अचानक उस के दिमाग में एक खयाल कौंधा. कहीं ऐसा तो नहीं
गौतम को अंकल ने सब बता दिया हो. वे दोनों सुधा को परखना चाहते हो कि यह लड़की कितनी सच्ची है. चलो अब दिमाग नहीं लगाना है मांपापा से बात कर के कोई निर्णय लेंगे.
खाना खाने के समय पापा ने कहा, ‘‘मुझे ड्राइवर औफिस छोड़ कर आ जाएगा… तुम ड्राइवर के साथ चली जाना.’’
सुधा ने कोई जवाब नहीं दिया. वह तो
दूसरी दुनिया में उल झी थी. खाने के बाद सुधा पापा के कमरे में जाने का इंतजार करने लगी. वह दबे पांव कमरे में पहुंची. लगता है मां सब बता चुकी थी क्योंकि पापा का चेहरा थोडा़ सा चिंतित लग रहा था.
सुध पलंग के पास जा कर खड़ी हो गई. बोली, ‘‘ पापा कुछ कहना है.’’
रमाकांत शायद अंदेशा लगा चुके थे कि सुधा जरुर असमंजस में होगी. उन्होंने उस की ओर देखा सुधा ने खुद को संयत किया और कहा, ‘‘पापा कल मैं क्या करूं? मेरा मतलब है पापा कल मुझे गौतमजी को सब बता देना चाहिए?’’
‘‘सुधा तुम्हारे मन में क्या चल रहा है पहले यह बताओ?’’ रमाकांत ने पूछा.
‘‘पापा अगर उन्हें पता नहीं होगा और बाद में पता चला तब और दूसरी बात यह है हो सकता है पता हो… मु झे चैक करना चाह रहें हों… पापा मैं डर कर सारा जीवन नहीं बिता पाऊंगी बता देगें तब हो सकता है वह मना कर दें यही न लेकिन बाद में कहीं से पता चला तब तो पूरा जीवन बरबाद हो जाएगा.’’
रमाकांत को लगा समय के झं झावात ने
सुधा को मजबूत और सम झदार बना दिया है. थोड़ा सोचने के बाद बोले, ‘‘सुधा जो तुम्हारा
मन गवाही देता है वही करो अगर तुम को लगता है कि गौतम को बता देना चाहिए तुम उस को सब सच बता दो वैसे हमें भी यह सही लग रहा है… यह तुम्हारी जिंदगी का फैसला है तुम्हें ही निर्णय लेना होगा हम को लगता है तुम जो भी फैसला लोगी सही होगा. हम लोग हमेशा तुम्हारे साथ हैं.’’
लीला देवी को यह बात बिलकुल ही नहीं जंच
रही थी. सुधा अब आत्मविश्वास से भर गई. जब से सुधा के साथ वह अप्रिय घटना हुई है. वह सम झदार हो गई है… जिंदगी के तथ्यों को गहराई से आंकने लगी है. फिर आज पापा ने उस के मनोबल को बढ़ा दिया है. सोने की चेष्टा की… नींद कोसों दूर थी. जिंदगी की विकट परीक्षा थी… पास हो गई तो खुशियां ही खुशियां और अगर फेल तो पूरे परिवार को दुखदर्द मिलने वाला था.
उस ने अपने कैनवास पर जो मैलाकुचैला रंग थोपा था उसे ही तो मिटाना होगा. अंकल ने सही कहा था सत्य नंगा होता है. इस के लिए हिम्मत चाहिए. यह हिम्मत अब उसे अपने
जिंदगी के कैनवास को साफ करने के लिए लगानी होगी.
गौतम से मिलने के लिए सुधा अलमारी के पास जा खड़ी हुई. क्या पहना जाए यह भी एक चिंता का विषय था. तभी उसे अपनी क्लासमेट रानी की याद आई. वह हाथ की रेखा देखती थीं सारी लडकियां हाथ दिखाती भी थीं और उस का मजाक भी बनाती थीं. उस ने सुधा को बताया था जब भी वह मुश्किल हालात में हो तब सफेद कपड़े को पहने अगर पहन नहीं पाए तब एक सफेद कपड़ा ही पास में रख ले.
सुधा को ये सब बकवास लगता था. पर आज मन हो रहा था उस के कहे को एकबार आजमाया जाए. उस ने अलमारी से अपनी पसंद का एक सफेद कुरता व सफेद चूड़ीदार और
चुन्नी निकाल लिया. कानों के लिए छोटे औक्साइड हैंगिंग निकाले. तैयार हो कर जब मां को दिखाने गई.
लीला देवी अपनी बेटी को बडे़ प्यार से निहारा फिर बोली, ‘‘क्या तुम ने सफेद कपड़े पहन लिए… रंगीन कपड़े पहनने चाहिए थे.’’
सुधा ने कोई जवाब नहीं दिया. मां ने कुदरत को प्रणाम कर जाने को कहा. सुधा जब तक आंखों से ओ झल नहीं हुई तब तक उस की मां देखती रही. सब कुशलमंगल हो की कामना करने लगी.
