने सोचा कि एक डिलीवरी ब्वौय ही पूरे षहर की सड़कों पर घूम सकता है,मंदिर,छोटी बस्ती,चमचमाती इमारतों ,बंगलों से लेकर पब तक में जा सकता है.बस उन्होने ‘ज्विगाटो’ बना डाली. नंदिता दास ने बेरोजगारी का मुद्दा भी उठाया है,मगर बहुत ही सतही स्तर पर ही उठाया.एक डिलीवरी ब्वौय के संघर्ष को भी वह ठीक से चित्रित नहीं कर पायी. वास्तव में पूरी फिल्म में वह उड़ीसा सरकार के इनीसिएटिब का पालन करते हुए मंदिर वगैरह के अलावा कलर्स चैनल के सीरियल ‘नागिन’ के दृष्य को दिखाने पर ही ध्यान दिया.हमारे देष मे सामाजिक असमानता एक कटु सत्य है.इसे मिटाना संभव नही है,क्योंकि हमारीे सरकारें भी सामाजिक असमानता को मिटाने में यकीन नही करती.लेकिन इस बात को फिल्म का मुख्य मात्र मानस उभार नही पाता.जबकि छोटे किरदार में मानस की पत्नी प्रतिमा के माध्यम से एक दो जगह सामाजिक असमानता का दंष उभर कर जरुर आता है.प्रतिमा के किरदार के माध्यम से ‘इनडिग्निटी आफ लेबर’ की बात उभर कर आती है.मसलन फिल्म के एक दृष्य मंे जब प्रतिमा माल में नौकरी करने जाती है,तो उन्हे बताया जाता है कि यह ट्वायलेट सिर्फ ग्राहक के लिए हैं,इसका उपयोग वह नहीं कर सकती.उनके लिए नीचे ट्वायलेट बने हुए हैं.तो वहीं एक दृष्य है,जहां प्रतिमा एक उंची चमचमाती इमारत में मसाज के लिए ग्राहक के घर जाती है,तो उससे कहा जाता है कि नौकरों के लिए दूसरी लिफ्त है,उससे वह जाए.मंुबई की लगभग हर इमारत में मकान मालिकों के लिए अलग लिफ्ट होती है और स्ट्ाफ व अन्य लोगों के लिए अलग लिफ्ट होती है.पूरी फिल्म देखने के बाद समझ में नही आता कि नंदिता दास ने फिल्म के अंदर मानस की ट्ेन यात्रा के जो दृष्य रखे हैं,उनका औचित्य क्या है?इसी तरह नंदिता दास ने गुलपनाग,सयानी गुप्ता व स्वानंद किरकिरे के किरदार रखे हैं,जिनका कहानी से कोई संबंध्ंा समझ से परे है.

 

 

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सुखद बात यह है कि नंदिता दास ने अपनी इस फिल्म के माध्यम उसे ‘एप’ आधारित कार्य संस्कृति के मिथक को तोड़ने का काम किया है.फिल्म में मानस को दंडित करने का काम भी एप ही करता है,मगर उनकी प्रगति का निर्धारण करने, उन्हें पुरस्कृत करने या उनकी शिकायतों को सुनने के लिए कभी उपस्थित नहीं होते हैं.पर नंदिता दास ने अपरोक्ष रूप से एक दृष्य में डिलीवरी ब्वौय के गलत व्यवहार पर कुठाराघाट भी किया है. जब सरकारी सहायता की दरकार हो तो फिल्मकार किस तरह डरकर काम करता है,उसका आइना है नंदिता दास की फिल्म ‘ज्विगाटो’.नंदिता दास ने कुछ दृष्यों में सूक्ष्मता से धन व वर्ग विभाजन की तस्वीर पेष की है,पर खुलकर नही.लगता है कि वह इसे पेष करते हुए डर रही हैं.फिल्म का काॅसेप्ट सही है,मगर उसे सही ढंग से निरूपति नही किया गया.इंटरवल के बाद फिल्म काफी धीमी और नीरस हो जाती है. नंदिता दास ने अपनी इस फिल्म में मजदूर वर्ग और देष के सत्तर प्रतिषत लोगों से जुड़ा मुद्दा जरुर उठाया, मगर उसके साथ वह न्याय नही कर पायी.पूरी पटकथा व कहानी भटकी हुई है.

