मास्क टीवी पर शुरु होने जा रहा है किन्नरों का एक टीवी शो, पढ़े खबर

लेखक व निर्देषक  -मानसी भट्ट

ओटीटी प्लेटफार्म के चलते अब फिल्म कंटेंट को प्रधानता दी जा रही है.इसी बदलाव की वजह से असल जीवन के नौ ट्रासजेंडरो को लेकर ओटीटी प्लेटफार्म ‘‘मास्क टीवी’’ पर बीस दिसंबर से एक षो ‘‘प्रोजेक्ट एंजल्स’’ स्ट्ठीम हो रहा है.यह पहली बार है,जब किसी षो में सिर्फ ट्रासजेंडर/ किन्नर अभिनय  कर रहे हों.ट्रांसजेंडर / किन्नरों को लेकर षो बनाने का साहस लेखक व निर्देषक मानसी भट्ट ने दिखाया है,जिनका मानना है कि ट्रासजेडरो को वह मेनस्ट्ठीम में लाना चाहती हैं.वह चाहती हैं कि लोग ट्रासजेंडरो की प्रतिभा से परिचित होकर उन्हे स्वीकार करे और उन्हे अपने जैसा माने.

ट्रासजेंडर यानी कि इस थर्ड जेंडर को सरकार द्वारा मान्यता दिए जाने के बावजूद यह समुदाय हमारे समाज में आज भी उपेक्षित है. प्रस्तुत है मानसी भट्ट से हुई बातचीत के अंष..अपनी अब तक की यात्रा के बारे में बताएं? मेरे पिता संजय भट्ट जी मार्केटिंग के साथ साथ दूरदर्षन के लिए सीरियलों का निर्माण करते रहे हंैं.जबकि मेरी मां अंजू भट्ट बहुत अच्छी लेखक,गीतकार,अभिनेत्री व निर्देषक हैं.वह काफी पढ़ी लिखी हैं.उन्होने सीरियल ‘मंजिलें’ लिखने के साथ ही उसमें अभिनय भी किया था.इस सीरियल में

वह पुलिस इंस्पेक्टर अंजू दीक्षित बनी थी.कई म्यूजिक अलबम बनाए.उन्होने मेरे भाई चिरंजीवी के लिए एक सीरियल लिखा.मेरी मां ने एक मराठी भाषा में एक सीरियल लिखा था,जिसमें अभिनय कर श्रेयष तलपड़े ने मराठी टीवी में कदम रखा था.एक गांधी जी पर पूरा अलबम लिखा था.उनका लेखन आज भी जारी है. तो मैने अपने घर में बचपन से ही रचनात्मक माहौल पाया है.मैने व मेरे भाई चिरंजीवी ने बचपन से ही षूटिंग व कलाकारों को देखा है.हम अक्सर सीरियल की षूटिंग के दौरान सेट पर भी जाते रहे हैं.तो आप कह सकते हैं कि हमारी परवरिष फिल्मी माहौल मंे ही हुई है.जब मैं कालेज में पढ़ती थी,तो मैने सायकोलाॅजी विषय के साथ पढ़ाई की.षायद यह मेरी गलती थी. क्योंकि उस वक्त मैने जोष में सायकोलाॅजी विषय ले लिया था और तब तक मैंने सोचा ही नही था कि भविष्य में क्या करना है.कालेज की पढ़ाई खत्म होने और स्नातक की डिग्री हाथ मंे आ गयी,तब मेरे पिता जी ने पूछा कि अब क्या? मैने कहा कि अब सोचना है.,अभी तक कुछ सोचा नहीं?तब मेरे पिता ने

कहा कि क्यों न फिल्म या सीरियल निर्माण व निर्देषन करो.तब मैं अपने पिता जी के सहयोग से सीरियल की लेखक व निर्देषक बन गयी. निर्देषक बनने के लिए आपने किस तरह की तैयारियां की? -इमानदारी की बात यही है कि मेरे पिता संजय भट्ट जी ने काफी सलाह दी.इसके अलावा मैने आपको पहले ही बताया कि मैं अक्सर षूटिंग के दौरान सेट पर जाया करती थी,तो अनजाने ही मैं बहुत कुछ सीख रही थी.वैसे स्कूल दिनों में मैं और मेरा भाई चिरंजीवी षौकिया एक एक घ्ंाटे की फिल्में बनाया करते थे.मैने पहली बार सीरीज ‘प्रोजेक्ट एंजल्स’ का लेखन व निर्देषन किया है और मेरे भाई चिरंजीवी ने इसका निर्माण किया है.फिर माता पिता का सहयोग भी रहा है.

‘प्रोजेक्ट एंजल्स’ की योजना कैसे बनी? मेरी मां ने एक गाना ‘‘राज तुम्हारे’’ लिखा था,जिसमें किन्नर साइबा अंसारी ने अभिनय किया था.गाने के फिल्मांकन के दौरान साइबा अंसारी कैमरे के सामने डांस कर रही थीं,तभी उनसे मेरी मुलाकात हुई थी.उन्ही को देखकर मेरे दिमाग में ‘प्रोजेक्ट एंजल्स’ का ख्याल आया.मैने सोचा कि लड़कियों को लेकर हर कोई सीरियल बना रहा है.मगर केवल ट्ांसजेंडर /किन्नर को लेकर अब तक कोई फिल्म या सीरियल नही बनी है.तो हमने सोचा कि ऐसी सीरीज बनायी जाए, जिसमें सभी ट््ंासजेंडर ही अभिनय करें.तो यह रियालिटी षो जैसा है,जिसमें साइबा अंसारी,जोया सिद्दििकी,अल्फिया अंसारी, गरिमा ग्रेवाल,सोनम खान, आफिया मुकरी, सिमरन खान,आफरीन षेख, खुषी पारगी षामिल हैं.किन्नरों को समाज में हमेषा दूर रखा जाताहै.उन्हे हिकारत की नजरों से देखा जाता है.कुछ

फिल्मों या सीरियल में किन्नरों को महज मजाक उड़ाने या उनसे ताली बजवाने के लिए ही रखा जाता है.किसी भी फिल्म या सीरियल में किसी किरदार मंे किन्नरों /ट्ांसजेंडरांे को षामिल नही किया जाता.मैं इस तरह का कामनहीं करना चाहती थी.मैं ट्ांसजेंडरों के साथ रीयालिटी षो बनाना चाहती थी,जिसमें हम उनके व्यक्तित्व वगैरह को लोगो के सामने ला रहे हैं. कुछ फिल्मों में नवाजुद्दीन सिद्दिकी सहित कुछ कलाकारों ने किन्नरो /ट्जेंडर वाले किरदार निभाए हैं.पर उसमें नकलीपना झलकता है.हमने वास्तविक ट्ंासजेंडरो / किन्नरों को अपने षो में षामिल किया है.मुझे उनकी समस्याओं को दिखाने में कोई रूचि नही है.मुझे तो उनके

सकारात्मक पक्ष ही दिखाने हैं.मैं उन्हे एक इंसान के तौर पर पेष करते हुए दिखा रही हॅूं कि ट्ांसजेंडर भी क्या क्या कर सकते हैं.वह जिस तरह से रहती हैं,उसे ही हम वास्तविकता के धरातल पर दिखा रहे हैं.हम किसी के दुःख का महिमामंडन नही करना चाहते.हम नही चाहते कि लोग उनक ेप्रति ‘दयाभाव’ या सहानुभूति’ के साथ पेष आएं.हम इसमें उनकी संुदरता व फैषन को दिखारहे हैं.उनके अंदर मनोंरजन का जो पक्ष है,उनके अंदर अभिनय के जो गुणहै,उन सभी पक्षों को हम दिखा रहे हैं. क्या ‘प्रोजेक्ट एंजल्स’ से लोगों की साच में बदलाव आएगा? मैं तो यही चाहती हॅूं कि लोगांे की सोच बदले.लोग समझें कि ट्ंासजेंडर का मतलब सिर्फ यह नही है कि वह आपके घर में खुषी के मौके परआकर तालियां बजाएं व डांस करें और आप उन्हें भीख में चंद रूपए दे दें. मैं हर इंसान को बता रही हॅूं कि भारत में बदलाव का वक्त आ गया है.जब एक

ट्ंासजेंडर हमारे देष के पष्चिम बंगाल राज्य में जज बन सकते हैं.तो फिर हमउन्हे नीची निगाह से क्यों देखें?अब वक्त आ गया है कि हमें खुद की सोच बदलकर इन्हें अपनाना होगा.ईष्वर ने उन्हे जैसा भी बनाया है,उसी रूप में हर इंसान उन्हें स्वीकार करे.उनके साथ चले.अब उन्हे पीछे रखकर ख्ुाद आगे बढ़ते जाना ठीक नही है.‘प्रोजेक्ट एंजल्स’’ का लेखन करने से पहले आपने किन्नरों के बारे में किस तरह से जानकारियंा इकट्ठीं की? मैने सिर्फ भारतीय ही नही बल्कि अमरीकन सहित कई देषों के सीरियल देखेहैं.मैने सड़क पर जाकर इन किन्नरों से लंबी बातचीत की है.उनसे जानने काप्रयास किया कि वह क्या क्या कर सकती हैं.मैने अमरीकन कल्चर को भी देखा वसमझा.वहां पर आम इंसान व ट्ांसजेंडर में कोई फर्क नहीं समझा जाता.वहां पर हर समुदाय के लोग किन्नरों को स्वीकार करते हैं.जबकि हमारे देष में ऐसानही है.हमारे यहां लोग उनसे दूर भागते हैं.हमारे यहां परिवार के लोगभी उन्हे अपने घर से निकाल देते हैं.कोई उनसे विवाह नही करना चाहता.

उनसे बात तक करना पसंद नही करता.मेरी सोच है कि हमारे यहां भी हर समुदाय केलोग ट्ांसजेंडरांे को स्वीकार करें,उनके साथ आम इंसानांे जैसा ही व्यवहार करें.षूटिंग के दौरान अगर किसी ने उनके बारे में गलत बात की,तो मैं नाराज होती थी.मैं उनमें कोई भेद नहीं मानती.मेरी नजर में मेरे सेट पर मौजूद ट्ांसजेंडर यानी कि लड़कियंा माॅडल व अभिनेत्री थीं.यह वह ट्ांसजेंडर हैं जो कि आपके घर पर आकर पैसा नही मांग रही इै.

