लाल साया: भाग-2

‘‘महेश तो आज छुट्टी पर है. गांव गया है.‘‘

‘‘फिर तो बहुत अच्छा है. हम दोनों आज शाम तक निकल जाते हैं. सब को लगेगा कि हम तीनों चले गए.‘‘

‘‘ठीक है, मैं ड्राइवर को बोल दूंगा.”

‘‘नहीं, नहीं, अंकल, आप के ड्राइवर के साथ नहीं.”

‘‘हां, ठीक कह रहे हो. मैं टैक्सी बुला दूंगा.‘‘

‘‘जी.”

दोपहर में तीनों लड़के नीचे आए तो विमला देवी की सूजी आंखें उन के दिल का भेद खोल रही थीं.

‘‘पापा मुझे माफ कर दीजिए. मैं आज के बाद कभी शराब को हाथ भी नहीं लगाऊंगा,” कहते हुए विशेष पिता के पैरों में गिर पड़ा. वह फूटफूट कर रो रहा था.

निशब्द उन्होंने उठा कर बेटे को गले लगा लिया.

‘‘रिचा… पापा रिचा… मुझे कुछ याद नहीं है…” वह हिचकियों के साथ बोला.

‘‘मैं हूं ना बेटा… सब संभाल लूंगा… और फिर तुम इतने भाग्यशाली हो कि तुम्हारे इतने अच्छे दोस्त हैं.”

‘‘अंकल, हम दोनों दिन में ही निकल जाते हैं. हम ने ऊपर सब ठीक कर दिया है.”

‘‘मैं ने दूसरा ड्राइवर बुला रखा है. वह तुम्हें छोड़ आएगा. और हां बेटा, जैसे विशेष वैसे ही तुम लोग. इसलिए यह छोटी सी भेंट है. तुम्हारे मकान के लिए पच्चीस लाख का यह चेक है. और तुम्हारे बिजनेस के लिए पच्चीस लाख का यह चेक है.‘‘

‘‘अरे अंकल…‘‘

‘‘बस रख लो बेटा, मुझे खुशी होगी,‘‘ बिना आंखें मिलाए सेठजी बोले.

कालोनी में इस बात की चर्चा जाने कैसे फैल गई कि सेठ मदन लाल के घर रात में गोली चली थी. सफाई देदे कर दोनों परेशान थे. विमला देवी ने तो सब से मिलना ही बंद कर दिया. सेठ मदन लाल तनाव में रहने लगे. ऊपर से रिचा की गुमशुदगी की रिपोर्ट के चलते पुलिस जांच करने उन के घर आ धमकी. बड़ी मुश्किल से लेदे कर सेठजी ने मामला निबटाया.

इस घटना को 4-6 महीने बीत गए थे. एक दिन विमला देवी बोलीं, ‘‘सुनिएजी, कहीं विशेष की शादी की बात चलाइए. अब उस की शादी तो करनी ही है ना…‘‘

‘‘देखो, थोड़ा इंतजार करना पड़ेगा. जल्दबाजी ठीक नहीं. देख तो रही हो जितने शादी के प्रस्ताव थे, सभी कोई ना कोई बहाना कर पीछे हट गए. पता नहीं कैसे समाज में हमारे परिवार को ले कर नकारात्मक माहौल बन गया है. तो अब थोड़ी प्रतीक्षा ही करनी होगी.”

‘‘मुझे तो बड़ी चिंता हो रही है.”

‘‘मां, मुझे शादी नहीं करनी है. कितनी बार तो कह चुका हूं. फिर वही विषय ले कर बैठ जाती हैं आप,” विशेष अचानक कमरे में आ गया था.

तभी मदन लाल जी का फोन घनघनाया.

‘‘हां उमेश, बेटा.‘‘

‘‘अरे, पिछले हफ्ते ही तो 10 लाख तुम्हारे अकाउंट में डाले थे. नहीं, अब मैं और नहीं दे सकता,’’ कह कर उन्होंने गुस्से से फोन काट दिया.

‘‘उमेश… आप से पैसे मांग रहा है?” चकित सा विशेष पिता को देख रहा था.

‘‘पैसे नहीं मांग रहा है… ब्लैकमेल कर रहा है. 10-10 लाख दो बार ले चुका है और अब फिर…‘‘ गुस्से से वे हांफने लगे थे.

‘‘मुझे कुछ नहीं बताया उस ने,” विशेष के स्वर में हैरानी थी.

‘‘अरे, आप को क्या हो रहा है?” विमला देवी उठ कर पति के सीने पर हाथ फेरने लगीं, जिसे वे कस कर दबा रहे थे. उन्हें तुरंत अस्पताल पहुंचाया गया, परंतु बचाया नहीं जा सका.

हंसताखिलखिलाता घर बिखर गया. घर में जैसे मुर्दनी छा गई थी. विशेष पिता की जगह अपनी शर्राफे की दुकान पर बैठने लगा था. दिन जैसेतैसे कट रहे थे.

‘‘विशेष, छुटकी की शादी का न्योता आया है. जाना पड़ेगा,” मां विशेष के आते ही बोलीं.

‘‘ठीक है मां, मैं मामाजी के यहां आप के जाने की व्यवस्था कर देता हूं.”

‘‘नहीं बेटा तुझे भी चलना होगा.”

‘‘आप जानती तो हैं मां…”

‘‘जानती हूं, तू कहीं नहीं जाना चाहता. परंतु मीरा की शादी में भी तू पढ़ाई के कारण नहीं जा पाया था. उन्हें लगेगा, उन की गरीबी के कारण तू उन के घर नहीं आता.”

‘‘यह सच नहीं है मां. मेरे लिए रिश्ते महत्व रखते हैं. गरीबीअमीरी तो मैं सोचता भी नहीं. मैं मामाजी की बहुत इज्जत करता हूं,‘‘ विशेष ने प्रतिवाद किया.

‘‘जानती हूं, इसीलिए चाहती हूं कि तू मेरे साथ चल. दो दिन की ही तो बात है,‘‘ बेटे के सिर पर हाथ फेरते हुए वे बोलीं.

‘‘ठीक है मां, जैसा आप चाहे.‘‘

गांव में उन की गाड़ी के रुकते ही धूम मच गई ‘‘बूआजी आ गईं, बूआजी आ गईं.”

भाईभाभी के साथ छुटकी भी दौड़ी आई और उस के साथ में थी उस की प्यारी सहेली रजनी. विशेष पर नजर पड़ते ही अपनी सुधबुध खो बैठी. सब एकदूसरे को दुआसलाम कर रहे थे और रजनी अपलक विशेष को निहारे जा रही थी.

‘‘रजनी, भैया को ऐसे क्यों  घूर रही हो?‘‘ छुटकी ने कोहनी मारी.

सब उधर ही देखने लगे. रजनी के साथसाथ विशेष भी झेंप गया, ‘‘नहीं… कुछ नहीं…‘‘ कहते हुए रजनी बूआजी का सामान निकलवाने लगी.

‘‘आप रहने दीजिए, मैं निकलवा दूंगा,’’ विशेष ने उसे टोका.

‘‘आप तो पाहुन हैं,” वो खिलखिलाई और बैग उठा कर अंदर भाग गई.

‘‘बहुत ही प्यारी बच्ची है बीबीजी. अपनी छुटकी की सब से पक्की सहेली है. जान छिड़कती हैं दोनों एकदूसरे पर,” स्नेह से भौजाई बोलीं.

जब तक सब लोग आ कर बैठे, रजनी सब के लिए शरबत ले कर हाजिर थी. बूआजी सब से बोलतीबतियाती रहीं, पर निगाह उन की हर पल रजनी पर ही टिकी रही. एक आशा की किरण दिखाई दी थी उन्हें. रजनी का स्पष्ट झुकाव उन के सुदर्शन बेटे पर दिखाई दे रहा था. और कितने महीनों बाद विशेष भी खुश दिखाई दे रहा था. शाम को जब ढोलक की थाप पर रजनी नाची तो विमला देवी लट्टू ही हो गईं.

‘‘भाभी, रजनी तो वाकई बहुत अच्छा नाचती है.”