अभिनयः

टीवी पर काॅमेडी षो के माध्यम से लोगों का मनोरंजन करते आ रहे अभिनेता कपिल षर्मा ने ‘ज्विगाटो’ के डिलीवरी ब्वौय मानस के किरदार में साबित कर दिया कि उनका अभिनय से कोसों दूर तक कोई नाता है,मगर ‘इगो’ बहुत ज्यादा है.यह ईगो उनके अभिनय में भी नजर आता है.परिवार की नींव और पति के पीछे चट्टान की तरह खड़ी रहने वाली तथा गर्व या परंपरा को अपनी राह का रोड़ा बनाए बिना समस्याओं के व्यावहारिक समाधान की तलाश करने वाली प्रतिमा के किरदार में षहाना गोस्वामी का अभिनय जानदार है.कार्तिक के किरदार में बाल कलाकार प्रज्ज्वल साहू अपनी छाप छोड़ जाता है.गुल पनाग, स्वानंद किरकिरे और सयानी गुप्ता का फिल्म मंे होना या न होना कोई मायने नहीं रखता.

8 साल बाद दूसरी शादी करेंगी TV एक्ट्रेस दलजीत कौर, 40 की उम्र में बनेंगी दुल्हन

टीवी एक्ट्रेस दलजीत कौर (Dalljiet Kaur) जल्द ही दूसरी शादी करने वाली हैं. वह यूके बेस्ड बिजनेसमैन निखिल पटेल के डेट कर रही हैं. दोनों के रोमांटिक फोटोज और वीडियो सोशल मीडिया पर आते रहते हैं. फिलहाल, दलजीत कौर के प्री-वेडिंग फंक्शन शुरू हो गए हैं. उनकी मेहंदी सेरेमनी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. गौरतलब है कि दलजीत कौर की पहली शादी टीवी एक्टर शालीन भनोट के साथ हुई थी. हालांकि, दोनों का रिश्ता ज्यादा दिनों तक चल नहीं पाया और दोनों का तलाक हो गया था. वहीं, दलजीत कौर के साथ होने वाले पति निखिल पटेल पहले से शादीशुदा है और उनकी दो बेटिया हैं.

दलजीत कौर की मेहंदी का वीडियो

दलजीत कौर की मेहंदी फंक्शन का एक वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आया है. इस वीडियो में आप देख सकते हैं कि दलजीत कौर के हाथों पर मेहंदी लगाई जा रही है. इसके बाद वह अपने हाथों में रची मेहंदी को दिखाते हुए नजर आ रही हैं. दलजीत कौर अपनी शादी को लेकर काफी एक्साइटेड हैं और इसका नजारा वीडियो में साफ दिखाई दे रहा है. बता दें कि दलजीत कौर ने उनकी और निखिल पटेल की मुलाकात एक कॉमन फ्रेंड की पार्टी में हुई थी. बातचीत से हुई शुरुआत बाद में प्यार में बदल गई.

 

 

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दलजीत कौर और शालीन भनोट की हुई थी शादी

बताते चलें कि दलजीत कौर और शालीन भनोट ने साल 2009 में शादी की थी. इन दोनों का रिश्ता जम नहीं पाया और दोनों ने साल 2015 में तलाक ले लिया. दलजीत कौर ने शालीन भनोट पर कई आरोप लगाए थे. दलजीत कौर अपने बेटे जॉर्डन की अकेले परवरिश कर रही हैं. शालीन भनोट रियलिटी शो बिग बॉस 16 में नजर आए थे. यहां पर उन्होंने कहा था कि उनके और दलजीत कौर के बीच अच्छी बॉन्डिंग है. इस पर दलजीत कौर ने आपत्ति जताई थी और कहा था कि वह नहीं चाहती हैं कि उनके बारे में कुछ भी बोला जाए.

 

 

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अनन्या पांडे की बहन अलाना ने इवोर मैकक्रे से की शादी, देखें फोटोज

बॉलीवुड एक्ट्रेस अनन्या पांडे की कजिन अलाना पांडे (Alanna Panday) ने अपने लॉन्गटर्म बॉयफ्रेंड आइवर मैक्रे (Ivor Mccray) के साथ शादी कर ली है. इस कपल ने 16 मार्च यानी गुरुवार को फैमिली मेंबर्स और करीबी लोगों के अलावा बॉलीवुड इंडस्ट्री के सिलेब्स की मौजूदगी में सात फेरे लिए हैं. अलाना पांडे और आइवर मैक्रे की शादी मुंबई में हुआ है और दोनों की शादी के बाद तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं. कपल की तस्वीरें को फैंस खूब पसंद कर रहे हैं

 

 

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अनन्या पांडे ने दिखाई शादी की झलक

अनन्या पांडे ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट की स्टोरी पर अपने कजिन अलाना पांडे और आइवर मैक्रे की शादी के वीडियो शेयर किए हैं. वहीं, अनुराग कश्यप की बेटी आलिया कश्यप ने भी दोनों की शादी की तस्वीर अपने इंस्टाग्राम अकाउंट की स्टोरी पर शेयर की है. शादी के दौरान अलाना पांडे ने आइवरी कलर का लहंगा पहना हुआ था. वहीं आइवर मैक्रे ने मैचिंग शेरवानी पहन रखी थी। अपनी शादी में ये कपल काफी प्यारा लग रहा था.

