एक महिला मेरे पीछे पड़ गई है, मैं क्या करुं?

सवाल

मैं 23 साल का हूं. मेरे रिश्ते की दादी 35 साल की हैं. उन के 4 बच्चे हैं और पति 4 साल पहले गुजर चुके हैं. मैं ने उन के साथ लगातार एक महीने तक हमबिस्तरी की है, उस से कुछ होगा क्या? वे मुझे फोन कर के बारबार बुलाती हैं?

जवाब

आप ने महीनेभर मौज की. इस से वे पेट से भी हो सकती हैं. तब आप फंस सकते हैं. बेहतर होगा कि उन के पास न जाएं.

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इज्जत : भाभी ने दिए दोनों लड़कों को मजे

बात उन दिनों की है, जब मेरे बीटैक के फाइनल सैमैस्टर का इम्तिहान होने वाला था और मैं इसी की तैयारी में मसरूफ था. अपनी सुविधा और आजादी के लिए होस्टल में रहने के बजाय मैं ने शहर में एक कमरा किराए पर ले कर रहने का फैसला किया था. शहर में अकेला रहना बोरिंग हो सकता है. यही सोच कर मैं ने अपने साथी रंजीत को अपना रूममेट बना लिया था.

फाइनल सैमैस्टर का इम्तिहान सिर पर था, इसलिए मैं इसी में बिजी रहता था, पर रंजीत को इस की कोई परवाह नहीं थी. वह पिछले हफ्ते अपने घर से आया था और अब उसे फिर वहां जाने की धुन सवार हो गई थी.

जब रंजीत अपने घर जाने के लिए निकल गया, तो मैं भी अपनी पढ़ाई में मस्त हो गया.

अभी आधा घंटा भी नहीं बीता होगा कि रंजीत लौट कर मुझ से बोला, ‘‘भाई, यह बता कि अगर किसी को मदद की जरूरत हो, तो उस की मदद करनी चाहिए या नहीं?’’

रंजीत और मदद… मुझे हैरत हो रही थी, क्योंकि किसी की मदद करना उस के स्वभाव के बिलकुल उलट था, पर पहली बार उस के मुंह से मदद शब्द सुन कर अच्छा लगा.

मैं ने कहा, ‘‘बिलकुल. इनसान ही इनसान के काम आता है. जरूरतमंद की मदद करने से बेहतर और क्या हो सकता है. पर आज तुम ऐसा क्यों पूछ रहे हो? तुम्हारे घर जाने का क्या हुआ?’’

‘‘यार, बात यह है कि मैं घर जाने के लिए टिकट खरीद कर जब प्लेटफार्म पर पहुंचा, तो देखा कि एक औरत अपने 2 बच्चों के साथ बैठी रो रही थी. मुझ से रहा न गया और पूछ बैठा, ‘आप क्यों रो रही हैं?’

‘‘उस औरत ने जवाब दिया, ‘मुझे जहानाबाद जाना है. इस समय वहां जाने वाली कोई गाड़ी नहीं है. अगली गाड़ी के लिए मुझे कल सुबह तक यहां इंतजार करना होगा.’

‘‘मैं ने पूछा, ‘तो इस में रोने वाली क्या बात थी?’’’

रंजीत ने उस औरत की बात को और आगे बढ़ाया. वह बोली थी, ‘रात के 8 बज चुके हैं. मैं जानती हूं कि 9 बजे के बाद यह स्टेशन सुनसान हो जाता है. मेरे साथ 2 बच्चे भी हैं. कोई अनहोनी न हो जाए, यही सोचसोच कर मुझे रोना आ रहा है. मैं इस स्टेशन पर रात कैसे गुजारूंगी?’

‘‘मैं सोच में पड़ गया कि मुझे उस औरत की मदद करनी चाहिए या नहीं. यही सोच कर तुम से पूछने आ गया,’’ रंजीत मेरी ओर देखते हुए बोला.

‘‘देखो भाई रंजीत, हम लोग यहां बैचलर हैं. किसी की मदद करना तो ठीक है, पर किसी अनजान औरत को अपने कमरे पर लाना मुझे अच्छा नहीं लग रहा है. मकान मालकिन पता नहीं हम लोगों के बारे में क्या सोचेगी?’’

मुझे उस समय पता नहीं क्यों उस अनजान औरत को कमरे पर लाने का खयाल अच्छा नहीं लग रहा था, इसलिए अपने मन की बात उसे बता दी.

‘‘मकान मालकिन पूछेगी, तो बता देंगे कि रामध्यान की भाभी है, यहां डाक्टर के पास आई है. वैसे भी हम लोगों के गांव से अकसर कोई न कोई मिलने तो आता ही रहता है,’’ रंजीत ने एक उपाय सुझाया.

आप को बताते चलें कि जिस बिल्डिंग में हम लोग रहते थे, उस की दूसरी मंजिल पर रामध्यान भी किराए पर रह रहा था. वह वैसे तो हमारे ही कालेज का एक शरीफ छात्र था, पर हम लोगों से जूनियर था, इसलिए न केवल हमारी बातें मानता था, बल्कि हमें इज्जत भी देता था.

‘‘ठीक है. अब अगर तुम उस औरत की मदद करना ही चाहते हो, तो मुझे क्या दिक्कत है. रामध्यान को सारी बातें समझा दो.’’

रंजीत तेजी से सीढि़यां चढ़ता हुआ रामध्यान के पास गया और उसे सारी बातें बता दीं. उसे कोई दिक्कत नहीं थी, बल्कि उस औरत के रातभर रहने के लिए वह अपना कमरा देने को भी तैयार था. वह उसी समय अपनी कुछ किताबें ले कर हमारे कमरे में रहने चला आया.

‘‘अब तुम जाओ रंजीत. उसे ले आओ. और हां, उसे यह भी समझा देना कि अगर कोई पूछे, तो खुद को रामध्यान की भाभी बताए.’’

‘‘नहीं, तुम भी मेरे साथ चलो,’’ वह मुझे भी अपने साथ ले जाना चाहता था.

‘‘मुझे पढ़ने दो यार, इम्तिहान सिर पर हैं. मैं अपना समय बरबाद नहीं करना चाहता,’’ मैं बहाना करते हुए बोला.

‘‘अच्छा, किसी की मदद करना समय बरबाद करना होता है. तुम्हारा अगर नहीं जाने का मन है, तो साफसाफ कहो. वैसे भी एक दिन में तुम्हारी कितनी तैयारी हो जाएगी? एक दिन किसी की मदद के लिए तो कुरबान किया ही जा सकता है,’’ रंजीत किसी तरह मुझे ले ही जाना चाहता था.

‘‘ठीक है भाई, जैसी तुम्हारी मरजी. आज की शाम किसी की मदद के नाम,’’ मैं मजबूर हो कर बोला. थोड़ी देर में मैं भी तैयार हो कर उस के साथ निकल पड़ा.

रंजीत आगेआगे और मैं पीछेपीछे. वह मुझे स्टेशन के सब से आखिरी प्लेटफार्म के एक छोर पर ले गया, जहां वह औरत अपने दोनों बच्चों के साथ बैठी थी. वह हमें देख कर मुसकराने लगी. न जाने क्यों, उस का इस तरह मुसकराना मुझे अच्छा नहीं लगा.

मैं सोचने लगा कि न जाने कैसी औरत है, पर उस समय मुझ से कुछ बोलते नहीं बना.

स्टेशन से बाहर आ कर मैं ने 2 रिकशे वाले बुलाए. मुझे टोकते हुए वह औरत बोली, ‘‘2 रिकशों की क्या जरूरत है. एक ही में एडजस्ट कर चलेंगे न. बेकार में ज्यादा पैसे खर्च कर रहे हैं.’’

‘‘पर हम एक ही रिकशे में कैसे चलेंगे?’’ मैं ने सवाल किया.

वह बोली, ‘‘देखिए, ऐसे चलेंगे…’’ कह कर वह रिकशे की सीट पर ठीक बीच में बैठ गई और दोनों बच्चों को अपनी गोद में बिठा लिया, ‘‘आप दोनों मेरे दोनों ओर बैठ जाइए,’’ वह हम दोनों को देख कर मुसकराते हुए बोली.

मुझे इस तरह बैठना अच्छा नहीं लग रहा था, पर उस दौर में पैसों की बड़ी किल्लत थी. अगर उस समय इस तरह से कुछ पैसे बच रहे थे, तो क्या बुरा था. आखिरकार हम दोनों उस के दोनों ओर बैठ गए.

हमारे बैठते ही अपने एकएक बच्चे को उस ने हम दोनों को थमा दिया. मैं अब भीतर ही भीतर कुढ़ने लगा था. हमारी अजीब हालत थी. हम उस की मदद कर रहे थे या वह हम से जबरदस्ती मदद ले रही थी.

रिकशे की रफ्तार तेज होती जा रही थी और मेरे सोचने की रफ्तार भी तेज होने लगी थी. मैं कहां हूं, किस हालत में हूं, यह भूल कर मैं अपनी सोच में ही डूबने लगा था. न जाने क्यों मुझे बारबार यह खयाल आ रहा था कि कहीं हम कुछ गलत तो नहीं कर रहे हैं.

कमरे पर पहुंचतेपहुंचते रात के 8 बज चुके थे. रंजीत ने उसे सारी बात समझा कर रामध्यान के कमरे में ठहरा दिया.

मैं ने रंजीत से कहा, ‘‘भाई, जब यह हमारे यहां आ गई है, तो इस के खानेपीने का इंतजाम भी तो हमें ही करना पड़ेगा. जाओ, होटल से कुछ ले आओ.’’

रंजीत खुशीखुशी होटल की ओर चल पड़ा. मुझे बड़ा अजीब लग रहा था कि रंजीत को आज क्या हो गया है, पर मैं चुप था. वह जितनी तेजी से गया था, उतनी ही तेजी से और बहुत जल्दी खानेपीने का सामान ले कर लौटा था.

‘‘जाओ, उसे खाना दे आओ. हम दोनों रामध्यान के साथ यहीं खा लेंगे,’’ मैं ने रंजीत से कहा.

रंजीत खाना देने ऊपर के कमरे  गया और तकरीबन आधा घंटे बाद लौटा. मुझे भूख लगी थी, लेकिन मैं उस का इंतजार कर रहा था. सोच रहा था कि उस के आने के बाद साथ बैठ कर खाएंगे.

मैं ने पूछा, ‘‘तुम ने इतनी देर क्यों लगा दी?’’

‘‘भाई, उस के कहने पर मैं ने भी उसी के साथ खाना खा लिया,’’ रंजीत धीरे से बोला.

‘‘कोई बात नहीं… आओ रामध्यान, हम दोनों खाना खा लें. हम तो इसी का इंतजार कर रहे थे और यह तुम्हारी भाभी के साथ खाना खा आया,’’ मैं ने मजाक करते हुए कहा.

