पति फहद अहमद को ‘भाई’ कहने पर ट्रोल हो रही स्वरा भास्कर, लोगों ने किए ऐसे कमेंट

स्वरा भास्कर ने अपनी शादी की घोषणा करके सोशल मीडिया पर तूफान ला दिया. एक्ट्रेस ने एक पोस्ट कर बताया कि वो राजनेता फहद अहमद के साथ शादी के बंधन में बंध गईं हैं. जोड़े ने 16 फरवरी को अपनी शादी रजिस्टर की और इस खास मौके को अपने परिवार के सदस्यों और करीबी दोस्तों के साथ सेलिब्रेट किया. सोशल मीडिया पर अब स्वरा का एक पुराना ट्वीट वायरल हो रहा है जिसमें उन्होंने अपने पति फहद को भाई कहकर संबोधित किया था.

 

 

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स्वरा भास्कर ने रचाई शादी

2 फरवरी, 2023 को स्वरा और फहद के बीच ट्विटर पर एक हल्का फुल्का मजाक हुआ. फहद का बर्थडे था और स्वरा ने समाजवादी पार्टी के यूथ विंग, समाजवादी युवजन सभा के प्रदेश अध्यक्ष को हार्दिक शुभकामनाएं दीं थीं. स्वरा ने ट्वीट में लिखा, ‘हैप्पी बर्थडे फहाद मियां! भाई का आत्मविश्वास बरकरार रहे, फहद अहमद खुश रहो, सेटल हो जाओ.. तुम बूढ़े हो रहे हो, अब शादी करो. तुम्हारा बर्थडे और साल, शानदार रहे दोस्त।’

 

 

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स्वरा भास्कर को बधाई दे रहे फैंस

स्वरा भास्कर की शादी की खबर से फैंस भी काफी खुश हैं. एक्ट्रेस के पोस्ट पर लोग जबरदस्त तरीके से प्रतिक्रिया दे रहे हैं स्वरा के पोस्ट पर एक यूजर ने कमेंट करते हुए लिखा, “आखिरकार, यह आपके फेवरेट सीरीज का इंतजार करने जैसा था. आप दोनों को बहुत-बहुत बधाइयां. भगवान आप पर हमेशा अपनी कृपा बनाए रखें और आप दोनों हमेशा खुश रहें.” तो वहीं एक दूसरे यूजर ने लिखा, “शादी मुबारक, विरोध और राजनीति में पैदा हुई प्रेम कहानियां हमेशा खास होती हैं.”

फहद को कहा था भैया

जिस पर फहद ने जवाब दिया था, ‘शुक्रिया जर्रानवाजी का दोस्त भाई के कॉन्फिडेंस ने तो झंडे गाड़े है वो तो बरकरार रहना जरूरी है और हां, तुमने वादा किया था तुम मेरी शादी में आओगी तो वक़्त निकालो…लड़की मैंने ढूंढ ली है..

2 फरवरी की ट्वीट हो रही वायरल

सोशल मीडिया पर लोग हैरान है कि जब इन दोनों ने शादी का तय कर लिया था तो इंटरनेट पर एक दूसरे को भाई-बहन क्यों बोल रहे हैं. एक ट्विटर यूजर ने लिखा, ‘भैय्या से सीधा सैयां,’ जबकि दूसरे यूजर ने कमेंट किया, ‘अरे तुम दोनो तो भाई बहन थे ना.’ एक अन्य यूजर ने कहा, ‘मतलब खिचड़ी पहले से कुकर में थी..पाकी अब है…बधाई हो.’

फहद ने दिया था ये जवाब

स्वरा ने अपनी शादी की खबर को सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए लिखा, ‘कभी-कभी आप दूर-दूर तक किसी ऐसी चीज की तलाश करते हैं, जो आपके बिल्कुल बगल में थी. हम प्यार की तलाश में थे, लेकिन हमें पहले दोस्ती मिली. और फिर हमने एक-दूसरे को पाया! मेरे दिल में आपका स्वागत है फहद…

शाहीन बाग प्रोटेस्ट के दौरान हुई थी मुलाकात

बताते चलें कि स्वरा भास्कर और फहाद अहमद ने 6 जनवरी को स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत शादी रचाई थी. हालांकि शादी के लगभग डेढ़ महीने बाद स्वरा ने इस बात की जानकारी फैंस को दी है. बता दें कि स्वरा और फहाद की मुलाकात शाहीन बाग प्रोटेस्ट के दौरान हुई थी. प्रोटेस्ट में हिस्सा लेते-लेते स्वरा और फहाद में दोस्ती हुई और धीरे-धीरे यह दोस्ती प्यार में तब्दील हो गई.

अनुपमा को माया ने दिखाया घर के बाहर का रास्ता, बा पर फूटा राखी दवे का गुस्सा

रुपाली गांगुली और गौरव खन्ना स्टारर ‘अनुपमा’ ने लोगों का दिल जीतने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. शो में आए दिन ऐसे-ऐसे ट्विस्ट देखने को मिल रहे हैं, जिसने दर्शकों को भी हैरान करके रख दिया है. हालांकि ‘अनुपमा‘ (Anupama) में आ रहे मोड़ के लिए खुद अनुपमा ही दर्शकों के निशाने पर आ गई है. बीते दिन भी रुपाली गांगुली के शो में दिखाया गया कि बा रोते-बिलखते कपाड़िया हाउस पहुंच जाती हैं और अनुपमा को चलने के लिए बोलती हैं. अनुपमा के तैयार हो जाने पर अनुज हताश हो जाता है और उसकी ओर देखता तक नहीं है. लेकिन रुपाली गांगुली के ‘अनुपमा’ में आने वाले मोड़ यहीं पर खत्म नहीं होते हैं.

 

अनुपमा की पीठ पीछे साजिशों को अंजाम देगी माया

रुपाली गांगुली (Rupali Ganguly) और गौरव खन्ना के ‘अनुपमा’ में दिखाया जाएगा कि अनुपमा छोटी अनु के हाथ पर संदेश लिखती है और अनुज के लिए आई लव यू का मैसेज छोड़ती है. लेकिन माया मौका मिलते ही वो संदेश हटा देती है. इतना ही नहीं, वह खुद अनुपमा का सामान पैक करके उसे शाह हाउस भेजती है. वहीं अनुपमा के जाने से अनुज के चेहरे पर नाराजगी छा जाती है, लेकिन अनुपमा मुड़कर भी उसकी ओर नहीं देखती.

 

अनुज के कान भरेंगे बरखा और अंकुश

एंटरटेनमेंट से भरपूर ‘अनुपमा‘ में दिखाया जाएगा कि अनुपमा के जाने से अनुज परेशान होता है. ऐसे में बरखा और अंकुश भी उसके कान भरने से पीछे नहीं हटते. वह अनुज से कहते हैं कि वह तुम्हें और अनुपमा को गालियां देते हैं और जरूरत पड़ने पर उसे लेकर चले जाते हैं. अंकुश, अनुज को समझाता है कि उसे भी अनुपमा को ना बोलना सीखना होगा. वहीं माया बार-बार अनुज को याद दिलाती है कि वह अनुपमा की गैर मौजूदगी में घर संभाल लेगी.

शाह हाउस में अनुपमा को देख चढ़ेगा बापूजी का पारा

गौरव खन्ना स्टारर ‘अनुपमा’ में देखने को मिलेगा कि अनुपमा को शाह हाउस में देखकर बापूजी नाराजगी जाहिर करेंगे। वह बा पर चिल्लाएंगे कि उसे ऐसा नहीं करना चाहिए था. इसके साथ ही वह अनुपमा को भी वापिस जाने के लिए कहेंगे और बोलेंगे कि तेरा एक पति और बेटी भी है. बापूजी की बातों पर बा किंजल और काव्या को ताने मारती हैं कि इन दोनों से कुछ नहीं होता. इसपर राखी दवे उनकी बोलती बंद करती है और कहती है, “तीन-तीन घंटे लड़ाई करने में उम्र याद नहीं आती, वहां नहीं थकतीं.”

 

प्रेम और ब्रेकअप

मुंबई के शो वर्ल्ड में प्रेम और ब्रेकअप आम बात है पर अब यह खतरनाक भी बनता जा रहा है क्योंकि सुशांत सिंह राजपूत की तरह कोई भी ऐक्टर या ऐक्ट्रेस अगर सूसाइड कर ले तो उस के साथवालों पर पुलिस बड़ी मुस्तैदी से पीछे पड़ जाती है मानो देश व सोसायटी के साथ कोई साजिश का हिस्सा था यह सूसाइड. सुशांत सिंह राजपूत के मामले में धर्मभक्त टीवी चैनलों ने हफ्तों तक उस का गाना बजाबजा कर उसे राष्ट्रीय शोक साबित करने की कोशिश की. ऐसा ही अब टीवी सीरियलों में काम करने वाली तुनिशा शर्मा सूसाइड से हो सकता है जिस का अफेयर शीजान मोहम्मद खान और पार्थ जुत्शी के साथ चल रहा था. तूनिशा शर्मा ने कोई सूसाइड नोट नहीं छोड़ा. वसई में शूटिंग के दौरान ही वह एक बाथरूम में घुसी और वहां फांसी लगा कर जाने दे दी.

