Family Story in Hindi: अपने मोबाइल पर बात करना बंद कर के समीक्षा मंदमंद मुसकराने लगीं. ‘‘क्या हुआ?’’ उन के पति शिशिर ने पूछा जो काफी समय से उन के फोन बंद करने की प्रतीक्षा कर रहे थे. ‘‘उन लोगों ने अपनी रिया के लिए हां कह दी है.’’ ‘‘अरे वाह, बस यही तो हम सभी सुनना चाह रहे थे. फोन कर के रिया को भी यह खुशखबरी दे दो.’’ ‘‘नो मम्मा. आप ऐसा बिलकुल नहीं करेंगी,’’ उन की छोटी बेटी मिया बोली, ‘‘रिया के आने पर ही उसे बताएंगे. थोड़ा तंग भी करेंगे. प्लीज मम्मा, इतना बड़ा खुशी का मौका है, हमारे घर की पहली शादी है, थोड़ी छेड़छाड़ तो रिया के साथ बनती है.’’ ‘‘ओके, पर उसे ज्यादा परेशान मत करना,’’ घर में हंसीखुशी का वातावरण बन गया. शाम को रिया जब औफिस से घर लौटी तो मिया ने कहा, ‘‘रिया, आज तो बाहर डिनर करेंगे.’’ रिया बोली, ‘‘क्यों भई, आज तो मंडे नाइट है. आज क्यों बाहर जाना है?’’ ‘‘वह इसलिए क्योंकि अब तो तुम हमारे साथ ज्यादा आउटिंग्स नहीं कर पाओगी न.’’
‘‘क्यों भला?’’ रिया ने थोड़ा उलझ कर पूछा. ‘‘मेरा तो औफिस में भी लीन पीरियड शुरू हो गया है, तो इतना बिजी भी नहीं हूं आजकल,’’ वह बोली. ‘‘पर हम तुम्हें अब अपने साथ कहीं ले कर नहीं जा पाएंगे, सो सौरी,’’ मिया ने थोड़ा सा मुंह बनाया. ‘‘क्या बोलती रहती है तू. मम्मी क्या सच में बाहर जाना है?’’ रिया ने कन्फर्म करने के लिए पूछा. मम्मी बोलीं, ‘‘ट्रीट तेरी है, तू बता?’’ रिया और भी ज्यादा कन्फ्यूज हो गई. इतने में शिशिर बोले, ‘‘तू ट्रीट जहां भी देगी, घर या बाहर, हमें मंजूर है.’’ ‘‘अरे पर किस बात की ट्रीट? कोई खुल कर तो बताओ कि क्या ओकेजन है?’’ रिया अब सचमुच कुछ नहीं समझ पा रही थी. बाकी तीनों बड़े लाड़ से उस की ओर देखते हुए मजा ले रहे थे. ‘‘भई घर में नया फैमिली मैंबर एड हुआ है तो ट्रीट तो मस्ट है,’’ मिया बोल उठी. ‘‘न्यू मेंबर? किसी के बेबी हुआ है क्या? और एक मिनट, मैं ट्रीट क्यों दूं इस बात की?’’
इतना सुनते ही बाकी तीनों जनों की हंसी छूट गई. समीक्षा बोलीं, ‘‘नहीं बेटा, वरदान को तुम पसंद आ गई हो. उस के पिता अजय ने हां कर दी है.’’ सब एकसाथ बोलने लगे, कौंग्रैचुलेशंस. रिया के चेहरे पर भी यह सुनते ही मुसकराहट आ गई. वह थैंक्स बोल कर अपना बैग रखने के बहाने अपने रूम में चली गई. रिया और वरदान 1 हफ्ता पहले ही फैमिलीज के साथ मिले थे. 5 फुट 9 इंच लंबा गेहुंए रंग का, सधे नैननक्श वाला 27 वर्षीय सुदर्शन युवक था. वह सौफ्टवेयर इंजीनियर था. रिया 5 फुट 4 इंच की दुबलीपतली, गोरी, थोड़े पतले नैननक्श की 25 वर्षीय लड़की थी. वह भी सौफ्टवेयर इंजीनियर रही थी. अजय फैमिली को खासतौर पर वरदान की मां मालिनी को, उन के समाज में बड़ी इज्जत के साथ देखा जाता था.
वरदान के पिता अजय रिटायर्ड सीएफओ थे और अब सभी मुंबई में रहते थे. वे लोग मुंबई से दिल्ली मालिनी के बिजनैस के सिलसिले में आए थे, पर मकसद वरदान के लिए लड़की देखना भी था. दोनों परिवारों के बीच बात पहले से चल रही थी. दिल्ली में दोनों परिवारों का मिलना हुआ और आननफानन में सब मिल कर वापस मुंबई भी चले गए थे. अब दिल्ली में शिशिर और समीक्षा को उन के फोन का ही इंतजार था. आज मालिनीजी ने फोन कर के हां कह दी तो पूरे परिवार में खुशियां ही खुशियां छा गईं. एक तो यह कि रिया का सही समय रहते रिश्ता पक्ता हो गया था और दूसरे अजय परिवार का समाज में काफी रुतबा था. यह रुतबा इसलिए था क्योंकि मालिनीजी ने अपनी पैतृक कंपनी मेफेयर फार्मास्यूटिकल्स बखूबी संभाली हुई ही नहीं थी बल्कि सिर्फ 55 वर्ष की आयु में ही उन्होने अपनेआप को ऐस्टेब्लिश कर खूब शोहरत भी कमा ली थी.