 

अलाना पांडे और आइवर मैक्रे की शादी में पहुंचे सिलेब्स

अलाना पांडे और आइवर मैक्रे की शादी में चंकी पांडे की फैमिली के अलावा बॉलीवुड इंडस्ट्री से जैकी श्रॉप, मनीष मल्होत्रा, नंदिता महतानी, अलविरा अग्निहोत्री, महिमा चौधरी, एली अवराम और अनुषा दांडेकर सहित तमाम सेलिब्रिटीज पहुंचे थे. बताते चलें कि अलाना पांडे और आइवर मैक्रे के प्री-वेडिंग फंक्शन के फोटोज सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुए थे. गौरतलब है कि अलाना पांडे और आइवर मैक्रे की सगाई पहले हो चुकी है और ये दोनों लिव इन रिलेशनशिप में रह रहे थे. बताते चलें कि अलाना पांडे बॉलीवुड के वेटरन एक्टर चंकी पांडे के भाई चिक्की पांडे और भाभी डिएन पांडे की बेटी हैं. अलाना पांडे भले ही बॉलीवुड इंडस्ट्री में एक्टिव ना हो लेकिन सोशल मीडिया पर अपनी तस्वीरों से लाइमलाइट में रहती हैं.

आत्मसम्मान का हक बहू को भी है

युवा पतिपत्नी को पति के मातापिता ने अलग से रहने का मकान दिलाया और उस को सुधारने में सारा खर्चा युवा पतिपत्नी ने अपनी दोनों की कमाई से उठाया. फिर पति की मां बीचबीच में आ कर टांग अड़ाने लगी कि यह सोफा साइड में रखो, परदों का रंग बदलो, घरेलू आया को घर से निकाल दो क्योंकि उस ने घंटी बजने पर दरवाजा खोलने में देर कर दी या फिर चाय दूधशक्कर वाली की जगह ग्रीन टी दे दी तो इस पति की मां को क्या कहेंगे?

यही न कि वह बेटेबहू का घर जोड़ नहीं रही, संभाल नहीं रही, तोड़ रही है. यह काम हमारे केंद्र सरकार के नियुक्त गवर्नर उन राज्यों में कर रहे हैं जहां भारतीय जनता पार्टी की सरकारें नहीं हैं.

दिल्ली में तो यह भयंकर रूप से एक के बाद एक राज्यपाल कर रहे हैं. भाजपा चाहे 7 की 7 संसद सीटें जीत जाए, पहले 2 बार वह विधानसभा में और इस बार दिल्ली नगर निगम चुनावों में अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी से बुरी तरह हारी. अब वह उस सास की तरह व्यवहार कर रही है जिस के बेटे ने अपनी मरजी से शादी की और मां की ढूंढ़ी लड़कियों को रिजैक्ट कर दिया.

यह तंग करने का अधिकार भारतीय जनता पार्टी के डीएनए में है क्योंकि पुराणों में बारबार जिक्र है कि ऋषिमुनि राजा के दरबार में घुस कर जबरन राजा से काम कराते थे.

नरसिंह अवतार बन कर विष्णु ने हिरण्यकश्यप का अकारण वध किया. कृष्ण ने बिना वजह कौरवों व पांडवों के बीच मतभेद खड़े किए और इस कुरूवंश को समाप्त करा दिया. विश्वामित्र राम और लक्ष्मण को जबरन राक्षसों को मारने ले गए और सारी रामायण में उन की तरह के ऋषिमुनि अयोध्या के राजकाज में विघ्न डालते रहे.

जो कथा इन ऋषिमुनियों ने गढ़ी उन में तो राजा का काम उसी तरह ऋषियों की बेमतलब की बातों को थोपना था जैसा केंद्र सरकार के गवर्नर पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, दिल्ली, छत्तीसगढ़, झारखंड में कर रहे हैं.

