Hindi Stories Online : मुसाफिर – चांदनी ने क्या किया था

Hindi Stories Online : गर्भवती चांदनी को रहरह कर पेट में दर्द हो रहा था. इसी वजह से उस का पति भीमा उसे सरकारी अस्पताल में भरती कराने ले गया. उस ने लेडी डाक्टर से बड़ी चिरौरी कर जैसेतैसे एक पलंग का इंतजाम करवा लिया. नर्स के हाथ पर 10 रुपए का नोट रख कर उस ने उसे खुश करने का वचन भी दे दिया, ताकि बच्चा पैदा होने के समय वह चांदनी की ठीक से देखभाल करे.

चांदनी के परिवार में 4 बेटियां रानी, पिंकी, गुडि़या और लल्ली के अलावा पति भीमा था, जो सीधा और थोड़ा कमअक्ल था.

भीमा मरियल देह का मेहनती इनसान था. ढाबे पर सुबह से रात तक डट कर मेहनत से दो पैसे कमाना और बीवीबच्चों का पेट भरना ही उस की जिंदगी का मकसद था. जब कभी बारिश के दिनों में तालतलैया में मछलियां भर जातीं, तब भीमा की जीभ लालच से लार टपकाने लगती थी और वह जाल ले कर मछली पकड़ने दोस्तों के साथ घर से निकल पड़ता था.

गांव में मजदूरी न मिलने पर वह कई बार दिहाड़ी मजदूरी करने आसपास के शहर में भी चला जाता था. तब चांदनी अकेले ही सुबह से रात तक ढाबे पर रहती थी.

गठीले बदन और तीखे नाकनक्श की चांदनी 30 साल की हो कर भी गजब की लगती थी. जब वह ढाबे पर बैठ कर खनकती हंसी हंसती, तो रास्ता चलते लोगों के सीने में तीर से चुभ जाते थे. कितने तो मन न होते हुए भी एक कप चाय जरूर पी लेते थे.

अस्पताल में तनहाई में लेटी चांदनी कमरे की दीवारों को बिना पलक झपकाए देख रही थी. उसे याद आया, जब एक बार मूसलाधार बारिश में उस के गांव भगवानपुर से आगे 4 मील दूर बहती नदी चढ़ आई थी. सारे ट्रक नदी के दोनों तरफ रुक गए थे. तकरीबन एक मील लंबा रास्ता ट्रकों से जाम हो गया था.

तब न कोई ट्रक आता था, न जाता था. सड़क सुनसान पड़ी थी. इस कारण चांदनी का ढाबा पूरी तरह से ठप हो चुका था. वह रोज सवेरे ग्राहक के इंतजार में पलकपांवड़े बिछा कर बैठ जाती, पर एकएक कर के 5 दिन निकल गए और एक भी ग्राहक न फटका था. बोहनी तो हुई ही नहीं, उलटे गांठ के पैसे और निकल गए थे.

ऐसे में चांदनी एकएक पैसे के लिए मुहताज हो गई थी. चांदनी मन ही मन खुद पर बरसती कि चौमासे का भी इंतजाम नहीं किया. उधर भीमा भी 15 दिनों से गायब था. जाने कसबे की तरफ चला गया था या कहीं उफनती नदी में मछलियां खंगाल रहा था.

भीमा का ध्यान आते ही चांदनी सोचने लगी कि किसी जमाने में वह कितना गठीला और गबरू जवान था. आग लगे इस नासपिटी दारू में कि उस की देह दीमक लगे पेड़ की तरह खड़ीखड़ी सूख गई. अब नशा कर के आता है और उसे बेकार ही झकझोर कर आग लगाता है. खुद तो पटाके की तरह फुस हो जाता है और वह रातदिन भीतर ही भीतर सुलगती रहती है.

कभीकभी तो भीमा खुद ही कह देता है कि चांदनी अब मुझ में पहले वाली जान नहीं रही, तू तलाश ले कोई गबरू जवान, जिस से हमारे खानदान को एक चिराग तो मिल जाए.

तब चांदनी भीमा के मुंह पर हाथ रख देती और नाराज हो कर कहती कि चुप हो जा. शर्म नहीं आती ऐसी बातें कहते हुए. तब भीमा बोलता, ‘अरी, शास्त्रों में लिखा है कि बेटा पैदा करने के लिए घड़ी दो घड़ी किसी ताकतवर मर्द का संग कर लेना गलत नहीं होता. कितनों ने ही किया है. पंडित से पूछ लेना.’

चांदनी अपने घुटनों में सिर दे कर चुप रह जाती थी. रास्ता रुके हुए छठा दिन था कि रात के अंधेरे को चीरती एक टौर्च की रोशनी उस के ढाबे पर पड़ी. चांदनी आंखें मिचमिचाते हुए उधर देखने लगी. पास आने पर देखा कि टौर्च हाथ में लिए कोई आदमी ढाबे की तरफ चला आ रहा था.

वह टौर्च वाला आदमी ट्रक ड्राइवर बलभद्र था. बलभद्र आ कर ढाबे के बाहर बिछी चारपाई पर बैठ गया. बरसात अभी रुकी थी और आबोहवा में कुछ उमस थी.

बलभद्र ने बेझिझक अपनी कमीज उतार कर एक तरफ फेंक दी. वह एक गठीले बदन का मर्द था. पैट्रोमैक्स की रोशनी में उस का गोरा बदन चमक छोड़ रहा था. बेचैनी और उम्मीद में डूबती चांदनी कनखियों से उसे ताक रही थी.

थकान और गरमी से जब बलभद्र को कुछ छुटकारा मिला, तब उस का ध्यान चांदनी की ओर गया.

वह आवाज लगा कर बोला, ‘‘क्या बाई, कुछ रोटी वगैरह मिलेगी?’’

‘‘हां,’’ चांदनी बोली.

‘‘तो लगा दाल फ्राई और रोटी.’’

चांदनी में जैसे बिजली सी चमकी. उस ने भट्ठी पर फटाफट दाल फ्राई कर दी और कुछ ही देर में वह गरम तवे पर मोटीमोटी रोटियां पलट रही थी.

चारपाई पर पटरा लगा कर चांदनी ने खाना लगा दिया. खाना खाते समय बलभद्र कह रहा था, ‘‘5 दिनों में भूख से बेहाल हो गया.’’

जाने चांदनी के हाथों का स्वाद था या बलभद्र की पुरानी भूख, उसे ढाबे का खाना अच्छा लगा. वह 14 रोटी खा गया. पानी पी कर उस ने अंगड़ाई ली और वहीं चारपाई पर पसर गया. बरतन उठाती चांदनी को जेब से निकाल कर उस ने सौ रुपए का एक नोट दिया और बोला, ‘‘पूरा पैसा रख ले बाई.’’

चांदनी को जैसे पैर में पंख लग गए थे. उसे बलभद्र की बातों पर यकीन नहीं हो रहा था. बरतन नाली पर रख कर चांदनी फिर भट्ठी के पास आ बैठी. बलभद्र लेटेलेटे ही गुनगुना रहा था.

गीत गुनगुनाने के बाद बलभद्र बोला, ‘‘बाई, आज यहां रुकने की इच्छा है. आधी रात को कहां ट्रक के पास जाऊंगा. क्लीनर ही गाड़ी की रखवाली कर लेगा. क्यों बाई, तुम्हें कोई एतराज तो नहीं?’’

चांदनी को भला क्या एतराज होता. उस ने कह दिया कि उसे कोई एतराज नहीं है. अगर रुकना चाहो तो रुक जाओ और बलभद्र गहरी तान कर सो गया.

चांदनी की चारों बेटियां ढाबे के पिछले कमरे में बेसुध सोई पड़ी थीं. रात गहरी हो रही थी. बादलों से घिरे आसमान में बिजली की चमक और गड़गड़ाहट रहरह कर गूंज रही थी.

तब रात के 12 बजे होंगे. किसी और ग्राहक के आने की उम्मीद छोड़ कर चांदनी वहां से हटी. देखा तो बलभद्र धनुष बना गुड़ीमुड़ी हुआ चारपाई पर पड़ा था.

चांदनी भीतर गई और एक कंबल उठा लाई. बलभद्र को कंबल डालते समय चांदनी का हाथ उस के माथे से टकराया, तो उसे लगा कि उसे तेज बुखार है.

चांदनी ने अचानक अपनी हथेली बलभद्र के माथे पर रखी. वह टुकुरटुकुर उसे ही ताक रहा था. उन आंखों में चांदनी ने अपने लिए एक चाहत देखी.

तभी अचानक तेज हवा चली और पैट्रोमैक्स भभक कर बुझ गया. हड़बड़ा कर उठती चांदनी का हाथ सकुचाते हुए बलभद्र ने थाम लिया. थोड़ी देर कसमसाने के बाद चांदनी अपने बदन में छा गए नशे से बेसुध हो कर उस के ऊपर ढेर हो गई थी. सालों बाद चांदनी को बड़ा सुख मिला था.

भोर होने से पहले ही वह उठी और पिछले कमरे की ओर चल पड़ी थी. उस ने सोचा कि खुद भीमा ने ही तो इस के लिए उस से कहा था, और फिर इस काली गहरी अंधेरी रात में भला किस ने देखा था. यही सब सोचतेसोचते वह नींद में लुढ़क गई.

सूरज कितना चढ़ आया था, तब बड़ी बेटी ने उसे जगाया और बोली, ‘‘रात का मुसाफिर 5 सौ रुपए दे गया है.’’

वह चौंकती सी उठी, तो देखा बलभद्र जा चुका था. चारपाई पर पड़ा हुआ कंबल उसे बड़ा घिनौना लगा. वह देर तक बैठी रात के बारे में सोचती रही.

15 दिन बाद बलभद्र फिर लौटा और भीमा के साथ उस ने खूब खायापीया. नशे में डूबा भीमा बलभद्र का गुण गाता भीतर जा कर लुढ़क गया और चांदनी ने इस बार जानबूझ कर पैट्रोमैक्स बुझा दिया.

बलभद्र का अपना ट्रक था और खुद ही उसे चलाता था, इसलिए उस के हाथ में खूब पैसा भी रहता था. चांदनी का सांचे में ढला बदन और उस की चुप रहने की आदत बहुत भाई थी उसे. चांदनी अपने शरीर के आगे मजबूर होती जा रही थी और बलभद्र के जाते ही हर बार खुद को मन ही मन कोसती रहती थी.

अब बलभद्र के कारण भीमा की माली हालत सुधरने लगी. वह उस का भी गहरा दोस्त हो गया था. 3 लड़कों का बाप बलभद्र बताता था कि कितना अजीब है कि वह लड़की पैदा करना चाहता है और भीमा लड़के की अभिलाषा रखता है.

चांदनी चुप जरूर थी, लेकिन अंदर ही अंदर खुश रहती थी. उस का सातवां महीना था. भीमा के साथ आसपास के जानने वाले लोग भी बेचैनी से इस बच्चे के जन्म का इंतजार कर रहे थे.

