कारा: रमन के लिए किस हद तक गई आभा- भाग 3

“तुम्हें दोस्त की बेटी की शादी में जाना अधिक आसान लगा बनिस्पत एक बीमार को मिलने के. अपनीअपनी प्राथमिकताएं हैं. तुम ने प्रतिष्ठा को चुना और मैं होती तो शायद प्रेम को चुनती. मैं तुम्हें मिलने के लिए मजबूर नहीं कर सकती लेकिन खुद को तो रोक सकती हूं न… यह मेरी आखिरी सदा है. इस के बाद कभी तुम्हें आवाज नहीं दूंगी,” लिख कर आभा ने रमन को व्हाट्सऐप पर मैसेज कर दिया और रमन की प्रतीक्षा करने लगी लेकिन प्रतिष्ठा भी तो एक कारा ही है न? इस की मोटी सलाखों को तोड़ पाना किसी साधारण व्यक्ति के लिए आसान नहीं. शायद प्रेम करने वाले असाधारण ही होते होंगे. रमन की चुप्पी आभा को निराश करने लगी. प्रेम के अस्तित्व से भरोसा उठने लगा. यह विचार पुष्ट होने लगा कि शायद प्रेम का दैहिक रूप ही अधिक प्रचलन में है.

कई दिन बीत गए. आभा की शरीरिक अस्वस्थता ठीक हो गई लेकिन उस की मानसिक व्याधि दूर नहीं हुई. दिमागी मंथन अब भी जारी है.

“क्या प्रेम जबरदस्ती करवाया जा सकता है? किसी को भी पकड़ कर आप के साथ बांध दिया जाए और यह आदेश दिया जाए कि बस, आज से आप को इसी से प्रेम करना है क्या यह संभव है?” आभा सोचती तो उसे अपने मांबाबूजी याद आ जाते. हर रोज झगड़ते, एकदूसरे पर कटाक्ष करते, ताने मारते और बातबात में नीचा दिखाने की कोशिश करते. मांबाबूजी को देख कर उसे कभी नहीं लगा कि यह भी प्यार का कोई रूप है क्या. बावजूद इस के वे दोनों 4 संतानों के मातापिता बने.

दूर की एक चाची को घर आई देख कर अवश्य ही बाबूजी जरा नरम पड़ते दिखते थे. बाबूजी चाची के बच्चों को भी बहुत प्यार करते थे लेकिन लोकलाज के कारण उस ने कभी चाची को बाबूजी से बात करते नहीं देखा था. हां, उन की मुसकान वह अवश्य महसूस करती थी. इस बीच रमन के फोन आते रहे और आभा प्रेम को ले कर किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी थी. शायद पहुंच भी नहीं सकती थी क्योंकि इतना तो वह जान ही गई थी कि प्रेम की परिभाषा हरेक के लिए अलग होती है और शायद निजी भी. रमन के लिए जो प्रेम की धारणा है वह उस की धारणा से पृथक है.

“हैलो…आभा? क्या हुआ? तुम सुन रही हो न?” अचानक रमन की आवाज उसे वर्तमान में ले कर आई. आभा अब तक कुछ सामान्य हो चुकी थी.

“तुम्हारे लिए प्रेम क्या है रमन? क्या तुम इसे परिभाषित कर सकते हो?” आभा ने पूछा.

“लगता है, आज मेरी क्लास ली जा रही है,” रमन ने माहौल को सहज करने की कोशिश की.

“तुम तो साहित्यकार हो न, बताओ? क्या है प्रेम?” आभा ने उसे अनसुना करते हुए फिर से पूछा.

“हमारेतुम्हारे मामले में तो प्रेम अकेले में सौ प्रतिशत और सब के सामने शून्य है आभा. परिस्थितियां तुम भी जानती हो और मैं भी. बस, तुम उन्हें स्वीकार नहीं करना चाहती. हम जिन सामाजिक सीमाओं में बंधे हैं उन्हें तोड़ नहीं सकते. तुम्हें वह गीत याद है, ‘प्यार से भी जरूरी कई काम हैं… प्यार सब कुछ नहीं जिंदगी के लिए…'” रमन ने हारे हुए शब्दों में अपनी विवशता स्वीकार की. फोन पर फिर से चुप्पी की चादर फैल गई.

“प्रेम शब्द की जितनी भी व्याख्या की जाए या फिर उसे जितना भी परिभाषित किया जाए, हमेशा समझ से बाहर का विषय ही रहा है. समाज और संसार की नजरों में भी प्रेम सदैव अबूझ पहेली सा ही रहा होगा, तभी तो जहां पशुपक्षियों, जीवजंतुओं और असहायउपेक्षितों से प्रेम करने वाले को महान करार दिया जाता है, वहीं किसी विपरीत लिंगी से प्रेम करने को हिकारत की दृष्टि से देखा जाता है फिर चाहे वह प्रेम कितना भी निश्छल या वासना रहित क्यों न हो,” आभा प्रेम पहेली में उलझ कर कसमसा रही थी.

“समाज की तो क्या ही कहें, ऐसे प्रेम को तो स्वयं प्रेमी भी सहजता से स्वीकार नहीं कर पाता. उसे भी अपने मीत से मिलने के लिए न जाने कितने झूठ बोलने पड़ते हैं, कितने बहाने रचने पड़ते हैं. और मजे की बात तो यह है कि ये सारे प्रपंच व्यक्ति स्वयं अपनेआप से करता है. शायद समाज में अपनी प्रतिष्ठा बनाए रखने के लिए. रमन भी तो यही कर रहा है,” आभा के विचारों ने और गति पकड़ी.

“क्या मैं रमन को प्रेम करने के लिए बाध्य कर सकती हूं? नहीं न? तो क्या करूं? क्या रमन को भूल जाऊं? क्या यह प्रेम की हार नहीं होगी? आभा अपने प्रश्नजाल से बाहर निकल ही नहीं पा रही थी. तभी मानो रौशनी की 1-1 क्षीण सी रेखा दूर कहीं अंधियारे में कौंधी. आभा साफसाफ देख पा रही थी कि उस रौशनी में प्रेम को परिभाषित होते हुए.

“आभा, अरे यार… कुछ बोलो न? प्लीज, जो सहजता से चल रहा है उसे चलने दो न. क्यों शांत जिंदगी में लहरें लाने की जिद पर अड़ी हुई हो?”रमन ने आभा से अनुनय की लेकिन आभा तो अपना निर्णय ले चुकी थी.