पौराणिक ऋषियों की दखलअंदाजी से पौराणिक कथाओं के राजा हर समय ऋषिमुनियों के आदेश पर लड़ने को मजबूर रहते थे और यही ऋषिमुनि आज घरों में युवा पत्नियों को परेशान करते हैं. आमतौर पर सासें किसी न किसी स्वामी महाराज, गुरु की भक्त होती हैं और रातदिन उन की सेवा में लगी रहती हैं. वे ही सासों को उकसाते हैं कि बहुओं को नकेल में डाल कर रखो.

जो सोचते हैं कि सरकार तो अपने कामकाज से सिर्फ गृहस्थी चलाने वालियों या गृहस्थी की आर्थिक स्थिति मजबूत करने में लगी है, वे गलत हैं क्योंकि हर जिंदगी का फैसला आज उसी तरह के पौराणिक सोच वाले लोगों के हाथों में आ चुका है. गवर्नरों की दखलअंदाजी, सरकारों की धौंस, बुलडोजरों से राज, हिंदूमुसलिम विवाद सब की काली छाया हर घर पर पड़ती है, सीधे या परोक्ष में.

अफसोस यह है कि औरतें बराबर की वोटर होते हुए भी पुरातनपंथी सोच को वरीयता देने में लगी हैं कि हमें क्या मतलब, जो पति कहेंगे वही कर लेंगे. यह दकियानूसीपन स्वतंत्रता को दान में देना है. यही औरतों को बेचारी बनाता है.

गवर्नरों का काम करने का तरीका है कि या तो हमारी मानो वरना हम नाक में दम कर के रखेंगे, यह सोच प्रधानमंत्री कार्यालय से शुरू होती है और छनछना कर हर घर तक पहुंच जाती है. क्या विद्रोह करने का, विरोध करने का, अपना आत्मसम्मान व आत्मविश्वास रखने का हक हर बहू को है या नहीं? क्या लोकतंत्र में विपक्ष की सरकारों को चलने का हक है या नहीं?