‘‘हां बीबीजी, बहुत भली और गुणी लड़की है. पढ़ने में भी अव्वल आती है. वजीफा पाती है. लगन की ऐसी पक्की कि जाड़ा, गरमी, बरसात साइकिल से कसबे तक पढ़ने जाती है,” स्नेह पगे स्वर में भौजाई बोलीं.

‘‘अपने विशेष के लिए कैसी रहेगी?” वे सीधे भाभी की आंखों में देख रही थीं.

‘‘बीबीजी, लड़की तो बहुत ही अच्छी है. लाखों में एक. जोड़ी भी बहुत अच्छी लगेगी, लेकिन…‘‘ बात अधूरी ही छोड़ दी उन्होंने.

‘‘लेकिन क्या…?‘‘

‘‘लेकिन, बहुत गरीब परिवार से है. आप की हैसियत की तो छोड़ दीजिए. साधारण शादी भी नहीं कर सकेंगे वे लोग.‘‘

आगे पढ़ें- रजनी के लिए आए इस प्रस्ताव से छुटकी की शादी की…

शरणागत: कैसे तबाह हो गई डा. अमन की जिंदगी- भाग 2

इन का परिवार पहाड़ी था, परंतु ईसाई धर्म अपना लिया था. उन की बिरादरी में बहुत से परिवार थे, जिन्होंने पाखंडों और रूढि़वादिता से तंग आ कर अपनी इच्छा से इस धर्म को अपनाया था. अगले दिन जब अमन वार्ड में मरीजों को देखने गया तो नीरा उसी वार्ड में थी. उस के मातापिता भी वहीं खड़े थे. डा. अमन ने जब नीरा का हालचाल पूछा तो उस ने अपनी लंबीलंबी पलकें झपका कर ठीक महसूस करने का इशारा कर दिया. उस के पिता उतावले से हो कर पूछने लगे, ‘‘डाक्टर हड्डी जुड़ने में कितना समय लगेगा? ठीक तो हो जाएगी न?’’

अमन ने उन्हें धीरज बंधाते हुए कहा, ‘‘हड्डी जुड़ने में थोड़ा समय लगेगा. आप चिंता न करें, आप की बेटी बिलकुल ठीक हो जाएगी.’’

यह सुन कर उन दोनों के चेहरे पर गहरी चिंता झलकने लगी. यह देख कर अमन को हैरानी हुई. उस ने नीरा के पिता से कहा, ‘‘आप की बेटी ठीक है. फिर यह चिंता किसलिए कर रहे हैं?’’

इस पर नीरा के पिता ने झिझकते हुए बताया, ‘‘डाक्टर साहब, नीरा की परीक्षा खत्म होने के बाद सगाई होने वाली है. हमारी बिरादरी के एक आईएएस लड़के से इस की शादी की बात पक्की हो रखी है. 3 दिन बाद लड़का सगाई की रस्म के लिए आने वाला है. उस के मातापिता यहीं रहते हैं.’’

अमन ने कहा, ‘‘देखिए, आप पहले बेटी की सेहत पर ध्यान दीजिए. सगाई बाद में होती रहेगी,’’ कह अमन अन्य मरीजों का मुआयना कर वार्ड से बाहर जाने से पहले नीरा से बोला, ‘‘मेरे पास कुछ किताबें हैं, आप को भिजवाता हूं, पढ़ती रहेंगी तो मन लगा रहेगा.’’

आज नीरा के होने वाले पति व उस के परिवार वालों की आने की उम्मीद में उस के मम्मीपापा जल्दी आ गए. वे नीरा के लिए गुलाबी रंग का सलवारकुरता लाए थे. नीरा के चेहरे पर भी खुशी झलक रही थी. जल्दी से नर्स को बुला कर हाथमुंह धो कर कपड़े बदल वह बेसब्री से इंतजार करने लगी.

सुबह से शाम हो गई पर लड़के के परिवार का कहीं दूरदूर तक अतापता न था. अमन जब शाम को वार्ड में आया तो देखा नीरा के मातापिता चेहरे लटकाए जा रहे थे, नीरा को यह कह कर कि चर्च में जा कर पता करते हैं. शाम को वे वहां आएंगे ही… सब ठीकठाक हो. नीरा भी थकावट और चिंता से बेहाल थी. चुपचाप चादर ओढ़ कर सो गई.

अगले दिन नीरा के मातापिता आए तो उन के चेहरों पर उदासी छाई थी. जैसे अरसे से बीमार हों.

अमन वार्ड के अन्य मरीजों को देख रहा था. नीरा की मां आते ही रोष भरी आवाज में बोल उठीं, ‘‘मैं कहती थी न कि दाल में कुछ काला है. चर्च में लड़के का परिवार आया था पर परायों जैसा व्यवहार था. औपचारिक हायहैलो का जवाब दे कर चर्च से निकल गए. तुम्हारा रिश्ता करवाने वाली महिला आशा भी नजरें चुरा रही थी. मैं ने पास जा कर पूछा तो बोली, ‘‘लड़के का परिवार बहुत नीच निकला. जब मैं ने नीरा के संग सगाई के प्रोग्राम के बारे में पूछा तो नीरा के बारे में उलटासीधा बोलने लगे कि नीरा हाथ छोड़ कर साइकिल चला रही थी…कुछ लड़कों के साथ रेसिंग कर रही थी. ऐक्सिडैंट इसी कारण हुआ..

‘‘न भई न मेरे लड़के ने तो साफ मना कर दिया कि नहीं करता सगाई. कहीं नीरा की टांग में फर्क रह गया तो उस की जिंदगी बरबाद हो जाएगी. उसे तो आएदिन क्लब व पार्टियों में जाना पड़ता है.

‘‘भई हम ने तो वही किया जो बेटे ने कहा. अच्छा हुआ अभी बातचीत ही हुई थी, कोई रस्म नहीं हुई थी.’’

सारी बात सुन कर नीरा की मां पस्त हो कर स्टूल पर बैठ गईं और सिसकने लगीं. पिता भी सिर झुकाए पलंग पर बैठ गए. ये सब सुन कर नीरा गुस्से से कांपने लगी. फिर चिल्ला कर बोली, ‘‘उन की इतनी हिम्मत… मेरे लिए ऐसा बोला. उस दिन तो लड़के की मां तारीफों के पुल बांध रही थीं, नीरा के हाथ में चाय का गिलास था. उस ने उसे जोर से पटक दिया. वार्ड के अन्य मरीज उसे देखने लगे. डा. अमन और उस के सहयोगी नीरा को शांत करने की कोशिश करने लगे. नीरा के पिता नीरा की मां को डांटते हुए बोले, ‘‘अभी सबकुछ बताना था?’’

नीरा की मां भी भरी बैठी थीं. गुस्से में जोर से बोलीं, ‘‘तो क्या बताने के लिए मुहूर्त निकलवाती?’’

बड़ी मुश्किल से उन्हें बाहर भेज कर नीरा को नींद का इंजैक्शन लगाया गया. पल भर में ही सब कुछ घटित हो गया.

अमन सोचने लगा वास्तव में नीरा के साथ अन्याय हुआ है. यदि यह ऐक्सिडैंट शादी के बाद होता तो क्या होता? उसे समाज के ऐसे मतलबी लोगों से नफरत होने लगी. उसे नीरा से सहानुभूति सी होने लगी कि अच्छीभली लड़की के जीवन में जहर घोल दिया.

नीरा अभी इस घटना से उबर भी नहीं पाई थी कि एक और घटना हो गई, जिस ने नीरा की जीवनधारा को उलटी दिशा में मोड़ दिया.

2 दिन बाद ही नीरा की मां जब नीरा से मिलने आईं तो बहुत ही गुस्से में थीं. आते ही आवदेखा न ताव नीरा पर बरस पड़ीं. बोलीं, ‘‘नीरा सचसच बताओ तुम सचमुच हाथ छोड़ कर साइकिल चला रही थी? लड़कों के साथ रेसिंग कर रही थी? सारी कालोनी में तुम्हारे ही चर्चे हैं.’’