वह सड़क या सिग्नल पर खड़ी नही होती.वह आपसे कुछ नही मांग रही है.यह सभी आम इंसानों की ही तरह मेहनत करके पैसा कमाकर अपनी जिंदगी गुजार रही है.तो फिर इनके साथ सौतेला व्यवहार क्यों? इन्हें हेय दृष्टि से क्यों देखा जाए? हम उन्हे अपने षो में उसी तरह से पेष कर रहे हैं,जिस तरह से वह वास्तव में अपनी जिंदगी में रहती हैं.इसका लेखन करते समय मेरे दिमाग मंे सिर्फ एक ही बात थी कि इन्हे मैं उस तरीके से परदे पर दिखाउं,जिस तरीके से इन्हे अब तक भारत में नही दिखाया गया.मंैने इस षो को लिखने से पहले कई भारतीय फिल्में व सीरियल देखे, जिनमें ट्ांसजेडरों की बात की गयी है,तो पाया कि इनमें ट्ांसजेंडरों को सही अंदाज में नही दिखाया जा राह है,वह जिस तरीके से रहती हैं,वास्तव में उस तरीके से उन्हे नही दिखाया जा रहा है.यहां तक कि

उन्हे अभिनय करने के लिए भी नही बुलाया जाता.उन्हें भिखारी की ही तरह से पेष किया जाता है.मैं इसे बदलना चाहती हॅूं. जब आपने कुछ ट्ांसजेंडरांे से बात की,तो आपको क्या नई जानकारी मिली,जिससे आप वाकिफ नहीं थी?-पहली बात मुझे यह पता चली कि हर किन्नर की अपनी अलग अलग स्टाइल है.इनके व्यक्तित्व में समानता नही है.यह सभी अलग अलग अकेले रहती हैं. और सभी कुछ न कुछ काम कर रही हैं.नौ में से दो तीन बहुत दकियानूसी हैं और षरीर से पैर तक ख्ुाद को ढंक कर राती हैं.दो तीन ऐसी हैं,जिन्हे पहनावे को लेकर किसी भी प्रकार की कोई बंदिष नहीहै.वह खुलकर जिंदगी जीना पसंद करती हैं.उन्हे इस बात की कोई फिक्र नहीं होती कि कौन उन्हे किस निगाह से देख रहा है या उन्होेने स्वयं किस तरह के कपड़े पहन रखे हैं.वह हमेषा

ओपनली रहती हैं.इसी वजह से मुझे अपनी स्क्रिप्ट में कुछ बदलाव भी करने पड़े.क्यांेकि पहले हमने कुछ दृष्य रखे थे,जिनको लेकर दो तीन प्रतियोगी कंफर्ट नही थी.दो तीन ने कह दिया कि वह इस तरह के टास्क नही कर सकती.इनकेसंघर्ष बहुत है,पर इनके पास काम की कमी नही है.यह सभी लगभग हर दिन व्यस्त रहती हैं.फिल्म इंडस्ट्ठी मंे इनका नाम बहुत बड़ा है,मगर आज तक इन्हें इनकी पहचान नही मिली.जबकि इन्हे परफार्म करने के लिए बुलाया जाता रहता है.तो अब ‘प्रोजेक्ट एंजल्स’ से इन्हे इनकी सही पहचान मिलेगी.हमारी फिल्म इंडस्ट्ठी में यह ट्ांसजेंडर जरुरत हैं.लेकिन हमारी फिल्म इंडस्ट्ठी इस बात को स्वीकार कर उन्हे सम्मान नहीं देना चाहती.हमारी फिल्म इंडस्ट्ठी भी इन्हे नीचीदृष्टि से देखते हुए सिर्फ इनका उपयोग करना जानती है.हमारे यहां ट्ांसजेंडर

का नाम आते ही लोगों के दिमाग में सिर्फ दो गालियां ही आती हैं.मेराकहना है कि यह सोच बदलों.यह ट्ांसजेंडर ख्ुाद को ‘लड़कियंा’ कहती हैं. तो आप भी उनके साथ लड़कियांे की ही तरह से व्यवहार करें.उन्हे लड़कियों की ही तरह ट्ठीट करो.मैं इन्हे ट्ांसजेंडर नही बुलाती.मैनेजब इनका इंटरव्यू लिया था,तब इनमें से एक मेघना ने बताया कि इन्हे किराए पर घर भी नही मिलता.इनके अपने ब्वायुफ्रेंड हैं,मगर वह इन्हे लोगांे के सामने लेकर नही आते.एक प्रतियोगी का ब्वाॅयफ्रेंड किसी अन्य से षादी कर रहाथा,पर वह उससे भी संबंध बरकरार रखे हुए था.कुल मिलाकर इन ट्ांसजेंडरों के संघर्ष न खत्म होने वाले हैं.अब तक किसी भी फिल्मकार ने यह नही दिखाया कि समाज वास्तव में उनके साथ क्या गलत कर रहा है.फिल्मकार सिर्फ इतना दिखाते हंै कि वह सिग्नल पर भीख मांग रहे हैं या घर घर जाकर खुषी केमौके पर पैसा मांगते हैं. हम यह सब नही दिखा रहे हैं.

तो आप क्या क्या दिखा रही हैं? -देखिए,मैने उन्हे फैषन माॅडल व अभिनेत्री के रूप में पेष किया है.बीचमें एक हिस्सा आता है,जहां वह बात करती हंै कि समाज उनके साथ किस तरह काव्यवहार करता है.पर मेरा मकसद उनके साथ होने वाले व्यवाहर को दिखाना नहीरहा.मैं तो समाज को यह बताना चाहती हॅॅंू कि जिन्हे हम तुच्छ समझतेहैं,वह क्या क्या कर सकती हैं.उनमें कितनी प्रतिभा हैं.वह हमारी ही तरहहैं.हमारे षो में वह माॅडल हैं.उनके साथ जो कुछ हुआ,उसमंे से जोउन्होने कहा वही दिखाया.अपने षो ‘‘प्रोजेक्ट एंजल्स’’ के लिए आपने इन ट्ंांसजेंडरों को कहां ढूढ़ा व किस तरह से चुना? -इनकी तलाष करने मंे हमें कई माह लगे.पर सबसे पहले हमारी मुलाकात साइबा से हुई.उसके बाद दूसरों से होती रही.हम नव्या सिंह से मिले,पर उसने कहा कि वह

इस षो की एंकरिंग करना चहेंगी.तो हमने उन्हे एंकर बनाया.क्योकि मुझे भीलगा कि वह एंकरिंग के लिए ठीक हैं.उन्होने इससे पहले भी एंकरिंग वाले कामही ज्यादा किए हैं.फिल्म इंडस्ट्ठी मंे उनकी अपनी एक पहचान भी है.नव्यासिंह यूट्यूब पर एक प्लेटफार्म ‘जोष टाॅक्स’ है,उसमें वह नजर आती हैं.इषो में लोग अपनी कहानियंा आकर सुनाते हुए दर्षकों को मोटीवेट करतेहैं.वह कई गानों में भी नजर आती हैं.वह पंजाबी एंटरटेनर हैं.पंजाब में तो उनका जलवा है.वह फिल्म भी कर रही हैं.इसके बाद की आपकी क्या योजनाएं हैं?-यह तो मेरी षुरूआत है.मैं हमेषा ट्ासजेंडरों के साथ ही षो नहींनाउंगी.आगे चलकर लड़कों व लड़कियों को लेकर भी षो बनाने हैं.जिनकी तैयारियंा कर रही हॅूं.मैं सिर्फ रियालिटी टीवी षो ही नहीं बनानाचाहती.मैं तो हर जाॅनर में कार्यक्रम बनाउंगी.मैं दो क्रिमिनल सीरीज परभी काम कर रही हॅूं.इनके लेखन मंे मेरी सायकोलाॅजी की पढ़ाई मदद कर रही है.

Bigg Boss 16: नॉमिनेशन के कारण शालीन-सुंबुल के बीच हुई फाइट, देखे वीडियो

कलर्स टीवी का रिएलिटी शो बिग बॉस 16 (Biggboss16) इन दिनों मीडिया की सुर्खियों में बना हुआ है जहां कंटेस्टेंट कभी एक -दूसरे से लड़ते नज़र आ रहे है तो कभी दोस्त बनते दिख रहे है बीते दिन घर से बेघर अकिंत हुए है. जिसके जाने के बाद प्रिंयका घर में बिलकुल अकेली हो गई है. जिसका फायदा खूब अर्चना उठा रही है. दोनो के बीच जमकर लड़ाई भी हुई थी.

आपको बता दें, कि घर में कंटेस्टेंट एक दूसरे अक्सर लड़ा करते है जो कि शो को और एंटरटेन बना देता है ऐसे बीते दिनों शालीन की एम सी स्टेन से लड़ाई हुई थी वही, अब ये लड़ाई शालीन भनोट और सुंबुल के बीच हुई है. दोनों में जमकर विवाद हुआ. जी हां. हाल ही में एक प्रोमो वीडियो जारी किया गया है जिसमें नॉमिनेशन की प्रकिया चल रही है. वही टास्क के दौरान सुंबुल और शालीन एक दूसरे पर जमकर बरसते नज़र आए.

 

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बता दें, कि टास्क के दौरान सुंबुल और शालीन के बीच लड़ाई होती है और शालीन सुंबुल को कमजोर बता देते है इतना तक कहते है कि आपके पापा ने भी आपको कमजोर बताया था, जिस पर सुबुंल भी करारा जवाब देती है और कहती है कि आप कौन हो जो ये जज करेंगे कि कौन मजबूत है और कौन कमजोर है. जिसके बाद नॉमिनेशन होता है तो शालीन सुंबुल को ऩमिनेट कर देते है.

 

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बिग बॉस 16 इन दिनों टीआरपी की रेस पर टॉप तल रहा है अब आगे देखना ये रहेगा कि सुंबुल के अलावा कौन-कौन घर से नॉमिनेट होते है.