तब पूरे 9 महीने हो गए थे. एक दिन अचानक बलभद्र खाली ट्रक ले कर वहां आ धमका और उदास होता हुआ बोला, ‘‘अब वह पंजाब में ही ट्रक चलाएगा, क्योंकि घर के लोगों ने नाराज हो कर उसे वापस बुलाया है.’’

यह सुन कर भीमा और चांदनी बेहद उदास हो गए थे. आखिरी बार चांदनी ने उसे अच्छा खाना खिलाया और दुखी मन से विदा किया. अगले ही दिन उसे अस्पताल आना पड़ा था. तब से वह बच्चा पैदा होने के इंतजार में थे.

उसे दर्द बढ़ गया, तो उस ने नर्स को बुलाया. आननफानन उसे भीतर ले जाया गया. आखिरकार उस ने बच्चे को जन्म दिया और बेहोश हो गई.

कुछ देर बाद होश में आने पर चांदनी ने जाना कि उस ने एक बेटे को  न्म दिया है. वह जल्दी से बच्चे को घूरने लगी कि लड़के की शक्ल किस से मिलती है… भीमा से या बलभद्र से?

लेखक- डा. ओम पंकज

‘आप की अदालत’ के रजत शर्मा को देखकर जब Rekha ने अपने आप को किया कमरे में बंद

Rekha  : प्रसिद्ध एंकर रजत शर्मा जिनके तीखे सवालों से हर कोई घबराता है, बहुत-बहुत सोच समझ कर जवाब देता है. परंतु सालों से चला आ रहा ‘आप की अदालत’ शो राजनेता और अभिनेता सभी से रूबरू करा चुका है. फिर चाहे वह बाला साहेब ठाकरे हो अमिताभ बच्चन हो, शत्रुघ्न सिन्हा हो राजेश खन्ना हो या शाहरुख सलमान आमिर खान, कंगना रनौत, सोनाक्षी सिन्हा आदि कलाकार ही क्यों ना हो ‘आप की अदालत’ में करीबन हर क्षेत्र से जुड़े प्रसिद्ध हस्तियां शामिल हो चुकी है. और आपकी अदालत के रजत शर्मा के तीखे सवालों का सामना भी किया है . लेकिन एक ऐसी एक्ट्रेस है जिन्हें खुद रजत शर्मा अपने शो में आमंत्रित करना चाहते हैं लेकिन वह नाकामयाब रहे हैं और वह कोई और नहीं बल्कि प्रसिद्ध जानी-मानी अभिनेत्री रेखा है 70 साल की उम्र के बावजूद अपनी खूबसूरती और अदाओं को लेकर लाखों दिलों की धड़कन कहलाने वाली रेखा रजत शर्मा को देखकर नौ दो ग्यारह हो जाती है.

‘आप की अदालत’ के रजत शर्मा के अनुसार वह तहे दिल से चाहते थे एक बार आपकी अदालत में रेखा जी शामिल हो. रजत शर्मा के अनुसार, मैं इस जुगाड़ में लगा भी था कि किस तरह में रेखा जी को अपने शो में लेकर आऊं, गुलशन ग्रोवर मेरा बहुत अच्छा दोस्त है एक बार मैं उसको मिलने एक शूटिंग में गया था जहां पर रेखा भी शूटिंग कर रही थी मैंने सोचा कि अभी अच्छा मौका है मैं रेखा जी से शो में आने के लिए बात कर सकता हूं. लेकिन तभी उस फिल्म के डायरेक्टर ने आकर बताया की रेखा जी ने अपने आप को कमरे में बंद कर लिया है.

रेखा जी का कहना है कि वह आपकी अदालत वाला मुझे अपनी अदालत में ले जाएगा. मुझे उस वक्त लगा कि यह सब मजाक ही है लेकिन मैंने जब देखा कि रेखा जी सचमुच एक कमरे में बंद है तो मैं वहां से चला आया. उसके बाद एक बार मैं जीतू जी के साथ लिफ्ट के लिए खड़ा था हम दोनों साथ में कहीं जा रहे थे तभी लिफ्ट हमारे सामने रुकी और दरवाजा खुला तो लिफ्ट में रेखा की थी रेखा जी ने जैसे ही मुझे देखा वह देखते ही मुझे बोलने लगी ओ माय गॉड यह मुझे अदालत ले जाएगा और यह कहकर उन्होंने तुरंत लिफ्ट का दरवाजा बंद कर दिया और ऊपर के फ्लोर में चली गई. रेखा जी मेरे तीखे सवालों से बचना चाहती है , इस लिए वह मेरे सामने ही नहीं पड़ना चाहती. लेकिन मेरी कोशिश आज भी जारी है रेखा जी को अपने शो में लाने की. मुझे पूरी उम्मीद है मेरी कोशिश एक दिन जरूर कामयाब होगी.

‘केसरी चैप्टर 2’ में दमदार परफौर्मेंस के बाद 2025 में पूरे साल छाए रहेंगे Akshay Kumar, रिलीज होंगी सात फिल्में

Akshay Kumar : अक्षय कुमार की हाल ही में रिलीज हुई फिल्म केसरी चैप्टर 2 ने दर्शकों का दिल जीत लिया है. इस फिल्म की रिलीज के पहले ही दिन दर्शकों और आलोचकों से फिल्म को सिर्फ और सिर्फ तारीफ मिली है. खास तौर पर अक्षय कुमार के इस फिल्म में बेहतरीन अभिनय को सराहा गया. अक्षय कुमार का साथ दे रहे फिल्म में अनन्या पांडे और आर माधवन के सशक्त अभिनय की भी फिल्म क्रिटिक और दर्शकों द्वारा तारीफ हुई. ऐसे में कहना गलत ना होगा अक्षय कुमार की काफी सारी फ्लौप फिल्मों के बाद केसरी चैप्टर 2 हिट फिल्मों का खाता खोल सकती है.

फिल्म की कहानी जलियांवाला बाग के दर्दनाक हादसे पर केंद्रित है जिसकी सच्चाई को सामने लाने वाले भारत के ब्रिटिश सरकार के खिलाफ केस लड़ने वाले वकील सी शंकरन नायर की जीवनी पर केंद्रित है उन्होंने सच्चाई का साथ देकर पूरी ब्रिटिश सरकार को हिला के रख दिया था और जलियांवाला बाग में मरे लोगों को न्याय दिलाया था. अक्षय कुमार ने वकील सी शकरन नायर का किरदार बखूबी निभाया है. वैसे भी अक्षय कुमार उन फ्रीडम फाइटर की कहानी पर फिल्म बनाने और ऐसी महान हस्तियों का किरदार निभाने में माहिर हैं जिन्होंने देश के लिए बहुत कुछ किया है, देश के लिए कुर्बान हुए है लेकिन उनका नाम देश के इतिहास से गायब है.

किसी भी फिल्म की सफलता में डायरेक्टर का बहुत बड़ा योगदान रहता है. केसरी चैप्टर 2 को बेहतरीन बनाने में डायरेक्टर करण सिंह त्यागी के सटीक डायरेक्शन का बहुत बड़ा योगदान है. जिसके चलते फिल्म में सब कुछ परफेक्ट है एक्टिंग से लेकर ब्रिटिश जमाने की रहन-सहन , कोर्टरूम, फिल्म के छोटे-छोटे किरदारों को भी डायरेक्टर ने बखूबी दिखाया है. फिल्म की कहानी डायरेक्शन लोकेशन कलाकारों का अभिनय सब पूरी तरह से परफेक्ट है. क्योंकि स्वयं सच्ची घटना पर आधारित है इसलिए फिल्म में कुछ भी बाहर से नहीं डाला गया है. केसरी चैप्टर 2 से कुमार की हिट फिल्म का खाता खुल गया है . गौरतलब है इस फिल्म के बाद अक्षय कुमार की और भी कई बेहतरीन फिल्में एक के बाद एक रिलीज होने जा रही है.

जैसे हाउसफुल 5, हेरा फेरी 3, साउथ की पौराणिक फिल्म कन्नाप्पा जिसमें अक्षय कुमार अलग अवतार में नजर आएंगे. भागम भाग 2, वेलकम टू जंगल, आदि कई सारी फिल्में जिनकी रिलीज 2025 में होने वाली है , जो अक्षय कुमार के डूबे हुए करियर को संवारने में मील का पत्थर स्थापित हो सकती है.

80 साल की उम्र में Sharmila Tagore ने बिना कीमोथेरेपी किए फेफड़ों के कैंसर जैसी भयानक बीमारी को दी मात

Sharmila Tagore : अपने जमाने की प्रसिद्ध एक्ट्रेस शर्मिला टैगोर हमेशा से अपनी फिटनेस और खूबसूरती के लिए जानी जाती रही हैं. आज 80 साल की उम्र में भी शर्मिला टैगोर फिट एंड फाइन नजर आती हैं. हाल ही में शर्मिला टैगोर अपनी बहू करीना कपूर के साथ एक विज्ञापन में भी नजर आई थी. लेकिन यह बहुत कम लोग जानते हैं कि 2023 में शर्मिला टैगोर को फेफड़ों का कैंसर हो गया था. जिसका इलाज शर्मिला टैगोर ने बिना कीमोथेरेपी किए किया और इस दौरान उन्होंने अपने आप को शालीनता और संयम के साथ पेश करना जारी रखा.

खास बात यह है कि शर्मिला टैगोर को फेफड़े के कैंसर का पता शून्य चरण में ही लग गया था, जिस वजह से उनका इलाज करना आसान हो गया. कैंसर का जल्दी पता चलने की वजह से कीमो के बिना ही फेफड़ो से कैंसर को जड़ से निकालने में डौक्टरों को आसानी हो गई और उनकी रिकवरी भी जल्दी हो गई. शर्मिला की बेटी सोहा अली खान के अनुसार उनकी मां शर्मिला टैगोर ने 80 साल की उम्र में पूरी सावधानी के साथ कैंसर को मात देकर सोहा को एक नई दिशा दी है. जिसके अनुसार अगर बड़ी मुसीबत में भी हम संयम से काम ले तो मुश्किलों में भी रास्ता निकल आता है. जैसे कि उनकी मां शर्मिला टैगोर कैंसर जैसी बीमारी को मात देकर अब पूरी तरह स्वस्थ हैं.

Omelette Recipes : ब्रेकफास्ट में बनाएं 5 तरह के औमलेट, बढ़ जाएगा खाने का स्वाद

Omelette Recipes  : ब्रेकफास्ट में अकसर लोग लाइट और टेस्टी खाना पसंद करते हैं. कुछ लोग उबले अंडे खाना पसंद करते हैं. अगर आप अंडे का कुछ टेस्टी रैसिपी बनाना चाहते हैं, तो ब्रेकफास्ट में कई तरह के औमलेट ट्राई कर सकते हैं. ऐसे में, आज हम आप को 5 तरह के औमलेट की रैसिपीज बताएंगे, जिन्हें आप घर पर आसानी से ट्राई कर सकते हैं.