रामध्यान को भी हंसी आ गई. वह हंसते हुए खाने की थाली सजाने लगा.

रात को खाना खाने के बाद अकसर हम लोग बाहर टहलने के लिए निकला करते थे, इसलिए खाने के बाद मैं बाहर जाने के लिए तैयार हो गया और रंजीत को भी तैयार होने के लिए कहा.

‘‘आज मेरा जाने का मन नहीं है,’’ रंजीत टालमटोल करने लगा.

आखिरकार मैं और रामध्यान टहलने के लिए निकले. तकरीबन आधा घंटे के बाद लौटे. वापस आने पर देखा कि हमारे कमरे पर ताला लगा हुआ था.

रामध्यान ने हंसते हुए कहा, ‘‘भैया, हो सकता है रंजीत भैया भाभी के पास गए हों.’’

‘‘हो सकता है. जा कर दे,’’ मैं ने रामध्यान से कहा.

‘‘थोड़ी देर बाद रामध्यान और रंजीत हंसतेमुसकराते सीढि़यों से नीचे आ रहे थे.

‘‘भाभीजी तो बहुत मजाकिया हैं भाई. सच में मजा आ गया,’’ उतरते ही रंजीत ने कहा.

‘‘अब हंसना छोड़ो और जल्दी कमरा खोलो,’’ वे दोनों हंस रहे थे, पर मुझे गुस्सा आ रहा था.

मैं ने चुपचाप कमरे में जा कर अपने कपड़े बदले और बैड पर सोने चला गया. थोड़ी देर तक बैड पर लेटेलेटे मैं ने पढ़ाई की और उस के बाद मुझे नींद आ गई.

देर रात को रंजीत और रामध्यान की बातों से मेरी नींद टूटी. उन दोनों को देख कर लग रहा था कि वे दोनों अभीअभी कहीं से लौटे हैं.

मैं ने उन से पूछा, ‘‘तुम दोनों कहां गए थे और अभी तक सोए क्यों नहीं?’’

‘कहीं… कहीं नहीं. बस अभी सोने ही वाले हैं,’ दोनों ने एकसुर में कहा.

थोड़ी देर बाद रंजीत ने मुझे जगाते हुए कहा, ‘‘भाई, तुम्हें एक बात कहनी है.’’

‘‘इतनी रात को… बोलो, क्या बात कहनी है?’’ मैं ने पूछा.

‘‘तुम बुरा तो नहीं मानोगे?’’ उस ने पूछा.

‘‘अगर बुरा मानने वाली बात नहीं होगी, तो बुरा क्यों मानूंगा?’’ मैं ने कहा.

‘‘तुम चाहो तो भाभीजी के मजे ले सकते हो,’’ रंजीत थोड़ा संकोच करते हुए बोला.

‘‘क्या बक रहे हो रंजीत? तुम्हें क्या हो गया है?’’ मैं ने हैरानी और गुस्से में उस से पूछा.

‘‘भाई, अच्छा मौका है. चाहो तो हाथ साफ कर लो,’’ रंजीत के चेहरे पर इस समय एक कुटिल मुसकान थी. वह अपनी इसी मुसकान से मुझे कुछ समझाने की कोशिश कर रहा था.

‘‘हम ने उसे सहारा दिया है. वह हमारी मेहमान है. तुम ऐसा कैसे

सोच सकते हो?’’ मैं ने उसे समझाते हुए कहा.

‘‘इस तरह भी हम उस की मदद कर सकते हैं. मैं ने उस से बात कर ली है. एक बार के लिए 2 सौ रुपए में सौदा पक्का हुआ है,’’ वह मुझे ऐसे बता रहा था, जैसे कोई बड़ा उपहार भेंट करने जा रहा हो.

‘‘मुझे तुम्हारी सोच से घिन आती है रंजीत. आखिर तुम अपने असली रूप में आ ही गए. मुझे हैरत हो रही थी कि तुम भला किसी की मदद कैसे कर सकते हो. अब तुम्हारी असलियत सामने आई.

‘‘मुझे पहले से ही शक हो रहा था, पर मैं यह सोच कर चुप था कि चलो, एक अच्छा काम कर रहे हैं. अच्छा क्या खाक कर रहे हैं,’’ मुझे उस पर गुस्सा भी आ रहा था, पर इस समय उसे समझाने के अलावा मेरे पास दूसरा कोई रास्ता नहीं था.

रंजीत कुछ नहीं बोला. वह सिर झुकाए बैठा था.थोड़ी देर तक हम दोनों ऐसे ही चुपचाप बैठे रहे. रामध्यान अब तक सो चुका था. थोड़ी देर बाद रंजीत बोला, ‘‘ठीक है भाई, सो जाओ. मैं भी सोता हूं.’’ सुबह जब मैं उठा, तब तक 7 बज चुके थे. रामध्यान की तथाकथित भाभी इस समय हमारे कमरे में बैठी थी. रामध्यान और रंजीत भी उस के पास ही बैठे थे.

‘‘मैं आप के ही उठने का इंतजार कर रही थी,’’ मुझे देखते हुए वह बोली.

‘‘क्या हुआ?’’ मैं ने पूछा.

‘‘हुआ कुछ नहीं. मैं जा रही हूं. कुछ बख्शीश तो दे दीजिए,’’ उस ने हंसते हुए कहा.

‘‘बख्शीश किस बात की?’’ मुझे हैरानी हुई.

‘‘देखो मिस्टर, आप के इस दोस्त ने 2 सौ रुपए में एक बार की बात कर मेरी इज्जत का सौदा किया था. इन दोनों ने 2-2 बार मेरी इज्जत को तारतार किया. इस तरह पूरे 8 सौ रुपए बनते हैं. और ये हैं कि मुझे केवल 4 सौ रुपए दे कर टरकाना चाहते हैं. मैं भी अड़ चुकी हूं. बंद कमरे में मेरी इज्जत जाते हुए किसी ने नहीं देखा. अब अगर मैं यहां चिल्ला कर बताने लगी कि तुम लोग मुझे यहां क्यों लाए थे, तो तुम लोगों की इज्जत गई समझो,’’ वह बड़े ही तीखे अंदाज में बोले जा रही थी.

मैं ने रंजीत और रामध्यान की ओर देखा. वे दोनों सिर झुकाए चुपचाप बैठे थे. मुझ से कोई भी नजरें नहीं मिला रहा था. मैं सारी बात समझ चुका था. यह भी जानता था कि रंजीत और रामध्यान के पास और पैसे नहीं होंगे. ऐसे में मुझे ही अपनी जेब ढीली करनी होगी. मैं ने अपना पर्स निकाला और उसे 4 सौ रुपए देते हुए बोला, ‘‘लीजिए अपने पैसे.’’

पैसे मिलते ही वह खुश हो गई और अपने रास्ते चल पड़ी. मैं सोच रहा था कि इज्जत आखिर है क्या? कल उस की इज्जत बचाने के लिए हम ने उसे सहारा दिया था और आज अपनी इज्जत बचाने के लिए हमें उसे पैसे देने पड़े.

इस तरह कहने को तो दुनिया की नजरों में हम सभी की इज्जत जातेजाते बची है. वह औरत बाइज्जत अपने रास्ते गई और हम अपने घर में. आज भी जब मैं उस घटना को याद करता हूं, तो सोचने को मजबूर हो जाता हूं कि क्या वाकई उस औरत के साथसाथ हम सभी ने अपनीअपनी इज्जत बचा ली थी? ‘इज्जत’ हमारे हैवानियत से भरे कामों के ऊपर पड़ा परदा है. इसी परदे को तारतार होने से बचाने के लिए हम ने उस औरत को पैसे दिए. यह परदा दुनिया से तो हमारी हिफाजत करता नजर आ रहा है, पर हम सभी ने एकदूसरे को बिना इस परदे के देख लिया है. दुनियाभर के लिए हम भले ही इज्जतदार हों, पर अपनी सचाई का हमें पता है.

एक्स बौयफ्रेंड न बन जाए मुसीबत

नेहा की शादी बड़ी धूम-धाम से हुई थी. पति के नये घर-परिवार में नेहा को स्पेशल ट्रीटमेेंट मिल रहा था. अक्षय अपने माता-पिता का इकलौता बेटा था, ऐसे में उसकी पत्नी नेहा की आव-भगत भला क्यों न होती? तीन महीने हो गये थे, सास ने उसे रसोई में घुसने भी नहीं दिया था. नेहा 15 दिन के हनीमून के बाद लौटी, तो जरूरत की हर चीज उसके कमरे में ही पहुंच जाती थी. घर के तीनों नौकर हर वक्त उसकी खिदमत में हाजिर रहते थे. किट्टी पार्टी, रिश्तेदारों और मोहल्ले भर में उसकी सास उसकी खूबसूरती और व्यवहार के कसीदे काढ़ते घूमती थी. शाम को नेहा अक्सर सजधज कर हसबैंड के साथ घूमने निकल जाती. दोनों फिल्म देखते, रेस्ट्रां में खाना खाते, शॉपिंग करते. जिन्दगी मस्त बीत रही थी. मगर अचानक एक दिन नेहा के सुखी वैवाहिक जीवन का महल भरभरा कर गिर पड़ा.

उस दिन उसकी सास पड़ोसी के वहां बैठी थी, जब पड़ोसी के बेटे ने अपने कम्प्यूटर पर नेहा के अश्लील चित्र उसकी सास को दिखाये. ये चित्र उसने नेहा के फेसबुक अकाउंट से डाउनलोड किये थे, जहां वह अपनी अर्द्धनग्न तस्वीरें पोस्ट करके सेक्स के लिए युवकों को आमंत्रित करती थी. शर्म, अपमान और दुख से भरी नेहा की सास ने बेटे को फोन करके तुरंत घर बुलाया. पड़ोसी के कम्प्यूटर पर बैठ कर नेहा का फेसबुक अकाउंट चेक किया गया तो अक्षय के भी पैरों तले धरती डोल गयी. तस्वीरें देखकर इस बात से इनकार ही नहीं किया जा सकता था कि यह नेहा नहीं थी और इस अकाउंट से यह साफ था कि वह एक प्रॉस्टीट्यूट थी. उसने वहां पर बकायदा घंटे के हिसाब से अपने रेट डाल रखे थे. अपनी अश्लील कहानियां तस्वीरों के साथ डाल रखी थीं. बड़ा हंगामा खड़ा हो गया. नेहा के परिवार वालों को बुलाया गया. खूब कहा-सुनी हुई. नेहा मानने को ही तैयार नहीं थी कि वह फेसबुक अकाउंट उसका था, मगर जो तस्वीरें सामने थीं वह उसी की थीं. नेहा के माता-पिता भी हैरान थे.