अब उस की मां इन दोनों ऐक्टरों को दोषी ठहरा रही है. और पुलिस को शो बिजनैस में दखल देने का एक अच्छा मौका मिला है जिसे वह पूरी तरह भुनाएगी. फिल्म और शो वर्ल्ड में कंपीटिशन बहुत ज्यादा होता है. ऐक्टर व ऐक्ट्रेस तुनकमिजाज भी होते हैं और अंदर से डरे भी रहते हैं कि कहीं शो या फिल्म पिट न जाए. वहीं, उन को खराब रोल न दे दिया जाए, कहीं उन का फ्रैंड किसी और के साथ गलबहियां न डालने लगे. यह दुनिया ऐसी ही है जिस में सफलता की गारंटी नहीं है. अच्छे से अच्छे को बुरे दिन देखने पड़ते है और ये बुरे दिन फाइनैंशियल स्ट्रैस भी डालते हैं और इमोशनल भी. जब भी बुरा वक्त होता है तब प्रेमी या प्रेमिका, जो रातभर बांहों में रहने को तैयार हो, अचानक फोन न उठाए तो बड़ी बात नहीं है. तुनिशा शर्मा इतनी बड़ी स्टार नहीं थी कि लोगों को उस के बारे में पहले से सबकुछ पता हो. पर अब सूसाइड करने के बाद खोदखोद कर पुरानी बातें निकाली जाएंगी और टीवी व प्रिंट मीडिया पर खूब मामला उछलेगा. असल में प्रेम में सूसाइड एक बहुत आम बात है क्योंकि प्रेमीप्रेमिका साथी को ले कर बहुत इमोशनल और पजैसिव हो जाते हैं. उन्हें एकदूसरे में न सुनने की आदत ही नहीं रहती है. इमोशनल मामलों में उन की डिपैंडेंसी बहुत ज्यादा होती है खासतौर पर जब साथी लोकप्रिय हो, जिस के साथ चलने पर लोग रश्क करते हों, जैलेसी से भर उठते हों. इन तीनों में से कौन ज्यादा पौपुलर है या था, इस बात को जाने दें. बात तो यह है कि तीनों स्मार्ट थे और जिन 2 की गहरी छन रही थी उन का मतभेद दूसरे या तीसरे को खाए, तो यह स्वाभाविक है. ऐसी आत्महत्याएं आम लोगों में भी होती रहती हैं. पर परिवार के सदस्य रोधो कर चुप हो जाते हैं क्योंकि किसी के ऊपर दोष लगाने में अपने प्रिय की ही मौत के बाद खिल्ली उड़ाना होता है. प्रेम करना अच्छा है पर प्रेम भी सोचसमझ कर करना चाहिए, फिल्मी या किताबी नहीं कि किसी को देखा और प्रेम हो गया और एकदूसरे के लिए जान हाजिर हो जाए. प्रेम बेस जमीन पर टिका होगा तो ही आनंददायक होगा और स्थिर होगा. दूसरे की सीमाएं समझना भी जरूरी है और ब्रेकअप के लिए तैयार रहना भी.

मेरी उम्र 29 साल है. मैं शादी कर के परिवार बसाना चाहता था. लेकिन मेरी शादी 6 महीने भी नहीं चली. क्या करूं?

सवाल

मेरी उम्र 29 साल है. मैं शादी कर के परिवार बसाना चाहता था. लेकिन मेरी शादी 6 महीने भी नहीं चली. मेरा तलाक हो गया. मैं बहुत दुखी रहने लगा. शराब पीनी शुरू कर दी. अपने प्रति लापरवाह हो गया. मेरे एक दोस्त ने सलाह दी कि डेटिंग ऐप पर अपने लिए कोई ऐसी लड़की ढूढ़ लो जो रिलेशनशिप में तेरे साथ रहे. ऐसे में मैं डिप्रैशन से बाहर आ जाऊंगा. मैं ने दोस्त की सलाह मान ली. मु?ो ऐसी लड़की मिली जो शादीशुदा थी और 2 बच्चों की मां थी. उस का पति विदेश में रहता था. उस का कहना था कि वह फिजिकल रिलेशन चाहती है क्योंकि पति विदेश में रहता है और वह उसे प्यार भी नहीं करती. बच्चों और पैसों की वजह से उसे सहन कर रही है और शादी निभा रही है.

मु?ो उस के साथ सहानुभूति हो गई और मैं उस के साथ रिलेशन में चला गया. धीरेधीरे मु?ो वह बहुत अच्छी लगने लगी और मैं उस के प्यार में दीवाना हो गया. उस की हर जरूरत पूरी करने लगा. वह अपने ऊपर मेरा काफी पैसा खर्च करवाती थी. मैं अच्छा कमा रहा था. इसलिए खर्च भी कर देता था. मैं ने सोच लिया था कि जिंदगीभर उस के साथ ही रिलेशन में रह कर जीवन बिता लूंगा. लेकिन एक दिन उस ने बताया कि वह विदेश अपने पति के पास जा रही है. यह सब वह अपने बच्चों की खातिर कर रही है.

मैं ने उस से बहुत कहा कि मैं उस से बहुत प्यार करने लगा हूं. शादी भी करने को तैयार हूं. बच्चों की पूरी देखभाल करूंगा. मु?ो छोड़ कर न जाए लेकिन वह नहीं मानी और चली गई. मैं फिर अकेला हो गया. विदेश जा कर अब वह मु?ो वहां से फोन करती है कि पति उस के साथ अच्छा सुलूक नहीं करता है. कहती है कि उस ने वहां एक और बौयफ्रैंड बना लिया है अपनी फिजिकल नीड पूरी करने के लिए. मु?ो जलाने के लिए जानबू?ा कर रात को फोन करती है कि मैं आज सुबह बौयफ्रैंड के साथ सैक्स कर के आई हूं. मैं ने उस से सच्चा प्यार किया था लेकिन उस ने मेरा सिर्फ इस्तेमाल किया. मैं आज भी उसे याद कर रोता हूं. सब बेकार लगता है. क्या करूं?

जवाब

हमें आप के साथ सहानुभूति है. लेकिन वो, आप यह सब अपनी लाइफ के साथ क्या कर रहे हो. आप की ख्वाहिश थी शादी कर परिवार बनाने की तो फिर डेटिंग ऐप पर क्यों गए.

एक शादी टूट गई तो दूसरी कर सकते थे. रिलेशनशिप में भी गए तो शादीशुदा 2 बच्चों की मां के साथ. सिंगल लड़कियों की कमी है क्या डेटिंग ऐप में.

खैर जो हो गया, सो हो गया. अपनी सम?ा का इस्तेमाल कीजिए. क्या आप देख नहीं रहे कि उस लड़की ने किस तरह से आप का सिर्फ इस्तेमाल कर अपना उल्लू सीधा किया है. फिर भी आप उस के लिए आंसू बहा रहे हैं. वह इस लायक ही नहीं कि उसे याद कर रोया जाए. आप को तो उस के साथ उसी वक्त सारे रिश्ते खत्म कर देने चाहिए थे जब वह विदेश गई थी.

अभी भी वक्त है संभल जाइए. उस लड़की के साथ सारे कौन्टैक्ट खत्म कर दें. उस के बारे में सोचना बंद कर दें. स्वार्थी लोगों के बारे में क्या सोचना, उस ने आप के बारे में एक बार भी सोचा? बल्कि, विदेश में बैठ कर भी आप को दूसरे के साथ सैक्स करने की बात कर जला रही है. क्या कहेंगे आप ऐसी औरत को.

आप अपनी जिंदगी का यह पुराना चैप्टर क्लोज कर दीजिए. लाइफ से थोड़ा ब्रेक लीजिए. आगे क्या अच्छा हो सकता है, इस बारे में विचार कीजिए. नशा किसी समस्या का हल नहीं होता, उस से दूर रहिए. आप ने अपने परिवार के बारे में कुछ नहीं लिखा, मातापिता, भाईबहन हैं तो उन से सलाह लीजिए. लाइफ में दोबारा शादी कर के सैट होना चाहते हैं तो सबकुछ देखभाल कर शादी कीजिए. जिंदगी को अच्छा या बुरा बनाना बहुतकुछ हमारे हाथ में होता है, बस, निर्णय सोचसम?ा कर लेने चाहिए. तो दोस्त, अंधेरे से बाहर निकलिए. हिम्मत के साथ जिंदगी से आंख से आंख मिला कर सामना कीजिए, उम्मीद पर दुनिया कायम है.

 

टीनएज में जिम जाने के फायदे

जब से लौकडाउन हुआ, 12 वर्षीया निया घर के अंदर कभी लैपटौप तो कभी मोबाइल के साथ व्यस्त रही. वह कभी चिपस के पैकेट खाली करती रहती तो कभी किचेन में जा कर मैगी, पास्ता बना कर ले आती, ‘मौम, प्लीज टेस्ट.’ वर्तिका भी थोड़ाबहुत खा लेती और बेटी की तारीफ भी कर देती. उन्होंने यह ध्यान ही नहीं दिया कि निया का वेट कितना बढ़ता जा रहा है.

सालडेढ़साल तक तो निया फूल कर डब्बा बन चुकी थी. अब उन्होंने निया के खानेपीने पर रोकटोक लगानी शुरू की तो वह उन से उल?ा पड़ती क्योंकि बढ़ती उम्र और दिनभर खाते रहने की उसे आदत पड़ चुकी थी. मां वर्तिका परेशान रहतीं लेकिन उन के मन में यह धारणा थी कि इस उम्र में जिम जाने से निया की ग्रोथ प्रभावित होगी और उस की लंबाई नहीं बढ़ पाएगी.

वर्तिका बेटी के बढ़ते मोटापे को देख कर चिंतित रहती थीं. एक दिन उन की सहेली शैलजा आई जो स्वयं इस समस्या से दोचार हो चुकी थी. उस ने बेटी को आउटडोर गेम्स के साथ डाइट कंट्रोल की सलाह दी. लेकिन इन सब के बाद भी कुछ फायदा नहीं दिखा तो उन के पति ने बेटी को जिम जौइन करवाया.

वहां पर ट्रेनर ने बताया कि 12-13 साल की उम्र में हड्डियां और अंग मजबूत हो जाते हैं. इस समय घर में ऐक्सरसाइज और बाहर साइक्ंिलग, स्विमिंग या गेम्स खेल कर शरीर की हड्डियों को मजबूती मिलती है परंतु यदि यह सुविधा नहीं प्राप्त है तो जिम में ट्रेनर की देखरेख में हलकी ऐक्सरसाइज करनी चाहिए. 14-15 वर्ष की उम्र में शरीर का लचीलापन समाप्त हो जाता है और इसी उम्र में जिम जाना शुरू कर देना चाहिए.