नीरा का दिल पहले ही चोट खाया था. यह बातें उसे नश्तर की तरह चुभने लगीं. मां और बेटी के बीच बहस ने खतरनाक रूप ले लिया. नीरा पलंग से उठने की कोशिश में गिर गई. डाक्टर ने उसे प्राइवेट रूम में शिफ्ट कर दिया. सीनियर डाक्टर ने नीरा के घर वालों पर नीरा से मिलने की पाबंदी लगा दी क्योंकि इस का नीरा की सेहत पर गलत असर पड़ रहा था और अस्पताल का माहौल भी बिगड़ रहा था. हां, वे नीरा का हाल डाक्टरों से फोन से पूछ सकते थे.

शारीरिक और मानसिक चोट ने नीरा को बुरी तरह तोड़ दिया था. वह न तो किसी से बातचीत करती और न ही दवा व भोजन समय पर लेती. सभी डाक्टरों ने उसे समझाया पर वह टस से मस न हुई.

आगे पढ़ें- नीरा अमन को अपना मित्र समझने लगी. वह…

पति नहीं सिर्फ दोस्त

3 दिन हो गए स्वाति का फोन नहीं आया तो मैं घबरा उठी. मन आशंकाओं से घिरने लगा. वह प्रतिदिन तो नहीं मगर हर दूसरे दिन फोन जरूर करती थी. मैं उसे फोन नहीं करती थी यह सोच कर कि शायद वह बिजी हो. कोई जरूरत होती तो मैसेज कर देती थी. मगर आज मुझ से नहीं रहा गया और शाम होतेहोते मैं ने स्वाति का नंबर डायल कर दिया. उधर से एक पुरुष स्वर सुन कर मैं चौंक गई. हालांकि फोन तुरंत स्वाति ने ले लिया मगर मैं उस से सवाल किए बिना नहीं रह सकी.

‘‘फोन किस ने उठाया था स्वाति?’’

‘‘मां, वह रोहन था… मेरा दोस्त’’, स्वाति ने बेहिचक जवाब दिया.

‘‘मगर तुम तो महिला छात्रावास में रहती हो ना. क्या वहां पुरुष मित्रों को भी आने की इजाजत है? वह भी इस वक्त?’’  मैं ने थोड़ा कड़े लहजे में पूछा.

‘‘मां अब मैं होस्टल में नहीं रहती. मैं रोहन के साथ रह रही हूं उस के फ्लैट में. रोहन मेरे साथ ही कालेज में पढ़ता है.’’

‘‘क्या? कहीं तुम ने हमें बताए बिना शादी तो नहीं कर ली?’’

‘‘नहीं मां, हम लिवइन रिलेशनशिप में रह रहे हैं.’’

‘‘स्वाति, तुम्हें पता है तुम क्या कर रही हो? अभी तुम्हारी उम्र अपना कैरियर बनाने की है. और तुम्हारी ही उम्र का रोहन…वह क्या तुम्हारे प्रति अपनी जिम्मेदारी समझता है?’’

‘‘मां, हम दोनों सिर्फ दोस्त हैं.’’

‘‘लड़कालड़की दोस्त होने से पहले एक लड़की और लड़का होते हैं. कुछ नहीं तो कम से कम अपने और परिवार की मर्यादा का तो खयाल रखा होता. हम ने तुझे आधुनिक बनाया है, इस का मतलब यह तो नहीं कि तू हमें यह दिन दिखाए. लोग सुनेंगे तो क्या कहेंगे?’’ मैं पूरी तरह से तिलमिला गई थी.

‘‘मां, समाज और बिरादरी की बात न ही करो तो अच्छा है. वैसे भी आप की दी गई शिक्षा ने मुझे अच्छेबुरे का फर्क तो समझा ही दिया है.

‘‘रोहन उन छिछोरे लड़कों की तरह नहीं है जो सिर्फ मौजमस्ती के लिए लिवइन में रहते हैं और न ही मैं वैसी हूं. हम दोनों एकदूसरे की पढ़ाई में भी मदद करते हैं और कैरियर के प्रति भी हम पूरी तरह से जिम्मेदार हैं.’’

‘‘लेकिन बेटा, कल को अगर रोहन ने तुम्हें छोड़ दिया तो…तुम्हारी मानसिक स्थिति…’’ मैं अपनी बेटी के भविष्य को ले कर कोई सवाल नहीं छोड़ना चाहती थी.

‘‘मां, हम दोनों पतिपत्नी नहीं हैं, इसलिए ‘छोड़ने’ जैसा तो सवाल ही नहीं उठता. और अगर कभी हमारे बीच में कोई प्रौब्लम होगी तो हम एकदूसरे के साथ नहीं रहेंगे और उस के लिए हम दोनों मानसिक रूप से तैयार हैं,’’ स्वाति पूरे आत्मविश्वास से बोल रही थी.

‘‘और यदि तुम दोनों के बीच बने दैहिक संबंधों के कारण…’’ मैं ने हिचकते हुए सब से मुख्य सवाल भी पूछ ही लिया.

‘‘यह महानगर है, मां, तुम चिंता मत करो. मैं ने इस के लिए भी डाक्टर और काउंसलर दोनों से बात कर ली है.’’

‘‘अच्छा, तभी इतनी समझदारी की बात कर रही हो. ठीक है मैं भी जल्दी ही आती हूं तुम्हारे रोहन से मिलने.’’

‘‘सब से बड़ी समझदारी तो आप के संस्कारों और मेरे प्रति आप के विश्वास ने दी है मगर एक बात आप लोग भी याद रखिएगा, मां…कि आप उस से सिर्फ मेरा दोस्त समझ कर मिलिएगा, मेरा पति समझ कर नहीं.’’

स्वाति से बात कर मैं सोफे पर बैठ गई. स्वाति की बातें सुन यह महसूस हो रहा था कि बचपन से ही बच्चों की जड़ों में सुसंस्कारों और मर्यादित आचरण

का खादपानी देना हम मातापिता की जिम्मेदारी है. इन्हीं आदर्शों को स्वयं

में संचित कर ये बच्चे जब अपनी सोचसमझ से कोई निर्णय या अपनी इच्छा के अनुरूप चलना चाहते हैं, तब मातापिता का उन्हें अपना सहयोग देना समझदारी है.

स्वाति के चेहरे पर अब निश्ंिचतता के भाव थे.

बिटिया का पावर हाऊस

अमितजी की 2 संतान हैं, बेटा अंकित और बेटी गुनगुन. अंकित गुनगुन से 6-7 साल बड़ा है.
घर में सबकुछ हंसीखुशी चल रहा था मगर 5 साल पहले अमितजी की पत्नी सरलाजी की तबियत अचानक काफी खराब रहने लगी. जांच कराने पर पता चला कि उन्हें बड़ी आंत का कैंसर है जो काफी फैल चुका है. काफी इलाज कराने के बाद भी उन की हालत में कोई सुधार नहीं हुआ.

जब उन्हें लगने लगा कि अब वे ज्यादा दिन जीवित नहीं रह पाएंगी तो एक दिन अपने पति से बोलीं,”मैं अब ज्यादा दिन जीवित नहीं रहूंगी. गुनगुन अभी 15-16 वर्ष की है और घर संभालने के लिहाज से अभी बहुत छोटी है. मैं अपनी आंख बंद होने से पूर्व इस घर की जिम्मेदारी अपनी बहू को देना चाहती हूं. आप जल्दी से अंकित की शादी करा दीजिए.”

अमितजी ने उन्हें बहुत समझाया कि वे जल्द ठीक हो जाएंगी और जैसा वे अपने बारे में सोच रही हैं वैसा कुछ नहीं होगा. लेकिन शायद सरलाजी को यह आभास हो गया था कि अब उन की जिंदगी की घड़ियां गिनती की रह गई हैं, इसलिए वे पति से आग्रह करते हुए बोलीं, “ठीक है, यदि अच्छी हो जाऊंगी तो बहू के साथ मेरा बुढ़ापा अच्छे से कट जाएगा. लेकिन अंकित के लिए बहू ढूंढ़ने में कोई बुराई तो है नहीं, मुझे भी तसल्ली हो जाएगा कि मेरा घर अब सुरक्षित हाथों में है.”