नेहा का कहना था कि वह फेसबुक पर कभी थी ही नहीं. उसने लाख मिन्नतें कीं, लाख सफाईयां दीं, लाख कहा कि ये फर्जी अकाउंट है, मगर सब बेकार. उसको उसी दिन उसके माता-पिता के साथ मायके वापस जाना पड़ा. उसके ससुराल वाले ऐसी बहू को एक पल के लिए भी अपने घर में नहीं रखना चाहते थे, जिसके चरित्र के बारे में मोहल्ले वालों को भी पता चल चुका था. अक्षय के परिवार के लिए यह घटना शर्म से डूब मरने जैसी थी. जैसे उनके मुंह पर भरे बाजार किसी ने कालिख पोत दी थी. इस परिवार का मोहल्ले में बड़ा आदर-सम्मान था.
उधर नेहा का रो-रोकर बुरा हाल था. मायके लौटते वक्त उसे बार-बार अपने एक्स बौयफ्रैंड नितिन का ख्याल आ रहा था. हो न हो, यह काम उसी का हो सकता है. उसी ने बदला लेने के लिए उसकी ऐसी तस्वीरें सोशल मीडिया पर अपलोड की हैं. मगर यह तस्वीरें उसने कब और कैसे खींचीं, यह बात नेहा को परेशान कर रही थी. नितिन के साथ वह तीन साल प्रेम में रही. कॉलेज खत्म होने के बाद उसने पाया कि नितिन शादी या अपने फ्यूचर को लेकर बिल्कुल चिन्तित नहीं है. न तो वह जौब ढूंढ रहा था, न किसी कौम्पटिशन की तैयारी कर रहा था. वह बस सैर-सपाटा, मौज-मस्ती में ही जी रहा था. ज्यादातर समय उसकी जेब खाली होती थी. यहां तक कि जब वे घूमने जाते या फिल्म देखने जाते तो सारा खर्चा नेहा ही करती थी क्योंकि उसको कॉलेज खत्म करते ही जॉब मिल गयी थी.

एक साल तक तो नेहा ने नितिन के इस लापरवाह व्यवहार को बर्दाश्त किया मगर फिर उसने फ्यूचर प्लैनिंग को लेकर उससे सवाल पूछने शुरू कर दिये. आखिर उसकी भी जिन्दगी का सवाल था. उसके सवालों से नितिन खीज उठता. उससे लड़ने लगता. नेहा को अहसास हो गया कि नितिन पति लायक मिटीरियल नहीं है. वह घर-गृहस्थी की जिम्मेदारी नहीं उठाना चाहता है. जबकि नेहा अब सेटेल होना चाहती थी. नेहा के माता-पिता को उसकी शादी की जल्दी थी. एक से एक रिश्ते आ रहे थे. अच्छे पढ़े-लिखे और बढ़िया जॉब वाले हैंडसम पुरुषों के रिश्ते थे. जिन्हें नजरअंदाज करना बेवकूफी थी.
आखिरकार तंग आकर नेहा ने नितिन के साथ अपने रिश्ते को खत्म करने का फैसला कर लिया. नितिन को उसका दूर होना काफी अखरा था.

ब्रेकअप की बात पर वह उससे काफी लड़ा-झगड़ा भी. मगर, कब नौकरी करोगे? कब शादी करोगे? कब अपने मां-बाप से मिलवाओगे? नेहा के ऐसे सवालों का उसके पास कोई जवाब नहीं था. नितिन से अलग होने के साल भर के अन्दर ही नेहा की शादी अक्षय से हो गयी. इस बीच वह न तो नितिन से मिली और न ही उससे फोन पर कोई बात हुई. इतना वक्त गुजरने के बाद नितिन इस तरह नेहा के नाम से फर्जी फेसबुक अकाउंट बनाकर बदला लेगा, उसे बदनाम करने की कोशिश करेगा, ऐसा तो उसने सपने में भी नहीं सोचा था.
नेहा के कहने पर उसके माता-पिता ने पुलिस के साइबर सेल में नितिन के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया, मगर पुलिस की लेट-लतीफी के चलते छह महीने बीत चुके हैं, नितिन अभी तक उनके हत्थे नहीं चढ़ा है. इधर अक्षय के वकील की ओर से नेहा को तलाक का नोटिस मिल चुका है. एक्स बौयफ्रैंड की जलन और बदले की भावना ने नेहा की अच्छी-भली खुशहाल जिन्दगी खत्म कर दी है.

मेरठ की रागिनी भी अपने एक्स बौयफ्रैंड की हरकतों से परेशान है. पेशे से टीचर रागिनी को उसका एक्स बौयफ्रैंड मधुर आये दिन रास्ते में रोक कर डराने-धमकाने की कोशिश करता है. रागिनी पांच साल तक मधुर के साथ रिलेशनशिप में थी. मधुर की मोहक छवि ने रागिनी के दिलो-दिमाग पर जैसे कब्जा कर लिया था. वह अपनी आधी से ज्यादा सैलरी उस पर लुटाने लगी थी. मगर शादी की बात पर मधुर भी चुप लगा जाता था. रागिनी के माता-पिता ने भी कई बार मधुर से शादी के बारे में पूछा, मगर उसने कोई पक्का जवाब नहीं दिया. आखिरकार तंग आकर रागिनी ने उससे सम्बन्ध तोड़ लिये. कोलकाता के एक बड़े बिजनेसमैन प्रकाश के साथ जबसे रागिनी का रिश्ता तय हुआ है, वह खुश तो बहुत है, मगर दिल में मधुर का भय भरा हुआ है. यह डर इतना हावी है कि वह न तो शादी की खरीदारी के लिए घर से बाहर निकल रही है, न किसी से अपने रिश्ते की बात शेयर कर रही है. उसे और उसके माता-पिता को डर है कि जैसे ही मधुर को पता चलेगा कि उसकी शादी तय हो गयी है, वह जरूर कोई न कोई गलत हरकत करेगा. हो सकता है वह उसके होने वाले पति की जानकारी प्राप्त करके वहां कोई ऐसी बात पहुंचा दे, जिससे यह रिश्ता टूट जाएगा. हो सकता है वह रागिनी के साथ मारपीट करे या उसे शारीरिक नुकसान पहुंचाये. यह तमाम बुरे ख्याल रागिनी की खुशियों पर ग्रहण की तरह चस्पा हो गये हैं.

इस डर से रागिनी ने अपने सोशल मीडिया एकाउंट भी डिलीट कर दिये हैं, अपना मोबाइल फोन का नम्बर भी बदल दिया है, मगर डर है कि जाता ही नहीं है. मधुर के कारण ही रागिनी के माता-पिता बेटी की शादी कोलकाता जाकर कर रहे हैं. लड़के वालों को पहले तो यह बात अटपटी लगी थी, मगर इसमें उन्हें ही सहूलियत नजर आयी कि चलो, भारी-भरकम बारात लेकर मेरठ नहीं जाना पड़ेगा. काफी खर्चा बच जाएगा, यह सोच कर वे राजी भी हो गये. मेरठ में रागिनी के माता-पिता ने बेटी की शादी की बात बहुत नजदीकी रिश्तेदारों को बतायी है. कुछ गिने-चुने लोग ही शादी अटेंड करने के लिए कोलकाता जा रहे हैं. सबकुछ बेहद गुपचुप तरीके से प्लान हो रहा है. एक्स बौयफ्रैंड रागिनी के लिए ऐसा हौव्वा बन गया है कि वह अपनी खुशियां तक इन्जौय नहीं कर पा रही है.

‘प्यार’, ये शब्द किसी के भी मन में उमंग जगा देता है. दो लोग जब प्यार में होते हैं, तो उनके लिए एक-दूसरे की खुशी सबसे ज्यादा जरूरी होती है. लेकिन हर लव स्टोरी सक्सेसफुल हो, ऐसा होता नहीं है. रिश्ते टूटते भी हैं, और यहीं से पैदा होती है – ‘नफरत’. जरूरी नहीं कि हर केस में ऐसा हो, लेकिन ज्यादातर में ऐसा होता है. ब्रेकअप होने पर कुछ लोग अपनी जिन्दगी में मस्त हो जाते हैं या दूसरा साथी ढूंढ लेते हैं, वहीं कुछ लोग बदला लेने की ठान लेते हैं. सोचते हैं कि वो मेरी नहीं हुई तो किसी और की कैसे हो सकती है?
शाहरुख खान की फिल्म ‘डर’ आपको याद होगी. ‘क…क….क… किरण’ वाली. ये भी दिल टूटे आशिक की कहानी है, जो ऐसा ही सोचता कि तू मेरी न हुई तो तुझे किसी और का होने न दूंगा. खैर, वो तो फिल्म थी, जिसमें जूही चावला एक पगलाये आशिक से बच जाती हैं, मगर नेहा और रागिनी की जिन्दगी कोई फिल्म नहीं है, हकीकत है. जिसमें वे अपने एक्स बौयफ्रैंड की गलत हरकतों, साजिश और बदले का शिकार बन गयी हैं.

रिश्ता तोड़ते वक्त रखें सावधानी

एक मशहूर गीत के बोल हैं – वो अफसाना जिसे अन्जाम तक लाना न हो मुमकिन, उसे एक खूबसूरत मोड़ देकर छोड़ना अच्छा…. किसी के साथ रिश्ते में होना बेहद खूबसूरत अहसास है, मगर यह सुन्दर सपना जब टूटता है तो बड़ी चोट पहुंचती है. प्रेम सम्बन्ध टूटने की कुछ वजहें होती हैं – जैसे दोनों में से किसी एक का शादी के लिए राजी न होना, घरवालों का दबाव होना, धर्म-जाति का अलग-अलग होना, लड़के का नौकरी न करना, कोई फ्यूचर प्लैनिंग न होना वगैरह, वगैरह. जब आपको लगे कि आपका रिश्ता किसी मन्जिल तक नहीं पहुंच सकता तो ठीक-ठीक वजहें सामने रखकर अलग-अलग राह चुनने के लिए अपने पार्टनर से खुल कर बात करें. अगर वह आपसे सचमुच प्यार करता है तो वह आपकी बात को जरूर समझेगा.

ऐसे में आप आपसी समझौते के साथ एक दूसरे से खुशी-खुशी अलग हो सकते हैं. यदि आपका बौयफ्रैंड आपसे किसी मतलब से जुड़ा हुआ है तो वह आपको धमकी देने की या डराने की कोशिश करेगा. हो सकता है वह आपको ब्लैकमेल भी करे. ऐसे में तुरंत अपने माता-पिता को उसके बारे में बताएं और उसकी पुलिस कम्प्लेंट करें. ऐसे लोगों से डरने की कतई जरूरत नहीं है. डरने से इनके हौंसले बुलंद होते हैं और आप ठगी और ब्लैकमेलिंग का शिकार बन सकती हैं.
इसके अलावा ब्रेकअप के वक्त और उसके बाद कुछ बातें आपको ध्यान में रखनी चाहिएं ताकि भविष्य में जिससे भी आपकी शादी हो, उसके साथ आप खुश रह सकें और कभी अपने एक्स बौयफ्रैंड की किसी साजिश का शिकार न बनें.

