मीठी परी: भाग 1- सिम्मी और ऐनी में से किसे पवन ने अपनाया

प्रकृति की अद्भुत देन नर और मादा न होते तो इस संसार का विकल्प कुछ और ही होता. स्त्रीपुरुष की देन के साथ कितना कुछ जुड़ा है- दिमाग की सोचविचार, भाषा, भंगिमा, प्रेम प्रदर्शन, दिशा, सहमति, समर्पण, उत्पत्ति, आनंद आदि. जन्मदात्री स्त्री का तो हृदय परिवर्तन ही हो जाता है जब वह अपने शरीर से उपजे नन्हे शरीर को पहली बार छूती है. पनपती है एक अनुभूति ममता.

रमा ने अपने दोनों बेटों नयन और पवन को पति के सहयोग से जो दिशा दी, उस का परिणाम सामने है. बड़ा बेटा नयन सेना में है. फिलहाल असम में तैनात है. छोटा बेटा पवन इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी कर विदेश में नौकरी करने के लिए जाने की तैयारी में है.

पिता दोनों को देखते हैं तो गर्व से फूले नहीं समाते, अपने जवान बेटों पर. और अब तो एक और खुशखबरी है, बिग्रेडियर बक्शी की बेटी संजना का नयन से शादी का प्रस्ताव. न कहने की कोई गुंजाइश नहीं. दोनों ओर से हां होते ही रस्मोरिवाज, लेनदेन का सिलसिला चलता रहा. शादी 6 महीने बाद होनी तय हुई.

नयन की शादी घर की पहली शादी थी, सो वे पतिपत्नी तैयारी की योजना में लग गए, होने वाली बहू के लिए गहनेकपड़ों के अलावा देनेलेने के लिए गिफ्ट्स, अतिथियों की लिस्ट, बाजेगाजे, पार्टी का प्रबंध आदि.

अचानक काला साया एक रात नयन के पिता को ले चला. औफिस से थोड़ा पहले घर आ, रमा को थोड़ा थका बता, आराम करने लेटे. जबरदस्ती चाय के साथ हलका नाश्ता करा रमा उन के माथे पर हलका स्पर्श दे, सहलाती रही जब तक वे सो नहीं गए. कंधे तक चादर ओढ़ा, थोड़ी देर उन के पास बैठी रही, फिर शाम का खाना बनाने के लिए उठ गई. दोनों बेटे भी घर आ कर पिता के आराम में बाधा न डालने की सोच, दबेपांव जा उन्हें सोता देख लौट आए.

नयन के कहने पर कि उन्हें आराम करने दें, रमा ने थोड़ा सा बच्चों के साथ खा लिया और कमरे में लौटी. पति को सोते में न जगाया जाए, यह सोच वह दूसरी चादर ले, पास चुपचाप लेट गई. बारबार उठ, बिस्तर के दूसरे कोने में दूसरी ओर लेटे पति को रात की मद्धिम लाइट में शांत सोते देख उन के अच्छे स्वास्थ्य की कामना करती रही. जब नींद ही नहीं आ रही तो उठा जाए, सोच कर रमा रसोई में जा कर अपने और पति के लिए चाय बना लाई.

धीरे से पति को आवाज दी, फिर हिलाया. माथा, मुंह, बांहें छू कर जो समझी, तो चीख मार बच्चों को आवाज दी. पता नहीं कब उस के पति इस दुनिया से चले गए थे. डाक्टर ने उन की मृत्यु का कारण घातक हार्टअटैक बताया जो कई घंटे पहले आ चुका था. बेटों ने खुद को, मां को संभालते हुए सब को सूचना दी व पड़ोसियों की सहायता से पिता के दाहसंस्कार की तैयारी व बाकी के प्रबंध में लग गए.

रमा के मायके से भाईभाभी ने पहुंच, उसे संभाला. नयन की होने वाली ससुराल वालों व और सब के आने पर शाम जब क्रियाकर्म करवा लौटे तो रुदन की दिल हिलाने वाली आवाजों से घर का कोनाकोना रो रहा था. रमा को कौन समझाए. बेटे की होने वाली शादी की कहां तो वह खुशीखुशी पति के साथ मिल सब तैयारियां कर रही थी और आज उन के बिना कोने में बैठी कितनी उदास व निरीह सी बैठी थी. शादी अब पति की बरसी होने तक टाल दी गई थी.

संजना के पिता ब्रिगेडियर बक्शी के प्रयत्न से नयन की 6 महीने की अपातकालीन छुट्टी का प्रबंध कर दिया गया था ताकि वह अपनी मां के पास रह, उसे इस दुख से उबार सके. समझदार रमा ने इस नियति की मार से उबरने का प्रयास कर अब अकेले ही अपनी हिम्मत जुटा, बच्चों के प्रति अपनी ममता व कर्तव्य को जानते हुए व्यस्त रहती. बेटे उस का पूरा ध्यान रखते.

अभी 2 महीने ही बीते थे कि पवन को सूचना मिली कि उसे यूनाइटेड किंगडम की एक अच्छी कंपनी में तुरंत जौब करने का औफर है. बच्चों के भविष्य को समझते हुए रमा ने हां कह उसे तुरंत जाने की तैयारी करने को कहा. पवन अपने बड़े भाई नयन की होने वाली पत्नी यानी अपनी भाभी संजना से मिलने गया, लंदन जाने के बाद इतनी जल्दी भाई की शादी पर आना हो पाए या नहीं. मां का मन चिंतित व उदास हुआ यह सोच कर कि बच्चा इतनी दूर जा रहा है, फिर मैं उसे देख भी पाऊंगी. पति की अकस्मात मृत्यु से ऐसे विचार आना स्वाभाविक थे. उस के जाने के दिन रमा के आंसू रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे.

खुले विचारों वाले पवन को लंदन पहुंच कर अच्छा लगा. कंपनी की तरफ से छोटा सा सुंदर अपार्टमैंट मिला और कार की भी सुविधा थी. उस ने अपने साथ काम करने वाले सहयोगियों से जल्दी दोस्ती गांठ ली, विशेषकर लड़कियों से. फुर्तीला, काम में अच्छा, व्यवहार में विनम्र, अच्छे कपड़े पहनने का शौकीन पवन जहां जाता, अपनी जगह स्वयं बना लेता.

वहां लोग फ्राइडे शाम को कुछ ज्यादा ही रिलैक्स्ड रहते हैं. पब पीने वालों से भरे होते और सड़कें मस्त जोड़ों से. कौन पत्नी है और कौन गर्लफ्रैंड क्या जानना, बस बांहों में बांहें डाले मौजमस्ती करते जीवन का भरपूर आनंद उठाते कितने ही जोड़े दिखते. पवन भी पब में शुक्रवार की शाम बिताता और वहां एक लड़की को कोने में अकेली आंखें नीचे किए बैठी बियर पीते देखता.