अपनी लुक और फिटनैस को ले कर हर यंगस्टर क्रेजी है लेकिन टीनएजर में आजकल यह क्रेज ज्यादा देखा जा रहा है. जहां लड़कियां जीरो फिगर और स्लिम लुक के लिए जिम जाना चाहती हैं वहीं लड़के सिक्सपैक एब्स, मसल्स और बौडी को ले कर परेशान रहते हैं. कई पेरैंट्स अपने बच्चों को छोटी उम्र में ही जिम भेजने लगते हैं. इस से उन्हें नुकसान पहुंच सकता है. जिम जाने की सही उम्र क्या है, इस की जानकारी होनी जरूरी है, तभी हम जिम का सही लाभ उठा सकते हैं.

हमारे शरीर का विकास जन्म से ही होना शुरू हो जाता है. 2-4 महीने का बच्चा भी हाथपांव मारने लगता है, यहीं से उस की कसरत शुरू हो जाती है. जैसेजैसे बच्चा बड़ा होता है, उस के चलने, दौड़ने और खेलनेकूदने से उस की हड्डियों में मजबूती आने लगती है. 5 से 8 साल के बच्चों को घरेलू खेल खेलने के लिए खेल के मैदान में भेजना चाहिए, जिस से उन के शरीर का विकास अपनेआप होने लगेगा.

आजकल बदलती लाइफस्टाइल और खानपान की आदतों के कारण बच्चा शुरुआत से ही सेहत से जुड़ी कई समस्याओं से ग्रस्त हो जाता है, जिन में मोटापा बड़ी समस्या है. बच्चे लगातार टीवी या लैपटौप के सामने बैठे रहते हैं, उन का खेलनेकूदने पर ध्यान ही नहीं जाता. इस कारण से उन्हें अनेक बीमारियां घेरने लगती हैं. आजकल बच्चों के लिए जिम और ऐक्सरसाइज करना बहुत जरूरी है.

जरूरत के मुताबिक बच्चे को करवाएं जिम : ज्यादा वर्कआउट बच्चे के शारीरिक विकास को रोक भी सकता है,  इसलिए बच्चे के शरीर की जरूरत के अनुसार ही उसे जिम भेजें.

कुछ मांबाप बच्चों को वजन कम करने के लिए लंबाई बढ़ाने या बौडी बनाने के लिए जिम भेजते हैं. इन सब चीजों के लिए अलगअलग वर्कआउट प्रक्रिया है, इसलिए ट्रेनर की देखरेख में ही करवाएं.

प्रौपर डाइट दें :

बच्चे को यदि जिम भेज रहे हैं तो उस की डाइट का ध्यान भी रखें. अगर बच्चा बराबर पसीना बहा रहा है और उसे प्रौपर डाइट नहीं मिलेगी तो वह कमजोर हो जाएगा.

जिम जाने की सही उम्र क्या है, इस विषय में लोगों के मन में अनेक संशय के साथ पुरानी धारणाएं हैं. जिम एक्सपर्ट शिशिर कुमार का कहना है कि आप किसी अच्छे जिम और एक्सपर्ट की देखरेख में 9 वर्ष की उम्र में जिम शुरू कर सकते हैं, परंतु यह विशेष रूप से ध्यान रखना होगा कि आप को ट्रेनर की बताई गई ऐक्सरसाइज ही करनी है. शुरूशुरू में आप को लाइटवेट ऐक्सरसाइज ही करनी है. 13 साल की उम्र तक आप को नौर्मल या लाइटवेट ऐक्सरसाइज ही करनी है. आप को रौड, डंबल या मशीन के साथ ऐक्सरसाइज नहीं करनी है.

13 साल की उम्र के बाद आप को सभी ऐक्सरसाइज के बारे में पता चल जाता है. आप को इस बारे में मालूम हो जाता है कि कौन सी ऐक्सरसाइज किस बौडी पार्ट के लिए है. किस ऐक्सरसाइज से नुकसान और किस से शरीर की ग्रोथ होती है. लेकिन ध्यान रखें कि आप को एनर्जी सप्लीमैंट नहीं लेना है.

कम उम्र में जिम जाने से हाइट बढ़ना नहीं रुकती है बल्कि आप के शरीर की ग्रोथ अच्छी होती है. ग्रोथ रुकने का कारण आप का सही डाइट न लेना होता है. जिम जाने के साथसाथ भोजन का भी ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है.

यदि जिम में आप गलत तरीके से ऐक्सरसाइज करते हैं तो आप की हाइट रुक सकती है. इसलिए सही ट्रेनर जरूरी होता है.

जिन लोगों को ऐसा लगता है कि उन को हाइट की प्रौब्लम हो सकती है उन्हें अपनी ऐक्सरसाइज की अपेक्षा डाइट पर ध्यान देना चाहिए क्योंकि देखा जाता है कि लोग सोचते हैं कि एक घंटा जिम करने से बौडी ग्रो कर जाएगी लेकिन ऐसा नहीं है. हमें हमारी बौडी को ज्यादा से ज्यादा सही पोषक तत्त्वों की जरूरत होती है क्योंकि जब हम ऐक्सरसाइज करते हैं तो हमारी बौडी के मसल फाइबर टूटते हैं और उन को रिपेयर करने के लिए पोषक तत्त्वों की जरूरत होती है.

जिम जाने के फायदे

–     मसल्स मजबूत होती हैं.

–    शरीर का स्टैमिना बढ़ता है.

–     पेट की चरबी कम होती है.

–    पर्सनैलिटी में सुधार होता है.

–     इम्यूनिटी पावर बढ़ता है.

–    पाचनतंत्र मजबूत होता है.

–    मेटाबौलिज्म सही रहता है.

–    चेहरे पर नैचुरल ग्लो आता है.

 

कर डालिए जिंदगी का मोबाइल रीचार्ज

आज की भागमभाग वाली जिंदगी में इंसान सबकुछ होते हुए भी कभीकभी नितांत अकेलापन महसूस करता है. चिंता, अवसाद व तनाव से घिर कर वह अनेक प्रकार की बीमारियों से जकड़ा जा रहा है. हर समय मोबाइल पर बतियाना या एसएमएस करना दिनचर्या का अभिन्न अंग बनता जा रहा है. ऐसे में यदि मोबाइल के सिमकार्ड की वैलिडिटी खत्म हो जाए तो व्यक्ति खुद को असहाय व सब से कटा हुआ महसूस करता है. सिमकार्ड से कई गुना अधिक जीवन का मोल है, इसलिए जिंदगी की वैलिडिटी की चिंता ज्यादा जरूरी है. जिंदगी की वैलिडिटी बढ़ती रहे, इस के लिए हमें स्वयं ही कुछ प्रयास करने पड़ेंगे. मसलन :

गमों को कहें अलविदा

समाजसुधारक दयानंद का कहना है कि इंसान खुद ही अपनी जिंदगी के सुखदुख का जिम्मेदार होता है तो क्यों न हर समय गमों या दुख के समय को याद करने के बजाय सुख वाले समय को याद करें. इस से मनोबल बढ़ेगा, मन हलका रहेगा. यदि कोई समस्या आए भी तो उस का उचित हल ढूंढ़ें, न कि उस से चिंतित हो कर मन को गमगीन बना लें. यदि मन हमेशा पिछली बातों, दुखों या गमों से घिरा रहेगा तो वह आने वाली खुशियों का स्वागत नहीं कर पाएगा. सो, कंप्यूटर की भाषा में गमों को सदैव डिलीट करते चलें और खुशियों को सेव. यदि अच्छा समय सदैव नहीं रहता तो बुरा समय भी बीत जाएगा.

दोस्ती को डाउनलोड करें

दोस्ती ऐसा अचूक मंत्र है जिस से समस्याएं कभीकभी चुटकी बजाते हल हो जाती हैं. सो, ऐसे दोस्तों की संख्या बढ़ाएं जो सुखदुख में आप के भागीदार बन सकें. दोस्ती से प्यार बढ़ता है तो जीवन में बहार बनी रहती है. प्यार, उत्साह, उमंग तीनों ही प्रवृत्तियां दोस्ती में ही पनपती हैं. शुष्क व नीरस जीवन भारी लगने लगता है. सो, अच्छे व सच्चे मित्रों की संख्या बढ़ाएं, जो सही माने में आप के हितैषी हों.

रिश्तों को रीचार्ज करते रहें

रिश्ता चाहे दोस्ती का हो या पारिवारिक, उस को प्यार से सींचना होता है. यदि रिश्तों में स्वार्थभाव हो तो उन के चरमराने में देर नहीं लगती. इसलिए समयसमय पर अपने रिश्तों को रीचार्ज करते रहें ताकि मन में आई दूरियां व गलतफहमियां दूर होती रहें. रिश्तों में यह उम्मीद कतई न करें कि दूसरा ही पहल करे. स्वयं भी पहल करें. प्यार को सीमित करने से घुटन होने लगती है.

भाषा पर नियंत्रण रखें

बातचीत करते समय शब्दों का प्रयोग सोचसम?ा कर करें. हो सके तो मीठे वचन बोलें. रहीम ने क्या खूब कहा है-

रहिमन मीठे वचन ते

सुख उपजत चहुं ओर

वशीकरण एक मंत्र है

तज दे वचन कठोर.

कहा भी गया है कि तलवार का घाव भर जाता है, शब्दों का नहीं. कड़वी बात भी यदि शालीनता से बोली जाए तो बुरी नहीं लगती. सो, वाणी में सदैव शीतलता व मधुरता बनाए रखें. आप का मन भी खुश रहेगा व सुनने वाले पर भी अच्छा प्रभाव पड़ेगा.

कबीरदास ने कहा भी है-

ऐसी बानी बोलिए मन का आपा खोय,

औरन को शीतल करे आपहुं शीतल होय.

मीठी व मधुर भाषा में बात करने से बिगड़े काम भी कभीकभी आसानी से बन जाते हैं.