किचन की सफाई से छुटकारा दिलाती कुचीना

रीना औफिस से थकीहारी आई थी. आज औफिस में लंबी मीटिंग चली. अभी कपड़े बदल कर सोफे पर बैठी ही थी और सोच रही थी कि डिनर में कुछ हलका-फुलका बना ले तभी निखिल ने घर में घुसते ही ऐलान किया कि आज रात का खाना बाहर खाएंगे.
रीना झुंझला उठी. दिनभर की थकी-मांदी, डेढ़ घंटा मेट्रो की भीड़ में खड़े-खड़े सफर करके घर पहुंची है. अभी-अभी कपड़े बदले हैं और अब बाहर जाने के लिए फिर से तैयार हो?
रहने दो, मैं घर में ही कुछ सदा सा बना लेती हूं, उसने निखिल को मना करना चाहा.
निखिल थोड़ा नाराज हो गया, बोला, ‘‘मैं तो तुम्हारे लिए ही कह रहा था. थकी हुई दिख रही हो. अब किचन में घुसोगी. आधे घंटे में उबला सा खाना बनाओगी और डेढ़ घंटा किचन साफ करने में लगाओगी.’’
रीना सफाई को लेकर बड़ी पार्टिकुलर है. खासतौर से किचन की सफाई. मगर ये सफाई उसके खाना बनाने के वक्त को और मन को मार देती है. कितने दिन हो जाते हैं पति को कुछ अच्छा बना कर नहीं खिला पाती है. ऐसा नहीं है कि उसके हाथ में स्वाद नहीं है. भरपूर स्वाद है मगर तड़का-छौंका वाला खाना वो इसीलिए अवौयड करती है कि तेल और धुआं उड़ेगा. अब बिना तड़केछौंके के न तो कोई सब्जी अच्छी लगती है न दाल.
रीना जैसी महिलाओं को जिनकी रसोई में हवा के सही आवागमन का इंतजाम नहीं है और जिनकी रसोई छोटी है, की तकलीफों को कुचीना होम मेकर्स प्राइवेट लिमिटेड ने समझने की कोशिश की है.
दरअसल, कोरोना महामारी के वक्त में जब सब तरफ लौकडाउन लगा और नौकरीपेशा लोग वर्क फ्रौम होम करने लगे, बच्चे घर में रह कर औनलाइन पढ़ाई करने लगे तब किचन की सफाई का बड़ा मसला गृहिणियों के सामने उभरा.
किचन की गंदगी
अधिकांश घरों में तो पतियों ने भी किचन में खूब हाथ आजमाया. जितना भी पाक-विज्ञान उन्हें आता था कोरोनाकाल में वो सारा हुनर उन्होंने पत्नी और बच्चों को दिखा डाला. यूट्यूब पर नएनए व्यंजनों की रेसिपी देखदेख कर खूब प्रयोग किचन में किए गए. मगर उसके बाद किचन की जो हालत हुई उसने पत्नियों की कमर तोड़ दी.
खाना पकाने के दौरान किचन से निकली गर्म हवा का सही तरीके से घर से बाहर निकलना बहुत जरूरी है. मगर छोटे घरों में और फ्लैट सिस्टम में ऐसा हो नहीं पाता है. इस बात को कुचीना होम मेकर्स प्राइवेट लिमिटेड ने ही समझा और एक ऐसा प्रोडक्ट मार्किट में उतारा जिसने महिलाओं की साफसफाई की समस्या का काफी हद तक निराकरण कर दिया है. कुचीना होम मेकर्स प्राइवेट लिमिटेड आपके किचन में ही रेस्तरां जैसा स्वादिष्ठ भोजन पकाने के लिए आपको भरपूर समय देने और आपकी सुविधानुसार इस उपकरण को डिजाइन किया है.
कुचीना ने बनाया काम आसान
कुचीना ने सबसे पहले गृहिणियों के दिल को समझा. उसने समझा कि हर गृहिणी अपने घर के सदस्यों को और खासकर अपने बच्चों को हमेशा ही लजीज भोजन ही बना कर खिलाना चाहती है, जिसके लिए उसको कुछ एक्स्ट्रा वक्त चाहिए.
रसोई उपकरण निर्माता मर्क्यूरियल के प्रबंध निदेशक नमित बाजोरिया कहते हैं कि हम कुचीना को बाजार में लाए हैं क्योंकि मैंने खुद अपने घर में अपनी मां को रसोई में कड़ी मेहनत करते और बेचैनी सहते देखा है. उनके लिए खाना बनाने के बाद चीजों को साफ करना एक कठिन काम था. तभी मैंने ये विचार बना लिया था कि भारतीय रसोई को साफ रखने का कोई तरीका मुझे निकालना होगा और कुचीना मेरे उसी विचार का असल रूप है. इसने गृहिणियों के कई मुद्दों को हल कर दिया है. उनके समय को बचाया है और कड़ी मेहनत से उन्हें निजात दी है.
नमित बताते हैं कि उन्होंने 1996 में अपना करियर शुरू किया था. शुरुआत उन्होंने औफिस औटोमेशन सेवा उत्पादों की बिक्री से की. मगर उनकी महत्वाकांक्षा इससे ऊंची उड़ान भर रही थी और वे अपना कोई ब्रांड लेकर आना चाहते थे. लिहाजा 2003 में ही उन्होंने एक औटोमेटिक चिमनी के साथ अपना ब्रांड मार्किट में उतारा.
नमित कहते हैं, ‘‘2003 में जब हमने चिमनी लौंच की थी. तब बाजार पश्चिमी देशों की तरह समान सेवाएं देने वाले ब्रांडों से भरा हुआ था. मैंने सोचा कि क्या वे भारतीय आवश्यकताओं को पूरा करते हैं? क्योंकि भारतीय रसोई को तो ‘प्रलय’ माना जाता है. जो गंदगी और ग्रीस से भरी होती है. हमने देखा कि हमारी गृहिणियां अपने दैनिक समय 50% सफाई और धुलाई में खर्च करती हैं. फिर हमने गहन शोध किया और कुचीना जैसा उपकरण हम लेकर आए जो भारतीय रसोई की सफाई संबंधी जरूरतों को पूरा करने में पूरी तरह सक्षम है.’’
कुचीना में ऐसी तकनीक का इस्तेमाल किया गया है जिससे किचन तो साफ होता ही है, तेल बिंदुओं से भरी सारी गर्म हवा भी बाहर निकल जाती है और उसके बाद पूरी चिमनी अपनेआप साफ हो जाती है. नमित कहते हैं, ‘‘आधुनिक तकनीक वाली कुचीना चिमनी में बटन दबाते ही सफाई शुरू हो जाती है. ये आई-क्लीन तकनीक से संभव हुआ है. जल्दी ही भारत के हर किचन में हमारी ये चिमनी होगी ऐसी मेरी कोशिश है.’’
नमित कहते हैं, ‘‘हम हर दिन प्रयोग कर रहे हैं ताकि हमारे उत्पाद प्रगति करते रहें. ग्राहकों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उत्पादों में नवाचार किया जा रहा है. हमने औटो-क्लीन चिमनियों के साथ शुरुआत की, जिसके लिए जरूरी था कि सिस्टम में साबुन के पानी को जोड़ा जाए. जो हमने किया. हम मौड्यूलर किचन में जर्मन तकनीक का भी इस्तेमाल कर रहे हैं जो सर्वश्रेष्ठ है. हमने अपने उत्पादों को आम भारतीय ग्राहक की जेब के अनुसार रखा है. धीरे-धीरे, उत्पादों की शृंखला में भी वृद्धि हो रही है. जल्दी ही हम पूर्ण रसोई समाधान प्रदान करेंगे.’’