“मैं क्यों इतनी स्वार्थी हुई जा रही हूं. यदि रमन के लिए उस की गढ़ी हुई प्रेम की परिभाषा सही हो सकती है तो मैं भी तो अपनी निजी परिभाषा गढ़ने के लिए स्वतंत्र हूं. उस की वह जाने लेकिन मैं भी तो जिद्दी हुई जा रही हूं न प्रेम को पाने के लिए. शायद यह जिद प्रेम को पाने की नहीं बल्कि रमन को पाने की है. क्या मैं उसे भौतिक रूप से पाए बिना अपने प्रेम को निभा नहीं सकती? यदि नहीं तो फिर मेरा प्रेम स्वार्थ ही हुआ न? अब मैं सबकुछ समय पर छोड़ कर निश्चिंत हो अपना प्रेम निभाउंगी. बिना किसी जिद और स्वार्थ के. बिना किसी शिकायत के. हां, मैं प्रेम की प्रायोजित कारा से आजाद हो कर स्वतंत्र प्रेम करूंगी,” आभा ने तय कर लिया था और ऐसा निश्चय करते ही उसे लगा मानो उस का मष्तिष्क सचमुच किसी भारी बोझे से आजाद हो गया. अब उसे रमन पर गुस्सा नहीं बल्कि प्रेम आ रहा था. वह भी पहले से कई गुणा अधिक.

“तुम सही कहते हो रमन. तुम्हें पाने की मेरी जिद ही मेरी पीड़ा का कारण है. मैं तुम से हमेशा प्यार करूंगी लेकिन अपने प्यार को अपनी जिद नहीं बनने दूंगी. जिस दिन तुम सब के सामने मुझे अपनी जिंदगी का हिस्सा स्वीकार करोगे उस दिन मेरी दुनिया में तुम्हारा स्वागत है. मुझे देह नहीं नेह चाहिए,” कहते हुए आभा ने फोन काट दिया. मानो नेह को देह की कारा से मुक्त कर दिया हो.

नए साल का दांव: भाग-1

आज वंदिता की ट्रेडमिल पर स्पीड रोज की तरह नहीं थी. कदमों में सुस्ती थी. हमेशा अच्छा वर्कआउट करने वाला जोश गायब था. वार्मअप भी ठीक से नहीं कर पाई थी. आंखों में रातभर जागने के बाद की थकान और उदासी थी. ऐक्सरसाइज नहीं कर पा रही थी, जबकि आज तक ऐसा नहीं हुआ था. उस की फिटनैस पूरी सोसाइटी की महिलाओं के लिए उदाहरण थी. बेहद स्मार्ट, सुंदर, स्लिम वंदिता अपने हंसमुख, बोल्ड स्वभाव के चलते सोसाइटी में सब को प्रिय थी. उस की सहेलियों की नजरें आज जिम में उसी पर थीं. सब उस की मनोस्थिति से अवगत थीं. सहेलियां भी उस की उदासी से उदास थीं.

वंदिता ने अपने बैग से पानी की बोतल निकाल 2 घूंट पीए और फिर अमायरा से बोली, ‘‘आज नहीं हो पा रहा कुछ… चलती हूं.’’

वहीं साइकिल चलाती शिनी ने कहा, ‘‘तू आ गई आज हम तो इसी बात पर खुश हैं… प्राउड औफ यू… यार, बहुत स्ट्रौंग है तू. डौंट वरी… हम तेरे साथ हैं. कुछ करते हैं.’’

अमायरा, शिनी और सिम्मी ने भी ऐक्सरसाइज रोक कर अपनाअपना बैग उठा लिया. तीनों जिम से निकल कर क्लब हाउस में ही स्विमिंग पूल के किनारे रखी चेयर्स पर बैठ गई. सुबह के 11 बज रहे थे. हलकीहलकी धूप में तीनों ने वंदिता को प्यार से देखा. उस की भरी आंखें छलकने को तैयार थीं.

शिनी ने बात शुरू की, ‘‘वंदिता तेरे मैसेज तो रात में ही पढ़ लिए थे. अब यह बता जब कपिल रात को मोहना से न्यू ईयर प्लान डिसकस कर रहा था, तो तूने उसी समय उस की क्लास क्यों नहीं ली?’’

वंदिता ने गंभीर आवाज में कहा, ‘‘मैं ने पूछा था कि किस के साथ न्यू ईयर पर माथेरान जा रहे हो? तब उस ने बेशर्मी से कहा कि तुम्हारे साथ तो नहीं, बस इतना जानना तुम्हारे लिए काफी है… मैं ने फिर पूछा किस के साथ तो बोला कि क्यों पीछे पड़ी हो मेरे? बता दूंगा या अंदाजा क्यों नहीं लगाती हो? इतने बदतमीज, बेशर्म इंसान से जवान बच्चों के सामने और क्या बात करती? बच्चे भले ही दूसरे कमरे में थे पर फ्लैट में सब सुनाई देता है… कपिल इतना धीरे भी नहीं बोलता. वह डंके की चोट पर मोहना से जुड़ गया है. उसे अब किसी की परवाह नहीं.’’

अमायरा ने कहा, ‘‘मेरा मन होता है कपिल को पकड़ कर ऐसा इलाज करूं कि बच्चू याद रखे और वह मोहना उसे देख कर तो उस का मुंह नोचने का मन करता है. पति है, बच्चा है, कपिल से 10 साल छोटी है, फिर भी शर्म नहीं आ रही दोनों को रासलीला रचाते.’’

सिम्मी बोली, ‘‘एक का नहीं, दोनों का कुसूर है, पर सोचो क्या किया जाए.’’ 1 घंटा सब यों ही बैठी रहीं. कोई रास्ता नहीं सू झ रहा था. अपने दिल की भड़ास निकाल कर सब अपनेअपने घर चली गईं. वंदिता भी घर आ कर नहाने चली गई. शावर के नीचे खड़ी देर तक रोती रही. आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे.

यह क्या हो गया, यह कब सोचा था, वह तो इतनी परफैक्ट वाइफ सम झती थी खुद को. कपिल इतना धोखा दे जाएगा, कभी नहीं सोचा था. कपिल आज ही सुबह दूर पर निकल गया था. दोनों बच्चे संजय और साक्षी अपनेअपने औफिस में थे. नहा कर वह चुपचाप बैड पर ढह सी गई. किसी तरह चैन नहीं आ रहा था. 28 साल की की गृहस्थी अपनी आंखों के सामने ढही जा रही थी. दिलफेंक, आशिकमिजाज कपिल ने दूसरी औरतों के साथ ऐसी हरकतें पहले भी की थीं.