मुसकराहट को करें इनबौक्स

हंसनेमुसकराने की क्रिया इंसान के ही पास है तो क्यों न मुसकराने की आदत डालें. यदि आप मुसकराते हैं तो सामने वाला भी प्रत्युत्तर में मुसकराएगा. परंतु रोते हुए या मायूस चेहरे से सभी दूर भागते हैं, कोई उस का साथ नहीं देता. सभी को मुसकराता चेहरा ही अच्छा लगता है तो क्यों न हंसने व दूसरों को हंसाने की आदत अपनाएं.

नफरत व दुश्मनी को करें इरेज

जहां तक हो सके किसी के लिए भी मन में नफरत व दुश्मनी की भावना न पनपने दें. इस भावना से दूसरे का कम, आप का मन ज्यादा दूषित होगा. मन विकारग्रस्त होगा तो नकारात्मकता आएगी, जिस से आप का तन भी प्रभावित होगा. आप की कार्यक्षमता पर भी विपरीत प्रभाव पड़ेगा और फिर नफरत से नफरत को कभी मिटाया नहीं जा सकता. उस को मिटाने के लिए प्यार के शस्त्र की जरूरत पड़ती है. अगर किसी से दोस्ती नहीं रख सकते तो कबीर की राह पर चल कर किसी से दुश्मनी भी न रखें-

कबीरा खड़ा बाजार में मांगे सब की खैर

न काहू से दोस्ती न काहू से बैर.

प्यार की करें इनकमिंग

अपने मन में प्यार की भावना विकसित करें, फिर देखें कैसे आप का तनमन प्रफुल्लित रहता है और फिर, प्यार की भाषा तो हर कोई सम?ाता है.

कबीरदास के शब्दों में-

पोथी पढ़पढ़ जग मुआ, पंडित भया न कोय

ढाई आखर प्रेम का पढ़े सो पंडित होय.

गुस्से या क्रोध को रखें होल्ड

प्लूटार्क ने कहा है, ‘क्रोध सम?ादारी को घर से बाहर निकाल कर अंदर से दरवाजा लौक कर लेता है.’ क्रोध में मनुष्य सोचनेसम?ाने की शक्ति खो देता है. जिस किसी पर क्रोध आए, उस के सामने से हट जाएं, किसी काम में लग जाएं या एक गिलास पानी पिएं. क्रोध को होल्ड करने के लिए जेफरसन ने कहा है, ‘यदि आप क्रोध में हैं तो बोलने से पूर्व 10 तक गिनें. यदि अत्यधिक क्रोधित हैं तो 100 तक गिनें. साथ ही, अपने मन में यह संकल्प दोहराएं कि मु?ो शांत रहना है, क्रोध नहीं करना है. निश्चित तौर से आप को चमत्कारी परिणाम देखने को मिलेंगे.’ सेनेका ने कहा है, ‘क्रोध की सर्वोत्तम औषधि है विलंब.’

महत्त्वाकांक्षी बनें

सुखी व संतुलित जीवन जीने के लिए अपने जीवन में छोटेछोटे लक्ष्य तय करें, फिर इन लक्ष्यों को पूरा करने के लिए महत्त्वाकांक्षी बनें. एक बार जो भी मन में ठान लें, उसे पूरा करने में जीजान से जुट जाएं. फिर चाहे अपना खुद का घर खरीदना हो या कार. जरूरत है प्रबल इच्छा की. यह प्रबल इच्छा ही महत्त्वाकांक्षा बन जाती है. हां, महत्त्वाकांक्षी बनने से पहले समय व परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए अपना आकलन अवश्य कर लें. परिस्थिति एवं योग्यता के विपरीत महत्त्वाकांक्षा रखने वाला मनुष्य हमेशा दुखी रहता है तो कर ही डालिए जल्दी से अपनी जिंदगी का मोबाइल रीचार्ज.

परिवर्तनों को कहें वैलकम

परिवर्तन प्रकृति का नियम है. यदि परिवर्तन न हों तो जिंदगी नीरस हो जाएगी. परिवर्तनों के अनुरूप चलने वाले व्यक्ति जीवन में दुखी नहीं रहते. जो इंसान परिवर्तनों को खुशीखुशी स्वीकार कर लेता है, वह कई प्रकार के सुखों को अपने साथ जोड़ लेता है. परिवर्तन को स्वीकारने वाला व्यक्ति जिंदगी की दौड़ में अपेक्षाकृत अधिक आगे बढ़ता है.

विंटर में खरीदें सस्ती फैशनेबल ड्रैसेस

फैशन के लिहाज से सर्दी कूल मौसम माना जाता है. कपड़ों के लिहाज से यह मौसम कलरफुल होता है. ऐसे में जान लें कि विंटर फैशनेबल ड्रैसेस कौन सी हैं जिन का ट्रैंड चल रहा है.

विंटर सीजन शुरू हो चुका है. विंटर की सब से बड़ी परेशानी यह होती है कि फैशनेबल दिखने के लिए क्या पहनें जो स्टाइलिश दिखने के साथ ही साथ किफायती भी हो. युवाओं के लिए जरूरी यह होता है कि उन की वार्डरौब में अधिक से अधिक स्टाइलिश ड्रैसेस हों. जरूरी यह है कि ये कपड़े सस्ते, किफायती और स्टाइलिश हों.

आजकल महंगी ब्रैंडेड ड्रैसेस की जगह पर बहुत किफायती ड्रैसेस भी मिलने लगी है. इस की वजह यह है, पहले प्योर वूलेन की ड्रैस आती थीं जिस की वजह से स्वेटर, कोट और दूसरी ड्रैसेस महंगी होती थीं. इसी तरह से जैकेट प्योर लेदर की आती थी, यह महंगी होती थी. अब प्योर वूलन और लेदर की जगह पर कौटन और फौमलेदर का प्रयोग होने लगा है. इस में भी कई तरह के ब्रैंड प्रयोग होने लगे हैं जिस की वजह से विंटर की ड्रैसेस सस्ती मिलने लगी हैं.

युवाओं को ब्रैंडेड फैशन ड्रैसेस की जगह पर ट्रैंडी ड्रैसेस का प्रयोग करना चाहिए. किफायती ड्रैसेस में यह सुविधा होती है कि कई तरह की ड्रैसें कम बजट में ले सकते हैं. इन के रखरखाव में भी दिक्कत नहीं होती. वूलन की महंगी ड्रैस का रखरखाव अधिक करना होता है. कई बार इस के बाद भी वह खराब हो जाती है. मिक्स वूलन की ड्रैस किफायती होती है. इस का रखरखाव सरल होता है. युवाओं में आजकल स्वेटर की जगह पर हुडी का ट्रैंड अधिक हो गया है. इस से सर्दी से बचाव तो होता ही है, यह स्टाइलिश भी दिखती है. हुडी में लड़कालड़की का फर्क भी कम होता है. इस को यूनिसैक्स ड्रैस माना जाता है. हुडी दिखने में काफी स्टाइलिश होते हैं. जींस के साथ इस का अलग लुक दिखता है.

कलर और स्टाइल

ब्लैक और पर्पल कलर की मिक्स वूलन जैकेट को किसी भी ड्रैस के साथ पहना जा सकता है. यह दिखने में काफी स्टाइलिश होती है. लड़कियां हाई वेस्ट जीन्स के ऊपर इस को पहन सकती हैं. पैरट ग्रीन कलर की डेनिम जैकेट काफी स्टाइलिश दिखती हैं. विंटर में इस को भी पहना जा सकता है. जीन्स या डेनिम स्कर्ट के साथ यह काफी अच्छी लगती है. पिंक और ब्लैक कौंबिनेशन की स्वेटरनुमा शर्ट का लुक दिखने में काफी अच्छा होता है. पीच कलर का स्वेटर काफी अच्छा होता है. ये ड्रैसेस औनलाइन भी मिलती हैं और किसी अच्छी शौप में भी मिल सकती हैं. इन की कीमत 12 सौ से 15 सौ रुपए के बीच होती है.

स्टाइलिश शूज

युवाओं के लिए फैशन के साथ आराम बहुत माने रखता है. आज के समय में युवा स्टाइल के साथ ही कंफर्ट को भी तवज्जुह देते हैं. इसलिए शूज, स्नीकर के साथ ही अब लोफर्स की भी काफी मांग बढ़ी है. काले और भूरे रंग के अलावा लाल, पीले और नीले रंग के लोफर्स युवाओं को खासे पसंद आ रहे हैं.

लोफर्स सिर्फ लड़के ही नहीं पहनते, अब लड़कियां भी इन को खूब पहनती हैं. लोफर्स यानी बिना फीते के जूतों का फैशन ट्रैंड में है. लड़कियों के लोफर्स की डिजाइन थोड़ी अलग होती है. ये पौइंटेड होने के साथ ही हील वाले भी होते हैं. बाजार में कई डिजाइन के लोफर्स उपलब्ध हैं. किसी में हील होती है तो कुछ बिलकुल फ्लैट होते हैं. इस के अलावा

ऊपर का डिजाइन भी अलगअलग होता है. आजकल कुछ लोफर्स में प्रिंटेड पैच या कढ़ाई भी होती है. सब से ज्यादा लैदर के लोफर्स पसंद किए जाते हैं. इस के अलावा अब डेनिम लोफर्स भी अलग लुक के कारण युवाओं को पसंद आ रहे हैं.

विंटर जैकेट

विंटर सीजन में लैदर के साथ ही साथ डेनिम के जैकेट्स भी प्रयोग किए जाते हैं. प्योर लैदर में ब्लैक बैरी, अरबन, गौरबानिया, मोजरी आदि जैकेट्स मौजूद हैं. वहीं लैदर की कौपी में डीएनजी, एडीबी और कई प्रकार के लेदर जैकेट्स भी बाजार में खूब बिक रही हैं. ये किफायती होती हैं. अपनी पसंद के हिसाब से आप इन्हें खरीद सकते हैं. बढ़ती ठंड में नौर्मल गरम कपड़े से काम नहीं चलता. ऐसे में एकमात्र उपाय लैदर जैकेट का बचता है जो कड़ाके की ठंड को बरदाश्त कर लेता है. साथ ही, स्टाइल लुक भी देता है.