अमितजी ने सुन रखा था कि व्यक्ति को अपने अंतिम समय का आभास हो ही जाता है. अत: बीमार पत्नी की इच्छा का सम्मान करते हुए उन्होंने अंकित के लिए बहू ढूंढ़ना शुरू कर दिया.

एक दिन अंकित का मित्र आभीर अपनी बहन अनन्या के साथ उन के घर आया. अंकित ने उन दोनों को अपनी मां से मिलवाया. जब तक अंकित और आभीर आपस में बातचीत में मशगूल रहे, अनन्या सरलाजी के पास ही बैठी रही. उस का उन के साथ बातचीत करने का अंदाज, उन के लिए उस की आंखों में लगाव देख कर अमितजी ने फैसला कर लिया कि अब उन्हें अंकित के लिये लड़की ढूंढ़ने की जरूरत नहीं है.

उन्होंने सरलाजी से अपने मन की बात बताई, जिसे सुन कर सरलाजी के निस्तेज चेहरे पर एक चमक सी आ गई.

वे बोलीं, “आप ने तो मेरे मन की बात कह दी.”

अंकित को भी इस रिश्ते पर कोई आपत्ति नहीं थी. दोनों परिवारों की रजामंदी से अंकित और अनन्या की शादी तय हो गई.

शादी के बाद जब मायके से विदा हो कर अनन्या ससुराल आई तो सरलाजी उस के हाथ में गुनगुन का हाथ देते हुए बोलीं,”अनन्या, मैं मुंहदिखाई के रूप में तुम्हें अपनी बेटी सौंप रही हूं. मेरे जाने के बाद इस का ध्यान रखना.”

अनन्या भावुक हो कर बोली, “मम्मीजी, आप ऐसा मत बोलिए. आप का स्थान कोई नहीं ले सकता.”

“बेटा, सब को एक न एक दिन जाना ही है, लेकिन यदि तुम मुझे यह वचन दे सको कि मेरे जाने के बाद तुम गुनगुन का ध्यान रखोगी, तो मैं चैन से अंतिम सांस ले पाऊंगी.”

“मांजी, आप विश्वास रखिए. आज से गुनगुन मेरी ननद नहीं, मेरी छोटी बहन है.”

बेटे के विवाह के 1-2 महीने के अंदर ही बीमारी से लड़तेलड़ते सरलाजी की मृत्यु हो गई. अनन्या हालांकि उम्र में बहुत बड़ी नहीं थी लेकिन उस ने अपनी सास को दिया हुआ वादा पूरे मन से निभाया. उस ने गुनगुन को कभी अपनी ननद नहीं बल्कि अपनी सगी बहन से बढ़ कर ही समझा.

बड़ी होती गुनगुन का वह वैसे ही ध्यान रखती जैसे एक बड़ी बहन अपनी छोटी बहन का रखती है.

वह अकसर गुनगुन से कहती, “गुनगुन, बड़ी भाभी, बड़ी बहन और मां में कोई भेद नहीं होता.”

गुनगुन के विवाह योग्य होने पर अंकित और अनन्या ने उस की शादी खूब धूमधाम से कर दी. विवाह में कन्यादान की रस्म का जब समय आया, तो अमितजी ने मंडप में उपस्थित सभी लोगों के सामने कहा,”कन्यादान की रस्म मेरे बेटेबहू ही करेंगे.”

विवाह के बाद विदा होते समय गुनगुन अनन्या से चिपक कर ऐसे रो रही थी जैसे वह अपनी मां से गले लग कर रो रही हो. ननदभाभी का ऐसा मधुर संबंध देख कर विदाई की बेला में उपस्थित सभी लोगों की आंखें खुशी से नम हो आईं.

गुनगुन शादी के बाद ससुराल चली गई. दूसरे शहर में ससुराल होने के कारण उस का मायके आना अब कम ही हो पाता था. उस का कमरा अब खाली रहता था लेकिन उस की साजसज्जा, साफसफाई अभी भी बिलकुल वैसी ही थी जैसे लगता हो कि वह अभी यहीं रह रही हो. अंकित के औफिस से लौटने के बाद अनन्या अपने और अंकित के लिए शाम की चाय गुनगुन के कमरे में ही ले आती ताकि उस कमरे में वीरानगी न पसरी रहे और उस की छत और दीवारें भी इंसानी सांसों से महकती रहे.

एक दिन पड़ोस में रहने वाले प्रेम बाबू अमितजी के घर आए. बातोंबातों में वे उन से बोले, “आप की बिटिया गुनगुन अब अपने घर चली गई है, उस का कमरा तो अब खाली ही रहता होगा. आप उसे किराए पर क्यों नहीं दे देते? कुछ पैसा भी आता रहेगा.”

यह बातचीत अभी हो ही रही थी कि उसी समय अनन्या वहां चाय देने आई. ननद गुनगुन से मातृतुल्य प्रेम करने वाली अनन्या को प्रेम बाबू की बात सुन कर बहुत दुख हुआ. वह उन से सम्मानपूर्वक किंतु दृढ़ता से बोलीं,”अंकल, क्या शादी के बाद वही घर बेटी का अपना घर नहीं रह जाता जहां उस ने चलना सीखा हो, बोलना सीखा हो और जहां तिनकातिनका मिल कर उस के व्यक्तित्व ने साकार रूप लिया हो.

“अकंल, बेटी पराया धन नहीं बल्कि ससुराल में मायके का सृजनात्मक विस्तार है. शादी का अर्थ यह नहीं है कि उस के विदा होते ही उस के कमरे का इंटीरियर बदल दिया जाए और उसे गैस्टरूम बना दिया जाए या चंद पैसों के लिए उसे किराए पर दे दिया जाए.”

“बहू, तुम जो कह रही हो, वह ठीक है. लेकिन व्यवहारिकता से मुंह मोड़ लेना कहां की समझदारी है?”

“अंकल, रिश्तों में कैसी व्यवहारिकता? रिश्ते कंपनी की कोई डील नहीं है कि जब तक क्लाइंट से व्यापार होता रहे तब तक उस के साथ मधुर संबंध रखें और फिर संबंधों की इतिश्री कर ली जाए. व्यवहारिकता का तराजू तो अपनी सोच को सही साबित करने का उपक्रम मात्र है.”

तब प्रेम बाबू बोले,”लेकिन इस से बेटी को क्या मिलेगा?”

”अंकल, मायका हर लड़की का पावर हाउस होता है जहां से उसे अनवरत ऊर्जा मिलती है. वह केवल आश्वस्त होना चाहती है कि उस के मायके में उस का वजूद सुरक्षित है. वह मायके से किसी महंगे उपहार की आकांक्षा नहीं रखती और न ही मायके से विदा होने के बाद बेटियां वहां से चंद पैसे लेने आती हैं बल्कि वे हमें बेशकीमती शुभकामनाएं देने आती हैं, हमारी संकटों को टालने आती हैं, अपने भाईभाभी व परिवार को मुहब्बत भरी नजर से देखने आती हैं.

“ससुराल और गृहस्थी के आकाश में पतंग बन उड़ रही आप की बिटिया बस चाहती है कि विदा होने के बाद भी उस की डोर जमीन पर बने उस घरौंदे से जुड़ी रहें जिस में बचपन से ले कर युवावस्था तक के उस के अनेक सपने अभी भी तैर रहे हैं. इसलिए हम ने गुनगुन का कमरा जैसा था, वैसा ही बनाए रखा है. यह घर कल भी उन का था और हमेशा रहेगा.”

प्रेम बाबू बोले, “लेकिन कमरे से क्या फर्क पड़ता है? मायके आने पर उस की इज्जत तो होती ही है.”