YRKKH: क्या बच पाएगा अक्षरा का बच्चा, जय की एंट्री लाएंगी कहानी में नया मोड़

स्टार प्लस का सीरियल ये रिश्ता क्या कहलाता है इन दिनों मीडिया की सुर्खियों में बना हुआ है सो में हर दिन नए मोड़  आ रहे है जो शो को और बेहतर बना रहे है साथ एंटरटेन भी कर रहे है. जी हां शो में अब नया मोड़ आया है जिसे देखना बेहद ही मजेदार होगा.

आपको बता दें, कि बीते कुछ दिनों पहले आरोही की प्रेग्नेंसी का सच सामने आता है, जिससे बिरला हाउस में सब कुछ ठीक होता हुआ दिखता है लेकिन फिर अचानक ही नील की मौत से अब सब टूट गए हैं.  इतना ही नहीं, अक्षरा का भी मिसकैरेज हो जाता है और फिर नील की मौत के बाद अब अभिमन्यु ने भी अक्षरा से अपने सारे रिश्ते तोड़ दिए हैं. वह इन सबका जिम्मेदार अक्षरा को मानता है. लेकिन कहानी यही खत्म नहीं होती है

 

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जी हां, प्रणाली राठौड़ (Pranali Rathod) और हर्षद चोपड़ा स्टारर ये रिश्ता क्या कहलाता है के बीते एपिसोड में देखा गया था कि अक्षरा सबको छोड़कर चली गई है लेकिन वह कहां गई. यह किसी को नहीं पता.वहीं, दूसरी तरफ गोयंका हाउस के सभी लोग अक्षरा का पता लगाने की कोशिश करते हैं. लेकिन अक्षरा अपने बड़े पापा के फोन पर एक मैसेज छोड़ जाती है, जिसमें वह कहती है कि वह कहां जा रही है उसे नहीं पता। लेकिन वह पहले की तरह अपनी जिंदगी को एक बार फिर से शुरू कर लेगी।अक्षु का यह मैसेज सुनकर सब लोग परेशान हो जाते हैं.

वहीं, दूसरी तरफ बिरला हाउस में भी सब काफी परेशान होते हैं। घर में बड़े पापा और बड़ी मां, अक्षरा के यूं अचानक चले जाने से नाराज हो जाते हैं। लेकिन वह अपना सारा ध्यान घर में मौजूद लोगों पर लगाते हैं. इस बीच अचानक ही मंजरी की हालत काफी बिगड़ जाती है, जिस वजह उसे सभी लोग अस्पताल लेकर जाते हैं. अस्पताल में अपनी मां की ऐसी हालत देखकर अभिमन्यु काफी घबरा जाता है.

प्रेगनेंट होगी अक्षरा

कहानी में ट्विस्ट तब आएगा तब अक्षरा प्रेग्नेंट होगी। दरअसल, अक्षरा घर छोड़कर बेसुध हालत में एक बस में बैठ जाती है, यहां पर जय सोनी सीरियल में एंट्री करते हैं। वह अक्षरा की काफी मदद करते हैं और वह पठानकोट पहुंच जाती है। लेकिन इसी बीच अक्षु को होश हो जाता है और वह बस में ही चिल्लाने लगती है और चलती बस से उतरने की बात करती है. इस वजह वह बेहोश भी हो जाती है, जिसके बाद जय सोनी उन्हें अस्पताल लेकर जाते हैं.यहां पर अक्षरा को पता चलता है कि वह अब भी प्रेग्नेंट है। उसके दो बच्चे में से एक बच्चा अब भी जिंदा है.

जंजाल: नैना मानव को झूठे केस में क्यों फंसाना चाहती थी?

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Winter Special: स्पर्म काउंट पर भारी पड़ती स्क्रीन टाइमिंग

बहुत से लोग हर वक्त मोबाइल पे चिपके रहते हैं. उन की यह लत उन्हें बहुत भारी पड़ सकती है क्योंकि हाल ही में अमेरिकन जरनल में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार हफ्ते में 20 घंटे से ज्यादा टीवी या मोबाइल फोन देखने से पुरुषों के स्पर्म प्रोडक्शन में 35% तक की कमी आ सकती है. रिपोर्ट के मुताबिक 1 दिन में 5 घंटे से ज्यादा टीवी देखने वाले लोगों के शरीर में स्पर्म काउंट में भारी कमी आती देखी गई.इस के ठीक उलट कंप्यूटर पर रोजमर्रा का औफिस का दिनभर काम करते रहने वालों के शरीर में ऐसी कोई कमी नहीं देखी गई.

ऐसे लोगों के न तो स्पर्म काउंट में कोई कमी देखी गई और न ही उन के शरीर में टेस्टोस्टेरौन के स्तर में कोई कमी आई. इस का एक कारण यह भी हो सकता है कि ऐसे लोग, जो बहुत ज्यादा टीवी देखते हैं, ज्यादा ऐक्सरसाइज नहीं करते हों और न ही हैल्दी खाना खाते हों, तो ये आदतें सीधे तौर पर फर्टिलिटी पर प्रभाव डालती हैं.इनफर्टिलिटी का बड़ा कारणटीवी या मोबाइल पर फिल्में देखने वालों का दिमाग एक तरह से काम करना बंद कर देता है.

जंक फूड के अत्यधिक सेवन और आलस भरे लाइफस्टाइल के चलते आजकल काफी लोग मोटापे का शिकार हो रहे हैं और यह इनफर्टिलिटी का एक बड़ा कारण बनता जा रहा है. मोटापे की वजह से पुरुषों और महिलाओं दोनों की कामेच्छा कम होती जाती है. मोटापा न केवल यौन संबंध बनाने की इच्छा में कमी लाता है, बल्कि इस के चलते सैक्स के दौरान जल्दी स्खलन होने की समस्या भी पेश आती है. इस के चलते सैक्सुअल परफौर्मैंस प्रभावित होती है क्योंकि लिंग में पर्याप्त उत्तेजना नहीं आ पाती, साथ ही अगर महिला मोटापे से पीडि़त है, तो उस स्थिति में सही तरीके से समागम भी नहीं हो पाता है.

कैन, पैकेट बंद फूड और हाई फैट युक्त चीजें बहुत तेजी से और बड़ी मात्रा में ऐसिडिटी पैदा करती हैं, जिस से शरीर के पीएच स्तर में बदलाव आता है. आलस भरे लाइफस्टाइल के साथ कैमिकल ऐडिटिव्स और ऐसिडिक नेचर वाला खानपान या तो स्पर्म सैल्स के आकार और उन की गतिशीलता को नुकसान पहुंचाता है या फिर इस की वजह से स्पर्म डैड हो जाते हैं.

शारीरिक अक्षमता‘ब्रिटिश जनरल औफ स्पोर्ट्स मैडिसन’ में प्रकाशित रिपोर्ट के तहत लैब ऐनालिसिस के लिए 18 से 22 साल की उम्र के 200 स्टूडैंट्स के स्पर्म सैंपल कलैक्ट किए गए. उन के विश्लेषण से यह पता चला कि सुस्त लाइफस्टाइल और स्पर्म काउंट में कमी का एकदूसरे से सीधा संबंध है. ज्यादा टीवी देखने वालों का औसत स्पर्म काउंट 37 एमएन माइक्रोन प्रति एमएल था, जबकि उन स्टूडैंट्स का स्पर्म काउंट 52 एमएन माइक्रोन प्रति एमएल था, जो बहुत कम टीवी देखते हैं.सुस्त लाइफस्टाइल और टीवी देखने के आदी लोगों के स्पर्म काउंट में सामान्य के मुकाबले 38% तक कमी पाई गई.

इस रिपोर्ट से यह भी साबित हुआ है कि अत्यधिक टीवी देखने वालों के हृदय में अत्यधिक आवेग के चलते फेफड़ों में खून का जानलेवा थक्का जमने और उस के चलते हार्ट अटैक से मौत होने की संभावना भी 45% तक बढ़ जाती है और टीवी या मोबाइल स्क्रीन के सामने हर 1 घंटा और बिताने के साथसाथ यह संभावना और भी बढ़ती जाती है.

हर चीज की एक सीमा हो कुछ रिपोर्ट्स में बताया गया है कि हर हफ्ते औसतन 18 घंटे की ऐक्सरसाइज करने से स्पर्म क्वालिटी बढ़ाई जा सकती है, लेकिन अत्यधिक ऐक्सरसाइज करने से भी स्पर्म क्वालिटी पर असर पड़ता है. देखने में आया है कि शारीरिक रूप से सक्रिय रहने वाले ऐसे लोग जो हफ्ते में 15 घंटे मौडरेट ऐक्सरसाइज करते हैं या कोई खेल खेलते हैं उन का स्पर्म काउंट शारीरिक रूप से कम सक्रिय रहने वाले लोगों की तुलना में 3-4 गुना तक ज्यादा रहता है.

टीवी या मोबाइल के सामने घंटों एकटक निगाहें रखने का सीधा संबंध शरीर में गरमी बढ़ाने से होता है. स्पर्म सैल्स ठंडे वातारण में ज्यादा अच्छी तरह पनपते हैं, जबकि शरीर के ज्यादा गरम रहने से वे ज्यादा अच्छी तरह नहीं पनप पाते हैं.जरूरत से ज्यादा ऐक्सरसाइज करना और लगातार टीवी देखना, दोनों ही शरीर में फ्रीरैडिकल्स के उत्पादन और उत्सर्जन को बढ़ावा देते हैं, जिस के चलते स्पर्म सैल्स मर जाते हैं, जिस का प्रजनन क्षमता पर सीधा असर पड़ता है.

Wedding Special: सुंदर दिखना आपका हक है

सामान्य रूप से गोरी लड़की को ही खूबसूरत माना जाता है. गोरा रंग सब को लुभावना लगता है और इसे पाने के लिए लड़कियां क्या कुछ नहीं करतीं. मगर आज हम आप को दुनिया की सब से खूबसूरत काली लड़की के बारे में बताएंगे, जिस की खूबसूरती के दीवाने लाखोंकरोड़ों लोग हैं. इस लड़की का नाम है खोदिया डियोप. सिर्फ 27 साल की उम्र में खोदिया ने अपनी पहचान पूरे विश्व में ब्लैक वूमन के रूप में बनाई है.