एक शुक्रवार को पवन से रहा नहीं गया. अपना बियरभरा गिलास लिए उस के पास की दूसरी कुरसी पर लगभग बैठता हुआ पूछ बैठा, ‘‘डू यू माइंड इफ आई…’’ पलकें उठा, उस की ओर देखते, वह बोली, ‘‘इट्स ओके.’’

बस 10 मिनट ही लगे पवन को उस लड़की के बारे में जानने में. पिछले महीने ही 2 वर्षों से साथ रहते बौयफ्रैंड से ब्रेकअप हुआ था. कारण, अपनी बीमार मां को साथ लाना. ‘‘सौरी टू नो दैट.’’ कहा तो ऐनी ने आंखें उठा देखा जिस में छिपा दर्द साफ झलक रहा था. ऐनी ने उस के बारे में कुछ नहीं पूछा. यह सिलसिला केवल शुक्रवार मिलने से अब रोज मिलने पर आ गया.

पवन ने एक इतवार ऐनी को बाहर लंच पर बुलाया और बाद में कौफी के लिए घर ले आया. अपार्टमैंट में चीजें बिखरी पड़ी थीं, अकेला रहता था, कौन देखने आने वाला है. इंडिया में घर को ठीकठाक रखना तो नौकर का काम होता था. अब यह कौफी का नया दौर चला तो हर शनिवार वह घर व रसोई ठीक कर लेता.

3 बार के बाद ऐनी ने कहा कि अगली बार लंच वह बना कर लाएगी. चीज से बने पकवान और रोस्टेड चिकन दोनों ने भरपूर आनंद ले खाया. टीवी पर मूवी देखी. शाम की कौफी बाहर गैलरी में बैठ पी. ठंडी हवा का आनंद लिया और अब रात घिर आई थी. न तो ऐनी का घर जाने का मन था और न ही पवन उसे जाने देना चाहता था. एक ही बार रुकने को कहा तो ऐनी ने दोनों हाथों से उस का चेहरा पकड़, आंखों में झांकते कहा, ‘ठीक है’. पवन को जैसे आंखों ही आंखों में ऐनी की इजाजत मिल गई.

हमेशा की तरह मां अपने बेटे से बात कर उस की खबर लेती रहती. पर इस बार सामने पड़ा फोन बजता रहा, पवन ने नहीं उठाया. वह मां को नई खबर नहीं देना चाहता था.

अगले हफ्ते ऐनी अपना सामान ला पवन के साथ रहने आ गई. अंधा क्या मांगे, दो आंखें. बिखरा सामान ठिकाने लग गया. सुबह का नाश्ता दोनों इकट्ठे बैठ कर खाते. शनिवार पब जाने और बाहर खाना खा कर आने का रूटीन बन गया. इतवार घर में रह मस्ती होती और अब पवन ने भी कुछकुछ पकाना सीख लिया था. शाम की कौफी बनाना अब उस की जिम्मेदारी थी.

अब पवन मां को स्वयं फोन कर थोड़ी सी बातें कर लेता, लेकिन अभी तक ऐनी की कोई चर्चा नहीं की. मां की बारबार शादी की बात वह यह कह कर टाल जाता कि अभी वह और अच्छी नौकरी की तलाश में है.

मां उसे कुछ समय के लिए वापस घर बुला रही थी. पिता की बरसी करनी थी और फिर एक महीने बाद नयन की संजना से शादी थी. रमा की भाभी उस के पास रहने व सहारा देने आ गईं. कहा जाता है कि सब काम समय पर होते चलते हैं. बस, जाने वाला ही चला जाता है. सब के प्रयत्न से शादी अच्छी हो गई. पर रमा बारबार होती गीली आंखों के आंसुओं को अंदर ही रोके रही, शगुन का काम था.

कुछ दिन मायके और ससुराल रह संजना नयन के साथ असम चली गई. नयन मां को अकेला छोड़ कर नहीं जाना चाहता था पर मां ने सब यादों को समेटे अपने घर में ही रहना तय किया. संजना कभीकभी फोन कर देवर का हाल जानती रहती थी.

उधर, ऐनी व पवन के बीच सब ठीक चल रहा था, कभी छुट्टियां ले दोनों कहीं घूम आते. देखतेदेखते 10 महीने बीत गए. मां ने इस बार पवन को खुशखबरी देते संजना के गर्भवती होने की बात बताई.

आगे पढ़ें- ऐनी यह सब सोचते हुए परेशान थी. वह…

लेखिका- वीना त्रेहन

एकांत कमजोर पल- भाग 1

वकील साहब का हंसताखेलता परिवार था. उन की पत्नी सीधीसाधी घरेलू महिला थी. वकील साहब दिलफेंक थे यह वे जानती थीं पर एक दिन सौतन ले आएंगे वह ऐसा सोचा भी नहीं था. उस दिन वे बहुत रोईं.

वकील साहब ने समझाया, ‘‘बेगम, तुम तो घर की रानी हो. इस बेचारी को एक कमरा दे दो, पड़ी रहेगी. तुम्हारे घर के काम में हाथ बटाएगी.’’

वे रोती रहीं, ‘‘मेरे होते तुम ने दूसरा निकाह क्यों किया?’’

वकील साहब बातों के धनी थे. फुसलाते हुए बोले, ‘‘बेगम, माफ कर दो. गलती हो गई. अब जो तुम कहोगी वही होगा. बस इस को घर में रहने दो.’’

बेगम का दिल कर रहा था कि अपने बच्चे लें और मायके चली जाएं. वकील साहब की सूरत कभी न देखें. पर मायके जाएं तो किस के भरोसे? पिता हैं नहीं, भाइयों पर मां ही बोझ है. उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था कि शादी के 14 साल बाद 40 साल की उम्र में वकील साहब यह गुल खिलाएंगे. बसाबसाया घर उजड़ गया.

वकील साहब ने नीचे अपने औफिस के बगल वाले कमरे में अपनी दूसरी बीवी का सामान रखवा दिया और ऊपर अपनी बड़ी बेगम के पास आ गए जैसे कुछ हुआ ही नहीं. बड़ी बेगम का दिल टूट गया. इतने जतन से पाईपाई बचा कर मकान बनवाया था. सोचा भी न था कि गृहस्थी किसी के साथ साझा करनी पड़ेगी.

दिन गुजरे, हफ्ते गुजरे. बड़ी बेगम रोधो कर चुप हो गईं. पहले वकील साहब एक दिन ऊपर खाना खाते और एक दिन नीचे. फिर धीरेधीरे ऊपर आना बंद हो गया. उन की नई बीवी में चाह इतनी बढ़ी कि वकालत पर ध्यान कम देने लगे. आमदनी घटने लगी और परिवार बढ़ने लगा. छोटी बेगम के हर साल एक बच्चा हो जाता. अत: खर्चा बड़ी बेगम को कम देने लगे.