कभी इग्नोर कर के, कभी डांटडपट कर, तो कभी प्यार से कपिल को सही रास्ते पर ले आती थी, पर जो अब हो रहा था वह तो कभी नहीं हुआ था. 2 साल पहले सोसइटी की ही एक बिल्डिंग में मोहना अपने पति विनय और छोटे बच्चे यश के साथ किराए पर रहने आई थी.

यह एक पौश सोसाइटी थी. अच्छे रोचक प्रोग्राम होते रहते थे. ऐसे ही एक प्रोग्राम में वंदिता और मोहना की दोस्ती हो गई. दोनों की यह दोस्ती पारिवारिक दोस्ती में बदल गई. दोनों के परिवार वीकैंड में साथ बैठते, खातेपीते. वंदिता को पता ही नहीं चला कि कब मोहना और कपिल सब की नजरें बचा कर एकदूसरे के

इतने करीब आ गए कि वंदिता की गृहस्थी की नींव इतनी जोर से हिली कि संभालना मुश्किल हो गया. विनय अपना बिजनैस शराब, जुए में गंवा चुका था. सारी बुरी आदतों में डूबा कईकई दिन तक घर से बाहर रहता. वह तो वंदिता ने एक दिन कपिल के वाशरूम जाने पर उस का फोन चैक कर लिया. इस से पहले कोई किसी का फोन छूता नहीं था. शायद इसीलिए उस ने कोई सावधानी नहीं बरती थी. कपिल और मोहना की सारी चैट पढ़ कर वंदिता के पैरों तले की जमीन खिसक गई. सबकुछ क्लियर था. दोनों सारी सीमाएं पार कर चुके थे. कई बार शारीरिक संबंध बना चुके थे. विनय और यश की गैरमौजूदगी में दोनों को साथ समय बिताने पर जो आनंद आया था, चैट में खुल कर कई इमोजी के साथ खुशी जाहिर की गई थी. यहां तक कि मोहना के कई खर्चे भी कपिल उठा रहा था. सबकुछ साफ था. शक की कोई गुंजाइश ही नहीं थी.

कपिल जब नहा कर निकला, वंदिता ने चैट दिखा कर पूछा, ‘‘यह सब क्या और क्यों चल रहा है कपिल?’’

कपिल चौंका, फिर सम झ गया कि पोल खुल चुकी है. पलभर में वह इस स्थिति से निबटने के लिए तैयार हो गया. बेशर्मी से बोला, ‘‘हां, वह मेरी दोस्त है और रोजरोज की किचकिच से अच्छा है मैं तुम्हें आज ही बता दूं कि चाहे कुछ भी हो जाए, मैं उसे नहीं छोड़ूगा.’’

‘‘इतने बड़े बच्चे हैं हमारे… सालों का साथ है… मैं ने तुम्हारी कई गलतियां माफ की हैं. अब नहीं करूंगी… यह कुछ ज्यादा ही हो गया है.’’

‘‘मैं माफी मांग भी नहीं रहा हूं और मु झे इस में कोई ड्रामा भी नहीं चाहिए.’’

वंदिता को रोना आ गया, ‘‘यह तुम ने अच्छा नहीं किया कपिल.’’

‘‘तुम्हें मेरे साथ रहना है तो रहो… मैं मोहना को नहीं छोड़ूंगा, जो करना है कर लो.’’

कपिल अपना फोन ले कर जा चुका था. उस दिन से आज तक जैसे वह रोज अंगारों पर चल रही थी, सोसाइटी बड़ी थी. मोहना की बिल्डिंग कुछ ही दूरी पर थी. वंदिता की कई सहेलियां मोहना की बिल्डिंग में रहती थीं. उन्होंने कपिल को कई बार मोहना के फ्लैट में जाते देखा था.

उन्होंने वंदिता को बताया तो वंदिता ने फिर कपिल से बात की, ‘‘क्यों हम सब की बेइज्जती करवा रहे हो? कुछ तो लिहाज करो.’’

‘‘नहीं, मु झे कोई फर्क नहीं पड़ता. जो कर सकती हो कर लो.’’

वंदिता अब बहुत परेशान रहने लगी. क्या करे, हालात काबू से बाहर थे.

यूपी-112 ने नागरिकों को किया जागरुक

लखनऊ. पुलिस ने जानता को जागरूक करने के लिए अभियान शुरू किया है. अशोक कुमार सिंह, ADG UP -112 के निर्देशन में दिनांक 30 दिसम्बर 2022 से 01 जनवरी 2023 तक 03 दिवसीय जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. जिसमे पुलिस सहायता, आग लगने पर फायर बिग्रेट, मेडिकल सहायता व  दुर्घटना/आपदा के साथ-साथ सड़क सुरक्षा नियमों का पालन करने हेतु नागरिकों को प्रेरित किया जा रहा है.

​नव वर्ष के अवसर पर आम नागरिकों को उत्तर प्रदेश पुलिस की विभिन्न जनोपयोगी सेवाओं जागरुक करने के उद्देश्य से  प्रदेश सभी जनपदों के माल व अन्य स्थानों पर 2-2 स्टाल लगाये गए, प्रदेश में कुल 155 सार्वजनिक स्थानों पर ये स्टॉल लगायें गए है.

इस नव वर्ष के अवसर पर नव संकल्प उठाएँ, दूसरों की मदद को आगे आएँ, इस संदेश के साथ यूपी-112 के कर्मियों ने स्टाल पर नागरिकों को पुलिस की सेवाओं से जागरुक किया.  इसी क्रम में पुलिस कर्मियों ने बुजुर्गों और महिलाओं से भी संवाद कर उनसे 112 की सवेरा और नाईट एस्कॉर्ट सेवा की जानकारी साझा की. इस मौक़े पर यूपी-112 द्वारा मित्र पुलिसिंग का संदेश दिया और बताया कि पुलिस कैसे मित्र बनकर मदद करती आ रही है .