मशरूम औमलेट

मशरूम औमलेट
मशरूम औमलेट

सामग्री : 4 अंडे, 5 छोटे प्याज, 4-5 मशरूम, 2 बड़ा चम्मच मक्खन, नमक आवश्यकतानुसार, 1 छोटा चम्मच कालीमिर्च या आवश्यकतानुसार

बनाने की विधि : एक कटोरे में अंडे फेटें और उस में नमक, कालीमिर्च पाउडर और बारीक कटा हुआ प्याज डालें.

एक पैन में 1 चम्मच मक्खन गरम करें और उस में बारीक कटे हुए मशरूम डालें और भूनें.

मशरूम को सावधानी से पैन से निकालें और एक तरफ रख दें.

अब बचे हुए मक्खन को नौनस्टिक पैन में पिघलाएं और इसे मध्यम आंच पर रखें.

धीरेधीरे इस में फेंटा हुआ अंडे का मिश्रण डालें. इसे पैन के चारों तरफ से फैलाएं और ऊपर से तैयार मशरूम डालें.

जब औमलेट का एक तरफ से पक जाए, तो इसे चम्मच या चाकू की मदद से धीरेधीरे आधा मोड़ें. इसे आंच से उतारें और गरमगरम परोसें.

आप इसे धनियापत्ती से भी सजा सकते हैं.

टोमैटो औमलेट

टोमैटो औमलेट
टोमैटो औमलेट

सामग्री : 2 टमाटर, 1 बड़ा चम्मच रिफाइंड तेल, 1/2 चम्मच मिर्च पाउडर, 4 अंडे, नमक आवश्यकतानुसार, 1/2 चम्मच कालीमिर्च।

बनाने की विधि : इस स्वादिष्ट रैसिपी को बनाने के लिए टमाटर को ठंडे पानी से धो लें और बारीक काट लें.

2 अंडे फेंटें, इस के बाद मध्यम आंच पर एक नौनस्टिक पैन में थोड़ा तेल गरम करें. बारीक कटे टमाटर को भून लें.

एक बाउल में नमक, मिर्च पाउडर और कालीमिर्च के साथ अंडे को फेटें.

सुनहरा भूरा होने तक पकाएं. अब औमलेट को पलट दें. दोनों तरफ से पकाएं. आंच से उतार लें और गरमगरम परोसें.

मसाला औमलेट

सामग्री : 3 अंडे, 2 बारीक कटी हरीमिर्च, कटी शिमलामिर्च (हरीमिर्च), स्वादानुसार नमक, 1छोटा चम्मच हलदी, 2 बड़े चम्मच औलिव औयल, 4 बारीक कटे प्याज, 2 बड़े चम्मच दूध, 1 बारीक कटा टमाटर, 1 छोटा चम्मच कालीमिर्च, बारीक कटी धनियापत्ती।

बनाने की विधि : अंडे फेंटे, तेल को छोड़ कर बाकी सामग्री डालें और अच्छी तरह से फेटें. एक पैन गरम करें, इस में तेल डालें अब अंडे का मिश्रण डालें. अंडे के मिश्रण को पैन के चारों ओर घुमाएं.

धीमी मध्यम आंच पर तब तक पकाएं जब तक कि किनारे पक न जाएं और नीचे का भाग हलका भूरा न हो जाएं. फिर धीरे से पलटें और दूसरी तरफ से पकाएं.

ओट्स मसाला औमलेट

सामग्री : 1/4 कप ओट्स पाउडर, 3 अंडे, 1 टी स्पून कालीमिर्च, 1/2 टी स्पून चिली फ्लैक्स, 1 टी स्पून ओरिगैनो, स्वादानुसार नमक, हरीमिर्च बारीक कटी हुई, 1 टेबल स्पून हरा धनिया, बारीक कटा हुआ प्याज, बारीक कटा हुआ टमाटर, बारीक कटी शिमलामिर्च, आवश्यकतानुसार तेल।

बनाने की विधि : एक मिक्सी ग्राइंडर जार में ओट्स पीस कर पाउडर बना लें. एक बाउल में अंडों को तोड़ कर फेट लें. इस में ओट्स पाउडर डाल कर मिला लें.

अब इस में कालीमिर्च, चिली फ्लैक्स, ओरिगैनो, शिमलामिर्च, गाजर, प्याज, हरीमिर्च और हरा धनिया डाल कर मिक्स करें.

बैटर अगर गाढ़ा लगे तो आप उस में थोड़ा पानी मिला सकते हैं.

पैन गरम करें. उस में तेल डाल कर गरम करें. तैयार बैटर डालें और उसे बराबर फैलाएं और कुछ मिनट के लिए मीडियम आंच पर सिंकने दें.

दूसरी तरफ से भी सेंक लें और सर्विंग प्लेट में निकाल कर इस का मजा लें.

मैगी औमलेट

सामग्री : 1 कप मैगी, बारीक कटा प्याज, 2 कटी हरीमिर्च, 3 अंडे, धनियापत्ती, स्वादानुसार नमक, 1 चम्मच कालीमिर्च

बनाने की विधि : सब से पहले मैगी को एक बाउल में निकाल लें और प्याज, हरीमिर्च को धो कर बारीक काट लें. मैगी को पका लें. अब तवा पर गरम कर के तेल डालें. फिर अंडे के मिश्रण को तवे पर डाल कर फैलाएं. ऊपर से थोड़ा सा मैगी मसाला डालें. फिर एक तरफ बनी हुई मैगी डाल दें.

जब अंडा एक साइड से अच्छी तरह से पक जाए, तो इस में मैगी थोड़ीथोड़ी कर के सभी तरफ डाल दें. फिरा कालीमिर्च फैला दें.

अब औमलेट को फोल्ड कर लें और दोनों साइड से अच्छी तरह से सेंक लें.

Marriage Goals : सगाई होने के बावजूद फैमिली हमारी शादी नहीं कर रही, मैं क्या करूं?

Marriage Goals :  अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…

सवाल-

मैं एक लड़की से प्यार करता हूंहमारी सगाई हो चुकी है पर लड़की के घर वाले हमारी शादी नहीं करा रहेवे शादी की तारीख आगे बढ़ाते जा रहे हैंजबकि हम दोनों ही जल्दी से जल्दी शादी करना चाहते हैंकृपया बताएं कि क्या करें ताकि लड़की वाले हमारी शादी जल्दी कराने के लिए राजी हो जाएं?

जवाब-

लगता है, लड़की के घर वालों ने लड़की की जिद की वजह से बेमन से इस रिश्ते को स्वीकृति दी. इसीलिए वे शादी की बात को टाल रहे हैं. सही बात तो लड़की जान सकती है कि उस के घर वालों के दिमाग में क्या चल रहा है. क्यों वे इस तरह ढुलमुल रवैया अपना रहे हैं.

यदि लड़की इस रिश्ते से खुश है तो वह घर में बात कर सकती है. आप के घर वाले भी जल्दी शादी करने के लिए लड़की वालों पर दबाव डाल सकते हैं. हो सकता है कि वे शादी की तैयारी भी कर रहे हों, मगर बेहतर व्यवस्था के लिए तारीख आगे बढ़ाते जा रहे हों. बेहतर होगा कि एक बार पारिवारिक स्तर पर बात करा लें, ताकि स्थिति स्पष्ट हो जाए.

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शादी किस से करनी है यह जिंदगी के सब से अहम फैसलों में एक है. जब आप अपनी गर्लफ्रेंड या बॉयफ्रेंड के प्रति इतने सीरियस हो जाते हैं कि उन के साथ अपना भविष्य देखने लगते हैं, पूरी जिंदगी साथ बिताने के सपने देखते हैं तो समझिए कि समय आ गया है जब आप उन्हें शादी के लिए प्रपोज करें. मगर जरुरी है कि उन्हें प्रपोज़ करने से पहले आप अपने पेरेंट्स से इस बारे में विस्तार से बात करें. वैसे पैरंट्स के आगे इस तरह की बातें करना सब के लिए उतना सहज नहीं होता. खासकर बच्चे अक्सर अपने पिता से हर बात नहीं कर पाते.

ऐसे में पेरेंट्स तक अपने जीवन का यह खूबसूरत सीक्रेट शेयर करने और उन की अनुमति पाने के लिए कुछ इस तरह के कदम उठाएं ;

1. घर के सब से करीबी को बनाएं राजदार

जब आप को लगे कि अपना यह सीक्रेट घरवालों से शेयर करना है तो इस के लिए सब से पहले घर के उस सदस्य से बात करें जो आप के सब से करीब है.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

Leeza Mangaldas : सैक्स और रिलेशनशिप पर बात करना शर्मनाक नहीं

Leeza Mangaldas : जब सैक्स के बारे में बातें करना टैबू सम झा जाता था, उस समय लीजा मंगलदास ने सैक्सुअल डिजाइनर और और्गेज्म के बारे में अपने सोशल हैंडल पर बताना शुरू किया. उन के इसी बेधड़क और कौन्फिडैंट बिहेवियर के चलते डिजिटल कौंटैंट क्रिएटर ऐंपावरमैंट के लिए लीजा को इस मंच पर सराहा गया.

लीजा का उद्देश्य है कि सैक्स और रिलेशनशिप पर बात करने को शर्मनाक न समझा जाए. वे सैक्सुअल हैल्थ और खुशी को सामान्य विषयों की तरह देखने की वकालत करती हैं. भारत जैसे देश में जहां सैक्स पर चर्चा करना आज भी शर्म की बात मानी जाती है, लीजा जैसी सैक्स ऐजुकेटर्स समाज में पौजिटिव बदलाव लाने का प्रयास कर रही हैं.

Leeza Mangaldas अवार्ड लेते हुए
Leeza Mangaldas अवार्ड लेते हुए

सैक्स ऐजुकेशन

2011 में कोलंबिया विश्वविद्यालय में अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद, लीजा मीडिया और कौंटैंट क्रिएशन में अपना कैरियर बनाने के लिए मुंबई चली गईं. भारत में सैक्स को ले कर गलत जानकारी और मिथ्स को देखते हुए उन्होंने सैक्स ऐजुकेशन पर वीडियो बनाने शुरू किए. उन का कंटैंट, यूट्यूब और इंस्टाग्राम पर शेयर किया जाता है.

लीजा ने हार्पर कौलिन्स द्वारा प्रकाशित

‘द सैक्स बुक: ए जौयफुल जर्नी औफ सैल्फ डिस्कवरी’ लिख कर अपने काम को बढ़ावा दिया.

सैक्स टैबू को खत्म करती लीजा

गृहशोभा टीम के साथ बातचीत में उन्होंने बताया कि भारत में सैक्स को ले कर बहुत कम जानकारी है और इस की जानकारी देने वाले लोग भी केवल उंगलियों पर गिने जा सकते हैं. उन का मानना है कि ज्यादा से ज्यादा सैक्स ऐजुकेटर होंगे तो सोसायटी में लोगों का सैक्स के प्रति नजरिया बदलेगा. उन्हें इस बात से भी फर्क नहीं पड़ता कि कोई उन के कौंटैंट को कौपी करता है. फिलहाल उन का ऐम ज्यादा से ज्यादा लोगों को ऐजुकेट करना है.