बड़ी बेगम ने हालत से समझौता कर लिया था. हाईस्कूल पास थीं, इसलिए महल्ले के ही एक स्कूल में पढ़ाने लगीं. बच्चों की छोटीमोटी जरूरतें पूरी करतीं. शाम को घर पर ही ट्यूशन पढ़ातीं जिस से अपने बच्चों की ट्यूशन की फीस देतीं. अब उन का एक ही लक्ष्य था अपने बेटेबेटी को खूब पढ़ाना और उन्हें उन के पैरों पर खड़ा करना. पति और सौतन के साथ रहने का उन का निर्णय केवल बच्चों की अच्छी परवरिश के लिए ही था. वे जानती थीं कि बच्चों के लिए मांपिता दोनों आवश्यक हैं.

अब सारे घर पर छोटी बेगम का राज था. बड़ी बेगम और उन के बच्चे एक कमरे में रहते थे जहां कभी किसी विशेष कारण से वकील साहब बुलाए जाने पर आते.

इस तरह समय बीतता गया और फिर एक दिन वकील साहब अपनी 5 बेटियों और छोटी बेगम को छोड़ कर चल बसे. छोटी बेगम ने जैसेतैसे बेटियों की शादी कर दी. मकान भी बेच दिया.

बड़ी बेगम की बेटी सनोबर की एक अच्छी कंपनी में जौब लग गई थी. देखने में सुंदर भी थी पर शादी के नाम से भड़कती थी. वह अपनी मां का अतीत देख चुकी थी अत: शादी नहीं करना चाहती थी. बड़ी बेगम के बहुत समझाने पर वह शादी के लिए राजी हो गई. साहिल अच्छा लड़का था, परिवार का ही था.

सनोबर ने शादी के लिए हां तो कर दी पर अपनी शर्तें निकाहनामे में रखने को कहा.

साहिल ने कहा, ‘‘मुझे तुम्हारी हर शर्त मंजूर है.’’

सनोबर ने बात साफ की, ‘‘ऐसे कह देने से नहीं, निकाहनामे में लिखना होगा की मेरे रहते तुम दूसरी शादी नहीं करोगे और अगर कभी हम अलग हों और हमारे बच्चे हों तो वे मेरे साथ रहेंगे.’’

सनोबर को साहिल बचपन से जानता था. उस के दिल का डर समझता था. बोला, ‘‘सनोबर निकाहनामे में यह भी लिख देंगे और भी जो तुम कहो. अब तो मुझ से शादी करोगी?’’

सनोबर मान गई और दोनों की शादी हो गई. दोनों की अच्छी जौब, अच्छा प्लैट, एक प्यारी बेटी थी. कुल मिला कर खुशहाल जीवन था सनोबर का. शादी के 12 साल कैसे बीत गए पता ही नहीं चला.

सनोबर का प्रमोशन होने वाला था. अत: वह औफिस पर ज्यादा ध्यान दे रही थी. घर बाई ने ही संभाल रखा था. बेटी भी बड़ी हो गईर् थी. वह अपना सब काम खुद ही कर लेती थी. सनोबर उस को भी पढ़ाने का समय नहीं दे पाती. अत: ट्यूशन लगा दिया था. सनोबर का सारा ध्यान औफिस के काम पर था. घर की ओर से वह निश्चिंत थी. बाई ने सब संभाल लिया था.

औफिस के काम से सनोबर 2 दिनों के लिए बाहर गई थी. आज उसे रात को आना था पर उस का काम सुबह ही हो गया तो वह दिन में ही फ्लाइट से आ गई. इस समय बेटी स्कूल में होगी, पति औफिस में और बाई तो 5 बजे आएगी. वह अपनी चाबी से दरवाजा खोल कर अंदर आई तो देखा लाईट जल रही है. बैडरूम

से कुछ आवाज आई तो वह दबे पैर बैडरूम तक गई तो देख कर अवाक रह गई. साहिल और बाई एक साथ…

वह वापस ड्राइंगरूम में आ गई. साहिल दौड़ता हुआ आया और बाई दबे पैर खिसक ली.

साहिल सनोबर को सफाई देने लगा, ‘‘मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं था. मेरी तबीयत खराब थी तो वह सिर दबाने लगी और मैं बहक गया. उस ने भी मना नहीं किया.’’

वह और भी जाने क्याक्या कहता रहा. सनोबर बुत बनी बैठी रही. वह माफी मांगता रहा.

सनोबर धीरे से उठी और अपने और अपनी बच्ची के कुछ कपड़े बैग में डालने लगी. बच्ची आई तो उसे ले कर अपनी अम्मी के पास चली गई. साहिल उसे रोकता रहा, माफी मांगता रहा पर सनोबर को कुछ सुनाई नहीं दे रहा था.

इस साल गर्लफ्रेंड सबा के साथ दूसरी शादी करेंगे Hrithik Roshan?

बॉलीवुड के मशहूर एक्टर ऋतिक रोशन अपनी फिल्मों के साथ-साथ एक्ट्रेस सबा आजाद संग अपने रिलेशनशिप के लिए काफी सुर्खियों में रहते हैं. ऋतिक रोशन को अक्सर सबा आजाद के साथ स्पॉट किया जाता है. जहां फैंस उन्हें साथ देखना पसंद करते हैं तो वहीं ट्रोल्स उनका मजाक उड़ाने से जरा भी पीछे नहीं हटते हैं. इन सबसे इतर ऋतिक रोशन और सबा आजाद को लेकर हाल ही में बड़ी खबर आ रही है। दरअसल, कहा जा रहा है कि ऋतिक रोशन और सबा आजाद इस साल के अंत तक शादी के बंधन में बंध सकते हैं

 

ऋतिक रोशन और सबा आजाद की शादी से जुड़ी खबर सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है. हालांकि अभी तक इस खबर की आधिकारिक पुष्टि नहीं हो पाई है. न ही खुद ऋतिक और सबा ने मामले पर अपनी चुप्पी तोड़ी है. बता दें कि दोनों की शादी को लेकर पिछले साल भी खबर आई थी. दरअसल, बताया जा रहा था कि ऋतिक रोशन और सबा आजाद 2023 में सीक्रेट वेडिंग कर सकते हैं, जिसमें केवल परिवार और बेहद खास दोस्त शामिल होंगे.

रोशन परिवार के करीब हैं सबा आजाद

ऋतिक रोशन की गर्लफ्रेंड और सबा आजाद ने धीरे-धीरे एक्टर के परिवार के दिल में भी जगह बना ली है. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो न केवल ऋतिक के मम्मी-पापा ने, बल्कि उनके दोनों बच्चों ने भी सबा आजाद को अपना लिया है. हैरानी की बात तो यह है कि सबा आजाद और ऋतिक रोशन को कई बार सुजैन खान और अर्सलान गोनी के साथ पार्टी करते भी देखा जाता है.