WELCOME 2023: सुधाशुं पांडे से लेकर मिताली नाग तक, जानें कैसे नया साल मनाएंगे ये टीवी सेलेब

कोविड 19 ने बहुत समय तक सबको कही आने जाने से रोका और उसके कम होने पर  सभी सेलेब्स   ने अपने काम को पूरा करने की कोशिश की, अब थोडा समय उनके पास है और इसे वे  दुगुने उत्साह के साथ मनाना चाहते है. कोई ट्रेवल करना चाहता है, तो कोई परिवार के साथ समय गुजारने की कोशिश कर रहे है, आखिर क्या कुछ नया करने वाले है, वे इस साल ? गृहशोभा ने जानने की कोशिश की नए साल का स्वागत सेलेब्स इस बार कैसे करने वाले है , आइये जाने.

  1. अदा खान

अभिनेत्री अदा खान कहती है कि नया साल मैं अपने दोस्त और परिवार के साथ मनाने की इच्छा रखती हूँ. मैं मस्कट और कश्मीर से यहाँ केवल नए साल को मनाने ही आई हूँ. मैंने अपने जीवन में कभी कोई संकल्प नहीं  लिया, क्योंकि उसे मैं पूरा नहीं कर पाई, इसलिए जिंदगी जैसे सामने आती है, उसे वैसे ही एन्जॉय करना चाहती हूँ. मैं वर्तमान में रहना और वर्तमान को अच्छी तरह से जीने में विश्वास रखती हूँ.

2. करण सिंह छाबड़ा

चाक एंड डस्टर फेम करण सिंह छाबड़ा को हाउस पार्टी अपने दोस्तों के साथ करना पसंद है. वे कहते है कि साल का पहला दिन मैं एन्जॉय करते हुए बिताना पसंद करता हूँ. मैंने पिछले 5 महीने से लगातार शूट के लिए ट्रेवल किया है. इसलिए अब मैं कही जाना नहीं चाहता. मुंबई में नए साल को मनाते हुए सी-लिंक से लॉन्ग ड्राइव करना चाहता हूँ. मेरा न्यू इयर रेसोल्यूशन रोज सवेरे समय से उठ जाना है. मैं हर साल इसकी कोशिश कर रहा हूँ, लेकिन बहुत जल्दी इसे तोड़ भी देता हूँ, पर इस साल मैं अपने सभी दोस्तों को सबसे पहले ‘गुड मोर्निंग’ मेसेज देना चाहता हूँ.

3. मिताली नाग

अभिनेत्री मिताली का 5 साल का बेटा रुद्रांश  है, इसलिए किसी भी वेकेशन प्लान बेटे की छुट्टियों के साथ ही करती है. इस बार वह अपने परिवार के साथ इसे मनाना चाहती है. मिताली  कहती है कि अब तक मैंने नए साल पर ट्रेवल करना पसंद किया है, लेकिन कोविड की वजह से इस पर ब्रेक लग गया है, इसलिए इस साल कहीं  जाने का मन नहीं है. इस बार का मेरा संकल्प यह है कि मैं अगले साल  हर दिन सुबह 5 बजे उठ जाऊं, ताकि मैं अपने फिटनेस पर अधिक समय दे सकूँ.

4. आकाश शर्मा

अभिनेता आकाश इस बार नए साल पर स्पेन अपने दोस्तों के साथ मनाना चाहते है. न्यू इयर सेलिब्रेशन उनके लिए एक फेस्टिवल है और इसे वैसे ही अच्छी तरह से मनाना चाहते है. नए साल में वे अधिक मेहनत और लगन से काम करने की इच्छा रखते है.

5. एकता शर्मा

कुसुम फेम अभिनेत्री एकता शर्मा नए साल के लिए कोई प्लान नहीं बनाई है, क्योंकि उस दिन वह घर पर परिवार के साथ रहकर हाउस पार्टी मनाना पसंद करती है. वह कहती है कि इस बार मैं अपनी बेटी और माँ के साथ हूँ. मैने इस बार केवल एक संकल्प ‘फिट’ रहने का लिया है और खुद को अधिक से अधिक प्यार करना चाहती हूँ, क्योंकि खुद से प्यार करने वाला ही दूसरे को प्यार कर सकता है.

6. सिद्दार्थ बोडके

मराठी फिल्म और हिंदी टीवी शो में काम करने वाले अभिनेता सिद्धार्थ बोडके अपने पेरेंट्स के साथ नए साल को मनाना चाहते है. उनका कहना है कि मैं अपने पेरेंट्स से मिलने नाशिक जाऊंगा. मैं इस साल के अधूरे काम को अगले साल तक पूरा करने की कोशिश करूँगा. इसके अलावा मैं अपने फिटनेस पर अधिक काम करूँगा, क्योंकि कोविड ने सभी को फिटनेस का महत्व समझाया है.

7. सुधांशु पाण्डेय

अभिनेता सुधांशु पाण्डेय कहते है कि मेरा नए साल का प्लान बिल्कुल साधारण है. मैं इसे मनाने कही नहीं जा रहा हूँ. मैं घर पर दोस्तों, परिवार, बच्चे और पत्नी के साथ एन्जॉय करना चाहता हूँ. मुझे अपनी कुछ आदतों को नए साल में छोड़कर कुछ अच्छा काम करने के बारें में सोचना है.मेरे लिए हर दिन नया होता है और हर दिन को मैंअपने जीवन का शुरुआत मानता हूँ, इसलिए मेहनत से हर काम करता हूँ. मैं कोई संकल्प नहीं लेता, हर दिन को एन्जॉय करता हूँ.

YRKKH: कहानी में आएगा नया मोड़, घर में एंट्री लेगा #Abhira का बेटा श्रेयांश

टीवी सीरियल ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ (Yeh Rishta Kya Kehlata Hai) में इन दिनों खूब मीडिया की सुर्खियों में चल रहा है. इस सीरियल में नील की मौत हो गई है. साथ ही अक्षरा और अभिमन्यु भी अलग हो चुके हैं. दोनों ने तलाक ले लिया है। लेकिन कहानी में एक और बड़ा मोड़ आने वाला है, जिसे देखकर फैंस सच में खुश हो जाएंगे. अभिरा (अक्षरा और अभिमन्यु) के फैंस इन दिनों मायूस हैं क्योंकि दोनों अलग हो गए हैं. लेकिन अब कहानी में अक्षरा और अभिमन्यु के बच्चे की एंट्री होने वाली है. साथ ही ये भी पता चल गया है कि अक्षरा के बच्चे का यह रोल कौन सा चाइल्ड आर्टिस्ट निभाने वाला है.