बौयफ्रैंड से धीरे-धीरे दूरीं बनाएं

अगर आपकी शादी तय हो गयी है, तो जरूरी नहीं कि आप एक झटके में अपने प्रेमी से रिश्ता तोड़ दें. जब रिश्ता बनने में वक्त लगता है, तो उसे खत्म करने में भी लगेगा. इसलिए दूरी धीरे-धीरे बनाएं. उसे उन बातों का अहसास दिलाएं कि वह क्या मजबूरियां हैं, जिनके कारण आप उनसे दूर हो रही हैं. आप उनको इस बात के लिए तैयार करें कि वह उन मजबूरियों को समझे और अपनी उन कमियों को माने जिसके कारण आप उनसे दूर हो रही हैं. खुल कर सारी बात करें. अपनी परेशानी और अपनी इच्छाएं बताएं. एक पल में सबकुछ खत्म करने की कोशिश न करें, क्योंकि हो सकता है कि सामने वाला अचानक हुए खालीपन को बर्दाश्त न कर पाए. उसे समय दें और धीरे-धीरे सारे कॉन्टैक्ट खत्म करें. अगर आपके फोटोज या अन्य चीजें उसके पास हों तो वह वापस लेने की कोशिश करें.

बौयफ्रैंड के दिये गिफ्ट नष्ट कर दें

जब हम किसी के साथ रिलेशनशिप में होते हैं तो हमारे बीच तमाम चीजों का आदान-प्रदान होता है. हम बर्थडे, वैलेंटाइन डे या अन्य कई मौकों पर अपने प्रिय को गिफ्ट देते-लेते हैं. आपके बौयफ्रैंड ने भी आपको गिफ्ट, कार्ड या कपड़े इत्यादि दिये होंगे. इन्हें आप जितनी जल्दी खुद से दूर कर देंगी, उतनी जल्दी आप उसकी यादों से मुक्त हो पाएंगी. बौयफ्रैंड के दिये गिफ्ट को संभाल कर रखना कोई समझदारी नहीं है और इन्हें अपने साथ अपने पति के घर ले जाना तो महाबेवकूफी कहलाएगी. इसलिए इन तमाम चीजों को या तो लौटा दें या नष्ट कर दें. कोशिश करें कि आपने भी उन्हें जो गिफ्ट या कार्ड्स वगैरह दिये हैं, वो सब उससे वापिस मिल जाए. इन चीजों को भी नष्ट कर दें. नये जीवन में पुरानी चीजों की छाया नहीं पड़नी चाहिए.

ब्रेकअप के बाद खुद को समय दें

ब्रेकअप के बाद अक्सर यह अहसास होता है कि यह कुछ वक्त की दूरी है, हम फिर एक हो जाएंगे. इस अहसास से निकलना आसान नहीं होता है. ज्यादातर लोग ब्रेकअप के बाद उत्पन्न हुए खालीपन को भरने के लिए तुरंत कोई दूसरा दोस्त ढूंढ लेते हैं, या शादी के लिए तैयार हो जाते हैं, यह ठीक नहीं है. बौयफ्रैंड के साथ बिताये पलों को भूलने के लिए और सच्चाई को पूरी तरह स्वीकार करने के लिए खुद को समय दें. चिन्तन करें और अपने आपको समझाएं कि आपने जो कदम उठाया है, वह बिल्कुल ठीक है. नया दोस्त या जीवनसाथी चुनने में हड़बड़ी न करें. ठंडे दिमाग से, अच्छे भविष्य की आशा संजो कर, ठोंक-बजा कर नये रिश्ते में जाएं ताकि दोबारा आपको जुदाई का दर्द न सहना पड़े. इसके लिए अगर ब्रेकअप के बाद आपको साल-दो साल का वक्त लेना पड़े, तो गलत नहीं है. इस बीच आप अपनी पसंदीदा चीजें करें. ध्यान, व्यायाम, खानपान आदि पर ध्यान दें. चाहें तो कहीं फुल टाइम या शॉर्ट टाइम नौकरी कर लें. इससे आपको पुरानी बातें भूल कर भविष्य की योजनाएं बनाने में आसानी होगी.

शादी में बौयफ्रैंड को भूलकर भी न बुलाएं

भले आप आपसी समझौते के तहत अपने बौयफ्रैंड से अलग हुई हों और हो सकता है आप शादी के बाद भी अपने लवर को दोस्त की हैसियत से अपने करीब रखना चाहें, तो इसमें कोई हर्ज नहीं है, लेकिन कोशिश करें कि आप उन्हें अपनी शादी पर न बुलाएं, क्योंकि उस हालात में एक दूसरे का सामना करना मुश्किल होगा और आप खुद उनकी मौजूदगी में किसी और से शादी करने में असहज महसूस करेंगी. वहीं आपका एक्स बौयफ्रैंड उस व्यक्ति से जलन महसूस करेगा, जिसके गले में आप वरमाला डाल रही हैं. यह जलन कब बदले की भावना में बदल जाए, कहा नहीं जा सकता है. अपनी शादी की फोटोज भी अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर न डालें, न दोस्तों को वॉट्सेप वगैरह करें. इन फोटोज के सामने आने पर आपके एक्स के मन में जलन पैदा होगी, जो भविष्य में आपके लिए नुकसानदेह साबित हो सकती है.

पैसों का हिसाब-किताब खत्म करें

ऐसे कई प्रेमी जोड़े होते हैं, जो ज्वॉइन्ट अकाउंट, इंश्योरेंस पॉलिसी, प्रॉपर्टी इंवेस्टमेंट मिलकर करते हैं. शायद ये सोचकर कि उन दोनों को रिश्ते को साथ आगे लेकर जाना है. लेकिन अगर ब्रेकअप हो रहा है, तो ये सुनिश्चित कर लें कि आप पैसे-प्रॉपर्टी से जुड़े सारे हिसाब-किताब निपटा लें ताकि अन्य व्यक्ति से आपकी शादी के बाद कोई परेशानी पैदा न हो.

हसबैंड को ‘सबकुछ’ न बताएं

ये गलत होगा कि आप अपने जीवनसाथी से अपने पिछले रिश्ते की बात छुपाएं, लेकिन जरूरी ये भी नहीं कि अपने अतीत के बारे में ‘सबकुछ’ बताया जाए. आजकल स्कूल-कॉलेज में बौयफ्रैंड-गर्लफ्रेंड बनना आम बात है. इसको लेकर अक्सर पति अपनी पत्नी से सवाल नहीं करते हैं. जवानी में औपोज़िट सेक्स के प्रति आकर्षण होना एक स्वाभाविक क्रिया है. लोग यह मानने को तैयार ही नहीं होते कि स्कूल-कौलेज में आपका कोई प्रेमी या प्रेमिका नहीं रहा होगा. यह आम चलन है. इसलिए पति से यह बताना कि हां, आपका प्रेमी था, कोई गजब ढाने वाली बात नहीं होगी. हां, अगर आप अपने प्रेमी के बेहद करीब थीं, और उससे आपके शारीरिक सम्बन्ध थे, या आप उससे कभी प्रेगनेंट हुईं या आपका अबॉर्शन हुआ, तो जरूरी नहीं कि आप अपने पति को यह सारी बातें बताएं, क्योंकि यह कन्फेशन आपके रिश्ते में कड़वाहट भर देगा. इसलिए भावुकता में बह कर अतीत को पति के सामने खोल कर रख देना कोई समझदारी नहीं होगी. कोई भी पुरुष भले खुद को बेहद आधुनिक या खुले विचारों का बताये मगर यह बात कतई बर्दाश्त नहीं कर सकता कि उसकी पत्नी पहले किसी के साथ सो चुकी है.

शादी दूसरे शहर में करें

बौयफ्रैंड से ब्रेकअप के बाद जब आप नये रिश्ते में नया जीवन शुरू करें तो कोशिश करें कि किसी नये शहर में करें. अपने शहर में वही जगहें, वही पिक्चर हॉल, वही बाजार, वही पार्क जहां आप अपने बौयफ्रैंड की बाहों में बाहें डाले घूमा करती थीं. जहां आपने अपने जीवन के सबसे सुखद पल बिताये थे. ऐसे में पुरानी यादें हर वक्त आपके दिल पर तारी रहेंगी और आपको अपने नये जीवनसाथी के रंग में कभी रंगने नहीं देंगी. जब आप पति के साथ उन्हीं जगहों पर होंगी, तो मन ही मन पति की तुलना अपने बौयफ्रैंड से भी करती रहेंगी. बौयफ्रैंड की हर हरकत आपको याद आएगी. दिल में टीस उठेगी और आप अपने पति के साथ अपना वैवाहिक जीवन कभी एन्जॉय नहीं कर पाएंगी. इसलिए कोशिश करें कि शादी के लिए किसी अन्य शहर में रहने वाले पुरुष को चुनें. यदि ऐसा सम्भव न हो और शादी अपने ही शहर के लड़के से हो जाए तो अन्य शहर में नौकरी करने के लिए उन्हें प्रेरित करें. पुरानी जगह छोड़ने पर पुरानी यादें भी पीछे छूट जाती हैं और आने वाला वक्त हर घाव भर देता है.

पति की तुलना बौयफ्रैंड से न करें

हर शख्स की अपनी पर्सनेलिटी, आदतें, चाहतें और काम करने के तरीके होते हैं. हमारी दोस्ती किसी व्यक्ति से तब होती है, जब उसकी बातें, आदतें, पसन्द-नापसन्द हमसे मिलती-जुलती होती है. आपके बौयफ्रैंड की बहुत सी बातें शायद आपसे मिलती होंगी, तभी आपकी दोस्ती हुई और हो सकता है जिस व्यक्ति से आपकी शादी हुई है, उसकी आदतें आपसे कतई न मिलती हों. उस हालत में आपको अपने बौयफ्रैंड का ख्याल आ सकता है. सुमन को गाने का शौक था. उसका बौयफ्रैंड भी गाता था. इस हॉबी के चलते ही दोनों एक दूसरे के करीब आये थे. मगर किसी कारणवश दोनों शादी नहीं कर पाये. सुमन की शादी एक चार्टर्ड अकाउंटेंट से हुई है, जो गीत-संगीत में जरा भी रुचि नहीं रखता. ऐसे में सुमन को हर वक्त अपने बौयफ्रैंड की याद आती है और वह अक्सर अपने रूखे पति की तुलना उससे करती है. यही वजह है कि उसका वैवाहिक जीवन सुखी नहीं है.