लोग खोदिया की एक मुसकान पर फिदा हो जाते हैं. जिस काले रंग से लोगों को नफरत होती है उसी काले रंग ने खोदिया को शोहरत दिला दी. खोदिया दुनिया की सब से खूबसूरत काली महिलाओं में नंबर वन पर है. उसे लोग चारकोल, ब्लैक वूमन, ब्लैक क्वीन, मैलानिन देवी आदि नामों से पुकारते हैं.

सेनेगल, फ्रांस की रहने वाली खोदिया एक मौडल है और उस ने कई कंपनियों के साथ मौडलिंग का काम किया है. कई बड़ी कंपनियों के साथ महंगे ऐड भी किए हैं. दुनिया में लाखों गोरे लोगों के बीच वह एक ऐसी काले रंग की लड़की है जिस ने अपनी खूबसूरती और टेलैंट के दम पर दुनिया में अपना एक अलग मुकाम बना लिया है. अपने पहले फोटोशूट के बाद ही खोदिया सोशल मीडिया पर काफी फेमस हो गई थीं.

खोदिया की तसवीरों को देख कर वाकई यह कहना गलत नहीं होगा कि खूबसूरत होने के लिए जरूरी नहीं कि आप का रंग गोरा ही हो. काले लोग भी खूबसूरत हो सकते हैं. खोदिया डियोप दुनिया की पहली ऐसी ब्लैक मौडल है जिस का नाम वोग मैगजीन से ले कर टाइम्स मैगजीन तक छप चुका है. इसे विश्व की सब से खूबसूरत मिस वर्ल्ड ब्लैक ब्यूटी गर्ल का अवार्ड मिल चुका है.

1. मिथ को बदल दिया

खोदिया ने उस मिथ को हमेशा के लिए बदल कर रख दिया जिस में कहा जाता था कि गोरी महिलाएं ही खूबसूरत होती हैं. आप खोदिया की पौपुलैरिटी का अंदाज इसी बात से लगा सकते हैं कि उस के चाहने वाले फेसबुक, इंस्टाग्राम और ट्विटर पर करोड़ों की तादाद में हैं. खोदिया का आकर्षण कुछ ऐसा है कि जो भी उसे एक बार देखता है तो बस देखता ही रह जाता है. खोदिया डियोप की खूबसूरती का सब से बड़ा राज है उस का आत्मविश्वास.

इसी तरह 48 साल की बौलीवुड ऐक्ट्रैस मलाइका अरोड़ा अपनी बढ़ती उम्र को धता बताते हुए पहले की तरह फिट और ऐक्टिव दिखती है या यह भी कह सकते हैं कि पहले से अधिक फिट नजर आती है. उस की हैल्दी स्किन और फिटनैस को देख कर उस की असल उम्र का अंदाजा लगाना बेहद मुश्किल है. मलाइका खुद को फिट बनाए रखने के लिए जिम में पसीना बहाती है. मलाइका को उस की बोल्डनैस के लिए भी जाना जाता है. पार्टी हो या फिर कोई इवेंट वह अपनी ड्रैसिंग सैंस के जरीए हर किसी का ध्यान खींच लेती है.

उम्र या रंग ही नहीं अकसर खूबसूरती के लिए महिलाओं को स्लिमट्रिम फिगर भी मैंटेन करना पड़ता है और मोटी लड़कियों को आकर्षक नहीं माना जाता. हाल ही में ‘जर्नल औफ ईटिंग डिसऔर्डर्स’ में एक रिसर्च स्टडी छपी. उस में बताया गया कि जैसी मैनिकिंस (पुतलों) को हम शोरूमों या दुकानों में देखते हैं अगर इंसान वाकई ऐसा हो तो वह पूरी तरह से अनफिट होगा. इतना ही नहीं ऐसे फिगर की कल्पना करना भी सचाई से परे है. स्टडी कहती है कि अगर महिलाएं मैनिकिंस जितनी पतली हो जाएं तो उन के पीरियड्स भी नहीं होंगे.

2. हौआ कुछ इस कदर हावी है

शोधकर्ताओं ने ब्रिटेन के 2 शहरों के शोरूमों में मैनिकिंस पर स्टडी की. स्टडी के लेखक डा. एरिक राबिन्सन ने बताया कि इस बात के साफ सुबूत हैं कि बेहद दुबलीपतली काया को आदर्श मान कर लोग खासकर लड़कियां कई तरह के मानसिक रोगों और ईटिंग डिसऔर्डर का शिकार हो रही हैं. खूबसूरत दिखने के लिए एक खास तरह का फिगर हासिल करने का हौआ कुछ इस कदर हावी है कि दुनिया के कई देशों में लड़कियां ‘ऐनोरेक्सिया’ से पीडि़त हैं और उन्हें डाक्टरों की मदद लेनी पड़ती है.

ऐनोरेक्सिया एक तरह का इमोशनल डिसऔर्डर है जिस में व्यक्ति पर वजन घटाने का भूत कुछ इस तरह हावी हो जाता है कि वह खाना खाने से ही इनकार कर देता है. इस से मौत तक हो सकती है.

फिल्मों और सीरियल्स में मोटे किरदारों को बेवकूफ दिखाए जाने का भी चलन है. छोटे बच्चों के लिए बनाए जाने वाले कार्टून शो भी इस से अछूते नहीं हैं. ‘डोरेमोन’ के

जियान को देखिए या फिर ‘कितरेत्सू’ के बूटागोरिला को दोनों को ही मोटा और मंदबुद्धि दिखाया गया है.

हां, मैं सुंदर हूं

मोटे किरदारों को ‘ह्यूमर’ के लिए इस्तेमाल किया जाता है. फिल्म ‘कल हो न हो.’ की स्वीटू को याद करिए और याद कीजिए कौमेडी शो में पलक (कीकू शारदा का किरदार) को सामने वाले को उस के रंग, फिगर या उम्र की वजह से कमतर दिखने की बातें हमें कभी न कभी देखनेसुनने को मिल ही जाती हैं. कभी ये बातें हमें अपने रिश्तेदारों से सुनने को मिलती हैं. कभी अपने खुद के दोस्तों से, कभी खुद के मातापिता से भी सुनने को मिलती है.

कभीकभी हम टीवी ऐड, टीवी धारावाहिक और फिल्मों में किसी पात्र का मजाक बनते हुए देखते हैं. कोई काला है, कोई अधेड़ है तो कोई मोटा है तो कोई नाटा है. इतना सुनने के बाद कभीकभी तो हम खुद के शरीर के बारे में भी नकारात्मक भाव रखने लगते हैं. यह जो शर्म और नकारात्मक भाव हमारे अंदर पैदा हो रहा इसे बौडी शेमिंग की संज्ञा दी जाती है.

बौडी शेमिंग करने वाले हमारी त्वचा के रंग, शरीर के आकार, बालों की लंबाई और कपड़ों को ले कर कमैंट्स करते हैं कि तुम बहुत दुबले हो, तुम बहुत मोटे हो, तुम बहुत काले हो, तुम्हारे बाल बहुत छोटे हैं, तुम बहुत लंबे हो. किसी न किसी तरह से हमारे शरीर को ले कर कमैंट्स किए जाते हैं ताकि वे हमें नीचा दिखा सकें खासकर बौडी शेमिंग महिलाओं का जीवन दूभर बना देती है. पर ध्यान रखें आप कैसी भी हैं मोटी हैं, काली हैं या उम्र अधिक हो गई है आप खूबसूरत दिख सकती हैं और सुंदर दिखना आप का हक है.

3. परफैक्ट शरीर एक मिथा

जैसे हाथ की पांचों उंगलियां एकबराबर नहीं होती हैं वैसे ही 5 इंसान एकजैसे नहीं हो सकते हैं. आप गोरे हैं तो भी खूबसूरत हैं और आप काले हैं तो भी खूबसूरत हैं. खुद से प्यार करें. भले ही कोई आप को खूबसूरत कहे न कहे आप खुद से कहें कि आप बहुत सुंदर हैं. खुद में एक सकारात्मक और स्वस्थ भाव लाएं. धीरेधीरे आप खुद को सुंदर महसूस करने लगेंगी.

शिल्पा शेट्टी काजोल, दीपिका पादुकोण, बिपाशा, नंदिता दास जैसी डस्की स्किन बौलीवुड गर्ल्स ने साबित कर दिया कि सुंदरता केवल गोरे रंग में ही नहीं होती. सांवले रंग की औरतें भी गोरे रंग वाली महिलाओं की तरह सुंदर और अट्रैक्टिव दिख सकती हैं. इसी तरह विद्या बालन जैसी ऐक्ट्रैसेस ने मोटे होने के बावजूद अपनी खूबसूरती से सब को मंत्रमुग्ध कर दिया.

गोरे रंग को खूबसूरती का पैमाना मानने वाले आज भी सांवले रंग को नीचा बताने में पीछे नहीं रहते. इस का परिणाम यह होता है कि कई सांवली लड़कियां अपना आत्मविश्वास खो देती हैं. अपने अंदर के तमाम गुणों को भूल कर सांवलेपन के अफसोस और शर्म में जीने लगती हैं और खुद को गोरा बनाने की जुगत में लग जाती हैं. लेकिन शायद वे यह नहीं सम?ातीं कि ऐसा कर के वे खुद उस तथाकथित समाज के भ्रम में फंस कर सांवलेपन का मजाक उड़ा रही हैं. समाज से सांवलेपन के दोयम दर्जे के व्यवहार को खत्म करने के लिए सब से पहले हमें खुद अपने सांवले रंग से प्यार करना सीखना होगा.

मिस यूनिवर्स 2019 का ताज साउथ अफ्रीका की जोजिबिनी टूंजी के सिर पर सजा. वह एक ब्लैक वूमन है. एक काली औरत मिस यूनिवर्स बन सकती है तो क्या आप खूबसूरत नहीं दिख सकतीं?