लीजा आगे कहती हैं कि आज भी ऐसी कई लड़कियां हैं जो अपने इंटिमेट पार्टस के बारे में जानकारी नहीं रखतीं.

जब लीजा मंगलदास से पूछा गया कि इंडियन सोसायटी में सैक्स पर खुले तौर पर बात करना काफी मुश्किल भरा है, सोशल मीडिया पर कई बार ऐसे कौंटैंट और क्रिएटर को बैकलैश का भी सामना करना पड़ता है, वे इसे कैसे हैंडल करती हैं तो उन्होंने कहा कि वे इस बात से सहमत हैं कि ऐसे कौंटैंट को समाज का एक हिस्सा नापसंद करता है और इस के लिए उन्हें गालियां भी पड़ती हैं लेकिन साथ ही उन के कुछ ऐसे फौलोअर्स भी हैं जो अकसर उन की प्रेज करते हैं. कई लड़कियां उन्हें पर्सनली थैंक्स करती हैं जो लीजा को अपने काम के लिए मोटिवेट करता है.

घर से सपोर्ट हो तो क्या कुछ नहीं अचीव कर सकती महिलाएं

लीजा कहती हैं कि ट्रोलिंग हमारे घर से शुरू होती है. अगर कोई सैक्स पर बात करना चाहे तो सब से पहले उस के घर वाले आपत्ति करते हैं. मैं शुक्रगुजार हैं अपने पेरैंट्स का जिन्होंने हमेशा मुझे काम के लिए सपोर्ट किया. जब हमें घर से अच्छी सपोर्ट मिल जाती है तो बाहर के ट्रोल्स से बिलकुल फर्क नहीं पड़ता.

लीजा के काम को मिली पहचान

लीजा कौस्मो इंडिया ब्लौगर अवार्ड्स में सैक्सुअल हैल्थ इन्फ्लुएंसर औफ द ईयर, बैस्ट पौडकास्ट के लिए गोल्डन माइक अवार्ड और दोनों में जीक्यू के सब से प्रभावशाली युवा भारतीयों में से एक हैं. इस के अलावा लीजा ने ‘द सैक्स बुक: ए जौयफुल जर्नी औफ सैल्फ डिस्कवरी’ नाम से अपनी एक किताब भी लिखी है. वे ‘लव मैटर्स’ और ‘द सैक्स पौडकास्ट विद लीजा’ के नाम से हिंदी में पौडकास्ट भी चलाती हैं.

समाज में चल रही समान बराबरी की बात को मजबूत आधार देने में लीजा का काफी योगदान है.

Hindi Story Collection : रिश्तों की मर्यादा – क्या देख दंग रह गई थी माला

Hindi Story Collection : ढोलक पर बन्नाबन्नी गाते सब के बीच बैठी माला कोने में 20 वर्षीय भांजी रुचि की फुसफुसाहट सुनते ही तिलमिला उठी. वह तुरंत उठी और दुकान से सटे कमरे में जा कर देखा तो उस की 8 वर्षीय बेटी परी जेठानी के पिता की गोदी में बैठी थी और जिस तरह से कहानी सुनाते उन के हाथ उस मासूम के कोमल अंगों को छू रहे थे, माला की आंखों में खून उतर आया. उस की पिता की उम्र के उस व्यक्ति की नापाक हरकत कतई माफी योग्य नहीं थी. उस का जी चाहा कि बेटी के साथ ऐसा घिनौना खिलवाड़ करने वाले का मुंह नोच ले, पर समझदार माला शादी जैसे मौके पर रंग में भंग नहीं डालना चाहती थी.

वैसे भी मिनी उस की प्रिय भतीजी थी और उसी की शादी अटेंड करने वह इंदौर से इटावा अपने पति और बेटी के साथ आई थी. इसलिए जैसेतैसे अपनेआप को नियंत्रित कर उस ने तेज आवाज में बेटी को आवाज दी, “चलो, परी खेल हो चुका. अब आओ, हाथमुंह धुला कर तुम्हें तैयार कर दूं.”

मां की आवाज सुनते ही परी भाग कर आई और उस के पैरों से लिपट गई. तभी जेठानी के पिता की आंखें माला से जा मिलीं. उस की आंखों में घृणा मिश्रित क्रोध देख वे थोड़ा सकपकाते हुए बोले, “बच्चों ने जिद की तो उन्हें कहानी सुना रहा था.”

‘छि: कैसा बेशर्म इनसान है. रंगेहाथों पकड़े जाने पर भी वह बातें बना रहा है,’ माला उस के दुस्साहस पर हैरान थी. इस तरह अपनों की भीड़ में कोई व्यक्ति वो भी पिता जैसे सम्मानित ओहदे वाला ऐसी नीच हरकत करेगा, उस ने सपने में भी नहीं सोचा था.

रिश्तों की मर्यादा भंग होती देख मन का आक्रोश आंखों के रास्ते उमड़तेघुमड़ते बहने लगा. उफ्फ क्या करूं, क्या कवीश को बताना ठीक रहेगा. लेकिन, अगर उन्हें गुस्सा आ गया तो माहौल बिगड़ते समय न लगेगा. ठीक है, देखती हूं अगर उन्होंने फिर ऐसी हरकत दोहराई तो उन की उम्र और ओहदे का खयाल न रखूंगी… सोचते हुए माला ने जैसे मन ही मन कुछ ठान लिया.

वाशरूम में उस ने परी के हाथमुंह धुलाते समय उसे नाना से दूर रहने को कहा.

“पर क्यों मम्मी, नाना तो हमें प्यार करते हैं, चौकलेट भी देते हैं.”

“पर, उन्हें आप को यहांवहां छूना नहीं चाहिए. ये गलत होता है,” कहते हुए माला ने उसे अच्छेबुरे टच के बारे में समझाया.

“हां मम्मी, उन का छूना तो मुझे भी अच्छा नहीं लग रहा था. मैं उन की गोद में बैठना भी नहीं चाहती थी, लेकिन उन्होंने कहा कि कहानी सुनने के लिए तो सब को बारीबारी से उन की गोद में बैठना होगा.

“पर, अब मैं नाना से चौकलेट भी नहीं लूंगी और कहानी भी नहीं सुनूंगी, फिर आप सुनाओगी न मुझे कोई अच्छी सी कहानी,” नन्ही परी मचल उठी.

“हां, मैं अपनी परी को एक सुंदर सी कहानी सुनाऊंगी, पर रात को सोते समय.

“लेकिन, अब हमेशा ध्यान रखना है कि आप को रुचि दीदी के साथ ही रहना है. ठीक है?”

“ओके…” अपनी छोटीछोटी बांहें उस के गले में डाल परी झूल गई.

12 साल पहले 5 भाईबहनों वाले उस हवेलीनुमा घर में माला सब से छोटी बहू बन कर आई थी. सासससुर थे नहीं, इसलिए अपने से काफी बड़े जेठजेठानी को ही वह सासससुर सा सम्मान देती थी. उस से बड़ी 3 ननदें भी उस पर बहुत स्नेह लुटाया करती थीं.

माला को याद आया, जब वह नीता दीदी के पिता से पहली बार मिलने पर उन के पैर छूने झुकी थी, तो उन्होंने ये कहते हुए उसे पैर नहीं छूने दिया था कि “कहीं बिटियन से पांव छुआए जात हैं. अरे बिटिया तो देवी का अवतार होती हैं. उन के तो पांव पूजे जात हैं…” और आज एक बिटिया के अंदर उन्हें देवी के बजाय उस की देह का दर्शन हो रहा है.
कैसी दोगुली मानसिकता, कैसा पाखंड… माला विचारों के भंवर में गोते लगा ही रही थी कि बाहर से आती भतीजे की आवाज ने उसे चौंका दिया, “चाची क्या कर रही हो, चाचा कब से आवाज दिए जा रहे हैं.”

“आईईई…” परी के कपड़े बदल चुकी माला ने जवाब दिया और परी को दुलारते हुए बाहर भेजा और खुद भी जल्दीजल्दी तैयार होने लगी.

आज लेडीज संगीत था, जिस में उस की और कवीश की भी परफोर्मेंस थी. प्योर जोर्जेट की रेड कलर की बौर्डर वाली साड़ी में माला बेहद खूबसूरत लग रही थी. शादी के लिए बुक किया गया गार्डन घर से 5 मिनट के फासले पर था. वहीं संगीत का प्रोग्राम होना था. काफी बड़े स्टेज की सजावट देखते ही बनती थी. पीच कलर का गाउन पहने मिनी भी बिलकुल गुड़िया सी लग रही थी.
सब से पहले दुलहन की सहेलियों का डांस हुआ, फिर मिनी ने भी उन को ज्वाइन कर लिया.

“मम्मा, मम्मा, मुझे भी डांस करना है.”

काफी देर से परी जिद कर रही थी. फिर तो वह भी कमर पर दोनों हाथ रखे ठुमकठुमक कर सब के बीच खूब नाची. फिर बारी आई माला और कवीश की. पुराने गीतों की पैरोडी पर उन दोनों ने इतना मस्ती भरा डांस किया कि सभी मंत्रमुग्ध हो उन्हें देखते रह गए. फिर तो क्या बच्चे क्या बड़े सभी एकएक कर डांस की मस्ती में डूबते चले गए.
माला भी प्रोग्राम ऐंजौय कर रही थी, पर उस की पैनी नजरें अपनी बच्ची की सुरक्षा के लिए पूरी तरह मुस्तैद थीं. उस की नजर बराबर दीदी के पिताजी पर थी. परी को खाना खिलाने के दौरान उस का ध्यान थोड़ा भटका तो वे गायब थे. “दीदी, क्या बात है, पिताजी नजर नहीं आ रहे?”

“अरे, उन से ज्यादा देर बैठा नहीं जाता. कहने लगे कि तुम बच्चों का प्रोग्राम है, तुम लोग मस्ती करो. मुझ से अब बैठा नहीं जाएगा. सो, खाना खा कर घर निकल गए.”

“दीदी, मेरी तबियत भी कुछ ढीली लग रही है, शायद थकान का असर है. घर जा कर आराम करती हूं. परी को ले जा रही हूं. कवीश पूछे तो बता देना.”

“अरे, पर तू ने तो अभी कुछ खाया भी नहीं है.”