जी हां. शो में नई एंट्री होने वाली है जो कि अक्षरा का बेटा और घर का चिराग बनेगा. ये छोटे नन्हे एक्टर कोई और नहीं श्रेयांश होगें. मेकर्स कहानी में सीधा पांच साल का बाद का लेकर आ रहे हैं। बीते एपिसोड में देखने को मिला था कि अक्षरा अभी भी प्रेग्नेंट है. उनका एक बच्चा अब भी जिंदा है और अब लीप के बाद दिखाया जाएगा कि वह एक बेटे की मां बनेगी. अक्षरा के बेटे के किरदार में एक्टर श्रेयांश कौरव नजर आएंगे. चाइल्ड एक्टर श्रेयांश कौरव ये रिश्ता क्या कहलाता है में प्रणाली राठौड़ के ऑनस्क्रीन बेटे की भूमिका निभाते नजर आएंगे, जबकि अभिनव (जय सोनी) उनके पिता के रूप में नजर आएंगे. अभिनव अक्षरा के बेटे को अपना नाम देंगे. हालांकि, अक्षरा और अभिनव शादी नहीं करेंगे.

‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ टीवी का धमाकेदार सीरियल है, जो सालों से टीआरपी की लिस्ट में बना हुआ है. ये सीरियल जल्द ही अपने 14 साल पूरे करने वाला है. इन सालों में इस सीरियल की स्टारकास्ट में कई बार बदलाव आया है.साथ ही लीप के साथ कहानी में कई बड़े ट्विस्ट भी आए हैं. सीरियल की शुरुआत अक्षरा (हिना खान), नैतिक (करण मेहरा) और उनके परिवार के साथ हुई थी. इसके बाद कहानी नायरा (शिवांगी जोशी) और कार्तिक (मोहसिन खान) पर इर्द-गिर्द घूमती नजर आई. वहीं, अब इस सीरियल में प्रणाली राठौड़ और हर्षद चोपड़ा लीड रोल निभा रहे हैं.

शाही अंदाज में इस दिन होगी सिद्धार्थ-कियारा की शादी! जगह हुई फिक्स

बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री केस्टार सिद्धार्थ मल्होत्रा और कियारा आडवाणी के लव अफेयर के चर्चे काफी समय से सुर्खियों में हैं. काफी समय से यह अफवाह उड़ी थी कि यह स्टार कपल जल्द ही शादी के बंधन में बंधने वाला है. अब सामने आ रही  शेरशाह सिद्धार्थ मल्होत्रा और कियारा आडवाणी की स्टार जोड़ी नए साल 2023 में ही शादी के बंधन में बंध जाएगी। मिली जानकारी के मुताबिक ये स्टार कपल 6 फरवरी 2023 को शादी करेगा. इतना ही नहीं इस ग्रैंड वेडिंग की तैयारियां 4 फरवरी से ही शुरू हो जाएंगी. 4-5 फरवरी को प्री-वेडिंग सेलिब्रेशन होगा।फिर 6 फरवरी को यह जोड़ी सात फेरे लेगी.

स्टार कपल की शादी विक्की कौशल और कटरीना कैफ की तरह होगी. विक्की-कैटरीना की तरह ही ये स्टार कपल राजस्थान के शाही महल में करेगा शादी एक रिपोर्ट के मुताबिक सिद्धार्थ मल्होत्रा और कियारा आडवाणी की शादी के लिए जैसलमेर पैलेस होटल बुक किया गया है.

 

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आपको बता दे, कि ‘शादी जैसलमेर पैलेस होटल में होगी. बड़ा आयोजन होगा. जहां कड़ी सुरक्षा रहेगी. जैसा कि आजकल फिल्मी सितारों की शादियों में होता है. सिद्धार्थ-कियारा की शादी को एक बड़ी इवेंट कंपनी मैनेज करेगी.

सिद्धार्थ मल्होत्रा और कियारा आडवाणी की शादी को लेकर जैसलमेर में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं. जैसलमेर के लग्जरी होटल में शानदार इंतजाम किए गए हैं.जैसा कि दावा किया जा रहा है कि यह बॉलीवुड में अगली बड़ी भारतीय शादी होगी.

 

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Welcome 2023: कुछ पुराने संकल्पों के साथ करिए कुछ नया और शानदार

अब नया साल आने वाला है दोस्तों. 2022 को कहिए अलविदा और 2023 का करिए ज़ोरदार स्वागत. वैसे तो आप हर साल ही कुछ न कुछ नया करते होंगे और खूब सारी मस्ती और डांस के साथ ही नए साल पर कुछ संकल्प भी लेते होंगे कि इस साल मैंने ये काम नहीं किया उसको अगले साल जरूर पूरा करेंगे.लेकिन वो काम आपका पूरा नहीं हो पाता है तो दोस्तों आप नए संकल्प जरूर लीजिए लेकिन अपने पुराने संकल्पों को ना भुलिएगा.

इसलिए ये नया साल मनाइए कुछ पुराने संकल्पों के साथ मतलब की आप ये कह सकते हैं कि NEW YEAR WITH THE OLD RESOLUTION…. ज्यादा से ज्यादा आप पार्टी करते हैं दोस्तों और परिवार क साथ या फिर कहीं घूमने निकल जाते हैं लेकिन जरा इस बार कुछ नया कर लीजिए.कुछ ऐसा जो आपके माता-पिता को अच्छा लगे और साथ ही अपने दोस्तों के साथ भी पार्टी कर लीजिए. नए साल पर सभी लोग अपने करीबियों को फोन करके नए साल की शुभकामनाएं देते हैं. इस बार कोशिश करें की सभी इकठ्ठा होकर फुल इंजौय करें. यकीन मानिए आपको खुद भी बहुत अच्छा लगेगा. घर को भी अच्छे से डेकोरेट कर सकते हैं. अगल-बगल वालों को बुला सकते हैं, जिनके साथ कुछ गिले-शिकवे हैं उनकों भी दूर कर सकते हैं.