वह हर वक्त अनमनी सी रहती है. हालांकि उसके पति में और कई खूबियां हैं, मगर सुमन ने उन खूबियों की ओर अब तक नजर नहीं डाली है. याद रखें कि आपने जिस व्यक्ति से शादी की है वह आपके एक्स से बहुत बेहतर है, क्योंकि उसने आपको स्थायित्व दिया है, आपको आर्थिक सुरक्षा दी है, समाज के सामने आपको अपना बनाया है, आप पर विश्वास किया है और अपना घर आपके हवाले किया है. क्या आपका बौयफ्रैंड आपको कभी इतना सब दे सकता था? शायद नहीं. तो इसलिए कभी भी अपने पति की तुलना उस व्यक्ति से न करें जो बेहद कमजोर था, जिसके अन्दर आपको अपनाने की ताकत नहीं थी, जिसने आपको प्रेम में धोखा दिया, आपके भोले मन को छला और आपको पीड़ा पहुंचायी.

एक रिश्ता किताब का: भाग 2- क्या सोमेश के लिए शुभ्रा का फैसला सही था

पापा मेरी बातें सुन कर अवाक् थे. इतने दिन मैं ने यह सब उन से क्यों नहीं कहा इसी बात पर नाराज होने लगे.

‘‘तुम अच्छी लड़की हो बेटा, तुम तो मेरा अभिमान हो…लोग कहते थे मैं ने एक ही बेटी पर अपना परिवार क्यों रोक लिया तो मैं यही कहता था कि मेरी बेटी ही मेरा बेटा है. लाखों रुपए लगा कर तुम्हें पढ़ायालिखाया, एक समझदार इनसान बनाया. वह इसलिए तो नहीं कि तुम्हें एक मानसिक रोगी के साथ बांध दूं. 4 महीने से तुम दोनों मिल रहे हो, इतना डांवांडोल चरित्र है सोमेश का तो तुम ने हम से कहा क्यों नहीं?’’

‘‘मैं खुद भी समझ नहीं पा रही थी पापा, एक दिशा नहीं दे पा रही थी अपने निर्णय को…लेकिन यह सच है कि सोमेश के साथ रहने से दम घुटता है.’’

रिश्ता तोड़ दिया पापा ने. हाथ जोड़ कर जगदीश चाचा से क्षमा मांग ली. बदहवासी में क्याक्या बोलने लगे जगदीश चाचा. मेरे मामा और ताऊजी भी पापा के साथ गए थे. घर वापस आए तो काफी उदास भी थे और चिंतित भी. मामा अपनी बात समझाने लगे, ‘‘उस का गुस्सा जायज है लेकिन वह हमारा ही शक दूर करने के लिए मान क्यों नहीं जाता. क्यों नहीं हमारे साथ सोमेश को डाक्टर के पास भेज देता.

शादी के बाद सब ठीक हो जाएगा, एक ही रट मेरे तो गले से नीचे नहीं उतरती. शादी क्या कोई दवा की गोली है जिस के होते ही मर्ज चला जाएगा. मुझे तो लगता है बापबेटा दोनों ही जिद्दी हैं. जरूर कुछ छिपा रहे हैं वरना सांच को आंच क्या. क्या डर है जगदीश को जो डाक्टर के पास ले जाना ही नहीं चाहता,’’ ताऊजी ने भी अपने मन की शंका सामने रखी.

‘‘बेटियां क्या इतनी सस्ती होती हैं जो किसी के भी हाथ दे दी जाएं. कोई मुझ से पूछे बेटी की कीमत…प्रकृति ने मुझे तो बेटी भी नहीं दी…अगर मेरी भी बेटी होती तो क्या मैं उसे पढ़ालिखा कर, सोचनेसमझने की अक्ल दिला कर किसी कुंए में धकेल देता?’’ रो पड़े थे ताऊजी.

मैं दरवाजे की ओट में खड़ी थी. उधर सोमेश लगातार मुझे फोन कर रहा था, मना रहा था मुझे…गिड़गिड़ा रहा था. क्या उस के पास आत्मसम्मान नाम की कोई चीज नहीं है. मैं सोचने लगी कि इतने अपमान के बाद कोई भी विवेकी पुरुष होता तो मेरी तरफ देखता तक नहीं. कैसा है यह प्यार? प्यार तो एहसास से होता है न. जिस प्यार का दावा सोमेश पहले दिन से कर रहा है वह जरा सा छू भर नहीं गया मुझे. कोई एक पल भी कभी ऐसा नहीं आया जब मुझे लगा हो कोई ऐसा धागा है जो मुझे सोमेश से बांधता है. हर पल यही लगा कि उस के अधिकार में चली गई हूं.

‘‘मैं बदनाम कर दूंगा तुम्हें शुभा, तेजाब डाल दूंगा तुम्हारे चेहरे पर, तुम मेरे सिवा किसी और की नहीं हो सकतीं…’’

मेरे कार्यालय में आ कर जोरजोर से चीखने लगा सोमेश. शादी टूट जाने की जो बात मैं ने अभी किसी से भी नहीं कही थी, उस ने चौराहे का मजाक बना दी. अपना पागलपन स्वयं ही सब को दिखा दिया. हमारे प्रबंधक महोदय ने पुलिस बुला ली और तेजाब की धमकी देने पर सलाखों के पीछे पहुंचा दिया सोमेश को.

उधर जगदीश चाचा भी दुश्मनी पर उतर आए थे. वह कुछ भी करने को तैयार थे, लेकिन अपनी और अपने बेटे की असंतुलित मनोस्थिति को स्वीकारना नहीं चाहते थे. हमारा परिवार परेशान तो था लेकिन डरा हुआ नहीं था. शादी की तारीख धीरेधीरे पास आ रही थी जिस के गुजर जाने का इंतजार तो सभी को था लेकिन उस के पास आने का चाव समाप्त हो चुका था.

शादी की तारीख आई तो मां ने रोक लिया, ‘‘आज घर पर ही रह शुभा, पता नहीं सोमेश क्या कर बैठे.’’

मान गई मैं. अफसोस हो रहा था मुझे, क्या चैन से जीना मेरा अधिकार नहीं है? दोष क्या है मेरा? यही न कि एक जनून की भेंट चढ़ना नहीं चाहती. क्यों अपना जीवन नरक बना लूं जब जानती हूं सामने जलती लपटों के सिवा कुछ नहीं.

मेरे ममेरे भाई और ताऊजी सुबह ही हमारे घर पर चले आए.

‘‘बूआ, आप चिंता क्यों कर रही हैं…हम हैं न. अब डरडर कर भी तो नहीं न जिआ जा सकता. सहीगलत की समझ जब आ गई है तो सही का ही चुनाव करेंगे न हम. जानबूझ कर जहर भी तो नहीं न पिआ जा सकता.’’

मां को सांत्वना दी उन्होंने. अजीब सा तनाव था घर में. कब क्या हो बस इसी आशंका में जरा सी आहट पर भी हम चौंक जाते थे. लगभग 8 बजे एक नई ही करवट बदल ली हालात ने.

जगदीश चाचा चुपचाप खड़े थे हमारे दरवाजे पर. आशंकित थे हम. कैसी विडंबना है न, जिन से जीवन भर का नाता बांधने जा रहे थे वही जान के दुश्मन नजर आने लगे थे.

पापा ने हाथ पकड़ कर भीतर बुलाया. हम ने कब उन से दुश्मनी चाही थी. जोरजोर से रोने लगे जगदीश चाचा. पता चला, सोमेश सचमुच पागलखाने में है. बेडि़यों से बंधा पड़ा है सोमेश. पता चला वह पूरे घर को आग लगाने वाला था. हम सब यह सुन कर अवाक् रह गए.

‘‘मुझे माफ कर दो बेटी. तुम सही थीं. मेरा बेटा वास्तव में संतुलित दिमाग का मालिक नहीं है. मेरा बच्चा पागल है. वह बचपन से ही ऐसा है जब से उस की मां चली गई.’’

सोमेश की मां तभी उन्हें छोड़ कर चली गई थी जब वह मात्र 4 साल का था. यह बात मुझे पापा ने बताई थी. पतिपत्नी में निभ नहीं पाई थी और इस रिश्ते का अंत तलाक में हुआ था.

‘‘…मैं क्या करता. मांबाप दोनों की कमी पूरी करताकरता यह भूल ही गया कि बच्चे को ना सुनने की आदत भी डालनी चाहिए. मैं ने ना सुनना नहीं न सिखाया, आज तुम ने सिखा दिया. दुनिया भी सिखाएगी उसे कि जिस चीज पर भी वह हाथ रखे, जरूरी नहीं उसे मिल ही जाए,’’ रो रहे थे जगदीश चाचा, ‘‘सारा दोष मेरा है. मैं ने अपनी शादी से भी कुछ ज्यादा ही अपेक्षाएं कर ली थीं जो पूरी नहीं उतरीं. जिम्मेदारी न समझ मजाक ही समझा. मेरी पत्नी की और मेरी निभ नहीं पाई जिस में मेरा दोष ज्यादा था. मेरे ही कर्मों का फल है जो आज मेरा बच्चा बेडि़यों में बंधा है…मुझे माफ कर दो बेटी और सदा सुखी रहो… हमारी वजह से बहुत परेशानी उठानी पड़ी तुम्हें.’’

हम सब एकदूसरे का मुंह देख रहे थे. जगदीश चाचा का एकाएक बदल जाना गले के नीचे नहीं उतर रहा था. कहीं कोई छलावा तो नहीं है न उन का यह व्यवहार. कल तक मुझे बरबाद कर देने की कसमें खा रहे थे, आज अपनी ही बरबादी की कथा सुना कर उस की जिम्मेदारी भी खुद पर ले रहे थे.

‘‘बेटी, मैं ने सच में औरों से कुछ ज्यादा ही उम्मीदें लगाई हैं. सदा लेने को हाथ बढ़ाया है देने को नहीं. सदा यही चाहा कि सामने वाला मेरे अनुसार अपने को ढाले, कभी मैं भी वह करूं जो सामने वाले को अच्छा लगे, ऐसा नहीं सोचा. जैसा मैं था वैसा ही सोमेश को भी बनाता गया…बेहद जिद्दी और सब पर अपना ही अधिकार समझने वाला…ऐसा इनसान जीवन में कभी सफल नहीं होता बेटी. न मेरी शादी सफल हुई न मेरी परवरिश. न मैं अच्छा पति बना न अच्छा पिता. अच्छा किया जो तुम ने शादी से मना कर दिया. कम से कम तुम्हारे इनकार से मेरी इस जिद पर एक पूर्णविराम तो लगा.’’