“अभी भूख नहीं है. अगर लगी तो किसी के हाथों घर पर ही मंगवा लूंगी. आप चिंता न करो,” कहते हुए माला ने परी का हाथ पकड़ा और लंबे डग भरती हुई घर की तरफ चल दी. वह बेहद परेशान थी, क्योंकि बात यहां सिर्फ उस की बच्ची के प्रति हुए अन्याय की नहीं थी, बल्कि ये एक अनाचार और व्यभिचार था, जिसे करने वाला बेहद करीबी रिश्ते में बंधा एक धूर्त व्यक्ति था. सभ्य समाज का दुश्मन ऐसा व्यक्ति कभी भी किसी भी निरीह को अपनी कुचेष्टाओं का शिकार बना सकता है. तो क्या मासूमों के दोषी को यों ही छोड़ देना सही है, क्या रिश्ते की आड़ में उस की धृष्टता क्षमा करने योग्य है? ऐसे अनेक प्रश्न उस के मन को मथ रहे थे.
उस की आंखों के आगे जेठानी नीता की तसवीर तैर गई. कितनी अच्छी हैं दीदी, अपने पिता की सचाई जान कर उन्हें कितनी तकलीफ होगी? फिलहाल वह समझ नहीं पा रही थी कि उसे क्या करना चाहिए. जानबूझ कर माला घर के सामने वाले गेट से न जा कर आंगन में बने पीछे वाले दरवाजे से अंदर घुसी. वहां नाइन और कामवाली अगले दिन की पूजा के लिए मंडप के नीचे कुछ तैयारी कर रही थीं. परी को उस ने हाल में ले जा कर चुपचाप बैठने को कहा.

आंगन से लगे लंबे गलियारे को पार करती हुई वह दुकान के पास वाले कमरे तक जा पहुंची, तभी उस के कानों में बच्चों के खिलखिलाने की आवाज पड़ी, “नानाजी, अब हमारी बारी है.”

“सब की बारी आएगी, तनिक धीरज रखो… नाना के हाथों की जादू वाली मालिश,” खरखराती आवाज में भद्दी सी हंसी सुन वह खड़ी न रह सकी. उटका हुआ दरवाजा हाथ से ठेलते ही खुल गया.
अंदर का नजारा देख उसे एक बार फिर अपनी आंखों पर विश्वास न हुआ. आसपड़ोस के बच्चे नाना कहे जाने वाले शख्स को घेरे बैठे थे और अपनी गोदी में 5-6 साल की बच्ची को उलटा लिटाए वो उस की मालिश करने की भावभंगिमा कर रहा था. लपक कर माला ने बच्ची को उस की गोद से लगभग छीना और सभी को प्यार से अपनेअपने घर जाने को कहा.

“तुम बहुत जल्दी आ गई बिटिया,” उस के चेहरे पर अभी भी कुटिल मुसकान तैर रही थी.

“आप को शर्म नहीं आती ये नीच हरकत करते हुए. कहने को आप पितातुल्य हैं, पर आप को पिता कहना उस पवित्र शब्द का अपमान होगा. उम्र में आप की पोतियों से भी छोटी हैं ये बच्चियां. सच बताएं, आप का विवेक मर चुका है क्या, जो इन के साथ इतनी घिनौनी हरकत करते वक्त आप के हाथ नही कांपे,” अत्यंत क्षोभ व गुस्से से वह फट पड़ी.

“तुम क्या कह रही हो, मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा. मुझ पर झूठा इलजाम लगाते तुम्हें शर्म आनी चाहिए.”

अचानक ही उस की बोली और सुर बदल चुका था. बेशर्मी की ये पराकाष्ठा देख माला दंग थी.

“सच में आप जैसे इनसान को चुल्लूभर पानी में डूब मरना चाहिए. जिस तरह की जलील हरकत आप ने की है, कायदे से आप को पुलिस में दे देना चाहिए, परंतु मैं सिर्फ समझाइश दे कर छोड़ रही हूं. वक्त रहते सुधर जाइए, नहीं तो दीदी और दूसरे लोगों को पता चला तो आप कहीं के नहीं रहेंगे,” आवेश में ऊंची होती उस की आवाज आंगन में काम कर रहे लोगों तक जा पहुंची.

“पागल हो क्या, बित्तेभर की छोकरी मुझे सबक सिखाने चली है, जानती नहीं कि कौन हूं मैं? तुझे तो…” तैश में उस ने माला पर अपना हाथ छोड़ दिया. पर उस उठे हाथ को किसी ने हवा में ही रोक लिया.

“खबरदार, जो माला पर हाथ उठाया. और सही कहा आप ने, वो मासूम आप को जानेगी भी कैसे? पर, मैं आप की भलेमानस वाली छवि के पीछे की घिनौनी हकीकत से भलीभांति वाकिफ हूं. आप इस संसार के सब से निकृष्ट व्यक्ति हैं, जिन्होंने अपनी घृणित वासना की पूर्ति के लिए अपनी बच्ची तक को न छोड़ा. सच में आप को पिता कहते मुझे लज्जा आती है,” गुस्से में नीता का चेहरा तमतमा रहा था.

“ये क्या कह रही हो दीदी, एक बाप अपनी बेटी के साथ ऐसा कैसे…”

“बाप… इस की दरिंदगी देख प्रकृति ने इसे बाप बनने का अवसर ही कहां दिया?

“एक अदद बच्चे की आस में इस की सहृदय पत्नी तमाम कोशिशें कर के हार गई. सब तरफ से निराश हो कर उस की जिद पर मुझे एक अनाथालय से गोद लिया गया था. लेकिन बेटी हो कर भी मैं इस की बेटी कभी न बन सकी.

“एक दिन इसे मेरे साथ गलत हरकत करते देख मां का दिल भारी पीड़ा से भर उठा. उस दिन मुझे अपने सीने से चिपटाए वे देर तक रोती रहीं. 2 दिन बाद ही उन्होंने अपने भाई को बुला कर मुझे उन के हाथों सौंप दिया. उन 2 दिनों में वे साए की तरह मेरे साथ रहीं. और मेरे जाने के महीनेभर बाद ही ये खबर आ गई कि घर के अहाते में बने कुएं में कूद कर उन्होंने आत्महत्या कर ली. शायद इन का ये भयावह रूप उन की बरदाश्त से बाहर हो चुका था…” कहते हुए नीता फफक पड़ी.

“काश, उस वक्त मैं अपनी मां के साथ मजबूती से खड़ी हो पाती और इसे इस के किए का दंड दिला पाती, तो आज मेरी मां जिंदा होती. मैं ने तो सदा ही इस से एक निश्चित दूरी बना रखी थी.

“मिनी की शादी में भी न बुलाती, पर तुम्हारे भैया ने कहा तो उन्हें कैसे मना करती. अपना हर जख्म उन से साझा करना पड़ता. फिर मुझे भी लगा कि उम्र के इस पड़ाव पर जीवन की काफी ठोकरें खाने के बाद शायद इन्हें कुछ समझ आ गई हो, पर नहीं, कुछ लोगों की फितरत कभी नहीं बदलती. सोचती हूं कि इन्हें न बुलाना ही सही होता. वो तो अच्छा हुआ, तुम्हारी बातों से मुझे कुछ संदेह हुआ और मैं तुम्हारे पीछे चल पड़ी. पर अब क्या करूं? इन की हैवानियत ने मुझे कहीं का नहीं छोड़ा, क्या बताऊंगी तुम्हारे भैया को. जी तो कर रहा है कि अपनेआप को ही खत्म कर लूं. मैं नहीं रहूंगी, तो इस घर से इन का रिश्ता भी हमेशा के लिए खत्म हो जाएगा.”

“गलती से भी ऐसा कभी मत सोचना. भुगतना तो उसे पड़ेगा, जिस ने ये जलील काम किया है. इन्हें इन के गुनाहों की सजा मिल कर रहेगी, ताकि ऐसी घिनौनी हरकत करने से पहले कोई सौ बार सोचे.”

दरवाजे पर नीता के पति खड़े थे.

“तुम यहां…?”

“हां, रुचि ने तुम दोनों को एक के बाद एक जाते देखा तो उस ने आज सुबह की घटना मुझे कह सुनाई और मैं सीधा यहां चला आया. तुम्हारी पूरी बात सुनते ही मैं ने कवीश को पुलिस को फोन करने को कहा है, पुलिस आती ही होगी,” कहते हुए नीता के कंधे को उन्होंने हौले से थपथपाया मानो उस के साथ खड़े रहने का भरोसा दे रहे हों.

“तुम अपने बाप को जेल भिजवाओगी?” इनसानी चोले के पीछे छिपे हैवान की आंखों में गहरा अविश्वास था.

“नहीं, मैं उस अनाचारी को जेल भेजूंगी, जिस ने रिश्तों की सभी मर्यादाओं को लांघ जाने का दुस्साहस किया है,” तल्ख स्वर में जवाब दे कर नीता ने घृणा से मुंह फेर लिया और भारी कदमों से अपने कमरे की ओर चल दी.

“मुझे माफ कर दो दीदी, तुम्हारे आंसुओं की जिम्मेदार हूं मैं. ऐसे मौके पर ये सब नहीं चाहती थी, पर…”

“कैसी बातें करती हो माला, तुम्हारी वजह से आज एक अपराधी अपनी सही जगह पहुंच जाएगा. शुक्रगुजार हूं तुम्हारी, आज तुम्हारे कारण ही मैं इतनी हिम्मत जुटा पाई और एक सही फैसला लिया है,” नीता उस की बात को काटते हुए बोली.

“सच में दीदी, गर्व है मुझे आप पर,” कहते हुए माला नीता के गले लग गई.

पुलिस की गाड़ी का सायरन धीरेधीरे पास हो कर तेज ध्वनि में तबदील हो रहा था.

Interesting Hindi Stories : कैसी हो गुंजन

Interesting Hindi Stories : ‘गुंजन, एक गुजारिश है तुम से. जिस तरह तुम ने अपना पुराना सिम बदल लिया है, उसी तरह यह अपना दूसरा सिम भी बदल लो, क्योंकि मैं तुम्हें फोन किए बिना नहीं रह पाता. जब मुझे तुम्हारा नंबर ही पता न होगा, तो मैं कम से कम तुम्हें भूलने की कोशिश तो कर पाऊंगा.

‘मैं तुम्हें फोन कर के परेशान नहीं करूंगा. यह सोच कर मैं हर दिन कसम खाता हूं, लेकिन फिर मजबूर हो कर अपनी ही कसम तोड़ कर तुम्हें फोन करने लगता हूं.

‘गुंजन प्लीज, अपना सिम बदल डालो, वरना मैं तुम्हें कभी भी भूल नहीं पाऊंगा.’

मैं उस दिन बस इतना ही लिख पाया था. इस के आगे कुछ लिखने की जैसे मेरी हिम्मत ही टूट गई थी. शायद गुंजन मेरी सोच में इस तरह शामिल थी कि मैं उसे भूल नहीं पा रहा था.

दूसरी तरफ गुंजन थी, जो आज पूरे 2 महीने हो गए थे, न तो उस ने मुझे फोन किया था और न ही उस ने मेरा फोन उठाया था. वह जनवरी, 2015 की एक शाम थी, जब मुझे रास्ते में पड़ा हुआ एक मोबाइल फोन मिला था. मैं ने जब फोन उठा कर देखा तो वह पूरी तरह से चालू था. बस, उस में पैसे नहीं थे.

फोन किस का है? यह सवाल जरूर मेरे जेहन में आया था, लेकिन इस का जवाब भी मुझे अपने अंदर से ही मिल गया था. मेरा मन कहता था कि जिस का भी फोन होगा, वह खुद ही फोन कर के बताएगा और फिर मैं उसे पहुंचा दूंगा.