सुधा जब कैफेटेरिया पहुंची तब देखा कि गोतम सीढि़यों के पास खडा था. वह गोतम के साथ चल दी गौतम ने कोने में एक सीट रिजर्व कर रखी थी. उस ने जब बैठने का इशारा किया तो वह बैठ गई. आज उस ने गौतम को गौर से देखा अच्छा स्मार्ट लग रहा था. आज उस ने भी जींस और लैमन कलर की टीशर्ट पहन रखी थी जो उस पर काफी जंच रही थी. उस ने वेटर को इशारे से बुलाया. सुधा का मन हुआ कि वह मुड़ कर देखे कि पीछे क्या गड़बड़ हो रही है पर हिम्मत नहीं हुई.
गौतम लिली के फूलों का गुलदस्ता ले कर आया था. सुधा के हाथों में देते हुए बोला, ‘‘फ्लौवर फौर लवली लेडी.’’
सुधा ने मुसकराते हुए थैक्स कहा और फिर दोनों बैठ गए.
‘‘मां से पूछ कर आई हैं न?’’
गौतम का परिहास वह तुरत सम झ गई. उस ने फोन नंबर नहीं दिया था इसी बात की वह खिंचाई कर रहा था.
‘‘दूसरे दिन दे दिया…’’ जब हम मांगें तो.
‘‘उस समय शादी तय नहीं हुई थी,’’ सुधा ने बीच से ही बात काटते हुए कहा.
‘‘स्मार्ट आंसर,’’ गौतम ने खुश हो कर कहा, ‘‘क्या खाना है?’’
‘‘आप जो भी मंगा लें.’’
गौतम ने वेटर को बुला कर और्डर दिया. सुधा को अपनी बात बताने की जल्दी मची थी.
‘‘आज आप बहुत सुंदर लग रही है,’’ गौतम ने कहा, ‘‘अब आप नाराज न हो जाना… मैं फ्लर्ट करने की कोशिश नहीं कर रही हूं… दरअसल, आप पर सफेद रंग बहुत सूट कर रहा है.’’
‘‘नहीं मुझे तो खुशी हो रही,’’ सुधा ने चंचलता से जवाब दिया.
‘‘अगेन स्मार्ट आंसर.’’
गौतम का चुलबुलापन उसे अच्छा लग रहा था. काश यह वक्त यहीं रुक जाता.
तभी गौतम ने कहा, ‘‘मु झे 2 दिन के लिए जमशेदपुर जाना है. सोच रहा था उधर से दिल्ली वापस चला जाऊंगा, इसलिए मिलना चाहता था पर पापा कह रहे हैं परसों के बाद का दिन अच्छा है सगाई कर के जाओ.’’
‘‘सगाई?’’ सुधा का दिल जोर से धड़का.
‘‘मैं ने कहा अक्तूबर में आ कर कर लेंगे. तब नाराज हो गए. इस कारण मु झे अब दोबारा वापस आना होगा?’’
सुधा बोलने को तड़प रही थी. उस ने अपना मन कड़ा किया और गौतम से बोली, ‘‘मुझे आप से कुछ बातें करनी हैं.’’
‘‘बोलिए न तभी से मैं ही बोले जा रहा हूं.’’
सुधा धीरेधीरे सारी बातें बताने लगी… बीचबीच में वह गौतम को देखती भी जा रही थी. उस का चेहरा सख्त्त होता जा रहा था. विकी से मुलाकात रोज क्लास बंक कालेज के पास में मिलना… घर से पैसे चोरी कर भागना और फिर उस के धोखे का पता लगने पर वापस घर सकुशल लौट आना… उस ने जोगेश्वर अंकल से मिलने की बात नहीं बताई.
गौतम के चेहरे के भाव प्रति पल बदल रहे थे. उस ने वेटर से बिल लाने को
कहा सुधा सम झ गई सब खत्म हो गया. ऐसा जीवनसाथी उसे कहां मिलेगा.
वेटर ने बिल ला कर दिया. गौतम ने बिना कुछ बोले उस में पैसे रखे. सुधा ग्लानि, क्षोभ से भरी तिलमिला कर खडी हो गई, जिस के कारण वह लड़खड़ा गई. गौतम ने झट से उसे सहारा दे कर थाम लिया. सुधा रो रही थी. गौतम के स्पर्श से वह और विचलित हो गई. उस की हिचकियां बंध गईं.
गौतम ने उसे दोनों हाथों में थामकर कहा, ‘‘सुधा इधर देखो?’’
सुधा रोती जा रही थी. उस ने देखा
गौतम ने उस के आंसुओं को अपनी हथेली
पर समेट लिया और बोला, ‘‘सुधा इधर देखो
मेरी तरफ.‘‘
सुधा ने भीगी आंखों से गौतम को देखा.
उस ने कहा, ‘‘यह क्या है?’’
सुधा ने देखा हथेली पर आंसू फैलने की तैयारी कर रहे थे.
‘‘ऐसा स्पष्ट मन और सच्चा साथी मु झे कहां मिलेगा?’’ वह बोला.
यह सुन कर सुधा गौतम के सीने से लग कर फूटफूट कर रो पड़ी. उस का सफेद कैनवास इंद्रधनुषी रंगों से रंगीन हो गया था.सच के फूल खिलखिला उठे…