मेफेयर फार्मास्यूटिकल्स का पूरे देश में नाम था और मालिनीजी अपने मातापिता की इकलौती संतान होने के नाते शुरू से उस के साथ जुड़ी हुई थीं. अब काफी सालों से अकेले ही सबकुछ संभाल रही थीं. वरदान के नानाजी यानी मालिनी के पिताजी ने काफी सालों पहले अपनेआप को बिजनैस से दूर कर लिया था और मालिनी को ही सबकुछ सौंप दिया था. अब उन की बेटी ही उन की कंपनी की सर्वेसर्वा थी. वे मुंबई में मालिनी के घर के पास ही रहते थे. वरदान के पिता अजय ने अपने परिवार के बिजनैस की परंपरा को छोड़ कर कई साल पहले एक अंतर्राष्ट्रीय बैंक जौइन किया था और अब वे सीएफओ रिटायर हो चुके थे. उम्र उन की कोई खास नहीं थी, सिर्फ 60 साल पर वे अब सुकून की जिंदगी जीना चाहते थे. वे मुंबई में रह कर कई समाजसेवी संस्थाओं के साथ जुड़े हुए थे, साथ ही अपने सासससुर की देखरेख भी करते थे.
वरदान भी अपने मातापिता का इकलौता बेटा था तो सभी को उस के विवाह का बहुत चाव था. मुंबई और दिल्ली दोनों जगह धूमधाम से शादी की तैयारी शुरू हो गई. 6 महीने बाद रिया और वरदान विवाह बंधन में बंध गए और रिया विदा हो कर मुंबई आ गई. वैसे तो रिया दिल्ली जैसे आधुनिक शहर में पलीबढ़ी थी, परंतु मुंबई आ कर उसे बहुत ही अच्छा लगा. एक तो अजयजी का बंगला मरीनड्राइव पर सी फेसिंग था. यहां से वह दिनभर समुद्र को न सिर्फ देख बल्कि सुन भी सकती थी. उस ने दिल्ली की जौब से रिजाइन कर दिया था क्योंकि वह थोड़े दिन अपने परिवार को जाननेसमझने के लिए देना चाहती थी. क्योंकि मेफेयर काफी अच्छी चल रही थी तो घर में भी किसी चीज की कमी नहीं थी. अजय की फैमिली बैकग्राउंड भी पैसे वाली थी. घर में आजकल की सारी भौतिक सुखसुविधाएं तो थीं ही, साथ ही ड्राइवर, मेड, माली, कुक, 24 घंटे, बंगले से अटैच्ड आउटहाउस में रहते थे.घर में सब के लिए एक अलगअलग कारें थीं.
मालिनीजी को दफ्तर सुचारु रूप से चलाने के लिए घर में कुछ भरोसेमंद लोग चाहिए थे. इसलिए उन्होंने जो लोग रखे थे, वे काफी सालों से उन के घर में काम कर रहे थे. वे घर की साफसफाई, देखरेख और खानापीना सब संभाल रहे थे. हालांकि रिया के आने से पहले सिर्फ 3 लोग ही घर में रहते थे, फिर भी बंगले में 4 बैडरूम, एक डाइनिंगरूम, एक ड्राइंगरूम, एक गैस्टरूम, मौड्यूलर ओपन किचन, एक मिनी जिम और एक होमथिएटर था. सब कमरों के साथ अटैच्ड बाथरूम थे. बंगले के आगे एक खूबसूरत लौन भी था.
अब तक रिया ने सब को समझना शुरू कर दिया था. जहां एक ओर उस के मन में सब के लिए प्यार एवं इज्जत थी, वहीं मालिनीजी के लिए एक श्रद्धाभाव भी था. इस का कारण स्वयं मालिनी थीं. वह अपनेआप को इतना बिजी रखती थीं कि अन्य पारंपरिक सासों की तरह बुराइयां करने से कोसों दूर थीं और बिजनैस में होने से उन का जनरल नौलेज भी काफी अच्छा था. हर विषय पर किसी के भी साथ बात कर सकती थीं. शादी के 1 हफ्ते बाद जब डिनर पर सब साथ बैठे थे तो मालिनी ने कहा, ‘‘वरदान और रिया के लिए मैं ने और अजय ने हौलिडे बुक किया है. तुम लोग हौलिडे के लिए स्विट्जरलैंड और फ्रांस जा रहे हो. टिक्ट्स और होटल बुक हो गए हैं. वरदान, कल मेरे औफिस फोन कर के मेरी सैक्रेटरी माया से सब डिटेल्स ले लेना.’’ वरदान उठ कर मालिनीजी के गले लग गया, ‘‘थैंक्स सो मच मौम. ‘‘माय प्लैजर ऐंटायरली बेटा.’’
मालिनी ने प्यार से उस का हाथ पकड़ कर कहा. रिया ने भी शरमाते हुए सभी को थैंक्स बोला. हौलिडे से आने के बाद रिया ने भी जौब जौइन कर ली. वह सुबह 8 बजे जाती थी और शाम पांच बजे तक घर आ जाती थी. वरदान भी 6 बजे तक आ जाता था तो दोनों साथ में बैठकर चाय पीते थे. मालिनीजी अपने औफिस में ही चाय पी लेती थीं. अजय ज्यादातर 7 बजे तक लौट आते थे. सब से आखिर में मालिनी ही 8 बजे तक घर में घुसती थीं. फिर सब खाने पर 9 बजे इकट्ठा होते थे. पहलेपहल तो रिया को बड़ा अजीब लगा क्योंकि उस ने सोचा था कि वह घर पर अपनी सास के साथ बातें किया करेगी पर मालिनी का तो पूरा दिन अपने औफिस में निकल जाता था.