 

 

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कुछ इस तरह शुरू हुई थी ऋतिक और सबा की प्रेम कहानी

बता दें कि ऋतिक रोशन और सबा आजाद की मुलाकात ट्विटर के जरिए हुई थी. यहां दोनों की थोड़ी बातचीत हुई, जिसके बाद ऋतिक ने सबा को डिनर के लिए बुलाया था. धीरे-धीरे दोनों एक-दूसरे को दिल भी दे बैठे. हालांकि कई बार अपनी प्रेम कहानी के लिए ऋतिक रोशन और सबा आजाद ट्रोल भी हो जाते हैं.

अमेरिकन बहू- भाग 2: समाज को भाने लगी विदेशी मीरा

कारण स्पष्ट था. भारत में ही राहुल की पीढ़ी की लड़कियों में अब उन्हें भारतीयता के लक्षण कम दिखाईर् पड़ने लगे थे. विशेषकर जिस आर्थिक व सामाजिक वर्ग के वे थे उस में लड़कियों के अभिभावक लड़कों और लड़कियों में कोई अंतर तो मानते नहीं थे. इसलिए यदि नई पीढ़ी के लड़के बहुत उन्मुक्त व्यवहार और खुली सोच के सांचे में ढल गए थे तो लड़कियां किसी भी तरह से किसी भी क्षेत्र में उन से पीछे रहने को तैयार नहीं थीं.

लड़के हो या लड़कियां, जींस अब पूरी नई पीढ़ी की यूनिफौर्म बन चुकी थी और लड़कियां इंजीनियरिंग, मैनेजमैंट, एकौउंटैंसी, मैडिसिन आदि किसी भी प्रोफैशनल पढ़ाई के क्षेत्र से ले कर खेलकूद आदि में भी उतनी ही प्रतिभा का परिचय दे रही थीं जितने लड़के.

उन के अनेक परिचितों और मित्रों की बेटियां उन के बेटी की तरह ही विदेशों में ऊंची शिक्षा ले कर, अकेले रह कर, बड़ीबड़ी नौकरियां कर रही थीं. इसलिए कुमार साहब के मन में अपनी होने वाली बहू को ले कर कोई विशेष पूर्वाग्रह नहीं था. जिस दिन राहुल आईआईटी से बीटेक करने के बाद अमेरिका के एक कालेज में एमबीए करने के लिए एक सशक्त छात्रवृत्ति पा कर अपनी मां के चेहरे को आंसुओं से भिगो कर और गर्व से मांबाप दोनों की उदास आंखों में चमक भर के गया था उसी दिन से कुमार साहब को आभास हो गया था कि अब तो राहुल की भैंस गई पानी में.

पढ़ाई पूरी करने के बाद अमेरिका में ही किसी ऊंची तनख्वाह वाली नौकरी पाने के बाद राहुल वहीं का हो कर रह जाएगा, इस की पूरीपूरी संभावना थी. पर कुमार का दृष्टिकोण इस मामले में बड़ा उदार था ‘राहुल जहां रहे खुश रहे, उन्हें और क्या चाहिए.’ रहा सवाल उस का किसी अमेरिकन या चीनी, जरमन या कोरियन लड़की के प्रेमपाश में बंध कर उस से विवाह करने का, तो देरसवेर राहुल का ग्रीनकार्ड से अमेरिकी नागरिकता की तरफ छलांग लगाना लगभग निश्चित सा दिख रहा था.

जब कोविड के दिनों में उस का वापस भारत आना असंभव सा लगने लगा था और तब जब स्वयं भारत में ही लड़केलड़कियां सभी आधे अमेरिकन बन चुके थे तो फिर क्या फर्क पड़़ता था यदि राहुल भी किसी अमेरिकन लड़की को उन की बहू बनाना चाहे. आखिर उन्हें भी तो किसी ऐसी बहू की तलाश नहीं थी जो सासूमां के पैर दबातेदबाते रात को सोए और सुबहसवेरे आ कर उन का चरणस्पर्श करे.

राहुल के साथ जो अमेरिका में सहज हो कर रह सके, उस के जीवन के हर कार्यकलाप में जो पूरी तरह से उस का साथ निभा सके, वह लड़की भारतीय मूल की हो या न हो, जब उस की भारत में आ कर रहने की संभावना ही बहुत कम हो तो क्या फर्क पड़ता है.

 

पर सुजाता का दृष्टिकोण बहुत सी गुत्थियों में उल?ा हुआ था. उन की सासूजी ने आरंभिक प्यारदुलार के बाद उन्हें एक कुशल गृहिणी बनाने के लिए न जाने कितनी छोटेछोटे नुस्खे दिए थे. कुमार के पसंद की खाने की कितनी ही डिशेज उन्होंने अपनी सासूजी से ही सीखी थीं. होली, दीवाली आदि त्यौहार मूलरूप से तो लगभग सभी लोग एक ढंग से ही मनाते हैं पर उस के लिए भी हर परिवार के कुछ विशेष तौरतरीके होते हैं. हरेक में कुछ विशेष व्यंजन बनते हैं. एक छोटी सी चीज गु?िया को ही ले लो. होली में आमतौर पर सभी घरों में गु?िया बनती है पर उस के अंदर अलग और विशेष पहचान बना लेता है.

यह तो कुमार की नौकरी की मजबूरियां थीं जिन के चलते सासूजी उन के साथसाथ शहरशहर घूमने के लिए तैयार नहीं हुईं, पर जब भी संभव हो सका सुजाता ने कुमार परिवार के सारे विशिष्ट तौरतरीके अपनी सासूजी से खुशी से सीखे. वास्तव में इतना कुछ विशेष अंतरविवाह के बाद महसूस भी नहीं हुआ था. एक नए परिवार में आ कर भी सुजाता का व्यवहार उस उच्च मध्यवर्गीय परिवार के लिए था जिस से उन्हें विवाह होने तक विदेशी तौरतरीकों और भारतीय तौरतरीकों की एक अद्भुत गंगाजमुनी विरासत में मिली थी.

एक निहायत पारंपरिक तरीके से तलाशने के बाद एक संभ्रांत परिवार के इंजीनियर लड़के से विवाह हो जाने के बाद उन्हें ससुराल में आ कर सब कुछ पहले जैसा ही लगा था. ससुराल के  तौरतरीके, अंधविश्वासी परंपराएं, आस्थाएं बिलकुल वही थे जो

उन्हें अपने मायके में विरासत में मिले थे.