आपकी बहुत सारी ऐसी यादें होती हैं जिनको लेकर आप नए साल में प्रवेश करते हैं और बहुत से ऐसे सुख-दुख के अनुभव होते हैं जिनको लेकर आप नए साल का स्वागत करते हैं.क्योंकि नया साल आने पर फिर आपकी नई यादें और नए सुख-दुख के अनुभव आपको मिलते हैं लेकिन कुछ पुरानी चीजों को याद करके आप कहते हैं कि इस साल हमने ये किया किया था या किया करते थें. क्योंकि फिर पुराने साल की सिर्फ यादें ही होती हैं आपके पास और कुछ नहीं. नए साल में आप अपनी कुछ पुरानी आदतें बदलने का संकल्प लें जो कि बुरी है उन आदतों को सुधारें.वैसे आपको एक रोचक बात जाननी बेहद जरूरी है कि नया साल एक उत्सव की तरहा पूरे विश्व भर में मनाया जाता है लेकिन अलग-अलग तरीकों से.बहुत से ऐसे संप्रदाय हैं जिनकी नववर्ष मनाने की विधियां भी अलग-अलग हैं.

जैसे पश्चिमी नववर्ष. हिब्रू नववर्ष,हिन्दू नववर्ष, भारतीय नववर्ष इस तरह से की अलग जगह अलग तरीके से नया साल मनाया जाता है और इन सभी की मान्यताएं भी अलग होती हैं. सबकी अपनी-अपनी मान्यताएं हैं. हालांकि ये तो हुई नए साल की मान्यताओं और तरीकों की बात लेकिन आप अगर नये साल पर कहीं जाने की सोच रहें हैं तो आपको कहीं बाहर जाने की जरूरत नहीं है आप अपने भारत में ही कई अच्छी-अच्छी जगहों पर घूम कर अपना नया साल यादगार बना सकते हैं.क्योंकि भारत में ऐसी बहुत सी जगह जिनके बारे में आप नहीं जानते लेकिन वो बहुत ही सुंदर जगहें हैं.तो सर्च करिए उन जगहों के बारे में और मनाइए अपना नया साल यादगार.

WELCOME 2023: नए साल में इन 8 टिप्स से दे घर को नया लुक

सर्दी के मौसम में होम डैकोर में भी कुछ बदलाव जरूरी हो जाता है. लेयरिंग, ऐक्स्ट्रा कंफर्ट और वार्म फैब्रिक इंटीरियर में छोटेछोटे बदलाव कर के इस टास्क को आसानी से कम मेहनत व खर्च में पूरा किया जा सकता है. प्रस्तुत हैं, कुछ होम डैकोर टिप्स:

  1. कलर्स : सर्दी और गरमी का अंतर रंगों से ही स्पष्ट होता है. जहां गरमी में हलके रंगों का इस्तेमाल अच्छा लगता है, वहीं सर्दियों में वार्म और ब्राइट कलर्स अच्छे लगते हैं. इसलिए अगर इस सीजन में घर में पेंट करवा रही हों तो वार्म और ब्राइट कलर्स ही चुनें. ये घर में गरमी का एहसास दिलाते हैं, साथ ही इन से घर डार्क भी लगता. इस के अलावा रैड, औरेंज या यलो के इस्तेमाल से भी घर में ऊर्जा का संचार होता है.

इस बात का ध्यान रखें कि आप 2 कंट्रास्ट रंग एकसाथ न लगाएं जैसेकि एक ही रंग के हलके और गहरे शेड्स आप के कमरे को हार्ड लुक दे सकती हैं.

3. लेयरिंग: सर्दियों में जिस तरह शरीर को लेयरिंग से गरम रखने के उपाय किए जाते हैं उसी तरह घर को भी लेयरिंग से वार्म लुक दिया जा सकता है. इस सीजन में वार्म लुक देने के लिए कारपेट्स राज, ब्लैंकेट्स और क्रिवल्ट्स पर ज्यादा इनवेस्ट करें. आजकल बाजार में कई रंग, डिजाइन, पैटर्न, साइज व आकार के कारपेट उलब्ध हैं.

कुछ ऐक्स्ट्रा पिलोज और कुशंस भी निकालें. कलर्स, टैक्स्चर और मैटीरियल ऐसा हो जो हर स्पेस पर गरमाहट प्रदान करे, लेकिन ओवरबोर्ड होने से बचना भी जरूरी है.

कई रंगों या टैक्स्चर के बजाय एक समान टोंस का इस्तेमाल कर के घर को कंफर्टेबल बनाएं. ध्यान रहे आप जो भी कारपेट खरीदें वह घर की मौजूदा शैली और रंग के अनुसार ही हो.

4. लाइटिंग: जब बात लाइटिंग की हो तो आप अपने कमरे को टास्क और ऐक्सैंट लाइटिंग से वार्म रख सकते हैं. इस के अलावा रूम को खूबसूरत और वार्म रखने के लिए फ्लोर और वौल लाइटिंग का इस्तेमाल भी किया जा सकता है. फ्लौरेसैंट बल्ब की जगह टंग्स्टन बल्ब का इस्तेमाल करें, क्योंकि यह कमरे को वार्म लुक देता है.

आमतौर पर लोग इस सीजन में भारीभरकम परदे लगाते हैं या दरवाजेखिड़कियां बंद कर देते हैं. ऐसा न करें. इस से घर के अंदर का प्रदूषण बाहर नहीं निकल सकेगा. घर की एक खाली दीवार पर मिरर लगाएं.

ग्लास वर्क की कुछ ऐक्सैसरीज भी जरूर रखें ताकि वहां से लाइट रिफ्लैक्ट हो कर दूसरे कोनों तक पहुंच सके और जाड़े की कुनकुनी धूप घर के हर कमरे में आए. इस के लिए अतिरिक्त मेहनत करनी होगी. यलो अंडरटोन वाले बल्ब लगाएं, इस के अलावा डार्क कौर्नर्स पर स्टेटमैंट लाइट लगाएं.

5. किचन: मौडर्न डैकोर में किचन का रूप सर्वाधिक बदला हुआ नजर आता है. अब एक खास स्टाइल के वर्कटौप्स या यूनिट्स नहीं दिखते. मिक्ंसिंग पर जोर है और अलगअलग कंट्रास्टिंग टैक्स्चर पर भी जोर दिया जा रहा है. स्लीक वर्कटोप्स, डार्क कैबिनेटरी के साथ क्लीन मार्बल्ड स्प्लैशबैक से इस सीजन किचन को नया लुक मिल सकता है.