वे सिर्फ लंच के लिए घर आती थीं और वह भी 1-2 घंटों के लिए. इस समय भी उन की काल्स चलती रहती थी. लंच करने के बाद थोड़ी देर अपने रूम में आराम करती थीं और फिर औफिस चली जातीं. रिया ने भी इसे अब ऐक्सैप्ट कर लिया था. एक दिन वरदान बोला, ‘‘मौम, मेरे फ्रैंड्स रिया और मुझे कहीं बाहर बुला रहे हैं तो शायद सैटरडे या संडे का प्रोग्रैम बनेगा.’’ मालिनी ने रिया से पूछा, ‘‘रिया बेटा क्या तुम वरदान के सभी फ्रैंड्स को पहचानती हो?’’ रिया बोली, ‘‘मौम, शादी में ही उन से मुलाकात हुई थी. अभी तो सिर्फ नाम से जानती हूं.’’ ‘‘यह बढि़या मौका है,’’ मालिनी ने कहा तो दोनों जने उन का मुंह देखने लगे.’’ अरे भई ऐसे क्या देख रहे हो? व्हाइ डौंट यू काल देम टु नौट जस्ट जैज बाय द बे? बहुत अच्छा रैस्टोरैंट है और व्यू भी बढि़या है. यंगस्टर्स वाली वाइब्स भी हैं. तुम लोगों को अच्छा लगेगा.’’ रिया मुंबई के बारे में कुछ खास तो नहीं जानती थी, इसलिए कुछ नहीं बोली. मगर वरदान काफी खुश हो गया, ‘‘यू आर ए जीनियस मौम. मैं आज ही चला जाता हूं वहां और देखता हूं. अगर कोई प्राइवेट एरिया है तो उसे बुक कर लूंगा.’’ ‘‘अरे माया को पता है न, अभी लास्ट वीक ही हमारे औफिस के यंगस्टर्स की पार्टी वहां हुई थी. लास्ट टाइम तो मैं भी गई थी थोड़ी देर के लिए तो मुझे भी बड़ा अच्छा लगा था. माया सारे अरेंजमैंट्स कर देगी. तुम स्ट्रैस मत लो.
रिया को ले जा कर एक बार फूड आइटम्स टैस्ट कर लेना.’’ ‘‘ग्रेट मौम, कल शाम को ही हम लोग चले जाएंगे. आप और डैड भी आओगे न इस गैटटुगैदर में?’’ ‘‘नहीं बेटा, मेरी तुम्हारे डैडी के साथ सूप और सलाद है, सो यू गाइज ऐंजौय.’’ वीकैंड की पार्टी में वरदान के सारे फ्रैंड्स अपनी फैमिली के साथ आए थे. रिया को सब के साथ मिल कर बहुत मजा आ रहा था. इतने में अंश जो वरदान का स्कूल फ्रैंड था, बोला, ‘‘यार वरदान, यह तेरा आइडिया तो नहीं हो सकता.
आंटी ने ही सजैस्ट किया होगा यह वैन्यू, आई एम प्रैटी श्योर.’’ वरदान भी हंस कर बोला, ‘‘ऐब्सोल्यूट्ली राइट ब्रो. शी है? ए नैक फार सच थिंग्स.’’ वीर और यश भी जो वरदान के साथ स्कूल में थे, मालिनी को ही क्रैडिट देने लगे. ‘‘वाह, आंटी का टेस्ट लाजवाब है. लुक एट द प्लेस एंड द मेन्यू.’’ रिया सभी कुछ सुन रही थी. इतने में इन तीनों की वाइफ्स भी बोलीं, ‘‘सुपर्ब अरेंजमैंट किया है आंटी ने. एक्चुअली वी आर मिसिंग हर. हम लोग इतनी बढि़या पार्टी एंजौय कर रहे हैं, आल थैंक्स टु हर. वरदान शी शुड हैव कम.’’ वरदान ने कहा, ‘‘अरे नहीं, वीकैंड पर तो मौम और डैड के अलग ही प्रोग्राम्स रहते हैं, बट आई विल कन्वे कि आप लोग उन्हें कितना मिस कर रहे हैं.’’ रिया को अब समझ में आ रहा था कि उस की सास सभी के बीच कितनी पौपुलर हैं. कुछ दिन बाद रिया के मम्मीडैडी को शिरडी जाना था तो उन्होंने सोचा कि मुंबई रिया के पास थोड़े दिन रुकते हुए फिर वहां चले जाएंगे. समीक्षा ने जब रिया को यह बताने के लिए काल की तो वह तो खुशी से उछल पड़ी, ‘‘अरे वाह मम्मी, क्या प्लान बनाया है आप ने.
आप को यहां आ कर बहुत अच्छा लगेगा और आप को मेरे पास काम से कम 10 दिन तो रहना होगा.’’ शिशिर ने फोन पर रिया से कहा, ‘‘नहीं बेटा इतने दिन हम लोग क्या करेंगे?’’ रिया बोली, ‘‘मैं आप लोगों की एक नहीं सुनूंगी, शादी के बाद यह पहली बार है कि आप मुंबई आ रहे हैं तो बस यहीं आ कर बाकी के प्लान बनाइएगा.’’ रिया के कालेज की भी छुट्टियां चल रही थीं तो वह भी आने वाली थी. रिया ने डाइनिंगटेबल पर रात को सब को यह न्यूज दी. सभी लोग सुन कर बड़े खुश हुए. अजय ने कहा, ‘‘मैं वरदान के नानानानी को भी उन दिनों यहीं बुला लूंगा. वे भी रिया के पेरैंट्स के साथ रहेंगे तो उन को भी अच्छा लगेगा.’’ मालिनी ने पूछा, ‘‘रिया बेटा, वे लोग कहीं और भी घूमना प्लान कर रहे हैं?’’ ‘‘जी मौम, मैं ने उन से कहा है कि जो भी प्लान बनाएं, यहां आ कर बनाएं. वैसे तो उन्हें सिर्फ शिरडी ही जाना है.’’ ‘‘ओके तो उन्हें आने दो, फिर बात करते हैं.’’ जल्द ही समीक्षा, शिशिर और मिया मुंबई रिया के पास आ गए.
उन सभी को मुंबई में रिया का घर बहुत पसंद आया. वीडियो काल पर पूरे घर का आइडिया नहीं हो पाया था. अभी तक तो वे लोगों से यही सुन रहे थे कि मुंबई में छोटेछोटे अपार्टमैंट होते हैं, मगर अजयजी का घर मालिनी की चौइस का था तो थोड़ा उनके रुतबे के हिसाब से था. सजावट ऐसी कि देखने वालों का मन लुभा ले. उन के आने पर मालिनी औफिस से जल्दी आने लगीं. रिया ने कुछ दिन की लीव के लिए अप्लाई किया था तो वह घर पर ही थी नहीं तो सभी लोग घर पर बोर हो जाते. वरदान के नानानानी के आने से भी खूब रौनक हो गई थी. मिया ने तो रिया के कान में कहा, ‘‘आई विश कि मेरी शादी भी मुंबई की ऐसी ही शानशौकत वाली फैमिली में हो.’’ रिया ने प्यार से उस का गाल थपथपा दिया. अजय भी जब से रिया के पेरैंट्स आए थे, अपना ज्यादातर समय घर पर बिताने लगे थे. उन्होंने कुछ एक प्रोजैक्ट्स पर जाना भी पोस्टपौन कर दिया था. 2 दिन बाद सभी शाम को चाय पी रहे थे तो मालिनी ने कहा, ‘‘रिया कह रही थी कि आप लोग शिरडी जाना चाहते हैं, वहां से आने के बाद आप को महाराष्ट्र की कुछ और जगहें भी देखनी चाहिए जो आसपास ही हैं.