अभी सिर्फ 2 दिन ही हुए थे कि तीसरे दिन उस मोबाइल पर मैसेज आया, तो मुझे इस बात का अंदाजा लग गया था कि शायद वह फोन कालेज में पढ़ने वाले किसी लड़के का था, जिसे मैसेज करने वाली लड़की उस की रिश्ते में बहन थी.

मैसेज पढ़ कर पहले तो मेरा मन हुआ कि मैं भी एक मैसेज करूं, लेकिन चूंकि उस में पैसे नहीं थे, इसलिए मैं इस बात को टाल गया. 1-2 दिन बाद एक दिन जब मैं ने उस फोन को रीचार्ज कराया, तो मैं ने उस लड़की को मैसेज के जरीए बता दिया कि वह फोन मुझे पड़ा मिला है और अभी तक किसी ने फोन कर के इस फोन के बारे में पूछा भी नहीं है.

मेरे मैसेज करने के चंद मिनटों बाद ही उधर से फोन आ गया. उधर से आवाज आई, ‘आप कौन बोल रहे हैं? क्या आप बताएंगे कि यह मोबाइल फोन आप को कब, कहां और कैसे मिला?’

मैं ने बिना किसी लागलपेट के साफसाफ सबकुछ बता दिया, ‘‘मैडम, यह फोन एक शाम को मुझे रास्ते में पड़ा मिला था. मैं फतेहपुर से बोल रहा हूं. वहीं बसअड्डे के पास मुझे यह शाम के 6 बजे के आसपास मिला था.’’

‘तो जब आप को यह फोन पड़ा मिला, तो क्या आप ने इस के मालिक को खोजने की तकलीफ उठाई?’

उस के सीधे से सवाल का मैं ने भी सीधा सा जवाब दिया था, ‘‘नहीं मैडम, मैं ने सोचा कि जिस का फोन होगा, वह खुद ही फोन कर के पता करेगा.’’

इस बार मेरे जवाब के बाद उस ने बस यही कहा था, ‘अच्छा, कोई बात नहीं,’ और तुरंत फोन रख दिया था.

उस के फोन रखने के बाद मैं भी इस बात को यहीं भूल गया था और अपनी पढ़ाई में मशगूल हो गया था. मैं यहीं फतेहपुर शहर में रह कर पढ़ाई करता था और विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाएं देता था. इस वजह से मैं अपनेआप में ही मस्त रहने वाला जीव था. लेकिन यह मेरी भूल थी, क्योंकि उस फोन वाली लड़की ने मेरा सबकुछ बदल डाला था. मोबाइल फोन की खोजबीन से चालू हुआ यह सिलसिला आगे बढ़ गया था.

उस लड़की का नाम गुंजन था, जो हमारे पड़ोसी जिले बांदा की रहने वाली थी. डबल एमए करने के बाद उस का 3 साल पहले विशिष्ट बीटीसी में चयन हो चुका था. वह इस समय अपने गांव के ही पास प्राइमरी स्कूल में पढ़ाती थी.

वह स्वरोजगार थी और मैं बेरोजगार. सो, मैं हीनभावना से घिरा हुआ था, लेकिन उस के प्यार ने मुझ में आत्मविश्वास पैदा कर दिया था. वह मुझे हमेशा पढ़ाई करते रहने की सलाह देती थी. अकसर बातों ही बातों में हम एकदूसरे को प्यारभरी बातों में सराबोर करने लगे थे. लेकिन फिर भी हम ने अभी तक एकदूसरे को देखा न था, इसलिए एक दिन जब मैं ने कहा कि गुंजन, मैं तुम्हें जीभर कर देखना चाहता हूं, तो उस ने भी कहा था कि किशन, मैं भी तुम्हें न केवल देखना चाहती हूं, बल्कि इस प्यार को रिश्ते में बदलना चाहती हूं.

‘‘मतलब?’’ मैं ने चौंक कर पूछा, तो उस ने बताया, ‘किशन, मैं तुम्हें बेहद प्यार करती हूं. मैं ने तुम्हें देखा जरूर नहीं है, लेकिन मेरे लिए इस की ज्यादा अहमियत नहीं है. फिर भी मैं केवल इसलिए तुम्हारे पास आना चाहती हूं कि मैं तुम्हारी गोद में सोना चाहती हूं. जिस प्यार को मैं ने आज तक सिर्फ फोन से महसूस किया है, उसे अब मैं जी भर कर जीना चाहती हूं.

‘साफसाफ शब्दों में कहूं, तो मैं अब तुम्हारी होना चाहती हूं जानू.’ तब मैं संभल कर बोला था, ‘‘हांहां रानी, मैं भी तो ऐसा ही चाहता हूं.’’

मैं ने इस जवाब के अलावा और कुछ भी नहीं कहा था. आप को बताना चाहता हूं कि जब गुंजन बेहद रोमांटिक मूड में होती थी, तो वह मुझे ‘जानू’ बोलती थी और उस वक्त मैं उसे ‘रानी’ कहता था.

हम दोनों ने महसूस किया कि हमारा शरीर फोन में बात करतेकरते इतना प्यार में पिघल जाता था कि फिर हमें कईकई घंटे उस प्यार की गरमाहट महसूस होती रहती थी. उस वक्त हम दोनों बस यही सोचा करते थे कि काश, वह पल आ जाए, जब हम आमनेसामने हों और हमारे अलावा कोई भी न हो.

मैं अकसर उसे छुट्टियों में अपने पास बुलाने की जिद करता था, तो वह कहती थी कि वह छुट्टियों में कतई मेरे पास नहीं आएगी, क्योंकि जब स्कूल खुला हो, तभी वह घर से बाहर निकल सकती है, क्योंकि तब घर वाले किसी तरह का सवाल नहीं करते.

हम दोनों रात में जी भर कर बात जरूर करते थे, लेकिन फिर भी कभी मन नहीं भरता था. वैसे, हमारे बीच एक और भी खेल होता था. वह यह कि प्यार के पलों में जो शब्द मुंह से अकसर निकल जाते हैं, अब हम फोन पर जी भर कर एकदूसरे से कहते और सुनते थे.

यह भी सच है कि मैं अकसर गुंजन से मिलने की जिद करता था, लेकिन वह तब यही कहती थी, ‘जानू, धीरज रखो. जिस दिन आऊंगी. सारी रात के लिए आऊंगी और अपनी 26 साल की प्यास बुझाऊंगी, फिर जितना चाहे प्यार कर लेना, बिलकुल मना नहीं करूंगी.’

और फिर एक दिन सचमुच उस ने ऐसा ही किया. उस ने मुझे फोन कर के बताया कि वह शाम तक मेरे पास आ जाएगी, तो मैं सातवें आसमान में उड़ने लगा था. गुंजन को लेने मैं बसअड्डे पर एक घंटा पहले ही पहुंच गया था और पहली बार उसे देखने के लालच में बेहद खुश था. लेकिन यह क्या. जब वह बस से उतरी, तो मैं डर गया और एक पल को उस से न मिलने का मन हुआ, लेकिन तभी उस का फोन आ गया.

आप सोचते होंगे कि मैं डर क्यों गया था? तो बात यह थी कि वह इतनी खूबसूरत थी कि मुझे लगा कि वह मेरी कैसे बन सकती है, क्योंकि मेरी शक्ल तो बेहद सामान्य सी थी.

लेकिन यह मेरा केवल भरम था. जब मैं ने उस का फोन उठाया, तो वह हड़बड़ाई सी बोली, ‘किशन, तुम कहां हो? जल्दी आ जाओ. मैं तुम्हारे पास आना चाहती हूं.’ और फिर मैं उस के सामने जा पहुंचा. मैं ने उसे तुरंत ही अपनी मोटरसाइकिल पर बिठा लिया और बिना बोले चल दिया.

कमरा खोल कर मैं ने उस से बैठने को कहा था, लेकिन मैं बेहद बेचैन था. पहली बात तो वह एक लड़की थी, जो मेरे कमरे में आज पहली बार आई थी. दूसरी बात यह कि अगर किसी को कुछ पता चल जाए, तो बदनामी होने का भी बेहद डर था.

लेकिन वह सिर्फ पानी के गिलास में अपने होंठ डुबा कर बूंदबूंद पानी पी रही थी, बिना किसी खास हरकत के. काफी देर बाद मैं ने उस से कहा, ‘‘चाय पीओगी?’’

‘‘इतनी शाम को?’’

‘‘क्यों, अभी तो 8 ही बजे हैं?’’ मैं ने जब सवाल किया, तो उस ने भी बताया, ‘‘8 तो बजे हैं, लेकिन सर्दियों के 8 चाय पीने को नहीं खाना खाने को कहते हैं, लेकिन मुझे खाना नहीं खाना. बस, तुम से एक बात कहनी है.’’

‘‘क्या?’’ मैं ने लापरवाही से पूछा, तो उस ने कहा, ‘‘क्या तुम 20 मिनट के लिए मुझे अकेला छोड़ सकते हो?’’

‘‘ठीक है, मैं जा रहा हूं,’’ उस के सवाल के जवाब में मैं ने बस इतना ही कहा था.

20 मिनट बाद दरवाजा खोल कर उस ने खुद ही मुझे अंदर आने के लिए कहा, तो मैं धीरेधीरे अंदर आ गया. अंदर पहुंच कर मैं ने जो देखा, बस देखता ही रह गया. साड़ी पहन कर गुंजन दुलहन का पूरा शृंगार किए घूंघट में खड़ी थी. मुझ से जब रहा न गया, तो मैं ने घूंघट उठा कर देखा. वह बिलकुल सुहागरात में सजी दुलहन लग रही थी.

मुझे देख कर वह नजरें नीची कर के बोली, ‘‘किशन, मैं तुम्हारी दुलहन बनना चाहती हूं. क्या तुम मेरी मांग में यह सिंदूर सजाओगे?’’ इतना कह कर उस ने सिंदूर की डब्बी मेरी तरफ बढ़ाई.

मैं ने तुरंत उस के हाथ से वह डब्बी ले ली और सिंदूर निकाल कर कहा, ‘‘मैं तुम्हें अपनी दुलहन स्वीकार करता हूं,’’ और फिर इतना कह कर मैं ने उस की मांग सजा दी.

फिर हम ने पूरी रात सुहागरात मनाई थी. उस के गदराए बदन को मैं ने जी भर कर भोगा था. उस के सीने की गोलाइयां, उस के होंठ, उस का सारा बदन मैं ने चुंबनों से गीला कर दिया था. वह मुझ से इस तरह लिपट जाती थी, जैसे कोई तड़पती हुई मछली पानी की धार से लिपटती है. हम ने उस रात शायद अपनी पूरी जिंदगी जी ली थी. लेकिन चूंकि हमें सुबह 5 बजे निकलना भी था, इसलिए मन को मार कर पहले तैयार हुए, फिर कमरे से निकल गए. मैं उसे उस के गांव तक छोड़ने जाना चाहता था, लेकिन उस की जिद के आगे मैं हार गया और उसे उस के गांव से कुछ किलोमीटर पहले ही छोड़ कर वापस आ गया.