6. स्टैंड कैंडल्स: ऐसी कैंडल्स चुनें जो आप के घर के डैकौर को कौंप्लिमैंट करे. किसी एक कौर्नर पर होल्डर्स में इन्हें लगाएं या प्लेट या बौल में सजाएं. घर में फायरप्लेस हो तो उस के आसपास कौफी टेबल, रगस और 2-3 कुरसियां डालें या कौर्नर्स पर कैंडल्स जलाएं. कैंडल्स घर को गरमाहट का एहसास देंगी. लाइट स्टैंड कैंडल्स या फ्रैगरैंट स्टिक्स का प्रयोग भी कर सकती हैं.

7. विंडो सीट: घर में गरमाहट महसूस करने के लिए डार्क शेड के परदे लगाएं. ऐसा करने से गरमी का एहसास होगा. लेकिन सुबह के समय इन्हें हटाना न भूलें. इस के अलावा विंटर हौलिडे में विंडो सीट आप के कंफर्ट को बढ़ा देगी.

पूर्व दिशा वाली खिड़की पर एक कोजी सा सिटिंग अरेंजमैंट करें. यह जगह अलसाई दोपहर में बुक रीडिंग, सुस्ताने या म्यूजिक सुनने के लिए उपयोगी सिद्ध होगी. एक छोटी सी सेटी लगाएं और इसे पफी सीट कुशंस और तकियों से सजाएं. खिड़की से बाहर देखने पर ग्रीनरी दिखाई दे इस बात का ध्यान रखें. हर सीजन में मौसम के अनुकूल बदलाव करने से घर को नया रंगरूप मिलता है.

8. फूलों का रखें ध्यान: सर्दियों के रंगबिरंगे फूल घर को नैचुरल भी बनाते हैं, बेहिचक घर के इंटीरियर और ऐक्स्टीरियर में इन का इस्तेमाल किया जा सकता है. रजनीगंधा और रंगबिरंगे ग्लैडियोला सर्दियों की शान हैं. रजनीगंधा की भीनी खुशबू पूरे घर को महकाएगी. प्लांटर्स को ब्राइट कलर्स से पेंट कर नया लुक दें. सर्दियों में जरा भी नमी कम होने पर पौधे मुर झाने लगते हैं, इसलिए इन्हें पानी देना न भूलें. फूल प्रकृति का एहसास दिलाते हैं. अगर ऐलर्जी हो तो आर्टिफिशियल फ्लावर्स का इस्तेमाल किया जा सकता है.

इन बातों का भी रखें ध्यान

– घर के इंटीरियर की आधी कहानी इस के फर्नीचर से बयां होती है. जरूरी नहीं कि फर्नीचर महंगा हो, तभी अच्छा होगा. बाजार में कम दाम में भी अच्छा फर्नीचर मिल जाएगा. ध्यान इस पर केंद्रित होना चाहिए कि फर्नीचर देखने में आकर्षक हो, घर के बाकी इंटीरियर से मेल खाता हो, साथ ही सिंपल और आरामदायक भी हो. फर्नीचर ऐसा होना चाहिए, जिसे कोई भी आसानी से इस्तेमाल कर सके. कई बार फर्नीचर की अलगअलग प्लेसिंग से भी कमरे का लुक बदल जाता है. इसलिए समयसमय पर सैटिंग चेंज करती रहें.

– घर में फालतू पुराना या टूटा सामान न रखें. इस से घर का इंटीरियर निखर कर नहीं आएगा, साथ ही यह बेवजह जगह खराब करेगा. जितना ज्यादा सामान होगा, घर को ठीक रखने में उतनी ही दिक्कत होगी.

– अगर डाइनिंग टेबल की कुरसियों पर फोम या फैब्रिक लगा हो तो सर्दियों में यह गरमाहट का एहसास देगी. इस पर डिजाइन कवर लगा सकती हैं. कुरसियों पर सिल्क का फेब्रिक भी जाड़े के दिनों में गरमाहट देता है.

– भारतीय घरों में अमूमन फायरप्लेस का इस्तेमाल नहीं होता. आप चाहें तो आर्टिफिशियल फायरप्लेस का इस्तेमाल कर सकती हैं. घर को जितना गरम, ब्राइट और आरामदायक रखेंगी वह उतना ही खुशनुमा दिखेगा. फिर देर किस बात की? अपने घर को अपने बजट के अनुसार सजा कर खुशनुमा बनाएं. आप के घर का नया रूप, नए साल का बेहतरीन तोहफा साबित होगा.

बड़बोला: भाग-1

‘‘गुडमार्निंग सर,’’ केबिन में  प्रवेश करते हुए विपुल ने कहा और मुझे अपना नियुक्तिपत्र दिया. अकाउंट विभाग का हैड होने के नाते मैं ने उसे कुरसी पर बैठने का संकेत किया और इंटरकौम पर अपने सहायक महेश को केबिन में आने को कहा.

महेश ने केबिन में आते ही नमस्ते की और कुरसी पर बैठते हुए बोला, ‘‘सर, आज 2 घंटे पहले मुझे जाना है. श्रीमतीजी शाम की टे्रन से मायके से वापस आ रही हैं.’’

‘‘चले जाना पर पहले इन से मिलो,’’ मैं ने महेश को इशारा करते हुए कहा, ‘‘विपुल, तुम्हारे सहायक रहेंगे. काफी दिनों से तुम शिकायत कर रहे थे कि काम अधिक है, एक आदमी की जरूरत है. विपुल अब तुम्हारे अधीन काम करेंगे. विपुल के अलावा सुरेश को भी अगले सप्ताह ज्वाइन करना है. आफिस में स्टाफ पूरा हो जाएगा, जिस के बाद पेंडिंग काम पूरा हो जाएगा. अच्छा विपुल, तुम अब से महेश के साथ काम करोगे. अब तुम अपनी सीट पर जा कर काम शुरू कर दो.’’

20 साल का विपुल बी.काम. करने के बाद पिछले सप्ताह जब इंटरव्यू देने आया था तो उस को काम का कोई अनुभव नहीं था, लेकिन एक गजब का आत्मविश्वास उस में जरूर था, जिस को देख कर मैं ने उसे नौकरी पर रखा था. मझले कद का गोराचिट्टा, हंसमुख नौजवान विपुल नवगांव में रहता था.