4. एहसास होना जरूरी है

जिन लड़कियों को बारबार ऐसा लगता है कि उन का सांवला रंग उन्हें बदसूरत बनाता है, जिन्हें लगता है कि उन का छोटा कद या मोटा शरीर दूसरों के सामने उन्हें कम स्मार्ट दिखाता है उन्हें हर दिन खुद से यह कहना क्यों जरूरी है ‘मैं खूबसूरत हूं.’ छोटी आंखें, मोटा शरीर, उल?ो बाल, छोटा कद जैसी भी हैं आप खूबसूरत हैं और आप को यह एहसास होना जरूरी है. अपनी खूबसूरती पर हमेशा अपना भरोसा बनाए रखें. जब आप भीतर से खुश और आत्मविश्वास महसूस करती हैं तभी आप सुंदर दिखती हैं.

आप का व्यक्तित्व आप को दूसरों से अलग बनाता है. जिस तरह से आप किसी के सामने खुद को प्रस्तुत करते हैं उस से आप के और आप के व्यक्तित्व के बारे में सामने वाले को काफी कुछ पता चल जाता है. आप का व्यक्तित्व हर जगह आप की पहचान बन जाता है. चाहे वह आप का घर हो, परिवेश हो या स्कूलकालेज अथवा आप के कार्य करने का स्थान ही क्यों न हो.

5. बढ़ता है आत्मविश्वास

एक हालिया सर्वेक्षण की रिपोर्ट के अनुसार, आस्ट्रेलिया में 52% पुरुषों और 64% महिलाओं ने दावा किया कि जब उन्हें अपने बारे में यह पता चला कि वे अच्छा दिखते हैं या दिखती हैं तो उन के काम के पहले की तुलना में और बेहतर परिणाम आने लगे. यह केवल उन के अच्छे व्यक्तित्व की वजह से ही संभव हो पाया. अगर आप का अच्छा व्यक्तित्व दूसरों पर एक अमिट छाप छोड़ने एवं आसान व बेहतर तरीके से काम करवाने में एक अहम भूमिका अदा करता है तो आप सुंदर हैं.

जाहिर है सुंदरता का मतलब सिर्फ गोरा या अच्छा फिगर होना ही नहीं है. कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिन्हें देख कर उन की प्रशंसा किए बिना नहीं रहा जा सकता. दरअसल, चेहरे के साथसाथ उन का बोलचाल, कपड़े पहनने का ढंग, चलने का ढंग और उन का पूरा व्यक्तित्व ही आप को आकर्षित करता है. इस का मतलब हम किसी से तभी प्रभावित होंगे जब पूरा व्यक्तित्व हमें खींच रहा हो. आप भी सुन्दर दिखना चाहती हैं तो अपनाएं ये टिप्स:

6. एक मीठी सी मुसकान

कभीकभी केवल एक मुसकान के जरीए लोगों को अपना मुरीद बनाया जा सकता है. अपने चेहरे पर मुसकान ला कर अपने व्यक्तित्व में और निखार लाएं. एक मुसकराता हुआ चेहरा आप को खूबसूरत बनाता है और आकर्षण लाता है. यह आप को सकारात्मक तरीके से आगे बढ़ने में मदद करता है, जबकि एक गुस्से और ?ां?ालाहट भरे चेहरे की खूबसूरती कहीं गुम हो जाती है.

7. अपनी बातचीत के तरीके में सुधार करें

बातचीत की कला में तभी सुधार हो सकता है जब आप लोगों से बात करते समय अपनी हिचकिचाहट अथवा ?ि?ाक पर काबू पाने में कामयाब होंगे. यदि आप में हैजीटेशन है तो आप इसे प्रयास कर के दूर कर सकते हैं. आप अलगअलग पृष्ठभूमि के लोगों के साथ बातचीत करें, सांस्कृतिक कार्यक्रमों, पार्टियों और किसी बहस में भाग लें. ऐसा करने से आप बातचीत की कला में निपुण हो सकते हैं.

8. सही हेयर कट

घर हो, औफिस हो या फिर खुद के लिए सुंदर दिखने की ख्वाहिश हो तो अपने बालों का भी खयाल रखें. हर समय एक ही हेयरस्टाइल रखने से भी पर्सनैलिटी में बदलाव नजर नहीं आता है. 6 महीने या 1 साल के गैप में हेयर कट करवाएं. अलगअलग हेयरस्टाइल ट्राई करें. खुले, बिखरे, बेजान बाल आप के व्यक्तित्व को खराब करते हैं. अपने चेहरे के आकार के अनुसार बाल कटवाना जरूरी है. सही हेयर कट आप के व्यक्तित्व को पूरी तरह से बदल सकता है.

9. त्वचा की देखभाल है जरूरी

खूबसूरत दिखने के लिए सब से जरूरी है कि आप अपनी त्वचा को सम?ों और उसी अनुसार इस की देखभाल करें. आप की स्किन किस प्रकार की है उसे जान कर ही मेकअप और स्किन केयर रूटीन को फौलो करें. जब आप की त्वचा ग्लो करेगी तो पूरी पर्सनैलिटी बेहतर लगेगी. कैमिकलयुक्तब्यूटी केयर प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल कम करें. डेली स्किन केयर रूटीन बनाएं. घरेलू नुसखों को भी आजमाएं.

10. महीने में एक बार जाएं ब्यूटीपार्लर

त्वचा और बाल यदि स्वस्थ नजर आते हैं तो आप की पूरी पर्सनैलिटी आकर्षक नजर आती है. बाल, त्वचा, हाथोंपैरों की देखभाल अच्छी तरह से करना बेहद आवश्यक है. इस के लिए महीने में एक बार पार्लर जरूर जाएं. अच्छी दिखने के लिए भौंहें और ऊपरी होंठ के बालों को हटाना जरूरी है. कुछ महिलाओं को ठुड्डी, गरदन, गालों के आसपास छोटेछोटे बाल होते हैं. इन्हें भी नियमित रूप से हटाएं. हाथों, पैरों की वैक्सिंग नियमित रूप से कराएं. मैनीक्योर, पैडीक्योर कराती रहें. नाखूनों को समयसमय पर काटती रहें. बड़े रखे हैं तो उन्हें अच्छी शेप में और साफ रखें.

11. लाइट मेकअप करें

हर दिन हैवी मेकअप कर के औफिस या कहीं बाहर जाना अच्छा नहीं होता. लाइट मेकअप करें. मेकअप दिन और रात के अनुसार ही करें. काजल, कौंपैक्ट पाउडर, हलके रंग की लिपस्टिक लगा सकती हैं. यह सिंपल मेकअप लुक आप को प्रेजैंटेबल और अच्छी तरह से तैयार दिखने में काफी मदद करता है.

12 बौडी और्डर पर ध्यान दें

कुछ महिलाओं के पसीने से अधिक दुर्गंध आती है. यह दुर्गंध भीड़ में आप को शर्मिंदा कर सकती है. बौडी और्डर व्यक्ति के आत्मविश्वास को प्रभावित करता है. इसलिए अपने लिए अच्छी क्वालिटी का परफ्यूम, डियो चुनें. अत्यधिक पसीना आता है तो डियोड्रैंट का भी उपयोग कर सकती हैं.

13. कपड़ों का चयन करें सोचसम?ा कर

हर बौडी शेप पर सभी स्टाइल के कपड़े सूट नहीं करते हैं. ऐसे में कपड़ों का चुनाव अपनी बौडी टाइप के अनुसार ही करना चाहिए. जो कपड़े शरीर में अच्छी तरह से फिट हों, जो रंग आप पर सूट करे वैसे रंग के कपड़े ही पहनें. वैसी ही ड्रैस खरीदें जिस में आप कंफर्टेबल महसूस करें. कहीं महत्त्वपूर्ण काम के लिए जा रही हैं तो कपड़े साफ और प्रैस किए हों. आप की ड्रैसिंग सैंस और पहनावा भी आत्मविश्वास को बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है. सांवली लड़कियों को अकसर हलके रंगों के कपड़े पहनने चाहिए. वे हलका हरा, हलका पीला और नेवी ब्लू, गाढ़ा भूरा रंग पहन सकती हैं. इस के अलावा कभीकभी काले, नीले और मटमैले रंग के हलके शेड्स भी जरूर ट्राई करें.

14. चमकती त्वचा के लिए लें हैल्दी डाइट

फिजिकली फिट नजर आने के लिए हैल्दी डाइट लेना भी बहुत महत्त्वपूर्ण होता है. बैलेंस्ड डाइट से न सिर्फ आप अपना वजन कम कर सकती हैं बल्कि यह मैटाबालिज्म को भी दुरुस्त रखता है. आप शारीरिक और मानसिक रूप से अच्छा महसूस करेंगी तो रौनक चेहरे पर भी दिखेगी. याद रखें आप का खाना न सिर्फ आप के स्वास्थ्य पर असर डालता है बल्कि आप की त्वचा पर भी उस का प्रभाव पड़ता है.

अपने प्रतिदिन के आहार में फलों और सब्जियों को जरूर शामिल करें. ओमेगा-3 से भरपूर खाद्यपदार्थ जैसे अलसी, अखरोट, विटामिन युक्त खाद्यपदार्थ जैसे संतरे, शकरकंद और सीताफल बहुत जरूरी है, साथ ही आप उच्च प्रोटीन वाले खाद्यपदार्थ जैसे अंडा, चिकन, दाल, छोले और पनीर का सेवन करें. संपूर्ण पौष्टिक आहार आप के शरीर को सारे जरूरी तत्त्व प्रदान कर अंदर से स्वस्थ बनाता है और फिर उस की चमक आप के चेहरे पर भी दिखने लगती है.

जंक फूड खाने से इस का प्रभाव आप के पेट, लिवर और आंतों पर भी हो सकता है और आप की सुंदरता प्रभावित हो सकती है. इसलिए जितना हो सके इन खाद्यपदार्थों से दूर रहें और स्वस्थ भोजन व फास्ट फूड के बीच सही संतुलन बनाए रखें.

15. खूब पानी पीएं

हमारे शरीर का हर सिस्टम और फंक्शन पानी पर निर्भर करता है. पूरे दिन में कम से कम 8-10 गिलास पानी पीएं. ऐसा करने से आप के शरीर से विषैले तत्त्व बाहर निकल जाते हैं और त्वचा निखरी हुई और तरोताजा लगने लगती है. इस से ?ार्रियां भी कम होती हैं.