पिछले महीने एक दुर्घटना में मेरे कान के परदे में छेद हो गया है, इस के उपचार के कौनकौन से विकल्प हैं?

सवाल 

पिछले महीने एक दुर्घटना में मेरे कान के परदे में छेद हो गया है. इस के उपचार के कौनकौन से विकल्प हैं?

जवाब 

अगर कोई जानलेवा घटना जैसेकि विस्फोट या वाहन चलाते समय कोई दुर्घटना घटित होने से कान में अचानक तेज दर्द हो तो संभवतया कान के परदे में छेद हो गया है. अगर दुर्घटना के समय तेज दर्द हो और फिर बंद हो जाए तो सम?िए की कान के मध्यभाग को नुकसान पहुंचा है. अगर कान के परदे में छोटा छेद है तो अपनेआप ही भर जाता है. लेकिन अगर बड़ा छेद हो तो उपचार कराना जरूरी हो जाता है.

मैडिकेटेड पेपर से कान के परदे वाले स्थान पर पैचिंग कर दी जाती है. गंभीर मामलों में शरीर के दूसरे भाग से ऊतक ले कर छेद को बंद करने के लिए वहां लगा दिए जाते हैं. समय रहते उपचार न कराया जाए तो कान में तेज दर्द हो सकता है और संक्रमण होने का खतरा बढ़ जाता है.

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मैं एक डिस्को बार में काम करती हूं. पिछले कुछ दिनों से मुझे थोड़ा कम सुनाई दे रहा है. मैं क्या करूं?

आंतरिक कान में छोटीछोटी हेयर सेल्सर की एक कतार होती है. ये मस्तिष्क को संकेत पहुंचाती हैं. तेज आवाज में संगीत सुनने से यह हेयर सेल्से चपटे हो जाते हैं, लेकिन कुछ समय बाद फिर से अपनी सामान्य स्थिति में आ जाते हैं. लंबे समय तक चलने वाला ध्वनि प्रदूषण इन्हें क्षतिग्रस्त कर नष्ट कर सकता है. उम्र बढ़ने के साथ यह समस्या और गंभीर हो जाती है, जिस से सुनने की क्षमता समाप्त हो जाती है.

जब आप तेज आवाजों से बच न सकें, तो हियरिंग प्रोटैक्शन डिवाइसेस जैसे ईयर प्लग्स और ईयर मफ्स का इस्तेमाल करें. अगर जौब के कारण इन का इस्तेमाल संभव न हो तो जौब बदल लें क्योंकि युवावस्था में ही सुनने की क्षमता सुरक्षित रखने के प्रयास करना जरूरी है.

 

मीठे मे बनाए स्वादिष्ट बादाम की खीर और रागी के लड्डू

बादाम  प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट से भरपूर होते हैं. और बादाम की खीर बड़ी मजेदार होती है, और बच्चों को बेहद पसंद आती है. तो इस वीकेंड आप बनाएं बादाम की खीर.

  1. बादाम का खीर

सामग्री

– 1 कप बादाम भीगे और छिलका हटे

– 1/2 लिटर फुल क्रीम दूध द्य 4 बड़े चम्मच चीनी (बूरा)

– 1 छोटा चम्मच इलायची पाउडर

– एक चुटकी केसर दूध में भीगा द्य 1/4 कप कद्दूकस किया हुआ मावा.

विधि

एक पैन में फुल क्रीम दूध को तब तक उबालें जब तक कि यह 30% कम न हो जाए फिर ठंडा होने के लिए अलग रख दें. बादाम को फुल क्रीम दूध के साथ मिला कर मुलायम पेस्ट बना लें. इस में इलायची पाउडर और चीनी मिलाएं. एक अलग पैन में कद्दूकस किया हुआ मावा मध्यम आंच पर नरम होने और पेस्ट बनने तक भून लें. मावा में धीरेधीरे दूध डालें और लगातार चलाते रहें ताकि कोई गांठ न रहे. तैयार होने पर आंच बंद कर लें और मिश्रण को छलनी की सहायता से बाउल में छान लें. इस में केसर डालें और मिक्स कर के फ्रिज में ठंडा होने के लिए रख दें. बारीक कटे काजूबादाम, कद्दू के बीज या गुलाब की पंखुडि़यां डाल कर गार्निश करें और सर्व करें.