युवाओं में लैदर जैकेट का प्रचलन ज्यादा है. युवा स्टाइलिश दिखने के लिए लैदर और डेनिम की जैकेट पसंद करते हैं. खासकर बाइक का प्रयोग करने वाले युवा इस को काफी ज्यादा पसंद करते हैं. इस के लिए बाजार में भी कई प्रकार के लैदर और कपड़े की जैकेट्स मौजूद हैं. इस में पार्टी वियर और कैजुअल दोनों तरह की जैकेट्स मिलती हैं. ब्लैक बेरी यूरीट्रा लैदर और कपड़े दोनों का मिक्स है. कपड़े की जैकेट में कौटन चिनोज, गौगर्स पेटूट आदि कई प्रकार की जैकेट्स मिलती हैं जिन की कीमत 2 हजार से 7 हजार रुपए तक है.

ब्रैंडेड की कौपी की हुई जैकेट हूबहू लेदर जैसी होती है, जो बाजार में कहीं भी मिल जाती है. इस में डीएनजी, एडीबी आदि तो केवल लैदर के नाम से बिकती हैं. इन की कीमत 1,200 से 2,400 रुपए तक है. जितनी भी ब्रैंडेड और प्योर लैदर जैकेट महंगी बिकती हैं, उन सब की कौपी बाजार में मिल जाती हैं. वे कम दाम में भी उपलब्ध हैं.

स्टाइलिश डेनिम जैकेट

डेनिम जैकेट का फैशन बहुत पुराना है. इस के बाद भी उस ने बाजार में अपनी मौजूदगी बनाए रखी है. 90 के दशक से यह चलती आ रही है और आज भी चल रही है. जमाने के बदलते फैशन में इस में भी कई अपडेशन हुए हैं. इस में कई वैराइटीज और कलर के साथ मौडल भी अपडेट हुए हैं. लैदर और अन्य जैकेट खरीदते समय फिटिंग का खास ध्यान रखें. जैकेट की फिटिंग एक शर्ट की तरह होनी चाहिए और कंधों पर आरामदेह होना चाहिए यानी आप को कंधे पर इस जैकेट का भार महसूस नहीं होना चाहिए. अगर आप स्मौल साइज के कपड़े पहनते हैं तो जैकेट मीडियम साइज की खरीदें ताकि ठंड का मौसम आने पर आप अंदर स्वैटर या हैवी टीशर्ट के बाद जैकेट को ऊपर से पहन सकें.

नई दुकानों से करें किफायती खरीदारी

सर्दी में हर शहर में नईनई दुकानें खुल जाती हैं जिन में सर्दी के स्टाइलिश कपड़े दिखते हैं. कई बार ये प्रदर्शनी में भी मिल जाते हैं. छोटेबड़े शहरों, साप्ताहिक बाजारों में भी इन की दुकानें खुल जाती हैं. ये थोक में माल खरीद कर किफायती दामों में बेचती हैं. इस की वजह यह होती है कि इन की तमाम तरह के टैक्स और दुकानों के किराए से बचत हो जाती है.

बड़ी तादाद में यह माल पंजाब के लुधियाना में तैयार होता है. अब गुजरात के सूरत और कुछ दूसरे प्रदेशों में भी बनता है. लैदर का माल उत्तर प्रदेश के कानुपर और आगरा में भी तैयार होता है. अगर थोड़ी सी जानकारी है तो विंटर का स्टाइलिश सामान किफायती कीमत में खरीदा जा सकता है. औनलाइन खरीदारी की जगह दुकान से जांचपरख कर लेने का प्रयास करें.

Valentine’s Day: प्रतियोगिता

रोज की तरह आज भी शैली सुबहसुबह सोसाइटी के पार्क में टहलने के लिए पहुंची. 32 साल की शैली खुले बालों में आकर्षक लगती थी. रंग भले ही सांवला था मगर चेहरे पर आत्मविश्वास और चमक की वजह से उस का व्यक्तित्व काफी आकर्षक नजर आता था. वह एक सिंगल स्मार्ट लड़की थी और एक कंपनी में काफी ऊंचे पद पर काम करती थी. उसे अपने सपनों से प्यार था. शैली करीब 3 महीने पहले ही इस सोसाइटी में आई थी.

खुद को फिट और हैल्दी बनाए रखने के लिए वह हर संभव प्रयास करती. हैल्दी खाना और हैल्दी लाइफ़स्टाइल अपनाती. रोज सुबह वॉक पर निकलती तो शाम में डांस क्लास के लिए जाती. आज ठंड ज्यादा थी सो उस ने वार्मर के ऊपर एक स्वेटर भी पहन रखा था. टहलतेटहलते उस की नजरें किसी को ढूंढ रही थीं. रोज की तरह आज वह लड़का उसे कहीं नजर नहीं आ रहा था जो सामने वाली फ्लैट में रहता था और रोज इसी वक्त टहलने के लिए आता था. टीशर्ट के ऊपर पतली सी जैकेट और स्लीपर्स में भी वह लड़का शैली को काफी स्मार्ट नजर आता था.

अभी दोनों अजनबी थे. इसलिए बस एकदूसरे को निगाह भर कर देखते और आगे बढ़ जाते. इधर कुछ दिनों से दोनों के बीच हल्की सी मुस्कान का आदानप्रदान भी होने लगा था. आज उस लड़के को न देख कर शैली थोड़ी अचंभित थी क्योंकि मौसम कैसा भी हो, कुहासे की चादर फैली हो या फिर बारिश हो कर चुकी हो, वह लड़का जरूर आता था. अगले दो दिनों तक शैली को वह नजर नहीं आया तो शैली उस के लिए थोड़ी चिंतित हो गई. कोई रिश्ता न होते हुए भी उस लड़के के लिए वह एक अपनापन सा महसूस करने लगी थी. वह सोचने लगी कि हो सकता है उस के घर में कोई बीमार हो या वह कहीं गया हुआ हो.

तीसरे दिन जब वह लड़का दिखा तो शैली एकदम से उस के करीब पहुँच गई और पूछा,” आप कई दिनों से दिख नहीं रहे थे, सब ठीक तो है?”

“कई दिनों से कहां, केवल 2 दिन ही तो… ”

“हां वही कह रही थी. सब ठीक है न? ”

“यस एवरीथिंग इज फाइन. थैंक यू…  वैसे आज मुझे पता चला कि आप मुझे औब्जर्व भी करती हैं,” चमकीली आंखों से देखते हुए उस ने कहा.

“अरे नहीं वह तो रोज देखती थी न..,” शैली शरमा गई.

” एक्चुअली मेरे नौकर की बेटी बीमार थी. उसी के इलाज के चक्कर में हॉस्पिटलबाजी में लगा था,” उस लड़के ने बताया.

“आप अपने नौकर की बेटी के लिए भी इतनी तकलीफ उठाते हैं?” आश्चर्य से शैली ने पूछा.

” क्यों नहीं आखिर वह भी हमारे परिवार की सदस्य जैसी ही तो है.”

“नाइस. आप के घर में और कौनकौन है?”

“बस अपनी मां के साथ रहता हूं. पत्नी से तलाक हुए 3 साल हो चुके हैं. .., ” कहते हुए उस लड़के ने परिचय के लिए हाथ बढ़ाया.

शैली ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया,” मैं यहां अकेली ही रहती हूं, अब तक शादी नहीं की है. मेरा नाम शैली है और आप का?”

” माईसेल्फ रोहित. नाइस टू मीट यू.”

इस के बाद काफी समय तक दोनों वाक करने के साथ ही बातें करते रहे. आधे घंटे की वाक पूरी करतेकरते दोनों के बीच अच्छीखासी दोस्ती हो गई. मोबाइल नंबर का आदानप्रदान भी हो गया. अब दोनों फोन पर भी एकदूसरे से कनेक्टेड रहने लगे. धीरेधीरे दोनों की जानपहचान गहरी दोस्ती में बदल गई. दोनों को ही एकदूसरे का साथ बहुत पसंद आने लगा. दोनों फिटनेस फ्रीक होने के साथ स्ट्रांग मेंटल स्टेटस वाले लोग थे. दूसरों की परवाह न करना, अपने काम से काम रखना, रिश्तों को अहमियत देना और काम के साथसाथ स्टाइल में जीवन जीना. जीवन के प्रति दोनों की ही सोच एक जैसी थी. वे काफी समय साथ बिताने लगे. वक्त इसी तरह गुजरता जा रहा था.

इधर उन दोनों की दोस्ती सोसाइटी में बहुत से लोगों को नागवार गुजर रही थी. खासकर रोहित की पड़ोसन माला बहुत अपसेट थी. उस की कभी कभार शैली से भी बातचीत हो जाती थी. उस दिन भी शैली घर लौट रही थी तो रास्ते में वह मिल गई.

फॉर्मल बातचीत के बाद माला शुरू हो गई,” यार मैं ने कितनी कोशिश की कि रोहित मुझ से पट जाए. उस के लिए क्याक्या नहीं किया. कभी उस की पसंद का खाना बना कर उस के घर ले गई तो कभी उस के लिए अपने बालों की स्मूथनिंग कराई. कभी उसे रिझाने के लिए एक से बेहतर एक कपड़े खरीदे तो कभी उस के पीछे अपना पूरा दिन बर्बाद किया. मगर उस ने कभी मेरी तरफ ढंग से देखा भी नहीं. देख जरा कितनी खूबसूरत हूं मैं. कॉलेज में सब मुझे मिस ब्यूटी कहते थे. एक बात और जानती है, उस की तरह मैं भी राजपूत हूं. उबलता हुआ खून है हम दोनों का. मगर देख न मेरा तो चक्कर ही नहीं चल सका. अब तू बता, तूने ऐसी कौन सी घुट्टी पिला दी उसे जो वह….”