अपने इकलौते बेटे राहुल को भी इंजीनियरिंग कालेज में प्रवेश मिल जाने के बाद उन्हें विश्वास हो गया था कि उन के परिवार की अगली पीढ़ी की धारा भी उसी दिशा में अविरल बहती रहेगी जिसे उन्होंने अपने और अपनों की सहज दिशा मान कर कभी कुछ हट कर सोचा ही नहीं था. पर कुमार, उन्हें यह सम?ाने से कभी चूकते नहीं थे कि राहुल से उन्हें परिवार की सभी अंधविश्वास भरी परंपराओं का पालन करने की उम्मीद रखनी नहीं चाहिए. अभी तक तो उस का बचपन था, पर अब बड़ा हो कर वह बहुत कुछ अपने मन की करना चाहेगा. उस की पसंदनापसंद के ऊपर उन दोनों का हौबी होना सरासर गलत होगा. सुजाता भी पढ़ीलिखी, आधुनिक विचारधारा वाली मां थी और कुमार साहब से उस की कोई असहमति नहीं थी. पर राहुलके विवाह की बात मन में आते ही उस के विचार एकदम परंपरावादी हो जाते थे. बस, एक ही अभिलाषा उस की थी, बहू अपनी पसंद की लाए.

कुमार इस बात पर उस का मजाक उड़ाने से बाज नहीं आते थे. मौका मिलते ही कहते थे कि पता नहीं क्यों तुम महिलाओं की इच्छा बनी रहती है कि अपने पति ही नहीं, अपने बेटे के ऊपर भी पूरा कब्जा बना रहे. अरे, अपनी जीवनसंगिनी को ले कर खुद उसी को सारे सपने बुनने दो न. जैसी भी चाहेगा लाएगा, जीवन तो उन दोनों को साथ बिताना है. हमारा साथ कौन सा सदा बना रहेगा. उन की बातों से सहमत हो कर भी उस का मन सदा बना रहेगा और उन की बातों से सहमत हो कर भी उस का मन एक अनजान डर से घबराया रहता था.

इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने तक भी राहुल ने जब किसी विदेशी लड़की की तरफ ?ाकाव होने का कोई संकेत नहीं दिया तो उन्हें महसूस होने लगा था कि खतरा लगभग टल गया था. पर उस के बाद एमबीए करने के लिए अमेरिका जाने के बाद से उन के ऊपर यह भय पूरी तरह से हौबी हो गया था कि अब राहुल उन के हाथ से गया.

दिल्लगी: क्या था कमल-कल्पना का रिश्ता- भाग 1

हाथमुंहधो कर राजीव कल्पना के साथ खाना खाने बैठा ही था कि मेड बीना ने भीतर आ कर कहा, ‘‘साहब, बाहर एक साहब खड़े हैं, वे अपनेआप को मेमसाहब का परिचित बताते हैं.’’

‘‘अरे, तो उन्हें सम्मानपूर्वक अपने साथ क्यों नहीं ले आई? भला यह भी कोई पूछने की बात थी?’’ राजीव ने प्लेट में सब्जी डालते हुए हाथ रोक कर कहा. इस के साथ ही उस ने कल्पना की ओर देखा.

कल्पना चौंक उठी. अचानक उस के शरीर में कंपकपाहट सी दौड़ गई. उस ने कल्पना की ओर देखा.

कल्पना चौंक उठी. अचानक उस के शरीर में कंपकंपाहट सी दौड़ गई. उस ने सोचा, बिना सूचित किए एकाएक यह कौन आ टपका.

‘‘हैलो,’’ आगंतुक को यह कहते ही कल्पना हैरान रह गई. सामने खड़े जने के आने की तो उसे स्वप्न में भी आशा नहीं थी. उसे आगंतुक के ‘हैलो’ का जवाब देने का भी खयाल नहीं रहा.

मंदमंद मुसकराता राजीव कल्पना के चेहरे पर आतेजाते भावों को ध्यान से देख रहा था. उस के लिए आगंतुक का सिर्फ इतना ही परिचय काफी था कि वह कल्पना का परिचित है. उस ने सोफे से उठ कर उत्साहपूर्वक आगे बढ़ कर आगंतुक से हाथ मिलाया और उसे अपने निकट ही सोफे पर स्थान देते हुए आत्मीयता से बोला, ‘‘आइए, वैलकम.’’

‘‘थैंक्यू,’’ आगंतुक ने बे?ि?ाक बैठते हुए कहा.

कल्पना अब भी उसे विस्फारित नेत्रों से देखे जा रही थी.

वह उत्साह भरे स्वर में बोला, ‘‘कल्पना, यह क्या बजाय हमारा इंट्रोडक्शन कराने के तुम मु?ो इस तरह देख रही हो जैसे मैं  कोई भूत हूं.’’

कल्पना ने तुरंत संभल कर मुसकराने की कोशिश करते हुए राजीव से कहा, ‘‘राजीव, इन से मिलो, ये हैं मेरे बचपन के साथी व कालेज के क्लीग कमल.’’

‘‘बहुत खुशी हुई आप से मिल कर,’’ राजीव ने हंस कर कमल से कहा.

‘‘और ये हैं मेरे हसबैंड एडवोकेट राजीव,’’ कल्पना ने कमल से कहा.

‘‘जानता हूं,’’ कमल ने मुसकराते हुए कहा.

‘‘आप इन्हें जानते हैं, लेकिन वे कैसे?’’ कल्पना का दिल तेजी से धड़क उठा और चेहरा पीला पड़ गया.

‘‘वाह, यह भी खूब रही,’’ कमल ने हंस कर कहा, ‘‘भूल गईं. तुम ने अपनी शादी का जो इनवाइट मु?ो भेजा था उस पर इन का नाम भी छपा था.’’

‘‘ओह, यह तो मैं भूल ही गई,’’ कल्पना ने चैन की सांस ली.

‘‘मैं यह भी बखूबी जानता हूं कि भूल जाना तुम्हारी पुरानी आदत है,’’ कमल ने कहा तो कल्पना ने चौंक कर उन की तरफ देखा. लेकिन वह मुसकराते हुए आगे बोला, ‘‘चाय में चीनी या सब्जी में नमकमिर्च डालना भूल जाने पर तुम आंटी से डांट खायाकरती थी. क्लास में जो पढ़ाया जाता था वह तुम सहेलियों के साथ गपशप में भूल जाती थी और फिर बाद में घर आ कर मेरा भेजा चाट जाया करती थी.’’

 

कल्पना को कमल का हासपरिहास बिलकुल अच्छा नहीं लग रहा

था. उस का कहा प्रत्येक शब्द उसे भीतर तक बींधता चला जा रहा था. पर प्रत्यक्ष में वह राजीव के सामने अपने चेहरे के भावों पर नियंत्रण पाने की असफल चेष्टा कर रही थी. उस के जीवन में परीक्षा की यह घड़ी भी आएगी, ऐसा तो उस ने कभी सोचा भी नहीं था.