16. अच्छी नींद

किसी भी व्यक्ति के लिए नींद बहुत जरूरी है. रोज आप को 7-8 घंटे की सही और आरामदायक नींद की जरूरत होती है ताकि अगली सुबह जब आप उठें तो तरोताजा महसूस करें. ऐसा करने से आप को खूबसूरत और खिली त्वचा मिलेगी, साथ ही आंखों के नीचे काले घेरे यानी डार्क सर्कल्स भी नजर नहीं आएंगे. ?ार्रियों और एजिंग की समस्या से भी थोड़ी राहत मिलेगी.

सोते वक्त त्वचा नए कोलेजन का उत्पादन करती है इसलिए कभी नींद के साथ सम?ाता न करें और सही नींद लें.

17. फिजिकली ऐक्टिव रहें

शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य के लिए शारीरिक क्रिया बहुत जरूरी है. जो भी आप का मन करे जैसे दौड़ना, तैराकी करना, साइक्लिंग, व्यायाम आदि जरूर करें. वैज्ञानिक रूप से साबित हो गया है कि व्यायाम से न सिर्फ आप की त्वचा को फायदा होता है बल्कि मूड भी बेहतर होता है. हर सप्ताह कम से कम 3-4 घंटे की शारीरिक गतिविधि से आप के स्वास्थ्य में सुधार होगा. इस से रक्तसंचार बेहतर होगा, शरीर से विषाक्त पदार्थ बाहर निकलेंगे, त्वचा को ज्यादा मात्रा में औक्सीजन मिलेगी, तनाव को कम करने वाले ऐंडोर्फिन को बढ़ावा मिलेगा और आप को आंतरिक रूप से शांति का एहसास होगा.

18. तनाव से रहें दूर

आजकल की व्यस्त जीवनशैली में घर और काम के बीच तालमेल बैठाने के चक्कर में तनाव होना आम बात है. ज्यादा तनाव सिरदर्द और उच्च रक्तचाप जैसी समस्याओं का कारण बन सकता है. यहां तक कि तनाव का असर आप की त्वचा और चेहरे पर भी दिखने लगता है. तनाव से मुंहासे, बालों का गिरना और सफेद होना जैसी समस्याएं हो सकती हैं. ऐसे में अगर आप अपने काम और घर के तनाव से बच नहीं सकते तो उसे कम करने का प्रयास जरूर करें. ध्यान लगाएं, एक कप अच्छी गरम चाय पीएं, हलका म्यूजिक सुनें या जिस चीज से आप प्यार करते हैं वह करें. अपनेआप को वक्त दें.

19. ग्रीन टी पीएं

ग्रीन टी गुणों का खजाना है. यह न सिर्फ सेहत के लिए बल्कि त्वचा के लिए भी अच्छा पेयपदार्थ है. ग्रीन टी पोषक तत्त्व और ऐंटीऔक्सीडैंट से भरपूर होती है जो आप के शरीर के लिए लाभकारी होती है. इस में कैटेकिन शामिल होता है जो एक प्रकार का ऐंटीऔक्सीडैंट होती है, कोशिकाओं को नुकसान से बचाता है. यह रक्तप्रवाह में सुधार करता है, कोलैस्ट्रौल व रक्तचाप को कम करता है और त्वचा के स्वास्थ्य में सुधार लाता है. इस चाय में मौजूद ईजीसीजी वजन घटाने में भी काफी मददगार साबित हो सकता है. दमकती त्वचा के लिए आप प्रतिदिन ग्रीन टी पीने की आदत बनाएं.

20. बालों की सेहत का ध्यान रखें

आप के घने बाल भी आप की खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं. खूबसरत व चमकदार बाल आप के व्यक्तित्व को निखारते हैं, लेकिन पसीना, धूलमिट्टी व प्रदूषण बालों की प्राकृतिक चमक को खत्म कर देता है. रूखेबेजान बाल का असर आप के लुक्स पर भी पड़ता है. बालों का सही तरीके से ध्यान रखना और उन्हें जरूरी पोषण देना महत्त्वपूर्ण है. आप हफ्ते में कम से कम से एक बार अपने बालों की नारियल तेल, जैतून तेल या बादाम तेल से मालिश करें.

हेयर स्पा उपचार भी महत्त्वपूर्ण है. बालों के लिए ऐसे उत्पादों का इस्तेमाल करें जिन में सल्फेट या हानिकारक रसायन न हो. बालों पर हीट का उपयोग न करें.

21. सही फिटिंग वाले कपड़े

पहनावा आप के व्यक्तित्व को काफी प्रभावित करता है. आप का पहनावा आप के आकर्षण का केंद्र बनता है, इसलिए अपने कपड़ों का चुनाव बहुत ध्यान से करना चाहिए. हमेशा अपने लिए सही फिटिंग वाले कपड़े चुनें जो न तो ज्यादा ढीले हों और न ज्यादा तंग. ऐसे रंग के कपड़ों का चुनाव करें जो आप के व्यक्तित्व को निखारें. जब भी शौपिंग के लिए जाएं अपनी बौडी के हिसाब से सही स्टाइल और साइज के कपड़ों का चुनाव करें.

नई शादी और वर्क लाइफ: कैसे बने तालमेल

वर्क ऐंड फैमिली लाइफ को बैलेंस करना आज किसी भी महिला के लिए सब से बड़ी चुनौती है क्योंकि घरपरिवार के साथसाथ वर्क प्लेस दोनों की बागडोर को एकसाथ संभालना या फिर इन के बीच बैलेंस बना कर चलना इतना इजी टास्क नहीं है खासकर तब जब परिवार की सपोर्ट न हो. ऐसे में अगर बात हो नवविवाहिताओं की, जिस के लिए सास बनाम बौस के द्वंद्व में फंसना लाजिम है. ऐसे में वे कैसे घर व औफिस में तालमेल बैठाएं, आइए जानते हैं:

परिवार को प्राथमिकता दें आप को यह बात भलीभांति सम?ानी होगी कि आप की अभीअभी शादी हुई है, इसलिए आप को अपने नए घर में शुरू से ही अपने संबंधों को संभाल कर, उन में मिठास बना कर चलना होगा और यह तभी संभव है जब आप शादी के बाद सब से पहले अपने नए घर को प्राथमिकता देंगी. इस के लिए आप उन के साथ समय बिताएं, उन की आदतों को जानने की कोशिश करें, उन की बात को पहले सम?ों, फिर रिस्पौंस करें.घर में क्या चीज किस समय होती है, उस के अनुसार खुद को ऐडजस्ट करने की कोशिश करें.

इस में आप अपने पार्टनर से भी फुल सपोर्ट मांगें ताकि आप को शुरुआत से ही चीजों को सम?ाने व उन में तालमेल बैठाने में दिक्कतों का सामना न करना पड़े. जब आप उन्हें दिल से अपना मान लेंगी, उन के लिए हर बैस्ट करने की कोशिश करेंगी तो यकीन मानिए आप को घर व वर्क लाइफ में बैलेंस बैठाने में जरा भी दिक्कत नहीं होगी.

औफिस में ज्यादा देर रुक कर काम न करें शादी हुई है तो आप को घर पर ज्यादा समय तो देना ही पड़ेगा, लेकिन इस का यह मतलब नहीं कि आप औफिस को प्राथमिकता देना छोड़ दें. बस आप शुरुआत में औफिस में बात कर लें कि मैं अभी कुछ समय औफिस टाइम से ज्यादा औफिस को टाइम नहीं दे पाऊंगी. लेकिन मैं औफिस हौर्स में अपने काम को फुल प्राथमिकता दूंगी.इस से आप का बौस आप की बात को जरूर सम?ोगा और इस से आप को घर व औफिस के बीच तालमेल बैठाने में भी आसानी होगी वरना अगर आप शादी से पहले की तरह ही औफिस में रुकरुक कर काम करती रहीं, तो न तो घर वाले आप को सम?ा पाएंगे और न ही आप उन्हें, तो आप को उन से तालमेल बैठाने में काफी दिक्कत हो सकती है. इसलिए शादी के बाद थोड़े दिनों के लिए औफिस को औफिस में ही छोड़ कर आने में सम?ादारी है. तभी आप अपने नए रिश्तों में मधुरता बैठा पाएंगी, वरना इस काम में देरी आप पर बाद में काफी भारी पड़ सकती है.

लेट नाइट शिफ्ट अवौइड करेंहो सकता है कि आप ऐसी कंपनी में जौब करती हों, जहां आप की शिफ्ट्स में ड्यूटी लगती हो और शादी से पहले आप ने यह बात अपने इनलौज को भी बता दी हो, तभी रिश्ते की बात आगे बढ़ी हो, फिर भी आप को शुरुआत में यह बात सम?ानी होगी कि चाहे आप का पार्टनर, आप के इनलौज कितने भी अच्छे क्यों न हों, लेकिन शुरुआत में आप का लेट नाइट घर आना उन्हें अखरेगा जरूर.इसलिए बौस या फिर अपने टीम लीड से बात कर के पहले से ही उन्हें सम?ा दें कि मेरी अभीअभी शादी हुई है, इसलिए मु?ो थोड़ा टाइम घर व औफिस में बैलेंस बैठाने में थोड़ी मुश्किल हो सकती है. लेकिन अगर मैं शुरुआत में थोड़े दिन औफिस में लेट नाइट शिफ्ट अवौइड करूं तो इस से मु?ो अपने परिवार को ज्यादा व अच्छे से सम?ाने में आसानी हो पाएगी, जिस से आगे चीजों में तालमेल बैठाना थोड़ा आसान हो जाएगा.

वर्क एरिया की गौसिप को घर न लाएं चाहे आप का पार्टनर कितना भी अच्छा हो, फैमिली काफी सपोर्ट करती हो, फिर भी आप को इस बात को सम?ाना होगा कि यह आप की मौम का घर नहीं है, जहां आप घर पहुंचते ही अपने औफिस की बातें करना शुरू कर दें.औफिस से आते ही बस कभी कुलीग की बात, तो कभी आप के बौस ने आज यहयह टास्क दिया, आज हम ने औफिस में यह मस्ती की, कल का यह प्लान है बगैराबगैरा. ऐसी बातों से अकसर थोड़े समय में ही पार्टनर व घर के लोग ऊबने लगते हैं. उन्हें लगता है कि आप के पास सिर्फ और सिर्फ औफिस के बारे में बात करने का समय है जबकि आप परिवार के साथ अच्छा तालमेल बैठाने के लिए औफिस से आ कर उन के साथ चाय पर आप का आज का दिन कैसा गया, कुछ नई चीजों के बारे में उन से जान सकती हैं.