जो वह ..? क्या मतलब है तुम्हारा?”

“मतलब तुम दोनों के बीच इलूइलू की शुरुआत कैसे हुई? ”

“देखिए इलूविलू मैं नहीं जानती. मैं बस इतना जानती हूं कि वह मेरा दोस्त बन चुका है और हमेशा रहेगा. इस से ज्यादा न मैं जानती हूं न तुम से या किसी और से सुनना या बात करना चाहती हूं,”  टका सा जवाब दे कर शैली अपने फ्लैट में घुस गई.

शैली के जाते ही पड़ोस की रीमा आंटी माला के पास आ गई. माला गुस्से में बोली,” आंटी तेवर तो देखो इस के. सोसाइटी में आए दिन ही कितने बीते हैं और इस चालाक लोमड़ी ने रोहित को अपने जाल में फंसा लिया.”

“बहुत ऊंचा दांव खेला है इस लड़की ने. सोचा होगा कि इस उम्र में कुंवारे कहां मिलेंगे. चलो तलाकशुदा को ही पकड़ लिया जाए और तलाकशुदा जब रोहित जैसा हो तो कहना ही क्या. धनदौलत की कमी नहीं. देखने में भी किसी चार्मिंग हीरो से कम नहीं लगता. मैं ने तो अपनी नेहा के लिए इस से कितनी बार बात करनी चाही पर यह हमेशा ऐसा नादान बन जाता है जैसे कुछ समझ ही न रहा हो.”

“नेहा कौन आंटी, आप की भतीजी?”

“हां वही. जब भी मेरे घर आती है तो रोहित की ही बातें करती रहती है. रोहित के घर भी जाती है, उस की मां से भी अच्छी फ्रेंडशिप कर ली है, पर वह उसे भाव ही नहीं देता.”

“आंटी नेहा तो अभी बच्ची है. आप उस के लिए कोई और लड़का देख लीजिये. मैं तो अपनी बात कर रही थी. बताओ मुझ में क्या कमी है?” माला ने पूछा.

“सही कह रही है माला. मेरे लिए तो जैसे नेहा है वैसी ही तू है. मेरी नेहा न सही वह तुझ से ही शादी कर ले तो भी मैं खुश हो जाउंगी. फूल सी बच्ची है तू भी पर आजकल तेरी शक्ल पर 12 क्यों बजे रहते हैं? कई दिनों से ब्यूटी पार्लर नहीं गई क्या?” रीमा आंटी ने माला को गौर से देखते हुए कहा.

“हां आंटी आप सच कह रही हो. कल ही पार्लर जा कर आती हूं. अपना लुक बिल्कुल ही बदल डालूंगी फिर देखूंगी रोहित कैसे मुझे छोड़ कर किसी और पर नजर भी डालता है?”

“सही है. मैं भी अपनी नेहा के लिए लेटेस्ट फैशन के कुछ कपड़े और ज्वेलरी लाने जाने वाली हूं,” आँख मारते हुए आंटी ने कहा तो दोनों हंस पड़ी.

शैली और रोहित को साथ देख कर इन की तरह कुछ और लोगों के सीने पर भी सांप लोटने लगे थे. शैली के बगल में रहने वाली देवलीना आंटी को अपने बेटे के लिए शैली बहुत पसंद थी. जॉब करने वाली इतनी कॉन्फिडेंट और खूबसूरत लड़की को ही वह अपनी बहू बनाना चाहती थी. शैली दिखने में आकर्षक होने के साथसाथ एक कमाऊ लड़की भी थी. जब कि उन के इकलौते बेटे पीयूष का बिज़नेस ठीक नहीं चल रहा था. जाहिर था कि अगर शैली उन के घर में आ जाती तो सब कुछ चमक जाता. इसी चक्कर में पिछले 2 महीने से उन्होंने अपने बेटे के लुक पर मेहनत करनी शुरू कर दी थी. उन के बेटे का पेट थोड़ा निकला हुआ था. वह एक्सरसाइज वगैरह से दूर भागता था जब कि शैली को उन्होंने जिम जाते और मॉर्निंग वॉक करते देखा था.

देवलीना आंटी ने बेटे को जिम भेजना शुरू कर दिया था ताकि वह भी आकर्षक नजर आए. इस बीच शैली और रोहित को साथ मॉर्निंग वाक करते देख आंटी के मन में कंपटीशन की भावना बढ़ने लगी.

सुबह 7 बजे भी बेटे को सोता देख कर उन्होंने उस की चादर खींची और चिल्लाती हुई बोली,” रोहित जानबूझ कर शैली के साथ वॉक करने लगा है ताकि उस के करीब आ सके और एक तू है…  तू क्या कर रहा है ? चादर तान कर सो रहा है? चल उठ और पता कर कि शैली जिम करने किस समय जाती है. कल से तुझे भी उसी समय जिम जाना होगा.”

बेटे ने भुनभुनाते हुए चादर फिर से ओढ़ ली और बोला,” यार मम्मी मुझे नहीं जाना जिमविम.”

“समय रहते चेत जा लड़के. ऐसी लड़की घर की बहू बन कर आ गई तो पैसों की कमी नहीं रहेगी. तेरा बिजनेस तो सही चलता नहीं है, कम से कम बहू तो कमाऊ ले आ. चल उठ मैं ने कोई बहाना नहीं सुनना. खुद तो बात आगे बढ़ा नहीं पाता बस उसे देख कर दांत भर निकाल देता है. कभी यह कोशिश नहीं करता कि कैसे उसे अपने प्यार में पागल किया जाए.”

” ओह मम्मी, प्यार ज़बरदस्ती नहीं किया जाता. जिस से होना होगा हो जाएगा.”

” तो क्या बुढ़ापे में प्यार होगा और शादी भी बुढ़ापे में करेगा?”

” मम्मी अरैंज मैरिज कर लूंगा. डोंट वरी. मुझे सोने दो,” उनींदी आवाज़ में पियूष ने कहा और करवट बदल कर सो गया.

आंटी को गुस्सा आ गया. इस बार उन्होंने एक गिलास पानी उस के मुंह पर उड़ेल दिया और चिल्लाईं,” चल उठ और जिम हो कर आ. चल जा… ”

शैली को रोहित के साथ देख कर ऐसी हालत केवल देवलीना आंटी की ही नहीं थी बल्कि कुछ और लोग भी थे जो शैली को अपनी बहू या बीवी बनाने के सपने देख रहे थे. उन के दिल में भी रोहित को ले कर प्रतियोगिता की भावना घर करने लगी थी. सब अपनेअपने तरीके से इस प्रतियोगिता को जीतने की कोशिश में लग गए.

निलय मित्तल तो शैली के घर ही पहुंच गए. शैली का निलय जी से सिर्फ इतना ही परिचय था कि वह इसी सोसाइटी में रहते हैं और किसी कंपनी में मैनेजर हैं. उन्हें अपने घर देख कर शैली चकित थी.

चाय वगैरह पूछने के बाद शैली ने आने की वजह पूछी तो निलय मित्तल बड़े प्यार से शैली से कहने लगे, “बेटा तू जिस कंपनी में  है उस में मेरा दोस्त भी काम करता है. उस ने तेरे बारे में एक बार बताया था. इतनी कम उम्र में तूने कंपनी में अपनी खास जगह बना ली है. मेरा बेटा विकास भी इसी फील्ड में है. तभी मैं ने सोचा कि तुम दोनों की दोस्ती करा दूँ. वैसे तो दोनों ऑफिस चले जाते हो सो एकदूसरे से मिल नहीं पाते. मगर यह तुझे कभी भी आतेजाते देखता है तो तारीफ करता है. मेरी वाइफ भी तुझे पसंद करती और जानती है हम भी इलाहाबाद के वैश्य परिवार से ताल्लुक रखते हैं. हम भी महाराजा अग्रसेन के वंशज हैं. तेरे घर के बुजुर्ग हमारे परिवार को जरूर जानते होंगे”

” जी अंकल हो सकता है. मुझे आप से और विकास से मिल कर अच्छा लगा. कभी जरूरत पड़ी तो मैं विकास को जरूर याद करूंगी.”

” अरे बेटा कभी जरूरत पड़ी की क्या बात है ? हम एक ही जगह से हैं, तुम दोनों एक ही फील्ड के हो, एक ही जाति के भी हो. आपस में मिलते रहा करो. समझ रही है न बेटी? मेरा विकास तो बहुत शर्मीला है. तुझे ही बात करनी होगी. स्विमिंग पूल के बगल वाली बिल्डिंग के पांचवें फ्लोर पर हम रहते हैं. मैं तो कहता हूं आज रात तू हमारे यहां खाने पर आ जा.”

” जी अंकल बिल्कुल मैं ख्याल रखूंगी मगर खाने पर नहीं आ पाऊंगी क्योंकि मुझे आज ऑफिस में देर हो जाएगी. अच्छा अंकल मुझे अभी ऑफिस के लिए निकलना होगा. आप बताइए चायकॉफी कुछ बना दूं ?” शैली ने पीछा छुड़ाने की गरज से कहा.

” अरे नहीं बेटा. बस तुझ से ही मिलने आए थे.”

शैली की बिल्डिंग के सब से ऊपरी फ्लोर पर रहने वाले गुप्ता जी भी एक दिन लिफ्ट में मिल गए. वह शैली से पूछने लगे, “तुम इलाहाबाद की हो न.”

“जी,” शैली ने जवाब दिया.

“मेरा दोस्त भी उधर का ही है और वह भी बनिया ही है . उस के बेटे की फोटो दिखाता हूं. यह देख कितना स्मार्ट है. तुझे बहुत पसंद करता है,” गुप्ता जी ने मौका देखते ही निशाना साधने की कोशिश की थी.

“अरे यह तो सूरज है. मैं जब बास्केटबॉल खेलने जाती हूं तो एक कोने में खड़े रह कर मुझे देखता रहता है. जिम जाती हूं तब भी नजर आता है और ऑफिस जाते समय भी…” शैली ने उसे पहचानते हुए कहा.