अनन्या बोली, “अंकल, यही सोच का अंतर है. बात इज्जत की नहीं बल्कि प्यार और अपनेपन की है. लड़की के मायके से ससुराल के लिए विदा होते ही उस का अपने पहले घर पर से स्वाभाविक अधिकार खत्म सा हो जाता है. इसीलिए विवाह के पहले प्रतिदिन स्कूलकालेज से लौट कर अपना स्कूल बैग ले कर सीधे अपने कमरे में घुसने वाली वही लड़की जब विवाह के बाद ससुराल से मायके आती है, तो अपने उसी कमरे में अपना सूटकेस ले जाने में भी हिचकिचाती है, क्योंकि दीवारें और छत तो वही रहती हैं मगर वहां का मंजर अब बदल चुका होता है. लेकिन उसी घर का बेटा यदि दूसरे शहर में अपने बीबीबच्चों के साथ रह रहा हो, तो भी यह मानते हुए कि यह उस का अपना घर है उस का कमरा किसी और को नहीं दिया जाता. आखिर यह भेदभाव बेटी के साथ ही क्यों, जो कुछ दिन पहले तक घर की रौनक होती है?

“यदि संभव हो, तो बिटिया के लिए भी उस घर में वह कोना अवश्य सुरक्षित रखा जाना चाहिए, जहां नन्हीं परी के रूप में खिलखिलाने से ले कर एक नई दुनिया बसाने वाली एक नारी बनने तक उस ने अपनी कहानी अपने मापिता, भाईबहन के साथ मिल कर लिखा हो.”

हर लड़की की पीड़ा को स्वर देती हुई अनन्या की दर्द में डूबी बात को सुन कर राम बाबू को एकबारगी करंट सा लगा.

उन्हें पिछले दिनों अपने घर में घटित घटनाक्रम की याद आ गई, जब उन की बेटी अमोली अपने मायके आई थी.

वे बोले,”बहू, तुम ने मेरी आंखें खोल दीं. परसों मेरी बिटिया अमोली ससुराल से मायके आई थी. यहां आने के बाद उस का सामान उस के अपने ही घर के ड्राइंगरूम में काफी देर ऐसे पड़ा रहा, जैसे वह अमोली का नहीं बल्कि किसी अतिथि का सामान हो. ‘बेटा अपना, बेटी पराई’ जैसी बात को बचपन से अबतक सुनते आए हमारी मनोभूमि वैसी ही बन जाती है और इसी भाव ने अमोली को कब चुपके से घर की सदस्य से अपने ही घर में अतिथि बना दिया, उस मासूम को पता ही नहीं चला. पता नहीं क्यों, मैं ने उस का कमरा किसी और को क्यों दे दिया? यदि गुनगुन की तरह अमोली का कमरा भी उस के नाम सुरक्षित रहता तो वह भी पहले की भांति सीधे अपने कमरे में जाती जैसे कालेज ट्रिप से आने के बाद वह सीधे अपने कमरे में अपनी दुनिया में चली जाती थी,” यह बोलते हुए उन की आंखें भर आईं और गला अवरुद्ध हो गया. वे रुमाल से अपना चश्मा साफ करने लगे.

अनन्या तुरंत उन के लिए पानी का गिलास ले आई. पानी पी कर गला साफ करते हुए राम बाबू बोले, “बहू, उम्र में इतनी छोटी होने पर भी तुम ने मुझे जिंदगी का एक गहरा पाठ पढ़ा दिया. मैं तुम्हारा शुक्रिया कैसे अदा करूं…”

अनन्या बोली, “अंकल, यदि आप मुझे शुभकामनाएं स्वरूप कुछ देना चाहते हैं तो आप घर जा कर अमोली से कहिए कि तुम अपने कमरे को वैसे ही सजाओ, जैसे तुम पहले किया करती थी. मैं आज बचपन वाली अमोली से फिर से मिलना चाहता हूं. यही मेरे लिए आप का उपहार होगा.”

प्रेम बाबू बोले, “बेटा, जिस घर में तुम्हारे जैसी बहू हो, वहां बेटी या ननद को ही नहीं बल्कि हर किसी को रहना पसंद होगा और आज से अमोली का पावर हाऊस भी काम करने लगा है, वह उसे निरंतर ऊर्जा देता रहेगा.”

प्रेम बाबू की बात को सुन कर अमितजी और अनन्या मुसकरा पड़े. खुशियों के इन्द्रधनुष की रुपहली आभा अमितजी के घर से प्रेम बाबू के घर तक फैल चुकी थी.

टमाटर से बने इन 6 फेस पैक से पाएं इंस्टैंट ग्लो

टमाटर जो आपको हर घर की किचन में मिल जाएगा. क्योंकि टमाटर खाने के स्वाद को कई गुणा बढ़ाने का काम जो करता है. यहीं नहीं बल्कि लोग इसे सलाद व टमाटर की चटनी के रूप में भी बड़े चाव से खाते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि जो टमाटर सब्जियों की जान होता है वो स्किन में भी नई जान डालने का काम करता है. क्योंकि टमाटर में हर तरह की स्किन प्रोब्लम का सोलूशन जो छुपा है . तो जानते हैं इस संबंद में ब्यूटी एक्सपर्ट अंजलि से कि टमाटर से कैसेकैसे पैक बनाकर किन किन तरह की स्किन प्रोब्लम्स से छुटकारा पा सकते हैं.

1. टोमेटो फेस पैक फॉर टैनिंग

चेहरे की बात हो या फिर हाथ पैरों की , टैनिंग न चाहते हुए भी हो ही जाती है. क्योंकि जब भी हम सनस्क्रीन के बिना बाहर निकलते हैं तो सूर्य की अल्ट्रा वायलेट किरणों के संपर्क में आने से हमारी स्किन टेन हो ही जाती है. जो हमारे रंग पर असर डालती है. ऐसे में अगर इसका समय रहते ट्रीटमेंट नहीं किया जाता तो ये समस्या बढ़ भी सकती है. ऐसे में आपको महंगे ट्रीटमेंट नहीं बल्कि घर पर ही टमाटर से टैनिंग को रिमूव करने वाला फेसपैक बनाना होगा.

कैसे बनाएं

– आप एक टमाटर को काट कर बाउल में उसका रस निकाल लें. फिर इसमें कुछ बूंदे नींबू के रस की मिला लें. और आधा चम्मच के करीब ताजा दही मिलाकर इसका स्मूद पेस्ट तैयार करें और फिर इसे चेहरे पर अप्लाई करके 10 मिनट के लिए छोड़ दें और धो लें. ऐसा अगर आप रोजाना करेंगे तो यकीन मानिए आपकी स्किन से सारी टैनिंग गायब हो जाएगी और आपके चेहरे पर ग्लो भी आ जाएगा. क्योंकि इनमें ब्लीचिंग प्रोपर्टीज होने के साथ स्किन को नौरिश करने वाली प्रोपर्टीज होती हैं , जो टैनिंग को रिमूव करने के साथ स्किन पर चमक लाने का काम करती हैं.

2. फेस पैक फॉर डार्क स्पोट्स

चेहरे पर दाग धब्बे किसे पसंद होते हैं. लेकिन विभिन कारणों से दाग धब्बे हो ही जाते हैं. अकसर हाइपर पिगमेंटेशन की स्तिथि में ऐसा होता है. क्योंकि तब स्किन ज्यादा मेलेनिन उत्पन करने लगती है. जिससे स्किन डार्क दिखने के साथ साथ स्किन पर पैचेज नजर आने शुरू हो जाते हैं. लेकिन टमाटर का पैक इस समस्या से निजात दिलवाने का काम करता है.

कैसे बनाएं

– आप एक बाउल में टमाटर के गूदे को लेकर उसमें कुछ बूंदे नींबू के रस की डालें, फिर इस पेस्ट को अच्छे से मिलाते हुए चेहरे पर अप्लाई कर लें. कम से कम इस पैक को आप अपने चेहरे पर 15 मिनट अप्लाई करें और फिर सूखने के बाद धो लें. धीरे धीरे स्किन से डार्क स्पोट्स हलके होकर गायब होने लगेंगे. क्योंकि टमाटर में उच्च मात्रा में मौजूद लीकोपेन नामक तत्व स्पोर्टस को हलका करने का काम करता है , वहीं नींबू में विटामिंग सी स्किन पर ग्लो लाने के साथ साथ दाग धब्बे को कम करने में अहम रोल निभाता है. आप इस पैक को हफ्ते में 4 दिन जरूर अप्लाई करें.