इस से आप अपने परिवार वालों के साथ क्वालिटी टाइम भी स्पैंड कर पाएंगी और इस से आप की फैमिली व पार्टनर को भी अच्छा लगेगा कि आप उन के साथ घुलनेमिलने की कोशिश कर रही हैं क्योंकि रिश्तों में मिठास व अपनापन दोनों तरफ से होना चाहिए न कि ऐफर्ट सिर्फ एक तरफ से.परिवार के साथ वक्त बिताएं अभी आप न्यूली वैड हैं तो पार्टनर व फैमिली के साथ मस्ती, आउटिंग भरे पल तो बनते ही हैं क्योंकि शादी के शुरुआती दिन ही ताउम्र याद आते हैं वरना बाद में इंसान घरपरिवार की जिम्मेदारियों में उल?ा कर रह जाता है.

ऐसे में आप शादी के शुरुआती दिनों में औफिस से बीचबीच में लीव ले कर कभी फैमिली के साथ डिनर प्लान करें, तो कभी बाहर घूमने का प्रोग्राम बनाएं, तो कभी मूवी देखने जाएं.इस से नए रिश्तों को सम?ाने के साथसाथ आप को अपने पार्टनर के साथ भी टाइम स्पैंड करने का मौका मिल जाएगा और जब भी फैमिली आप के साथ टाइम स्पैंड करने की बात कहे तो मना न कहें, बल्कि चीजों को मैनेज करना सीखें. इस से जब आप परिवार की बातों का मान रखेंगी तो परिवार वाले भी आप की हर बात का मान रखेंगे. लेकिन ये सब ऐफर्ट आप को शुरुआत में ही करने पड़ेंगे.

तभी दोनों तरफ से अच्छी सम?ा विकसित होगी. सैलरी या पोजिशन की डींगें न हांकेंहो सकता है कि आप की सैलरी आप के पार्टनर से ज्यादा हो या फिर आप की कंपनी में पोजिशन काफी अच्छी हो, लेकिन इस का यह मतलब बिलकुल नहीं कि आप अपने पार्टनर के सामने या फिर हमेशा घर में अपनी सैलरी या पोजिशन की ही डींगें हांकती रहें. इस से सिर्फ और सिर्फ आप अपनों को नीचा ही दिखाएंगी.इस से अच्छा यह है कि आप दूसरों को सम?ों और सब का सम्मान करें वरना आप की यह हरकत शुरुआत में ही रिश्तों में खटास पैदा करने का काम करेगी. इसलिए अगर आप शादी के बाद औफिस व घर में तालमेल बैठा कर चलना चाहती हैं तो सम?ादारी से काम लें. वरना एक बार रिश्तों में पैदा हुई कड़वाहट ताउम्र रिश्तों में घुल कर रह जाती है, जिस से बचना काफी हद तक आप के अपने हाथ में है.

Year Ender 2022: अनुज-अनुपमा से लेकर साई-विराट तक टीवी पर हिट रही यें 7 जोड़िया 

भारतीय टीवी इंडस्ट्री की पॉपुलैरिटी बॉलीवुड से कम नहीं है. आपको आसपास ऐसे कई लोग मिल जाएंगे, जो लगभग हर रोज़ आने वाले उनके फ़ेवरेट टीवी शोज़ या सीरियल्स का एक भी एपिसोड मिस नहीं करते हैं. भले ही सुबह का नाश्ता या कोई ज़रूरी काम मिस हो जाए, लेकिन उनके शो का एक भी एपिसोड नहीं मिस हो सकता है. इसके साथ ही सीरियल्स में ऐसी कई जोड़ियां भी हैं, जिनकी वजह से लोगों को ये सीरियल और भी ज़्यादा पसंद आते हैं.तो आइए जानते है ऐसे कौन सी जोडियां है जो फैंस का दिल जीत लेती है.

 1. अनुज-अनुपमा (Anuj-Anupama)

सबसे पहले हम टीवी के नंबर 1 शो ‘अनुपमा’ के बारे में बात करते हैं. इसमें अनुपमा (रुपाली गांगुली) और अनुज (गौरव खन्ना) की जोड़ी टीवी इंडस्ट्री में धमाल मचा रही है. उन्होंने दर्शकों के लिए कपल गोल्स सेट कर दिए हैं, जिनको देखकर ऐसा लगता है कि क्या वाकई रियल दुनिया में ऐसा प्यार मिल सकता है. इसके साथ ही उनके ऑन-स्क्रीन बॉन्ड के साथ ही ऑफ़-स्क्रीन बॉन्ड भी काफ़ी एडोरेबल है.

2. राम-प्रिया (Ram-Priya)

टीवी के पॉपुलर शो ‘बड़े अच्छे लगते हैं’ के सीज़न 2 में लीड कैरेक्टर्स निभाने के लिए नकुल मेहता और दिशा परमार को चुना गया. इस शो में नकुल ‘राम’ के क़िरदार में हैं, तो वहीं दिशा ‘प्रिया’ के क़िरदार में लोगों के दिलों में बस चुके हैं. शो में राम और प्रिया की बॉन्डिंग धीरे-धीरे मज़बूत हो रही है. उनकी केमिस्ट्री इतनी नैचुरल लगती है कि आप उनसे प्यार किए बिना नहीं रह पाएंगे.

3. साई-विराट (Sai-Virat)

अक्टूबर 2020 में प्रीमियर हुए ‘गुम है किसी के प्यार में’ शो में साई और नील बड़ी फैन फॉलोइंग एंजॉय करते हैं. इसमें नील भट्ट और ऐश्वर्या शर्मा लीड कैरेक्टर में हैं.

 

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4. शिवा-रवि (Shiva-Ravi)

टीवी शो ‘पंड्या स्टोर’ में कंवर ढिल्लों और एलिस कौशिक ‘शिवा’ और ‘रवि’ का क़िरदार निभा रहे हैं. दोनों के रियल लाइफ़ में भी डेटिंग के रूमर्स हैं. तो ऐसा भी हो सकता है कि उनकी ऑन-स्क्रीन केमिस्ट्री इसलिए काफ़ी ख़ूबसूरत है, क्योंकि वो ऐसी केमिस्ट्री अपनी रियल लाइफ़ में भी शेयर करते हैं.

5. आनंद-आनंदी (Anand-Anandi)

‘बालिका वधू’ का दूसरा सीज़न 9 अगस्त 2021 से 25 फ़रवरी 2022 तक प्रीमियर किया गया था. इसमें शिवांगी जोशी और रणदीप राय ने ‘आनंद‘ और ‘आनंदी‘ की भूमिका निभाई थी. इस शो के सीज़न 1 की वजह से इसकी काफ़ी पॉपुलैरिटी थी.

6. अभिमन्यु-अक्षरा (Abhimanyu-Akshara)

टीवी शो ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ के बारे में कौन नहीं जानता होगा. ये शो सबसे लंबे समय तक चलने वाले शो की लिस्ट में आता है. अक्टूबर 2021 में इस शो में हर्षद चोपड़ा और प्रणाली राठौड़ ने लीड कैरेक्टर्स के तौर पर एंट्री मारी थी. इसमें वो अभिमन्यु और अक्षरा का क़िरदार निभा रहे हैं, जो एक-दूसरे से बहुत प्यार करते हैं. हालांकि, अक्षरा अपना प्यार अपनी बहन आरोही के लिए कुर्बान कर देती है. लेकिन इन दोनों के बीच की केमिस्ट्री हमेशा व्यूअर्स को आकर्षित करती है.

7. रुद्राक्ष-प्रीशा (Rudraksh-Preesha)

एक और सबसे प्यार की जाने वाली जोड़ी सीरियल ‘ये हैं चाहतें’ में ‘रुद्राक्ष‘ और प्रीशा‘ की है. इसमें अबरार क़ाज़ी और सरगुन कौर लूथरा ने लीड भूमिका निभाई है. दोनों की केमिस्ट्री ऑन-स्क्रीन बेस्ट है और ये शो की TRP से बखूबी झलकता है. इस शो में डॉ. प्रीशा, एक अकेली मां होती है, जो अपनी बड़ी बहन की मृत्यु के बाद उसके बच्चे सारांश का पालन-पोषण करती है. फिर उसकी मुलाकात रुद्राक्ष से होती है, जो एक रॉकस्टार है.

 

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किस इनविटेशन की बात कर रहे हैं‘फाडू’ फेम एक्टर गुंजन जोशी, पढ़ें इंटरव्यू

दिल्ली से एन एस डी से एक्टिंग की ट्रेनिंग लेकर आये थे एक्टर बनने, पर बने फिल्म स्टोरी राइटर, जिसे दर्शकों और इंडस्ट्री के लोगों का प्यार मिला, क्योंकि मेरा शौक एक आर्टिस्ट बनना ही था, जिसमे राइटिंग,डायरेक्शन, एक्टिंग आदि सब शामिल रहा है. आर्ट को कवर करना मेरा मुख्य मकसद था, जो मुझे लेखन से भी मिला,मेरे आदर्श गुरुदत्त है, क्योंकि उन्होंने लेखन से लेकर अभिनय किया और दोनों में सफल रहे , कहते है.

अभिनेता गुंजन जोशी

जोशी आज एक अभिनेता है, उनकी रोमांटिक सीरीज ‘फाडू’ सोनी लाइव पर रिलीज हो चुकी है, जहाँ उनके अभिनय को दर्शक पसंद कर रहे है.गुंजन जोशी मध्यप्रदेश के एक छोटे से कस्बे से है.उन्हें हमेशा से एक्टर बनने की इच्छा थी, इसलिए उन्होंने एन एस डी से अभिनय की ट्रेनिंग ली और मुंबई काम करने आये.यहाँ आने पर उन्हें एक्टिंग से अधिक लेखन में मौका मिला और उन्होंने पहली कॉमेडी फिल्म ‘मैं, मेरी पत्नी और वो, बैरिस्टर रॉय आदि की कहानी लिखी, इससे उन्हें प्रसिद्धि मिली और उन्होंने कई फिल्मों के अलावा धारावाहिकों के लिए भी लिखने का काम किया है. वेब सीरीज फाडू में वे एक डॉन की भूमिका निभा रहे है. इसमें उन्हें स्क्रिप्ट और चरित्र को समझने के बाद उन्होंने इस भूमिका को निभाया है.