तब से ले कर आज तक मैं उस से बात करने को तरसता हूं. मैं जब भी फोन लगाता हूं, मुझे कोई जवाब नहीं मिलता. मैं ने तमाम मैसेज कर डाले, लेकिन वह नहीं पसीजी.

मैं आज भी गुंजन की याद में तड़पता रहता हूं. उसे अपनी तड़प, अपनी बेताबी मैं किसी भी कीमत पर बताना चाहता हूं. यही वजह है कि आज मैं ने ये सारी बातें आप को भी बताई हैं, ताकि अगर गुंजन इसे पढ़ लेगी तो शायद मुझ पर तरस खा कर मेरे ख्वाबों की दुनिया में फिर से मेरी दुलहन बन कर आ जाएगी.

मेरी उस चिट्ठी का अगला हिस्सा कुछ यों था:

‘गुंजन, तुम कैसी हो. बस, मैं यही पूछना चाहता हूं. अपनी तड़प, अपनी तकलीफ तुम से नहीं कहूंगा. बस, मुझे तुम कैसी हो, कहां हो, यही जानना है. और अगर कुछ और जानना है, तो वह बस यह कि गुंजन क्या सच में अब तुम मुझे प्यार नहीं करती? लेकिन याद रखना. अगर उस का जवाब ‘न’ हो, तो भी मुझे न बताना, क्योंकि मैं तब जिंदा नहीं रह पाऊंगा. मैं तो बस यों ही तुम्हारी यादों में जीना चाहता हूं.

‘आई लव यू गुंजन, अपना खयाल रखना.

‘तुम्हारा, किशन.’

लेखक- केपी सिंह ‘किर्तीखेड़ा’

Hindi Fiction Stories : वशीकरण मंत्र – क्या हुआ था रवि के साथ

Hindi Fiction Stories :  रवि अपने दोस्त दिनेश के साथ पठान बस्ती की 2-3 गलियों को पार कर जब बंद गली के दाईं ओर के छोटे से मकान के सामने पहुंचा, तो वह उदास लहजे में बोला, ‘‘भाई, ऐसा लगता है, जैसे सालों से यह मकान खाली पड़ा है.’’

‘‘अरे, यह भी तो सोचो कि इस का किराया महज एक हजार रुपए महीना है. शहर की अच्छी कालोनियों में 3 हजार रुपए से कम में तो आजकल कमरा नहीं मिलेगा. यहां तो साथ में रसोई भी है.’’

‘‘हां, यह बात तो ठीक है. अभी यहीं रह लेते हैं, बाद में देख लेंगे.’’

दूसरे दिन शाम को थोड़ा सा सामान एक रिकशे पर लाद कर रवि वहां आ पहुंचा. ताला खोल कर कमरे में आया. उदास मन से फोल्डिंग चारपाई बिछा कर कमरे और रसोईघर में झाड़ू लगाई.

कुछ देर बाद रवि दरवाजे को ताला लगा कर गली के नुक्कड़ वाली चाय की दुकान की ओर जाने ही लगा था कि उस की नजर सामने वाले दोमंजिला मकान के बाहर टंगे बोर्ड की ओर उठी, जिस पर लिखा था : पंडित अवधकिशोर शास्त्री : 5 पुश्तों से ज्योतिष शास्त्र विशेषज्ञ : तंत्रमंत्र साधना द्वारा वशीकरण करवाना : रोग निवारण : बंधे कारोबार में उन्नति : प्रेम विवाह करवाने के लिए शीघ्र मिलें. फोन नं…

रवि ने अपने कदम आगे बढ़ाए ही थे कि तभी सामने वाला दरवाजा खुला. 24-25 साल की सांवले रंग की एक औरत ने बाहर झांका, तो रवि के मुरझाए चेहरे पर मुसकान उभर आई. वह बोला, ‘‘नमस्ते, मैं ने यह सामने वाला कमरा किराए पर लिया है.’’

‘‘नमस्ते,’’ वह औरत थोड़ा शरमाते हुए मुसकराई.

‘‘यह बोर्ड… यह नाम मैं ने कहीं और भी पढ़ा है,’’ रवि ने उस औरत के चेहरे पर नजरें टिकाते हुए पूछा.

‘‘जरूर पढ़ा होगा. मेरे पति का दफ्तर बसअड्डे के सामने है… ज्यादातर लोग उन से वहीं मिलते हैं,’’ कह कर वह औरत फिर मुसकराई, ‘‘क्या आप की भी कोई समस्या है? रात को या सुबह यहीं पंडितजी से बात कर लीजिएगा. वैसे, आप का नाम?’’

‘‘रवि… और आप का?’’

‘‘सुधा.’’

‘‘अच्छा, चलता हूं… फिर मिलेंगे,’’ कहता हुआ रवि आगे बढ़ गया. नुक्कड़ की दुकान पर चाय पीते समय रवि की उदासी काफी हद तक दूर हो चुकी थी. अपने सामने वाले मकान की उस औरत को देखने के बाद वह काफी खुश नजर आ रहा था. रात को रवि दरवाजे पर ताला लगा रहा था कि सामने वाले मकान के समीप एक मोटरसाइकिल आ कर रुकी, जिस से एक चोटीधारी, पंडितनुमा अधेड़ उम्र का शख्स नीचे उतरा. उसी समय 10-11 साल का एक लड़का और उस से 2-3 साल बड़ी एक लड़की बाहर निकल कर आई. दोनों एकसाथ बोल उठे, ‘पापाजी, नमस्ते.’ उस शख्स ने उन दोनों बच्चों के गाल थपथपाते हुए पीछे मुड़ कर रवि की ओर देखा, तो मुसकराते हुए बोला, ‘‘इस मकान में आप ही नए किराएदार आए हैं… इस के मालिक तेजपाल का मुझे फोन आया था. अच्छा हुआ, आप आ गए… काफी समय से यह घर खाली पड़ा था. आइए, भीतर बैठते हैं… सुधा, 2 कप चाय लाना.’’

बिना किसी नानुकर के रवि उस शख्स के पीछेपीछे भीतर जा पहुंचा. दोनों एक सजेधजे कमरे में जा कर बैठ गए. रवि ने पूछा, ‘‘आप ही पंडित अवधकिशोरजी हैं?’’

‘‘हां…हां… वैसे, मेरा दफ्तर बसअड्डे के सामने है.’’

तभी सुधा चाय ले कर आ गई, तो पंडितजी ने परिचय कराया, ‘‘यह मेरी पत्नी सुधा है… और ये सामने वाले मकान में नए किराएदार आए हैं.’’

‘‘नमस्ते…’’ दोनों ने मुसकराते हुए एकदूसरे का अभिवादन किया. सुधा के बाहर जाते ही पंडितजी ने पूछा, ‘‘आप का परिवार कहां रहता है?’’

‘‘जी… क्या कहूं… मांबाप बचपन में ही गुजर गए. चाचाचाची ने घरेलू नौकर बना कर पालापोसा. गांव में मेरे हिस्से की जो थोड़ी सी जमीन थी, वह भी उन्होंने हड़प ली. बस यही समझिए कि दरदर की ठोकरें खाता हुआ न जाने कैसे आप के शहर में आ पहुंचा हूं.’’

‘‘किसी फैक्टरी में नौकरी करते हो?’’ पंडितजी ने पूछा.

‘‘जी, भानु सैनेटरी उद्योग में.’’

‘‘देखो, इनसान को घर जरूर बसाना चाहिए. अकेले आदमी की जिंदगी भी भला कोई जिंदगी होती है.

‘‘अब मुझे देखो, 5-6 साल पहले पत्नी गुजर गई. दोनों बच्चों के पालने की समस्या मुंहबाए खड़ी थी. फिर घर की जिम्मेदारियां भी थीं और जीवनसाथी की जरूरत का एहसास भी था. सो, 42 साल की उम्र में दूसरी शादी कर ली… ढूंढ़ने पर गरीब घर की सुधा मिल गई, जो हर लिहाज से नेक पत्नी साबित हो रही है. वैसे, तुम्हारी उम्र कितनी है?’’

‘‘27-28 साल होगी…’’ रवि उदास लहजे में बोला, ‘‘पहले मैं नूरां बस्ती में रहता था. वहां एक लड़की पसंद भी आई थी, पर वह किसी पढ़ेलिखे बाबू की पत्नी बनना चाहती थी. हालांकि उस का बाप हमारी फैक्टरी में ही नौकरी करता है, लेकिन उस  लड़की को अपनी खूबसूरती पर घमंड है.’’

‘‘अरे भाई, देखने में तो तुम भी हट्टेकट्टे और तंदुरुस्त नौजवान हो…’’ पंडितजी हंसते हुए बोले, ‘‘कहो तो उसी लड़की से तुम्हारे फेरे डलवा दें?’’

‘‘क्या… ऐसा मुमकिन है क्या?’’ रवि को तो जैसे मुंहमांगी मुराद मिल गई.

‘‘बेटा, मैं ज्योतिष का ही नहीं, तंत्रमंत्र का भी अच्छा माहिर हूं. ऐसा वशीकरण मंत्र दूंगा कि वह लड़की तुम्हारे कदमों में लिपटती नजर आएगी.’’

‘‘सच…?’’ रवि ने खुशी से झूमते हुए पूछा, ‘‘क्या आप आज यानी जल्दी ही वह वशीकरण मंत्र मुझे दे सकेंगे? कहीं ऐसा न हो कि देर हो जाने पर वह किसी दूसरे शख्स की दुलहन बन जाए.’’

‘‘अरे, मैं ने तो अभी तक तुम्हारा नाम भी नहीं पूछा?’’ पंडितजी ने उस की ओर देखा.

‘‘जी… रवि.’’

‘‘बहुत अच्छा… अभी कहां जा रहे हो?’’

‘‘मैं ढाबे पर खाना खाने… घर पर खाना नहीं बना सकता मैं.’’

‘‘चलो, आज हमारे साथ ही खा लेना…’’ पंडितजी ने पत्नी सुधा को आवाज लगाई, ‘‘थोड़ी देर में भोजन की 2 थालियां ले आना. रवि भी मेरे साथ ही खाना खाएंगे.’’

‘‘पंडितजी, आप बेकार में तकलीफ कर रहे हैं… मुझे तो ढाबे पर खाने की आदत ही है. वैसे, आप ने जो वशीकरण मंत्र की बात कही है, उस की फीस कितनी होगी?’’

‘‘कल शाम को मेरे दफ्तर आ जाना, वहीं फीस की बात कर लेंगे… तुम तो अब हमारे पड़ोसी हो… काम हो जाने पर मुंहमांगा इनाम लेंगे.