‘‘कल्पना, लगता है कमल तुम्हारी आदतों से भलीभांति परिचित हैं, क्या इसीलिए तुम इन्हें लंच का न्योता देना भी भूल गई हो,’’ राजीव ने हंस कर कहा, ‘‘अब तुम बचपन के दोस्त हो तो यहीं रहोगे. तुम्हारा बैग कहा है?’’

कमल ने कहा, ‘‘वह अभी बाहर कार में है. मैं भुगतान कर के ले कर आता हूं.’’

दोनों न जाने क्यों कमल को छेड़ने पर तुल गए थे.

कल्पना अपनी भूल पर अत्यधिक लज्जित हो उठी. इस के साथ ही वह मन ही मन राजीव पर भी ?ां?ाला उठी कि मेरी जान पर बनी है और ये इसे घर में ठहरा रहे हैं. इन्हें छेड़छाड़ की सू?ा रही है. अपनी ?ां?ालाहट, भय और ?ोंप का मिलाजुला एहसास मिटाने की गरज से ही वह उन के पास से चुपचाप उठ कर कमल के लिए प्लेट आदि लेने रसोई में चली गई.

‘‘कंपनी के एक काम से दिल्ली आया था. अचानक याद आया कि कल्पना भी तो दिल्ली में ही रहती है. यह याद आते ही यहां चला आया.’’ कमल कुछ जोर से बोला और फिर वह टैक्सी का भुगतान करने चला गया.

टेबल पर प्लेट रखते हुए राजीव से कहे कमल के ये शब्द सुने तो कल्पना सहसा ठिठक कर रुक गई. उस का भयभीत दिल और भी तेजी से धड़कने लगा. वह बुरी तरह विचलित हो उठी, कमल को यहां आने की क्या जरूरत थी. उसे दिल्ली में ठहरने के लिए एक से बढ़ कर एक सुंदर स्थान मिल जाता. क्या बिगाड़ा है मैं ने कमल का, जो वह मेरे शांत जीवन में तूफान लाने आ पहुंचा है.

कितनी कोशिशों के बाद मैं इसे भुलाने में सफल हो सकी थी. अब फिर उसी पीड़ा भरी स्थिति से दोबारा गुजरना पड़ेगा. कमल के सामने राजीव को कभी भी मेरे पूर्व संबंधों का आभास हो सकता है. तब क्या राजीव के दिल में मेरा वही स्थान रह सकेगा, जो आज है? मेरा सुखमय दांपत्य जीवन क्या अब विषैले अतीत से सुरक्षित रह सकेगा?

तभी कल्पना ने राजीव का स्वर सुना. कमल आ चुका था. वह कह रहा था, ‘‘बहुत अच्छा किया आप ने. चलिए, इसी बहाने आप से मिलने का मौका प्राप्त हो गया वरना क्या पता हमारी मुलाकात कभी होती भी या नहीं. लेकिन आप मैरिज के समय कल्पना के यहां दिखाई क्यों नहीं दिए?’’

‘‘जी हां, आप लोगों का विवाह जून में हुआ था और मैं उन दिनों कालेज बंद होने के कारण अपने घर बाजपुर गया हुआ था. कल्पना ने मु?ो शदी का इनवाइट भी भेजा था, लेकिन अकस्मात दिल का दौरा पड़ने से मां का निधन हो जाने के कारण मैं विवाह में शरीक नहीं हो सका,’’ कमल ने जवाब में कहा.

‘‘क्षमा कीजिए, यह जिक्र छेड़ कर मैं ने बेकार आप का दिल दुखाया,’’ राजीव ने खेद भरे स्वर में कहा.

‘‘कोई बात नहीं, मेरे विचार में तो मर जाने वालों की याद में आंसू बहाना भावुकता के सिवा और कुछ नहीं,’’ कमल ने पहले की सहजता से कहा.

‘‘डाइनिंगटेबल पर चलिए. खाना ठंडा हो रहा है,’’ कल्पना ने आ कर उन की बातों का सिलसिला तोड़ दिया.

कल्पना देखते ही राजीव के होंठों पर फिर शरारत भरी मुसकराहट उभर आई.

‘‘भई वाह, खाना बनाने के मामले में तो अब तुम बहुत होशियार हो गई हो. लगता है, यह सब राजीव की ही करामात है,’’ मटर पुलाव का पहला कौर खाते ही कमल ने कहा.

‘‘नहीं भाई, मैं वकील हूं. कोई खानसामा नहीं,’’ राजीव ने हंस कर कहा.

सुन कर कमल तो हंसा ही, भयभीत और अपराधबोध से घिरी कल्पना भी एक पल के लिए सबकुछ भूल कर हंस पड़ी पर दूसरे ही क्षण वह फिर गंभीर हो गई मानो उस ने हंस करकोई अपराध कर दिया हो.

पहला कौर खाते ही कमल किसी भी चीज की तारीफ करना नहीं भूला था. कल्पना को आज भी याद है अच्छा खाना मिलने पर तारीफ के पुल बांध देना उस की पुरानी आदत है. विचारों में खोई कल्पना से थैंक्स कहते भी नहीं बन पड़ा.

Holi 2023: होली में रखें स्किन का ख्याल 

रंगो के इस मौसम में स्किन का खास ख्याल रखे,ताकि होली के मस्ती के साथ आपका स्क्रीन पहले की तरह बना रहे. तों इस होली स्किन मेकअप को अपने चेहरे पर ट्राई करो और मस्ती से होली कों  इंज्वॉय करो .

शुरुआत बेस प्रोटेक्टिंग क्रीम या सनस्क्रीन से करो. इसके बाद पैन केक लगाओ ताकि स्किन लेयर खतरनाक केमिकल्स के संपर्क में न आएं, जो होली के रंगों में रहते हैं. इस समय मेकअप ट्रेंड भले ही जो भी हो, तुम मल्टीकलर और मेटैलिक मेकअप यूज करो.  ब्लू, ग्रीन, ब्राइट यलो, फूचिशा, पर्पल, ऑरेंज जैसे कलर्स को ट्राई करना मत भूलो. अपने गाल पर पीच शेड के रूज लगाओ. आंखों के सारे मेकअप काजल, आईलाइनर, मस्कारा को डिच कर दो. रंग खेलते समय ये आंखों में जा सकते हैं. खासकर पानी वाले रंग तो आंखों में चले जाएं और काजल भी लगा हो तो आंखें जल उठेंगी. यदि आपकी  इच्छा कुछ डिफरेंट ट्राई करने की हो तो चेहरे को पेंट करवा सकते हो या खुद भी कर सकते हो.