“तू गौर करती है न इस पर, असल में यह बस तुझे नजर भर कर देखने को ही तेरा पीछा करता है. दिल का बहुत अच्छा है बस बोल नहीं पाता.”

“पर अंकल मैं तो इसे स्टॉकर समझ कर पुलिस में देने वाली थी. ”

“अरे बेटा यह कैसी बात कर रही है? यह तो बस इस का प्यार है,” गुप्ता जी ने समझाने के अंदाज़ में कहा.

“बहुत अजीब प्यार है अंकल. इसे कहिए थोड़ा ग्रूम करे,” कह कर हंसी छिपाती शैली वहां से निकल गई.

इस तरह शैली और रोहित की दोस्ती ने सोसायटी के बहुत सारे लोगों के दिलों में दर्द पैदा कर दिया था. शैली और रोहित इन लोगों के बारे में एकदूसरे को बता कर खूब हंसते. उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था कि उन की दोस्ती इतने लोगों के दिलोदिमाग में खलबली मचा देगी. दोनों एकदूसरे का साथ एंजॉय करते. अब वे सोसाइटी के बाहर भी एकदूसरे से मिलने लगे थे. धीरेधीरे उन के बीच की दोस्ती प्यार में तब्दील होने लगी. दोनों काबिल थे. एकदूसरे को पसंद करते थे. रोहित की मां को भी इस रिश्ते से कोई गुरेज नहीं था.

उस दिल शैली का जन्मदिन था. रोहित ने तय किया था कि वह इस बार शैली को बर्थडे पर सरप्राइज देगा. इस के लिए उस ने एक रिसोर्ट बुक कराया. शानदार तरीके से उस का बर्थडे मनाया. रात 12 बजे केक काटा गया.

उस रात रोहित ने प्यार से शैली से पूछा,” आज के दिन तुम मुझ से जो भी मांगोगी मैं उसे पूरा करूंगा. बताओ तुम्हें मुझ से क्या चाहिए?”

“रियली ?”

“यस ”

“तो फिर ठीक है. मुझे आज कुछ लोगों की आंखों का सपना छीन कर उसे अपना बनाना है.”

“मतलब ?”

” मतलब जिन की आंखों में तुम्हें या मुझे ले कर सपने सजते रहते हैं उन्हें उन के सपनों से हमेशा के लिए दूर करना है. उन सपनों को अपनी आंखों में सजाना है यानी तुम्हें अपना बनाना है,” एक अलग ही अंदाज में शैली ने कहा और मुस्कुरा उठी.

रोहित को जैसे ही बात समझ में आई तो उस ने शैली को अपनी बाहों में भर लिया और उसी अंदाज में बोला,” तो ठीक है सपनों को नया अंजाम देते हैं. इस रिश्ते को प्यारा सा नाम देते हैं. ”

दोनों की आँखों में उमंग भरी एक नई जिंदगी की मस्ती घुल गई और दोनों एकदूसरे में खो गए. एक महीने के अंदर शादी कर शैली रोहित की बन गई और इस के साथ ही बहुतों के सपने एक झटके में टूट गए.

Valentine’s Day: पिया का घर

कृष्णा अपने घने व काले केश बालकनी में खड़ी हो कर सुलझा रही थी. उस की चायजैसी भूरी रंगत को उस के घने केश और अधिक मादक बनाते थे. शादी के 10 वर्षों बाद भी सत्या उतना ही दीवाना था जितना पहले वर्ष था. सत्या का प्यार उस की सहेलियों के बीच ईर्ष्या का विषय था. पर कभीकभी सत्या के व्यवहार से कृष्णा के मन में संशय भी होता था कि यह प्यार है या दिखावा.

कुल मिला कर जिंदगी की गाड़ी ठीकठाक चल रही थी. छोटा सा परिवार था कृष्णा का, पति सत्या और बेटी विहा. लेकिन कुछ माह से कृष्णा ने महसूस किया था कि सत्या देररात को घर आने लगा है. जब भी कृष्णा पूछती, तो सत्या यह ही बोलता, ‘तुम्हारे और विहा के लिए खट रहा हूं वरना मेरे लिए दो रोटी काफी हैं.’

पर कृष्णा के मन को फिर भी ऐसा लगता था कि कहीं कुछ तो गलत हैं. बाल सुलझाते हुए कृष्णा के मन में यह सब चल रहा था कि बाहर दरवाज़े पर घंटी बजी. दरवाजा खोला, देखा सत्या खड़ा है. कृष्णा कुछ बोलती, सत्या बोल पड़ा, “अरे, उदयपुर जा रहा हूं 5 दिनों के लिए.

इसलिए सोचा कि आज पूरा दिन अपनी बेगम के साथ बिताया जाए.”

फिर सत्या ने 2 पैकेट पकड़ाए. कृष्णा ने खोल कर देखा, एक में बहुत सुंदर जैकेट थी और दूसरे में एक ट्रैक सूट. कृष्णा मुसकराते हुए बोली, “अच्छा, हर्जाना भर रहे हो नए साल पर यहां न होने के लिए?”

सत्या उदास होते हुए बोला, “कृष्णा, बस, 2 साल और, फिर मेरे सारे समय पर तुम्हारा ही हक होगा.”

कृष्णा रसोई में चाय बनाते हुए सोच रही थी कि सत्या आखिर परिवार के लिए सब कर रहा है और वह है कि शक करती रहती है. शाम को पूरा परिवार विहा के पसंदीदा होटल में डिनर करने गया था. सब ने लौंग ड्राइव की. डिनर के बाद कृष्णा का पसंदीदा पान और विहा की आइसक्रीम.

रात में कृष्णा ने सत्या के करीब जाना चाहा तो सत्या बोला, “कृष्णा, थक गया हूं, प्लीज आज नहीं.”

कृष्णा मन मसोस कर बोली, “यह तुम 7 महीनों से कह रहे हो?”

सत्या बोला, “यार, वर्कप्रैशर इतना है, क्या करूं. अच्छा, उदयपुर से वापस आ कर डाक्टर के पास चलते हैं, खुश, शायद काम की अधिकता के कारण मेरी पौरुषशक्ति कम हो गई है.” और सत्या गहरी नींद में डूब गया. कृष्ण सोच रही थी कि कहीं सत्या की क्षुधा कहीं और तो पूरी नहीं हो रही है. पर उस का मन यह मानने को तैयार नहीं था.

सुबह सत्या एयरपोर्ट के लिए निकल गया और कृष्णा, विहा के साथ शौपिंग करने निकल गई. घर आ कर विहा अपनी चीज़ों में व्यस्त थी और कृष्णा ने अपना मोबाइल उठाया तो देखा, उस में सत्या के मैसेज थे कि वह एयरपोर्ट पहुंच गया है और उदयपुर पहुंच कर कौल करेगा.

कृष्णा फोन रख ही रही थी कि उस ने देखा कि किसी सिद्धार्थ के मैसेज भी थे. उस ने उत्सुकतावश मैसेंजर खोला, तो मैसेज पढ़ कर उस के होश उड़ गए.

सिद्धार्थ के हिसाब से सत्या उदयपुर नहीं, नोएडा के लेमन राइस होटल में पूजा नाम की महिला के साथ रंगरलियां मना रहा है.

कृष्णा को लगा कि कोई शायद उस के साथ घटिया मज़ाक कर रहा है, इसलिए उस ने लिखा, ‘कैसे विश्वास करूं कि तुम सच बोल रहे हो?”

उधर से जवाब आया, ‘रूम नंबर 204, सैक्टर 62, होटल लेमन राइस, नोएडा.’

पूरी रात कृष्णा अनमनी ही रही. सत्या का फ़ोन आया था, वह कृष्णा को बता रहा था कि उस ने कृष्णा के लिए लाल रंग की बंधेज खरीदी हैं और विहा के लिए जयपुरी घाघरा.

फ़ोन रखकर कृष्णा को लगा कि वह कितना गलत सोच रही थी सत्य के बारे में. दोपहर में कृष्णा मैसेंजर पर सिद्धार्थ को ब्लौक करने ही वाली थी कि उस ने देखा, 3 फ़ोटो थे जो सिद्धार्थ ने भेजे हुए थे. तीनों फ़ोटो में एक औरत, सत्या के साथ खड़ी मुसकरा रही थी. तब कृष्णा सोचने लगी कि अच्छा तो इस का नाम पूजा है. कजरारी आंखें, होंठों पर लाल लिपस्टिक और लाल बंधेज की साड़ी. क्या अपनी महबूबा की उतरन ही उसे सत्या पहनाता है.

सुबह कृष्णा, विहा को साथ ले कर मेरठ से नोएडा के लिए निकल गई. वह अब दुविधा में नहीं रहना चाहती थी. नोएडा में वह अपने मम्मीपापा के घर पहुंची. पता चला मम्मीपापा गांव गए हुए हैं. कृष्णा के भैया बोले, “अरे, एकदम से, अचानक और सत्य कहां है?”

कृष्णा बोली, “भैया, आप की बहुत याद आ रही थी. बस, चली आई. और कल मेरे कुछ पुराने दोस्तों का नोएडा में गेटटूगेदर है, सोचा, आप लोगों से मिल भी लूंगी और दोस्तों से भी.”

सुबह नाश्ता कर के कृष्णा धड़कते हुए दिल के साथ होटल पहुंची. वह रिसैप्शन पर पहुंची ही थी कि सामने से सत्या और पूजा दिखाई दे गए थे. सत्या का चेहरा सफेद पड़ गया था पर फिर भी बेशर्मी से बोला, “तुम यहां क्या कर रही हो?”

कृष्णा आंसू पीते हुए बोली, “तुम्हें लेने आई हूं.”

सत्या बोला, “मैं दूध पीता बच्चा नही हूं, घर का रास्ता पता हैं मुझे.”

कृष्णा पूजा की तरफ गुस्से से देखते हुए बोली, “तो यह है आप का जरूरी काम जो तुम उदयपुर करने गए थे?”