‘‘भाई, तुम्हें मनपसंद पत्नी मिल जाए… यही हमारी फीस होगी. वैसे ज्यादा क्या, शगुन के तौर पर 11 सौ रुपए दे देना.’’ तभी सुधा भोजन की 2 थालियां ले कर आ गई. स्वादिष्ठ भोजन करने के बाद रवि को उस रात गहरी नींद आई. अगले दिन शाम के 6 बजे रवि पंडितजी के दफ्तर जा पहुंचा. उन्होंने उस के लिए फौरन चाय मंगवाई. बातचीत का सिलसिला शुरू हो गया. थोड़ी देर बाद कागज का एक टुकड़ा पंडितजी ने रवि के सामने रखा, ‘‘मैं ने वशीकरण मंत्र पहले ही लिख रखा था… इसे ठीक से पढ़ लो.’’

‘‘यह तो साधारण सा मंत्र है…’’ रवि ने खुशी जाहिर करते हुए कहा, ‘‘अब इस के जाप की विधि…?’’

‘‘हां…हां, वही बताने जा रहा हूं. इस खाली जगह पर उस लड़की का नाम लिख देना… वही बोलना है.’’ रवि ने मंत्र पढ़ना शुरू किया और खाली जगह पर ‘मधु’ का नाम लिया, तो पंडितजी मुसकराए, ‘‘लड़की का नाम तो काफी अच्छा है. अब तुम्हें परेशान होने की जरूरत नहीं… वैसे, तुम्हारी ड्यूटी तो शिफ्ट में होगी?’’

‘‘नहीं, आजकल मैं मैनेजर साहब के दफ्तर में चपरासी की ड्यूटी बजा रहा हूं… सुबह 10 बजे से शाम 6 बजे तक… इस में कोई समस्या तो नहीं है?’’

‘‘नहीं… नहीं… अब ध्यान से सुनो. हर रोज रात को सोने से पहले एक माला फेरनी होगी. 40 दिनों तक इसी क्रम को दोहराना है. तुम ने क्या बताया था, वह लड़की नूरां बस्ती में रहती है?’’

‘‘जी हां.’’

‘‘जब भी रात को माला फेरने बैठो, तो तुम्हारा चेहरा उस लड़की के घर की दिशा में ही होना चाहिए. दिशा का ठीकठीक अंदाजा है न?’’

‘‘जी हां…’’

‘‘बस, अब तुम एकदम बेफिक्र हो जाओ… हर दूसरेचौथे दिन मधु की गली के चक्कर लगाते रहना. तुम खुद अपनी आंखों से देखोगे कि तुम्हारे प्रति उस की चाहत किस कदर बढ़ती चली जा रही है. यह लो तावीज… जरा ठहरो… मैं इस पर गंगाजल छिड़क देता हूं.’’ पंडितजी ने कोई मंत्र बुदबुदाते हुए बोतल में से पानी के कुछ छींटे तावीज पर फेंके और फिर उसे रवि के बाएं बाजू पर बांध दिया, ‘‘जाओ, तुम्हारी सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी.’’ रवि ने जेब से 11 सौ रुपए निकाल कर पंडितजी के हाथ पर रख दिए.

‘‘बेटा, 40 दिन के बाद पंडित अवधकिशोर का चमत्कार देखना. अच्छा, मुझे अभी एक यजमान के यहां जाना है…’’ रवि अपने कमरे का ताला खोल रहा था कि सामने से सुधा की आवाज सुनाई दी, ‘‘नमस्कार… पंडितजी ने सुबह मुझे सबकुछ बता दिया था. मंत्रजाप की विधि सीख ली और तावीज भी बंधवा लाए. कितने दे आए?’’

‘‘11 सौ रुपए,’’ रवि ने मुसकराते हुए बताया.

‘‘गनीमत है कि 21 सौ या 31 सौ रुपए नहीं ऐंठ लिए…’’ सुधा ने मजाकिया लहजे में कहा, ‘‘अब तो पूरे 40 दिन बाद ही प्रेमिका आप के पीछेपीछे चल रही होगी. खैर, चाय पीएंगे आप?’’

‘‘रहने दो… बच्चे बेकार में शक करेंगे,’’ रवि ने सुधा की आंखों में झांका.

‘‘दोनों ट्यूशन पढ़ने गए हैं… घंटेभर बाद लौटेंगे.’’ उस दिन चाय पीते समय रवि ने महसूस किया कि सुधा उस की तरफ खिंच रही है. उस की हर अदा में छिपे न्योते को वह साफसाफ समझ रहा था. हफ्तेभर बाद एक दिन रवि शाम को 5 बजे ही अपने कमरे पर लौट आया. दरवाजा खुलने की आवाज सुनते ही सुधा ने बाहर झांका. फिर बाहर सुनसान गली का मुआयना करने के बाद वह तेज कदमों से रवि के कमरे में आ पहुंची, ‘‘जल्दी से यहां आ जाओ. मैं चाय बनाती हूं.’’

‘‘चाय तो बाद में पी लेंगे… पहले जरा मुंह तो मीठा कराओ,’’ कहते हुए रवि ने सुधा को बांहों में कसते हुए उस के होंठों पर चुंबनों की झड़ी सी लगा दी. ‘‘अरेअरे, क्या करते हो… दरवाजा खुला है, कोई आ जाएगा,’’ सुधा ने नाटकीय अंदाज में खुद को छुड़ाने की कोशिश की.

‘‘ठीक है, चलो… मैं अभी आता हूं,’’ रवि की बांहों से छूटते ही सुधा अपने कमरे में जा पहुंची. उस दिन चाय पीते समय रवि और सुधा के बीच काफी बातें होती रहीं. सुधा ने बताया कि उस के मातापिता भी जल्दी ही चल बसे थे. मौसामौसी ने नौकरानी की तरह उसे घर में रखा. विधुर पंडितजी ने उन्हीं के गांव के रहने वाले एक जानने वाले के जरीए शराबी मौसा पर अपने रुतबे और दौलत का चारा फेंका. 50 हजार रुपए में सौदा तय हुआ और फिर 20 साला सुधा अधेड़, विधुर के पल्ले बांध दी गई.

‘‘सुधा, अब जल्दी ही तुम्हारी सब समस्याओं का समाधान हो जाएगा… चिंता मत करो,’’ रवि हौले से बोला.

‘‘क्या कह रहे हो? तुम तो खुद ही अपनी प्रेमिका की समस्या से परेशान हो… मेरे लिए तुम क्या कर पाओगे?’’

‘‘मेरी बात गौर से सुनो, पंडितजी के तंत्रमंत्र से कुछ होने वाला नहीं… ये सब तांत्रिकों के ठगी के तरीके मात्र हैं. अंधविश्वासी, आलसी और टोनेटोटकों के चक्कर में पड़ने वाले लोग ही आसानी से इन के शिकार होते हैं. ‘‘मैं ने तुम्हारे नजदीक आने के लिए ही पंडितजी के साथ एक चाल चली है. वे या बच्चे किसी तरह का शक न करें, इसलिए उन से मेलजोल बढ़ाने के लिए तुम्हारी खातिर 11 सौ रुपए देने पडे़.

‘‘सुनो, इस तरह बात करते हुए हम कभी भी पकड़े जा सकते हैं. जल्दी ही मैं तुम्हें एक चिट्ठी दूंगा, तुम भी चिट्ठी द्वारा ही जवाब देना,’’ कहते हुए रवि अपने कमरे की ओर चल दिया. हालांकि रवि को जरा भी भरोसा नहीं था, पर फिर भी वह हर रोज मधु के नाम की एक माला का जाप जरूर करता था कि शायद इस बार पंडितजी का वशीकरण मंत्र कुछ काम कर जाए. 20-22 दिन बाद जब वह नूरां बस्ती में मधु का दीदार करने पहुंचा, तो एक परिचित ने मुसकराते हुए कहा, ‘‘कहो दोस्त, कहां भटक रहे हो? चिडि़या तो फुर्र हो गई… तुम्हारी मधु तो पिछले हफ्ते ही ब्याह रचा कर विदा हो गई.’’

‘‘सच कह रहे हो तुम?’’ रवि के दिल को धक्का लगा.

‘‘अरे भाई, मैं झूठ क्यों बोलूंगा. उस के घर वालों से जा कर पूछ लो,’’ उस आदमी ने कहा. अब थकेहारे कदमों से उस गली से लौटने के अलावा रवि के पास कोई चारा ही न था. एक दिन पंडितजी ने सुबहसुबह रवि का दरवाजा खटाखटाया, ‘‘क्या बात है, आजकल तुम नजर ही नहीं आ रहे? मेरे खयाल से वशीकरण मंत्र जाप के 40-50 दिन तो हो ही गए होंगे… तुम ने खुशखबरी नहीं सुनाई?’’ पंडितजी ने खड़ेखड़े ही पूछा.

‘‘जी हां…’’ रवि ने मुसकराते हुए  कहा, ‘‘आप के आशीर्वाद से मधु पूरी तरह मेरे वश में हो गई है. धन्य हैं आप और धन्य है आप का वशीकरण मंत्र.’’

‘‘बहुत अच्छे…’’ कहते हुए पंडितजी बाहर चले गए. उसी दिन शाम को जब बच्चे ट्यूशन से लौटे, तो सुधा को घर में न पा कर उन्होंने पंडितजी को फोन किया. वह फौरन ही घर आ पहुंचे. उन्होंने सामने देखा कि रवि के कमरे के बाहर भी ताला लगा हुआ था. 4-5 पड़ोसियों से पूछा, पर सभी ने न में सिर हिला दिया.  फिर एक वकील दोस्त को साथ ले कर नजदीकी थाने में पत्नी सुधा की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाई और रवि की गैरमौजूदगी के कारण पत्नी के संग उस की मिलीभगत का शक भी जाहिर किया. तकरीबन एक हफ्ते तक जगहजगह पूछताछ करने और ठोकरें खाने के बाद पंडितजी का शक पक्का हो गया कि रवि ही सुधा को भगा कर ले गया है.

इसी सिलसिले में पंडितजी अपने साथ वाले दफ्तर के बंगाली तांत्रिक से बातचीत कर रहे थे, तो उस ने हंसते हुए कहा, ‘‘पंडितजी, आप खुद को ज्योतिष शास्त्र का माहिर कहते हो… क्या कभी आप ने अपनी पत्नी का भविष्यफल नहीं देखा, उस की हस्तरेखाएं नहीं देखीं कि वह किस शुभ घड़ी में, किस दिन, किस आशिक के संग भागने जा रही है?’’

‘‘चुप भी रहो यार, क्यों जले पर नमक छिड़कते हो,’’ पंडितजी गुस्से से बोले.

‘‘तुम ने उस नौजवान का क्या नाम बताया था, जिस के साथ उस ने भागने….?’’

‘‘रवि.’’

‘‘तुम ने जो उसे वशीकरण मंत्र दिया था, लगता है, उस ने उस का जाप अपनी प्रेमिका का नाम ले कर नहीं, तुम्हारी पत्नी सुधा का नाम ले कर किया होगा,’’ बंगाली तांत्रिक ने ठहाका लगाया, तो पंडितजी आगबबूला होते हुए बोले, ‘‘तुम्हारी ठग विद्या से भी मैं अच्छी तरह वाकिफ हूं. जबान संभाल कर बोलो… इस हमाम में हम सभी नंगे हैं…’’

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