नवगांव नवयुग सिटी से लगभग 80 किलोमीटर दूर एक छोटा सा कसबा है. बस से एक तरफ का सफर लगभग ढाई घंटे में पूरा होता है. आफिस का समय सुबह 10 से शाम 6 बजे है. 8 घंटे की ड्यूटी के बाद बस पकड़ने के लिए आधा घंटा और फिर लगभग 5 घंटे बस में, यानी लगभग 14 घंटे की ड्यूटी देने की बात जब इंटरव्यू में विपुल को मैं ने बताई और पूछा कि किस तरह वह समय को मैनेज कर पाएगा. कहीं कुछ दिन काम करने के बाद नौकरी तो नहीं छोड़ देगा तो उस के आत्मविश्वास और जवाब देने के ढंग ने मुझे निरुत्तर कर दिया. उस ने कहा कि हर हालत और मौसम में सुबह 10 बजने से 10 मिनट पहले ही आफिस पहुंच जाएगा. और यही हुआ, बिना नागा आफिस खुलने से पहले विपुल पहुंच जाता और 2 महीने के छोटे से समय के अंदर सभी कार्यों में निपुण हो गया. आफिस का पेंडिंग काम समाप्त हो गया और काम रुटीन पर आ गया.

विपुल काम में तेज, स्वभाव में विनम्र लेकिन उस की एक बात मुझे पसंद नहीं थी. वह बात उस के अधिक बोलने की थी. वह चुप नहीं रह सकता था. कई बार मुझे लगता था कि वह बात को बढ़ाचढ़ा कर करता था. विपुल ने अपनी बातों से धीरेधीरे पूरे आफिस को यकीन दिला दिया कि वह एक अमीर घर से ताल्लुक रखता है. अच्छे और महंगे कपड़े, जूते अपनेआप में उस के अमीर होने का एहसास कराते थे. आफिस में अपने सहयोगियोेंको अकसर दावत देना उस का नियम बन गया था.

आफिस में कंप्यूटर आपरेटर श्वेता और टेलीफोन आपरेटर सुषमा के आसपास उसे मंडराते देख कर मुझे ऐसा लगा था कि आफिस की लड़कियों में विपुल की कुछ खास रुचि थी. लंच वह सुषमा और श्वेता के साथ ही करता था. उन दोनों को प्रभावित करने में उस का खाली समय व्यतीत होता था. इन सब बातों को देख कर मैं ने विपुल को कभी टोका नहीं, क्योंकि आफिस का काम उस ने कभी पेंडिंग नहीं किया. इसलिए बाकी सब हरकतों को उस का निजी मामला समझ कर नजरअंदाज करता रहा क्योंकि वह कंपनी के काम में सदा आगे रहता था.

एक दिन मैं आफिस में रिपोर्ट देख रहा था. शाम के 4 बजे चाय के साथ चपरासी समोसा, गुलाबजामुन और पनीर पकौड़ा मेज पर रखता हुआ बोला, ‘‘सर, समोसा पार्टी विपुल की तरफ से है.’’

‘‘किस खुशी में दावत हो रही है?’’ मैं चपरासी से पूछ रहा था, तभी महेश केबिन में आता हुआ बोला, ‘‘सर, विपुल तो छिपा रुस्तम निकला. मोटा असामी है. यह दावत तो कुछ नहीं, बड़ी पार्टी लेनी पड़ेगी विपुल से. ऐसे नहीं छूट सकता. आज उस ने 2 ट्रक खरीदे हैं, 16 ट्रक पहले से ही नवगांव की दाल मिल में चल रहे हैं. टोटल 18 ट्रकों का मालिक है. समोसा पार्टी तो शुरुआत है, फाइव स्टार दावत पेंडिंग है, सर.’’

‘‘महेश, एक बात समझ में नहीं आती कि 18 ट्रकों के मालिक को एक क्लर्क की नौकरी करने की क्या जरूरत है?’’

‘‘सर, मुझे लगता है कि अनुभव लेने के लिए विपुल नौकरी कर रहा है. साल दो साल के बाद नौकरी छोड़ कर वह अपने व्यापार में पिता का हाथ बटाएगा.’’

‘‘मेरा अनुभव यह कहता है कि अमीर घराने के बच्चे कभी नौकरी नहीं करते हैं, पढ़ाई के बाद अपने घर के व्यापार में जुट जाते हैं. आई.ए.एस. की नौकरी या मैनेजमेंट डिगरी के बाद किसी मैनेजर के पद पर नौकरी तो समझ में आती है, लेकिन एक क्लर्क की नौकरी कोई बड़ा व्यापारी अपने बच्चों से नहीं करवाता है.’’

‘‘आप के कहने में वजन है, सर,’’ महेश बोला, ‘‘लेकिन हमें इस से क्या मतलब, अपन तो दावत का मजा लेते हैं.’’

महेश के जाने के बाद मेरी नजर रिसेप्शन पर गई तो देखा, विपुल श्वेता और सुषमा के साथ हंसहंस कर अपनी दी हुई पार्टी के मजे ले रहा था. मैं सोचने लगा कि कहीं यह दावत लड़कियों को प्रभावित करने के लिए तो नहीं कर रहा.

एक दिन आफिस से घर जाते हुए सामान खरीदने के लिए बाजार गया. शाम के समय बाजार में बहुत भीड़ रहती है, बाजार में सामान खरीदते समय मुझे एहसास हुआ कि विपुल श्वेता के साथ हंसता हुआ हाथ में हाथ डाले टहल रहा था. दोनों एकदूसरे से चिपके हुए अपने में मस्त दुनिया से बेखबर मुझे भी नहीं देख सके. 2 हंसों का जोड़ा पे्र्रम की गहराई में उतर चुका था. युवा प्रेमी को डिस्टर्ब करना मैं ने उचित नहीं समझा. मैं सामान खरीद कर घर आ गया.

घर आ कर मैं सोचने पर मजबूर हो गया कि विपुल कब नवगांव जाता होगा और कैसे टाइम मैनेज करता होगा. आफिस में विपुल और श्वेता की नजदीकियां अधिक बढ़ने लगीं. चाय ब्रेक में दोनों एकसाथ चाय पीते नजर आते और लंच टाइम में एकसाथ खाना खाते. काम के बीच में विपुल झट से किसी न किसी बहाने श्वेता से चंद बातें कर आता. धीरेधीरे विपुल और श्वेता का प्रेम परवान चढ़ गया. आफिस में सब की जबान पर सिर्फ विपुल और श्वेता के प्रेम प्रसंग के चर्चे थे.

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