2. रागी के लड्डू

सामग्री

– 1 कप रागी का आटा

-1/2 कप पाउडर शुगर

– 2 बड़े चम्मच पानी

– 3/4 कप घी

– 1/2 छोटा चम्मच अदरक पाउडर (सौंठ)

-1/2 छोटा चम्मच इलायची पाउडर

– 1 बड़ा चम्मच तिल.

विधि

एक पैन में तिल को ड्राई रोस्ट कर के एक तरफ रख दें. उसी पैन में रागी के आटे को तब तक ड्राई रोस्ट करें जब तक कि उस का रंग न बदल जाए. उस के बाद घी और रागी का आटा डालें और मिक्स कर के आंच से उतार लें. एक अलग पैन में शुगर पाउडर को पानी के साथ तब तक पकाएं जब तक कि वह पिघल न जाए. अब पहले से तैयार रागी के आटे के मिश्रण में तुरंत ही चाशनी डालें. साथ ही इस में अदरक पाउडर, इलायची पाउडर और भुने हुए तिल डाल कर अच्छी तरह मिक्स करें. हाथों को घी से चिकना कर मिश्रण से लड्डू तैयार करें. अगर मिश्रण ज्यादा ठंडा हो जाए तो इस में हलका गरम घी डाल सकते हैं. चांदी के वर्क से गार्निश कर परोसें.

तो हाजमा रहेगा सही

अगर पाचनतंत्र ठीक से काम न कर सके तो अपच की समस्या हो सकती है. अपच आमतौर पर कई बीमारियों और जीवनशैली से जुड़े कारकों की वजह से होता है. पाचन संबंधी समस्याओं के लक्षण आमतौर पर कुछ इस तरह होते हैं:

पेट फूलना, गैस, कब्ज, डायरिया, उलटी, सीने में जलन. आहार जो पाचनतंत्र के लिए फायदेमंद है

छिलके वाली सब्जियां: सब्जियों में फाइबर भरपूर मात्रा में होता है, जो पाचन के लिए महत्त्वपूर्ण है. फाइबर कब्ज दूर करने में मदद करता है. सब्जियों के छिलके में फाइबर बहुत अधिक होता है, इसलिए अच्छा होगा कि आप पूरी सब्जी खाएं. आलू, बींस और फलियों के छिलकों में फाइबर बहुत ज्यादा मात्रा में पाया जाता है.

फल: फलों में फाइबर बहुत अधिक पाया जाता है. इन में विटामिन और मिनरल्स भी अधिक मात्रा में पाए जाते हैं जैसे विटामिन सी और पोटैशियम. उदाहरण के लिए सेब, संतरा और केला पाचन के लिए बेहद कारगर हैं.

साबूत अनाज से युक्त आहार: साबूत अनाज भी घुलनशील और अघुलनशील फाइबर का अच्छा स्रोत है. घुलनशील फाइबर बड़ी आंत में जैल जैसा पदार्थ बना लेता है, जिस से पेट भरा महसूस करते हैं और शरीर में ग्लूकोस का अवशोषण धीरेधीरे होता रहता है. अघुलनशील फाइबर कब्ज से बचाने में मदद करता है. फाइबर पाचनतंत्र में अच्छे बैक्टीरिया को पोषण भी देता है.

खूब तरल का सेवन करें: त्वचा को स्वस्थ रखने, इम्यूनिटी और ऊर्जा बढ़ाने के लिए शरीर को पानी की जरूरत होती है. पानी पाचन के लिए भी जरूरी है. जिस तरह हमारे पाचनतंत्र में अच्छे बैक्टीरिया को होना जरूरी है उसी तरह तरल भी बहुत अधिक महत्त्वपूर्ण है.

अदरक: अदरक पाचन की समस्याओं जैसे पेट फूलना में राहत देती है. सूखा अदरक पाउडर बेहतरीन मसाला है, जो भोजन को बेहतरीन स्वाद देता है. अदरक का इस्तेमाल चाय बनाने में भी किया जाता है. अच्छी गुणवत्ता का अदरक चुनें. चाय के लिए ताजा अदरक लें.