3. पैक फोर ऑयली स्किन

अगर आपकी स्किन ऑयली है, जिसके कारण आप अपने चेहरे की चिपचिपाहट से परेशान हैं साथ ही आपको एक्ने की भी प्रोब्लम है तो आप परेशान न हो और न ही क्रीम्स के भरोसे रहें बल्कि हम आपको बताते हैं आसान सा पैक , जिसे आप मिनटों में बनाकर ऑयली स्किन के साथ साथ एक्ने से भी छुटकारा पा लेंगी.

कैसे बनाएं

– आप एक बाउल में 2 बड़े चम्मच टमाटर के रस में 1 बड़ा चम्मच खीरे के रस की ऐड करें. फिर इस पेस्ट को कॉटन की मदद से चेहरे पर अप्लाई करें. इस पैक को चेहरे पर 15 मिनट के लिए लगा छोड़ दें और धो लें. कुछ ही दिनों में आपकी स्किन ऑयली से नोर्मल हो जाएगी. लेकिन आपको कुछ महीनों तक इसे हफ्ते में 3 बार जरूर अप्लाई करना होगा. बता दें कि टमाटर व खीरे में एस्ट्रिंजेंट प्रोपर्टीज होने के कारण ये स्किन को क्लीन कर पोर्स को टाइट करता है, जिससे एक्ने की प्रोब्लम नहीं होती है.

4. चेहरे पर ग्लो लाने के लिए पैक

चेहरे पर ग्लो कौन नहीं चाहता , लेकिन पोलुशन व सही ढंग से स्किन की केयर नहीं करने के कारण धीरे धीरे स्किन से ग्लो खत्म होने लगता है. जिसके कारण न तो हमें अपनी स्किन से प्यार रह जाता है और न ही हमें अपने रूखे से चेहरे को देखकर कुछ पहनने को मन करता है. क्योंकि अगर चेहरा सुंदर हो तो सब कुछ अच्छा लगता है. वरना सारा लुक ही खराब हो जाता है. ऐसे में चेहरे पर इंस्टेंट ग्लो लाने के लिए टमाटर का पैक बेस्ट है.

कैसे बनाएं

– आप 3 बड़े चम्मच टमाटर के रस में चुटकी भर हलदी मिलाकर पेस्ट तैयार करें. फिर इसे चेहरे पर लगाकर 20 मिनट के लिए छोड़ दें. ड्राई होने के बाद अच्छे से चेहरे को धो लें. इस पैक को आप हफ्ते में 2 बार जरूर अप्लाई करें. आपको चेहरे पर फेसिअल जैसा ग्लो नजर आने लगेगा. क्योंकि हलदी में एंटीओक्सीडैंट्स और एंटी इन्फ्लैमटॉरी प्रोपर्टीज होने के कारण ये स्किन पर ग्लो लाने का काम करती है, वहीं टमाटर में विटामिन सी होता है, जो स्किन ब्राइटनिंग का काम करता है. तो हुआ न इंस्टेंट ग्लो लाने वाला पैक.

5. ब्लैक हेड्स के लिए पैक

अकसर देखा जाता है कि जब भी हम अपनी स्किन की केयर करना छोड़ देते हैं या फिर गलत कास्मेटिक प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करते हैं तो स्किन पर ब्लैक हेड्स की समस्या उत्पन हो जाती है. क्योंकि रोम छिद्रों में गंदगी जमा जो हो जाती है. जिसे स्किन की प्रोपर केयर व पैक से कुछ ही हफ्तों में निजात पाया जा सकता है.

कैसे बनाएं

– 3 बड़े चम्मच टमाटर के रस में एक बड़ा चम्मच दही के साथ 1 बड़ा चम्मच ओट्स को अच्छे से मिलाकर पेस्ट तैयार करें. जब पेस्ट तैयार हो जाए तो इसे चेहरे पर 10 मिनट के लिए लगाकर छोड़ दें और फिर चेहरे को धो लें. इस पैक को हफ्ते में 3 बार लगाने से महीने भर में आपको ब्लैक हेड्स की समस्या से छुटकारा मिल जाएगा. क्योंकि ओट्स में स्किन से गंदगी को हटाने वाली प्रोपर्टीज होती हैं , जो ब्लैकहेड्स का कारण बनता है. वहीं टमाटर में एसिडिक प्रोपर्टीज होने के कारण ये ओपन पोर्स के साइज को छोटा करके ब्लैक हेड्स को होने से रोकता है. तो दही में लैक्टिक एसिड और ज़िंक होने के कारण ये ब्लैकहेड्स, दाग घब्बों को हटाने में सक्षम है.

6. ड्राई स्किन की प्रोब्लम को बाए कहने वाला पैक

बदलते मौसम, ज्यादा गरम पानी से नहाने, कम पानी पीने , हार्मोनल चैंजेस व घटिया ब्यूटी प्रोडक्ट्स के इस्तेमाल से ड्राई स्किन की प्रोब्लम हो जाती है, जिससे स्किन हमेशा रूखी रूखी व खिची हुई नजर आती है. और साथ ही ड्राई स्किन के कारण स्किन पर ग्लो भी नहीं रहता. ऐसे में आपके लिए टमाटर का पैक बेस्ट साबित होगा.

कैसे बनाएं

– बाउल में आप 3 बड़े चम्मच टमाटर के रस में एक बड़ा चम्मच बादाम के तेल की डालकर पेस्ट बनाएं. फिर इस पेस्ट को 20 – 25 मिनट के लिए फेस पर लगा छोड़ दें और फिर धो लें. इससे आपकी स्किन में मोइस्चर वापिस आने लगेगा. ऐसा आप हफ्ते में 3 बार करें. बता दें कि बादाम के तेल को सदियों से स्किन की डॉयनेस को दूर करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है.

टूट गया अंगूरी भाभी का 19 साल का रिश्ता, पति से अलग हुईं एक्ट्रेस शुभांगी अत्रे

‘भाबी जी घर पर है’ की अंगूरी भाभी यानी एक्ट्रेस शुभांगी अत्रे शादी के 19 साल के बाद अपने पति पीयूष पूरी से अलग हो गईं हैं. दोनों लगभग एक साल से साथ नहीं रह रहे हैं और कहा जा रहा है कि अब दोनों में सुलह होने की संभावना काफी कम है. शुभांगी और पियूष की एक बेटी भी है. दोनों ने साल 2003 में शादी की थी. शुभांगी के पति पियूष डिजिटल मार्केटिंग फील्ड में काम करते हैं. इन दोनों की शादी इंदौर में हुईं थी, जहां उनका परिवार रहता है. एक इंटरव्यू में शुभांगी ने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा कि लगभग एक साल हो गया है, हम साथ नहीं रह रहे हैं. पीयूष और मैंने अपनी शादी को बचाने की पूरी कोशिश की. आपसी सम्मान, विश्वास और दोस्ती एक मजबूत शादी की नींव होती है.

 

 

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बहुत की रिश्ता बचाने की कोशिश

शुभांगी ने कहा, “हालांकि, हमें ये एहसास हुआ कि हम अपने मतभेदों को हल नहीं कर सकते और इसलिए दोनों ने एक-दूसरे को स्पेस देने और अपने व्यक्तिगत जीवन और करियर पर ध्यान देने का फैसला लिया.” एक्ट्रेस के लिए इस निर्णय तक पहुंचना आसान नहीं था. उन्होंने कहा, “ये अभी भी मुश्किल है. मेरा परिवार मेरी हाईएस्ट प्रायोरिटी है और हम सभी चाहते हैं कि हमारा परिवार हमारे आसपास हो. लेकिन कुछ नुकसान मरम्मत से परे हैं. जब इतने सालों का रिश्ता टूटता है तो यह आपको मेंटली और फिजिकली प्रभावित करता है.

 

 

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मां के साथ रहती हैं बेटी

हालांकि शुभांगी और पियूष ने ये तय किया है कि उनकी 18 साल की बेटी आशी के लिए दोनों आपस में कोई रंजिश नहीं रखेंगे. क्योंकि उसे माता और पिता दोनों का प्यार मिलना चाहिए. वो अपनी मां के साथ रहती हैं और उसके पापा उसे हर रविवार मिलने आते हैं. अंगूरी भाभी के किरदार के बाद शुभांगी अत्रे फिर एक बार लाइम लाइट में आईं. उन्होंने कसौटी जिंदगी की से अपने करियर की शुरुआत की थी.