माथेरान यहां का एक बहुत खूबसूरत हिल स्टेशन है, महाबलेश्वर भी छोटा सा हिल स्टेशन है और अलीबाग एक बीच है, क्या आप इंटरैस्टेड हैं?’’ समीक्षा बोलीं, ‘‘हमें तो उन के बारे में कुछ आइडिया नहीं है.’’ पर शिशिर बोले’’, अरे नहीं है तो क्या हुआ? हम लोग घूम तो सकते हैं, क्यों वरदान बेटा?’’ वरदान ने भी हामी भर दी. मालिनी बोलीं, ‘‘अगर आप इन में से कहीं जाना चाहें तो मैं आप के जाने का सारा इंतजाम कर दूंगी. आप मुझे बस अपनी डेट्स दे दीजिए.’’ शिशिर ने कहा, ‘‘हम माथेरान देख सकते हैं, अगर वीकैंड पर निकलेंगे तो बच्चों के साथ जा सकते हैं और 2 दिन बाद वापस आ जाएंगे.
मगर हमें आप सभी के साथ जाने में ज्यादा मजा आएगा. नानानानी भी साथ चलें तो बढि़या रहेगा. वापस आने के बाद भी हम शिरडी जा सकते हैं.’’ किसी को इस में भला क्या ऐतराज हो सकता था. वरदान बोला, ‘‘रिया तो लीव पर ही है. फ्राइडे को मैं फ्री हूं तो हम सुबह ही निकल सकते हैं और मंडे मौर्निंग वापस आ सकते हैं. उस दिन मेरा वर्क फ्रौम होम है. माथेरान में अच्छा वीकैंड स्पैंड हो जाएगा.’’ मालिनी फौरन अपनी मैपबुक ले आईं और इंटरनैट पर माथेरान, महाबलेश्वर, अलीबाग आदि के रिजोर्ट्स, साइटसीइंग स्पौट्स वगैरह सभी को दिखाने लगीं. सब ने फाइनली माथेरान जाना ही डिसाइड किया. मालिनी ने उसी समय एक अच्छे रिजोर्ट को काल किया. टैरिफ वगैरह पता करने के बाद उन्होंने उसी समय माया को भी काल की व माथेरान ट्रिप और्गेनाइज करने के लिए बोल दिया. रिजोर्ट की डिटेल्स भी उसे मेल पर भेज दीं.
रिया तो खुशी से उछलने लगी, ‘‘अरे वाह, द ग्रेट इंडियन फैमिली आउटिंग, बहुत मजा आएगा.’’ मालिनीजी ने एक मर्सिडीज बैंज की बस रास्ते के लिए बुक करवा दी थी. उन्हें बस ने नेरल में छोड़ दिया जहां से माथेरान के लिए शटल ट्रेन थी और ज्यादा एडवैंचर्स लोगों के लिए खच्चर भी थे. सभी को माथेरान में बहुत मजा आया. इंतजाम इतना बढि़या था कि सब ने बहुत ऐंजौय किया. मुंबई लौट कर एक दिन शिशिर ने अचानक कुछ पौलिटिक्स की बात छेड़ दी. मालिनी का पौलिटिक्स में बहुत इंटरैस्ट था तो वे दोनों अपनी आइडियोलौजी, फैवरिट पौलिटिकल पार्टी, फैवरिट पौलिटिकल लीडर आदि बड़े जोरोंशोरों से डिस्कस करने लगे.
रिया, मिया और समीक्षा भी बातों में हिस्सा ले रहे थे. मगर उन्हें इन दोनों की बातों में ज्यादा मजा आ रहा था. तभी मालिनी के पास एक फोन आया. मालिनी ने कहा,‘‘ओके मैं अभी पावर पौइंट बना कर भेज देती हूं. तुम कल की मीटिंग में उन पौइंट्स को रैफर कर लेना. पावर पौइंट 15 मिनट में रैडी हो जाएगा क्योंकि हम लोग आलरैडी एक प्रेजैंटेशन तो कर ही चुके हैं. यह हमारी पौलिसीज के बारे में एक इंट्रोडक्श नहीं है. मैं अभी भेजती हूं. डौंट वरी.’’ फिर उन्होंने काल खत्म कर के सब से कहा, ‘‘ऐक्सक्यूजमी, मुझे थोड़ा सा काम आ गया है. मैं अभी थोड़ी देर में आती हूं.’’
लगभग 20 मिनट बाद मालिनी ने उन सभी को फिर से जौइन कर लिया. शिशिर और समीक्षा उन की चुस्तीफुरती और नौलेज देख कर बहुत ज्यादा इंप्रैस्ड थे. उन्होंने मालिनी का टेक सेवी रूप भी देख लिया था. वे बहुत खुश थे कि रिया को अपनी सास से बहुत कुछ सीखने को मिलेगा. कुछ दिन बाद रिया के मम्मीपापा और मिया शिरडी चले गए और वहीं से वापस दिल्ली. उन्हें रिया की वैभवशाली ससुराल देख कर तो बहुत सुख मिला ही, परंतु समीक्षा और शिशिर ने मालिनी की बहुत ज्यादा तारीफ की. शिशिरजी तो खासतौर से बोले, ‘‘तुझ से ज्यादा स्मार्ट तो तेरी सास हैं.