हलदी: हलदी आप की किचन में मौजूद ऐंटीइनफ्लैमेटरी और ऐंटीकैंसर मसाला है. इस में करक्युमिन पाया जाता है, जो पाचनतंत्र के भीतरी स्तर को सुरक्षित रखता है, अच्छे बैक्टीरिया को पनपने में मदद करता है और बोवल रोगों एवं कोलोरैक्टल कैंसर के उपचार में भी कारगर पाया गया है.

योगहर्ट: इस में प्रोबायोटिक्स होते हैं. ये लाइव बैक्टीरिया और यीस्ट हैं, जो पाचनतंत्र के लिए फायदेमंद होते हैं.

असंतृप्त वसा: इस तरह की वसा यानी फैट शरीर को विटामिनों के अवशोषण में मदद करते हैं. इन के साथ फाइबर पाचन को आसान बनाता है. पौधों से मिलने वाले तेल जैसे जैतून का तेल अनसैचुरेटेड फैट का अच्छा स्रोत है, लेकिन वसा का इस्तेमाल हमेशा ठीक मात्रा में करें. एक वयस्क को रोजाना अपने आहार में 2000 कैलोरी की जरूरत होती है, जिस में वसा की मात्रा 77 ग्राम से अधिक नहीं होनी चाहिए.

क्या न खाएं

कुछ खाद्य एवं पेयपदार्थों के कारण पेट फूलना, सीने में जलन और डायरिया जैसी समस्याएं होती हैं. उदाहरण के लिए:

तेलीय/वसा युक्त आहार: तले और मसालेदार भोजन के सेवन से बचें, क्योंकि यह आप के पाचनतंत्र के लिए कई समस्याओं का कारण बन सकता है. ऐसे आहार को पचने में ज्यादा समय लगता है. इस कारण कब्ज, पेट फूलना या डायरिया जैसी समस्याएं होती हैं. तले खाद्यपदार्थों के सेवन से ऐसिडिटी और पेट फूलना जैसी समस्याएं होती हैं.

मसालेदार भोजन: मसालेदार भोजन पेट में दर्द या मलत्याग करते समय असहजता का कारण बन सकता है.

प्रोसैस्ड फूड: अगर आप को पाचन संबंधी समस्याएं हैं. प्रोसैस्ड खाद्यपदार्थों का सेवन न करें, इस तरह के आहार में फाइबर कम मात्रा में होता है, जबकि कृतिम चीनी, कृत्रिम रंग, नमक एवं प्रीजरर्वेटिव बहुत अधिक मात्रा में पाए जाते हैं, जो आप की पाचन संबंधी समस्याओं को और बदतर बना सकते हैं, साथ ही फाइबर न होने के कारण इस तरह के भोजन को पचाने के लिए शरीर के ज्यादा काम करना पड़ता है और यह कब्ज का कारण बन सकता है.

रिफाइंड चीनी, सफेद रिफाइंड चीनी इनफ्लैमेटरी कैमिकल बनाती है और पाचनतंत्र में डिसबायोसिस को बढ़ावा देती है. इस से पाचनतंत्र में बैक्टीरिया का संतुलन बिगड़ जाता है. इस तरह की चीनी हानिकर बैक्टीरिया को बढ़ावा देती है.

शराब: शराब के सेवन से डीहाइड्रेशन हो जाता है, जो कब्ज और पेट फूलने का कारण बन सकता है. यह पेट एवं पाचनतंत्र के लिए नुकसानदायक है और लिवर के मैटाबोलिज्म में बदलाव ला सकती है. शराब ऐसिडिक होती है, इसलिए स्टमक यानी आमाशय के भीतरी अस्तर को नुकसान पहुंचा सकती है.

कैफीन: कैफीन, चाय, कौफी, चौकलेट, सौफ्ट ड्रिंक, एनर्जी ड्रिंक, बेक्ड फूड, आईसक्रीम में पाया जाता है. यह पाचनतंत्र के मूवमैंट को तेज करता है, जिस से पेट जल्दी खाली हो जाता है. इस से पेट दर्द और डायरिया जैसी समस्याएं हो सकती हैं.

कार्बोनेटेड पेय: इन में मौजूद गैस पेट फूलना जैसी समस्याओं का कारण बन सकती है. इस का असर आमाशय के भीतरी स्तर पर भी पड़ता है. साथ ही इस तरह के पेयपदार्थों में चीनी बहुत अधिक मात्रा में पाई जाती है, जो पाचन की समस्याओं को और बढ़ा सकती है. कार्बोनेटेड पेय, शरीर में इलैक्ट्रोलाइट के संतुलन को बिगाड़ सकते हैं, जिस से शरीर डीहाइड्रेट हो सकता है.

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