सत्या भी बिना झिझक के बोला, “हां, यह पूजा मेरे साथ मेरे बिज़नैस में मदद करती है. कल ही हम उदयपुर से आए हैं और आज तो मैं मेरठ पहुंच कर तुम्हें सरप्राइज देने वाला था.”

कृष्णा बिना कुछ कहे दनदनाते हुए वापस अपने घर चली गई. जब भैया और भाभी ने पूरी बात सुनी तो भाभी बोली, “अरे, ऐसी औरतों के लिए अपना घर छोड़ने की गलती मत करना. कल मैं तुम्हें गुरुजी के पास ले कर जाऊंगी, तुम चिंता मत करो.”

अगले दिन जब कृष्णा अपनी भाभी के साथ वहां पहुंची तो गुरुजी ने बिना कुछ कहे ही जैसे उस के मन का हाल जान लिया था. कृष्णा को भभूति देते हुए गुरुजी ने कहा, “अपने पति के खाने में मिला देना. कम से कम एक माह तक ऐसा करोगी तो उस औरत का काला जादू उतर जाएगा. उस औरत ने तुम्हारे पति पर वशीकरण कर रखा है. जब वे वापस आएं तो कुछ मत कहना. गुरुवार को केले के पेड़ की पूजा करो और शुक्रवार को पूरी निष्ठा से उपवास करना.”

कृष्णा अगले दिन जब मेरठ जाने के लिए निकली तो भाभी बोली, “कृष्णा, मम्मीपापा से इस बात का जिक्र मत करना. तुम ये उपाय करोगी तो समस्या का समाधान अवश्य होगा, थोड़ा धीरज से काम लेना.”

कृष्णा वापस अपने घर आ गई और ठीक दूसरे दिन सत्या भी आ गया था. न सत्या ने कोई सफाई दी, न कृष्णा ने कोई सवाल किया. घर का माहौल थोड़ा घुटाघुटा सा था पर कृष्णा को विश्वास था कि वह पति को सही रास्ते पर ले आएगी.

रोज़ चाय या खाने में कृष्णा भभूति डाल कर देने लगी थी. सत्या अब समय पर घर आने लगा था. कृष्णा को लगा, शायद, गुरुजी के उपाय काम कर रहे हैं.

उधर सत्या एक पहुंचा हुआ खिलाड़ी था. वह शिकार तो अब भी कर रहा था पर अब उस ने खेलने का तरीका बदल दिया था. अब वह घर से ही अपनी महिलामित्रों को फ़ोन करने लगा था. जब कृष्णा कुछ कहती तो वह उसे अपनी बातों में उलझा लेता था. कृष्णा को अपनी बुद्धि से अधिक भभूति व व्रत पर विश्वास था. वह सबकुछ जान कर भी आंखें मूंदे हुए थी. पर एक रोज़ तो हद हो गई जब बड़ी बेशर्मी से सत्या कृष्णा के सामने ही पूजा से वीडियो कौल कर रहा था.

कृष्णा अपना आपा खो बैठी और गुस्से में उस के हाथ से फ़ोन छीनते हुए बोली, “तुम ने सारी हदें पार कर दीं हैं. मेरे नहीं, तो कम से कम विहा के बारे में तो सोचो. क्या कमी है मुझ में?”

सत्या खींसे निपोरते हुए बोला, “तुम्हारे अंदर अब न वह हुस्न है न वह मादकता रही है. एक ठंडी लाश के साथ मैं कैसे अपनी शारीरिक जरूरतें पूरी करूं? शुक्र करो कि मैं तुम्हारे सारे ख़र्च उठा रहा हूं और अपने नाम के साथ तुम्हारा नाम जोड़ रखा है. और क्या चाहिए तुम्हें?”

कृष्णा गुस्से में बोली, “क्या तुम्हें लगता हैं मैं अनाथ हूं या सड़क पर पड़ी हुई लड़की हूं? मेरे पापा और भाई अभी जिंदा हैं. वे तो मैं तुम्हारी इज़्ज़त के कारण अब तक चुप थी. अब अगर तुम चाहोगे भी तो वे तुम्हें मेरे करीब फटकने नहीं देंगे.”

सत्या बोला, “अगर तुम्हारे करीब फटकना होता तो मैं क्या बाहर जाता,”

इस से अधिक कृष्णा बरदाश्त नहीं कर पाई और रात में ही विहा को ले कर मम्मीपापा के घर नोएडा आ गई.

अब कृष्णा के पास कोई उपाय नहीं था. उसे अपने मम्मी, पापा को सब बताना पड़ा. मम्मी और पापा सब सुन कर सन्नाटे में आ गए थे. पूरी बात सुन कर भैया आगबबूला हो गए थे, बोले, “कृष्णा, तुम ने बिलकुल ठीक किया. अब तुम वापस नहीं जाओगी. विहा और तुम मेरी ज़िम्मेदारी हो.”

पर यह बात सुनते ही भाभी के चेहरे पर चिंता लक़ीर खिंच गई थी. एकाएक वह बोल उठी, “अरे, तुम कैसी पागलों जैसी बात कर रहे हो? कोई ऐसे अपना घर छोड़ सकता हैं क्या? फिर आज की नहीं, कल की सोचो. विहा और कृष्णा की पूरी ज़िंदगी का सवाल है. कृष्णा तो नौकरी भी नहीं करती कि अपना और विहा का ख़र्च उठा सके.”

भैया बोले, “अरे, तो इस घर पर उस का भी बराबरी का हक है.”

भाभी उस के आगे कुछ न बोल सकी पर वह भैया की इस बात से नाखुश थी, यह बात कृष्णा को पता थी.

दिन हफ़्तों में और हफ़्ते महीनों में परिवर्तित हो गए थे पर सत्या की तरफ से कोई पहल नहीं हुई थी. कृष्णा को समझ नहीं आ रहा था कि उस का फैसला सही हैं या ग़लत. विहा की बुझी आंखें और मम्मीपापा की ख़ामोशी सब कृष्णा को कचोटती थी. भैया ने कह तो दिया था कि वह भी इस घर की संपत्ति में बराबर की हकदार है पर कृष्णा में इतना हौसला नहीं था कि वह इस हक़ के लिए खड़ी हो पाए.

एक दिन कृष्णा अपने पापा से बुटीक खोलने के बारे में बात कर रही थी. तभी मम्मी दनदनाती आई और हाथ जोड़ते हुए बोली, “बेटा, क्यों हमारा बुढ़ापा खराब करने पर तुली हुई है? अगर तेरे पापा ने तुझे पैसा दिया तो बहू को अच्छा नहीं लगेगा और हमारे बुढ़ापे का सहारा तो वह ही है. मैं ने आज सत्या से बात की थी. वह बोल रहा है, तुम अपनी मरजी से घर छोड़ कर गई हो और अपनी मरजी से वापस जा सकती हो.”

कृष्णा बहुत ठसक से घर छोड़ कर आई थी पर किस मुंह से वापस जाए, वह समझ नहीं पा रही थी. पर भैया का तनाव, भाभी का अबोला सबकुछ कृष्णा को सोचने पर मजबूर कर रहा था.

पहले हफ़्ते जो विहा पूरे घर की आंखों का तारा थी, वह अब सब के लिए बेचारी बन कर रह गई थी.

एक दिन कृष्णा ने देखा कि भैया के बच्चे गोगी और टिम्सी, पिज़्ज़ा के लिए जिद कर रहे थे. विहा बोली, “टिम्सी मेरे लिए तो डबल चीज़ मंगवाना.”

गोगी बोला, “ये नखरे अपने पापा के घर करना, अब जो मंगवाया हैं उसी में काम चलाओ.”

कितनी बार कृष्णा ने गोगी और टिम्सी को छिपछिप कर बादाम, आइसक्रीम और चौकलेट खाते हुए देखा था. विहा एकदम बुझ गई थी, उस ने ज़िद करना छोड़ दिया था.

कृष्णा ने छोटीबड़ी जगह नौकरी के लिए आवदेन भी किया पर कहीं से भी सफलता नहीं मिली थी. हर तरफ से थकहार कर कृष्णा ने गुरुजी को फ़ोन किया. गुरुजी ने बोला, “इस अमावस्या पर अगर वह अपने पिया के घर जाएगी तो सब ठीक हो जाएगा.”

कृष्णा ने जब यह फैसला अपने परिवार को सुनाया तो भाभी एकदम से चहकने लगी, “अरे, कृष्णा, तुम ने बिलकुल सही किया, बच्चे को मम्मी और पापा दोनों की ज़रूरत होती है. तुम क्यों किसी तितली के लिए अपना घर छोड़ती हो. तुम रानी हो उस घर की और उसी सम्मान के साथ रहना.”

कृष्णा मन ही मन जानती थी कि वह रानी नहीं पर एक अनचाही मेहमान है इस घर की और एक अनचाहा सामाजिक रिश्ता है पिया के घर की. अगले दिन कृष्णा जब अपने सामान समेत घर पहुंची तो सत्या ने विहा को तो खूब दुलारा लेकिन कृष्णा को देख कर व्यंग्य से मुसकरा उठा.

अब सत्या को पूरी आज़ादी थी. उसे अच्छे से समझ आ गया था कि अब कृष्णा के पास पिया के घर के अलावा कोई और रास्ता नही हैं. वह जब चाहे आता और जब चाहे जाता. जो एक आंखों की शर्म थी, वह अब नहीं रही थी. खुलेआम वह कमरे में ही बैठ कर अपनी गर्लफ्रैंड्स से बात करता था जो कभीकभी अश्लीलता की सीमा भी लांघ जाता था.

कृष्णा से जब सत्या का व्यवहार सहन नहीं होता था तो वह बाहर आ कर बालकनी में खड़ी हो जाती थी.

कहीं दूर यह गाना चल रहा था- ‘पिया का घर, रानी हूं मैं…’ गाने के बोल के साथसाथ कृष्णा की आंखों से आंसू टपटप बह रहे थे.

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