होली के दौरान सूखे रंगों से खेली होली स्किन को बुरी तरह से खराब कर सकती है. नरिश्ड स्किन को अंदर से सूखा सकती है. हमेशा क्रीम बेस्ड मेकअप प्रोडक्ट्स चुनो और इसे ही लगाओ. यह स्किन को एडिशनल मॉयश्चर करता है और कलर आसानी से तुम्हारे मेकअप से मिल भी जाएगा. सिंथेटिक होली रंग तुम्हारी स्किन को नुकसान पहुंचा सकते हैं. ये रफ होते हैं और रोमछिद्रों को बंद कर देते हैं. बॉयल्स, रैशेज और स्किन पिगमेंट्स भी इसी वजह से हो जाते हैं. फाउंडेशन और पैन केक लगाना मत भूलना, जो स्किन पर लेयर की तरह लग जाती है और  होली के रंगों से आपकी स्किन की रक्षा करती है. जब आप का स्किन मेकअप से ढंकी होती है तो कलर आपके स्किन तक नहीं पहुंच पाता, बल्कि मेकअप जितना मोटा होगा, प्रोटेक्शन उतनी ही ज्यादा होगी. मेकअप से कलर स्टेन भी नहीं होगा, जो होली के तीन-चार दिन बाद तक आपकी स्किन पर जमी रहती है.

Holi 2023: होली पर बनाएं शाही गुजिया

हर कोई चाहता है कि होली हो या दीवाली, हर त्यौहार खुशियों से भरा हुआ बीते. जहां अपनों का साथ और दिलों में त्यौहारों की उमंग हो. कई लोगों के लिए तो होली का त्यौहार इतना पसंद होता है, कि इसे मनाने के लिए वो किसी खास जगह या लोगों के साथ चले जाते हैं. तो कई घर पर नई नई रेसिपी के साथ फैमिली इस फैस्टिवल को सैलिब्रेट करते हैं. इसीलिए आज हम आपको होली पर बनने वाली गुजिया को शाही बनाने की टेस्टी रेसिपी के बारे में बताएंगे.

सामग्री

– 4 कप मैदा

– 6 बड़े चम्मच घी

– तेल या घी

– 6 कप मावा

– एक चम्मच इलायची पाउडर

– एक कप नारियल कद्दूकस किया हुआ

– 3 बड़े चम्मच किशमिश

– 5 बड़े चम्मच काजू कटे हुए

– कप चीनी का बूरा (पिसी हुई चीनी)

– 4 कप चीनी

– 4 कप पानी

बनाने की  विधि

गुजिया की बाहरी परत बनाने के लिए मैदा छान लें.

इसमें घी मिलाएं और फिर जरूरत के हिसाब से पानी डालते हुए सख्त गूंद लें.

इसे थोड़ी देर के लिए गीले कपड़े से ढक कर रख दें.

अब भरावन तैयार करने के लिए गैस पर कड़ाही गर्म करें.

इसमें मावा डालकर मध्यम आंच पर 3 मिनट तक भूनें.

मावा चलाते रहें ताकि जले न, जब मावा सुनहरा हो जाए तो गैस बंद कर दें.

कढ़ाई में तेल या घी गर्म करें और मध्यम आंच पर एक बार में 4-5 गुझिया डीप फ्राई कर लें.

जब गुझिया हल्की सुनहरी होने लगे तो इन्हें प्लेट में निकाल लें.

इसी तरह सारी गुझिया तल लें.

चाशनी तैयार करने के लिए गैस पर बर्तन में पानी गर्म करें इसमें चीनी डालकर चलाएं.

चीनी पिघलने तक पानी चलाते रहें.

जब चीनी पिघल जाए तो मध्यम आंच पर चाशनी के पकाएं.

चाशनी को उंगली में चिपकाकर देखें एक तार बनने तक इसे पकाएं.

फिर गैस बंद कर दें, इसके बाद चाशनी में गुझिया डालकर चलाएं.

अब गुझिया को चाशनी से निकालकर प्लेट में रखें और गर्मागर्म मेहमानों को परोसें.

Holi 2023: विदेशी धरती पर होली के रंग

होली का त्योहार हमारे देश के सीमा से बहार विदेशो मे भी मनाया जाता है . होली के रंग मे सब रंगना चाहते है,चाहे वो भारतवाशी हो या अलग-अलग देशो के दिलदार देशवाशी.सभी रंगो मे रंगना चाहते है , बस तरीके अलग-अलग होते है ,लेकिन खुशी और हर्षोल्लास का माहौल ठीक वही यहां होली मे होता है . तो आईए जानते है ,परदेश मे होली का रूप .

रूस:- भारत का पड़ोसी राष्ट्र रूस मे होली का पर्व अनोखे रूप से मनाया जाता है ,यहां लोग मौज मस्ती और आनंद के लिए अजीबो-गरीब हरकत करते है. लोग पेेड़ पर चढ़कर तने के उपर लकडि़या जला कर उनके बीच झंडा गाड़ देते है और दूर जाकर इस झंडे को डंडेे से गिराने की कोशीश करते है. क्यो कि यहा ऐसा मानना है कि जो झंडा गिरा देगा वो  अति भाग्य शाली होगा.

जापान: – जापान में इस त्योहार को बे मौजी ओकुरिबी के नाम से जाना जाता है. अनुमानतः यह आयोजन हर साल 17 अगस्त की रात को की जाती है. इस रात लोग आग जला कर होली का उत्सव मनाते है.

चीन: – भारत का पड़ोसी राष्ट्र चीन में होली कोफोच्शेइच्यिे कहा जाता है. चार दिन तक चलने वाले इस उत्सव में जमकर आतिश बाजी की जाती है और रंगों के साथ हर्षोंल्लास सेे इस पर्व को मनाया जाता है. ऐसा माना जाता है कि यह पर्व नव वर्ष के स्वागत के रूप में मनाया जाता है.

अमेरिका: – होबो के नाम से अमेरिका में होली का पर्व मनाया जाता है. इस दिन एक अजिबो गरीब प्रतियोगिता सभा का आयोजन होता है. इस सभा में लोग एक से बढ़कर एक बेहुदा हरकतें करते हैं. सबसे अच्छे बेहुदा हरकत करने वाले को पुरस्कृत किया जाता है. इस आयोजन में अमेरिका के लोग जमकर मजे लेते हैं.

इटली: – इटली में यह पर्व अन्न की देवी को खुश करने के लिए बेलिमाकोनोन्स के नाम से मनाया जाता है. इस दिन लोग अपनेे मित्रों और रिश्तेदारों से मिलते है और उन्हे तोहफे भोट देते हैं.

रोम:- रोमन वासियों के कुल देवता सैटर्न को प्रसन्न करने के लिए साटरनालियां के नाम से यह पर्व मनाया जाता है. अनुमानतः हर साल इसका आयोजन 17 दिसंबर को होता है. लोग सात दिनों तक चलने वाले इस उत्सव में जम के भाग लेते हैं.