मिली प्रेरणा

अभिनय में आने की इच्छा के बारें में पूछने पर वे बताते है कि मैं भले ही मध्यप्रदेश के इंदौर के छोटे से कस्बे नीमच से हूँ, पर फिल्में देखना बहुत पसंद था. मैं अपने कोर्स की कहानियों को पढने के बाद उसके मंचन के बारें में सोचता था. उस दौरान मेरे शहर में गणेश उत्सव पर नाटकों की प्रतियोगिता होती थी, मैं उसमे कोर्स की कहानियों को नाटक के रूप में लिखकर मंचन करता था, उसमे मेरी पहली कहानी ‘पञ्च परमेश्वर’ थी, जिसे सभी ने पसंद किया था. ये मैंने 12 साल की उम्र में किया था. मेरे इस काम में मेरे माता-पिता का बहुत सहयोग रहा है. नीमच से मुंबई आने का मन गुंजन जोशी ने पहले से ही बना लिया था, क्योंकि इस क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए ट्रेनिंग और मुंबई दोनों की जरूरत थी. स्कूल से ही उन्होंने नाटकों में भी अभिनय शुरू कर दिया, इसके बाद उच्च शिक्षा के लिए इंदौर गए और वहां जाकर इलेक्ट्रॉनिक ऑनर्स में स्नातक किया और एन एस

डी में फॉर्म भरा और दाखिला मिल गया. इससे वे दिल्ली गए और अपनी शिक्षा पूरी कर उन्होंने प्रोफेशनलथिएटर शुरू किया. वहां कुछ दिन काम कर वे मुंबई आये और अभिनय के लिए कोशिश करने लगे. मुंबई में अभिनय का काम नहीं मिला, पर लेखन का काम मिला. इसके अलावा एड एजेंसी में भी काम किया, इससे ही आगे शो मिला. शुरू में उनकी संघर्ष समुद्र में एक बूंद की तरह रही , जिसमें डेढ़ साल तक कम्युनिकेट करना पड़ा था.

संघर्ष नहीं था आसान

वे कहते है कि मुंबई में बिना काम के रहना मुश्किल होता है, इसलिए मैंने सामने जो मिला उसे करता गया, इससे मेरी जान-पहचान बनी. मैंने नॉन फिक्शन कहानियां लिखी, जिसे सभी ने पसंद किया. मैंने ट्रेनिंग एक्टिंग की ली थी, पर काम लिखने का करने लगा. मैने वर्ष 2000 को एन एस डी से निकलकर मुंबई एक्टर बनने आया था, आज 20 साल बाद मैं एक सही एक्टर बन पाया. एक सही काम पाने के लिए मेहनत, लगन और धीरज की बहुत जरुरत होती है. संघर्ष हर काम में होता है. कुछ नया काम करना आसान नहीं, क्योंकि पहचान और अंजान के बीच समस्या बहुत सारी होती है. परिवार का कोई व्यक्ति

अगर इंडस्ट्री से होता है, तो आगे बढ़ने में आसानी होती है. परिचय कई बार काम आता है. बाहर से आया व्यक्ति और इंडस्ट्री में रहने वाले व्यक्ति की समझ में बहुत अंतर होता है. असल में किसी नई शुरुआत का मेहनत हर क्षेत्र में हर व्यक्ति को करना पड़ता है.

ओटीटी ने दिया मौका

गुंजन जोशी को आज का दौर बहुत पसंद है, क्योंकि इसमें नए कलाकारों को काम करने का मौका मिल रहा है, लेकिन इसमें कुछ कमियां भी है. ओटीटी की कहानियों के गिरते स्तर के बारें में पूछने पर वे कहते है कि नई जेनरेशन के कलाकारों के लिए ओटीटी एक वरदान है. अब कास्टिंग डायरेक्टर नए-नए कलाकारों कोढूँढ़ते है, ऐसे में अच्छे कलाकारों के लिए मौका अधिक है. जब ओटीटी शुरू हुई थी, तब उन कहानियों को इसमें जगह मिली, जिसे डेली सोप या फिल्मों में कहना संभव नहीं था. उनके लिए केवल 8 से 10 एपिसोड ही काफी थे और इस दौरान ओटीटी को आगे आने में सफलता मिली. कोविड के समय इसमें बाढ़ आ गई और अब हर कोई पहले कहानी लिखने के लिए कहते है, उसे कैसे बनानी है, उसके बारें में बाद में सोचते है.

इससे कहानी की आत्मा कम होकर उसे जल्दी से सबकी आँखों में आने के लिये जरुरत से अधिक गाली- गलौज, सेक्सुअल कंटेंट, वायलेंस आदि भरे जाते है, लेकिन इसमें कुछ सीरीज अच्छी भी है, जिसे लोग देखते है. ये प्लेटफार्म बहुत अच्छा है, जिसे हर कोई अपने समय के अनुसार देख सकता है. स्टोरी की थीम क्लियर न होने पर बनी वेब सीरीज कभी अच्छी नहीं बन पाती. इसके अलावा अभी ओटीटी प्लेटफार्म कीसंख्या बहुत बढ़ गयी है, जिसमे सीरीज की संख्या बढ़ने की वजह से अच्छी और बेकार वेब शो के अनुपात काफी बढ़ चुका है.

परिवार की जिम्मेदारी

वेब सीरीज में सर्टिफिकेशन है, लेकिन जिसे एडल्ट कंटेंट कहकर 18+ कह दिया जाता है, उसे लोग अधिक देखते है. ऐसे में सर्टिफिकेशन का बहुत अधिक महत्व नहीं रहता, लेकिन इसके अलावा कुछ किया जाना संभव नहीं. गुंजन कहते है कि सर्टिफिकेशन जरुरी है, पर सेंसर नहीं. (हँसते हुए) असल में निषेध में हीआमंत्रण है. परिवार की जिम्मेदारी है कि वे बच्चों को कंटेंट देखने के बारें पेरेंट्स को थोडा गाइड करना चाहिए . गुंजन आगे कहते है कि मेरी पत्नी तमन्ना महाजन है, वह भी एक्ट्रेस है, मेरा एक बेटा है. बेटे के बाद उन्होंने थोड़े दिनों के लिए ब्रेक लिया था, वे मेरे साथ लिखने में भी मदद करती है, पर उनका झुकाव एक्टिंग की और है. अभी एक्टिंग में आ रही है. आगे फिल्म ‘बवाल’ में कॉमेडी और ‘मिरांडा ब्रदर्स’ में काम किया है. थोड़ी गहराई वाली फिल्म में काम करना मुझे पसंद है.

पसंद एक्टिंग

गुंजन कहते है कि मुझे एक्टिंग में सबसे अधिक मज़ा आता है. आगे मुझे मीनिंग फुल कमर्शियल फिल्म में काम करना है, क्योंकि रियल के साथ फिल्मों में मनोरंजन का होना जरुरी है. कला का उद्देश्य मनोरंजन होना जरुरी है. सुंदर कहानियों को कहने में मैं विश्वास करता हूँ.नए साल की नई बातगुंजन का दिनचर्या साधारण होता है, अलग-अलग चीजो को देखना, पढना, हफ्ते में दो बार खाना बना लेना आदि पसंद है, क्योंकि उन्हें इसका शौक है. नए साल में मैं ऐसी कहानियों में काम करना चाहते है , जिसे लोग देखे, फील करें और कुछ आगे खुद करने के लिए प्रेरित हो.

काजल अग्रवाल ने दिखाई बेटे की पहली झलक, पति संग दिए रोमांटिक पोज

अपनी एक्टिंग के लिए जानी मानी एक्ट्रेस काजल अग्रवाल इन दिनों मीडिया की सुर्खियों में है, साउथ फिल्मों में एक्टिग करन वाली काजल अग्रवाल सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव है. वो समय समय पर कई फोटो और वीडियो शेयर करती रहती है ऐसे पहली बार काजल ने अपने बेटे की पहली झलक दिख लाई है.

आपको बता दे, कि एक्ट्रेस ने पहली बार इंस्टाग्राम पर बेटे की फोटो शेयर की है साथ अपने पति गौतम किचलू के साथ भी रोमांटिक फोटो शेयर की है. उनकी इन तस्वीरों को फैंस काफी पसंद करते है. गौतम किचलू और काजल अग्रवाल ने अपने बेटे का फेस अभी तक दुनिया को नहीं दिखाया है. इसी बीच काजल ने अपने इंस्टाग्राम हैंडल से कुछ तस्वीरें शेयर की है, इन तस्वीरों में एक्ट्रेस अपने बेटे के साथ नजर आ रही है.

साउथ फेमस एक्ट्रेस काजल अग्रवाल ने अभी हाल ही में इंस्टाग्राम पर कुछ पोस्ट शेयर की हैं. पहली पोस्ट में वो अपने पति के साथ दिखाई दे रही हैं, तो दूसरी तस्वीर में एक्ट्रेस अपने बेटे के गोद में लिए नजर आ रही है. एक्ट्रेस की ये दोनों पोस्ट सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रही है. काजल अग्रवाल की बेटे की फोटो पर फैंस दिल वाले इमोजी कमेंट बॉक्स में भेज रहे है.तो वहीं दूसरे पोस्ट पर भी फैंस जमकर प्यार लुटा रहे है.साथ ही साथ इन दोनों पोस्ट को फैंस सोशल मीडिाय पर खूब शेयर भी कर रहे है.

कब हुआ था बेटे का जन्म

काजल अग्रवाल और गौतम किचलू ने 19 अप्रैल 2022 को एक बेटे के मम्मी-पापा बने है. जानकारी के लिए बता दें काजल अग्रवाल ने साल 2020 में गौतम किचलू से शादी की थी. जिसके बाद काजल मीडिया की लाइमलाइट में बनी हुई है.

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