आगे पढ़ें- तूफान के बाद की शांति घर भर में…

GHKKPM: पत्रलेखा को छोड़ विराट थामेगा सई का हाथ! पाखी का होगा बुरा हाल

टीआरपी की लिस्ट में टॉप पर रहने वाले हिट टीवी सीरियल ‘Ghum Hai Kisikey Pyaar Meiin’ की कहानी में आए जबरदस्त ट्विस्ट ने दर्शकों का दिमाग भी चकरा दिया है. सीरियल में विनायक को लेकर शुरू हुई कहानी अभी तक अंजाम पर नहीं पहुंची है. अब तक आप ने देखा होगा कि विनायक की सच्चाई सई और विराट के अलावा पत्रलेखा को भी पता चल चुकी है. हालांकि, इस बात से पर्दा नहीं उठाया गया है कि पत्रलेखा के पर्स में मिला पेपर जिसमें विनायक की सच्चाई लिखी थी उसे किसने रखा था. विराट जैसे-तैसे मनाकर पत्रलेखा और विनायक को घर तो ले आता है लेकिन अंदर ही अंदर वो सई के लिए बुरा भी महसूस कर रहा है.

 

विराट को होगा  पछतावा 

विराट को इस बात का पछतावा है कि सई के साथ उसने गलत किया है. सीरियल में आगे एक और गजब का ट्विस्ट आने वाला है. ‘गुम है किसी के प्यार में’ के लेटेस्ट प्रोमो वीडियो में दिखाया गया है कि विराट एक सपना देखता है जिसमें उसे दिखता है कि सई अपने दोनों बच्चों सवि और विनायक को लेकर कहीं जा रही है और वो विराट को भी अपने साथ चलने के लिए बोलती है. इतने में ही विराट की आंख खुल जाती है और वो अपने सपने से खुश दिखता है और सई का नाम लेता है. पत्रलेखा, विराट को सई का नाम लेते हुए सुन लेती है. खबरों की मानें तो आने वाले समय में सई, पाखी को मानसिक रूप से बीमार साबित करेगी.

 

वीनु रहेगा पाखी के साथ 

जिसके बाद वह विराट से कहेगी कि विनायक का उसके साथ रहना बिल्कुल ठीक नहीं है. दरअसल, अब सई के पास कोई और विकल्प नहीं बचा है विनायक को पाने का, क्योंकि वकील की तरफ से भी सई के हाथ निराशा ही लगी है. वकील का कहना है कि विराट और पाखी ने विनायक को गोद ले लिया है तो अब किसी को विनायक की कस्टडी नहीं मिल सकती है.

 

अभिमन्यु हुआ अक्षरा के लिए परेशान, भाई की कड़वी बातें सुनकर टूटा अक्षरा का दिल

ये रिश्ता क्या कहलाता है टीवी का हिट सीरियल है, जो लगभग 14 सालों से दर्शकों को एंटरटेन कर रहा है. इस सीरियल में मेकर्स ने समय-समय पर कई बडे़ बदलाव किए. साथ ही स्टार कास्ट तक में बदल दी गई. लेकिन मेकर्स के हर ट्विस्ट ने दर्शकों का दिल जीता है. सीरियल की कहानी में प्रणाली राठौड़ (Pranali Rathod) और हर्षद चोपड़ा (Harshad Chopda) लीड रोल निभा रहे हैं. अक्षरा और अभिमन्यु बनकर दोनों ही एक्टर्स सीरियल में आग लगा देते हैं. कहानी में इन दिनों अक्षरा और अभिमन्यु का इमोशनल ट्रैक चल रहा है. दोनों की छह साल बाद कसौली में मुलाकात हुई और अब अभि उदयपुर लौट आया है. लेकिन कहानी में आगे एक और बड़ा ट्विस्ट आने वाला है. उदयपुर में अभिमन्यु की बुरी हालत देखने को मिलेगी.

 

सड़कों पर दर-दर भटकेगा अभिमन्यु

ये रिश्ता क्या कहलाता है (Yeh Rishta Kya Kehlata Ha) में जब अभिमन्यु अक्षरा से माफी मांगता है तो अक्षु उसे माफ करने से इनकार कर देती है और इसी वजह से अब अभि काफी ज्यादा परेशान है. सीरियल में आगे देखने को मिलेगा कि अभि जब घर पहुंचता है तो रूही उसे अक्षरा का भजन सुनाती है, जिस वजह से वह काफी इमोशनल हो जाता है और घर में किसी से मिले बिना वापिस बाहर की ओर निकल जाता है. इसके बाद अभिमन्यु अपने दुख में सड़कों पर दर-दर भटकता है और फिर एक मोड़ पर वह गिर भी जाता है. यहां पर आस-पास के लोग उस संभालते हैं. वहीं, दूसरी तरफ घर पर मंजरी और आरोही दोनों ही अभिमन्यु के लिए परेशान हो रही होती हैं.

 

अपने जूनियर के सामने फूट-फूटकर रोएगा अभिमन्यु

कहानी में आगे भी इमोशनल सीन्स ही दिखाए जाएंगे. ये रिश्ता क्या कहलाता है में जब अभिमन्यु सड़क पर लेटा हुआ होगा, तब वहां मौजूद लोग उसके फोन से घर पर फोन करते हैं लेकिन फोन अभि के जूनियर का लगता है, जिसके बाद जूनियर भी तुरंत ही अभिमन्यु को लेने पहुंच जाता है. यहां पर वह खुद अभि की ऐसी हालत देखकर हैरान रह जाता है.

आधी आबादी: न शिक्षा मिली न अधिकार

जुलाई, अगस्त 2022 में महिलाओं को ले कर 2-2 गुड न्यूज आई हैं- पहली रोशनी नेदार ने भारत की सब से अमीर महिला होने का गौरव हासिल किया है तो दूसरी ओर सावित्री जिंदल ने एशिया की सब से अमीर महिला होने का खिताब जीता है. इन दोनों महिलाओं की आर्थिक जगत में कामयाबी इशारा करती हैं कि महिलाएं आज सामाजिक और आर्थिक मोरचे पर पुरुषों से भी आगे निकल रही हैं.

लेकिन यह तसवीर का एक छोटा और अधूरा पहलू है क्योंकि जिस देश की आबादी 150 करोड़ से भी ज्यादा हो वहां की आधी आबादी यानी महिला शक्ति अभी भी आर्थिक मोरचे पर पुरुषों के मुकाबले बहुत कमजोर है.

इस के कारणों का विश्लेषण करेंगे तो शिक्षा ही एक ऐसा कारण नजर आता है, जो सालों से महिलाओं को पुरुषों से काबिलीयत में पीछे कर रहा है. भारत में महिलाओं की शैक्षणिक स्थिति का जायजा लेने जाएंगे तो आज भी देश के कसबों, गांवों में महिलाएं स्कूल जाने के बजाय चूल्हेचौके में अपने भविष्य को  झोंक रही हैं. यही वजह है कि आजादी के 75 सालों के बाद भी शिक्षा के मोरचे पर महिलाएं फेल हैं.

महिला साक्षरता दर में राजस्थान फिसड्डी

अगर बात करें महिला साक्षरता की तो देश के अन्य राज्यों की तुलना में राजस्थान की स्थिति काफी खराब है. आंकड़ों के अनुसार महिला साक्षरता दर में राजस्थान फिसड्डी राज्य की श्रेणी में आता है. ऐसा हम नहीं कह रहे बल्कि यह जनगणना के आंकड़े बताते हैं. राजस्थान के जालौर और सिरोही में महिला साक्षरता दर महज 38 और 39% है जो काफी कम है. हालत में अभी भी ज्यादा सुधार नहीं है.

बिहार का हाल भी बेहाल

एनएसओ की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि बिहार में पुरुष साक्षरता दर महिलाओं से ज्यादा है. बिहार में जहां 79.7% पुरुष साक्षर हैं, वहीं सिर्फ 60% महिलाएं ही साक्षर हैं. बिहार में कुल ग्रामीण साक्षरता दर 69.5% है, वहीं शहरी साक्षरता 83.1% है.

बिहार में लगभग 36.4% लोग निरक्षर

बिहार में 36.4% लोग निरक्षर हैं. 19.2% लोग प्राथमिक स्कूल तक पढ़े, 16.5% लोग माध्यमिक तक, 7.7% उच्चतर माध्यमिक तक, 6% स्नातक तक. महिला निरक्षरता दर 47.7% है, जो पुरुषों की तुलना में लगभग 21% अधिक है.

 झारखंड की स्थिति भी खराब

अगर  झारखंड में महिला साक्षरता की बात करें तो वहां भी स्थिति अच्छी नहीं है. आज भी राज्य की 38% से अधिक महिलाओं को एक वाक्य भी पढ़ना नहीं आता है. अगर बात करें ग्रामीण क्षेत्रों की तो स्थिति और भी खराब है. वहां 55.6% महिलाएं पढ़नालिखना भी नहीं जानती हैं. इस का खुलासा भारत सरकार द्वारा 2019-2021 के बीच करवाए गए राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण से हुआ था.

आंध्र प्रदेश भी पीछे

आंध्र प्रदेश में महिला और पुरुष के बीच साक्षरता दर का अंतर 13.9% है. यह भी काफी ज्यादा है.

चौंकाने वाले फैक्ट्स

राष्ट्रीय सांख्यिकी की प्रकाशित रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. इस में सर्वेक्षण 2017 और 2018 के दौरान पुरुषों की साक्षरता दर 80.08% बताई गई, जबकि महिलाओं में यह आंकड़ा महज 57.6% दर्ज किया गया और अगर आज की बात करें तो आज भी साक्षरता के मामले में पुरुषों और महिलाओं में काफी अंतर देखने को मिलता है. जहां पुरुषों में साक्षरता दर 82.14% है, वहीं महिलाओं में यह प्रतिशत सिर्फ और सिर्फ 65.45% है जो काफी कम है.

महिलाओं और पुरुषों की साक्षरता दर

एनएसओ की तरफ से 2 साल पहले किए गए सर्वे में पता चला था कि केरल में 97.4% पुरुष साक्षर हैं, तो महिलाएं 95.2%. दिल्ली में 93.7% पुरुष तो महिलाएं 82.4%. आंध्र प्रदेश में 73.4% पुरुष, तो 59.5% महिलाएं. राजस्थान में 80.8% पुरुष, तो 57.6% महिलाएं. बिहार में 79.7% पुरुष, तो 60.5% महिलाएं साक्षर हैं.

उत्तर प्रदेश में न्यूनतम महिला साक्षरता वाले जिले: जनसंख्या की दृष्टि से उत्तर प्रदेश जो देश में नंबर 1 पर आता है, लेकिन आप 2011 की जनगणना के अनुसार आंकड़े जान कर हैरान रह जाएंगे क्योंकि हम आप को यहां के न्यूनतम महिला साक्षरता वाले जिलों से रूबरू जो करवा रहे हैं- श्रावस्ती में महिला साक्षरता दर 34.78%, बलरामपुर में 38.43%, बहराइच में 39.18%, बदायूं में 40.09%, रामपुर में 44.44% है. आंकड़े देख कर आप भी हैरान रह गए न.