अफ्रीका:- अफ्रीका में हिरण्यकश्यप की कथा काफी प्रचलित है. अफ्रीका में हिरण्यकश्यप की कथा को लोेग वहा के अत्याचारी राजा सेे जोड़ कर देेखते हैं. यहां यह त्योहार आमेन या ओगेना वोगा के नाम से मनाया जाता है.

इजिप्ट:- इजिप्ट में यह पर्व  भारत से कुछ मिलता जुलता मनाया जाता है. 13 अप्रैल की रात यहा होली उत्सव की रात होती है. लोग जंगलों में इकट्ठा होकर आग जलाते है और अपने पुर्वजों को याद करते है. इस रात नृत्य और संगीत का भरपूर मजा लोग उठाते हैं.

जर्मनी:- जर्मनी के सारे शहर पंद्रह दिन तक रंगों में सराबोर रहता है. वसंत के आगमन से ही यह पर्व कार्निवास के नाम से मनाया जाता है. इस दौरान मुर्ख सम्मेलन हंसी सम्मेलन एवं उमंग और मस्ती से जुड़े अनोकों सम्मेलनों का आयोजन किया जाता है.

स्विट्जरलैड:- फरवरी के अंतिम सप्ताह में यहा होली का पर्व मनोंत्सव के रूप में मनाया जाता है. तीन दिन तक चलने वाले इस उत्सव में लोग जम कर मजा लेते हैं.

Holi 2023: जानें क्या पहनें होली वाले दिन?

जैसे की हम जानते हैं होली बिल्कुल आ ही गई है और होली न केवल एक त्यौहार है बल्कि देश भर में खुशियों और मस्ती करने का भी एक प्रतीक है. इस त्यौहार के लिए केवल मिठाई और रंग आदि लेना ही जरूरी नही होता बल्कि होली वाले दिन क्या पहनना है वह तय करना भी बहुत जरूरी होता है. अगर आपको भी होली के दिन कोई पार्टी अटेंड करनी है तो अब आपको यह चिंता करने की जरूरत नहीं है की आपको उस दिन क्या पहनना है क्योंकि हम आपके लिए लाए हैं कुछ परफेक्ट आउटफिट आइडिया.

होली 2021 मनाने के लिए पटियाला सूट में हो जाएं कंफर्टेबल

पटियाला सूट जिसे पंजाबी सूट भी कहा जाता है, आपको बहुत स्टाइलिश और आरामदायक लूक दे सकता है. इसे पहनना और कैरी करना भी बहुत आसान होता है और यह आप पर बहुत अच्छा भी लगने वाला है इसलिए पटियाला सूट अवश्य ट्राई करें.

ग्लास

होली के दौरान आपकी आंखों को भी बहुत खतरा रहता है क्योंकि इस दिन बहुत से लोग कुछ ऐसे स्प्रे या रंगों का प्रयोग करते हैं जो बहुत ही केमिकल से युक्त होते हैं इसलिए अपनी आंखों को उन केमिकल्स के नुकसान से बचाने के लिए आंखों पर ग्लास अवश्य लगाएं. अगर आप बाहर होली खेलते हैं तो सन ग्लास लगाएं यह आपको धूप से भी बचायेंगे. आपकी आंखों की सुरक्षा करने के साथ साथ ही सन ग्लास आपके होली आउटफिट को और भी ज्यादा स्टाइलिश बना देंगे. अगर आप लेंस पहनते हैं तो यह ग्लास आपकी लेंस को केमिकल के कारण डेमेज होने से बचाते हैं.

फुट वियर

होली के लिए अपनी ड्रेस के हिसाब से फुट वियर चुनना भी बहुत आवश्यक और थोड़ा सा मुश्किल काम हो जाता है. इसलिए आपको होली के लिए फ्लिप फ्लॉप ही पहनने चाहिए. अगर आप भीग जाएंगे या रंगों से भी लथपथ हो जायेंगे तो इन रंगों और भीगने के कारण आपके फ्लिप फ्लॉप खराब नही होंगे. यह पहनने में भी बहुत अधिक कंफर्टेबल रहते हैं.

होली के लिए एसेसरी

आपके होली आउटफिट को इस बार बेसिक रखने की बजाय उसमें कुछ एसेसरी एड करें. आप अपने लूक को और ज्यादा स्टाइलिश बनाने के लिए गॉगल्स, कैप आदि का प्रयोग कर सकते हैं. यह न केवल आपके लुक को एक और लेवल पर पहुचायेगी बल्कि आपको सूर्य और गर्मी से भी बचाएंगी.

होली से पहल करें हेयर केयर

हो सकता है आपके वहां के लोगों को होली खेलना बहुत पसंद हो और इसलिए वहां आपको कोई भी यह कह कर भिगो सकता है की बुरा न मानो होली है. इसलिए अपने बालों को खराब होने से बचाने के लिए आपको होली से पहले अपने बालों की भी केयर करनी चाहिए. सबसे पहले अपने बालों में पर्याप्त तेल लगाएं. आप कोई भी नारियल का तेल या कैस्टर ऑयल लगा सकते हैं. यह आपके बालों को केमिकल्स के द्वारा खराब होने से बचायेंगे.

पके कपड़ों का फैब्रिक

होली के दिन जितना आवश्यक नए कपड़े खरीदना होता है उतना ही उसके फैब्रिक के बारे में ध्यान देना भी होता है. कोई भी ऐसे फैब्रिक में कपड़ा न लें जिससे आपको कंफर्टेबल महसूस होने में दिक्कत हो. इस त्यौहार के लिए बेस्ट फैब्रिक कॉटन ही होता है. यह न केवल आरामदायक होता है बल्कि सभी पर बहुत अच्छा भी लगता है.

 

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पुरुषों के लिए होली स्क्वा टी शर्ट

आरामदायक रहने के साथ साथ स्टाइलिश भी लगना है तो टी शर्ट से ज्यादा आप पर कोई चीज नहीं सूट कर सकती. इस होली पहनिए अपने स्क्वाड के जैसी मिलती जुलती टी शर्ट और इस होली को अपनी जिंदगी की सबसे अधिक यादगार होली बनाएं.

रंगों मगर प्यार से टी शर्ट

अगर आप अब भी होली पर क्या पहनें इसको लेकर दुविधा में हैं तो बॉलीवुड कोट से युक्त यह टी शर्ट पहन सकते हैं जिस पर आपको रंगो मगर प्यार से लिखा मिलेगा. यह एक सफेद टी शर्ट है जिसमें रंग बिरंगे कलर्स से यह स्लोगन लिखा हुआ है. आप इसे भी ट्राई कर सकते हैं और इसे पहनने से ही आपको सही होली वाली वाइब्स देखने को मिलेंगी.

Shivam Soni, Founder & CEO, Beyoung Folks Private Limited

Holi 2023: अगर वह उसे माफ कर दे

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