सबकुछ कितना फटाफट अरेंज कर दिया. कितनी अच्छी प्लानिंग करती हैं,सबका कितना ध्यान रखती हैं. ‘‘यू आर वैरी लकी बेटा. तू भी सब का खूब अच्छे से ध्यान रखना.’’ यह सब सुन कर रिया को अच्छा तो लगा, मगर उस के मन में एक कांटा भी चुभ गया. वह चाहती थी कि जब मम्मीपापा यहां से जाएं तो उस की भी खूब तारीफ करें, मगर मम्मीपापा ने तो ऐसा कुछ भी नहीं किया उलटे मालिनीजी और अजयजी को बारबार धन्यवाद दे कर गए. रिया ने मम्मी से फोन पर बात की तो शिकायत भी की, ‘‘क्या मम्मी, आप ने तो मेरी एक बार भी तारीफ नहीं की कि मैं घर कितना अच्छे से चलाती हूं और सबकुछ कैसे हैंडल करती हूं.’’ समीक्षाजी हंस कर बोलीं, ‘‘अरे जब तू इतनी अच्छी सास की ट्रेनिंग में काम करेगी तो सब बढि़या ही करेगी.’’ ‘‘हां मम्मी, पर आप ने मुझे क्रैडिट तो दिया ही नहीं.’’ समीक्षाजी थोड़ा गंभीर हो कर बोलीं, ‘‘बेटा, घर का काम करने में कभी क्रैडिट नहीं दिया जाता.
घर में काम अपनों के लिए किया जाता है तो बिना किसी ऐक्सपैक्टेशन के. तुम तो मेरी समझदार बिटिया हो. तुम्हें क्या समझऊं,’’ और फिर थोड़ी सी और इधरउधर की बातें कर के उन्होंने फोन रख दिया. माथेरान के ट्रिप के बाद से रिया मालिनीजी से अपनी तुलना करने लगी. उसे अब लगने लगा कि मालिनी का व्यक्तित्व सब पर हावी हो जाने वाला था. मगर फिर कुछ न कुछ ऐसा होता कि वह अपनी सास की दाद दिए बिना न रह पाती. थोड़े दिनों से अब रिया अपनी सास को अपना कंपीटीटर समझने लगी थी. इस बीच एक घटना और हुई. कुछ ही दिनों में शादी के बाद वरदान का पहला जन्मदिन आ रहा था तो रिया उस के लिए कुछ सरप्राइज प्लान करना चाहती थी. उसने सोचा कि इस बार वह सारी तैयारी कर के घर में बाकी सब को बता देगी. उस ने अपने स्तर पर भागदौड़ भी शुरू कर दी. कुछ रैस्टोरैंट्स के पैकेज पता किए. खानेपीने के आइटम्स भी चैक कर लीं और 2-3 जगहों को शौर्टलिस्ट भी कर लिया. वह सोच रही थी कि रात को खाने के बाद मालिनी और अजय से बात करेगी. खाना खाने के बाद वरदान तो अपने रूम में चला गया. यह उस का रोज का रूटीन था. थोड़ी देर अपने कमरे में बैठ कर वह टीवी देखता था.
रिया को यही मौका उपयुक्त लगा. रिया ने मालिनी से कहा, ‘‘मौम, मैं वरदान की सरप्राइज बर्थडे पार्टी प्लान करना सोच रही हूं.’’ मालिनी बोलीं, ‘‘अरे हां, मुझे भी तुम से इस बारे में बात करनी थी. मैं ने भी बिलकुल ऐसा ही सोचा है. इन फैक्ट, मैं ने नैट पर कुछ इनफौरमेशन भी सर्च की है और 3-4 प्रीमियम रैस्टोरैंट्स से बात भी की है. उन में से द ब्लूस्टार का मेन्यू और इंटीरियर मुझे काफी पसंद आया है. तुम मुझे गैस्ट लिस्ट दे दो तो उन लोगों से प्राइसेज वगैरह की बात भी फिक्स कर लेते हैं. रिया कुछ मायूस हो कर बोली, ‘‘मगर मौम, मैं ने भी कुछ रैस्टोरैंट शौर्टलिस्ट किए हैं.’’ मालिनी ने कहा, ‘‘कौन से बेटा?’’ रिया ने जब नाम बताए तो मालिनी बोलीं, ‘‘यह सब रैग्युलर रैस्टोरैंट्स हैं.
इन के बैंक्वेट हाल काफी छोटे होते हैं और फैसिलिटीज भी कुछ खास नहीं हैं. ब्लूस्टार कौरपोरेट इवेंट्स को भी कैटर करता है और उन के बैंक्वेट हाल बहुत ही बढि़या हैं. उन का मेन्यू भी फाइवस्टार है, सो लैट्स फाइनालाइज्ड. तुम कल औफिस आ जाना और माया से मिल कर सब कन्फर्म कर देना. मैं क्लाइंट से मिलने बांद्रा जाऊंगी तो तुम्हारे साथ नहीं आ पाऊंगी. तुम ने मेरी एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी ले ली है बेटा. थैंक्स सो मच.’’ अजय ने भी कहा, ‘‘तुम दोनों सासबहू बिलकुल एक सा सोचते हो,’’ यह कह कर वे दोनों तो न्यूज देखने लगे और रिया थोड़े सोबर मूड में अपने रूम में चली गई. अगले हफ्ते वरदान की पार्टी खूब धूमधाम से हुई और नैचुरली क्रैडिट एक बार फिर मालिनी को दिया. रिया ऊपर से तो खुश दिखने की कोशिश कर रही थी पर उसे काफी बुरा लगा था.
इस बात का कि उस के एक भी डिसीजन को मालिनी ने कोई खास तवज्जो नहीं दी. उसे लगा कि मालिनी उसे जानबूझ कर नीचा दिखाने में लगी हुई थीं. धीरेधीरे रिया मालिनी के हर डिसीजन का विरोध करने लगी. उसे लगता कि मालिनी खुद क्रैडिट लेने के लिए उस के हर डिसीजन को नकार देती हैं, जबकि असलियत में मालिनी अपने कौंटैक्ट्स और दूरदर्शिता की वजह से सभी काम चुटकियों में कर दिया करती थीं. एक तो वे सालों से ये सब करती आ रही थीं और दूसरे सब को उन के लिए निर्णयों पर कोई एतराज भी नहीं था. ऐसे में वे यह सोच भी नहीं सकती थीं कि रिया को उन्हें ले कर कुछ गलतफहमी हो सकती है.