अशिक्षित होने की वजह से महिलाओं को क्याक्या परेशानियां होती हैं

नौकरी न मिलना

जब महिलाएं पढ़ीलिखी नहीं होतीं, तब न तो उन्हें परिवार सम्मान देता है और न ही समाज. अपने अनपढ़ होने की वजह से वे कहीं नौकरी भी नहीं कर पातीं, जिस के कारण उन्हें मजबूरीवश अपनों की यातनाएं  झेलनी पड़ती हैं. सब उन्हें कुछ नहीं आता, कह कर बेवकूफ सम झते हैं. उन की किचन स्किल्स को कुछ नहीं सम झा जाता.

लेकिन अगर महिलाएं पढ़लिख कर अपने पैरों पर खड़ी हो जाएं, तब न तो उन्हें किसी की यातनाएं सहनी पड़ेंगी और न ही हर गलत बात में हां में हां मिला कर चलना पड़ेगा. वे अपने मन की कर पाएंगी और कुछ गलत होने पर उसे सहेंगी भी नहीं बल्कि उस के खिलाफ आवाज उठा पाएंगी जो समाज में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अत्याचारों को कम करने और महिलाओं को स्ट्रौंग बनाने में मदद करेगा.

बच्चों को पढ़ाने में दिक्कत

अगर मां पढ़ीलिखी होगी तो वह अपने बच्चों को खुद पढ़ा कर अच्छी शिक्षा दे पाएगी. लेकिन अगर वे ही पढ़ीलिखी न हो तो न तो वह अपने बच्चों की पढ़ाई में मदद कर पाएगी, जिस कारण मां की बच्चों के साथ अच्छी ट्यूनिंग भी नहीं होगी.

स्कूलगोइंग बच्चे भी हमारी मां को कुछ नहीं आता, कह कर बेइज्जत किए बिना नहीं रह पाते हैं. ऐसे में मां लाचार और बेचारी बन कर रह जाती है, जबकि आज जरूरत है कि आप पढ़लिख कर आगे बढ़ें, खुद भी पढें और अपने बच्चों को भी आगे बढ़ने में खूब मदद करें.

अधिकारों के लिए लड़ने में असमर्थ

जब महिलाएं शिक्षित ही नहीं होंगी तो अधिकारों का ज्ञान कैसे होगा. जो जिसने जैसे बता दिया, बस उसी को पत्थर की लकीर मान कर बैठ गए. लेकिन अगर आप पढ़ीलिखी होंगी, तो आप अपने अधिकारों के लिए लड़ेंगी. न गलत सहेंगी और न गलत होने देंगी. इस से आप को सम्मान तो मिलेगा ही, साथ ही आप समाज में अपनी एक अलग जगह भी बना पाएंगी.

जबरन शादी के लिए मजबूर होना

जब लड़की पढ़ीलिखी नहीं होती तो उस के पेरैंट्स उस की जहां शादी तय करते हैं, उसे करनी पड़ती है. फिर चाहे लड़का उसे नापसंद ही क्यों न हो. लेकिन अगर लड़की पढ़ीलिखी होगी, तो वह अपने लिए सही पार्टनर का चुनाव खुद कर पाएगी. खुद आत्मनिर्भर होने के कारण कोई भी उस पर जोरजबरदस्ती नहीं कर पाएगा. उसे अपने लिए जो सही लगेगा, वह खुल कर अपनों के सामने राय रख पाएगी.

ये तो कुछ चुनिंदा कारण हैं और भी कई कारण हैं, जिस के कारण महिलाओं को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. ऐसे में जरूरी है कि हम आजादी के 75 सालों का जश्न मनाने के साथसाथ खुद को कैसे अपने पैरों पर खड़ा करें, इस ओर भी गंभीरता से ध्यान दें.

स्नैक्स में परोसें पालक ओट्स वड़ा

वड़ा की कई रेसिपी आपने ट्राय की होगी, लेकिन क्या आपने हेल्दी और टेस्टी पालक ओट्स वड़ा की रेसिपी ट्राय की है. ये हेल्दी और टेस्ट रेसिपी आप आसानी से फैस्टिव सीजन में अपनी फैमिली और फ्रैंड्स के लिए बना सकती हैं.

सामग्री

– 100 ग्राम पालक के मुलायम पत्ते

– 3/4 कप ओट्स

– 1/4 कप मूंग दाल पाउडर

– 1/4 कप ब्रैडक्रंब्स

– 1 छोटा चम्मच अदरक व हरीमिर्च पेस्ट

– 1/2 कप आलू उबले व मैश किए

– थोड़ी सी धनियापत्ती कटी

– 1 बड़ा चम्मच दही, डीप फ्राई करने के लिए रिफाइंड औयल, लालमिर्च पाउडर, अमचूर पाउडर, चाटमसाला

– नमक स्वादानुसार

विधि

  • ओट्स को तवे पर हलका सा भूनें और ठंडा कर के मिक्सी में पीस लें. पालक के पत्तों को धो कर बारीक काटे लें.
  • फिर बाकी सारी सामग्री मिलाएं. नीबू के बराबर थोड़ाथोड़ा मिश्रण ले कर गोल करें.
  • फिर हाथ से थोड़ा चपटा करें और उंगली से बीच में छेद कर लें.
  • गरम तेल में धीमी आंच पर ओट्स बड़ा सुनहरा होने तक फ्राई कर लें. चटनी या सौस के साथ सर्व करें.

व्यंजन सहयोग : नीरा कुमार, शैफ आनंद, शैफ रनवीर बरार

एक रिश्ता किताब का: भाग 3- क्या सोमेश के लिए शुभ्रा का फैसला सही था

निरंतर रो रहे थे जगदीश चाचा. पापा भी रो रहे थे. शायद हम सब भी. इस कथा का अंत इस तरह होगा किस ने सोचा था. जगदीश चाचा सब रिश्तों को खो कर इतना तो समझ ही गए थे कि अकेला इनसान कितना असहाय, कितना असुरक्षित होता है. सब गंवा कर दोस्ती का रिश्ता बचाना सीख लिया यही बहुत था, एक शुरुआत की न जगदीश चाचा ने. पापा ने माफ कर दिया जगदीश चाचा को. सिर से भारी बोझ हट गया, एक रिश्ता तोड़ एक रिश्ता बचा लिया, सौदा महंगा नहीं रहा.

तूफान के बाद की शांति घर भर में पैर पसारे थी. दोपहर का समय था जब मेरे एक सहयोगी ने दरवाजा खटखटाया. कंधे पर बैग और हाथ में शादी का तोहफा लिए मामा ने उन्हें अंदर बिठाया. मैं मिलने गई तो विजय को देख कर सहसा हैरान हो गई.

‘‘अरे, शादी वाला घर नहीं लग रहा आप का…आप भी मेहंदी से लिपीपुती नहीं हैं…पंजाबी दुलहन के हाथ में तो लंबेलंबे कलीरे होते हैं न. मुझे तो लगा था कि पहुंच ही नहीं पाऊंगा. सीधा स्टेशन से आ रहा हूं. आप पहले यह तोहफा ले लीजिए. अभी फुरसत है न. रात को तो आप बहुत व्यस्त होंगी. जरा खोल कर देखिए न, आप की पसंद का है कुछ.’’

एक ही सांस में विजय सब कह गए. उन के चेहरे पर मंदमंद मुसकान थी, जो सदा ही रहती है. आफिस के काम से उन को मद्रास में नियुक्त किया गया था. अच्छे इनसान हैं. मेरी शादी के लिए ही इतनी दूर से आए थे. आसपास भी देख रहे थे.

‘‘क्या बात है शुभाजी, घर में शादी की चहलपहल नहीं है. क्या शादी का प्रबंध कहीं और किया गया है? आप जरा खोल कर देखिए न इसे…माफ कीजिएगा, मुझे रात ही वापस लौटना होगा. आप को तो पता है कि छुट्टी मिलना कितना मुश्किल है…मैं तो किसी तरह जरा सा समय खींच पाया हूं. आप को दुलहन के रूप में देखना चाहता था. आप के हाथों में वह सब कैसा लगता वह सब देखने का लोभ मैं छोड़ ही नहीं पाया.’’

विजय के शब्दों की बेलगाम दौड़ कभी मेरे हाथ में दिए गए तोहफे पर रुकती और कभी आसपास के चुप माहौल पर. इतनी दूर से मुझे बस दुलहन के रूप में देखने आए थे. चाहते थे तोहफा अभी खोल कर देख लूं.

‘‘आप बहुत अच्छी हैं शुभाजी, सोेमेशजी बहुत किस्मत वाले हैं जो आप उन्हें मिलने वाली हैं. आप सदा सुखी रहें. मेरी यह दिली ख्वाहिश है.’’

सहसा उन का हाथ मेरे सिर पर आया. सिहर गया था मेरा पूरा का पूरा अस्तित्व. नजरें उठा कर देखा कुछ तैर रहा था आंखों में.

‘‘क्या बात है, शुभाजी, सब ठीक तो है न…घबराहट हो रही है क्या?’’

क्या कहूं मैं सोेमेश के बारे में, और विजय को भी क्या समझूं. विजय तो आज भी वहीं खड़े हैं जहां तब खड़े थे जब मेरी सोमेश के साथ सगाई हुई थी. एक मीठा सा भाव रहता था सदा विजय की आंखों में. कुछ छू जाता था मुझे. इस से पहले मैं कुछ समझ पाती सोमेश से मेरी सगाई हो गई और जितना समय सगाई को हुआ उतने ही समय से विजय की नियुक्ति भी मद्रास में है, जिस वजह से यह प्रकरण पुन: कभी उठा ही नहीं था. भूल ही गई थी मैं विजय को.

तभी पापा भीतर चले आए और मैं तोहफा वहीं मेज पर टिका कर भीतर चली आई. अपने कमरे में दुबक सुबक- सुबक कर रो पड़ी. जाहिर सा था पापा ने सारी की सारी कहानी विजय को सुना दी होगी. कुछ समय बीत गया…फिर ऐसा लगा बहुत पास आ कर बैठ गया है कोई. कान में एक मीठा सा स्वर भी पड़ा, ‘‘आप ने अभी तक मेरा तोहफा खोल कर नहीं देखा शुभाजी. जरा देखिए तो, क्या यह वही किताब है जिसे सोमेश ने जला दिया था…देखिए न शुभाजी, क्या इसी किताब को आप पिछले साल भर से ढूंढ़ रही थीं. देखिए तो…

‘‘शुभा, आप मेरी बात सुन रही हैं न. जो हो गया उसे तो होना ही था क्योंकि सोमेश इतनी अच्छी तकदीर का मालिक नहीं था और जिस रिश्ते की शुरुआत ही धोखे और खराब नीयत से हो उस का अंत कैसा होता है. सभी जानते हैं न. आप कमरे में दुबक कर क्यों रो रही हैं. आप ने तो किसी को धोखा नहीं दिया, तो फिर दुखी होने की क्या जरूरत. इधर देखिए न…’’

मेरा हाथ जबरदस्ती अपनी तरफ खींचा विजय ने. स्तब्ध थी मैं कि इतना अधिकार विजय को किस ने दिया? दोनों हाथों से मेरा चेहरा सामने कर आंसू पोंछे.