परिवार संग खेली होली फिर हुई बेचैनी, 66 साल की उम्र सतीश कौशिक का हार्ट अटैक से निधन

बॉलीवुड के जाने-माने एक्टर और डायरेक्टर सतीश कौशिक की निधन की खबर ने फैंस को भावुक कर दिया है. सतीश कौशिक का 66 साल की उम्र में हार्ट अटैक की वजह से निधन हो गया है. सतीश कौशिक की निधन की खबर ने बॉलीवुड स्टार्स को दुखी कर दिया है. अब सतीश कौशिक के अंतिम संस्कार से जुड़ी खबर सामने आ रही है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक एक्टर और डायरेक्टर सतीश कौशिक का अंतिम संस्कार आज दोपहर 3 बजे के बाद होगा. सतीश कौशिक के निधन के बाद उनके फैंस दुखी नजर आ रहे हैं.

 

 

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पोस्टमॉर्टम के बाद होगा अंतिम संस्कार

सतीश कौशिक के निधन की खबर सामने आने के बाद बॉलीवुड में शोक की लहर दौड़ गई है. सतीश कौशिक को बॉलीवुड स्टार्स सोशल मीडिया पर श्रद्धांजलि देते हुए नजर आ रहे हैं. इसी बीच सतीश कौशिक के अंतिम संस्कार को लेकर खबर सामने आ रही है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक एक्टर का आज दोपहर 3 बजे अंतिम संस्कार होगा. अभी उनके शव को पोस्टमॉर्टम के लिए दीनदयाल अस्पताल ले जाया गया। इसके बाद शव को मुंबई लाया जाएगा. जहां उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा. सतीश के कौशिक के अंतिम दर्शन करने के लिए कई बॉलीवुड स्टार्स पहुंच सकते है.

 

 

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होली सेलिब्रेशन के दौरान हुई दिक्कत

एक्टर और डायरेक्टर सतीश कौशिक होली सेलिब्रेशन के लिए दिल्ली गए थे. इसी दौरान उन्हें बेचैनी महसूस हुई, जिसके बाद सतीश कौशिक को फोर्टिस अस्पताल में भर्ती कराया गया था. एक्टर सतीश कौशिक के निधन की खबर अनुपम खेर ने सोशल मीडिया पर ट्वीट शेयर की दी थी. सतीश कौशिक ने बॉलीवुड की कई फिल्मों में अपनी एक्टिंग का जलवा दिखाया था. वो एक डायरेक्टर के साथ-साथ एक जाने-माने एक्टर भी थे. सतीश कौशिक को लेकर आपकी क्या राय है, कमेंट कर के हमें जरूर बताएं. आप सतीश कौशिक को कैसे याद कर रहे हैं.

घर पर ऐसे बनाएं सरसो पालक कटलेट, बेसन बाटी और चावल की बड़ी

बच्चों के लिए घर पर कुछ टेस्टी और हेल्दी बनाना मुश्किल का काम है. लेकिन आज हम आपको सरसों पालक कटलेट की रेसिपी बताएंगे, जिसे आसानी से बनाकर आप अपने फैमिली को खिलाकर तारीफें पा सकती हैं.

1- सरसों पालक के कटलेट

सामग्री

–  2 कप पालक कटा

–  2 कप सरसों कटी

–  1 छोटा टुकड़ा अदरक

–  1 हरीमिर्च कटी

–  2 ब्रैडस्लाइस

–  1/2 कप पनीर

–  2 बड़े चम्मच मक्खन

– नमक स्वादानुसार.

विधि

पालक और सरसों को स्टीम कर लें. फिर इसे अदरक और हरीमिर्च के साथ मिक्सी में पीस लें. ब्रैडस्लाइस का मिक्सी में चूरा कर लें. फिर ब्रैड चूरा, पनीर, पालक व सरसों का पेस्ट और नमक मिला लें. टिकियां बना कर गरम तवे पर मक्खन के साथ दोनों तरफ से सेंक कर सौस के साथ गरमगरम परोसें.

2- बेसन की बाटी

सामग्री

– 11/2 कप बेसन

– 1/2 कप मक्के का आटा

–  2 बड़े चम्मच घी

–  1/2 कप पनीर

–  1 हरीमिर्च कटी

– 1 बड़ा चम्मच धनियापत्ती कटी

–  तलने के लिए तेल

–  नमक स्वादानुसार.

विधि

मक्के के आटे को छान कर बेसन, घी और नमक मिला कर गूंध लें. उबलते पानी में आटे की लोइयां बना कर 8-10 मिनट पकाएं. पानी से निकाल कर अच्छी तरह मसल कर छोटीछोटी बौल्स बनाएं. पनीर को मसल कर उस में धनियापत्ती, हरीमिर्च और नमक मिलाएं. आटे की छोटीछोटी बौल्स के बीच पनीर का मिश्रण भर कर अच्छी तरह बंद कर गरम तेल में सुनहरा होने तक तलें, सरसों के साग के साथ सर्व करें.

3- चावल की बड़ी

सामग्री

– 1 कप चावल

–  1 हरीमिर्च

–  1/2 कप फूलगोभी कसी

–  1/2 चम्मच अदरक कसा

–  2 बड़े टमाटर

– 1/4 चम्मच हलदी

–  1/4 चम्मच जीरा

– 1 चम्मच धनिया पाउडर

– 1/4 चम्मच गरममसाला

– 1/4 चम्मच लालमिर्च पाउडर

– चुटकीभर हींग

– 1 बड़ा चम्मच घी

– तलने के लिए तेल

–  1 बड़ा चम्मच धनियापत्ती कटी

–  नमक स्वादानुसार.

विधि

चावलों को पानी में 1/2 घंटा भिगो कर महीन पीस लें. फिर इस में अदरक, फूलगोभी, हरीमिर्च और नमक मिला कर अच्छी तरह फेंट लें. कड़ाही में तेल गरम कर मिश्रण की छोटीछोटी बडि़यां बना कर तल लें. एक कड़ाही में घी गरम कर जीरा, हलदी, धनिया पाउडर, लालमिर्च पाउडर और हींग डालें. इस में टमाटरों को मिक्सी में पीस कर डाल अच्छी तरह भून लें. 1 कप पानी और बडि़यां डाल कर 8-10 मिनट हलकी आंच पर पकने दें. फिर धनियापत्ती डाल कर परांठों के साथ परोसें.

मेरी उम्र 28 साल है, 1-2 महीनों से पीठ के दर्द ने परेशान कर रखा है, कृपया बताएं इस से कैसे छुटकारा पाऊं?

सवाल

मेरी उम्र 28 साल है. 1-2 महीनों से पीठ के दर्द ने परेशान कर रखा है. घर का काम करने और ?ाकने में अब बहुत मुश्किल होती है. कृपया बताएं इस से कैसे छुटकारा पाऊं?

जवाब

इस प्रकार का पीठ का दर्द रीढ़ की हड्डी में आए खिंचाव और दबाव के कारण होता है. मरहम लगाने और आराम करने से दर्द में राहत मिलेगी. एक सक्रिय जीवनशैली के साथ संतुलित आहार और बैठनेचलने और ?ाकने के दौरान सतर्कता के साथ इस दर्द से छुटकारा पाया जा सकता है. रीढ़ को प्रभावित होने से रोकना चाहती हैं तो एक मुद्रा में बहुत देर तक खड़ी या बैठी न रहें. प्रैस करनेबरतन धोने व खाना बनाने आदि कामों के लिए पीठ और गरदन ?ाकानी पड़ती हैइसलिए अपने शरीर के पोस्चर पर ध्यान दें. यदि यह दर्द गंभीर है और आराम के बाद भी ठीक न हो या बारबार दर्द की शिकायत हो तो जांच अवश्य कराएं. समय पर इलाज से समस्या पूरी तरह ठीक हो जाएगी.