उधर रिया को लगने लगा था कि उस की सास जबरदस्ती अपने व्यूज सब पर थोपती हैं. उस ने ये सब बातें अपने अहं पर ले ली थीं. रिया को मालिनी के इतने ऐक्टिव स्वरूप को देख कर प्रौब्लम होने लगी. अब वह पहले की तरह उन की तारीफ नहीं करती थी व अपने डिसीजंस में उन्हें शामिल नहीं करती थी. उस ने अपनी बातें भी उन से शेयर करना बंद कर दी थीं. एक बार रिया को उस के कजिंस मिलने आने वाले थे, तो उस ने उन सभी को डिनर के लिए उस क्लब में बुला लिया जहां के वह और वरदान मैंबर थे.
मालिनी ने कहा भी कि उन्हें घर पर भी बुलाएं, मगर रिया ने कहा कि वे सिर्फ एक दिन के लिए आने वाले थे तो डिनर पर ही सब का मिलना ठीक रहता. वह चाहती ही नहीं थी कि उस के रिश्तेदार मालिनी से मिलें. अब वह घर में भी ज़्यादा टाइम मालिनी से बात नहीं करती थी, सिर्फ मतलब की बात कर के और थोड़ा सा हंसबोल कर अपना काम करने लगती थी. वरदान कुछ समय से रिया में मालिनी के प्रति बदलाव देख तो रहा था मगर चुप था, यह सोच कर कि शायद मौम की किसी बात से उसे बुरा लगा है. पर जब उस ने देखा कि रिया हर बात अपने ढंग से करना चाहती तो उसे असल मुद्दा समझ आया. एक दिन वरदान रिया से बोला, ‘‘रिया, तुम्हें मौम से कोई शिकायत है क्या?’’ रिया बोली, ‘‘तुम ऐसा क्यों पूछ रहे हो?’’ ‘‘बहुत दिनों से तुम्हें खफाखफा सा देख रहा हूं.
बस इसलिए. पहले तो तुम अपनी सास की फैन हुआ करती थीं लेकिन अब उन से थोड़ा सा कटने लगी हो. मौम तो बिजी रहती हैं, इसलिए शायद नोटिस नहीं करतीं, मगर मैं ने कर लिया है. अगर कुछ प्रौब्लम है तो तुम मुझे बता सकती हो.’’ रिया बोली, ‘‘वरदान, मैं भी इस घर की मैंबर हूं तो मैं भी कुछ डिसीजंस लेना चाहती हूं. लेकिन मौम तो…’’ इतना कह कर वह रुक गई, ‘‘छोड़ो तुम नहीं समझगे,’’ कह कर रिया चली गई. वरदान मन में मुसकराने लगा कि तो यह प्रौब्लम है मैडम. कोई बात नहीं, मैं तुम्हारी गलतफहमी दूर कर के ही रहूंगा. अगले दिन डिनरटेबल पर वरदान ने मौमडैड व रिया से कहा, ‘‘मैं आप सभी से कुछ बात करना चाहता हूं. मुझे औफिस की तरफ से प्रमोशन मिल रहा है.’’ सभी लोग यह सुन कर बड़े खुश हुए. फिर वरदान आगे बोला,’’ मेरा औफिस भी बदल गया है तो मुझे पवई जाना पड़ेगा, जोकि यहां से काफी दूर है. ट्रैवल टाइम कम करने के लिए मैं सोच रहा हूं कि पवई में ही रिया के साथ शिफ्ट हो जाऊं.
औफिस की तरफ से घर भी मिल रहा है.’’ रिया उस की बात सुन कर चौंक गई क्योंकि वरदान ने इस चीज का जिक्र आज पहली बार किया था. मालिनी और अजय यह बात सुन कर खुश हो गए. अजय बोले, ‘‘बेटा मैं तो यही सोच रहा था कि तू रोज इतना ट्रैवल कैसे करेगा. वैरी नाइस डिसीजन. हम आते रहेंगे और तुम दोनों भी यहां आते रहना.’’ अगले महीने ही वरदान और रिया पवई के एक अपार्टमैंट में शिफ्ट हो गए. यह अपार्टमैंट एक 30 मंजिल की बिल्डिंग में था और इस में सभी मौडर्न ऐमैनिटीज थीं. रिया बहुत खुश थी कि अब वह इंडिपैंडैंटली सारा काम करेगी. पर वह कहते हैं न जा के पैर न फटी बिवाई.
वह क्या जाने पीर पराई. रिया और वरदान वीकैंड पर शिफ्ट हुए तो वरदान बोला, ‘‘रिया चलो अपने घर के लिए थोड़ी बहुत शौपिंग कर लेते हैं. फर्नीचर शौप्स पर जा कर जो चाहिए वह फाइनल कर लेना और किचन वगैरह भी सैट कर लो.’’ रिया खुशीखुशी उस के साथ जा कर दोनों की पसंद का सामान बुक कर आई और कुछ ले भी आई. अपना फ्लैट बहुत सुंदर तरीके से सजा लिया. मंडे को दोनों को औफिस जाना था तो रिया जल्दी उठी और उस ने दोनों के लिए ब्रेकफास्ट और लंच बनाया और पैक किया. फिर दोनों अपनीअपनी जौब पर निकल गए. रोज की तरह वे लोग लगभग एक समय पर ही वापस आए.