‘‘इतनी दूर से मैं आप के आंसू देखने तो नहीं आया था. आप बहुत अच्छी लगती थीं मुझे…अच्छे लोग सदा मन के किसी न किसी कोने में छिपे रहते हैं न. यह अलग बात है कि आप ने मन का कोई कोना नहीं पूरा मन ही बांध रखा था… आप का हाथ मांगना चाहता था. जरा सी देर हो गई थी मुझ से. आप की सगाई हो गई और मैं जानबूझ कर आप से दूर चला गया. सदा आप का सुख मांगा है…प्रकृति से यही मांगता रहा कि आप को कभी गरम हवा छू भी न जाए.

‘‘आप की एक नन्ही सी इच्छा का पता चला था.

‘‘याद है एक शाम आप बुक शाप में यह किताब ढूंढ़ती मिल गई थीं. आप से पता चला था कि आप इसे लंबे समय से ढूंढ़ रही हैं. मैं ने भी इसे मद्रास में ढूंढ़ा… मिल गई मुझे. सोचा शादी में इस से अच्छा तोहफा और क्या होगा…इसे पा कर आप के चेहरे पर जो चमक आएगी उसी में मैं भी सुखी हो लूंगा इसीलिए तो बारबार इसे खोल कर देख लेने की जल्दी मचा रहा था मैं.’’

पहली बार नजरें मिलाने की हिम्मत की मैं ने. आकंठ डूब गई मैं विजय के शब्दों में. मेरी नन्ही सी इच्छा का इतना सम्मान किया विजय ने और इसी इच्छा का दाहसंस्कार सोमेश के पागलपन को दर्शा गया जिस पर इतना बड़ा झूठ तारतार कर बिखर गया.

‘‘आप को दुलहन के रूप में देखना चाहता था, तभी तो इतनी दूर से आया हूं. आज का दिन आप की शादी का दिन है न. तो शादी हो जानी चाहिए. आप के पापा और मां ने पूछने को भेजा है. क्या आप मेरा हाथ पकड़ना पसंद करेंगी?’’

क्या कहती मैं? विजय ने कुछ कहने का मौका ही नहीं दिया. झट से एक प्रगाढ़ चुंबन मेरे गाल पर जड़ा और सर थपक दिया. शायद कुछ था जो सदा से हमें जोड़े था. बिना कुछ कहे बिना कुछ सुने. कुछ ऐसा जिसे सोमेश के साथ कभी महसूस नहीं किया था.

विजय बाहर चले गए. पापा और मां से क्याक्या बातें करते रहे मैं ने सुना नहीं. ऐसा लगा एक सुरक्षा कवच घिर आया है आसपास. मेरी एक नन्ही सी इच्छा मेरी वह प्रिय किताब मेरे हाथों में चली आई. समझ नहीं पा रही हूं कैसे सोमेश का धन्यवाद करूं?

GHKKPM: साई के लिए फूट-फूटकर रोया विराट, देखा साथ जीने का सपना

स्टार प्लस का धमाकेदार सीरियल ‘गुम है किसी के प्यार में’ इन दिनों कई ट्विस्ट और टर्न्स से गुजर रहा है. नील भट्ट और आयशा सिंह के ‘गुम है किसी के प्यार में’ की पूरी कहानी विनायक की ओर घुमा दी गई है. जहां एक तरफ सई अपना बच्चा वापिस चाहती है तो वहीं विराट ने एक बार फिर से रंग बदलकर सई की जगह पत्रलेखा का साथ दिया. बीते दिन भी आयशा सिंह (Ayesha Singh) के गुम है किसी के प्यार में (Gum Hai Kisi Ke Pyar Mein) दिखाया गया कि विराट फिर से पत्रलेखा का साथ देता है और सई के सामने उसे विनायक की मां साबित करता है. वहीं सई को खाली हाथ घर लौटना पड़ता है. लेकिन नील भट्ट और आयशा सिंह के ‘गुम है किसी के प्यार में’ में आने वाले मोड़ यहीं खत्म नहीं होते हैं.

 

 

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पत्रलेखा को बुरी नजर कहकर ताना मारेंगी भवानी काकू

‘गुम है किसी के प्यार में’ में दिखाया जाएगा कि जहां एक तरफ खाली हाथ लौटने पर सई सवि के गले लगकर रोती है. वहीं विनायक को देख पूरे चव्हाण निवास में खुशी की लहर दौड़ पड़ती है. अश्विनी पत्रलेखा को उसके किए के लिए चिल्लाने की कोशिश करती है, लेकिन विराट उसे रोक देता है. वहीं भवानी काकू विनायक की नजर उतारती हैं और पत्रलेखा की ओर इशारा करते हुए कहती हैं, “कभी-कभी लोगों की बुरी नजर लग जाती है और वो बुरे लोग अपने ही होते हैं.”

 

अपने किये पर फूट-फूटकर रोएगा विराट

आयशा सिंह के ‘गुम है किसी के प्यार में’ में दिखाया जाएगा कि विराट को अपने किये पर पछतावा होता है. वह किसी सूनसान जगह पर जाता है और जोर-जोर से चिल्लाकर अपने मन की भड़ास निकालता है. विराट रोते-रोते कहता है कि मुझे माफ करना सई कि मैंने कल तुम्हारा साथ नहीं दिया. क्योंकि अगर मैं कल तुम्हारा साथ देता तो पत्रलेखा अपनी जान ले लेती.

 

वकील के पास से भी खाली हाथ लौटेगी सई

टीवी शो ‘गुम है किसी के प्यार में’ में एंटरटेनमेंट का डोज यहीं पर खत्म नहीं होता है. शो में सई विनायक की कस्टडी के लिए वकील के पास जाती है. वकील के पूछने पर वह बताती है कि उसने अपनी मर्जी से पति को छोड़ा था और उसके पति ने विनायक को गोद लिया था. वकील सई को समझाता है कि वह कस्टडी केस फाइल नहीं कर सकती है, क्योंकि जिस वक्त विराट ने वीनू को गोद लिया, उन्हें पता नहीं था कि वह उन्हीं का बेटा है. वकील सई को समझाता है कि गोद लेने के बाद बच्चे पर उसके असली मां-बाप का हक खत्म हो जाता है. यह सुनकर सई की आंख में आंसू आ जाते हैं.

Urfi Javed ने कहीं ऐसी अटपटी बात,‘आज मैंने नहीं मेरे Iphone ने कपड़े उतारे…’

सोशल मीडिया पर आए दिन अजीबोगरीब आउटफिट में दिखाई देने वाली उर्फी जावेद ने लोगों को फिर चौंका दिया है. उर्फी ने इस बार डेनिम जींस को टॉप की तरह शोल्डर तक पहना है. उर्फी का यह लुक देख कुछ लोग कह रहे हैं कि लगता है फैशन के लिए अब उर्फी के पास बजट नहीं बचा है.

उर्फी जावेद की तस्वीरों के फिर हो रहे चर्चे

बिग बॉस फेम टीवी एक्ट्रेस उर्फी जावेद के फैशन के चर्चे ना हों ऐसा नहीं हो सकता है. वह अपने फैशन को लेकर अक्सर चर्चा का विषय बन जाती हैं. उर्फी जावेद के फैशन और ड्रेसिंग सेंस को लेकर लोगों का कहना होता है कि इतना प्रयोग कैसे कर लेती हैं. उर्फी जावेद की कुछ नई तस्वीरें सामने आई हैं जिन पर भी सोशल मीडिया यूजर्स जमकर कमेंट कर रहे हैं. सोशल मीडिया पर वायरल हो रहीं तस्वीरों में आप देख सकते हैं कि उर्फी जावेद ने एक बार फिर अपनी ड्रेस से लोगो को हैरान कर दिया है. यहां पर उर्फी जावेद की नई तस्वीरें देख सकते हैं.

 

 

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उर्फी ने किया नया एक्सपेरिमेंट

उर्फी जावेद आए दिन अपने कपड़ों से एक्सपेरिमेंट करती रहती हैं. वह हर बार अपने फैंस के लिए कुछ ऐसा करती हैं कि लोग यकीं नहीं कर पाते हैं. बोल्डनेस की हर हद पार करके कई बार टॉपलेस होने वाली उर्फी जावेद ऐसी कपड़े पहनती हैं कि देखने वालों की सांसें अटक जाती हैं. कई बार तो उनके कपड़े देखकर लगता है कि जरा सा सरक गए तो वह माल फंक्शन शिकार हो सकती हैं.   उर्फी जावेद टीवी शोज और मूवीज में काम से नहीं बल्कि अपने बोल्ड अवतारों से सोशल मीडिया की दुनिया में धमाल मचाती रहती हैं. वह अपने हर अंदाज से इंटरनेट पर सनसनी मचाती रहती हैं. उर्फी जावेद अपनी बोल्डनेस से हॉलीवुड हीरोइनों से भी कई कदम आगे निकल चुकी हैं.

 

लोग रह गए दंग

उर्फी जावेद ऐसे-ऐसे कपड़े पहनती हैं कि कई बार देखने वाले भी शर्म से अपनी आंखें बंद कर लेते हैं. प्राइवेट पार्ट के अलावा कोई भी अंग शायद ही उर्फी का तन ढका होता है. कई बार तो वह ट्रांसपैरेंट कपड़े ही पहनकर सबके सामने आ जाती हैं. बेबाक बयानों के चलते कई बार उर्फी जावेद पर एफआईआर भी दर्ज हो चुकी है. उनके पहनावे और बयानों के चलते ट्रोलर्स उन्हें अक्सर ही निशाने पर लिए रहते हैं.

‘बिग बॉस ओटीटी’ के घर से निकलकर लाइमलाइट में आने वाली उर्फी जावेद का एक वीडियो एक बार फिर से इंटरनेट पर वायरल हो रहा है, जिसमें वह महज एक डोरी पर टिका टॉप पहनकर स्नूकर खेलती नजर आ रही हैं. ऑरेंज कलर के फ्रंट पर डोरी पर टिके टॉप में उर्फी जावेद को स्नूकर खेलते देख उनके फैंस के दिल धड़क उठे. इस वीडियो में गेमिंग का हुनर दिखाते हुए उर्फी जावेद ग्लैमर और बोल्डनेस का तड़का लगा रही हैं. उर्फी जावेद इस वीडियो में बहुत हॉट लग रही हैं.

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