ब्रैस्ट फीडिंग मां और बच्चे के लिए क्यों है सही

इन दिनों कितने ही आधुनिक कपल्‍स अपने-अपने पेशेवर जीवन में इतने व्‍यस्‍त होते हैं कि वे पैरेंट्स बनने का फैसला लंबे समय तक टालते रहते हैं लेकिन आखिरकार जब वे ऐसा करने के लिए तैयार होते हैं तो बढ़ती उम्र एक बड़ी बाधा के रूप में उनकी चुनौतियां बढ़ाती है।

वर्ल्‍ड हैल्‍थ ऑर्गेनाइज़ेशन के अनुसार, भारत में करीब 3.9 से 16.8 प्रतिशत कपल्‍स को प्राइमरी इन्‍फर्टिलिटी की समस्‍या पेश आती है। नतीजा यह होता कि ये आधुनिक कपल्‍स जब गर्भधारण की ओर बढ़ते हैं, तो उनकी परेशानियों के समाधान के लिए कई नई तकनीकें और आधुनिक फर्टिलिटी इलाज पद्धतियां जैसे कि आईवीएफ, आईयूआई, एम्‍ब्रयो फ्रीज़‍िंग और ऍग फ्रीज़‍िंग वगैरह उनके सामने विकल्‍प के तौर पर उपलब्‍ध होते हैं। ये उपचार उन कपल्‍स के लिए जोखिम-मुक्‍त विकल्‍प साबित होते हैं जो देरी से पैरेंटहुड की तरफ कदम बढ़ाना चाहते हैं।

डॉ रम्‍या मिश्रा, सीनियर कंसल्‍टैंट – इन्‍फर्टिलिटी एवं आईवीएफ, अपोलो फर्टिलिटी (लाजपत नगर, नई दिल्‍ली) का कहना है-

हाल के समय में ऍग फ्रीज़ करवाने का विकल्‍प काफी लोकप्रिय हो चुका है। अब कई महिलाएं उम्र के उस मोड़ पर ही अपने ऍग्‍स फ्रीज़ करवाना पसंद करती हैं जब वे रिप्रोडक्टिव उम्र में होती हैं और गर्भधारण का फैसला बाद के लिए छोड़ देती हैं ताकि वे तब उसे चुन सकें जब वे इसके लिए तैयार हों। लेकिन कई बार ऐसा भी होता है कि सामाजिक कारणों की वजह से बहुत सी महिलाएं अपने ऍग फ्रीज़ नहीं करवा पाती हैं, कुछ ऐसा मेडिकल कारणों के चलते करती हैं। कई बार कैंसर के उपचार के लिए इस्‍तेमाल होने वाली कुछ थेरेपी जैसे कि कीमोथेरेपी और रेडिएशन वगैरह महिलाओं के डिंबों को नुकसान पहुंचा सकती हैं। इसलिए भविष्‍य में गर्भधारण को आसान बनाने के लिए महिलाओं को कैंसर उपचार शुरू करने से पहले ही भविष्‍य के लिए अपने डिंबों को सुरक्षित करवाने की सलाह दी जाती है।

क्‍या हैं डिंब सुरक्षित (फ्रीज़) करवाने के लाभ 

महिलाओं के शरीर में बनने वाले संभावित डिंबों की संख्‍या जिन्‍हें फॉलिक्‍स कहा जाता है, सीमित होती है, और यह एक से दो मिलियन के बीच होती है। जैसे-जैसे महिलाओं की उम्र बढ़ती है, उनकी डिंब कोशिकाओं की संख्‍या घटती है, और इस वजह से गर्भधारण अधिक चुनौतीपूर्ण होता है। लेकिन यदि किसी महिला ने अपने प्रजननकाल में समय से डिंबों को सुरक्षित (फ्रीज़) करवाया होता है तो वे उम्र के बाद के पड़ाव में भी आसानी से गर्भधारण कर सकती हैं।

डिंब सुरक्षित करवाने की प्रक्रिया में डिंबग्रंथियों (ओवरीज़) को होर्मोनों से उत्‍प्रेरित किया जाता है ताकि वे एक बाद में काफी अधिक संख्‍या में डिंबों का निर्माण करें, और इन डिंबों को डिंबग्रंथियों से निकालकर लैब में भेजा जाता है जहां इन्‍हें शून्‍य से कम तापमान पर सुरक्षित तरीके से स्‍टोर किया जाता है। इस प्रकार इन फ्रीज़ किए गए डिंबों को बाद में, जबकि महिला गर्भधारण के लिए तैयार हो, इस्‍तेमाल किया जा सकता है।

क्‍या है डिंब फ्रीज़ (ऍग फ्रीज़ींग) करवाने की सही उम्र 

इसमें कोई दो राय नहीं है कि जैसे-जैसे महिलाओं और पुरुषों की उम्र बढ़ती है, उनकी फर्टिलिटी भी उसी हिसाब से कम होने लगती है। वे 20 से 30 की उम्र में सर्वाधिक उर्वर/प्रजननयोग्‍य (फर्टाइल) होते हैं लेकिन उम्र के तीसवें वसंत के बाद उनकी प्रजनन क्षमता प्रभावित होने लगती हैं और यही कारण है कि उसके बाद गर्भधारण में अधिक जटिलताएं और दिक्‍कतें पेश आती हैं।

आधुनिक दौर में कपल्‍स की जरूरतों के मद्देनज़र, कई तरह के फर्टिलिटी ट्रीटमेंट्स सामने आ चुके हैं। ऍग फ्रीज़ करवाना ऐसा ही एक तरीका है जिसमें महिलाएं अपने डिंबों को सुरक्षित रखवती हैं और बाद में जब वे तैयार होती हैं तो उनकी मदद से गर्भधारण करती हैं। इसमें कोई शक नहीं है कि ऍग फ्रीज़‍िग की सही उम्र और भविष्‍य में गर्भधारण की कामयाबी के बीच सीधा संबंध है। किसी भी महिला के लिए ऐसा करवाने की आदर्श उम्र उसके रिप्रोडक्टिव वर्ष होते हैं। आमतौर पर, उम्र के तीसरे दशक के शुरुआती वर्षों को इस लिहाज़ से आदर्श माना जाता है जबकि महिलाएं आमतौर से सबसे अधिक उर्वर होती हैं और जैसे-जैसे वे उम्र के चौथे दशक के अंतिम चरण में पहुंचती हैं, उनकी फर्टिलिटी कमज़ोर पड़ने लगती है और तब उनकी डिंबग्रंथि में बनने वाले डिंबों की संख्‍या और गुणवत्‍ता दोनों प्रभावित हो चुके होते हैं। लेकिन अधिक उम्र में भी प्रेगनेंसी के लिए, अक्‍सर तीस साल की उम्र से पहले डिंबों को सुरक्षित करवाने की सलाह दी जाती है।

डिंबों को फ्रीज़ करवाना:

अधिक उम्र होने पर गर्भधारण का अधिक सेहतमंद विकल्‍प
आज के दौर में, इन्‍फर्टिलिटी एक दर्दनाक सच्‍चाई बन चुकी है जिससे कई आधुनिक कपल्‍स गुजरते हैं। लेकिन टैक्‍नोलॉजी के क्षेत्र में प्रगति होने से कई नए रिप्रोडक्टिव ट्रीटमेंट्स उपलब्‍ध हो चुके हैं, जो इन्‍फर्टिलिटी की चुनौती से उबारते हैं। ऐसा ही एक जोखिमरहित तरीका है डिंबों को फ्रीज़ करवाना जिससे अधिक उम्र में हैल्‍दी प्रेगनेंसी संभव होती है। महिलाएं अपनी व्‍यस्‍त जीवनशैली के मद्देनज़र, रिप्रोडक्टिव उम्र में अपने डिंबों को सुरक्षित (फ्रीज़) करवा सकती हैं और बाद में जब भी वे अपना परिवार शुरू करना चाहें, तब इनका इस्‍तेमाल किया जा सकता है। इस विकल्‍प्‍ के बारे में और जानकारी के लिए अपने फर्टिलिटी एक्‍सपर्ट से मिलें और ऍग-फ्रीज़‍िंग की प्‍लानिंग करें.

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