रिया को अब बिलकुल फुरसत नहीं थी. उस ने फटाफट चाय खत्म कर के रात का खाना बना दिया. लगभग 1 महीने तक यही क्रम चलता रहा.वह महीना तो घर सैट करते ही निकल गया. दोनों अपने इंडिपैंडैंस से बहुत खुश थे. अजय और मालिनी भी वीकैंड पर उन के पास आ जाते थे. फ्लैट 2 बैडरूम का था इसलिए किसी को प्रौब्लम भी नहीं होती थी. दूसरे महीने भी रूटीन वाली जिंदगी चल रही थी, पर अब रिया को समझ में आ रहा था कि अकेले रह कर डिसीजन लेना और पूरा घर संभालना कितना मुश्किल होता है. उन के पास पार्टटाइम हाउस हैल्प थी क्योंकि दोनों ही शाम तक घर पर नहीं होते थे. हाउस हैल्प आ कर घर की साफसफाई सुबह और शाम कर दिया करती थी.
बरतन और कपड़े धोना भी उसी के जिम्मे था. हां खाना जरूर रिया बनाती थी. पर यहां न कोई उस को कुछ बताने वाला था, न टोकने वाला और न ही लाड़ से हाथ में चाय पकड़ाने वाला. जब मेड छुट्टी ले लेती थी तो घर का काम बढ़ जाता था, पर उस समय वरदान सारा काम बांट लेता था. फिर भी रिया को अपनी यह इंडिपैंडैंस चुभने लगी थी. यहां उसे सजैशन देने वाला, काम कराने वाला या नियमित रूप से समझने वाला कोई न था. वरदान ने उसे पूरी तरह से स्वतंत्रता दी हुई थी, वह रिया के हर फैसले को मान लेता था, फिर वह बाहर कहीं जाने का हो, घर का सामान खरीदने का या घर में पैसे खर्च करने का. वैसे भी वरदान सीधासादा लड़का था तो उस की फालतू की बहस में कोई रुचि नहीं थी. वह साल तो ऐसे ही बीत गया.
रिया को मरीन ड्राइव का अपना घर याद आने लगा था, जहां पर अजय और मालिनी उस की हर छोटी बात पर भी काफी सलाह और सुझव दे दिया करते थे और मदद कर दिया करते थे. साथ ही घर में काम करने वाले इतने लोग थे कि रिया के ऊपर कोई जिम्मेदारी नहीं आई थी. वह सिर्फ औफिस आतीजाती थी. बाकी के पचड़ों से काफी दूर थी. एक बार वरदान को 1 हफ्ते के लिए बैंगलुरु जाना था. वह रिया से बोला, ‘‘रिया, तुम अकेले नहीं रहना चाहती हो तो मौमडैड के पास चली जाना.’’ रिया बोली, ‘‘देखूंगी.’’ रिया को मरीन ड्राइव नहीं जाना था तो वह नहीं गई. हां यह बात अलग है कि 3 दिन अकेले रह कर, अपने लिए लंच और डिनर बना कर वह काफी उकता गई. मालिनी और अजय से रोज उस की बात हो रही थी. उन्होंने 1-2 बार उसे घर आने के लिए भी कहा पर उस ने काम का बहाना बना कर मना कर दिया. वरदान को गए हुए 3 दिन ही हुए थे और रिया को अपनी यह इंडिपैंडैंट लाइफ बिलकुल नहीं सुहा रही थी.
उस के पास चौइस थी कि या तो मैगी बना कर खा ले या फिर अपने सासससुर के घर जा कर उन के साथ बैठ कर प्रेमपूर्ण वातावरण में घर का बना गरम खाना खाए. उस ने मालिनी को फोन किया और कहा, ‘‘मौम, मैं बाकी के 2 दिन घर से ही औफिस जाऊंगी. मैं अभी निकल रही हूं.’’ मालिनी ने कहा, ‘‘मैं इसी साइड हूं बेटा. मीटिंग के लिए आई थी, तुम्हारे घर आने वाली थी. तुम अपना बैग रैडी कर लो, मैं तुम्हें ले कर घर चली जाऊंगी.’’ रिया यह बात सुन कर बहुत खुश हो गई. इस तरह से उस का ड्राइव कर के जाना भी बच गया. जब वरदान मंडे को बैंगलुरु से वापस आया, तो सीधा मरीन ड्राइव ही आया और शाम को रिया को ले कर पवई वापस जाने की बात करने लगा. रिया शाम को जब औफिस से आई तो वरदान को मिल कर खुश हो गई. डिनर के बाद वरदान बोला, ‘‘चलो रिया घर चलें.’’
सभी ने नोटिस किया कि वरदान के इतना बोलते ही रिया का मुंह इतना सा हो गया. वरदान देख रहा था कि यहां पर रिया कितनी खिलीखिली है और मालिनी से बिलकुल भी नाराज नहीं थी बल्कि शाम का खाना तो उस ने मौम के साथ में लगवाया था. यह देख कर वह मन ही मन मुसकरा उठा था. रिया बोली, ‘‘वरदान, आज यहीं रुक जाओ. मैं ने अपनी पैकिंग भी नहीं की है. कल सुबह हम लोग औफिस के लिए निकलेंगे और वहां से घर चले जाएंगे.’’ वरदान बोला, ‘‘जैसे तुम्हारी मरजी.’’ डिनर के बाद वरदान ने सब को गिफ्ट्स दिए और उस के बाद सब अपनेअपने रूम में चले गए. रूम में आते ही रिया बोली, ‘‘वरदान, मुझे तुम से कुछ बात करनी है.’’ ‘‘क्या हुआ रिया? क्या मौम ने तुम से कुछ कहा? नहींनहीं तुम ऐसा क्यों बोल रहे हो?’’ वह बोला, ‘‘अरे बाबा.
मैं तुम्हारी टांग खींच रहा था, बताओ क्या बात है?’’ रिया बोली, ‘‘वरदान, मैं सोचती थी कि इंडिपैंडैंट रह कर मैं अपने डिसीजंस लूंगी और अपनी मरजी से घर चलाऊंगी, मगर तुम्हारे साथ उस फ्लैट में रह कर मुझे समझ आया कि मैं तो वहां एकदम अकेली हो गई हूं. मौमडैड की सलाह तो हमारे साथ है, मगर हर समय तो वे लोग वहां नहीं होते हैं.’’ वरदान बोला, ‘‘क्या बात कर रही हो रिया? घर पर भी वे लोग हमेशा कहां होते हैं? तुम ने तो देखा है, दोनों अपनी लाइफ में बिजी हैं.’’ रिया ने कहा, ‘‘मेरा वह मतलब नहीं था.
उन के साथ रहते हुए प्रौब्लम्स भी प्रौब्लम्स नहीं लगती हैं. वहां मैं इंडिपैंडैंट जरूर हूं मगर मुझे हमेशा ऐसा लगता है कि मैं अकेली हूं, जबकि मौमडैड तो रोज ही मुझ से बात करते हैं. पर यहां रह कर ऐसा लगता है कि मैं उन की छत्रछाया में हूं. तुम्हारे जाने के 3 दिन बाद तक मैं ने बहुत सोचा कि मैं किस तरह की लाइफ चाहूंगी. एक वह जिस में कि मौम और डैड हक से इंटरफेयर कर के हमारे लिए निर्णय लें या दूसरी वह जिस में कि सारा भार हम पर हो. मुझे लगा कि यह मौम और डैड की इंटरफेरैंस नहीं बल्कि उन का प्यार है और वे ज्यादातर सही होते हैं. वरदान, क्या हम यहां रह कर अपना काम नहीं कर सकते? क्या हमारा पवई वापस जाना जरूरी है?’’ वरदान बोला, ‘‘मेरा औफिस का कंयूट टाइम बहुत ज्यादा हो जाएगा और तुम यह सब इसलिए कह रही हो क्योंकि यहां पर सुखसुविधाएं ज्यादा हैं. वहां सिर्फ एक मेड है, है न यही बात? पर हम अभी और सर्वैंट अफोर्ड नहीं कर सकते.
मैं चाहता हूं कि हम दोनों मौम और डैड पर डिपैंडैंट न हों बल्कि उन की तरह अपनी अलग आईडैंटिटी बनाएं. इस के लिए हमें अपनी सेविंग्स करनी होगी. मैं मौम से फाइनैंशियल हैल्प ले कर अपना घर नहीं चलाना चाहता.’’ रिया बोली, ‘‘वरदान, तुम मुझे गलत समझ रहे हो. ये सिर्फ लग्जरीज होती हैं पर जो मैं मिस कर रही थी वह मौम और डैड का प्यार था. वहां शाम को और रात को मेरे साथ गप्पें मारने के लिए कोई भी नहीं होता था.’’ ‘‘तो रिया, यह भी तो तुम्हारा स्वार्थ ही है. बात करने के लिए कोई नहीं है तो तुम्हें वापस आना है,’’ वरदान ने कहा. रिया कहने लगी, ‘‘नहीं वरदान, मैं सचमुच में समझ गई हूं कि इस परिवार में रह कर ही मैं पनप सकती हूं और आगे बढ़ सकती हूं.
अकेले तुम्हारे साथ रह कर नहीं.’’ वरदान फिर बोला, ‘‘रिया, तुम सिर्फ भौतिक सुखसुविधाओं को ही देख रही हो, अगर मौम ने अपनी मरजी से कुछ भी किया तो तुम्हें फिर वह चुभेगा. हो सकता है कि तुम दोनों के अहं में भी टकराव हो. मौम तो शुरू से ही सबकुछ खुद करती आई हैं और अब भी उन्हें दूसरों को हैल्प करना अच्छा लगता है. तुम इसे अपने ईगो पर ले लेती हो. मौम तुम से प्रतियोगिता नहीं करती हैं. ‘‘मगर तुम्हें उन का कुछ भी करना नागवार गुजरता है. तुम अपना घर संभालो वही बेहतर होगा.’’ रिया रोंआसी हो कर बोली, ‘‘तुम क्या मुझे इतना खराब समझते हो वरदान? मेरी समझ में आ गया है कि मैं मौम के साथ रह कर, उन के साथ मिल कर ही सही निर्णय लेना सीख सकती हूं.
वे हमेशा मुझे प्रोत्साहित ही करती हैं. अब तुम मुझे गलत समझ रहे हो.’’ वरदान ने आखिरी चौका मारा, ‘‘सोच लो रिया, मुझे अभी तो औफिस की तरफ से घर मिला है, अगर मैं ने यह छोड़ दिया तो यह घर किसी और को दे दिया जाएगा, फिर मुझे दूसरा किराए का घर पवई में लेना पड़ेगा.’’ रिया मुसकराते हुए बोली, ‘‘नहीं बाबा, उस की जरूरत नहीं पड़ेगी.’’ वरदान यह सुन कर मुसकरा उठा. यही तो वह कब से सुनना चाह रहा था. वरदान को पता था कि रिया दिल की बहुत साफ है, बस थोड़ा सा हर्टफील कर रही थी. बात आगे न बढ़े, इसलिए उस ने अलग रहने की सोची थी. उस की प्रमोशन ने बात आसान कर दी थी. औफिस की तरफ से जब घर का औफर आया तो उस ने अलग रहने का निर्णय ले लिया.
उस की सूझबूझ ने बात बिगड़ने से पहले ही संभाल ली. रिया को आखिरकार समझ आ ही गया कि मालिनी एक आत्मनिर्भर महिला हैं, मगर उस के कंपीटिशन में नहीं. अगले दिन सुबह मालिनी और अजय को वरदान और रिया ने यह खुशखबरी दी कि वे अब साथ में ही रहेंगे, हमेशाहमेशा के लिए. मालिनी ने उठ कर अपने दोनों बच्चों का माथा चूम लिया. अजयजी भी खुश हो कर जोरजोर से हंसने लगे. आखिरकार वे दोनों भी अपने बच्चों को मिस तो करते ही थे. वरदान रिया को देख कर मुसकरा रहा था. भोली सी उस की रिया थोड़ी देर को रास्ता तो जरूर भटक गई थी, मगर वरदान अपनी समझदारी से उसे वापस अपने लोगों के बीच, कभी न जाने के लिए ले आया. उलझन मालिनी, अजय या फिर और किसी की निगाह में आने से पहले ही सुलझ गई.
लेखक- निधि माथुर
Family Story in Hindi